antarwasna आधा तीतर आधा बटेर - Page 4 - SexBaba
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antarwasna आधा तीतर आधा बटेर

डगमोरे के होंठ सख्ती से भिंचे हुए थे….उनमे नफ़रत भी झलक रही थी….आँखें विंड स्क्रीन पर जमी हुई थी….अंदाज़ ऐसा था जैसे करीब बैठे हुए की तरफ देखना भी शान के खिलाफ समझता हो….!

कुछ देर बाद गाड़ी एक इमारत के पौर्च में रुक गयी…..

अजनबी ने पहले उतर कर दरवाज़ा खोला….

डगमोरे उसकी तरफ ध्यान दिए बगैर गाड़ी से उतरा….
और इमारत में दाखिल हो गया….!

अजनबी बाहर रुक गया….!

इस तरफ जनाब….अंदर एक बट्लर ने डगमोरे की रहनूमाई की….
और उसे एक दरवाज़े तक ले आया….जहाँ उसे पहुँचना था….!
डगमोरे गुस्सैले अंदाज़ में दरवाज़े को धक्का दे कर कमरे में दाखिल हुआ….

डेविड सामने खड़ा था….

डगमोरे ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए सवाल किया….इस हरकत का मतलब….?

कैसी हरकत….? डेविड ने नर्म लहजे में पूछा

तुम्हारा आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखा कर यहाँ लाया है….

शायद….तुम ने आने से इनकार किया होगा….

अच्छा….तो फिर….

तुम जानते हो कि मेरे आदमी सिर्फ़ हुक्म की तामील करना जानते है….

अच्छी तरह जानता हूँ तुम्हारे आदमियों को….डगमोरे के लहजे में हिकारत (तिरस्कार) था

मैं तुम्हे समझा सकता हूँ कि क्या हुआ होगा….डेविड उसे गौर से देखता हुआ बड़बड़ाया

सुनो….मैं तुम्हारा पाबंद (बाध्य) नही हूँ….

यह तुम से किस ने कह दिया….तुम तो सिर्फ़ प्रेस हो….अंबासडर भी मेरा पाबंद (बाध्य) है….यक़ीन ना आए तो फिर इससे दरियाफ़्त कर लो….डेविड ने फोन की तरफ इशारा किया

डगमोरे होंठों पर ज़ुबान फेर कर रह गया….

तुम अच्छी तरह जानते हो…..डेविड उसकी आँखों देखता हुआ बोला….मैं जिस सर ज़मीन पर भी कदम रखता हूँ….वहाँ का अंबासडर अपने स्टाफ समेत सिर्फ़ रहस्मयी सरकार को जवाब देह होता है….क्यूँ कि मैं रहस्मयी सरकार का एक अहेम तरीन सदस्य हूँ….!

फिर भी मेरी एक पोज़िशन है….इसे बर्दाश्त नही कर सकता कि कोई तीसरे दर्जे का आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखाए….

मैं इस तीसरे दर्जे के आदमी को तुम्हारे अंबासडर के सर पर भी बैठा सकता हूँ….हुक्म की तामील करना सीखो…..

डगमोरे बैठ जाओ….डेविड ने सोफे की तरफ इशारा किया

क्यूँ बुलाया है….? डगमोरे बैठते हुए सवाल किया

पहले मेरी एक बात अच्छी तरह ज़हें नशीन कर लो….
फिर असल मामले की तरफ आउन्गा…..इसे कतई तौर पर भूल जाओ कि हम पहले कभी दोस्त थे….रहस्मयी सरकार से ताल्लुक रखने वाला कोई आदमी किसी का दोस्त नही होता….उपर के आदेश की तामील में अपने बूढ़े बाप को भी कत्ल कर सकता हो….!

डगमोरे खामोशी से उसे देखता रहा….वो ढीला पड़ गया था….वो डेविड की पोज़िशन से अच्छी तरह वाक़िफ़ था….
लेकिन साथ में उसे भी ज़हन में रखना था कि कभी दोनो हम नीवाला-हम प्याला रहे चुके थे….
और डेविड हमेशा उसका कर्ज़दार रहता था….!

अब आओ असल मामले की तरफ….डेविड ने उसे गौर से देखते हुए कहा….लाल लिफ़ाफ़ा क्या है….?

मैने उसे जला दिया….डगमोरे भर्राई आवाज़ में बोला

उसमे क्या था….?

ऐसी चीज़ जिस पर ब्लॅकमेलिंग का शक़ हुआ था….!

फिर….थोड़ी देर बाद तुम संतुष्ट भी हो गये….

यक़ीनन….जब मुझे मालूम हुआ कि किस की हरकत थी….

किस तरह मालूम हुआ….?

हरकत करने वाले ने आगाह कर दिया था….

तो गोया….उस औरत ने किसी दूसरी औरत के सिलसिले में तुम्हे वो चीज़ भेजी थी….

हाँ….यही बात थी….

मैं उन दोनो औरतों के बारे में जानना चाहूँगा….

सवाल ही नही पैदा होता….

यह तुम मुझसे कह रहे हो….?

यह मेरा निजी मामला है….

मैं निजी मामलात में भी दखल अंदाज़ का इकतियार रखता हूँ….!

लेकिन….मैं पाबंद (बाध्य) नही….मेरे कांट्रॅक्ट में ऐसी कोई बात नही थी….जिस की बुनियाद पर तुम मुझे मजबूर कर सको….!

मैं फिर कहता हूँ कि होश में रह कर मुझसे गुफ्तगू करो…..

मैं तुम्हे उन औरतों के बारे में कुछ नही बताउन्गा….तुम ज़्यादा से ज़्यादा यह कर सकते हो कि फॉरिन-डिपार्टमेंट के सामने मुझे सफाई देने पर मजबूर कर दो….!

अच्छी बात है….जाओ….डेविड हाथ उठा कर बोला
लेकिन डगमोरे बैठा रहा….

डेविड बुरा सा मुँह बना कर दूसरी तरफ देखने लगा….थोड़ी देर बाद उसे घूरता हुआ बोला….सफाई के बाद भी तुम रहस्मयी सरकार की गिरफ़्त से बाहर नही होगे….क्यूँ कि…..मेरे ही तो साथ तुम्हारा ताल्लुक इससे होता था….!

डगमोरे ने लापरवाही से कंधों को उचकाया….
और चहरे की उदासीनता छुपाने की कोशिश करने लगा….!

अचानक….डेविड इस तरह चौंका जैसे उसे कुछ याद आ गया हो….डगमोरे को गौर से देखा जो इस तरफ ध्यान नही दे रहा था….!

लिफ़ाफ़ा मिलने के बाद से तुम कहीं बाहर गये थे….?

न….ना….नही….क्यूँ….?

हालाँकि तुम्हे उस औरत से ज़रूर मिलना चाहिए था….जिस ने यह हरकत की थी….!

मैने ज़रूरी नही समझा….

लेकिन….मुझ पर चढ़ दौड़ना ज़रूरी था….?

कुदरती बात है….जब यह शक हो कि कोई दोस्त ब्लॅकमेलिंग करना चाहता है रद्दे-अमल (प्रतिक्रिया) इसी सूरत में ज़ाहिर होगी….!

वो औरत भी तुम्हारी दोस्त ही होगी….दुश्मन नही होगी…..दूसरी औरत से दूरी बना लो….!

यही समझ लो….

इसके बावजूद भी तुम ने उस औरत से मिलने की कोशिश नही की थी….?

नही….

कतई फित्रि बात है….

डगमोरे कुछ ना बोला….वैसे वो किसी कदर नर्वस नज़र आने लगा….
क्यूँ कि लाल लिफ़ाफ़ा तस्वीरों समेत अब भी उसके कोट की अन्द्रूनि जेब में मौजूद था….डेविड के आदमी ने इतनी मोहलत ही नही दी कि वो यहाँ आने से पहले लिफाफे को तबाह कर सकता….डेविड की चील सी आँखें उसे अपने ज़हन में चूभती नज़र आ रही थी…. और वो सीधा बैठा हुआ था….!
 
लाओ निकालो….? अचानक डेविड हाथ बढ़ा कर बोला

क्या….? डगमोरे उछल पड़ा

वो लिफ़ाफ़ा तुम्हारे पास ही मौजूद है….!

खबरदार मेरे करीब ना आना….डगमोरे उठ खड़ा हुआ

डेविड खामोश बैठा उसे घूरता रहा….

डगमोरे जिस अंदाज़ में उठा था….उसके मुक़ाबले में डेविड का रववैया कुछ अजीब लग रहा था….
हालाँकि मुस्कुराहट उसके होंठों पर फैली हुई थी और आँखों में वहशियाना चमक लहराई…. और जैसे ही डगमोरे दरवाज़े की तरफ बढ़ा उसने बड़ी फूर्ति से आगे बढ़ कर उसकी गर्दन दबोचली….डगमोरे भन्ना कर पलटा….

लेकिन उसकी आँखों के सामने तारे नाच गये….कनपटी पर पड़ने वाला घूँसा ऐसा ही शदीद था….संभाल ही नही पाया था क़ि दूसरी कनपटी पर भी चोट लगी….साथ ही डेविड का कहकहा भी कमरे की फ़िज़ा में गूंजा…

डगमोरे फर्श से उठने की कोशिश करता हुआ अंधेरे में डूब गया….

डेविड ने उसके जेबों की तलाशी ले कर लाल लिफ़ाफ़ा बरामद कर लिया….तस्वीरें निकाली
और उसपर नज़र पड़ते ही चौंक पड़ा….
फिर उसने ज़हीरीली नज़रों से बेहोश डगमोरे की तरफ देखा

लिफ़ाफ़ा अपनी कोट की अन्द्रुनि जेन में रख कर वो फिर सामने वाली कुर्सी पर जा बैठा….वो हिकारत (तिरस्कार) अमाीज़ नज़रों से डगमोरे की तरफ देखे जा रहा था….!

अचानक….किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी….

कौन है….? डेविड ने उँची आवाज़ में पूछा

फोन कॉल है चीफ….बाहर से आवाज़ आई

वो उठ कर तेज़ी से दरवाज़े की तरफ बढ़ा….
लेकिन इस तरह बाहर निकला कि अंदर ना देखा जा सके….

उसका एक मातहत राहदारी में खड़ा था….

यहाँ फोन कॉल….? डेविड ने हैरत से पूछा….किस की है….?

नाम नही बताया….आप से गुफ्तगू करना चाहता है

क्या मेरा नाम लिया है….?

हाँ चीफ….

उसने पलट कर बंद दरवाज़े की तरफ देखा
और उसे अपने साथ आने का इशारा कर के आगे बढ़ गया
स्टिंग-रूम में पहुँच कर उसने फोन रिसीवर उठाया….हेलो….कौन है….?

डेविड….? दूसरी तरफ से आवाज़ आई

हाँ….मैं ही हूँ….तुम कौन हो….?

“बटेर”….

क्या मतलब….?

क्या तुम्हारे आदमी ने नही बताया कि मैं बटेर मुशाबा (मॅचिंग) हूँ….!

क्या बकवास कर रहे हो….?

ढांप तुम से मुखातिब हो….
इसलिए अपना लहज़ा ना बिगड़ने दो….!

ओह….तुम हो….!

और तुम्हे आगाह कर रहा हूँ कि तुम्हारी ज़िंदगी के दिन पूरे हो चुके है….!

शट-अप….

मैं एक साल से तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ….

क्यूँ….?

मैं उसका आदमी हूँ जिसे तुम ने साउत-आफ्रिका में डबल-क्रॉस किया था….!

तुम….यानी ढांप….?

हाँ….मैं ढांप

तुम्हारा इमरान से कोई ताल्लुक नही है….?

कौन इमरान….?

मैने पूछा था कि तुम ने इमरान से साठ-गाँठ की है….?

मैं किसी इमरान को नही जानता….मोलकों दूज़ा के आदमी किसी दूसरे पर टिका नही करते….!

लेकिन मेरे मामलात में टाँग अड़ाने से क्या फ़ायदा….?

मोलकों दूज़ा के आदमी शिकारी कुत्तों की तरह पहले खेलते है….
फिर गर्दन दबोच लेते है….!

तुम्हारी मौत आई है….

तुम दोनो में किसी ना किसी की ज़रूर आई है….

यह एक बे-मक़सद हरकत थी….

खेल का मक़सद ही मनोरंजन होता है डेविड….

मोलकों दूज़ा को ग़लतफहमी हुई थी….जो आज तक रफ़ा ना हो सकी….

अगर….वो ग़लतफहमी थी तो तुम्हे रफ़ा करना चाहिए था….!

दूज़ा ने इसका मौक़ा ही नही दिया था….

अच्छी बात है….मैं तुम्हे पकड़ कर मोलकों दूज़ा की खिदमत में पेश कर दूँगा….ग़लतफहमी दूर कर देना….!

क्या यह मुमकिन नही कि हम आमने-सामने गुफ्तगू कर सके….?

फिलहाल मुमकिन नही….

आख़िर क्यूँ….?

मुक़ामी पोलीस से उलझना नही चाहता….सारा इल्ज़ाम मेरे सर आ गया है….!

अहमाक़ाना दखल अंदाज़ी का यही नतीजा होता है….

अहमाक़ाना दखल अंदाज़ी….क्या कह रहे हो डेविड….इसी दखल अंदाज़ी की बिना पर तुम्हारा सुराग मिला है….
और अब तुम मुझसे फ्रॉड नही कर सकोगे….!

बकवास बंद करो….मैं तुमसे फ्रॉड करूँगा….

बहुत जल्द मुलाकात होगी….दूसरी तरफ से आवाज़ आई और सिलसिल कट हो गया

डेविड माउत-पीस को घूरता रहा और कुछ सोचने लगा….कमरे से निकला राहदारी में उसका वही मातहत मौजूद था जिस ने फोन कॉल की इत्तेला दी थी….पूरी तरह होशियार रहना….उसने कहा

कोई ख़ास बात चीफ….!

ढांप जानता है कि हम इस इमारत में है….

क….क्या उसी की कॉल थी….?

हाँ….उसी की कॉल थी….
और उसका इमरान से कोई ताल्लुक नही….!

और हम खाम्खा इमरान पर ज़ोर देते रहे….

खाम्खा नही….उस पर हर हाल में नज़र रखनी पड़ेगी….!

अगर….ढांप का उससे कोई ताल्लुक नही तो फिर यह ढांप….
 
फ़िक्र ना करो….उसे भी देख लेंगे….मेरे साथ आओ….वो उसी कमरे की तरफ बढ़ता हुआ बोला….जहाँ डगमोरे को बेहोश छोड़ कर आया था….!

होश आते ही वो बौखला कर उठ बैठा…. और चारों तरफ नज़र दौड़ाई….
और उछल कर बिस्तर के नीचे आया….यह तो उसका अपना बेडरूम था….जिस्म पर नाइट सूट था….लाल लिफ़ाफ़ा….वो सर पकड़ कर रह गया दिल शिद्दत से धड़क गया….जिस की धमक सर में महसूस हो रही थी….

और फिर….जब वो बेडरूम से निकला तो उसकी बीवी ने वहलेहना अंदाज़ में दौड़ कर उसकी मिज़ाज पोशी की….वो आँखें फाड़े देखता रहा….

तुम ठीक तो हो डार्लिंग….? आख़िर हो क्या गया था….?

क्या हुआ था….? हैरत बदस्तूर बरक़रार थी

उन्होने ने बताया था कि तुम चलते-चलते गिर गये थे….
और बेहोश हो गये थे…. अगर तुम्हारी जेब में तुम्हारा कार्ड ना होता तो तुम्हे यहाँ नही पहुँचा सकते थे….!

क….क….कौन थे….?

तीन मोक़ामी आदमी….

डगमोरे ने लंबी साँस ली….तो यहाँ भी डेविड ने खाना खाली नही छोड़ा

डॉक्टर बेहोशी की वजह नही बता सका….उसने कहा था कि खुद-बा-खुद होश आएगा….और….तुम्हे तन्हा छोड़ दिया जाए….होश में लाने की कोशिश ना की जाए…..उसकी बीवी ने चिंता जनक लहजे में कहा

मैं नही जानता कि क्या हुआ था….कुछ याद नही कि क्यूँ बेहोश हुआ था….!

लेकिन….दोनो गाड़ियाँ गॅरेज में मौजूद है….

मुझे डेविड का आदमी अपने साथ ले गया था….अपनी गाड़ी पर….वापसी में टॅक्सी में आने का इरादा था….
शायद वहाँ से पैदल ही आया था सड़क पर….
फिर कुछ याद नही….!

तुम कभी इतनी ज़्यादा पीते भी नही….

सवाल ही नही पैदा होता…. और अगर….इतनी पी हुई होती तो डेविड मुझे पैदल नही रवाना होने देता…..!

अब कहाँ जा रहे हो….तुम्हे आराम की ज़रूरत है….!

तुम ठीक कहती हो….वो फिर बेडरूम की तरफ चल पड़ा….

बीवी भी साथ थी….बेडरूम में पहुँच कर बोली….डेविड ने तुम्हे बुलाया था….?

हाँ….उसने बिस्तर पर लेटते हुए कहा

खुद क्यूँ नही आया….?

मैं नही जानता….डगमोरे झल्ला गया….वो तन्हाई चाहता था….उसे बहुत कुछ सोचना था….
और फिर….तारीख कार (प्रक्रियाओं) पर भी इतमीनान करना था….बुरे हाथों पड़ गया था….तस्वीरों का डेविड के हाथ लग जाना उसके लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता था….!

बीवी बिस्तर के सामने वाली कुर्सी पर बैठ चुकी थी….उसने कहा….डॉक्टर की हिदायत (निर्देश) के मुताबिक….
अगर तुम जाग रहे हो तो तुम्हे बोलते रहना चाहिए….!

मैं खामोश रहना चाहता हूँ….

यह आदमी डेविड मेरी समझ में नही आया….

तुम्हे ज़रूरत ही क्या है समझने की….

क्यूँ नही है….जब कि तुम उसे अपना एक बहुत पुराना दोस्त कहते हो….

मेरा ही समझ लेना काफ़ी है….!

उसके आते ही तुम ने मुझे हिल-स्टेशन भेज दिया था….
हालाँकि सीज़न ख़त्म पर था….!

क्या मैने बुरा किया था….?

मैं यह नही कहती….वो तुम्हारे ही साथ इस इमारत में रह रहा था….
और मेरे आते ही यहाँ से चला गया….!

वो ऐसे किसी खानदान के साथ गुज़ारा नही कर सकता जिस में औरतें भी शामिल हो….शुरू ही से ऐसा है….!

इतनी गैर मामूली बात मैने कभी नही सुनी….वो क्या आसमान से आ टपका था या ज़मीन से बरामद हुआ था….?

आदत….डार्लिंग आदत….हो सकता है पोज़ ही करता हो….!

बहेरहाल मुझे वो आदमी पसंद नही है….

तब तो अच्छा ही हुआ के यहाँ से चला गया….!

बीवी ने उसे घूर कर देखा….लेकिन बोली कुछ नही….!

डगमोरे ने आँखें बंद कर ली….
और आहिस्ता-आहिस्ता करहाने लगा….!

क्या कहीं तकलीफ़ है….? बीवी ने पूछा

सर दर्द….

डॉक्टर ने कहा था हो सकता है होश आने के बाद सर दर्द की शिकायत करे….!

जहन्नुम में झोको डॉक्टर को….डगमोरे बिस्तर पर ज़ोर से हाथ मार कर बोला

तुम ने पहले कभी मुझसे ऐसे लहजे में बात नही की….

पहले कभी इस तरह चलते-चलते बेहोश हो कर गिरा भी नही था….

बीवी ने सख्ती से होंठ भींच लिए…. और दूसरी तरफ देखने लगी….!

डगमोरे भी खामोश रहा….उसने फिर आँखें बंद कर ली….

बीवी ने कनखियों से उसकी तरफ देखा….कुछ कहना चाहा….
लेकिन फिर इरादा बदल कर उठ गयी….!
 
डगमोरे ने दरवाज़ा खुलने और बंद होने की आवाज़ सुन कर आँखें खोल दी
और उठ बैठा….दरवाज़ा बंद कर के फोन की तरफ आया….डेविड के नंबर डाइयल किए और माउत-पीस में बोला….मैं डगमोरे बोल रहा हूँ….डेविड को इत्तेला दो….वो रिसीवर कान से लगाए खड़ा रहा….
और थोड़ी देर बाद डेविड की आवाज़ सुन कर बोला….तुम ने अच्छा नही किया….!
क्या अच्छा नही किया….?

लिफ़ाफ़ा मेरी जेब से निकाल कर अच्छा नही किया डेविड….

अगर तुम दूसरी औरत की निशान देहि कर दो तो वो तुम्हे वापस मिल सकता है….मेरे किसी काम का नही….तुम्हारी हैसियत ही क्या है….मैं तुम्हे ब्लॅकमेल करूँगा….!

मैं दूसरी औरत की निशान देहि नही करूँगा….

दूसरी तरफ से डेविड का ज़हीरिला सा कहकहा सुनाई दिया….
और फिर….आवाज़ आई….अगर वो कोई औरत होती तो तुम ज़रूर निशान देहि कर देते….!

क….क….क्या मतलब….? डगमोरे हकलाया

बनने की कोशिश ना करो….डेविड की दहाड़ सुनाई दी

तुम पता नही क्या कह रहे हो….?

वही जो तुम समझ रहे हो….

डगमोरे का सीना धोकनी की तरह फूलने-पिचकने लगा

हेलो….तुम क्या सोचने लगे….

क….क….कू….कुछ नही….डगमोरे बोला

फिर मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि लिफ़ाफ़ा किस ने भेजा था….
और क्यूँ भेजा था….!

डगमोरे की आवाज़ फिर हलक में अटक गयी….

वो तुम्हे ब्लॅकमेल कर के मेरे बारे में मालूमात हासिल करना चाहता था….जिस में वो किसी हद तक कामयाब भी रहा है….!

पता नही….तुम….

शट-अप….खुद बता नही सकते….मुझसे सुन लो….फिलहाल उसने तुम से मेरा पता पूछा है….
और तुम ने सही इत्तेला दी है…!

इल्ज़ाम….डगमोरे फँसी हुई आवाज़ में बोला

बकवास मत करो….तुम ने उसे मेरे ठिकाने का पता बताया है….

किसे बताया है….?

ढांप को….

डगमोरे के हाथ से रिसीवर छूट गया….जिस्म का रेशा-रेशा काँपने लगा…!

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फोन की घंटी बज रही थी….रहमान साहब ने रिसीवर उठाया

दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….आप को कोई ऐतराज़ तो नही होगा….?

किस बात पर….रहमान साहब की पैशानी पर शिकन पड़ गयी

हंस की बेटी रस्म रिवाज देखना चाहती है….

क्या फ़िज़ूल बात कर रहे हो….यहाँ रुसूमात नही होंगे….

वो तो हो भी जाएँगे…. और आप को कानो कान खबर भी नही होगी….!

मगर….हंस की बेटी….यानी….वही लड़की जो मलइक़ा को ले गयी थी….?

जी हाँ वही….

वो मिलती है तुमसे….?

वो देखिए मैने उसकी जान बचाई थी….

और तुम उसे घर लाओगे….?

स्वार्थ….मैं बाद में बताउन्गा आप को….!

लेकिन….मैने सख्ती से मना कर दिया है….रुसूमात नही होंगे….!

तो फिर….शायद….आप दहेज भी ना दें….
क्यूँ कि यह भी रस्म ही है….!

कतई नही….इसकी बजाए कॅश देने का इरादा है….!

तब फिर तो बारात को खिलाने की ज़रूरत नही….
क्यूँ कि यह भी तो रस्म ही है….दस-दस रूपीए के नोट बारातियों को थमा दूँगा….जहाँ जी चाहे जा कर खा ले….!

बको मत….मैं एक ज़रूरी काम कर रहा हूँ….

सायरा को फोन पर बुला दी जिए….

अच्छा….रहमान साहब ने रिसेवर मेज़ पर डाल दिया….
और मुलाज़िम को आवाज़ दे कर कहा कि सायरा को सूचित कर दे….सायरा उनकी भतीजियों में एक थी….आदमी उसूल पसंद थे….

लेकिन इस ख्वाहिश को किसी तरह ना दबा सके कि दूसरी तरफ से इन्स्ट्रुमेंट पर होने वाली गुफ्तगू ना सुनते….
और फिर….जब मामला इमरान का रहा हो….रिसीवर उठा कर कान से लगाया

दूसरे इन्स्ट्रुमेंट पर सायरा कह रही थी….कहाँ भाई जान ना गाना ना बजाना….ऐसे सूना-सूना है जैसे शादी नही चोरी हो रही हो…. और ढोलक की बात कर रहे हो….!

ढोलक तो है ना….? इमरान की आवाज़ आई

है….छिपा कर रख दी गयी है….कहीं अंकल की नज़र ना पड़ जाए

तुम फ़िक्र ना करो मैं आ रहा हूँ….जश्न भरपा करने….ओह….यह भी कोई बात हुई….मैं खुद ही ढोलक बजाउन्गा….क्या समझती हो….!

अच्छा भाई जान फ़ौरन आइए….दम घुटा जा रहा है….!

रहमान साहब दाँत पीसते रहे….

दूसरी तरफ से फिर इमरान की आवाज़ आई….तुम लोग डॅडी को ग़लत समझते हो….दरअसल….वो चाहते है कि उनकी मौजूदगी में कुछ नही होना चाहिए….वैसे भी यह है क़ायदे की बात बुज़ुर्गों के सामने हल्ला-गुल्ला अच्छा नही लगता….!

तो फिर हम क्या करे….आज-कल तो क्लब भी नही जा रहे….!

मेरे ढोलक बजाने पर उन्हे कोई ऐतराज़ ना होगा….
और जब तक वो घर में मौजूद रहेंगे खुद ही गाता भी रहूँगा….
फिर जब वो मेरा गाना सुन कर क्लब चले जाएँगे तो तुम लोग महफ़िल संभाल लेना….!

तो फिर आ चुकिए ना जल्दी से….

पहले मेरी बात सुन लो….

सुनाए….

मेरे साथ एक विदेशी लड़की भी होगी….एशिया के रस्मो रिवाज पर किताब लिख रही है….!

अच्छा….अच्छा….वो….

जी नही….उसका नाम कॉर्निला है….!

ज़रूर लाइए….उसे उर्दू तो नही आती….?

जी नही….इतमीनान में रहो….आप लोग उर्दू में ब-आसानी उस पर रिमार्क्स पास कर सकेंगी….

अरे….यह मतलब नही था….

बस मैं यह चाहता हूँ कि उसकी मौजूदगी में रसम रिवाज होने चाहिए….लड़के वालों की तरफ से भी आप ही लोग रस्म अदा करेंगी….
क्यूँ कि लड़के वाले तो हम लोगों से भी ज़्यादा अँग्रेज़ है….!

उन्हे तो पता भी नही कि यहाँ रस्म वग़ैरा हो रहे है….!

क्या फ़र्क़ पड़ता है….अच्छा बस….!

दोबारा सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….
और रहमान साहब ने भी रिसीवर रख दिया….
फिर उन्होने जल्दी-जल्दी लिबास चेंज किया….
और घर से निकल गये….!
 
जल्द ही दोनो खुश खबरियाँ कोठी में फैल गयी….
यानी इमरान जश्न भरपा करने आ रहा है….
और रहमान साहब की रवानगी की….!
ढोलक निकल आई….लड़कियों के क़हक़हे फ़िज़ाओं में गूंजने लगे….
अलबत्ता सुरैया का दम निकला जा रहा था….वो भी रस्म रिवाज के खिलाफ थी….
लेकिन लड़कियाँ कहाँ सुनती है….!

सायरा को यक़ीन था कि रहमान साहब ने दूसरे इन्स्ट्रुमेंट पर उनकी गुफ्तगू सुनी होगी….
वरना इस तरह घर बाहर नही जाते….!

बहेरहाल….थोड़ी ही देर बाद इमरान अपनी मेहमान समेत आ पहुँचा….कॉर्निला का एक-एक से तारूफ़ कराने के बाद बोला….इसलिए घर से भागा-भागा फिरता हूँ….!

मुझे तुम लोगों की यह बात बेहद पसंद है कि एक बड़ा सा खानदान बना कर साथ रहते हो….कॉर्निला ने कहा

सबने उसे हाथों-हाथ लिया….

अगर वो चले गये है तो तुम ही लोग महफ़िल भरपा करो….इमरान ने कहा

ढोलक तो आप ही बजाएँगे भाई जान….सायरा बोली

और कम-अज-कम एक गाना भी होगा….दूसरी ने कहा

यह क्या गाएँगी….? इमरान कॉर्निला की तरफ देख कर बोला

गाएँगी क्या….यही समझेंगी कि यह भी रस्म का एक हिस्सा होगा….!

यानी मेरा गाना-बजाना….? इमरान आँखें निकाल कर बोला

नही….यह किसी करीबी के रुसूमात में गाएँगे….अपने सुलेमान के….किसी तरफ से आवाज़ आई

अपने अब्बा से कहना तुम्हारे मौक़े पर भी मुझे याद रखे….इमरान ने हांक लगाई….क़हक़हे गूँज उठे….
और वो बेचारी ना जाने कहाँ जा चुकी….!

सायरा इमरान को अलग ले जा कर बोली….आप ले तो आए इसे….अगर मलइक़ा आ गयी तो क्या होगा….आज सनडे है क्लिनिक बंद होगा….!

तुमने पहचान लिया यह कौन है….?

इस नाम से तो पूरा शहर वाक़िफ़ होगा….

अम्मा-बी को ना मालूम होने पाए….

मलइक़ा आ गयी तो मालूम हो ही जाएगा….!

अरे….बस भी कर लक़लाक़ा….उन्हे और कोई नाम नही सूझा था….!

आप बच कर रहिएगा….ज़्यादातर आप ही का ज़िक्र होता है उनकी ज़ुबान पर….

कीढ़े पड़ेंगे ज़ुबान में….!

वो तो आंटी कह लाएँगी मगर शादी की कायल नही….

जन्नति होने की निशानी….इमरान ने कहा
और आगे बढ़ गया….!

ढोलक पर एक लोक गीत हो रहा था….

आप की फोन कॉल है साहब….एक मुलाज़िम ने इत्तेला दी

यहाँ फोन कॉल….? इमरान ने हैरत से कहा

बड़े साहब है….

ओह अच्छा….इमरान लाइब्ररी की तरफ बढ़ गया

फोन पर भी रहमान साहब की झुनझूलाहट महसूस की जा सकती थी….

क्या वो तुम्हारे साथ आई है….? उन्होने इमरान की आवाज़ सुनते ही पूछा

जी हाँ….ढोलक के गीत सुन रही है….!

उसके बाप ने आज ही रिपोर्ट दर्ज कराई है कि वो तीन दिन से गायब है….!

हंस प्रिसिलीया ने….?

उसका बाप जुंमन ख़ान तो हो नही सकता….रहमान साहब घुर्राए

लेकिन….वो तो गायब नही है….?

गधेपन की बात ना करो….उसे फ़ौरन वहाँ से ले जाओ….
और पीछा छुड़ाओ अपना….!

जी बहुत अच्छा….

बल्कि वो वहाँ से तन्हा जाए तो अच्छा है….

इस तरह मेरी गाड़ी भी गायब हो जाएगी….

रहमान साहब ने आगे कुछ कहे बगैर सिलसिला कट कर दिया….!

इमरान ने रिसीवर रख कर थोड़ी देर अपनी घड़ी सहलाता रहा….
फिर उस तरफ चल पड़ा जहाँ महफ़िल भरपा थी….
और इशारे से कॉर्निला को बुलाया….!

क्या बात है….? कॉर्निला करीब पहुँच कर पूछी

बस अब चलो….!

इतनी जल्दी….यह लड़कियाँ बहुत अच्छी है….इंग्लीश भी बोल सकती है….कुछ देर तो उनमे रहने दो….!

ज़रूर रहने देता….
लेकिन क्या तुम उस लेडी डॉक्टर का सामना कर सकोगी जिस को तुम हर्लें हाउस ले गयी थी….?

न….न….नही….

तो फिर बस निकलो….वो आ रही है….उसकी फोन कॉल आई थी….!

यह तो बहुत बुरा हुआ….अच्छा चलो….ज़रा ठहरो….मैं लड़कियों से मज़ृत (सॉरी) कर आउ….!

बाद में कर लूँगा….अब चली ही चलो….!

अच्छी बात है….!

इमरान उसे कॉंपाउंड में ले आया
और बोला….तफरीह के लिए बहुत जगह और भी है….!

लेकिन….ऐसा माहॉल नही मिलेगा….सारी लड़कियाँ ईमानदार मालूम होती है….!
वो टू-सीटर में बैठ गये….जिस की रवानगी तूफ़ानी रफ़्तार से हुई

दौड़ का मुकाबला तो नही हो रहा….कॉर्निला बोली

तेज़ रफ़्तार का शौक़ है मुझे….वैसे तुम अपने घर किस वक़्त निकली थी….?

बस वहाँ से तुम्हारे ही पास आई हूँ….

ठीक है….तो अब कहाँ चले….?

जहाँ दिल चाहे….मैं तो इसी इरादे से निकली थी कि शाम तुम्हारे साथ ही गुज़ारुँगी….!

बीच कैसा रहेगा….?

ठीक है….

तुम्हारे बाप को फिर कोई निर्देश मिला है….? इमरान ने सवाल किया

हो सकता है मिला हो…. लेकिन मुझे मालूम नही….!

तुम ने कभी खरगोश का गोश्त खाया है….?

मुझे तो सोच कर ही घिन आती है….डॅडी ने खाया होगा….हाँ उस दिन कह तो रहे थे….
लेकिन तुम अचानक खरगोश क्यूँ निकाल बैठे….?

बस यूँही…. फिर क्या बातें की जा सकती है….?

तुम्हारा पेशा क्या है….?

इधर का उधर करता हूँ….
और उधर का इधर करता हूँ….!

यह क्या बात हुई….?

तुम अब तक नही समझी….?

नही समझी….

यूँ समझो….तुम्हारे लिए एक ऐसा गवाह मुहैया किया था जिस ने तुम्हे पोलीस के चक्करों से बचा लिया था….
लेकिन तुम से मैने उसका मुआवज़ा नही तलब किया था….किसी दूसरे मुवकिल से इस काम के 10 हज़ार मिलते….!

खुदा की पनाह….तो यह तुम्हारा पेशा है….?

तुम्हे हैरत हुई….?

मैने ना-पसंदगी का इज़हार किया है….!

हालाँकि एक बार तुम भी मुझे इस तरह इस्तेमाल कर चुकी हो….

मजबूरी थी….

इस भरी पूरी दुनिया में तुम तन्हा मजबूर नही हो…. और भी है….!

इसके बावजूद भी तुम जैसे मासूम आदमी के लिए यह पेशा मुनासीब नही….

सूरत मैने खुद नही बनाई….

लेकिन….इस पेशे को छोड़ देना तुम्हारे इकतियार में है….!

मुझे अपने आर्ट से लगाव है….

तुम इस बदमाशी को आर्ट कहते हो….

सलीका ना हो तो बदमाशी ही कह लाएगी….सलीके से आर्ट बनता है….!

बदमाशी हर हाल में बदमाशी है….

किसी कातिल से इस तरह सहयोग करना कि वो फाँसी से बच जाए….तुम्हारी नज़र में कैसी हरकत है….?

खुली बदमाशी….

और सहयोग करने वाले को क्या कहोगी….?

इंतिहाई बदमाश….

लेकिन….मैं उसे आड्वोकेट कहूँगा….जो कुछ मैं करता हूँ तुम बदमाशी कहती हो….महेज़ इसलिए के बाज़ाबता प्रॅक्टिशनर नही हूँ….क़ानून की डिग्री होती मेरे पास तो तुम मुझे बदमाश कहने की जुर्रत नही कर सकती….!

मत बोर करो….कहाँ की गॅप छेड़ दी….!

शुरुआत तुमने की थी….अब कबूल कर लो कि मैं एक बेगैरत शहरी हूँ….!

कर लिया कबूल….इस तरह साबित करने बैठोगे तो मेरे मुल्क का प्रेसीडेंट भी अव्वल दर्जे का बेगैरत निकलेगा….!

खैर हाँ….तुम तीन दिन से गायब हो….?

क्या मतलब….? कॉर्निला चौंक कर उसे घूर्ने लगी

तुम्हारे डॅडी ने आज ही रिपोर्ट दर्ज कराई है….
और मैं देख रहा हूँ कि एक बड़ी गाड़ी हमारा पीछा कर रही है….
और यक़ीनी तौर पर पोलीस ही की गाड़ी है….इमरान ने मिरर पर नज़र डाल कर कहा

कमाल है….मेरे फरिश्तों को भी मालूम नही है….मैं घर से सीधी तुम्हारे पास आई थी….
और डॅडी उस वक़्त मौजूद थे….!

अगर….पोलीस ने तुम्हे मेरी गाड़ी से बरामद कर लिया तो तुम्हारा क्या रव्वैया होगा….?

मुझे सोचने दो…. अगर डॅडी ने इस किस्म की कोई रिपोर्ट दर्ज कराई है तो मैं उसका खुलासा नही कर सकूँगी….!

और मेरी गर्दन फसवा दोगि….?

अजीब बात है….मैं तसव्वूर भी नही कर सकती….
लेकिन ठहेरो…. मैं यह भी भूल रही हूँ कि डॅडी किसी के हाथों में खेल रहे है….हो सकता है उसने उन्हे मजबूर किया हो….?

सवाल यह है कि मेरी पोज़िशन क्या होगी….?

मैं कह दूँगी कि अपनी खुशी से तुम्हारे साथ हूँ….

तीन दिन से….?

और क्या….?

नही….तुम यह कहना कि तुमने कुछ देर पहले मुझसे लिफ्ट ली है….

अच्छी बात है….मैं यही कहूँगी….
लेकिन डॅडी ने अच्छा नही किया….उसकी आवाज़ गुस्सैली थी

पिछली गाड़ी करीब होती जा रही थी….
क्यूँ कि इमरान ने भी अपनी रफ़्तार घटा दी थी….!

नही….पोलीस की गाड़ी नही मालूम होती….थोड़ी देर बाद इमरान बोला

तब फिर….अगर वोही लोग हुए तो….?

हम दोनो को उसी तरह बाँध देंगे….जैसे दोनो डॉक्टर भाई बहन को किया था…..!

यानी की….

कुछ भी नही….खामोश बैठो….मुझे सोचने दो….!
पिछली गाड़ी बहुत करीब आ गयी थी….

और फिर…..कॉर्निला ने कहकहा लगाया…. क्यूँ कि वो तो उनके करीब से गुज़रती हुई आगे बढ़ती चली गयी….!

तुम बूढ़ी औरतों से कम नही हो….कॉर्निला ने कहा

क्यूँ….क्यूँ….? इमरान चौंक पड़ा
वो गाड़ी तो आगे निकल गयी…. और अब नज़र भी नही आ रही….!
 
इमरान कुछ ना बोला….

लेकिन उसका मुँह इस तरह बिगड़ा हुआ था जैसे बच्चों को ज़बरदस्ती कड़वी दवा खिला दी हो….!

लड़कियाँ मुझे रास नही आती….इमरान कुछ देर बाद बोला

क्या मतलब….?

नजूमी (ज्योतिषी) ने कहा है कि लड़कियों से दूर रहा करो….!

क्यूँ….?

दूसरों के असरात बहुत जल्द कबूल कर लेता हूँ….एक बार एक कुत्ता पाला था….और….6 माह बाद खुद भी भोंकने लगा था….!

ग़ालीबान तुम यह कहना चाहते हो कि लड़कियों में रहे कर खुद भी लड़की हो जाने का डर है तुम्हे….?

हो सकता है….!

तुम सिर्फ़ बेवक़ूफ़ लगते हो…. और कोई ख़ास बात नही….!

तुम्हारे बाप ने तुम्हे क्यूँ नही बताया कि तुम तीन दिन से गायब हो….?

अगर बता देते तो मैं घर से बाहर कदम भी ना निकालती….क्या समझते हो….मैं नही समझ नही कि तुम्हे किसी दुश्वारी में डालने की कोशिश करूँगी….?

सवाल का जवाब मेरे बस से बाहर है….

क्यूँ….?

लोग ठुड्डी सहलाते-सहलाते गला पकड़ लेते है….

क्या मैं तुम्हे ऐसी लगती हूँ….?

खुदा जाने….मुझे औरतों का कोई तजूर्बा नही….!

तब फिर….तुम मुझे यहीं इसी वीरान सड़क पर उतार दो….

अचानक….इमरान ने ब्रेक लगा दिया….कॉर्निला के कहने से नही….

बल्कि टक्कर से बचने के लिए….ढलान से उतरते ही गाड़ी नज़र आई जो कुछ देर पहले पीछा कर रही थी….
और अब इस तरह तिरछी खड़ी थी कि इमरान अपनी गाड़ी की रफ़्तार कम किए बगैर उससे आगे निकल ही नही सकता था….
और फिर….इसकी भी कहाँ गुंजाइश थी जितनी देर में गाड़ी आगे निकालने की कोशिश करता उससे भी कम वक़्त में वो दोनो छलनी हो कर रह जाते…. क्यूँ कि सामने ही एक आदमी स्टॅन गन लिए खड़ा नज़र आया….जिस का रूख़ टू-सीटर की वाइंड-स्क्रीन की तरफ था….!

अब बताओ….? इमरान लंबी साँस ले कर बड़बड़ाया

दो आदमी टू-सीटर की तरफ बढ़े….
और तीसरा उन्हे स्टॅन गन से कवर किए हुए खड़ा रहा….!

चुप-चाप नीचे उतर आओ….उनमे से एक बोला

उतर जाओ…..इमरान ने कॉर्निला से कहा

म….म…..मैं….? कॉर्निला बौखला गयी

और नही तो क्या मैं….भला मुझे ले जा कर क्या करेंगे….इमरान गुस्सैले लहजे में कहा

नही….तुम भी उतरो….बाहर से कहा गया
यह तीनो ही विदेशी थे….!

गौर से देखो….क्या मैं तुम्हे लड़की नज़र आता हूँ….इमरान ने उँची आवाज़ में पूछा

नीचे उतरो….

मैं तो नही उतरून्गा….
अगर यह तुम्हारी बहेन है तो शौक़ से ले जाओ….इसने मुझसे लिफ्ट माँगी थी….अगवा कर के नही ले जा रहा था….!

एक ने टू-सीटर का दरवाज़ा खोला….
और एक ने इमरान को खींच कर उतारना चाहा….!

शराफ़त से….शराफ़त से….मैं खुद उतर रहा हूँ….मेरे कपड़े खराब ना होने पाए….इमरान उसका हाथ झटक कर बोला

स्टॅन गन वाला और करीब आ गया….

इमरान टू-सीटर से उतर आया….कॉर्निला भी उतर गयी थी….!

चलो बैठ जाओ….एक ने दूसरी गाड़ी की तरफ इशारा किया….

और अपनी गाड़ी यही खड़ी रहने दूं सड़क पर….कोई पार कर ले गया तो कौन ज़िम्मेदार होगा….?

देखो दोस्त…. अगर तुमने गड़बड़ की तो लड़की मुफ़्त में मारी जाएगी….दूसरा बोला

इमरान ने महसूस कर लिया कि कयि बार की नाकामी के बाद वो लोग ख़ासे चौकन्ने नज़र आ रहे है….
और फिर….एक के हाथ में स्टॅन गन भी है….कोई भी चूक हुई गोलियों की बौछार कॉर्निला को चाट सकती है….!

वो दोनो हाथ उपर उठाए हुए उनकी गाड़ी में दाखिल हो गये….कॉर्निला को उसके करीब जगह मिली….
और एक आदमी इमरान के पहलू से रेवोल्वेर लगाए बैठा….!

यार मेरी गाड़ी का क्या होगा….? इमरान ने बौखलाए हुए अंदाज़ में कहा

यह क्यूँ नही पूछते तुम्हारा क्या होगा….? कॉर्निला झुनझूला कर बोली

मुझे तो अपने बारे में मालूम होगा कि मैं कहाँ हूँ….

तुम खामोश ही बैठो तो बेहतर है….रेवोल्वेर वाले ने कहा

तुम्हे भी मेरी आवाज़ ज़हर लगती है क्या….?

चुप रहो….वो ज़ोर से बोला

इमरान ने सहेम जाने की आक्टिंग की….

गाड़ी तेज़ रफ़्तार से चल रही थी….इमरान के अंदाज़े के मुताबिक उनकी मंज़िल वोही इमारत थी….जहाँ से उसने डॉक्टर मलइक़ा को बरामद किया था….!

जो कुछ भी हो रहा था खुद उसके मुताबिक हुआ था….अच्छी तरह जानता था कि वो कॉर्निला के ज़रिए उस पर हाथ डालना चाहते है….
तो फिर….
उन्हे इसका मौक़ा क्यूँ ना देता….ढांप वाला चक्कर भी इसलिए चलाया था कि बा-हैसियत इमरान खुद को गैर ताल्लुक ज़ाहिर कर सके….अपने मातहतों को भी अपनी निगरानी से रोक दिया था….असल मक़सद के लिए यह अंधी चाल भी कही जा सकती थी….
क्यूँ कि वो नही जानता था कि खुद को उनके सुपुर्द कर देने के बाद उस पर क्या गुज़रेगी….!

कितनी गैर फित्रि बात हुई है….इमरान बड़बड़ाया

क्या कहना चाहते हो….? रेवोल्वेर वाला बोला

अरे….ना मैने पूछा….
और ना तुम ने बताया की जाना कहाँ है….?

तुम अच्छी तरह जानते हो….

क्या जानता हूँ….?

खामोश रहो….

पहले ही खामोश करा देते सवाल ही क्यूँ किया था….?

अब कह रहा हूँ कि खामोश रहो….

चुप रहो ना….कॉर्निला भी बोली

तुम कहती हो तो अब नही बोलूँगा….लड़कियाँ ज़्यादा अक़ल्मंद होती है….!

थोड़ी देर बाद गाड़ी उसी इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हुई….जिस के बारे में इमरान सोच रहा था

सब से पहले रेवोल्वेर वाला उतरा….

अरे….अब भाग कर कहाँ जाउन्गा….इमरान गाड़ी से उतरता हुआ बोला….उससे कहो आए सूरत हराम बंदूक मुझे ना दिखाए

अंदर चलो….

ज़ाहिर है कि यहाँ लॉन में टेंट लगाने तो वाला नही हूँ….

लड़की तुम आगे चलो….रेवोल्वेर वाला बोला

यहाँ भी तुम मेरी तौहीन कर रहे हो….मैं लॅडीस फर्स्ट का कायल नही हूँ….इमरान ने शिकवा करने वाले अंदाज़ में कहा

तुम ने दिमाग़ चाट लिया है….

इसी लिए तो लॅडीस फर्स्ट का कायल नही हूँ….मैं खुद फर्स्ट हूँ….कयि दर्जन औरतों से अपने बारे में राय कदम कर के खुद फर्स्ट का कायल हुआ हूँ

मेरा मशवरा है कि खामोश रहो….
वरना मेरा बॉस तुम्हारी ज़ुबान काट देगा….!

तो क्या वो सिर्फ़ मेरी शक्ल देखना चाहता है….?

वो एक कमरे में ला बैठाए गये….
लेकिन स्टॅन गन बा-दस्तूर तनी रही….!

बस बैठे रहो यूँ नही….इमरान ने मायूसना अंदाज़ में पूछा

तुम चुप नही रहोगे….?

देखो दोस्त….मैं तकरीबात (इवेंट्स) के मौक़े पर ऐसे घरों में बुलाया जाता हूँ….जहाँ की खवतीन (औरतें) कम ज़हीन होती है….
लेकिन इस तरह नही बुलाया जाता….जैसे तुम लोग लाए हो….!

तुम खामोश रहो ना….कॉर्निला घिघियाई

अच्छी बात है….अब नही बोलूँगा

थोड़ी देर बाद….एक लंबा और हॅटा कट्टा हिप्पी कमरे में दाखिल हुआ….घनी दाढ़ी और मूछौं ने आधा चेहरा छुपा लिया था….
और बड़े-बड़े बाल चहरे पैशानी पर छाए हुए थे….आँखें लाल और ख़ौफफनाक थी….!

नामुमकिन….इमरान बोल पड़ा

हिप्पी जहाँ था वहीं रुक कर इमरान को घूर्ने लगा….

ठीक कह रहे हो….इमरान सर हिला कर बोला….आज-कल बड़ी पक्कड़-धक्कड़ हो रही है चरस सप्लाइ नही कर सकूँगा….!

तो तुम चरस भी सप्लाइ करते हो….? हिप्पी घुर्राया

मैं बिज़्नेस यही है….आधे युरोप में मेरा माल जाता है….मेरा से मतलब मेरा माध्यम है….!

यह नयी बात मालूम हुई है….

चरस फोशि के लिए साइग्नबोर्ड नही लगाए जाते….

मैं तुम से चरस नही खरीदुन्गा….!

फिर….तुम्हारे किस काम आ सकता हूँ….?

क्या डाइरेक्टर-जनरल को तुम्हारे पेशे का मालूम नही है….?

सवाल ही पैदा नही होता…. वरना मैं अंदर होता….!

अब मालूम हो जाएगा….

मैं तसवूर भी नही कर सकता के तुम ऐसा करोगे….इमरान ख़ौफफज़दा लहजे में बोला

यही होगा…. अगर तुमने मेरे सावालात के तशल्लि बक़्ष (संतोष जनक) जवाब ना दिए….

प….प….पूछो क्या पूछना है….?

तुमने इस लड़की के लिए झूठा गवाह क्यूँ मुन्हैय्या किया था….?

अरे….तो क्या तुम ढांप हो….? इमरान उछल पड़ा

सवाल मैं करूँगा….वो आँखें निकाल कर घुर्राया

अच्छा….अच्छा….दरअसल मैं लड़की के करीब हो कर देखना चाहता था कि यह क्या चक्कर है….पोलीस देर लगा देती है….!

तो फिर क्या मालूम किया….?

खोदा पहाड़ निकला चूहा….डॉक्टर शाहिद ने तुम से बड़ी रकम क़र्ज़ ली थी….!

मुझसे….?

अगर….तुम ढांप हो तो तुम ही से….
लेकिन उसने यह बात सिर्फ़ मुझसे बताई है….पोलीस को नही….पोलीस से यह कहा गया है कि वो खुद भी हैरत में है आख़िर ढांप उससे क्या चाहता है….! और कुछ….?

और क्या….बस यही कहना है कि ज़्यादा घपला ना करो….शादी हो जाने दो….यहाँ बड़ी मुश्किल से अच्छा रिश्ता मिलता है….!

उसके बाद….?

जिसस तरह चाहे डॉक्टर शाहिद से रकम वसूल कर लेना….

तुम्हारी बात मेरी समझमे नही आई….

नही आएगी….यह सूरत हराम बंदूक मुझे नर्वस कर रही है….इमरान ने स्टॅन गन की तरफ उंगली उठा कर कहा….आख़िर इसकी क्या ज़रूरत थी एक खत लिख कर मुझे बुलवा सकते थे….!

देखो दोस्त….तुम मुझसे भी अड़ने की कोशिश कर रहे हो….जब क़ि मुझे मालूम है कि पोलीस बाज़ मामलात में तुम से मदद लेती रहती है….!

डाइरेक्टर-जनरल का बेटा हूँ….किसी बानिए की औलाद नही हूँ….इमरान अकड़ कर बोला

और तुम अहमाक़ भी नही हो….जैसे कि नज़र आते हो….!
 
सूरत खुदा की बनाई होती है….इस पर तन्कीद (आलोचना) ना करो….
वरना तुम पर क़हर टूटेगा….!

मैं खुदा को मानता हूँ….इसलिए अल्फ़ाज़ वापस….
वापस कर दो….इमरान बुरा सा मुँह बना कर दूसरी तरफ देखने लगा

रात का खाना तुम दोनो मेरे साथ खाओगे….
और उससे पहले हम और गुफ्तगू करेंगे….हिप्पी ने कहा
और इमरान उसे इस तरह आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगा….जैसे उसने कोई इंतिहाई अजीब बात कह दी हो….क्या तुम लोगों को इस तरह खाना खिलाते हो….उसने गुस्सैली आवाज़ में पूछा

मैं नही समझा….?

मेरी गाड़ी गायब हो गयी होगी….इग्निशन की कुंजी तक निकालने का मौक़ा नही मिला था….!

फ़िक्र ना करो….एक आदमी वहाँ रह गया था….तुम्हारी गाड़ी हिफ़ाज़त के साथ पहुँच गयी है….कॉंपाउंड में खड़ी है….!

तब तो ठीक है….पेट भर के खाना खा सकूँगा….!

आओ मेरे साथ….लड़की तुम फिलहाल यही ठहरोगी….हिप्पी कॉर्निला की तरफ देख कर बोला

इमरान को वो दूसरे कमरे में लाया….
और उसके साथ कोई हथियार बंद आदमी भी नही था….!
तुम्हारी दाढ़ी नकली मालूम होती है….डॉक्टर शाहिद ने सिर्फ़ मूछों का ज़िक्र किया था….इमरान बोला

सबसे पहले मैं तुम्हारी यह ग़लतफहमी रफ़ा कर दूं कि मैं ढांप नही हूँ….

नही हो….? इमरान उछल पड़ा

हरगिज़ नही….मुझे भी उसकी तलाश है….

तो फिर….तुम कौन हो….?

यह मैं अभी नही बता सकता….

तो फिर….डॉक्टर शाहिद से तुम्हे क्या सरोकार….?

बस इतना ही कि उसके माध्यम से ढांप तक पहुचना चाहता हूँ….!

वो बेचारा तो यूँ ही सहमा हुआ है….

यक़ीन करो….डॉक्टर शाहिद या उसकी बहेन से मुझे कोई सरोकार नही….

तुम्हे ढांप की तलाश क्यूँ है….?

वो एक ख़तरनाक आदमी है…. और मेरे मुल्क के खिलाफ साज़िश करता रहता है….!

किस मुल्क से ताल्लुक है तुम्हारा….?

यह मैं नही बता सकूँगा….

तब फिर….पासपोर्ट भी ना होगा तुम्हारे पास….?

तुम ठीक समझे….जिस तरह वो गैर क़ानूनी तौर पर तुम्हारे मुल्क में दाखिल हुआ है….उसी तरह मैं भी उसका पीछा करता हुआ यहाँ तक पहुँचा हूँ…. और अब मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है….!

मेरी मदद की ज़रूरत है….इमरान के लहजे में हैरत थी

हाँ….मैं यहाँ अजनबी हूँ….तुम यहीं के बाशिंदे हो….उसे जल्द तलाश कर लोगे….!

अगर….उसने झल्ला कर शादी ना होने दी तो….?

वो ऐसा नही कर सकेगा….मैं भी तो तुम्हारे पीछे हूँ….!

भाई वो बहुत ख़तरनाक आदमी मालूम होता है….
और पागलों की सी हरकत करता है….उसने मेरे बाप के खाने की मेज़ पर परों समेत आधा तीतर लगवा दिया था….
और उसके नीचे एक लिफ़ाफ़ा भी था….लिफाफे में लिखा था कि मुझे गोली मार दी जाएगी….महेज़ इस बिना पर मैने उस लड़की के लिए एक झूठा गवाह मुन्हैय्या किया था….!

मेरे लिए नयी इततेला है….

लेकिन….यह आधा तीतर क्या बला है….?

मौत की अलामत….साउत आफ्रिका के लोग इस अलामत से थर्राते है….!

अच्छी बात है….मैं आज से अपना निशान आधा बटेर करार देता हूँ….इमरान अकड़ कर बोला

बेवक़ूफी की बातें मत करो….सनसनी उन लोगों के खिलाफ फैलाई जाती जो सामने हो….
लेकिन ठहेरो….तुम ने बटेर का नाम क्यूँ लिया….?
वो खामोश हो कर इमरान को घूर्ने लगा

बटेर तीतर से ज़्यादा लज़ीज़दार….
और ज़्यादा देर तक लड़ने वाला परींदा है….
और हमारी ज़बान में एक मुन्हावरा भी है….”आधा तीतर” आधा बटेर”

उसने भी बटेर का हवाला दिया था….हिप्पी बदस्तूर उसे घूरता हुआ बोला

किस ने….?

ढांप ने….

तीतर के सिलसिले में बटेर सामने की चीज़ है….मोख्तसर ही सही….
लेकिन तीतर का हमशक्ल होता है….!

तुम कहते हो तो मान लेता हूँ….
वरना पहले तो मुझे शक़ हुआ था….!

इमरान ने कतई ना पूछा कि क्या शक़ हुआ था….वो ढांप से ताल्लुक गुफ्तगू को लंबी नही करना चाहता था….बात से बात निकलती है…. और फ़िक्र के नये दरवाज़े खुलते है….हो सकता है आख़िरकार ढांप को इमरान ही का स्टंट समझने पर मजबूर हो जाता….!

तुम क्या सोचने लगे….? अचानक हिप्पी बोला
 
यही कि इस तरह पकड़ बुलवाने का क्या मक़सद हो सकता है….

ओह….कितनी बार बताया कि मैं तुम्हारी मदद चाहता हूँ….ढांप के खिलाफ….!

मुफ़्त में काम नही करता….इमरान उसकी आँखों में आखें डाल कर बोला

मुझे मालूम है कि तुम यहाँ की पोलीस के लिए माकूल (उचित) मुआवज़े पर काम करते हो….!

सिर्फ़ पोलीस ही के लिए नही कभी-कभी मुजरिमों के लिए भी….जिस की तरफ से ज़्यादा मुआवज़ा का इंकान (संभावना) हो….!

रकम तुम खुद ही तय करोगे….

ना मैं ढांप को जानता हूँ….और ना इसका अंदाज़ा लगा सकता हूँ कि उस पर हाथ डालने में कितना वक़्त लगेगा
और कितनी कुव्वत सर्फ करनी पड़ेगी….

इसलिए खुद ही ईमानदारी से रकम तय करो….!

अगर….मुझ पर छोड़ते हो तो….20 हज़ार डॉलर

सोचने का मौक़ा दोगे….?

इसमे सोचने की क्या बात है….?

बहुत सी बातें मेरी समझमे नही आती….

मसला….कोई एक बात….?

यह लड़की….जो मेरे साथ है मुझे यक़ीन दिलाने की कोशिश करती है कि डॉक्टर मलइक़ा इसके घर पैदल गयी थी….!

तुम्हे यक़ीन नही है….?

नही….

आख़िर किस बिना पर….?

वो गाड़ी भी मेर्सिदेस ही थी जिस पर वो उसे ले गयी थी….
लेकिन वो गाड़ी हरगिज़ नही थी….जो किंग्सटन थाने में पकड़ी गयी थी….!

आख़िर उस लेडी डॉक्टर ने तुम्हे क्या बताया है….?

कुछ भी नही….उसने इस सिलसिले में अपनी ज़ुबान कतई बंद कर ली है….लड़की के खिलाफ कोई बयान भी नही दिया….!

ढांप ने ज़बान बंद कर दी होगी….उसका पेशा ब्लॅकमेलिंग है…
और मुझे इस पर कतई यक़ीन नही है कि डॉक्टर शाहिद ढांप का कर्ज़दार है मैं तो कहता हूँ कि फिलहाल तुम अपनी बहेन की शादी मुल्तवी (स्थगित) ही कर दो….शरीफ आदमियों को ब्लॅकमेल नही किया जा सकता डॉक्टर शाहिद की किसी ओछी हरकत ही की बिना पर वो उसे ब्लॅकमेल कर रहा होगा….!

कुछ समझमे नही आता कि क्या करूँ….वैसे तुम बताओ यह लड़की कॉर्निला सच-मूच उसके साथ नही हो सकती….?

शायद मैने ऐसी कोई बात नही कही…

.हिप्पी बोला….सब कुछ मुमकिन है मेरे दोस्त….!

तो फिर….इस लड़की से कैसे पीछा छुड़ाया जाए….?

तुम्हारी जगह मैं होता तो ऐसा हरगिज़ ना सोचता….

क्यूँ….? मैं नही समझा….?

हो सकता है….यही लड़की उस तक पहुँचने का ज़रिया बन जाए….!

ठीक कहते हो….बड़ी माकूल (उचित) बात कही है तुमने….!

हसीन भी तो है….हिप्पी अपनी बाई (लेफ्ट) आँख दबा कर बोला

हुआ करे….मैं उससे ज़्यादा हसीन हूँ….औरतें मुझे मुतसीर (प्रभावित) नही कर सकती….!

मैने भी सुना है कि ना तुम शराब पीते हो….
और ना औरतों के चक्कर में रहते हो….!

बहुत बोर करती है….अपने ही बारे में गुफ्तगू करती रहती है….
और चाहती भी यही है कि दूसरे भी उन्ही के ताल्लुक गुफ्तगू करते रहे….मैं कहता हूँ लॅंब चॉप खाने जाए….
और पूछती है कि स्मार्ट लग रही हूँ ना….घंटों अपने ज़ेवारात और कपड़ों के बारे में गुफ्तगू करती रहेंगी….अपनी ख़त्म हो जाएँगी तो दूसरों की….

ठीक है….ठीक है….वो उकताए हुए अंदाज़ में हाथ उठा कर बोला

अच्छा….तो फिर लीड दो….मैं उसे कहाँ ढूंढता फिरुन्गा….

लेकिन….ठहरो
यह लीड डॉक्टर शाहिद के अलावा होनी चाहिए….उसे मैं नही छेड़ना चाहता….!

उसे छेड़ने से कोई फ़ायदा भी नही…. अगर ब्लॅकमेल हो रहा है तो अपनी ज़बान हरगिज़ नही खोलेगा….!

फिर बात कहाँ से शुरू की जाए….!

हिप्पी ने एक एंबसी का नाम ले कर कहा….डगमोरे को जानते हो….?

आहा….क्यूँ नही….उसे तो हम चौधरी डगमोरे कहते है….बहुत प्यारा आदमी है….हमारे कल्चर का रसिया (अडिक्ट)….!

उस पर नज़र रखो….

अरे….तो क्या एंबसी भी….?

हरगिज़ नही….सवाल ही नही पैदा होता….वो तो तुम्हारी एक दोस्त एंबसी है….वो डगमोरे ज़ाति तौर पर….तुम नही समझे मेरा ख़याल है कि ढांप उसे भी ब्लॅकमेल कर रहा है….डगमोरे औरतों में बहुत लोकप्रिय है ना
और अपनी बीवी से बहुत डरता है….!

मैं समझ गया….इमरान खुश हो कर बोला….अच्छी लीड दी है तुम ने….!

और….तुम खुद को तन्हा ना समझना….हम भी डगमोरे की निगरानी करेंगे

अच्छी बात है….

फिर इमरान हिप्पी के साथ उस कमरे में आ गया जहाँ कॉर्निला थी….
और एक आदमी अब भी स्टॅन गन लिए दरवाज़े के करीब खड़ा था….
अचानक एक आदमी दौड़ता हुआ आया….
और हाँप-हाँप कर कहने लगा….प….प….पो….पोलीस….पोलीस ने छापा मारा है….घेरे में ले रहे है इमारत को….!

भागो….हिप्पी उछल कर भागा….

स्टॅन गन वाला भी उन्ही के पीछे दौड़ा जा रहा था….!

इमरान और कॉर्निला खामोश खड़े एक दूसरे की शक्ल देखते रहे….
फिर इमरान बोला….तुम भाग कर कहाँ जाओगी….?

क….क….क्या मतलब….?

ढांप….आख़िर कार उसने पोलीस की रहनूमाई कर दी….तुम तीन दिन से गायब हो ना….

किसी ने बाहर से कॉल बेल का बटन दबाया

चलो….इमरान कॉर्निला का हाथ पकड़ कर घसीटता हुआ बोला

तो….मेरा बाप ढांप ही के लिए काम कर रहा है….?

तुम्हारे बाप से मैं तंग आ गया हूँ….अब उसका हार्ट-फैल ही हो जाने दो

खामोश रहो….

बाहर बरामदे में पोलीस कॉन्स्टेबल खड़ा नज़र आया

क्या बात है….? इमरान ने अकड़ कर पूछा

पड़ोसियों ने आप के कुत्तों की शिकायत की है….!

हम मेहमान है….मालिक मकान से बात करो….इमरान कहता हुआ आगे बढ़ गया

कॉर्निला चुप-चाप उसके पीछे चलती रही

देखा तुमने….इमरान किसी लड़ाक औरत के से अंदाज़ में पलट का बोला…..इसलिए भागता हूँ लड़कियों से….क्या ज़रूरी होता था कि तुम्हारा बाप भी होता था

क्यूँ खाम्खा बकवास कर रहे हो….वो कौन था….
और तुम ने उससे क्या बातें की….
औरफिर….इतनी जल्दी छोड़ क्यूँ दिया….?
 
सवालात पर नंबर लगा लाओ….इमरान गाड़ी में बैठता हुआ बोला….दूसरी तरफ का दरवाज़ा उसके लिए खोल दिया.........!
पोलीस वाला क्या कह रहा था….?

गाड़ी स्टार्ट हो कर फाटक की तरफ बढ़ गयी

वो हिप्पी कौन था….? और फिर….इस तरह तुम्हे छोड़ क्यूँ दिया….?

और नही तो क्या तल कर खा जाता….चरस की बात की थी अलग ले जा कर

तो क्या तुम सच-मूच चरस भी सप्लाइ करते हो….?

अपने बाप के ओहदे का क्यूँ ना फ़ायदा उठाऊ….एक्साइस वाले मेरे माल पर हाथ नही डाल सकते….!

तुम झूठ बोल रहे हो….?

घर से भागी ही लड़की से झूठ बोलने का क्या फ़ायदा….?

मैं घर से नही भागी….कॉर्निला हलक फाड़ कर चीखी

फिर….तुम्हारे बाप ने गुमशुदी की रिपोर्ट क्यूँ दर्ज कराई है….?

मैं नही जानती….कुछ नही जानती….खुदा के लिए मेरा पीछा छोड़ दो….
और फिर….कॉर्निला ने फुट-फुट कर रोना शुरू कर दिया

गाड़ी फिर शहेर की तरफ जा रही थी….इमरान खामोशी से उसकी हिचकियाँ सिसकियाँ सुनता रहा

अब तुम मुझे यहीं कहीं उतार दो….वो रो चूकने के बाद भर्राई हुई आवाज़ में बोली

सच-मूच गायब हो जाओगी….

तुम्हारी बला से….

मैं महसूस कर रहा हूँ कि शायद मेरा बाप भी कुछ कर गुज़रा है….!

क्या मतलब….?

वो पोलीस में जो बाहर नज़र आया था….मुर्गियों के डॉक्टर का पता नही पूछ रहा था

लेकिन तुमने तो कहा था….

ख़त्म करो….देखा जाएगा

क्या देखा जाएगा….?

खामोश बैठो….

और फिर….शहेर भी नही पहुँच पाए थे कि कॅप्टन फायज़ उन्हे मिल गया….वो और उसके मातहत दो गाड़ियों में आए थे

कॉर्निला फायज़ के माहेक्मे की गाड़ी में शिफ्ट कर दी गयी….
और फायज़ इमरान के करीब आ बैठा….!

किधर जाएगा साहब….? इमरान ने किसी पठान टॅक्सी ड्राइवर के से अंदाज़ में सवाल किया

जैल रोड….माघवे (अब्डक्टेड) तुम्हारी गाड़ी से बरामद हुई है….फायज़ ने खुश्क लहजे में कहा

माघवे….क्या अरबी में चरस को कहते है….? इमरान उछल पड़ा

वालिद साहब (पिता) से पूछना….सीधे कोठी की तरफ

तो वो कॉन्स्टेबल….?

मेरा एक मातहत इनस्पेक्टर था….ख़ासे फ़ासले से तुम्हारी गाड़ी का पीछा किया गया था….!

खुदा करे तुम भी कॉन्स्टेबल हो जाओ….इमरान बेवा (विधवा) की तरह हकलाया

फ़िज़ूल बकवास….रहमान साहब गरजे….वो इमरान की पूरी कहानी सुन चुके थे….!

मुझ पर गुज़र चुकी है….आप इसे बकवास कह रहे है….? इमरान ने कहा

मैं कह रहा हूँ कि इस किस्से को क्यूँ खींच रहे हो….? वो खिज कर बोले

बहुत बेहतर….मैं आप को डेविड का पता बताए देता हूँ….गिरफ्तार कर ली जिए…..
लेकिन आप उसके खिलाफ क्या साबित कर सकेंगे….?

मलइक़ा का बयान ही काफ़ी है….

लेकिन….वो ढांप के सिलसिले में बयान दे चुकी है….?

तुम्हारी ही हिमाकत है ना….

अच्छा….अब बताइए के मेरी हिमाकत की भरपाई कैसे होगी….!

मैं नही जानता….
 
मैं इस किस्से को महेज़ इसलिए लंबाई दे रहा हूँ क़ि अभी तक ब्लॅकमेलिंग का असल मक़सद सामने नही आया है….मुझे सिर्फ़ इसका इंतजार है कि वो डॉक्टर शाहिद से कोई माँग करे….!

उन लोगों की कोई हरकत मेरी समझमे नही आ रही….!

मसलन….?

आख़िर उसने लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट क्यूँ दर्ज कराई….?

डेविड के इशारे पर….
और अब मुझे यह जताना चाहता है कि लड़की ढांप ही की साथी है….!

रहमान साहब कुछ ना बोले किसी सोच में पड़ गये….

इमरान चुप-चाप उठा….
और बाहर चला आया….कॅप्टन फायज़ उसे कोठी पहुँचा कर पहले ही जा चुका था….
और कॉर्निला उसी के हिरासत में थी….हो सकता था बाज़ाबता तौर पर घर ही पहुँचा दी गयी हो….
बहेरहाल इमरान को उसकी कतई फ़िक्र नही थी….अभी वो राहदारी भी नही पार कर पाया था कि रहमान साहब की आवाज़ आई….ठहरो

इमरान रुक गया….

रहमान साहब करीब आ कर बोले….जब तक यह मामला तय नही हो जाता मैं सुरैया की शादी नही कर सकता…..!

जब तक आप शादी नही करेंगे मामला हरगिज़ तय नही होगा….

क्या मतलब….?

शादी के बाद शाहिद और पाबंदियों में जकड जाएगा….इस्तीफ़ा दे कर मुलाज़िमत से तो पीछा छुड़ा सकता है….
लेकिन डेविड के ख़याल के मुताबिक….

मैं समझ गया….

शादी के बाद ही वो अपनी माँग पेश करेगा….

रहमान साहब चुप-चाप वापसी के लिए मूड गये….
और इमरान सोचने लगा क्यूँ ना पहले सुलेमान ही की शादी कर दी जाए….
वरना हो सकता है कि सुरैया की शादी के बाद किसी को उसका होश ही ना रहे….उसने सर को माने खेज में हिलाया
और कॉंपाउंड में निकल आया….इस वक़्त यहाँ रुक कर वक़्त नही बर्बाद कर सकता था….उसने एक पब्लिक टेलिफोन बूत से कॅप्टन फायज़ के नंबर डाइयल किए….
और दूसरी तरफ से जवाब मिलने पर बोला….लड़की कहाँ है….?
तुम से मतलब….? फायज़ की आवाज़ आई

गुमशुदगी की रिपोर्ट किस थाने में दर्ज कराई गयी थी….?

मैं यह भी ना बताउन्गा….

तुम्हारी सब से छोटी साली की शादी हुई है या नही….?

यह क्या बकवास है….?

शादी या साली….?

क्यूँ मेरा वक़्त बर्बाद कर रहे हो….?

अब खुतूत कशीदा (तनावपूर्ण) के अल्फ़ाज़ के माने बताओ….!

दूसरी तरफ से सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….

इमरान ने हंस के नंबर डाइयल किए….घंटी बजती रही….
लेकिन किसी ने रिसीवर नही उठाया….टेलिफोन बूत से बाहर निकलते वक़्त सोच रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए….डॉक्टर शाहिद की तरफ से कोई ऐसी इत्तेला नही मिली थी जिन की बिना पर रणनीति बनाई जा सके….
फिलहाल तो बस यही हो सकता था कि दूसरी पार्टी को उलझाए रखा जाए….
और उसके लिए ढांप वाला स्टंट….!

अब उसकी गाड़ी फ्लॅट की तरफ जा रही थी….
और उसने महसूस कर लिया कि टेलिफोन बूत से निकलते ही उसका पीछा शुरू हो गया है….या यह भी मुमकिन था कि नीले रंग की गाड़ी शुरू ही से पीछे लगी रही हो….
और उसने ध्यान नही दिया हो….!

फ्लॅट में पहुँचा तो कॉर्निला इंतेज़ार करती नज़र आई….

सुलेमान एक तरफ मुँह बनाए खड़ा था….इमरान को देखते ही बोला….मौक़ा ही नही मिला जब देखो कोई ना कोई सर पर सवार है….

किस बात का मौक़ा नही मिला….? इमरान ने उसे घूरते हुए पूछा

कुछ ज़रूरी बातें….यह यहाँ नही रहेगी….

नही रहेगी तो साथ ले जाएगा….शर्त लगा सकता हूँ….

क्या यह गुफ्तगू मुझसे ताल्लुक हो रही है….? कॉर्निला बोल पड़ी

ओह….तुम यहाँ….? इमरान चौंक पड़ा अंदाज़ ऐसा था जैसे उसकी मौजूदगी का अहसास ही ना रहा हो

मैं यह बताने आई हूँ डॅडी ने हरगिज़ रिपोर्ट दर्ज नही कराई थी उन्हे मालूम ही नही इसका….!

मुमकिन है….इमरान का लहज़ा खुश्क था

अब अगर….तुमने मेरे साथ चल कर उन्हे संतुष्ट ना कर दिया तो वो खुद खुशी कर लेंगे….

मैं नही समझा….? तुम कहना क्या चाहती हो….?

उन्हे यक़ीन दिला दो कि तुम्हे उनकी बात पर यक़ीन है….!

क्या तुम अपना डॅडी नही बदल सकती….?

क्या मतलब….?

यह डॅडी किसी और के हवाले….उसका डॅडी तुम्हारे खुद ले लो….!

अब तुम भी मज़ाक़ उड़ाओगे….कॉर्निला ने मुर्दा सी आवाज़ में कहा….
और फिर….मोटे-मोटे आँसू गालो पर ढलने लगे….!

हाँ बे….क्या कह रहा था….? इमरान सुलेमान को घूरता हुआ बोला
मैं शेरवानी और पगड़ी में नही जाउन्गा….

तेरी सास इस लिबास में निकाह की मुखालिफ़ (विरोधी) है….

अब हम दोनो ही खुद खुशी कर लेंगे….कॉर्निला उठती हुई बोली

बैठो….इमरान हाथ उठा कर घुर्राया
और सुलेमान से बोला….कॉफी

सुलेमान पैर पटकता हुआ चला गया
 
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