desiaks
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डगमोरे के होंठ सख्ती से भिंचे हुए थे….उनमे नफ़रत भी झलक रही थी….आँखें विंड स्क्रीन पर जमी हुई थी….अंदाज़ ऐसा था जैसे करीब बैठे हुए की तरफ देखना भी शान के खिलाफ समझता हो….!
कुछ देर बाद गाड़ी एक इमारत के पौर्च में रुक गयी…..
अजनबी ने पहले उतर कर दरवाज़ा खोला….
डगमोरे उसकी तरफ ध्यान दिए बगैर गाड़ी से उतरा….
और इमारत में दाखिल हो गया….!
अजनबी बाहर रुक गया….!
इस तरफ जनाब….अंदर एक बट्लर ने डगमोरे की रहनूमाई की….
और उसे एक दरवाज़े तक ले आया….जहाँ उसे पहुँचना था….!
डगमोरे गुस्सैले अंदाज़ में दरवाज़े को धक्का दे कर कमरे में दाखिल हुआ….
डेविड सामने खड़ा था….
डगमोरे ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए सवाल किया….इस हरकत का मतलब….?
कैसी हरकत….? डेविड ने नर्म लहजे में पूछा
तुम्हारा आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखा कर यहाँ लाया है….
शायद….तुम ने आने से इनकार किया होगा….
अच्छा….तो फिर….
तुम जानते हो कि मेरे आदमी सिर्फ़ हुक्म की तामील करना जानते है….
अच्छी तरह जानता हूँ तुम्हारे आदमियों को….डगमोरे के लहजे में हिकारत (तिरस्कार) था
मैं तुम्हे समझा सकता हूँ कि क्या हुआ होगा….डेविड उसे गौर से देखता हुआ बड़बड़ाया
सुनो….मैं तुम्हारा पाबंद (बाध्य) नही हूँ….
यह तुम से किस ने कह दिया….तुम तो सिर्फ़ प्रेस हो….अंबासडर भी मेरा पाबंद (बाध्य) है….यक़ीन ना आए तो फिर इससे दरियाफ़्त कर लो….डेविड ने फोन की तरफ इशारा किया
डगमोरे होंठों पर ज़ुबान फेर कर रह गया….
तुम अच्छी तरह जानते हो…..डेविड उसकी आँखों देखता हुआ बोला….मैं जिस सर ज़मीन पर भी कदम रखता हूँ….वहाँ का अंबासडर अपने स्टाफ समेत सिर्फ़ रहस्मयी सरकार को जवाब देह होता है….क्यूँ कि मैं रहस्मयी सरकार का एक अहेम तरीन सदस्य हूँ….!
फिर भी मेरी एक पोज़िशन है….इसे बर्दाश्त नही कर सकता कि कोई तीसरे दर्जे का आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखाए….
मैं इस तीसरे दर्जे के आदमी को तुम्हारे अंबासडर के सर पर भी बैठा सकता हूँ….हुक्म की तामील करना सीखो…..
डगमोरे बैठ जाओ….डेविड ने सोफे की तरफ इशारा किया
क्यूँ बुलाया है….? डगमोरे बैठते हुए सवाल किया
पहले मेरी एक बात अच्छी तरह ज़हें नशीन कर लो….
फिर असल मामले की तरफ आउन्गा…..इसे कतई तौर पर भूल जाओ कि हम पहले कभी दोस्त थे….रहस्मयी सरकार से ताल्लुक रखने वाला कोई आदमी किसी का दोस्त नही होता….उपर के आदेश की तामील में अपने बूढ़े बाप को भी कत्ल कर सकता हो….!
डगमोरे खामोशी से उसे देखता रहा….वो ढीला पड़ गया था….वो डेविड की पोज़िशन से अच्छी तरह वाक़िफ़ था….
लेकिन साथ में उसे भी ज़हन में रखना था कि कभी दोनो हम नीवाला-हम प्याला रहे चुके थे….
और डेविड हमेशा उसका कर्ज़दार रहता था….!
अब आओ असल मामले की तरफ….डेविड ने उसे गौर से देखते हुए कहा….लाल लिफ़ाफ़ा क्या है….?
मैने उसे जला दिया….डगमोरे भर्राई आवाज़ में बोला
उसमे क्या था….?
ऐसी चीज़ जिस पर ब्लॅकमेलिंग का शक़ हुआ था….!
फिर….थोड़ी देर बाद तुम संतुष्ट भी हो गये….
यक़ीनन….जब मुझे मालूम हुआ कि किस की हरकत थी….
किस तरह मालूम हुआ….?
हरकत करने वाले ने आगाह कर दिया था….
तो गोया….उस औरत ने किसी दूसरी औरत के सिलसिले में तुम्हे वो चीज़ भेजी थी….
हाँ….यही बात थी….
मैं उन दोनो औरतों के बारे में जानना चाहूँगा….
सवाल ही नही पैदा होता….
यह तुम मुझसे कह रहे हो….?
यह मेरा निजी मामला है….
मैं निजी मामलात में भी दखल अंदाज़ का इकतियार रखता हूँ….!
लेकिन….मैं पाबंद (बाध्य) नही….मेरे कांट्रॅक्ट में ऐसी कोई बात नही थी….जिस की बुनियाद पर तुम मुझे मजबूर कर सको….!
मैं फिर कहता हूँ कि होश में रह कर मुझसे गुफ्तगू करो…..
मैं तुम्हे उन औरतों के बारे में कुछ नही बताउन्गा….तुम ज़्यादा से ज़्यादा यह कर सकते हो कि फॉरिन-डिपार्टमेंट के सामने मुझे सफाई देने पर मजबूर कर दो….!
अच्छी बात है….जाओ….डेविड हाथ उठा कर बोला
लेकिन डगमोरे बैठा रहा….
डेविड बुरा सा मुँह बना कर दूसरी तरफ देखने लगा….थोड़ी देर बाद उसे घूरता हुआ बोला….सफाई के बाद भी तुम रहस्मयी सरकार की गिरफ़्त से बाहर नही होगे….क्यूँ कि…..मेरे ही तो साथ तुम्हारा ताल्लुक इससे होता था….!
डगमोरे ने लापरवाही से कंधों को उचकाया….
और चहरे की उदासीनता छुपाने की कोशिश करने लगा….!
अचानक….डेविड इस तरह चौंका जैसे उसे कुछ याद आ गया हो….डगमोरे को गौर से देखा जो इस तरफ ध्यान नही दे रहा था….!
लिफ़ाफ़ा मिलने के बाद से तुम कहीं बाहर गये थे….?
न….ना….नही….क्यूँ….?
हालाँकि तुम्हे उस औरत से ज़रूर मिलना चाहिए था….जिस ने यह हरकत की थी….!
मैने ज़रूरी नही समझा….
लेकिन….मुझ पर चढ़ दौड़ना ज़रूरी था….?
कुदरती बात है….जब यह शक हो कि कोई दोस्त ब्लॅकमेलिंग करना चाहता है रद्दे-अमल (प्रतिक्रिया) इसी सूरत में ज़ाहिर होगी….!
वो औरत भी तुम्हारी दोस्त ही होगी….दुश्मन नही होगी…..दूसरी औरत से दूरी बना लो….!
यही समझ लो….
इसके बावजूद भी तुम ने उस औरत से मिलने की कोशिश नही की थी….?
नही….
कतई फित्रि बात है….
डगमोरे कुछ ना बोला….वैसे वो किसी कदर नर्वस नज़र आने लगा….
क्यूँ कि लाल लिफ़ाफ़ा तस्वीरों समेत अब भी उसके कोट की अन्द्रूनि जेब में मौजूद था….डेविड के आदमी ने इतनी मोहलत ही नही दी कि वो यहाँ आने से पहले लिफाफे को तबाह कर सकता….डेविड की चील सी आँखें उसे अपने ज़हन में चूभती नज़र आ रही थी…. और वो सीधा बैठा हुआ था….!
कुछ देर बाद गाड़ी एक इमारत के पौर्च में रुक गयी…..
अजनबी ने पहले उतर कर दरवाज़ा खोला….
डगमोरे उसकी तरफ ध्यान दिए बगैर गाड़ी से उतरा….
और इमारत में दाखिल हो गया….!
अजनबी बाहर रुक गया….!
इस तरफ जनाब….अंदर एक बट्लर ने डगमोरे की रहनूमाई की….
और उसे एक दरवाज़े तक ले आया….जहाँ उसे पहुँचना था….!
डगमोरे गुस्सैले अंदाज़ में दरवाज़े को धक्का दे कर कमरे में दाखिल हुआ….
डेविड सामने खड़ा था….
डगमोरे ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए सवाल किया….इस हरकत का मतलब….?
कैसी हरकत….? डेविड ने नर्म लहजे में पूछा
तुम्हारा आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखा कर यहाँ लाया है….
शायद….तुम ने आने से इनकार किया होगा….
अच्छा….तो फिर….
तुम जानते हो कि मेरे आदमी सिर्फ़ हुक्म की तामील करना जानते है….
अच्छी तरह जानता हूँ तुम्हारे आदमियों को….डगमोरे के लहजे में हिकारत (तिरस्कार) था
मैं तुम्हे समझा सकता हूँ कि क्या हुआ होगा….डेविड उसे गौर से देखता हुआ बड़बड़ाया
सुनो….मैं तुम्हारा पाबंद (बाध्य) नही हूँ….
यह तुम से किस ने कह दिया….तुम तो सिर्फ़ प्रेस हो….अंबासडर भी मेरा पाबंद (बाध्य) है….यक़ीन ना आए तो फिर इससे दरियाफ़्त कर लो….डेविड ने फोन की तरफ इशारा किया
डगमोरे होंठों पर ज़ुबान फेर कर रह गया….
तुम अच्छी तरह जानते हो…..डेविड उसकी आँखों देखता हुआ बोला….मैं जिस सर ज़मीन पर भी कदम रखता हूँ….वहाँ का अंबासडर अपने स्टाफ समेत सिर्फ़ रहस्मयी सरकार को जवाब देह होता है….क्यूँ कि मैं रहस्मयी सरकार का एक अहेम तरीन सदस्य हूँ….!
फिर भी मेरी एक पोज़िशन है….इसे बर्दाश्त नही कर सकता कि कोई तीसरे दर्जे का आदमी मुझे रेवोल्वेर दिखाए….
मैं इस तीसरे दर्जे के आदमी को तुम्हारे अंबासडर के सर पर भी बैठा सकता हूँ….हुक्म की तामील करना सीखो…..
डगमोरे बैठ जाओ….डेविड ने सोफे की तरफ इशारा किया
क्यूँ बुलाया है….? डगमोरे बैठते हुए सवाल किया
पहले मेरी एक बात अच्छी तरह ज़हें नशीन कर लो….
फिर असल मामले की तरफ आउन्गा…..इसे कतई तौर पर भूल जाओ कि हम पहले कभी दोस्त थे….रहस्मयी सरकार से ताल्लुक रखने वाला कोई आदमी किसी का दोस्त नही होता….उपर के आदेश की तामील में अपने बूढ़े बाप को भी कत्ल कर सकता हो….!
डगमोरे खामोशी से उसे देखता रहा….वो ढीला पड़ गया था….वो डेविड की पोज़िशन से अच्छी तरह वाक़िफ़ था….
लेकिन साथ में उसे भी ज़हन में रखना था कि कभी दोनो हम नीवाला-हम प्याला रहे चुके थे….
और डेविड हमेशा उसका कर्ज़दार रहता था….!
अब आओ असल मामले की तरफ….डेविड ने उसे गौर से देखते हुए कहा….लाल लिफ़ाफ़ा क्या है….?
मैने उसे जला दिया….डगमोरे भर्राई आवाज़ में बोला
उसमे क्या था….?
ऐसी चीज़ जिस पर ब्लॅकमेलिंग का शक़ हुआ था….!
फिर….थोड़ी देर बाद तुम संतुष्ट भी हो गये….
यक़ीनन….जब मुझे मालूम हुआ कि किस की हरकत थी….
किस तरह मालूम हुआ….?
हरकत करने वाले ने आगाह कर दिया था….
तो गोया….उस औरत ने किसी दूसरी औरत के सिलसिले में तुम्हे वो चीज़ भेजी थी….
हाँ….यही बात थी….
मैं उन दोनो औरतों के बारे में जानना चाहूँगा….
सवाल ही नही पैदा होता….
यह तुम मुझसे कह रहे हो….?
यह मेरा निजी मामला है….
मैं निजी मामलात में भी दखल अंदाज़ का इकतियार रखता हूँ….!
लेकिन….मैं पाबंद (बाध्य) नही….मेरे कांट्रॅक्ट में ऐसी कोई बात नही थी….जिस की बुनियाद पर तुम मुझे मजबूर कर सको….!
मैं फिर कहता हूँ कि होश में रह कर मुझसे गुफ्तगू करो…..
मैं तुम्हे उन औरतों के बारे में कुछ नही बताउन्गा….तुम ज़्यादा से ज़्यादा यह कर सकते हो कि फॉरिन-डिपार्टमेंट के सामने मुझे सफाई देने पर मजबूर कर दो….!
अच्छी बात है….जाओ….डेविड हाथ उठा कर बोला
लेकिन डगमोरे बैठा रहा….
डेविड बुरा सा मुँह बना कर दूसरी तरफ देखने लगा….थोड़ी देर बाद उसे घूरता हुआ बोला….सफाई के बाद भी तुम रहस्मयी सरकार की गिरफ़्त से बाहर नही होगे….क्यूँ कि…..मेरे ही तो साथ तुम्हारा ताल्लुक इससे होता था….!
डगमोरे ने लापरवाही से कंधों को उचकाया….
और चहरे की उदासीनता छुपाने की कोशिश करने लगा….!
अचानक….डेविड इस तरह चौंका जैसे उसे कुछ याद आ गया हो….डगमोरे को गौर से देखा जो इस तरफ ध्यान नही दे रहा था….!
लिफ़ाफ़ा मिलने के बाद से तुम कहीं बाहर गये थे….?
न….ना….नही….क्यूँ….?
हालाँकि तुम्हे उस औरत से ज़रूर मिलना चाहिए था….जिस ने यह हरकत की थी….!
मैने ज़रूरी नही समझा….
लेकिन….मुझ पर चढ़ दौड़ना ज़रूरी था….?
कुदरती बात है….जब यह शक हो कि कोई दोस्त ब्लॅकमेलिंग करना चाहता है रद्दे-अमल (प्रतिक्रिया) इसी सूरत में ज़ाहिर होगी….!
वो औरत भी तुम्हारी दोस्त ही होगी….दुश्मन नही होगी…..दूसरी औरत से दूरी बना लो….!
यही समझ लो….
इसके बावजूद भी तुम ने उस औरत से मिलने की कोशिश नही की थी….?
नही….
कतई फित्रि बात है….
डगमोरे कुछ ना बोला….वैसे वो किसी कदर नर्वस नज़र आने लगा….
क्यूँ कि लाल लिफ़ाफ़ा तस्वीरों समेत अब भी उसके कोट की अन्द्रूनि जेब में मौजूद था….डेविड के आदमी ने इतनी मोहलत ही नही दी कि वो यहाँ आने से पहले लिफाफे को तबाह कर सकता….डेविड की चील सी आँखें उसे अपने ज़हन में चूभती नज़र आ रही थी…. और वो सीधा बैठा हुआ था….!