Bhabhi Chudai Kahani चिकनी भाभी - SexBaba
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Bhabhi Chudai Kahani चिकनी भाभी

hotaks444

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Nov 15, 2016
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चिकनी भाभी--1

मैं आपलोगो के लिए अपनी ज़िंदगी का और एक खूबसूरत लम्हा स्टोरी के थ्रू शेर कर रहा हूँ. बात उस समय की है जब मैं ग्रॅजुयेशन कर रहा था. मेरे घर के पास एक फॅमिली रहती थी, हज़्बेंड और वाइफ, जो रिश्ते मे मेरे कज़िन(बुआ के बेटे और उनकी पत्नी) भाई और भाभी लगते हैं.

चुकी, भाभी भी कॉमर्स ग्रॅजुयेट थी, तो वो मुझे मेरी स्टडी मे हेल्प करती रहती थी. एसीलिए मेरा भी ज़्यादातर टाइम उनके ही घर पर पास होता था. मैं उन्ही के यहाँ ख़ाता और सो भी जाता था. कोई उसको बुरा या ग़लत भी नही कहता क्यूकी वो मेरे भाई और भाई थे. यहाँ तक कि उनके घर मे भी मेरा एक रूम हो गया था जिसे सिर्फ़ मैं यूज़ करता था. पढ़ने और सोने के लिए.

भाभी का नाम सिमरन है. वो बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी फिगर की महिला हैं. उस वक़्त उनकी उम्र 22 साल और मेरी 19 साल थी. उनका साइज़ उस समय 34ब-26-40 थी… पहले उनके लिए मेरे दिल मे कुछ भी नही था, लेकिन एक घटना ने मेरा नज़रिया बदल दिया. मैं जब भी उनकी उभरी हुई ठोस चूचियाँ और गोल-गोल उभरे हुए चुतदो को देखता तो मेरे अंदर बैचैनि से होने लगती थी. क्या मादक जिस्म था उनका. बिल्कुल किसी एंजल की तरह.

एक दिन की बात है. भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे. रात के दस बजे थे. इतने में भैया की आवाज़ आई " सिम्मी, और कितनी देर है जल्दी आओ ना". भाभी आधे में से उठाते हुए बोली " आशु बाकी कल करेंगे तुम्हारे भैया आज कुछ ज़्यादा ही उतावले हो रहे हैं." यह कह कर वो जल्दी से अपने कमरे में चली गयी. मुझे भाभी की बात कुकछ ठीक से समझ नही आई. काफ़ी देर तक सोचता रहा, फिर अचानक ही दिमाग़ की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात के लिए उतावले हो रहे थे.

मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तक मेरे दिल में भाभी को ले कर बुरे विचार नही आए थे, लेकिन भाभी के मुँह से उतावले वाली बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था. मुझे लगा कि भाभी के मुँह से अनायास ही यह निकल गया होगा. जैसे ही भाभी के कमरे की लाइट बंद हुई मेरे दिल की धड़कन और तेज़ हो गयी. मैने जल्दी से अपने कमरे की लाइट भी बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया. अंदर से फूस फूसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुछ कुछ ही सॉफ सुनाई दे रहा था.

"क्यों जी आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?"

"मेरी जान कितने दिन से तुमने दी नही. इतना ज़ुल्म तो ना किया करो मेरी रानी."

"चलिए भी, मैने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नही मिलती. आशु का कल एग्ज़ॅम है उसे पढ़ाना ज़रूरी था."

"अब श्रीमती जी की इज़ाज़त हो तो आपकी बूर का उद्घाटन करूँ."

"हाई राम! कैसी बातें बोलते हो. शरम नही आती"

"शर्म की क्या बात है. अब तो शादी को दो साल हो चुके हैं, फिर अपनी ही बीबी की बूर को चोदने में शरम कैसी"" बड़े खराब हो. आह..एयेए..आह हाई राम….ओई माआ……अयाया…… धीरे करो राजा अभी तो सारी रात बाकी है"

मैं दरवाज़े पर और ना खड़ा रह सका. पसीने से मेरे कपड़े भीग चुके थे. मेरा लंड अंडरवेर फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. मैं जल्दी से अपने बिस्तेर पर लेट गया पर सारी रात भाभी के बारे में सोचता रहा. एक पल भी ना सो सका. ज़िंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हुआ था. सुबह भैया ऑफीस चले गये. मैं भाभी से नज़रें नही मिला पा रहा था जबकि भाभी मेरी कल रात की करतूत से बेख़बर थी.
 
भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी किचन में खड़ा हो गया. ज़िंदगी में पहली बार मैने भाभी के जिस्म को गौर से देखा. गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन, लंबे घने काले बाल जो भाभी के कमर तक लटकते थे, बारी बारी आँखें, गोल गोल बड़े ऑरेंज के आकर की चुचियाँ जिनका साइज़ 34 से कम ना होगा, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े, भारी चूतड़ . एक बार फिर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी. इस बार मैने हिम्मत कर के भाभी से पूछ ही लिया.

"भाभी, मेरा आज एग्ज़ॅम है और आप को तो कोई चिंता ही नही थी. बिना पढ़ाए ही आप कल रात सोने चल दी"

"कैसी बातें करता है आशु, तेरी चिंता नही करूँगी तो किसकी करूँगी?"

"झूट, मेरी चिंता थी तो गयी क्यों?"

"तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था."

"भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था" मैने बारे ही भोले स्वर में पूछा. भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गयी और तिरछी नज़र से देखते हुए बोली,

"धात बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है. मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए. बोल है कोई लड़की पसंद?"

"भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो.

"चल नालयक भाग यहाँ से और जा कर अपना एग्ज़ॅम दे."

मैं एग्ज़ॅम तो क्या देता, सारा दिन भाभी के ही बारे में सोचता रहा. पहली बार भाभी से ऐसी बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज़ नही हुई. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी. मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था. भाभी रोज़ रात को देर तक पढ़ाती थी . मुझे महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो तीन बार ही चोद्ते थे. मैं अक्सर सोचता, अगर भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाए तो दिन में चार दफे चोदु.

दीवाली के लिए भाभी को मायके जाना था. भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सोपा क्योंकि भैया को छुट्टी नही मिल सकी. बहुत भीड़ थी. मैं भाभी के पीछे रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़ा था. धक्का मुक्की के कारण आदमी आदमी से सटा जा रहा था. मेरा लंड बार बार भाभी के मोटे मोटे चुतड़ों से रगड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. हालाकी मुझे कोई धक्का भी नही दे रहा था, फिर भी मैं भाभी के पीछे चिपक के खड़ा था. मेरा लंड फनफना कर अंडरवेर से बाहर निकल कर भाभी के चूतरों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था. भाभी ने हल्के से अपने चूतरो को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और ज़ोर से उनके चूतरों से रगड़ने लगा. लगता है भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता था लेकिन उन्होनें दूर होने की कोशिश नही की. भीड़ के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला. ट्रेन में हम दोनो एक ही सीट पर थे.

रात को भाभी के कहने पर मैने अपनी टाँगें भाभी की तरफ और उन्होने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर लीं और इस प्रकार हम दोनो आसानी से लेट गये. रात को मेरी आँख खुली तो ट्रेन के नाइट लॅंप की हल्की हल्की रोशनी में मैने देखा, भाभी गहरी नींद में सो रही थी और उसकी साडी जांघों तक सरक गयी थी . भाभी की गोरी गोरी नंगी टाँगें और मोटी मांसल जंघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा.
 
साडी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी बड़ी चुचियाँ ब्लाउस में से बाहर गिरने को हो रही थी. मैं मन ही मन मनाने लगा कि साडी थोड़ी और उपर उठ जाए ताकि भाभी की चूत के दर्शन कर सकूँ. मैने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साडी को उपर सरकाना शुरू किया. साडी अब भाभी की चूत से सिर्फ़ 2 इंच ही नीचे थी पर कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नही समझ आ रहा था कि 2इंच उपर जो कालीमा नज़र आ रही थी वो काले रंग की पॅंटी थी या भाभी के बूर के बाल.

मैने साडी को थोड़ा और उपर उठाने की जैसे ही कोशिस की, भाभी ने करवट बदली और साडी को नीचे खींच लिया. मैने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा.

मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की. दस दिन के बाद हम वापस लॉट आए. वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मोका नही लगा. भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है. उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया.भैया कुच्छ ज़्यादा ही जोश में थे. अंदर से आवाज़े सॉफ सुनाई दे रही थी.

"सिम्मी मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया. देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है. अब तो इनका मिलन करवा दो."

" हाई राम, आज तो यह कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है. ओह हो! ठहरिए भी, साडी तो उतारने दीजिए."

"ब्रा क्यों नही उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है. तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता."

"झूट! ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही …….."

"दो तीन बार ही क्या?"

"ओह हो, मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं"

"बोलो ना मेरी जान, दो तीन बार क्या."

" अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो तीन बार ही तो चोद्ते हो. बस!!"

" सिम्मी, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता. थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है, मेरी जान."

"मुझे भी आपका बहुत……. अयाया…..मर गयी….ऊवू….आ…ऊफ़..वी मा, बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे…हाँ ठीक है….थोड़ा ज़ोर से…आ..आह..आह ." अंदर से भाभी के करहाने की आवाज़ के साथ साथ फूच..फूच..फूच जैसी आवाज़ भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका.बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड झाड़ गया. मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया. अब तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा. मैं पहले भी अपने आस पास की 3-4 लड़कियों को चोद चुका था एसलिए चुदाई की कला से भली भाँति परिचित था.

मैने इंग्लीश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म्स देख रखी थी और हिन्दी और इंग्लीश के कयि गंदे नॉवेल भी पढ़े थे.

मैं अक्सर कल्पना करने लगा कि भाभी बिल्कुल नंगी होकर कैसी लगती होगी. जीतने लंबे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने ही घने बाल उन्ही चूत पर भी होंगे. भैया भाभी को कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोद्ते होंगे. एकदम नंगी भाभी टाँगें फैलाई हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सूब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.

मैं भी 5’7” लंबा हूँ. अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चॅंपियन था. रोज़ दो घंटे कसरत और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज़ है मेरा लंड. ढीली अवस्था में भी 4 इंच लंबा और 2 इंच मोटा किसी हाथोरे के माफिक लटकता रहता है. यदि मैं अंडरवेर ना पहनूं तो पॅंट के उपर से भी उसका आकार सॉफ दिखाई देता है. खड़ा हो कर तो उसकी लंबाई करीब 7-8 इंच और मोटाई 3-1/2 इंच हो जाती है.

क्रमशः...............
 
चिकनी भाभी--2

गतान्क से आगे................

एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि इतना लंबा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है. मैं अक्सर वरांडे में तौलिया लप्पेट कर बैठ जाता था और न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करता था. जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती, मैं अपनी टाँगों को थोड़ा सा इस प्रकार से चौड़ा करता कि उस लड़की को तौलिए के अंदर से झाँकता हुआ लंड नज़र आ जाए.

मैने न्यूसपेपर में छ्होटा सा छेद कर रखा था. न्यूसपेपर से अपना चेहरा च्छूपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था. लड़क्िओं को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेख़बर हूँ. एक भी लड़की ऐसी ना थी जिसने मेरे लंड को देख कर मुँह फेर लिया हो.

धीरे धीरे मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि उन्हें ही लंबे ,मोटे लंड का महत्व पता था.

एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई,

"आशु, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं उन्हें अंदर ले आओ. बारिश आने वाली है."

" अच्छा भाभी!" मैं कपड़े लेने बाहर चला गया. घने बदल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी हेल्प करने आ गयी. डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैने देखा कि भाभी की ब्रा और पॅंटी भी तंगी हुई थी. मैने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 34बी. उसके बाद मैने भाभी की पॅंटी को हाथ में लिया.

गुलाबी रंग की वो पॅंटी करीब करीब पारदर्शी थी और इतनी छ्होटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो. भाभी की पॅंटी का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छ्होटी सी पॅंटी भाभी के चुतदो और चूत को कैसे धकति होगी. शायद यह कछि भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होगी. मैने उस छ्होटी सी पॅंटी को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुच्छ खुश्बू पा सकूँ. भाभी ने मुझे करते हुए देख लिया और बोली

" क्या सूंघ रहे हो आशु ? तुम्हारे हाथ में क्या है?"

मेरी चोरी पकड़ी गयी थी. बहाना बनाते हुए बोला

"देखो ना भाभी ये छ्होटी सी कछि पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गयी."

भाभी मेरे हाथ में अपनी पॅंटी देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली

"लाओ इधेर दो."

"किसकी है भाभी ?" मैने अंजान बनते हुए पूछा.

"तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो" भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली.

"बता दो ना . अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लोटा दूं.

"जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?"

"अरे भाभी मैं तो इसको पहनने वाली की खुश्बू सूंघ रहा था. बरी मादक खुश्बू थी. बता दो ना किसकी है?'

भाभी का चेहरा ये सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अंदर भाग गयी.
 
उस रात जब वो मुझे पढ़ाने आई तो मैने देखा कि उन्होनें एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे सॉफ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वोही गुलाबी रंग की पॅंटी पहन रखी थी. झुकने की वजह से पॅंटी की रूप रेखा सॉफ नज़र आ रही थी.मेरा अंदाज़ा सही था.

पॅंटी इतनी छ्होटी थी कि भाभी के भारी चुतदो के बीच की दरार में घुसी जा रही थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. मुझसे ना रहा गया और मैं बोल ही पड़ा,

"भाभी अपने तो बताया नहीं लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छ्होटी सी पॅंटी किसकी थी."

"तुझे कैसे पता चल गया?" भाभी ने शरमाते हुए पूछा.

"क्योंकि वो पॅंटी आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है."

"हट बदमाश! तू ये सब देखता रहता है?"

"भाभी एक बात पूच्छू? इतनी छ्होटी सी पॅंटी में आप फिट कैसे होती हैं?" मैने हिम्मत जुटा कर पूच्छ ही लिया.

"क्यों मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?"

"नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुन्दर हैं. लेकिन आपका बदन इतना सुडोल और गाथा हुआ है, आपके चूतड़ इतने भारी और फैले हुए हैं कि इस छ्होटी सी पॅंटी में समा ही नहीं सकते. आप इसे क्यों पहनती हैं? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है , इसमे से तो आपका सब कुच्छ दिखता होगा."

"चुप नालयक, तू कुच्छ ज़्यादा ही समझदार हो गया है. जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा. लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है."

"जिसकी इतनी सुन्दर भाभी हो वो किसी दूसरी लड़की के बारे में क्यों सोचने लगा?"

"ओह हो! अब तुझे कैसे समझाऊ? देख आशु, जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसी लिए कह रही हूँ

शादी कर ले."

“भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती" मैने बहुत अंजान बनते हुए पूछा. अब तो मेरा लंड फंफनाने लगा था.

"मैं सब समझती हूँ चालाक कहीं का! तुझे सब मालूम है फिर भी अंजान बनता है" भाभी लाजाते हुए बोली. " लगता है तुझे पढ़ना लिखना नहीं है, मैं सोने जा रही हूँ."

"लेकिन भैया ने तो आपको नहीं बुलाया" मैने शरारत भरे स्वर में पूछा. भाभी जबाब में सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कमरे की ओर चल दी. उनकी मस्तानी चाल, मटकते हुए भारी चूतड़ और दोनो चूटरों के बीच में पीस रही बेचारी पॅंटी को देख कर मेरे लंड का बुरा हाल था. अगले दिन भैया के ऑफीस जाने के बाद भाभी और मैं बाल्कनी में बैठे चाय पी रहे थे. इतने में सामने सड़क पर एक गाइ( काउ) गुज़री. उसके पीछे पीछे एक भारी भरकम सांड़ हुखार भरता हुआ आ रहा था. सांड़ का लंबा मोटा लंड नीचे झूल रहा था. सांड़ के लंड को देख कर भाभी के माथे पर पसीना छलक आया. वो उसके लंबे तगड़े लंड से नज़रें ना हटा सकी. इतने में सांड़ ने ज़ोर से हुंकार भरी और गाइ पर चढ़ कर उसकी बूर में पूरा का पूरा लंड उतार दिया.
 
यह देख कर भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो सांड़ की रास लीला और ना देख सकी और शर्म के मारे अंदर भाग गयी. मैं भी पीछे पीछे अंदर गया. भाभी किचन में थी. मैने बहुत ही भोले स्वर में पूछा

"भाभी वो सांड़ क्या कर रहा था?"

"तुझे नहीं मालूम?" भाभी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

"तुम्हारी कसम भाभी मुझे कैसे मालूम होगा ? बताइए ना." हालाँकि भाभी को अच्छी तरह पता था कि मैं जान कर अंजान बन रहा हूँ लेकिन अब उसे भी मेरे साथ ऐसी बातें करने में मज़ा आने लगा था. वो मुझे समझाते हुए बोली

"देख आशु, सांड़ वोही काम कर रहा था जो एक मर्द अपनी बीवी के साथ शादी के बाद करता है."

"आपका मतलब है कि मर्द भी अपनी बीवी पर ऐसे ही चढ़ता है?"

"हाई राम! कैसे कैसे सवाल पूछता है. हां और क्या ऐसे ही चढ़ता है."

"ओह! अब समझा, भैया आपको रात में क्यों बुलाते हैं."

"चुप नालयक, ऐसा तो सभी शादीशुदा लोग करते हैं."

"जिनकी शादी नहीं हुई वो नहीं कर सकते?"

"क्यों नहीं कर सकते? वो भी कर सकते हैं, लेकिन….." मैं तपाक से बीच में ही बोल पड़ा-

"वाह भाभी तब तो मैं भी आप पर च्चढ़…….." भाभी एकदम मेरे मुँह पर हाथ रख कर बोली " चुप, जा यहाँ से और मुझे काम करने दे." और यह कह कर उन्होनें मुझे किचन से बाहर धकेल दिया.

इस घटना के दो दिन के बाद की बात आयी. मैं छत पर पढ़ने जा रहा था. भाभी के कमरे के सामने से गुज़रते समय मैने उनके कमरे में झाँका. भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई कोई नॉवेल पढ़ रही थी.

उसकी नाइटी घुटनों तक उपर चढ़ि हुई थी. नाइटी इस प्रकार से उठी हुई थी की भाभी की गोरी गोरी टाँगें, मोटी मांसल जंघें और जांघों के बीच में सफेद रंग की पॅंटी सॉफ नज़र आ रही थी. मेरे कदम एकदम रुक गये और इस खूबसूरत नज़ारे को देखने के लिए मैं छुप कर खिड़की से झाँकेने लगा. ये पनती भी उतनी ही छ्होटी थी और बड़ी मुश्किल से भाभी की चूत को धक रही थी. भाभी की घनी

काली झांटें(चूत का बॉल) दोनो तरफ से कछि के बाहर निकल रही थी. वो बेचारी छ्होटी सी पॅंटी भाभी की फूली हुई बूर के उभार से बस किसी तरह चिपकी हुई थी. बूर की दोनो फांकों के बीच में दबी हुई पॅंटी ऐसे लग रही थी जैसे हंसते वक़्त भाभी के गालों में डिंपल पर जातें हैं. अचानक भाभी की नज़र मुझ पर पड़ गयी . उन्होनें झट से टाँगें नीचे करते हुए पूछा " क्या देख रहा है आशु"

क्रमशः...............
 
चिकनी भाभी--3

गतान्क से आगे................

चोरी पकड़े जाने के कारण मैं सकपका गया और " कुच्छ नहीं भाभी" कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद पॅंटी में छिपी हुई बूर की याद सताने लगी.

मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सबेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सबेरे मैं तौलिया लप्पेट कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया कि सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए.

जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र तौलिए के नीचे से झाँकते मेरे 7-8 इंच लंबे मोटे हथोदे की तरह लटकते हुए लंड पे पड़ गयी.

वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है.

न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोछे का कपड़ा ले कर अंदर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर तोलिये के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ.

भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा

"क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"

भाभी हडॅवाडा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे मस्ताने लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था. मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खिड़की (विंडो) खुली छ्चोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई.
 
वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और पॅंटी में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुन्दर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी चूतड़ और मोटी जंघें किसी नमर्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी.

ओर फिर वही छ्होटी सी पॅंटी, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी पॅंटी से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग पॅंटी में था. बेचारी पॅंटी भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में पॅंटी से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था.

मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पॅंटी उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर पॅंटी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े और गोल-गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.

मेरे मन में सोचा कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेते होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की प्लॅनिंग पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और पॅंटी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी.

मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी पॅंटी उठा लाया. मैने उनकी पॅंटी को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झार गया. मैने उस पॅंटी को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे.

लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी पॅंटी गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली…..

"आशु उठ. तू अंदर कैसे आया?"

मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया."

"तू कितनी देर से अंदर है?"

"यही कोई एक घंटे से."
 
अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी पॅंटी भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा " कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?'

"अरी हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली

"वापस कर मेरे कपड़े."

मैं तकिये के नीचे से भाभी की पॅंटी निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."

"क्यों अब तू औरतों की पॅंटी पहनना चाहता है?"

"नहीं भाभी" मैं पॅंटी को सून्घ्ता हुआ बोला…

"इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."

"अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."

"नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."

"धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा

"भाभी मैं जानता हूँ कि आप क्या जानना चाहती हैं. मेरी ग़लती क्या है, जब मैं घर आया तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. लेकिन आपको सामने से नहीं देख सका. सच कहूँ भाभी आप बिल्कुल नंगी हो कर बहुत ही सुन्दर लग रही थी. पतली कमर, भारी और गोल-गोल मस्त चूतड़ और गदराई हुई जंघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए."

भाभी शर्म से लाल हो उठी.

"हाई राम तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है?"

"आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी?"
"हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी" इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गयी.
 
भैया को कल 6 महीने के लिए किसी ट्रैनिंग के लिए मुंबई जाना था. आज उनका आखरी दिन था. आज रात को तो भाभी की चुदाई निश्चित ही थी. रात को भाभी नींद आने का बहाना बना कर जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी. उसके कमरे में जाते ही लाइट बंद हो गयी. मैं समझ गया कि चुदाई शुरू होने में अब देर नहीं. मैं एक बार फिर चुपके से भाभी के दरवाज़े पर कान लगा कर खड़ा हो गया.

अंदर से मुझे भैया भाभी की बातें सॉफ सुनाई दे रही थी. भैया कह रहे थे,

"सिम्मी, 6 महीने का समय तो बहुत होता है. इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा. ज़रा सोचो 6 महीने तक तुम्हारी बूर नहीं चोद सकूँगा."

"आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़ …."

"क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? कल तो मैं जा रहा हूँ. आज रात तो खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है." 

"मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कॉन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं." भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फंफनाने लगा.

"सिम्मी यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुदवाओगि ना."

"मेरे राजा, सच बताऊ मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. क्या अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही चोदा जाता है?"

"तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?

"कैसी बातें करतें हैं? औरत ज़ात हूँ. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ."

"सिम्मी तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी."

" याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नहीं हुआ था.

आपने भी तो सुहाग रात को मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा था."

"उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान"

क्रमशः...............
 
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