Bhabhi Chudai Kahani चिकनी भाभी - Page 2 - SexBaba
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Bhabhi Chudai Kahani चिकनी भाभी

चिकनी भाभी--4

गतान्क से आगे................

"अनाड़ी की क्या बात थी? किसी लड़की की कुँवारी चूत को इतने मोटे, लंबे लंड से इतनी ज़ोर से चोदा जाता है क्या? कितना खून निकाल दिया था आपने मेरी चूत में से, पूरी चादर खराब हो गयी थी. अब जब मेरी चूत आपके लंड को झेलने के लायक हो गयी है तो आपने चोदना ही कम कर दिया है."

"अब चोदने भी दोगि या सारी रात बातों में ही गुज़ार दोगि." यह कह कर भैया भाभी के कपड़े उतारने लगे.

"सिम्मी, मैं तुम्हारी ये पॅंटी साथ ले जाउन्गा."

"क्यो? आप इसका क्या करेंगे?"

"जब भी चोदने का दिल करेगा तो इसे अपने लंड से लगा लूँगा." पॅंटी उतार कर शायद भैया ने लंड भाभी की चूत में पेल दिया, क्योंकि भाभी के मुँह से आवाज़ें आने लगी…..

" अया….ऊवू…अघ..आह..आह..आह..आह"

"सिम्मी, आज तो सारी रात लूँगा तुम्हारी"

"लीजिए ना आआहह….कॉन…. आह रोक रहा है? आपकी चीज़ है. जी भर के चोदिये….उई माआ…..."

"थोड़ी टाँगें और चौड़ी करो. हां अब ठीक है. आह पूरा लंड जड़ तक घुस गया

है."

"आआआ…ह, ऊवू."

"सिम्मी, मज़ा आ रहा है मेरी जान?"

"हूँ. आआआ..ह."

"सिम्मी."

"जी."

"अब 6 महीने तक इस खूबसूरत चूत की प्यास कैसे बुझओगि?" 

"आपके इस मोटे लंड के सपने ले कर ही रातें गुज़ारुँगी."
 
"मेरी जान तुम्हें चुदवाने में सच मुच बहुत मज़ा आता है?"

"हां मेरे राजा बहुत मज़ा आता है क्योंकि आपका ये मोटा लंबा लंड मेरी चूत की आअग को बुझा देता है."

"सिम्मी, मैं वादा करता हूँ, वापस आ कर तुम्हारी इस टाइट चूत को चोद चोद कर फाड़ डालूँगा."

"फाड़ डालिए ना,एयेए…ह मैं भी तो यही चाहती हूँ ."

" सच ! अगर फॅट गयी तो फिर क्या चुदवाओगि?"

"हटिए भी आप तो ! आपको सच मुच ये इतनी अच्छी लगती है?"

" तुम्हारी कसम मेरी जान. इतनी फूली हुई चूत को चोद कर तो मैं धन्य हो गया हूँ. और फिर इसकी मालकिन चुदवाती भी तो कितने प्यार से है"

" जब चोदने वाले का लंड इतना मोटा तगड़ा हो तो चुदवाने वाली तो प्यार से चुदवायेगि ही. मैं तो आपके लंड के लिए एयेए…ह.. ऊवू बहुत तरपुंगी. आख़िर मेरी प्यास तो ….आआ…. यही बुझाता है."

भैया ने सारी रात जम कर भाभी की चुदाई की. सबेरे भाभी की आँखें सारी रात ना सोने के कारण लाल थी. भैया सुबह 6 महीने के लिए मुंबई चले गये. मैं बहुत खुश था. मुझे पूरा विषवास था कि इन 6 महीनों में तो भाभी को अवश्य चोद पाउन्गा.

हालाँकि अब भाभी मुझसे खुल कर बातें करती थी लेकिन फिर भी मेरी भाभी के साथ कुच्छ कर पाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी. मैं मोके की तलाश में था. भैया को जा कर एक महीना बीत चुका था.
 
जो औरत रोज़ चुदवाने को तरसती हो उसके लिए एक महीना बिना चुदाई गुज़ारना मुश्किल था. भाभी को वीडियो पर पिक्चर देखने का बहुत शोक था. एक दिन मैं इंग्लीश की बहुत गंदी सी पिक्चर ले आया और ऐसी जगह रख दी जहाँ भाभी को नज़र आ जाए. उस पिक्चर में, 7 फुट लंबा, तगड़ा काला आदमी एक 16 साल की गोरी लड़की को कयि मुद्राओं में चोद्ता है और उसकी गांद भी मारता है.

जब तक मैं कॉलेज से वापस आया तब तक भाभी वो पिक्चर देख चुकी थी. मेरे आते ही बोली

"आशु ये तू कैसी गंदी गंदी पिक्चरे देखता है?"

"अरी भाभी आपने वो पिक्चर देख ली? वो आपके देखने की नहीं थी."

"तू उल्टा बोल रहा है. वो मेरे ही देखने की थी. शादीशुदा लोगों को तो ऐसी पिक्चर देखनी चाहिए. हाई राम ! क्या क्या कर रहा था वो लंबा तगड़ा कालू उस छ्होटी सी लड़की के साथ. बाप रे !"

"क्यों भाभी भैया आपके साथ ये सब नहीं करते हैं?"

"तुझे क्या मतलब? और तुझे शादी से पहले ऐसी पिक्चरे नहीं देखनी चाहिए."

"लेकिन भाभी अगर शादी से पहले नहीं देखूँगा तो अनाड़ी रह जाउन्गा. पता कैसे लगेगा कि शादी के बाद क्या किया जाता है.""तेरी बात तो सही है. बिल्कुल अनाड़ी होना भी ठीक नहीं वरना सुहागरात को लड़की को बहुत तकलीफ़ होती है. तेरे भैया तो बिल्कुल अनाड़ी थे."

"भाभी, भैया अनाड़ी थे क्योंकि उन्हें बताने वाला कोई नहीं था.

मुझे तो आप समझा सकती हैं लेकिन आपके रहते हुए भी मैं अनाड़ी हूँ. तभी तो ऐसी फिल्म देखनी पड़ती है और उसके बाद भी बहुत सी बातें समझ नहीं आतीं. आपको मेरी फिकर क्यों होने लगी?"

"आशु, मैं जितनी तेरी फिकर करती हूँ उतनी शायद ही कोई करता हो. आगे से तुझे शिकायत का मोका नहीं दूँगी. तुझे कुच्छ भी पूछना हो, बे झिझक पूछ लिया कर. मैं बुरा नहीं मानूँगी. चल अब खाना खा ले."
 
"तुम कितनी अच्छी हो भाभी." मैने खुश हो कर कहा. अब तो भाभी ने खुली छ्छूट दे दी थी. मैं किसी तरह की भी बात भाभी से कर सकता था. लेकिन कुच्छ कर पाने की अब भी हिम्मत नहीं थी. मैं भाभी के दिल में अपने लिए चुदाई की भावना जाग्रत करना चाहता था. भैया को गये अब करीब दो महीने हो चले थे. भाभी के चेहरे पर लंड की प्यास सॉफ ज़ाहिर होती थी.

एक बार सनडे को मैं घर पर था. भाभी कपड़े धो रही थी. मुझे पता था कि भाभी छत पर कपड़े सुखाने जाएगी. मैने सोचा क्यों ना आज फिर भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए जाएँ. पिछले दर्शन 3 महीने पहले हुए थे.

मैं छत पर कुर्सी डाल कर उसी प्रकार तौलिया लपेट कर बैठ गया. जैसे ही भाभी के छत पर आने की आहट सुनाई दी, मैने अपनी टाँगें फैला दी और अख़बार चेहरे के सामने कर लिया. अख़बार के च्छेद में से मैने देखा कि छत पर आते ही भाभी की नज़र मेरे मोटे, लंबे साँप के माफिक लटकते हुए लंड पे गयी. भाभी की साँस तो गले में ही अटक गयी.

उनको तो जैसे साँप सूंघ गया. एक मिनिट तो वो अपनी जगह से हिल नहीं सकी, फिर जल्दी कपड़े सूखने डाल कर नीचे चल दी.

"भाभी कहाँ जा रही हो, आओ थोड़ी देर बैठो." मैने कुर्सी से उठाते हुए कहा. भाभी बोली

"अच्छा आती हूँ. तुम बैठो मैं तो नीचे चटाई डाल कर बैठ जाउन्गि." अब तो मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के दर्शन जी भर के करना चाहती है.

मैं फिर कुर्सी पर उसी मुद्रा में बैठ गया. थोड़ी देर में भाभी छत पर आई और ऐसी जगह चटाई बिछाई जहाँ से तौलिए के अंदर से पूरा लंड सॉफ दिखाई दे. हाथ में एक नॉवेल था जिसे पढ़ने का बहाना करने लगी लेकिन नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.

8 इंच लंबा और 3-1/2 इंच मोटा लंड और उसके पीछे अमरूद के आकर के बॉल्स लटकते देख उनका तो पसीना ही छ्छूट गया. अपने आप ही उनका हाथ अपनी चूत पर गया और वो उसे अपनी सलवार के उपर से रगड़ने लगी. जी भर के मैने भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए. जब मैं कुर्सी से उठा तो भाभी ने जल्दी से नॉवेल अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो नॉवेल पढ़ने में बड़ी मगन हो.

क्रमशः...............
 
चिकनी भाभी--5

गतान्क से आगे................

मैने कई दिन से भाभी की गुलाबी पॅंटी नहीं देखी थी. आज भी वो नहीं सूख रही थी. मैने भाभी से पूछा….. "भाभी बहुत दिनों से अपने गुलाबी पॅंटी नहीं पहनी?"

"तुझे क्या?"

"मुझे वो बहुत अच्छी लगती है. उसे पहना करिए ना."

"मैं कॉन सा तेरे सामने पहनती हूँ?"

"बताइए ना भाभी कहाँ गयी, कभी सूख्ती हुई भी नहीं नज़र आती."

"तेरे भैया ले गये. कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी." भाभी ने शरमाते हुए कहा.

"आपकी याद दिलाएगी या आपके टाँगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?"

"हट मक्कार ! तूने भी तो मेरी एक पॅंटी मार रखी है. उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फॅट ना जाए." भाभी मुझे चिढ़ाती हुई बोली.

"फटेगी क्यों? मेरे चूतड़ आपके जितने भारी और चौड़े तो नहीं हैं".

"अरी बुधहू, चूतड़ तो बड़े नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फॅट सकती है. तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी."

"फिट क्यों नहीं होगी भाभी?" मैने अंजान बनते हुए कहा.

"अरी बाबा, मर्दों की टाँगों के बीच में जो वो होता है ना, वो उस छ्होटी सी पॅंटी में कैसे समा सकता है, और वो तगड़ा भी तो होता है पॅंटी के महीन कपड़े को फाड़ सकता है."

"वो क्या भाभी?" मैने शरारत भरे अंदाज़ में पूछा. भाभी जान गयी कि मैं उनके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ.

"मेरे मुँह से कहलवाने में मज़ा आता है?"

"एक तरफ तो आप कहती हैं कि आप मुझे सब कुच्छ बताएँगी,और फिर सॉफ सॉफ बात भी नहीं करती. आप मुझसे और मैं आपसे शरमाता रहूँगा तो मुझे कभी कुच्छ नहीं पता लगेगा और मैं भी भैया की तरह अनाड़ी रह जाउन्गा. बताइए ना !"

"तू और तेरे भैया दोनो एक से हैं.मेरे मुँह से सब कुच्छ सुन कर तुझे खुशी मिलेगी?"

"हाँ भाभी बहुत खुशी मिलेगी. और फिर मैं कोई पराया हूँ."

"ऐसा मत बोल आशु. तेरी खुशी के लिए मैं वही करूँगी जो तू कहेगा."

"तो फिर सॉफ सॉफ बताइए आपका क्या मतलब था."
 
"मेरे बुद्धू देवर जी, मेरा मतलब ये था कि मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है, औरत की नाज़ुक पॅंटी उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फॅट ही जाएगी ना." "भाभी आपने वो वो लगा रखी है, मुझे तो कुच्छ नहीं समझ आ रहा."

"अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते हैं तो मैं भी बोल दूँगी." भाभी ने लाजाते हुए कहा.

"भाभी मर्द के उसको लंड कहते हैं."

"हाया…..!, मेरा भी मतलब यही था."

"क्या मतलब था आपका?"

"कि तेरा लंड मेरी पॅंटी को फाड़ देगा. अब तो तू खुश है ना.?"

"हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिए कि आपकी टाँगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं"

"उसे? मुझे तो नहीं पता. ऐसी चीज़ें तो तुझे ही पता होती हैं. तू ही बता दे."

"भाभी उसे चूत कहते हैं."

"ःआआ! तुझे तो शरम भी नहीं आती. वही कहते होंगे."

"वही क्या भाभी?"

"ओह हो बाबा, चूत और क्या." भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फंफनाने लगा. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने भाभी से कहा.

"भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है."

"अच्छा जी तो देवेर्जी भी इसके दीवाने हैं."

"हां मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ."

"तुझे तो बिल्कुल भी शरम नहीं है. मैं तेरी भाभी हूँ." भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली.
 
"अगर मैं आपको एक बात बताऊ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?"

"नहीं आशु. देवर भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. और अब तो तूने मेरे मुँह से सूब कुच्छ कहलवा दिया है.लेकिन मेरी पॅंटी तो वापस कर दे."

"सच कहूँ भाभी, रोज़ रात को उसे सून्घ्ता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है. जब मैं अपना लंड आपकी पॅंटी से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो.

"ओह ! अब समझी देवर्जी मेरी पॅंटी के पीछे क्यों पागल हैं. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्‍दर सी बीवी की ज़रूरत है"

"लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ. आपने तो प्रॉमिस कर के भी कुच्छ नहीं बताया. उस दिन आप कह रही थी कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहाग रात में बहुत तकलीफ़ होती है. आपका क्या मतलब था? आपको भी

तकलीफ़ हुई थी?"

"हां आशु, तेरे भैया अनाड़ी थे. सुहागरात को मेरी साडी उठा कर बिना मुझे गरम किए चोदना शुरू कर दिया. अपने 6 इंच लंबे और 2-1/2 इंच मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा.

बहुत खून निकला मेरी चूत से. अगले एक महीने तक दर्द होता रहा." मेरा लंड देखने के बाद से भाभी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था.

"लड़की को गरम कैसे करते हैं भाभी?"

"पहले प्यार से उससे बातें करते हैं. फिर धीरे धीरे उस के कपड़े उतारते हैं. उसके बदन को सहलाते हैं. उसके होटो को और चुचिओ को चूमते हैं. फिर प्यार से उसकी चुचिओ और चूत को मसल्ते हैं.

फिर हल्के से एक उंगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है. अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदने के लिए तैयार है.इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे धीरे लंड अंदर डाल देते हैं. पहली रात ज़ोर ज़ोर से धक्के नहीं मारते."

"भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूस्ति है. कालू उस लड़की को कयि तरह से चोद्ता है.

यहाँ तक कि उसकी गांद भी मारता है"

"अरी बुद्धू ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे धीरे किया जाता है."

"भाभी, भैया भी वो सब आपके साथ करते हैं?"

"नहीं रे ! तेरे भैया अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं. (भाभी के चेहरे पर थोड़ी सी उदासी झलक रही थी) उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोद्ते हैं. औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है."

" भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है?"

"क्यों में औरत नहीं हूँ ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है."

"लेकिन भैया का लंड तो मोटा तगड़ा होगा. हां मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है"

"तुझे कैसे पता ? "

"मुझे तो नहीं पता लेकिन आप तो बता सकती हैं"
 
"में कैसे बता सकती हूँ? मैने तेरा लंड तो नहीं देखा है" भाभी ने बनते हुए कहा. मैं मन ही मन मुस्कुराया और बोला,

"तो क्या हुआ भाभी. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है."

"हट बदमाश!"

"अगर आप नहीं दर्शन करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए. सच भाभी मैने आज तक किसी की चूत नहीं देखी."

"चल नालयक! तेरी शादी जल्दी करवा दें? इतना उतावला क्यों हो रहा है?"

क्रमशः...............
 
चिकनी भाभी--6

गतान्क से आगे................

"उतावला क्यों ना होऊ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदे और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगि तो घिस तो नहीं जाओगी. अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?"

"नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे."

"भाभी तब तो जितने घने और सुंदर बाल आपके सिर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करतीं?"

"तेरे भैया को मेरी झाँटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती."

"हाई भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तडपाओगि ?"

"सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है." यह कह कर बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी.

मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था. एक दिन मैने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा. मैने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की पॅंटी में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लंड की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थी.

मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी.

मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के क़िस्से थे. उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को चोदने के लिए पटाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया कि भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है.

अगले सनडे को मैने देखा कि भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय बाहर के नल पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,

"आ आशु बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे." मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही . अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल जाँघो के बीच में से सफेद रंग की पॅंटी झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण पॅंटी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी.
 
फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. पॅंटी चूत की फांकों में धँसी हुई थी. पॅंटी के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंदर जाने लगी.

मैने उदास हो कर पूछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" "

एक मिनिट में आई." थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.

मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.

पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. " क्या बात है आशु, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला

"भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."

"क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.

"भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."

"हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?' यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.
 
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