Bhabhi Sex Stories कुछ नहीं होगा भाभी ! - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Bhabhi Sex Stories कुछ नहीं होगा भाभी !

विनोद ने आज जादू करने का मन बना लिया था, उसने मुझे दोबारा मुझे
उत्तेजित कर दिया, मेरी चूत को मसल कर रख दिया और अपनी जबान से मेरी चूत
साफ करने लगा मुझे मजा आने लगा ! मैं पागल हो गई।

मैंने कहा- विनोद, क्या करने का इरादा है आज? काफी मजा आ रहा है।

विनोद- यार सुरभि, मुझे पता है कि कई दिनों से मैंने तुम्हारे साथ ठीक से
सेक्स नहीं किया है, तो तुमको मैं अच्छे से मजा देना चाहता हूँ !

मैं- विनोद मैं ऐसे ही तुम्हारे साथ सेक्स करके काफी अच्छा महसूस करती
हूँ, तुम चिंता न करो।

विनोद- नहीं सुरभि, मुझे पता है मेरी जान, तुम कहती नहीं हो तो क्या हुआ,
पर मुझे लगने लगा है कि मैं तुम्हारे साथ ठीक से सेक्स नहीं करता हूँ,
तुम जिद न करो और किसी के साथ सेक्स कर लो मेरी जान ! चलो ऐसा करो, सुनील
के साथ कर लो ! वो भी कुंवारा है, उसका भी काम हो जायेगा और तुम्हारा भी
! तुम कहो तो मैं बात करूँ उससे?

मैंने कहा- नहीं मुझे नहीं करना किसी के साथ कोई सेक्स-वैक्स !

पर जब विनोद खुद ऐसा कह रहे हों तो मेरे अंदर से एक अलग सी गुदगुदी होनी
ही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं विनोद के सामने ही सुनील से सेक्स
कर रही हूँ और जैसा मैंने भगवान से माँगा था कि काश विनोद मुझे इजाजत दे
दे खुद के सामने सुनील के साथ सेक्स करने का !बस मैं ऊपरी तौर पर मना
करती रही, दिखावा करती रही कि विनोद को ऐसा लगे कि मैं अच्छी औरत हूँ।

खैर इन सब बातों के साथ-साथ विनोद ने तक मुझे काफी हद तक चरम तक पहुँचा
ही दिया था, एक तो वो जुबान से मेरी चूत को मजा दे रहा था और ऐसी बात
करके मुझे और ज्यादा रोमांचित कर रहा था। मैं उसकी इस बात की दीवानी हो
रही थी, मुझे नशा सा छा रहा था।

मैंने विनोद को कहा- विनोद, मैं झड़ रही हूँ शायद !

और उसने हूँ कहा और मेरी चूत में जबान और अंदर तक डाल दी, वो मेरा सारा रस पी गया।

अब बारी मेरी थी, मैंने उसके लिंग को अपने मुँह में ले लिया और बहुत मन
से अन्दर-बाहर करने लगी। वो आह उह्ह करने लगा।

मैंने कहा- विनोद, क्या ऐसा करना अच्छा होगा? सुनील भैया क्या समझेंगे?
वो क्या सोचेंगे हमारे बारे में?

मैंने जानबूझ करके नाटक किया।

विनोद- कुछ नहीं ! वो मरता है तुम पर ! मुझे कई बार ऐसा लगा उसकी हरकतों
से ! कई बार उसके मुँह से निकल भी गया है कि भाभी बहुत सुंदर हैं। एक बार
मैंने कहा कि क्या इरादा है सुनील? तो वो झेंप सा गया था !

मैंने कहा- अच्छा फिर क्या बोला वो...?

अचानक विनोद के फोन की घंटी बजी, उसने फोन उठाया, मैं उसका लिंग मुँह में
लेकर आगे पीछे कर रही थी, वो मस्त हो रहा था, उसने फोन उठाया।

मैंने पूछा- किसका फोन है?

विनोद- हाँ सुनील, क्या बात है...?

"कुछ नहीं, बहुत दिनों बाद आया हूँ तो मजे कर रहा हूँ !"

"आह, धीरे करो !" वो मुझ से बोला- निकल जायेगा तुम्हारे मुँह में !

मैंने धीरे से कहा- क्या बात करते हो? तुम सुनील के सामने?

खैर सुनील सारा माजरा समझ गया और फोन काट दिया यह कह कर कि- बाद में बात
करते हैं। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

मैं विनोद से लड़ने लगी- क्या करते हैं आप भी? सुनील भैया क्या समझेंगे?

विनोद- कुछ नहीं यार ! सब करते हैं, हम भी कर रहे थे, उसमें कौन सी बड़ी
बात है? चलो मैं तुमको एक बात बता दूँ, मुझे 10 दिनों के लिए मुंबई जाना
होगा। सॉरी यार, पर अगर मैं आते तुमको ही यह सब नहीं बता सकता था, नहीं
तो तुम नाराज हो जाती।

मैं अपना काम कर रही थी, मतलब मुँह से उसके लिंग को चूसने का काम !

विनोद चरम पर आ गया था मेरे सर को पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगा और जोर
जोर से आह उह्ह करने लगा। मैं समझ गई कि अब वो झड़ने वाला है, मैंने भी
अपनी गति बढ़ा दी।

उसने अपना सारा पानी मेरे मुँह में निकाल दिया, मैं सारा पानी गटक गई,
मुझे आज बहुत अच्छा लगा था, मेरे दिमाग में आगे होने वाली बात चलने लगी
थी कि कल सुनील-सुशील दोनों के साथ सेक्स करने को मिलेगा ! बस यही सब सोच
सोच कर मेरा हाल बुरा हो रहा था।

विनोद- जान, आज मजा आ गया ! तुमने बहुत अच्छे से मुख मैथुन किया है, इससे
पहले ऐसा मजा कभी नहीं आया था।

मैंने कहा- इससे पहले तुमने भी कहाँ इतनी अच्छी बात की थी?

ऐसे ही बात करते करते हम सो गए बिना कपड़ों के ! विनोद को सुबह जल्दी जाना
था, उसने मुझे बस इतना ही कहा- अपना ख्याल रखना !

और वो दरवाजा लॉक करके चला गया। मैं देर तक सोती रही।

सुबह उठ कर फ्रेश होकर जैसे ही बाहर आई…
 
घंटी बजी, दरवाजा खोला तो दूध वाला था।

दूध लिया, बाहर देखा तो सुशील मेरी तरफ़ ही देख रहा था, मैंने उसको कहा-
सुशील, चाय पीनी हो तो आ जाओ !

वो आ गया, उसने सारी औपचारिकताएँ की- नमस्ते भाभी ! भैया क्या सो रहे हैं?

मैंने कहा- नहीं, मुंबई गए हैं 10 दिनों के लिए !

इतना सुनते ही सुशील की तो बांछें खिल गई, उसने मुझे गोद में उठा लिया और
कहने लगा- मतलब दस दिन के लिए आप मेरी बीवी हो !

और मुझे अपना लंड पकड़ा दिया। मैं भी कहाँ देर करने वाली थी, जल्दी से
उसका लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी।

मैंने कहा- चाय पी लेते हैं, फिर करेंगे। कौन सी जल्दी है यार ! सुशील अब
दस दिन तक यही तो करना है, चलो सुनील को भी कह देते हैं।

सुशील ने मना कर दिया- नहीं भाभी, सुनील भाई को ना बुलाओ, मैं रवि को
बुला लेता हूँ, मजा आ जाएगा।

मैंने पहले ना-नुकर की, फिर मान गई, मुझे भी तो नया लिंग देखना था, पर
मैंने कहा- यार सुशील, तुम चाहे तो रवि को बुला लो पर सुनील को भी बुला
लेते हैं ना ! क्या दिक्कत है तुमको? अगर वो भी रहेगा तो मजा ज्यादा आएगा
! दो से तीन भले !

सुशील मान गया, बोला- चलो बुला लेंगे पर पहले रवि को आ जाने दो। आज हम
दोनों के साथ करना, कल तीनों मिल कर करेंगे।

मैं भी मान गई- ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो।वो मुझे चूमने लगा जैसे कोई
प्रेमी अपनी प्रेमिका से बरसों बाद मिला हो।

मैंने कहा- इतनी क्या जल्दी है, चाय बनाते हैं, पीते हैं, फिर करेंगे !

मैंने चाय बनाई, हम बैठ कर बात करने लगे, चाय पीने लगे, वो मेरे कबूतर
दबा रहा था, धीरे धीरे वो मुझे गर्म कर रहा था और साथ साथ अपने कपड़े भी
उतार रहा था।

थोड़ी देर में ही हम दोनों नंगे हो गए। उसने मेरी फ़ुद्दी में अपनी जीभ डाल दी।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मुझे भी तो अपने लौड़े का स्वाद चखाओ !

और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, मैं उसका लिंग मुँह में लेकर काफी
अच्छे से चूस रही थी और वो मेरी चूत को खूब मजा दे रहा था। उसका लिंग
मेरे गले तक आ रहा था जो मुझे काफी अच्छा महसूस करा रहा था।

दस मिनट तक ऐसे ही करने के बाद सुशील उठा और मेरे उरोज दबाता हुआ मेरी
योनि में अपना लंड डालने लगा और एक ही झटके में उसने पूरा लंड अंदर उतार
दिया।

मैं जोर से चिल्ला उठी- अआह आह धीरे सुशील ! मारोगे क्या?

उसने मेरे होंट अपने होंटों में भर लिए और मुझे जोर जोर से चोदने लगा। आज
उसका जोश काफी हद तक था, उसके झटके मुझे पागल कर रहे थे, मैं हर झटके से
कराह उठती।

खैर मुझे काफी मजा आ रहा था, वो मेरे वक्ष बहुत जोर जोर से मसल रहा था,
बार बार अपना पूरा लण्ड बाहर निकालता और मुझे ऊपर से नीचे तक चूमता था और
फिर जोर से डालता था।

मैं झड़ रही थी उसको कस कर पकड़ कर- बस सुशील, अब और नहीं ! आज तो तुम क्या
कर रहे हो ! ऐसा तो कोई मंजा हुआ खिलाड़ी भी नहीं कर सकता है !

मैं तीन बार झड़ चुकी थी।

सुशील बोला- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ !

और इतना कहते ही मेरे मुँह के पास आ गया, अपना लिंग मेरे मुँह में डाल
दिया और जोर जोर से आगे पीछे करने लगा, मुझे पूरा हिला कर रख दिया, कोई 5
मिनट तक मुझे ऐसे ही करता रहा और जोर से पिचकारी छोड़ी और आह उह्ह करता
हुआ झड़ने लगा। आज उसके लण्ड से इतना पानी निकला था कि मेरा पूरा मुँह भर
गया। मैं सारा का सारा वीर्य धीरे धीरे करके अपने अन्दर उतारने लगी और
फिर उसका लिंग मुँह में लेकर साफ करने के बहाने बची हुए 2-4 बूंद भी पी
गई।

उसका लिंग जब तक छोटा नहीं हो गया, मैं उसको चूसती रही फिर हमने खूब देर
तक मुँह में मुँह डाल कर प्यार किया।

मैंने कहा- सुशील आज तो तुमने जादू कर दिया, कल तुम्हारे भैया ने भी बहुत
देर तक किया पर ऐसा मजा नहीं आया। आज क्या हुआ था तुमको?

सुशील- भाभी मुझे तीन दिन हो गए थे, रोज तुम्हारे सपने देखता था। मुझे
आपसे बहुत प्यार हो गया है, मैं आपके बिना नहीं रह सकता हूँ। आँखें बंद
करते ही आपके चुच्चे नजर आते हैं आपकी यह चूत नजर आती है, क्या मस्त चूत
है आपकी, कोई भी पागल हो जाये ! मैंने रवि को बताया तो वो बोला कि एक बार
बस एक बार अगर भाभी को मजा नहीं आया तो कभी भी नाम नहीं लूँगा उनका ! आज
रात को बुला लूँ ना उसको?

मैंने कहा- हाँ बुला लेना ! मुझे तुम्हारी ख़ुशी देखनी है, अगर तुम ऐसे
खुश हो अपनी भाभी को और एक दोस्त से चुदवा कर, तो ठीक है, मैं तुम्हारी
ख़ुशी के लिए उसके साथ भी करने के लिए तैयार हूँ।

फिर सुशील चला गया यह कह कर कि शाम को मिलते हैं भाभी !

रवि के साथ मुझे भी जिज्ञासा थी कि कैसा होगा रवि का लिंग? वो कैसे
करेगा? जैसा सुशील ने बताया था कि उसका लिंग उससे भी बड़ा है तो मुझे काफी
उत्तेजना हो रही थी, मैं शाम होने का इन्तजार करने लगी !

सोचते हुए कब आँख लग गई मुझे पता ही नहीं लगा !

मेरी नींद करीब शाम सात बजे खुली, मैंने उठ कर देखा, तो बाहर अँधेरा हो
चुका था, मैं सुशील और रवि का इन्तजार कर रही थी। काफी वक्त गुजर गया,
मैं ऐसे ही टीवी देखने लग गई !

करीब 8 बजे सुशील का फोन आया- भाभी, मै सॉरी कहता हूँ, अचानक पापा-मम्मी
के साथ गाँव में शादी में आना पड़ा, मैं आपसे कहने भी आया था, मैंने
डोर-बेल बजाई पर लाइट नहीं थी तो मैंने कई आवाज लगाई। शायद आप नींद में
थी तो.... आपको पता नहीं लगा होगा।
 
मैं- ऐसा कैसे कर सकते हो तुम सुशील? मैं तुम्हारे इन्तजार में आधी हो
रही हूँ और तुम मजे से शादी में चले गए?

सुशील- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ, बस दो
दिन की बात है, फिर भी हमारे पास 8 दिन रहेंगे सुहागरात मनाने को।

मैंने कहा- चलो ठीक है, आते ही मिलना !

और मैंने फोन रख दिया। मैं काफी उदास हो गई, मुझे तो दो जवान लंड के सपने
आ रहे थे, वो चकनाचूर हो गए थे।

खैर मैंने अपने मन पर काबू किया और सुनील को फोन लगाया, मैंने उससे
गरमजोशी से कहा- सुनील भैया, खुश खबरी ! विनोद बाहर गए हैं।

सुनील- अरे वाह क्या बात है ! मजा आ गया, कितनी देर बाद मिलने का है?

मैंने कहा- तुम्हारा घर है, मैं तुम्हारी हूँ, जब मन हो, आ जाओ ! मैं
तुम्हारे इन्तजार में हूँ, कब आ रहे हो?

सुनील- बस आधे घंटे में हाजिर होता हूँ, और हाँ, खाना मत बनाना, मैं साथ
लेता आऊँगा।

सुनील आ गया, आते ही मैंने गले से लगाया, उसने मुझे चूमा और बोला- भाभी,
खाना ठंडा हो जायेगा, पहले खा लेते हैं।

मैंने हाँ में सर हिलाया और रसोई में से बर्तन ले आई। सुनील ने मेरी मदद
की खाना लगाते हुए !

सुनील ने पूछा- सुशील कब आएगा? मैं उसका भी खाना लाया हूँ।

मैंने कहा- नहीं, वो बाहर गया है अपने पापा के साथ, दो दिन हम ही रहेंगे।

सुनील- चलो कोई बात नहीं, मुझे ही डबल ड्यूटी करनी है मेमसाब !

मैंने कहा- हाँ, और इतने दिनों की भी कसर पूरी करनी है। वैसे सुशील आज
सुबह अपनी ड्यूटी कर गया हैl

सुनील- क्या मतलब? क्या विनोद सुबह ही चला गया था?

मैंने कहा- हाँ, वो तो मुझे सोया छोड़ गए थे। सुशील को मैंने चाय के लिए
बुलाया तो वो चाय भी पी गया और मुझे भी रगड़ गया।

नाराज होते हुए सुनील- तो मुझे क्यों नहीं बुलाया?

मैंने कहा- चिंता न करो, विनोद 10 दिन में आयेंगे, 10 दिन मैं तुम्हारी
बीवी हूँ, जैसे चाहो करो, मजे करो ! नाराज न होइये जनाब !

हमने खाना ख़त्म किया और खाने के बाद, सेक्स मूवी सुनील लेकर आया था, वो
लगा दी। हम देखने लगे और वो मेरे कबूतर दबाने लगा, उसमें क्या मस्त सीन आ
रहा था, एक लड़का तीन लड़कियाँ, एक लड़की उसका लण्ड चूस रही थी और एक लड़की
के वो दबा रहा था और तीसरी लड़की ने अपनी चूत उस लड़के के मुँह में दे रखी
थी। काफी मजेदार सीन था। सुनील बोला- काश, ऐसा हो जाये तो मजा आ जाये
!"क्या कहते हो? ऐसा तीन लड़कियों के साथ सेक्स करोगे?"

सुनील ने कहा- हां !

मैंने कहा- ठीक है, तुम्हारी यह इच्छा मैं पूरी करूँगी, तीन तो नहीं पर
दो के साथ तो करवा सकती हूँ ! एक तो मैं और एक मेरी सहेली है सुनीता,
काफी सुंदर है, गोरी है, उसके चूचे अगर तुम देख लोगे तो पागल हो जाओगे,
क्या फिगर है उसका।

सुनील- अच्छा, सच सच बताओ कि क्या तुम ऐसा करोगी? अगर ऐसा किया न भाभी,
तो मैं हमेशा के लिए आपका गुलाम हो जाऊँगा, आपके हर आदेश की पालना होगी।

मैंने कहा- सच सुनील ! 3-4 दिन में ही मैं ऐसा कर दूंगी, वो इसलिए कि
उसको भी सेक्स की जरुरत है, उसका पति के किसी और से सम्बन्ध हैं तो वो
उसके साथ बहुत कम सेक्स करता है और करता भी है तो उसको पूरा मजा नहीं
देता है।

सुनील- तुमने तो कहा भाभी सुनीता खूबसूरत है? फिर भी उसका पति उसके साथ
सेक्स क्यों नहीं करता है?

मैंने कहा- सुनील भैया, खूबसूरती के मायने सभी जगह अलग अलग होते हैं उसके
पति की नजर में वो नहीं है खूबसूरत।

इसी तरह हम बात करते रहे, मूवी देखते रहे, वो अब तक मुझे पूरा नंगा कर
चुका था और खुद भी पूरा नंगा हो चुका था।

मैंने आज ही शेव की थी तो मेरी चूत चिकनी हो रही थी, वो देख कर खुश हुआ,
बोला- भाभी, क्या बात है? चिकनी की है आज तो आपने !
 
मैंने उसका लिंग मुँह में ले लिया, वो मेरी चूत सहलाता हुआ मुँह से जादू
बिखेरने लगा और हम 69 हो गए। में उसका लिंग जोर जोर से चूस रही थी, वो भी
दीवाने की तरह मेरी चूत को जुबान से रगड़ रहा था। बस ऐसा लग रहा था कि हम
पहली बार मिले हों, खूब जोश से सेक्स का मजा ले रहे थे।

अचानक मेरे फोन की घंटी बजी।

"अरे ! विनोद का फोन !"

मै- हेलो विनोद ! पहुँच गए?

विनोद- हाँ, अभी पहुँचा ही हूँ ! कैसी हो?

मैं- ठीक हूँ।

विनोद- तुम्हारी आवाज इतनी भारी कैसे हो रही है? क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं सेक्स मूवी देख रही थी तो बस.. सेक्स का मन... आह !

विनोद- यार मत तड़पाओ खुद को ! सुनील को बुला लो, मजे करो।

मैंने कहा- हाँ, अब यही रह गया है !

और अचानक मैं झड़ने को हुई, मेरे मुँह से आह निकल गई।

और मेरा पानी निकल गया।

और विनोद ने कहा- क्या हुआ जान...?

मैंने कहा- चलो सो जाते हैं, कल बात करेंगे।

और फोन रख दिया।

सुनील से मैंने कहा- विनोद कह रहा था कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर लूँ,
अब उसको कैसे बताऊँ कि मैं तुम्हारे ही साथ हूँ।

अब सुनील ने अपना लंड डाल मेरी गीली चूत में घुसा दिया और जोर जोर से
झटके देने लगा।

और मैं आह उह्ह करती रह गई- सुनील, मजा आ रहा है, और जोर से करो ! और जोर से !

उसने तूफान सी तेजी ला दी चुदाई में और हम दोनों खूब जोर जोर से आह उह कर
रहे थे। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

सुनील झड़ने के कगार पर आया तो मैंने कहा- मेरे मुँह में आ जाओ !

और उसने मेरे मुँह में भी वो ही तूफानी चुदाई चालू कर दी। थोड़ी देर में
वो झड़ गया, मैं उसका रस पी गई, उसकी आखिरी बूंद भी निचोड़ना चाह रही थी,
खूब देर तक उसके लंड को मुँह में लेकर चूसती रही।

वैसे मैं आपको एक बात बता दूँ कि कुछ समय से मैं वीर्य के स्वाद की
दीवानी हो गई थी।

जब मैंने टाइम देखने के लिए फोन उठाया तो पता चला कि मेरा फोन तो चालू ही
रह गया था और शायद विनोद ने बात सुन ली है।

मैं डर गई, मैंने सुनील को बताया और अपना फोन बंद कर दिया।

मैंने कहा- अब क्या होगा होगा सुनील?

सुनील- कुछ नहीं उसी ने तो इजाजत दी है ना तुमको ! कह देना आज ही बुलाया था !

और मेरा दोस्त है वो, जब मेरी शादी होगी तो मेरी बीवी के साथ कर लेगा।

फिर हम ऐसे ही बात करते हुए सो गए। रात को बीच में एक बार और किया, सुबह
देर तक सोते रहे।

उठते ही सुनील ने कहा- अपनी सहेली सुनीता से बात करना, आज मजा करेंगे यार !
 
मैंने नाश्ता बनाया और हमने मिल कर खाया।

सुनील के दिमाग में तो सुनीता चल रही थी, उसने कहा- सुनीता को फोन लगाओ
ना ! कुछ बहाना बना कर बात करो ना !

मैंने कहा- क्या सुनील भैया ! बेसब्रे न होइए, मैं वादा करती हूँ कि वो
तुम्हारे साथ सेक्स करेगी, बस थोड़ा सब्र करो।

सुनील- भाभी, यही तो नहीं होता ! बस मुझे आप दोनों के साथ सेक्स करना है
पर कैसे होगा भाभी सब?

मैं- तुमको चिंता की जरुरत नहीं है, मैं सब कुछ कर लूंगी, जब मैं कह रही
हूँ तो कोई कारण होगा। कह रही हूँ ना कि अभी फोन लगाती हूँ उसको।

और मैंने सुनीता को फोन लगाया, पहले इधर उधर की बात की फिर पूछा- जीजू कहाँ हैं?

वो बोली- नहीं है यहाँ ! होगा वही मेरी सौत के यहाँ !

मैं- कब आयेंगे?

सुनीता- पता नहीं।

मैं- तू यहाँ आ सकती है क्या मेरे यहाँ 2-3 दिन के लिए? विनोद नहीं हैं,
बाहर गए हैं, मजा करेंगे।

सुनीता- हाँ जरूर यार ! मैं बस उनको फोन करके बोल देती हूँ कि मैं
तुम्हारे यहाँ जा रही हूँ, शाम को 4-5 बजे तक मिलते हैं।

मैंने सुनील को खुशखबरी सुनाई- सुनीता आ रही है, 2-3 दिन यहीं रुकेगी,
मजा करते हैं।

सुनील- और वो नहीं मानी तो क्या होगा भाभी?

मैं- तुम चिंता मत करो सुनील भैया ! बस तुम देखो कि तुम्हारी भाभी क्या करती है।

और हम लोग नहाने चले गए, एक दूसरे को खूब रगड़ कर नहलाया, उसने मेरी चूत
पर साबुन लगाया और खूब अच्छे से साफ की। मैंने उसके लंड को रगड़ रगड़ कर
साफ किया। ऐसा करते हुए हमारा मन भटक गया और हमने बाथरूम में ही सेक्स
किया, उसने मेरे कबूतर दबा दबा कर वो हाल कर दिया कि मुझे कहना पड़ा- धीरे
यार !

उसने देर न करते हुए से मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे खड़े खड़े ही
खूब चोदा। थोड़ी देर में ही मैं झड़ गई पर सुनील अब भी कर रहा था बिना रुके
हुए ! सुनील की रफ़्तार और तेज हो गई।

मैंने सुनील को कहा- सुनील भैया, मुँह में ही डालना माल !

उसने हामी भर दी, झटके से लंड बाहर निकाला, मुँह में आ गया और मुँह को
चोदने लगा। थोड़ी देर में वो झड़ गया, मेरे मुँह में अपने वीर्य की गरम तेज
धार छोड़ दी, मैं सारा वीर्य गटक गई।

सुनील- भाभी, आपको कैसा लगा मेरा माल? आप अपने आप ही बड़े मजे से पीती
हैं। क्या बात है ! आपकी यह अदा मुझे अच्छी लगती है।
 
मैं- भैया, मुझे पता नहीं तुम्हारे साथ सेक्स करने के बाद से वीर्य अच्छा
लगने लगा है, वैसे मैं विनोद का भी लेती थी मुँह में, पर इतने शौक से
नहीं ! वैसे सबसे खुशबूदार और अच्छा माल सुशील का लगा, उसके बाद
तुम्हारा, उसका लण्ड कितना बड़ा है ना?

सुनील- हाँ भाभी, मुझे देख कर बहुत अच्छा लगा, मन हुआ कि मैं हाथ लगा कर देख लूँ।

मैंने शाम की योजना बताई- तुम चले जाना सुनीता के आने से पहले ! मैं
अकेले में उससे सेक्सी बात करते हुए उसको सारी बात बताऊँगी, फिर मैं
तुमको फोन करुँगी।

चार बजे सुनीता आ गई, मैंने उसका स्वागत किया, चाय पी और बैठ कर बात करने लगे।

मैंने उससे पूछा- राकेश तेरे साथ अब सेक्स करता है या नहीं?

उसने मना कर दिया- नहीं, वो बहुत बुरा है, महीने में एक दो बार करता है।

मैंने कहा- तो तुम किसी किसी और का सहारा क्यों नहीं लेती हो? मैं तो
करती हूँ इनके एक दोस्त के साथ !

सुनीता- मेरी ऐसी किस्मत कहाँ? मुझे तो कोई नहीं मिलता।

मैंने कहा- मैं तुम्हारी मदद करूँ अगर तुम चाहो तो?

सुनीता- सच? किससे, कैसे?

मैंने कहा- सुनील जिसके साथ मैं करती हूँ।

सुनीता- पर क्या वो मानेगा?

मैंने कहा- क्यों नहीं ! मेरी बात नहीं टाल सकता है वो !

और मैंने सुनील को फोन लगाया, बोला- सुनील, मेरे घर आ जाओ !

सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ
बैठ कर खाना खाया।

बात करते हुए मैंने सुनील से कहा- सुनीता मेरी अच्छी दोस्त है, इसके पति
सेक्स नहीं करते हैं ठीक से इसके साथ !

सुनील- अरे इतनी खूबबसूरत बीवी के साथ सेक्स नहीं करता है? आप बहुत
खूबसूरत हैं सुनीता जी ! आप जैसी बीवी मेरी होती तो मैं कम से कम 4-5 बार
रोज सेक्स करता। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

मैं- तो अब क्या इरादा है?

सुनीता- हे सुरभि, क्या बात करती है, मुझे शर्म आती है।

सुनील सुनीता के हाथ पर हाथ हुए बोला- सच सुनीता जी, मैंने आपसे ज्यादा
खूबसूरत औरत नहीं देखी।
 
हमने खाना खत्म किया और कमरे में बैठ कर बात करने लगे। मैंने सुनील के
लंड पर हाथ रख दिया। सुनीता यह सब देख रही थी, सुनील का लंड कड़क हो गया
उसने मेरे वक्ष दबाना चालू कर दिए, सुनीता सब देख देख कर गर्म हो रही थी।

मैंने सुनील की जिप खोल दी और लंड बाहर निकाल लिया। सुनीता उसे देख कर आह
किये बिना नहीं रह सकी।

मैंने कहा- सुनीता, ऐसे दूर से आह करने से कम नहीं चलेगा ! आओ यहाँ।

वो बिना किसी संकोच के पास आ गई आते ही सुनील ने सुनीता को किस किया और
उसके वक्ष दबाये।

सुनील- वाह ! क्या बूब्स है सुनीता जी आपके ! मजा आ गया, आपका गोरा बदन
और ये छोटे छोटे से चूचे 30 नम्बर के होंगे ! और इतने कठोर जैसे पहले कभी
किसी ने नहीं छुआ हो ! आपका संगमरमरी बदन जैसे दूध हो ! इतनी गोरी हैं
आप, मैंने ऐसे क्या पुण्य किए थे जो आप जैसे दो दो खूबसूरत बलाएँ मेरे
साथ हैं और दोनों मेरे साथ सेक्स करने को आतुर हैं। वो भी एक साथ !

फिर सुनील सुनीता के एक एक करके सारे कपड़े उतारने लगा और साथ मई वो भी
नंगा हो रहा था। मैं देख रही थी कि वाकई सुनीता का बदन काफी सुंदर था,
उसके वक्ष काफी ठोस थे और छोटे भी, जैसे अभी अनछुए हों।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने सुनीता के वक्ष दबा दिए और उसके मुँह में मुँह
डाल कर उसको प्यार करने लगी।

सुनील उसकी गोरी चूत चाट रहा था, मैं उसके बूब्स दबा रही थी, सुनीता को
काफी मजा आ रहा था, वो आह उह कर रही थी।

अचानक सुनीता चिल्ला उठी- बस बस ! अब नहीं रुक जाता ! मैं जा रही हूँ !

और आह उह्ह करते हुए झड़ने लगी, सुनील उसका सारा पानी चाट चाट कर साफ कर रहा था।

अब सुनील उठा और अपना लंड सुनीता के मुँह के पास ले गया।

सुनीता ने कहा- छीः !

मैंने कहा- सुनीता, एक बार ले लो ! फिर मजा न आये तो कभी मत करना !

उसने मन मार कर मुँह में ले लिया तो थोड़ी देर में उसको अच्छा लगाने लगा।

मैंने पूछा- क्यों सुनीता? मजा आया ना मुँह में लेकर?

सुनीता ने हाँ में सर हिला दिया और जोर जोर से सुनील का लिंग अन्दर बाहर
करने लगी। इधर सुनील मेरी फ़ुद्दी को मजे दे रहा था। यह कैसा मंजर था
बिल्कुल सेक्सी मूवी जैसा ! अब मेरी भी बारी थी झड़ने की, मैं भी जोश में
झड़ गई, सुनील ने मेरा माल भी चाट कर साफ कर दिया।

उधर सुनीता के मुँह में सुनील भी तेजी से करने लगा तो मुझे लगा कि अब वो
झड़ने वाला है तो मैंने कहा- मेरे मुँह में डालना अपना सारा माल !

पर सुनील को तो सुनीता कुछ ज्यादा ही भा गई थी, उसने अपना सारा माल
सुनीता के मुँह के हवाले कर दिया।

मैंने सुनीता को बोला- अंदर ले लो ! मजा आ जायेगा।

सुनीता ने ऐसा ही किया।

मैंने कहा- क्यों सुनीता? कैसा लगा इसका माल? और आज का प्रोग्राम?

अब तक सुनीता काफी खुल चुकी थी, बोली- मजा आ गया ! और यह भी अच्छा लगा
माल ! बस इसका हाल बुरा है !

उसने अपनी चूत की तरफ इशारा किया।

मैंने कहा- बस, अब इसकी ही बारी है !

और मैंने सुनील का लंड मुँह में ले लिया, उसको चूसने लगी, कभी सुनीता की
चूत का रस ले लेती, कभी सुनील लंड का रस ले लेती। थोड़ी देरमें सुनील फिर
से तैयार हो गया तो मैंने कहा- अब देर न करो सुनील ! इसको पहले शांत कर
दो !

सुनील को भी बस सुनीता ही दिख रही थी, उसने आव देखा न ताव, सुनीता की चूत
में लंड डाल दिया। सुनीता सिसक कर रह गई क्यूंकि उसके होंठ मेरे होंठ में
थे, मैं उसके बूब्स दबा रही थी। क्या नज़ारा था ! बस मजा ही मजा !

सुनील को मस्ती सूझी, उसने मुझे भी पास लेटने का इशारा किया। जैसे ही मैं
पास आई, उसने सुनीता की चूत से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया। यह कहानी
आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

थोड़ी देर मेरे साथ करने के बाद फिर सुनीता की चूत में ! और ऐसे वो करता रहा।

हम दोनों इस खेल में दो दो बार झड़ चुकी थी, अब बारी सुनील के झड़ने की थी,
मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया और हिलाने लगी। उसकी पिचकारी छुट गई,
सुनीता भी पास आ गई और थोड़ा उसके मुँह में भी डलवाने का इशारा कर दिया,
दोनों ने थोड़ा-थोड़ा वीर्य अपने मुँह में लिया और गटक गई।

फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा।

सुनीता- अब यह सुशील कौन है?

मैंने कहा- यहीं पास में रहता है, काफी अच्छा लड़का है और हम तीनों खेल चुके हैं।

सुनील- हाँ सुनीता जी, काफी अच्छा लड़का है और उसका लंड काफी सुंदर और बड़ा
है, आपको आज से ज्यादा मजा आएगा, बहुत अच्छे से चोदन करता है।

और उसकी तारीफ करते हुए हम तीनों कब सो गए पता ही नहीं चला।
 
तीनों बिना कपड़ों के थे, रात को सुनील की नींद खुली तो वो सुनीता को फिर
चोदने की तैयारी में था, सुनीता भी इसके लिए जैसे तैयार थी, पलंग हिलने
से मेरी नींद खुली तो मैंने कहा- सुनील क्या बात है, काफी मर्दानगी आ रही
है?

सुनील- क्या करूँ भाभी ! आप दो दो हसीनाओं के बीच होने के बाद भी
मर्दानगी जोश नहीं मारेगी तो कब मारेगी ! और फिर सुनीता की सुन्दरता मुझे
पागल कर रही है, मैं आपको तो फिर भी कभी भी रगड़ लूँगा पर इनको चोदने का
मौका कब मिलने वाला है पता नहीं और यह कभी मेरे साथ सेक्स का हाँ भरे या
नहीं?

सुनीता- क्या बात करते हैं? सुनील जी आपके साथ जो मजा आया है शायद कभी
ऐसा मजा नहीं आया था और आज से मैं आपकी गुलाम हूँ, आप जब भी आदेश करेंगे,
मैं आपके नीचे बिछने के लिए तैयार हूँ, बस आप चोदते रहे, कभी आपका लंड
मेरे अन्दर से बाहर ना निकले, ऐसा मन करता है।

मुझे कुछ नहीं सूझा, मैं अपने हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी तो सुनीता ने
मुझे इशारा करके अपने पास बुला कर मेरी चूत अपनी जुबान से रगड़ने लगी,
मुझे मजा आने लगा।

इधर सुनील के धक्के तेज हो रहे थे, उसके धक्के से सुनीता की जुबान भी तेज
चल रही थी और हम दोनों सुनीता और मैं साथ साथ झड़ गए। सुनील ने सुनीता की
चूत से बाहर निकाल कर लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और तेज तेज प्रहार करने
लगा।

थोड़ी देर में मैं फिर झड़ गई। सुनील ने फिर अपना लंड बाहर निकाल कर सुनीता
की चूत में डाल दिया और उसकी सेवा करने लगा। थोड़ी देर में सुनीता की चूत
में ही सुनील झड़ गया तो मैं उससे लड़ते हुए बोली- मुँह में क्यों नहीं
दिया?

और मैं सुनीता की चूत चाटने लग गई। दोनों के रस का स्वाद और भी मजेदार
था। मैंने थोड़ा सा रस मुँह में लेकर सुनीता को भी चखाया, सुनीता को भी
मजा आ गया, बोली- वाह सुरभि ! मजा आ गया ! तुम्हारी वजह से मेरा जीवन
धन्य हो गया ! सुनील जी, थैंक्स !

सुनील- आप जैसे खूबबसूरत औरत पाकर मैं धन्य हो गया, कल सुशील मैं आप और
भाभी सभी मिल कर और ज्यादा मजा करेंगे।

मैंने बीच में कहा- तुम दोनों के लिए एक और सरप्राइज है, वो कल ही पता
लगेगा और इतना मजा आएगा कि बस...

दोनों आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगे और पूछने लगे तो मैंने कहा- यह तो कल
ही पता चलेगा।

सुनील और सुनीता बस पूछते रहे पर मैंने नहीं बताया।

खैर रात को हम सो गए, अगले दिन तो सुनीता अकड़ गई थी, उसकी इतनी ज्यादा
चुदाई पहली बार हुई थी।

शाम को सुशील का फोन आया- भाभी, मैं आ गया हूँ, क्या आदेश है मेरे लिए?
क्या करूँ क्या नहीं?

मैं- अरे सुशील, आ जाओ ना ! मैं कब से इन्तजार कर रही हूँ तुम्हारा !

सुशील- और रवि को..?

मैं- जरूर लेकर आओ ! और तुम्हारे लिए एक तोहफा भी है, शायद तुमको अच्छा
लगे, सब काम से निपट कर आना, बार बार जाने का काम मत रखना।

रात करीब आठ बजे सुशील आ गया। उस समय सुनील टीवी देख रहा था, उसने आते ही
सुनील से नमस्ते किया, सुनीता मेरे साथ रसोई में थी।

वो सीधा मेरे पास आया- भाभी, मैं आ गया !

ऐसा कहता हुआ आ ही रहा था कि सुनीता को देख कर ठिठक गया और नमस्ते भाभी
नमस्ते दीदी !

उसको लगा कि कोई मेरी ननद वगैरह कोई होगी।

सुशील- अच्छा भाभी, मैं यह कहने आया था कि कोई काम हो तो बोल देना, मैं आ
गया हूँ, और मैं अब चलता हूँ।

मैं- अरे सुशील, कहाँ जा रहे हो? रुको ! यह सुनीता है, मेरी सहेली ! और
तुम रवि को लेन वाले थे? क्या हुआ उसका?

सुशील- वो अब आएगा भाभी ! मैं उसको फोन करूँगा तब !

खाना बन चुका था, मैंने कहा- रवि को भी बुला लो, वो भी साथ खाना खा लेगा।
 
सुशील ने उसको फोन लगाया, उसने कहा आता हूँ ! पाँच मिनट में पहुच जाऊँगा,
तुम्हारे फोन का ही इन्तजार था।

सुनील और सुनीता कुछ नहीं समझे थे, तब तक सुनील ने मुझे अंदर आने का
इशारा किया, हम दोनों अंदर गए, उसने पूछा- यह कौन है? और सब क्या है?

मैंने कहा- यह भी हमारी राजदार है और तुम लोग इसको भी भोग सकते हो।

सुशील ख़ुशी से उछल पड़ा- सच भाभी?

और उसने मुझे ख़ुशी से चूम लिया। घंटी बजी, यह रवि ही था, सुशील ने दरवाजा
खोला, रवि अंदर आ गया, वह इतने सब लोग देख कर घबरा गया- नमस्ते भाभी !

बोल कर एक तरफ बैठ गया। सुनील रवि को देख रहा था, वो मेरी तरफ आश्चर्य से
देख रहा था। मैंने कुछ नहीं बोला।

सुशील ने परिचय कराया- यह रवि है मेरा दोस्त ! और ये सुनील भैया हैं, और
ये सुनीता दीदी हैं।

थोड़ी देर में ही रवि हम सबमें घुलमिल गया। रात के 9.30 बज चुके थे, टीवी
चल रहा था, कुछ मजेदार देखते हैं !

माहौल को सेक्स की तरफ ले जाने के लिए मैंने सेक्सी फिल्म लगा दी, सब मजे
से देखने लगे, सब गर्म होने लगे।

सुनील ने सुनीता के कबूतर दबा कर कहा- क्या हो रहा है सुनीता जी? क्या हाल है?

सुशील मेरे पास आ गया और मेरे साथ मजे लेने लगा। रवि बैठा सब देख रहा था,
उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो टीवी देख रहा था।

मैंने सुशील से कहा- रवि को बुला लो, बेचारा अकेला बैठा है।

रवि मेरे पास आ गया, मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया, वो पूरी तरह से कड़क
हो रहा था, मैंने कहा- वाह रवि बाबू ! बिन कुछ करे इतना कड़क?

रवि बोला- क्या करूँ भाभी ! सब कुछ देख देख कर मेरा हाल बुरा है, मैंने
आज से पहले ये सब नहीं देखा था।

सुनील ने अब तक सुनीता को उपर से नंगा कर दिया था, उसके दूध बाहर आ चुके
थे, उस पर सुशील की नजर पड़ गई, सुशील बोला- वाह क्या कबूतर हैं सुनीता जी
के !

मैंने कहा- छू कर देखो और मजा आएगा।

सुशील सुनीता के पास गया अब मैं और रवि रह गए थे। सुशील सुनीता के बूब्स
पर लग गया और रवि मेरे ! रवि मुझ पर मरता था, वो मुझे बेतहाशा चूम रहा था
और जोर जोर से मेरे बूब्स दबा रहा था, मुझे मजा आ रहा था।

सुशील और सुनील ने सुनीता के एक एक स्तन पकड़ रखा था और दोनों दबा रहे थे।

मैंने पूछा- क्यों सुनीता, कैसा लग रहा है?

सुनीता बोली- मजा आ रहा है यार ! ऐसा लग रहा है कि मैं किसी अंग्रेजी
फिल्म की हिरोइन हूँ।

अब सुनीता का हाथ सुशील के लिंग पर जा पहुँचा था, वो भी धीरे धीरे सुशील
को नंगा कर रही थी, उसने उसका लिंग बाहर निकाल लिया और सुनील खुद ही नंगा
हो गया। सुनील का ध्यान सुशील के लिंग पर गया, उसने उसके लिंग को छू
लिया, बोला- सुशील, क्या मजेदार लिंग है तुम्हारा !

और आगे पीछे करने लगा। सुशील को मजा आया वो बोला- सुनील भैया, आपने रवि
का नहीं देखा न इसलिए ऐसा कग रहे हो, एक बार उसका देख लोगे तो मजा आ
जायेगा !

इतना कहते ही मैंने रवि की पैंट खींच दी और रवि को नंगा कर दिया। अब सबका
ध्यान रवि के ऊपर गया। सुनीता सुशील-रवि दोनों का लिंग बारी बारी देख रही
थी, उससे रहा नहीं गया, उसने कहा- सबके लिंग अलग अलग तरह के होते हैं, यह
मुझे आज पता लगा। जब भी यह बात होती थी कि सबके साथ अलग अलग मजा आता है
तो मैं नादान नहीं समझ सकती थी। अगर सुरभि तू नहीं मिलाती तो !

सुनीता ने सुनील का लिंग मुँह में ले लिया, मैंने रवि का ! सुशील अकेला
था तो सुनील ने उसको पास बुलाया और सुनील ने सुशील का लिंग मुँह में ले
लिया। सब मजे कर रहे थे।

थोड़ी देरमें रवि से नहीं रहा गया, उसने कहा- प्लीज भाभी, मुझे आपकी चुदाई
करनी है, फिर जितना चाहे चूस लेना। मुझ से नहीं रहा जाता है अब और !

वो मेरे मुँह से हट कर जल्दी से मेरी चूत पर आ गया। उसका सात इंच लम्बा,
पतला, एकदम सीधा लिंग था, काफी सुंदर और आकर्षक ! कोई भी देख कर मुँह में
लेने का मन बना ले।

उसने अंदर डालते ही बस...
 
उसने अंदर डालते ही बस... चुदाई चालू कर दी उसके झटके काफी तेज थे जैसे
उसने कभी चूत देखी ही ना हो।

मैं झड़ने लगी- रवि ! आह ! मजा आ गया आह...

आह करती हुए मैं झड़ने लगी।

उधर सुनीता का हाल बुरा था, उसने कहा- तुम दो दो होते हुए भी मेरी चूत को
प्यासा छोड़ा हुआ है? कोई तो करो !

सुशील ने देर न करते हुए अंदर डाल दिया, सुनील ने सुनीता के मुँह में डाल
दिया, सब काम में व्यस्त थे, बस कमरे में आह उह्ह की आवाज आ रही थी, इतना
मोहक नजारा था कि कोई भी देख ले तो बिना कुछ करे ही उसका पानी निकल जाये।

थोड़ी देर में सुनीता आह की आवाज के साथ अकड़ गई और झड़ने लगी।

रवि के झटकों की गति और तेज हो गई, मैंने कहा- कोई भी कही नहीं निकलेगा !
सभी मेरे मुँह में ही अपना वीर्य डालेंगे।

रवि ने कहा- आह भाभी ! मैं आ रहा हूँ।और वो मेरे मुँह में आ गया और झड़ने
लगा। उसकी धार इतनी तेज थी कि मेरे गले तक जा पहुँची। क्या स्वाद था उसके
पानी का ! कह नहीं सकती।

उधर रवि झटके लगा रहा था, मेरा पूरा मुँह उसके वीर्य से भर गया, मैं मजे
से सारा का सारा गटक गई।

अब सुशील की बारी थी- मैं क्या करूँ भाभी?

मैंने कहा- आ जाओ मेरे राजा मेरे मुँह में !

वो भी आ गया और झटकों के साथ मेरे मुँह में वीर्य की बारिश करने लगा।
क्या स्वाद बन गया था अब रवि का और सुशील का मिल कर ! मजा आ रहा था।

उधर सुनील सुनीता के मुँह में झटके लगा रहा था, वो वहीं झड़ गया और सुनीता
ने भी सारा वीर्य गटक लिया और सुनीता और मैं मुँह से मुँह मिला कर एक
दूसरे को एक दूसरे के मुँह में रखे हुए वीर्य का स्वाद चखाने लगी।

थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से दौर शुरू हुआ, मैंने रवि का लिंग मुँह
में ले रखा था, थोड़ी देर में ही उसका खड़ा होने लगा। यह देख कर सुनीता ने
भी सुशील का लिंग मुँह में ले लिया और सुनील का हाथ से मैंने पकड़ लिया।

अब सुनील ने मेरी चूत में लिंग डाल दिया और आराम से लेट गया, बोला- आज
रात भर मैं यह एक ही दौर करूँगा।

थोड़ी देर में रवि ने सुनीता की चूत में लिंग डाल दिया और धीरे धीरे हिलने
लगा। सुशील का लिंग सुनीता के मुँह में था। फिर रवि सुनीता के मुँह में
पहुँच गया, सुशील मेरे पास आ गया। सुनील सुनीता की चूत में !

बस ऐसा ही चलता रहा, इसी खेल में करीब एक घंटा ही गुजर गया, सुनीता और
मैं तीन बार झड़ गए। अब बारी उन तीनों की थी, वो भी अब करीब आ चुके थे,
सुनील तो सुनीता की चूत में ही झड़ गया, सुशील और रवि दोनों का उबाल एक
साथ आया था तो सुशील सुनीता के मुँह में और रवि मेरे मुँह में झड़ने लगा।
हमने इस बार वीर्य अंदर नहीं गटका बल्कि एक दूसरे के मुँह में डाल कर
उसका मिक्स स्वाद बनाया और आधा आधा दोनों ने पी लिया।

आज मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था और इसका कारण था कि तीन अलग अलग
आकार के लिंग घुसे थे इस मेरी चूत में, जिनमें रवि का तूफान बहुत तेज था।

सुनीता का भी यही हाल था।

खैर हमने ऐसे 3 दिन मजा किया और फ़िर सुनीता अपने घर जाने की बात करने
लगी, उसने सबको धन्यवाद दिया, फ़िर दोबारा इस खेल में फिर शामिल होने का
वादा किया, उसके बाद सुनीता चली गई।

अब मैं अकेली और वो तीन शेर ! अभी विनोद को आने में पाँच दिन और थे तो
रवि सुशील और सुनील के साथ मैंने खूब मस्ती की। अब सारे लिंग मुझ अकेली
को ही झेलने थे।

सुनीता के जाते ही पहले तो हमने आराम किया फिर से सेक्स का खेल शुरू हो गया।

रवि और सुशील तो हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, हम सभी नंगे थे,
मैंने रवि का लिंग कड़क देख उसको छू लिया, वो मेरे बूब्स दबाने लगा। उधर
सुशील मेरी चूत चाटने लगा और सुनील ने अपना लिंग मेरे मुँह के हवाले कर
दिया।

रवि का लिंग सबसे बड़ा था तो मैंने कहा- चलो, मैं तुम तीनो के लिंग नापती हूँ।

मैंने इंच-टेप लिया और रवि का सात इंच, सुशील का लगभग साढ़े छः इंच और
सुनील का साढ़े पाँच इंच !

सुनील को शर्म आई।
 
Back
Top