Biwi ki Chudai किराए का पति - Page 2 - SexBaba
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Biwi ki Chudai किराए का पति

किराए का पति--5

गतान्क से आगे……………………………..

हनी मून उतना ही बकवास था जितना कि मेरी शादी. शादी से पहले ही मुझे बता दिया गया था कि मुझे क्या क्या करना है. मुझे अपना पार्ट इस तरह अदा करना है कि दुनिया और क़ानून यही समझे कि हम दोनो शादी शुदा जोड़े है. और शादी से खुश है.

"में जो कह रही हूँ राज तुम उसपर विश्वास तो नही करोगे, पर ये सच है कि ट्रस्ट के जो इंचार्ज है वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे ये साबित करने क़ी कि मेने वसीयत की हर शर्त पूरी नही की है. तुम्हे अपना रोल बखूबी निभाना होगा जिससे किसी को कोई भी शक़ ना होने पाए." सोनिया ने कहा.

"अगर तुम जो कह रही हो सच है तो वो लोग तुम्हारे पीछे जासूस भी छोड़ सकते है और तुम्हारा अमित के साथ इश्क़ भी उनकी नज़रों मे आ जाएगा," मेने कहा.

"अगर ट्रस्टीस को पता चल भी गया तो इस बात से कोई फरक नही पड़ता. पिताजी की वसीयत मे ऐसा कुछ नही लिखा कि में किसी दूसरे मर्द के साथ नही सो सकती. फिर भी अगर किसी ने इस को विषय बनाया तो में सॉफ कह दूँगी के ये सब झूठी अफवाह है और में अपने पति से बहोत प्यार करती हूँ.

फिर भी अगर बात नही बनी राज तो तुम्हे मेरा साथ देना होगा कि ये कहकर तुम मेरी हर ग़लती को माफ़ करते हो और मुझसे बहोत प्यार करते हो.

मेरी शादी की कहानी तो पहले ही लिखी जा चुकी थी. और कहानी के अनुसार ही में अपनी चन्द सालों की पत्नी सोनिया के साथ हनिमून सूयीट मे था और उसका प्रेमी अमित हमारे कमरे से थोड़ी ही दूर दूसरे कमरे मे था. मुझे अमित के कमरे मे सोना था और अमित सोनिया के साथ उसके कमरे मे.

सब कुछ पहले से तय था. मेरे हनिमून का मतलब था कि सोनिया ज़्यादा से ज़्यादा समय अमित के साथ बिता सके. सब कुछ जानते हुए में अपने साथ बहोत सारी किताबे ले आया था जिससे मेरा समय कट सके.

हर रात एक शादी शुदा जोड़े की तरह में और सोनिया किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे खाना खाने जाते और किसी पब मे जाकर नाचते जिससे लोगों की नज़र हम पर पड़ सके. जब होटेल वापस पहुँचते तो सीधे अपने कमरे मे जाते और जब रात को पॅसेज मे कोई नही होता तो में अमित के कमरे मे चला जाता और अमित सोनिया के कमरे मे आ जाता.

किसी दिन हम ऐसी जगह घूमने जाते जहाँ एकांत हो और अमित वहाँ पर सोनिया का इंतेज़ार करते हुए मिलता. में सोनिया को अमित के पास छोड़ पास मे ही कहीं टहल कर अपना समय व्यतीत करता.

ये सब कुछ तीन दिनो तक चला पर एक रात में हैरान रह गया. में अपने कमरे मे गहरी नींद सोया हुआ था कि अचानक सोनिया मेरे कमरे मे आ गयी और मेरे बगल मे आकर मेरे पास लेट गयी.

सोनिया मेरे पास लेटकर मेरे लंड से खेलने लगी. जब में नींद जागा तो उसने मुझे सीधा किया और मेरे चेहरे पर बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी.

"मेरी चूत को चूसो राज……..खूब जोरों से चूसो….आज अमित ने मेरी चूत नही चूसी…. अब एक अच्‍छे पति की तरह मेरी चूत को चूसो और चॅटो."

खैर में क्या करता, इसी काम के लिए तो मुझे किराए पर रखा गया था और वैसे भी में पहले से जानता था कि ये सब तो होना ही था. में जोरों से सोनिया की चूत को चूसने और चाटने लगा.

पता नही क्यों आज मुझे उतना मज़ा नही आ रहा था जितना कि मुझे अपनी सुहागरात को सोनिया की चूत चूसने मे आया था शायद इसलिए कि वो अभी अभी अमित से चुद्वा कर आ रही थी. मुझे उसकी चूत मे बिल्कुल नही आ रहा था.
 
हमारा पंद्रह दिन का हनिमून किसी भी विवाद के बिना ख़त्म हो गया. हम वापस घर आ गये. में हमेशा की तरह अपने काम पर जाने लगा. मुझे इस बात की परवाह नही थी कि मेरे स्टाफ मे सब लोग क्या कहेंगे कि मेने तरक्की के लिए कंपनी की बॉस से शादी कर ले. मुझे अपना काम पसंद था और में दिल लगा कर अपना काम करने लगा. सभी लोग मेरे काम की तारीफ भी किया करते थे.

कुछ नही बदला था, ना तो कंपनी का महॉल ना काम. सिर्फ़ बदला था तो मेरा कंपनी पहुँचने का तरीका. अब मे सोनिया के साथ उसकी गाड़ी मे ऑफीस पहुँचता. दोपहर को हम खाना साथ खाते और शाम को साथ ही घर पहुँचते. जब घर पहुँचते तो अमित वहाँ इंतेज़ार करते हुए मिलता.

हम तीनो साथ साथ खामोशी से खाना खत. मेने आज तक अमित से बात नही की थी, बल्कि सही कहूँ तो में उसे नज़रअंदाज़ सा ही करता था. खाने के बाद में अपने कमरे मे आ जाता या फिर स्टडी रूम मे चला जाता जहाँ मेने अपनी छोटी सी ऑफीस बनाई हुई थी. सोनिया अमित के साथ अपने कमरे मे चली जाती.

इसी तरह एक हफ़्ता गुज़र गया. अमित और मेरे बीच खामोश युध्ध सा चल रहा था. फिर एक दिन वही हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा था. उसने वही किया जो मेने पहले से सोच रखा था.

खाने के बाद जब सोने का समय हुआ तो उसने मुझे घूरते हुए कहा, "राज हम सोने जा रहे हैं, सुबह मिलेंगे. में तुम्हारी बीवी को उपर कमरे मे ले जा रहा हूँ और आज में उसकी चूत का बाज़ा बज़ा दूँगा. तुम्हे बुरा तो नही लगेगा ना?"

दूसरी सुबह ऑफीस जाते वक्त सोनिया ने मुझसे अमित के व्यवहार की लिए माफी माँगी.

"माफी माँगने की कोई बात नही है सोनिया, में तो ये सब पहले से ही जानता था. मेने जैसा सोचा था उसने वैसे ही व्यवहार किया मुझे कोई तकलीफ़ नही हुई. पर हां अब तुम दूसरा वादा पूरा करो जो तुमने किया था, मुझे भी अपनी सेक्सलिफ चाहिए."

"ठीक है ऑफीस पहुँचते ही में सब इंतेज़ाम कर दूँगी." सोनिया ने मेरा हाथ अपने हाथो मे लेते हुए कहा.

दोपहर को खाने खाते समय सोनिया ने मुझसे कहा, "राज सब तय हो चुक्का है, जिस लड़की को तुमने चुना था वो कल से आ सकती है. पर वो सिर्फ़ दिन मे ही आ सकती है इसलिए कल से तुम खाना घर पर खाना. ऑफीस मे बहाना बना दूँगी कि तुम किसी मीटिंग मे व्यस्त हो या फिर किसी क्लाइंट के साथ लंच पर गये हो. में बस ये चाहती हूँ कि ये सब एक राज़ रहे."

"लगता है मुझे भी कहानी सोच कर रखनी होगी, कहीं उस लड़की ने मुझसे ये पूछ लिया कि एक नई शादी शुदा पति को किराए की लड़की की क्या ज़रूरत पड़ गयी तो. अगर मेने उसे ये कहा कि तुम्हे मर्दों में कम और लड़कियों मे ज़्यादा दिल्स्चस्पि है तो कैसा रहेगा?'

मेरी बात सुनकर सोनिया हंस दी, "राज में तुमसे कहीं आगे हूँ. जिस दिन तुमने उस लड़की को चुना था मेने अगले दिन ही उससे मुलाकात कर ली थी. मेने उससे कहा था कि में अपने पति से बहोत प्यार करती हूँ पर किसी ख़ास बीमारी की वजह से में उनके साथ सेक्स नही कर सकती इसलिए मुझे उसकी मदद की ज़रूरत है. मेने उससे कहा कि मुझे पता है कि उसकी भी कुछ ज़रूरतें है जिसे में पूरा कर सकती हूँ."

सोनिया थोड़ा सा झुकी और मेरी जांघों को थप थपाते हुए कहा, "राज वो काफ़ी सुलझी हुई लड़की है और उसे उसके काम के लिए मेने मूँह माँगी कीमत दी है देखना मेरा पैसा व्यर्थ ना जाने पाए."

उस रात जब में सो चुका था तो सोनिया मेरे कमरे मे आई और मेरे लंड से खेलने लगी. में अपनी आँख मलते हुए उठा तो मेने उसे कहते सुना, "राज मेरी चूत बह रही है इसे चूसो राज ज़ोर ज़ोर से चूसो और मेरी चूत का सारा पानी पी जाओ."
 
दूसरे दिन में खाने के वक़्त घर पहुँचा तो मीनाक्षी सोफे पर बैठी कोई मॅगज़ीन पढ़ रही थी. जैसे ही में हॉल मे घुसा उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा, "राज तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"

"क्या तुम्हे पता नही?" मेने कहा.

"मुझे…..क्या पता नही." उसने सोफे पर से खड़े होते हुए पूछा.

"यही कि तुम्हे मेरे लिए ही बुलाया गया है."

"हे भगवान….. सही में अगर मुझे ये पहले पता होता तो में सोनिया मेडम का ऑफर कभी स्वीकार नही करती." मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा.

"क्या में इतना बुरा इंसान हूँ?"

"ये बात नही है राज, पर तुम मेरे पति के दोस्त हो. और मेने मेरे पति के लिए काफ़ी कुछ किया है, में नही चाहती कि बात हमारी शादी शुदा जिंदगी को बर्बाद करे." उसने जवाब दिया.

"देखो मीनाक्षी में तुम्हे सॉफ सॉफ बताता हूँ. में जब तुमसे पहली बार मिला था तभी से मेरे दिल मे तुम्हे चोद्ने की इच्छा थी. फिर जब मेने उस एस्कॉर्ट एजेन्सी के आल्बम मे तुम्हारी फोटो देखी तो मुझे लगा कि मेरी बरसों की तमन्ना अब पूरी होने वाली है. मेने इतनी सारी लड़कियों से सिर्फ़ तुम्हे चुना क्यों कि मुझे आज भी तुम उतनी ही पसंद हो. तुम्हे क्या लगता है कि में पागल हूँ जो तुम्हारे पति को बताउन्गा कि मेने उसकी बीवी को चोदा है." मेने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

"अगर ये बात है तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है." मीनाक्षी ने मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए कहा.

"तो फिर क्या इरादा है, पहले थोड़ा सा रोमॅन्स हो जाए या फिर सीधे मुद्दे पर आ जाएँ." मेने उसके होठों को चूमते हुए कहा.

"अगर रोमॅन्स हो तो मज़ा आ जाएगा मगर बाद मे. पहले में ये तो जान लू कि मुझे क्या क्या करना पड़ेगा." मीनेक्षी मेरे होठों को चूस्ते हुए बोली.

"अगर तुम्हे किसी खास चीज़ से परहेज़ है तो बता दो?'

"मुझे सिर्फ़ जनवरो वाले बर्ताव से परहेज़ या फिर उससे जिसमे दर्द हो वरना में हर चीज़ के लिए तय्यार हूँ." उसने हंसते हुए कहा.

"वैसे में भी एक साधारण इंसान हूँ, सेक्स मुझे अच्छा लगता है , ख़ास तौर पर लंड चूसवाने में और चूत चाटने मे और में उसका पूरा लुफ्ट उठाना चाहता हूँ.' मेने कहा.

"जो कुछ मेने सुना है उससे लगता है कि तुमने एक ग़लत लड़की से शादी कर ली है."

मीनाक्षी ने कहा.

"अब मेरी शादी के बारे मे क्या कहूँ, प्यार अँधा होता है. सोनिया ने मुझसे कहा था कि वो शादी तक कुँवारी रहना चाहती है, इसलिए शादी से पहले मेने उसके साथ कुछ नही किया. शादी से पहले मुझे उसकी बीमारी के बारे मे पता नही था. और जब पता चला तो में क्या कर सकता था, में उससे बहोत प्यार करता हूँ. अब वो अगर चाहती है कि में किसी और लड़की से जिस्मानी संबंध बनाऊ वो भी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की से तो में क्या कहता.

"अब तो आगे बढ़ो खड़े खड़े क्या कर रहे हो?" मीनाक्षी ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा.

मेने जैसा सोचा था मीनाक्षी वैसी ही निकली. हम पूरी दोपहर मेरे बेडरूम मे कबड्डी खेलते रहे. जिस तरह से उसने मेरा लंड चूसा था मुझे जिंदगी भर याद रहेगा. उसे अपनी गंद मराने में बहोत मज़ा आया. जब मेने एक बार और उसकी गंद मे अपना लंड घूसाना चाहा तो उसने कहा, "अब और नही राज मुझे देर हो रही है. उनके घर पहुँचने से पहले मुझे घर पहुँच कर उनके लिए खाना बनाना है."

"क्या तुम्हे नही लगता कि जब तुम रात को उसके साथ बिस्तर मे घुसोगी और जब वो अपना लंड तुम्हारी चूत मे डालेगा तो उसे पता नही लगेगा कि तुम क्या करके आ रही हो."

मेरी बात सुनकर मीनाक्षी हँसने लगी, "उसे कैसे पता लगेगा राज. जब से शादी हुई है तबसे उसे पता है कि वो अकेला मर्द है जिसने मुझे चोदा है. अब में जाउ और कल फिर आउ या फिर तुम्हारे फोन का इंतेज़ार करूँ?" मीनाक्षी ने कपड़े पहनते हुए कहा.

"तुम्हे कल फिर आना है मेरी जान……आज ही के वक्त." मेने उसे बाहों मे भरा और उसके होठ चूसने लगा.

मीनाक्षी ने भी थोड़ी देर तक मेरे होठों को चूसा और फिर विदा लेकर अपने घर चली गयी. में अपने दोस्त के बारे मे सोचने लगा कि उसे आज तक पता नही है कि उसकी पत्नी को दूसरे मर्दों से चुदने के लिए पैसे मिलते है और इधर में एक ऐसी औरत का पति हूँ जो मुझे उसे ना चोद्ने के पैसे देती है.

अगले नौ महीने तक ज़िंदगी ऐसे ही चलती रही. हफ्ते मे दो या फिर तीन बार मीनाक्षी मेरे घर आती और हम वो समय काफ़ी मे गुज़रते. सोनिया भी अक्सर रात को मेरे पास आ जाती और हर बार की तरह मुझे उसकी चूत चूसनी पड़ती. जिस दिन मीनाक्षी आकर गयी होती उस रात अगर सोनिया मेरे पास आती तो मुझे बिल्कुल भी मज़ा नही आता पर क्या करता वचन से जो बँधा होता था.

अमित हमेशा की तरह मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करता. कभी कभी तो मन मे आता की एक ज़ोर का मुक्का उसके मुँह पर उसका जबड़ा तोड़ दूं.

पता नही सोनिया को उस गधे मे ऐसा क्या दिखा था जो अपना सब कुछ उसपर न्योछावर कर रही थी.

क्रमशः…………………………………..
 
किराए का पति--6

गतान्क से आगे……………………………..

समाज मे सोनिया की शक्शियत की वजह से हमेशा समाज मे आना जाना पड़ता था. कभी किसी डिन्नर पर तो कभी किसी फंक्षन की पार्टी में. में एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था. पर इस दौरान मेने देखा कि कुछ ख़ास लोग हैं जो मुझे अक्सर दीखाई देते थे. हम जहाँ भी जाते वो वहीं पर होता था.

एक रात एक चारिटबल फंक्षन मे मेने फिर एक ऐसे शक्श को देख जो मुझे पहले भी कई बार दीख चुका था. जब सोनिया वॉश रूम की ओर जाने के लिए उठी तो में भी उठा और उसे अपनी बाहों मे भर कर उसके होठ चूमने लगा और धीरे से उसके कान मे फुसफुसाया, "देखो मेरी इस हरकत पर गुस्सा मत होना, मेरी पीठ की ओर देखो और मुझे बताओ कि टेबल नंबर तीन पर जो आदमी बैठा है क्या तुम उसे जानती हो?"

मेने जैसे कहा सोनिया ने वैसा ही किया और कहा, "हां में जानती हूँ वो राजदीप मिश्रा है."

"कौन है वो?" मेने पूछा.

"वो उस ट्रस्ट का चेअरमेन है जिसके नाम मेरी वसीयत है." सोनिया ने जवाब दिया.

"मुझसे ऐसे ही चीपकि रहो और ऐसे बिहेव करो कि तुमने कुछ देखा ही नही." मेने सोनिया से कहा.

सोनिया मुझसे जोरों से चीपक गयी और मुझे बाहों मे भर मेरी पीठ सहलाने लगी. उसकी इस हरकत से मेरा लंड तन गया और उसकी कॉटन की जीन्स के उपर से उसकी चूत छूने लगा.

शायद सोनिया को भी मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया और उसने मेरी आँखो मे देखते हुए कहा, "क्या मेरी वजह से ऐसे तन कर खड़ा है."

"तुम्हारी यही अदा से तो ये हमेशा ही तन कर खड़ा हो जाता है, पर इस समय इन सब बातों का नही है, मेरे हाथ मे हाथ डाले बाहर की ओर बढ़ो फिर में तुम्हे समझाता हूँ." मेने उसका हाथ पकड़ा और दरवाज़े की ओर चल पड़ा.

बाहर आकर मेने उसे समझाया कि किस तरह ये राजदीप मिश्रा हमारा हर जगह पीछा कर रहा है. मेने सोनिया से कहा, "सोनिया शायद ये राजदीप हमारी शादी मे कोई नुक्ष निकालने की कोशिश कर रहा है. में तो अपना रोल अच्छी तरह से नीभा रहा हूँ, पर शायद तुम्हारा मेरे प्रति व्यवहार से ये कुछ हासिल करने मे कामयाब हो जाए. इसलिए तुम्हारे भले की लिए कह रहा हूँ कि एक आदर्श पत्नी की तरह समाज के सामने तुम भी पेश आओ तब तक कि जब तक हमारी शादी और हनिमून को दो तीन साल नही हो जाते."

मेने अपनी पॅंट के बटन खोले और अपने लंड को बाहर निकाल मसल्ने लगा.

"ये तुम क्या कर रहे हो, कहीं तुम पागल तो नही हो गये हो?" सोनिया लगभग चिल्लाते हुए बोली.

सोनिया मुझे देखती रही, मेने अपने लंड को थोड़ी देर मसला और उसे फिर अपनी पॅंट के अंदर डाल दिया और सोनिया से कहा, "में अपना पार्ट अदा कर रहा हूँ." मेने अपनी पॅंट की ज़िप बंद नही की, "हम वापस अंदर जा रहे है. तुम भी मेरे हाथ पकड़े अपनी ब्रा के स्ट्रॅप्स को दुरुस्त करने का बहाना करते हुए अंदर चालॉंगी. मुझे विश्वास है कि वो राजदीप की आँखे हम पर ही गढ़ी होगी, इसलिए जब वो हमे इस हाल मे देखेगा तो यही समझेगा कि एक पत्नी अपने पति की इच्छा बाथरूम मे पूरी करके लौट रही है."
 
मेरा विश्वास सही निकाला वो राजदीप हमे ही घूर रहा था जब हम अंदर घुसे. सोनिया ने भी इस बात को महसूस किया और वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी. रात मे घर लौटते वक़्त उसने पूछा, "क्या इन लोगो की नज़रों मे में आज भी शक की निगाह पर हूँ?"

"मुझे पता नही सोनी हो सकता हो कि ये इत्तफ़ाक़ भी हो पर हमे सावधान रहना होगा." मेने जवाब दिया.

उसने अजीब सी निगाहों से मेरी ओर देखा, "तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?"

"क्या"

"सोनी, तुमने मुझे सोनी कहकर क्यों पुकारा?" उसने पूछा.

"ऐसे ही कोशिश कर रहा था." मेने जवाब दिया.

"पर क्यों?"

"इसलिए कि हम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. और जब पति पत्नी इतना प्यार करते है तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते है. आज के बाद पब्लिक मे में तुम्हे इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि में तुमसे सही मे बहोत प्यार करता हूँ.

सोनिया मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, "तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हे बरसों से...."

"किस बात के बारे मे कह रही हो?" मेने उससे पूछा.

"वही जब टाय्लेट के बाहर तुम अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कही थी." सोनिया ने जवाब दिया.

"ओह..... अछा उसके बारे मे पूछ रही हो." मेने थोड़ा हंसते हुए कहा.

"हां उसी के बारे मे....तुम्हारा मतलब क्या था?"

"यही की तुम इतनी सुन्दर हो और हर उस मर्द की तरह जो तुम्हारे लिए काम करता है तुम्हे पाने की कामना ज़रूर रखता है." मेने जवाब दिया.

"कहीं मेरा मज़ाक तो नही उड़ा रहे हो?" सोनिया ने थोड़ा सोचते हुए कहा.

"में मज़ाक नही कर रहा ये तुमने देख ही लिया है, अब हक़ीक़त को अपनाना सीखो." मेने कहा.

बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा.

जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतेज़ार कर रहा था. वो और सोनिया डिन्निंग रूम मे बने बार की तरफ बढ़ गये और में अपने कमरे की तरफ. जब में चादर ओढ़ सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक़्त अमित और सोनिया ने मेरे कमरे मे कदम रखा.

"राज थोड़ा खिस्को और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिए थोड़ी जगह बनाओ... तुम्हारी बीवी अपनी चूत चूसवाना चाहती है और में तुम्हे ये करते हुए देखना चाहता हूँ. तुम्हे नियम तो याद है ना?" अमित ने हंसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता है कि में तो सिर्फ़ किराए का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है.

खैर मुझे कांट्रॅक्ट के हिसाब से सारे नीयम याद थे. मेने उन दोनो के लिए थोड़ी जगह बनाई और बिस्तर के बगल मे बने नाइट्स्टॉंड से अपनी कीताब उठा ली जो में उन दोनो के आने के पहले में पढ़ रहा था. में जानबूझ कर उन्हे नही देख रहा था और अंजान बना अपनी कीताब पढ़ने लगा.

बड़ी मुश्किल से में अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो सोनिया को नंगी देख और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तन्ता जा रहा था.

अमित जब अपने काम से फारिग हुआ तो सोनिया के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए कहा "अब ये तुम्हारी है."

में खिसकते हुए सोनिया के पास आ गया अपना चेहरा सोनिया की जांघों के बीच दे दिया. शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था. मेने सोनिया की जांघों को फैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. जैसे ही मेरे जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

में हुचक हुचक कर उसकी चूत को पिए जा रहा था और वो अपनी कमर उचका अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, 'ओह राजा मज़ाअ एयेए गया ओह हां चूसो आज खा जाआओ मेरी चूओत ऑश मैं तो गाइिईई." ज़ोर से सिसकते हुए चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया.

सोनिया ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, "बस राज अब और नही."

में एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी कीताब पढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद वो दोनो मेरे कमरे से चले गये और में लाइट बुझा गहरी नींद मे सो गया.

वो पहली और आखरी रात थी कि अमित ने सोनिया को मेरे सामने चोदा हो साथ ही उसके लिए वो पहली और आखरी रात थी कि मेने उसके सामने सोनिया की चूत को चूसा हो. शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नही दीखा पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दीखा दिया, की सोनिया इतनी जोर्र से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी.

पर में उसे ये बता भी तो नही सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि सोनिया इतनी जोरों से झड़ी थी शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी.

और छह महीने इसी तरह गुज़र गया. किसी चीज़ मे कोई परिवर्तन नही आया सिर्फ़ इस बात के की अब सोनिया पहले से ज़्यादा रातों को मेरे कमरे मे आने लगी..

पहले तो सोनिया हफ्ते मे दो या तीन दिन आती थी किंतु अब तो लगभग हर रात आने लगी. उसके स्वाभाव मे भी थोड़ा परिवर्तन आ गया. पहले वो मेरे लंड को झटके देकर मुझे उठाती थी और फिर मेरे चेरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती थी. पर अब मुझे उठाने के बजाए वो तब तक मेरे लंड को मसल्ति जब तक मेरी नींद खूदबा खुद ना खूल जाती.

अब अक्सर ऐसा होने लगा वो रात को को मेरे कमरे मे आती और मेरे लंड को तब तक मसल्ति रहती और जब तक मेरा लंड पानी ना छोड़ देता तो मेरे चेहरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती.
 
समय इसी तरह गुज़रता रहा. मीनाक्षी हफ्ते मे तीन और कभी चार दिन के लिए आती. मीनाक्षी खुद इतनी कामुक थी की जब भी आती मुझे निचोड़ कर रख देती थी. मुझसे कई बार सोनिया ने पूछा कि मुझे दूसरी लड़की चाहिए तो हर बार मेने मना कर दिया. पता नही मीनाक्षी में ऐसी क्या बात थी.

कभी तो मुझे लगता कि सोनिया शायद मीनाक्षी से जलने लगी है और मुझे चिडाने के लिए ऐसा पूछ रही है, कि उसका पति एक दूसरी लड़की के साथ इतने मज़े कर रहा है.

गुज़रते के वक़्त के साथ हम सभी को ये एहसास दिलाने मे कामयाब होते गये कि हमारी शादी शुदा ज़िंदगी काफ़ी अच्छी गुज़र रही है. मेने कई बार राजदीप मिश्रा को हमारे आस पास घूमते देखा. पर मुझे उसे देख कर एक अंजान सा भय दिमाग़ मे आता. में जब भी उसे देखता तो मुझे ऐसा लगता कि वो कुछ और फ़िराग में है. उसका मकसद हम पर नज़र रखने का नही बल्कि वो कुछ और चाहता है.

फिर एक दिन मेरा शक़ यकीन मे बदल गया......

जो मेने सोचा था ठीक वैसा ही हो रहा था. मेरा शक़ यकीन मे बदलने लगा. इस यकीन के कई कारण थे. पहले तो मुझे लगा कि ये सब अलग अलग घटनाए है पर बाद मे एहसास हुआ कि ये सब एक ही जंजीर की कड़ी है.

शुरुआत कुछ इस तरह हुई. जब भी में घर पर सोनिया और अमित के साथ होता तो में अमित को नज़र अंदाज़ करने लगा. पर एक ही छत के नीचे साथ साथ रहते हुए तुम ज़्यादा दिन तक किसी को नज़र अंदाज़ नही कर सकते.

ऐसी ही रात की बात है, में स्टडी रूम मे कंप्यूटर पर गेम खेल रहा था. स्टडी रूम किचन और डिन्निंग रूम के साथ ही सटा हुआ है. सोनिया और अमित डिन्निंग टेबल पर बैठे हुए थे और ऐसा हो नही सकता कि उन दोनो को मेरे स्टडी रूम मे होने की खबर ना हो.

दोनो किसी बात पर बहस कर रहे थे. बहस करते करते उन दोनो की आवाज़ें इतनी ज़ोर से हो गयी कि मुझे स्टडी रूम मे सॉफ सुनाई दे रहा था. अमित चाहता था कि सोनिया का पैसे का मामला सलटने के बाद वो मुझे तलाक़ देकर उससे शादी कर ले.

पर सोनिया कह रही थी कि वो अमित से किसी हाल मे भी शादी नही कर सकती चाहे वो मुझे तलाक़ दे या ना दे. सोनिया की बात सुनकर जितना में चौंका था उतना ही झटका अमित को भी लगा था. वो इसी उम्मीद मे बैठा था कि भविश्य मे सोनिया उससे शादी करेगी. उसका कहना था कि इससे उसकी समाज और सोसाइटी मे इज़्ज़त पे धब्बा लगेगा. इसका बाद क्या हुआ मुझे पता नही क्यों कि अमित गुस्से मे पैर पटकता हुआ घर से बाहर चला गया.

दूसरी घटना करीब एक महीने बाद घटी. हमेशा की तरह एक दोपहर जब में मीनाक्षी को चोद कर हटा था. आज मेने उसके तीनो छेदों की जम कर चुदाई की थी.

"राज तुम्हे पता है, मुझे तुमसे चुद्वाकर बहोत मज़ा आता है. हालाँकि में अपने पति से तकरीबन रोज़ ही चुदवाती हूँ पर पता नही तुम्हारे साथ मे हद से ज़्यादा उत्तेजित हो जाती हूँ और मुझे मज़ा भी बहोत आता है. पर में ये काम सिर्फ़ पैसों के लिए कर रही हूँ." मीनाक्षी ने मुझसे कहा.

मीनाक्षी की बात सुनकर मेरे मन को दुख हुआ, "ये कह तुमने मेरा दिल दुखाया है मीनाक्षी, में तो यही समझ रहा था कि तुम मेरे व्यक्तिक्त्व को देख कर तुम मेरे साथ हो." मेने कहा.

मेरी बात सुनकर मीनाक्षी हँसने लगी, "तुम बेवकूफ़ हो राज. क्या तुम मुझे पागल समझते हो. में यहाँ सिर्फ़ पैसे के लिए हूँ ना कि प्यार या किसी और वजह से. राज तुम्हारी बीवी की ये कहानी की वो बीमारी की वजह से तुम्हारी काम इच्छा पूरी नही कर सकती किसी और को बेवकूफ़ बना सकती है मुझे नही. मेने तुम्हारी बीवी सोनिया को उस बंदर अमित के साथ कई बार होटेल्स मे जाते देखा है. तुम दोनो जो दुनिया के जताना चाहते हो में सब समझती हूँ. राज हमे इस विषय पर बात करनी होगी."

अगली घटना एक हफ्ते बाद हुई जब मुझे राजदीप मिश्रा का फोन आया कि वो मेरे साथ खाना खाना चाहता है.

जब में राजदीप को खाने पर मिला तो सीधा मुद्दे के बात पर आ गया.

"राज में कई महीनो इस शक मे था कि तुम्हारी और सोनिया की शादी एक दिखावा है जिससे वो ट्रस्ट से पैसा हासिल कर सके. हमेशा से मुझे यही लग रहा था कि सोनिया ने तुम्हे पैसे देकर खरीदा है और तुम उसके किराए के पति हो. आज मेरा शक यकीन मे बदल गया है. मेरा पास पक्का सबूत है कि सोनिया ने तुम्हे 50 लाख रुपये दिए हैं उसका पति बनने के लिए."

में कुछ कहने ही जा रहा था कि उसने मेरी बात बीच मे ही काट दी.

क्रमशः…………………………………..
 
किराए का पति--7

गतान्क से आगे……………………………..

"राज अब इनकार करने की कोशिश मत करना क्यों कि में तुम्हारा यकीन नही करूँगा. मेरा पक्का सबूत और गवाह है जो कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दे सकता है कि तुम्हारी शादी सोनिया वेर्मा के साथ नकली है और वो वेर्मा फाउंडेशन के पैसे हासिल करना चाहती है. में तुमसे सिर्फ़ इसलिए मिल रहा हूँ कि तुम मेरे लिए गवाही दो." राजदीप ने कहा.

"में कुछ समझा नही आप क्या कहना चाहते है?" मेने कहा.

"अब इतने भी बेवकूफ़ मत बनो राज, तुम कोई दूध पीते बच्चे नही हो. मेरे गवाह को 50 लाख चाहिए कोर्ट मे गवाही देने के नाम के. में जानता हूँ कि उसकी गवाही हमारा ट्रस्ट कोर्ट मे केस जीत जायगा पर में कोई चान्स नही लेना चाहता. अगर तुम कोर्ट मे सोनिया के खिलाफ गवाही दोगे तो हमारी जीत पक्की है. उस गवाह को 50 लाख देने से अच्छा 1 करोड़ तुम्हे देने को तय्यार हूँ." राजदीप ने कहा.

"राजदीप तुम ये कहना चाहते हो कि 1 करोड़ के बदले में कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दूं कि सोनिया के साथ मेरी शादी नकली है"

मेने कहा.

"हां मेरे कहने का मतलब यही है." राजदीप ने कहा.

"फिर तो मुझे अफ़सोस के साथ कहना होगा कि तुम्हारी सोच ग़लत है. में कोर्ट मे गीता पर हाथ रख कर झूठी कसम नही खा सकता क्यों कि में जानता हूँ की में सोनिया से प्यार करता हूँ और हमारी शादी असली है." ये कहकर में राजदीप वहीं छोड़ वहाँ से चला आया.

तीन हफ्ते बाद फाउंडेशन और ट्रस्ट्स ने सोनिया पर केस कर दिया.

"हे भगवान अब में क्या करूँगी?" सोनिया ने उस दिन मुझसे कहा.

"इसमे डरने वाली क्या बात है. मेरी सलाह मानो तो किसी अच्छे वकील को कर लो उनसे कोर्ट मे केस लाडो. जब तक केस की तारीख नही पड़ती तब तक कोशिश करो कि तुम गर्भवती हो जाओ." मेने सोनिया से कहा.

"तुम्हारा मतलब है कि प्रेग्नेंट, तुम्हारा दिमाग़ तो नही खराब हो गया है, इस मुसीबत की घड़ी मे तुम मुझे प्रेगञेन्ट होने के लिए कह रहे हो." सोनिया झल्लाते हुए बोली.

"इसमे दिमाग़ खराब होने वाली क्या बात है, वैसे भी तुम्हारे पिताजी की वसीयत के अनुसार तुम्हे मा तो बनना ही पड़ेगा." मेने कहा.

"पर मेने तो सोचा था कि अगर पाँच साल का वक़्त है मेरे पास."

"समय और परिस्थितियाँ बदल जाती है सोनी" मेने कहा.

"नही राज ये नही हो सकता, में अभी मा नही बनना चाहती."

"मेरी बात पर गौर करना सोनी. माना तुम्हारी क़ानूनी मैरिज सर्टिफिकेट, हज़ारों लोग जिन्होने हमारी शादी अटेंड की थी उनकी गवाही भी है. फिर भी तुम कोर्ट मे ये साबित नही कर पाओगी की हमारी शादी जायज़ है. कोर्ट हम दोनो की बात पर यकीन नही करेगा क्यों कि बॅंक मेरे नाम से जमा पैसा तुम्हारी हर बात को झूटला देगा." मेने कहा.

सोनिया मेरी बात सुनती रही.

"सोनी ये तुम्हारा पैसा है और तुम्हे ही फ़ैसला करना है. अगर तुम प्रेगञेन्ट हो गयी तो कोई भी तुम्हारी शादी को झूटला नही सकेगा. ज़्यादा से ज़्यादा ट्रस्ट वाले ये दावा करेंगे कि ये मेरा बच्चा नही है तो में कह दूँगा को वो हमारा डीयेने टेस्ट करा सकते है." मेने कहा.

"तुम्हे सिर्फ़ इतना करना होगा कि हम इस तरह से सब कुछ प्लान करें कि किसी को इस बात की हवा तक ना लगे यहाँ तक कि अमित को भी नही. क्यों कि में उस इंसान पर विश्वास नही करता. तुम ऐसा क्यों नही करती तुम्हारी माहवारी के दस दिन पहले तुम किसी बिज़्नेस ट्रिप के लिए सहर से बाहर चली जाओ और तीन दिन बाद में तुम्हे वहाँ मिल जाउ."

"पता नही राज जो तुम कह रहे वो सही है कि ग़लत. मुझे पता है कि मुझे मा बनना है, पर में हमेशा यही सोचती रही कि इस काम के लिए अभी मेरे पास वक्त है."

"फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है सोनी." मेने कहा.
 
में भी कितना बेवकूफ़ था, पर क्या करता हर इंसान इस दौर से गुज़रता है और जिंदगी मे उसे किसी ना किसी से प्यार हो जाता है. और मुझे भी प्यार हो गया वो भी अपनी उस बीवी से जो मुझे पाँच साल बाद तलाक़ देने वाली है.

सोनिया को मेरी बात पसंद आ गयी. उसने मेरी बात मानकर अमित को भी कुछ नही बताया. अमित को कुछ ना बताने का मेरा कुछ कारण था जो में फिलहाल सोनिया को नही बता सकता था. सोनिया ने अमित को सिर्फ़ इतना बताया कि वो बिज़्नेस के सिलसिले मे बंगलोर जा रही है. अगले दिन वो बंगलोर के लिए रवाना हो गयी. और उसके दूसरे दिन उसने वहाँ से हयदेराबाद की फ्लाइट पकड़ ली. में भी बिज़्नेस का बहाना बना हैदराबाद पहुँच गया.

अगले छह दिन हमने खूब मस्ती मे गुज़ारे. दिन मे साथ साथ स्विम्मिंग पूल मे नहाते और रात को नाइट क्लब या फिर किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे बैठ खाना ख़ाता. और फिर होटेल के कमरे मे पहुँच जम कर चुदाई करते. सोनिया ने वैसे तो चुदाई के वक़्त मेरा भरपूर साथ दिया लेकिन में ये जानता था कि वो सिर्फ़ मा बनने के लिए वो भी अपने बाप की वसीयत की शर्त पूरी करने के लिए कर रही है. मुझे ये भी पता था कि वो अंदर ही अंदर शर्मन्द्गि महसूस कर रही है कि वो ये सब अमित से छुपा कर रही है.

इतना सब कुछ जानने के बाद फिर भी एक बात थी जो उसे बहोत पसंद थी. वो था मेरा उसकी चूत को चूसना और चाटना. जब भी में उसकी फूली फूली चूत को अपने मुँह मे भर अपनी जीब अंदर तक घुसाता वो इतने जोरों से सिसकती, "ओह राज हाां ख़ाा जाओ मेरी चूओत को ऑश हाा ऐसे अपनी जीएब और अंदर तक घुसाआओ ओह हाा."

ऐसा नही था कि उसे चुदाई मे मज़ा नही आता था, कई बार तो खुद वो मुझ पर चढ़ मेरे लंड को अपनी चूत मे लेती और उछल उछल कर चुदाई करती. जब में अपने लंड का पानी उसकी चूत मे छोड़ने के बाद उसकी चूत को चूस्ता तो वो पागल सी हो जाती. खैर मुझे इतना पता था कि वो मुझे प्यार करे या ना करे पर उसने मेरे दिल, दिमाग़ और आत्मा पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

छह ही दिन थे जो हम ऑफीस से बाहर रह सकते थे. पर घर पहुँच कर भी चुदाई जारी तो रखनी थी. घर पर हम कर नही सकते थे, कारण वहाँ अमित होता था. इसलिए हम ऑफीस मे सबके चले जाने के बाद करते.

शाम को सबके चले जाने के बाद या तो उसकी ऑफीस मे उसकी मेज़ पर और नही तो कभी मेरी मेज़ पर. एक बात थी सोनिया को कुतिया बन कर चुदने मे बड़ा मज़ा आता. जब में उसकी गोल गोल चुतडो पर थप्पड़ मारते हुए धक्के मारता तो इतनी जोरों से सिसकती, "ऑश राज हां और ज़ोर से मारो ऑश हाआँ ऐसे ही मारो और ज़ोर ज़ोर से चोदो ओह हाां."

हमारी ये चुदाई तब तक चलती रही जब तक की सोनिया ने मुझे ये ना बताया कि वो मा बनने वाली है.

ये खबर सुनकर तो एक बार में सोच में पड़ गया. कहाँ तो मेने सोनिया से शुरुआत मे ये कहा था की शायद पाँच साल ख़तम होते तक में उससे बेइन्ताह नफ़रत करने लगूंगा पर मुझे ये उम्मीद नही थी कि होगा ठीक मेरी सोच के विपरीत. आज में उससे नफ़रत करने के बजाई उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था. में उसकी भलाई के लिए क्या क्या कर रहा हूँ वो में उसे अभी बता नही सकता था. नही में उसे ये बता सकता था कि मेने ऐसा किया तो क्यों किया.

जिस रात उसने मुझे ये बताया कि वो मा बानने वाली है दूसरे दिन शाम को में एक बड़ा सा फूलों का गुलदस्ता और एक शैम्पियन की बॉटल लेकर उसकी ऑफीस मे पहुँच गया. पहले तो उसके गालो को चूम कर उसे बधाई दी और फिर शैम्पियन की बॉटल खोल दो ग्लास मे डाल दी. एक दूसरे को चियर्स कर हम पीने लगे.

हम लोग बातें करते हुए तब तक चंपने पीते रहे जब तक की बॉटल ख़तम ना हो गयी. मेने देखा कि सोनिया को नशा होने लगा है तो में उसे सहारा देते हुए ऑफीस से बाहर ले आया. जब तक कि में उसे गाड़ी मे बिठाता वो नशे मे बेहोश सी हो गयी थी.

मेने अपने ड्राइवर संजय से हमे होटेल ताज महल पे छोड़ने को कहा और उसे फिर रात के लिए छुट्टी दे दी. में सोनिया को सहारा देते हुए लिफ्ट से उपर आठवीं मंज़िल के सूयीट मे ले आया.

मेने सूयीट का दरवाज़ा खटखटाया तो उसे मेरे चचेरे भाई रमेश ने खोला. रमेश एक लंबा चौड़ा कसरती बदन का मालिक था. आज मेने उसे एक स्पेशल काम लिए बुलाया था.
 
अगले पाँच घंटे तक में कमरे में घूम घूम कर तस्वीरे लेता रहा और रमेश और उसके तीन दोस्त मिलकर सोनिया की जम कर चुदाई करते रहे. चार मर्द मिलकर एक औरत का जितनी बुरी तरह से इस्तमाल कर सकते थे करते रहे. मेने करीब एक दर्जन तस्वीरे खींची. एक तस्वीर तो ऐसी थी जिसमे तीन मर्द एक साथ सोनिया के तीनो छेदो की चुदाई कर रहे थे.

बेहोशी सी हालत मे सोनिया भी मज़े लेकर उन सभी से चुद्वा रही थी. जब भी उनके लंड ढीले पड़ते सोनिया उस लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश करती.

करीब पाँच घंटे के बाद जब रमेश और उसके दोस्त जाने लगे तो रमेश ने मुझसे कहा, "राज मुझे उमीद है कि तुम्हारा काम हो गया. वैसे तुमने बताया था कि तुम ये सब क्यों कर रहे हो, और ये पहली और आखरी बार है. लेकिन अगर फिर भी मेडम को मज़ा आया हो तो मुझे याद कर लेना."

सोनिया अभी भी उत्तेजना मे सिसक रही थी शायद उसकी प्यास बुझी नही थी. वो ज़मीन पर घिसटती हुई मेरे पास आई और मेरी पॅंट की ज़िप खोलने की कोशिश की पर मेने उसे परे धकेल दिया. ऐसा नही था कि में उत्तेजित नही था. पर में सोनिया को प्यार करना चाहता था जैसे एक प्रेमी करता है, पर उसे इस हालत में चोद्ना नही चाहता था. अगर में ऐसा करता तो ये उसके साथ ग़लत होता. मेने उसे अपनी गोद मे उठाया और लेजा कर उसे बिस्तर पर लीटा दिया. फिर उसे अपनी बाहों भर उसे अपने से जोरों से चिपका लिया. थोड़ी ही देर मे सोनिया गहरी नींद मे सो गयी.

नींद मे किसी ने मुझे जोरों से मारा तो दर्द के मारे नींद खुल गयी. मेने आँख खोली तो देखा कि सोनिया साइड के टेबल लॅंप से मुझे फिर एक बार मारने जा रही है, में जल्दी से बिस्तर के नीचे लुढ़क गया. जैसे ही उठ कर खड़ा होने लगा सोनिया एक बार फिर मुझे मारने दौड़ी, पर मेने उसके हाथों को पकड़ टेबल लॅंप छीन कर फैंक दिया.

मेने सोनिया से ये नही पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रही है, क्यों कि में उसके गुस्से का कारण जानता था. और जो मेने उसके साथ किया उसके लिए उसका गुस्सा होना लाज़िम था. मेने उसे कंधों से पकड़ना चाहा तो उसने अपने घूटने को ज़ोर से मेरे लंड पर दे मारा, में दर्द मे बिलखता हुआ बिस्तर पर जा गिरा.

मेने देखा कि सोनिया ने अपने पर्स से कुछ निकाला और मुझ पर चढ़ गयी. उसने अपने आपको 69 की अवस्था मे करते हुए अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी.

"साले कुत्ते हरामी की औलाद आज इसमे जो कुछ भरा है सब तुम्हारी वजह से है. अब तुम ही इसे चूस चूस कर इसमे जो माल भरा है वो बाहर निकालोगे वरना आज में तुम्हारे लंड के टुकड़े टुकड़े कर दूँगी. " इतना कहकर उसने जोरों से मेरे लंड को पकड़ा और एक चाकू उससे लगा दिया.

उसका गुस्सा देख मेरे पास भी कोई चारा या उपाय नही था, उसका जनून देख यही लग रहा था कि अगर मेने उसकी बात नही मानी तो सचमुच मेरे लंड को काट देगी.

अपने लंड की दुर्गति से बचने के लिए मेने उसकी चूत को मुँह मे ले चूसने लगा. अपनी घबराहट में मुझे ये भी पता नही लगा कि कब सोनिया ने अपना हाथ और चाकू मेरे लंड से हटाया और उत्तेजना मे सिसकने लगी. मुझे एहसास तब हुआ जब उसकी चूत पानी पर पानी छोड़ने लगी.

मेने भी सोचा कि जो कुछ मेने उसके साथ किया है, उसकी एवज मे चूत चूसना तो सबसे कम सज़ा है. में और जोरों से उसकी चूत चूस्ता रहा, आख़िर सोनिया थक गयी और निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी.

में बिस्तर से उठा और कपड़े पहन तुरंत कमरे से बाहर निकल गया. आज शनिवार था और दो दिन की छुट्टी थी इसलिए मेने होटेल के बाहर एक टॅक्सी पकड़ी और पास ही के होटेल मे दो दिन के लिया कमरा बुक कर लिया. दो दिन तो मुझे सोनिया का सामना नही करना था इसलिए में कमरे मे आ गया.

मेरे पास दो दिन का समय था सोचने के लिए कि जो कुछ भी हुआ उसके बाद में सोनिया का सामना कैसे करूँ. हक़ीकत में उसे बता नही सकता था कि मेने ये सब उसकी भलाई के लिए किया है, और अगर बताता भी तो शायद उसे मेरी बात पर यकीन नही आता. इसलिए मुझे कोई उपाय सोचना था कि बिना हक़ीकत बताए में उसका सामना कैसे करूँ.
 
सोमवार की सुबह में सोनिया का सामना करने से बच गया. सोनिया अभी तक ऑफीस मे आई नही थी. और जब वो आई तो उसने मुझसे बात करने की ज़रूरत महसूस नही की. मेने भी यही सोचा कि फिलहाल में उससे जितना दूर रहूं अच्छा है, इसलिए में अपने होटेल मे गया और दो और दिन के लिए अपने को बुक कर लिया.

अगले दिन सुबह सोनिया ने मुझे फोन किया, "कहाँ हो तुम?"

"एक होटेल मे ठहरा हुआ हूँ." मेने जवाब दिया.

"नही ऐसे चलने वाला नही है. कोर्ट की तारीख पड़ने वाली है, हम इस तरह अलग अलग नही रह सकते. में ऑपोसिशन वालों को बात बनाने का कोई मौका देना नही चाहती. वैसे तो जो तुमने किया उसके बाद में तुम्हारी शक्ल भी देखना नही चाहती, पर आज मुझे तुम्हारी ज़रूरत है. जब तक केस ख़तम नही हो जाता हमे समाज के सामने एक प्यार मे डूबे पति पत्नी की तरह रहना होगा. हां एक बात याद रखना जब भी हम अकेले हो तो मेरे पास भी मत फटकना और अपनी मनहूस सूरत मुझे मत दीखाना." कहकर उसने जोरों से फोन पटक दिया.

हालातों को देखते हुए मेरे पास और कोई चारा नही था. मेने सोनिया की बात मान ली पर में ज़्यादा से ज़्यादा वक्त घर के बाहर बिताता. सिर्फ़ उस दिन खाने के वक़्त दोपहर को घर जाता जिस दिन मीनाक्षी आने वाली होती थी. हम शाम तक जम कर चुदाई करते. में अपने आपको दूसरे कामो मे व्यस्त रखने लगा, मेने क्लब, जिम जाय्न कर लिए जिससे मेरा ज़्यादातर समय घर से बाहर गुज़रे.

एक दिन ऑफीस मे सुबह सोनिया ने मुझे अपने चेंबर मे बुलाया, "राज तुम अपने अग्रीमेंट का वादा पूरा नही कर रहो हो. समाज के फंक्षन मे तुम्हे मेरे साथ होना चाहिए, में वहाँ अकेले नही जा सकती सिर्फ़ इसलिए कि तुम दूसरे कामो मे व्यस्त हो."

"हमारे अग्रीमेंट मे ये नही लीखा सोनिया की में अपनी जिंदगी अपनी मर्ज़ी से नही जी सकता." मेने कहा

"सवाल इस बात का नही कि क्या लीखा है और क्या नही, बस मुझे तुम्हारा साथ चाहिए जिससे लोगों के दिमाग़ मे किसी तरह का प्रश्न ही ना उठे."

"जब हम समाज के सामने अकेले या साथ साथ होते है, तुम्हारा उभरता पेट ही काफ़ी है ये जताने के लिए कि हम एक दूसरे से बहोत प्यार करते है." मेने कहा.

सोनिया थोड़ी देर तक मुझे घूरती रही फिर थोड़ा सा उदास होकर बोली, "राज क्या बात है, हमारे बीच कहाँ ग़लत हुआ. वो कौन है जिसने तुम्हारे दिमाग़ मे मेरे खिलाफ जहर भरा है. ऐसी कौन सी बात है जिसके बदले मे तुमने मेरे साथ मे ऐसा कुछ किया."

"तुम्हे सब कुछ जल्दी ही पता चल जाएगा. पता चलने के बाद तुम्ह अच्छा तो नही लगेगा लेकिन तुम्हे पता चल जाएगा." मेने कहा.

वही हुआ जिसकी मुझे पहले सी ही उम्मीद थी. कोर्ट की तारीख के दिन जब अमित सोनिया के खिलाफ गवाही देने के लिए कटघरे मे खड़ा हुआ तो सोनिया के चेहरे के रंग ही उड़ गया.

"वो हरामी साला कल रात मेरे साथ मेरे ही बिस्तर मे सोया था, और आज मेरे ही खिलाफ खड़ा हो कर गवाही दे रहा है, कुत्ता साला." सोनिया गुस्से मे उसकी तरफ देखते हुए बोली.

"ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है, तुम मुझसे तलाक़ लेने के बाद उससे शादी नही करोगी ये तुम्हे उसे नही कहना चाहिए था." मेने सोनिया से कहा.

"तुम कहना क्या चाहते हो?"

"यही कि अगर तुम उससे शादी नही करोगी तो वो तुम्हारे से मज़ा कैसे कर पाता. इसीलिए उसने राजदीप से 50 लाख मे सौदा कर लिया तुम्हारे खिलाफ गवाही देने का.

"मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा कि तुम क्या कह रहो हो?" सोनिया ने झल्लाते हुए कहा.

क्रमशः…………………………………..
 
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