hotaks444
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मेरे डॅड को देखते ही गार्ड और ड्राइवर हरी, जो गप मार रहे थे, दोनो टॅक्सी के पास पहुच गये....
गौरड़- सलाम साब...
हरी- सलाम साब...
आकाश- ह्म्म..सामान ले आओ...
हरी- सर ..आप टॅक्सी मे क्यो...आप कॉल कर देते ..हमेशा की तरह मैं एरपोर्ट आ जाता...
आकाश- क्यो..मैं टॅक्सी से आ गया तो ग़लती हो गई...या तुझसे पूछ कर आता..हा...
हरी- सॉरी सर...मैं तो बस...
आकाश- कोई नही...चलो टॅक्सी वाले का हिसाब करो और सामान ले आओ...
अंदर आते ही आकाश को सविता , रेखा और रश्मि मिल गई...
सविता- अरे सर आप ...आ गये...बैठिए मैं कॉफी लाती हूँ...
आकाश- कॉफी...नही..मुझे चाइ चाहिए...
सविता- पर आप तो हमेशा कॉफी पीते है ना. .
आकाश- तो...अब से चाइ पिउगा...कोई प्राब्लम...
सविता- नही सर...अभी लाई...
सविता तो किचन मे चली गई पर रेखा और रश्मि , आकाश की बातें सुन कर सहम गई....और आँखे फेड आकाश को देखने लगी...
आकाश- अब तुम दोनो को क्या हुआ...कोई काम नही क्या...जाओ...काम करो अपना...
आकाश के कहते ही दोनो वहाँ से चुप-चाप निकल गई...
तभी पारूल हॉल मे आ गई...
पारूल- नमस्ते अंकल...
आकाश- ह्म्म..नमस्ते...जाओ देखो छाई बनी कि नही...
पारूल- जी...जी अभी देखती हूँ...
थोड़ी देर बाद पारूल के साथ सविता चाइ- नाश्ता ले कर आ गई...
आकाश(चाइ की सीप मार कर)- अंकित कहाँ है...
पारूल- भैया सो रहे होंगे..हहहे...
आकाश- तो इसमे हँसने की क्या बात है..हाँ...
पारूल भी आकाश की बात सुनकर चुप हो गई...
आकाश- जाओ...उठाओ उसे...साला ये कोई टाइम है सोने का...इंसान है या जानवर....
सविता को तो विश्वास ही नही हुआ कि जो इंसान ये कहता था कि अभी सोने दो अंकित को..वो आज उसके सोने पर इतना गुस्सा...
पर सविता ने सोचा कि शायद कोई टेन्षन होगी इसलिए...तो उसने पारूल को पहुचा दिया अंकित को जगाने के लिए....
आकाश(चाइ ख़त्म कर के)- मैं अपने रूम मे हूँ...अंकित से कहना कि फ्रेश हो कर मुझसे मिले...
आकाश अपने रूम मे चला गया और सविता भी अंकित को जगाने पहुच गई...
अंकित के जागते ही सविता और पारूल ने आकाश की सारी बाते अंकित को बता दी...
अंकित- क्या बात कर रही हो..डॅड ने चाइ मागी...
सविता- हाँ बेटा..और काफ़ी चिड़े हुए दिख रहे थे....घर भी टॅक्सी कर के आ गये...हमेशा की तरह हरी को नही बुलाया...
मैं- ह्म्म्मा..शायद कोई टेन्षन होगी...अब कहाँ है...
सविता- अभी अपने रूम मे ही है..और तुझे बुलाया है...
मैं- ओके..मैं देखता हूँ...आप कॉफी पिलाओ जल्दी से...
सविता नीचे चली गई पर पारूल मुँह लटकाए वही खड़ी थी...
मैं- अब मेरी गुड़िया को क्या हुआ....
पारूल- वो...अंकल ने...
मैं- अंकल ने क्या बोला...
पारूल(मुँह बना कर)- मुझसे गुस्से से बोले ....
मैं- बस...इतनी सी बात...अरे गुड़िया...तू मुँह मत बनाया कर...तेरा खिला चेहरा ही अच्छा लगता है...उम्म्म..
और मैने पारूल का माथा चूम लिया...
मैं- अब जा और मेरे लिए कुछ नाश्ता बनवा दे...मैं आता हूँ...
पारूल भी मुस्कुरा उठी और नीचे चली गई....
थोड़ी देर बाद मैं नाश्ता ख़त्म कर के डॅड के रूम मे पहुचा...
मैं- डॅड...
आकाश- ओह..जाग गये बेटा...आओ...कैसे हो...
मैं- बहुत अच्छा...आप बताओ....
आकाश- ह्म्म..अच्छा हूँ...बहुत खुश...
मैं- तो अब कुछ बात करे...
आकाश- हाँ बेटा...बोलो...
मैं- आपको पता है कि हमारा एक ऑफीस जल चुका है...
आकाश- ह्म्म...मुझे मसेज मिल गया था...
मैं- तो अब क्या सोचा...आइ मीन उस ऑफीस के एंप्लायी...
आकाश- उम्म...कुछ करता हूँ...पहले जा कर देखुगा फिर एंप्लायीस से बात करता हूँ...
मैं- ओके...अब आप ये फाइल देखिए...
और मैने फाइल आगे बढ़ा दी...जिसे देख कर आकाश ने कोई रिएक्ट नही किया...
पर जब उसे पढ़ना स्टार्ट किया तो शॉक्ड रह गया...
आकाश- ये फाइल...तुम्हे कैसे मिली...
मैं- वो ..बस मिल गई...और मैने इसमे जो देखा...वो देख कर मेरा दिमाग़ हिला हुआ है...
आकाश- ऐसी क्या बात है बेटा..
मैं- अब तक तो आप समझ ही गये होंगे...
आकाश(अपनी चेयर से उठ कर)- ह्म्म...तो तुम कामिनी की बात कर रहे हो...
मैं- जी...कौन है ये कामिनी...और कामिनी के नाम पर 30% शेयर....क्यो डॅड...??
आकाश अपने फ़ोन पर कुछ चेक करता रहा पर बोला कुछ नही....
मैं भी अपनी चेयर से उठ गया...
मैं- बोलिए डॅड...कौन है ये कामिनी...कौन लगती है आपकी...क्या आपका और कामिनी का कोई...
आकाश(बीच मे)- बस बेटा...कोई भी अंदाज़ा मत लगाओ...जब तक पूरी बात पता ना कर लो तब तक कुछ भी ग़लत नही सोचना चाहिए....
मैं- ह्म्म..नही सोचता ..अब आप ही बताइए...क्या रिस्ता है आपका कामिनी से...???
आकाश(एक ठंडी साँस ले कर)- बैठो..बताता हूँ...
मैं- जी...अब बताइए...
आकाश- बेटा कामिनी कौन है ..ये जानने के पहले ये जान लो की मैने उसके नाम शेयर क्यो किए...
मैं- जी..सुन रहा हूँ..
आकाश- बेटा...ये एक तरह से पश्चाताप था...एक ऐसी ग़लती का जो मैने नही की...पर कीमत मैने चुकाई...
गौरड़- सलाम साब...
हरी- सलाम साब...
आकाश- ह्म्म..सामान ले आओ...
हरी- सर ..आप टॅक्सी मे क्यो...आप कॉल कर देते ..हमेशा की तरह मैं एरपोर्ट आ जाता...
आकाश- क्यो..मैं टॅक्सी से आ गया तो ग़लती हो गई...या तुझसे पूछ कर आता..हा...
हरी- सॉरी सर...मैं तो बस...
आकाश- कोई नही...चलो टॅक्सी वाले का हिसाब करो और सामान ले आओ...
अंदर आते ही आकाश को सविता , रेखा और रश्मि मिल गई...
सविता- अरे सर आप ...आ गये...बैठिए मैं कॉफी लाती हूँ...
आकाश- कॉफी...नही..मुझे चाइ चाहिए...
सविता- पर आप तो हमेशा कॉफी पीते है ना. .
आकाश- तो...अब से चाइ पिउगा...कोई प्राब्लम...
सविता- नही सर...अभी लाई...
सविता तो किचन मे चली गई पर रेखा और रश्मि , आकाश की बातें सुन कर सहम गई....और आँखे फेड आकाश को देखने लगी...
आकाश- अब तुम दोनो को क्या हुआ...कोई काम नही क्या...जाओ...काम करो अपना...
आकाश के कहते ही दोनो वहाँ से चुप-चाप निकल गई...
तभी पारूल हॉल मे आ गई...
पारूल- नमस्ते अंकल...
आकाश- ह्म्म..नमस्ते...जाओ देखो छाई बनी कि नही...
पारूल- जी...जी अभी देखती हूँ...
थोड़ी देर बाद पारूल के साथ सविता चाइ- नाश्ता ले कर आ गई...
आकाश(चाइ की सीप मार कर)- अंकित कहाँ है...
पारूल- भैया सो रहे होंगे..हहहे...
आकाश- तो इसमे हँसने की क्या बात है..हाँ...
पारूल भी आकाश की बात सुनकर चुप हो गई...
आकाश- जाओ...उठाओ उसे...साला ये कोई टाइम है सोने का...इंसान है या जानवर....
सविता को तो विश्वास ही नही हुआ कि जो इंसान ये कहता था कि अभी सोने दो अंकित को..वो आज उसके सोने पर इतना गुस्सा...
पर सविता ने सोचा कि शायद कोई टेन्षन होगी इसलिए...तो उसने पारूल को पहुचा दिया अंकित को जगाने के लिए....
आकाश(चाइ ख़त्म कर के)- मैं अपने रूम मे हूँ...अंकित से कहना कि फ्रेश हो कर मुझसे मिले...
आकाश अपने रूम मे चला गया और सविता भी अंकित को जगाने पहुच गई...
अंकित के जागते ही सविता और पारूल ने आकाश की सारी बाते अंकित को बता दी...
अंकित- क्या बात कर रही हो..डॅड ने चाइ मागी...
सविता- हाँ बेटा..और काफ़ी चिड़े हुए दिख रहे थे....घर भी टॅक्सी कर के आ गये...हमेशा की तरह हरी को नही बुलाया...
मैं- ह्म्म्मा..शायद कोई टेन्षन होगी...अब कहाँ है...
सविता- अभी अपने रूम मे ही है..और तुझे बुलाया है...
मैं- ओके..मैं देखता हूँ...आप कॉफी पिलाओ जल्दी से...
सविता नीचे चली गई पर पारूल मुँह लटकाए वही खड़ी थी...
मैं- अब मेरी गुड़िया को क्या हुआ....
पारूल- वो...अंकल ने...
मैं- अंकल ने क्या बोला...
पारूल(मुँह बना कर)- मुझसे गुस्से से बोले ....
मैं- बस...इतनी सी बात...अरे गुड़िया...तू मुँह मत बनाया कर...तेरा खिला चेहरा ही अच्छा लगता है...उम्म्म..
और मैने पारूल का माथा चूम लिया...
मैं- अब जा और मेरे लिए कुछ नाश्ता बनवा दे...मैं आता हूँ...
पारूल भी मुस्कुरा उठी और नीचे चली गई....
थोड़ी देर बाद मैं नाश्ता ख़त्म कर के डॅड के रूम मे पहुचा...
मैं- डॅड...
आकाश- ओह..जाग गये बेटा...आओ...कैसे हो...
मैं- बहुत अच्छा...आप बताओ....
आकाश- ह्म्म..अच्छा हूँ...बहुत खुश...
मैं- तो अब कुछ बात करे...
आकाश- हाँ बेटा...बोलो...
मैं- आपको पता है कि हमारा एक ऑफीस जल चुका है...
आकाश- ह्म्म...मुझे मसेज मिल गया था...
मैं- तो अब क्या सोचा...आइ मीन उस ऑफीस के एंप्लायी...
आकाश- उम्म...कुछ करता हूँ...पहले जा कर देखुगा फिर एंप्लायीस से बात करता हूँ...
मैं- ओके...अब आप ये फाइल देखिए...
और मैने फाइल आगे बढ़ा दी...जिसे देख कर आकाश ने कोई रिएक्ट नही किया...
पर जब उसे पढ़ना स्टार्ट किया तो शॉक्ड रह गया...
आकाश- ये फाइल...तुम्हे कैसे मिली...
मैं- वो ..बस मिल गई...और मैने इसमे जो देखा...वो देख कर मेरा दिमाग़ हिला हुआ है...
आकाश- ऐसी क्या बात है बेटा..
मैं- अब तक तो आप समझ ही गये होंगे...
आकाश(अपनी चेयर से उठ कर)- ह्म्म...तो तुम कामिनी की बात कर रहे हो...
मैं- जी...कौन है ये कामिनी...और कामिनी के नाम पर 30% शेयर....क्यो डॅड...??
आकाश अपने फ़ोन पर कुछ चेक करता रहा पर बोला कुछ नही....
मैं भी अपनी चेयर से उठ गया...
मैं- बोलिए डॅड...कौन है ये कामिनी...कौन लगती है आपकी...क्या आपका और कामिनी का कोई...
आकाश(बीच मे)- बस बेटा...कोई भी अंदाज़ा मत लगाओ...जब तक पूरी बात पता ना कर लो तब तक कुछ भी ग़लत नही सोचना चाहिए....
मैं- ह्म्म..नही सोचता ..अब आप ही बताइए...क्या रिस्ता है आपका कामिनी से...???
आकाश(एक ठंडी साँस ले कर)- बैठो..बताता हूँ...
मैं- जी...अब बताइए...
आकाश- बेटा कामिनी कौन है ..ये जानने के पहले ये जान लो की मैने उसके नाम शेयर क्यो किए...
मैं- जी..सुन रहा हूँ..
आकाश- बेटा...ये एक तरह से पश्चाताप था...एक ऐसी ग़लती का जो मैने नही की...पर कीमत मैने चुकाई...