Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 62 - SexBaba
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

अंकित के घर ......


जब मैं सुबह सो कर उठा तो मेघा मेरा इंतज़ार कर रही थी....

मेघा को देखते ही मुझे उसकी की गई बदतमीज़ी याद आ गई...और मुझे गुस्सा आ गया.....

मैं- तुम जिम मे जाओ...मैं आता हूँ...

थोड़ी देर बाद मैं जिम मे पहुँचा तो मेघा वॉर्म-अप कर रही थी....

आज मैं इसे सबक सिखाना चाहता था...इसलिए मैने आते ही गेट को अंदर से लॉक कर दिया....और मेघा के पास पहुँचा....

मैं- ह्म्म...तो अब क्या यही करती रहोगी...कुछ और नही करना...

मेघा- वो...तुम बताओ तो करूगी ना...

मैं- ह्म्म...तो जाओ...कपड़े निकाल कर आओ...

मेघा(सकपका कर)- मतलब...

मैं- मतलब ये कि जाओ...और नंगी हो कर आओ...जाओ...

मेघा(हैरानी से)- अंकित...ये क्या कह रहे हो...क्या हो गया तुम्हे....

मैं- क्या हो गया...हैरान हो...हाँ...

मेघा- ह..हाँ...तुम..तुम तो ऐसे नही थे...अचानक..

मैं(बीच मे)- तो क्या...मेरी सराफ़त के बदले मुझे क्या मिला....बस जॅलील हो गया..हाा...

मेघा- जॅलील ....किसने किया जॅलील...तुम क्या कह रहे हो...

मैं(गुस्से से)- बस...ये बता कि कपड़े निकालती है कि नही...वरना जा यहाँ से...

मेरी बात सुनकर मेघा की आँखो मे आसू आ गये...

मेघा- क्या हो गया तुम्हे...तुम किसी औरत की बेज़्जती तो नही करते थे...

मैं(बीच मे)- सही कहा....मैं औरतों की रेस्पेक्ट करता हू...किसी क्व साथ जबर्जस्ति नही करता...पर इसका मतलब ये नही कि कोई भी औरत मुझे जॅलील करे और मैं चुप रहूं....

मेघा- पर...पर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा जो तुम मुझसे ऐसे...

मैं(बीच मे)- क्या बिगाड़ा...भूल गई....एक दिन तो खुद मेरी बाहों मे आ गई और फिर दूसरे दिन मुझे धूतकार दिया...हाँ...

मेघा- वो..वो तो मैं...

मैं(बीच मे)- चुप...एक बात बता..मैने तुझे मजबूर किया था क्या कि मेरी बाहों मे आ जा...तू खुद आई थी ना...अपने मन से किस किया था ना...बोल...

मेघा- हाँ..मैं अपनी मर्ज़ी से आई थी...

मैं(बीच मे)- तो फिर...फिर क्या हुआ..दूसरे दिन मुझे फटकार लगा दी...मुझे बदतमीज़ बोल दिया...

मेघा- वो तो मैं ...

मैं(बीच मे)- तूने मुझे समझ क्या रखा है...जब मन चाहा बाहों मे ले लिया और जब मन चाहा धूतकार दिया....

मेघा- नही..मैने ऐसा कभी नही सोचा...

मैं- तो फिर क्यो किया मुझे जॅलील...हाँ...

मेघा- क्योकि मैं मजबूर थी...

मैं- मजबूर ...हाहाहा...क्या मज़ाक है...अरे सच तो ये है कि तू मर्दो को क्या समझती है....जब जो मन किया तो कर दिया..हाँ...पर मेघा मेडम...हम उनमे से नही...हम औरत के पीछे नही जाते..वो खुद अपने नीचे आती है...समझी....और तुझ जैसी औरत...मैं थूकता हूँ...तूओ....


मेघा- बस...बस करो...पहले पूरी बात सुन लो ..फिर चाहे तो मुझे मार डालना...पर प्ल्ज़ ...मेरी बात सुन लो...

मेघा ने ये बात ज़ोर से बोली...जिस से मैं चौंक गया...मैने सोचा कि चलो सुन तो लूँ कि ये क्या बोल रही है...

मैं- ओके...बोल...क्या बोलना है...

मेघा- अंकित...मैं कोई सड़क छाप औरत नही...जो जिश्म की भूख मिटाने मर्द ढूड़ती फिरू....सच ये है कि जबसे मैने तुम्हारे बारे मे सुना...मैं तुम्हे पसंद कर ने लगी थी...तुम सेक्स मे एक्सपर्ट हो ..मैं जानती हूँ...पर तुम ग़लत इंसान नही...किसी को फोर्स नही करते...फ़ायदा नही उठाते...तुम औरत की मर्ज़ी से उसे भोगते हो...यही सब सुन कर मैं तुम्हारे करीब आई....दूसरी वजह ये थी कि मेरे पति की कमर के दर्द की वजह से वो ठीक से सेक्स सुख नही दे पाते थे...उपेर से कुछ दिनो से उन्होने मुझे हाथ लगाना भी बंद कर दिया....तो मेरी भूख भड़क उठी और उसे मिटाने का सबसे अच्छा रास्ता तुम थे...ये बात मुझसे भाभी(रजनी) ने कही थी...कि तुम भरोसेमंद हो...और सेक्स मे भी अच्छे हो....

मैं- ये सब ठीक है...पॉइंट पर आओ...तुमने उस दिन मुझे धूतकारा क्यो...जबकि उसके पहले तुम मेरी बाहों मे आ गई थी....

मेघा- उसकी वजह है एक कैमरा...जो शायद मेरे पति ने रूम मे लगाया है ताकि मुझ पर नज़र रख सके...

मैं- व्हाट...तुम्हारे पति ने कैमरा लगाया...पर क्यो...

मेघा- नही पता...शायद मुझ पर शक हो...इसी लिए मैने सिर्फ़ उन्हे दिखाने को तुम्हे रूम से निकाल दिया था....

मैं- अच्छा...पर कैमरे का पता तुम्हे कैसे चला....

मेघा- वो एक दिन उनको अड्जस्ट करते देख लिया था...

मैं- ओह माइ...तो ये बात थी...और मैं...

मेघा(सुबक्ते हुए)- हाँ..और तुम्हे तो मुझे...

मेघा रोने लगी और मैने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया...

मैं- सॉरी..आइ एम सॉरी मेघा....मैने बिना जाने ही तुम्हे क्या-क्या सुना दिया...पर तुमने मुझे बोला क्यो नही...

मेघा- कैसे बोलती...मौका ही नही मिला...और आज बोलना था कि उसके पहले ही तुम भड़क उठे...

मैं- ओह...सॉरी यार...सो सॉरी...

मैं मेघा को बिल्कुल अपनी गर्लफ्रेंड की तरह मना रहा था और देखते ही देखते मैं उसे किस करने लगा...मेघा ने भी रेस्पोन्स देते हुए मुझे किस करना सुरू कर दिया....

पर तभी गेट पर सुजाता की आवाज़ सुनाई दी और मैने मेघा को अलग कर के गेट ओपन किया..

सुजाता- चल...तुझसे काम है...

मैं- जी आंटी...अभी आया...

सुजाता- आया नही...आजा...अभी..

मैं- ओके...

फिर मैने मेघा को कसरत करने का बोला और सुजाता के पीछे चल पड़ा...

मैं(मन मे)- ये साला मेघा का पति भी ...बड़ा स्मार्ट बनता है...इसे सबक सिखाना होगा...पर उसके पहले इस सुजाता की बच्ची को लाइन पर लाना है.....

और कुछ देर बाद मैं सुजाता के साथ घर से ऑफीस निकल गया......

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अकरम के घर.............


मार्केट से आने के बाद अकरम से सबसे पहले सादिया के बारे मे पूछा...पर पता चला कि वो घर पर नही है....

अकरम(मन मे)- शिट...अब ये कहाँ मर गई...छोड़ो...इसे बाद मे देखता हूँ..जब तक बाकी का सामान देख लेता हूँ...

अकरम रूम मे आया और सबसे पहले उसने मोबाइल उठाया...

अकरम- इस मोबाइल मे ज़रूर कुछ होगा...कुछ ऐसा जो सरफ़राज़ के लिए खास होगा...पर क्या....ह्म्म....ऐसे केसस मे वीडियो ज़्यादा होते है...वही चेक करता हूँ...

( अकरम को सीबीआइ ऑफीसर बनना था..इसलिए केसस पर ज़्यादा गौर करता था...)

जैसे ही अकरम ने वीडियो ओपन किए तो उसमे 7-8 वीडियो थे...अकरम ने पहला प्ले कर दिया.....

वीडियो मे.............

एक आदमी एक लड़की को चोद रहा था और लड़की भी पूरी मस्ती मे चुदवा रही थी...मतलब ये कि चुदाई दोनो की मर्ज़ी से चल रही थी....

थोड़ी देर बाद चुदाई ख़त्म हो गई और वो दोनो नंगे बैठे हुए सिगरेट पीने लगे...

आदमी- तो..क्या सोचा तूने...मेरा साथ देगी...

लड़की- ह्म्म..पर मारना ज़रूरी है...

आदमी- हाँ ...मारेगी तभी लोग तेरा साथ देगे...सोच ले...

लड़की- पर वो मेरे पापा है....

आदमी- तो क्या...कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है ....और फिर खुद सोच...तुझे बदला चाहिए या बाप....

लड़की बात सुन कर मुस्कुरा देती है...और आदमी के बाजू मे पड़ी पिस्टल उठा लेती है...

आदमी कुछ और बोलता उसके पहले गेट खुलने की आवाज़ आई और एक आदमी अंदर आया....

उसके अंदर आने से पहले ही चुदाई करने वाला आदमी अपने कपड़े ले कर निकल गया....पर वो लड़की वैसे ही नंगी बैठी रही.....

आदमी- ये...हे भगवान....

लड़की(नंगी लेटी हुई)- अरे पापा....आप जल्दी आ गये...और गेट कैसे खोल दिया...

आदमी- हरामजादी...गेट को छोड़ ...ये बता कि किसके साथ मुँह काला कर रही थी...

लड़की- किसी के साथ करूँ...आप इसमे मत पडो...

आदमी- साली...मुझसे जवान चलाती है ..मैं छोड़ूँगा नही तुझे...

आदमी ने आगे बढ़ कर हाथ उठाया ही था कि लड़की ने पिस्टल से फाइयर कर दिया...

आदमी(सीना पकड़ कर)- बेटी...तूने मुझे...सालीइीई...आआअहह...आआहह...

लड़की ने 2 फाइयर और कर दिए और वो आदमी वही ढेर हो गया...

लड़की(नंगी खड़ी हो कर)- तुझ जैसे बाप की कीमत उतनी नही...जितनी कीमत मुझे मिलने वाली है...हुह...

और वो लड़की उस आदमी की लाश के उपर से गुजर जाती है.....

अकरम वीडियो देख कर सकते मे आ गया....

अकरम- क्या लड़की है.....साला अपने बाप को ही उड़ा दिया.....साली हरामजादी.....

पर ये है कौन........????????????????

अकरम वीडियो देख कर गुस्से और हैरानी से पागल सा हो गया था....उसे गुस्से से ज़्यादा हैरानी हो रही थी...क्योकि वो तो उस वीडियो मे दिख रहे किसी सख्स को जानता ही नही था.....

अकरम ने जब ये देखा कि एक बेटी ने अपने बाप के सामने सारी हदें पार कर दी तो उसे बहुत गुस्सा आया था...

लेकिन जब उसी बेटी ने अपने बाप को मार डाला तो उसे गुस्से से ज़्यादा हैरानी हुई....

अकरम- कौन है ये साली....बाप को ही उड़ा दिया...और वो भी सिर्फ़ इसलिए की उसका बाप उसकी अयाशी के बीच आ गया....क्या है ये...क्या हो गया लोगो को....या अल्लाह....ऐसी औलाद किसी को मत देना....मत देना....

अकरम बाहर से जितना टफ बंदा दिखता था....अंदर से उतना ही इमोशनल था....वो जल्दी इमोशन्स मे बह जाता था...और इसी लिए इस टाइम उसका दिल और दिमाग़ हिला हुआ था....उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो अभी क्या करे इसलिए चुपचाप अपना सिर पकड़े अपने आप को नॉर्मल करने मे लग गया.....

थोड़ी देर तक अक्ररम के रूम मे शांति छाई रही...फिर जब अकरम थोड़ा नॉर्मल हुआ तो उसने मोबाइल उठा कर दूसरा वीडियो प्ले किया.....

ये वीडियो किसी गाँव के एक पुराने घर का दिख रहा था....उसमे एक औरत एक छोटे से बच्चे को गोद मे लिए चुप करा रही थी.....

तभी किसी मर्द की आवाज़ सुनाई दी....पर कोई दिखाई नही दिया.....

""तुम जानती हो ना कि क्या करना है....""

औरत- जी साब....जानती हूँ...

""ह्म्म...तो ठीक है...तुम अपना काम करती रहो....पैसे मिलते रहेंगे....""

औरत(मुस्कुरा कर)- जी साब....बस पैसे टाइम पर आते रहे तो मैं पूरी लगन से अपना काम करती रहूगी.....

""हाँ...टाइम पर मिलेगे....और हाँ...मुझे धोखा देने की कोसिस मत करना...याद रहे कि हमारी बातें मेरे पास रेकॉर्ड है...तो कोई होशियारी नही...""

औरत- नही साब...जब पैसे मिल रहे है तो मैं ऐसी ग़लती क्यो करूगी...आप बेफ़िक्र रहिए...

""ठीक है....मैं चलता हूँ...और इसे चुप करा....और हाँ...अपना मुँह खोला ना...तो तू सीधा उपेर...समझी..""

औरत- समझ गई साब....(बच्चे को चुप कराते हुए)- ओले ले ले...चुप हो जा..उउंम्म....उउंम्म ....

अकरम का दिमाग़ पहले से ही हिला हुआ था...उपेर से एक और वीडियो...ये किसी बिस्फोट से कम नही था....

हालाकी ये वीडियो पहले वाले की तरह भयानक तो नही थी...फिर भी इसने अकरम के माइंड मे कई सवाल खड़े कर दिए थे...

अकरम- क्या है ये ...अब ये औरत कौन है...और किससे बात कर रही थी....और साला इसको काम क्या मिला...घंटा समझ नही आया....

पर एक बात तो पक्की है...ये वीडियो है खास...तभी तो इसे छिपा कर रखा गया था....पर ये कौन बतायगा कि इसमे खास है क्या.....

काफ़ी देर तक अपने दिमाग़ का मंथन करने के बाद अकरम ने तय किया कि वो सारे वीडियो एक साथ देखेगा....बार-बार की टेन्षन लेने से अच्छा है कि एक बार मे बचे हुए वीडियो ख़त्म कर लूँ और फिर सोचुगा आगे का.....

अकरम ने अपने आप को मजबूत किया और एक-एक कर के बचे हुए सारे वीडियोस देखना सुरू कर दिया....


नेक्स्ट 2 वीडियोस मे खुच खास नही था ....

एक मे...1 जर्जर और जला हुआ घर दिख रहा था और दूसरे मे एक आलीशान घर....पर दोनो ही वीडियो मे कोई इंसान नज़र नही आया...बस हवा , पन्छि और आस-पास हो रहा शोर ही सुनाई दिया.....

लेकिन तीसरा वीडियो अलग था....

स्टार्टिंग मे कोई आदमी कॅमरा फिट करते हुए नज़र आया....इसमे आदमी का सीना दिख रहा था...चेहरा नही...

कॅमरा फिट करने के बाद आदमी मुड़ा और सामने पड़ी चेयर पर बैठ गया....पर उसका मुँह दूसरे साइड था....इसलिए दिखा नही...पर वो जवान लग रहा था ...

कैमरे को इस तरह सेट किया गया था कि वो चेयर पर बैठे इंसानो को ही दिखाए....मतलब ये कि कैमरा साइड वाली चेयर का पिछला हिस्सा दिखा रहा था...और दूसरी तरफ पड़ी चेयर का अगला हिस्सा...

चेयर पर बैठ कर उस आदमी ने एक नौकर टाइप आदमी से कहा....

आदमी- अब उसे अंदर ले आओ...

वो नौकर चला गया और एक औरत को साथ ले कर आया....

आदमी- अरे ...आप...आइए...बैठिए ना...

जैसे ही औरत उस आदमी के सामने पड़ी चेयर पर बैठी तो उसका चेहरा नज़र आ गया...बड़ी ही सुंदर औरत थी वो...और उस आदमी से थोड़ी बड़ी ही दिख रही थी.....

आदमी- क्या लेगी...चाइ या कॉफी..

औरत- दोनो ही नही...कुछ हार्ड ड्रिंक ...

आदमी ने नौकर से विस्की मग़वाई और दो पेग बनवा कर नोकर को बाहर भेज दिया और पेग लगाते हुए उस औरत से बात सुरू हो गई ....

औरत- मैं जानती हूँ कि तुम्हारी हालत इस समय....

आदमी(बीच मे)- प्ल्ज़...इस बारे मे कोई बात नही...मुझे हमदर्दी नही चाहिए...प्ल्ज़...

औरत- ठीक है...हमदर्दी नही चाहिए तो क्या चाहिए....बदला...

आदमी- हाँ...बदला...और वो मैं ले कर रहुगा....

औरत- जानती थी...तभी तो तुम्हारे पास आई हूँ...

आदमी- मतलब....

औरत- देखो...मैं सीधा मुद्दे की बात करती हूँ...तुम्हारा और मेरा दुश्मन एक ही है...और हम दोनो ही उसे परिवार समेत मिटाना चाहते है...है कि नही...

आदमी- मतलब...तुम्हारी क्या दुश्मनी...तुम्हारा क्या बिगाड़ दिया आज़ाद ने...

(आज़ाद का नाम सुन कर अकरम को झटका लगा....वो समझ गया कि ये अंकित की फॅमिली की बात हो रही है...)

औरत- वही...जो तुम्हारा बिगाड़ा...

आदमी- मतलब...आज़ाद ने तुम्हारे घरवालो को...

औरत(बीच मे)- हाँ...वैसे ही ..जैसे तुम्हारे साथ हुआ...घर की औरत को फसाना...उसके साथ अयाशी करना और जब बात बढ़ जाए तो सबकी ख़त्म कर देना...यही मेरी फॅमिली के साथ हुआ...और यही तुम्हारी फॅमिली के साथ भी...अब समझे...

आदमी(पेग ख़त्म कर के)- ह्म्म्मद...समझा...पर हुआ क्या था...पहले ये बताओ....

औरत- पूरी कहानी सुना कर टाइम वेस्ट क्यो करे...कंक्लूषन ये है कि आज़ाद ने मेरी माँ और दीदी के साथ अयाशी की और बाद मे मेरे माँ-बाप , भाई और मेरी दीदी को जिंदा जला दिया....

आदमी(दूसरा पेग बना कर)- तो ये बात है...ह्म्म...तो तुम मुझसे क्या चाहती हो...

औरत(सीप मार कर)- तुम्हारी हेल्प करना...आज़ाद को मिटाने मे...

आदमी- और वो कैसे करोगी...बताओ ज़रा...

औरत- ह्म...दुश्मन को मारने के लिए सबसे आसान रास्ता है उसकी कमज़ोरी पर बार करो...वो खुद-ब-खुद टूट जायगा....

आदमी- ह्म्म...और आज़ाद की कमज़ोरी क्या है....उसका परिवार....

औरत- सही कहा....उसके परिवार को तोड़ दो....फिर जीत हमारी...

आदमी- ह्म्म...पर ये होगा कैसे...

औरत- होगा...सबसे पहले दुश्मन की ताकतवर कड़ी को उससे दूर करो...फिर बाकी की कड़ियो को आपस मे तोड़ दो...और फिर एक -एक को मार दो...सब ख़त्म....

आदमी- थोड़ा सॉफ -सॉफ बोलॉगी...करना क्या है....

आदमी(पेग ख़त्म कर के)- सबसे पहले आज़ाद के बड़े बेटे आकाश को उससे दूर करो....जिससे आज़ाद की ताक़त आधी हो जाएगी....फिर बाकी को संभालना आसान काम है...

आदमी- तुम पूरा प्लान सॉफ बोलोगि....हाँ..


औरत- ओके...सुनो...तुम जानते ही हो कि अभी आकाश अपने घरवालो से दूर है....कोई उससे बात भी नही करता....तो अभी उसके खिलाफ उसकी फॅमिली मे ज़हर भर देते है....सब उससे नफ़रत करेंगे...और हम सबको धीरे-धीरे मिटा देगे....

आदमी(अगला पेग ले कर)- ये मुमकिन नही....आकाश से कोई क्यो नफ़रत करेगा...हू हू....ये बेकार प्लान है....

औरत- अच्छा....अगर आकाश कोई हत्या कर दे तो....???

आदमी- तब तो आज़ाद उसके साथ खड़ा हो जायगा और अभी जो दूरी है वो भी नही रहेगी...

आदमी(पेग खीच कर)- अच्छा....पर अगर आकाश अपनो को ही मार दे तो...ह्म्म..

आदमी(चौंक कर)- क्या....क्या बक रही हो...ये हो ही नही सकता...मैं आकाश को जानता हूँ....

औरत- सुनो तो....मारेंगे हम और नाम होगा आकाश का....

आदमी- हाहाहा...पागल हो क्या...कोई नही मानेगा....

औरत- मानेगे....जब खुद उसकी बेहन कहेगी तो सब मानेगे....

आदमी(चौंक कर)- तुम करना क्या चाहती हो....सच बोलो..

औरत- हम आकाश की बहनो को भड़काएँगे....उनके मन मे आकाश का ख़ौफ़ भर देगे....और एक दिन हम उनके पतियों को मार देगे...और नाम आएगा आकाश का...और ये बात सबके सामने उसकी बेहन कहेगी....

आदमी- अभी भी वही सवाल...उसकी बहन क्यो बोलेगी...

औरत- उसे हम मजबूर करेंगे....

आदमी- ह्म्म्मम...प्लान तो अच्छा है...पर टाइम लगेगा...कब्से सुरू करना है....

औरत(सिगरेट सुलगा कर)- फ़फफूऊ....मैने काम सुरू कर दिया है....बस तुम हाँ बोलो...मेरा साथ दोगे...???

आदमी(सिगरेट ले कर)- ह्म्म...पर अभी मुझे सहर मे काम है...

औरत- पूछ सकती हूँ कि क्या काम है...

आदमी- ह्म्म...आज़ाद को मिटाने के लिए पैसा या पॉवर ज़रूरी है...पॉवर तो मिल नही सकता इसलिए पैसे ही जुटा लूँ...

औरत- ओके...तो तुम पैसा जोड़ो...मैं आकाश की बहनो को तोड़ती हूँ....फिर सब ख़त्म...

आदमी- ह्म्म...पर एक बार याद रखना...आज़ाद तब तक नही मरेगा जब तक उसकी पूरी फॅमिली ख़त्म ना हो जाए...ओके...

औरत- ओके...तो डील पक्की....

आदमी- ह्म्म्मी...पर एक बात बताओ...तुम तो आकाश के साथ सोती थी...और अब इतनी नफ़रत...हाँ...

औरत- तुम्हे पता चल गया....ह्म्म..कोई नही...वैसे तुम सही हो...मैं उसके साथ बहुत सोई....और उन लम्हो की निशानी भी है मेरे पास....पर मेरा बदला उससे बहुत बड़ा है....और फिर आकाश ने मुझे दुतकार कर ग़लती कर दी....

आदमी- ह्म्म..तो तुम अपने काम पर लग जाओ...मैं सहर जा रहा हूँ...आता-जाता रहुगा...और हाँ...आकाश की हर खबर मुझे बताती रहना....

औरत- ठीक है..तो ये जाम आज़ाद की बर्बादी के नाम...चियर्स...

और थोड़ी देर बाद वो औरत उठ कर निकल गई...और वो आदमी खड़ा हो कर आया और वीडियो रेकॉर्डिंग बंद कर दी....अभी भी उसका चेहरा वीडियो मे नही आया......


अकरम- ये अल्लाह....क्या है ये सब.....कौन है ये औरत और कौन है ये आदमी...कमीने साले.....

पर एक बात तो पक्की है....ये दोनो अंकित की फॅमिली के दुश्मन है....पर इन सबसे वसीम ख़ान को क्या मतलब....क्या वो भी इनके साथ था...या अभी भी है...पता नही....

ऊहह....ऐसे सोचने से कुछ नही होगा....मुझे ये सब अंकित को दिखाना ही पड़ेगा....शायद तभी मेरे सवालों का जवाब मिले...

क्या मैं मोम को ये सब दिखा दूं...नही..वो तो बबाल मचा देगी....खम्खा ये बात सबको पता चल जाएगी...और ये मैं होने नही दूँगा....

जब तक मैं सारी सच्चाई पता ना कर लूँ...ये बात वसीम के सामने नही आने दे सकता...ह्म्म्म...अब अंकित ही कुछ बातायगा.....

पर पहले ये पेपर्स भी देख लूँ...फिर अंकित से बात करूगा....क्या है ये...अरे...ये तो प्रॉपर्टी पेपर्स लग रहे है...हाँ..वही है....
 
अकरम अपने मन मे बात करते हुए मोबाइल को छोड़ कर प्रॉपर्टी पेपर्स देखने लगा....

ये क्या...ये सब तो प्रॉपर्टी बेचने के पेपर्स है....ह्म....

और ये बाकी सब किस के है....ओह...ये क्या...ये प्रॉपर्टी ट्रान्स्फर पेपर्स है....

जावेद, परवेज़, सकील.....सबकी प्रॉपर्टी सरफ़राज़ के नाम....ह्म्म्मर...

शायद उनकी मौत के बाद ये सब सरफ़राज़ उर्फ वसीम को मिल गई होगी....ह्म....

या खुदा....आज का दिन कितना भारी है....ये सब देख कर तो मेरा माथा फट रहा है.....साला इतनी मुस्किल से ये सब हाथ लगा और अब....अब सवाल ही सवाल खड़े है...पता नही...जवाब कब मिलेगे....

अकरम अपने आप को रिलॅक्स कर ही रहा था कि गेट पर सबनम आ गई....

सबनम- अकरम...बेटा सो रहा है क्या...

अकरम(उछल कर)- ओह शिट..मोम ...यस मोम...कमिंग.......

अकरम ने सब सामान समेट कर छिपाए और गेट खोल दिया...सामने सबनम मॅक्सी पहने खड़ी हुई थी.....

पर शायद सबनम बेड से उठ कर आई थी...और इसी लिए ग़लती से उसकी मॅक्सी का बटन खुला ही रह गया था....जिस वजह से उसकी ब्रा और ब्रा से निकला बूब्स का हिस्सा अकरम की आँखो के सामने आ गया ...

सबनम- क्या कर रहा था....अब भी वही सब सोच रहा है क्या....

अकरम- हह...हा...वो मोम...मैं बस....

सबमम(बीच मे )- जानती हूँ बेटा...ये सब आक्सेप्ट करना थोड़ा मुस्किल है...पर सच यही है...तुम जितनी जल्दी समझ जाओ...उतना ही अच्छा....

अकरम अपनी मोम की बातो को सुन रहा था पर उसकी आँखे तो सबमम के बूब्स पर टिक गई थी...पर सबनम इस सब से अंजान थी....

सबमम, अकरम को समझाती रही और अकरम उसके बूब्स को घूरता रहा....और ना चाहते हुए भी उसके लंड मे हलचल मचने लगी....

अकरम(मन मे)- ये क्या हो रहा है...ये मेरी मोम है...नही...ये ग़लत है....

सबनम ने अकरम को चुप देखा तो उसे अपने सीने से लगा लिया....

सबनम- ओह मेरे बच्चे...तू थोड़ा सोजा...माइंड फ्रेश हो जायगा....ह्म्म...मत सोच कुछ भी....हम्म...

सबनम अपने बेटे को रिलॅक्स कर रही थी पर अकरम का बुरा हाल था...जिन बूब्स को देख कर उसके लंड मे खलबली उठने लगी थी...वो अब उसके गालो से चिपके थे....और उनका अहसास पाते ही अकरम का लंड झटका खा गया....

सबनम- एक काम कर..मैं कॉफी लाती हूँ....थोड़ा अच्छा फील होगा....

सबनम ने अकरम को वही छोड़ा और कॉफी बनाने निकल गई....

अकरम(मन मे)- शिट...ये मुझे क्या हो गया...वो मेरी मोम है...नही...मैं ऐसा नही सोच सकता...शिट...

थोड़ी देर बाद अकरम और सबनम ने कॉफी पी और सबनम ने जाते हुए बोला....कि सादिया घर आ गई है....तू पूछ रहा था ना...जा मिल ले...

अकरम ने जैसे ही सादिया के बारे मे सुना तो उसने अपनी जेब से पर्ची निकाली और खुद से बोला....

अकरम- चलो...एक सवाल का जवाब तो मिलेगा ही....

थोड़ी देर बाद अकरम , सादिया के रूम मे खड़ा था....

सादिया- हाँ अकरम...बोल...क्या काम था...

फिर अकरम ने सवाल किया और उसे सुनकर सादिया की आँखो मे बेचैनी छा गई......

अकरम(सादिया की आँखो मे देख कर)- गुल किसकी अऔलाद है....??????

अकरम के मुँह से ये सवाल सुनकर सादिया अंदर ही अंदर घबरा गई थी पर उसने अपनी घबड़ाहट को चेहरे पर नही आने दिया और झूठी मुस्कुराहट के साथ बोली......

सादिया- ये क्या सवाल हुआ....तुम्हे नही पता...सादिया तुम्हारी खाला(मौसी ) की लड़की है....

अकरम- ओह्ह...हाँ..याद आया...उसी खाला की ना जो आज तक मुझसे मिली नही...है ना...

इस बात ने सादिया को और भी परेशान कर दिया था....पर वो भी बहुत शातिर औरत थी....उसने फिर से चेहरे पर एक मुस्कान फैला दी....

सादिया- अरे...मिली नही तो क्या...रिश्ता थोड़े ना मिट गया...है तो वो खाला ही ना.....

अकरम- अच्छा...हाँ सही कहा...वैसे आंटी...क्या मैं उनकी फोटो देख सकता हूँ....कम से कम पता तो चले कि मेरी खाला दिखती कैसी है....

सादिया(सकपका कर)- फोटो....वो...फोटो तो मेरे पास नही है....पर तुझे अचानक उसे क्यो देखना है...बात क्या है....

अकरम- अरे...कोई खास बात नही..बस आज मेरा मन हो गया....

सादिया- ओह्ह...पर मेरे पास फोटो नही है...अपनी मोम से पूछ ना....

अकरम- पूछा था...पर उनके पास भी नही....

सादिया- ओह...कोई नही...तुम्हे जल्दी ही उनसे मिला दुगी...

मैं(मुस्कुराते हुए)- आंटी....असल मे , मैं उनसे मिल चुका हूँ....

सादिया(शॉक्ड)- कब...कहाँ....

आलराम- बस ...थोड़ी देर पहले...यही...अपने घर मे ही....

सादिया अब ज़्यादा ही परेशान हो गई थी...और अब उसकी परेशानी उसके चेहरे पर झलकने लगी थी.....

अकरम ने भी सादिया का हाल जान लिया और मंद-मंद मुस्कुराने लगा....

सादिया- क्क़..क्या हुआ....तुम मुस्कुरा क्यो रहे हो...

अकरम(सिर हिला कर)- कुछ नही...बस ऐसे ही ...

सादिया- ह्म्म..अच्छा ये बताओ कि तुम्हे तुम्हारी खाला कहाँ मिल गई....

अकरम- बोला ना...इसी घर मे....अच्छा ये छोड़ो और ये बताओ कि अंकल कहा है...मतलब आपके पति....

सादिया(सकपका कर)- वो...वो शायद दुबई मे होंगे....वैसे मुझे ठीक से पता नही ...तुम तो जानते हो कि हम बहुत पहले ही अलग हो गये थे.....

अकरम- ओह्ह...हाँ जानता हूँ...अच्छा आंटी...अब कुछ सच बोलेगी या ऐसे ही घुमाती रहेगी....

सादिया(शॉक्ड)- क्या मतलब.....

अकरम- मतलब...अभी बताता हूँ....

और अकरम ने अपनी जेब से एक पर्ची निकाली और सादिया को पकड़ा दी...जिसे देखते ही सादिया की आँखे बड़ी हो गई और उसके चेहरे पर एक अजीब सा ख़ौफ़ छा गया......
 
अकरम- अब बोलिए....क्या कहती है....

सादिया(सम्भल कर)- क्या मतलब...क्या है ये सब....

अकरम- मतलब ...वो तो आप ही बताएँगी...

सादिया- मैं...मैं क्या बोलू...मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा....

अकरम- ह्म्म...समझ कैसे आएगा....आप तो बस कहानी सुना लेती हो...वेल नाइस स्टोरी ..हाँ...

सादिया- कहानी...कैसी कहानी...

अकरम- अरे...ये कहानी नही तो क्या है...आपने एक ऐसे करेक्टर के बारे मे बताया जिसका कोई बाजूद ही नही..तो इसे क्या कहेगे...ये तो एक कहानी ही हो सकती है....

सादिया- मतलब...मैने क्या बोला...तुम किसकी बात कर रहे हो....

अकरम- वही..मेरी खाला ..जिसे आप गुल की मोम बता रही है....असल मे उसका तो कोई बाजूद ही नही है...

सादिया- ये क्या बकवास है....तुम ये कहना चाहते हो कि गुल की मोम है ही नही...तो क्या वो आसमान से टपकी...

अकरम- नही...गुल वैसे ही टपकी है जैसे हर इंसान टपकता है...मैं तो बस ये बोल रहा हूँ कि आप जिसे गुल की मोम बता रही है उस औरत का कोई बाजूद ही नही है....

सादिया(झल्ला कर)- आख़िर कहना क्या चाहते हो तुम...

सादिया ने ज़ोर से बात की तो अकरम को भी गुस्सा आ गया और वो गुस्से मे चिल्लाते हुए बोला......

अकरम- सच...और सच ये है कि मेरी कोई दूसरी खाला नही ...तुम्हारे अलावा....दूसरा सच ये कि गुल आपकी बेटी है...समझी..आपकी बेटी...

सादिया(सकपका कर)- क्क़..क्या...नही..ये सब...

अकरम(बीच मे)- दूसरा सच...आपके पति कही नही गये...ना दुबई और ना कही और...और ना ही वो आपसे अलग हुए है...असल मे वो अब इस दुनिया मे ही नही है...मर चुके है...

सादिया(घबरा गई)- आ...अकरम..तुम ये....

अकरम(बीच मे)- और सबसे बड़ा सच ये कि गुल आपकी बेटी है पर आपके पति की नही...असल मे वो आपके नाजायज़ रिश्ते की निशानी है....

सादिया(गुस्से मे)- अकरम...


अकरम- हाँ..गुल आपके नाजायज़ रिस्ते का नतीजा है और उसका बाप कोई और नही....वसीम ख़ान है...या ये कहूँ कि सरफ़राज़ ख़ान....हाँ...

अकरम की आख़िरी लाइन सुनकर तो सादिया सन्न रह गई और धम्म से बेड पर बैठ गई....उसका सिर झुका हुआ था और वो पर्ची को हाथो मे लिए सुबकने लगी....और अकरम गुस्से से भरी अपनी लाल आँखो से उसे घूरता हुआ खड़ा रहा....

सादिया, अकरम की बातें सुन कर रोने लगी थी...और अकरम उसे रोता हुआ देख रहा था...पर अकरम से ये ज़्यादा देर तक देखा नही गया....

अकरम ने आगे बढ़ कर उसे चुप कराने की कोसिस की...और सादिया रोती हुई अकरम के गले लग गई....

अकरम- आंटी...आंटी प्ल्ज़...मैं आपको रुलाना नही चाहता था...मैं बस सच जानना चाहता था...पर आपने जब झूठ पर झूठ बोला तो मुझे गुस्सा आ गया और मैं ये सब बोल गया....प्ल्ज़ आंटी...रोइए मत...प्ल्ज़....

सादिया कुछ नही बोली बस सुबक्ती रही...पर अकरम की बात सुन कर उसने अकरम को और ज़्यादा कस कर गले लगा लिया....

दोनो बेड पर आजू-बाजू मे बैठे थे...और इस समय सादिया , अकरम से ऐसे चिपकी थी कि जैसे चंदन के पेड़ से साँप....

अकरम अभी भी सादिया की पीठ सहलाते हुए उसे चुप करा रशा था....और सादिया उसे बाहों मे भरे दुबक रही थी...दोनो के दिल मे कोई ग़लत ख्याल नही था...

पर जैसे ही अकरम को अपने सीने पर सादिया के बड़े बूब्स का अहसाह होता गया...वैसे -वैसे अकरम गरम होता गया और उसका हाथ सादिया की पीठ पर तेज़ी से घूमने लगा....

अकरम ने अपने हाथ का दबाब बढ़ा कर सादिया को सहलाना जारी रखा और साथ मे वो खुद सादिया से कस कर चिपक गया .....और अपनी गर्म साँसे सादिया के गले के पास छोड़ने लगा...

सादिया भी एक खेली हुई औरत थी....वो अकरम के हाथ का दबाब पा कर अच्छा महसूस करने लगी...और इसी लिए वो भी चुपचाप उसी पोज़ीशन मे बैठी रही....

जब अकरम को लगा कि सादिया चुप हो गई है तो उसने बात करना ठीक समझा ...पर वो सादिया से अलग नही हुआ...उस्र अब मज़ा आ रहा था....इसलिए उसने वैसे ही सादिया को सहलाते हुए बात करनी सुरू कर दी......

अकरम- आंटी...अब बताइए...क्या ये सब सच है...

सादिया- हुह...तुम जानते थे...फिर क्यो पूछा....

अकरम- क्योकि मैं श्योर नही था...मुझे लगा कि शायद मुझे ग़लत न्यूज़ मिली है...

सादिया- पर तुम्हे बोला किसने...और ये पर्ची...कहाँ से मिली ये......

अकरम- आप ये छोड़ो...और मुझे सब सच बताओ...आख़िर ये सब हुआ कैसे...सुरू से बताओ...सब सच...ओके...

सादिया- ह्म्म्मह....बताती हूँ....पर पहले मुझे चेंज कर लेने दो...तुम बैठो ...मैं आई....

अकरम- ओके...आप फ्रेश हो जाओ...मैं आपके लिए कॉफी बना कर लाता हूँ...ओके...

फिर सादिया अकरम से अलग हुई और बाथरूम मे चली गई......और अकरम कॉफी बनाने चला गया.......

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अंकित के ऑफीस मे.............

सुजाता- लो...इन पेपर्स पर साइन करो....

सुजाता ने स्टम पेपर्स टेबल पर पटकते हुए बोला.....( इस समय मैं और सुजाता मेरे कॅबिन मे आमने-सामने बैठे हुए थे...)

मैं- ये सब क्या है आंटी....

सुजाता- क्या...बोला था ना कि सवाल नही...बस वही करो जो मैं कहती हूँ...साइन कर....

मैं- नही...मैं नही करूगा...

सुजाता(गुस्से मे)- नही करेगा...तो रुक..मैं अभी तेरे बाप को तेरी करतूत बताती हूँ...फिर देखना....

मैं- ठीक है...बता दो...ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा...वो मुझसे गुस्सा होंगे...मारेंगे....पर ये साइन कर के मैं उनको नुकसान नही पहुचाउन्गा....

मेरी बात सुनकर सुजाता की प्लानिंग फैल होने लगी....वो सोच रही थी कि वो आसानी से मुझे डरा कर साइन ले लेगी...पर यहाँ तो बाजी उल्टी पड़ रही है...

सुजाता(संभालते हुए)- नुकसान...नुकसान कैसा बेटा...

मैं- नुकसान ही तो है...ये हमारे ऑफीस के पेपर्स है...मेरे साइन करने पर ये तुम्हारे नाम हो जाएँगे....तो नुकसान तो डॅड का ही हुआ ना....

सुजाता(मुस्कुरा कर)- अरे नही...ये सब तुम्हारे डॅड के नाम होगा...मतलब फिलहाल सारे अधिकार जो तुम्हारे हाथ मे है...वो तुम्हारे डॅड के पास पहुँच जाएँगे...तुमने पढ़ा ही नही...एक बार पढ़ लो फिर बोलना....


मैने सुजाता की बात सुनकर पेपर्स को पढ़ना सुरू किया और पढ़ने के बाद सुजाता को घूर्ने लगा......

सुजाता- क्या हुआ...घूर क्यो रहा है....

मैं- आख़िर इस सब की ज़रूरत क्या है....वैसे भी यहाँ डॅड का ही ऑर्डर चलता है....

सुजाता- हाँ ...पर मैं चाहती हूँ कि मैं और तुम्हारे डॅड पार्ट्नर्स बन जाए...और इसके लिए सब कुछ तुम्हारे डॅड के नाम होना ज़रूरी है....समझे ना...

मैं- ह्म्म...वो तो है...पर इससे हमे कोई नुकसान...

सुजाता(बीच मे)- बिल्कुल नही...उल्टा फ़ायदा होगा....और बिज़्नेस भी फैलेगा ही...कम नही होगा....

मैं- ओके...पर इसमे आपका क्या फ़ायदा....

सुजाता- मेरा फ़ायदा...कुछ नही...बस मैं ये पार्ट्नरशिप चाहती हूँ...जिसके लिए तुम्हारा साइन करना ज़रूरी है...बस..और कोई बात नही....

मैं- पक्का ना...

सुजाता- पक्का...और तुम ये साइन कर दो तो तुम्हे भी फ़ायदा होगा....समझे...

सुजाता ने अपनी आँख दबा कर मुस्कुरा दिया और मैने भी मुस्कुरा कर साइन कर दिए....

सुजाता(मन मे)- बस बेटा...अब तू देख...कैसे ये सब मेरे पास आता है...उसके बाद यहाँ तू मरेगा और वहाँ तेरा बाप...हहहे....

मैं(मन मे)- अब देखता हूँ कि कब तक ये नाटक करेगी....जल्दी से अपनी औकात पर तो आए...फिर बताता हूँ कि अंकित से टकराना कितना महगा पड़ सकता है....

मैने साइन किए और पेपर्स सुजाता को दे दिए....सुजाता की आँखे खुशी से चमक उठी और वो पेपर्स ले कर उठी और मुझे गाल पर किस कर के गान्ड मटकाती हुई कॅबिन से निकल गई....

सुजाता के जाने के बाद मैं उसके बारे मे कुछ सोच ही रहा था कि डॅड मेरे पास आ गये....
 
आकाश(चिल्ला कर)- अंकित...ये क्या किया तुमने....साइन क्यो कर दिए...तुम आख़िर...आख़िर करना क्या चाहते हो...

मैं- डॅड...आप बहुत परेशान दिख रहे है...प्ल्ज़...पहले बैठ जाइए...मैं सब बताता हूँ..लीजिए डॅड...पानी पीजिए......

मैने डॅड को पानी दिया और थोड़ी देर तक उन्हे रेस्ट करने दिया....थोड़ी देर तक डॅड आँखे बंद किए हुए बैठे रहे और फिर बोले....

आकाश- बेटा..आख़िर तुम कर क्या रहे हो...कम से कम मुझे तो बताओ..और तुमने ये साइन...जानते हो कि इससे क्या हो सकता है....

मैं- जानता हूँ डॅड...ट्रस्ट मी....जैसा आप अंदाज़ा लगा रहे है...वैसा कुछ नही होगा...आप बस मुझ पर भरोशा रखिए....ओके डॅड....

आकाश- ह्म्म...पर अभी क्या करूँ...वो मेरे कॅबिन मे बैठी है...मेरे साइन लेने....

मैं- ह्म्म..आप साइन कर दो...

आकाश- क्या...पागल हो क्या...जानते हो ना कि साइन करने के बाद क्या होगा....

मैं- ह्म...जानता हूँ...साइन करने के बाद सुजाता झक मार कर मेरे पास आयगी...पक्का....

आकाश- पर वो किसलिए...आइ मीन क्यो आयगी ...

मैं- वो थोड़ी ही देर मे आपका वकील बता देगा....

आकाश- ह्म्म..बेटा..आइ ट्रस्ट यू...बट जो भी करना...सोच -समझ कर करना...और हाँ...कोसिस यही करना कि तुम किसी अच्छे सक्श का बुरा ना करो...ओके...

मैं(डॅड के हाथ थामकर)- जी डॅड...मैं आपको निराश नही करूगा...

आकाश- ह्म्म्मथ...तो मैं जा कर साइन करता हूँ...टेक केर...

फिर डॅड चले गये और मैं इंतज़ार करने लगा सुजाता का...मुझे पता था....वो ज़रूर आयगी....


लेकिन सुजाता के आने के पहले मेरा फ़ोन आ गया...ये काजल का फ़ोन था....कॉल पिक करते ही मुझे एक और झटका लग गया....काजल घबराई हुई थी हाँफती हुई बोल रही थी ......

काजल- अंकित...प्ल्ज़ तुम घर आ जाओ...वो मौसी...पता नही उन्हे क्या हो गया...वो बस तुम्हारे डॅड का नाम ले कर चिल्ला रही है..प्ल्ज़ तुम अभी आ जाओ...प्ल्ज़....

मैं- ओके...ओके..रिलॅक्स...आइ म कमिंग.....

मैं तुरंत ऑफीस से निकला और काजल के घर की तरफ कार दौड़ा दी.....ड्राइव करते हुए बस मेरे माइंड मे एक ही बात चल रही थी...

""दामिनी तो अच्छी भली थी....अब अचानक से क्या हो गया इसे...कही किसी ने उसे कुछ कर तो नही दिया......क्या रिचा ने....?????""

अकरम के घर..........

सादिया जब बाथरूम से निकली तो उसके बदन पर सिर्फ़ एक नाइटी थी...जो उसकी जाघो तक आ रही थी...और उसके गले से उसके बूब्स भी काफ़ी दिख रहे थे....

सादिया टवल से चेहरा सॉफ करते हुए रूम मे आई और जैसे ही उसने अपने सिर की झटक कर बाल पीछे किए तो उसकी नज़र सामने खड़े अकरम पर पड़ी....जो अपने हाथो मे कॉफी का मग लिए सादिया को ही घूर रहा था....

सादिया(छोटी सी स्माइल दे कर)- अरे बेटा...आ गये तुम...खड़े क्यो हो...आओ ना...

फिर दोनो आमने-सामने बैठ कर कॉफी पीने लगे....सादिया अपनी एक जाघ दूसरी जाघ पर चड़ा कर बैठी हुई थी...जिससे अकरम को सादिया की चिकनी जाघे कुछ ज़्यादा ही दिख रही थी...

अकरम बार-बार उस नज़ारे को अवाय्ड करने की कोसिस करता पर क्या करे...जवान लड़के के सामने ऐसा सीन हो तो वो कब तक खुद को रोक पायगा...

कॉफी ख़त्म होने तक अकरम की बॉडी सादिया की जाघे देखते हुए गरम होने लगी थी...उसकी नज़र अब चाह कर भी जाघो से हट नही रही थी...

सादिया ने भी ये बात नोटीस की...पर वो भी चुप रही...सिर्फ़ अपने पैरों को सीधा कर के बैठ गई....

सादिया के सीधे होते ही अकरम सकपका गया और जल्दी से अपनी कॉफी ख़त्म कर के बैठ गया.....

थोड़ी देर तक दोनो की बीच खामोशी छाई रही...शायद दोनो ही कस्मकस मे थे....फिर सादिया ने उस खामोशी को तोड़ा....

सादिया- हाँ...अब बताओ...तुम्हे ये पर्ची किसने दी...

अकरम- हुह...बताउन्गा आंटी....पर पहले मेरे सवाल का जवाब दो...

सादिया- कौन सा सवाल....

अकरम- वही सवाल....गुल के बारे मे...आख़िर गुल की असलियत सबसे क्यो छिपाई...और बाकी सब...सब सुरू से बताओ....

सादिया- बाकी सब....मतलब....

अकरम- आप समझ रही हो...कि मैं क्या पूछ रहा हूँ....आपके इस नाजायज़ रिस्ते की सच्चाई....प्ल्ज़ ..अब सच बताइए....

सादिया(हैरानी से)- पर बेटा...मैं तुमसे इस तरह की बातें कैसे...नही बेटा...ये मुझसे नही होगा....

अकरम- आंटी...आप भी..मैं अब बच्चा नही रहा..मैं ये बातें कह भी सकता हूँ सुन भी सकता हूँ...

सादिया- पर बेटा...

अकरम उठकर सादिया के बाजू मे बैठ गया और उसके कंधे को पकड़ कर बोला.....

अकरम- आंटी...अब हम इन बातों को शेयर कर सकते है....प्ल्ज़...बताइए ना...

अकरम ने ये बार बोलते वक़्त सादिया के खांडे को दबा दिया और साथ मे दूसरा हाथ उसकी जाघ पर फेर दिया.....

सादिया(मुस्कुराइ और गहरी सास ले कर)- हमम्म्मम...ओके...बताती हूँ..सब बताती हूँ....
 
सादिया का फ्लॅशबॅक........

सादिया ने अपनी बात कहनी सुरू की...सबसे पहले उसने वो बातें बताई जो मैं पहले से जान चुका था....

जैसे फॅमिली मेंबर्ज़ के बारे मे....सबनम और सादिया की शादी...एट्सेटरा...

फिर सादिया पॉइंट पर आई...जो मैं सुनना चाहता था....

सादिया- असल मे मेरी शादी के पहले मेरा एक बाय्फ्रेंड था...जिसके साथ मेरे जिस्मानी संबंध भी थे....

पर सकील से शादी होने के बाद मैं सिर्फ़ उसी की थी....हमारी लाइफ भी अच्छी चल रही थी...पर मेरी सेक्षुयल डिज़ाइर कुछ ज़्यादा ही थी....मुझे अलग -अलग तरह से सेक्स करने का शौक था...पर सकील सिंपल सेक्स करते थे....तो मैं इस रुटीन सेक्स से बोर होने लगी थी...

पर मैने अपने आप को समझा कर हालातों से समझोता कर लिया...क्योकि मैं किसी हाल मे घरवालो की बदनामी का चान्स नही लेना चाहती थी...इसलिए मैने अपने एक्स-बाय्फ्रेंड से भी कभी कॉन्टेक्ट नही रखा...और लाइफ को सकील के साथ जीने लगी....

पर फिर एक और प्राब्लम आ गई...सकील को दुबई जाना पड़ा....फिर तो मेरी सेक्स लाइफ ना के बराबर रह गई ...वो मंत मे 2 दिन के लिए आता और बाकी के दिन मैं सेक्स के लिए तड़पति हुई निकलती....पर मैने अभी भी कोई ग़लत कदम नही उठाया ...और मन को समझा लिया....

पर फिर एक बार मैं सबनम के घर रहने गई तो वहाँ से मेरी लाइफ मे एक नया मोड़ आ गया...और उस दिन के बाद से मैं सेक्स लाइफ को खुल कर एंजाय करने लगी......

उस रात मैं सबनम के बाजू वाले रूम मे लेटी थी...पर मुझे नीद नही आ रही थी...मेरी चूत मे आग लगी हुई थी...पर मेरे पास उंगली के अलावा कोई चारा नही था...

मैं लेटी हुई अपने मस्ती के दिनो को याद करते हुए चूत सहला रही थी कि मुझे कुछ आवाज़े सुनाई देने लगी...

आवाज़ तेज नही थी फिर भी ये समझ आ रहा था कि ये चुदाई की आवाज़े है...जिन्हे सुनकर मेरे कान खड़े हो गये....और दिल मे एक अजीब सी हलचल होने लगी.....

मैं जल्दी से बेड से उठी और दीवार के नज़दीक पहुँच कर अपना कान दीवार से चिपका लिया....

अब मेरे कानो मे चुदाई की आवाज़े तेज होने लगी थी..और मेरे बदन मे आग भी लगने लगी थी....

कुछ देर तक आवाज़ सुनकर मेरा मन और ज़्यादा मचल गया...अब मेरा मन चुदाई देखने का कर रहा था...पर कैसे...फिर मुझे याद आया की शायद गेट से कोई रास्ता मिल जाए...

मैं जल्दी से रूम से बाहर आई और सबनम के रूम के गेट के कीहोल से देखने लगी...

मेरा दिल अंदर का सीन देख जर धक्क रह गया...

अंदर अनवर , सबनम को उल्टी कुतिया बना कर चोद रहा था....

क्या मस्त सीन था....सीन देखते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया...

अनवर का तगड़ा लंड सतसट सबनम की चूत मे आ-जा रहा था और सबनम भी मस्ती मे अपनी गान्ड को आगे कर -कर के लंड का मज़ा ले रही थी....

ये सीन देख कर मेरे अरमान फिर से जागने लगे ....अलग तरीके से चुदने के अरमान....

मैं ये नज़ारा देख -देख कर अपनी नाइटी के उपेर से ही चूत रगड़ने लगी....

थोड़ी देर बाद सबनम झड गई और अनवर ने सबनम को उठा कर खड़े-खड़े उसे 69 के पोज़ मे कर लिया और दोनो एक-दूसरे के अंगो को चूसने-चाटने लगे....

मैं फिर से गरम हो गई थी और इतनी जल्दी दुबारा झड़ने वाली थी...

जैसे ही सबनम , अनवर का लंड गले तक ले जाती और फिर उसे बाहर निकलती तो मेरी चूत झटका मार देती....

थोड़ी देर बाद अनवर ने सबनम को अपनी कमर पर टाँगा और जोरदार चुदाई सुरू कर दी...

और सबनम की चीख सुनते ही मैं झड गई...पर मैं लगातार चूत मसल्ति रही...

अंदर का नज़ारा देख कर मैं इतनी बहक गई थी कि मैने अपने बूब्स नाइटी से बाहर निकाल लिए और नीचे से नाइटी को उपेर चढ़ा कर एक उंगली अपनी चूत मे डाल ली और खुल कर अपनी बॉडी को रगड़ने लगी...

अंदर अभी भी जोरदार चुदाई चालू थी...सबनम एक बार फिर से झड गई थी...

और फिर अनवर ने सबनम को कुतिया बनाया और उसकी टांगे उठा कर पीछे से लंड पेलने लगा....

सबनम की टांगे हवा मे थी...वो सिर्फ़ हाथो के सहारे पर थी...और पीछे से अनवर ताबड़तोड़ चुदाई करता रहा...

इस सीन को देखते हुए मैं एक बार फिर से झड गई...पर मैने उंगली चलाना जारी रखा...

अंदर थोड़ी देर बाद सबनम फिर से झड गई...और अनवर भी झड़ने वाला था...

अनवर ने सबनम को सामने घुटनो पर बैठाया और अपने तगड़े लंड से पिचकारियाँ मारना चालू कर दिया....

मैं तो उसका लंड देख कर ही फिदा हो गई थी और उसकी पिचकारी...इतनी तेज...सीधा सबनम के मुँह मे जा रही थी और इतना रस निकला जितना आज तक शकील और मेरे बाय्फ्रेंड का कभी नही निकला था....

उसके लंड से निकलते रस को देखते हुए मैं फिर से झड गई....

अंदर चुदाई ख़त्म हो गई थी और मैं भी उठ कर अपने बेड पर आ गई...

उस दिन मैं इतना झड़ी जितना मैने सोचा भी नही था...

फिर पूरी रात मेरे माइंड मे वही सब सोचती रही....और सुबह होते-होते मेरे मन मे ये ख्याल आ गया कि मैं अपनी तड़प अनवर से मिटवाउन्गी....इस तरह बात घर मे रहेगी...बदनामी भी नही होगी और मेरी तड़प भी मिट जाएगी....


पर मेरा इरादा पूरा ना हो सका....क्योकि अनवर बड़े सरीफ़ थे....उसने मुझे लाइन नही दी....

पर मैं रोज-रोज उसकी चुदाई देख कर अपनी प्यास बुझाती रही...

पर एक दिन अनवर ने मुझे वहाँ देख लिया पता नही कैसे और फिर वो अपने रूम से कोई बहाना कर के बाहर आ गया....मैं नंगी पकड़ी गई...और उपेर से प्यासी....

पता ही नही चला कि मैं कब अनवर के साथ चिपक गई...अनवर ने मुझे रूम मे भेजा और फिर सबनम के सोने के बाद रूम मे आ गया....

और रात भर अनवर ने मुझे जम कर चोदा...

फिर ये सिलसिला चल पड़ा...अनवर रोज सबनम को चोदता और उसे सुला कर मुझे पूरी रात चोदता और मैं भी मज़े से चुदवाती...

एक दिन मुझे पता चल की मैं प्रेगनेंट हूँ...मैने फिर एक प्लान बनाया..जिससे मैं ये बच्चा सकील का बता सकूँ....

मैं संतुष्ट थी और खुश भी...पर तभी हमारी लाइफ मे एक बड़ा हादसा हो गया...

मेरे सोहर और मेरे और अनवर के मोम-डॅड गुजर गये...और अनवर से किए गये वादे की वजह से सबनम ने सरफ़राज़ से शादी कर ली.....

थोड़े दिन बाद मेरे प्रेगनेंट होने की बात सबको पता चल गई...तो सरफ़राज़ ने आगे आ कर मेरे बच्चे को अपना नाम दिया...वही है मेरी बेटी गुल....

पर हम ये बात तुम सब को नही बता सकते थे...ज़िया भी समझदार थी तो हमने एक मौसी की कहानी बना ली...पर गुल के बड़ा होते ही उसे सब बता दिया और उसे समझा भी दिया...

इस तरह गुल समझ गई...पर अब ये बात ज़िया भी जानती है....

और हाँ....अनवर के बाद से मैं और सबनम सरफ़राज़ से ही अपनी प्यास भुजाते रहे...

और तुम सब बच्चो को सरफ़राज़ का नाम दिया......


सादिया(आह भर कर)- तो ये थी पूरी सच्चाई....गुल तुम्हारे डॅड अनवर की ही बेटी है..बस उसकी माँ अलग है...यानी कि मैं...

अकरम- ह्म्म्मर...
 
अकरम उस कहानी को सुनते हुए गरम हो चला था..उसका एक हाथ सादिया की गान्ड पर और दूसरा उसकी नंगी जाघ पर था...

सादिया भी अपने पुराने दिन याद करते हुए बहक गई थी...उसे अकरम की हर्कतो ने और भी गरम कर दिया था...

अब दोनो एक दूसरे की आँखो मे देखने लगे पर अकरम के हाथ बराबर चल रहे थे...और सादिया को पसंद भी आ रहे थे...

सादिया- अकरम...तुम...

अकरम- आंटी...आप..आप कितनी..हॉट...

अकरम ने अपना चेहरा आगे किया तो सादिया ने भी अपनी आँखे बंद कर के अपने होंठो को खोल दिया....

अकरम को इतना इशारा काफ़ी था और उसने आगे बढ़ कर अपने होंठ सादिया के होंठो पर टिका दिए....और देखते ही देखते दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे....

कामिनी के घर..........

मैं ऑफीस से निकला पर साला मेरी कार पन्चर मिली तो मैने डॅड की कार ली और सीधा कामिनी के घर पहुँचा तो पता चला कि काजल जो कह रही थी वो सच था....दामिनी ज़ोर -ज़ोर से चीखते हुए मेरे डॅड का नाम ले रही थी...

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है...क्या दामिनी को सच मे कुछ हुआ है या फिर ये उसका कोई नाटक है...

मैने भी आगे बढ़ कर दामिनी को शांत करने की कोसिस की पर वो नही संभली....

थोड़ी देर बाद वहाँ रॉनी भी आ गया...उसे मैने ही कॉल किया था....

रॉनी- क्या हुआ सर...

मैं- रॉनी...दामिनी का चेकप करो...जल्दी...

फिर मेरे कहने पर सब लोग रूम से निकल गये और मैने गेट लॉक कर दिया और जैसे ही पलटा तो दामिनी को देख कर खुश हो गया...पर साथ मे गुस्सा भी बहुत आया....इतने टाइम मे रॉनी ने सिग्नल जाम कर दिए थे....



मैं(बेड के पास आ कर)- ये सब क्या था...

दामिनी- तू बैठ तो...सब बताती हूँ...

मैने गुस्सा दिखाते हुए दामिनी के बाल पकड़े और उसके गाल पर एक चपत लगा दी....

मैं- क्या है ये...ये नाटक किस लिए...

दामिनी- हाए...इसी बहाने हाथ तो लगाया तूने...

मैं- तो तूने हाथ लगवाने को यहा बुलाया था....

दामिनी- नही...कुछ बताने के लिए..कुछ खास...कुछ ऐसा जिसके लिए मैं वेट नही कर सकती थी...इसलिए ये सब नाटक किया....

मैने दामिनी की बात सुन कर उसके बाद छोड़े और बेड पर उसके सामने बैठ गया....

मैं- ऐसी क्या खास बात है...ज़रा मैं भी तो सुनू....

दामिनी- देखो अंकित...ये मज़ाक नही...मेरी बात ध्यान से सुनो...

मैं- हाँ...बोलो तो...मैं सुन रहा हूँ....

दामिनी- पूरी बात तो नही पता...पर इतना जानती हूँ कि कुछ बड़ा होने वाला है..कुछ ख़तरनाक....

मैं(सीरीयस हो कर)- बड़ा...पर क्या...ये तो बोलो....

दामिनी- मुझे पूरी बात नही पता पर मैने जितना सुना...उसे सुन कर यही लगा की कुछ बड़ा होने वाला है....

मैं- ओके..तुमने क्या सुना...और किससे सुना...

दामिनी- वो रिचा आई थी...और उसका फ़ोन बजा तो वो बाहर जा कर बात करने लगी...पर मैं बाथरूम मे चली गई और वहाँ से उसकी बात सुनाई दी....

मैं- ह्म्म्मँ...तो क्या सुना.....

दामिनी- बस इतना ही कि...""इस बार बचना नही चाहिए....बस उसे ठिकाने लगा दो फिर सब ठीक हो जायगा.....""

मैं(मन मे)- तो रिचा नही सुधरेगी...साली इसे तो अपनी बेटी की भी परवाह नही है...कमीनी कही की....इसे तो मैं देखता हूँ....

दामिनी- तो तुम सम्भल कर रहना ...ओके....

मैं- ठीक है...और तुम भी बस कुछ दिन और झेल लो...फिर सब ठीक कर दूँगा...

फिर मैं थोड़ी देर तक वहाँ रुका और घर निकल आया...

रास्ते मे मुझे जूही दिख गई...वो किसी फ्रेंड के साथ खड़ी हुई थी...

मैने पूछा तो पता चला कि उसे ट्यूशन जाना था...पर गाड़ी खराब हो गई...

तो मैने जबर्जस्ति कर के उन दोनो को अपनी कार दे दी और मैं टॅक्सी ले कर घर आ गया...

घर आ कर मैने सविता को कॉफी लाने का बोला और बैठा ही था कि एक कॉल आ गया ....

मैं- हेलो...

सामने- अंकित सर....आकाश सर का आक्सिडेंट हो गया...आप जल्दी आइए....

डॅड के आक्सिडेंट की खबर सुनते ही मेरे हाथ से फ़ोन गिर गया और पूरा जिस्म थर्रा गया....

पर मैने अपने आप को संभाला और बाहर की तरफ दौड़ लगा दी...........

मैं डॅड के आक्सिडेंट की खबर सुन कर मैं पागलो की तरह घर से भाग निकला....

घर की बौंड्री मे 3 कार्स रखी थी पर मुझे ये होश ही नही था...मैं घर से निकल कर सीधा ऑफीस की तरफ भागा.....

मैं फ़ोन करने वाले से ये भी नही पूछ पाया कि आक्सिडेंट कब और कहाँ हुआ....बस मैं तो भागता रहा...

भागते हुए मैं सहर के ट्रफ़िक से भी टकराया पर फिर सम्भल कर भागता रहा....

मेरी दौड़ तब जा कर ख़त्म हुई ...जब एक कार मेरे ठीक सामने आ कर रुक गई और मैं उससे टकरा कर गिर गया....

मैं तुरंत उठ कर संभला और उठने की कोसिस की पर मेरे पैर मे चोट आ गई थी...फिर भी मैं उठा...और भागने की सोच कर सिर उठाया ही था कि मुझे एक झटका लगा.....

ये झटका मेरे लिए खुशी ले कर आया था....मैने सामने देखा तो सामने मेरे डॅड और सुजाता खड़े हुए थे....

दोनो मुझे अजीब नज़रों से देख रहे थे...और कुछ बोल भी रहे थे...पर मेरे कानो तक उनकी कोई आवाज़ नही पहुँच रही थी....

मेरे चारो तरफ भीड़ जमा हो चुकी थी...सब लोग मुझे ही घूर रहे थे...

पर इस वक़्त मेरी आँखे सिर्फ़ मेरे डॅड को देख रही थी...उन्हे देख कर दिल मे इतनी खुशी जागी कि मेरी आँखे नम हो गई....

देखते ही देखते मेरे आँसू आँखो से निकल कर मेरे गाल पर बहने लगे और मैं झपट कर अपने डॅड के गले लग गया....

ये सब देख कर मेरे डॅड असमंजस मे थे...उन्हे कुछ भी समझ नही आ रहा था...वो बस मुझे गले लगाए हुए मेरे सिर पर हाथ घुमा रहे थे....

मैं- डॅड...डॅड...थॅंक गॉड...डॅड..

और मैं ये बोलते -बोलते रो पड़ा ...जिससे डॅड और ज़्यादा परेशान हो गये और मेरे सिर को सहलाते हुए मुझे चुप कराने लगे....

आकाश- अंकित...बेटा ...हुआ क्या...तू रो क्यो रहा है...अंकित....प्ल्ज़...चुप हो जा...

मैं- डॅड...आप...आअप ठीक हो...ओह गॉड...

आकाश- अंकित...क्या हुआ ..कुछ तो बोल..

डॅड ने परेशान हो कर मुझे झकझोर दिया और अपने से अलग कर के मुझे देखने लगे ...

आकाश- बोल बेटा..आख़िर बात क्या है..

मैं- डॅड...वो..फ़ोन...आक्सिडेंट....डॅड....

डॅड ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे ज़ोर से हिला दिया....

आकाश- अंकित ...होश मे आओ....क्या हुआ...बता मुझे.....

डॅड के हिलाने से और उनकी जोरदार आवाज़ से मैं होश मे आया और उन्हे देख कर फिर से उनके गले लग गया....

मैं- थॅंक गॉड डॅड...आप बिल्कुल सही सलामत है....

आकाश- हाँ बेटा...मैं बिल्कुल ठीक हूँ.. पर ये तो बता कि तुझे हुआ क्या....

मैं(डॅड से अलग हो कर)- डॅड...वो मुझे कॉल आया था...कि आपका...आपका आक्सिडेंट हो गया....

आकाश(शॉक्ड)- व्हाट....किसने बोला ...मुझे तो कुछ भी नही हुआ....हाँ...

मैं- वो...वो नही पता डॅड...बस कॉल आया और मैं भाग कर आपके पास आ रहा था ..और आप मिल गये बस...

आकाश- ओके...अपना फ़ोन दिखा...देखु तो कि कॉल किसने किया था....

मैं- हाँ...एक मिनट...अरे...मेरा फ़ोन...

मैं तुरंत जेब टटोलने लगा...पर मेरा फ़ोन जेब मे नही था...ये एक और झटका था...


मैं- मेरा फ़ोन..डॅड...मेरा फ़ोन...पता नही कहाँ है...

आकाश- कोई नही...जस्ट रिलॅक्स...हम पता लगा लेगे कि ये घटिया मज़ाक किसने किया ....चल..घर चल..

मैं(याद कर के)- ओह्ह...मेरा फ़ोन घर मे ही रह गया ....चलिए घर चलते है....जल्दी...

मैं तुरंत डॅड के साथ घर निकल आया...

जब घर आया तो फ़ोन सोफे के पास ही पड़ा मिला....मैने तुरंत फ़ोन चेक किया...उस पर 2 मिसकाल थे...उसी नंबर से जिस नंबर से मुझे आक्सिडेंट वाला कॉल आया था....

मैं(गुस्से मे)- अभी देखता हूँ इसको...

और मैं कॉल लगाने ही वाला था कि उसी नंबर से कॉल आ गया....
 
( कॉल पर )

मैं- कौन है साले....

सामने- सिर...आप अंकित सिर बोल रहे है ना...

मैं- हाँ साले...बोल रहा हूँ ...तू कौन है...

सामने- सर...मैं आपके ऑफीस का एंप्लायी हूँ....आपको आक्सिडेंट के बारे मे बोला था...आप...

मैं(बीच मे, ज़ोर से)- चुप साले...कैसा आक्सिडेंट...तेरी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की...

सामने- सर...ये आप...छोड़िए.. अभी आप *** हॉस्पिटल आ जाइए....घायलो को वही ले गये है...

मैं- चुप कर ..चुप कर...कितना झूट बोलेगा...तू है कौन साले...नाम बता ..मैं तुझे छोड़ूँगा नही ..

सामने- सर...मैने क्या किया...मैने तो बस आपको आक्सिडेंट की खबर दी ...

मैं- आअहह ...फिर से...साले..एक और बार आक्सिडेंट की बात की तो अभी आ कर जान ले लूँगा....

सामने- क्या...पता नही आपको क्या हुआ...आप प्ल्ज़ जल्दी से *** हॉस्पिटल आ जाइए.....

मैं आगे कुछ बोलता उसके पहले ही कॉल कट हो गया...शायद वो मेरी गालियाँ नही सुनना चाहता था.....

कॉल कट होते ही मेरा पारा चढ़ गया और मैं गुस्से से बाहर निकल गया...डॅड ने मुझे आवाज़ दी पर मैने उन्हे इग्नोर किया और कार ले कर उस हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा.....
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अकरम के घर..........


अकरम और सादिया एक दूसरे के होंठो को चूसने मे बिज़ी थे....ऐसा लग रहा था कि आज ये होंठो को चवा जाएँगे....
दोनो के अरमान उफान पर थे...जहा अकरम इस खेल का नया सौकीन था...वही सादिया पूरे एक्षपीरियँस के साथ अकरम को खुश कर रही थी...

असल मे अकरम को चुदाई का नया शौक लगा था...इसलिए वो कुछ ज़्यादा ही गरम था...दूसरी तरफ सादिया चुदाई की आदि हो चुकी थी...उसे नये-नये लंड खाने का चस्का था...इसलिए वो भी गरम हो कर अकरम को हासिल करना चाहती थी...

कुछ देर तक जोरदार किस करने के बाद दोनो अलग हुए और एक दूसरे को देखते हुए तेज साँसे लेने लगे.....पर अभी भी दोनो एक-दूसरे की बाहों मे थे और एक-दूसरे की आँखो मे देख रहे थे....

अचानक से दोनो मुस्कुरा दिए और अकरम ने आगे बढ़ कर अपना मुँह सादिया के गले पर रख दिया और चूमने लगा....

सादिया- आअहह...अकरम...नही...ऊहह...मत करो...

अकरम- उउम्मह...उउउम्मह..क्यो नही आंटी...उउम्मह...यू आर सो हॉट...उउउम्मह...

सादिया- आहह...नही बेटा...ये ग़लत होगा...उउंम्म..नही...

अकरम- उउम्मह...ग़लत...हाँ...तुम ये ग़लती कर चुकी हो...उउउम्म्म्म...उउंम्म...

अकरम का जोश देख कर सादिया समझ गई कि अब अकरम को रोकना मुस्किल है...असल मे उसकी चूत भी चुदासी हो चुकी थी...इसलिए उसने भी अकरम के रंग मे रंगने का फ़ैसला कर लिया और ज़ोर से सिसकने लगी.....

सादिया की सिसकियों ने अकरम को आगे बढ़ने का हौसला दे दिया...और अकरम सादिया की बड़ी गान्ड को हाथो से मसल्ते हुए अपना मुँह उसके बूब्स पर ले गया...

अकरम ने सादिया के एक बूब को नाइटी के साथ ही मुँह मे भर लिया और तेज़ी से बूब चूस्ते हुए उसकी गान्ड मसल्ने लगा....

सादिया , अकरम की तड़प देख कर और ज़्यादा गरम हो गई और अपने हाथो से अकरम के सिर को अपने बूब्स पर दबाने लगी...
अकरम बारी-बारी बूब्स को चूस्ता रहा और साथ मे गान्ड भी मसलता रहा....

सादिया की नाइटी अकरम के थूक से गीली हो चुकी थी...और अब सादिया की चूत पानी बहा रही थी...और ज़ोर-ज़ोर से सिसक रही थी...

सादिया की सिसकियाँ सुन कर अकरम और ज़्यादा जोश मे आ गया और जल्दी से सादिया की नाइटी को निकाल फेका...

नाइटी निकलते ही सादिया के बड़े-बड़े बूब्स अकरम के सामने झूलने लगे...असल मे सादिया ने नाइटी के अंदर सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी...ब्रा नही...

अकरम(जीभ पर होंठ फिरा कर)- उउउंम्म...सो नाइस आंटी...

सादिया कुछ बोलती उससे पहले ही सादिया का एक बूब अकरम के मुँह मे था और सादिया ज़ोर से सिसक उठी...

अकरम एक बूब दबाते हुए दूसरे को चूसने लगा और सादिया भी गरम हो कर अकरम की पेंट मे खड़ा लंड सहलाने लगी....

अकरम- उूउउंम्म...उउउंम्म...उउउंम्म...उउउंम्म...उउउंम्म...

सादिया- आअहह...ऊओ अकरम...आहह..चूस ले बेटा...आहह...

अकरम- उउउंम्म...आअहह...उउंम्म...उउउम्म्म्म...उउउंम्म...उउउंम्म...

सादिया- आअहह...चूस्ता रह...आअहह...बिल्कुल अपने अब्बू के जैसे...आअहह...वो भी रगड़ के चूस्ता था...आअहह...चूस बेटा...आअहह...

बूब्स चूस्ते हुए अकरम ने सादिया को बेड पर लिटा दिया और उसके उपेर लेट कर बूब्स चूसने लगा....अब अकरम का खड़ा हुआ लंड सादिया के पेट से टकरा रहा था....

सादिया अकरम के लंड के अहसास से तड़प उठी और मन ही मन अंदाज़ा लगाने लगी कि लंड की हेल्थ-हाइट क्या है...

थोड़ी देर बाद अकरम ने सादिया के बूब्स छोड़े और खड़ा हो कर अपने कपड़े निकाल दिए और सादिया की पैंटी पकड़ कर खीच दी...

सादिया ने भी मस्ती मे अपनी गान्ड उचका कर अपनी पैंटी को नीचे जाने दिया...

अब अकरम के सामने सादिया की चिकनी चूत आ गई...जो रस से भरी हुई थी...

अकरम चूत को देख कर होंठो पर जीभ फिराने लगा...ये देख कर सादिया शर्मा गई और उसने जाघो से चूत छिपा ली...

अकरम मुस्कुराया और सादिया के उपर आ गया...उसका मुँह चूत के उपेर था और लंड सादिया के पंजो के पास...

अकरम- क्या रसीली चूत है आंटी...सस्स्ररुउउप्प्प्प...

सादिया- आअहह....उूउउम्म्म्म...

अकरम ने चूत के उपेर वाले हिस्से पर जीभ चलाई तो सादिया सिसक उठी...

अकरम- आंटी...अब खोल भी दो...सस्स्रररुउुउउप्प्प्प...

सादिया- यूउंम्म...ले बेटा...ये ले...

और सादिया ने अपनी जाघो को थोड़ा खोला और अकरम ने तुरंत उठ कर जाघो को ज़्यादा ही फैला दिया और पलक झपकते ही सादिया की चूत पर मुँह लगा दिया...


सादिया- आअहह....बेटाअ....

अकरम- सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प...सस्स्रररुउुउउप्प्प्प...

सादिया- आअहह.. अकरम ...चूस बेटा...ज़ोर से...पी जा...आअहह....

अकरम- सस्स्रररुउुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउप्प्प्प...सस्रररुउउप्प्प...

सादिया- आआहह....तेरे अब्बू का ही बेटा गई...आअहह...वो तो खा ही जाता ....आआहह....आअहह...

अकरम ने सादिया की बात सुन कर चूत को मूह मे भर के चूसना सुरू कर दिया.....

अकरम- सस्स्रररुउप्प्प....सस्रररुउउप्प्प...उूुउउम्म्म्ममम..उूउउनम्म्मम...

सादिया अकरम के इस हमले को सह नही पाई और अकरम के मूह मे झड़ने लगी...

सादिया- आअहह...ओह गॉड...आअहह...अकरम...तू तो...ऊहह....पी जा बेटा...खाली...आआ....कर दे...उउउम्म्म्म....

सादिया अपनी गान्ड हिला-हिला कर अकरम के मूह मे झड रही थी और अकरम भी लपलप चूत रस पिए जा रहा था ....

तभी एक आवाज़ आई और दोनो की गान्ड फट गई...और एक चीख निकल गई....

""अकरम तू यहाँ है..........आआआअह्ह्ह्ह्ह....""
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अंकित के घर........



मैं पूरे गुस्से मे कार ले कर उस हॉस्पिटल की तरफ जा रहा था जो फ़ोन करने वाले ने बताया था...

ड्राइव करते हुए मैं बस यही सोच रहा था कि जिसने भी मेरे साथ ये घटिया मज़ाक किया है..मैं उसके हाथ-पैर तोड़ दूँगा ...

पर तभी...हॉस्पिटल के थोड़ी दूर पहले ही मुझे ट्रॅफिक जाम मिल गया...

मैने देखा कि लोग कार से निकल कर एक तरफ जा रहे है. .

मैं(गुस्से मे)- अब क्या हुआ...ये ट्रॅफिक भी साला अभी लगना था...

मैं गुस्से मे कार से निकला और उस तरफ जाने लगा जहा सब लोग जा रहे थे...

आयेज जाकर मैने देखा कि सब लोग एक जगह को घेर कर खड़े हुए है...

पूछने पर पता चला कि कोई आक्सिडेंट हुआ है..काफ़ी भयानक....

मैं- यहाँ भी आक्सिडेंट...ये आज जा दिन ही आक्सिडेंट ने खराब कर दिया..हह....

मैं गुर्राते हुए भीड़ को छोड़ कर आगे बढ़ता गया...मुझे भी आक्सिडेंट देखने की इक्षा जाग गई थी...

मैं सबको हटते हुए आयेज आया तो देखा की सामने एक कार उल्टी पड़ी हुई है...कार की हालत बहुत खराब थी और उसकी खिड़की से देखने पर पता चला कि कार मे बैठे इंसान का खून भी बह गया...

ये नज़ारा देखते ही मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ा...

""ज्ज्ज्जुउुऊहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईई""
डॅड की कार का हाल देख कर ही मेरे हलक से एक जोरदार चीख निकल गई ...वो चीख जूही के नाम की थी....

मेरी चीख सुन कर मेरे आस-पास खड़े लोग चौंक गये और बाकी के सारे लोग मुझे घूर्ने लगे ....

मैने चीखते ही अपने पैरों को कार की तरफ तेज़ी से बढ़ाया पर 2 पोलीस वालो ने मुझे रोक लिया...उन्होने मुझे आगे नही जाने दिया...बोले कि इन्वेस्टिगेशन जारी है...

मैने कुछ हाथ-पैर मारे कि मैं आगे जा सकूँ पर पोलीस वालों ने मुझे पीछे धकेल दिया....और मेरा दर्द गुस्सा बन कर भड़क उठा....

मैं(गुस्से से)- तुम्हारी ये हिम्मत...सालो मैं तुम्हे छोड़ूँगा नही ...दोनो की वॉट लगा दूँगा....

पोलीस- क्या ...साले...बहुत बड़ी तोप बनता है...अभी दिखाता हूँ....

मेरी बात सुनकर एक पोलीस वाला गुस्से से अपना डंडा घुमाता हुआ आगे बढ़ा......

पर इससे पहले कि वो अपना डंडा मुझ पर उठाता....उस भीड़ से निकल कर एक आदमी आगे आ गया और पोलीस वाले से मिन्नते करने लगा...

आदमी- सर..सिर..प्ल्ज़...इन्हे कुछ मत कीजिए...ये...ये बहुत दुखी है..तो ग़लती हो गई...प्ल्ज़ सर...

पोलीस- क्या...तू है कौन...और ये लड़का इतना क्यो उड़ रहा है...हाँ...

आदमी- सर..ये अंकित मलजोत्रा है...मेरे बॉस के बेटे...और ये सामने पड़ी कार इनके डॅड यानी मेरे बॉस आकाश की है...इसलिए ये गुस्से मे आ गये...प्ल्ज़ समझिए ना...प्ल्ज़ सर...

पोलीस वाले को उसकी बात समझ आ गई और वो नॉर्मल हो कर बोला कि इसे दूर रखो और हॉस्पिटल ले जाओ...ओके..

आदमी पोलीस वाले को समझा कर मेरे पास आया और बोला...

आदमी- सर...आप ठीक है ना...थॅंक गॉड आप आ गये...मैं आप का ही वेट कर रहा था....

मैं- क्या...तुम हो कौन...और मेरा वेट...किसलिए...

आदमी- सर...मैं आपके ऑफीस मे काम करता हूँ..मैने ही आपको आकाश सर के आक्सिडेंट की न्यूज़ दी थी...

इतना सुन कर ही मैने गुस्से से उस आदमी की कॉलर पकड़ ली ...

मैं- तो तू है साला...कमीने...तूने झूट क्यो बोला...मेरे डॅड के बारे मे...हाअ...

आदमी(डरते हुए)- ज्ज...झूट...नही सर..मैने तो सच कहा था...सर का आक्सिडेंट हो गया...

मैं(गुस्से मे)- चुप साले.. मेरे डॅड घर पर है..बिल्कुल ठीक...और तू...साले झूट क्यो बोला...हाँ.

आदमी- नही सर...मेरी बात तो सुनिए...ये देखिए...ये कार...आकाश सर की ही है...

मैं- जानता हूँ...तो क्या...हाँ...

आदमी- सर..जब मैं ऑफीस से निकला तो यहाँ इस कार को देखा...मैने सोचा कि आकाश सर की कार है तो शायद उनका ही आक्सिडेंट हो गया है..बस मैने आपको कॉल कर दिया..बस सर..

मैं(चिल्ला कर)- साले...उसमे डॅड नही थे...मेरी जूही थी....जूही...

आदमी- ज्ज्ज...जूही...कौन जूही...

मैं- कोई नही...ये बता कि आक्सिडेंट के बाद क्या हुआ....कार मे बैठे लोगो का क्या हुआ ...जल्दी बोल....

आदमी- म्म..मैने बताया तो था...आप **** हॉस्पिटल पहुँच जाइए......वही ले गये है....

इतना सुनते ही मैने उसे झटके से छोड़ा और तेज़ी से हॉस्पिटल की तरफ भागने लगा...


मेरी कार ट्रॅफिक मे फसि थी...इसलिए मैं दौड़ कर हॉस्पिटल निकल गया....हिस्पिटल ज़्यादा दूर नही था...मैं 10-15 मिनट दौड़ कर ही हॉस्पिटल पहुँच गया और पूछते हुए एमर्जेन्सी वॉर्ड मे आ गया...

यहाँ फिर से पोलीस ने मुझे गेट पर रोक लिया...बोले कि अंदर इनस्पेक्टर ब्यान ले रहा है...

मैने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और परेशानी मे गेट के बाहर ही घूमते हुए इनस्पेक्टर के निकलने का वेट करने लगा....

थोड़ी देर बाद गेट खुला और गेट खुलते ही सामने खड़े इनस्पेक्टर को देख कर मेरा गुस्सा फिर से बढ़ गया....सामने रफ़्तार सिंग था.....

रफ़्तार- ओह...तो तू यहाँ भी मिल गया...हाँ...अजीब बात है....जहाँ कही कुछ झमेला होता है वहाँ तू ज़रूर आ जाता है...

मैं(घूरते हुए)- सही कहा...मैं भी यही सोच रहा हूँ...कि जहाँ तू होता है..वही मेरे अपनो के साथ झमेला क्यो होता है....

रफ़्तार(गुस्से से)- क्या...क्या बका तूने...तेरे अपने....ह्म्म...तो ये चिकनी तेरी है क्या...

मैने रफ़्तार की बात सुनते ही उसका गला पकड़ लिया और खीच कर उसे दूसरी तताफ की दीवाल से चिपका दिया.....

मेरी पकड़ इतनी मजबूत थी कि रफ़्तार अपने दोनो हाथो से भी मेरे हाथ से अपनी गर्दन नही छुड़ा पाया....

रफ़्तार की हालत देख कर उसके थुल्लो ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और रफ़्तार को छुड़ाने लगे...पर वो भी कामयाब नही हो पाए....

रफ़्तार- उउउहह..क्क्क...सस्साल्लू....म्मार ना...आअहह..

रफ़्तार की बात सुनते ही एक थुल्ले ने मेरी पीठ पर घूसा मारा पर मैं मजबूती से रफ़्तार की गर्दन पकड़े रहा....फिर दूसरे थुल्ले ने अपना डंडा उठाया और घुमाया ही था कि डंडा पीछे से किसी ने पकड़ लिया और एक जोरदार आवाज़ गूँजी....ये आलोक की आवाज़ थी....

आलोक- अंकित...लीव हिम...पोलीस के उपेर हाथ मत डालो...लीव हिम नॉववव....

आलोक की आवाज़ सुन कर मुझे होश आया कि मैं एक पोलीस वाले का गला दबा रहा हूँ...मैने तुरंड रफ़्तार को झटक दिया...

मेरे छोड़ते ही रफ़्तार ज़ोर से साँसे लेने लगा और नॉर्मल होते ही मुझ पर झपटा....

रफ़्तार- हराम्खोर...मैं तेरी...

आलोक(बीच मे)- रफ़्तार...रुक जाओ...

रफ़्तार(गुस्से से दाँत पीस कर)- सर...इसने मुझ पर...

आलोक(बीच मे)- जानता हूँ..पर ये बताओ कि इसने ऐसा किया क्यो....तुमने ऐसा क्या किया था...या कुछ बोला था..हाँ....??

रफ़्तार के मूह ने एक शब्द ना निकला ...बस चुप चाप मुझे घूरता रहा...

आलोक- अंकित..तुम बोलो ..क्या हुआ था...

मैं(रफ़्तार को घूरते हुए)- इसने मेरी जूही की इन्सल्ट की सर...इसलिए मैने....आप ना आते तो इसकी बोलती बंद कर देता...

आलोक- अंकित...माइंड युवर लॅंग्वेज...ये मत भूलो कि तुम एक पोलीस वाले के लिए कुछ बोल रहे हो...ह्म्म..

मैं- जी सर...अगर ये याद नही होता तो अब तक तो...सॉरी सर...

आलोक- इट्स ओके...और रफ़्तार...तुम जा सकते हो...मैं तुमसे बाद मे बात करूगा...गो...

रफ़्तार अपने थुल्लो को साथ ले कर चला गया...और जाते हुए एक बार फिर से मुझे घूर गया...

मैं- सर...मैं जूही से मिल लूँ...

आलोक- ह्म...मिल लो...फिर स्टेशन आ जाना...वहाँ आक्सिडेंट की डीटेल मे बात करेंगे....
 
फिर मैं रूम मे चला गया और जूही को देख कर खड़ा रह गया....वो बेड पर लेटी हुई थी...एक हाथ मे प्लास्टर...एक पैर मे प्लास्टर, माथे पर पट्टी...हाथ-पैर मे छिल्ने के निशान...कुल मिला कर बहुत बुरी हालत थी उसकी...

उसकी हालत देख कर ही मेरा मन बुझ सा गया....मैं जूही को देख कर यही सोच रहा था कि ये सब मेरी वजह से ही हुआ है....इसका ज़िम्मेदार सिर्फ़ मैं ही हूँ....

तभी जूही ने मेरी हालत देख कर मुझे स्माइल कर दी...और आँखो से रिलॅक्स रहने का इशारा कर दिया.....

मैं भी चुपचाप जूही के बेड के साइड मे बैठ गया और उसका हाथ पकड़ कर उसकी आँखो मे देखने लगा....और थोड़ी देर के लिए हम एक-दूसरे की आँखो मे खो गये....

जूही- अब कुछ बोलोगे भी या...

मैं- हुह...क्या कहूँ....तुम ठीक तो हो ना...ह्म...

जूही- ह्म...अब ठीक हूँ...बिल्कुल ठीक ...

मैं- सॉरी जूही...

जूही- आप क्यो सॉरी बोल रहे...इसमे आपकी क्या ग़लती....

मैं- ग़लती है...मुझे तुमको खुद छोड़ने जाना चाहिए था...सॉरी....

जूही- छोड़िए ना....जो होना था हो गया...सब किस्मत का खेल है....ह्म..

जूही ने अपना दूसरा हाथ मेरे हाथ पर रखा और प्यार से सहलाने लगी...

जूही- अब आप ऐसे मायूस ना हो...स्माइल प्लीज़...आइ एम फाइन...प्ल्ज़ स्माइल...

जूही मुस्कुराते हुए मुझे स्माइल करने को बोल रही थी...उसकी इस अदा पर मैं सच मे मुस्कुरा उठा और झुक कर उसके माथे पर किस कर दिया...

मैं- तुम सच मे बहुत स्वीट हो और स्ट्रॉंग भी...सच मे....अब तुम रेस्ट करो...मैं अकरम को कॉल कर दूं...तुम्हारे घरवालो को तो नही बोल सकता..वो परेशान होंगे...पर अकरम को बता देता हूँ ...ओके..

जूही- सुनो...

मैं- हा...

जूही- ये आक्सिडेंट नही था...

मैं(हैरानी से)- क्या...मतलब...

जूही- मतलब ये कि ये आक्सिडेंट नही था...एक हमला था...

मैं- हमला...क्या बोल रही हो...

जूही- ह्म्म...ये सोचा-समझा हमला था...सच मे...

मैं- पर..पर तुम ये इतने कॉन्फिडेंट से कैसे कह सकती हो...

जूही- बताती हूँ...आप खुद ही डिसाइड करना...

आपसे कार ले कर मैं और मेरी सहेली बाते करते हुए आराम से जा ही रहे थे कि चोराहे के बीचो -बीच कार के सामने एक आदमी आ गया...जो साइकल से था....और कार के सामने ही फिसल कर गिर पड़ा...

मैने ब्रेक मारी और उसके उठने का वेट करने लगी...

तभी मुझे अहसास हुआ कि एक ट्रक साइड से हमारी तरफ बढ़ रहा है...मैने उसे देखा...वो फुल स्पीड मे था...

मैं घबरा गई ....ज़ोर से चिल्लाने लगी...और इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाती...एक जोरदार टक्कर से मैं हिल गई...

मैने अपने आप को हवा मे घूमता हुआ महसूस किया...क्योकि आँखे तो मेरी बंद ही हो चुकी थी....


जब मेरी आँखे खुली तो मैं उल्टी पड़ी थी...ध्यान दिया तो पाया कि कार ही उल्टी पड़ी है...मेरी फ्रेंड को देखा तो वो बेहोश पड़ी थी...और साइड मे देखा तो वो ट्रक खड़ा था...और फिर थोड़ी देर बाद मेरी आँखे बंद हो गई...

मैं- ह्म्म...पर ये भी तो हो सकता है कि ट्रक का ब्रेक फैल हो गया हो...हाँ...

जूही- नही...मैने आँखे बंद होने से पहले उस ट्रक को कार के साइड से जाते हुए देखा...और उसने बीच मे ब्रेक भी मारा था...

मैं(मन मे)- तो ये बात है...दामिनी ने सही कहा था...कुछ बड़ा होने वाला है....हो ना हो..ये हमला मेरे लिए था...या फिर...कही डॅड के लिए तो नही...

जूही- आप कहाँ खो गये...

मैं- क्क़..कुछ नही...तुम ये बताओ कि तुमने पोलीस से क्या कहा...

जूही- मैने उन्हे कुछ नही बताया...बोल दिया कि अचानक सब हो गया...कुछ याद नही...

मैं- ह्म...(मन मे)- ये सही किया...अब पोलीस को इससे दूर ही रखते है...पर मैं रिचा को नही छोड़ूँगा...आज उसको एक तोहफा भेजने का टाइम आ गया....ह्म्म..ऐसा तोहफा...जो उसकी रूह हिला देगा...

जूही- आप फिर से...कहाँ खो जाते हो ..

मैं- कही नही..मैं यही हूँ...तुम्हारे पास...

मैने एक हाथ से जूही का सिर सहलाना सुरू किया और जूही ने आँखे बंद कर ली...

जूही- मेरे पास ही रहना...हमेशा......

थोड़ी देर तक जूही आँखे बंद किए लेटी रही और मैं उसका सिर सहलाता रहा...तभी नर्स आई और मुझे डॉक्टर से मिलने का बोला..

मैं जूही को रेस्ट करता छोड़ कर डॉक्टर के पास चला गया....

डॉक्टर से जूही का हाल जानने के बाद मैने अपने आदमी को कॉल किया और काम समझा दिया......

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