hotaks444
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[size=x-large]सहर मे बने एक बॅंक मे.....
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मैं- क्या मतलब कि पैसे नही मिल सकते...क्या मेरे अकाउंट मे पैसे नही है....
एंप्लायी- है सर...बहुत है...पर आप पैसे निकाल नही सकते....
मैं- पर क्यो....वही तो पूछा मैने...जब पैसे है तो निकाल क्यो नही सकता...
एंप्लायी- क्योकि ये जॉइंट अकाउंट है...मिस्टर.आकाश मल्होत्रा के साथ...
मैं- जानता हूँ..वो मेरे डॅड है....और जॉइंट अकाउंट मे मेरा नाम है ना...तो मैं क्यो नही निकाल सकता...
एंप्लायी- आप निकाल सकते है...पर अभी नही....अभी इस अकाउंट से एक भी पैसा नही निकल सकता....
मैं- पर क्यो...उसकी कोई वजह तो होगी....
एंप्लायी- वजह है आपके डॅड की पार्ट्नरशिप ...और उस पार्ट्नरशिप का अग्रीमेंट....
मैं- क्या मतलब...मैं कुछ समझा नही...आप ज़रा डीटेल मे बतायगे....
एंप्लायी- जी सर...सुनिए....
मिस्टर.आकाश , मिस्टर.वर्मा और मिस्टर.सक्षेना पार्ट्नर्स है ...उनके अग्रीमेंट के हिसाब से अगर कोई भी पार्ट्नर ये पार्ट्नरशिप ख़त्म करने के लिए अप्लाइ करेगा तो फिर जब तक वो अप्लिकेशन या तो वापिस नही होती या फिर पार्ट्नरशिप टूट ती नही...तब तक कोई भी पार्ट्नर अपने अकाउंट से पैसे नही ले सकता...
उन तीनो ने जो अकाउंट दिए थे...ये उनमे से एक है...इसलिए पैसे नही निकाल सकते...
मैं- क्या बकवास है. .ये कहाँ का रूल है...
एंप्लायी- ये अग्रीमेंट इन तीनो ने बनवाया तो इन पर ये रूल लागू होता है...
मैं- ओके...पर ये अप्लिकेशन दी किसने...
एंप्लायी- मिस्टर.वर्मा ने...
मैं(दाँत पीस कर)- वर्मा....आइ न्यू इट...साला कमीना...
एंप्लायी- सॉरी सर....वी कॅंट डू तीस ..
मैं- ओके...गो टू हेल...
और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और डॅड को कॉल किया...
मैने जब डॅड से पूछा तो उन्होने भी वही बात बोली...मतलब ये था कि अब मैं पैसे नही निकाल सकता....
मैं- साला...आज मुझे दुख हो रहा कि मैने सेप्रेट अकाउंट क्यो नही खोला...डॅड ने कितनी बार कहा...पर मैं ही...हॅट्ट्ट...
अब मैं सोनू को क्या मुँह दिखाउन्गा....कहाँ से पैसे लाउन्गा....सोनम का ट्रीटमेंट कैसे होगा....ओह गॉड...ये क्या मुसीबत दे दी...पैसा होते हुए भी यूज़ नही कर सकता...हाटत्त ...
काफ़ी देर तक सोचने के बाद मुझे एक ही उपाए समझ आया...कि मैं वर्मा से मिल कर उसे अप्लिकेशन वापिस लेने को कहूँ...बस कुछ दिन के लिए...जितना उसने मुझे टाइम दिया था...तब तक मेरा काम भी हो जायगा...
यही सोच कर मैं वर्मा के ऑफीस निकल गया...कुछ देर बाद मैं वर्मा के कॅबिन मे उसके सामने खड़ा था....
वर्मा- तो ये बात है...पर मैं अप्लिकेशन वापिस क्यो लूँ...मेरा क्या फ़ायदा...ह्म..
वर्मा ने एक ड्रिंक का सीप मारते हुए बोला ...जब मैने उसे बॅंक की कंडीशन याद दिलाई...
मैं- फ़ायदा...फ़ायदा तो नही...पर नुकसान भी नही...
वर्मा- वही तो...तो मैं तेरी बात किस लिए मानु...
मैं- तुमने मुझे 15 दिन का टाइम दिया था ना...तो 15 दिन तक ये सब मत करो...फिर कर लेना...
वर्मा(मुस्कुरा कर)- 15 दिन तो तुझे सोचने को दिए थे कि तू ऐसे ही पैसे देगा या मैं कोर्ट मे जाउ.....समझे...
मैं- ह्म्म..पर मुझे पैसो की ज़रूरत है...और वो पैसे तो मेरे है....इसलिए वो अप्लिकेशन वापिस ले लो...
वर्मा(पेग गटक कर)- ज़रूरत...ह्म्म..पैसा चीज़ ही ऐसी है...पर मैं तेरी हेल्प क्यो करूँ...
मैं- हेल्प नही...मैं सिर्फ़ वेट करने का बोल रहा हू...कुछ दिन बस...
वर्मा(दूसरा पेग बना कर)- ओके...मैं तेरी बात मानुगा...पर एक शर्त पर...
मैं- कौन सी शर्त...
वर्मा(एक साँस मे पेग गटक कर)- तू बस अपने घुटनो पर बैठ कर मुझ से मदद की भीख माग ले...हाहाहा...
मैं(गुस्से से चिल्ला कर)- वर्मा...अपनी औकात मत भूल....
वर्मा- हाहाहा...मेरी औकात क्या है...ये मत समझा...या तो भीक माग या दफ़ा हो जा यहा से....
मैं- जाता हूँ...पर एक बात सुन ले...अब तक मैं सिर्फ़ तुझे सबक सीखना चाहता था..पर अब मैं तेरी जिंदगी नरक से बदतर कर दूँगा...याद रखना...
वर्मा(गुस्से से)- चल जा यहा से...
मैं(गुस्से से)- याद रखना....2 दिन..और तू ख़तम....
और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और कार दौड़ा दी...
मैं(कार मे)- इसकी माँ की...मुझसे भीक मँगवाएगा....अब बताता हूँ साले को...इसको जीते जी नरक मे ना पहुँचाया तो मेरा नाम भी अंकित नही...
तभी मेरा फ़ोन बज उठा और मैने नंबर देख कर अपना गुस्सा काबू किया और फ़ोन पर बात की...
मैं- ओके...मैं अभी आया...
फिर मैं बस स्टॅंड पहुँचा और फिर उससे मिला जिसको लेने मैं यहाँ आया था ...
मैं- ह्म्म..अब देखना...आपके आ जाने से मेरा प्लान किस तरह कामयाब होगा....बस मज़ा आ जायगा....चलिए....
मैने अपने गेस्ट को एक सुरक्षित जगह पर ठहराया और वहाँ से निकल गया....
जब मैं कार मे था तो मेरा फ़ोन बज उठा...ये रक्षा का नंबर. था जो सुबह से कॉल पर कॉल किए जा रही थी....
( कॉल पर )
मैं- हाँ बेटा...बोलो ..
रक्षा(गुस्से मे) - क्या बोलूं...आपको इतना भी टाइम नही कि मुझसे बात कर ले...अरे कम से कम कॉल तो ले ले...हाँ....
मैं- अरे यार...गुस्सा क्यो होती हो...बिज़ी था...
रक्षा- वाह...मुझे उस कुत्ते के सामने भेज दिया और खुद बिज़ी हो गये...एक बार ये भी नही सोचा कि इस छोटी सी जान की क्या हालत हुई होगी...हाँ...
मैं- नही...क्योकि मैं अपनी रक्षा को जानता हूँ...तू बडो-बडो को पानी पिला दे...फिर वो मामूली कुत्ता तेरा क्या बिगाड़ सकता था...
रक्षा- ओह हो...तो आप इतना कुछ जानते है मेरे बारे मे...
मैं- ह्म्म...अच्छा ये बताओ कि वजह हुआ क्या...
रक्षा- अरे मेरे भोले भैया...इतने मासूम मत बनो...आपको तो अब तक पता चल ही गया होगा कि रफ़्तार को पोलीस ले गई...
मैं(हंस कर)- हाँ मेरी जान...वो तो पता है...पर ये बताओ कि तूने ये सब कैसे किया....
रक्षा- ह्म्म...उस ठर्कि ने बहुत मेहनत करवाई...सुनो सुरू से बताती हूँ...
फिर रक्षा ने रफ़्तार के साथ पार्क मे हुई पूरी घटना बता दी..जिसे सुन कर मेरी हँसी निकल गई....
रक्षा- आपको हँसी आ रही है...पता है...अगर थोड़ी सी भी गड़बड़ हो जाती तो वो कमीना मेरे साथ...
मैं(बीच मे)- हे...तूने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुझे उस कमीने के सामने अकेला भेजुगा...
रक्षा- क्या मतलब...
मैं- मतलब ये डार्लिंग...कि वहाँ भीड़ मे मेरे आदमी भी थे...कही कुछ गड़बड़ होती तो वो सब संभाल लेते...उनकी नज़र थी तुम पर....
रक्षा- ओह...अच्छा अब बताओ...मेरा इनाम कब मिलेगा...
मैं- बहुत जल्द...थोड़ा फ्री होने दो..फिर 2 दिन सिर्फ़ तुम्हारे ...
रक्षा- ह्म्म..उसके लिए मैं वेट कर लूगी...पर मुझे आज एक छोटा सा इनाम तो दो...
मैं- आज..नही...आज टाइम नही..बिज़ी हूँ...
रक्षा- टाइम नही...ह्म्म...लगता है आप ऐसे नही मानोगे...मुझे ही कुछ करना होगा...
मैं- ओके..कर लो फिर....देखे तो क्या करती हो...
रक्षा- ओके...फिर देख ही लो..बाइ...
रक्षा ने फ़ोन कट कर दिया और मेरे माइंड मे एक सवाल छोड़ गई....आख़िर अब ये लड़की करने क्या वाली है.....????
थोड़ी देर बाद जब मैं अपने घर पहुँचा तो पता चला कि रक्षा पारूल के रूम मे है..और मेरा वेट कर रही है....
मैं(मन मे)- ये लड़की भी ना....मानेगी नही....
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मैं- क्या मतलब कि पैसे नही मिल सकते...क्या मेरे अकाउंट मे पैसे नही है....
एंप्लायी- है सर...बहुत है...पर आप पैसे निकाल नही सकते....
मैं- पर क्यो....वही तो पूछा मैने...जब पैसे है तो निकाल क्यो नही सकता...
एंप्लायी- क्योकि ये जॉइंट अकाउंट है...मिस्टर.आकाश मल्होत्रा के साथ...
मैं- जानता हूँ..वो मेरे डॅड है....और जॉइंट अकाउंट मे मेरा नाम है ना...तो मैं क्यो नही निकाल सकता...
एंप्लायी- आप निकाल सकते है...पर अभी नही....अभी इस अकाउंट से एक भी पैसा नही निकल सकता....
मैं- पर क्यो...उसकी कोई वजह तो होगी....
एंप्लायी- वजह है आपके डॅड की पार्ट्नरशिप ...और उस पार्ट्नरशिप का अग्रीमेंट....
मैं- क्या मतलब...मैं कुछ समझा नही...आप ज़रा डीटेल मे बतायगे....
एंप्लायी- जी सर...सुनिए....
मिस्टर.आकाश , मिस्टर.वर्मा और मिस्टर.सक्षेना पार्ट्नर्स है ...उनके अग्रीमेंट के हिसाब से अगर कोई भी पार्ट्नर ये पार्ट्नरशिप ख़त्म करने के लिए अप्लाइ करेगा तो फिर जब तक वो अप्लिकेशन या तो वापिस नही होती या फिर पार्ट्नरशिप टूट ती नही...तब तक कोई भी पार्ट्नर अपने अकाउंट से पैसे नही ले सकता...
उन तीनो ने जो अकाउंट दिए थे...ये उनमे से एक है...इसलिए पैसे नही निकाल सकते...
मैं- क्या बकवास है. .ये कहाँ का रूल है...
एंप्लायी- ये अग्रीमेंट इन तीनो ने बनवाया तो इन पर ये रूल लागू होता है...
मैं- ओके...पर ये अप्लिकेशन दी किसने...
एंप्लायी- मिस्टर.वर्मा ने...
मैं(दाँत पीस कर)- वर्मा....आइ न्यू इट...साला कमीना...
एंप्लायी- सॉरी सर....वी कॅंट डू तीस ..
मैं- ओके...गो टू हेल...
और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और डॅड को कॉल किया...
मैने जब डॅड से पूछा तो उन्होने भी वही बात बोली...मतलब ये था कि अब मैं पैसे नही निकाल सकता....
मैं- साला...आज मुझे दुख हो रहा कि मैने सेप्रेट अकाउंट क्यो नही खोला...डॅड ने कितनी बार कहा...पर मैं ही...हॅट्ट्ट...
अब मैं सोनू को क्या मुँह दिखाउन्गा....कहाँ से पैसे लाउन्गा....सोनम का ट्रीटमेंट कैसे होगा....ओह गॉड...ये क्या मुसीबत दे दी...पैसा होते हुए भी यूज़ नही कर सकता...हाटत्त ...
काफ़ी देर तक सोचने के बाद मुझे एक ही उपाए समझ आया...कि मैं वर्मा से मिल कर उसे अप्लिकेशन वापिस लेने को कहूँ...बस कुछ दिन के लिए...जितना उसने मुझे टाइम दिया था...तब तक मेरा काम भी हो जायगा...
यही सोच कर मैं वर्मा के ऑफीस निकल गया...कुछ देर बाद मैं वर्मा के कॅबिन मे उसके सामने खड़ा था....
वर्मा- तो ये बात है...पर मैं अप्लिकेशन वापिस क्यो लूँ...मेरा क्या फ़ायदा...ह्म..
वर्मा ने एक ड्रिंक का सीप मारते हुए बोला ...जब मैने उसे बॅंक की कंडीशन याद दिलाई...
मैं- फ़ायदा...फ़ायदा तो नही...पर नुकसान भी नही...
वर्मा- वही तो...तो मैं तेरी बात किस लिए मानु...
मैं- तुमने मुझे 15 दिन का टाइम दिया था ना...तो 15 दिन तक ये सब मत करो...फिर कर लेना...
वर्मा(मुस्कुरा कर)- 15 दिन तो तुझे सोचने को दिए थे कि तू ऐसे ही पैसे देगा या मैं कोर्ट मे जाउ.....समझे...
मैं- ह्म्म..पर मुझे पैसो की ज़रूरत है...और वो पैसे तो मेरे है....इसलिए वो अप्लिकेशन वापिस ले लो...
वर्मा(पेग गटक कर)- ज़रूरत...ह्म्म..पैसा चीज़ ही ऐसी है...पर मैं तेरी हेल्प क्यो करूँ...
मैं- हेल्प नही...मैं सिर्फ़ वेट करने का बोल रहा हू...कुछ दिन बस...
वर्मा(दूसरा पेग बना कर)- ओके...मैं तेरी बात मानुगा...पर एक शर्त पर...
मैं- कौन सी शर्त...
वर्मा(एक साँस मे पेग गटक कर)- तू बस अपने घुटनो पर बैठ कर मुझ से मदद की भीख माग ले...हाहाहा...
मैं(गुस्से से चिल्ला कर)- वर्मा...अपनी औकात मत भूल....
वर्मा- हाहाहा...मेरी औकात क्या है...ये मत समझा...या तो भीक माग या दफ़ा हो जा यहा से....
मैं- जाता हूँ...पर एक बात सुन ले...अब तक मैं सिर्फ़ तुझे सबक सीखना चाहता था..पर अब मैं तेरी जिंदगी नरक से बदतर कर दूँगा...याद रखना...
वर्मा(गुस्से से)- चल जा यहा से...
मैं(गुस्से से)- याद रखना....2 दिन..और तू ख़तम....
और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और कार दौड़ा दी...
मैं(कार मे)- इसकी माँ की...मुझसे भीक मँगवाएगा....अब बताता हूँ साले को...इसको जीते जी नरक मे ना पहुँचाया तो मेरा नाम भी अंकित नही...
तभी मेरा फ़ोन बज उठा और मैने नंबर देख कर अपना गुस्सा काबू किया और फ़ोन पर बात की...
मैं- ओके...मैं अभी आया...
फिर मैं बस स्टॅंड पहुँचा और फिर उससे मिला जिसको लेने मैं यहाँ आया था ...
मैं- ह्म्म..अब देखना...आपके आ जाने से मेरा प्लान किस तरह कामयाब होगा....बस मज़ा आ जायगा....चलिए....
मैने अपने गेस्ट को एक सुरक्षित जगह पर ठहराया और वहाँ से निकल गया....
जब मैं कार मे था तो मेरा फ़ोन बज उठा...ये रक्षा का नंबर. था जो सुबह से कॉल पर कॉल किए जा रही थी....
( कॉल पर )
मैं- हाँ बेटा...बोलो ..
रक्षा(गुस्से मे) - क्या बोलूं...आपको इतना भी टाइम नही कि मुझसे बात कर ले...अरे कम से कम कॉल तो ले ले...हाँ....
मैं- अरे यार...गुस्सा क्यो होती हो...बिज़ी था...
रक्षा- वाह...मुझे उस कुत्ते के सामने भेज दिया और खुद बिज़ी हो गये...एक बार ये भी नही सोचा कि इस छोटी सी जान की क्या हालत हुई होगी...हाँ...
मैं- नही...क्योकि मैं अपनी रक्षा को जानता हूँ...तू बडो-बडो को पानी पिला दे...फिर वो मामूली कुत्ता तेरा क्या बिगाड़ सकता था...
रक्षा- ओह हो...तो आप इतना कुछ जानते है मेरे बारे मे...
मैं- ह्म्म...अच्छा ये बताओ कि वजह हुआ क्या...
रक्षा- अरे मेरे भोले भैया...इतने मासूम मत बनो...आपको तो अब तक पता चल ही गया होगा कि रफ़्तार को पोलीस ले गई...
मैं(हंस कर)- हाँ मेरी जान...वो तो पता है...पर ये बताओ कि तूने ये सब कैसे किया....
रक्षा- ह्म्म...उस ठर्कि ने बहुत मेहनत करवाई...सुनो सुरू से बताती हूँ...
फिर रक्षा ने रफ़्तार के साथ पार्क मे हुई पूरी घटना बता दी..जिसे सुन कर मेरी हँसी निकल गई....
रक्षा- आपको हँसी आ रही है...पता है...अगर थोड़ी सी भी गड़बड़ हो जाती तो वो कमीना मेरे साथ...
मैं(बीच मे)- हे...तूने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुझे उस कमीने के सामने अकेला भेजुगा...
रक्षा- क्या मतलब...
मैं- मतलब ये डार्लिंग...कि वहाँ भीड़ मे मेरे आदमी भी थे...कही कुछ गड़बड़ होती तो वो सब संभाल लेते...उनकी नज़र थी तुम पर....
रक्षा- ओह...अच्छा अब बताओ...मेरा इनाम कब मिलेगा...
मैं- बहुत जल्द...थोड़ा फ्री होने दो..फिर 2 दिन सिर्फ़ तुम्हारे ...
रक्षा- ह्म्म..उसके लिए मैं वेट कर लूगी...पर मुझे आज एक छोटा सा इनाम तो दो...
मैं- आज..नही...आज टाइम नही..बिज़ी हूँ...
रक्षा- टाइम नही...ह्म्म...लगता है आप ऐसे नही मानोगे...मुझे ही कुछ करना होगा...
मैं- ओके..कर लो फिर....देखे तो क्या करती हो...
रक्षा- ओके...फिर देख ही लो..बाइ...
रक्षा ने फ़ोन कट कर दिया और मेरे माइंड मे एक सवाल छोड़ गई....आख़िर अब ये लड़की करने क्या वाली है.....????
थोड़ी देर बाद जब मैं अपने घर पहुँचा तो पता चला कि रक्षा पारूल के रूम मे है..और मेरा वेट कर रही है....
मैं(मन मे)- ये लड़की भी ना....मानेगी नही....