hotaks444
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मैने भी सबको मॉर्निंग विश कर के वही बैठ गया…और अनु को देखने लगा ..पर अनु तो बिल्कुल नॉर्मल थी…ऐसा लग ही नही रहा था कि इसे कुछ भी फ़िक्र है कि कल रात को मैने इसे लंड चूस्ते हुए पकड़ा था…..
मैने सोचा कि अभी जाने दो इससे तो आज एग्ज़ॅम के बाद बात करूगा…..वहाँ दूसरी तरफ रक्षा मुझे देखते हुए स्माइल दे रही थी..वही पूनम दी का हाल था…पारूल भी स्माइल देने लगी...
फिर मैने नाश्ते पर फोकस किया और नाश्ता करने लगा ….
और नाश्ता कर के हम सब एक साथ एग्ज़ॅम के लिए निकले....
कार मे मैं और संजू आगे थे और पूनम दी, अनु और रक्षा पीछे थी…..
स्कूल पहुँच कर हमने एग्ज़ॅम दिए और एग्ज़ॅम के बाद अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ गप करने लगे…
तभी मुझे अकरम ने इशारा करके बुलाया…और मैं समझ गया कि इसकी मोम की बात होगी…
फिर मैं अकरम के पास गया और हम सबसे दूर स्कूल के ग्राउंड मे निकल गये…
मैं- हाँ भाई अब बोल…क्या बात है
अकरम- क्या बोलू यार..वही मोम के बारे मे बात करनी थी…
मैं- हाँ , मैं समझ गया था…बोल कुछ हुआ क्या..???
अकरम- नही भाई..कल तो वो आई ही थी…और कल कुछ नही हुआ…
मैं- तो आज..???
अकरम- नही रे ..आज भी कुछ नही होगा…
मैं- तुझे इतना भरोशा कैसे है..??
अकरम- वो ..मेरी मोम मेरी मौसी के साथ है ..इसलिए..
मैं- हाँ यार..तेरी मौसी से याद आया ..कि कल तो वो दिखी ही नही…वो तो तेरे साथ ही रहती है…कहाँ थी वो...???
अकरम- हाँ सादिया मौसी..वो कल मेरी नानी के पास थी..नानी की हालत कुछ ठीक नही थी…
मैं- ओके…तो आज आ गई क्या…???
अकरम- नही..आज मोम भी नानी के पास उन्हे देखने गई है…
मैं- ओह…तो अभी तो कोई प्राब्लम नही होगी..
अकरम- हाँ पर जब वो वाइस आयगी तब…???
मैं- अरे भाई मैं हूँ ना…बोला था ना कि मैं सब ठीक कर दूँगा…
अकरम- भाई तेरे भरोसे पर ही मैं कॅंप मे जाने को रेडी हुआ….एग्ज़ॅम के बाद मेरा कॅंप है…
मैं- हाँ भाई ...तू आराम से जा..मैं सब ठीक कर लूँगा…
अकरम- ओके...भाई...
मैं- अब टेन्षन छोड़ और नेक्स्ट पेपर की तैयारी कर...चल अब...
अकरम- हाँ चल...
जैसे ही हम वापिस आ रहे थे कि मेरे फ़ोन पर अनु का कॉल आने लगा...
मैं(मन मे)- ये अभी क्यो कॉल कर रही है…देखते है ..अब क्या बोलती है…
मैं- अकरम तू रुक थोड़ा..ये कॉल इम्पोर्टेंट है….और मैं थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा….
( कॉल पर)
मैं- हाँ बोलो…
अनु- भैया..कहाँ हो आप…???
मैं- स्कूल के ग्राउंड पर..क्यो क्या हुआ..???
अनु- वो..मुझे आपसे बात करनी थी…
मैं- कैसी बात…
अनु- वो..भैया…आप जानते हो…
मैं- ह्म्म..तो घर पर बात कर लेते है…
अनु- नही..मुझे आपसे अकेले मे बात करनी है…
मैं- तो घर मे अकेले ही रहेगे..
अनु- पर भैया..अभी कर लेते है ना…
मैं- नही..अभी मैं फ्रेंड्स के साथ हूँ और मुझे थोड़ा काम से जाना भी है...
अनु- ओके...पर घर मे अकेले कहाँ मिल पाएगे...
मैं- वो बाद मे देख लेगे..अभी रखो...ओके
अनु- ओके..बाइ
मैं- बाइ…
मैने अनु से थोड़ी गुस्से मे बात की थी….और ये ज़रूरी भी था..क्योकि मैं नही चाहता था कि अनु को पता चले कि मैं भी उसके लिए मरा जा रहा था….
फिर मैं अकरम के साथ स्कूल मे सबके बीच आ गया…
हमे देखते ही संजू हमारे पास आ गया…..और हम कॅंटीन गये और गप करते हुए कॉफी पी…
उसके बाद अकरम अपने घर निकल गया और मैने सबको संजू के घर छोड़ा और बहाना कर के निकल आया…
मुझे उस इंसान के बताए हुए लॉकर को देखने की इक्षा ज़्यादा थी…मैं जान ना चाहता था कि उसमे ऐसा क्या है…जो मुझे मेरे बारे मे सच बता सके….
मैं जल्दी से कार भगा कर उस बॅंक मे पहुँचा जहाँ लोकर था ….वहाँ जा कर जब मैने मॅनेजर को सारी बात बताई तो वो बोला..
मॅनेजर- रिलॅक्स सर….हम जानते है…उन्होने हमे पहले ही कहा था कि उनके अलावा सिर्फ़ मिस्टर.अंकित को ये लॉकर खोलने देना..
मैं- सच मे..आइ मीन….जी
मैं(मन मे)- क्या उसको पहले ही अंदाज़ा था कि वो मरने वाला है…
मॅनेजर- इस तरफ सर…
मैं फिर मॅनेजर के साथ लॉकर रूम मे गया और मैने लॉकर खोल कर देखा…
उस लोकर मे 3 एन्वेलप थे…अब उनमे क्या था …ये तो खोलने पर ही पता चलेगा….
मन तो कर रहा था कि जल्दी से ओपन करू..पर उन इंसान की बात याद आई कि किसी पर भरोशा मत करना….
और मैने सारा सामान लेकर बॅंक की फॉरमॅलिटीस पूरी की और जल्दी से कार दौड़ा कर अपने घर चला आया..
मैने सविता को कहा कि कोई भी मुझे डिस्टर्ब ना करे और मैं अपने रूम मे चला गया...अब मुझे इंतज़ार था कि इन एन्वेलप मे क्या निकलता है...
मैं रूम को अंदर से लॉक किया और एन्वेलप ले कर अपने बेड पर बैठ गया....
आज मेरी धड़कन तेज हो गई थी...पता नही इसमे ऐसा क्या है...जिससे मेरी लाइफ का कोई बड़ा राज जुड़ा हुआ है.....
इस टाइम मेरे दिल और दिमाग़ मे जंग छिड़ी हुई थी...दिमाग़ कह रहा था कि जल्दी से एन्वेलप्स को ओपन करके पता करू कि इसमे क्या राज छिपा हुआ है , जो मेरी लाइफ से रिलेटेड है....
और दूसरी तरफ दिल कह रहा था की मत खोल ...पता नही इसमे कुछ ऐसा निकले जिससे मेरा दिल दुखे और मैं टूट जाउ.....
पर फाइनली मैने दिमाग़ के साथ जाना सही समझा...मुझे सच का संमना करना ही पड़ेगा.....
पर क्या हो सकता है इसमे..यही सोचते हुए मैने हिम्मत कर के पहले एन्वेलप को ओपन किया.....उसमे से एक डाइयरी निकली....एक पुरानी सी डायरी …
मैं समझ नही पाया कि डाइयरी को कोई लॉकर मे क्यो रखेगा....ज़रूर इसमे कुछ ऐसा लिखा है जो मेरे लिए जान ना ज़रूरी है और मेरे दुश्मनों के लिए फ़ायदे वाली चीज़ है....
फिर मैने दूसरा एन्वेलप खोला..उसमे मुझे दो फोटो आल्बम मिले....मैने सोचा कि इसमे किसकी पिक्स होगी....बाद मे देखेगे....
फिर मैने आख़िरी एन्वेलप खोला ...उसमे मुझे कुछ मॅप्स जैसे दिखाई दिए...जो मुझे समझ मे नही आ रहे थे...
मैने सोचा कि सबसे पहले ये डाइयरी पढ़ के देखता हूँ....शायद इसमे ही फोटो आल्बम और मेप्स के बारे मे कुछ पता चले....
मैने दोनो एन्व्ल्प साइड किए और डाइयरी को लेकर लेट गया और जैसे ही मैने डाइयरी को ओपन किया और पढ़ना शुरू किया......
मैने सोचा कि अभी जाने दो इससे तो आज एग्ज़ॅम के बाद बात करूगा…..वहाँ दूसरी तरफ रक्षा मुझे देखते हुए स्माइल दे रही थी..वही पूनम दी का हाल था…पारूल भी स्माइल देने लगी...
फिर मैने नाश्ते पर फोकस किया और नाश्ता करने लगा ….
और नाश्ता कर के हम सब एक साथ एग्ज़ॅम के लिए निकले....
कार मे मैं और संजू आगे थे और पूनम दी, अनु और रक्षा पीछे थी…..
स्कूल पहुँच कर हमने एग्ज़ॅम दिए और एग्ज़ॅम के बाद अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ गप करने लगे…
तभी मुझे अकरम ने इशारा करके बुलाया…और मैं समझ गया कि इसकी मोम की बात होगी…
फिर मैं अकरम के पास गया और हम सबसे दूर स्कूल के ग्राउंड मे निकल गये…
मैं- हाँ भाई अब बोल…क्या बात है
अकरम- क्या बोलू यार..वही मोम के बारे मे बात करनी थी…
मैं- हाँ , मैं समझ गया था…बोल कुछ हुआ क्या..???
अकरम- नही भाई..कल तो वो आई ही थी…और कल कुछ नही हुआ…
मैं- तो आज..???
अकरम- नही रे ..आज भी कुछ नही होगा…
मैं- तुझे इतना भरोशा कैसे है..??
अकरम- वो ..मेरी मोम मेरी मौसी के साथ है ..इसलिए..
मैं- हाँ यार..तेरी मौसी से याद आया ..कि कल तो वो दिखी ही नही…वो तो तेरे साथ ही रहती है…कहाँ थी वो...???
अकरम- हाँ सादिया मौसी..वो कल मेरी नानी के पास थी..नानी की हालत कुछ ठीक नही थी…
मैं- ओके…तो आज आ गई क्या…???
अकरम- नही..आज मोम भी नानी के पास उन्हे देखने गई है…
मैं- ओह…तो अभी तो कोई प्राब्लम नही होगी..
अकरम- हाँ पर जब वो वाइस आयगी तब…???
मैं- अरे भाई मैं हूँ ना…बोला था ना कि मैं सब ठीक कर दूँगा…
अकरम- भाई तेरे भरोसे पर ही मैं कॅंप मे जाने को रेडी हुआ….एग्ज़ॅम के बाद मेरा कॅंप है…
मैं- हाँ भाई ...तू आराम से जा..मैं सब ठीक कर लूँगा…
अकरम- ओके...भाई...
मैं- अब टेन्षन छोड़ और नेक्स्ट पेपर की तैयारी कर...चल अब...
अकरम- हाँ चल...
जैसे ही हम वापिस आ रहे थे कि मेरे फ़ोन पर अनु का कॉल आने लगा...
मैं(मन मे)- ये अभी क्यो कॉल कर रही है…देखते है ..अब क्या बोलती है…
मैं- अकरम तू रुक थोड़ा..ये कॉल इम्पोर्टेंट है….और मैं थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा….
( कॉल पर)
मैं- हाँ बोलो…
अनु- भैया..कहाँ हो आप…???
मैं- स्कूल के ग्राउंड पर..क्यो क्या हुआ..???
अनु- वो..मुझे आपसे बात करनी थी…
मैं- कैसी बात…
अनु- वो..भैया…आप जानते हो…
मैं- ह्म्म..तो घर पर बात कर लेते है…
अनु- नही..मुझे आपसे अकेले मे बात करनी है…
मैं- तो घर मे अकेले ही रहेगे..
अनु- पर भैया..अभी कर लेते है ना…
मैं- नही..अभी मैं फ्रेंड्स के साथ हूँ और मुझे थोड़ा काम से जाना भी है...
अनु- ओके...पर घर मे अकेले कहाँ मिल पाएगे...
मैं- वो बाद मे देख लेगे..अभी रखो...ओके
अनु- ओके..बाइ
मैं- बाइ…
मैने अनु से थोड़ी गुस्से मे बात की थी….और ये ज़रूरी भी था..क्योकि मैं नही चाहता था कि अनु को पता चले कि मैं भी उसके लिए मरा जा रहा था….
फिर मैं अकरम के साथ स्कूल मे सबके बीच आ गया…
हमे देखते ही संजू हमारे पास आ गया…..और हम कॅंटीन गये और गप करते हुए कॉफी पी…
उसके बाद अकरम अपने घर निकल गया और मैने सबको संजू के घर छोड़ा और बहाना कर के निकल आया…
मुझे उस इंसान के बताए हुए लॉकर को देखने की इक्षा ज़्यादा थी…मैं जान ना चाहता था कि उसमे ऐसा क्या है…जो मुझे मेरे बारे मे सच बता सके….
मैं जल्दी से कार भगा कर उस बॅंक मे पहुँचा जहाँ लोकर था ….वहाँ जा कर जब मैने मॅनेजर को सारी बात बताई तो वो बोला..
मॅनेजर- रिलॅक्स सर….हम जानते है…उन्होने हमे पहले ही कहा था कि उनके अलावा सिर्फ़ मिस्टर.अंकित को ये लॉकर खोलने देना..
मैं- सच मे..आइ मीन….जी
मैं(मन मे)- क्या उसको पहले ही अंदाज़ा था कि वो मरने वाला है…
मॅनेजर- इस तरफ सर…
मैं फिर मॅनेजर के साथ लॉकर रूम मे गया और मैने लॉकर खोल कर देखा…
उस लोकर मे 3 एन्वेलप थे…अब उनमे क्या था …ये तो खोलने पर ही पता चलेगा….
मन तो कर रहा था कि जल्दी से ओपन करू..पर उन इंसान की बात याद आई कि किसी पर भरोशा मत करना….
और मैने सारा सामान लेकर बॅंक की फॉरमॅलिटीस पूरी की और जल्दी से कार दौड़ा कर अपने घर चला आया..
मैने सविता को कहा कि कोई भी मुझे डिस्टर्ब ना करे और मैं अपने रूम मे चला गया...अब मुझे इंतज़ार था कि इन एन्वेलप मे क्या निकलता है...
मैं रूम को अंदर से लॉक किया और एन्वेलप ले कर अपने बेड पर बैठ गया....
आज मेरी धड़कन तेज हो गई थी...पता नही इसमे ऐसा क्या है...जिससे मेरी लाइफ का कोई बड़ा राज जुड़ा हुआ है.....
इस टाइम मेरे दिल और दिमाग़ मे जंग छिड़ी हुई थी...दिमाग़ कह रहा था कि जल्दी से एन्वेलप्स को ओपन करके पता करू कि इसमे क्या राज छिपा हुआ है , जो मेरी लाइफ से रिलेटेड है....
और दूसरी तरफ दिल कह रहा था की मत खोल ...पता नही इसमे कुछ ऐसा निकले जिससे मेरा दिल दुखे और मैं टूट जाउ.....
पर फाइनली मैने दिमाग़ के साथ जाना सही समझा...मुझे सच का संमना करना ही पड़ेगा.....
पर क्या हो सकता है इसमे..यही सोचते हुए मैने हिम्मत कर के पहले एन्वेलप को ओपन किया.....उसमे से एक डाइयरी निकली....एक पुरानी सी डायरी …
मैं समझ नही पाया कि डाइयरी को कोई लॉकर मे क्यो रखेगा....ज़रूर इसमे कुछ ऐसा लिखा है जो मेरे लिए जान ना ज़रूरी है और मेरे दुश्मनों के लिए फ़ायदे वाली चीज़ है....
फिर मैने दूसरा एन्वेलप खोला..उसमे मुझे दो फोटो आल्बम मिले....मैने सोचा कि इसमे किसकी पिक्स होगी....बाद मे देखेगे....
फिर मैने आख़िरी एन्वेलप खोला ...उसमे मुझे कुछ मॅप्स जैसे दिखाई दिए...जो मुझे समझ मे नही आ रहे थे...
मैने सोचा कि सबसे पहले ये डाइयरी पढ़ के देखता हूँ....शायद इसमे ही फोटो आल्बम और मेप्स के बारे मे कुछ पता चले....
मैने दोनो एन्व्ल्प साइड किए और डाइयरी को लेकर लेट गया और जैसे ही मैने डाइयरी को ओपन किया और पढ़ना शुरू किया......