hotaks444
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]लड़की चली गई और मैं सोचने लगा कि वाह ये तो पकी- पकाई दाल मिल गई...वैसे भी है तो मस्त ...अब बिस्तेर पर कैसी होगी...ये रात को देखेगे....
फिर मैं रेडी हुआ और बाहर आ गया...
थोड़ी देर बाद मैं उस लड़की के साथ उसके घर निकल गया....
जब हम घर पहुचे तो...
लड़की- ओह शिट...मेरे पति..
मैं- क्या...पति...मैं सोच रहा था कि तुम अकेली हो...
लड़की- पति है तो क्या हुआ....
मैं- पागल है क्या...पति के रहते हुए तुझे चोदुन्गा कैसे...मैं जाता हूँ...
लड़की- अरे..अरे ...रूको तो...मेरे पति बाहर है...कल सुबह आएँगे...
मैं- ओह..तो ठीक है...
लड़की ने मेरे पास आ कर मेरे लंड को मसल दिया...
मैं- आहह...पहले कॉफी पिलाओ..फिर डिन्नर और फिर चुदाई...
लड़की- ओके..
फिर मैं बैठ गया और वो कॉफी बनाने निकल गई...
मैं कॉफी पी रहा था तो मेरे आदमी का कॉल आ गया...उसे मैने उस औरत का पीछा करने का बोला था...
(कॉल पर)
मैं- हाँ बोलो...काम हुआ...??
स- काम तो हुआ पर इसके लिए मुझे 20000 देने पड़े..
मैं- काम सही हुआ तो डबल मिलेगे...
स- ह्म्म..तो कल आता हूँ डबल लेने..हहा...
मैं- हाँ ..आ जाना...पर बोलो तो क्या हुआ...
स- मैने उसका पीछा किया और वो एक शानदार घर मे आ गई...
मैं- अच्छा...पर घर किसका है...??
स- घर किसी सरद गुप्ता का है..
मैं(मन मे)-ये नाम कहीं सुना तो है...हाँ ये तो वही है जो अकरम की मोम को चोदते है...हां..पूनम ने बताया था.....
स- क्या हुआ...जानते हो क्या...??
मैं- जानता हूँ...बट वो औरत कौन है....और वो सबनम के नाम से क्यो आई थी...??
स- क्या पता...करते है कुछ...अभी बोल क्या करूँ...
मैं- तुम वहाँ नज़र रखो...पूरी रिपोर्ट देना सुबह..ओके
स- ओके...हो जाएगा...बाइ..
मैं- बाइ...
कॉल रखने के बाद मैं सोचने लगा कि आख़िर वो औरत है कौन और सबनम का नाम क्यो यूज़ कर रही है...क्या वो गुप्ता की बीवी है...???
अगर वो उसकी बीवी भी है तो सबनम के नाम से क्यो आई पार्लार मे...
कोई नही..कल इसके बारे मे कुछ तो पता चल ही जाएगा...अभी इस लड़की के मज़े लेता हूँ...साली का पति घर पर नही तो मुझे ले आई चूत फडवाने...रंडी कहीं की....अब देखते है..रात कैसे निकलती है....
हम दोनो कॉफी ख़त्म करके बातें कर रहे थे..तभी मुझे कुछ याद आया....
मैं- अरे..तुमने नाम तो बताया ही नही...
लड़की- आपने पूछा ही नही...
मैं- अच्छा ..वैसे तुमने भी मेरा नाम नही पूछा और चुदाई करवाने अपने साथ ले आई...
लड़की- चुदाई का नाम से क्या लेना-देना...ये तो लंड और चूत के बीच की बात है....
मैं- ह्म्म..काफ़ी खुले बिचार है तुम्हारे...
लड़की- हाँ..वो तो है...पर मैं रंडी भी नही ...आप तीसरे मर्द होंगे जो मुझे चोदेगे....
मैं- सच मे...चलो अच्छा है...अब अपना नाम भी बता दो...
लड़की- ओह हाँ...मेरा नाम रूचि है...
मैं- ह्म्म..और मेरा नाम अंकित है..वैसे तुम्हारे पति क्या करते है...और अभी है कहाँ...??
रूचि- मेरे पति अपने बॉस के साथ सहर से बाहर गये है...वो पीए(पर्सनल अस्सिस्टेंट) है...
मैं- ओके...तो फिर अब क्या करे...
रूचि- अब आप आज रात भर मेरे पति का काम करो...मगर अपने तरीके से...
मैं- ह्म्म..तो पहले डिन्नर कर ले...फिर लंड खिलाता हूँ...
रूचि- ओके..आप फ्रेश हो जाइए..मैं डिन्नर ऑर्डर करती हूँ..
मैं- ओके..
फिर मैं फ्रेश हो गया और चेंज कर लिया..रूचि ने मुझे एक हाफ पेंट और टी-शर्ट दे दी...रूचि भी चेंज करने निकल गई..और मैं बैठ कर डिन्नर का वेट करने लगा....
मैं(मन मे)- ये क्या हो गया मुझे...साला कल मेरा एग्ज़ॅम है फिर भी मैं सेक्स के लिए यहाँ आ गया....वो भी किसके साथ...एक अंजान लड़की के साथ...वेल जो हुआ सो हुआ...अब मज़े करना है बस...और एग्ज़ॅम का क्या...फाइनल थोड़े ना है...
तभी मेरा फ़ोन बजने लगा ये रजनी आंटी का कॉल था...
मैने कॉल पिक की और बोल दिया कि आज घर पर रुक गया हूँ...कुछ काम आ गया था...
आंटी को तो बोल दिया पर तभी मुझे अनु का ख्याल आया...वो तो मेरा वेट कर रही होगी...यही सोचकर मैने अनु को कॉल किया....
(कॉल पर)
मैं- हेलो बेबी...
अनु- कहाँ हो आप...कब आ रहे है...??
मैं- यार मैं आज आ नही पाउन्गा...मुझे घर पर काम आ गया तो यही रुक रहा हूँ...
अनु- आपने बताया क्यो नही...??
मैं- मुझे भी कहाँ पता था...अचानक डॅड का कॉल आ गया...
अनु- ह्म्म..तो कब आएगे...??
मैं- ह्म्म..आ जाउन्गा...पर ये बताओ हमारी इतनी फ़िक्र क्यो...
अनु- आपकी फ़िक्र करना हक़ है मेरा...
मैं- हक़ है..पर क्यो...आख़िर हम आपके है कौन..??
अनु- ज़रूरी नही कि हर रिश्ते का नाम हो...और आप हमारे सब कुछ हो...
मैं- बिना रिश्ते के सब कुछ हो गये...??
अनु- दिल का रिश्ता है ना...वही सब है मेरे लिए...भले ही आप मुझे ना मिले...हम तो आपके हो ही गये...
मैं- ओह..तुम्हारी इसी स्वीटनेस पर तो हम फिदा हो चले...मूँह..
अनु- इतनी तातीफ भी मत कीजिए...
मैं- अच्छा मेरी जान..अब तुम पढ़ाई करो...कल सुबह स्कूल मे मिलुगा ओके..
अनु- ठीक है...
मैं- और हां..रेडी रहना...हमें शॉपिंग करने जाना है...
अनु- जैसा आप कहे...
मैं-लव यू ..गुड नाइट
अनु- लव यू 2 गुड नाइट...
अनु से बात कर के दिल खुश हो गया...आज अनु ने इस तरह से बात की जैसे वो मेरी बीवी हो...
वैसे मैं भी कहीं ना कही अनु से प्यार करने लगा था...और वो तो मुझ पर जान छिडकती है...
शुरू मे अनु ने जो किया..उससे मैं उसे चुड़क्कड़ समझता था...पर जब असलियत पता चली तो समझ गया कि उसे बहकाया गया था...वो दिल की बहुत अच्छी थी और अब तो मेरे दिल के किसी कोने की रानी भी थी...
मैं अनु के प्यार के बारे मे सोच रहा था कि तभी रूचि खाना लगा के ले आई...साथ मे वाइन भी लाई...
मैं अनु मे इतना खो गया था कि मुझे पता ही नही चला कि ऑर्डर कब आ गया...
वेल फिर मैने रूचि के साथ मिल कर वाइन के पेग लगाए और डिन्नर किया...
डिन्नर के बाद रूचि बिना देर किए मुझे बेडरूम मे ले गई...जहाँ आज रात उसे मेरे लंड से अपनी चूत फटवानि थी...
रूम मे आते ही रूचि किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर झपट पड़ी..जैसे मैं उसका शिकार हूँ...
रूचि ने मेरे होंठो को कस के अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया ओए ज़ोर से चूसने लगी...
मैं भी पीछे नही था...मैने भी उसके होंठो को तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया और साथ मे उसकी गान्ड को हाथ से मसल्ने लगा...
रूचि- उउंम..सस्ररुउपप...आअहह..उउंम..
मैं- उउंम.आ..सस्ररूउगग..उऊँ..
हम दोनो होंठो का रस पीते हुए बेड पर आ गये...
मैं बेड पर बैठ गया और रूचि मेरी गोद मे आकर मुझे चूमती रही...
जब हम होंठ चूस्ते हुए थक गये तो हम ने होंठ अलग किए और साँसे लेने लगे...
रूचि- आहह..उऊँ...अब और ना तडपाओ...
मैं- आहह...तो आ जाओ...
और मैने रूचि की नाइटी पकड़ कर निकाल दी...उसने नाइटी के अंदर कुछ नही पहना था...जिससे उसके नंगे बूब्स उछलते हुए मेरे सामने आ गये...
मैने जल्दी से उसके बूब्स पर हमला बोल दिया...
एक को मुँह से और दूसरे को हाथ से निचोड़ने लगा और रूचि मस्ती मे सिसकने लगी...
रूचि- ओह्ह..येस्स...रगड़ दो इन्हे...येस्स..ऐसे ही...आहह...ज़ोर से चूसो...निचोड़ दो...ओह्ह..
मैं- मुऊऊ..एस्स..आहह...मुंम्म...आहह..
जब मैने बूब्स को पूरा गीला कर दिया तो रूचि को आगे बढ़ने का इशारा किया...
रूचि ने बिना देर किए मेरे हाफ पेंट को नीचे किया और मेरे फडफडाते लंड को मुँह मे भर कर चूसने लगी ....
रूचि- सस्ररुउप्प्प...सस्र्र्ररुउपप....सस्ररृूप्प्प....
मैं- ओह्ह्ह...गुड...चूस ले...ज़ोर से...आअहह ...
रूचि- सस्रररुउपप...उउंम...उउंम..उउंम्म...
मैं- यस....यस...सक इट लाइक आ बिच...ऊहह...
रूचि एक रंडी की तरह मेरे लंड को गले मे भर-भर के चूस रही थी ..और मेरा लंड भी पूरा अकड़ के चुदाई के लिए तैयार था कि तभी डोरबेल बजी....पहले एक बार और फिर बार-बार ...
डोरबेल सुनकर हमे गुस्सा भी आया और थोड़ा डर भी लगा....पर डर उतना नही था क्योकि रूचि ने बताया ही था कि उसके पति सहर से बाहर गये है ..
रूचि - अब कौन आ गया...
मैं- अरे देखो तो...
रूचि - ह्म्म..मैं देखती हूँ रूको...
रूचि ने जल्दी से नाइटी पहनी और मेन गेट पर जाकर उसमे बने होल से देखा...
देखते ही रूचि भागती हुई मेरे पास आई...
रूचि- ओह माइ गॉड ..मर गये...
मैं- अरे..क्या हुआ...कौन है..??
रूचि- मेरे पति..अब क्या करूँ...क्या कहूगी ....
मैं- ओह माइ गॉड...अब क्या ..एक मिनट ...रिलॅक्स...कुछ सोचते है ..रूको..
रूचि- मैने सोच लिया...आप कपड़े पहनो और उस रूम मे सोने की आक्टिंग करो...मैं इसे देखती हूँ..ओके
मैं- ओके..[/font]
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=x-small]Tophttp://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=7015&start=415#top[/font][/size]
फिर मैं रेडी हुआ और बाहर आ गया...
थोड़ी देर बाद मैं उस लड़की के साथ उसके घर निकल गया....
जब हम घर पहुचे तो...
लड़की- ओह शिट...मेरे पति..
मैं- क्या...पति...मैं सोच रहा था कि तुम अकेली हो...
लड़की- पति है तो क्या हुआ....
मैं- पागल है क्या...पति के रहते हुए तुझे चोदुन्गा कैसे...मैं जाता हूँ...
लड़की- अरे..अरे ...रूको तो...मेरे पति बाहर है...कल सुबह आएँगे...
मैं- ओह..तो ठीक है...
लड़की ने मेरे पास आ कर मेरे लंड को मसल दिया...
मैं- आहह...पहले कॉफी पिलाओ..फिर डिन्नर और फिर चुदाई...
लड़की- ओके..
फिर मैं बैठ गया और वो कॉफी बनाने निकल गई...
मैं कॉफी पी रहा था तो मेरे आदमी का कॉल आ गया...उसे मैने उस औरत का पीछा करने का बोला था...
(कॉल पर)
मैं- हाँ बोलो...काम हुआ...??
स- काम तो हुआ पर इसके लिए मुझे 20000 देने पड़े..
मैं- काम सही हुआ तो डबल मिलेगे...
स- ह्म्म..तो कल आता हूँ डबल लेने..हहा...
मैं- हाँ ..आ जाना...पर बोलो तो क्या हुआ...
स- मैने उसका पीछा किया और वो एक शानदार घर मे आ गई...
मैं- अच्छा...पर घर किसका है...??
स- घर किसी सरद गुप्ता का है..
मैं(मन मे)-ये नाम कहीं सुना तो है...हाँ ये तो वही है जो अकरम की मोम को चोदते है...हां..पूनम ने बताया था.....
स- क्या हुआ...जानते हो क्या...??
मैं- जानता हूँ...बट वो औरत कौन है....और वो सबनम के नाम से क्यो आई थी...??
स- क्या पता...करते है कुछ...अभी बोल क्या करूँ...
मैं- तुम वहाँ नज़र रखो...पूरी रिपोर्ट देना सुबह..ओके
स- ओके...हो जाएगा...बाइ..
मैं- बाइ...
कॉल रखने के बाद मैं सोचने लगा कि आख़िर वो औरत है कौन और सबनम का नाम क्यो यूज़ कर रही है...क्या वो गुप्ता की बीवी है...???
अगर वो उसकी बीवी भी है तो सबनम के नाम से क्यो आई पार्लार मे...
कोई नही..कल इसके बारे मे कुछ तो पता चल ही जाएगा...अभी इस लड़की के मज़े लेता हूँ...साली का पति घर पर नही तो मुझे ले आई चूत फडवाने...रंडी कहीं की....अब देखते है..रात कैसे निकलती है....
हम दोनो कॉफी ख़त्म करके बातें कर रहे थे..तभी मुझे कुछ याद आया....
मैं- अरे..तुमने नाम तो बताया ही नही...
लड़की- आपने पूछा ही नही...
मैं- अच्छा ..वैसे तुमने भी मेरा नाम नही पूछा और चुदाई करवाने अपने साथ ले आई...
लड़की- चुदाई का नाम से क्या लेना-देना...ये तो लंड और चूत के बीच की बात है....
मैं- ह्म्म..काफ़ी खुले बिचार है तुम्हारे...
लड़की- हाँ..वो तो है...पर मैं रंडी भी नही ...आप तीसरे मर्द होंगे जो मुझे चोदेगे....
मैं- सच मे...चलो अच्छा है...अब अपना नाम भी बता दो...
लड़की- ओह हाँ...मेरा नाम रूचि है...
मैं- ह्म्म..और मेरा नाम अंकित है..वैसे तुम्हारे पति क्या करते है...और अभी है कहाँ...??
रूचि- मेरे पति अपने बॉस के साथ सहर से बाहर गये है...वो पीए(पर्सनल अस्सिस्टेंट) है...
मैं- ओके...तो फिर अब क्या करे...
रूचि- अब आप आज रात भर मेरे पति का काम करो...मगर अपने तरीके से...
मैं- ह्म्म..तो पहले डिन्नर कर ले...फिर लंड खिलाता हूँ...
रूचि- ओके..आप फ्रेश हो जाइए..मैं डिन्नर ऑर्डर करती हूँ..
मैं- ओके..
फिर मैं फ्रेश हो गया और चेंज कर लिया..रूचि ने मुझे एक हाफ पेंट और टी-शर्ट दे दी...रूचि भी चेंज करने निकल गई..और मैं बैठ कर डिन्नर का वेट करने लगा....
मैं(मन मे)- ये क्या हो गया मुझे...साला कल मेरा एग्ज़ॅम है फिर भी मैं सेक्स के लिए यहाँ आ गया....वो भी किसके साथ...एक अंजान लड़की के साथ...वेल जो हुआ सो हुआ...अब मज़े करना है बस...और एग्ज़ॅम का क्या...फाइनल थोड़े ना है...
तभी मेरा फ़ोन बजने लगा ये रजनी आंटी का कॉल था...
मैने कॉल पिक की और बोल दिया कि आज घर पर रुक गया हूँ...कुछ काम आ गया था...
आंटी को तो बोल दिया पर तभी मुझे अनु का ख्याल आया...वो तो मेरा वेट कर रही होगी...यही सोचकर मैने अनु को कॉल किया....
(कॉल पर)
मैं- हेलो बेबी...
अनु- कहाँ हो आप...कब आ रहे है...??
मैं- यार मैं आज आ नही पाउन्गा...मुझे घर पर काम आ गया तो यही रुक रहा हूँ...
अनु- आपने बताया क्यो नही...??
मैं- मुझे भी कहाँ पता था...अचानक डॅड का कॉल आ गया...
अनु- ह्म्म..तो कब आएगे...??
मैं- ह्म्म..आ जाउन्गा...पर ये बताओ हमारी इतनी फ़िक्र क्यो...
अनु- आपकी फ़िक्र करना हक़ है मेरा...
मैं- हक़ है..पर क्यो...आख़िर हम आपके है कौन..??
अनु- ज़रूरी नही कि हर रिश्ते का नाम हो...और आप हमारे सब कुछ हो...
मैं- बिना रिश्ते के सब कुछ हो गये...??
अनु- दिल का रिश्ता है ना...वही सब है मेरे लिए...भले ही आप मुझे ना मिले...हम तो आपके हो ही गये...
मैं- ओह..तुम्हारी इसी स्वीटनेस पर तो हम फिदा हो चले...मूँह..
अनु- इतनी तातीफ भी मत कीजिए...
मैं- अच्छा मेरी जान..अब तुम पढ़ाई करो...कल सुबह स्कूल मे मिलुगा ओके..
अनु- ठीक है...
मैं- और हां..रेडी रहना...हमें शॉपिंग करने जाना है...
अनु- जैसा आप कहे...
मैं-लव यू ..गुड नाइट
अनु- लव यू 2 गुड नाइट...
अनु से बात कर के दिल खुश हो गया...आज अनु ने इस तरह से बात की जैसे वो मेरी बीवी हो...
वैसे मैं भी कहीं ना कही अनु से प्यार करने लगा था...और वो तो मुझ पर जान छिडकती है...
शुरू मे अनु ने जो किया..उससे मैं उसे चुड़क्कड़ समझता था...पर जब असलियत पता चली तो समझ गया कि उसे बहकाया गया था...वो दिल की बहुत अच्छी थी और अब तो मेरे दिल के किसी कोने की रानी भी थी...
मैं अनु के प्यार के बारे मे सोच रहा था कि तभी रूचि खाना लगा के ले आई...साथ मे वाइन भी लाई...
मैं अनु मे इतना खो गया था कि मुझे पता ही नही चला कि ऑर्डर कब आ गया...
वेल फिर मैने रूचि के साथ मिल कर वाइन के पेग लगाए और डिन्नर किया...
डिन्नर के बाद रूचि बिना देर किए मुझे बेडरूम मे ले गई...जहाँ आज रात उसे मेरे लंड से अपनी चूत फटवानि थी...
रूम मे आते ही रूचि किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर झपट पड़ी..जैसे मैं उसका शिकार हूँ...
रूचि ने मेरे होंठो को कस के अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया ओए ज़ोर से चूसने लगी...
मैं भी पीछे नही था...मैने भी उसके होंठो को तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया और साथ मे उसकी गान्ड को हाथ से मसल्ने लगा...
रूचि- उउंम..सस्ररुउपप...आअहह..उउंम..
मैं- उउंम.आ..सस्ररूउगग..उऊँ..
हम दोनो होंठो का रस पीते हुए बेड पर आ गये...
मैं बेड पर बैठ गया और रूचि मेरी गोद मे आकर मुझे चूमती रही...
जब हम होंठ चूस्ते हुए थक गये तो हम ने होंठ अलग किए और साँसे लेने लगे...
रूचि- आहह..उऊँ...अब और ना तडपाओ...
मैं- आहह...तो आ जाओ...
और मैने रूचि की नाइटी पकड़ कर निकाल दी...उसने नाइटी के अंदर कुछ नही पहना था...जिससे उसके नंगे बूब्स उछलते हुए मेरे सामने आ गये...
मैने जल्दी से उसके बूब्स पर हमला बोल दिया...
एक को मुँह से और दूसरे को हाथ से निचोड़ने लगा और रूचि मस्ती मे सिसकने लगी...
रूचि- ओह्ह..येस्स...रगड़ दो इन्हे...येस्स..ऐसे ही...आहह...ज़ोर से चूसो...निचोड़ दो...ओह्ह..
मैं- मुऊऊ..एस्स..आहह...मुंम्म...आहह..
जब मैने बूब्स को पूरा गीला कर दिया तो रूचि को आगे बढ़ने का इशारा किया...
रूचि ने बिना देर किए मेरे हाफ पेंट को नीचे किया और मेरे फडफडाते लंड को मुँह मे भर कर चूसने लगी ....
रूचि- सस्ररुउप्प्प...सस्र्र्ररुउपप....सस्ररृूप्प्प....
मैं- ओह्ह्ह...गुड...चूस ले...ज़ोर से...आअहह ...
रूचि- सस्रररुउपप...उउंम...उउंम..उउंम्म...
मैं- यस....यस...सक इट लाइक आ बिच...ऊहह...
रूचि एक रंडी की तरह मेरे लंड को गले मे भर-भर के चूस रही थी ..और मेरा लंड भी पूरा अकड़ के चुदाई के लिए तैयार था कि तभी डोरबेल बजी....पहले एक बार और फिर बार-बार ...
डोरबेल सुनकर हमे गुस्सा भी आया और थोड़ा डर भी लगा....पर डर उतना नही था क्योकि रूचि ने बताया ही था कि उसके पति सहर से बाहर गये है ..
रूचि - अब कौन आ गया...
मैं- अरे देखो तो...
रूचि - ह्म्म..मैं देखती हूँ रूको...
रूचि ने जल्दी से नाइटी पहनी और मेन गेट पर जाकर उसमे बने होल से देखा...
देखते ही रूचि भागती हुई मेरे पास आई...
रूचि- ओह माइ गॉड ..मर गये...
मैं- अरे..क्या हुआ...कौन है..??
रूचि- मेरे पति..अब क्या करूँ...क्या कहूगी ....
मैं- ओह माइ गॉड...अब क्या ..एक मिनट ...रिलॅक्स...कुछ सोचते है ..रूको..
रूचि- मैने सोच लिया...आप कपड़े पहनो और उस रूम मे सोने की आक्टिंग करो...मैं इसे देखती हूँ..ओके
मैं- ओके..[/font]
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