Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 42 - SexBaba
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

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वहाँ मोना अपनी मोम से चूत चुस्वाते हुए मुझसे बात कर रही थी...
मैने मोना के पास आ कर कॉल कट की और मोना को झुक कर किस कर लिया...

मोना- उउउंम्म...आ गये...देखो मोम..

मोहिनी ने चूत से मूह हटा कर मुझे देखा तो शरमा गई....

मोना- मोम..आज अंकित का लंड खा कर देखो...सबको भूल जाओगी...

मोहिनी(मन मे)- माना ये दुश्मन का बेटा है...पर लंड खाने मे क्या बुराई....वैसे भी इसका लंड सवारी करने लायक ही है....

मोना- मोम...रेडी...और अंकित तुम..रेडी हो..हम माँ-बेटी की प्यास भुजाने को...

मैं- ह्म..

मैं पहले ही गरम था इसलिए और देर ना करते हुए मैने अपने कपड़े निकाल दिए और नंगा खड़ा हो गया...

मोहिनी की नज़र मेरे लंड पर ठहर गई....उसने आज तक ऐसा लंड नही खाया था...और नया लंड मिलने की एक्सिटमेंट उसकी आँखो मे सॉफ दिख रही थी...

फिर मोना उठी और मुझे सोफे पर बैठा लिया और लंड को पकड़ कर हिलाने लगी...

मोहिनी अभी भी नीचे बैठी हुई हमे देख रही थी...

मोना- ओह्ह...मोम...तू बैठी क्यो है...आजा उपर...और देख इस लंड को...तेरी फाड़ देगा...हहहे...

मैं मोना की बातो से थोड़ा चौका तो मोना ने बता दिया कि चुदाई के वक़्त दोनो माँ-बेटी ऐसे ही बात करती है...

मोहिनी उठी और मेरे दूसरे तरफ बैठ गई...और मोना ने मोहिनी को मेरा लंड पकड़ा दिया...

मेरा लंड पकड़ते ही मोहिनी के मूह से सिसकी निकल गई और वो मेरे लंड को उपेर-नीचे करते हुए सुपाडे को देखने लगी...

थोड़ी देर लंड हिलाने के बाद ...मुझसे रहा नही गया...

मैं- अरे आंटी हिलाती ही रहोगी क्या...चूस भी लो..

मोना- आज ये आंटी नही...मोहिनी रांड़ है..और मैं मोना रांड़..समझे...

मैं- ह्म्म...मुझे भी तुम दोनो को रंडी की तरह चोदने मे मज़ा आयगा...अब सुरू हो जाओ...

मोना- हाँ मेरी रंडी मॉम...चूस ले अब...बुझा ले अपनी प्यास...

मोहिनी तो इसी बात के इंतज़ार मे थी...उसने झुक कर सुपाडा मूह मे भर लिया और चूसने लगी....

मोना भी पीछे नही थी...वो भी झुक कर मेरे लंड पर जीभ फिराने लगी.....
मोहिनी- उउउंम्म...उूउउम्म्म्मम....उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्मम....

मोना- सस्स्ररुउउप्प्प...सस्स्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्स्रररुउउप्प्प...सस्स्स्रररुउउप्प्प्प....

मैं-आआहह....ऐसे ही चूसो मेरी रंडियो....आआहह. ..ज़ोर से ..

मोना- सस्स्रररुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...सस्ररुउप्प्प...सस्स्रररुउपप..

मोहिनी- उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्मम...उूुुउउम्म्म्म...उूुुउउम्म्म्मम....

मैं- आअहह...दोनो माँ-बेटी मस्त हो....चूसो...आआहह.....

धीरे -धीरे मोहिनी पूरा लंड मूह मे ले गई और मोना अपनी माँ को गुस्से से देखने लगी...क्योकि उसे लंड नही मिल रहा था...
मोहिनी- उउउंम्म..स्स्सल्ल्लूउउउप्प्प्प...सस्स्रररूउग़गग....सस्स्रररुउउउगग....उउउंम्म..

मोना- साली...पूरा ले लिया...मुझे तो छोड़ देती...

मोहिनी- सस्स्रररूउउग़गग...सस्स्रररुउउउगग़गग...उउउंम...उउउंम्म...

मैं- आअहह....मोहिनी.....गले से गटक लेगी क्या...आआहह....मस्त चूस्ति है तू...

मोना- हाँ..साली बहुत बड़ी रंडी है...खा जा पूरा...

मोना गुस्से से बड़बड़ाती रही पर मोहिनी तसल्ली से लंड चूस्ति रही और मैं तो मस्ती के आसमान मे था....

थोड़ी देर बाद मोना ने मोहिनी के मूह से लंड निकाल लिया....

मोना- बस मोम..बेटी का ख्याल भी करो..अकेले-अकेले मज़े लोगि...

मोहिनी- अरे बेटी..गुस्सा क्यो होती है...तू भी मज़ा ले ले...

और मोहिनी ने मोना का सिर मेरे लंड पर जमा दिया...और मोना भी गप्प से लंड को मूह मे ले कर चूसने लगी...

मोहिनी- ले रंडी...तू पूरा भर के चूस...ले...

मोहिनी , मोना का सिर मेरे लंड पर दवाए बड़बड़ा रही थी...और मोहिनी की गर्मी देख कर मुझे खुशी हो रही थी....
मोना- गग़ग्गल्लूउप्प्प्प...गगल्ल्लूउउप्प्प..ग्गगूउपप्प...उउउंम्म..उउंम......

मैं- आअहह...ज़ोर से ....मेरा पानी निकलने वाला है...आअहह...

मोहिनी- मुझे भी चखना है....ज़ोर से चूस मोना....

मोना- सस्स्रररुउउउगगगगग....सस्स्रररूउउगग़गग...सस्स्रररुउउउगग़गग...सस्स्रररूउउग़गग...

मैं- आअहह..मैं आ रहा हूँ...

मेरे बोलते ही मोनिनी ने मोना के मूह से लंड निकाला और नीचे बैठ गई...

मोना भी अपनी माँ के बाजू मे बैठ गई और मेरा लंड हिलाने लगी...

मैं- ऊओ..कोँमिंग....यष्ह...ययईईससस्स...आआहह...आअहह...

मैं अपने लंड रस की पिचकारिया मारने लगा और दोनो माँ-बेटी मेरे लंड रस को मूह खोल कर पीने लगी....
मैं झाड़ कर शांत बैठ गया...और मोना और मोहिनी आपस मे किस करने लगी...

मोना- आअहह...कैसा लगा मोम..मस्त है ना....

मोहिनी- बहुत मस्त बेटी...अब तो चूत मे आग लग गई है...इसे लेने के लिए...

मोना- तो देर किस बात की इसे तैयार करते है..फिर आग बुझवा लेगे...

फिर दोनो माँ-बेटी दोनो तरफ से मेरे लंड पर जीभ फिराने लगी....

थोड़ी देर तक दोनो ने बारी-बारी मेरे लंड को चूस-चूस कर दुबारा तैयार कर दिया...

दोनो अपनी जीभ को मेरी बॉल्स से लेकर सुपाडे तक फिराती और सुपाडे के दोनो तरफ जीभ को घुमाती..
मैं एक साथ माँ-बेटी को चोदने के एक्सिटमेंट मे जल्दी ही तैयार हो गया...
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मैं- अब आओ...तुम्हारी चूत फाड़ता हूँ...

मेरे बोलते ही मोहिनी ने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरे उपेर आ कर लंड को चूत मे डाल कर बैठ गई....

मोहिनी- आआईयईईईई....माररर गई.....

मोना- तो किसने कहा था एक झटके मे लेने को...

मोहिनी- आअहह....मज़ा दर्द मे ही है बेटी...

मोना- ह्म्म..और मेरे मज़े का क्या.....

मैं- आजा ...तेरी चूत चख लेता हूँ...

फिर मोना मेरे मूह पर चूत रख कर बैठ गई...और मोहिनी ने लंड पर उछलना सुरू कर दिया...
मोना पहले से ही गरम थी...तो मेरे जीभ लगते ही उसका चूत रस बहने लगा. ...

मोना- आअहह....मैं गई मोम...आअहह...

मोहिनी- मेरा भी होने वाला है...इस लंड ने तो अंदर जाते ही खलबली मचा दी..आअहह....

मैं मोना का चूत रस पीने लगा और वहाँ मोहिनी भी झड़ने लगी...

झड़ने के बाद भी मोहिनी लंड पर उछलती रही और मैं मोना की चूत चाट ता रहा....

मोहिनी- आअहह..आआहह...आअहह..बेटी...ये तो...आअहह...बहुत तगड़ा लंड ...आअहह...

मोना- आअहह..हाँ मोम...मस्त है.....पूरा मज़ा देता है...आअहह..काटो मत...उूउउंम्म..

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउुउउप्प्प...सस्स्रररुउप्प्प...उउउंम्म...उूउउंम्म..

मोहिनी- ओह्ह..येस्स....आअहह...आअहह....बेटी....मज़ा आ गया...सस्स्शीई....

मोना- हाँ मोम....ज़ोर से उछलो...आअहह.....ऐसे ही....उउउंम्म..

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प्प....उउउंम..उउउंम्म..उउउंम्म..

मोना- आअहह....मोम...अब..मेरी बारी....

मोहिनी- अभी नही..आओउउउंम्म...थोड़ा रुक..ईीस्स...ईीस्स..ईसस्स...

थोड़ी देर तक मैने मोना की चूत चाट कर उसे फिर से गरम कर दिया...और मोहिनी भी उछल-उछल कर फिर से गरम होने लगी थी...

फिर मोना ने मोहिनी को रोका और उसे हटा कर खुद मेरे लंड पर बैठ कर उछलने लगी...
मोहिनी- साली ....कितनी जल्दी है तुझे ...रुक नही सकती थी...

मोना- चुप कर रंडी...झड़ने के बाद भी लंड नही छोड़ती....हाअ...ऊहह....म्माआ...

मोहिनी- अंकित...फाड़ दे साली की...

मोना- हाँ अंकित...फाड़ दो....फिर मेरी माँ की फाड़ देना...आहह..आहह..

मैं- दोनो की फाड़ता हूँ...ये लो...ये लो..यीहह....

मैं तेज़ी से मोना को नीचे से धक्के मार रहा था और बाजू मे बैठी मोहिनी की गान्ड दबा रहा था...

मैं- मोहिनी...तेरी गान्ड बड़ी मस्त है...

मोहिनी- आअहह...तो मार लेना पर अभी नही...

मोना- अभी..मेरी मार...ज़ोर से....आआहह...आआहह...

थोड़ी देर बाद ही मोना फिर से झड गई...

मोना- आअहह...मैं गई...ऊऊहह...म्माआ.....
 
मोना के झाड़ते ही मोहिनी ने मोना को साइड किया और उसकी जगह खुद मेरा लंड ले कर बैठ गई....

मोहिनी- आहह..एस्स...ईीस्स....ईश्द्ड...आष्ह...

मैं- जंप..जंप...ज़ोर से...एस्स...ईएहह...यईएह...

मैने मोहिनी को चोदने लगा और मोना बाजू मे आ कर अपनी माँ के बूब्स चूसने लगी...
मोहिनी- आहह...चूस बेटी...ज़ोर से चूसो...चुदाई का मज़ा बढ़ गया...आआअहह...आअहह....


थोड़ी देर तक मोहिनी उछलते हुए थक गई...और शांत पड़ने लगी...

मोना- अब हटो...मेरी चूत मारने दो....

मोहिनी- आजा बेटी...तू मरवा ले...

और मोहिनी के हट ते ही मैं भी खड़ा हो गया और मोना को सोफे पर लिटा कर उसकी चूत मारने लगा...

मोना- आअहह...धीरे ....आअहह...आअहह...

लेकिन मैं अब पूरी स्पीड से मोना की चूत मारने लगा...

मोना- ओह..माँ....बचाओ....ये फाड़ देगा...आआहह......आअहह...

मोहिनी- फट जाने दे बेटी...चूत का तो काम ही है फटना....ज़ोर दे मार अंकित...

मैं- यहह...चुप कर ...चिल्ला मत ...

मोहिनी- मैं इसका मूह बंद करती हूँ..

और मोहिनी अपनी चूत खोल कर मोना के मूह पर बैठ गई..
मोहिनी- आअहह...चूस बेटी...माँ की चूत चूस...

मैं- येस्स्स...और अपनी चूत फाट्वा...ये ले...ये ले...

मोना- उउउंम..उूुउउंम्म..उूउउंम्म..उउउंम्म...उउउंम्म...

मोहिनी- आअहह...आआहह...ज़ोर से...आअहह....मेरा हो रहा है...आआहह.....

मैं- ये ले...येस्स...एस्स...येस्स...आअहह...ईएहह....

थबॉदी देर की जोरदार चुदाई के बाद मोना झड़ने लगी.....

मोना- उउउंम...उउउंम्म...उहुउंम..आआहह...आअहह.....गाऐयइ ररीई...

मोहिनी- मैं भी गई बेटी...आआहह....प्पििई...जा...आआहह...आआहह...

मैं- मेरा भी होने वाला है...

मोहिनी- अंदर मत छोड़ना...मुझे पिलाओ....

मोहिनी जल्दी से नीचे बैठ गई और मोना भी लंड रस पीने आ गई...

मोना- मुझे भी...

मैं- दोनो लो...ईएह...ईएह...

मैने दोनो के मूह पर लंड रस छोड़ दिया और वो दोनो मेरे लंड को चाट कर के लंड रस पी गई और लंड भी सॉफ कर दिया...

और दोनो माँ-बेटी एक दूसरे के मूह पर लगा लंड रस चाट कर किस करने लगी...
दमदार चुदाई के बाद हम तीनो बेड पर आ कर रेस्ट करने लगे......
माँ-बेटी की दमदार चुदाई के बाद मैं रेस्ट करने लगा....

तभी मेरे माइंड मे झटका लगा और मुझे याद आया कि मैने ग़लती कर दी....
 
प्लान तो ये थे कि मोहिनी को चुदाई के लिए तडपा कर उसका मूह खुलवाना है...पर चुदाई की मस्ती मे ये भूल ही गया ...

अब क्या होगा...क्या मोहिनी कुछ बोलेगी ...या फिर चुदाई बेकार जायगी...

काफ़ी देर सोचने के बाद मैने डिसाइड किया कि एक बार पूछ कर तो देखता हूँ...फिर देखते है...क्या जवाब देती है...

मोना- क्यो मोम...मज़ा आया...???

मोहिनी- हाँ बेटी...बहुत मज़ा आया...सालो बाद...आआहह...

मोना- मोम...ये सब अंकित का कमाल है....

मोहिनी- ह्म्म्मी...थॅंक यू अंकित...

मैं- अरे आंटी ..थॅंक्स कैसा...

मोहिनी- नही अंकित...तुम नही जानते कि तुमने मुझे कितना सुख दिया है...

मोना- तब तो मोम आपको भी अंकित को खुश करना होगा....

मोहिनी- करूगी ना बेटी...ज़रूर करूगी...बोलो अंकित कैसे खुश करू तुम्हे...

मोना(बीच मे)- वैसे मोम...एक तरीका है अंकित को खुश करने का...

मोना ने मुझे देखते हुए ये बात बोली....तो मैं समझ गया कि मोना मेरा काम ईज़ी कर रही है...

मोहिनी- अच्छा...बोल बेटी क्या तरीका है...

मोना- अंकित को वो सच बता दो...जो आपने मुझे भी नही बताया...

मोना की बात सुनते ही मोहिनी चुप रह गई और आँखे फाड़ कर मोना को देखने लगी....

मोना- मुझे क्या देख रही हो मोम...अंकित को सब पता है..जितना मैं जानती हूँ...

मोहिनी(गुस्से से)- तूने बताया....

मोना- नही मोम..मैने नही...ये तो...

मैं(बीच मे)- नही आंटी..मोना ने कुछ नही बोला...मैने उस रात आपकी और मोना की बातें सुन ली थी...

मोहिनी(शॉक्ड हो कर)- कैसे...??

मैं- वो छोड़िए..अब पॉइंट पर आता हूँ...आप मुझे बताएँगी कि आपकी फॅमिली और मेरी फॅमिली के बीच क्या हुआ था....

मोहिनी- मुझे कुछ नही कहना...मैं जा रही हूँ...

मोहिनी बेड से उठ कर खड़ी हो गई और अपनी नाइटी देखने लगी...

मैं- आंटी...आख़िर ऐसी क्या बात है जो आप इतनी गुस्सा हो जाती हैं...इस नफ़रत का रीज़न क्या है...???

मोहिनी(रुक कर)- नफ़रत....नही..मुझे तुमसे कोई नफ़रत नही...

मैं- पर मेरे डॅड और दादाजी से तो है ना...??

मोहिनी- नही बेटा..तुम्हारे डॅड से भी नही...और दादाजी से भी नही...

मैं- तो फिर आप क्यो चुप है...और आप मेरे डॅड और दादाजी से क्यो मिलना चाहती है...

मोहिनी- वो तो मुझे उनसे कुछ सवाल पूछने है..बस...पर नफ़रत नही है उनसे....

मैं- क्या सवाल है आपके...

मोहिनी- मैं वो तुम्हे नही बता सकती..

मैं- ओके...पर आप ये तो बता सकती है कि दुश्मनी की वजह क्या है...और आपकी मौसी किस बात का बदला ले रही थी..और आप क्यो उस दुश्मनी को भूल गई जिसकी वजह से आपकी फॅमिली बर्बाद ही गई...क्यो...???

मोहिनी- तुम क्यो जानना चाहते हो ये सब...??

मैं- क्योकि मेरे चारों तरफ मेरे दुश्मन फैले हुए है...

मिहीणी- पर मैं उनमे से नही हूँ..और ना ही मेरा कोई अपना तुम्हारा दुश्मन है...ओके...अब मैं चलती हूँ...

मोहिनी ने अपनी नाइटी पहनी और जाने लगी....

मैं(चिल्ला कर)- रूको...मेरी बात सुनो...

मेरी आवाज़ सुन कर मोहिनी के बढ़ते कदम रुक गये और मोना तो मेरा गुस्सा देख कर मुझसे दूर खड़ी हो गई....


मोहिनी- आख़िर तुम क्यो पीछे पड़े हो...मैने कहा ना कि मेरी कोई दुश्मनी नही तुमसे...ना तुम्हारी फॅमिली से....भूल जाओ सब कुछ...

मैं- कैसे भूल जाउ...हर समय मेरे दुश्मन मेरे चारों तरफ घात लगाए बैठे है...

मोहिनी- पर मैने कुछ नही किया...कसम से...

मैं- मान लिया...पर मुझे लगता है कि आपकी सच्चाई से शायद मैं अपने दुश्मनो तक पहुच पाउ...हो सकता है कोई हो जो आपकी नज़र मे अच्छा हो पर असल मे वही बुरा निकल गया हो...

मोहिनी- ऐसा नही हो सकता...मैं तो सब भूल कर आगे बढ़ चुकी हूँ...अब मैं जा रही हूँ...

मैं- बस एक मिनट...एक बात का जवाब दो...फिर चली जाना...

मोहिनी- ह्म्म्म..बोलो...

मैं- आपको लगता है कि मेरे दादाजी की वजह से आपकी फॅमिली बर्बाद हुई...??

मोहिनी- हाँ...पर..

मैं(हाथ दिखा कर)- अभी रूको....आपको ये भी लगता है कि आपकी मौसी की मौत की वजह मेरे डॅड है..??

मोहिनी- हाँ बिल्कुल...पर मैं सब भूल चुकी हूँ...

मैं- पर मैं ये नही मानता...नही मानता कि मेरे डॅड किसी की जान ले सकते है....ये भी नही मानता कि मेरे दादाजी किसी परिवार को तबाह कर सकते है...नही मानता...

मोहिनी- पर सच्चाई यही है...

मैं- नही..बिल्कुल नही..और इसी लिए मैं पूरी बात जानना चाहता हूँ...

मोहिनी- इससे क्या होगा...जो हो गया उसे बदल दोगे क्या...??

मैं- नही...पर सच सामने ला सकता हूँ ना...आपको ये बता सकता हूँ ना कि असल मे सच्चाई क्या है..

मोहिनी- इससे क्या मिलेगा..??

मैं- आपको नही...पर मुझे मिलेगा...मेरा भरोसा ..मेरे डॅड पर...मेरे दादाजी पर...और शायद मुझे असली दुश्मन मिल जाए...

मोहिनी कुछ सोचने लगी ...और मैं उसके पास जा कर खड़ा हो गया...
 
मैं- कम ऑन आंटी...बोलिए...क्या हुआ था ...कैसे हुआ था प्लीज़...

मोहिनी मेरी आँखो मे देखने लगी...मेरी आँखे गुस्से और उम्मीद से भरी हुई थी...

मोहिनी- ठीक है...तुम्हे सच जानना है..तो पूरी कहानी सुनाती हूँ...फिर तुम ही बताना कि मैं सही हूँ या ग़लत...

मैं - कहिए आंटी...जल्दी..

मोहिनी- आओ बैठो...

फिर हम दोनो सोफे पर बैठ गये...और मोना भी नाइटी पहन कर बेड पर बैठ कर हमारी बाते सुनने लगी....


आगे की कहानी मोहिनी की जुवानी....

मेरी माँ के परिवार मे 5 सदस्य थे...

मेरी माँ...मेरी मौसी(सरिता)...मेरे मामा....और मेरे नाना-नानी...

मेरे नाना एक स्कूल टीचर थे...उनका ट्रान्स्फर तुम्हारे दादाजी के गाओं मे हुआ...फिर वही से ये सब सुरू हुआ...

तुम्हारे दादाजी गाओं के नामी-गिरामी इंसान थे...

वो सरकारी कर्मचारियों की बहुत इज़्ज़त करते थे और पूरी मदद भी...

उन्होने मेरे नानाजी की भी काफ़ी मदद की...

पर तुम्हारे दादाजी बहुत अय्याश भी थे...और गाओं की कई औरत और लड़कियों को चोदते थे....

उनकी शादी के बाद भी उनकी अयाशियाँ चालू रही...

तुम्हारे दादाजी के पास दौलत भी थी और सोहरत भी...और वो सबका भला भी करते थे...इसीलिए सब उनसे प्रभावित हो जाते थे....

बस मेरी नानी ने भी यही ग़लती कि...वो तुम्हारे दादाजी से प्रभावित हो गई...

धीरे-धीरे वो तुम्हारे दादाजी की तरफ आकर्षित हो गई...

और फिर तुम्हारे दादाजी की रखेल बन गई...

तुम्हारे दादाजी ने मेरे नाना का ट्रान्स्फर पास के गाओं मे करवा दिया..

और फिर रोज नानाजी के जाने के बाद दिन भर मेरी नानी के साथ चुदाई करने लगे....

मेरी नानी भी जवान लंड ले कर बहुत खुश थी और उपेर से उन्हे पैसे भी मिलते थे...

ये सिलसिला बहुत टाइम तक चलता रहा...नानाजी जॉब पर जाते और मेरी माँ और मामा स्कूल...मेरी मौसी तो बचपन से सहर मे पढ़ती थी..एक रिस्तेदार के यहाँ रह कर....

घर पर सिर्फ़ नानी होती और तुम्हारे दादाजी दिन भर उन्हे चोद्ते थे....

पर एक दिन मेरी माँ स्कूल से बीच मे आ गई...उनका सिर दर्द हो रहा था....

और उन्होने मेरी नानी को तुम्हारे दादाजी के साथ देख लिया....

मेरी माँ भी उस एज मे थी जिस एज मे चुदाई का मतलब समझ आ जाता है...

फिर मेरी माँ ने कई बार छिप-छिप कर चुदाई देखी और अपने हाथ से अपनी चूत ठंडी करने लगी...

एक दिन मेरी माँ को तुम्हारे दादाजी ने देख लिया और मौका पा कर उन्हे भी चोद दिया...

मेरी माँ भी खुश थी और नानी भी...

मेरी नानी घर मे चुदवाती और मेरी माँ तुम्हारे दादाजी के खेतों मे...कभी-2 घर पर भी...

एक दिन मेरी माँ घर पर चुद रही थी तो नानी ने देख लिया....

पर वो कुछ करती उसके पहले माँ ने नानी का मूह बंद कर दिया...ये कह कर कि वो नानाजी को सब बता देगी ...

फिर क्या था उस घर मे तुम्हारे दादाजी की 2 रखेल हो गई...दोनो साथ मे चुदवाती थी...

एक बार मेरे नानाजी मेरे मामा के साथ मेरी मौसी से मिलने गये ..

वो 3 दिन का बोल कर गये थे ...इसी वजह से तुम्हारे दादाजी 3 दिन के लिए हमारे घर रुक गये...

पर नानाजी दूसरे दिन ही आ गये और अपनी आँखो से सब देख लिया...

उनकी बीवी और बेटी एक साथ चुद रही थी...

मेरे नाना जी को गुस्सा तो आया पर वो तुम्हारे दादाजी से टकरा नही सकते थे...इसीलिए गाओं छोड़ कर दूसरे गाओं आ गये...

पर मेरी माँ और नानी की चुदाई की आदत ख़त्म नही हुई...

वो तुम्हारे दादाजी को बुलाकर वहाँ भी चुदवाती थी..पर कभी-कभी...

मुझे नही पता कि फिर क्या हुआ...

कुछ सालों बाद..जब मैं 3-4 साल की थी तो अपनी मौसी के साथ सहर गई थी...

वही पता चला कि मेरी माँ, मामा, और नाना-नानी जल कर खाक हो गये....

जब मैं बड़ी हुई तो मौसी ने बताया कि आज़ाद( दादाजी) ने ही सब को बंद कर के घर मे आग लगा दी थी...

फिर मेरी मौसी बदला लेने का सोचती रही...

किस्मत से उनकी शादी आज़ाद के दोस्त मदन से हो गई....

मैं भी शादी करके यहाँ आ गई थी....

उसके बाद पता नही क्या हुआ...पर एक दिन पता चला कि मेरी मौसी को तुम्हारे डॅड ने मार डाला....

मेरी मौसी मेरे लिए एक लेटर छोड़ गई थी...उसी लेटर को पढ़ कर मेरे दिल मे कुछ सवाल है जो तुम्हारे दादाजी से पूछना है...

बस...यही सच्चाई है...जो मुझे पता है....
 
मोहिनी ने अपनी कहानी ख़त्म की....उसकी आँखे भर आई थी...और मोना की भी...

पर मेरे दिमाग़ मे अभी भी कुछ सवाल थे...

मैं जानता था कि मेरे दादाजी अय्याश थे...पर वो किसी को मार देगे...ये नही मान सकता....और डॅड के लिए तो सोच भी नही सकता...क्योकि डॅड को मैं बहुत करीब से समझता हूँ...

रूम मे तोड़ो देर खामोशी रही...फिर इस खामोशी को मोहिनी ने तोड़ा...

मोहिनी- बस यही थी पूरी कहानी....

मैं- ह्म्म्मब...और आपको लगता है कि आपकी मौसी और उनकी फॅमिली की मौत की वजह मेरे दादाजी और डॅड है...??

मोहिनी- हम्म...

मैं- क्या आपने देखा...??

मोहिनी- जब मेरी माँ की फॅमिली जल कर मरी...तब मैं बहुत छोटी थी...और जब मेरी मौसी की मौत हुई तो मैं वहाँ नही थी...

मैं- मतलब....आपने खुद नही देखा...

मोहिनी- नही...मुझे तो दूसरों से पता चला...

मैं- ह्म्म..और आपने मान लिया....

मोहिनी- देखो...जब मेरे नाना का परिवार जल कर मरा तो लोगो ने बताया कि उस दिन तुम्हारे दादाजी ने आकर धमकी दी थी कि वो सबको जान से मार डालेगे...

मैं- पर धमकी क्यो दी...

मोहिनी- वही तो मुझे जानना है...

मैं- ह्म्म...और आपकी मौसी का...

मोहिनी- लोगो ने बताया कि एक घर मे चार लाषे थी...जिसमे एक मेरी सरिता मौसी की भी थी....और वहाँ सबने सिर्फ़ तुम्हारे डॅड को देखा...पिस्टल के साथ...

मैं- मतलब आपने जो सुना वो मान लिया...

मोहिनी- हाँ...और अब मैं सब भूल कर अपनी लाइफ जी रही हूँ...सिर्फ़ कुछ सवाल है जिनके जवाब चाहिए....

मैं- क्या है वो सवाल...

मोहिनी- सॉरी...वो मैं किसी को नही बता सकती...और उन सवालो से तुम्हारे किसी दुश्मन का कोई रिश्ता नही हो सकता....

मैं- ओके ..मत बताइए...लेकिन मैं आपको प्रूव कर के दिखाउन्गा कि आपको जो भी पता है...वो झूट है...सच नही...

मोहिनी- ठीक है...मैं इंतज़ार करूगी...देखते है तुम्हारा भरोसा सही है या ग़लत....

मैं- ओके...चलता हूँ...

मोना इतनी देर से हमारी बातें सुन रही थी...अचानक मेरे जाने की बात सुनकर बोल पड़ी...

मोना- कहाँ चलता हूँ...अब तुम्हारा काम हो गया तो भागने लगे....

मैं- नही..ऐसा नही है...

मोना- तो फिर एक राउंड और हो जाए...क्यो मोम...??

मोहिनी(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...अंकित का मूड फ्रेश तो करना ही पड़ेगा...क्यो अंकित...

मैं- ह्म्म्म..तो आओ...करो फ्रेश...

फिर दोनो माँ-बेटी नंगी हो गई और सुरू हो गया चुदाई का दूसरा राउंड....
 
एक बार फिर से दमदार चुदाई कर के मैं दोनो को वही छोड़ कर अपने रूम मे आ गया....

मेरे माइंड मे मोहिनी की बातें सुनकर एक ही सवाल आ रहा था ...कि ऐसा क्या हुआ था जिस वजह से मोहिनी की माँ की पूरी फॅमिली को जलाया गया....

जितना मैं अपने दादाजी को जानता हूँ उससे यही लगता है कि वो आय्याश रहे है पर किसी को मार नही सकते....

तो फिर मोहिनी की माँ की फॅमिली को किसने ख़त्म किया....???

मेरे दुश्मनो मे से किसी ने या कोई और...??????

और यही सवाल सोचते-सोचते मैं नीद की आगोश मे चला गया.....
सुबह मेरी नीद एक बहुत ही स्वीट आवाज़ सुनकर खुली....

ये प्यारी सी आवाज़ जूही की थी जो मेरे सिर पर हाथ फिराते हुए मुझे जगा रही थी...

जूही- उठो यार...इतना भी क्या सोना....

मैं(बिना आँखे खोले)- हहुउऊ....सोने दो ना....

जूही- अरे...ऐसे मौसम मे कोई सोता है क्या...देखो कितना सुहाना मौसम है....उठ भी जाओ....

मैं(आँखे खोल कर)- ह्म्म..मनोगी नही...आओउुउउम्म्म्मम....क्यो...

जूही(मुस्कुराते हुए)- नही...कभी नही...अब उठ जाओ ना...

आँखे खोलते ही इतनी प्यारी मुस्कान के साथ एक खूबसूरत लड़की को देख कर मेरी सारी थकान दूर हो गई...

मैं जूही के चेहरे को गौर से देखने लगा....

उसके मुस्कुराते हुए गुलाबी होठ और बिना मेक-अप का खिला हुआ चेहरा जिस पर गीले बालों की लटे लटक रही थी...

उसके जिस्म से निकलती महक...मेरी नाक मे घुसकर मुझे मोहित करने लगी थी...और उसका हाथ मेरे सिर को सहला कर मुझे दूसरी दुनिया मे लिए जा रहा था...

सच मे जूही बेहद खूबसूरत दिख रही थी...उपेर से उसकी मुस्कान ने तो मुझे चारों खाने चित्त कर दिया था...

जूही के हसीन जादू ने मेरे जिस्म मे जान फूक दी थी...और मैं उसे एक टक देखे जा रहा था...

जूही के बालों से पानी की बूँद उसके गाल से गुजरती हुई मेरे होंठो पर गिरी...तो मानो जैसे उसमे जूही ने अपने जिस्म का रस मिला दिया हो....शायद जूही नहा कर सीधा मुझे जगाने आ गई थी....

जूही- अब क्या ख्यालों मे ही रहोगे...हक़ीक़त मे भी बहुत कुछ है डियर....

मैं जूही के शब्द सुन कर बेबस रह गया....

क्या उसने मेरी आँखो को पढ़ लिया था कि मैं क्या सोच रहा हूँ...

मैं जल्दी से बैठ गया और झूठा गुस्सा करते हुए बोला....

मैं- उउंम..क्या यार...बाल सूखा के नही आ सकती...मेरे मूह मे पानी चला गया...

जूही- अरी...मैने क्या..

मैं(बीच मे)- बस....अब जाओ यहाँ से...मैं आ जाउन्गा...

जूही मेरा बर्ताव देख कर शॉक्ड थी...

मेरी बात ने उसके दिल को घायल कर दिया और उसकी आँखे भर आई...पर उसने एक आँसू भी नही छलकने दिया...

जूही- आ जाना तो...

और जूही गुस्से से बाहर निकल गई....और मैं उठ कर बाथरूम मे....

थोड़ी देर बाद हम सब नाश्ते की टेबल पर थे....सब लोग खुश थे पर जूही अपनी आँखे नीचे किए हुए चुप चाप नाश्ता कर रही थी....

मैं उसकी उदासी समझ रहा था....मेरी वजह से आज सुबह-सुबह उसका मूह उतर गया....

वो बेचारी तो मुझे इतने प्यार से जगाने आई थी और मैने उसकी आँखो मे आँसू दे दिए....

वेल..नाश्ता करने के बाद वसीम ने सबसे पूछा कि आज का क्या प्लान है....

सबने आज वसीम की बनने वाली फॅक्टरी जाने का तय किया...साथ मे वहाँ का रेलवे स्टेशन भी देख लेगे और पास मे बना दम भी देख लेगे....

सब लोग निकलने लगे तो मैने जूही से बात करने का सोचा...पर वो गुल को साथ ले कर तेज़ी से निकल गई....

और मैं मन मार कर संजू के साथ आ गया....

हम आज पैदल ही जाने वाले थे....

जैसे ही हमने चलना शुरू किया तो मेरे आदमी का कॉल आ गया...

मैं सबसे दूर पीछे आ गया और बात करने लगा....

(कॉल पर)

मैं- हाँ...क्या हुआ...

स- एक प्राब्लम है....

मैं- कैसी प्राब्लम..??

स- तुमने कहा था कि कामिनी को घेरना है...और प्लान भी तय हो गया था...ह्म..

मैं- ह्म..तो उसमे प्राब्लम क्या है...

स- वेल ..दो प्राब्लम है...

मैं- अरे..बताओ तो...

स- देखो ..एक तो ये कि कामिनी घर से बाहर नही निकल रही...और दूसरी ये कि जिसके भरोसे ये प्लान बनाया था वो भी हिचक रहा है...

मैं- ह्म्म...उसे फ़ोन दो...मैं बात करता हूँ...

स- ये लो...लो बात करो(उस सक्श से)

मैं- तुझे क्या हुआ...

सामने- मैं ...थोड़ा डर...

मैं(बीच मे)- डोंट वरी...मैं हूँ ना..तुम बस वो करो जो कहा जाए...बाकी मुझ पर छोड़ दो...ओके

सामने- हमम्म..

मैं- अब उन्हे फ़ोन दो...

स- हाँ..बोलो..

मैं- ये तो रेडी है...

स- ह्म्म..पर कामिनी का क्या...उसके घर मे एंट्री कैसे होगी...??

मैं- एंट्री की बाद मे देखेगे...पहले उसे बाहर निकाल कर झटका देना है...

स- पर बाहर कैसे...और कहाँ...तुम जानते हो कि हमे सेफ जगह चाहिए...भीड़ नही...

मैं- हाँ...तो *** होटेल कैसा रहेगा...वहाँ कामिनी को बुलाते है...


स- पर होटल मे कैसे ...

मैं(बीच मे)- पूरी बात तो सुनो...

स- बोलो...

मैं- वो होटेल सहर के आउटर मे है...बीच मे सुनसान रास्ता पड़ता है...बस वही काम कर देना...

स- ह्म्म्म्..आइडिया अच्छा है...पर कामिनी आयगी वहाँ...???

मैं- हाँ...उसका तो बाप भी आयगा...

स- वो कैसे....??

मैं- उसे ख़ान बुलायगा...तो वो दौड़ते हुए आयगी...

स-ओम...तो मैं तैयारी करता हूँ...

मैं- ह्म्म..7.30 पर झटका लगेगा और रात को 8 बजे...कामिनी सीधे हॉस्पिटल मे होगी...

स- ओके..चलो तुम अपना काम करो...मैं अपना सेट करता हूँ....बाइ

मैं- बाइ...

मैने कॉल कट ही किया था कि अकरम मुझे बुलाता हुआ आ रहा था...

अकरम- चल साले...बात तो चलते हुए भी कर सकता है...चल..हम काफ़ी पीछे है...

मैं- ओके..चल...

और हम दोनो आगे चल दिए....और सब के साथ आ गये...

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एक बार फिर से दमदार चुदाई कर के मैं दोनो को वही छोड़ कर अपने रूम मे आ गया....

मेरे माइंड मे मोहिनी की बातें सुनकर एक ही सवाल आ रहा था ...कि ऐसा क्या हुआ था जिस वजह से मोहिनी की माँ की पूरी फॅमिली को जलाया गया....

जितना मैं अपने दादाजी को जानता हूँ उससे यही लगता है कि वो आय्याश रहे है पर किसी को मार नही सकते....

तो फिर मोहिनी की माँ की फॅमिली को किसने ख़त्म किया....???

मेरे दुश्मनो मे से किसी ने या कोई और...??????

और यही सवाल सोचते-सोचते मैं नीद की आगोश मे चला गया.....
सुबह मेरी नीद एक बहुत ही स्वीट आवाज़ सुनकर खुली....

ये प्यारी सी आवाज़ जूही की थी जो मेरे सिर पर हाथ फिराते हुए मुझे जगा रही थी...

जूही- उठो यार...इतना भी क्या सोना....

मैं(बिना आँखे खोले)- हहुउऊ....सोने दो ना....

जूही- अरे...ऐसे मौसम मे कोई सोता है क्या...देखो कितना सुहाना मौसम है....उठ भी जाओ....

मैं(आँखे खोल कर)- ह्म्म..मनोगी नही...आओउुउउम्म्म्मम....क्यो...

जूही(मुस्कुराते हुए)- नही...कभी नही...अब उठ जाओ ना...

आँखे खोलते ही इतनी प्यारी मुस्कान के साथ एक खूबसूरत लड़की को देख कर मेरी सारी थकान दूर हो गई...

मैं जूही के चेहरे को गौर से देखने लगा....

उसके मुस्कुराते हुए गुलाबी होठ और बिना मेक-अप का खिला हुआ चेहरा जिस पर गीले बालों की लटे लटक रही थी...

उसके जिस्म से निकलती महक...मेरी नाक मे घुसकर मुझे मोहित करने लगी थी...और उसका हाथ मेरे सिर को सहला कर मुझे दूसरी दुनिया मे लिए जा रहा था...

सच मे जूही बेहद खूबसूरत दिख रही थी...उपेर से उसकी मुस्कान ने तो मुझे चारों खाने चित्त कर दिया था...

जूही के हसीन जादू ने मेरे जिस्म मे जान फूक दी थी...और मैं उसे एक टक देखे जा रहा था...

जूही के बालों से पानी की बूँद उसके गाल से गुजरती हुई मेरे होंठो पर गिरी...तो मानो जैसे उसमे जूही ने अपने जिस्म का रस मिला दिया हो....शायद जूही नहा कर सीधा मुझे जगाने आ गई थी....

जूही- अब क्या ख्यालों मे ही रहोगे...हक़ीक़त मे भी बहुत कुछ है डियर....

मैं जूही के शब्द सुन कर बेबस रह गया....

क्या उसने मेरी आँखो को पढ़ लिया था कि मैं क्या सोच रहा हूँ...

मैं जल्दी से बैठ गया और झूठा गुस्सा करते हुए बोला....

मैं- उउंम..क्या यार...बाल सूखा के नही आ सकती...मेरे मूह मे पानी चला गया...

जूही- अरी...मैने क्या..

मैं(बीच मे)- बस....अब जाओ यहाँ से...मैं आ जाउन्गा...

जूही मेरा बर्ताव देख कर शॉक्ड थी...

मेरी बात ने उसके दिल को घायल कर दिया और उसकी आँखे भर आई...पर उसने एक आँसू भी नही छलकने दिया...

जूही- आ जाना तो...

और जूही गुस्से से बाहर निकल गई....और मैं उठ कर बाथरूम मे....

थोड़ी देर बाद हम सब नाश्ते की टेबल पर थे....सब लोग खुश थे पर जूही अपनी आँखे नीचे किए हुए चुप चाप नाश्ता कर रही थी....

मैं उसकी उदासी समझ रहा था....मेरी वजह से आज सुबह-सुबह उसका मूह उतर गया....

वो बेचारी तो मुझे इतने प्यार से जगाने आई थी और मैने उसकी आँखो मे आँसू दे दिए....

वेल..नाश्ता करने के बाद वसीम ने सबसे पूछा कि आज का क्या प्लान है....

सबने आज वसीम की बनने वाली फॅक्टरी जाने का तय किया...साथ मे वहाँ का रेलवे स्टेशन भी देख लेगे और पास मे बना दम भी देख लेगे....

सब लोग निकलने लगे तो मैने जूही से बात करने का सोचा...पर वो गुल को साथ ले कर तेज़ी से निकल गई....

और मैं मन मार कर संजू के साथ आ गया....

हम आज पैदल ही जाने वाले थे....

जैसे ही हमने चलना शुरू किया तो मेरे आदमी का कॉल आ गया...

मैं सबसे दूर पीछे आ गया और बात करने लगा....

(कॉल पर)

मैं- हाँ...क्या हुआ...

स- एक प्राब्लम है....

मैं- कैसी प्राब्लम..??

स- तुमने कहा था कि कामिनी को घेरना है...और प्लान भी तय हो गया था...ह्म..

मैं- ह्म..तो उसमे प्राब्लम क्या है...

स- वेल ..दो प्राब्लम है...

मैं- अरे..बताओ तो...

स- देखो ..एक तो ये कि कामिनी घर से बाहर नही निकल रही...और दूसरी ये कि जिसके भरोसे ये प्लान बनाया था वो भी हिचक रहा है...

मैं- ह्म्म...उसे फ़ोन दो...मैं बात करता हूँ...

स- ये लो...लो बात करो(उस सक्श से)

मैं- तुझे क्या हुआ...

सामने- मैं ...थोड़ा डर...

मैं(बीच मे)- डोंट वरी...मैं हूँ ना..तुम बस वो करो जो कहा जाए...बाकी मुझ पर छोड़ दो...ओके

सामने- हमम्म..

मैं- अब उन्हे फ़ोन दो...

स- हाँ..बोलो..

मैं- ये तो रेडी है...

स- ह्म्म..पर कामिनी का क्या...उसके घर मे एंट्री कैसे होगी...??

मैं- एंट्री की बाद मे देखेगे...पहले उसे बाहर निकाल कर झटका देना है...

स- पर बाहर कैसे...और कहाँ...तुम जानते हो कि हमे सेफ जगह चाहिए...भीड़ नही...

मैं- हाँ...तो *** होटेल कैसा रहेगा...वहाँ कामिनी को बुलाते है...


स- पर होटल मे कैसे ...

मैं(बीच मे)- पूरी बात तो सुनो...

स- बोलो...

मैं- वो होटेल सहर के आउटर मे है...बीच मे सुनसान रास्ता पड़ता है...बस वही काम कर देना...

स- ह्म्म्म्..आइडिया अच्छा है...पर कामिनी आयगी वहाँ...???

मैं- हाँ...उसका तो बाप भी आयगा...

स- वो कैसे....??

मैं- उसे ख़ान बुलायगा...तो वो दौड़ते हुए आयगी...

स-ओम...तो मैं तैयारी करता हूँ...

मैं- ह्म्म..7.30 पर झटका लगेगा और रात को 8 बजे...कामिनी सीधे हॉस्पिटल मे होगी...

स- ओके..चलो तुम अपना काम करो...मैं अपना सेट करता हूँ....बाइ

मैं- बाइ...

मैने कॉल कट ही किया था कि अकरम मुझे बुलाता हुआ आ रहा था...

अकरम- चल साले...बात तो चलते हुए भी कर सकता है...चल..हम काफ़ी पीछे है...

मैं- ओके..चल...

और हम दोनो आगे चल दिए....और सब के साथ आ गये...

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प्रमोद-ऐसे रोने से क्या होगा...हमे कुछ करना होगा...अंकित को खबरदार तो कर ही देते है..

रजनी- मैने कॉल लगाया पर लग नही रहा...

प्रमोद- तुम पागल हो क्या...संजू को कॉल कर देती..या पूनम को..

रजनी- हाँ..पर मैं नही चाहती कि ये बात संजू तक पहुचे या पूनम तक..

प्रमोद- अभी ये ज़रूरी नही...ज़रूरी ये है कि अंकित सेफ रहे...

रजनी- आप ठीक कहते हो...मैं अभी बात करती हूँ...

रजनी ने संजू और पूनम ..दोनो को कॉल किया..पर किसी ने कॉल नही उठाया...

रजनी- ये दोनो भी कॉल नही ले रहे...अब क्या करूँ...

प्रमोद- देखो ...घबडाओ मत...घर जाओ..और कॉल करती रहो..शायद बिज़ी होगे वो...जब बात हो तो आराम से बात करना और अंकित को ही बताना और किसी को नही....

रजनी- ह्म्म..अब मैं जाती हूँ...

रजनी तो घर निकल गई..पर प्रमोद को टेन्षन दे गई....

प्रमोद- हे भगवान ...अंकित के बडो के करमो की सज़ा उस बच्चे को ना देना....अब आप ही हमारे वादे की लाज़ रखना ..जो हमने अलका से किया था....

( प्रमोद और रजनी ने अलका से वादा किया था कि उसका ख्याल रखेगे)

-----------------------------------------------------
वापिस फार्महाउस मे

सब लोग पैदल चलते रहे और थोड़ी देर बाद हम सब एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास खड़े हुए थे...

जो कि एक फॅक्टरी थी...जिसे बनवाया तो किसी और ने था...पर अब ये वसीम ने खरीद ली थी...

वाहा से कुछ दूरी पर रेलवे स्टेशन बना हुआ था...और एक रेल भी खड़ी हुई थी...शायद सामान लाने- ले जाने के लिए होगी...

वसीम ने बताया कि पास मे ही खदान है...पर वहाँ बाद मे जायगे...

वसीम ने सबको बिल्डिंग मे आने को कहा...उसी बिल्डिंग मे हमारे खाने का भी इंतज़ाम होना था...जिसके लिए पहले से 2 नोकर तैनात थे....

सब लोग बिल्डिंग देखने मे बिज़ी हो गये ...पर मुझे तो जूही से बात करनी थी..पर जूही मुझसे कन्नी काट कर पूनम के साथ निकल गई...

मैं भी उसके पीछे चला पर तभी सबनम आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया...
सबनम- मेरे साथ चलो...

मैं- आंटी ...कहाँ..क्या हुआ...??

सबनम- चलो तो सही...

सबनम आंटी मुझे साथ ले कर बिल्डिंग से बाहर निकल आई और थोड़ी आगे गार्डन मे ले आई...जिस गार्डन से गुज़रते हुए हम आए थे....

मैं- आप यहाँ क्यो लाई मुझे...??

सबनम-मुझे तुमसे बात करनी थी...

मैं- बात तो वहाँ भी हो सकती थी ना...

सबनम- नही...मुझे अकेले मे बात करनी थी....

मैने सबनम को ऊपर से नीचे तक देखा...आज वो वेस्टर्न ड्रेस मे कमाल दिख रही थी. ..

मैं- ह्म्म...तो कहिए ..

सबनम- मुझे तुमको थॅंक्स बोलना था...

मैं- थॅंक्स....किस लिए...??

सबनम- तुमने मुझे सही रास्ता दिखाया...मुझे अपने बच्चो के सामने शर्मिंदा होने से बचाया ..इसलिए....

मैं- देखिए आंटी...मैं पहले ही कह चुका हूँ की मैने ये सब कुछ अपने दोस्त के लिए किया था...तो थॅंक्स की बात ही नही है...

सबनम- माना...पर मुझे तो थॅंक्स बोलना ही है...

मैं- ओके..अब बोल दिया ना...अब चले...

सबनम(गर्दन हिला कर)- अभी नही...अभी तो थॅंक्स बोला ही नही...

मैं- मतलब...??

मैं आगे कुछ कहता उसके पहले ही आंटी ने मेरा मूह पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए...

मैने उन्हे मना करना चाहा पर उनका जोश देख कर रुक गया और फिर उनके होंठो की गर्मी ने मुझे भी गरम कर दिया और मैं भी उन्हे किस करने लगा....

यहाँ सबनम को आंटी लिखा गया है......

मैं- सस्स्ररुउउउप्प्प...उउंम...आंटी...ये क्या...उउंम्म

आंटी- उउंम्म....सुक्रिया अदा कर रही हू...उउउंम्म...

मैं- पर ऐसे क्यो...आआअहह...

आंटी ने अपने हाथ मेरा लंड मसल दिया ...

आंटी- जबसे इसे देखा..तबसे मैं गरम हूँ बेटा....सस्स्रररुउउउप्प्प....सस्स्ररतुउउउप्प्प्प...

मैं- उउउंम्म..पर ये सही नही...उूउउंम्म...

आंटी- सस्स्रररुउउप्प्प्प....सही है..उूउउंम्म....

आख़िर मैने आंटी को अलग कर दिया...

मैं- आंटी ...मैने आपको इसी काम के लिए मना किया और आप...

आंटी- बेटा...मैं तेरे साथ ग़लत रास्ते पर नही जा सकती...नही तो आज नही तो कल मैं फिर से ग़लती कर जाउन्गी..

मैं- पर अकरम मेरा दोस्त है...

आंटी- तो दोस्त की माँ की प्यास भुझा दे...नही तो मैं फिर कोई ग़लती...

मैं(बीच मे)- ओके...पर आदत मत डालना...

आंटी- हाँ..पर कभी-2 ...??

मैं- ह्म्म..ओहक...

आंटी फिर से मेरे होंटो को चूसने लगी...
 
आंटी- उउउंम...थॅंक यू बेटा...अब और मत तडपा...प्यास बुझा दे मेरी...

मैं- आओउउंम...यहाँ पर...??

आंटी- ह्म्म्मh..यहाँ कोई नही आयगा....

मैं- ह्म्म..तो सुरू हो जाओ...

मेरे बोलते ही आंटी झट से नीचे बैठ गई और मेरा पेंट खोल कर के नीचे कर दिया ऑर देखते ही देखते मेरी अंडरवर भी…

आंटी घुटनो पर बैठ कर मेरा लंड देख रही थी...कुछ देर देखने के बाद वो मुझे देख कर मुस्कुराइ और गप्प करके लंड मूह मे डाल लिया….
मैं- आअहह….जल्दी करना आंटी... टाइम कम है

आंटी मेरी बात सुनकर फुल स्पीड मे लंड चूसने लगी….

आंटी ने 10 मिनिट तक लंड चूसना चालू रखा....और पूरा तैयार कर दिया...

जैसे ही मेरा लंड औकात परा आया मैने आंटी को रोक कर खड़ा किया....

खड़े होते ही आंटी ने अपनी 1 पीस ड्रेस निकाल ली और ब्रा-पैंटी मे आ गई....

मैने उनकी ब्रा से उनके बूब्स निकाले और चूसने लगा...

मेरा एक हाथ आंटी के दूसरे बूब्स पर था….ऑर मैं…मूह मे भर कर एक बूब को चूसे जा रहा था….

आंटी-आहह….ऐसे ही…हाअ मेरे राजा…चूस डालो...

मैं-सस्स्रररुउउप्प्प…सस्स्रररुउउप्प्प…उूउउम्म्म्मम

आंटी-आअहह….हहाअ….आईीससीए हहिि…ज्ज्ज्ूओर्रर से…ख्ाअ जाआओ...

मैने अपना मूह दूसरे बूब पर लगाया और हाथ को दूसरे बूब पर...ऑर तेज़ी से बूब्स पर काम सुरू कर दिया….

आंटी के दोनो बूब्स….पूरी तरह कड़क हो गये थे…ऑर आंटी अपनी पैंटी के उपर से ही अपनी चूत मसल रही थी....

कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैने बूब छोड़ दिए ओर अपने कपड़े निकाल दिए....

मैं- अब जल्दी से झुक जाओ आंटी...आपकी चूत फाड़ता हूँ....

आंटी ने मुझे किस किया और मेरे सामने झुक कर अपनी चूत खोल दी...

मैं आंटी के पीछे गया और आंटी के थूक से सना हुआ लंड उनकी चूत पर सेट कर दिया...

आंटी- आअहह....तेरा बड़ा है...आराआाम्म्म्ममम.......

आंटी बात पूरी कर पति उसके पहले मैने आंटी की कमर पकड़ कर एक झटका दिया ऑर आधा लंड आंटी की चूत मे सरसराता हुआ घुस गया....
आंटी-आअहह….आआहह...सस्स्शहीए....

मैं-मज़ा आया...

आंटी-आअहह…बहुत….बता तो द्डदीईत्ट्तीईए....

आंटी बोल ही रही थी कि मैने फिर से झटका मारा और आंटी की चूत मेरा पूरा लंड गटक गई...

आंटी-आआहह…..एम्म्म..आआररररर द्दददााालल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआ.....

मैने टाइम ना गँवाते हुए आंटी को कमर से पकड़ कर धक्के देना चालू रखा....

आंटी-अया..आअहह..आहह…आहह..आहह…अहह....

मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए....

आंटी-ऊओ….म्म्मा.आ…आआहह….अहहाा....

कुछ देर तक धक्के खा कर आंटी झुकी-झुकी थकने लगी....मैने चुदाई रोकी और आंटी को पास लगे पेड़ के पास ले गया और आंटी पेड़ के सहारे झुक कर खड़ी हो गई.....

मैने आंटी के पीछे गया ऑर लंड को चूत मे सेट करके एक ही झटके मे पूरा अंदर डाल दिया...



आंटी-आअहह….म्म्म्माममाआअ.....

मैं-चिल्लाओ मत...कोई सुन लेगा...

आंटी- तू ही मजबूर करता है...आआहह....

मैं- तो मज़ा लो ना...चिल्लाओ मत...ये लो...

मैने एक थप्पड़ आंटी की गान्ड पर मारा...

आंटी-आआहह…..आआअहह...

मैने देर ना करते हुए आंटी को पीछे से पकड़ कर तेज़ी से चोदना चालू कर दिया…

आंटी-आआहह….हहाा…ज्ज्जूऊर्र…सससे

मैं—आअहह..यस आंटी....यह....

आंटी- हहाअ……फफफफादद्ड़ दद्दूऊ….आअहह…..आऐईीससी हहिईिइ...

मैं आंटी को फुल स्पीड मे 5 मिनिट चोदता रहा …ओर आंटी झड़ने लगी....

आंटी—आअहह…म्म्मााऐईन्न्न …ग्ग्गाऐइ...ऊहह....एस्स..

मैं- यीहह...कम ओन...येस...येस....

झड़ने के साथ ही आंटी पस्त पड़ गई और मैने उनकी चूत से लंड निकाल लिया....

आंटी थक कर नीचे बैठ गई और आहें भरने लगी....

मैं- आप तो आधे मे ही टूट गई....

आंटी- बेटा...तेरा लंड पस्त कर देता है...आआहह...

मैं- तो मैं क्या करूँ अब...हिलाऊ क्या...

आंटी- मेरे होते हुए क्यो हिलाएगा...रुक ...

और आंटी ने मुझे हाथ पकड़ कर नीचे बैठाया और झुक कर लंड चूसने लगी...



मैं भी आराम से घास पर लेट गया और लंड चुस्वाते हुए आंटी की गान्ड मसल्ने लगा...

आंटी-सस्स्ररुउउप्प्प….सस्स्रररुउउप्प्प…ऊओंम्म्मममह…सस्स्रररुउउप्प्प...

मैं-आअहह…ज़ोर से आंटी....पूरा लो ना...

आंटी-सस्स्ररुउउप्प्प….सस्रररुउउप्प्प्प…उउउम्म्म्म....उूुउउम्म्म्मम.....

मैं- एसस्स...ऐसे ही...उूउउम्म्म्मम....

थोड़ी देर बाद आंटी फिर से गरम होने लगी...और ज़ोर-ज़ोर से लंड चूसने लगी....

आंटी-सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प….सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प…..उूुउउम्म्म्ममनममम….सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प...उूुुउउम्म्म्मम...

मैं- अब क्या चूस के ही झडा दोगि....आअहह...

आंटी ने मेरे बोलते ही लंड मूह से निकाल लिया...

आंटी- नही बेटा..आजा...डाल दे अंदर...

मैने उठ कर आंटी को कुतिया बनाया और तेज़ी से चुदाई स्टार्ट कर दी....



आंटी-अया..आअहह..आहह…आहह..आहह…अहह....

मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए....

आंटी-ऊओ….म्म्माेआ…आआहह….अहहाा....

मैं- ईएहह...येस्स...एस्स...एसस्सस्स...

मैं आंटी को फुल स्पीड से चोद रहा था और मेरी जाघे आंटी की मोटी गान्ड पर थाप मार रही थी...

आंटी की सिसकियाँ और गान्ड की थाप खुले मैदान की हवा के साथ मिलकर महॉल रंगीन कर रही थी...

हम दोनो दुनिया की फिकर ना करते हिए खुले मे चुदाई किए जा रहे थे...और कुछ देर की दमदार चुदाई मे आंटी फिर से झड़ने को तैयार हो गई....

आंटी-आअहह…म्माआ……आऐईयइ….हहाअ…ज्ज्ज्ूओर्र…सस्ससे…ब्ब्बेट्ट्ट्टाया…उउउम्म्म्ममम.....

मैं- येस्स आंटी...एस्स...ईएह..ईएह...

आंटी-आअहह…ब्ब्ब्बीएत्त्ताअ…म्म्म्मरमाआ…..आईईईई……ऊऊहह….बबबीएतत्टाअ.....

मैं भी आंटी के साथ ही झड़ने लगा...

मैं-आअहह…..मैं भी आया……ये ले...

आंटी-भर दो....आआहह......पूरा अंदर...

ऐसे ही हम झड गये ओर आंटी की चूत हमारे रस से भर गई ओर जैसे ही मैने लंड चूत से निकाला..तो लावा सा फूटकर आंटी की जाघो से होते हुए बहने लगा.....
 
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