Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 43 - SexBaba
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

आंटी- उफ़फ्फ़...क्या तगड़ा हथ्यार है तेरा...पूरी हड्डियाँ चटका दी...

मैं- ह्म्म्म..अब जल्दी से कपड़े पहनो...कोई आ गया तो आफ़त होगी....

फिर हमने अपने आप को सॉफ किया और कपड़े पहन कर बिल्डिंग की तरफ आ गये....

वहाँ हमे मोहिनी मिल गई और आंटी उससे बाते करने लगी....जूही और मोहिनी भी साथ थी...

मैने अकरम और संजू का पूछा तो पता चला कि अकरम रूही के साथ निकल गया पर संजू पूनम के साथ अंदर गया है....

मैने जूही की तरफ देखा तो उसने गुस्से से मूह फेर लिया....

मैं जानता था कि जूही गुस्सा है...पर मैं उसकी परवाह किए बिना अंदर आ गया और संजू को ढूँढने लगा...

एक रूम मे जा कर मुझे संजू के कपड़े मिल गये और साथ मे पूनम के भी...

उन दोनो के मोबाइल भी वही पड़े थे...

मैं समझ गया कि दोनो बातरूम मे चुदाई कर रहे होगे...

मुझे गुस्सा तो आया...पर मैं इग्नोर कर के बाहर निकल गया.......

बाहर आते ही मुझे फिर से जूही मिल गई...और इस टाइम वो अकेली थी...

मैं चुप चाप उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ के आगे जाने लगा...लेकिन तभी सामने से सबनम आंटी आती हुई दिखाई दी...

तो मैं जूही का हाथ छोड़ा और बोला..

मैं- मैं वापिस आउगा...तुम जाना मत...वी नीड टू टॉक...

और अपनी बात ख़त्म कर के मैं बिल्डिंग से बाहर निकल गया.....
बाहर आते ही मैने अपने आदमी को कॉल किया....

(कॉल पर)

स- हाँ अंकित बोलो...

मैं- काम हो गया...

स- सब सेट हो रहा है...शाम तक हो जायगा डोंट वरी....

मैं- ओके..ध्यान से...कुछ भी गड़बड़ ना हो...

स- मुझ पर डाउट है क्या....

मैं- अरे नही...आप की क़ाबलियत पर तो बहुत भरोशा है..मैं तो बस बोल रहा था...

स- ओके..ओके...ये बताओ..तुमने कामिनी को कॉल कर दिया...

मैं- अरे..अभी नही...कर दूँगा...

स- कर दूँगा नही..कर दो...

मैं- टेन्षन मत लो...वो तो कॉल करते ही भागते आयगी...

स- ह्म्म..पर याद है ना उसके पैर मे चोट है...

मैं- तब तो और भी मज़ा आयगा...

स- ह्म्म..अब कॉल करो..मैं अपना काम पूरा करता हूँ. .

मैं- ओके....पर एक बात तो बताओ...उसकी बेटी कहाँ है अभी...

स- मैं जानता था कि ज़रूरत पड़ेगी...इसलिए पहले ही आदमी उसके पीछे लगा दिया था...

मैं- ह्म्म..तो कहाँ है वो...

स- इस टाइम मेडम अपनी फ्रेंड्स के साथ ब्यूटी पार्लर मे है...

मैं- ओके...बाइ

स- बाइ...

कॉल कट करने के बाद मैने कामिनी को कॉल किया....

(कॉल पर)

कामिनी- हेलो...कौन...???

मैं- हेलो मोहतार्मा...हम है...अकबर ख़ान...

( यहाँ उसी अकबर की बात हो रही है..जिसने कामिनी को होटल डेलिट बुलाया था....

पहले पीछे जाकर कामिनी और अकबर का कॉन्वर्सेशन पढ़ ले...
 
असल मे ये अकबर और कोई नही...ये मैं ही था..जो मेक-अप कर के कामिनी से सच जानने गया था...

पर कामिनी ने सिर्फ़ इतना बताया था कि मेरे दादाजी की वजह से उनके पिता की मौत हो गई थी...वो इसी बात का बदला ले रही थी....

लेकिन मैं उसकी बात को सच नही मानता था...क्योकि उसने कहा कि उसे कुछ याद नही...वो छोटी थी....

उसने ये भी बताया था कि पूरा सच सिर्फ़ दामिनी जानती है...जो कि अभी आउट ऑफ रीच थी...

दामिनी का काफ़ी टाइम से किसी को कुछ पता नही था...

कामिनी के मुताबिक दामिनी मेरी फॅमिली को ढूँढ रही थी...

मुझे सच जानने के लिए कामिनी को फिर से घेरना पड़ा....और इस बार एक खास तरीके से घेरना था...

और वही मैं इस टाइम कर रहा था...मुझे उम्मीद है कि इस बार शायद वो कुछ मूह खोल दे...)

कामिनी अकबर ख़ान का नाम सुन कर डर गई...और डरते हुए बोली....

कामिनी- तुम...तुमने कॉल क्यो किया...??

मैं- क्या मोहतार्मा...अब क्या हम इतने पराए हो गये कि आपको कॉल भी नही कर सकते....

कामिनी- फालतू बात छोड़ो...फ़ोन क्यो किया ये बताओ...

मैं- काम तो वही है..वो वजह जानना ..जिस वजह से तुम अंकित की दुश्मन हो...

कामिनी- मैने बताया था ना..इससे ज़्यादा मुझे नही पता...वो दामिनी को पता है...

मैं- ओके...मान लिया...तो अब एक काम करो...सहर के बाहर *** होटेल मे आ जाओ...ठीक 7.30 बजे...

कामिनी - मैं कहीं नही आने वाली...समझे...

मैं- जानता था कि सीधी तरह से नही मनोगी...तो बताओ..तुम्हारी बेटी को उठा लूँ...तब आओगी...

कामिनी- सुनो...बकवास बंद करो..और धमकी तो देना मत मुझे...

मैं- ओके..तो कॉल करके अपनी बेटी से बात कर लो...वो ब्यूटी पार्लर मे है....क्या पता फिर मौका ना मिले....

कामिनी ने गुस्से से कॉल कट कर दी और अपनी बेटी को कॉल किया...


जब उसने कन्फर्म कर लिया कि मेरी बात सच है तो वो डर गई....और तुरंत मुझे कॉल किया....

कामिनी- हेलो...तुम चाहते क्या हो...???

मैं- यही कि तुम मेरी बताई जगह पर सही टाइम पर आ जाओ...

कामिनी- पर मेरे पैर मे चोट है...

मैं- जानता हूँ...इसलिए ड्राइवर के साथ आ सकती हो...ओके...

कामिनी- और ना आई तो....

मैं- हाहहाहा....तुम जानती हो...और मुझे नही लगता कि तुम इतनी बेवकूफ़ हो कि सब जान कर भी मना कर दोगि...

कामिनी(खीजते हुए)- ऊहह..ठीक है...आ जाउन्गी...

मैं- याद रहे...ठीक टाइम पर आना...

और मैने कॉल कट कर दी....

कामिनी से बात करने के बाद मैने अपने आदमी को बता दिया कि कामिनी आ रही है...और साथ मे ड्राइवर भी होगा...

फिर मैं आराम से टहलते हुए स्टेशन पर रखी ट्रेन को देखने निकल गया....

ट्रेन को देखते हुए मैं ट्रेन की दूसरी तरफ पहुचा तो सामने का नज़ारा देख कर मुझे गुस्सा आ गया...

यहाँ पर वसीम अपनी बेटी ज़िया को खड़े- खड़े चोद रहा था...
और ज़िया भी मज़े से अपने बाप का लंड खा रही थी....

मुझे आज भी गुस्सा इस बात का था कि ज़िया वसीम से चुद रही है...

गुस्सा मुझे वसीम पर था...
 
एक तो वो अपनी बीवी पर ध्यान नही देता और दूसरी बात ये कि उसने अपनी ही बेटी को रंडी बना दिया...और कहीं भी चोदता रहता है...

मुझसे ये सब देखना बर्दास्त नही हुआ और मैं चुपचाप वापिस आ गया ...

जब मैं बिल्डिंग मे आया तो सामने जूही बैठी हुई थी...

मुझे ये देख कर खुशी हुई कि मेरे ग़लत वार्ताब के बाद भी जूही ने मेरी बात मानी और मेरे इंतज़ार मे यही बैठी रही....

मैने भी मौके पर चौका मारते हुए जूही का हाथ पकड़ा और उसे लेकर बाहर गार्डन मे चल दिया....

जूही मेरे साथ चुप चाप चली आई और जैसे ही हम थोड़ी दूर पहुचे तो जूही रुक गई...

शायद वो समझ गई थी कि यहाँ हमे कोई नही देख सकता....

जूही(गुस्से से)- मेरा हाथ छोड़ो...

मैं(जूही को देख कर)- नही...अभी तो बिल्कुल नही...

जूही- क्यो नही..

मैं- मेरी मर्ज़ी...

जूही- किस हक़ से मेरा हाथ पकड़ा...

मैं- ये तुम जानती हो...

जूही- मैं कुछ नही जानती...मेरा हाथ छोड़ो...

मैं- तुम ऐसे नही मनोगी हाँ...

और मैने अपने हाथ से झटका मारा और जूही घूमती हुई मेरी बाहों मे आ गई...

जूही की जुल्फे उसके गालो पर आ गई थी और उसका चेहरा मेरे सीने पर....

मैने दूसरे हाथ से जूही की कमर को कस लिया...

मैं- क्या कह रही थी...

जूही कुछ नही बोली और मेरे सीने मे मूह छिपाए खड़ी रही....

मैने अपना हाथ उपेर ले जाकर जूही की ज़ुल्फो को उसके चेहरे से हटाया....

जूही अपनी आँखे बंद किए चुप चाप खड़ी रही...

मैं- अब बोलो ना...क्या कह रही थी...

जूही ने कुछ नही कहा बस आँखे खोल कर मेरी आँखो मे देखने लगी...

मुझे देखते हुए उसकी आँखो मे आसू आ गये जो मुझे झकझोर गये...


मैं- आसू...किस लिए...

जूही- तुम्हारे लिए....

मैं(जूही की आँखे पोछ कर)- नही...ये आँसू बहुत कीमती है...इहणे मत बहाओ...

जूही- तुमने ही तो मजबूर किया...

मैं- सॉरी यार...

जूही(सुबक्ते हुए)- तुमने ऐसा क्यो किया...मेरी क्या ग़लती थी...

मैं(मुस्कुरा कर)- तुम्हारी कोई ग़लती नही थी...मैं तो बस चेक कर रहा था...

जूही- क्या...??

मैं- ह्म्म..यही कि मेरी बातों का तुम पर कैसा असर होता है...

मैं अपनी बात बोलकर हँसने लगा और जूही मेरे सीने पर मुक्के बरसाने लगी...

जूही- तुम बहुत बुरे हो...बहुत बुरे...

कुछ मुक्के मारने के बाद जूही मेरे गले लग गई और मुझे बाहों मे कस लिया....
 
जूही का मेरे लिए प्यार देख कर मैं भी इमोशनल होने लगा और मैने जूही के चेहरे को उठा कर अपने होंठ उसके होंठ के पास कर दिए...

जूही ने भी अपनी आँखे बंद कर के मेरे होंठो का स्वागत किया....

हमारे होंठ आपस मे मिलने ही वाले थे कि हमे अकरम की आवाज़ सुनाई दी...

वो मेरा नाम ले कर बुला रहा था...

अकरम की आवाज़ सुनकर हम अलग हुए और फिर वापिस चल दिए...

सामने से हमे अकरम आता हुआ मिल गया...जो हमे खाने को बुलाने आया था...

फिर हम साथ मे वापिस आ गये....

खाना पीना कर के हम शाम तक घूमते रहे.....और वापिस आ गये.....

रात को मेरे आदमी ने बताया कि कामिनी को झटका दे दिया....

फिर मैने अनु से बात करने को सिम चेंज की तो रजनी आंटी के बहुत सारे मिस्कल्ल मेसेज पड़े थे....

मैने तुरंत आंटी को कॉल किया.....

(कॉल पर)

मैं - हाँ आंटी...क्या हुआ...इतने कॉल...

आंटी- तू चुप कर और ये बता की तू था कहा...???

मैं- अरे आंटी...मैं तो यही था...मेरा फ़ोन खराब हो गया था...

आंटी- तूने तो मेरी जान ही निकाल दी...

( इस टाइम आंटी गुस्से मे भी थी और शायद रो भी रही थी...)

मैं- आंटी...हुआ क्या..ये तो बताओ..

आंटी- देख..जो मैं बताने जा रही हूँ...उसके बाद थोड़ा सम्भल कर रहना...

मैं- हाँ..आप बोलो तो...

आंटी- बेटा...तेरी जान को ख़तरा है...

मैं- क्या...किसने कहा...??

आंटी- वो..वो बेटा ..मैने सपना देखा था..(झूठ)

मैं- ओह...सपना...हाहाहा....

आंटी(गुस्से मे)- हास मत...मेरी बात समझ...

मैं- ओके आंटी...सॉरी...आप बोलो कि क्या करू मैं...

आंटी- तू बस सम्भल कर रहना और अकेले मत घूमना...

मैं- ओके..मैं सबके साथ रहुगा...और अपना पूरा ख्याल रखुगा ..ठीक ...और कुछ..

आंटी- ऑर तू जल्दी से आ जा...तुझे देखने का बहुत मन हो रहा है..

मैं- ओके आंटी...जल्दी आता हूँ...अभी आप रिलॅक्स हो जाओ...मैं अपना ख्याल रखुगा...

आंटी- ओके...अब मैं रिलॅक्स हूँ...

मैं- ठीक है..अब मैं रखता हूँ...बाद मे बात करूँगा...बाइ..

आंटी- बाइ..

कॉल कट कर के मैं अनु से बात करने लगा और फिर नीचे चला गया.....

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यहाँ सहर मे...

मुझसे बात करने के बाद रजनी आंटी की जान मे जान आई...

लेकिन तभी एक फ़ोन ने उनको टेन्षन दे दी और वो सीधे सहर के हॉस्पिटल पहुच गई...

हॉस्पिटल मे एक रूम मे कामिनी बेड पर लेटी थी...उसे अभी-अभी होश आया था...

लेकिन वो किसी सदमे मे लग रही थी...और बहुत डरी हुई भी...

कामिनी के पास उसकी बेटी काजल, सुषमा, रजनी, मनु , रिचा और कुछ पहचान के लोग थे...

बाकी सब तो हाल-चाल पूछ कर निकल गये...

अब वहाँ सिर्फ़ कामिनी के घरवाले और उसकी खास फ्रेंड्स बची थी...

रजनी- कामिनी...ये सब हुआ कैसे...??

रिचा- हाँ यार...तू इस हालत मे उस रोड पर कर क्या रही थी...

रजनी- कामिनी ...सच बता...बात क्या हुई...

फिर कामिनी ने बताना सुरू किया....

कामिनी- आक्च्युयली मैं एक पुरानी सहेली से मिलने होटेल डेलिट जा रही थी....

(कामिनी किसी को अकबर ख़ान के बारे मे बताना नही चाहती थी)

तभी रिचा बीच मे बोल पड़ी...

रिचा- कौन सी सहेली...जिस के लिए इस हालत मे जा रही थी...???

कामिनी- है एक...बहुत खास...उसने पार्टी रखी थी..तू सुन ना...बोल मत बीच मे...

रिचा- ओके..ओके..बोल...

कामिनी- तो सुनो....मैं घर से निकल कर होटेल जा रही थी तो होटेल के पहले थोड़ी सुनसान रोड पड़ती है...

उसी जगह जब मेरी कार पहुचि तो अचानक से तेज हवा चलने लगी और ढूँढ सी छाने लगी...

उपेर से रात भी होने लगी थी....कुल मिला कर रोड पर कुछ दिखाई नही दे रहा था...

फिर ड्राइवर ने जैसे तैसे कार आगे बधाई तो अचानक से एक पेड़ कार के आगे गिर गया....

जिससे ड्राइवर ने कार रोक दी....पर कुछ देर बाद मैने ही उसे बाहर जा कर चेक करने को बोला....

वो बाहर जा कर पेड़ देख ही रहा था कि अचानक से रोड पर धुआ छा गया...

मुझे कार से कुछ नही दिखाई दे रहा था...

तभी मेरी नज़र के सामने ड्राइवर अचानक से उस पेड़ पर गिर कर बेहोश हो गया...और उसके गिरते ही मुझे सामने कोई काला साया नज़र आया...

मैने उसे देख कर डरने लगी...तभी धुआ इतना बढ़ा कि कार के चारो तरफ कुछ नही दिखाई दे रहा था ...


और वो काला साया भी गायब हो गया था...

मैने फ़ोन देखा तो नेटवर्क जाम था...

मैं इससे इतनी डर गई कि मैने आँखे मूद ली...

थोड़ी देर बाद मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी...जैसे कोई कार की खिड़की पीट रहा हो...

मैं और ज़्यादा डर गई और आँख बंद किए रही...और कान भी बंद कर लिए...

थोड़ी देर बाद मैने आँख -कान खोले तो खिड़की पर कोई नही था...ना ही कोई आवाज़...

मैं अभी भी डरी हुई थी..और बाहर देखने लगी..पर खिड़की नही खोली...

बाहर सिर्फ़ धुआ- धुआ ही दिख रहा था...

मैने अपनी आँखे खिड़की पर जमाई कि बाहर कुछ दिख जाए...

की अचानक कहीं से एक चेहरा खिड़की से आ कर चिपक गया...

वो चेहरा..जिस पर खुले हुए बाल थे...लाल आँखे और ख़तरनाक हँसी...

उस चेहरे को देखते ही मेरी चीख निकल गई और मैं पीछे लूड़क गई...

फिर आँख खुली तो यहाँ हॉस्पिटल मे थी...


सब लोग कामिनी की बात सुन कर सकते मे आ गये थे...थोड़ी देर रूम मे शांति छाइ रही....फिर रिचा बोली....

रिचा- ओह माइ गॉड....कामिनी ...वो किसका चेहरा था....कॉन था वो..मर्द या औरत...

कामिनी- एक औरत...

रजनी- कौन कामिनी...कौन थी वो...

कामिनी(डरते हुए)- द्द...द्द...दीपा.....
 
यहाँ फार्महाउस पर

डिन्नर करते ही मैं जल्दी से अपने रूम मे आ गया और गेट लॉक कर के अपने आदमी को कॉल किया.....

(कॉल पर) 

मैं- हेलो...क्या स्यूचुयेशन है...??

स- वो हॉस्पिटल मे है...तीर निशाने पर लगा...

मैं- ग्रेट...अब अगला झटका कब दे रहे हो...

स- वो तो देगे ही..पर एक प्राब्लम है...

मैं- क्या ..??

स- पोलीस इनस्पेक्टर जा रहा है कामिनी से मिलने...

मैं- ओह...तब तो वो चेक भी करेगा...

स- उसकी टेन्षन मत लो...सब क्लीन है...

माओं- गुड...तो टेन्षन क्या है...??

स- टेन्षन ये है कि एंक्वाइरी आगे बढ़ी तो अपना दाव फैल हो सकता है...

मैं- तब तो तुम्हे ही हॅंडल करना होगा...मैं तो वहाँ पहुच नही सकता...

स- ह्म...मैं देखता हूँ...

मैं- और याद रखना कि दीपा की फाइल ओपन ना हो...

स- कोशिस करूँगा...काफ़ी हाइहलाइट केस था...शायद ओपन हो जाए...

मैं- ओके...तुम अपना काम करो...फिर कॉल करना...

स- ओके..बताता हूँ ..बाइ...

फिर कॉल कट हो गई और मैं वेट करने लगा अगला कॉल आने का...

मैने टेन्षन कम करने के लिए एक ड्रिंक बनाया और अपने आदमी के कॉल का वेट करने लगा.....

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सहर मे एक हॉस्पिटल के रूम मे 


दीपा का नाम सुनते ही पूरे रूम मे सन्नाटा छा गया और सबके मूह खुले रह गये....

रूम मे बैठे हर सक्श के चेहरे पर चिंता और डर के भाव उतर आए थे....

किसी को कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या बोले ....

सब मूह फाडे एक-दूसरे की तरफ देख कर आँखो ही आँखो से सवाल कर रहे थे ...पर किसी के पास कोई जवाब नही था.....

थोड़ी देर बाद रजनी ने अपने आप को नॉर्मल करते हुए रूम मे फैली खामोशी थोड़ी....

रजनी- ये क्या बोल रही हो कामिनी...??

कामिनी- म्म्मो..मैं सच बोल रही हूँ...

मनु- तुम्हे ग़लतफहमी हुई है कामिनी...

कामिनी- नही मनु...मैने सॉफ-सॉफ देखा है...वो दीपा ही थी...

रिचा(खीजते हुए)- ये कैसे हो सकता है...वो तो मर चुकी है...

कामिनी- जानती हूँ ...पर मैने दीपा को ही देखा था...

रिचा- तू होश मे नही होगी....दीपा नही हो सकती...

कामिनी(गुस्से मे)- तेरे कहने का मतलब क्या है...मैं क्या नशे मे थी...

रिचा- मुझे क्या पता...होगी, तभी तो कुछ भी बोल रही है ...

कामिनी- रिचा तू...

मनु(बीच मे)- बस करो तुम दोनो...ये बहस करने का टाइम है क्या...??

कामिनी- पर मैं झूट नही बोल रही...सच मे वो दीपा ही थी...

रजनी- कामिनी..दीपा मर चुकी है...

कामिनी- पर रजनी...मैने उसे ही देखा था..

रिचा- तो तू ये कहना चाहती है कि दीपा का भूत देखा तूने...हाँ...

रिचा की बात सुन कर सब चुप हो गये...तभी रूम के गेट पर दस्तक हुई....

सबने गेट की तरफ देखा तो एक इनस्पेक्टर अपने हवलदार के साथ गेट पर डंडे से दस्तक दे रहा था....

इन्स- एक्सक्यूज मी...कामिनी जी ...??

कामिनी(उठते हुए)- जी...जी सर...

इनस्पेक्टर अंदर की तरफ आया...और वहाँ बैठे सब लोगो ने खड़े हो कर इनस्पेक्टर को जगह दे दी...

कामिनी- जी सर...कहिए...मैं ही कामिनी हूँ...

इन्स- ह्म्म..अब आप कैसी है...??

कामिनी- अब थोड़ा ठीक हूँ...

इन्स- गुड...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...कल के आक्सिडेंट के बारे मे....

कामिनी- ओके...कहिए....

इनस्पेक्टर रूम मे मौजूद लोगो को देखने लगे...जैसे पूछ रहे हो कि इनके सामने बात करूँ क्या....

कामिनी- सर..ये सब मेरे अपने है...आप बेझिझक बात कर सकते है...

इन्स- ओके...तो बताइए...कल असल मे हुआ क्या था....

कामिनी ने अपनी फ्रेंड्स और परिवार वालो की तरफ देखा और सबकी आँखो से सहमति ले कर कल की घटना बताने लगी....
 
कामिनी ने धीरे-धीरे घटना का पूरा हाल बता दिया ....सिर्फ़ ये नही बताया कि उसने दीपा को देखा...

इन्स- ह्म्म्म...तो कार के सामने अचानक से पेड़ गिर गया...और तेज़ हवओ के साथ धुआ छा गया....

कामिनी- जी सर...ऐसा ही हुआ था...

इन्स- ओके...और आपका ड्राइवर....वो कहाँ है...

कामिनी- वो भी यही है ...हॉस्पिटल मे...

इन्स(हवलदार से)- जा कर ड्राइवर को बुला लाओ...

हवलदार ड्राइवर को लेने गया और इनस्पेक्टर ने फिर से सवाल किया....

इन्स- कामिनी जी...वहाँ आपने किसी को देखा क्या..याद कीजिए...किसी को भी...याद कर के बताइए....

कामिनी ने फिर से अपनी फरन्डस की तरफ देखा और बोली...

कामिनी- सर...वो मैं...एक चेहरा देखा था...

रिचा- कामिनी...

इन्स(रिचा से)- प्लीज़ मेडम...बीच मे मत बोलिए ...कामिनी जी ...बोलिए ...किसको देखा था आपने...??

कामिनी- वो ...सर..वो मैने अपनी फरन्ड को देखा था...

इन्स- फरन्ड...कौन थी वो..??

रिचा- सर..ये ऐसे ही बोल रही है...ये इसके मन का बहम है...

इन्स- मेडम...अब आप बीच मे बोली तो मजबूरन मुझे आपके खिलाफ आक्षन लेना होगा...

रिचा- पर सर...

इन्स- बस...कामिनी जी..बोलिए..कौन सी फरन्ड थी वो...

कामिनी- वो..वो दीपा थी...

रिचा- कामिनी...

इन्स(रिचा से)- एनफ मेडम...आप बाहर जाइए...और कामिनी जी आप उस दीपा की डीटेल दीजिए...

रिचा- सर मेरी बात तो...

इन्स(बीच मे)- आपकी समझ नही आता क्या...क्या आप भी तो नही मिली दीपा के साथ..ह्म्म

रिचा- नही...और मिल भी नही सकती...क्योकि...

इन्स(बीच मे)- क्योकि क्या...मुझे तो लगता है कि आप और दीपा साथ मे है...

रिचा(कड़क आवाज़ मे)- बस सर...कुछ भी मत बोलना...और हाँ...दीपा मर चुकी है...समझे आप...

इन्स- क्या...दीपा मर चुकी है...

कामिनी- जी सर...कुछ टाइम पहले ही उसकी डेथ हो गई थी...


तभी हवलदार ड्राइवर को ले कर आ गया...

हवलदार- सर...

इन्स- ह्म्म..तो ये है...अब तुम बताओ भाई...कल हुआ क्या था ....???

ड्राइवर ने भी वही बात बताई ..जो कामिनी ने बताई थी....

इन्स- ह्म्म...पर जब तुम बाहर उस पेड़ के पास थे...तब ऐसा क्या हुआ कि तुम बेहोश हो गये...

ड्राइवर- पता नही साहब...सामने तो धुआ ही धुआ था...और तेज हवा चल रही थी...

जिससे मेरे जिस्म पर पत्ते-लकड़ी और छोटे पत्थर टकरा रहे थे...

अचानक से मुझे ऐसा लगा कि सामने से कोई आ रहा है...

पर उसे देख पता उससे पहले ही मैं गिर गया...और सीधा हॉस्पिटल मे जगा ...

इन्स- ह्म्म...कमाल की बात है...दोनो को कोई दिखा...पर जो दिखा है वो तो मर चुका है...स्ट्रेंज...ह्म्म

तभी एक और हवलदार आ गया और इनस्पेक्टर को साइड मे बुला कर बोला....

हवलदार- सर हमने उस जगह पर सब चेक कर लिया है....

इन्स- ओके....क्या मिला...

हवलदार ने इनस्पेक्टर को रिपोर्ट दे दी...

इन्स- क्या ...ऐसा कैसे हो सकता है...इन लोगो ने तो कुछ और ही बताया था...रूको..पूछता हूँ...

और फिर से इनस्पेक्टर कामिनी के पास आ गया....

इन्स- मेडम..आपने और आपके ड्राइवर ने कहा था कि कार के आगे एक पेड़ गिरा था...

कामिनी- जी सर...

ड्राइवर- जी सर...काफ़ी बड़ा पेड़ था...

इन्स- और वहाँ ज़ोरो की हवा चली थी...साथ मे धुआ भी छा गया था..ह्म्म

कामिनी- हाँ सर...

ड्राइवर ने भी हाँ मे हाँ मिलाई...पर इनस्पेक्टर ने फिर जो बोला उसे सुन कर सबको झटका लगा....

इन्स- पर हमने वहाँ चेक करवाया तो पता चला कि ना ही वहाँ कोई पेड़ टूटा है और ना ही काटा गया है....और तो और उस जगह के आगे-पीछे जो बस्ती है...वहाँ के लोगो ने बताया कि उस टाइम बिल्कुल भी हवा नही चली...और आपने तो आँधी का बोला था...ह्म्म..

इनस्पेक्टर की बात सुनकर तो कामिनी और भी ज़्यादा डर गई...अब उसे विश्स्वास होने लगा था कि उसने सच मे दीपा का भूत देख लिया...

कामिनी के साथ-साथ उसकी फरन्डस और फॅमिली भी डर गये थे.....

इन्स- कामिनी जी...आपको क्या लगता है...???

कामिनी- मैं..मैने तो ...मैं क्या बोलू....मैने जो देखा था वो बता चुकी हूँ...

इन्स(सोचते हुए )- ह्म्म...कामिनी जी..ये दीपा कौन है वैसे....??

कामिनी कुछ बोल पाती उसके पहले ही रूम मे इनस्पेक्टर आलोक खरे की एंट्री हुई....

( यहाँ इनस्पेक्टर आलोक को आलोक और पहले वाले इनस्पेक्टर को इन्स लिखा गया है )

आलोक- एक्सक्यूज मी इनस्पेक्टर....

आलोक , इनस्पेक्टर के पास आता है ...

इन्स- सर आप यहाँ...

आलोक- ह्म..आक्च्युयली जब मुझे पता चला कि इस केस मे दीपा ला नाम आया है तो मैने खुद ये केस हॅंडल करने आ गया....

इन्स- दीपा की वजह से...ऐसा क्यो सर..??

आलोक- आक्च्युयली दीपा की मौत का केस मैने ही हॅंडल किया था..बस मुझे लगा कि शायद ये दोनो केस आपस मे कनेक्ट होगे...क्योकि कामिनी और दीपा दोनो फरन्ड थी..

इन्स- ओके सर...तो आप ही कंटिन्यू करे...केस फाइल ये रही...और पूछताछ आप खुद कर लेना...

आलोक- ओके..थॅंक्स...यू कॅन गो नाउ...

इनस्पेक्टर, आलोक को केस फाइल देकर निकल गया...

आलोक- कामिनी जी...अभी आप रेस्ट करे...आपसे आपके घर पर मुलाकात होगी..ओके...बाइ...

आलोक भी बाइ कह कर निकल गया...

और उसके जाते ही रजनी, रिचा , मनु और सुषमा ने कामिनी को घेर लिया...

सभी लोग डरे हुए थे पर इस टाइम कोई भी पूरी तरह से कामिनी की बात को सच नही मान रहा था...


फिलहाल तो सब कामिनी को डिसचार्ज करा कर घर ले गये....और फिर सब अपने-2 घर निकल गये.....


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यहाँ फार्महाउस मे 

मैं अपने रूम मे बैठ हुआ अपने आदमी के कॉल का वेट कर रहा था....

मुझे थोड़ी टेन्षन भी थी कि कहीं पोलीस मेरा काम खराब ना कर दे...और टेन्षन की वजह से मैं 2 पेग गटक चुका था....

काफ़ी इंतज़ार के बाद मेरे आदमी का कॉल आ गया...

( कॉल पर)

मैं- क्या हुआ...???

स- होना क्या था...इनस्पेक्टर आलोक वहाँ पहुच चुका है...

मैं- ओह्ह...अच्छा ये बताओ कि कामिनी ने क्या बोला पोलीस से ..

स- वो बेचारी तो डरी हुई है...उसने कहा कि उसने दीपा को देखा है...

मैं- अच्छा...तो क्या उसकी बात मानी किसी ने...

स- कह नही सकते...वहाँ सब की आँखो मे सवाल था..डर नही...

मैं- ओके...और ड्राइवर ने कुछ बोला...??

स- वही बोला जो उसे समझ मे आया था...

मैं- ह्म्म...और कुछ हुआ...??

स- हाँ...पोलीस ने एंक्वाइरी की ..पर कुछ नही मिला...हमने सब सॉफ कर लिया था..

मैं- गुड...अब आगे क्या...??

स- अब इनस्पेक्टर आलोक ये केस देखेगा...और कामिनी को एक और झटका मिलने वाला है...

मैं- पर कैसे...और कब...??

स- ह्म्म..बहुत जल्द...और ये झटका दूर से मिलेगा...

मैं- ओह..अच्छा है..मुझे बता देना...

स- ह्म..वेल्ल अभी तो खुश हो जाओ...पहला स्टेप सक्सेसफूल रहा ...

मैं- ह्म्म..आइ एम हॅपी...अब जल्दी से दूसरे स्टेप की खूसखबरी देना..

स- ओके...गुड नाइट...

मैं- गुड नाइट..बाइ...

कॉल रखने के बाद मैने खुश हो कर एक पेग और बनाया...और पेग पीते हुए सोचने लगा कि आज रात खुशी के मौके पर चुदाई तो बनती है...

पर किसकी करूँ...चलो लॅपटॉप मे नज़र दौड़ाते है...फिर डिसाइड करूँगा...नही तो चंदा तो है ही...

यही सोच कर मैने लॅपटॉप ऑन किया और सबके रूम मे देखने लगा...
सबसे पहले मैने ज़िया के रूम मे देखा...

देखु तो सही कि अपने बाप का लंड का कर क्या कर रही है.....

ज़िया आराम से लेटी हुई थी और उसके बाजू मे गुल लेटी हुई ज़िया से बातें कर रही थी...

गुल- दीदी...प्लीज़ कुछ करो ना...

ज़िया- ओह हो गुल..आज नही...आज मैं थक चुकी हूँ..

गुल- आप तो आ गई अपनी आग भुझा कर...अब मैं क्या करूँ..??

ज़िया- ओह मेरी जान...थोड़ा रुक जा तेरी आग भी भुजवा देगे...

गुल- कितना रुकु दीदी...अब बर्दास्त नही होता...

ज़िया- तो रब्बर का लंड ले और सुरू हो जा..पर मुझे सोने दे...

गुल- नही दीदी...रब्बर के लंड से मेरी चूत खोल तो दी..अब क्या उसी से मरवाती रहूं...मुझे असली चाहिए...

ज़िया- वो भी दिलवा दूगी...

गुल- कब दीदी...आपने कहा था कि अंकित भाई से बोलेगी ..पर आप भूल ही गई...

ज़िया- ऐसा नही है मैं उससे बात करूगी ना...

गुल- अभी करो...जबसे उनका लंड देखा है तब से बहुत मन होता है..प्लीज़ दी...

ज़िया- अभी...नही-नही...कल पक्का करूगी...

गुल- नही दी...अभी करो...मुझे अभी चाहिए...ओह्ह अंकित भाई..फक मी ना...

और ये बोलती हुई गुल अपनी चूत को नाइटी के उपेर से ही मसल्ने लगी...

गुल की तड़प देख कर मैं फुल गर्म हो गया...वैसे भी ड्रिंक करने के बाद मैं गरम हो ही चुका था...

मैने सोचा कि क्यो ना आज की रात नये माल को चख कर अपनी खुशी बढ़ाऊ...

और यही सोच कर मैने पेग ख़त्म किया और फ़ोन उठाकर ज़िया को कॉल लगाया....

(कॉल पर)

मैं- ज़िया..मेरे रूम मे आओ...

ज़िया- अभी..सॉरी यार मैं थक गई हूँ...आज नही..

मैं(ज़ोर से)- आती है कि नही...या फिर मैं आउ वहाँ...

ज़िया- अंकित...तुम ऐसा...

मैं(बीच मे)- 2 मिनट मे मेरे रूम मे आजा..वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा...

और मैने कॉल कट कर दी...
 
ज़िया पर गुस्सा तो तभी से था जबसे उसको अपने डॅड के साथ चुदवाते देखा था...

और अब मुझे मना करते ही मेरा गुस्सा भड़क गया था...

थोड़ी देर मे ही मेरे रूम पर नॉक हुई...

मैने जल्दी से लॅपटॉप छिपाया और गेट ओपन कर के ज़िया को अंदर खीच लिया...

ज़िया- आहह..क्या करते हो..

मैं- चुप कर ..

मैने ज़िया के बाल पकड़े और उसके गाल पर चपत लगाते हुए बोला...

मैं- बहुत बोलने लगी..हाँ..भूल गई..मेरी बिच है तू..ह्म

ज़िया- आहह..सॉरी...मैं थक गई थी..नीद आ रही है..

मैं- तो सो जा...मेरे बेड पर..

ज़िया- पर...

मैं(बीच मे)- डोंट वरी..मैं यहाँ से जा रहा हूँ ..तू आराम से सो जा...

ज़िया(आँखे बड़ी कर के)- पर तुम कहाँ जाओगे...

मैं- सिंपल है..तुम मेरी जगह और मैं तुम्हारी जगह...

ज़िया- पर वहाँ तो गुल है..

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..बट मुझे लगता है कि मेरे साथ गुल को अच्छी नीद आयगी...

ज़िया(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...आज उसे सुला ही दो ...ह्म्म..

फिर ज़िया ने मुझे किस किया और जा कर मेरे बेड पर पसर गई..और मैं गुल के पास निकल गया....

गुल का गेट खुला हुआ था...शायद ज़िया के जाने के बाद उसने बंद ही नही किया...

गुल अपनी आँखे बंद किए हुए अपनी पैंटी के उपर से अपनी चूत सहला रही थी...

गुल को देख कर मैं मुस्कुरा दिया और आराम से गेट बंद कर के बेड के पास चला आया....

मैने जाते ही गुल के हाथ पर अपना हाथ रख दिया जो उसने अपनी चूत पर रखा हुआ था...

मेरा हाथ लगते ही गुल की आँखे खुल गई जो अभी तक मस्ती मे बंद थी....

गुल ने मूह से तो कुछ नही कहा लेकिन उसकी आँखो मे डर और खुशी सॉफ-सॉफ दिख रहे थे...

डर इस बात का कि मैने उसे रंगे हाथो पकड़ लिया था और खुशी इस बात की...कि जिसको याद कर के वो अपनी चूत रगड़ रही थी...वही उसकी चूत पर हाथ रखे सामने खड़ा हुआ है...

मैने थोड़ी देर तक उसको देखा और फिर देखते हुए ही अपना हाथ उसकी चूत पर फिराने लगा...

अब हम दोनो के हाथ मिल कर उसकी चूत को रगड़ रहे थे...और हमारी आखे एक-दूसरे को देख रही थी....

थोड़ी देर के बाद चूत की रगडाइ से गुल मस्त हो गई और आँखे बंद कर के मज़ा लेनी लगी....

मैं भी मस्ती मे आ चुका था...और मैं गुल की चूत रगड़ते हुए उसके उपेर झुकने लगा...

गुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी...वो अपनी आँखे बंद किए हुए हल्की-हल्की सिसकियाँ ले रही थी...

मैने झुक कर अपना मूह उसके बूब पर रख दिया और कपड़ो के उपेर से ही बूब को मूह मे भर लिया..

गुल ने एक पल के लिए अपनी आँखे खोली और मुझे देख कर वापिस आँख बंद कर के सिसकने लगी...
 
अगले कुछ मिनिट मैं गुल की चूत मसल्ते हुए उसके बूब्स को बारी-बारी चूस्ता रहा...और गुल को पूरा गरम कर दिया...

गुल मस्त होकर अपनी गान्ड को झटके दे कर चूत मसलवा रही थी...

फिर मैने बूब्स चूसना छोड़ा और चूत से भी हाथ उठा लिया...

मेरे रुकते ही गुल ने अपनी आँखे खोल कर मुझे देखा...जैसे पूछ रही हो कि क्यो रुक गये...

पर मैं बिना बोले उसके पैरो के सामने आया और झुक कर उसकी पैंटी को दोनो तरफ से पकड़ कर नीचे खीचने लगा...

गुल ने भी बिना कुछ बोले अपनी गान्ड उठा कर पैंटी को नीचे जाने दिया और देखते ही देखते गुल की पैंटी उसके बदन से अलग हो गई...



पैंटी निकलते ही गुल की रसभरी चूत मेरे सामने आ गई...जो पानी बहा रही थी...

फिर मैं हाथो के बल चूत के उपेर झुक गया और गुल को देखा तो उसने बिना कुछ बोले अपनी टांगे खोल कर छूट को खोल दिया..

मैने गुल को एक स्माइल दी और झुक कर उसकी चूत पर जीभ फिरा दी....और गुल की सिसकी निकल गई...

गुल- आअहह....

मैने फिर चूत के दाने को होंठो मे फसा कर मसलना चालू कर दिया....जिससे गुल की सिसकियाँ बाद गई...

गुल- आअहह...आआहह...उूुउउंम्म...उूउउंम्म...ऊओह....

मैं- उूुुउउम्म्म्मम....उूुउउम्म्म्म...उूउउंम...

गुल- ओह्ह्ह...ऊहह...उउउंम्म....उउउफ़फ्फ़..आअहह.....

थोड़ी देर तक चूत के दाने को होंठो से मसल्ने के बाद मैने चूत पर जीभ फिराई और चूत चाटना सुरू कर दिया...
मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प...

गुल- आहह...आहह...उउउंम्म...उउंम...

मैं- सस्रररुउउप्प...उउंम्म..सस्स्रररुउउप्प्प..आहह..

गुल- ऊहह...एस...एस्स..उउफ़फ्फ़....आअहह....उउंम्म..

थोड़ी देर बाद मैने चूत मे जीभ घुसा दी और जीभ से उसे चोदने लगा...

मैं- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम्म...

लेडी- ओह...ओह...यस...येस्स...सक इट...यस...एस्स...

मैं- उउंम..उउंम..उउंम..उऊँ..उउंम..

गुल- अंदर तक...यस...डीपर...सक..इट..एस्स..

और गुल की चूत मेरी जीभ के हमलो से झड़ने लगी....

गुल- ऊहह...एस्स...कोँमिंग..ओह्ह..ऊह...ओह्ह..आआहह....आआओउउउंम्म....

मैने चूत को मूह मे भर लिया और चूत रस पीने लगा...

मैं- उउंम..उउंम..सस्ररूउगग...सस्ररूउगग...

गुल- येस...सक ..सक..सक..ओह्ह..ऊहह..येस्स..

चूत रस पीने के बाद मैं खड़ा हो गया....

खड़े होकर मैने गुल को देखा तो वो शरमा गई...पर बोली कुछ नही...

मैने भी बिना बोले अपने कपड़े निकाल दिए और अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर गुल की तरफ देखा....

गुल बिना बोले बेड पर बैठ गई..और मैने उसे अपने पास खीच लिया...

मेरे पास आते ही मैने गुल की नाइटी निकाल दी...अब वो पूरी नंगी थी..

मैने फिर से अपना लंड दिखाया तो गुल घुटनो पर झुक गई और मेरे लंड को पकड़ कर देखने लगी...

थोड़ी देर बाद गुल ने अपनी जीभ को लंड पर फिराना चालू कर दिया....

गुल- सस्स्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प्प.....सस्स्स्रररुउप्प्प...सस्र्र्ररुउउप्प्प्प....

मैं- आअहह.....मूह मे लो....

गुल ने बिना कुछ बोले आधा लंड मूह मे भर लिया और चूसना सुरू कर दिया....

गुल मस्ती मे लंड चूसने लगी और मैं हाथ बढ़ा कर मैं उसकी गान्ड सहलाने लगा.....




गुल-सस्ररुउउप्प्प….सस्स्रररुउउप्प्प…ऊओंम्म्मममह…सस्स्रररुउउप्प्प...

मैं-आअहह…ज़ोर से..पूरा लो....

गुल-सस्स्ररुउउप्प्प….सस्रररुउउप्प्प्प…उउउम्म्म्म....उूुउउम्म्म्मम.....

मैं- येस्स्स...ऐसे ही...उूउउम्म्म्मम....

गुल- उउउंम...उउउंम्म....उउउंम..सस्स्रररूउउग़गग...सस्स्रररुउउउगग़गग....उूुुउउम्म्म्मम...

मैं- आआहह...कम ऑन...ओह्ह्ह..येस्स..ईससस्स....

अब मेरा लंड पूरा तैयार हो चुका था...इसलिए मैने गुल को रोक दिया...
 
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