hotaks444
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मैंने भी उसके दर्द भरे स्वर को भांपते हुए कहा- नहीं रूचि.. ऐसा नहीं है.. जब पहली बार तुमको देखा था.. मैं तो उसी दिन से ही तुम्हें चाहने लगा था.. मेरी सोच तो तुम पर ही ख़त्म हो गई थी और सोच लिया था.. कैसे भी करके तुम्हें अपना बना लूँगा।
तो वो बोली- फिर मुझे अपने से अलग क्यों किया?
मैंने बोला- आज जब तुमने मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाई.. तो मुझे बहुत बुरा लगा.. मैं अपनी ही नजरों में खुद को नीच समझने लगा था और मेरा सपना टूटा हुआ सा नज़र आने लगा था। मेरे मन में कई बुरे ख्याल घर करने लगे थे।
तो वो तुरंत ही बोली- कैसे ख्याल?
मैंने अपनी बात सम्हालते हुए जबाव दिया- तुमने मेरे बारे में बिना कुछ जाने ही मेरे सम्बन्ध अपनी माँ से जोड़ दिए.. जो कि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
तो वो बोली- तुमने हरकत ही ऐसी की थी.. तुम मेरी माँ की चड्डी लिए सोते थे.. तो भला तुम ही बोलो.. मैं क्या समझती? और जब से तुम हमारे घर आ रहे थे.. मैं तब से ही ध्यान दे रही थी कि तुम और माँ एक-दूसरे के काफी करीब नज़र आते थे।
इस बात पर मैंने तुरंत ही उसको डाँटते हुए स्वर में कहा- रूचि.. तुम पागल हो क्या? तुम्हारी माँ तो तुम्हारे भाई के जैसे ही मुझे प्यार देती थी और मैं भी बिल्कुल विनोद के जैसे ही तुम्हारी माँ का ख्याल रखता था। तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो? और रही चड्डी की बात.. तो तुम ही बताओ कि तुम्हारे और तुम्हारी माँ के शरीर की बनावट में कोई ख़ास अंतर है क्या?
तो वो थोड़ा सा लजा गई और मुस्कान छोड़ते हुए बोली- सॉरी राहुल.. अगर तुम्हें मेरी वजह से कोई दुःख हुआ हो तो.. और वैसे भी जब तुमने सच मुझे बताया था.. तो मैं खुद भी अपने आपको कोस रही थी.. अगेन सॉरी..
अब मैंने भी अपनी लाइन क्लियर देखते हुए बोला- फिर अब आज के बाद ऐसा कभी नहीं बोलोगी।
वो तपाक से बोली- पर एक शर्त पर..
तो मैंने पूछा- कैसी शर्त?
बोली- मेरी माँ की चड्डी तुम अपने पास नहीं रखोगे।
तो मैं बोला- जब विनोद कमरे में आया था.. मैंने तो उसी वक़्त उसको यहाँ फेंक कर बाथरूम में चला गया था.. और प्रॉमिस.. आज के बाद ऐसी गलती नहीं होगी.. क्योंकि..
तो वो मेरी बात काटते हुए बोली- क्योंकि क्या?
मैं बोला- क्योंकि अपनी चड्डी तुम खुद ही मुझे दिया करोगी।
तो वो हँसने लगी और मेरे गालों पर चिकोटी काटते हुए बोली- बहुत शैतान और चुलबुला है.. ये मेरा आशिक यार..
उसकी इस अदा पर मैं इतना ज्यादा मोहित हो गया कि उसको शब्दों में पिरो ही नहीं पा रहा हूँ।
फिर वो मेरी ओर प्यार भरी नजरों से देखते हुए बोली- जान.. अब तो मेरी माँ की चड्डी दे दो।
तो मैंने बोला- मेरे पास नहीं है.. यहीं तो फेंककर गया था।
वो बोली- तुमने अभी नीचे कुछ नहीं पहना है क्या?
तो मैंने बोला- नहीं.. पर तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो?
वो बोली- फिर क्या तुम ऐसे ही नहाए और ऐसे ही बाहर भी आ गए?
मैंने उसे थोड़ा और खोलने के लिए शरारत भरे लहज़े में बोला- थोड़ा खुलकर बोलो न.. क्या ‘ऐसे..ऐसे..’ लगा रखा है।
तो वो बोली- बेटा.. तुम समझ सब रहे हो.. पर अपनी बेशर्मी दिखा रहे हो.. पर मुझे शर्म आ रही है।
अब मैंने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ा और बोला- यहाँ हम दोनों के सिवा और है ही कौन.. और मुझसे कैसी शर्म?
तो वो बोली- अरे जाने दो..
मैंने उसे आँख मारते हुए बोला- ऐसे कैसे जाने दो..
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- मेरे ‘ऐसे-ऐसे’ का मतलब था कि तुम नंगे-नंगे ही नहा लेते हो.. तुम्हें शर्म नहीं आती?
तो वो बोली- फिर मुझे अपने से अलग क्यों किया?
मैंने बोला- आज जब तुमने मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाई.. तो मुझे बहुत बुरा लगा.. मैं अपनी ही नजरों में खुद को नीच समझने लगा था और मेरा सपना टूटा हुआ सा नज़र आने लगा था। मेरे मन में कई बुरे ख्याल घर करने लगे थे।
तो वो तुरंत ही बोली- कैसे ख्याल?
मैंने अपनी बात सम्हालते हुए जबाव दिया- तुमने मेरे बारे में बिना कुछ जाने ही मेरे सम्बन्ध अपनी माँ से जोड़ दिए.. जो कि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
तो वो बोली- तुमने हरकत ही ऐसी की थी.. तुम मेरी माँ की चड्डी लिए सोते थे.. तो भला तुम ही बोलो.. मैं क्या समझती? और जब से तुम हमारे घर आ रहे थे.. मैं तब से ही ध्यान दे रही थी कि तुम और माँ एक-दूसरे के काफी करीब नज़र आते थे।
इस बात पर मैंने तुरंत ही उसको डाँटते हुए स्वर में कहा- रूचि.. तुम पागल हो क्या? तुम्हारी माँ तो तुम्हारे भाई के जैसे ही मुझे प्यार देती थी और मैं भी बिल्कुल विनोद के जैसे ही तुम्हारी माँ का ख्याल रखता था। तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो? और रही चड्डी की बात.. तो तुम ही बताओ कि तुम्हारे और तुम्हारी माँ के शरीर की बनावट में कोई ख़ास अंतर है क्या?
तो वो थोड़ा सा लजा गई और मुस्कान छोड़ते हुए बोली- सॉरी राहुल.. अगर तुम्हें मेरी वजह से कोई दुःख हुआ हो तो.. और वैसे भी जब तुमने सच मुझे बताया था.. तो मैं खुद भी अपने आपको कोस रही थी.. अगेन सॉरी..
अब मैंने भी अपनी लाइन क्लियर देखते हुए बोला- फिर अब आज के बाद ऐसा कभी नहीं बोलोगी।
वो तपाक से बोली- पर एक शर्त पर..
तो मैंने पूछा- कैसी शर्त?
बोली- मेरी माँ की चड्डी तुम अपने पास नहीं रखोगे।
तो मैं बोला- जब विनोद कमरे में आया था.. मैंने तो उसी वक़्त उसको यहाँ फेंक कर बाथरूम में चला गया था.. और प्रॉमिस.. आज के बाद ऐसी गलती नहीं होगी.. क्योंकि..
तो वो मेरी बात काटते हुए बोली- क्योंकि क्या?
मैं बोला- क्योंकि अपनी चड्डी तुम खुद ही मुझे दिया करोगी।
तो वो हँसने लगी और मेरे गालों पर चिकोटी काटते हुए बोली- बहुत शैतान और चुलबुला है.. ये मेरा आशिक यार..
उसकी इस अदा पर मैं इतना ज्यादा मोहित हो गया कि उसको शब्दों में पिरो ही नहीं पा रहा हूँ।
फिर वो मेरी ओर प्यार भरी नजरों से देखते हुए बोली- जान.. अब तो मेरी माँ की चड्डी दे दो।
तो मैंने बोला- मेरे पास नहीं है.. यहीं तो फेंककर गया था।
वो बोली- तुमने अभी नीचे कुछ नहीं पहना है क्या?
तो मैंने बोला- नहीं.. पर तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो?
वो बोली- फिर क्या तुम ऐसे ही नहाए और ऐसे ही बाहर भी आ गए?
मैंने उसे थोड़ा और खोलने के लिए शरारत भरे लहज़े में बोला- थोड़ा खुलकर बोलो न.. क्या ‘ऐसे..ऐसे..’ लगा रखा है।
तो वो बोली- बेटा.. तुम समझ सब रहे हो.. पर अपनी बेशर्मी दिखा रहे हो.. पर मुझे शर्म आ रही है।
अब मैंने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ा और बोला- यहाँ हम दोनों के सिवा और है ही कौन.. और मुझसे कैसी शर्म?
तो वो बोली- अरे जाने दो..
मैंने उसे आँख मारते हुए बोला- ऐसे कैसे जाने दो..
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- मेरे ‘ऐसे-ऐसे’ का मतलब था कि तुम नंगे-नंगे ही नहा लेते हो.. तुम्हें शर्म नहीं आती?