FFM sex series Part 1 सपना - Page 2 - SexBaba
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FFM sex series Part 1 सपना

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जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
जीत का इनाम
अभी तक मेरी कहानियों अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान और फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प( राइट ऑफ पैसेज) मे आपने पढ़ा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से  सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे। वास्तव मे हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया। अब आगे...
जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे। मैं फिर से किचन मे जा कर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद  तैयार करे,और ट्रे ले कर बेडरूम मे ही आ गया। दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी। पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट मे चूहे कूद रहे थे । हम फिर से पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए की ब्रंच करने लगे।
मैंने मौका देख कर बोला जानेमन मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं। “हाँ हाँ बोलो कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं। जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना! मैंने जिद की। चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठा ही फारिग हो जाओगी- मैंने बोला और उन्हे सैंडविच मसाज के बारे मे समझाने लगा। एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं। लेकिन हमारी भी एक शर्त है की तुम बीच मे अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे। पिंकू ने शर्त रखी। मैंने सहमति दे दी और जब  दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं, तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग मे रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया। (मैंने अपने घर मे आलोएवेरा के कई सारे  पौधे लगाए हुए हैं, और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ।यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है।इसलिए मेरे फ्रिज मे इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।) 
अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स ले कर लेट गए। दोनों के सर मेरे सीने पर थे। मैं स्पर्श सुख मे लीन था, तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया, और उनदोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को इम्मोबिलिलाइज्ड कर दिया। मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे। अब पासा पलट गया था। मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में। “कभी नाव गाड़ी पे तो कभी गाड़ी नाव पे” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों मे पड़ी। वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था, लेकिन इससे उनके उत्साह मे कमी आ जाती। इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।
 अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निपल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा। जैसे इशारा पा कर सोनू ने बाएँ निपल का चार्ज सम्हाल लिया। अब दोनों ही मेरे निपल्स को कभी चुटकी मे लेकर मींजतीं तो कभी पुचचियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह मे ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं। एक मेरा निपल होंठों मे जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निपल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती। इस समय कौन ज्यादा कुशल थी,कहना मुश्किल था।
उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालो को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था। आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।अब उन दोनो के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निपल्स पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे। मेरी उत्तेजना का पारावार ना था। आज पता लगा की मेरे निपल्स लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।
 पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ मे ले कर हल्के हल्के दबाना  शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया। अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।दोनों निपल्स पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।  “लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!”पिंकू ने फिर कमेंट करा। सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों मे पड़ी। अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 
अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ और पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।चाटने मे शायद मेरी दाढ़ी उन्हे गड़ती होगी।  मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता। हमने “टंग ऑफ वार” का खेल भी खेला (कृपया मेरी पहले की कहानी “फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)”  देखें)। इस बार सोनू विजयी रही। धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया। आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड मे लग रही थी। दोनों बिलकुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस,चूम रही थीं चाट रही थींऔर जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं। उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निपल्स को सहलाने और उमेठने मे लगी थीं। “अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा। मैंने बनावटी गुस्से से कहा, जबकि असलियत मे तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 
उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया। पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूचियाँ मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं। मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल ले कर उनकी चूचियों पर मल दिया।अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं। उनके निपल्स बार बार मेरे होठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह मे लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता,कभी नहीं। कभी कोई तरस खा कर या एक्साईटेड हो कर अपना निपल मेरे मुंह मे दे देती तो मैं उतावला हो कर चूसने लगता।मेरे मुंह से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं। आखिर बेताब हो कर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निपल आपस मे घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मेरे मुंह मे दो अलग अलग लड़कियों के निपल्स आपस मे रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे। तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।“ वाह ! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।
मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियोंऔर जांघों  पर मला और उन्होने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं। दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया। उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।दोनों बिलकुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं।दोनों ने अपने अपने निपल्स को पकड़ कर मेरे निपल्स पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकाल गई।  फिर मैंने सोनू की तरफ करवट ले कर उसे हल्की पकड़ से अपनी बाहों मे भर लिया। वो मेरी बाहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही। जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता। ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइटली दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों,गालों को चूसने लगता। मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती। उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी। ऊपर नीचे हो कर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी। कई बार तो उसने शरारत मे ज़ोर से काट भी लिया। 
थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया। अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं। आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है। सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे मे ले कर लिया। वो तो खुद ही उत्तेजना मे बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो। साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह मे जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी। सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी। उसकी यह कोशिश देख कर उस पर प्यार भी आ रहा था, लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर  मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 
अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच मे दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा। कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निपल्स एक साथ मुंह मे ले कर चुभलाने लगता। अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक हो कर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह उईईईईईई  जैसी आवाज़े निकाल रही थी। अब जब चूची चुसायी की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी , तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने मे किया। अपने हाथो से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा। 
कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं। अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह मे थीं। पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती मे मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी। अपनी चूचियों को मेरे मुंह मे ठूँसे दे रही थी और आवाज़े निकाल रही थी उई ईई ईई ईए आह्ह्ह...... उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। मैंउसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों मे भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।
थोड़ी देर बाद  दोनो मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती। में तो जन्नत की सैर कर रहा था। 
अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।उन्होने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी। अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड़ के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल मे डूबा कर उनके गुदा द्वारों मे प्रवेश करा दीं। दोनों ने उऽऽहू... सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं। मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा। थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 
फिर दोनों ने पोजीशन बदलते  हुए, मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा। अब उनकी चूचियां आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहँशाह के अंदाज़ मे खड़ा था।
 अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था। मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो रक्खा था। अब तो उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए सीईईई आईई हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं। मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से  आआह्ह्ह्ह्ह  की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा। जोश इतना ज्यादा था की बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ  मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले। सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौंडे और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया। 
इस तरह मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ। 
अब तक शाम के चार बज रहे थे। हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली। पिछले करीब 24-30 घंटे के फलाहार और बदन तोड़ मैराथन सेक्स के बाद मैं भी संतुलित डिनर ले कर एक गहरी नींद लूँगा। इस तरह तरोताज़ा हो कर अब हम लोग अपनी अपने प्रॉफेश्नल लाइफ मे व्यस्त हो जाएंगे। 
अब इस कहानी की सीक्वेल “सोनू और पिंकू के साथ पाँसों का खेल “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने और पिंकू ने शर्मीली सोनू की कुँवारी गांड का उदघाटन किया और उसने भी इसका  कैसे भरपूर आनंद लिया। 
 
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