hotaks444
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विशाल फ़ौरन उठकर बाथरूम में चला गया और जैसे ही मैं अपना हाथ अपनी गान्ड के छेद पर ले गयी मेरे होश मानो उड़ गये थे......मेरी हाथों में कुछ खून लग गया था और कुछ विशाल का कम भी......जो अब धीरे धीरे मेरी गान्ड से बाहर की ओर बह रहा था.....अब मेरी गान्ड के छेद बहुत हद तक खुल गयी थी.......विशाल जब मेरे पास आया तो मैं बाथरूम गयी......मुझे बिल्कुल चला नहीं जा रहा था......विशाल मेरी उस हालत को देखकर मुझे सहारा देते हुए बाथरूम तक ले गया और उसने मेरी गान्ड और चूत अच्छे से सॉफ की........
जैसे तैसे मैं बिस्तेर पर आई तो उसने एक पेन किल्लर मुझे दे दी.....
विशाल- इसे खा लो अदिति......इसे खाने से तुम्हें आराम मिल जाएगा.......
अदिति- ये क्या विशाल....पहले दर्द भी तुम ही देते हो और अब दवा भी तुम ही कर रहें हो............मेरी बातों को सुनकर विशाल मेरे होंटो को बड़े प्यार से चूसने लगा मैं भी कुछ ना बोल सकी और उसके आगोश में ऐसे ही समाई रही.......रात से सुबेह हुई .......उस रात विशाल ने एक बार फिर से मेरी गान्ड मारी.....इस बार मुझे बहुत मज़ा आया........जो भी था ये हमारी सुहाग रात मेरे लिए एक यादगार बन चुकी थी.......
दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जो अपनी बेहन के साथ सुहागरात मनाया होगा मगर एक हम थे जो पहले भाई बेहन थे मगर अब पति पत्नी......कितना अजीब लगता है ये सब सुनने में.......
सुबेह मैं आज फिर से उन बीती यादों को अपनी डायरी में लिखती चली गयी....जो मेरे साथ अब तक हुआ था......डायरी ख़तम कर मैं विशाल के लिए चाइ बनाने लगी......एक बार फिर से मेरी आँखें नम हो गयी थी मम्मी पापा को याद करके........
विशाल ने उठकर मुझे अपने सीने से लगा लिया और कुछ काम की तलाश में वो घर से बाहर निकल गया......आख़िर जीने के लिए कुछ काम भी तो ज़रूरी था.......इस लिए मैने उसके लिए कुछ नाश्ता वगेरह बनाया और विशाल को बाहर तक छोड़ आई......विशाल के जाने के बाद मैं अपने काम में व्यस्त हो गयी......
करीब एक घंटे बाद मेरे घर की डोर बेल बजी.......मैं फ़ौरन जाकर दरवाज़ा खोला तो मेरे सामने जो सख्स थी उसे देखकर मुझे एक बहुत ज़ोरों का झटका लगा.......मेरे सामने पूजा खड़ी थी और वो मुझे खा जाने वाली नज़रो से देख रही थी......
अदिति- पूजा....तुम......यहाँ पर.......कैसे........किसने बताया तुम्हें यहाँ का पता......
पूजा आगे कुछ ना कह सकी और मेरे पैरों में तुरंत गिर पड़ी.........मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे हो क्या गया है....क्यों वो मुझसे ऐसे बिहेव कर रही है........जब मैने पूजा को उठाया तो उसकी आँखों में आँसू थे.......मैं उससे कुछ ना पूछ सकी और उसे अंदर आने को कहा........
पूजा फिर मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे के अंदर आई और मेरे उस किराए के मकान को बड़े गौर से देखने लगी.......वो भी यही सोच रही होगी कि कहाँ मैं इतने बड़े घर की रहने वाली और अब इस छोटे से घर में अपनी ज़िंदगी गुज़र बसर कर रही हूँ.........
पूजा- ये सब क्या है अदिति........मैने तेरा कॉलेज में कितना वेट किया मगर तेरा कुछ पता भी नहीं चला.....तेरा फोन भी ट्राइ किया तो स्विच ऑफ बता रहा था......घर पर गयी तो तेरे बारे में जब जाना तो मेरे होश उड़ गये....आंटी ने तो सॉफ कह दिया कि मैं किसी अदिति और विशाल को नहीं जानती......मेरे बहुत पूछने पर उन्होने ये बात मुझसे कही और मुझसे वादा किया कि ये बात कभी किसी को ना बताए........
फिर मैं तेरी और विशाल की तस्वीर दिखाते हुए बस स्टेशन तक गयी.......वहाँ पर दो तीन दुकान वाले थे जिसने तुझे बस में बैठे देखा था.....सो मैं उस बस में बैठकर यहाँ आ गयी......ये मेरी किस्मेत थी कि तेरे घर के सामने एक सख्स है उसने मुझे तेरे बारे में बताया कि एक नयी फॅमिली आई है यहाँ रहने को ......फिर मैं सीधा यहाँ पहुँच गयी तेरे पास.........
अदिति- तू बैठ मैं तेरे लिए कुछ नाश्ता लाती हूँ.....मैं फिर उठकर जैसे ही जाने लगी पूजा ने मेरे हाथ फ़ौरन थाम लिए.......
पूजा- नहीं उसकी कोई ज़रूरत नहीं....तू बैठ मेरे पास.....तुझसे एक ज़रूरी बात कहनी थी......
मैं पूजा के चेहरे के तरफ सवाल भरी नज़रो से देखने लगी- बात क्या है पूजा......
पूजा- मुझे नहीं पता था कि मेरे इस मज़ाक को तू सच मान लेगी और अपने ही भाई के साथ ये सब.......मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि तू विशाल को अब चाहने लगी है........ये सब मेरी वजह से हुआ है......ना ही मैं तेरे साथ ऐसा मज़ाक करती और ना तुझे ऐसा दिन आज देखना पड़ता.......इन सब की कुसूर वार मैं हूँ अदिति......मुझे माफ़ कर दे....और पूजा फिर से मेरे सामने सिसक पड़ी.
जैसे तैसे मैं बिस्तेर पर आई तो उसने एक पेन किल्लर मुझे दे दी.....
विशाल- इसे खा लो अदिति......इसे खाने से तुम्हें आराम मिल जाएगा.......
अदिति- ये क्या विशाल....पहले दर्द भी तुम ही देते हो और अब दवा भी तुम ही कर रहें हो............मेरी बातों को सुनकर विशाल मेरे होंटो को बड़े प्यार से चूसने लगा मैं भी कुछ ना बोल सकी और उसके आगोश में ऐसे ही समाई रही.......रात से सुबेह हुई .......उस रात विशाल ने एक बार फिर से मेरी गान्ड मारी.....इस बार मुझे बहुत मज़ा आया........जो भी था ये हमारी सुहाग रात मेरे लिए एक यादगार बन चुकी थी.......
दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जो अपनी बेहन के साथ सुहागरात मनाया होगा मगर एक हम थे जो पहले भाई बेहन थे मगर अब पति पत्नी......कितना अजीब लगता है ये सब सुनने में.......
सुबेह मैं आज फिर से उन बीती यादों को अपनी डायरी में लिखती चली गयी....जो मेरे साथ अब तक हुआ था......डायरी ख़तम कर मैं विशाल के लिए चाइ बनाने लगी......एक बार फिर से मेरी आँखें नम हो गयी थी मम्मी पापा को याद करके........
विशाल ने उठकर मुझे अपने सीने से लगा लिया और कुछ काम की तलाश में वो घर से बाहर निकल गया......आख़िर जीने के लिए कुछ काम भी तो ज़रूरी था.......इस लिए मैने उसके लिए कुछ नाश्ता वगेरह बनाया और विशाल को बाहर तक छोड़ आई......विशाल के जाने के बाद मैं अपने काम में व्यस्त हो गयी......
करीब एक घंटे बाद मेरे घर की डोर बेल बजी.......मैं फ़ौरन जाकर दरवाज़ा खोला तो मेरे सामने जो सख्स थी उसे देखकर मुझे एक बहुत ज़ोरों का झटका लगा.......मेरे सामने पूजा खड़ी थी और वो मुझे खा जाने वाली नज़रो से देख रही थी......
अदिति- पूजा....तुम......यहाँ पर.......कैसे........किसने बताया तुम्हें यहाँ का पता......
पूजा आगे कुछ ना कह सकी और मेरे पैरों में तुरंत गिर पड़ी.........मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे हो क्या गया है....क्यों वो मुझसे ऐसे बिहेव कर रही है........जब मैने पूजा को उठाया तो उसकी आँखों में आँसू थे.......मैं उससे कुछ ना पूछ सकी और उसे अंदर आने को कहा........
पूजा फिर मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे के अंदर आई और मेरे उस किराए के मकान को बड़े गौर से देखने लगी.......वो भी यही सोच रही होगी कि कहाँ मैं इतने बड़े घर की रहने वाली और अब इस छोटे से घर में अपनी ज़िंदगी गुज़र बसर कर रही हूँ.........
पूजा- ये सब क्या है अदिति........मैने तेरा कॉलेज में कितना वेट किया मगर तेरा कुछ पता भी नहीं चला.....तेरा फोन भी ट्राइ किया तो स्विच ऑफ बता रहा था......घर पर गयी तो तेरे बारे में जब जाना तो मेरे होश उड़ गये....आंटी ने तो सॉफ कह दिया कि मैं किसी अदिति और विशाल को नहीं जानती......मेरे बहुत पूछने पर उन्होने ये बात मुझसे कही और मुझसे वादा किया कि ये बात कभी किसी को ना बताए........
फिर मैं तेरी और विशाल की तस्वीर दिखाते हुए बस स्टेशन तक गयी.......वहाँ पर दो तीन दुकान वाले थे जिसने तुझे बस में बैठे देखा था.....सो मैं उस बस में बैठकर यहाँ आ गयी......ये मेरी किस्मेत थी कि तेरे घर के सामने एक सख्स है उसने मुझे तेरे बारे में बताया कि एक नयी फॅमिली आई है यहाँ रहने को ......फिर मैं सीधा यहाँ पहुँच गयी तेरे पास.........
अदिति- तू बैठ मैं तेरे लिए कुछ नाश्ता लाती हूँ.....मैं फिर उठकर जैसे ही जाने लगी पूजा ने मेरे हाथ फ़ौरन थाम लिए.......
पूजा- नहीं उसकी कोई ज़रूरत नहीं....तू बैठ मेरे पास.....तुझसे एक ज़रूरी बात कहनी थी......
मैं पूजा के चेहरे के तरफ सवाल भरी नज़रो से देखने लगी- बात क्या है पूजा......
पूजा- मुझे नहीं पता था कि मेरे इस मज़ाक को तू सच मान लेगी और अपने ही भाई के साथ ये सब.......मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि तू विशाल को अब चाहने लगी है........ये सब मेरी वजह से हुआ है......ना ही मैं तेरे साथ ऐसा मज़ाक करती और ना तुझे ऐसा दिन आज देखना पड़ता.......इन सब की कुसूर वार मैं हूँ अदिति......मुझे माफ़ कर दे....और पूजा फिर से मेरे सामने सिसक पड़ी.