hotaks444
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शन्नो ने किसी तरह चेतन के कच्छे के अंदर हाथ घुसा लिया और
अब मस्ती में चेतन के तन्नाए हुए लंड को दबाने लगी.... चेतन का जुनून अब बेकाबू होने लगा था वो शन्नो के
ब्लाउस को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा ताकि वो एक दो हुक खोल सके... शन्नो ने बड़ी आसानी से अपने उल्टा हाथ से
ब्लाउस के नीचे के दो हुक्स को खोल दिया...ब्लाउस के हुक्स खोलते ही चेतन के हाथ शन्नो की ब्रा के अंदर घुस
गये और उन तरबूज़ो पे चींटी मारने लगे... शन्नो दर्द और मस्ती के मारे पागल हुई जा रही थी...
अब हाल ऐसा आ गया था कि बस के रुकने के वक़्त भी दोनो के हाथ चले जा रहे थे....
फिर शन्नो के कानो में आवाज़ आई " कहीं बाहर उतरते है... कितना लेगी तू??"
शन्नो एक दम से ठंडी पड़ गयी.... मगर उस बंदे के हाथ नहीं रुके... शन्नो ने घबराकर अपनी गर्दन
घुमाई तो देखा उसके पीछे एक 45-50 साल का आदमी खड़ा था और चेतन का कुच्छ पता नहीं था....
शन्नो के चेहरे का रंग उतर गया और उसने झट से अपना हाथ उस आदमी के लंड से हटाया और उस आदमी के गंदे हाथो को अपने जिस्म से हटा दिया.... घबराती हुई शन्नो भीड़ को चीरती हुई आगे बढ़ती रही और सबसे आगे जाके खड़ी हो गई...... उसने पीछे मूड के देखा तो उस आदमी और चेतन का कोई पता नहीं था...
उसका जब स्टॉप आया तो वो झिझकते हुए उतर गयी और पीछे वाले दरवाज़े से चेतन को उतरते देख उसकी बेचैनि दूर हो गयी.... चेतन उसकी तरफ गया और उसके कंधे पे हाथ डालकर सड़क पर चलने लगा...
शन्नो के दिमाग़ में केयी सारे सवाल घूम रहे थे जिसको पुछ्ने में उसको काफ़ी झिझक हो रही थी....
उसी ओर चेतन बिल्कुल बिंदास होकर सड़क पर चल रहा था.... चेतन ने एक ऑटो को रोका घर जाने के लिए और इस बारी जब शन्नो ऑटो के अंदर बैठने लगी तो उसने उस ऑटो वाले के सामने ही शन्नो की गान्डपर हल्के चॅटा मारा जिसको
ऑटो वाले ने आँखें फाड़ कर देखा...
ऑटो में चेतन का हाथ अभी भी शन्नो के कंधे पे था जैसे कि वो ये जताना चाहता था कि वो उसकी मा नहीं बल्कि
उसकी कोई प्रॉपर्टी है..... चेतन ने बिना ऑटो वाले का ध्यान करें बोला " बस में क्या चल रहा था??"
शन्नो ने चेतन की आँखों में देखा और फिर अपनी नज़रे नीचे करदी... फिर वो आहिस्ते से बोली "मुझे लगा था कि तुम हो'
चेतन बोला " झूठ मत बोलो.. देख रहा था कितने मज़े से आगे पीछे हो रहे थे तुम्हारे हाथ"
ये सुनके शन्नो ने चेतन को इशारे में चुप होने के लिए कहा.... चेतन ने शन्नो का उल्टा हाथ अपनी जीन्स के उपर रख दिया और उसे उपर नीचे करने को कहा उसके साथ ही चेतन ने शन्नो के पल्लू पे लगी पिन को खोल दिया जिसका शन्नो को एहसास नहीं हुआ.... शन्नो अपनी नज़रे झुकाए चेतन की जीन्स के नीचे जागते हुए लंड को सहलाए जा रही और चेतन राजा की तरह ऑटो पे बैठा रहा...
ऑटो वाले ने ऑटो को चेतन शन्नो के घर की गली के बाहर रोक दिया क्यूंकी अंदर ले जाने में दिक्कत आती....
दोनो मा बेटे उसमें उतरे और चेतन ने पूछा "कितना हुआ"
ऑटो वाले ने चेतन को देख के कहा कि "30 रुपय हो गये है..." ये कहकर उसने नज़र शन्नो की तरफ घुमाई जोकि ज़मीन
की तरफ नज़रे झुकाए हुई थी...
चेतन के चेहरे पे हल्की सी मुस्कान आई और वो बोला "हमारे पास पैसे तो नहीं है मगर किसी और तरीके से पैसे भर दे तो.."
ऑटो वाले ने चेतन को देख कर बोला "क्या मतलब??"
चेतन ने शन्नो की तरफ नज़र घुमाई और बड़ी चालाकी से उसकी सारी का पल्लू उसके कंधे से गिरा दिया....
शन्नो ने पल्लू संभालने की कोशिश करी चेतन ने उसका हाथ पकड़ लिया.... चेतन बोला "अगर चाहो तो पैसे के बदले तुम
इन बड़े मोटे मम्मो को अभी देख सकते हो "
जितनी हैरानी ये सुनके शन्नो को हुई उतनी हैरानी उस ऑटो वाले को भी हुई.... उसे समझ नहीं आया कि वो क्या बोले
बस उसने सिर हिलाते हुए हां कह दिया.... चेतन ने शन्नो के हाथ को आज़ाद किया मगर अपना हाथ उसके नितंब पे
ले गया और प्यार से सहलाने लग गया.... वो चाहता था कि शन्नो अपने आप ही अपनी नुमाइश करें और वैसे ही हुआ... शन्नो ने जल्दी से अपने ब्लाउस के नीचे के हुक्स को खोला और अपनी सफेद ब्रा को उपर करके खुल्ले में उस ऑटो वाले को अपने स्तनो को दिखा दिया.... उन तरबूज़ो को देख कर उस ऑटो वाले का गला सूख गया.... ऑटो वाले की ज़ुबान बड़ी मुश्क़िलो से चली और उसने कहा 'क्या मैं एक बारी इन्हे च्छू सकता हूँ"
चेतन ने शन्नो को वापस अपनी ब्रा उठाने को कहा और ऑटो वाले का काँपता हुआ हाथ शन्नो के सीधे स्तन को
दबाने लगा.... आख़िर में उसकी चुचि को छुता हुआ ऑटो वाले ने अपना हाथ शन्नो के मम्मे से हटा दिया और
शुक्रिया कहता हुआ वहाँ से चला गया.... शन्नो ने झट से अपने ब्लाउस के बटन लगाए और पल्लू ठीक करा.....
ये सब करके शन्नो के अंदर एक आग जागने लगी थी... सुबह से जीतने भी लोगो ने उसकी खूबसूरती को देखा था या फिर उसके हसीन बदन को छुआ था उसका हर एक एहसास उसके बदन में ज्वाला बनके जाग रहा था जिस बात का एहसास चेतन को भी था...
घर पहुचने के बाद शन्नो ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और चेतन के सामने नंगी खड़ी होकर अपनी चूत
चुदवाने की इच्छा जताई मगर चेतन ने उसके मुँह पर उसको मना कर दिया और टीवी देखने लगा...
चेतन के मना करने पर शन्नो नहीं मानी और सोफे पे बैठके चेतन की गर्दन को चूमने लगी और अपना हाथ
चेतन की छाती पर चलाने लगी मगर चेतन ने उसे धक्का दे दिया और जाके अपने कमरे को लॉक करके बैठ गया....
भोपाल में शाम को डॉली के मोबाइल पर राज का कॉल आने लगा... डॉली अभी भी राज से गुस्सा होने
का नाटक कर रही थी और इसलिए हर बारी राज का फोन काटने लगी... मगर फिर राज ने मैसेज किया
"ठीक है बात नहीं करनी मुझे कोई और मिल गया ना... बाइ" ये पढ़के डॉली जल्दी से घर के बाहर गयी
और राज को फोन लगाया... राज ने काफ़ी रूठने का नाटक किया मगर फिर डॉली ने उसे मना ही लिया...
राज ने बोला "मैं कुच्छ नहीं जानता कल रात हम दोनो को एक पार्टी में जाना है"
डॉली ने पूछा "कौनसी पार्टी"
राज ने बोला "हैं एक हाउस पार्टी मेरे दोस्त के बर्तडे की तो हमे वहाँ जाना है.."
डॉली बोली "पागल हो गये हो पापा के रहते हुए मैं कैसे निकल सकती हूँ घर के बाहर??"
राज गुस्से में बोला "वो मैं नहीं जानता.. सब लड़के अपनी गर्ल फ्रेंड्स के साथ आ रहे है और मैं अकेला जाउन्गा
नहीं तो तुझे तो आना ही पड़ेगा"
इससे पहले डॉली राज को समझाती राज ने फोन काट दिया और फिर राज ने मैसेज करके उसको कहा
"मैं 9 बजे तक लेने आउन्गा तैयार रहना और नहीं आई तो मैं बात नहीं करूँगा
डॉली के सिर पे अब ये नयी परेशानी आ गयी थी... वो राज का दिल नहीं दुखानी चाहती और पापा से
क्या बहाना मारेगी ये उसको सूझ नहीं रहा था... रात को खाना खाने के बाद डॉली ने नारायण से
झिझकते हुए कहा "पापा मेरी एक सहेली है नाज़िया यही पे रहती है तो उसका निक़ाह होने जा रहा है कुच्छ
दिन में तो उसने अपनी सारी सहेलिओ को कल अपने घर पे बुलाया है एक पार्टी के लिए... और उसने मुझे
स्पेशली बोला है कि मैं आउ और सुबह ही घर वापस जाउ" नारायण ने बिना सोचे समझे झट से डॉली
को हां कह दिया.. शायद डॉली के उपर नारायण का भरोसा बोल रहा था और वो चाहता भी था कि उसके
बच्चे बाहर निकले और भोपाल में और अच्छे दोस्त बने... डॉली इतना खुश हो गयी और उसने
नारायण को गले लगा लिया मगर वो राज को और तरसना चाहती थी इसलिए उसे हां नहीं कहा...
क्रमशः…………………..
अब मस्ती में चेतन के तन्नाए हुए लंड को दबाने लगी.... चेतन का जुनून अब बेकाबू होने लगा था वो शन्नो के
ब्लाउस को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा ताकि वो एक दो हुक खोल सके... शन्नो ने बड़ी आसानी से अपने उल्टा हाथ से
ब्लाउस के नीचे के दो हुक्स को खोल दिया...ब्लाउस के हुक्स खोलते ही चेतन के हाथ शन्नो की ब्रा के अंदर घुस
गये और उन तरबूज़ो पे चींटी मारने लगे... शन्नो दर्द और मस्ती के मारे पागल हुई जा रही थी...
अब हाल ऐसा आ गया था कि बस के रुकने के वक़्त भी दोनो के हाथ चले जा रहे थे....
फिर शन्नो के कानो में आवाज़ आई " कहीं बाहर उतरते है... कितना लेगी तू??"
शन्नो एक दम से ठंडी पड़ गयी.... मगर उस बंदे के हाथ नहीं रुके... शन्नो ने घबराकर अपनी गर्दन
घुमाई तो देखा उसके पीछे एक 45-50 साल का आदमी खड़ा था और चेतन का कुच्छ पता नहीं था....
शन्नो के चेहरे का रंग उतर गया और उसने झट से अपना हाथ उस आदमी के लंड से हटाया और उस आदमी के गंदे हाथो को अपने जिस्म से हटा दिया.... घबराती हुई शन्नो भीड़ को चीरती हुई आगे बढ़ती रही और सबसे आगे जाके खड़ी हो गई...... उसने पीछे मूड के देखा तो उस आदमी और चेतन का कोई पता नहीं था...
उसका जब स्टॉप आया तो वो झिझकते हुए उतर गयी और पीछे वाले दरवाज़े से चेतन को उतरते देख उसकी बेचैनि दूर हो गयी.... चेतन उसकी तरफ गया और उसके कंधे पे हाथ डालकर सड़क पर चलने लगा...
शन्नो के दिमाग़ में केयी सारे सवाल घूम रहे थे जिसको पुछ्ने में उसको काफ़ी झिझक हो रही थी....
उसी ओर चेतन बिल्कुल बिंदास होकर सड़क पर चल रहा था.... चेतन ने एक ऑटो को रोका घर जाने के लिए और इस बारी जब शन्नो ऑटो के अंदर बैठने लगी तो उसने उस ऑटो वाले के सामने ही शन्नो की गान्डपर हल्के चॅटा मारा जिसको
ऑटो वाले ने आँखें फाड़ कर देखा...
ऑटो में चेतन का हाथ अभी भी शन्नो के कंधे पे था जैसे कि वो ये जताना चाहता था कि वो उसकी मा नहीं बल्कि
उसकी कोई प्रॉपर्टी है..... चेतन ने बिना ऑटो वाले का ध्यान करें बोला " बस में क्या चल रहा था??"
शन्नो ने चेतन की आँखों में देखा और फिर अपनी नज़रे नीचे करदी... फिर वो आहिस्ते से बोली "मुझे लगा था कि तुम हो'
चेतन बोला " झूठ मत बोलो.. देख रहा था कितने मज़े से आगे पीछे हो रहे थे तुम्हारे हाथ"
ये सुनके शन्नो ने चेतन को इशारे में चुप होने के लिए कहा.... चेतन ने शन्नो का उल्टा हाथ अपनी जीन्स के उपर रख दिया और उसे उपर नीचे करने को कहा उसके साथ ही चेतन ने शन्नो के पल्लू पे लगी पिन को खोल दिया जिसका शन्नो को एहसास नहीं हुआ.... शन्नो अपनी नज़रे झुकाए चेतन की जीन्स के नीचे जागते हुए लंड को सहलाए जा रही और चेतन राजा की तरह ऑटो पे बैठा रहा...
ऑटो वाले ने ऑटो को चेतन शन्नो के घर की गली के बाहर रोक दिया क्यूंकी अंदर ले जाने में दिक्कत आती....
दोनो मा बेटे उसमें उतरे और चेतन ने पूछा "कितना हुआ"
ऑटो वाले ने चेतन को देख के कहा कि "30 रुपय हो गये है..." ये कहकर उसने नज़र शन्नो की तरफ घुमाई जोकि ज़मीन
की तरफ नज़रे झुकाए हुई थी...
चेतन के चेहरे पे हल्की सी मुस्कान आई और वो बोला "हमारे पास पैसे तो नहीं है मगर किसी और तरीके से पैसे भर दे तो.."
ऑटो वाले ने चेतन को देख कर बोला "क्या मतलब??"
चेतन ने शन्नो की तरफ नज़र घुमाई और बड़ी चालाकी से उसकी सारी का पल्लू उसके कंधे से गिरा दिया....
शन्नो ने पल्लू संभालने की कोशिश करी चेतन ने उसका हाथ पकड़ लिया.... चेतन बोला "अगर चाहो तो पैसे के बदले तुम
इन बड़े मोटे मम्मो को अभी देख सकते हो "
जितनी हैरानी ये सुनके शन्नो को हुई उतनी हैरानी उस ऑटो वाले को भी हुई.... उसे समझ नहीं आया कि वो क्या बोले
बस उसने सिर हिलाते हुए हां कह दिया.... चेतन ने शन्नो के हाथ को आज़ाद किया मगर अपना हाथ उसके नितंब पे
ले गया और प्यार से सहलाने लग गया.... वो चाहता था कि शन्नो अपने आप ही अपनी नुमाइश करें और वैसे ही हुआ... शन्नो ने जल्दी से अपने ब्लाउस के नीचे के हुक्स को खोला और अपनी सफेद ब्रा को उपर करके खुल्ले में उस ऑटो वाले को अपने स्तनो को दिखा दिया.... उन तरबूज़ो को देख कर उस ऑटो वाले का गला सूख गया.... ऑटो वाले की ज़ुबान बड़ी मुश्क़िलो से चली और उसने कहा 'क्या मैं एक बारी इन्हे च्छू सकता हूँ"
चेतन ने शन्नो को वापस अपनी ब्रा उठाने को कहा और ऑटो वाले का काँपता हुआ हाथ शन्नो के सीधे स्तन को
दबाने लगा.... आख़िर में उसकी चुचि को छुता हुआ ऑटो वाले ने अपना हाथ शन्नो के मम्मे से हटा दिया और
शुक्रिया कहता हुआ वहाँ से चला गया.... शन्नो ने झट से अपने ब्लाउस के बटन लगाए और पल्लू ठीक करा.....
ये सब करके शन्नो के अंदर एक आग जागने लगी थी... सुबह से जीतने भी लोगो ने उसकी खूबसूरती को देखा था या फिर उसके हसीन बदन को छुआ था उसका हर एक एहसास उसके बदन में ज्वाला बनके जाग रहा था जिस बात का एहसास चेतन को भी था...
घर पहुचने के बाद शन्नो ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और चेतन के सामने नंगी खड़ी होकर अपनी चूत
चुदवाने की इच्छा जताई मगर चेतन ने उसके मुँह पर उसको मना कर दिया और टीवी देखने लगा...
चेतन के मना करने पर शन्नो नहीं मानी और सोफे पे बैठके चेतन की गर्दन को चूमने लगी और अपना हाथ
चेतन की छाती पर चलाने लगी मगर चेतन ने उसे धक्का दे दिया और जाके अपने कमरे को लॉक करके बैठ गया....
भोपाल में शाम को डॉली के मोबाइल पर राज का कॉल आने लगा... डॉली अभी भी राज से गुस्सा होने
का नाटक कर रही थी और इसलिए हर बारी राज का फोन काटने लगी... मगर फिर राज ने मैसेज किया
"ठीक है बात नहीं करनी मुझे कोई और मिल गया ना... बाइ" ये पढ़के डॉली जल्दी से घर के बाहर गयी
और राज को फोन लगाया... राज ने काफ़ी रूठने का नाटक किया मगर फिर डॉली ने उसे मना ही लिया...
राज ने बोला "मैं कुच्छ नहीं जानता कल रात हम दोनो को एक पार्टी में जाना है"
डॉली ने पूछा "कौनसी पार्टी"
राज ने बोला "हैं एक हाउस पार्टी मेरे दोस्त के बर्तडे की तो हमे वहाँ जाना है.."
डॉली बोली "पागल हो गये हो पापा के रहते हुए मैं कैसे निकल सकती हूँ घर के बाहर??"
राज गुस्से में बोला "वो मैं नहीं जानता.. सब लड़के अपनी गर्ल फ्रेंड्स के साथ आ रहे है और मैं अकेला जाउन्गा
नहीं तो तुझे तो आना ही पड़ेगा"
इससे पहले डॉली राज को समझाती राज ने फोन काट दिया और फिर राज ने मैसेज करके उसको कहा
"मैं 9 बजे तक लेने आउन्गा तैयार रहना और नहीं आई तो मैं बात नहीं करूँगा
डॉली के सिर पे अब ये नयी परेशानी आ गयी थी... वो राज का दिल नहीं दुखानी चाहती और पापा से
क्या बहाना मारेगी ये उसको सूझ नहीं रहा था... रात को खाना खाने के बाद डॉली ने नारायण से
झिझकते हुए कहा "पापा मेरी एक सहेली है नाज़िया यही पे रहती है तो उसका निक़ाह होने जा रहा है कुच्छ
दिन में तो उसने अपनी सारी सहेलिओ को कल अपने घर पे बुलाया है एक पार्टी के लिए... और उसने मुझे
स्पेशली बोला है कि मैं आउ और सुबह ही घर वापस जाउ" नारायण ने बिना सोचे समझे झट से डॉली
को हां कह दिया.. शायद डॉली के उपर नारायण का भरोसा बोल रहा था और वो चाहता भी था कि उसके
बच्चे बाहर निकले और भोपाल में और अच्छे दोस्त बने... डॉली इतना खुश हो गयी और उसने
नारायण को गले लगा लिया मगर वो राज को और तरसना चाहती थी इसलिए उसे हां नहीं कहा...
क्रमशः…………………..