hotaks444
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जब रज़िया बीबी घर के सहन में आई. तो देखा कि ज़ाहिद घर के दरवाज़े के पास खड़ा अपनी मोटर साइकल को स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था.
“आप क्यों बाहर चली आई अम्मी जान” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को अपने करीब आते देखा तो पूछने लगा.
“तुम्हारे स्कूल से कॉलेज जाने तक,में हमेशा एक माँ की हैसियत से तुम्हें घर के दरवाज़े से रुखसत करती रही हूँ, मगर अपने ही हाथों से पाले पोसे हुए अपने शोहर बेटे को आज में एक बीवी की हैसियत से रुखसत करने आई हूँ, मेरे मियाँ जीिइईईईईईईई” रज़िया बीबी ज्यों ही ज़ाहिद के नज़दीक हुई.
उस ने प्यार भरे अंदाज़ में ज़ाहिद के गले अपनी बहियाँ डालीं. और अपने जवान शोहर को अपनी बूढ़ी बाहों में ज़ोर से कसते हुए कहा.
“हाईईईईईईईई अगर आप ऐसी बातें करूँगी , तो किस कम बख़त का दिल नोकरी पर जाने को करे गा” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को उसी हालत में छोडा. और अपनी अम्मी के जिस्म से चिपकता हुआ रज़िया बीबी के लबों को चूमने लगा.
दोनो प्रेमियों का ये जोड़ा कुछ देर यूँ ही एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान को सक करता रहा.
जब कि इस दौरान रज़िया बीबी के हाथ ज़ाहिद की कमर के साथ साथ उस के लंड को मसल्ते और दबाते रहे.
और दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के मम्मो और चूत को अपने हाथ से छेड़ते हुए रज़िया बीबी की चूत की आग को मज़ीद भड़काता रहा.
इस से पहले कि ज़ाहिद का दिल बेईमान होता और वो नोकरी पर जाने का इरादा टाल देता. कि उस के फोन की बेल बंज उठी.
ज़ाहिद ने फॉरन रज़िया बीबी से अलग होते हुए अपना फोन चेक किया. तो इस बार फोन डीएसपी साब का था. जो ज़ाहिद को जल्द अज जल्द अपने ऑफीस आने का कह रहे थे.
फोन को बंद करते ही ज़ाहिद ने एक बार फिर अपनी अम्मी को अपने गले से लगा कर एक ज़ोर दार चुम्मि ली. और फिर मोटर साइकल पर बैठ कर अपनी नोकरी पर रवाना हो गया.
उस रोज़ शाज़िया अपनी सोतन अम्मी को उस के सैयाँ ज़ाहिद का नाम ले ले कर उसी तरह तंग करती रही.
जिस तरह शाज़िया की ज़ाहिद के साथ सुहाग रात के बाद रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को तंग किया था.
और रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया के ज़ू महनी जुमलों से महज़ूज़ और गरम होते हुए अपने घर के काम काज में मसरूफ़ रही.
अभी ज़ाहिद को घर से गये हुए चन्द ही गहनते गुज़रे होंगे . कि रज़िया बीबी की चूत की आग ने उस की शलवार में फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ अभी तो सिर्फ़ सुबह के दस बजे हैं, जब कि ज़ाहिद तो शाम से पहले नही लोटे गा” ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए बे चैन होते हुए रज़िया बीबी ने कमरे में लगे वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए सोचा.और अपनी गरम चूत को अपने हाथ से तसल्ली देते हुए फिर अपने कामों में मसरूफ़ हो गई.
घर के सहन की सफाई के दोरान रज़िया बीबी ने आसमान की तरफ देखा. तो आसमान को बादलों से भरा हुआ देख कर रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया.“ लगता है आज ज़रूर बारिश हो गी”.
रज़िया बीबी फिर अपने काम में मसरूफ़ हो गई. मगर काम काज कर दोरान रज़िया बीबी की नज़र बदस्तूर वॉल क्लॉक की तरफ जा रही थी.
“आज बार बार घड़ी की तरफ देखे जा रहीं हैं, ख़ैरियत तो है ना छोटी बेगम” अपनी अम्मी की बे चेनी को समझते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी को छेड़ा.
“तुम खूब जानती हो मेरी बे चैनि की वजह,तो फिर क्यों बिना वजह मुझे तंग करती हो शाज़िया”अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने बे शर्मी शलवार के उपर से अपनी चूत को मसलते हुए कहा.
“अगर इतनी ही आग लगी है,तो ज़ाहिद को वापिस घर बुला कर इस सुहाने मोसम का मज़ा लो आप” अपनी अम्मी की हरकत पर महज़ोज़ होते हुए शाज़िया ने बादलों की तरफ इशारा किया. जो अब किसी भी लम्हे बरसने को तैयार थे.
“सच पूछो तो दिल मेरा भी ये ही चाह रहा है,अच्छा में अभी अपने जानू को कॉल मिलाती हूँ” शाज़िया की बात से अग्री करते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को कॉल कर दी.
“ख़ैरियत है ना” ज़ाहिद ने फोन का जवाब देते ही अपनी अम्मी से पूछा.
“बहुत खूब मेरी सोई हुई फुद्दि के जज़्बात को अपने लंड से जगा कर पूछते हो ख़ैरियत है” ज़ाहिद के सवाल पर रज़िया बीबी ने नकली गुस्सा करते हुए कहा.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी जल्दी से बताएँ, क्या बात है, क्यों कि मेरे पास टाइम नही है अभी” ज़ाहिद इस वक्त वाकई ही अपने किसी सरकारी काम में बिजी होने की वजह से अपनी अम्मी से ज़्यादा बात नही कर सकता था. इसीलिए वो थोड़ा झुंझलाते हुए अपनी अम्मी से बोला.
“आज ज़रा जल्दी घर आ जाओ ना,देखो मोसम कितना सुहाना हो रहा है,मेरे राजा” ज़ाहिद के रवैये को नज़र अंदाज़ करते हुए रज़िया बीबी ने बहुत प्यार से अपने बेटे से फरमाइश की.
“नही में जल्दी नही आ सकूँ गा आज, मजबूरी है” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को रूखा सा जवाब दिया.
“आप क्यों बाहर चली आई अम्मी जान” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को अपने करीब आते देखा तो पूछने लगा.
“तुम्हारे स्कूल से कॉलेज जाने तक,में हमेशा एक माँ की हैसियत से तुम्हें घर के दरवाज़े से रुखसत करती रही हूँ, मगर अपने ही हाथों से पाले पोसे हुए अपने शोहर बेटे को आज में एक बीवी की हैसियत से रुखसत करने आई हूँ, मेरे मियाँ जीिइईईईईईईई” रज़िया बीबी ज्यों ही ज़ाहिद के नज़दीक हुई.
उस ने प्यार भरे अंदाज़ में ज़ाहिद के गले अपनी बहियाँ डालीं. और अपने जवान शोहर को अपनी बूढ़ी बाहों में ज़ोर से कसते हुए कहा.
“हाईईईईईईईई अगर आप ऐसी बातें करूँगी , तो किस कम बख़त का दिल नोकरी पर जाने को करे गा” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को उसी हालत में छोडा. और अपनी अम्मी के जिस्म से चिपकता हुआ रज़िया बीबी के लबों को चूमने लगा.
दोनो प्रेमियों का ये जोड़ा कुछ देर यूँ ही एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान को सक करता रहा.
जब कि इस दौरान रज़िया बीबी के हाथ ज़ाहिद की कमर के साथ साथ उस के लंड को मसल्ते और दबाते रहे.
और दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के मम्मो और चूत को अपने हाथ से छेड़ते हुए रज़िया बीबी की चूत की आग को मज़ीद भड़काता रहा.
इस से पहले कि ज़ाहिद का दिल बेईमान होता और वो नोकरी पर जाने का इरादा टाल देता. कि उस के फोन की बेल बंज उठी.
ज़ाहिद ने फॉरन रज़िया बीबी से अलग होते हुए अपना फोन चेक किया. तो इस बार फोन डीएसपी साब का था. जो ज़ाहिद को जल्द अज जल्द अपने ऑफीस आने का कह रहे थे.
फोन को बंद करते ही ज़ाहिद ने एक बार फिर अपनी अम्मी को अपने गले से लगा कर एक ज़ोर दार चुम्मि ली. और फिर मोटर साइकल पर बैठ कर अपनी नोकरी पर रवाना हो गया.
उस रोज़ शाज़िया अपनी सोतन अम्मी को उस के सैयाँ ज़ाहिद का नाम ले ले कर उसी तरह तंग करती रही.
जिस तरह शाज़िया की ज़ाहिद के साथ सुहाग रात के बाद रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को तंग किया था.
और रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया के ज़ू महनी जुमलों से महज़ूज़ और गरम होते हुए अपने घर के काम काज में मसरूफ़ रही.
अभी ज़ाहिद को घर से गये हुए चन्द ही गहनते गुज़रे होंगे . कि रज़िया बीबी की चूत की आग ने उस की शलवार में फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ अभी तो सिर्फ़ सुबह के दस बजे हैं, जब कि ज़ाहिद तो शाम से पहले नही लोटे गा” ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए बे चैन होते हुए रज़िया बीबी ने कमरे में लगे वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए सोचा.और अपनी गरम चूत को अपने हाथ से तसल्ली देते हुए फिर अपने कामों में मसरूफ़ हो गई.
घर के सहन की सफाई के दोरान रज़िया बीबी ने आसमान की तरफ देखा. तो आसमान को बादलों से भरा हुआ देख कर रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया.“ लगता है आज ज़रूर बारिश हो गी”.
रज़िया बीबी फिर अपने काम में मसरूफ़ हो गई. मगर काम काज कर दोरान रज़िया बीबी की नज़र बदस्तूर वॉल क्लॉक की तरफ जा रही थी.
“आज बार बार घड़ी की तरफ देखे जा रहीं हैं, ख़ैरियत तो है ना छोटी बेगम” अपनी अम्मी की बे चेनी को समझते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी को छेड़ा.
“तुम खूब जानती हो मेरी बे चैनि की वजह,तो फिर क्यों बिना वजह मुझे तंग करती हो शाज़िया”अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने बे शर्मी शलवार के उपर से अपनी चूत को मसलते हुए कहा.
“अगर इतनी ही आग लगी है,तो ज़ाहिद को वापिस घर बुला कर इस सुहाने मोसम का मज़ा लो आप” अपनी अम्मी की हरकत पर महज़ोज़ होते हुए शाज़िया ने बादलों की तरफ इशारा किया. जो अब किसी भी लम्हे बरसने को तैयार थे.
“सच पूछो तो दिल मेरा भी ये ही चाह रहा है,अच्छा में अभी अपने जानू को कॉल मिलाती हूँ” शाज़िया की बात से अग्री करते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को कॉल कर दी.
“ख़ैरियत है ना” ज़ाहिद ने फोन का जवाब देते ही अपनी अम्मी से पूछा.
“बहुत खूब मेरी सोई हुई फुद्दि के जज़्बात को अपने लंड से जगा कर पूछते हो ख़ैरियत है” ज़ाहिद के सवाल पर रज़िया बीबी ने नकली गुस्सा करते हुए कहा.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी जल्दी से बताएँ, क्या बात है, क्यों कि मेरे पास टाइम नही है अभी” ज़ाहिद इस वक्त वाकई ही अपने किसी सरकारी काम में बिजी होने की वजह से अपनी अम्मी से ज़्यादा बात नही कर सकता था. इसीलिए वो थोड़ा झुंझलाते हुए अपनी अम्मी से बोला.
“आज ज़रा जल्दी घर आ जाओ ना,देखो मोसम कितना सुहाना हो रहा है,मेरे राजा” ज़ाहिद के रवैये को नज़र अंदाज़ करते हुए रज़िया बीबी ने बहुत प्यार से अपने बेटे से फरमाइश की.
“नही में जल्दी नही आ सकूँ गा आज, मजबूरी है” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को रूखा सा जवाब दिया.