Incest Porn Kahani माँ बनी सास - Page 8 - SexBaba
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Incest Porn Kahani माँ बनी सास

शाज़िया को उस के मसेज का रिप्लाइ करने के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को मसेज किया. और उस से शाज़िया के मसेज का ज़िक्र किए बगैर शाम को मिलने की ख्वाहिश ज़ाहिर की. 

ज़ाहिद के मेसेज के जवाब में नीलोफर ने फॉरन शाम को उसे मिलने का वादा कर लिया.

फिर ज़ाहिद बाथरूम से निकला और अपनी अम्मी को ले कर झेलम लौट आया.

शाम को नीलोफर अपने भाई जमशेद के साथ ज़ाहिद से मिली. तो ज़ाहिद ने उसे शाज़िया की भेजी हुई फोटो दिखाते हुए पूछा “ नीलोफर तुम ने तो मुझे कहा था कि शाज़िया नही मानी तो ये क्या है”.

“ वॉवववव ज़ाहिद तुम्हारी बहन तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली,मुझे तुम से कोई बात ना करने का कह कर, अब खुद ही उस ने अपनी गरम तस्वीर तुम को सेंड कर दी यार”नीलोफर ने अपनी सहेली की नीम नंगी तस्वीर को देख कर खुश होते हुए ज़ाहिद से कहा.

“हां निलो, मगर अफ़सोस इस बात का ये है कि अब उस की वापसी तक अपने लंड को हाथ में थाम कर बैठना पड़े गा मुझे यार” ज़ाहिद ने नीलोफर और जमशेद के सामने अपनी शलवार में खड़े लंड पर अपना हाथ फेरते हुए कहा.

“कोई बात नही जानू,एक हफ्ते तक अपने लंड के पानी को अपनी बहन की गरम और प्यासी चूत के लिए संभाल कर रखो,और उस के वापिस आते ही एरपोर्ट पर ही उस की प्यासी फुद्दि में अपना गरम पानी डाल देना” नीलोफर ने हँसते हुए ज़ाहिद से कहा.

“वो तो ठीक है मगर में एक और बात सोच रहा हूँ यार” ज़ाहिद ने नीलोफर के मज़ाक को नज़र अंदाज़ कर के उस से कहा.

“वो क्या” नीलोफर और जमशेद ने एक साथ ज़ाहिद की तरफ देखते हुए पूछा.

“वो ये कि मुझे पता है कि एक बार अपनी बहन की फुद्दि लेने के बाद मेरा उस से अलग रहना मुहाल हो जाए गा” ज़ाहिद ने जवाब दिया.

“तो इस में ऐसी कौन सी बात है,तुम्हारी बहन और तुम एक ही घर में रहते हो,तो मोका मिलने पर अपनी बहन की फुद्दि मार लिया करना” इस बार जमशेद ने ज़ाहिद को सलाह देते हुए कहा.

“ ये ही तो मसला है ना यार, मुझे पता है कि एक बार की चुदाई के बाद मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहे गा, और में तुम्हारी तरह छुप छुप और घुट घुट कर अपने लंड की प्यास बुझाने का आदि नही हूँ,इसीलिए अम्मी के होते हुए हर वक्त पकड़े जाने के डर से खुल कर चुदाई का मज़ा क्या खाक आएगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब दिया.

“अच्छा फिर तुम खुल कर बताओ कि तुम क्या चाहते हो आख़िर” नीलोफर ने ज़ाहिद की बात को ना समझते और उस की बातों पर झुंझलाते हुए ज़ाहिद से पूछा.

“निलो बात ये है कि असल में, में अपनी बहन शाज़िया से शादी कर के उस को अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ” ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर की तरफ देखते हुए अपनी हैवानी ख्वाहिश का इज़हार कर दिया.

“अनोखा लाड़ला खेलन को माँगे चाँद रे” वाले गाने के बोलों की तरह ज़ाहिद की ये फरमाइश भी बहुत ही अनोखी और अजीब थी. 

इसीलिए ज़ाहिद की ये बात सुन कर जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ निकला“क्याआआआआ”.

जमशेद और नीलोफर दोनो के लिए ज़ाहिद की कही हुई ये बात बहुत की अनोखी थी.इसीलिए ज़ाहिद की बात सुन कर कमरे में थोड़ी देर के लिए खामोशी सी छा गई.और नीलोफर और जमशेद दोनो ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे ज़ाहिद पागल हो गया हो.

“ज़ाहिद होश में तो हो तुम, ये सब कैसे मुमकिन है यार” नीलोफर ने थोड़ी देर बाद खामोशी तोड़ते हुए बहुत ही जोशीले अंदाज़ में ज़ाहिद से कहा.

“अगर इंसान चाहे तो कुछ भी ना मुमकिन नही. तुम दोनो का आपस में मिलन भी तो एक ना मुमकिन बात थी. मगर जब जमशेद ने कोशिश की तो उस ने ना मुमकिन को मुमकिन बनाया ना.” ज़ाहिद नीलोफर की बात का जवाब देते हुए बोला.

“ यार मगर हम ने आपस में शादी तो नही की ना” ज़ाहिद की बात सुन कर नीलोफर ने उसे कहा.

“जब तुम दोनो ने बहन भाई होते हुए एक दूसरे को चोद लिया, तो तुम दोनो बहन भाई और एक मियाँ बीवी में क्या फ़र्क रह गया.शादी के बाद एक मियाँ बीवी भी ये ही काम करते हैं, जो तुम दोनो बहन भाई कर चुके हो” ज़ाहिद नीलोफर की बात के जवाब में अपनी दलील देते हुए बोला.

“मगर फिर भी हम ने आपस में शादी तो नही की ना,जब कि तुम अपनी ही बहन से शादी करने पर तुले हुए हो”. नीलोफर ने ज़ाहिद को समझाने वाले अंदाज़ में कहा.

“तो कर लो ना शादी तुम दोनो भी,तुम्हें रोका किस ने है यार”. ज़ाहिद ने फिर नीलोफर को जवाब दिया.

“ज़ाहिद लगता है कि तुम्हारा दिमाग़ चल गया है, ये कैसे हो स्कता है कि में और जमशेद भाई और तुम और शाज़िया आपस में शादी कर लो, मुझे तो तुम्हारी किसी बात की समझ नही आ रही” नीलोफर ने गुस्से से चिल्लाते हुए ज़ाहिद से कहा.

“में पागल और बेवकूफ़ नही, इसीलिए ज़रा गौर से मेरी बात सुनो” ज़ाहिद ने नीलोफर के गुस्से भरे लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए कहा.

“अच्छा सुनाओ मिस्टर अकल्मंद” नीलोफर ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उसे कहा.
 
“में चाहता हूँ कि तुम अपने शोहार से तलाक़ ले कर मुझ से शादी कर लो, और शाज़िया की शादी तुम्हारे भाई जमशेद से हो जाय. शादी के बाद तुम दोनो हमारे घर की ऊपर वाली मंज़ल पर शिफ्ट हो जाना. हमारे दरमियाँ ये शादी सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए पेपर्स की हद तक ही होगी.जब कि अपने घर में तुम अपने भाई की बीवी बन कर उस के साथ रात बसर करना, जब कि मेरी बहन शाज़िया मेरी बीवी बन कर दिन रात मेरा बिस्तर गरम करे गी”. ज़ाहिद ने बड़े आराम और होसले से अपना सारा प्लान उन दोनो बहन भाई के सामने खोल कर रख दिया.

जमशेद और नीलोफर ज़ाहिद का प्लान सुनते ही मुँह फाड़ कर ज़ाहिद को देखने लगे और फिर जमशेद दूसरी बार ज़ाहिद और अपनी बहन नीलोफर की बात चीत में हिस्सा लेते हुआ बोला “ तुम्हारे ख्याल में ये इतना आसान काम है ज़ाहिद, तुम ने अपनी अम्मी के बारे में नही सोचा अगर उन को पता चल गया तो क्या हो गा”

“तो में ये काम अपनी ही अम्मी की इजाज़त और रज़ा मंदी ले कर ही करूँगा मेरी जान” ज़ाहिद ने जमशेद के सवाल पर मुस्कुराते हुए उसे जवाब दिया.

ज़ाहिद की ये बात सुन कर भी नीलोफर और जमशेद ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे वाकई ही ज़ाहिद का दिमाग़ चल गया हो.

“ज़ाहिद मुझे तो लगता है कि या तो तुम्हारे दिमाग़ के स्क्रू ढीले हैं, या तुम ने आज शराब पी हुई है, जो ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो” अपनी सग़ी बहन को अपनी अम्मी के सामने ही अपनी बीवी बना कर रखने वाली ज़ाहिद की बात पर नीलोफर ने चीखते हुए उस से कहा.

“निलो ना तो मेने पी है, ना ही में पागल हूँ.में जो भी बात कह रहा हूँ वो बहुत होश-ओ-हवास में रहते हुए कह रहा हूँ. और में चाहता हूँ कि तुम हमारे घर आ कर मेरी अम्मी से मेरे लिए मेरी बहन शाज़िया का रिश्ते माँगो”. ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर पर हैरत का एक और प्रहार करते हुए उन से कहा.

जमशेद और नीलोफर के मुँह ज़ाहिद की बातें सुन सुन कर पहले ही खुल चुके थे. और अब उस की ये बात सुन कर उन दोनो के चेहरो के रंग फक हो गये.

“मगर तुम्हारी अम्मी कैसे अपने ही सेगे बेटे की शादी अपनी ही सग़ी बेटी के साथ होने पर तैयार हो जाएँगी ज़ाहिद”.नीलोफर ने हैरत जदा लहजे में ज़ाहिद से सवाल किया.

“ये तुम मुझ पर छोड़ दो,बस तुम मेरी बताई हुई बात पर अमल करो.” ज़ाहिद ने नीलोफर की अपनी बात समझाते हुए कहा.

वैसे तो नीलोफर का दिल ज़ाहिद की किसी बात को कबूल करने पर तैयार नही थी.मगर फिर भी ना जाने क्यों उस ने ज़ाहिद के कॉन्फिडेन्स को देखते हुए उस की बात पर अमल करने की हामी भर ली.

नीलोफर ने ज़ाहिद के प्लान पर अमल करने पर अपनी रज़ा मंदी ज़ाहिर की. तो ज़ाहिद ने नीलोफर के हाथ में एक बंद लिफ़ाफ़ा (एन्वेलप) देते हुए दोनो बहन भाई को आहिस्ता आहिस्ता उस की अम्मी रज़िया बीबी से मुलाकात और बात चीत करने का आइडिया दे दिया.

जमशेद और नीलोफर ज़ाहिद से उस का दिया हुआ एन्वेलप ले कर वापिस अपने अपनी घर चले आए.

फिर अपने घर वापिस आने के बाद उसी रात नीलोफर ने शाज़िया को फोन मिला.

नीलोफर ज़ाहिद के बताए हुए प्लान पर अमल करने से पहली शाज़िया से इस बारे में बात करना चाहती थी. मगर नीलोफर को शाज़िया के दोनो नंबर्स बंद मिले.जिस वजह से नीलोफर की शाज़िया से बात ना हो सकी. 

ज़ाहिद ने नीलोफर को सख्ती से इस बात की हिदायत की थी. कि वो हर सूरत में अगले दिन ज़ाहिद के घर आ कर उस की अम्मी से मिले.

अपनी सहेली से बात करने में नाकामी के बाद नीलोफर ने फिर ठंडे दिल से ज़ाहिद की कही हुई बातों के मुतलक सोचा.तो नज़ाने क्यों उसे अब ज़ाहिद की कही हुई सब बातें अच्छी लगने लगीं थी.

असल में हक़ीकत ये थी. कि अपनी शादी के एक साल बाद अपने ही भाई जमशेद से अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने की वजह से नीलोफर की जिस्मानी ज़रूरत तो पूरी हो रही थी. मगर अपने शोहर की अरबी औरत से दूसरी शादी की वजह से नीलोफर को ये बात समझ आ चुकी थी. कि उस का शोहर ना तो उस को अपने पास मसकॅट बुलाए गा और ना ही अब कभी खुद पाकिसान वापिस लोटे गा.

इस सूरते हाल में नीलोफर का दिल अपने शोहर के साथ गुज़ारा करने पर पहले ही राज़ी नही था. मगर उस को समझ नही आ रही थी कि वो इन हालत में करे तो क्या करे.

और अब ज़ाहिद की तजवीज़ पर गौर करते हुए नीलोफर को यकीन हो गया.कि अगर ज़ाहिद का बताया हुआ प्लान कामयाब हो गया. तो अपने शोहर से छुटकारा पाने के बाद नीलोफर अपनी बाकी की जिंदगी बिना किसी ख़ौफ़ और डर के अपने भाई की बाहों में बसर कर सकती है.ये बात सोच कर नीलोफर का दिल बाग बाग हो गया.

नीलोफर अभी अपनी इन्ही बातों में गुम थी कि इत ने में उस के शोहर का मसकॅट से फोन आ गया.

नीलोफर का अपने शोहर से उस की दूसरी शादी की वजह से मनमुटाव तो पहले ही चल रहा था. और फिर ज़ाहिद की बात को ज़हन में रखते हुए नीलोफर ने आज अपने शोहर से फोन पर लड़ाई के दौरान तलाक़ का मोतलबा कर दिया.

अपनी बीवी के मुँह से तलाक़ का मुतालबा सुन कर नीलोफर के शोहर को कोई हैरत ना हुई.और उस ने भी गुस्से में नीलोफर को बता दिया कि अगले चन्द दिनो में वो उसे तलाक़ के पेपेर्स मैल कर देगा .

असल में नीलोफर का शोहर तो अब खुद भी ये ही चाहता था. कि किसी तरह वो भी नीलोफर से छुटकारा हासिल कर ले.

अपने शोहर से लड़ाई के बाद नीलोफर ने गुस्से में अपना समान पॅक किया और जमशेद को बुला कर अपने भाई के साथ अपने माँ बाप के घर चली आई.
 
अपने अम्मी अब्बू के घर आ कर नीलोफर ने उन को सारी बात बताई. तो नीलोफर के अब्बू ने उसे धमकी दी कि अगर तुम ने अपने शोहर से तलाक़ ली तो हमारे साथ तुम्हारा जीना मरना ख़तम हो जाएगा. 

अगर आम हालत होते तो नीलोफर अपने अब्बू की ये बात सुन कर अपने शोहर से तलाक़ के मुतलबे से दुस्त बदर हो जाती. मगर अब हर रात अपने भाई के लंड को अपनी चूत में डलवा कर सोने के तसव्वुर ने नीलोफर के दिल से सब ख़ौफ़ ख़तम कर दिया था. इसीलिए अब उसे किसी की भी कोई परवाह नही रही थी.

दूसरे दिन सुबह सवेरे नीलोफर ने ज़ाहिद की अम्मी को फोन मिलाया. 

ज्यों ही रज़िया बीबी ने फोन आन्सर किया तो नीलोफर बोली “ आंटी में नीलोफर बोल रही हूँ”.

“हां बेटी केसी हो तुम” रज़िया बीबी ने नीलोफर से पूछा.

“आंटी मुझे पता है शाज़िया कराची गई हुई है,मगर में आप से मिलने आप के घर आना चाह रही थी”. नीलोफर ने रज़िया बीबी से कहा.

“बेटी ये तुम्हारा अपना घर है जब चाहो आ जाओ” नीलोफर की बात के जवाब में रज़िया बीबी ने कहा.

“अच्छा में आज शाम को आप से आ कर मिलती हूँ” नीलोफर ने रज़िया बीबी को बताया.

रज़िया बीबी से टाइम सेट करने के बाद नीलोफर ने फिर शाज़िया को फोन मिलाया.मगर इस बार भी उसे शाज़िया के दोनो नंबर्स ऑफ मिले.

जिस पर नीलोफर को बहुत गुस्सा आया मगर वो इस के अलावा कर भी क्या सकती थी.इसीलिए नीलोफर ने ज़ाहिद को टेक्स्ट कर के उसे उस की अम्मी से शाम की मुलाकात के बारे इत्तला कर दी.

शाम के वक्त नीलोफर अपने भाई जमशेद को साथ ले कर बहुत ही डरते हुए दिल और काँपती टाँगों के साथ रज़िया बीबी के सामने उन के ड्राइंग रूम में आन बैठी.

चाय पीने और इधर उधर की बातों के दौरान जमशेद और खास तौर पर नीलोफर के जिस्म से पसीना बह कर उस के मलमल के कपड़ों को भिगो रहा था.

रज़िया बीबी ने नीलोफर के गुफ्तागॉ और बैठने के अंदाज़ से महसूस कर लिया कि आज नीलोफर उस से कोई खास बात करने आई है. मगर ना जाने क्यों नीलोफर को उस से बात करने का होसला नही हो रहा.

“अच्छा बताओ क्या बात करनी थी तुम ने मुझ से नीलोफर” रज़िया बीबी ने अपना चाय का कप टेबल पर रखते हुए नीलोफर से पूछा.

“वूओ वूओ असल में कुछ खास बात नही थी,वैसे ही आप से मिलने को दिल चाह रहा था,इसीलिए चली आई” रज़िया बीबी की बात सुन कर नीलोफर चाहने के बावजूद कुछ ना बोल पाई और उस की ज़ुबान उस का साथ छोड़ने लगी.

“कुछ तो बात है जो तुम मुझ से कहना चाह रही हो मगर कह नही पा रही” रज़िया बीबी ने नीलोफर को इस तरह नर्वस होता देख कर कहा.

“वो असल में आंटी बात ये है कि हम लोग आप के बेटे ज़ाहिद के कहने पर आप की बेटी शाज़िया और बेटे ज़ाहिद की शादी के लिए रिश्ता ले कर आए हैं” जब जमशेद ने अपनी बहन नीलोफर को रज़िया बीबी से बात करने में हिचकते हुए महसूस किया तो वो खुद बोल उठा.

जमशेद की बात सुन कर नीलोफर और रज़िया बीबी दोनो ने हैरान होकर जमशेद की तरफ देखा. 

नीलोफर को हैरत इस बात पर हुई कि जिस बात को वो शाज़िया की अम्मी के सामने कहने से डर रही थी. आख़िर कार उस के भाई ने उस से पूछे बिना कह दी.

जब कि रज़िया बीबी को हैरत इस बात पर हुई कि शाज़िया तो उसे अपनी शादी का खुद बोल कर कह चुकी थी. मगर एक तरफ तो ज़ाहिद शादी के लिए राज़ी भी नही हो रहा था.और दूसरी तरफ जमशेद और नीलोफर के ज़रिए अपने और अपनी बहन की शादी के रिश्ते की बात भी अपनी अम्मी तक पहुँचा रहा है.

“शाज़िया की शादी की बात तो समझ आती है, मगर ज़ाहिद???” रज़िया बीबी ने सवालिया नज़रों से नीलोफर और जमशेद की तरफ देखते हुए कहा.

“ऊऊऊऊ जीिइईई ज़ाहिद भाई ने हम दोनो को आप से बात करने को कहा है” रज़िया बीबी की बात का नीलोफर ने फिर डरते डरते जवाब दिया.

रज़िया बीबी तो खुद कब से अपने बेटे की शादी की मुन्तिजर थी.

उस का दिल चाहता था कि उस का बेटा जल्दी से इस घर में उस की बहू को ले आए.और अपनी अम्मी को जल्द अज जल्द दादी बनाए ,ताकि वो अपने पोते पोतियों को अपनी गोद में खिला सके.

इसीलिए आज नीलोफर के मुँह से अपने बेटे ज़ाहिद की शादी की बात सुन कर रज़िया बीबी दिल ही दिल में खुशी से झूम उठी.

“ये तो तुम लोगों ने मुझे बहुत अच्छी खबर बताई है,अच्छा अब मुझे जल्दी से बताओ कि, कौन हैं वो लड़का और लड़की जिन का रिश्ता ज़ाहिद के कहने पर लाए हो तुम लोग” रज़िया बीबी ने खुश होते हुए नीलोफर और जमशेद से सवाल किया.

“वो लड़का और लड़की भी ज़ाहिद और शाज़िया की तरह आपस में बहन भाई है आंटी” नीलोफर ने रज़िया बीबी को बताया.

शाज़िया की अम्मी से बात करते करते अब नीलोफर की घबड़ाहट पहले की मुक़ाबले अब थोड़ी कम हो चुकी थी.
 
“ये तो अच्छा बात है, वैसे कौन है ये लोग,क्या करते हैं,ज़ाहिद इन को कैसे जानता है और उन दोनो की कोई फोटो भी मुझे दिखो ना” रज़िया बीबी ने एक ही साँस में काफ़ी सारे सवाल कर दिए.

“वो असल में आंटी हो सकता है आप को ये बात बुरी लगे, मगर हक़ीकत ये है कि ज़ाहिद भाई इस लड़की से प्यार करते है और उस से शादी करना चाहते है.जब कि मेरी सहेली शाज़िया भी इस लड़के को पसंद करती है” नीलोफर ने रज़िया बीबी पर आघात करते हुए कहा.

रज़िया बीबी के लिए नीलोफर की कही हुई ये बात हक़ीकत में एक आघात ही था. जिस को सुन कर वो हैरत जदा हो गई.

“ज़ाहिद और शाज़िया किसी को पसंद करते हैं और मुझे इस बात का ईलम ही नही” रज़िया बीबी ने हेरान होते हुए कहा.

“जी आंटी असल में इतने बड़े हो कर भी आप के बच्चे आप से शरमाते हैं ना,इसीलिए आप से उननो के कभी इस बात का ज़िक्र नही किया” इस बार जमशेद ने रज़िया बीबी की बात का जवाब दिया.

“अच्छा लड़के की उम्र किया है, वो जॉब क्या करता है और मुझे उन दोनो की तस्वीर तो दिखाओ ना” रज़िया बीबी ने अपना पहले वाला सवाल फिर दोहराया.

“आंटी लड़का तकरीबन 33 या 34 साल का हो गा, पोलीस मे मुलाज़िम है और उन दोनो की फोटो कार में पड़ी हैं में अभी ले कर आया” जमशेद ने जवाब दिया और ड्राइंग रूम से निकल कर बाहर गाड़ी की तरफ चल पड़ा.

“नीलोफर ये तो अच्छा है कि लड़के की वो ही उमर है जैसे ज़ाहिद और शाज़िया की ख्वाहिश है और पोलीस में होने की वजह से ज़ाहिद भी उस को अच्छा तरह जानता ही हो गा” जमशेद के जाने के बाद रज़िया बीबी ने नीलोफर से खुशी का इज़हार करते हुए कहा.

“जी आंटी ज़ाहिद भाई इस लड़के को अच्छी तरह जानते हैं और उन्होने खुद अपनी बहन के लिए ये लड़का पसंद किया है” नीलोफर ने आंटी रज़िया की बात का जवाब दिया.

“ये लो आंटी इस लिफाफे में उन दोनो बहन भाई की तस्वीरे हैं, जिन को आप के बच्चे ना सिर्फ़ पसंद करते हैं बल्कि शिद्दत से इन से शादी के ख्वाहिश मंद भी हैं,आप ये फोटो देखें और अब हम चलते हैं” जमशेद ने ड्राइंग रूम में एंटर होते ही बंद लिफ़ाफ़ा रज़िया बीबी के हाथ में थमाया और अपनी बहन नीलोफर को उठने का इशारा किया. जिस के साथ ही दोनो बहन रज़िया बीबी को खुदा हाफ़िज़ कह कर तेज़ी से घर से बाहर निकल आए.

जमशेद और उस की बहन नीलोफर को अलविदा करते हुए रज़िया बीबी बहुत खुश थी.कि आज ना सिर्फ़ उस की बेटी शाज़िया की ख्वाहिश के मुताबिक एक जवान मर्द का रिश्ता उस के लिए आ गया था. बल्कि ज़ाहिद भी आख़िर शादी कर के अपना घर बसाने पर रज़ा मंद हो चुका था. और वो भी ऐसे लड़के,लड़की से जो शाज़िया और ज़ाहिद की तरह आपस में बहन भाई थे और एक दूसरे को पसंद भी करते थे.

इसी बात पर खुस होते रज़िया बीबी ने जल्दी से लिफ़ाफ़ा खोला और उस में पड़ी हुई दो कलर फोटो को देख कर रज़िया बीबी हैरान हुई.

जमशेद ने जो लोफ़ाफ़ा रज़िया बीबी को दिया था. वो असल में वो ही एनवोलप था जो ज़ाहिद ने नीलोफर को एक दिन पहले दिया था. और उस में दोनो तस्वीरे किसी और की नही बल्कि ज़ाहिद और शाज़िया की अपनी तस्वीरे थी. 

आज इन ही फोटो के ज़रिए ज़ाहिद ने अपनी सग़ी बहन से शादी के लिए अपना रिश्ता अपनी ही सग़ी अम्मी को भिजवा दिया था.

अपने ही बेटे और बेटी की तस्वीर एँवलोप से बरामद होते देख कर पहले रज़िया बीबी को कुछ समझ में ना आया कि ये सब किया है. 

फिर जब फोटो को देखते देखते रज़िया बीबी के कानों में नीलोफर और जमशेद के कहे हुए अल्फ़ाज़ की आवाज़ दुबारा आने लगी कि “ लड़का 33 साल का है,पोलीस में है ,दोनो लड़का और लड़की आपस में बहन भाई हैं और एक दूसरे को पसंद भी करते हैं इसी लिए वो आपस में शादी के ख्वाइश मंद है” तो नीलोफर और जमशेद की कही हुई इन सब बातों को ज़हन में दोहराते हुए रज़िया बीबी को सारा मामला समझ में आ गया.

रज़िया बीबी को आज अपनी ही सग़ी बेटी के लिए अपने ही सगे बेटे का रिश्ता आया था. 

और इस बात को जानते और समझते हुए रज़िया बीबी पर हैरत का पहाड़ टूट पड़ा और घबड़ाहट के मारे उस का दिल डोलने लगा

रज़िया बीबी अपने हाथ में पकड़ी अपने बच्चो शाज़िया और ज़ाहिद की फोटो को देखते हुए इंतिहाई गुस्से में आ गई. और उस ने जल्दी से अपना फोन उठा कर नीलोफर का नंबर मिलाया, मगर उसे नीलोफर का फोन बंद मिला.

नीलोफर से बात ना होने पर रज़िया बीबी को मज़ीद गुस्सा चढ़ गया. और उस ने नीलोफर और जमशेद को ज़ोर ज़ोर से माँ बहन की नंगी गालियाँ निकालते हुए गुस्से में अपना फोन फर्श पर मारा जो गिरते ही टूट गया.

रज़िया बीबी गुस्से से भरी अपने टीवी लाउन्ज में खड़ी थी. कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ.

अपनी अम्मी को फोटो हाथ में पकड़े गुस्से की हालत में तेज़ी के साथ टीवी लाउन्ज में टहलते देख कर ज़ाहिद समझ गया. कि उस की अम्मी शाज़िया और उस की तस्वीरें देख चुकी हैं. 

लेकिन इस के बावजूद ज़ाहिद अपनी अम्मी के सामने ये ज़ाहिर करना चाहता था कि जैसे उस को किसी भी बात का ईलम नही.इसीलिए वो बहुत नॉर्मल अंदाज़ में टीवी लाउन्ज के अंदर आया और अपनी अम्मी को देख कर पूछा “अम्मी ख़ैरियत तो है आप आज इतने गुस्से में क्यों हैं”.

“ ख़ैरियत ही तो नही है ज़ाहिद ,तुम आ ही गये हो तो में ये जानना चाहती हूँ कि ये क्या ज़लील ड्रामा खेल रहे हो तुम सब लोग मुझ से” रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे को टीवी लाउन्ज में आता देखा.तो गुस्से से फुन्कार्ते हुए उस ने अपने हाथ में पकड़ी ज़ाहिद और शाज़िया की फोटो को ज़ाहिद के मुँह पर दे मारा.

“अम्मी क्या हो गया है आप को मुझे कुछ समझाए तो सही” ज़ाहिद ने जान बूझ कर अंजान बनते हुए अपनी अम्मी से पूछा.

"वाह तुम तो ऐसे अंजान बन रहे हो जैसे तुम को किसी बात का ईलम ही नही” ज़ाहिद का जवाब सुन कर रज़िया बीबी को और तुप चढ़ गई.और वो फिर उँची आवाज़ में चिल्लाई.

“अम्मी में सच कह रहा हूँ मुझे कुछ नही पता है आप ये क्या कह रही हैं” ज़ाहिद ने फिर अम्मी से कहा.

“ वो कुत्ते की बच्ची नीलोफर और उस का बे गैरत भाई जमशेद मुझे ये तस्वीरे दे गये हैं, और कहते हैं कि तुम ने उन लोगो को मेरे पास भेजा है शाज़िया के रिश्ते के लिए,सच सच बताओ क्या ये बात सही है ज़ाहिद” रज़िया बीबी ने गुस्से में चिल्लाते हुए अपने बेटे से पूछा.
 
रज़िया बीबी अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी. कि काश ये सब एक भयानक मज़ाक हो. और काश ज़ाहिद उसे ये कह दे कि उस ने नीलोफर से इस किस्म की कोई बात नही कही.

तो फिर वो अपने बेटे ज़ाहिद से कह कर नीलोफर और उस के पूरे खानदान की वो हालत बनवाएँगी. कि उन कमीनो की अगली सात नस्लो भी क्या याद करेंगी. कि किसी के साथ ऐसा गंदा मज़ाक कैसे किया जाता है. 

ज़ाहिद ने अम्मी की फैंकी हुई अपनी और अपनी बहन शाज़िया की फोटो को फर्श से उठाया और उन को हाथ में ले कर बहुत गौर से देखने लगा. मगर उस ने अपनी अम्मी की बात का कोई जवाब ना दिया.

अपनी जवान बहन के मोटे और भरे मम्मो को तस्वीर में देख कर ज़ाहिद की आँखों और मुँह पर एक मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट फैलती चली गई.

अपने बेटे ज़ाहिद की खामोशी और उस के चेहरे पर ज़ू महनी मुस्कराहट को देख कर रज़िया बीबी का दिल पहले से ज़्यादा डोलने लगा. और ज़ाहिद से कोई जवाब ना पा कर वो दुबारा चीखी “ज़ाहिद खामोश क्यों हो,कुछ तो बको और मुझे बताओ कि ये सब माजरा किया है”

“क्यों अम्मी आप को अपनी बेटी के लिए भेजा हुआ मेरा रिश्ता पसंद नही आया क्या” ज़ाहिद अपनी शैतानी आँखों को अपनी अम्मी की आँखों में डालते हुए, इतनी बड़ी बात बड़े आराम और होसले से अपनी अम्मी से कह गया.

“ क्या बकवास कर रहे, तुम होश में तो ज़ाहिद, क्या तुम ने वाकई ही नीलोफर के हाथ अपनी ही सग़ी बहन के लिए अपना रिश्ता भिजवाया है??” अपने बेटे की बात सुन कर रज़िया बीबी का सर चकराने लगा. और उसे यूँ महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उस के पावं तले से ज़मीन खैंच ली हो.

“हां अम्मी जी ये बात सच है,आप ही तो मुझे बार बार शादी करने पर मजबूर कर रही थी ना” ज़ाहिद ने बड़े सकून से अपनी अम्मी को जवाब दिया.

“ज़ाहिद लगता है तुम पागल हो चुके हो,मेने तुम को किसी दूसरी लड़की से शादी करने का कहा था. और तुम अपनी ही सग़ी बहन के साथ ये गलीज़ हरकत करने का सोचने लगे,तुम जानते हो कि ये बात ना सिर्फ़ ना मुमकिन ही नही बल्कि गुनाह-य- कभीरा भी है बेटा”रज़िया बीबी ने जब ज़ाहिद को इस तरह पुरसकून हालत में अपनी ही सग़ी बहन से शादी करने की बात करते सुना. तो उसे यकीन हो गया कि उस का बेटा ज़ेहनी तौर पर पागल हो चुका है. इसी लिए वो इस तरह की बहकी बहकी बातें करने लगा है.

“क्यों ना मुमकिन है ये बात,आप ही बताएँ क्या कमी है मुझ में,जवान और पड़ा लिखा हूँ और सब से बड़ी बात कि अच्छी नोकरी है मेरी,तो आप को तो खुश होना चाहिए अपनी बेटी के लिए आने वाले मेरे इस रिश्ते पर अम्मी” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के नज़दीक जाते हुए कहा.

अपने बेटे के मुँह से इस तरह की वाहियात बातें सुन कर रज़िया बीबी का मुँह गुस्से से लाल पीला हो गया. और उस ने अपने नज़दीक पहुँचे हुए ज़ाहिद के मुँह पर ज़ोर दार किस्म के थप्पड़ो की बरसात कर दी.

ज़ाहिद ने अपने मुँह पर पड़ते अपनी अम्मी के थप्पड़ो को नही रोका और चुप चाप खड़ा अपनी अम्मी से मार ख़ाता रहा. 

वो खुद चाहता था कि जब उस की अम्मी दिल भर कर अपने अंदर का गुस्सा उस पर निकाल लेंगी. तो फिर ही वो उन से सकून से मज़ीद बात चीत करे गा.

जब रज़िया बीबी अपने बेटे के मुँह पर तमाचे मारते मारते थक गई. तो वो पास पड़े सोफे पर बैठ कर ज़रो कातर रोने लगी.

ज़ाहिद भी अपनी अम्मी से मार खाने के बाद खुद भी उन के सामने पड़े सोफे पर जा बैठा. और अपनी अम्मी के चुप होने का इंतिज़ार करने लगा.

कुछ देर बाद जब रज़िया बीबी रो रो कर थक गई. तो ज़ाहिद अपने सोफे से उठ कर अपनी अम्मी के पास जा बैठा. और उन के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से अपने गले से लगा लिया.

रज़िया बीबी आज अपने बेटे की बातें सुन कर उस से नफ़रत करने लगी थी. 

इसीलिए वो ज़ाहिद के हाथ को झटक कर तेज़ी से उठी और दूसरे सोफे पर जा बैठी.

टीवी लाउन्ज के दूसरे सोफे पर बैठते ही रज़िया बीबी ने अपनी आँखों में आते हुए आँसुओं को पोन्छते हुए ज़ाहिद से कहा “ज़ाहिद ये सब क्या है और कब से ये सब गंदा खेल तुम दोनो बहन भाई इस घर में खेल रहे हो”

"अम्मी अगर आप अपने आप में थोड़ा होसला पेदा करें तो में आप को सब कुछ सच सच और पूरा तफ़सील से बता सकता हूँ". ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की तरफ देखते हुए कहा.

रज़िया बीबी अब पहले की मुक़ाबले अब थोड़ा अपने आप को संभाल चुकी थी. और उस का दिल भी अब ये चाह रहा था. कि वो अपने बेटे के मुँह से सारी बात सुन कर ये बात जान सके कि उस की तर्बियत में ऐसी क्या कमी रह गई थी. कि उस की नाक के नीचे ही उस के बच्चे आपस में ही प्यार की पींगे बढ़ाते हुए गुनाह के रास्ते पर चल निकले थे.

“अच्छा बताओ ये सब काम कब और कैसे स्टार्ट हुआ ज़ाहिद” रज़िया बीबी ने अपने रुखसार पर बैठे आँसू को अपने दुपट्टे से पोन्छते हुए ज़ाहिद से कहा.

इस के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर और जमशेद से मुलाकात से ले कर पिंडी एर पोर्ट तक और उस के बाद नीलोफर और जमशेद के साथ शाज़िया और अपनी शादी वाले प्लान की सारी बात अपनी अम्मी के गॉश-ओ-गुज़र कर दी.

मगर इस सारी बात में उस ने पूरी कोशिश की कि लंड,फुद्दि जैसा कोई नंगा या गंदा लफ़्ज अपनी अम्मी के सामने उस के मुँह से अता ना हो. 

जब रज़िया बीबी को एक बहन भाई होते हुए नीलोफर और जमशेद के आपस जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने वाली बात का ईलम हुआ.तो ज़ाहिद और शाज़िया की तरह उन की अम्मी का मुँह भी हैरत से खुला का खुला रह गया.

ज़ाहिद और शाज़िया की तरह रज़िया बीबी के लिए भी ये ना काबले यकीन बात थी. कि सगा भाई होते हुए भी जमशेद अपनी ही सग़ी बहन का यार भी बन गया था.

“अच्छा अब में सारी बात जान चुकी हूँ,लेकिन अगर नीलोफर और जमशेद ने एक ग़लत काम किया है. तो तुम लोग भी क्यों उसी ग़लत काम को करने पर तूल गये हो बेटा” रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की बात ख़तम होने पर उसे समझाते हुए कहा.

“अम्मी मेने इस वाकये से पहले तक कभी अपनी बहन के बारे में इस तरह की कोई बात सोची तक नही थी,लेकिन नीलोफर और जमशेद से एक मुलाकात ने मेरी ज़हिनियत ही बदल कर रख दी, अब हक़ीकत ये है कि जमशेद की तरह में भी अपनी ही बहन शाज़िया से मोहब्बत करने लगा हूँ और उस से शादी का ख्वाहिश मंद हूँ और उस के लिए आप की इजाज़त चाहता हूँ” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की बात के जवाब में कहा.

“तुम को ऐसी घटिया बात सोचते हुए भी शरम आनी चाहिए ज़ाहिद,मुझे तो शरम आ रही है तुम को अपना बेटा कहते हुए” रज़िया बीबी ने अपने बेटे को कोसते हुए कहा.

“अम्मी चाहे आप कुछ भी कहो में अब शादी करूँगा तो सिर्फ़ शाज़िया से वरना नही” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा.

अपने बेटे की बात सुन कर रज़िया बीबी का दिल फिर काँपा और वो अपने बेटे ज़ाहिद को समझाने वाले अंदाज़ में बोली “ बेटा तुम क्यों ये बात नही समझते कि ये सब जो तुम सोच और कह रहे हो ये एक बहुत बड़ा गुनाह है”

“अम्मी मुझे कुछ नही पता बस मेने अपना फ़ैसला आप को सुना दिया है” ज़ाहिद अम्मी की बात की अन सुनी करता हुआ बोला.

“मगर ज़ाहिद ये बात ठीक नही,तुम दोनो बहन भाई हो कर कैसे ये सब कर सकते हो भला, वैसे भी ये बहुत गुनाह वाला काम है और सोचो कि दुनिया और हमारे रिश्ते दार क्या कहेंगे बेटा” रज़िया बीबी ने अपने बेटे से कहा.

“कौन सी दुनिया और कौन से रिश्ते दार, आप जानती हैं कि अब्बू की मौत के बाद हमारे घर के क्या हालात हो गये थे, उस वक्त कौन सी दुनिया और कौन से रिश्ते दार हम लोगों की मदद को आगे आए थे,अब जब हमारा अच्छा वक्त चल रहा है तो इस वक्त मुझे किसी और की कोई परवाह नही अम्मी” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया.

“तुम को दुनिया या खुदा का ख़ौफ़ नही मगर मुझे है,इसीलिए में तुम्हे अपनी ही सग़ी बहन को अपनी बीवी बना कर इस घर में रखने की हरगिज़ हरगिज़ इजाज़त नही दूंगी ज़ाहिद” रज़िया बीबी गुस्से से अपने बेटे से कहा.

ज़ाहिद अब अपनी बहन की मोटी फुद्दि को हासिल करने के लिए पूरी तरह तुला हुआ था.और अपनी बहन की जवान गरम और प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डालने के लिए उसे चाहे कोई भी हद क्रॉस क्यूँ ना करनी पड़े वो उस पर अब आमादा हो चुका था.
 
ज़ाहिद अब तक ये समझ रहा था. कि वो किसी ना किसी तरह से अपनी अम्मी को ये सब काम करने पर राज़ी कर ले गा. 

लेकिन जब उस ने देखा कि घी सीधी उंगली से नही निकल रहा. तो उसे पहली बार अपनी अम्मी पर बहुत गुस्सा आया. 

“में आप को सोचने के लिए चन्द दिन की मोहलत देता हूँ अम्मी,में चाहता तो ये ही हूँ कि शाज़िया को अपनी बीवी बनाने में आप की रज़ामंदी शामिल हो,लेकिन अगर दो दिन के बाद आप ने फिर भी मेरी बात ना मानी,तो फिर में ना सिर्फ़ शाज़िया को इस घर से भगा कर ले जाऊंगा, बल्कि में आप से ये मकान,जायदाद और सारा रुपैया पैसा भी छीन कर आप को कोड़ी कोड़ी का मोहताज कर दूँगा, और आप कुछ भी नही कर सकेगीं” ज़ाहिद ने पोलीस वालों के रवायती अंदाज में पहली बार अपनी ही अम्मी को धमकी देते हुए गुस्से में कहा.

ये कह कर ज़ाहिद गुस्से में उठ कर अपने बेड रूम की तरफ चला गया.

(इसी लिए तो लोग कहते हैं ना कि पोलीस वालों की ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी अच्छी)

रज़िया बीबी के सामने ज़ाहिद आज एक बेटे के रूप में नही बल्कि पहली बार एक असली थाने दार “पुलसिया” के रूप में ज़ाहिर हुआ था. और रज़िया बीबी अपने बेटे का ये रूप देख कर ख़ौफ़ से कांप गई.

अपने बेटे की सारी बातें सुन कर रज़िया बीबी को तो समझहह ही नहीं आ रही थी. कि ये सब क्या हो रहा है.

इसीलिए वो अपने सर पर हाथ रख कर “सुन्न” हालत में सोफे पर ही बैठी रही और अपने आँसू दुबारा बहाने लगी.

उधर दूसरी तरफ अपने घर पहुँच कर नीलोफर ने शाज़िया को फोन मिलाया. तो इस बार शाज़िया ने अपना फोन उठा ही लिया.

“किधर हो यार कल से तुम को फोन कर कर के थक गई हूँ में” शाज़िया के फोन आन्सर करते ही नीलोफर बोली.

“यार इधर कराची में ही हूँ असल में मेरे फोन का चारजर नही मिल रहा था मुझे ” नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया ने जवाब दिया.

“अच्छा ये बताओ तुम्हारे आस पास तो कोई नही एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी तुम से” नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.

“कोई नही में अपने कमरे में अकेली ही हूँ ,बताओ क्या बात है” शाज़िया ने नीलोफर की बात सुन कर उस से पूछा.

इस के बाद नीलोफर ने शाज़िया को ज़ाहिद से मुलाकात और प्लान से ले कर शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी से अपनी बात चीत तक सारी बात तफ़सील से शाज़िया को बयान कर दी.



शाज़िया तो नीलोफर की तरह अपने भाई से छुप छुप कर अपनी चूत मरवाने के चक्कर में थी. मगर उसे क्या ईलम था कि उस का भाई उसे अपनी दुल्हन बना कर अपने हमेशा हमेशा के लिए अपने पास ही रखना चाहता है.

इसीलिए नीलोफर के मुँह से अपने भाई का प्लान सुन कर ही ख़ौफ़ के मारे शाज़िया के पसीने छूटने लगे थे. और जब नीलोफर ने शाज़िया को बता दिया. कि वो उस की अम्मी से मिल कर उन्हे तस्वीरो वाला लिफ़ाफ़ा दे भी आई है. तो इस बात को जान कर शाज़िया का तो जैसे हार्ट ही फैल होने लगा.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ खुदाया अब क्या होगा,अम्मी या तो मुझे और भाई को क़त्ल कर देंगी या खुद को फाँसी लगा लेंगी ,नीलोफर” शाज़िया ने खोफ़ और परेशानी के आलम में अपनी सहेली से पूछा.

“यार मुझे भी इसी बात का डर था,मगर तुम्हारा भाई ज़ाहिद ही नही मान रहा था,इसीलिए मुझे उस की ज़िद के अगर हार माननी पड़ी”नीलोफर ने शाज़िया को बताया.

“अच्छा तुम फोन बंद करो में ज़ाहिद भाई ने पता करती हूँ कि क्या हो रहा है अभी हमारे घर में” शाज़िया ने नीलोफर से ये बात कहते हुए फोन काट दिया.

नीलोफर से बात ख़तम करते ही शाज़िया ने जल्दी से ज़ाहिद का नंबर मिलाया. तो फोन की पहली ही रिंग के बाद शाज़िया के कानों में ज़ाहिद भाई की आंवाज़ पड़ी“हेलो तुम कराची ख़ैरियत से पहुँच गई हो ना,मेरी जान”.

ज़ाहिद तो जैसे अपनी बहन शाज़िया के फोन के इंतज़ार में ही बैठा था.

“भाई सब ख़ैरियत है ना घर में,अम्मी किधर है,क्या हुआ?” शाज़िया ने घबराई हुई आवाज़ के साथ एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ डाले.

“उफफफ्फ़ मेरी बनो सब कुशल मंगल (अमन शांति) है तुम चिंता मत करो” ज़ाहिद अपनी “माशूक” बहन और होने वाली बीवी की आवाज़ सुन कर चहक उठा. और हिन्दी अल्फ़ाज़ यूज़ करते हुए बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में अपनी बहन को होसला देते हुए बोला.

फिर ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपने और अपनी अम्मी रज़िया बीबी के दरमियाँ होने वाली सारी बात डीटेल से बता दी.

“अब क्या हो गा भाई” अपने भाई के मुँह से सारी तफ़सील सुन कर शाज़िया पहले से ज़्यादा परे शान हो कर रोने लगी.

“अरे यार तुम फिकर मत करो यार,कुछ भी नही हो गा ,में हूँ ना में सब ठीक कर लूँ गा,बस तुम रोओ मत” ज़ाहिद ने अपनी बहन को तसल्ली देते हुए कहा.

शाज़िया को अपने भाई से बात चीत कर के थोड़ा होसला मिला. 

अभी उन दोनो का दिल आपस में कुछ और किस्म की बातें करने को चाह रहा था.मगर इतने में शाज़िया की छोटी बहन उस के कमरे में आ कर उस के पास बैठ गई.

शाज़िया ने ज़ाहिद को अपनी छोटी बहन के कमरे में आमद का बता कर फोन अपनी बहन को पकड़ा दिया. 

ज़ाहिद ने अपनी छोटी बहन से थोड़ी देर बात चीत कर के फोन बंद किया और सोने के लिए लेट गया.

उधर बाहर टीवी लाउन्ज में बैठी रज़िया बीबी कुछ देर सोफे पर बैठी अपने आँसू बहाती रही.और फिर जब वो थक गई तो अपने कमरे में सोने के लिए चली आई.

रज़िया बीबी ने पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलते और ज़ाहिद और शाज़िया के बड़े में सोचते सोचते और रोते रोते ही बसर कर दी.

अगली सुबह ज़ाहिद तो जल्दी ही उठ कर पोलीस स्टेशन चला गया. जब कि रज़िया बीबी बिना कुछ खाए पिए सारा दिन अपने बिस्तर पर बीमार बन कर पड़ी रही.

शाम को जब ज़ाहिद घर वापिस आया. तो वो होटेल से अपने और अपनी अम्मी के लिए खाना ले आया.

जब ज़ाहिद ने अम्मी के कमरे में जा कर उन को खाना दिया.तो रज़िया बीबी ने उसे खाने से इनकार कर दिया.

ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को अपनी भूक हड़ताल ख़तम करने का कहा. मगर ज़ाहिद की तरह उस की अम्मी भी अपनी ज़िद पर कायम रहीं. 

आख़िर काफ़ी देर बाद थक हार कर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को उन के हाल पर छोड़ा .और खुद अपने कमरे में सोने चला गया.

ज़ाहिद के जाने के बाद काफ़ी देर तक रज़िया बीबी ने कमरे में रखे खाने की तरफ नज़र उठा कर भी ना देखा. मगर जो भी हो रज़िया बीबी एक बूढ़ी औरत थी. जो कि कल शाम से भूकी भी थी.

इसीलिए आख़िर कार कुछ देर बाद जब भूक रज़िया बीबी के लिए ना काबले बर्दास्त हो गई.तो उस को चारो-ना-चार उठ कर प्लेट में पड़ा खाना खाना ही पड़ा.

पंजाबी ज़ुबान की एक मिसाल है कि, 

“तिढ़ ना पाया रूठेआं
ते सबे गुलान ख़ुतेआं”

(कि जब तक पेट में रोटी ना जाय उस वक्त तक इंसान को कोई बात नही सूझती)

इसीलिए दो दिन की भूकि रज़िया बीबी को पेट भर कर खाना मिला.तो उस के दिल और दिमाग़ को भी कुछ सकून मिला और उस ने ठंडे दिल से कुछ सोचना शुरू कर दिया. 

रज़िया बीबी बिस्तर पर लेट कर अपनी गुज़री जिंदगी के बारे में सोचने लगी.

अपने ख्यालों में मगन हो कर अपनी गोज़िश्ता जिंदगी पर नज़र दौड़ाते दौड़ाते रज़िया बीबी को वो वक्त याद आ गया. जब उस के शोहर की मौत के बाद उस के सब रिश्ते दार उस का साथ छोड़ गये थे. 

तो उस वक्त कैसे ज़ाहिद और शाज़िया ने दिन रात मेहनत कर अपने घर का ना सिर्फ़ बोझ उठाया था. बल्कि खुद शादी के क़ाबिल होने के बावजूद पहले अपनी छोटी बहनों की शादियाँ कर के अपना फ़र्ज़ भी निभाया था.

साथ ही साथ रज़िया बीबी को वो रातें भी याद आ गईं. जब रात की तन्हाई में उस ने अपनी तलाक़ याफ़्ता बेटी को अपनी जिस्मानी प्यास से मजबूर हो कर अपनी गरम चूत से खेलते सुना था. 

अपनी बेटी की गरम सिसकियाँ सुन कर उसी वक्त ही रज़िया बीबी को अंदाज़ हो गया था.कि उस की जवान बेटी के जिस्म में बहुत गर्मी छुपी हुई है. जिस के लिए उसे एक ऐसे जवान मर्द की ज़रूरत है. जो उस के प्यासे जवान बदन की गर्मी को अच्छी तरह से संभाल सके.

ये बात सोचते सोचते पहली बार रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया. कि अगर जमशेद अगर अपनी बहन के शोहर की गैर मौजूदगी में अपनी बहन की चूत की प्यास बुझाने में अपनी बहन की मदद कर सकता है.

तो बाप की वफत के बाद एक अच्छे कपल की तरह घर का बूझ उठाने वाले ज़ाहिद और शाज़िया भी अगर अब शाज़िया की तलाक़ के बाद असल कपल बनना चाहते है तो इस में कोई हैरानगी तो नही.

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ खुदाया में ये क्या सोचने लगी हूँ" रज़िया बीबी के दिमाग़ में ज्यूँ ही ये बात आई.तो उस ने फॉरन अपने आप को कोसा.

मगर इस के साथ ये सब बातें सोचते सोचते रज़िया बीबी के दिमाग़ में गुज़रे हुए कल में की गई ज़ाहिद की सारी बातें भी याद आ गईं. 

(कहते हैं कि इंसान की हलाल की कमाई में जब हराम की अमेज़िश हो जाती है. तो इंसान आहिस्ता आहिस्ता बुरे भले की तमीज़ खो बैठता है)
 
रज़िया बीबी ने अपने शोहर की जिंदगी में बहुत ग़ुरबत देखी थी. इसीलिए जब उस के बेटे ने पोलीस ऑफीसर बन कर रिश्वत का माल घर लाना शुरू कर दिया. तो रज़िया बीबी इतना सारा रुपया पैसा देख कर बहुत लालची हो गई. और उस ने अपना रंग,रूप और रहन सहन फॉरन ही बदल लिया था.

अब कल जब ज़ाहिद ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी को उस की बात ना मानने की शर्त में हर चीज़ से महरूम कर देने की धमकी दी. तो ज़ाहिद के लहजे में मौजूद सख्ती को सोच कर रज़िया बीबी को यकीन हो गया. कि अगर उस ने ज़ाहिद की बात मानने से अब इनकार किया. तो उस का बेटा ज़ाहिद अपनी कही हुई बात पर हर सूरत मे अमल करेगा.

इसीलिए अपनी ग़रीबी से अमीरी और दुबारा फिर ग़रीब हो जाने का तस्व्वुर कर के ही रज़िया बीबी के जिस्म में एक झुर्झुरी से दौड़ गई.

असल में हराम के पैसे की अपनी ही एक लज़्ज़त है. और अपने बेटे के हराम के पैसे से रज़िया बीबी ने अपनी ज़िंदगी में इतनी सारी सहूलियतें हासिल कर लीं थी. कि अब इन तमाम सहूलियतो से एक ही लम्हे में महरूम का तस्व्वुर ही रज़िया बीबी की जान लेवा हो गया था.

रज़िया बीबी सोच रही थी.कि अगर उस ने ज़ाहिद की बात ना मानते हुए अपने बेटे के सामने डट भी गई. तो फिर भी उस का बेटा ज़ाहिद और बेटी शाज़िया अब आपस में अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम कर के ही रहेंगे.

इसीलिए उस के लिए अब बेहतर ये है कि ,“मियाँ बीवी राज़ी,तो क्या करे गा काज़ी” वाली मिस्साल पर अमल करते हुए उसे ब अमरे मजबूरी अपने बेटे की बात पर राज़ी होना ही पड़े गा.

अपनी इस सोच को जस्टिफाइ करने की खातिर रज़िया बीबी सोचने लगी. कि अपनी शादी के बाद अपने ससुराल में रहते हुए भी अगर नीलोफर और जमशेद के नाजायज़ ताल्लुक़ात के बारे में किसी को कानो कान खबर नही हुई. 

तो फिर जमशेद और नीलोफर के साथ शादी के बाद अपने ही घर में दोनो बहन भाई का मियाँ बीवी की तरह से एक साथ रहने का ईलम बाहर की दुनिया को कैसे हो सकता है.

इन सब बातों पर सोचते सोचते रज़िया बीबी ने अपने दिल को अपने बेटा ज़ाहिद और बेटी शाज़िया के बहन भाई से मियाँ बीवी में बदलते रिश्ते पर राज़ी किया और फिर उस की आँख लग गई.

अगले दिन सुबह जब रज़िया बीबी की आँख खुली. तो उस वक्त तक हुस्बे मामूल ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था.

नाश्ते से फारिग होने के बाद रज़िया बीबी ने रात वाले अपने फ़ैसले पर एक भर फिर गौर किया. और उस के बाद उस ने अपनी बेटी शाज़िया का नंबर डायल कर दिया.

कराची में माजूद शाज़िया ने जब अपनी अम्मी के नंबर से आती कॉल को अपने फोन पर देखा.तो ख़ौफ़ के मारे उस का रंग उड़ गया.

शाज़िया ने डरते डरते अपना मोबाइल उठा कर फोन को ऑन किया और बोली, हेलो.

“हन बेटी तुम्हारी अम्मी बात कर रही हूँ,केसी हो तुम” रज़िया बीबी ने ना चाहते हुए भी थोड़ा प्यार से अपनी बेटी से पूछा.

शाज़िया तो अपनी अम्मी से गालियाँ और कड़वाहट सुनने को तैयार बैठी थी. मगर अम्मी का ये धीमा लहज़ा सुन कर शाज़िया को बहुत हेरानी हुई.

“में ठीक हूँ अम्मी,आप केसी हैं” शाज़िया ने आहिस्ता से जवाब दिया.

“बेटी तुम्हे पता तो चल गया हो गा,कि जैसा तुम चाहती थी वैसा ही एक जवान रिश्ता तुम्हारे लिए आया है,तो अब शादी के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा” रज़िया बीबी ने बहुत पुरसकून अंदाज़ में अपनी बेटी शाजिया से पूछा.

अपनी अम्मी के मुँह से गुस्से भरी गलीज़ गालियों की बजाय अपने ही बेटे के रिश्ते की बात सुन कर शाज़िया समझ गई, कि ज़ाहिद भाई ने वाकई ही अपना कोई जादू दिखाया है.जो उन की अम्मी दो दिन में ही इतना बदल गई हैं. 

शाज़िया तो अपने तलाक़ के बाद गोजश्ता दो साल से किसी भी जवान लंड के इंतज़ार में अपनी चूत का पानी ज़ाया कर रही थी. 

और फिर अपनी सहेली नीलोफर के ज़रिए अपने ही सगे भाई के मोटे सख़्त और बड़े लंड से रोष नास होने के बाद. तो उस की फुद्दि अपने भाई के लंड को अपने अंदर काबू करने के लिए बे चैन होने लगी थी.

इन हालत में जब उस की अपनी अम्मी ही उसे अपने सगे भाई से चुदने की इजाज़त देने पर आमादा हो गई थी. तो “अंधे को क्या चाहिए दो आँखे” वाली मिसाल को ज़हन में रखते हुए शाज़िया को “हां” करने में भला क्या ऐतराज हो सकता था.

इसीलिए खुशी के आलम में उस ने फॉरन कहा “ जैसे आप की मर्ज़ी अम्मी मुझे कोई ऐतराज नही”.

रज़िया बीबी को भी अपनी गरम और प्यासी चूत वाली बेटी से इसी जवाब की उम्मीद थी. इसीलिए शाज़िया की रज़ा मंदी को सुन कर रज़िया बीबी बोली “ अच्छा तुम अपने उस बे गैरत भाई को ये बात खुद बता देना,अब में तैयारी शुरू करती हूँ और तुम कल की फ्लाइट से वापिस आ जाओ, तो में कल ही तुम्हारी और तुम्हारे भाई की शादी करवा दूं फिर”.

“नही अम्मी कल नही बल्कि ये काम अब आप तीन चार दिन बाद रोक लो तो बेहतर है”अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने फ़ौरन कहा.

“एक तो मुझे तुम लोगो की समझ नही आती, एक तरफ तुम्हारे भाई को शादी की “अखर” आई हुई है,अब जब मेने हां कर दी तो तुम कह रही हो तीन दिन रुक जाए,मगर क्यों” रज़िया बीबी ने गुस्से से अपनी बेटी शाज़िया से पूछा.

“ वो असल में कराची आते साथ ही मेरे पीरियड्स स्टार्ट हो गये हैं , और अब में तीन दिन बाद ही नहा कर पाक हो सकूँ गी अम्मी” शाज़िया ने शरम से झिझकते हुए कहा और जल्दी से फोन बंद कर दिया.

अपनी अम्मी का फोन बंद होते ही शाज़िया ने फॉरन नीलोफर को फोन मिलाया.

“आज बड़ी खुश महसूस हो रही हो तुम शाज़िया, क्या कारुन का ख़ज़ाना मिल गया है तुम्हें” नीलोफर ने फोन पर ही शाज़िया की आवाज़ में खुशी को महसूस करते हुए अपनी सहेली से पूछा.

“हां यार ये ही समझो, और कारुन के इस ख़ज़ाने का पता भी तो मुझे तुम ने ही बताया था ना, निलो” शाज़िया ने फोन पर खिल खिलाते हुए कहा.और फिर शाज़िया ने नीलोफर को अम्मी से होने वाली सारी बात सुना दी.

“हाईईईईईई यार ये तो बहुत ही जबरदस्त खबर दी है तुम ने, अब में भी तुम को एक अच्छी खबर सुनाती हूँ शाज़िया” नीलोफर ने शाज़िया की बात पर खुश होते हुए कहा.

“वो क्या, जल्दी से बताओ ना” शाज़िया से बेसबरी के साथ नीलोफर से पूछा.

“वो ये कि आज मेरे शोहार ने भी मुझे मेरा तलाक़ नामा भेज दिया है. मज़े की बात ये है कि उस बहन चोद गान्डु ने पिछले 5 महीनो से ये तलाक़ नामा लिख कर अपने पास रखा हुआ तो था.मगर इसे मैल अब मेरे मुतलबे पर किया है. यानी असल में मेरा शोहर मुझे तलाक़ तो काफ़ी टाइम पहले ही दे चुका है.इस सूरते हाल मे मुझे अब अपनी इदत गुज़रने का इंतिज़ार भी नही करना पड़े गा. और अगर में चाहूं तो में तुम्हारे भाई से आज ही निकाह भी कर सकती हूँ” नीलोफर ने शाज़िया को सारी बात बता दी. 

अपनी सहेली नीलोफर से ये बात सुन कर शाज़िया मज़ीद खुश हो गई.
 
“हाईईईईईईई तुम ने भी तो बहुत अच्छी खबर दी है मुझे ,अब बताओ आगे का क्या प्लान है” शाज़िया ने नीलोफर से पूछा.

“यार अपने शोहर से तलाक़ का मोतलबा करने की वजह से मेरे अम्मी अब्बू मुझ से नाराज़ हो गये हैं. उन का कहना है कि अपने शोहर से तलाक़ माँग कर मेने खानदान में उन की नाक कटवा दी है. और इस मामले में मेरा साथ देने पर अब्बू ने मेरे साथ साथ जमशेद भाई को भी घर से निकल जाने का हुकम दे दिया है. इसीलिए अब हम दोनो बहन भाई सब तुम्हारे घर के ऊपर वाले हिस्से में शिफ्ट हो जाएँगे” नीलोफर ने तफ़सील से सारी बात शाज़िया को बता दी.

“नीलोफर ये तो अच्छा है अब तुम बिना ख़ौफ़ के दिन रात अपने भाई से मज़े कर सको गी” शाज़िया ने नीलोफर को छेड़ते हुए कहा.

“हां यार अब मज़ा आएगा जब में और तुम दोनो अपने अपने भाइयों की बीवियाँ बन कर अपने ही भैया का बिस्तर गरम करेंगी.” नीलोफर ने भी शाज़िया की बात सुन कर खुशी से जवाब दिया.

“अच्छा निलो तुम ज़ाहिद भाई को फोन कर के उन्हे मेरी अम्मी के फ़ैसले से आगाह कर दो” शाज़िया ने नीलोफर से कहा.

“ना बाबा, अब तुम्हारा टांका अपने भाई से फिट हो गया है,इसीलिए मुझे दरमियाँ में से निकाल कर तुम खूद ज़ाहिद को ये बात बताओ” नीलोफर ने शाज़िया की बात सुन कर उसे जवाब दिया.

“बहुत बे फ़ैज़ सहेली हो तुम” शाज़िया ने नीलोफर के इनकार पर उस से नकली गुस्सा करते हुए कहा.

“वाह जी वाह, एक तो तुम्हारी प्यासी गरम फुद्दि के लिए तुम्हारे ही भाई के इतने बड़े और मोटे ताज़े लंड का बंदोबस्त किया है में ने, और अब में ही बे फ़ैज़ हो गई हूँ” नीलोफर ने हँसते हुए शाज़िया की बात का जवाब दिया.

दोनो सहेलियाँ इस बात पर खुल कर हस पड़ी .

“अच्छा बताओ तुम कब वापिस आ रही हो शाज़िया” नीलोफर ने थोड़ी देर बाद अपनी हँसी रोकते हुए शाज़िया से पूछा.

“ये तो अब फ्लाइट मिलने पर है कि कब वापसी होती है,वैसे अम्मी तो कह रही थी कि में कल ही घर वापिस आ जाऊं ” शाज़िया ने जवाब दिया.

“एक काम करना जब भी तुम्हारी सीट बुक हो, तुम ज़ाहिद को इस के बारे में ना बताना, तुम सिर्फ़ मुझे इत्तला करना, फिर में और जमशेद तुम को एरपोर्ट से पिक कर के ज़ाहिद को सर्प्राइज़ देंगे” नीलोफर ने शाज़िया को समझाते हुए कहा.

“ठीक है में ऐसा ही करूँगी ” शाज़िया ने जवाब दिया.

फिर थोड़ी देर अपने अपने वाले कल के बारे में गप शप लगा कर शाज़िया ने फोन बंद किया. और उस के बाद अपने भाई ज़ाहिद को फोन मिला दिया.

उस वक्त ज़ाहिद अपने किसी सरकारी काम से लाहोर आया हुआ था. इसीलिए अपनी कार ड्राइवर करते वक्त ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन का नंबर अपने मोबाइल पर देखा.तो उस ने अपने कान में लगे हुए फोन के ब्लूटूथ को फॉरन ऑन कर दिया.

एक दूसरे की ख़ैरियत पूछने के बाद शाज़िया ने ज़ाहिद को अम्मी के फ़ैसले से मुतला किया.तो खुशी का मारे ज़ाहिद अपनी सीट से उछल पड़ा.

वैसे तो ज़ाहिद को पहले से ही यकीन था. कि उस की अम्मी भी आख़िर अपने बेटे की ज़िद के आगे हर मान जाएँगी. 

मगर ज़ाहिद को ये यकीन हरगिज़ नही था. कि दो दिनो में ही उस की लालची अम्मी अपने सारे हितीयार फैंक कर अपनी शिकस्त कबूल कर लेंगी. 

बहरहाल अपनी अम्मी की “हां” के फ़ैसले को अपनी बहन के मुँह से सुन कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फुल खड़ा हो गया. और उस ने एक हाथ से कार के स्टियरिंग को पकड़ा और अपने दूसरे फारिग हाथ से अपने लंड को मसल्ते हुए शाज़िया से कहा “ तो अब जल्दी ही वापिस आ जाओ ना जान.अब तुम्हारे इस आशिक़ से तुम्हारी चूत की दूरी मज़ीद बर्दाश्त नही होती”.

“में जल्द ही वापिस आऊँगी मगर इस के लिए मेरी दो शर्ते होंगी जनाब” शाज़िया ने इठलाते हुए अपने आशिक़ भाई की बात का जवाब दिया.

“शर्तें, केसी शर्तें मेरी जान” ज़ाहिद ने भी उसी अंदाज़ में अपनी बहन से पूछा.

“पहली शर्त ये कि मेरी घर वापसी के बावजूद आप मुझे शादी वाले दिन तक हाथ नही लगाएँगे. और दूसरी शर्त ये कि मुझे अपनी बीवी बनाने के बाद आप नीलोफर को दुबारा कभी नही चोदेन्गे” शाज़िया ने अपने भाई को अपनी दोनो शर्ते बता दीं.

“हाईयययययययी कुर्बान जाऊं में अपनी शहज़ादी के,तुम अभी बहन से बीवी बनी भी नही और बीवियों वाले हुकम पहले ही चलाने शुरू कर दिए हैं मेरी जान” अपनी बहन की दूसरी शर्त सुन कर ज़ाहिद की हँसी निकल गई और वो बोला.

“में मज़ाक नही कर रही भाई,अगर आप को मेरी ये शर्ते मंजूर हैं तो बताओ वरना में घर वापिस नही आ रही” अपने भाई की तंज़िया हँसी सुन कर शाज़िया को तुप चढ़ गई.

“अच्छा जैसे मेरे दिल की रानी कहेगी में वैसे ही करूँगा बाबा,वैसी भी जिस भाई को तुम जैसी भरी हुए मस्त बदन और जनम जनम की प्यासी चूत वाली बहन चोदने को मिल जाय, तो उस का लंड किसी और की चूत में कैसे जाएगा जानू”. ज़ाहिद ने अपनी बहन को मक्खन लगाते हुए जवाब दिया.

“ठीक है में एक दो दिन में वापिस झेलम आने का प्रोग्राम बनाती हूँ” शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद को कहा और फोन बंद कर दिया.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया से बात कर के बहुत खुश था.वो उस वक्त लाहोर की लिबर्टी मार्केट के पास से गुज़र रहा था.

इसी दौरान कार ड्राइवर करते हुए ज़ाहिद की नज़र लॅडीस अंडर गारमेंट्स वाली एक दुकान पर पड़ी.

ज़ाहिद ने सोचा कि क्यों ना अपनी बहन के लिए अपनी पसंद का खास ब्रेज़ियर और पैंटी खदीद के ले जाए. जिस को शादी के दिन पहन कर उस की बहन शाज़िया उस के साथ अपनी सुहाग रात मनाएगी .ये ही सोच कर ज़ाहिद ने अपनी कार पार्क की और फिर उस दुकान में चला आया. 

सेल्स मॅन ने ज़ाहिद को मुक्तिलफ स्टाइल और कलर्स में काफ़ी सारी इंपोर्टेड ब्रेज़ियर और पॅंटीस दिखाई. जिन को देखने के बाद आख़िर ज़ाहिद को रेड कलर में मेटल हुक्स और स्ट्रॅप्स वाला स्पेशल ब्रिडाल ब्रेज़ियर. और उस के साथ मॅचिंग थॉंग जिस के साइड में गोल्डन हुक्स थे, पसंद आ गया.
 
बातों बातों जब ज़ाहिद को पता चला कि ये ब्रा और पैंटी की दुकान कुणाल की वही दुकान है जिसकी कहानी राजशर्मास्टॉरीज( आरएसएस ) पर चल रही है तो ज़ाहिद को बड़ी खुशी हुई उसने बातों बातों में कुणाल से और भी उसके कारनामे सुने और फिर ज़ाहिद ने कुणाल से अपनी कहानी भी राजशर्मास्टॉरीज ( आरएसएस ) पर डालने के लिए कहा तो कुणाल ने राजशर्मा की मैल आइडी दी और कहा आप राज भाई से कॉन्टेक्ट कर लेना वो मुझसे बेहतर आपकी कहानी के साथ न्याय कर पाएँगे . और ज़ाहिद ने राजशर्मा की डीटेल अपने पास सेव की और कुणाल को थॅंक्स बोला . 


ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया के मम्मो के साइज़ के मुताबिक 40ड्ड का ब्रेजियर और लार्ज साइज़ का थॉंग खरीदा और पेमेंट कर के वापिस झेलम की तरफ चल पड़ा.

उधर दूसरी तरफ शाज़िया से फोन पर बात ख़तम करने के बाद रज़िया बीबी दुबारा सोच में पड़ गई. 

अपने लालची पन के हाथों मजबूर हो कर रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद की बात मान तो ली थी. मगर अंदर से उस का दिल उसे अपने इस फ़ैसले पर अभी भी मालमत कर रहा था. 

इसीलिए रज़िया बीबी ने पक्का इरादा कर लिया. कि ज़ाहिद की बात मानने के बावजूद वो अपने बच्चो के किसी मामले में अमली तौर पर हिस्सा नही ले गी.

बल्कि वो अपनी खुली आँखों के सामने सब कुछ होता हुआ देख कर भी एक बे जान बुत्त की मानद घर के एक कोने में पड़ी रहे गी. 

ज़ाहिद उस शाम घर वापिस आया. तो उस ने अपनी अम्मी को अपने कमरे में बिस्तर पर ही लेटे हुए पाया.

“अम्मी में आप का शूकर गुज़ार हूँ कि आप ने मेरी बात मान कर हमारे घर को टूटने से बचा लिया” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा.

रज़ाई बीबी ने अपने बेटे की बात का कोई जवाब ना दिया. और खामोशी से बिस्तर की चादर ओढ़े पड़ी रही.

ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास शाम का खाना रखा और सुबह वाले खाली बर्तन समेट कर किचन में रख दिए.

किचन से निकल कर ज़ाहिद शाज़िया के कमरे में गया. और शाज़िया के ड्रेसिंग टेबल के ड्रॉ से अपनी बहन की पड़ी हुई एक अंगूठी (रिंग) निकल कर अपनी पॉकेट में रख ली.

ज़ाहिद अभी शाज़िया के कमरे से निकला ही था. कि उसे जमशेद का फोन आया.

“किधर हो यार” जमशेद की आवाज़ ज़ाहिद के कान में पड़ी.

“में घर में आया था और अभी वापिस पोलीस स्टेशन जाने का सोच रहा हूँ,तुम बताओ ख़ैरियत से फोन किया है” ज़ाहिद ने जमशेद की बात सुन कर उस से पूछा.

इस पर जमशेद ने ज़ाहिद को नीलोफर की तलाक़ वाली सारी बात बताई. और साथ ही साथ ज़ाहिद को नीलोफर के साथ उस घर के ऊपर वाले हिस्से में शिफ्ट होने का बताया.

आज का दिन ज़ाहिद के लिए बहुत सी खुशियाँ एक साथ लाया था. इसीलिए जमशेद से ये खबर सुन कर ज़ाहिद पहले से भी ज़्यादा खुश हो गया.

थोड़ी देर में जमशेद और नीलोफर अपना समान ले कर ज़ाहिद के घर पहुँच गये. तो ज़ाहिद ने घर का ऊपर वाला हिस्सा खोल कर उन दोनो बहन भाई के हवाले कर दिया.

ज़ाहिद उन दोनो को अपने घर छोड़ कर खुद बाज़ार चला आया. और उस ने झेलम में बाज़ार में एक ज्यूयेल्री शॉप पर अपनी बहन शाज़िया की पुरानी अंगूठी देखा कर शाज़िया के लिए एक नई सोने की रिंग साथ में “एसजेड” (शाज़िया ज़ाहिद) के नाम वाला सोने का एक लोकिट और सोने की चूड़ी (बॅंगल्स) भी पसंद कर के खरीद ली.

अगले दिन शाज़िया ने अपनी क़्वेटा और कराची वाली दोनो बहनों को जमशेद के साथ अपनी. और नीलोफर के साथ ज़ाहिद भाई की शादी का बता कर अपनी दोनो बहनों को शादी में शामिल होने की दावत दी. 

मगर दोनो बहनों ने अपने बच्चो के स्कूल में पढ़ाई की वजह से शादी में शिरकत से मज़रत कर ली.

अपनी बहनों को अपनी और ज़ाहिद भाई की शादी की दावत देना शाज़िया का फ़र्ज़ बनता था.

मगर शाज़िया दिल से अपनी दोनो बहनों की शादी में शिरकत नही चाहती थी. क्यों कि अपनी छोटी बहनों की मौजूदगी में शाज़िया का अपने भाई ज़ाहिद से शादी वाले दिन “मिलाप” ना मुमकिन हो जाता. इसीलिए शाज़िया को अपनी बहनों के इनकार पर दिल ही दिल में खुशी हुई. 

फिर शाज़िया ने कॉसिश कर के अगले दिन दोपहर की फ्लाइट पर सीट बुक करवा ली.और अपनी पिंडी आमद की नीलोफर को इतला कर दी. 

नीलोफर और जमशेद ने शाज़िया को एरपोर्ट से पिक किया. और फिर सब इकट्ठे पिंडी में अपनी अपनी शादी की शॉपिंग करने चले गये.

शाज़िया और नीलोफर ने अपनी अपनी पसंद के सुर्ख रंग के लहंगे खरीदे. और शाम को सब एक साथ झेलम वापिस चले आए.

शाज़िया के घर वापिस आने का रज़िया बीबी या ज़ाहिद को ईलम नही था.इसीलिए अपनी बेटी को यूँ अचानक अपने सामने देख कर रज़िया बीबी को हैरानी हुई.

रज़िया बीबी अपनी बेटी से रूखे अंदाज़ में मिल कर चुप चाप अपने कमरे में चली गई.

शाज़िया को अपनी अम्मी के इस रवैये पर हैरत हुई. मगर वो फॉरन ये बात समझ गई कि उस की अम्मी ने ज़ाहिद और शाज़िया के फ़ैसले को अभी दिल से कबूल नही किया.

इतनी देर में नीलोफर ने ज़ाहिद को फोन पर झेलम वापसी की खबर दे दी थी. 

ज़ाहिद अपनी बहन के वापिस आने की खबर पा कर उड़ता हुआ घर आया.तो शाज़िया जमशेद और नीलोफर के साथ ड्राइंग रूम में बैठ कर गप शप में मसरूफ़ थी.

ज्यों ही ज़ाहिद ड्राइंग रूम में एंटर हुआ. तो दोनो बहन भाई के दिल एक दूसरे को देख कर बहुत तेज़ी से धड़कने लगे.

ये दोनो बहन भाई की आपस में प्यार के इज़हार के बाद आशिक़ और माशूक के रूप में पहली मुलाकात थी. 

अपने भाई को यूँ अपने सामने देख कर शाज़िया की पीरियड वाली फुद्दि में से उस की चूत का पानी तेज़ी से टपक टपक कर उस की चूत पर लगे उस के पॅड में जज़्ब होने लगा. 

जब के शाज़िया को देख कर ज़ाहिद का दिल चाहा के वो जेया कर अपनी बहन के गरम जिस्म को अपनी बाहों में भर ले और उसे चूम चूम कर बे हाल कर दे. 

मगर अपनी बहन से किए हुए वादे का पास रखते हुए ज़ाहिद के शाज़िया की तरफ बढ़ते कदम रुक गये.

थोड़ी देर तक दोनो बहन भाई यूँ ही आँखों ही आँखो में एक दूसरे को चूमते और चाटते रहे.

शायद इसी मोके के लिए किसी शायर ने इंडियन मूवी का ये गीत लिखा था कि.

“तेरे नैना बड़े ज़ालिम मार ही डालोगे”

जब नीलोफर ने देखा कि दोनो बहन भाई की नज़रें एक दूसरे से हट नही रही. तो उस के सबर का पैमाना लबरेज हो गया और नीलोफर बोल पड़ी “यार अब तुम लोग लैला मजनू वाला ये ड्रामा ख़तम करो, ता कि खाना खाया जाए”.

नीलोफर की इस बात पर सब ने एक साथ कहका लगाया. और शाज़िया नीलोफर के साथ उठ कर किचन में चली गई.

खाने के दौरान भी दोनो बहन भाई एक दूसरे से नज़रें मिलाते और कभी नज़रें चुराते रहे.

खाने से फारिग हो कर ज़ाहिद नीलोफर को कमरे के एक तरफ ले गया. और कोने में जा कर नीलोफर से उस के कान में कुछ ख़ुसर पुसर करने लगा.

शाज़िया सोफे पर बैठी अपने भाई ज़ाहिद को नीलोफर से राज़-ओ-नियाज़ करता देख कर दिल ही दिल में सोच रही थी. कि नज़ाने ज़ाहिद भाई उस की सहेली से क्या ख़ुफ़िया बात चीत कर रहे हैं.
 
उधर ज़ाहिद की बात सुन कर नीलोफर के मुँह पर एक मुस्कराहट फैल गई. और वो ज़ाहिद के पास से हट कर शाज़िया के करीब आई. और ज़ू महनी अंदाज़ में शाज़िया की तरफ देख कर बोली “बानो आज खुशी के इस मोके पर मज़े दार सी चाय (टी) तो पिला दो ना”.

“खुशी का मोका,में समझी नही नीलोफर” शाज़िया ने अपनी सहेली की बात ना समझते हुए नीलोफर से पूछा.

“यार असल में तुम्हारा भाई तुम को अपनी बीवी बनाने से पहले तुम्हें मँगनी (इंग़ेज़मेंट) की रिंग पहनाना चाहता है, तो ये खुशी की बात ही हुई ना,चलो अब जल्दी से चाय बना कर लाओ, ता कि फिर हम सब मिल कर तुम्हारी अपने भाई के साथ तुम्हारी मँगनी की रसम अदा करें” नीलोफर ने खुश होते हुए शाज़िया से कहा.

अपनी सहेली की बात सुन कर शाज़िया ने हैरत से अपने भाई ज़ाहिद की तरफ देखा.तो ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए अपनी पॉकेट से रिंग का एक डिब्बा निकाला. और उसे अपनी बहन शाज़िया की आँखों की सामने लहराने लगा.

“ये सब करने की क्या ज़रूरत है भाई” शाज़िया ने नीलोफर की बात और अपने भाई की हरकत पर हेरान होते हुए पहली बार अपने भाई को डाइरेक्ट मुखातिब कर के पूछा.

“ज़रूरत है तभी ही तो कह रहा हूँ, तुम्हें नही पता कि शादी से पहले माँगनी की जाती है बुद्धू” ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए अपनी बहन को समझाया.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई तो मेरे साथ जाली शादी करने से पहले असली शादी वाली सारी रस्में भी पूरी करने पर तुला हुआ है”अपने भाई की इस बात पर शाज़िया के दिल में एक हल चल मच गई. 

“अच्छा चलो दोनो इकट्ठे मिल कर चाय बनाते हैं” नीलोफर ने शाज़िया को हाथ से पकड़ कर किचन की तरफ धकेलते हुए कहा.

“तो ये ख़ुसर फुसर हो रही थी तुम दोनो में” शाज़िया ने नीलोफर के साथ किचन में दाखिल होते हुए पूछा.

“हां ज़ाहिद ने मुझ से इसी बारे में मशवरा किया था यार” नीलोफर ने शाज़िया को जवाब दिया.

फिर चाय बनाने के बाद शाज़िया चाय की ट्रे ले कर आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई टीवी लाउन्ज में वापिस आई. 

उस वक्त शाज़िया का ड्राइंग रूम में चाय की ट्री ले कर आने का अंदाज़ बिल्कुल ऐसे ही था. 

जैसे कोई लड़की अपना रिश्ता देखने के लिए आने वाले मेहमानो के सामने पहली बार चाय ले कर जाती है.

“ज़ाहिद साब ये है हमारी शाज़िया ख़ानम, जिसे देखने आज आप हमारे घर तशरीफ़ लाए हैं,तो बताइए केसी लगी आप को हमारी बानो” शाजिया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में दाखिल हुई. तो उस के पीछे पीछे आती नीलोफर ने सोफे पर बैठे ज़ाहिद से पूछा.

शाज़िया अपनी सहेली के मुँह से ये इलफ़ाज़ सुन कर मस्त हो गई. और उस ने एक अदा के साथ चाय का कप अपने भाई के हाथ में ऐसे पकड़ाया, जैसे वाकई ही में उस का भाई ज़ाहिद अपनी ही बहन से शादी के लिए उस का रिश्ता देखने आया हो.

“हाईईईईईईई क्या बताऊ नीलोफर साहिबा, आप की बानो तो इस चाय से भी ज़्यादा गरम दिखती है मुझे ” ज़ाहिद ने एक हाथ से चाय का कप अपने होंठो से लगते हुए, अपनी बहन शाज़िया की तरफ देख कर आँख मारी. और दूसरे हाथ से शाज़िया के हाथ को पकड़ कर उसे अपने साथ सोफे पर बिठा लिया.

बे शक शाज़िया अपनी सहेली की मेहरबानी की वजह से अब अपने ही भाई से जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने के लिए ज़ेहनी तौर पर पूरी तरह आमादा हो चुकी थी.

मगर इस के बावजूद जमशेद और नीलोफर की मौजूदगी में अपने भाई के साथ इस तरह की बातें करना. और उस के साथ एक सोफे पर इतने करीब हो कर बैठने पर शाज़िया को एक उलझन सी होने लगी थी. 

लेकन इस से पहले कि शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के पास से उठ कर दूसरे सोफे पर बैठ पाती. ज़ाहिद ने चाइ के कप को टेबल पर रख कर अपने हाथ में पकड़ी अपनी बहन के हाथ की उंगली में अपने “नाम” की अंगूठी डाल दी.और साथ ही अपनी बहन के हाथ को अपने होंठो पर ला कर उसे चूम लिया.

शाज़िया अपने भाई के प्यार का ये अंदाज़ देख कर खुशी से फूली ना समाई.और उस ने शर्मो हया को बुला कर बे इख्तियारि में अपनी बाहें अपने भाई के जिस्म के गिर्द लपेट ली.

ज्यों ही ज़ाहिद ने शाज़िया की उंगली में सोने की रिंग पहनाई. तो जमशेद और नीलोफर ने तालियाँ बजा कर शाज़िया और ज़ाहिद को उन की मँगनी की मुबारकबाद दी.

अपनी बहन को इस तरह वलिहाना अंदाज़ में खुद से चिपटा हुआ पा कर ज़ाहिद अपनी बहन से किया हुआ वादा भूल गया. 
 
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