Incest Sex Kahani रिश्तो पर कालिख - Page 11 - SexBaba
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Incest Sex Kahani रिश्तो पर कालिख

में उसके पूरे बदन पर अपने होठों से किस करता हूँ....उसकी चूत तक पहुँच गया था....मैने अपनी जीभ से नीरा की चूत को कुरेदना शुरू कर दिया....नीरा की चूत किसी गरम भट्टी की तरह भाप छोड़ रही थी....उसकी ये गरमी मेरे चेहरे पर बर्दाश्त नही हो रही थी....


मैने उसकी टांगे फैलाई और अपना लिंग उसकी चूत पर सेट करके एक जोरदार झटका लगा दिया....मेरा ऐसा करते ही नीरा ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाने लग जाती है....


कुछ पल रुक कर में नीरा को दर्द से बाहर आने देता हूँ....और जब वो थोड़ा नौरमल होती है....में एक और झटका लगा कर अपना पूरा लिंग नीरा की चूत में उतार देता हूँ....मेरे इस हमले से नीरा दर्द से बिलबिला उठती है ....वो ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारने लग जाती है.....

दर्द मुझे भी हो रहा था ....उसकी चूत की गर्मी मेरे लिंग को झुलसा रही थी....ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ाब डाल दिया हो मैने अपने लिंग पर....एक जलन के साथ साथ बेपनाह दर्द मुझे भी महसूस हो रहा था....

लेकिन में धीरे धीरे नीरा की चूत मे अपना लिंग लगातार अंदर बाहर किए जा रहा था.....नीरा का चेहरा पूरा लाल हो चुका था...दर्द की वजह से उसकी बंद आँखो मे से भी आँसुओ की धारा फूट पड़ी थी....मैने धीरे धीरे झटके लगाते हुए नीरा के होंठो को चूसना शुरू किया....


मेरा इस तरह से करने से उसका दर्द अब धीरे धीरे कम हो रहा था....अब वो भी अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लग गयी थी....20 मिनिट्स तक चले इस खेल मे नीरा 2 बार झड चुकी थी और अब मेरा भी वक़्त आ गया था....में अपने झटको की स्पीड बढ़ाता हुआ नीरा पर हावी हो रहा था.....तभी सारे बाँध एक साथ टूट पड़े....मेरा लावा नीरा की चूत की गहराईयो में उतरता चला गया....साथ ही साथ नीरा ने भी अपना चरम सुख पा लिया था....वो एक के बाद एक कयि झटके खाती हुई लगातार झड़ने लगी थी उसका झड़ना बंद ही नही हो रहा था....वो लागातार बस झड़े ही जा रही थी....उसकी चूत से निकलता हुआ बेशुमार रस पूरे बेड पर फैलने लग गया था....और इस के साथ एक जोरदार चीख के साथ वो पूरी तरह से झड गयी....मुल्टीपल ओर्गज़म उसे पहली बार में ही हो गया था.....में ये सोच कर हैरान था कि कुछ लोग इस सुख को सारी ज़िंदगी नही पा पाते....और नीरा ने इस सुख को पहली बार में ही पा लिया...


नीरा बेहोश हो चुकी थी इस तरह झड़ने के बाद में वहाँ से उठा और एक तेज पुक्क्क की आवाज़ के साथ मेरा लिंग भी नीरा की चूत मे से बाहर आ गया था.....


पूरे बेड पर खून ही खून फैला हुआ था...मेरा लिंग भी खून से सना हुआ था....मेरा लिंग बुरी तरह से सूज गया था....और उसमें से लगातार खून निकल रहा था....मेरे लिंग का टांका भी अब टूट चुका था....में वहाँ से उठ कर एक टवल उस बाथ टब के गर्म पानी में डुबो कर नीरा की चूत को अच्छे से सॉफ करता हूँ....गरम पानी नीरा से लगते ही उसकी आँखे खुल जाती है और एक दर्द भरी कराह के साथ मुझे देखने लग जाती है....


वो उठने की कोशिश करती है लेकिन में उसे अपनी बाहो में उठाकर उस गरम पानी से भरे बाथ टब मे लेटा देता हूँ....और अपने लिंग को अच्छे से पोछ कर अपने कपड़े पहनने लग जाता हूँ....बेड पर से चादर उठा कर उसे साइड में रख देता हूँ....और शमा की तरफ देख कर उसे आवाज़ लगा देता हूँ....

शमा अभी भी बेड का सहारा लेकर मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई थी....



में--शमा उठो यहाँ से अब चलने का वक़्त हो गया है ....



शमा जैसे ही मेरी तरफ पलटती है उसके आँसुओ से भरा हुआ चेहरा मेरे दिल में आग लगा देता है....वो वहाँ से उठ कर मेरे पैरो मे गिरकर रोने लग जाती है.....


शमा--भैया मुझे माफ़ कर दो....मेरी वजह से आपको अपना मिलन एक ऐसी जगह करना पड़ा जिसकी छाया भी शरीफ लोग अपने घर पर पड़ने नही देते....


में शमा को अपने पैरों में से उठाकर अपने सीने से लगा लेता हूँ....और कहता हूँ....


में--शमा तुझे यहाँ से निकालने के लिए में कुछ भी कर सकता था....लेकिन सब से बड़ा बलिदान जो किसी ने आज दिया है वो है नीरा....मेरी बहन मेरी पत्नी....इसीकि वजह से आज हम साथ रह पाएँगे....



शमा--क्या कहा आपने बहन....??


में--हाँ शमा नीरा मेरी छोटी सग़ी बहन है....लेकिन अब ये मेरी पत्नी है....हम लोग इसकी पढ़ाई के बाद शादी करना चाहते थे लेकिन तुन्हे यहाँ से निकालने के लिए ये बिना सोचे समझे ही तैयार हो गयी....


शमा मेरी बात सुनते ही नीरा की तरफ दौड़ पड़ी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर रोते हुए उसको प्यार करने लगी....



नीरा--शमा अब तुन्हे रोना नही है....अब तो तुम्हारे खुशियो के दिन आ गये है...अब जल्दी ही हम यहाँ से बाहर निकल जाएँगे....लेकिन एक प्राब्लम है....



में--अब क्या बाकी रह गया नीरा....कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम....
 
में--अब क्या बाकी रह गया नीरा....कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम....


नीरा--आपने जो मेरे जिस्म पर इतने सारे लव बाइट्स दिए है जो में किसी से छुपा भी नही सकती....लेकिन जब बाहर कोई शमा पर ये निशान नही देखेगा तो कुछ भी सोच सकता है....इसलिए आपको शमा के जिस्म पर भी वैसे ही लोव बाइट्स बनाने होंगे....


में--बात तो तेरी सही है...लेकिन में शमा के साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ....तुझे तो में फिर भी प्यार करता हूँ लेकिन शमा के साथ ऐसा कुछ करने की में सोच भी नही सकता....



नीरा--जान सोचना तो आपको पड़ेगा ही किसी को भी शक हो गया तो सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है....इसलिए आपको ऐसा करना ही होगा....


नीरा पानी के टब मे से नंगी ही बाहर आजाती है....और शमा की तरफ देखते हुए कहती है....


नीरा--माफ़ करना मेरी बहन अब कुर्बानी देने की बारी तुनहारी है....में चाहूं तो अपने दांतो से भी तुम्हारे जिस्म पर निशान बना सकती हूँ लेकिन एक मर्द से बने निशान एक औरत से बने निशानो से अलग हो सकते है....



शमा--भैया आपको जो भी करना हो मेरे साथ कर लो....बस अब में यहाँ ज़्यादा देर नही रह सकती....अगर कुछ देर और यहाँ रही तो मेरी आत्मा मेरा शरीर छोड़ देगी....



अब नीरा ने आगे बढ़कर शमा का ब्लाउस पकड़कर उसके दोनो बूब्स बाहर निकाल दिए....

और मुझे इशारा करके निशान बनाने के लिए बोल दिया और खुद जाकर फिर से उस टब में बैठ गयी....

दरवाजा नीरा ने खोल दिया...में शमा को अपनी गोद मे उठाकर बाहर ले आया मेरे पीछे पीछे नीरा भी हमारे मिलन का सबूत वो चादर अपने हाथो मे लिए लड़खड़ाते हुए चल रही थी....


नीरा--ये लीजिए कामली जी आपका सबूत....


कामली वो चादर खोल के सब को दिखाती है...वहाँ पर इतना खून देख कर सब के मुँह खुले के खुले रह जाते है....



में--कामली बाई अब आप जल्दी से आपकी रसम पूरी कर लीजिए...अब हमे निकलना होगा....



कामली जैसे नींद से जागी हो... वो उस चादर को नज़म को देकर रसम पूरी करने का बोलकर नीरा से कहती है...


कामली--हाँ...हाँ...क्यो नही बस 2 मिनिट में रसम पूरी हो जाएगी....लेकिन जनाब आपने शमा को गोद में क्यो उठा रखा है....


नीरा--शमा की हालत ठीक नही है....इसे जल्दी से डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा...



कामली--हालत तो आपकी भी कुछ ठीक नही लगती है....लगता है....शमा के बाद आपका नंबर लग गया हो....


नीरा मुस्कुराते हुए....


नीरा--इनको झेलना कोई आसान काम नही है....पहली बार में तीन दिन तक बेड से नही उठ पाई थी....


कामली--ये मर्द भी बड़े निर्दयी होते है...थोड़ा आराम से नही कर सकते थे जनाब आप....देखो दोनो फूल जैसी बच्चियो की क्या हालत कर दी है आपने....



में--ये दोनो भी किसी शेरनी से कम नही है....इन्हे काबू करने के लिए थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है....



कामली--आपने सही कहा...और वैसे भी ये खेल ऐसा है ज़ोर कोई भी लागाए जान दोनो की ही निकलती है....


तभी नज़म भी वहाँ आजाती है....और आकर वो चादर नीरा के हाथो में समेट कर दे देती है.....



में--कामली बाई आपका एहसान रहेगा मुझ पर जो आपने इतना खूबसूरत तोहफा दिया है मुझे....,,


कामली--तोहफा तो आपने दिया है शमा को एक सुखी जीवन जीने का....



में--कामली बाई...में आप से एक बात और कहना चाहता हूँ....इस दरवाजे से बाहर निकलते ही ना आप मुझे पहचानती है और ना आप शमा को जानती है....आप कभी भी ये जानने की कोशिश नही करेंगी कि शमा कहाँ है....



कामली--जनाब में ऐसा कुछ भी नही करूँगी...आप तीनो जहाँ भी रहो वहाँ खुश रहो बस मेरे श्याम से यही प्रार्थना करूँगी...


उसके बाद में शमा को गोद में उठाकर वहाँ से बाहर ले आया और किसी तरह नीरा भी लड़खड़ाते हुए हिम्मत करके कार तक पहुँच ही जाती है....नज़म पीछे वाला दरवाजा खोल देती है जहाँ में शमा को बैठा देता हूँ...और फिर में नीरा को सहारा देकर आगे वाली सीट पर बैठा देता हूँ....वहाँ अब सभी की आँखो में आँसू आ गये थे जैसे कोई दुल्हन विदा होकर जा रही हो....नज़म का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया था....वो बस बार बार शमा से लिपटकर रो रही थी...

मैने नज़म को संभालते हुए कामली बाई के पास छोड़ दिया और कार लेकर उन गलियो को दुबारा वापस ना आने का वादा करके वहाँ से निकल गया.......

हम वहाँ से अब निकल के सीधा होटेल पहुँचे और वहाँ से अपना सामान लेकर एरपोर्ट की तरफ़ बढ़ गये....नीरा को मैने एक पेन किल्लर दे दी थी...उसकी वजह से वो अब काफ़ी आराम महसूस कर रही थी....

...........................
 
में--राजेश भाई...शमा को मैने वहाँ से निकाल लिया है....अब आपको आगे संभालना है....



राजेश--चिंता मत करो जय....में अपना काम बखूबी समझता हूँ....


में--भाई आप से एक रिक्वेस्ट थी....



राजेश--बोलो जय...क्या बात है....



में--भाई वहाँ एक लड़की है नज़म....उसका ख्याल रखना बेचारी मासूम है....उसको ज़िंदगी जीने की सही राह दिखाना हो सके तो उसकी पढ़ाई का भी बंदोबस्त करवा देना....उन लड़कियों के पढ़ने लिखने और रहने खाने का जो भी खर्चा होगा वो में भरदूँगा....बस तुम संभाल कर उन सारी लड़कियो को उनकी सही जगह पर पहुँचा दो....



राजेश--पहली बार अपनी ताक़त का इस्तेमाल करके मुझे अपने आप पर शर्म नही आ रही....वो सारी लड़किया अब आज़ादी की साँसे लेंगी....वहाँ के सारे कोठो पर थोड़ी देर मे हम लोग रेड करने वाले है...तुमसे अब मुलाकात घर पहुँच कर ही होगी...



में--ठीक है भाई....अब में फोन काट रहा हूँ....



उसके बाद में फोन काट कर वापस अपनी जेब मे रख लेता हूँ....थोड़ी देर बाद हम एरपोर्ट पर पहुँच जाते है और में टेक्शी ड्राइवर को उसकी मेहनत देने के बाद सारा सामान उठा कर एरपोर्ट की तरफ बढ़ जाता हूँ....नीरा भी मेरे पीछे चलती हुई आ रही थी....लेकिन शमा वहीं रुक गयी....


जब मैने शमा को देखा तो वो उस रास्ते की तरफ देख रही थी जहाँ से हम लोग आए थे....



में उसके पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रख देता हूँ....
मेरा ऐसे करते ही वो फूट फूट के रोने लग जाती है....



में--शमा अब सब ठीक हो गया है अब तुम्हे रोने की ज़रूरत नही है....इसलिए अपने आँसू पोंच्छो और हमारे साथ अच्छी ज़िंदगी की तरफ अपने कदम बढ़ाओ....


शमा--भैया अगर आज आप मुझे वहाँ से बचा कर नही लाते तो जाने क्या हाल होता मेरा....भगवान का लाख लाख सुक्र है जो उसने मेरे देवता भाई को मुझे बचाने भेज दिया....



में--शमा में कोई देवता नही हूँ....में बस तेरा भाई हूँ...महादेव सब के दुख दूर करते है....सब की फरियाद वो पूरी करते है....बस अब तुम्हारे दुख के दिन ख़तम हुए और खुशी के दिन शुरू हो गये है....



उसके बाद में उसके आँसू पोछ कर उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ और नीरा शमा के सिर पर हाथ फेरने लग जाती है....
 
शमा--भैया अगर आज आप मुझे वहाँ से बचा कर नही लाते तो जाने क्या हाल होता मेरा....भगवान का लाख लाख सुक्र है जो उसने मेरे देवता भाई को मुझे बचाने भेज दिया....



में--शमा में कोई देवता नही हूँ....में बस तेरा भाई हूँ...महादेव सब के दुख दूर करते है....सब की फरियाद वो पूरी करते है....बस अब तुम्हारे दुख के दिन ख़तम हुए और खुशी के दिन शुरू हो गये है....



उसके बाद में उसके आँसू पोछ कर उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ और नीरा शमा के सिर पर हाथ फेरने लग जाती है....


हम अपनी अपनी सीट्स पर बैठे चुके होते है और वो फ्लाइट हमे उड़ा लेज़ाति है हमारे घर की तरफ....उस घर की तरफ जो अब पूरा होने वाला था.. और शायद घर को भी अपने परिवार के नये सदस्य का इंतजार कब से होगा.....अब फिर से खुशियो के फूल खिलेंगे हमारे उस प्यारे से घर मे....

हम लोग उदयपुर एरपोर्ट पहुँच चुके थे....मैने पार्किंग से अपनी कार निकाली और बढ़ चला घर की तरफ....

लेकिन शायद घर को कुछ और इंतजार करना बाकी था....मैने तुरंत अपनी गाड़ी होटेल रिडिसन की तरफ मोड़ ली और वहाँ एक सूयीट बुक करवा लिया...



में--नीरा में कुछ दिनो के लिए सूरत जा रहा हूँ....तुम दोनो तब तक यही रहना....



नीरा--लेकिन अब तो शमा हमारे साथ है फिर हम घर क्यो नही जा सकते....



में--नीरा जो कुछ भी मुझे पता है वो अधूरा सच है....और इस अधूरे सच के सामने मे घर पर किसी के सवालो का जवाब नही दे पाउन्गा....मुझे पूरा सच जानना ही होगा....बस 2 दिन तुम लोगो को यही रुकना है....मम्मी को में फोन कर के बोल दूँगा कि थोड़ा वक़्त और लग रहा है.......


नीरा--लेकिन मैं शमा को घर मे अपनी फ़्रेंड बोल कर भी रोक सकती हूँ....यहाँ होटेल मे रुकने की क्या ज़रूरत है....


में--शमा किसी झूठ के सहारे उस घर मे दाखिल नही होगी....ये सच के साथ ही पूरे हक़ से उस घर में जाएगी...तुम दोनो यहाँ अपना ख्याल रखना....और नीरा तुम्हे अभी प्रेग्नेंट नही होना है...इसलिए कोई पिल्स ले लेना....अभी तुम्हे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है उसके बाद बच्चो की सोचना...


नीरा--क्या जान आप भी.....ठीक है जैसा आप कहेंगे वैसा हो जाएगा....


काफ़ी देर से चुपचाप बैठी हुई शमा आख़िरकार अपनी चुप्पी तोड़ती है और कहती है....



शमा--जय भैया अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं....



में--हाँ शमा क्या हुआ गुड़िया बोलो क्या बात है....



शमा--कुछ साबित होता है या नही....लेकिन आपने साबित कर दिया है कि भगवान किसी को ज़्यादा दिनो तक दुखी नही देख सकता.....आपको भगवान ने एक फरिश्ते के रूप मे मुझ से मिलवाया है....मुझे मेरा परिवार मिल गया मेरा देवता समान भाई मिल गया मुझे प्यार करने वाली बहन मिल गयी अब मुझे और कुछ नही चाहिए....आप मेरे रहने की व्यवस्था किसी दूसरी जगह करवा दो....मैं अपने सूरज से उजले परिवार पर कालिख नही पोतना चाहती....


नीरा--हम लोगो के प्यार का ऐसा सिला तुम दोगि शमा ऐसा मैने कभी सोचा ही नही था....पूरा परिवार तुम्हारी तरफ आने वाली हर मुसीबत का सामना करने के लिए चट्टान की तरह खड़ा है....तुम अब हमेशा हमारे साथ हे रहोगी....अपने घर में अपने परिवार के साथ....



में--नीरा ठीक कह रही है शमा....में इसीलिए जा रहा हूँ ताकि तुम पर कोई उंगली ना उठा सके.....बस मुझ पर भरोसा रखो और मेरे वापस आने का इंतजार करो....



उसके बाद में वहाँ से निकल जाता हूँ और मम्मी को कॉल करके उन्हे कुछ दिन बाद आने का बोलकर सूरत के लिए निकल जाता हूँ....

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सूरत.....भारत का एक ऐसा शहर जो हीरे की तरह हमेशा जगमगाता रहता है....


में अब सूरत पहुँच चुका था और लोगो से पूछ ताछ करता हुआ उस जगह पर पहुँच गया जो अड्रेस दीनू के ड्राइविंग लाइसेन्स के उपर लिखा हुआ था.....

में जीवन की पहेलिया सुलझाते सुलझाते एक और जवाब के दरवाजे पर खड़ा था...

मैने दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया....अंदर से किसी के ख़ासने की आवाज़ आई तो मैने दस्तक देना बंद कर दिया....


एक हल्की आवाज़ आई अंदर से जो दरवाजा खुलने की थी..मेरे सामने एक बूढ़ा आदमी खड़ा था जो बिल्कुल दुबला पतला मरियल सा दिख रहा था...


में--जी मुझे दीनू से मिलना था.....क्या वो यही रहते है....



उस आदमी ने मुझे उपर से नीचे तक देखा और कुछ सोचकर वो बोला कि वही दीनू है....


दीनू--तुम कौन हो बेटा.....आज बरसो बाद किसी ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी है....वरना यहाँ तो कुत्ता भी मूतने नही आता....



मुझे दीनू की ऐसी हालत देख कर उस पर दया आ गयी....और जो गुस्सा मेरे अंदर यहाँ पहुँचने से पहले उबल रहा था वो मेरे दिल की गहराइयो मे समा गया था....


में--मुझे आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है....क्या आपके पास बात करने का थोड़ा समय होगा....



दीनू--समय अब कहाँ बचा है बाबूजी....अब तो अंत नज़दीक है मेरा....इसलिए आप जो भी जानना चाहते हो मुझ से पूछ सकते हो....शायद में आपके सवालो का सही जवाब दे सकूँ....



में--आपने काफ़ी सालो पहले एक लड़की को कोठे पर बेचा था....में बस ये जानना चाहता हूँ उस लड़की को किस के कहने पर आप ने उठाया और उसके माँ बाप कौन थे....


दीनू मेरी ये बात सुनकर यादो के समंदर मे गोते लगाने लगा....



दीनू--बाबूजी शायद में इसी दिन के लिए अभी तक ज़िंदा हूँ.....मेरी आत्मा तो उसी दिन मर चुकी थी जिस दिन उस फूल सी बच्ची को मैने उसकी माँ से अलग कर दिया था....मुझे उस बच्ची का चेहरा आज भी याद है...वो चेहरा आज भी मुझ सोने नही देता.... कुछ 19-20 साल पुरानी बात है....

कुछ सालो पहले.....


सुबह के 3.30 बज रहे थे....एक साया तेज़ी से आगे बढ़ता हुआ हॉस्पिटल में घुस गया था...शायड वो यहाँ किसी की तलाश में आया था....उसके हाथो म एक तस्वीर थी किसी औरत की उसे पता चला था कि उसका शिकार हॉस्पिटल में अड्मिट है...वो आदमी तेज़ी से अपने कदमो से आगे बढ़ता हुआ....और एक जगह पर पहुँच कर रुक जाता है.

वहाँ बने ओप्रेशन थियेटर के बाहर एक परिवार बैठा था....जो बार बार डॉक्टर से संध्या के बारे मे पूछ रहा था....

उस साए ने अपना मोबाइल निकाल कर एक फोन लगाया और सामने से आने वाली आवाज़ प्रधान की थी....


प्रधान--क्या हुआ दीनू तूने इस समय मुझे फोन क्यो किया है....?क्या काम हो गया है जो तुझे दिया गया था...??


दीनू--साहब जिसके लिए आपने सुपारी दी थी उसे इस समय मारना मुश्किल है....वो अभी हॉस्पिटल मे है और शायद उसे बच्चा होने वाला है....


प्रधान--ये तो अच्छी बात है तू एक काम कर उसे छोड़ और उसके बच्चे को मार दे....उस रंडी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया मेरा उसकी खुशिया छीन ले.... उस बच्चे को मारना है अब तुझे.


दीनू--साहब उस बच्चे से आपकी कौनसी दुश्मनी है....जिसने अभी अपनी माँ के पेट से बाहर आकर सुकून की साँस भी नही ली हो उसे कोई कैसे मार सकता है....


प्रधान--अपना ज़्यादा दिमाग़ मत चला....और तुझे जो काम करने को बोला है वो कर...वरना तेरे काम का पैसा तो देना दूर की बात है..में तेरे हाथ पाव तुडवा आर तुझे भीख ना माँगने पर मजबूर कर दूं तो नाम बदल देना मेरा...


दीनू--ठीक है साहब में आपका काम करने के बाद आपको फोन करता हूँ....
 
उसके बाद फोन काटने के बाद दीनू फुर्ती से वहाँ बने एक रूम मे घुस जाता है....और उस रूम के उपर बने रोशनदान मे से ओप्रेशन थियेटर मे झाकने लग जाता है....वहाँ 1 नर्स और दो डॉक्टर संध्या के चारो तरफ खड़े थे...संध्या अपनी टांगे फैलाए ज़ोर ज़ोर से चीखे जा रही थी....और डॉक्टर उसे और ज़ोर लगाने को कह रहे थे....कुछ ही देर बाद संध्या ने एक बच्चे को जन्म दिया और वो दोनो डॉक्टर्स उस नर्स से बच्चे को सॉफ करने को और कुछ देर मे वापस आने का बोल कर बाहर निकल गये...

नर्स के अंदर जाते ही....दीनू भी फुर्ती के साथ रोशनदान मे से छलाँग लगाकर उस ओप्रेशन थियेटर मे कूद जाता है....


वहाँ संध्या अभी भी उसी अवस्था में बेहोश पड़ी थी अपनी टांगे चौड़ी करे हुए....संध्या की तरफ से अपना ध्यान हटाकर दीनू तेज़ी से नर्स की तरफ बढ़ जाता है....

नर्स उसे देखकर शोर मचा पाती उस से पहले ही दीनू के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उस नर्स को बेहोशी की दुनिया मे पहुँचा दिया....


उस बच्चे को दीनू अपनी गोद में उठाकर फुर्ती से जिस रास्ते से यहाँ आया था उसी रास्ते से निकल जाता है....और हॉस्पिटेल से बाहर निकल कर फिर से एक फोन मिला देता है....


दीनू--साहब संध्या ने एक लड़की को जन्म दिया है....आप एक बार फिर से सोच लीजिए इस मासूम की जान लेने से किसी को कुछ नही मिलेगा....



प्रधान--गुस्से मे....मदर्चोद साले बेवड़े जितना कहा है वो कर....उस कुतिया की बच्ची को ख़तम कर वरना तू जहाँ भी होगा तुझे ढूँढ कर मारूँगा...


दीनू--ठीक है साहब आप नाराज़ मत होइए....में अपना काम ख़तम करने के बाद आपसे वापस मिलता हूँ...

एक नयी कहानी जन्म ले चुकी थी....अगर शमा ही मेरी सग़ी बहन हा तो अब तक मुझ से क्यो छुपाया गया....क्यो किसी ने भी शमा को ढूँढने की कोशिश नही करी.....मम्मी तो मुझे सब कुछ बता चुकी है फिर क्यो वो मुझ से ये बात छिपा गयी....इस कहानी के साथ एक और पहेली जन्म ले चुकी थी....और जिसका भी राज़ मुझे जल्दी ही खोलना होगा....


में--उसके बाद क्या हुआ....क्या किया तुमने उस लड़की का....



दीनू--में उस लड़की को मार तो नही सका लेकिन मुझे कुछ तो ऐसा करना ही था जिस से उसका पता कभी ना चले....
मैने उसे कामली बाई के कोठे पर बेच दिया....अगर सड़क पर छोड़ देता तो उसे भूखे जानवर नोच नोच कर खा जाते....और अगर वो कामली के कोठे पर रहती तो जवान होने तक उस पर कोई आँख भी नही उठा सकता था....यही सोच कर मैने उसे कोठे पर बेच दिया....लेकिन मुझे उसका एक रुपया भी नही मिला उल्टा मुझे मार पीट कर वहाँ से भगा अलग दिया....



में--प्रधान के बारे मे क्या जानते हो तुम....कहाँ रहता है कैसा दिखता है....कोई ठिकाना जहाँ वो मुझे मिल सके....



दीनू--बाबूजी.... में प्रधान से कभी मिला नही ना ही उसके बारे मे कुछ ज़्यादा जानता हूँ....मेरे पास एक दिन फोन आया था किसी की सुपारी लेने के लिए और उसके बाद प्रधान से बात हुई थी मेरी....10000 रुपये प्रधान ने किसी के हाथो भिजवाए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा भी नही पता....


में--उसका भी में पता कर लूँगा....


दीनू--साहब आप कौन है....क्या आप उस बच्ची को जानते है....



में--वो मेरी छोटी बहन है....और जिसने भी ये सब करवाया है उसको मैं उसकी कब्र से भी खींच के बाहर निकाल लूँगा....
 
दीनू--ये सब मेरी वजह से ही हुआ है साहब ना में ऐसा करता और ना उस बच्ची की बद्दुआ मुझे लगती....मेरा जीवन जहन्नुम बन गया....बस हमेशा अफ़सोस करता रहा क्यो मैने इतनी बड़ी ग़लती कर दी....



में--अब वो सुरक्षित है....इसलिए अब पछतावा करना बंद करो....ये कुछ पैसे रखो और अपना कोई काम शुरू करके मेहनत से पैसे कमाओ... क्या तुम मुझे उस हॉस्पिटल का नाम बता सकते हो जहाँ से तुमने उस बच्ची को उठाया था....



दीनू--हाँ साहब....गीतांजलि हॉस्पिटल था वो....उदयपुर मे..


में--आपका बहुत बहुत शुक्रिया....अब में चलता हूँ....और ध्यान रहे ना तुम अब उस लड़की को जानते हो और ना मेरे बारे मे...



दीनू--वो लड़की अब खुश है....ये जानकार मेरे दिल को बहुत बड़ी तस्सली मिली है....मैं किसी से कुछ नही कहूँगा साहब...



उसके बाद में वहाँ से निकल कर फिर से फ्लाइट पकड़कर उदयपुर आ जाता हूँ....


नीरा को फोन करके शमा के साथ घर आने का बोल देता हूँ....और खुद एरपोर्ट से घर की तरफ निकल पड़ता हूँ


में जब घर पहुँचा वहाँ बाहर ही नीरा और शमा भी ऑटो से उतरती हुई मिल गई....मैने अपनी कार की चाभी चौकीदार को दे दी पार्क करने के लिए और उन्दोनो के साथ पैदल ही घर की तरफ बढ़ गया....


शमा अपने चारो तरफ घूम घूम कर बस आँखे फाडे घर को ही देखे जा रही थी....



में--क्या हुआ शमा पसंद आया घर....



शमा--भैया पसंद की बात कर रहे हो....ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था....आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है....



में--आपका नही....अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है....तुम इस घर की छोटी बेटी हो....यहाँ पूरे अधिकार से रहो....


नीरा--जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले....आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती....


में--माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा....मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले....जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे...
 
में--क्या हुआ शमा पसंद आया घर....



शमा--भैया पसंद की बात कर रहे हो....ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था....आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है....



में--आपका नही....अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है....तुम इस घर की छोटी बेटी हो....यहाँ पूरे अधिकार से रहो....


नीरा--जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले....आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती....


में--माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा....मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले....जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे....


हम घर के दरवाजे के बाहर पहुँच गये थे...मैने शमा को दरवाजे पर दस्तक देने के लिए कहा और नीरा और में अपना एक कदम पीछे करके खड़े होगये....


दरवाजा भाभी ने खोला.....वो शमा को पहचान ने की कोशिश कर रही थी लेकिन हम दोनो को मुस्कुराता हुआ देख कर ज़ोर से मम्मी को आवाज़ लगाने लगी..,,,

भाभी--ये लड़की कौन है जय....और तुम दोनो मुस्कुरा क्यो रहे हो.....अब बाहर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे....



में--पहले मम्मी को तो आने दो उसके बाद मैं आपको सारी बाते बता देता हूँ....

इतने में मम्मी भी आ जाती है और हमे देखने लग जाती है.....



मम्मी--क्या हुआ तुम लोग बाहर क्यो खड़े हो....और ये प्यारी सी बच्ची कौन है...


में--मम्मी पहले अपने घर के नये सदस्य का स्वागत करो....उसके बाद में बताता हूँ कि ये कौन है....


मम्मी--मैं तेरे कहने का मतलब नही समझी....कौन है ये लड़की....और इस घर की सदस्य कैसे हुई...



में--पहले आप पूजा की थाली लेकर आओ इसे प्यार से अंदर बुलाओ उसके बाद में आपको सब कुछ बताता हूँ....भरोसा रखो मुझ पर....



मेरे चेहरे पर दृढ़ता के भाव देखकर उन्होने भाभी से पूजा की थाली लाने को कहा और पूरे मान सम्मान के साथ शमा की आरती उतार कर उसका घर में स्वागत किया गया....



घर के अंदर आने के बाद नीरा शमा को अपने रूम मे ले गयी और में बाहर हॉल मे बैठ गया....मम्मी और भाभी मुझे बस घुरे ही जा रही थी....शायद उन्हे लग रहा था....मैने इस लड़की से शादी कर ली है और अब उसे घर ले आया हूँ....



मम्मी--अब बोलेगा भी....इतना सस्पेनस क्यो बना रहा है....


इतने में नीरा और शमा भी चेंज करके बाहर हॉल में आगये और मेरी बगल मे ही आकर बैठ गये....



में अपनी बात की शुरूवात ढूँढते हुए कह ही देता हूँ....



में--मम्मी शमा आपकी वो बेटी है जिसके बारे में आपने कभी कुछ नही बताया था....



मम्मी--मेरी बेटी...?? ये क्या बेवकूफी भरी बाते कर रहा है तू....मेरी कोई बेटी और भी है ये मुझे ही पता नही तो में तुम्हे क्या बताउन्गी....अब पहेलिया बुझाना बंद कर और जल्दी से बता कि आख़िर बात क्या है और ये मेरी बेटी कैसे हुई...



में--पहेली तो अभी भी सुलझी नही है....लेकिन एक तरीका और बचा हुआ है....जिस से में साबित कर सकूँ कि शमा ही आपकी बेटी है....



मम्मी--जब में कह रही हूँ कि अगर ये मेरी बेटी होती तो मुझे तो पता होता ना....लेकिन फिर भी ना जाने क्यो ये लड़की मुझे अपनी तरफ़ खींच रही है....ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना ही हो....


में--मम्मी आपने गीतांजलि हॉस्पिटल मे जन्म दिया था शमा को....अब इस बारे में आप बताओ मुझे कि जो में कह रहा हूँ वो सही है या ग़लत....



मम्मी--उस हॉस्पिटल मे तो नीरा का जन्म हुआ था....अभी थोड़े दिन पहले ही तो नीरा का बर्त दे मनाया है हम लोगो ने 19वा...


मेरी समझ में कुछ कुछ आ तो रहा था लेकिन कुछ कड़िया अभी जोड़नी और बाकी रह गयी थी....


में--मम्मी नीरा के समय जिस डॉक्टर और नर्स नीरा का बर्त करवाया था क्या आप उनका नाम जानती हो...


मम्मी--हाँ नर्स का नाम ज्योति था नीरा के समय उसी ने मेरी देखबाल करी थी और डॉक्टर के नाम मुझे याद नही है....
 
में--क्या आपके पास हॉस्पिटल का कोई कागज पड़ा है जिस से ये पता चल सके कि वहाँ उस समय डॉक्टर कौन था....



मम्मी--रुक में अभी लाई....नेहा तू इन लोगो के लिए कॉफी और कुछ खाने के लिए बना दे देख तीनो के चेहरे कैसे भूख के मारे उतरे हुए है.......


उसके बाद मम्मी अपने रूम में चली जाती है और भाभी किचन मे....कुछ हे देर बाद दोनो बाहर आजाती है...और मम्मी मुझे वो फाइल देते हुए कहती है....


मम्मी--ज़रूर तुझे कोई ग़लतफहमी हुई है....


में--ग़लतफहमी की कोई गुंजाइश नही है शमा का डीयेने टेस्ट पूरी तरह से हमारे साथ मॅच हुआ है....


तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगती है....भाभी उठ कर दरवाजा खोलती है....और दीक्षा कोमल और रूही भागते हुए मुझ पर कूद पड़ती है मुझे दबोचते हुए रूही कहती है....



रूही--आपकी गाड़ी देखते ही हम समझ गये थे कि आप आ चुके हो....अब जल्दी से ये बताओ इतने दिन कहाँ मस्ती हो रही थी....


में--अरे पहले तू थोड़ा साँस तो खा ले....अच्छा हुआ तुम सब भी यहाँ आ गये वरना फिर से तुम्हे एक्सप्लेन करना पड़ता सब कुछ....


हमारा ऐसा प्यार देख कर शमा की आँखो से मोटे मोटे आँसू निकल गये....मैने उसे अपनी बाहो में खिचते हुए अपने सीने से लगा लिया....



शमा--सच में भैया आज में अपने आप को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझ रही हूँ जिसे इतना अच्छा प्यार और खुशियो से भरा परिवार मिला....


में--खुशनसीब तो ये घर है जिसे अपनी खोई हुई अमानंत फिर से मिल गयी है...अब थोड़ी देर आप सभी अपने सवालो पर विराम लगाओ...और मुझे हॉस्पिटल में बात करने दो....रूही तू जाकर वो रिपोर्ट्स ले आ जो मैने डॉक्टर आलोक से लाने के लिए कही थी तुझे....


में मम्मी से वो फाइल लेकर पढ़ने लग जाता हूँ....किसी डॉक्टर सुभाष ने वो फाइल रेडी करी थी जिसमें नीरा की बर्त डीटेल और हॉस्पिटल बिल्स के साथ कुछ प्रिस्क्रिप्षन भी थे....मैने हॉस्पिटल के लॅंड लाइन नंबर जो उसमें लिखा हुआ था उस पर कॉल लगा दिया लेकिन वो बंद आ रहा था....


में--ये नंबर बंद क्यो आ रहा है...



भाभी--बेवकूफ़ 19 साल पुराना नंबर आज तुझे कैसे चालू मिलेगा....ऑनलाइन हॉस्पिटल का नंबर सर्च कर ले पता चल जाएगा....


आख़िरकार गूगल की मदद मुझे लेनी ही पड़ी...और मैने वो नंबर लगा दिया....



लड़की--गीतांजलि हॉस्पिटल से नूरी बात कर रही हूँ....में आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ....


में--हेलो नूरी में जय गुप्ता बात कर रहा हूँ....मुझे कुछ इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए थी....



नूउरी--बताइए सर क्या इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए आपको....



में--दरअसल नूरी मुझे मेरी मम्मी की डेलिवरी के समय जो डॉक्टर था उसका कॉंटॅक्ट नंबर चाहिए....



नूरी--क्या में आपकी मम्मी का नाम या उनको उस वक़्त दी गयी फाइल नंबर जान सकती हूँ....


मैने उसे पूरी डीटेल बता दी....



नूरी--सर जैसा कि में देख पार रही हूँ....उस वक़्त डॉक्टर सुभाष और डॉक्टर रोहित ने आपकी मम्मी की डेलिवरी करवाई थी....लेकिन में आपको उनका नंबर नही दे सकती क्योकि वो अब इस दुनिया में नही है.....



में--ओह्ह्ह ये काफ़ी बुरा हुआ....एक मिनट याद आया वहाँ कोई नर्स थी जिसका नाम ज्योति था....क्या मुझे उसके बारे मे कुछ पता चल सकता है....या वो भी अब इस दुनिया मे नही है....



नूरी--नही सर वो अब हेड नर्स है में उनसे आपकी बात करवाती हूँ आप लाइन पर रहे....



कुछ देर बाद फोन पर हॉस्पिटल का घटिया सा गाना सुनते रहने के बाद ज्योति के साथ लाइन कनेक्ट हो जाती है....


ज्योति--हेलो ज्योति सक्षेना बात कर रही हूँ....




में--ज्योति मेडम आपके पापो का घड़ा भर चुका है....19 साल पहले आपका किया हुआ पाप फिर से सामने आ गया है.....



ज्योति--कौन बोल रहे हो आप....कौन्से पाप की बात कर रहे हो क्या किया है मैने....अपनी मज़ाक अपने पास रखो और मुझे काम करने दो...



में--मेडम में जय गुप्ता बोल रहा हूँ....संध्या गुप्ता याद है आपको या भूल गयी....

ज्योति--कौन संध्या गुप्ता मुझे कुछ याद नही अब दुबारा मुझे फोन मत करना....



और ये कहकर ज्योति ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....और हम सभी एक दूसरे की शकलें देख रहे थे....
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ज्योति अपने कॅबिन मे बैठी हुई अतीत की गहराइयो मे उतरती चली गयी.....



19 साल पहले....


ज्योति उस रूम मे बेहोश पड़ी थी....तभी डॉक्टर सुभाष और राहुल वहाँ पहुँच गये....उन्होने ज्योति की ऐसी हालत देख कर उस पर पानी के छींटे डाले और उसे होश मे ले आए.....


सुभाष--ज्योति ये सब क्या हो रहा है यहाँ.....तुम बेहोश कैसे हो गयी और वो बच्ची कहाँ है.....



ज्योति--सर आपके जाने के बाद एक आदमी मुझे बेहोश कर के उस बच्ची को ले गया....



राहुल--ओह्ह्ह माइ गॉड....अब हम इनके परिवार वालो को क्या जवाब देंगे वो तो शुक्र है हमने अभी तक किसी को कुछ बताया नही है....


तभी अचानक संध्या के कराहने की आवाज़ सुन कर वो तीनो संध्या के पास पहुँच जाते है....



सुभाष--हे भगवान आज ये हो क्या रहा है.....हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते है....



राहुल--सही कह रहे हो आप संध्या के ट्विन्स होने वाले थे और हमने बस एक का ही सोच कर अपना काम छोड़ दिया....ये देखो एक बच्चे का सिर दिखने लगा है.....



सुभाष--नर्स जल्दी से इसे इंजेक्षन दो....ये अभी भी बेहोशी की हालत में....हमे ऐसे ही इसकी डेलिवरी करनी होगी.....



ज्योति--लेकिन अगर ये ज़ोर नही लगाएगी तो बच्चा बाहर कैसे निकलेगा....ऐसे तो इन दोनो की जान को खतरा हो जाएगा.....



राहुल--एक काम करो तुम इसका पेट पुश करो जब तक हम इस बच्चे को बाहर खिचने की कोशिश करते है.....



कुछ देर कोशिश करने के बाद एक स्वस्थ बच्ची डॉक्टर सुभाष के हाथो मे थी....



राहुल--भगवान ने हमे बचा लिया सुभाष वरना हमारा पूरा करियर खराब हो जाता....



सुभाष--सही तो वैसे भी कुछ नही हुआ....क्या कहेंगे हम इन लोगो से कि बच्ची कैसे गायब हो गयी....ये तो उल्टा हमारी हे जान ले लेंगे.....



राहुल--ये बताने की ज़रूरत कहाँ है....कि इस औरत को ट्विन्स हुए थे....बस एक लड़की हुई है यही बता देंगे.....



सुभाष--ये राज़ अब इस ओप्रेशन थियेटर के बाहर नही जाना चाहिए....बाकी आगे जो होगा वो देखा जाएगा....एक बार तो भगवान ने इस बच्ची के रूप मे हमारी मुश्किल सुलझा दी है....



ज्योति--आप सही कह रहे है सर....




तभी ज्योति अपनी यादो के भवर से निकल कर बाहर आजाती है.....कोई उसके कॅबिन के दरवाजे पर दस्तक दिए जा रहा था.....




ज्योति उसे अंदर बुलाती है....वो एक चपरासी था जो ज्योति का लंच लेकर आया था....चपरासी के जाने के बाद ज्योति एक फोन लगाती है नूरी के पास.....



ज्योति--नूरी अभी थोड़ी देर पहले जो कॉल तुमने कनेक्ट करी थी वो किस नंबर से आया था वो नंबर मुझे वापस चाहिए....



नूरी--जी मेडम बस एक मिनिट में आपको वो नंबर दे देती हूँ.....

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