hotaks444
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में तुरंत उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ तब जाकर वो रोना थोड़ा कम करती है.
नीरा--भैया अब में कभी आपको तंग नही करूँगी ....में आपसे बहुत प्यार करती हूँ आप मुझ से नाराज़ मत होना कभी भी.
में--नीरा में कभी तुझ से नाराज़ नही हो सकता लेकिन जिस तरह से आज तूने खुद को चोट पहुँचाई है.वो चोट सीधे मेरे दिल पर लगी है.
नीरा--सॉरी भैया आगे से में ऐसा कभी कुछ नही करूँगी. और मुझे कस कर गले से लगा लेती है .तभी मम्मी भी अंदर आजाती है.
मम्मी--में इसीलिए बाहर गयी थी ताकि तुम दोनो अपना मसला आपस में सुलझा लो फिर नीरा उठ कर मम्मी के गले से लग जाती है और हम तीनो वहाँ एक साथ सो जाते है.
उधर भाभी और रूही कॅंप में लेटे हुए थे तभी भाभी रूही से एक सवाल पूछ लेती है.
भाभी--रूही तुम लोगो ने कौनसा राज दबा रखा है अपने अंदर.
रूही ये बात सुनकर तुरंत चोंक जाती है और उठ के बैठ जाती है.
भाभी--क्या तुम लोग मुझे अपना नही समझते जो मुझे बता भी नही सकते.
रूही बस एक टक भाभी की तरफ़ देखे जा रही थी ...उसे उसके कानों पर भरोसा नही हो रहा था.
भाभी--रूही मैने मम्मी और तेरी बातें सुन ली थी....ऐसा कौनसा राज है जिस से इतना बड़ा तूफान आज़ाएगा.
रूही अब संभल चुकी थी.
रूही--भाभी आप अपने परिवार से कितना प्यार करती हो.
भाभी--में अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.
रूही --तो आपको उसी परिवार की कसम आप आज के बाद दुबारा ये सवाल नही पुछोगि...कुछ राज हमेशा राज ही रहने चाहिए जिस दिन वो बाहर आजाते है सब कुछ खाक हो जाता है. क्या आप अपने परिवार को बिखरता देख सकोगी..क्योकि अगर वो राज खुल गया तो ये परिवार पूरी तरह से बिखर जाएगा.
भाभी भी अब उठ कर बैठ चुकी थी ....उसके बाद उन्होने कोई सवाल नही किया और रूही को. रोता देख उसे गले से लगा लिया.
भाभी--मुझे पता नही था रूही के इस मुस्कुराते नन्हे से दिल पर एक राज का इतना भारी बोझ पड़ा है...तेरी कसम....में ये सवाल किसी से नही पुछुन्गि.तेरी कसम....रूही तेरी कसम...,,.
रूही और भाभी अपने आँसू पोछ कर सोने लगते है...इधर मम्मी की नींद उड़ी हुई थी.
वो लगातार पुरानी यादो में खोती चली जा रही थी ....
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20 साल पहले.... आगे की कहानी राज की ज़ुबानी
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उस समय संध्या(मम्मी) के दो बच्चे थे.
एक राज और एक रूही राज अभी राज ** साल का हो गया था और रूही ** साल की थी ...
संध्या के पति किशोर गुप्ता अपने बिज़्नेस को फैलने में दिन रात मेहनत कर रहे थे जबकि संध्या अपने द्वारा बनाए गये एक एनजीओ जो कि बेसहारा बच्चो को घर और अच्छी पढ़ाई और खाने का इंतज़ाम करवाता था.
उस दिन संध्या बहुत ज़्यादा थक गयी थी घर आते ही वो नहाना चाहती थी...
घर आकर संध्या ने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में घुस गयी , नहाने के बाद वो किचन में घुस गयी और खाना बनाने लग गयी ...तभी राज और रूही दोनो स्कूल से आगये...और आते ही मम्मी मम्मी करते हुए संध्या से लिपट गये.
राज--मम्मी आज क्या बना रही हो बहुत अच्छी खुश्बू आरहि है..
मम्मी--में तुम लोगो के लिए पालक के पकौड़े और आलू टमाटर की सब्जी बना रही हूँ...तुम लोगो को ये पसंद है ना..
रूही--हाँ मम्मी काफ़ी दिन हो गये पकोडे खाए हुए.
मम्मी--चलो अब जा कर चेंज कर लो और मुँह हाथ धो कर डाइनिंग टॅबेल पर आ जाओ..में तब तक खाना लगाती हूँ.
उसके बाद हम सभी डाइनिंग टॅबेल पर रेडी हो कर आ जाते है और मम्मी हम लोगो को खाना खिलाने लगती है...
राज--मम्मी आप खाना नही खा रही हो..
मम्मी--बेटा तुझे पता है ना में वो दवाई पीने के बाद ही खाना खाती हूँ.
फिर दोनो अच्छे से खाना खा कर मम्मी के बेडरूम में जाकर टीवी देखने लग जाते है...उधर मम्मी ने बाथरूम में जाकर एक सिल्क की नाइटी पहन ली थी जो कि एक शर्ट और एक पाजामे जैसी थी...
फिर मम्मी ने अपनी अलमारी में से एक बोतल निकाली जिसपर शिवास लिखा हुआ था.
वो आकर हमारे पास बैठ जाती है और एक गिलास में उस दवाई को डालकर पानी मिलाने लगती है...
फिर उसकी एक सीप लेने के बाद वो एक पकोड़ा अपने मुँह में डाल लेती है...और इस तरह करते करते वो 5 ग्लास दवाई के पी जाती है ..में कब से ये देखे जा रहा था... तभी मम्मी ने कहा ऐसे क्या देखे जा रहा है.
में(राज)--मम्मी आप तो हमे अगर दवाई देनी होती है तो एक चम्मच में भरकर एक छ्होटी सी बोतटेल में से देती हो ...ये आप कौनसी दवाई पीटी हो जो इतनी बड़ी बोतटेल लानी पदती है...और वो भी 5 ग्लास आप पी जाती हो.
मम्मी--ये बडो की दवाई है तू नही समझेगा चल अब थोड़ी देर मेरे पेर दबा दे काफ़ी दर्द कर रहे है.
फिर उसके बाद में मम्मी के पैर दबाने लगता हूँ और रूही मुझे देख कर उनके हाथ दबाने लगती है मम्मी अब पेट के बल लेट जाती है और में उनके पैर का पंजा अपनी गोद में रख कर दबाने लगता हूँ मम्मी का पंजा मेरे लिंग पर रगड़ खा रहा था जिस से मेरा लिंग अकड़ गया..
नीरा--भैया अब में कभी आपको तंग नही करूँगी ....में आपसे बहुत प्यार करती हूँ आप मुझ से नाराज़ मत होना कभी भी.
में--नीरा में कभी तुझ से नाराज़ नही हो सकता लेकिन जिस तरह से आज तूने खुद को चोट पहुँचाई है.वो चोट सीधे मेरे दिल पर लगी है.
नीरा--सॉरी भैया आगे से में ऐसा कभी कुछ नही करूँगी. और मुझे कस कर गले से लगा लेती है .तभी मम्मी भी अंदर आजाती है.
मम्मी--में इसीलिए बाहर गयी थी ताकि तुम दोनो अपना मसला आपस में सुलझा लो फिर नीरा उठ कर मम्मी के गले से लग जाती है और हम तीनो वहाँ एक साथ सो जाते है.
उधर भाभी और रूही कॅंप में लेटे हुए थे तभी भाभी रूही से एक सवाल पूछ लेती है.
भाभी--रूही तुम लोगो ने कौनसा राज दबा रखा है अपने अंदर.
रूही ये बात सुनकर तुरंत चोंक जाती है और उठ के बैठ जाती है.
भाभी--क्या तुम लोग मुझे अपना नही समझते जो मुझे बता भी नही सकते.
रूही बस एक टक भाभी की तरफ़ देखे जा रही थी ...उसे उसके कानों पर भरोसा नही हो रहा था.
भाभी--रूही मैने मम्मी और तेरी बातें सुन ली थी....ऐसा कौनसा राज है जिस से इतना बड़ा तूफान आज़ाएगा.
रूही अब संभल चुकी थी.
रूही--भाभी आप अपने परिवार से कितना प्यार करती हो.
भाभी--में अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.
रूही --तो आपको उसी परिवार की कसम आप आज के बाद दुबारा ये सवाल नही पुछोगि...कुछ राज हमेशा राज ही रहने चाहिए जिस दिन वो बाहर आजाते है सब कुछ खाक हो जाता है. क्या आप अपने परिवार को बिखरता देख सकोगी..क्योकि अगर वो राज खुल गया तो ये परिवार पूरी तरह से बिखर जाएगा.
भाभी भी अब उठ कर बैठ चुकी थी ....उसके बाद उन्होने कोई सवाल नही किया और रूही को. रोता देख उसे गले से लगा लिया.
भाभी--मुझे पता नही था रूही के इस मुस्कुराते नन्हे से दिल पर एक राज का इतना भारी बोझ पड़ा है...तेरी कसम....में ये सवाल किसी से नही पुछुन्गि.तेरी कसम....रूही तेरी कसम...,,.
रूही और भाभी अपने आँसू पोछ कर सोने लगते है...इधर मम्मी की नींद उड़ी हुई थी.
वो लगातार पुरानी यादो में खोती चली जा रही थी ....
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20 साल पहले.... आगे की कहानी राज की ज़ुबानी
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उस समय संध्या(मम्मी) के दो बच्चे थे.
एक राज और एक रूही राज अभी राज ** साल का हो गया था और रूही ** साल की थी ...
संध्या के पति किशोर गुप्ता अपने बिज़्नेस को फैलने में दिन रात मेहनत कर रहे थे जबकि संध्या अपने द्वारा बनाए गये एक एनजीओ जो कि बेसहारा बच्चो को घर और अच्छी पढ़ाई और खाने का इंतज़ाम करवाता था.
उस दिन संध्या बहुत ज़्यादा थक गयी थी घर आते ही वो नहाना चाहती थी...
घर आकर संध्या ने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में घुस गयी , नहाने के बाद वो किचन में घुस गयी और खाना बनाने लग गयी ...तभी राज और रूही दोनो स्कूल से आगये...और आते ही मम्मी मम्मी करते हुए संध्या से लिपट गये.
राज--मम्मी आज क्या बना रही हो बहुत अच्छी खुश्बू आरहि है..
मम्मी--में तुम लोगो के लिए पालक के पकौड़े और आलू टमाटर की सब्जी बना रही हूँ...तुम लोगो को ये पसंद है ना..
रूही--हाँ मम्मी काफ़ी दिन हो गये पकोडे खाए हुए.
मम्मी--चलो अब जा कर चेंज कर लो और मुँह हाथ धो कर डाइनिंग टॅबेल पर आ जाओ..में तब तक खाना लगाती हूँ.
उसके बाद हम सभी डाइनिंग टॅबेल पर रेडी हो कर आ जाते है और मम्मी हम लोगो को खाना खिलाने लगती है...
राज--मम्मी आप खाना नही खा रही हो..
मम्मी--बेटा तुझे पता है ना में वो दवाई पीने के बाद ही खाना खाती हूँ.
फिर दोनो अच्छे से खाना खा कर मम्मी के बेडरूम में जाकर टीवी देखने लग जाते है...उधर मम्मी ने बाथरूम में जाकर एक सिल्क की नाइटी पहन ली थी जो कि एक शर्ट और एक पाजामे जैसी थी...
फिर मम्मी ने अपनी अलमारी में से एक बोतल निकाली जिसपर शिवास लिखा हुआ था.
वो आकर हमारे पास बैठ जाती है और एक गिलास में उस दवाई को डालकर पानी मिलाने लगती है...
फिर उसकी एक सीप लेने के बाद वो एक पकोड़ा अपने मुँह में डाल लेती है...और इस तरह करते करते वो 5 ग्लास दवाई के पी जाती है ..में कब से ये देखे जा रहा था... तभी मम्मी ने कहा ऐसे क्या देखे जा रहा है.
में(राज)--मम्मी आप तो हमे अगर दवाई देनी होती है तो एक चम्मच में भरकर एक छ्होटी सी बोतटेल में से देती हो ...ये आप कौनसी दवाई पीटी हो जो इतनी बड़ी बोतटेल लानी पदती है...और वो भी 5 ग्लास आप पी जाती हो.
मम्मी--ये बडो की दवाई है तू नही समझेगा चल अब थोड़ी देर मेरे पेर दबा दे काफ़ी दर्द कर रहे है.
फिर उसके बाद में मम्मी के पैर दबाने लगता हूँ और रूही मुझे देख कर उनके हाथ दबाने लगती है मम्मी अब पेट के बल लेट जाती है और में उनके पैर का पंजा अपनी गोद में रख कर दबाने लगता हूँ मम्मी का पंजा मेरे लिंग पर रगड़ खा रहा था जिस से मेरा लिंग अकड़ गया..