hotaks444
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नीरा अभी भी बेसूध झरने के यहाँ पड़ी थी....नेहा की दी हुई दवा ने उसे फिर से सुला दिया था....जाने वो कब तक वही सोती रही....
डे....1
में कब से बेहोश था इसका तो मुझे अंदाज़ा नही था लेकिन खिड़की से आती सूरज की मध्यम किरणें बता रही थी या तो अभी शाम है या फिर सुबह....
मैने धीरे धीरे अपनी आँखे खोली अब भी वहाँ वैसा ही हाल था सभी वहाँ बुरी तरह से बँधे हुए थे....मेरी नज़रें भाभी को ढूँढने लगी वो भी मुझे एक कौने मे नेहा बँधी हुई नज़र आ गयी....
मैने उठने की कोशिश करी लेकिन उठ नही पाया....में इस समय एक कुर्सी पर रस्सी से बँधा हुआ बैठा था....और अपनी पूरी ताक़त लगाकर भी उस से निकल नही पा रहा था....
तभी किसी के हँसने की आवाज़ मेरे रोंगटे खड़े करती चली गयी.....मेरे सामने ही एक साया अंधेरे मे खड़ा था.....
तभी वो साया हँसते हुए अंधेरे से बाहर निकल कर आ गया.....
उसे देखते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.....अगर कोई मुझ से कहता कि इस शक्श ने मेरे परिवार का ऐसा हाल किया है तो मैं मान ही नही सकता था.....
में--रीएंन्न्ना तूमम्म्म....
रीना--हाँ में स्वीटहार्ट....क्यो झटका लगा मुझे यहाँ देख कर....अब फिर से बेहोश मत हो जाना क्योकि एक झटका और लगने वाला है तुझे....
में--क्यो कर रही हो तुम ऐसा क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा.....इन लोगो को जाने दो....तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं ला कर दूँगा....
पैसा नही चाहिए....बदला चाहिए हमे....
मेरे पीछे से आई उस सर्द आवाज़ को मैं लाखो की भीड़ मे भी पहचान सकता था....ये आवाज़ तो सुहानी की थी....
सुहानी--क्यो क्या हुआ....सिर घूम गया मुझे देख कर....मेरा रुद्लु बच्चा जो हर समय बस रोता ही रहता था....आज अपनी ख़ास दोस्त के सामने बेबस बैठा है.....कोई सलाह चाहिए.....कुछ काम आ सकती हूँ मैं सर आपके.....ऊऊऊ सर नही सर नही....जय...
में--ये क्या तमाशा है सुहानी....तुम्हे दिल से मैने अपना एक सच्चा दोस्त माना था....लेकिन तुम एक डायन निकलोगी ऐसा मैने कभी सोचा नही था....
सुहानी--हा हा हा....दोस्त तो मैं भी तुन्हे मानने लगी थी और तब तक मनती थी जब तक तेरे बाप के मरने के बाद तेरे घर नही आई थी.....तेरे बाप की वजह से ही तेरा पूरा परिवार तेरे सामने नंगा लटका हुआ है....
सुहानी के मुँह से कहा गया हर एक शब्द मेरे कानो मे बॉम्ब के धमाको से कम नही था...
में--क्या बिगाड़ा है मेरे पापा ने तुम्हारा किस बात का बदला ले रही हो तुम....क्यो ख़तम करना चाहती हो मेरे परिवार को....
सुहानी--तुझे कैसा लगेगा जब तेरी माँ को तेरी ही आँखो के सामने कोई चोदे.....कैसा लगेगा बता मुझे....
में--जान ले लूँगा मैं ऐसा करने वाले की....
सुहानी--बस यही.....बस यही सुनना चाहती थी में तेरे मुँह से....तेरा बाप मेरी आँखो के सामने मेरी माँ को चोदता था....हम दोनो बहने अपनी आँखो से वो नज़ारा हर रोज देखा करती थी....मेरा पापा तेरे बाप की वजह से शराब मे इतना डूब गया कि मेरे छोटे भाई के साथ आक्सिडेंट मे मर गया....भाई मर गया बाप मर गया....माँ किसी रंडी की तरह आज भी पैसो के लिए चुदवा रही है....लेकिन मैं तुझे मारूँगी नही....तुम सब का एक अनोखा इलाज हमने सोच रखा है....
डे....1
में कब से बेहोश था इसका तो मुझे अंदाज़ा नही था लेकिन खिड़की से आती सूरज की मध्यम किरणें बता रही थी या तो अभी शाम है या फिर सुबह....
मैने धीरे धीरे अपनी आँखे खोली अब भी वहाँ वैसा ही हाल था सभी वहाँ बुरी तरह से बँधे हुए थे....मेरी नज़रें भाभी को ढूँढने लगी वो भी मुझे एक कौने मे नेहा बँधी हुई नज़र आ गयी....
मैने उठने की कोशिश करी लेकिन उठ नही पाया....में इस समय एक कुर्सी पर रस्सी से बँधा हुआ बैठा था....और अपनी पूरी ताक़त लगाकर भी उस से निकल नही पा रहा था....
तभी किसी के हँसने की आवाज़ मेरे रोंगटे खड़े करती चली गयी.....मेरे सामने ही एक साया अंधेरे मे खड़ा था.....
तभी वो साया हँसते हुए अंधेरे से बाहर निकल कर आ गया.....
उसे देखते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.....अगर कोई मुझ से कहता कि इस शक्श ने मेरे परिवार का ऐसा हाल किया है तो मैं मान ही नही सकता था.....
में--रीएंन्न्ना तूमम्म्म....
रीना--हाँ में स्वीटहार्ट....क्यो झटका लगा मुझे यहाँ देख कर....अब फिर से बेहोश मत हो जाना क्योकि एक झटका और लगने वाला है तुझे....
में--क्यो कर रही हो तुम ऐसा क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा.....इन लोगो को जाने दो....तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं ला कर दूँगा....
पैसा नही चाहिए....बदला चाहिए हमे....
मेरे पीछे से आई उस सर्द आवाज़ को मैं लाखो की भीड़ मे भी पहचान सकता था....ये आवाज़ तो सुहानी की थी....
सुहानी--क्यो क्या हुआ....सिर घूम गया मुझे देख कर....मेरा रुद्लु बच्चा जो हर समय बस रोता ही रहता था....आज अपनी ख़ास दोस्त के सामने बेबस बैठा है.....कोई सलाह चाहिए.....कुछ काम आ सकती हूँ मैं सर आपके.....ऊऊऊ सर नही सर नही....जय...
में--ये क्या तमाशा है सुहानी....तुम्हे दिल से मैने अपना एक सच्चा दोस्त माना था....लेकिन तुम एक डायन निकलोगी ऐसा मैने कभी सोचा नही था....
सुहानी--हा हा हा....दोस्त तो मैं भी तुन्हे मानने लगी थी और तब तक मनती थी जब तक तेरे बाप के मरने के बाद तेरे घर नही आई थी.....तेरे बाप की वजह से ही तेरा पूरा परिवार तेरे सामने नंगा लटका हुआ है....
सुहानी के मुँह से कहा गया हर एक शब्द मेरे कानो मे बॉम्ब के धमाको से कम नही था...
में--क्या बिगाड़ा है मेरे पापा ने तुम्हारा किस बात का बदला ले रही हो तुम....क्यो ख़तम करना चाहती हो मेरे परिवार को....
सुहानी--तुझे कैसा लगेगा जब तेरी माँ को तेरी ही आँखो के सामने कोई चोदे.....कैसा लगेगा बता मुझे....
में--जान ले लूँगा मैं ऐसा करने वाले की....
सुहानी--बस यही.....बस यही सुनना चाहती थी में तेरे मुँह से....तेरा बाप मेरी आँखो के सामने मेरी माँ को चोदता था....हम दोनो बहने अपनी आँखो से वो नज़ारा हर रोज देखा करती थी....मेरा पापा तेरे बाप की वजह से शराब मे इतना डूब गया कि मेरे छोटे भाई के साथ आक्सिडेंट मे मर गया....भाई मर गया बाप मर गया....माँ किसी रंडी की तरह आज भी पैसो के लिए चुदवा रही है....लेकिन मैं तुझे मारूँगी नही....तुम सब का एक अनोखा इलाज हमने सोच रखा है....