desiaks
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- Aug 28, 2015
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रेखा है, में 27 साल की हूँ, अभी 7-8 महीने पहले ही मेरी शादी हुई है। मैंने शादी के पहले कभी सेक्स नहीं किया था, लेकिन इसके बारे में सुना बहुत था। मैंने अपने भैया-भाभी की चुदाई भी देखी थी और एक बार मम्मी-पापा की चुदाई भी देखी थी। मेरी चूत में खलबली तो रहती थी, लेकिन मुझे कभी चुदाई नसीब नहीं हुई थी। अब शादी के बाद मेरे दिन बड़े मज़े में गुज़रने लगे थे, मेरे पति देव मेरी जमकर चुदाई करते थे, अब मुझे लाईफ का मज़ा आने लगा था। हमारे जैनों में जैन मुनि घर में सोच हुआ मानकर खाते है। मैंने मेरी शादी के पहले मम्मी, भाभी, चाची, सबको उन्हें खिलाने के लिए उत्सुक देखा है, लेकिन मेरे एक बात समझ में नहीं आती थी कि मुनि हमेशा औरत के हाथ से ही क्यों खाते है? और बंद कमरे में ही क्यों खाते है? में मम्मी से कहती थी कि में भी मुनि को खिलाऊँगी, लेकिन वो कहती थी कि ससुराल में खिलाना। मेरी शादी के बाद मेरी सास जैन मुनि की बहुत सेवा करती थी, तो महीने में करीब 4-5 दिन तो मुनि हमारे यहाँ आते ही थे।
फिर एक दिन मेरी सासू जी ने कहा कि बहू लो पपीता लेकर बाहर खड़ी हो जाओ, मुनि आने वाले है। तो में बाहर खड़ी हो गयी, लेकिन ज़रूरी नहीं था कि मुनि ने पपीता ही सोचा हो। फिर थोड़ी देर के बाद मुनि आए बिल्कुल नंगे, मेरे पति 4-5 दिन से बाहर गये हुए थे। फिर जैसे ही मुनि मेरे सामने आए तो मेरी नज़र उनके लंड पर ठहर गयी। फिर अचानक से मुनि मेरे पास रुक गये और झोली मेरे आगे कर दी तो में उन्हें आदर सहित अंदर ले गयी। फिर मेरी सासू जी ने मुझे एक कटोरे में पानी दिया और मेरे कान में कुछ कहा। फिर मैंने कहा कि नहीं तो वो बोली कि करो ये नियम है। फिर मैंने कटोरे के पानी से मुनि का लंड धोया। फिर मेरी सासू बोली कि बहू पी जाओ, तो मैंने उनका लंड धोकर वो पानी पिया। फिर मेरी सासू जी ने कहा कि मुनि को अंदर कमरे में आहार करवाओ।
फिर में उन्हें कमरे में ले गयी तो मेरी सासू जी ने कमरा बाहर से बंद कर दिया। फिर मैंने मुनि राज को पाटे पर खड़ा किया और भोजन लेने के लिए गयी और वापस आई तो में चौंक गयी। अब मुनि राज का लंड तना हुआ था और वो उसे खड़े-खड़े सहला रहे थे। फिर वो मुझे देखकर मुस्कुराए और बोले कि आओ डरो मत। फिर मैंने भोजन उनकी और बढ़ाया तो वो बोले कि रख दो अभी समय है। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले कि तुम बड़ी सुंदर हो, हमारे पास आओ। अब मेरी इच्छा हो रही थी कि चिल्ला जाऊं और सासू माँ को सब बता दूँ। फिर इतने में उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ लिया और मेरे गाल पर किस किया और फिर धीरे से मेरे होंठो पर अपनी उंगली फैरने लगे।
फिर में बोली कि देव आप क्या कर रहे है? तो वो बोले कि तुम्हारा उद्धार कर रहा हूँ और ये कहकर वो मेरे होंठ चूसने लगे। अब मेरी आँखे बंद हो रही थी और में आह आह करने लगी थी। फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोले कि इसे सहलाओ ना सुंदरी, तो में अपना हाथ छुड़ाकर भागी और दरवाजे पर जाकर बोली कि माँ जी ये मुनि तो बहुत गंदे है, मुझे बचाइए। फिर सास बोली कि गंदे नहीं बेटी उद्धारक है, हमारा भी उद्धार मुनियों ने ही किया है, कर ले उद्धार। अब में कुछ बोलती इसके पहले जैन मुनि ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स दबाने लग गये और अपने होंठ मेरी गर्दन पर चलाने लग गये। फिर वो मेरे कान में बोले कि सुंदरी तुम्हारी सास का आग्रह था कि आज में तुम्हारा उद्धार करूँ, उन्हें पता है कि यहाँ क्या हो रहा है? अब मेरी आँखे बंद होने लगी थी, अब मुझ पर भी मस्ती सी चढ़ने लगी थी। फिर अचानक से मुनि जी मेरे सामने आ गये और मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर ले गये और बोले कि इसे सहलाओ सुंदरी, उस वक़्त उनका लंड कोई 9 इंच लम्बा हो गया था और काफ़ी मोटा था। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
अब उनका लंड मेरे हाथ में आते ही वो और गर्म हो गया था। अब मेरा मन किया कि उनके लंड को छोड़ दूँ, लेकिन में छोड़ नहीं पाई और उसे सहलाने लगी। फिर मुनि जी ने मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिया और मेरे बूब्स को ज़ोर-जोर से दबाने लगे। अब में आहह आहह कर रही थी, तभी मुनि जी ने मुझे थोड़ी दूर किया और मेरी साड़ी पकड़कर मुझे धक्का दिया, तो में स्टाइल से घूमती हुई दूर गयी और मेरी साड़ी मुनि के हाथ में आ गयी। फिर वो लपककर मेरे पास आए और मेरा ब्लाउज जल्दी से खोल दिया और फिर एक झटके में मेरा पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो वो तेज़ी से नीचे गिर गया। अब में मुनि के सामने सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और अब मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी ब्रा को ढक लिया था और अपनी आँखें बंद कर ली थी। फिर मुनि मेरे पास आए और फिर से मेरे हाथ में अपने लंड को पकड़ा दिया और मेरी ब्रा ऊँची करके बोले कि सुंदरी में तुम्हारा दूध पिऊँगा, पी लूं ना। फिर में बोली कि हाँ महाराज पी लो, तो फिर मुनि राज़ ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे।
अब मेरी चूत में खुजली चलने लगी थी तो मैंने अपना एक हाथ अपनी पेंटी में घुसा लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद मुनि बोले कि सुंदरी तुम भी हमारा दूध पीओगी? तो में बोली कि आपका दूध, में समझ नहीं पाई। फिर मुनि मुस्कुराए और मुझे पकड़कर अपने घुटनों पर बैठा दिया और अपने लंड को मेरे मुँह में देकर बोले कि इसे चूसो, अच्छा दूध निकलेगा। अब में भी पूरी तरह से चुदाई के मूड में आ गयी थी, अब में लपक-लपककर मुनि जी का लंड चूसने लगी थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अब मैंने अपना थूक लगाकर उनका पूरा लंड गीला कर दिया था। अब में कभी उनके लंड का सूपड़ा चूसती, तो कभी नीचे की गोलियां चूसती, तो कभी उनका पूरा लंड चूस रही थी।
अब मुनि जी आह आहह कर रहे थे, तो तभी मुनि जी ने मुझे उठाया और नीचे झुककर मेरी पेंटी खोल दी। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे कूल्हों पर ले जाकर मुझे आगे खींचा और मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ से चाटने लगे। अब में और भी मस्त हो गयी थी, तो फिर मैंने भी अपनी ब्रा उतारकर फेंक दी और ज़ोर-ज़ोर से अपने बूब्स दबाने लगी और म्म्म्मममममममममममम उहह आअहह करने लगी थी। फिर मुनि जी ने मुझे ज़मीन पर लेटा दिया तो मैंने कहा कि मुनि जी पलंग पर चलो ना, तो मुनि जी ने कहा कि नहीं सुंदरी हमने वस्त्रों को त्याग दिया है हम कपड़े पर नहीं लेटते है। अब मुझे मन ही मन उनकी बातों पर हँसी आ रही थी कि सब त्याग कर भी चूत का दीवाना है। अब मुनि जी मुझे लेटाकर मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में आ गये थे, अब वो मेरी चूत को चाट रहे थे और में उनका लंड चूस रही थी।
फिर थोड़ी देर के बाद उनका लंड खड़ा हो गया और उन्होंने मेरे मुँह में ही अपना गर्म दूध छोड़ दिया और में उसे पूरा पी गयी और उनका पूरा लंड अपनी जीभ से चाट-चाटकर पूरा साफ कर दिया। अब उनका लंड छोटा हो गया था, फिर उन्होंने मेरी चूत में अपनी 2 उंगलियाँ डाल दी और मेरी टांगे ऊँची करके अपनी जीभ से मेरी चूत से गांड तक के हिस्से को चाटने लगे। अब पूरा कमरा हमारी सांसो से गूँज रहा था। फिर मैंने मुनि जी के लंड की तरफ़ देखा तो वो फिर से 9 इंच लम्बा हो गया था। फिर जब उनका लंड पूरा तन गया तो मुनि जी ने मेरी टाँगे चौड़ी की और अपने लंड को मेरी चूत के दरवाजे पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया, तो मेरे मुँह से उूउउइईईईईईईईईईईई माँ की चीख निकल गयी और अब मेरी आँखों में आँसू आ गये थे। फिर मुनि राज ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया और अब मेरा दर्द कम हो गया था और अब मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी थी। अब में मुनि जी को पता नहीं क्या-क्या कहने लगी थी? वाउ मुनि जी मेरे राजा, आज आपने तो मेरी चूत का उद्धार कर दिया अह्ह्ह और ज़ोर से चोदो आज मुझे, पूरी दीक्षा दे दो।
अब मुनि जी भी अपने पूरे दम से मेरी चूत पर हमला कर रहे थे और बीच-बीच में मेरे होंठो का रस चूस रहे थे। फिर मुनि जी बोले कि सुंदरी तुम कहो तो में रोज़ तुम्हारी चूत को पवित्र कर दूँगा, तुम्हारे पूरे परिवार का उद्धार मैंने ही किया है, कहते हुए उन्होंने और ज़ोर से झटके दिए और फिर अचानक से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे चेहरे पर लाकर अपना सारा दूध छोड़ दिया और बोले कि इसको अपने पूरे चेहरे पर लगा लो, तुम और सुंदर हो जाओगी। तो मैंने उसे क्रीम की तरह अपने चेहरे पर लगा लिया। फिर उसके बाद उन्होंने मेरे हाथ से खाना खाया और उन्होंने खाना भी मज़ेदार ढंग से खाया फ्रूट्स के टुकड़ो को मेरी चूत में घुसाकर, मेरी चूत का रस उसमें लगाकर खाया। उस दिन सचमुच मेरा उद्धार हो गया था, अब में बहुत खुश थी।
फिर रात को मेरे पतिदेव वापस आए और उन्होंने भी मुझे चोदा, लेकिन जब वो मुझे चोद रहे थे, तो में जैन मुनि के साथ हुई चुदाई के बारे में ही सोच रही थी ।।
धन्यवाद …
फिर एक दिन मेरी सासू जी ने कहा कि बहू लो पपीता लेकर बाहर खड़ी हो जाओ, मुनि आने वाले है। तो में बाहर खड़ी हो गयी, लेकिन ज़रूरी नहीं था कि मुनि ने पपीता ही सोचा हो। फिर थोड़ी देर के बाद मुनि आए बिल्कुल नंगे, मेरे पति 4-5 दिन से बाहर गये हुए थे। फिर जैसे ही मुनि मेरे सामने आए तो मेरी नज़र उनके लंड पर ठहर गयी। फिर अचानक से मुनि मेरे पास रुक गये और झोली मेरे आगे कर दी तो में उन्हें आदर सहित अंदर ले गयी। फिर मेरी सासू जी ने मुझे एक कटोरे में पानी दिया और मेरे कान में कुछ कहा। फिर मैंने कहा कि नहीं तो वो बोली कि करो ये नियम है। फिर मैंने कटोरे के पानी से मुनि का लंड धोया। फिर मेरी सासू बोली कि बहू पी जाओ, तो मैंने उनका लंड धोकर वो पानी पिया। फिर मेरी सासू जी ने कहा कि मुनि को अंदर कमरे में आहार करवाओ।
फिर में उन्हें कमरे में ले गयी तो मेरी सासू जी ने कमरा बाहर से बंद कर दिया। फिर मैंने मुनि राज को पाटे पर खड़ा किया और भोजन लेने के लिए गयी और वापस आई तो में चौंक गयी। अब मुनि राज का लंड तना हुआ था और वो उसे खड़े-खड़े सहला रहे थे। फिर वो मुझे देखकर मुस्कुराए और बोले कि आओ डरो मत। फिर मैंने भोजन उनकी और बढ़ाया तो वो बोले कि रख दो अभी समय है। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले कि तुम बड़ी सुंदर हो, हमारे पास आओ। अब मेरी इच्छा हो रही थी कि चिल्ला जाऊं और सासू माँ को सब बता दूँ। फिर इतने में उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ लिया और मेरे गाल पर किस किया और फिर धीरे से मेरे होंठो पर अपनी उंगली फैरने लगे।
फिर में बोली कि देव आप क्या कर रहे है? तो वो बोले कि तुम्हारा उद्धार कर रहा हूँ और ये कहकर वो मेरे होंठ चूसने लगे। अब मेरी आँखे बंद हो रही थी और में आह आह करने लगी थी। फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोले कि इसे सहलाओ ना सुंदरी, तो में अपना हाथ छुड़ाकर भागी और दरवाजे पर जाकर बोली कि माँ जी ये मुनि तो बहुत गंदे है, मुझे बचाइए। फिर सास बोली कि गंदे नहीं बेटी उद्धारक है, हमारा भी उद्धार मुनियों ने ही किया है, कर ले उद्धार। अब में कुछ बोलती इसके पहले जैन मुनि ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स दबाने लग गये और अपने होंठ मेरी गर्दन पर चलाने लग गये। फिर वो मेरे कान में बोले कि सुंदरी तुम्हारी सास का आग्रह था कि आज में तुम्हारा उद्धार करूँ, उन्हें पता है कि यहाँ क्या हो रहा है? अब मेरी आँखे बंद होने लगी थी, अब मुझ पर भी मस्ती सी चढ़ने लगी थी। फिर अचानक से मुनि जी मेरे सामने आ गये और मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर ले गये और बोले कि इसे सहलाओ सुंदरी, उस वक़्त उनका लंड कोई 9 इंच लम्बा हो गया था और काफ़ी मोटा था। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
अब उनका लंड मेरे हाथ में आते ही वो और गर्म हो गया था। अब मेरा मन किया कि उनके लंड को छोड़ दूँ, लेकिन में छोड़ नहीं पाई और उसे सहलाने लगी। फिर मुनि जी ने मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिया और मेरे बूब्स को ज़ोर-जोर से दबाने लगे। अब में आहह आहह कर रही थी, तभी मुनि जी ने मुझे थोड़ी दूर किया और मेरी साड़ी पकड़कर मुझे धक्का दिया, तो में स्टाइल से घूमती हुई दूर गयी और मेरी साड़ी मुनि के हाथ में आ गयी। फिर वो लपककर मेरे पास आए और मेरा ब्लाउज जल्दी से खोल दिया और फिर एक झटके में मेरा पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो वो तेज़ी से नीचे गिर गया। अब में मुनि के सामने सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और अब मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी ब्रा को ढक लिया था और अपनी आँखें बंद कर ली थी। फिर मुनि मेरे पास आए और फिर से मेरे हाथ में अपने लंड को पकड़ा दिया और मेरी ब्रा ऊँची करके बोले कि सुंदरी में तुम्हारा दूध पिऊँगा, पी लूं ना। फिर में बोली कि हाँ महाराज पी लो, तो फिर मुनि राज़ ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे।
अब मेरी चूत में खुजली चलने लगी थी तो मैंने अपना एक हाथ अपनी पेंटी में घुसा लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद मुनि बोले कि सुंदरी तुम भी हमारा दूध पीओगी? तो में बोली कि आपका दूध, में समझ नहीं पाई। फिर मुनि मुस्कुराए और मुझे पकड़कर अपने घुटनों पर बैठा दिया और अपने लंड को मेरे मुँह में देकर बोले कि इसे चूसो, अच्छा दूध निकलेगा। अब में भी पूरी तरह से चुदाई के मूड में आ गयी थी, अब में लपक-लपककर मुनि जी का लंड चूसने लगी थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अब मैंने अपना थूक लगाकर उनका पूरा लंड गीला कर दिया था। अब में कभी उनके लंड का सूपड़ा चूसती, तो कभी नीचे की गोलियां चूसती, तो कभी उनका पूरा लंड चूस रही थी।
अब मुनि जी आह आहह कर रहे थे, तो तभी मुनि जी ने मुझे उठाया और नीचे झुककर मेरी पेंटी खोल दी। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे कूल्हों पर ले जाकर मुझे आगे खींचा और मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ से चाटने लगे। अब में और भी मस्त हो गयी थी, तो फिर मैंने भी अपनी ब्रा उतारकर फेंक दी और ज़ोर-ज़ोर से अपने बूब्स दबाने लगी और म्म्म्मममममममममममम उहह आअहह करने लगी थी। फिर मुनि जी ने मुझे ज़मीन पर लेटा दिया तो मैंने कहा कि मुनि जी पलंग पर चलो ना, तो मुनि जी ने कहा कि नहीं सुंदरी हमने वस्त्रों को त्याग दिया है हम कपड़े पर नहीं लेटते है। अब मुझे मन ही मन उनकी बातों पर हँसी आ रही थी कि सब त्याग कर भी चूत का दीवाना है। अब मुनि जी मुझे लेटाकर मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में आ गये थे, अब वो मेरी चूत को चाट रहे थे और में उनका लंड चूस रही थी।
फिर थोड़ी देर के बाद उनका लंड खड़ा हो गया और उन्होंने मेरे मुँह में ही अपना गर्म दूध छोड़ दिया और में उसे पूरा पी गयी और उनका पूरा लंड अपनी जीभ से चाट-चाटकर पूरा साफ कर दिया। अब उनका लंड छोटा हो गया था, फिर उन्होंने मेरी चूत में अपनी 2 उंगलियाँ डाल दी और मेरी टांगे ऊँची करके अपनी जीभ से मेरी चूत से गांड तक के हिस्से को चाटने लगे। अब पूरा कमरा हमारी सांसो से गूँज रहा था। फिर मैंने मुनि जी के लंड की तरफ़ देखा तो वो फिर से 9 इंच लम्बा हो गया था। फिर जब उनका लंड पूरा तन गया तो मुनि जी ने मेरी टाँगे चौड़ी की और अपने लंड को मेरी चूत के दरवाजे पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया, तो मेरे मुँह से उूउउइईईईईईईईईईईई माँ की चीख निकल गयी और अब मेरी आँखों में आँसू आ गये थे। फिर मुनि राज ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया और अब मेरा दर्द कम हो गया था और अब मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी थी। अब में मुनि जी को पता नहीं क्या-क्या कहने लगी थी? वाउ मुनि जी मेरे राजा, आज आपने तो मेरी चूत का उद्धार कर दिया अह्ह्ह और ज़ोर से चोदो आज मुझे, पूरी दीक्षा दे दो।
अब मुनि जी भी अपने पूरे दम से मेरी चूत पर हमला कर रहे थे और बीच-बीच में मेरे होंठो का रस चूस रहे थे। फिर मुनि जी बोले कि सुंदरी तुम कहो तो में रोज़ तुम्हारी चूत को पवित्र कर दूँगा, तुम्हारे पूरे परिवार का उद्धार मैंने ही किया है, कहते हुए उन्होंने और ज़ोर से झटके दिए और फिर अचानक से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे चेहरे पर लाकर अपना सारा दूध छोड़ दिया और बोले कि इसको अपने पूरे चेहरे पर लगा लो, तुम और सुंदर हो जाओगी। तो मैंने उसे क्रीम की तरह अपने चेहरे पर लगा लिया। फिर उसके बाद उन्होंने मेरे हाथ से खाना खाया और उन्होंने खाना भी मज़ेदार ढंग से खाया फ्रूट्स के टुकड़ो को मेरी चूत में घुसाकर, मेरी चूत का रस उसमें लगाकर खाया। उस दिन सचमुच मेरा उद्धार हो गया था, अब में बहुत खुश थी।
फिर रात को मेरे पतिदेव वापस आए और उन्होंने भी मुझे चोदा, लेकिन जब वो मुझे चोद रहे थे, तो में जैन मुनि के साथ हुई चुदाई के बारे में ही सोच रही थी ।।
धन्यवाद …