hotaks444
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चुदाई का सिलसिला पार्ट-१[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए आज एक ऐसी स्टोरी लेकर आया हूँ आप भी पढ़ कर मस्त हो जाएँगे ....दोस्तों ये स्टोरी उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी...कोई ग़लती हो जाए तो मूवाफी चाहता हूँ...फिर शायद आपके मार्गदर्शन, सजेशन्स से उन कमियों को दूर कर सकू.. .मैं जिस सखश की स्टोरी लिखने जा रहा हूँ.....उनका नामे शशांक है ....और वो बड़े हे मधुर स्वभाव के है ....मैं उनको हमेशा “शास” कह कर ही बुलाता हूँ.....उनकी लाइफ मैं चुदाई का सिलसिला एक बार सुरू क्या हुआ की वो आज तक चल रहा है.......मैं भी करीब 24 साल से उनसे जुड़ा हूँ......मैं राज शर्मा उमर करीब 36 यियर्ज़ ...गोरा-चिटा रंग ... ...हाइट अबौट 5.6” है ... आज .भी नॉवजवान लगता हूँ ...पर जो शशांक की सरण मैं एक बार आ जाए... उसे फिर चैन कहाँ .... आज तक शास ने कितनी चूत चोदी या फाडी इसका तो उन्हे भी पता नही होगा..........उनकी पहेली चुदाई शुरू हुई शिरफ़ 1५ साल की उम्र मैं उसके गाँव की संतोष बुआ के साथ . संतोष एक बहुत ही मस्त और शानदार जिस्म की मालिक थी ऐसा लगता था जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से उतरी हो .... चाल मैं लचक भारी- भारी बूब्स, .... पतली कमर के साथ .....उभार लिए हुवे चूतड़(बटक) ....मन करता कि उसे बाहों मैं भरकर...... उमर भर चोदता ही रहे.........हर कदम पर उपर नीचे होते चूतर......गजब ढा जाते थे.....मगर अभी शास को इन सभी बातो की कोई खबर नही थी.....अल्हड़ मदमस्त......उभरता हुवा सूरज.....कोई भी लड़की उसके गुलाबी गुलाबी होटो और गालो पर किस करने के लिए तय्यार रहती थी....या बहाने ढूँढती रहती थी....एक दिन सुभह करीब 9 बजे शश के घर आई...... और शश की मोम्मी से बोली की भाभी ...... मुझे ज़रा खेत तक जाना है..... क्या मैं शश को साथ ले जाऊ.....शश की मम्मी ने कहा दिया की लेजाओ....किशी को क्या मालूम था.....कि संतोष का मन अंदर ही अंदर मानो उछाल भर रहा था.....शतोष बूवा ने शश का नाज़ुक मुलायम हाथ मैं लिया और लेकर खेतो की और चल दी.... संतोष का दिले ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और अपने प्लान के बारे मैं....सोच सोच कर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी......कभी कभी मस्ती मैं बूवा शश का हाथ दबा भी देती थी.....पेर बेचारे शश को क्या मालूम था कि क्या होने वाला है.... चुदाई के सिलसिले की शुरुआत आज ही होने जा रही है.....चलते-चलते कभी कभी बूवा शश के अंडरवेर पर आगे पीछे से ठप थापा कर भी मज़ा ले रही थी......धीरे धीरे जब वे दोनो खेत पर पहुँचे....तो बूवा ने चारो तरफ नज़र दोड़ाई......अक्टोबर का महीना था और चारो और गन्ना ही गन्ना ( सुगुर केन प्लांट) खड़ा हुवा था......अब बूवा ने अपने प्लान के मुताबिक काम करना शुरू कर दिया..... आओ शश इधर चले ........ दो गन्ने के खेतो के बीच छोटी सी पट्टी पर चलते हुए बूवा ने शश के अंडरवेर पर आगे एक हाथ लगाया और शश के छोटे लंड को छेड़ते हुवे पूछा...शश ये क्या है.......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. थोड़ा शर्मकार नूनी.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. ये किस काम आती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. सूशू करने के लिए.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. बस शिरफ़ सूशू करने के लिए ही...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. हा .फिर शरमाते हुवे बूवा का हाथ हटाते हुवे, कयौन्कि नूनी थोड़ा टाइट होने लगी थी और शश डरता था कि कही बूवा को पता ना चल जाए.[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..जब ये शिरफ़ सूशू करने के काम आती है तो इतनी बड़ी क्यो है...? हमारे तो इतनी बड़ी नही है.................[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश.. आपकी छोटी है बूवा..?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा.. हमारे तो है ही नही.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. फिर बूवा आप सूशू केसे करती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. तुम ही देख लो हाथ लगा कर....और बूवा ने शश का हाथ आपनी चूत पर फेर दिया, शनतोष के पैर कपकपाने लगे थे...चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी तभी वे दोनो खेत के बीच मैं आम(मंगोत्री) के नीचे पहुँच चुके थे....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. सच बूवा आपके नूनी नही है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. नही शश............................................. .......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश...बूवा आपके नूनी कायों नही है फिर आप सूसू कैसे करती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..हम लड़कीयो के नूनी की जगह और खास चीज़े होती है जिससे स्वर्ग की सैर करवाते है .[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश..वो कैसे बूवा....????[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी तक वो आम के पेड़ के नीचे पड़ी चारपाई पर बैठ चुके थे....और बूवा आगे का प्लान मन ही मन बना रही थी...वासना का सरूर उस पर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था.....फिर भी उसके मन मैं द्वंद चल रहा था क्या ये बच्चा उसकी एच्छा पूरी कर पाएगा भी की नही......इसी उधेड़बुन मैं से उसने शश की और देखा और शश के गुलाबी हॉट चूम लिए..[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..अक्च्छा तुम अपना अंडरवेर उतारो....तब बताती हूँ.......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश.. अंडरवेर नही बूवा..मुझे शरम आती है....................[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा.. आरे नही शरम कैसी फिर मैं भी तुझे स्वर्ग का वो रास्ता दिखाउन्गी जो तूने कभी नही देखा...और लौट कर आने का मन भी नही करता है...बड़ा ही मज़ा आता है...उउउउउउउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए आज एक ऐसी स्टोरी लेकर आया हूँ आप भी पढ़ कर मस्त हो जाएँगे ....दोस्तों ये स्टोरी उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी...कोई ग़लती हो जाए तो मूवाफी चाहता हूँ...फिर शायद आपके मार्गदर्शन, सजेशन्स से उन कमियों को दूर कर सकू.. .मैं जिस सखश की स्टोरी लिखने जा रहा हूँ.....उनका नामे शशांक है ....और वो बड़े हे मधुर स्वभाव के है ....मैं उनको हमेशा “शास” कह कर ही बुलाता हूँ.....उनकी लाइफ मैं चुदाई का सिलसिला एक बार सुरू क्या हुआ की वो आज तक चल रहा है.......मैं भी करीब 24 साल से उनसे जुड़ा हूँ......मैं राज शर्मा उमर करीब 36 यियर्ज़ ...गोरा-चिटा रंग ... ...हाइट अबौट 5.6” है ... आज .भी नॉवजवान लगता हूँ ...पर जो शशांक की सरण मैं एक बार आ जाए... उसे फिर चैन कहाँ .... आज तक शास ने कितनी चूत चोदी या फाडी इसका तो उन्हे भी पता नही होगा..........उनकी पहेली चुदाई शुरू हुई शिरफ़ 1५ साल की उम्र मैं उसके गाँव की संतोष बुआ के साथ . संतोष एक बहुत ही मस्त और शानदार जिस्म की मालिक थी ऐसा लगता था जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से उतरी हो .... चाल मैं लचक भारी- भारी बूब्स, .... पतली कमर के साथ .....उभार लिए हुवे चूतड़(बटक) ....मन करता कि उसे बाहों मैं भरकर...... उमर भर चोदता ही रहे.........हर कदम पर उपर नीचे होते चूतर......गजब ढा जाते थे.....मगर अभी शास को इन सभी बातो की कोई खबर नही थी.....अल्हड़ मदमस्त......उभरता हुवा सूरज.....कोई भी लड़की उसके गुलाबी गुलाबी होटो और गालो पर किस करने के लिए तय्यार रहती थी....या बहाने ढूँढती रहती थी....एक दिन सुभह करीब 9 बजे शश के घर आई...... और शश की मोम्मी से बोली की भाभी ...... मुझे ज़रा खेत तक जाना है..... क्या मैं शश को साथ ले जाऊ.....शश की मम्मी ने कहा दिया की लेजाओ....किशी को क्या मालूम था.....कि संतोष का मन अंदर ही अंदर मानो उछाल भर रहा था.....शतोष बूवा ने शश का नाज़ुक मुलायम हाथ मैं लिया और लेकर खेतो की और चल दी.... संतोष का दिले ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और अपने प्लान के बारे मैं....सोच सोच कर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी......कभी कभी मस्ती मैं बूवा शश का हाथ दबा भी देती थी.....पेर बेचारे शश को क्या मालूम था कि क्या होने वाला है.... चुदाई के सिलसिले की शुरुआत आज ही होने जा रही है.....चलते-चलते कभी कभी बूवा शश के अंडरवेर पर आगे पीछे से ठप थापा कर भी मज़ा ले रही थी......धीरे धीरे जब वे दोनो खेत पर पहुँचे....तो बूवा ने चारो तरफ नज़र दोड़ाई......अक्टोबर का महीना था और चारो और गन्ना ही गन्ना ( सुगुर केन प्लांट) खड़ा हुवा था......अब बूवा ने अपने प्लान के मुताबिक काम करना शुरू कर दिया..... आओ शश इधर चले ........ दो गन्ने के खेतो के बीच छोटी सी पट्टी पर चलते हुए बूवा ने शश के अंडरवेर पर आगे एक हाथ लगाया और शश के छोटे लंड को छेड़ते हुवे पूछा...शश ये क्या है.......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. थोड़ा शर्मकार नूनी.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. ये किस काम आती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. सूशू करने के लिए.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. बस शिरफ़ सूशू करने के लिए ही...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. हा .फिर शरमाते हुवे बूवा का हाथ हटाते हुवे, कयौन्कि नूनी थोड़ा टाइट होने लगी थी और शश डरता था कि कही बूवा को पता ना चल जाए.[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..जब ये शिरफ़ सूशू करने के काम आती है तो इतनी बड़ी क्यो है...? हमारे तो इतनी बड़ी नही है.................[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश.. आपकी छोटी है बूवा..?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा.. हमारे तो है ही नही.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. फिर बूवा आप सूशू केसे करती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. तुम ही देख लो हाथ लगा कर....और बूवा ने शश का हाथ आपनी चूत पर फेर दिया, शनतोष के पैर कपकपाने लगे थे...चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी तभी वे दोनो खेत के बीच मैं आम(मंगोत्री) के नीचे पहुँच चुके थे....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश. सच बूवा आपके नूनी नही है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा. नही शश............................................. .......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश...बूवा आपके नूनी कायों नही है फिर आप सूसू कैसे करती है...?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..हम लड़कीयो के नूनी की जगह और खास चीज़े होती है जिससे स्वर्ग की सैर करवाते है .[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश..वो कैसे बूवा....????[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी तक वो आम के पेड़ के नीचे पड़ी चारपाई पर बैठ चुके थे....और बूवा आगे का प्लान मन ही मन बना रही थी...वासना का सरूर उस पर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था.....फिर भी उसके मन मैं द्वंद चल रहा था क्या ये बच्चा उसकी एच्छा पूरी कर पाएगा भी की नही......इसी उधेड़बुन मैं से उसने शश की और देखा और शश के गुलाबी हॉट चूम लिए..[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा..अक्च्छा तुम अपना अंडरवेर उतारो....तब बताती हूँ.......[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शश.. अंडरवेर नही बूवा..मुझे शरम आती है....................[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बूवा.. आरे नही शरम कैसी फिर मैं भी तुझे स्वर्ग का वो रास्ता दिखाउन्गी जो तूने कभी नही देखा...और लौट कर आने का मन भी नही करता है...बड़ा ही मज़ा आता है...उउउउउउउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म.....[/font]