Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ - Page 8 - SexBaba
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Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ

उसकी आँख कुछ घंटों में खुली. उसने अपने को मेरी मांसल भुजाओं में लिपटा पाया. मैंअभी भी सो रहा था . मेरे थोड़े से खुले होंठों से गहरी सांस उसके मुंह से टकरा रही थी. उसको मेरी साँसों की गरमी बड़ी अच्छी लग रही थी. मेरे नथुने बड़ी गहरी सांस के साथ-साथ फ़ैल जाते थे. मेरी गहरी सांस कभी खर्राटों में बदल जाती थी. उसको मेरा पुरूषत्व से भरा खूबसूरत चेहरा उसको पहले से भी ज़्यादा प्यारा लगा, और मेरा वोह चेहरा उसके दिल में बस गया. उसने अब आराम से मेरे वृहत्काय शरीर को प्यार से निरीक्षण किया. मेरे घने बालों से ढके चौड़े सीने के बाद मेरा बड़ा सा पेट भी बालों से ढका था. उसकी दृष्टी मेरे लंड पर जम गयी. मेरा लंड शिथिल अवस्था में भी इतना विशाल था की उसको मुझसे घंटों चुदने के बाद भी विश्वास नहीं हुआ की मेरा अमानवीय वृहत लंड उसकी चूत में समा गया था. वो मेरे सीने पर अपना चेहरा रख कर मेरे ऊपर लेट गयी. मैने नींद में ही उसको अपनी बाँहों में पकड़ लिया.

उसका बच्चों जैसा छोटा हाथ स्वतः मेरे मोटे शिथिल लंड पर चला गया. उसने अपनी ठोढ़ी मेरे सीने पर रख कर मेरे प्यारे मूंह को निहारती, लेटी रही. कुछ ही देर में मेरा लंड धीरे-धीरे उसके हाथ के सहलाने से सूज कर सख्त और खड़ा होने लगा. उसका पूरा हाथ मेरे लंड के सिर्फ आधी परिधी को ही घेर पाता था. मैने नीद में उसको बाँहों में भरकर अपने ऊपर खींच लिया. वो हलके से हंसी और मेरे खुले मुंह को चूम लिया. मेरी नीद थोड़ी हल्की होने लगी.

उसने संतुष्टी से गहरी सांस ली और मेरे बालों से भरे सीने पर अपना चेहरा रख कर आँखे बंद कर ली. उसका हाथ मेरे लंड को निरंतर सहलाता रहा. शायद वो फिर से सो गयी थी. उसकी आँख खुली तो मैं जगा हुआ था और उसको प्यार से पकड़ कर उसके मूंह को चूम रहा था.

"मम्म्मम्म.. मैंआप तो बहुत थक गए," उसने प्यार से मेरी नाक को चूमा.

" बेटा, यह थकान नहीं, तुम्हारी चूत मारने के बाद के आनंद और संतुष्टी की घोषणा थी," मैने हमेशा की तरह उसके सवाल को मरोड़ दिया.

"अब क्या प्लान है, मास्टर जी," उसने अल्ल्हड़पन से पूछा.

मैने उसकी नाक की नोक की चुटकी लेकर बोला, "पहले नेहा बेटी की चूत मारेंगें, फिर नहा धोकर डिनर खायेंगे," मैं अपने वाक्य के बीच में उसको अपने से लिपटा कर करवट बदल कर उसके ऊपर लेट गया, " उसके आगे की योजना हम आपके ऊपर छोड़ते हैं." मैं उसके खिलखिला कर हँसते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर उसको चूमने लगा.

उसकी अपेक्षा अनुसार मैने अपनी टांगों से उसकी दोनों टांगों को अलग कर फैला दिया. मैनेअपना लोहे जैसा कठोर लंड उसकी चूत के द्वार पर टिका कर हलके धक्के से अपना बड़ा सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. उसकी ऊंची सिसकारी ने मेरे लंड के चूत पर सन्निकट हमले की घोषणा सी कर दी.


मैने दृढ़ता से अपने विशाल लंड को उसके फड़कती हुई चूत में डाल दिया. उसने अपने होंठ कस कर दातों में दबा लिए. उसको आनंदायक आश्चर्य हुआ की मेरे हल्लवी मूसल से उसको सिवाय बर्दाश्त कर सकने वाले दर्द के अलावा जान निकल देने वाली पीड़ा नहीं हुई. उसकी चूत में मेरे लंड के प्रवेश ने उसकी वासना की आग को हिमालय की चोटी तक पहुचा दिया.
 
उसकी बाँहों ने मेरी गर्दन को जकड़ लिया. मैनेउसके कोमल कमसिन बदन के ऊपर अपना भारी-भरकम शरीर का पूरा वज़न डाल कर उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. मेरे लंड ने उसकी सिस्कारियों से कमरा भर दिया. मैने उसकी चूत को आधा घंटा अपने मोटे लंड से सटासट धक्कों से चोदा. उसकी चूत तीन बार झड गयी. मेने आख़िरी टक्कर से चूत में अपना लंड जड़ तक घुसेड कर उसकी चूत में झड़ गया. मैंऔर वो एक दूसरे को बाँहों में पकड़ कर चुदाई के बाद के आनंद के रसास्वाद से मगन हो गए.

मैं प्यार से उसको अपनी बाँहों में उठा कर स्नानघर में ले गया.

मैंजब पेशाब करने खड़ा हुआ तो उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर मेरे पेशाब की धार को सब तरफ घुमाते हुए शौचालय में पेशाब कराया. मेरा शिथिल लंड भी बहुत भारी और प्यारा था. उसने मेरे भीगे लंड को प्यार से चूमा. उसको मेरे पेशाब का स्वाद बिलकुल भी बुरा नहीं लगा.

वो जैसे ही शौचालय की सीट पर बैठने लगी मैने उसको बाँहों में उठा कर नहाने के टब में खड़ा हो गया. मैने अपनी शक्तिशाली भुजाओं से उसको अपने कन्धों तक उठा कर उसकी टाँगें अपने कन्धों पर डालने को कहा. उसका मेरी हरकतों से हसंते-हंसते पेट में दर्द हो गया. इस अवस्था में उसकी गीली चूत ठीक मेरे मुंह के सामने थी.

वो मुझसे अपनी चूत चटवाने के विचार से रोमांचित हो गयी, " मेरी पूरी बुर भरी हुई है. मेरा पेशाब निकलने वाला है."

" बेटा, मुझको अपना मीठा मूत्र पिला दो. कुंवारी चूत की चुदाई के बाद पहला मूत तो प्रसाद की तरह होता है." मैने उसकी रेशमी बालों से ढकी चूत को चूम उसको मुझे अपना मूत्र-पान कराने के लिए उत्साहित किया.

उसका पेशाब अब वैसे ही नहीं रुक सकता था. उसके मूत की धार तेज़ी से मेरे खुले मूंह में प्रवाहित हो गयी. मैने मुंह में भरे मूत्र को जल्दी से सटक लिया, पर तब तक उसके पेशाब की तीव्र धार ने मेरे मुंह का पूरा 'मूत्र स्नान' कर दिया. मैं कम से कम उसके आधे पेशाब को पीने में सफल हो गया. मेरा मुंह, सीना और पेट उसके मूत से भीग गया था. सारे स्नानघर में उसके मूत्र की तेज़ सुगंध फ़ैल गयी.

"मास्टर जी, प्लीज़ मुझे शौचासन पर बैठना है."

मैने उसको प्यार से कमोड पर बिठा दिया. वो मेरे आधे-सख्त लंड को मूंह में ले कर मलोत्सर्ग करने लगी. उसके पखाने की महक स्नानघर में फ़ैल गयी. मैने ने गहरी सांस ली, उसका शरीर रोमांच से भर गया, कि मुझको उसका मलोत्सर्जन भी वासनामयी लगता था. मेरा लंड और भी सख्त हो गया. जब उसका मलोत्सर्ग समाप्त हो गया तो उसने अपने आपको साफ़ किया और खड़ी हो गई .

फिर हम इकट्ठे स्नान करने के लिए शावर के लिए चल पड़े. मैने उसको प्यार से साबुन लगाया. मेरे हाथों ने उसके उरोजों, चूत और गांड को खूब तरसाया. मैने उसके बालों में शेम्पू भी लगाया. उसके शरीर में वासना की आग भड़कने लगी. उसने भी मुझको सहला कर साबुन लगाया.उसके हाथों ने मेरे खड़े मूसल लंड को खूब सहलाया, उसने मेरे विशाल बहुत नीचे तक लटके अंडकोष को भी अपने हाथों में भरकर साफ़ करने के बहाने सहला कर मेरी कामंगना को भड़का दिया.
 
उसने उसके बाद साबुन भरे हाथों से मेरे विशाल बालों से भरे चूतड़ों को मसला और अपनी उंगली से मेरी चूतड़ों के बीच की दरार को सहलाया, उसकी उंगली बड़ी देर तक मेरी गांड के छेद पर टिकी रही. मैने उसको मुड़ कर अपनी बाँहों में उठा लिया. वो खिलखिला कर हंस पड़ी, उसकी बाहें मेरी गर्दन से लिपट गयीं और उसकी टांगों ने मेरी चौड़ी कमर के उभार को जकड़ लिया.

मैने उसके साबुन लगे चिकने चूतड़ों को अपने हाथों में संभाला और अपने घुटने झुका कर अपना अमानवीय अकार के घोड़े जैसा साबुन से लस्त लंड के अत्यंत मोटे सुपाड़े को उसकी चूत में घुसेड़ दिया. हम दोनो के बदन साबुन के चिकने थे. मैने उसके वज़न की सहायता से उसकी चूत में अपने विशाल लंड को मोटे खूंटे की तरह धकेल दिया. उसकी चीख से स्नानघर गूँज उठा.

मैने उसके चूतड़ ऊपर उठाये और फिर उसके वज़न का इस्तेमाल कर के नीचे गिरा कर अपने लंड से उसकी चूत बिजली की तेज़ी से मारने लगा.

मैने भयंकर तीव्रता से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी. उसकी सांस एक बार भी संतुलित नहीं हो पायी. मैं अपने विशाल लोहे जैसे सख्त लंड को स्थिर रख, उसके चूतड़ों से आगे पीछे कर के वास्तव में उसकी चूत से अपना लंड मार रहा था. उसकी सिस्कारियों से दीवारें बहरी हो गयीं. मैने उसको अपनी और अपने महाकाय लंड की मर्दानी ताकत का फिर से आभास कराया. उसने अपना खुला सिसकता हुआ मुंह मेरी गर्दन में छुपा लिया.मेरी वहशी चुदाई ने उसकी चूत को पांच बार झाड़ दिया. मेरी इतनी उत्तेजना भरी चुदाई ने उसकी हालत बेहाल कर दी. उसका किशोर शरीर मेरे लंड से उपजी महा-कामेच्छा को संभालने के लिए अभी बहुत अल्पव्यस्क था. उसने अपने आपको अपनी धधकती वासना के ऊपर छोड़ दिया.

जब उसको लगने लगा कि मैंउस दिन कभी भी नहीं झडुन्गा, मैनेउसकी चूत और भी तेज़ी से मारनी शुरू कर दी. उसकी सिस्कारियों में अब चरम कामाग्नी के अलावा थोड़ा सा दर्द भी शामिल था. पर उसको उस दर्द के भीतर छुपे काम-आनंद ने पागल कर दिया.

"मास्टर जी, चोदिये. और चोदिये. मेरी चूत अपने मोटे लंड से मारिये. आह अंन्ह ...हाय उसकी चूत ...मास्टर जी... ई..ई ....मर गयी मैं," उसका मुंह मेरी गर्दन से चिपका हुआ था.

मैंअपने भयंकर लंड से उसकी चूत का विध्‍वंस निरंतर हिंसक तेज़ी से करता रहा जब तक मेरा लंड अचानक उसकी चूत में स्खलित हो गया. मेरे गरम वीर्य ने उसके हलक से जोर की सिसकारी निकाल दी. उसकी चूत ने भी एक बार फिर से रति-रस विसर्जित कर दिया.मेरे महाकाय लंड ने लगभग तेरह बार झटके मार कर उसकी चूत को अपनी मर्दांगनी के निचोड़, संतान उत्पादक, वीर्य से भर दिया.

मैने उसको जोर से अपने शरीर से भींच लिया. वो भी मुझसे बच्चे की तरह लिपट गयी. हम दोनों को काफी समय लगा अपनी सांसों को संतुलित करने में.

हम दुबारा से नहाए और अपने अपने बदन सॉफ कर के जब कमरे में आए तो देखा सेठानी अब जाग चुकी थी और बाथरूम से आती चुदाई की आवाज़ों से गरम हो कर अपनी चूत सहला रही थी

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मैंऔर वो नहा धो कर अपने आपको तरोताजा महसूस कर रहे थे

सेठानी हमें देख कर कमरे से उठ कर चली गई और कुछ देर में ही खाना लेकर कमरे में आ गई . सेठानी ने हम दोनों के लिए खाना परोसा. और मुझसे लिपट कर मुझे प्यार से कई बार चूमा. मैने भी उसे अपने से लिपटा लिया और उसको किस करने लगा कुछ देर मे हम अलग हो गये फिर मैने उस कमसिन लोन्डिया को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.

मेरे हाथ बड़ी मुश्किल से उसके गुदाज़ स्तनों से कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। उसके कोमल उरोज यों तो उसकी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। मैने उन को रात भर और सुबह मसल, मरोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था।

मैने उसकी दोनों चुचुक को भींच कर उसके गाल को चूम कर पूछा, "मेरी हसीन परी किस विचारों में खो गयी है?"

वो शर्मा कर लाल हो गयी, "मै वो अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?"

मैने उसको कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए उसके उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। वो भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। वो इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।

मैने चार गुलाब जामुन उसकी टाँगे चौड़ा कर उसकी चूत में भीतर तक भर भर दिए। वो मचल उठी, "मास्टर जी मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।"

"अरे बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।"


"मुझे भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" वो इठला कर बोली।

"यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी जान की चूत है,"

मैं और सेठानी खुल कर हंस पड़े
 
पर वो अब मेरे परिपक्व अनुभव से तेज़ी से कामानंद की क्रियायें सीख रही थी। उसने मुझे हाथ पकड़ कर उठाया और मेरा लंड अपने नन्हे हाथों पकड़ कर एक गुलाब जामुन की मेरे लंड पर मसल दिया और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी

मेरी और उसकी चुहल बाजी, हंसी-मज़ाक पूरे खाने के दौरान चलती रही।

खाना समाप्त होने के प्रश्च्यात मैने मुस्कुरा कर उसको पलंग पर लिटा दिया। वो भी वासनामयी मुस्कान से खिल उठी। उसने जोर लगा कर अपनी चूत में भरे गुलाब जामुनों को बाहर धकेलने का प्रयास किया। मैने अपनी उंगली से उसकी मदद की।

मैने उसकी चूत से निकली मिठाई को लालाचपने से खाया। मैने अपनी जीभ और मूंह से उसकी चूत पर लिसी चासनी को साफ़ कर दिया।


उसने मुस्कुरा कर अपना अधखुला मूंह ऊपर कर मुझ को चुम्बन का निमंत्रण दिया. मैने उसको अपनी गोद में खींच लिया और शीघ्र हमारे खुले मुंह एक दुसरे के मूंह से चुपक गए. हमारी जीब एक दुसरे के मुंह में अंदर-बाहर जाने लगी. हमारी लार एक मुंह से दुसरे मुंह में जा रही थी. मेरा प्रचंड लंड उसके गुदाज़ नितिम्बों को कुरेदने लगा.

मैं उसके सख्त चूचुक अपनी चुटकी में भर मसलने लगा.

मेरे मजबूत हाथ उसके दोनों स्तनों को मसलने और गुंथने लगे। उसकी सिस्कारियां मुझे और भी उत्साहित कर रहीं थीं।

उसने अपने नाज़ुक नन्हे हाथों से मेरे लंड को पहले रगड़ा, पर उसको मेरे विशाल लंड की गर्मी अपने हाथों में महसूस करनी थी. मेरे महाकाय प्रचंड लंड ने उसके नन्हे हाथों को भर दिया.

उसने हलके से अपने को मेरी बाँहों से मुक्त कर मेरी जाँघो के बीच में झुक गयी। उसने मेरे विशाल सुपाड़े को अपने गर्म थूक से भरे मुंह को पूरा खोल कर अंदर ले लिया। मैंउसके घुंघराले घने बालों को सहलाने लगा वो बड़ी मुश्किल से मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने की कोशिश करने लगी। मेरी हल्की सी सिसकारी ने उसको और भी उत्साहित कर दिया। वो दिल लगा कर मेरे लंड को जितना अच्छे से हो सकता था चूसने लगी।


मैने वासना की उत्तेजना में गुर्रा कर कहा, " बेटा मेरे लंड को आपकी चूत चाहिए. क्या मैं आपकी चूत मारूं?"

नेकी और पूछ-पूछ!

मैंउसको तरसा रहा था . उसने अपनी सिस्कारियों से मेरी इच्छा के सामने अपने नाबालिग, किशोर शरीर का एक बार फिर से समर्पण कर दिया.


मैं अपने प्रचंड लंड के सुपाड़े से उसकी चूत ढूँढने लगा. उसने अपने नन्हे हाथ से मेरे विशाल लंड को अपनी तंग किशोर कमसिन यौनी के द्वार की सीध पर रख दिया. मैनेचार भयंकर धक्कों में अपना महाकाय लंड उसकी चुस्त चूत में जड़ तक अंदर डाल दिया. पूरा कमरा उसकी चीखों और फिर उसकी ऊंची सिस्कारियों से गूँज उठा.


मेरे बड़े शक्तिशाली हाथ उसके भारी गुदाज़ नितिम्बों को संभाल कर उसको अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगे। उसकी चूत मेरे भीमकाय लंड के ऊपर अप्राकृतिक आकार में फ़ैल गयी थी। शीघ्र ही उसकी रति-रस से भरी चूत सपक-सपक की आवाज़ कर मेरे लंड से चुद रही थी। उसने मेरे सीने में अपना सिसकता मुंह छिपा लिया।


"आह ..मास्टर जी चोदिये। आपका लंड कितना बड़ा है। आह .. ओह ... ब .. ऊंह ... हे मा ... ऊन्न्ह्ह्ह .... मा ..आ ...ऒन्न्ह ऊन्न्नग्ग्ग,"

वो मेरे भयंकर धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थी। उसकी चूचियां मेरे हर भीषण धक्के से ऊपर नीचे मादक नाच कर रहीं थीं।

वो कुछ ही देर में झड़ने के लिए तैयार थी। वो एक जोर की चीख के साथ मेरे वृहत लंड के ऊपर झड़ गयी। मैने उसको ऊपर उठा कर उसकी थिरकती चूची को अपने मुंह में खींच कर चूसने लगा . उसकी कामोन्माद की चीख में उसके स्तन में मेरे चूसने का दर्द भी मिल गया।

मैने स्नानगृह के सामान उसकी चूत लम्बे प्रचंड धक्कों से मार कर उसकी हालत खराब कर दी. उसकी कामेच्छा प्रज्जवलित हो उसके शरीर में आग लगाने लगी. मैने उसको उसी भयंकर तेज़ी से क़रीब एक घंटा उसको चोदा. जब मैं झड कर निढाल हुआ तब तक उसकी बुर ने कई बार अपना पानी छोड़ दिया था

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लगभग एक घंटा आराम करने के बाद शैतानी से मुस्कराते हुए उसका एक हाथ बार बार मेरे लंड को सहला देता था। उसकी वासना अब फिर से मेरे लंड के लिए जागृत हो गयी। वो घुटने पर बैठ कर मेरे आधे खड़े उसके चूत के रस से भीगे लंड को चूसने लगी। मेरा लंड कुछ ही क्षण के चूसने से ही लोहे के डंडे की तरह खडा हो गया।

मैने उसको ऊपर उठा कर अपनी बाँहों में भर लिया। मेरा खुला मुंह उसके मुंह के ऊपर चिपक गया। उसकी भूखी जीभ मेरे मुंह के अंदर हर जगह जा कर मेरी जीभ से भिड़ गयी। और एक हाथ से मेरे सीने के घने बालों में अपनी उँगलियों घुमाने लगी। मैने उसको प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं अपना विकराल लोहे से भी सख्त पर रेशम जैसा मुलायम लंड उसकी चूत के द्वार पर रगड़ने लगा उसकी सिसकारी मुझे उसके अविकसित स्त्री-गृह की नाज़ुक सुगन्धित सुरंग के अंदर आने के लिए उत्साहित कर रही थी।

मेरी झिलमिलाती हल्की भूरी आँखें उसकी वासना भरी आँखों से अटक गयीं।

मेरे होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। वो समझ गयी कि मैं उस अल्हड़ नवयौवना के होंठों से सम्भोग के अश्लील शब्दों को सुनना चाहता हूँ
वो भी अब मुझे बोलने से बहुत नहीं शर्मा रही थी

"मास्टर जी मेरी चूत में अपना विशाल लंड डाल दीजिये। मास्टर जी अपने विकराल लंड से अपनी प्रेमिका की मासूम चूत को फाड़ दीजिये," वो पहले धीरे फिर जोर से बोली।


मैने चार भयंकर धक्कों से अपना पूरा भीमकाय लंड उसकी चूत में जड़ तक ठूंस दिया।

उसकी चीख उसके हलक में ही अटक गयी क्योंकि मैने उसको एक क्षण भी दिए बिना उसकी चूत को भीषण रफ़्तार से चोदने लगा . मेरा विकराल लंड उसकी चूत को रेल के इंजिन के पिस्टन की रफ़्तार और शक्ति से चोद रहा था।

उसके गले से जब आवाज़ निकली तो पहले वो बिलबिला कर चीखी पर कुछ ही क्षणों में वो ऊंची सिस्कारियों से मेरी शक्तिशाली चुदाई के लिए आभार प्रकट करने लगी।

मेरे विशाल हाथों ने उसकी चूचियों का मर्दन निर्ममता से किया, पर वो मुझसे और भी बेदर्दी से मसलवाना चाहती थी।

"मास्टर जी ... ओओओण्ण्ण्ण्ण आँ ...आँ ....आँ .....आअह ...और ज़ोर से। मैं आने वाली हूँ। मास्टर जी ... ई .... ई .... ई .......अंअंअंअंअंअं। मर गयी वो तो ....आआआ ह्हूम।"

'चपक-चपक' की सुंदर ध्वनि उसकी चूत के मर्दन की घोषणा कर रहीं थी।

मैने उसको चार बार झाड़ कर उसकी चूत अपने मर्दाने संतान-उत्पादक गरम वीर्य से भर दी. वो मुझसे छोटी बच्ची की तरह लिपट गयी. हम दोनों कुछ देर उसी तरह लेटे रहे.

मैने उसको कई बार प्यार से चूम कर अपने लंड से मुक्त कर दिया.
 
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