फिर से गेम शरू हुआ और जीती रति
रति - मैं जीत गई, मैं जीत गई, मैं जीत गई
मैं - बताओ मुझे क्या करना है...
रति (हँसते हुए) – अब
अब आगे....
क्या कपड़े वापस पहनने का खेल खेलना है, चलो उतारो औऱ आजद कर दो तुम्हारे हथियार को...
मैं - अच्छा, ठीक है... खेल खत्म नही हुआ है
रति - क्यों अब यदि तुम हारे तो..?
मैं - जो तुम कहोगी मैं वो करुगा.. खेल तब तक चलेगा जब तक हम दोनों ना कहें
रति - ठीक है, अब जल्दी से उतारो
मैंने - अपनी बॉक्सर उतार दी, अब मैं पूरा नंगा रति के सामने था। मेरा लंड पूरा ताना हुआ, झटके ले रहा था। रति मेरे लंड को लगतार देख रही थी।
मैं - अब मेरा हथियार ही देखते रहोगी या खेल आगे बढाओगी।
रति चौकते हुए, हाँ हाँ बांटो पत्ते
गेम शुरू हुआ, इस बार मैं जीत गया।
अब हंसने की बारी मेरी थी, मैने कहा जल्दी से अपनी पेन्टी मुझे दे दो।।।
रति - नही ललित प्लीज् मुझे माफ़ कर दो, कुछ कहा प्लीज...
मैं - नही
रति - प्लीज, एक बार
मैं - ठीक है, लेकिन इस बार मैं तुम्हे किस नही करुगा बल्कि तुम्हारे बूब्स से जितनी देर चाहू जो चाहू करुगा। बोलो मंजूर हैं..?
रति के पास कोई और रास्ता तो था नही वो बोली ठीक हैं...
मैं झट से रति के पास गया उसे खड़ा किया उसके पीछे जाकर उसके बूब्स डाबना शरू कर दिया, रति अपने आप पर कंट्रोल नही कर पा रही थी। और सिसकारी भर रही थी।।।
कुछ देर बूब्स दबाने के बाद मैंने रति को सोफे पर लेटा दिया औऱ उसके बूब्स पगलो को तरह चूसने लगा। रति की सिसकारी अब पूरे रूम में गूंज रही थी।।। मैं समझ गया था कि अब रति का पीछे हटना संभव नही हैं।।।।
जैसे ही मैंने रति के गुलाबी निप्पल को हल्के से काटा, रति ने तीन चार झटके लिए और निढाल हो गई। मैं समझ गया था कि उसका पानी निकल गया है मैंने जैसे ही उसकी पैंटी को देखा पूरी गीली हो चुकी थी।
उसके बाद मैंने शराब को रति के बूब्स पर डालकर पिया, ऐसा करने से मेरा नशा और बढ़ गया था।। कुछ देर बाद मैं रति पर से हटा।।।
रति बहुत देर तक सोफे पर लेटी रही, थोड़ी देर बाद वो हिम्मत करके उठी और शराब का ग्लास भरने लगी। मैंने उसे रोक दिया।
मैं - नही अब नही पियोगी तुम
रति - क्यों.?
मैं - मैं नही चाहता कि तुम्हे आज की रात का होश ना रहें, अभी हम दोनों समझ रहे है कि क्या हो रहा है। मैं चाहता हूँ यह हमें जिंदगी भर याद रहे।
रति - ठीक है
फिर से खेल शरू हुआ...
पत्ते बंटे और रति जीत गई...
जीत के बाद रति के चहरे पर खुशी होनी चाहिए थी वो नही थी, जैसे वो हारना चाहती थी।
मैं - बोलो क्या करना है..?
रति - मैं क्या कहु, कुछ नही है कहने को
मैं - नही जल्दी बताओ कि क्या करना हैं..?
रति - मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ
मैं - क्या..?
रति ने गर्दन झुका की....
मैं - तुम तो पेन्टी उतारने में भी संकोच कर रही थी, फिर ये अचानक से..
रति - मैं सोच रही हूँ तुमने खेल खेल में मुझे दो बार इतनी खुशी दी, मैं भी एक बार...
मैं - ठीक है, जो तुम चाहो...
रति उठी और मुझे हाथ पकड़कर सोफ़े पर बैठा दिया।
मेरे तने हुए लंड को उसने हांथो से पकड़ा, उसके नरम हाथो के स्पर्श से ही मेरा लंड फिर से झटके लेने लगा...
रति ने लंड के टोपे पर जीभ रखी, मुझे जैसे जन्नत का अहसास हो रहा था, उसके बाद जो रति ने किया उसकी कल्पना करना मुश्किल हैं।
रति ने अपनी जीभ को मेरे लंड के छेद डाबना शुरू किया। उफ़्फ़फ़, ना चाहते हुए भी मेरा हाथ रति के सिर पर चला गया और मैं उसके सिर को धीरे धीरे दबाने लगा...
कुछ देर बाद, रति ने मुहँ को गोल किया और मेरे आधे लंड को मुँह में डाल दिया और जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी...
इस अहसास को लिखना नामुमकिन है, कोई लेखक इसे शब्दो मे बंया नही कर सकता।।।
थोड़ी देर बाद रति ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मैं आपे से बाहर हो रहा था।। मैंने रति से कहा, छोड़ दो मई झड़ने वाला हूँ।। लेकिन रति नही मानी, उसने और स्पीड बड़ा दी और कुछ देर में मैं रति में मुँह में ही झड़ गया। रति ने बिना देर किए पुरा माल गटक लिया।।।।
मैं निढाल सोफ़े पर पड़ा था, रति उठकर बाथरूम में गई और उसने मुहँ धो लिया।।।।
रति - तो महराज कैसा लगा..?
मैं - जन्नत, तुम कमाल हो
चले शरू करें हमारा खेल
मैं - छोड़ो न ये खेल हम सीधे...
रति - ना बाबा, हम इससे आगे नही बढेंगे
मैं - वो तो खेल बताएगा...
ैं निढाल सोफ़े पर पड़ा था, रति उठकर बाथरूम में गई और उसने मुहँ धो लिया।।।।
रति - तो महराज कैसा लगा..?
मैं - जन्नत, तुम कमाल हो
चले शरू करें हमारा खेल
मैं - छोड़ो न ये खेल हम सीधे...
रति - ना बाबा, हम इससे आगे नही बढेंगे
मैं - वो तो खेल बताएगा...
अब आगे...
मैंने पहले ही कहा था कि यह खेल अब दोनों की मर्जी होगी तब ही रुकेगा।
रति - ठीक है, तो शुरू करो...
ताश के पत्ते फिर से बंटे और इस बार मैं जीता
रति के शरीर पर केवल पेंटी थी, वो जानती थी कि मैं उसे ही उतारने का कहने वाला हूँ।
रति ने जैसे ही खड़े होकर पेंटी को उतारने के लिए हाथ पेंटी पर रखें। मैंने उसे रोक दिया।
रति आश्चर्य से मेरी तरफ देखकर कहने लगी, तो मतलब अब मुझे पेंटी नही उतारनी पड़ेगी.?
मैं - नही, तुम्हे कुछ और करना है...
रति - क्या.?
मैं - तुम अपने पति के साथ वीडियो कॉल पर उसे गर्म करोगी, मैं ऐसी जगह खड़ा रहुगा की वो तुम्हे देख सकें लेकिन मुझे नही...
रति - तुम पागल हो क्या.? रात के 11 बजने वाले है। वो क्या समझेंगे की अचानक मुझे यह क्या हो गया।
मैं - मैं कुछ नही जानता, जल्दी करो..
रति - नही ललित इसे पता चल जाएगा तो बहुत दिक्कत हो जायेगी...
मैं - मैं कुछ नही सुनुगा जल्दी करो
रति - ठीक है, लेकिन थोड़ी देर ही।
मैं - Ok, अब जल्दी करो...
रति ने पहले रूम को थोड़ा व्यवस्थित किया, ताकि उसका पति रूम दिखाने का कहें तो उसे शक ना हो। रति जानती थी कि ऐसा हो सकता है।
रति - क्या ललित, यह सब करना जरूरी है क्या अच्छा भला हमारा गेम चल रहा था।
मैं - घूरते हुए, जल्दी...
रति ने लैपटॉप On किया और उसके पति को वीडियो कॉल किया, मैं ऐसी रूम की ऐसी जगह खड़ा हो गया कि मैं ना दिखाई दू।
वीडियो कॉल की रिंग गई औऱ रति का पति वीडियो में दिखने लगा...
रति - हे दिप, कैसे हो..? (दीपक को वह दीप कहके बुलाती थी)
दीप - मैं ठीक हूँ, बस तुमको miss कर रहा हूँ।
रति - अच्छा, तभी आज पूरे दिन में एक भी कॉल नही किया, और अब जब मैंने वीडियो कॉल किया तो कह रहे हो कि Miss कर रहे थे। (रति ने बनावटी गुस्सा दिखाया।।)
रति - अच्छा सुनो ना, क्या आज हम वीडियो पर कुछ मजेदार करें.?
दीप - वीडियो कॉल पर क्या मजेदार होगा.?
रति - तुम शरू तो करो...
दीप - ठीक है...
रति ने जो कपड़े पहने थे, उसे धीरे धीरे खोलना शुरू किया, सबसे पहले ऊपर का टॉप उतारा।
फिर शॉट।।। रति का शरीर बेहद सुंदर दिखाई दे रहा था।।
रति - दीप, अब तुम भी....
उधर दीपक जो कि शॉट पेंट और टीशर्ट पहना हुआ था ने झट से उतारकर फेंक दिए। अब वो केवल बॉक्सर में था।
दीपक - आगे बढ़ो मेरी जान, मुझे जल्दी से गर्म करो।।
रति - सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है...
रति ने अब ब्रा की स्ट्रिप को खोल दिया, लेकिन ब्रा उतारा नही और वो पीछे घूम गई जिससे दीपक को उसकी खुली हुई स्ट्रिप दिख रही थी और मुझे उसके ब्रा में उभरे हुए बूब्स। इतना मोहक सीन था कि लग रहा था कि भागकर जाउ और रति के ब्रा को उसके शरीर को उससे अलग कर दु।
अब जो रति ने किया वो जानलेवा था।
वो दोगी स्टाइल में झुकी और दोनों हाथ मे ब्रा पकड़ लिया अब उसकी पोजिशन थी।
कैमरे पर उसकी गण्ड जो कि छोटी सी पेंटी से ढकी हुई थी दिखाई दे रही थी।
रति ने गांड को मटकाना शुरू किया उधर दीपक पागल हो रहा था और इधर मैं...
रति जब खड़ी हुई तो उसका ब्रा उसके हाथ मे था और दीपक को अब उसकी नंगी पीठ दिख रही थी।
दीपक ने अब अपना बॉक्सर निकाल कर फेंक दिया और उसका छोटा सा लंड हाथ मे ले लिया उसका लंड खड़े होने पर करीब 4 इंच का होगा। और मोटाई सामान्य।
रति ने ब्रा को पकड़कर हवा में घुमाना शरू किया, जैसे वो किसी बार मे डांस कर रही हो, और उसने ब्रा को ऐसा फेंका की वो मेरे पास आकर गिरा। दीपक को लगा कि गलती से दूर फेंक दिया।
अब रति केवल जाली वाली पेंटी में थी। रति ने म्यूजिक on किया और एक इंग्लिश सांग पर डांस करना शुरु कर दिया। दीपक पूरे जोश में मुठ मार रहा था। तभी रति ने शराब की बोटल उठाई और बूब्स पर डालते हुए बूब्स को मसलना शरू किया।
उधर दीपक ने अपनी स्पीड बढ़ा दी थी।
रति की अदाएं बढ़ती जा रही थी, मैं भी बहुत हद तक Out of control हो रहा था। लेकिन मैंने आपको रोक रखा था।
तभी दीपक जोर से चिल्लाया आह रति, मैं आ रहा हूँ।।।। अब मुझसे सहन नही हो रहा, मैं आया रति, आह ह ह ह... और दीपक वीडियो कॉल अपर ही झड़ गया। और उसका लंड मुरझा गया। दीपक ने कहा बस करो रति अब यह सब बंद करो। कल बात करते है कहते हुए उसने फ़ोन काट दिया।।
रति तड़पकर रह गई क्योंकि दीपक का काम तो हो गया था मगर रति का नही....
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