MmsBee कोई तो रोक लो - Page 28 - SexBaba
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MmsBee कोई तो रोक लो

Hi Buddy 
This is nice story, please post other part.
Bahut time se wait kar Raha hu. Plz 
Aacha ye to bataoo kab post karage.
 
Bhai other post kab karage ye to bataoo. 
Kab tak wait karna parega. 
Plz. Bhai ab wait nahi ho pa Raha hai.
 
desiaks said:
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कुछ दिन बाद नामिता के जनमदिन की पार्टी हुई. पार्टी मे हमारे सभी रिश्तेदार आए थे. छ्होटी माँ के मयके से उनकी बड़ी बहन अनुराधा और उनके पति दिनेश के साथ उनका बेटा कमल और बेटी कीर्ति पार्टी मे आए थे. रिचा आंटी, मेहुल के पापा और मेहुल भी पार्टी मे आए थे.

मैं भी अपनी दोनो बहनो के साथ पार्टी मे शामिल हुआ और कॅक कटा गया. कॅक काटे जाने के बाद छ्होटी माँ ने मुझे मौसी और मौसा जी से मिलवाया. मगर मौसी जी मुझसे मिलकर कुछ खास खुश नज़र नही आई.

लेकिन मैने इस बात पर कोई विशेष ध्यान नही दिया और अमिता की उंगली पकड़ कर उसे सारे महमानो के बीच घूमता रहा. जिसे देख कर छ्होटी माँ और रिचा आंटी दोनो मुस्कुराती रही.

रिचा आंटी ने देखा कि अनुराधा मौसी मुझसे मिलकर खुश नज़र नही आ रही थी. इसलिए आंटी,मौसी के पास गयी और पूछा “क्या बात है अनु. तुझे पुन्नू से मिलकर खुशी नही हुई क्या.?”

मौसी बोली “नही ऐसी कोई बात नही.”

आंटी बोली “तो फिर क्या बात है. ऐसा मूह क्यो बना कर रखा है.”

मौसी बोली “मैं सोच रही थी कि, सुनीता की दोनो ही लड़कियाँ ही है. कोई लड़का नही है. लड़कियों की एक ना एक दिन शादी हो जाएगी. यदि कोई लड़का होता तो, वो कम से कम बुढ़ापे मे उसका ख़याल तो रखता.”

आंटी बोली “तू ऐसा क्यो सोचती. पुन्नू तो है ना. तूने देखा नही, वो अपनी छ्होटी माँ और बहनो को कितना प्यार करता है.”

मौसी बोली “लेकिन पुन्नू है तो, उसका सौतेला बेटा ही ना. अभी वो छ्होटा है और इस सगे सौतेले की बात को नही समझता. मगर एक ना एक दिन तो उसे बड़ा होना ही है और तब वो इस सगे सौतेले के भेद को भी अच्छी तरह से समझ जाएगा. क्या तब वो अपनी सौतेली माँ और बहनों से इस तरह प्यार कर पाएगा जैसे आज करता है.”

अभी आंटी कुछ बोलने वाली थी कि, तभी मौसा जी बोले “अनु तुम ठीक कहती हो कि, पुन्नू अभी बच्चा है. मगर तुम इस बात को क्यो भूलती हो कि, एक बच्चा वैसा ही बनता है, जैसे उसके माता पिता उसे संस्कार देते है. इसलिए बेहतर यही होगा कि, हम इस सगे सौतेले की बात को ज़्यादा तूल ना दे और ना ही इन बच्चों मे इस बात को लेकर कोई भेद आने दे.”

मौसी बोली “मैं तो बस वो ही बोल रही हूँ, जो आगे चलकर होना है.”

तभी छ्होटी माँ वहाँ आ जाती है. उन ने शायद अनुराधा मौसी की बातों को सुन लिया था. वो मौसी की बात के जबाब मे बोलती है.

छ्होटी माँ बोली “देखो दीदी. मुझे मालूम है कि, मैं उसकी सग़ी माँ नही हूँ और पुन्नू भी इस बात को जानता है. लेकिन अब हम सब एक परिवार है और हमारे बीच सगे सौतेले की कोई बात नही है.”

मौसी बोली “मैं आज की बात नही कर रही. मैं तो उस आने वाले कल की बात कर रही हूँ, जब तुम्हारा ये पुन्नू बड़ा हो जाएगा और शादी कर के अपनी दुल्हन लाएगा. तब इसे यही माँ बहन सौतेली नज़र आएगी.”

छ्होटी माँ बोली "दीदी शादी के बाद तो अपना सगा बेटा भी बदल जाता है. कमल तो आपका सगा बेटा है. क्या आप ये कह सकती है कि, शादी के बाद वो नही बदलेगा.”

छ्होटी माँ के मूह से अपने बेटे के बारे मे ऐसी बात सुनकर मौसी को अच्छा नही लगा.

मौसी बोली “तुम को आज भले ही मेरी बात बुरी लगे. मगर एक दिन मेरी बात ज़रूर सच होगी. तब तुझे मेरी कही बात का अहसास होगा.”

छ्होटी माँ बोली “दीदी ऐसा कभी नही होगा. पुन्नू मुझे और अपनी बहनों को बहुत प्यार करता है और मुझे विस्वास है कि आपकी कही बात कभी सच नही होगी. वो देखिए पुन्नू को कैसे अपनी बहन को सारी पार्टी मे घुमा रहा है. जबकि वो खुद पार्टी और भीड़ भाड़ से दूर रहता है. ये पार्टी भी उसने अपनी बहनों की खुशी के लिए रखवाई है. नही तो हम लोगों के मन मे तो, पार्टी रखने का कोई ख़याल ही नही था.”

छ्होटी माँ की बात सुनकर, उनके साथ साथ मौसी और आंटी भी मेरी तरफ देखने लगे. मैं अमिता को पूरी पार्टी मे घुमा रहा था और तरह तरह के नाटक कर उसे हंसा रहा था.

फिर पार्टी ख़तम होने के और महमानो के जाने के बाद सभी लोग घर मे बैठे थे. तभी आंटी मेरे पास आकर बोली “पुन्नू तेरी छ्होटी माँ अमिता और नामिता को लेकर तुम्हारी मौसी के साथ कुछ दिनो के लिए उनके घर जा रही है.”

मैं बोला “मैं भी छ्होटी माँ के साथ जाउन्गा.”

मौसी बोली “लेकिन पुन्नू मैं तुम्हे नही ले जा सकती. क्योकि तुम्हारे पापा ने तुम्हे ले जाने से मना किया है.”

मैं बोला “यदि मैं नही जाउन्गा तो, छ्होटी माँ को भी नही जाने डुगा.”

मेरी बात सुनकर सभी हँसने लगे और मुझे परेशान देख कर छ्होटी माँ बोली “मैं कही नही जा रही. तेरी मौसी और आंटी तुझे चिड़ा रही है.”

और फिर उन ने मुझ से कहा जाओ अंदर अमिता और नामिता सो रही है उनके पास जाकर बैठो मैं तुम्हारी मौसी और आंटी को बाहर तक छोड़ कर आती हूँ.

छ्होटी मा की बात सुनकर मैं अंदर चला गया और छ्होटी माँ मौसी और आंटी को छोड़ने बाहर चली गयी.

उस दिन के बाद से मेरे मौसी के परिवार से भी रिस्ते बनने लगे. खास कर मौसा जी मुझे बहुत पसंद आए थे. क्योकि वो मुझसे बड़े ही प्यार से और किसी दोस्त की तरह ही पेश आते थे.
 
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