desiaks
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मैं अपनी जिंदगी के एक ऐसे सच से सामना कर रहा था. जिस पर यकीन करना मेरे लिए इतना आसान नही था. लेकिन मेरे आस पास इस समय जो कुछ घट रहा था, उसे इतनी आसानी से झुठलाया नही जा सकता था.
मोहिनी आंटी की बात से मैं इतना तो समझ चुका था कि, हॉस्पिटल मे उन्हो ने जिस आदमी की अपनी मर्दानगी दिखाने वाली बात सुनी थी, वो कोई दूसरा नही, बल्कि मेरा कमीना बाप ही था.
क्योकि अपनी औलाद के खो जाने पर भी, उसके लिए दुख मनाने की जगह अपनी मर्दानगी की शोखियां बघारने जैसी नीच हरकत मेरे बाप की जगह कोई दूसरा इंसान नही कर सकता था.
ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैने इस बात की सच्चाई जानने के लिए पलट कर छोटी माँ की तरफ देखा. इस समय उनकी नज़र मुझ पर ही टिकी हुई थी. लेकिन जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा, उन्हो ने अपने सर को झुका लिया.
उनकी आँखों मे इस समय नमी और चेहरे पर परेशानी सॉफ देखी जा सकती थी. शायद वो इस बात के इस तरह से खुल जाने की वजह से इस सब का सामना करने के लिए खुद को तैयार नही कर पा रही थी.
उन्हे शायद इस बात का डर सता रहा था की, अब इस बात के खुल जाने से पता नही क्या क्या सवाल करूगा. मैं उनकी किसी परेशानी को बढ़ाना नही चाहता था. इसलिए मैने अपने मन के हर सवाल को अपने मन मे ही दबाए रखना ठीक समझा और छोटी माँ के पास आते हुए कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, आपने सुना की, वाणी दीदी क्या कह रही है. ये कह रही है कि, प्रिया भी आपकी बेटी है. यदि इनकी बात सही निकली तो, आप उसको कैसे संभालेगी. वो तो हम सबसे ज़्यादा शरारती है.”
मेरी ये बात सुनते छोटी माँ की आँखों की नमी आँसुओं मे बदल गयी. उन्हो ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और फुट फुट कर रोना सुरू कर दिया. उनके ये आँसू किसी दुख के नही, बल्कि इस खुशी के थे कि, उनका बेटा उनको समझने लगा है.
मगर ये हाल सिर्फ़ छोटी माँ का नही था. इस समय वहाँ खड़े सबकी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. उन्हो ने मेरे पास आकर, मेरे माथे चूमते हुए छोटी माँ से कहा.
रिचा आंटी बोली “सोनू, हमारा बेटा सच मे बहुत बड़ा हो गया है. ये अब सब कुछ समझने लगा है. तुझे अब इसकी फिकर करने की ज़रा भी ज़रूरत नही है.”
ये कहते हुए, उन्हो ने भी मुझे अपने गले से लगा लिया. मैं थोड़ी देर आंटी से मिलता रहा. फिर मैने छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, हमारी बातें तो, बाद मे भी होती रहेगी. अभी निशा भाभी का मुंबई वापस लौटना बहुत ज़रूरी है. हमे इनके जाने का इंतेजाम कर देना चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने फ़ौरन ही, निशा भाभी से कहा.
छोटी माँ बोली “आप लोग चिंता मत कीजिए. मैं अभी ही आप लोगों की वापसी की टिकेट करवा देती हूँ.”
मगर वाणी दीदी ने छोटी माँ की इस बात को काटते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मौसी, आपको इनकी टिकेट के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही है. अब मैं भी मुंबई जा रही हूँ. ये लोग मेरे साथ ही चली जाएगी. आप यदि मेरे साथ चलना चाहती है तो, बेफिकर होकर चल सकती है. अनु मौसी और रिचा मौसी मिलकर, यहाँ चंदा मौसी का ख़याल रख लेगी.”
वाणी दीदी की इस बात की सहमति, अनु मौसी और रिचा आंटी ने भी दे दी. जिसके बाद छोटी माँ वाणी दीदी के साथ जाने को तैयार हो गयी. छोटी माँ के मुंबई जाने की बात सुनते ही, कीर्ति ने भी फ़ौरन बीच मे कूदते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मौसी यदि आप मुंबई जाएगी तो, फिर मैं भी आपके साथ मुंबई चलूगी. वरना मैं आपको भी मुंबई नही जाने दुगी.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैं उसे घूर कर देखने लगा. लेकिन उस पर मेरे इस घूर्ने का कोई फरक नही पड़ा और वो उल्टा मुझे ही घूर कर देखने लगी. वहीं दूसरी तरफ छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “नही, अभी तेरी तबीयत सही नही है. ऐसी हालत मे मैं तुझे अपने साथ मुंबई नही ले जा सकती.”
छोटी माँ की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैं कीर्ति को चिड़ते हुए देखने लगा. लेकिन वो अभी भी मुंबई जाने की ज़िद पर अड़ी हुई थी. कीर्ति को मुंबई जाने की ज़िद करते देख, निशा भाभी ने छोटी माँ से कहा.
निशा भाभी बोली “आंटी, मुझे लगता है कि, कीर्ति को पीलिया हुआ है. यदि मेरा ये अंदाज़ा सही है तो, आप बेफिकर होकर इसे अपने साथ मुंबई ले चल सकती है. इसके पीलिया को पूरी तरह से ठीक करने की ज़िम्मेदारी मेरी है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, छोटी माँ उसे भी अपने साथ ले चलने को तैयार हो गयी और मैं मूह बना कर कीर्ति को देखने लगा. सबके मुंबई जाने की बात को सुनकर, मोहिनी आंटी ने कुछ संकोच सा करते हुए वाणी दीदी से कहा.
मोहिनी आंटी बोली “वाणी बेटा, क्या मैं भी तुम लोगों के साथ मुंबई चल सकती हूँ.”
मोहिनी आंटी की इस बात के जबाब मे वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए, उनसे कहा.
वाणी दीदी बोली “आंटी, इसमे पुच्छने वाली क्या बात है. आप भी हमारे साथ मुंबई चल सकती है. लेकिन आप अपने चलने की तैयारी जल्दी कर लीजिए. क्योकि हमे अभी ही यहाँ से निकलना है.”
अभी वाणी दीदी की मोहिनी आंटी से बात चल ही रही थी कि, तभी फिर से मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, निक्की का कॉल आ रहा था. मेरे कॉल उठाते ही, निक्की ने रोते हुए कहा.
निक्की बोली “वो प्रिया… पता नही प्रिया को क्या हो गया है. वो किसी से बात नही कर रही है. प्लीज़ तुम जल्दी यहाँ आ जाओ. हम सब यहाँ बहुत परेशान है.”
निक्की का रोना सुनकर, मेरी आँखों मे भी नमी छाने लगी. फिर भी मैने खुद को संभालते हुए, निक्की से कहा.
मैं बोला “तुम रो मत, हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”
लेकिन निक्की पर मेरी इस बात का कोई असर नही पड़ा और उसने फिर से रोते हुए कहा.
निक्की बोली “मुझे ये सब नही सुनना. मैं ये सब सुनते सुनते थक गयी हूँ. प्लीज़ तुम फ़ौरन यहाँ आ जाओ. मुझे पूरा यकीन है कि, तुम्हारे उसके पास रहने से वो जल्दी होश मे आ जाएगी.”
निक्की को इस तरह रोते देख कर, मेरा हौसला जबाब दे रहा था. फिर भी मैने खुद पर काबू पाने की कोसिस करते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “हां, हां, तुम चिंता मत करो, मैं फ़ौरन ही वहाँ आ रहा हूँ. हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा.”
मगर इतना कहते ही, मेरी आँखों के सामने प्रिया का चेहरा घूम गया. एक तरफ प्रिया के मुस्कुराते हुए चेहरे ने और दूसरी तरफ निक्की के लगातार रोने की आवाज़ ने मुझे तोड़ कर रख दिया था.
मेरी आँखों से आँसुओं का समुंदर बह निकला और मुझसे निक्की से इसके आगे कुछ भी कहते नही बना. मेरी इस हालत को देखते ही, निशा भाभी ने मुझसे मोबाइल ले लिया और वो निक्की को समझाने लगी.
वहीं दूसरी तरफ बरखा दीदी ने मुझे अपने कंधे से लगा कर, मुझे दिलासा देते हुए कहा.
बरखा बोली “मेरे भाई, उस लड़की ने हंसते हंसते बहुत बड़े बड़े दर्द सहे है. ऐसे मे ये दर्द उसका कुछ भी नही बिगाड़ पाएगा. यकीन रखो, वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”
बरखा दीदी की इस बात से मुझे थोड़ा हौसला मिला और मैने अपने आँसू पोन्छ लिए. लेकिन अब भी मेरी आँखों मे प्रिया का चेहरा घूम रहा था. मैं फ़ौरन ही प्रिया के पास जाना चाहता था.
मगर चंदा मौसी को ऐसी हालत मे छोड़ कर जाने को भी मेरा दिल गंवारा नही कर रहा था. उधर निशा भाभी ने निक्की को समझाने के बाद, कॉल रखते हुए मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “मुझे लगता है कि, तुम्हे भी हमारे साथ, मुंबई चलना चाहिए. तुम्हारे वहाँ होने से सबको हौसला मिलेगा.”
लेकिन मैने निशा भाभी के साथ मुंबई जाने से मना करते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, प्रिया का ख़याल रखने के लिए तो, वहाँ बहुत से लोग है और अब छोटी माँ भी वहाँ जा रही है. मगर यहाँ चंदा मौसी होश मे आते ही, मुझसे और छोटी माँ से मिलना चाहेगी.”
“अब छोटी माँ के यहाँ ना रहने पर, मेरा चंदा मौसी के पास रहना बहुत ज़रूरी हो गया है. वो मेरे परिवार का एक हिस्सा है और मैं उनको ऐसी हालत मे अकेला छोड़ कर, नही जा सकता.”
मेरी इस बात के समर्थन मे छोटी माँ ने भी निशा भाभी से कहा.
छोटी माँ बोली “ये ठीक ही कह रहा है. चंदा मौसी से भले ही हमारा कोई रिश्ता ना हो, लेकिन फिर भी वो हमारे परिवार का एक हिस्सा ही है. मैं तो इसकी जिंदगी मे बहुत बाद मे आई हूँ. लेकिन चंदा मौसी इसके जनम से ही इसके साथ है.”
“जब इसे संभालने वाला कोई नही था. तब वो ही एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रखती थी और आज जब इसके पास इसका ख़याल रखने के लिए हम सब है, तब भी वो एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रख रही है. हम सब उन्हे, घर के किसी बड़े बूढ़े की तरह ही, प्यार और सम्मान देते है.”
“जिस तरह इस समय प्रिया के परिवार का उसके पास रहना ज़रूरी है. उसी तरह चंदा मौसी के परिवार का भी उनके पास रहना ज़रूरी है. इसलिए जब तक मैं मुंबई से वापस नही आ जाती, तब तक ये और इसकी दोनो बहने यहा चंदा मौसी के पास रह कर, उनका ख़याल रखेगे.”
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, निशा भाभी ने भी मेरे यही रुकने की बात पर सहमति दे दी. जिस समय हमारी ये बात चल रही थी. उस समय वाणी दीदी मुंबई जाने की तैयारी कर रही थी.
हमारी बात ख़तम होते ही, उन्हो ने छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी से अपने चलने की तैयारी करने के लिए कह दिया. जिसके बाद, छोटी माँ कीर्ति के साथ और मोहिनी आंटी मेहुल के साथ घर चली गयी.
वाणी दीदी ने कीर्ति से अपने कमरे से उनका समान भी ले आने को जता दिया था. उनके जाने के बाद, वाणी दीदी की निशा भाभी और बरखा दीदी से बात चलती रही. कुछ ही समय बाद, छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी वापस आ गयी.
मोहिनी आंटी के साथ नितिका भी थी. वो प्रिया की तबीयत की वजह से बहुत परेशान लग रही थी. उसने वाणी दीदी से उनके साथ मुंबई चलने की बात पुछि तो, वाणी दीदी ने उसे भी साथ चलने के लिए हां बोल दिया.
इसके बाद, हम सब एरपोर्ट के लिए निकल गये. मुझे कीर्ति के मुंबई जाने की बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन पता नही, उसे मुंबई जाने की कैसी धुन चढ़ि थी की, वो मेरे गुस्से की कोई परवाह नही कर रही थी.
उसने मुझसे मुंबई वाली सिम भी ले ली थी और मुंबई पहुच कर उसी से बात करने की बात कह रही थी. मैं उसके जाने से खुश तो नही था, लेकिन उसकी खुशी के लिए, मैं उसे हंसते हंसते मुंबई के लिए विदा कर रहा था.
खैर 8:30 बजे उनकी फ्लाइट का समय हो गया और सब हम से विदा लेकर फ्लाइट की तरफ बढ़ गये. उनकी फ्लाइट के छूटते ही, मैं और मेहुल, अमि निमी के साथ वापस हॉस्पिटल आ गये.
निशा भाभी और बरखा दीदी को तो, वापस जाना ही था. लेकिन उनके साथ साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के भी चले जाने की वजह से मुझे बहुत खाली खाली सा लग रहा था.
जबकि वाणी दीदी के चले जाने से मेहुल बहुत ही ज़्यादा खुश नज़र आ रहा था. उसने हॉस्पिटल वापस आते ही, रिचा आंटी से कहा.
मेहुल बोला “मम्मी, निशा भाभी ने कहा है, चंदा मौसी को देर रात को ही होश आएगा. इसलिए आप लोग अमि निमी को लेकर घर चली जाइए और हम दोनो के खाने के लिए कुछ को भेज दीजिएगा.”
रिचा आंटी को मेहुल की ये बात सही लगी और उन्हो ने मेहुल से कहा.
रिचा आंटी बोली “तू ठीक कहता है. अमि निमी दिन भर से परेशान हो गयी है. मैं अभी इनको लेकर घर चली जाती हूँ और इन्हे सुबह जल्दी लेकर आ जाउन्गी. पुन्नू भी हमारे साथ घर जाकर ही खाना खा लेगा.”
रिचा आंटी की बात सुनकर, मेहुल ने भी उनकी बात की सहमति देते हुए कहा.
मेहुल बोला “ठीक है, आप इसे अपने साथ ले जाइए और मेरे लिए खाना यही भेज दीजिएगा.”
मेहुल की इस बात को सुनकर, रिचा आंटी ने उसे धमकाते हुए कहा.
रिचा आंटी बोली “वाणी तेरा खाना कल सुबह तक के लिए बंद करके गयी है. यदि तूने कल सुबह के पहले कुछ भी खाने की कोसिस की तो, मैं वाणी को तेरी शिकायत कर दुगी. तुझे कल के पहले कुछ भी खाने को नही मिलेगा.”
रिचा आंटी की ये बात सुनते ही, मेहुल की सारी खुशी गायब हो गयी. वो रिचा आंटी को मनाने की कोसिस करने लगा. लेकिन उन्हो ने मेहुल की कोई भी बात नही सुनी और मुझे अपने साथ लेकर घर आ गयी.
हमारे साथ साथ अनु मौसी भी खाना खाने आई थी. उन्हे रात को चंदा मौसी के पास ही रुकना था. इसलिए वो अपने घर नही गयी थी. हम रिचा आंटी के घर पहुचे तो, वहाँ पर अंकल के पास कमल के साथ साथ शिल्पा भी थी.
शिल्पा को इतने समय वहाँ देख कर, जितनी हैरानी मुझे हो रही थी, उतनी ही हैरानी रिचा आंटी और अनु मौसी को भी हो रही थी. लेकिन कमल ने हमारी इस हैरानी को दूर करते हुए, रिचा आंटी से कहा.
कमाल बोला “आंटी, शिल्पा दीदी आज रात को नितिका दीदी के पास रुक कर पढ़ने आई थी. मगर नितिका दीदी यहाँ थी तो, ये भी यहाँ चली आई. ये दोनो मिल कर, हमारा खाना तैयार कर रहे थे कि, तभी मेहुल भैया आ गये.”
“उन्हो ने आकर नितिका दीदी को प्रिया की तबीयत और उनकी मम्मी के मुंबई जाने की बात बताई तो, नितिका दीदी भी मुंबई जाने की ज़िद करने लगी. जिसके बाद मेहुल भैया ने उनसे चलने की तैयारी कर लेने को कहा और नितिका दीदी अपने घर चली गयी.”
“जब नितिका दीदी अपनी मम्मी और मेहुल भैया के साथ हॉस्पिटल जाने लगी तो, वो शिल्पा दीदी से हमारा खाना तैयार करने की बात कह गयी थी. जिस वजह से ये खाना तैयार करने यही रुक गयी थी.”
“हमारा खाना तैयार करने के बाद, ये अकेली ही घर जाने लगी तो, मैने इनको रोक लिया था. मैने इनसे कहा था कि, जब कोई घर वापस आ जाएगा तो, मैं इनको इनके घर छोड़ आउन्गा.”
इतना बोल कर कमल चुप हो गया. लेकिन उसके एक ही साँस मे इतनी लंबी चौड़ी बात बोल जाने से, मैं इतना तो समझ गया था कि, इसके पिछे भी मेहुल का ही हाथ है. वो बस थोड़ी देर के लिए ही, घर आया था.
मगर उसने उस थोड़ी ही सी देर मे कमल को सब कुछ समझा दिया था और शिल्पा का भी उसके घर की रसोई मे प्रवेश करवा कर, घर वालों के दिल मे घर बनाने का रास्ता खोल दिया था.
अब जब उसने इतना कर दिया था तो, रही सही कसर मैने भी पूरी कर देने की बात सोची और शिल्पा से कहा.
मैं बोला “आप तो अपने घर से आज रात को नितिका के घर रुकने का बोल कर आई थी और अब रात भी ज़्यादा हो गयी है. यदि आपका घर वापस लौटना ज़रूरी ना हो तो, आप आज रात को यही अमि निमी के पास रुक जाइए. ये दोनो आज यही रहने वाली है.”
मेरी ये बात सुनते ही, कमाल ने फ़ौरन मेरी हां मे हां मिलाते हुए कहा.
कमाल बोला “हां दीदी, आप यही रुक जाइए. मैं सुबह आपको घर छोड़ दूँगा.”
मेरी और कमल की बात सुनकर, शिल्पा अंकल आंटी की तरफ देखने लगी. जब अंकल ने भी उस से यहीं रुक जाने की बात कही तो, वो इसके लिए तैयार हो गयी. इसके बाद, आंटी लोग खाना लगाने लगी.
हम सबने साथ मिल कर खाना खाया. खाना खाने के बाद, मैने अमि निमी को कुछ ज़रूरी बातें समझाई और फिर मैं अनु मौसी के साथ वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया.
हम लोग जब हॉस्पिटल पहुचे तो, मेहुल मज़े से अपने दोस्त अतुल के साथ बैठा खाना खाने मे लगा था. अतुल वो ही लड़का था, जो मेरे आक्सिडेंट के समय, मेहुल के साथ, मुझे और कीर्ति को लेने आया था.
मेहुल को अतुल के साथ खाना खाते देख कर, मुझे लगा कि, अतुल ही मेहुल के लिए खाना लेकर आया है. ये देखते ही, मैने अतुल से कहा.
मैं बोला “तुमने इसके लिए खाना लाकर, बहुत बड़ी मुसीबत मोल ली है. यदि वाणी दीदी को ये बात पता चल गयी तो, वो इसके साथ साथ तुम्हारी खटिया भी खड़ी कर देगी.”
मेरी बात सुनते ही, खाना खाते खाते, अतुल के हाथ रुक गये और उसने सफाई देते हुए कहा.
अतुल बोला “मैं कहा इसके लिए खाना लाया हूँ. मैं तो बस इस से मिलने आया था. ये खाना खा रहा था और इसने मुझसे खाना खाने को कहा तो, मैं भी इसके साथ खाने के लिए बैठ गया.”
मैं बोला “तो फिर ये खाना कौन लेकर आया.”
मेरी बात सुनकर, हमारे पास खड़े प्रीतम ने कहा.
प्रीतम बोला “ये खाना मैं लेकर आया था. वाणी मेडम जाती समय बोल कर गयी थी की, उनके गुस्से की वजह से यदि आंटी मेहुल को खाना खाने से मना कर दे तो, मैं इसको खाना लाकर दे दूं.”
प्रीतम की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने प्रीतम से कहा.
मैं बोला “हमारी वाणी दीदी भी कमाल है. एक तरफ खुद ही इसे खाना खाने से मना किया था और दूसरी तरफ खुद ही इसे खाना देने की भी बोल कर गयी है.”
मेरी बात सुनकर, प्रीतम ने कहा.
प्रीतम बोला “मेडम ने मेहुल के हॉस्पिटल मे रहने की वजह से ही, आख़िरी समय मे इसकी ये सज़ा माफ़ कर दी है. वरना वो ऐसा करने के मूड मे बिल्कुल नही लग रही थी.”
मैं बोला “हम लोगों का खाना तो हो गया है. लेकिन आपके खाने का क्या हुआ.”
प्रीतम बोला “मैं तो अपने घर जाकर ही खाना खाउन्गा. अभी कुछ देर मे विश्वा आ जाएगा. उसके आते ही, मैं घर चला जाउन्गा.”
प्रीतम से इतनी बात करने के बाद, मैं चंदा मौसी को देखने अंदर चला गया. चंदा मौसी को अभी भी होश नही आया था. थोड़ी ही देर बाद, अनु मौसी आ गयी तो, मैं उठ कर बाहर आ गया.
बाहर आने के बाद, मैने सबसे अलग थलग जाकर, निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की के कॉल उठाते ही, मैने उसे निशा भाभी के साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के आने की बात बताने लगा.
लेकिन जब उसे मेरे ना आने की बात पता चली तो, वो मुझ पर गुस्सा होने लगी और उसने इसी गुस्से मे कॉल रिया को पकड़ा दिया. मैने रिया से प्रिया का हाल चल पुछा और उसे भी छोटी माँ और कीर्ति के वहाँ आने की बात बता दी.
इसके बाद मेरी राज से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर राज ने वापस निक्की को कॉल थमा दिया. मैने अपने वहाँ ना आ पाने की बात पर निक्की को अपनी सफाई देना चाहा. लेकिन उसने मुझे कोई सफाई देने का मौका दिए बिना ही कॉल रख दिया.
मैं निक्की की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ सकता था. वो इस बात को लेकर नाराज़ थी कि, प्रिया मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है और मैं उसकी ऐसी हालत की बात सुनकर, भी उसके पास नही आया.
लेकिन वो इस हक़ीकत से अंजान थी की, मैं सिर्फ़ प्रिया का प्यार ही नही, बल्कि उसका बिछड़ा हुआ जुड़वा भाई भी हूँ. मगर इस वक्त मेरे लिए प्रिया से ज़्यादा चंदा मौसी के पास रहना ज़रूरी था.
क्योकि प्रिया के पास तो, इस समय उसका सारा परिवार था. लेकिन चंदा मौसी के लिए तो, उनका सारा परिवार मैं ही था. उन्हो ने एक माँ की तरह सिर्फ़ मेरी देख भाल ही नही की थी, बल्कि आज मेरी तरफ बढ़ने वाली मौत को भी अपने उपर ले लिया था.
मैं उनकी ममता के इस क़र्ज़ को तो, कभी नही चुका सकता था. लेकिन इस समय उनके पास रह कर, एक बेटे का फ़र्ज़ तो निभा ही सकता था. यही वजह थी कि, मैं चाहते हुए भी प्रिया के पास नही जा पाया था.
लेकिन मेरे प्रिया के पास ना जाने का ये मतलब हरगिज़ नही था कि, मुझे प्रिया की फिकर बिल्कुल भी नही थी. प्रिया को लेकर इस वक्त मेरे दिल मे एक ऐसा दर्द था, जिसे मैं चाह कर भी किसी के सामने बयान नही कर पा रहा था.
जब से मुझे पता चला था कि, प्रिया मेरी बहन है. तब से मैं किसी के सामने दिल खोल कर, प्रिया की इस हालत पर रो भी नही पा रहा था. मुझे अपने दर्द से ज़्यादा, मेरे अपनो का दर्द महसूस होने लगा था.
एक तरह से प्रिया खुद तो बेसुधि की नींद मे सोई हुई थी. लेकिन वो अपनी झूठी मुस्कान, अपनी दर्द छुपाने की आदत मुझे दे गयी थी. मेरे अंदर जो बात बात पर रो देने वाला छोटा सा बच्चा था, वो ना जाने कहाँ खो गया था.
आज भले ही मेरी आँखों मे आँसू नही थे. लेकिन आज मैं महसूस कर पा रहा था कि, प्रिया अपने मुस्कुराते हुए चेहरे के पिछे कितना ज़्यादा दर्द छुपा कर रखा करती थी.
प्रिया का चेहरा बार बार मेरी आँखों के सामने घूम रहा था और मेरे उसके पास ना जाने की वजह से, जो दर्द मुझे हो रहा था, उस दर्द का अहसास निक्की तो क्या कोई भी नही कर सकता था.
मैं अपनी यही हालत निक्की को बताना चाहता था. मगर उसने मुझे अपनी कोई बात कहने का मौका ही नही दिया था. मैं निक्की से ज़रा भी नाराज़ नही था. लेकिन प्रिया के लिए परेशान ज़रूर था.
मेरी इसी परेशानी ने मुझे मेरे दिल की बात निक्की से कहने पर मजबूर कर दिया और मैने जिंदगी मे पहली बार अपने दिल से कुछ लिख कर निक्की को भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“आज अच्छी सी कोई सज़ा दो मुझे.
चलो ऐसा करो आज रुला दो मुझे.
उसको भूलु तो मौत आ जाए मुझे.
अपने दिल की गहराई से ये दुआ दो मुझे.”
निक्की को एसएमएस भेजने के बाद, मैं आँख बंद करके बैठ गया और प्रिया की बातों को याद करने लगा. थोड़ी ही देर बाद, मेरे पास निक्की का एसएमएस आ गया.
निक्की का एसएमएस
“एक परिंदे का दर्द भरा फसाना था.
टूटे थे पंख और उड़ते हुए जाना था.
तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफ़सोस,
वही डाली टूटी जिसपे उसका आशियाना था.”
ये एसएमएस मुझे निक्की ने भेजा था. लेकिन इस एसएमएस मे मुझे प्रिया का चेहरा और उसकी बेबसी नज़र आ रही थी. प्रिया की बेबसी और उसके दर्द को महसूस करते ही, मैं चाह कर भी, अपनी आँखों को छलकने से ना रोक सका और मेरी आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी.
मैं अपनी जिंदगी के एक ऐसे सच से सामना कर रहा था. जिस पर यकीन करना मेरे लिए इतना आसान नही था. लेकिन मेरे आस पास इस समय जो कुछ घट रहा था, उसे इतनी आसानी से झुठलाया नही जा सकता था.
मोहिनी आंटी की बात से मैं इतना तो समझ चुका था कि, हॉस्पिटल मे उन्हो ने जिस आदमी की अपनी मर्दानगी दिखाने वाली बात सुनी थी, वो कोई दूसरा नही, बल्कि मेरा कमीना बाप ही था.
क्योकि अपनी औलाद के खो जाने पर भी, उसके लिए दुख मनाने की जगह अपनी मर्दानगी की शोखियां बघारने जैसी नीच हरकत मेरे बाप की जगह कोई दूसरा इंसान नही कर सकता था.
ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैने इस बात की सच्चाई जानने के लिए पलट कर छोटी माँ की तरफ देखा. इस समय उनकी नज़र मुझ पर ही टिकी हुई थी. लेकिन जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा, उन्हो ने अपने सर को झुका लिया.
उनकी आँखों मे इस समय नमी और चेहरे पर परेशानी सॉफ देखी जा सकती थी. शायद वो इस बात के इस तरह से खुल जाने की वजह से इस सब का सामना करने के लिए खुद को तैयार नही कर पा रही थी.
उन्हे शायद इस बात का डर सता रहा था की, अब इस बात के खुल जाने से पता नही क्या क्या सवाल करूगा. मैं उनकी किसी परेशानी को बढ़ाना नही चाहता था. इसलिए मैने अपने मन के हर सवाल को अपने मन मे ही दबाए रखना ठीक समझा और छोटी माँ के पास आते हुए कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, आपने सुना की, वाणी दीदी क्या कह रही है. ये कह रही है कि, प्रिया भी आपकी बेटी है. यदि इनकी बात सही निकली तो, आप उसको कैसे संभालेगी. वो तो हम सबसे ज़्यादा शरारती है.”
मेरी ये बात सुनते छोटी माँ की आँखों की नमी आँसुओं मे बदल गयी. उन्हो ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और फुट फुट कर रोना सुरू कर दिया. उनके ये आँसू किसी दुख के नही, बल्कि इस खुशी के थे कि, उनका बेटा उनको समझने लगा है.
मगर ये हाल सिर्फ़ छोटी माँ का नही था. इस समय वहाँ खड़े सबकी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. उन्हो ने मेरे पास आकर, मेरे माथे चूमते हुए छोटी माँ से कहा.
रिचा आंटी बोली “सोनू, हमारा बेटा सच मे बहुत बड़ा हो गया है. ये अब सब कुछ समझने लगा है. तुझे अब इसकी फिकर करने की ज़रा भी ज़रूरत नही है.”
ये कहते हुए, उन्हो ने भी मुझे अपने गले से लगा लिया. मैं थोड़ी देर आंटी से मिलता रहा. फिर मैने छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, हमारी बातें तो, बाद मे भी होती रहेगी. अभी निशा भाभी का मुंबई वापस लौटना बहुत ज़रूरी है. हमे इनके जाने का इंतेजाम कर देना चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने फ़ौरन ही, निशा भाभी से कहा.
छोटी माँ बोली “आप लोग चिंता मत कीजिए. मैं अभी ही आप लोगों की वापसी की टिकेट करवा देती हूँ.”
मगर वाणी दीदी ने छोटी माँ की इस बात को काटते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मौसी, आपको इनकी टिकेट के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही है. अब मैं भी मुंबई जा रही हूँ. ये लोग मेरे साथ ही चली जाएगी. आप यदि मेरे साथ चलना चाहती है तो, बेफिकर होकर चल सकती है. अनु मौसी और रिचा मौसी मिलकर, यहाँ चंदा मौसी का ख़याल रख लेगी.”
वाणी दीदी की इस बात की सहमति, अनु मौसी और रिचा आंटी ने भी दे दी. जिसके बाद छोटी माँ वाणी दीदी के साथ जाने को तैयार हो गयी. छोटी माँ के मुंबई जाने की बात सुनते ही, कीर्ति ने भी फ़ौरन बीच मे कूदते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मौसी यदि आप मुंबई जाएगी तो, फिर मैं भी आपके साथ मुंबई चलूगी. वरना मैं आपको भी मुंबई नही जाने दुगी.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैं उसे घूर कर देखने लगा. लेकिन उस पर मेरे इस घूर्ने का कोई फरक नही पड़ा और वो उल्टा मुझे ही घूर कर देखने लगी. वहीं दूसरी तरफ छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “नही, अभी तेरी तबीयत सही नही है. ऐसी हालत मे मैं तुझे अपने साथ मुंबई नही ले जा सकती.”
छोटी माँ की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैं कीर्ति को चिड़ते हुए देखने लगा. लेकिन वो अभी भी मुंबई जाने की ज़िद पर अड़ी हुई थी. कीर्ति को मुंबई जाने की ज़िद करते देख, निशा भाभी ने छोटी माँ से कहा.
निशा भाभी बोली “आंटी, मुझे लगता है कि, कीर्ति को पीलिया हुआ है. यदि मेरा ये अंदाज़ा सही है तो, आप बेफिकर होकर इसे अपने साथ मुंबई ले चल सकती है. इसके पीलिया को पूरी तरह से ठीक करने की ज़िम्मेदारी मेरी है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, छोटी माँ उसे भी अपने साथ ले चलने को तैयार हो गयी और मैं मूह बना कर कीर्ति को देखने लगा. सबके मुंबई जाने की बात को सुनकर, मोहिनी आंटी ने कुछ संकोच सा करते हुए वाणी दीदी से कहा.
मोहिनी आंटी बोली “वाणी बेटा, क्या मैं भी तुम लोगों के साथ मुंबई चल सकती हूँ.”
मोहिनी आंटी की इस बात के जबाब मे वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए, उनसे कहा.
वाणी दीदी बोली “आंटी, इसमे पुच्छने वाली क्या बात है. आप भी हमारे साथ मुंबई चल सकती है. लेकिन आप अपने चलने की तैयारी जल्दी कर लीजिए. क्योकि हमे अभी ही यहाँ से निकलना है.”
अभी वाणी दीदी की मोहिनी आंटी से बात चल ही रही थी कि, तभी फिर से मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, निक्की का कॉल आ रहा था. मेरे कॉल उठाते ही, निक्की ने रोते हुए कहा.
निक्की बोली “वो प्रिया… पता नही प्रिया को क्या हो गया है. वो किसी से बात नही कर रही है. प्लीज़ तुम जल्दी यहाँ आ जाओ. हम सब यहाँ बहुत परेशान है.”
निक्की का रोना सुनकर, मेरी आँखों मे भी नमी छाने लगी. फिर भी मैने खुद को संभालते हुए, निक्की से कहा.
मैं बोला “तुम रो मत, हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”
लेकिन निक्की पर मेरी इस बात का कोई असर नही पड़ा और उसने फिर से रोते हुए कहा.
निक्की बोली “मुझे ये सब नही सुनना. मैं ये सब सुनते सुनते थक गयी हूँ. प्लीज़ तुम फ़ौरन यहाँ आ जाओ. मुझे पूरा यकीन है कि, तुम्हारे उसके पास रहने से वो जल्दी होश मे आ जाएगी.”
निक्की को इस तरह रोते देख कर, मेरा हौसला जबाब दे रहा था. फिर भी मैने खुद पर काबू पाने की कोसिस करते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “हां, हां, तुम चिंता मत करो, मैं फ़ौरन ही वहाँ आ रहा हूँ. हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा.”
मगर इतना कहते ही, मेरी आँखों के सामने प्रिया का चेहरा घूम गया. एक तरफ प्रिया के मुस्कुराते हुए चेहरे ने और दूसरी तरफ निक्की के लगातार रोने की आवाज़ ने मुझे तोड़ कर रख दिया था.
मेरी आँखों से आँसुओं का समुंदर बह निकला और मुझसे निक्की से इसके आगे कुछ भी कहते नही बना. मेरी इस हालत को देखते ही, निशा भाभी ने मुझसे मोबाइल ले लिया और वो निक्की को समझाने लगी.
वहीं दूसरी तरफ बरखा दीदी ने मुझे अपने कंधे से लगा कर, मुझे दिलासा देते हुए कहा.
बरखा बोली “मेरे भाई, उस लड़की ने हंसते हंसते बहुत बड़े बड़े दर्द सहे है. ऐसे मे ये दर्द उसका कुछ भी नही बिगाड़ पाएगा. यकीन रखो, वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”
बरखा दीदी की इस बात से मुझे थोड़ा हौसला मिला और मैने अपने आँसू पोन्छ लिए. लेकिन अब भी मेरी आँखों मे प्रिया का चेहरा घूम रहा था. मैं फ़ौरन ही प्रिया के पास जाना चाहता था.
मगर चंदा मौसी को ऐसी हालत मे छोड़ कर जाने को भी मेरा दिल गंवारा नही कर रहा था. उधर निशा भाभी ने निक्की को समझाने के बाद, कॉल रखते हुए मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “मुझे लगता है कि, तुम्हे भी हमारे साथ, मुंबई चलना चाहिए. तुम्हारे वहाँ होने से सबको हौसला मिलेगा.”
लेकिन मैने निशा भाभी के साथ मुंबई जाने से मना करते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, प्रिया का ख़याल रखने के लिए तो, वहाँ बहुत से लोग है और अब छोटी माँ भी वहाँ जा रही है. मगर यहाँ चंदा मौसी होश मे आते ही, मुझसे और छोटी माँ से मिलना चाहेगी.”
“अब छोटी माँ के यहाँ ना रहने पर, मेरा चंदा मौसी के पास रहना बहुत ज़रूरी हो गया है. वो मेरे परिवार का एक हिस्सा है और मैं उनको ऐसी हालत मे अकेला छोड़ कर, नही जा सकता.”
मेरी इस बात के समर्थन मे छोटी माँ ने भी निशा भाभी से कहा.
छोटी माँ बोली “ये ठीक ही कह रहा है. चंदा मौसी से भले ही हमारा कोई रिश्ता ना हो, लेकिन फिर भी वो हमारे परिवार का एक हिस्सा ही है. मैं तो इसकी जिंदगी मे बहुत बाद मे आई हूँ. लेकिन चंदा मौसी इसके जनम से ही इसके साथ है.”
“जब इसे संभालने वाला कोई नही था. तब वो ही एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रखती थी और आज जब इसके पास इसका ख़याल रखने के लिए हम सब है, तब भी वो एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रख रही है. हम सब उन्हे, घर के किसी बड़े बूढ़े की तरह ही, प्यार और सम्मान देते है.”
“जिस तरह इस समय प्रिया के परिवार का उसके पास रहना ज़रूरी है. उसी तरह चंदा मौसी के परिवार का भी उनके पास रहना ज़रूरी है. इसलिए जब तक मैं मुंबई से वापस नही आ जाती, तब तक ये और इसकी दोनो बहने यहा चंदा मौसी के पास रह कर, उनका ख़याल रखेगे.”
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, निशा भाभी ने भी मेरे यही रुकने की बात पर सहमति दे दी. जिस समय हमारी ये बात चल रही थी. उस समय वाणी दीदी मुंबई जाने की तैयारी कर रही थी.
हमारी बात ख़तम होते ही, उन्हो ने छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी से अपने चलने की तैयारी करने के लिए कह दिया. जिसके बाद, छोटी माँ कीर्ति के साथ और मोहिनी आंटी मेहुल के साथ घर चली गयी.
वाणी दीदी ने कीर्ति से अपने कमरे से उनका समान भी ले आने को जता दिया था. उनके जाने के बाद, वाणी दीदी की निशा भाभी और बरखा दीदी से बात चलती रही. कुछ ही समय बाद, छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी वापस आ गयी.
मोहिनी आंटी के साथ नितिका भी थी. वो प्रिया की तबीयत की वजह से बहुत परेशान लग रही थी. उसने वाणी दीदी से उनके साथ मुंबई चलने की बात पुछि तो, वाणी दीदी ने उसे भी साथ चलने के लिए हां बोल दिया.
इसके बाद, हम सब एरपोर्ट के लिए निकल गये. मुझे कीर्ति के मुंबई जाने की बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन पता नही, उसे मुंबई जाने की कैसी धुन चढ़ि थी की, वो मेरे गुस्से की कोई परवाह नही कर रही थी.
उसने मुझसे मुंबई वाली सिम भी ले ली थी और मुंबई पहुच कर उसी से बात करने की बात कह रही थी. मैं उसके जाने से खुश तो नही था, लेकिन उसकी खुशी के लिए, मैं उसे हंसते हंसते मुंबई के लिए विदा कर रहा था.
खैर 8:30 बजे उनकी फ्लाइट का समय हो गया और सब हम से विदा लेकर फ्लाइट की तरफ बढ़ गये. उनकी फ्लाइट के छूटते ही, मैं और मेहुल, अमि निमी के साथ वापस हॉस्पिटल आ गये.
निशा भाभी और बरखा दीदी को तो, वापस जाना ही था. लेकिन उनके साथ साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के भी चले जाने की वजह से मुझे बहुत खाली खाली सा लग रहा था.
जबकि वाणी दीदी के चले जाने से मेहुल बहुत ही ज़्यादा खुश नज़र आ रहा था. उसने हॉस्पिटल वापस आते ही, रिचा आंटी से कहा.
मेहुल बोला “मम्मी, निशा भाभी ने कहा है, चंदा मौसी को देर रात को ही होश आएगा. इसलिए आप लोग अमि निमी को लेकर घर चली जाइए और हम दोनो के खाने के लिए कुछ को भेज दीजिएगा.”
रिचा आंटी को मेहुल की ये बात सही लगी और उन्हो ने मेहुल से कहा.
रिचा आंटी बोली “तू ठीक कहता है. अमि निमी दिन भर से परेशान हो गयी है. मैं अभी इनको लेकर घर चली जाती हूँ और इन्हे सुबह जल्दी लेकर आ जाउन्गी. पुन्नू भी हमारे साथ घर जाकर ही खाना खा लेगा.”
रिचा आंटी की बात सुनकर, मेहुल ने भी उनकी बात की सहमति देते हुए कहा.
मेहुल बोला “ठीक है, आप इसे अपने साथ ले जाइए और मेरे लिए खाना यही भेज दीजिएगा.”
मेहुल की इस बात को सुनकर, रिचा आंटी ने उसे धमकाते हुए कहा.
रिचा आंटी बोली “वाणी तेरा खाना कल सुबह तक के लिए बंद करके गयी है. यदि तूने कल सुबह के पहले कुछ भी खाने की कोसिस की तो, मैं वाणी को तेरी शिकायत कर दुगी. तुझे कल के पहले कुछ भी खाने को नही मिलेगा.”
रिचा आंटी की ये बात सुनते ही, मेहुल की सारी खुशी गायब हो गयी. वो रिचा आंटी को मनाने की कोसिस करने लगा. लेकिन उन्हो ने मेहुल की कोई भी बात नही सुनी और मुझे अपने साथ लेकर घर आ गयी.
हमारे साथ साथ अनु मौसी भी खाना खाने आई थी. उन्हे रात को चंदा मौसी के पास ही रुकना था. इसलिए वो अपने घर नही गयी थी. हम रिचा आंटी के घर पहुचे तो, वहाँ पर अंकल के पास कमल के साथ साथ शिल्पा भी थी.
शिल्पा को इतने समय वहाँ देख कर, जितनी हैरानी मुझे हो रही थी, उतनी ही हैरानी रिचा आंटी और अनु मौसी को भी हो रही थी. लेकिन कमल ने हमारी इस हैरानी को दूर करते हुए, रिचा आंटी से कहा.
कमाल बोला “आंटी, शिल्पा दीदी आज रात को नितिका दीदी के पास रुक कर पढ़ने आई थी. मगर नितिका दीदी यहाँ थी तो, ये भी यहाँ चली आई. ये दोनो मिल कर, हमारा खाना तैयार कर रहे थे कि, तभी मेहुल भैया आ गये.”
“उन्हो ने आकर नितिका दीदी को प्रिया की तबीयत और उनकी मम्मी के मुंबई जाने की बात बताई तो, नितिका दीदी भी मुंबई जाने की ज़िद करने लगी. जिसके बाद मेहुल भैया ने उनसे चलने की तैयारी कर लेने को कहा और नितिका दीदी अपने घर चली गयी.”
“जब नितिका दीदी अपनी मम्मी और मेहुल भैया के साथ हॉस्पिटल जाने लगी तो, वो शिल्पा दीदी से हमारा खाना तैयार करने की बात कह गयी थी. जिस वजह से ये खाना तैयार करने यही रुक गयी थी.”
“हमारा खाना तैयार करने के बाद, ये अकेली ही घर जाने लगी तो, मैने इनको रोक लिया था. मैने इनसे कहा था कि, जब कोई घर वापस आ जाएगा तो, मैं इनको इनके घर छोड़ आउन्गा.”
इतना बोल कर कमल चुप हो गया. लेकिन उसके एक ही साँस मे इतनी लंबी चौड़ी बात बोल जाने से, मैं इतना तो समझ गया था कि, इसके पिछे भी मेहुल का ही हाथ है. वो बस थोड़ी देर के लिए ही, घर आया था.
मगर उसने उस थोड़ी ही सी देर मे कमल को सब कुछ समझा दिया था और शिल्पा का भी उसके घर की रसोई मे प्रवेश करवा कर, घर वालों के दिल मे घर बनाने का रास्ता खोल दिया था.
अब जब उसने इतना कर दिया था तो, रही सही कसर मैने भी पूरी कर देने की बात सोची और शिल्पा से कहा.
मैं बोला “आप तो अपने घर से आज रात को नितिका के घर रुकने का बोल कर आई थी और अब रात भी ज़्यादा हो गयी है. यदि आपका घर वापस लौटना ज़रूरी ना हो तो, आप आज रात को यही अमि निमी के पास रुक जाइए. ये दोनो आज यही रहने वाली है.”
मेरी ये बात सुनते ही, कमाल ने फ़ौरन मेरी हां मे हां मिलाते हुए कहा.
कमाल बोला “हां दीदी, आप यही रुक जाइए. मैं सुबह आपको घर छोड़ दूँगा.”
मेरी और कमल की बात सुनकर, शिल्पा अंकल आंटी की तरफ देखने लगी. जब अंकल ने भी उस से यहीं रुक जाने की बात कही तो, वो इसके लिए तैयार हो गयी. इसके बाद, आंटी लोग खाना लगाने लगी.
हम सबने साथ मिल कर खाना खाया. खाना खाने के बाद, मैने अमि निमी को कुछ ज़रूरी बातें समझाई और फिर मैं अनु मौसी के साथ वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया.
हम लोग जब हॉस्पिटल पहुचे तो, मेहुल मज़े से अपने दोस्त अतुल के साथ बैठा खाना खाने मे लगा था. अतुल वो ही लड़का था, जो मेरे आक्सिडेंट के समय, मेहुल के साथ, मुझे और कीर्ति को लेने आया था.
मेहुल को अतुल के साथ खाना खाते देख कर, मुझे लगा कि, अतुल ही मेहुल के लिए खाना लेकर आया है. ये देखते ही, मैने अतुल से कहा.
मैं बोला “तुमने इसके लिए खाना लाकर, बहुत बड़ी मुसीबत मोल ली है. यदि वाणी दीदी को ये बात पता चल गयी तो, वो इसके साथ साथ तुम्हारी खटिया भी खड़ी कर देगी.”
मेरी बात सुनते ही, खाना खाते खाते, अतुल के हाथ रुक गये और उसने सफाई देते हुए कहा.
अतुल बोला “मैं कहा इसके लिए खाना लाया हूँ. मैं तो बस इस से मिलने आया था. ये खाना खा रहा था और इसने मुझसे खाना खाने को कहा तो, मैं भी इसके साथ खाने के लिए बैठ गया.”
मैं बोला “तो फिर ये खाना कौन लेकर आया.”
मेरी बात सुनकर, हमारे पास खड़े प्रीतम ने कहा.
प्रीतम बोला “ये खाना मैं लेकर आया था. वाणी मेडम जाती समय बोल कर गयी थी की, उनके गुस्से की वजह से यदि आंटी मेहुल को खाना खाने से मना कर दे तो, मैं इसको खाना लाकर दे दूं.”
प्रीतम की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने प्रीतम से कहा.
मैं बोला “हमारी वाणी दीदी भी कमाल है. एक तरफ खुद ही इसे खाना खाने से मना किया था और दूसरी तरफ खुद ही इसे खाना देने की भी बोल कर गयी है.”
मेरी बात सुनकर, प्रीतम ने कहा.
प्रीतम बोला “मेडम ने मेहुल के हॉस्पिटल मे रहने की वजह से ही, आख़िरी समय मे इसकी ये सज़ा माफ़ कर दी है. वरना वो ऐसा करने के मूड मे बिल्कुल नही लग रही थी.”
मैं बोला “हम लोगों का खाना तो हो गया है. लेकिन आपके खाने का क्या हुआ.”
प्रीतम बोला “मैं तो अपने घर जाकर ही खाना खाउन्गा. अभी कुछ देर मे विश्वा आ जाएगा. उसके आते ही, मैं घर चला जाउन्गा.”
प्रीतम से इतनी बात करने के बाद, मैं चंदा मौसी को देखने अंदर चला गया. चंदा मौसी को अभी भी होश नही आया था. थोड़ी ही देर बाद, अनु मौसी आ गयी तो, मैं उठ कर बाहर आ गया.
बाहर आने के बाद, मैने सबसे अलग थलग जाकर, निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की के कॉल उठाते ही, मैने उसे निशा भाभी के साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के आने की बात बताने लगा.
लेकिन जब उसे मेरे ना आने की बात पता चली तो, वो मुझ पर गुस्सा होने लगी और उसने इसी गुस्से मे कॉल रिया को पकड़ा दिया. मैने रिया से प्रिया का हाल चल पुछा और उसे भी छोटी माँ और कीर्ति के वहाँ आने की बात बता दी.
इसके बाद मेरी राज से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर राज ने वापस निक्की को कॉल थमा दिया. मैने अपने वहाँ ना आ पाने की बात पर निक्की को अपनी सफाई देना चाहा. लेकिन उसने मुझे कोई सफाई देने का मौका दिए बिना ही कॉल रख दिया.
मैं निक्की की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ सकता था. वो इस बात को लेकर नाराज़ थी कि, प्रिया मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है और मैं उसकी ऐसी हालत की बात सुनकर, भी उसके पास नही आया.
लेकिन वो इस हक़ीकत से अंजान थी की, मैं सिर्फ़ प्रिया का प्यार ही नही, बल्कि उसका बिछड़ा हुआ जुड़वा भाई भी हूँ. मगर इस वक्त मेरे लिए प्रिया से ज़्यादा चंदा मौसी के पास रहना ज़रूरी था.
क्योकि प्रिया के पास तो, इस समय उसका सारा परिवार था. लेकिन चंदा मौसी के लिए तो, उनका सारा परिवार मैं ही था. उन्हो ने एक माँ की तरह सिर्फ़ मेरी देख भाल ही नही की थी, बल्कि आज मेरी तरफ बढ़ने वाली मौत को भी अपने उपर ले लिया था.
मैं उनकी ममता के इस क़र्ज़ को तो, कभी नही चुका सकता था. लेकिन इस समय उनके पास रह कर, एक बेटे का फ़र्ज़ तो निभा ही सकता था. यही वजह थी कि, मैं चाहते हुए भी प्रिया के पास नही जा पाया था.
लेकिन मेरे प्रिया के पास ना जाने का ये मतलब हरगिज़ नही था कि, मुझे प्रिया की फिकर बिल्कुल भी नही थी. प्रिया को लेकर इस वक्त मेरे दिल मे एक ऐसा दर्द था, जिसे मैं चाह कर भी किसी के सामने बयान नही कर पा रहा था.
जब से मुझे पता चला था कि, प्रिया मेरी बहन है. तब से मैं किसी के सामने दिल खोल कर, प्रिया की इस हालत पर रो भी नही पा रहा था. मुझे अपने दर्द से ज़्यादा, मेरे अपनो का दर्द महसूस होने लगा था.
एक तरह से प्रिया खुद तो बेसुधि की नींद मे सोई हुई थी. लेकिन वो अपनी झूठी मुस्कान, अपनी दर्द छुपाने की आदत मुझे दे गयी थी. मेरे अंदर जो बात बात पर रो देने वाला छोटा सा बच्चा था, वो ना जाने कहाँ खो गया था.
आज भले ही मेरी आँखों मे आँसू नही थे. लेकिन आज मैं महसूस कर पा रहा था कि, प्रिया अपने मुस्कुराते हुए चेहरे के पिछे कितना ज़्यादा दर्द छुपा कर रखा करती थी.
प्रिया का चेहरा बार बार मेरी आँखों के सामने घूम रहा था और मेरे उसके पास ना जाने की वजह से, जो दर्द मुझे हो रहा था, उस दर्द का अहसास निक्की तो क्या कोई भी नही कर सकता था.
मैं अपनी यही हालत निक्की को बताना चाहता था. मगर उसने मुझे अपनी कोई बात कहने का मौका ही नही दिया था. मैं निक्की से ज़रा भी नाराज़ नही था. लेकिन प्रिया के लिए परेशान ज़रूर था.
मेरी इसी परेशानी ने मुझे मेरे दिल की बात निक्की से कहने पर मजबूर कर दिया और मैने जिंदगी मे पहली बार अपने दिल से कुछ लिख कर निक्की को भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“आज अच्छी सी कोई सज़ा दो मुझे.
चलो ऐसा करो आज रुला दो मुझे.
उसको भूलु तो मौत आ जाए मुझे.
अपने दिल की गहराई से ये दुआ दो मुझे.”
निक्की को एसएमएस भेजने के बाद, मैं आँख बंद करके बैठ गया और प्रिया की बातों को याद करने लगा. थोड़ी ही देर बाद, मेरे पास निक्की का एसएमएस आ गया.
निक्की का एसएमएस
“एक परिंदे का दर्द भरा फसाना था.
टूटे थे पंख और उड़ते हुए जाना था.
तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफ़सोस,
वही डाली टूटी जिसपे उसका आशियाना था.”
ये एसएमएस मुझे निक्की ने भेजा था. लेकिन इस एसएमएस मे मुझे प्रिया का चेहरा और उसकी बेबसी नज़र आ रही थी. प्रिया की बेबसी और उसके दर्द को महसूस करते ही, मैं चाह कर भी, अपनी आँखों को छलकने से ना रोक सका और मेरी आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी.