desiaks
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प्रिया के घर वापस आने से सारे घर मे हँसी खुशी का महॉल बन गया था. सभी बहुत खुश नज़र आ रहे थे. दोपहर का खाना हम लोगों ने प्रिया के घर मे ही खाया. इसके बाद हम लोग यहाँ वहाँ की बातें करते रहे.
इस सब के दौरान प्रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी. उसने पहले की तरह अभी भी छोटी माँ का साथ एक पल के लिए नही छोड़ा था. वो पूरे समय छोटी माँ के पास ही उनकी लाडली बनकर बैठी रही.
छोटी माँ उसे बहुत दुलार कर रही थी और बात बात मे उसके सर पर हाथ फेर रही थी. जिस से प्रिया की खुशी और भी ज़्यादा बढ़ गयी थी. मगर ये लाड दुलार का दौर अमि को पसंद नही आ रहा था.
वो मेरा हाथ पकड़ कर मेरे पास बैठी थी और प्रिया को गुस्से मे घूर कर देख रही थी. अमि की इस बात पर मेरे अलावा कीर्ति और निक्की ने भी गौर किया था. मगर इसके बारे मे किसी ने कुछ कहा नही.
ये लाड दुलार का सिलसिला शाम तक यू ही चलता रहा और पूरे समय अमि का मूह बना रहा. फिर शाम होते ही छोटी माँ ने सब से जाने की इजाज़त माँगी तो, प्रिया छोटी माँ से आज उसके घर मे ही रुकने की ज़िद करने लगी.
लेकिन छ्होटी मा ने आज रात की फ्लाइट से वापस जाने की बात कह कर, उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. छोटी माँ की ये बात सुनकर प्रिया की मुस्कुराहट गायब हो गयी और उसका चेहरा छोटा सा हो गया.
प्रिया का उतरा हुआ चेहरा देख कर छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि उनका आज ही वापस जाना ज़रूरी है. लेकिन प्रिया की खुशी के लिए वो मुझे कीर्ति और अमि निमी को 2 दिन के लिए उसके पास ही छोड़ कर जा रही है.
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट वापस आ गयी और कहीं ना कहीं मुझे भी छोटी माँ की इस बात को सुनकर सुकून मिला था. छोटी माँ ने सब से इजाज़त ली और फिर हम लोग वापस अजय के बंगलो मे आ गये.
वहाँ आकर छोटी माँ और वाणी दीदी ने अपना बॅग लिया और फिर हम सबको कुछ बातें समझा कर 7 बजे एरपोर्ट के लिए जाने लगी. मैने छोटी माँ से एरपोर्ट तक उनके साथ चलने की बात कही.
मगर छोटी माँ ने इसके लिए मना कर दिया और वो वाणी दीदी के साथ चली गयी. घर पर अब मैं, कीर्ति, अमि निमी और बरखा दीदी थी. हम सब बैठे हेतल दीदी और प्रिया के बारे मे बात कर रहे थे.
इसी बीच 8:30 बजे हम लोगों का खाना आ गया. हम सबने एक साथ बैठ कर खाना खाया और फिर से सब बातें करने लगे. इसके बाद रात को 10:30 बजे सब अपने अपने कमरो मे चले गये और मैं भी अपने कमरे मे आ गया.
अपने कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर कीर्ति के आने का इंतेजार करने लगा. रात को 11 बजे कीर्ति मेरे कमरे मे आई. कीर्ति से मेरी यहाँ वहाँ की बातें चलती रही. कीर्ति की तबीयत अब पहले से बहुत ज़्यादा सुधर गयी थी. इसके बाद भी वो अभी मेरे पास सोना नही चाहती थी.
कीर्ति ने 1 बजे तक मुझसे बात की और फिर अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद मैं प्रिया के बारे मे सोचने लगा और यही सब बातें सोचते सोचते पता ही नही चला कि, कब मैं गहरी नींद मे चला गया.
सुबह 8 बजे मेरी नींद कीर्ति के जगाने पर खुली. वो मेरी पीठ पर बैठ कर मुझे जगा रही थी. उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी. मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “ये क्या हो रहा है. क्या कोई ऐसे भी किसी को जगाता है.”
मेरी बात पर कीर्ति ने अपना पूरा वजन मेरे उपर रखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्यो, क्या निमी तुम्हे ऐसे ही नही जगाती है. आज वो नही है तो, उसकी जगह मैं तुम्हे जगा रही हूँ.”
मैं बोला “चल बहुत हो गया तेरा जगाना. अब मेरे उपर से उठ और मुझे भी उठने दे.”
लेकिन कीर्ति मेरे उपर से नही उठी और मेरे उपर अपना वजन ऑर ज़्यादा बढ़ाने की कोसिस करने लगी. जब मुझे सच मे उसका वजन महसूस होने लगा तो, मैं उसे अपने उपर से अलग करने की कोसिस करने लगा.
मगर कीर्ति आज मेरे साथ मस्ती करने के मूड मे थी. उसने जैसे ही देखा कि मैं उठने की कोसिस कर रहा हूँ तो, उसने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो कंधो को पकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबाना सुरू कर दिया.
मुझे उसकी ये हरकत अच्छी लग रही थी. इसलिए मैं अब बस छूटने की कोसिस करने का नाटक कर रहा था. मैने जब उठने के लिए ज़्यादा ताक़त लगाई तो, कीर्ति अपना पूरा वजन डाल कर, मेरे उपर ही लेट गयी.
उसकी इस हरकत से उसके स्तन की गोलाइयाँ (बूब्स) का अहसास मुझे अपनी पीठ पर होने लगा. जिसके अहसास से ही मेरा ज़ोर लगाना ख़तम हो गया और मैं ऐसे ही बिना विरोध किए निढाल सा लेट गया.
कीर्ति ने जब मुझे कोई ज़ोर लगाते नही देखा तो, वो अपने दाँत से मेरे कान कतरने लगी. उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा तिलमिलाया और उस से कहा.
मैं बोला “ये क्या कर रही है. मुझे दर्द नही होता क्या.”
कीर्ति बोली “तुम कुछ भी कर लो, लेकिन आज मैं तुमको नही छोड़ूँगी. आज बहुत दिन बाद तुम मुझे अकेले मे पकड़ मे आए हो.”
ये कहते हुए उसने फिर से मेरे कान को कतर लिया. मैने उसकी पकड़ से छूटने के लिए उठने की कोसिस की तो, उसने मेरे दोनो हाथों को पकड़ लिया. उसके काटने से बचने के लिए मैं अपना चेहरा दाएँ बाएँ घुमाने लगा.
लेकिन वो मुझे परेशान करती रही. उसके यूँ परेशान करने का सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक कि वो थक नही गयी. जब वो थक गयी तो, खुद ही मेरे उपर से हट कर एक किनारे बैठ गयी.
उसके मेरे उपर से हटते ही, मैं भी अपने दोनो कान सहलाते हुए उठ कर उसके पास बैठ गया और उस से पुछा.
मैं बोला “ये सब क्या था.”
कीर्ति बोली “ये सब इतने दिन मुझसे दूर रहने का बदला था.”
मैं बोला “आज तूने मुझे बहुत परेशान किया है. यदि तेरी तबीयत सही होती तो, मैं भी तुझे मज़ा चखाता.”
कीर्ति बोली “तुमसे कुछ नही होगा. तुम बस मुझे मज़ा चखाने के सपने ही देखते रहो.”
उसकी ये बात सुनते ही, मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे थामा और उसको चूमने के लिए अपना चेहरा आगे किया तो, वो किस ना करने की मिन्नत करने लगी. उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी और मैने उसे छोड़ते हुए कहा.
मैं बोला “ये अमि निमी और बरखा दीदी कहाँ गयी है.”
कीर्ति बोली “वो लोग बरखा दीदी का घर देखने गयी है और उधर से ही वो अमन के घर चली जाएगी. हम लोगों को भी उन ने वहीं आने का कहा है.”
इसके बाद मेरी कीर्ति से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ. तब तक कीर्ति चाय लेकर आ गयी. मैने चाय पी और फिर इसके बाद हम लोग बाइक से अमन के घर आ गये.
अमि निमी वहाँ पहले ही पहुच चुकी थी. हम ने वहाँ सब के साथ नाश्ता किया और फिर कुछ देर रुकने के बाद, हम हेतल दीदी से मिलने हॉस्पिटल चले गये. कुछ देर हम लोग हॉस्पिटल मे रुके. फिर अमि निमी घूमने चलने की बात कहने लगी तो, मैं बरखा दीदी, कीर्ति और अमि निमी घूमने के लिए निकल गये.
दिन का खाना हम लोगों ने रेस्टोरेंट मे खाया और उसके बाद अमि निमी को थोड़ा बहुत घुमाने के बाद शाम को 5:30 बजे हम लोग वापस घर आने के लिए निकले. तभी प्रिया का मेसेज आ गया.
प्रिया का मेसेज
“दिनसे रात होने को आई है.
पता नहीं ये कैसी जुदाई है.
परवाह नहीं करते वो अपने दोस्त की,
ना जाने ये कैसी दोस्ती निभाई है.”
प्रिया का मेसेज देखते ही, मैने अपना मोबाइल कीर्ति को थमा दिया. कीर्ति ने मेसेज देखा तो, बातों बातों मे प्रिया को देखने चलने की बात कहने लगी. जिसके बाद हम सब लोग प्रिया के घर आ गये.
हम लोग जब प्रिया के घर पहुचे तो, मोहिनी आंटी, नितिका, रिया और निक्की बैठी हुई थी. प्रिया उस समय अपने कमरे मे थी. हम लोग मोहिनी आंटी के पास ही बैठ गये. बरखा दीदी उन्हे आज घूमने की बात बताती रही.
बातों बातों मे निक्की ने प्रिया के पास चलने की बात कहीं और फिर हम लोग उठ कर, निक्की के साथ प्रिया को देखने उसके कमरे की तरफ चल पड़े. सीढ़ियों के उपर पहुचते ही राज का कमरा आया.
राज का कमरा आते ही निक्की हमे राज का कमरा दिखने अंदर बुलाने लगी. मुझे कुछ समझ नही आया कि निक्की अचानक हमे राज का कमरा क्यो दिखाने लगी. मगर मैने कुछ नही कहा और चुप चाप सबके साथ राज के कमरे मे आ गया.
राज के कमरे मे पहुचते ही, हम सब की नज़र उसके कमरे मे सजे मेडल और ट्रोफी पर पड़ी. इतने सारे मेडल और ट्रोफी देखते ही, अमि ने चौंकते हुए निक्की से पुछा.
अमि बोली “दीदी ये इतनी सारी ट्रोफी और मेडल क्या राज भैया ने जीते है.”
अमि की बात पर निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “नही, ये सब मेडल और ट्रोफी प्रिया ने जीते है. प्रिया स्विम्मिंग चॅंपियन है. लेकिन अपनी बीमारी की वजह से अब वो किसी टूर्नमेंट मे हिस्सा नही लेती है.”
निक्की की बात सुनकर, अमि बड़े गौर से प्रिया के जीते हुए मेडल और ट्रोफी को देखने लगी. अब मुझे समझ मे आ रहा था की, निक्की हम सब लोगों को राज के कमरे मे क्यो लेकर आई थी.
असल मे अमि निमी दोनो को स्विम्मिंग बहुत पसंद थी. शायद इसी वजह से निक्की ने उन्हे प्रिया के जीते हुए मेडल और ट्रोफी दिखाए थे. जिस से अमि निमी को प्रिया के करीब लाया जा सके. थोड़ी देर सब राज के कमरे मे प्रिया के मेडल और ट्रोफी देखते रहे. फिर प्रिया को देखने उसके कमरे की तरफ चल पड़े.
इस सब के दौरान प्रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी. उसने पहले की तरह अभी भी छोटी माँ का साथ एक पल के लिए नही छोड़ा था. वो पूरे समय छोटी माँ के पास ही उनकी लाडली बनकर बैठी रही.
छोटी माँ उसे बहुत दुलार कर रही थी और बात बात मे उसके सर पर हाथ फेर रही थी. जिस से प्रिया की खुशी और भी ज़्यादा बढ़ गयी थी. मगर ये लाड दुलार का दौर अमि को पसंद नही आ रहा था.
वो मेरा हाथ पकड़ कर मेरे पास बैठी थी और प्रिया को गुस्से मे घूर कर देख रही थी. अमि की इस बात पर मेरे अलावा कीर्ति और निक्की ने भी गौर किया था. मगर इसके बारे मे किसी ने कुछ कहा नही.
ये लाड दुलार का सिलसिला शाम तक यू ही चलता रहा और पूरे समय अमि का मूह बना रहा. फिर शाम होते ही छोटी माँ ने सब से जाने की इजाज़त माँगी तो, प्रिया छोटी माँ से आज उसके घर मे ही रुकने की ज़िद करने लगी.
लेकिन छ्होटी मा ने आज रात की फ्लाइट से वापस जाने की बात कह कर, उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. छोटी माँ की ये बात सुनकर प्रिया की मुस्कुराहट गायब हो गयी और उसका चेहरा छोटा सा हो गया.
प्रिया का उतरा हुआ चेहरा देख कर छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि उनका आज ही वापस जाना ज़रूरी है. लेकिन प्रिया की खुशी के लिए वो मुझे कीर्ति और अमि निमी को 2 दिन के लिए उसके पास ही छोड़ कर जा रही है.
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट वापस आ गयी और कहीं ना कहीं मुझे भी छोटी माँ की इस बात को सुनकर सुकून मिला था. छोटी माँ ने सब से इजाज़त ली और फिर हम लोग वापस अजय के बंगलो मे आ गये.
वहाँ आकर छोटी माँ और वाणी दीदी ने अपना बॅग लिया और फिर हम सबको कुछ बातें समझा कर 7 बजे एरपोर्ट के लिए जाने लगी. मैने छोटी माँ से एरपोर्ट तक उनके साथ चलने की बात कही.
मगर छोटी माँ ने इसके लिए मना कर दिया और वो वाणी दीदी के साथ चली गयी. घर पर अब मैं, कीर्ति, अमि निमी और बरखा दीदी थी. हम सब बैठे हेतल दीदी और प्रिया के बारे मे बात कर रहे थे.
इसी बीच 8:30 बजे हम लोगों का खाना आ गया. हम सबने एक साथ बैठ कर खाना खाया और फिर से सब बातें करने लगे. इसके बाद रात को 10:30 बजे सब अपने अपने कमरो मे चले गये और मैं भी अपने कमरे मे आ गया.
अपने कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर कीर्ति के आने का इंतेजार करने लगा. रात को 11 बजे कीर्ति मेरे कमरे मे आई. कीर्ति से मेरी यहाँ वहाँ की बातें चलती रही. कीर्ति की तबीयत अब पहले से बहुत ज़्यादा सुधर गयी थी. इसके बाद भी वो अभी मेरे पास सोना नही चाहती थी.
कीर्ति ने 1 बजे तक मुझसे बात की और फिर अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद मैं प्रिया के बारे मे सोचने लगा और यही सब बातें सोचते सोचते पता ही नही चला कि, कब मैं गहरी नींद मे चला गया.
सुबह 8 बजे मेरी नींद कीर्ति के जगाने पर खुली. वो मेरी पीठ पर बैठ कर मुझे जगा रही थी. उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी. मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “ये क्या हो रहा है. क्या कोई ऐसे भी किसी को जगाता है.”
मेरी बात पर कीर्ति ने अपना पूरा वजन मेरे उपर रखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्यो, क्या निमी तुम्हे ऐसे ही नही जगाती है. आज वो नही है तो, उसकी जगह मैं तुम्हे जगा रही हूँ.”
मैं बोला “चल बहुत हो गया तेरा जगाना. अब मेरे उपर से उठ और मुझे भी उठने दे.”
लेकिन कीर्ति मेरे उपर से नही उठी और मेरे उपर अपना वजन ऑर ज़्यादा बढ़ाने की कोसिस करने लगी. जब मुझे सच मे उसका वजन महसूस होने लगा तो, मैं उसे अपने उपर से अलग करने की कोसिस करने लगा.
मगर कीर्ति आज मेरे साथ मस्ती करने के मूड मे थी. उसने जैसे ही देखा कि मैं उठने की कोसिस कर रहा हूँ तो, उसने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो कंधो को पकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबाना सुरू कर दिया.
मुझे उसकी ये हरकत अच्छी लग रही थी. इसलिए मैं अब बस छूटने की कोसिस करने का नाटक कर रहा था. मैने जब उठने के लिए ज़्यादा ताक़त लगाई तो, कीर्ति अपना पूरा वजन डाल कर, मेरे उपर ही लेट गयी.
उसकी इस हरकत से उसके स्तन की गोलाइयाँ (बूब्स) का अहसास मुझे अपनी पीठ पर होने लगा. जिसके अहसास से ही मेरा ज़ोर लगाना ख़तम हो गया और मैं ऐसे ही बिना विरोध किए निढाल सा लेट गया.
कीर्ति ने जब मुझे कोई ज़ोर लगाते नही देखा तो, वो अपने दाँत से मेरे कान कतरने लगी. उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा तिलमिलाया और उस से कहा.
मैं बोला “ये क्या कर रही है. मुझे दर्द नही होता क्या.”
कीर्ति बोली “तुम कुछ भी कर लो, लेकिन आज मैं तुमको नही छोड़ूँगी. आज बहुत दिन बाद तुम मुझे अकेले मे पकड़ मे आए हो.”
ये कहते हुए उसने फिर से मेरे कान को कतर लिया. मैने उसकी पकड़ से छूटने के लिए उठने की कोसिस की तो, उसने मेरे दोनो हाथों को पकड़ लिया. उसके काटने से बचने के लिए मैं अपना चेहरा दाएँ बाएँ घुमाने लगा.
लेकिन वो मुझे परेशान करती रही. उसके यूँ परेशान करने का सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक कि वो थक नही गयी. जब वो थक गयी तो, खुद ही मेरे उपर से हट कर एक किनारे बैठ गयी.
उसके मेरे उपर से हटते ही, मैं भी अपने दोनो कान सहलाते हुए उठ कर उसके पास बैठ गया और उस से पुछा.
मैं बोला “ये सब क्या था.”
कीर्ति बोली “ये सब इतने दिन मुझसे दूर रहने का बदला था.”
मैं बोला “आज तूने मुझे बहुत परेशान किया है. यदि तेरी तबीयत सही होती तो, मैं भी तुझे मज़ा चखाता.”
कीर्ति बोली “तुमसे कुछ नही होगा. तुम बस मुझे मज़ा चखाने के सपने ही देखते रहो.”
उसकी ये बात सुनते ही, मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे थामा और उसको चूमने के लिए अपना चेहरा आगे किया तो, वो किस ना करने की मिन्नत करने लगी. उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी और मैने उसे छोड़ते हुए कहा.
मैं बोला “ये अमि निमी और बरखा दीदी कहाँ गयी है.”
कीर्ति बोली “वो लोग बरखा दीदी का घर देखने गयी है और उधर से ही वो अमन के घर चली जाएगी. हम लोगों को भी उन ने वहीं आने का कहा है.”
इसके बाद मेरी कीर्ति से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ. तब तक कीर्ति चाय लेकर आ गयी. मैने चाय पी और फिर इसके बाद हम लोग बाइक से अमन के घर आ गये.
अमि निमी वहाँ पहले ही पहुच चुकी थी. हम ने वहाँ सब के साथ नाश्ता किया और फिर कुछ देर रुकने के बाद, हम हेतल दीदी से मिलने हॉस्पिटल चले गये. कुछ देर हम लोग हॉस्पिटल मे रुके. फिर अमि निमी घूमने चलने की बात कहने लगी तो, मैं बरखा दीदी, कीर्ति और अमि निमी घूमने के लिए निकल गये.
दिन का खाना हम लोगों ने रेस्टोरेंट मे खाया और उसके बाद अमि निमी को थोड़ा बहुत घुमाने के बाद शाम को 5:30 बजे हम लोग वापस घर आने के लिए निकले. तभी प्रिया का मेसेज आ गया.
प्रिया का मेसेज
“दिनसे रात होने को आई है.
पता नहीं ये कैसी जुदाई है.
परवाह नहीं करते वो अपने दोस्त की,
ना जाने ये कैसी दोस्ती निभाई है.”
प्रिया का मेसेज देखते ही, मैने अपना मोबाइल कीर्ति को थमा दिया. कीर्ति ने मेसेज देखा तो, बातों बातों मे प्रिया को देखने चलने की बात कहने लगी. जिसके बाद हम सब लोग प्रिया के घर आ गये.
हम लोग जब प्रिया के घर पहुचे तो, मोहिनी आंटी, नितिका, रिया और निक्की बैठी हुई थी. प्रिया उस समय अपने कमरे मे थी. हम लोग मोहिनी आंटी के पास ही बैठ गये. बरखा दीदी उन्हे आज घूमने की बात बताती रही.
बातों बातों मे निक्की ने प्रिया के पास चलने की बात कहीं और फिर हम लोग उठ कर, निक्की के साथ प्रिया को देखने उसके कमरे की तरफ चल पड़े. सीढ़ियों के उपर पहुचते ही राज का कमरा आया.
राज का कमरा आते ही निक्की हमे राज का कमरा दिखने अंदर बुलाने लगी. मुझे कुछ समझ नही आया कि निक्की अचानक हमे राज का कमरा क्यो दिखाने लगी. मगर मैने कुछ नही कहा और चुप चाप सबके साथ राज के कमरे मे आ गया.
राज के कमरे मे पहुचते ही, हम सब की नज़र उसके कमरे मे सजे मेडल और ट्रोफी पर पड़ी. इतने सारे मेडल और ट्रोफी देखते ही, अमि ने चौंकते हुए निक्की से पुछा.
अमि बोली “दीदी ये इतनी सारी ट्रोफी और मेडल क्या राज भैया ने जीते है.”
अमि की बात पर निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “नही, ये सब मेडल और ट्रोफी प्रिया ने जीते है. प्रिया स्विम्मिंग चॅंपियन है. लेकिन अपनी बीमारी की वजह से अब वो किसी टूर्नमेंट मे हिस्सा नही लेती है.”
निक्की की बात सुनकर, अमि बड़े गौर से प्रिया के जीते हुए मेडल और ट्रोफी को देखने लगी. अब मुझे समझ मे आ रहा था की, निक्की हम सब लोगों को राज के कमरे मे क्यो लेकर आई थी.
असल मे अमि निमी दोनो को स्विम्मिंग बहुत पसंद थी. शायद इसी वजह से निक्की ने उन्हे प्रिया के जीते हुए मेडल और ट्रोफी दिखाए थे. जिस से अमि निमी को प्रिया के करीब लाया जा सके. थोड़ी देर सब राज के कमरे मे प्रिया के मेडल और ट्रोफी देखते रहे. फिर प्रिया को देखने उसके कमरे की तरफ चल पड़े.