hotaks444
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रंगीन हवेली
भाग 4
नतीजा आशा की अक्लमन्दी का
छोटे ठाकुर बड़ी ठकुराइन के साथ नंग धडंग एक दूसरे से लिपट कर सो रहे थे। जब छोटे ठाकुर की आंख खुली तो देखा अन्धेरा हो गया था। जय ने धीरे से ठकुराइन का हाथ अपने ऊपर से हटाया और टेबल लैम्प आन कर दिया ताकि भाभी की नींद में खलल ना पडे। फिर वापस पलंग पर ठकुराइन के पास आकर बैठ गया। ठकुराइन अब हाथ पैर फैला कर नंगी चित्त पड़ी थी। वो उनके खूबसूरत संगमरमरी गोरे गुलाबी बदन को निहारने लगा। ठकुराइन की मस्त बड़ी बड़ी दूध सी सफेद गुलाबी चूचियां तनी हुई थी। । चिकना भरा भरा बदन। पतली कमर। फैले हुए बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़़। केले के तने सी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी कसी हुई जांघें और पिण्डलियां और अपना पूरा जलवा दिखाती हुई ठकुराइन की गोरी गुलाबी रेशमी पावरोटी सी फूली रसीली चूत। छोटे ठाकुर से और रहा नहीं गया। उसने झुक कर भाभी की प्यारी चूत का चुम्बन ले लिया। फिर उठ कर ठकुराइन भाभी की गदराई जांघों के बीच आ गया। हौले से भाभी की जांघों को और फैलाया और जीभ से धीरे धीरे भाभी की चूत को सहलाने लगा। चुदक्कड़ औरतें नींद में भी चुदवाने के मूड में रहती हैं सो ठकुराइन ने नींद में ही अपने आप अपनी जांघें फैला दी। अब उनकी गुलाबी चूत का मुंह थोडा सा खुल गया था। ठकुराइन की मस्ती देख कर छोटे ठाकुर से और रहा नहीं गया। उनका ठाकुरी लण्ड अबतक तन कर फन फनाने लगा था। वो घुटनों के बल झुक गया और अपना सुपाड़ा ठकुराइन की चूत के दरवाजे पर रख कर रगड़ने लगा। चुदक्कड़ ठकुराइन ने नींद में ही अपनी जांघें और फैलायी छोटे ठाकुर ने एक अपने फौलादी सुपाड़े से चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया। ठकुराइन शायद सपने में भी चुदवा रही थी सो सोते सोते ही कमर हिलाने लगी। छोटे ठाकुर ने हल्का सा धक्का दिया। ठकुराइन की चूत तो अपना रस छोड़ ही रही थी। घप से सुपाड़ा अन्दर दाखिल हो गया। फिर वो ठकुराइन के ऊपर सीधा होकर लेट गया और उनकी एक निपल को मुंह में लेकर चूसते हुए कस कर कमर का धक्का लगाया। उसका पूरा का पूरा लण्ड दनदनाता हुआ ठकुराइन की चूत के अन्दर चला गया।
ठकुराइन चौंक कर उठ गई और बोली –
“कौन है।”
छोटे ठाकुर ने ठकुराइन के होठों को चूमते हुए कहा आपकी चूत का दीवाना देवर।
ठकुराइन ने मुस्कुराते हुए जय को बांहों में जकड़ लिया और बोली –
“अरे वाह रे चुदक्कड़ ठाकुर। ये ठाकुर साले एक ही दिन में पूरे एक्सपर्ट हो जाते हैं। मुझे सोते सोते ही चोदना शुरू कर दिया। कल तक तो यह भी नहीं मालूम था कि अपने आठ इंच के लण्ड का करना क्या है।”
जय ठाकुर ने भी ठकुराइन के सेब से गालों को काटते हुए जवाब दिया –
“यह तो तुम्हारी मेहरबानी है भाभी वरना मेरी जवानी यूं ही निकल जाती। क्या करूं भाभी तुम्हारी मस्त नंगी जवानी को देख कर रहा नहीं गया। बुरा नहीं मानना।”
ठकुराइन ने छोटे ठाकुर को और कस कर जकड़ कर नीचे से चूतड़ उछालते हुए जवाब दिया –
“अरे नहीं छोटे राजा। बुरा काहे मानूंगी।मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है।”
ठकुराइन का जवाब पाकर जय बहुत खुश हुआ उसने जोश में एक झटके से लण्ड बाहर निकाला और ठकुराइन की चूत में जड़ तक धांस दिया फिर कमर हिला हिला कर चोदते हुए पूछा भाभी अगर बड़े ठाकुर इस चुदायी के बारे में जान जाएं तो क्या हो।
ठकुराइन ने पूरे जोश में चूतड़ उठा उठा कर चुदाते हुए जवाब दिया –
“जब तूने पूछ ही लिया है तो चल तुझे एक राज की बात बताती हूँ। बड़े ठाकुर जानते हैं।”
“क्या मतलब?”
“मतलब ये क़ि जब हमारी शादी हुई सुहाग रात में बड़े ठाकुर ने प्यार मोहब्बत की बातों के बाद मुझे बाहों में भर पहले धीरे धीरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरा जिस्म सहलाते रहे मैं झूठमूठ ना ना कर रही थी फिर धीरे धीरे जैसे जैसे हमारा उत्तेजना बढ़ी उन्होंने मेरे ना नुकुर के बावजूद मेरे कपडे़ साड़ी ब्लाउज ब्रा पेटीकोट उतार डाले और मेरे स्तनों के साथ खेलने नितंबों जांघों पिण्डलियां को सहलाने दबोचने लगे जब चुप रहने की लाख कोशिश के बावजूद मारे उत्तेजना के मेरी सिसकियॉं तेज होने लगी तो उन्होंने हौले से मेरी जांघों को फैलाकर अपने घोंड़े जैसे लण्ड का फौलादी सुपाड़ा मेरी बुरी तरह से पनिया रही फूल सी चूत पर रखकर रगड़ा तो मुझसे चूतड़ उठाये बगैर रहा नहीं गया बड़े ठाकुर समझ गये और मेरी ना नुकुर के बावजूद तीन चार जोरदार धक्कों में अपना पूरा घोंड़े जैसा लण्ड मेरी पनियाई चूत में धांस दिया और चोदने लगे। थोड़ी ही देर में हम दोनों जान गये कि दोनो ही शौकीन मिजाज हैं उन्होंने यह बात मुझपर जाहिर कर दी और समझाया कि उन्हें ऐसी ही शौकीन मिजाज पत्नी चाहिए थी क्योंकि वो खुद शौकीन मिजाज हैं और उन्हें वेसी ही औरतें पसन्द हैं हवेली की तमाम खुबसूरत नौकरानियॉ उनसे चुद चुकी हैं और जबतब चुदती रहती हैं। उन्हें नयी नयी चूतें और चूतें बदल बदल कर चोदने का शौक है। इससे जो चूतें वो सालों से चोद रहे हैं उन्हें भी जब कभी चोदते हैं तो वो नयी चूत का मजा देतीं हैं। इतना शानदार तजुर्बे की सुनने के बाद मैं उनसे पूरी तरह खुल गयी थी सो इसी तरह जोर जोर से चूतड़ उछाल कर चुदाते हुए पूछा –
“मेरे लिये क्या हुक्म है ठाकुर राजा मैं क्या करूँ कि जब भी आप मेरी चूत चोदें तो मुझे भी आपका लण्ड नया लगे और हमदोनों को भरपूर मजा आये।”
ठाकुर साहब बोले –
“मेरी इन तमाम खुबसूरत नौकरानियों के के मुस्टंडे आदमी भी तो हमारे नौकर हैं वे सब आपकी नजर है जैसे चाहे इस्तेमाल करें। फिर आप हमारी ठकुराइन हैं शेरनी हैं जब चाहें जहॉ चाहें मुँह मार लें मुझे क्या एतराज हो सकता है।”
ठकुराइन ने अपनी टांगों को ऊपर कर के जय ठाकुर की कमर पर कस आगे बताया-
“चालाक ठाकुर ने कह तो दिया कि चुदवा लो पर कहॉ से और कैसे शुरू करें यह नहीं बताया। मैंने भी मारे हेकड़ी के नहीं पूछा । तभी तू आया मेरी नजर तुझ पर पड़ी और मैंने तुझे अपना पहला शिकार बना लिया ।....”
जय ठाकुर जोर से धक्का मारते हुए बोले –
“पहला और आखरी अब आपको और शिकार तलाश करने की कोई जरूरत नहीं बन्दे का लण्ड आपकी खिदमत में हमेशा तैनात रहेगा।”
ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे उठाकर जय के कंध़ों पर रख दी और चूतड़ उछालते हुए समझाया –
“भूल गया बड़े ठाकुर के तजुर्बे वाली बात लण्ड और चूतें बदल बदलकर इस्तेमाल करने से उनका नयापन बना रहता है। लेकिन मेरा पहला शिकार वो भी कॅुवारा लण्ड होने के कारण मेरी चूत में तेरा हिस्सा रूपये में एक आने भर हमेशा रहेगा।”
“ क्या खुब याद दिलाया भाभी मैं तो भूल ही गया था। मेरा हिस्सा पक्का करने का शुक्रिया।”
ठकुराइन कोई बात नहीं मेरी मानोगे तो ऐसे ही खुब मजे करोगे इसी बात पर चल आसन बदलते हैं।
ठकुराइन की बात सुन जय बहुत खुश हुआ बोला ष्ठीक है।
और फट से लण्ड बाहर निकाल लिया ठकुराइन पलंग पर पेट के बल लेट गई और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड हवा में उठा दिए। देखने लायक नजारा था।
भाग 4
नतीजा आशा की अक्लमन्दी का
छोटे ठाकुर बड़ी ठकुराइन के साथ नंग धडंग एक दूसरे से लिपट कर सो रहे थे। जब छोटे ठाकुर की आंख खुली तो देखा अन्धेरा हो गया था। जय ने धीरे से ठकुराइन का हाथ अपने ऊपर से हटाया और टेबल लैम्प आन कर दिया ताकि भाभी की नींद में खलल ना पडे। फिर वापस पलंग पर ठकुराइन के पास आकर बैठ गया। ठकुराइन अब हाथ पैर फैला कर नंगी चित्त पड़ी थी। वो उनके खूबसूरत संगमरमरी गोरे गुलाबी बदन को निहारने लगा। ठकुराइन की मस्त बड़ी बड़ी दूध सी सफेद गुलाबी चूचियां तनी हुई थी। । चिकना भरा भरा बदन। पतली कमर। फैले हुए बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़़। केले के तने सी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी कसी हुई जांघें और पिण्डलियां और अपना पूरा जलवा दिखाती हुई ठकुराइन की गोरी गुलाबी रेशमी पावरोटी सी फूली रसीली चूत। छोटे ठाकुर से और रहा नहीं गया। उसने झुक कर भाभी की प्यारी चूत का चुम्बन ले लिया। फिर उठ कर ठकुराइन भाभी की गदराई जांघों के बीच आ गया। हौले से भाभी की जांघों को और फैलाया और जीभ से धीरे धीरे भाभी की चूत को सहलाने लगा। चुदक्कड़ औरतें नींद में भी चुदवाने के मूड में रहती हैं सो ठकुराइन ने नींद में ही अपने आप अपनी जांघें फैला दी। अब उनकी गुलाबी चूत का मुंह थोडा सा खुल गया था। ठकुराइन की मस्ती देख कर छोटे ठाकुर से और रहा नहीं गया। उनका ठाकुरी लण्ड अबतक तन कर फन फनाने लगा था। वो घुटनों के बल झुक गया और अपना सुपाड़ा ठकुराइन की चूत के दरवाजे पर रख कर रगड़ने लगा। चुदक्कड़ ठकुराइन ने नींद में ही अपनी जांघें और फैलायी छोटे ठाकुर ने एक अपने फौलादी सुपाड़े से चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया। ठकुराइन शायद सपने में भी चुदवा रही थी सो सोते सोते ही कमर हिलाने लगी। छोटे ठाकुर ने हल्का सा धक्का दिया। ठकुराइन की चूत तो अपना रस छोड़ ही रही थी। घप से सुपाड़ा अन्दर दाखिल हो गया। फिर वो ठकुराइन के ऊपर सीधा होकर लेट गया और उनकी एक निपल को मुंह में लेकर चूसते हुए कस कर कमर का धक्का लगाया। उसका पूरा का पूरा लण्ड दनदनाता हुआ ठकुराइन की चूत के अन्दर चला गया।
ठकुराइन चौंक कर उठ गई और बोली –
“कौन है।”
छोटे ठाकुर ने ठकुराइन के होठों को चूमते हुए कहा आपकी चूत का दीवाना देवर।
ठकुराइन ने मुस्कुराते हुए जय को बांहों में जकड़ लिया और बोली –
“अरे वाह रे चुदक्कड़ ठाकुर। ये ठाकुर साले एक ही दिन में पूरे एक्सपर्ट हो जाते हैं। मुझे सोते सोते ही चोदना शुरू कर दिया। कल तक तो यह भी नहीं मालूम था कि अपने आठ इंच के लण्ड का करना क्या है।”
जय ठाकुर ने भी ठकुराइन के सेब से गालों को काटते हुए जवाब दिया –
“यह तो तुम्हारी मेहरबानी है भाभी वरना मेरी जवानी यूं ही निकल जाती। क्या करूं भाभी तुम्हारी मस्त नंगी जवानी को देख कर रहा नहीं गया। बुरा नहीं मानना।”
ठकुराइन ने छोटे ठाकुर को और कस कर जकड़ कर नीचे से चूतड़ उछालते हुए जवाब दिया –
“अरे नहीं छोटे राजा। बुरा काहे मानूंगी।मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है।”
ठकुराइन का जवाब पाकर जय बहुत खुश हुआ उसने जोश में एक झटके से लण्ड बाहर निकाला और ठकुराइन की चूत में जड़ तक धांस दिया फिर कमर हिला हिला कर चोदते हुए पूछा भाभी अगर बड़े ठाकुर इस चुदायी के बारे में जान जाएं तो क्या हो।
ठकुराइन ने पूरे जोश में चूतड़ उठा उठा कर चुदाते हुए जवाब दिया –
“जब तूने पूछ ही लिया है तो चल तुझे एक राज की बात बताती हूँ। बड़े ठाकुर जानते हैं।”
“क्या मतलब?”
“मतलब ये क़ि जब हमारी शादी हुई सुहाग रात में बड़े ठाकुर ने प्यार मोहब्बत की बातों के बाद मुझे बाहों में भर पहले धीरे धीरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरा जिस्म सहलाते रहे मैं झूठमूठ ना ना कर रही थी फिर धीरे धीरे जैसे जैसे हमारा उत्तेजना बढ़ी उन्होंने मेरे ना नुकुर के बावजूद मेरे कपडे़ साड़ी ब्लाउज ब्रा पेटीकोट उतार डाले और मेरे स्तनों के साथ खेलने नितंबों जांघों पिण्डलियां को सहलाने दबोचने लगे जब चुप रहने की लाख कोशिश के बावजूद मारे उत्तेजना के मेरी सिसकियॉं तेज होने लगी तो उन्होंने हौले से मेरी जांघों को फैलाकर अपने घोंड़े जैसे लण्ड का फौलादी सुपाड़ा मेरी बुरी तरह से पनिया रही फूल सी चूत पर रखकर रगड़ा तो मुझसे चूतड़ उठाये बगैर रहा नहीं गया बड़े ठाकुर समझ गये और मेरी ना नुकुर के बावजूद तीन चार जोरदार धक्कों में अपना पूरा घोंड़े जैसा लण्ड मेरी पनियाई चूत में धांस दिया और चोदने लगे। थोड़ी ही देर में हम दोनों जान गये कि दोनो ही शौकीन मिजाज हैं उन्होंने यह बात मुझपर जाहिर कर दी और समझाया कि उन्हें ऐसी ही शौकीन मिजाज पत्नी चाहिए थी क्योंकि वो खुद शौकीन मिजाज हैं और उन्हें वेसी ही औरतें पसन्द हैं हवेली की तमाम खुबसूरत नौकरानियॉ उनसे चुद चुकी हैं और जबतब चुदती रहती हैं। उन्हें नयी नयी चूतें और चूतें बदल बदल कर चोदने का शौक है। इससे जो चूतें वो सालों से चोद रहे हैं उन्हें भी जब कभी चोदते हैं तो वो नयी चूत का मजा देतीं हैं। इतना शानदार तजुर्बे की सुनने के बाद मैं उनसे पूरी तरह खुल गयी थी सो इसी तरह जोर जोर से चूतड़ उछाल कर चुदाते हुए पूछा –
“मेरे लिये क्या हुक्म है ठाकुर राजा मैं क्या करूँ कि जब भी आप मेरी चूत चोदें तो मुझे भी आपका लण्ड नया लगे और हमदोनों को भरपूर मजा आये।”
ठाकुर साहब बोले –
“मेरी इन तमाम खुबसूरत नौकरानियों के के मुस्टंडे आदमी भी तो हमारे नौकर हैं वे सब आपकी नजर है जैसे चाहे इस्तेमाल करें। फिर आप हमारी ठकुराइन हैं शेरनी हैं जब चाहें जहॉ चाहें मुँह मार लें मुझे क्या एतराज हो सकता है।”
ठकुराइन ने अपनी टांगों को ऊपर कर के जय ठाकुर की कमर पर कस आगे बताया-
“चालाक ठाकुर ने कह तो दिया कि चुदवा लो पर कहॉ से और कैसे शुरू करें यह नहीं बताया। मैंने भी मारे हेकड़ी के नहीं पूछा । तभी तू आया मेरी नजर तुझ पर पड़ी और मैंने तुझे अपना पहला शिकार बना लिया ।....”
जय ठाकुर जोर से धक्का मारते हुए बोले –
“पहला और आखरी अब आपको और शिकार तलाश करने की कोई जरूरत नहीं बन्दे का लण्ड आपकी खिदमत में हमेशा तैनात रहेगा।”
ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे उठाकर जय के कंध़ों पर रख दी और चूतड़ उछालते हुए समझाया –
“भूल गया बड़े ठाकुर के तजुर्बे वाली बात लण्ड और चूतें बदल बदलकर इस्तेमाल करने से उनका नयापन बना रहता है। लेकिन मेरा पहला शिकार वो भी कॅुवारा लण्ड होने के कारण मेरी चूत में तेरा हिस्सा रूपये में एक आने भर हमेशा रहेगा।”
“ क्या खुब याद दिलाया भाभी मैं तो भूल ही गया था। मेरा हिस्सा पक्का करने का शुक्रिया।”
ठकुराइन कोई बात नहीं मेरी मानोगे तो ऐसे ही खुब मजे करोगे इसी बात पर चल आसन बदलते हैं।
ठकुराइन की बात सुन जय बहुत खुश हुआ बोला ष्ठीक है।
और फट से लण्ड बाहर निकाल लिया ठकुराइन पलंग पर पेट के बल लेट गई और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड हवा में उठा दिए। देखने लायक नजारा था।