Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 2 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

" अरे सारी शर्ते मंजूर है बस आप देखती जाइए बस एक बार आप लिफ्ट दिला दीजिए फिर देखिए छीनाल भी मात हो जाएगी उससे." नंदोई जी मेरे कान मे बोले.
अब खुल कर मेरा दूसरा जोबन भी उनकी गिरफ़्त मे था. विजयी भाव से मैने अपनी बड़ी ननद को देखते हुए, प्रस्ताव दुहाराया, " ननद रानी एक बार फिर सोच लीजिए, आख़िरी बार, अदला बदली कर लीजिए जो अपने मेरे उनका बचपन में देखा होगा अब वैसा नहीं है, पूरा मूसल हो गया है एक बार ट्राई कर के देख लीजिए मेरे सैयाँ को"

झुंझला कर वो बोलीं, " अरे तुम्हारा मूसल तुम्ही को मुबारक, मेरा भी रख लो अपना भी घोन्टो."
" अरे ननद जी पट गयी क्या मूसल के नाम से चख कर तो देखिए."
" अरे क्या पट गयी गान्ड फॅट गयी साफ साफ खुल कर बोलो ना, क्या आडि टेढ़ी बात बोलती हो." गुलाबो फिर अपने मूड में आ गयी.
" अरे तो क्या गान्ड अब तक नंदोई जी से बची थी फटने को." भोलेपन से जिठानी जी ने छेड़ा.
" हाँ आप के नंदोई जी इत्ते सीधे हैं जो छोड़ेगें" हंसकर लाली बोली और मेरी ओर मोरचा खोलते हुए बोली, " और रीनू भाभी , तुम्हारी बची है क्या."
" हाँ आप के भाई इतते सीधे हैं जो छोड़ेंगें". मुस्करा कर उसी अंदाज में मैने बोला. और हम सब लोग ंसाने लगे. 

तब तक दुलारी आई कि मंडप में उड़द छूने की रसम के लिए हम लोगों का इंतजार हो रहा है और हम लोग चल दिए.
काफ़ी समय रसम और शादी के काम में बीत गया. तब तक मैनें देखा कि गुड्डी शॉपिंग से आ गयी है. उसने बताया कि राजीव और अल्पना उसे छोड़ कर जनवासे के इताज़ाम के लिए चले गये हैं. मैं उसे सबसे उपर वाली मंज़िल पे उस कमरे
में ले गयी जहाँ हमने सब समान रख रखा था और कोई आता जाता नहीं था. मैने उसके कंधे पे हाथ रख के प्यार से समझाया, " देखो गुड्डी तुम्हारे जीजा बहोत नाराज़ थे, वो तो मैने बहोत मुश्किल से उन्हे समझाया अब आगे तुम्हारे हाथ मे है, तुम्हे सब इनिशियेटिव लेना पड़ेगा, सब शर्म लिहाज छोड़ कर मैने तुम्हे समझाया है ना कैसे देखो अल्पी ने तो आज ही
उनको जीजा बनाया है और कैसे सबके सामने खुल के मज़े ले रही है तुम उससे भी दो हाथ आगे बढ़ जाओ, अपने हाथ से उनका हाथ पकड़ के अपने कबूतरों को पकड़वाओ, अरे एक बार उनका गुस्सा ख़तम हो गया ना तो फिर तो खुद ही तुम्हे नही छोड़ेंगें" और मैने उसको सारी बातें खोल कर समझा दी.

" हाँ भाभी, आप बहुत अच्छी है बस एक बार आप दोस्ती करवा दीजिए, फिर आप देखिए"
" ठीक है, तो मैं उनको लाने जाती हू तुम यही रहना और तुम्हे वो शर्त तो याद ही होगी कि अगर तुम्हारी चिड़िया ने 24 घंटे के अंदर चारा नही घोन्टा तो" और मैं नीचे जा कर नंदोई जी को ले आई. नीचे सब लोग काम मे व्यस्त थे कि किसी ने ध्यान ही नही दिया कि हम लोग कहाँ है.

जीत को देखते ही जब तक वह कुछ समझे, गुड्डी उनसे लिपट गई. उनकी तो चाँदी हो गयी. उन्होने भी जवाब मे उसे कस के भीच लिया. उन्होने उसका सर पकड़ के अपनी ओर खींचा तो उसने खुद अपने किशोर होंठ अपने जीजा के होंठों पे रख दिए. अब तो जीत पागल हो गये. वो कस के उस के गुलाबी होंठों को कभी चूमते, कभी अपने होंठों मे दबा के उस का रस लेते. उन्होने अपनी जीब उसके मस्त रसीले होंठों के बीच डाल दी और कस कस के रस लेने लगे. जब उन्होने अपने होंठों से उसको आज़ाद किया तो मैने आँखों से गुड्डी को कुछ इशारा किया. उसने शिकायत भरे स्वर मे अपने जीजा का हाथ पकड़ के कहा,
" जीजू, आप इत्ते लेट क्यों आए आप को साली की ज़रा भी याद नही आती, देखिए आप की याद मे आप की साली का सीना कित्ता ज़ोर से धड़क रहा है," और यह कह के उसने अपने जीजा का हाथ सीधे अपने टॉप पे मम्मो के उपर रख दिया और कस के दबा दिया. जीत की तो हालत खराब थी. फिर भी उन्होने मौके का फ़ायदा उठा कर
बोल ही दिया,
" ये तो टॉप है, साली जी सीना तो देखे कैसे धड़क रहा है मेरी याद मे"
" लीजिए जीजू, आप भी याद करिएगा किस साली से पाला पड़ा था," और उसने खुद अपने हाथ से उनका हाथ पकड़ के, अपने टॉप के अंदर घुसा कर, सीधे, अपने टीन बूब्स के उपर रख दिया.
मैने मौके का फ़ायदा उठा कर कहा, अब मैने जीजा साली को मिलवा दिया अब मैं चलती हू.
बाहर निकल कर मैं चौकीदार की तरह थी, कि कोई और आए तो मैं उन्हे आगाह कर दू और वहाँ से मुझे अंदर का सीन भी दिख रहा था. आधे घंटे से भी ज़्यादा, जैसे मैने समझाया था, जीजा ने साली का खूब चुंबन लिया, जोबन मर्दन
किया बल्कि अच्छी तरह टॉप उठा कर जोबन दर्शन भी किया और गोद मे अपने कड़े खुन्टे पे बैठाया.

जब वह बाहर निकले तो जीजा का हाथ साली के उभारों पे था और साली भी खुल के, बिना किसी शर्म के ज़ुबान का रस अपने जीजा को दे रही थी. कभी खुद उनके गाल से गाल रगड़ती, कभी उन्हे दिखा के अदा से अपने जोबन को कस कस के उभारती.

मेरे प्लान का पहला पार्ट पूरा हो चुका था. गुड्डी अपने जीजू से ऐसे चिपक गयी थी जैसे, लिफाफे से टिकट. मंडप मे, आँगन मे कही भी जहाँ उसके जीजा जाते साथ साथ वहाँ और मेरे ननदोइ जी भी मौके का पूरा फ़ायदा उठा रहे थे, कभी उनके हाथ उसके गोरे गोरे गाल सहलाते, कभी जोबन का रस लेते और अब वह हमारे खुले मज़ाक मे भी बिना शरमाये पूरा
हिस्सा ले रही थी. मंडप मे वह एक रस्म मे बैठी थी पर निगाह उसकी अपने जीजू पे थी. मैं उनके साथ बैठी दूर से उसे चिढ़ा रही थी. नंदोई जी का एक हाथ मेरे कंधे पे था. उन्होने मेरे गाल से गाल सटाकर धीरे से कहा,
" सलहज जी आप जादू जानती है, मैं तो सोच नही सकता था."
" अरे नंदोई जी, जादू की छड़ी तो आपके पास है अभी मेरी छोटी ननद को अपनी ये लंबी, मोटी जादू की छड़ी पकड़ाए कि नही?" उनकी बात काटकर मैं बोली. मेरी उगलिया उनके पाजामे के उपरी हिस्से पे सहला रही थी, जहाँ हल्का हल्का तंबू तना था.
" नही, हाँ, डिब्बे के उपर से जादू की छड़ी को ज़रूर छुबाया था" हंसकर वो बोले.
"अरे उपर से क्यों दिया, खोलकर , पूरा पकड़ा देना चाहिए था, अरे देखिए ना उसके गुलाबी हाथ मे मेहंदी कैसी रच रही है, और उसको पकड़ कर तो मेहंदी का रंग और निखर आता. जब एक बार उस मोटे जादू के डंडे को पकड़ कर, सहला कर, अपनी मुट्ठी मे दबा कर देखेगी ना तो उस के मन से डंडे का डर निकल जाएगा, और उससे खुलवा कर अपने मोटे पहाड़ी आलू को भी मैं तो कहती हू उसको खुल कर बेशर्म बना डालिए तभी असली मज़ा आएगा. बहुत तड़पाया है इस साली ने आप को अब आप का दिन है." अब मेरी उंगली तने तंबू के ठीक उपर थी.
" हां, सलह्ज जी आप ठीक कहती है अब बस आप देखती जाइए, दो दिन के अंदर एकदम बदल दूँगा इसको.
जैसे ही वह मंडप से निकली, नंदोई जी ने इशारा किया और उनके पीछे वह बँधी बँधी चली गयी, उपर उस कमरे की ओर जहाँ अभी थोड़ी देर पहले उनकी मैने मुलाकात करवाई थी. मैं मुस्कुरा कर रह गयी कि मेरी शर्मीली ननद की ट्रैनिंग का एक और चॅप्टर आगे बढ़ रहा होगा.
 
तभी मैने देखा कि राजीव और अल्पना आ गये है. अल्पना एक मस्त टॉप मे बहुत
सेक्सी लग रही थी. हल्के नीले रंग के खूब कसे कसे टॉप मे उसके मस्त उभार
समा नही पा रहे थे, जैसे कभी कभी खुशी मन से छलक आती है, वैसे ही
उसके किशोर जोबन छलक रहे थे. यहाँ तक कि उसके मम्मे भी हल्के हल्के दिख
रहे थे. टॉप थोड़ा छोटा था और उसकी पतली गोरी कमर और नाभि भी कुछ कुछ
दिख रहे थे. जीन्स लो कट भी थी और हिप हॅंगिंग भी. मूड कर उसने दिखाया,
" क्यों दीदी कैसी लगती है नयी टॉप और जीन्स" वह इतनी कसी थी कि उसके बड़े बड़े
कसे हुए चूतड़, सॉफ निकल कर बाहर आते लग रहे थे और उनके बीच का क्रॅक
भी सॉफ दिख रहा था. लो कट होने के नाते उसकी पिंक पैंटी की स्ट्रिंग भी हल्की सी
दिख रही थी. तब तक मेरी बड़ी ननद लाली भी वहाँ आ गयी थी.
" आज मैने जीजा की जेब ढीली करवा ली. अच्छी है ना जीजू की पसंद है." हंसकर वो बोली.
" अरे तुमने तो जीजू से जेब ढीली करवाई है आगे देखो वो तुम्हारी क्या क्या ढीली करते है." हंसकर मेरी ननद ने उसे छेड़ा.
" अरे करने दीजिए ना ये साली डरने वाली नही. लेकिन आप क्यों जल रही है" उसने भी पलट कर जवाब दिया.
" अरे ननद जी पास मे हो ओखली, तो मूसल से क्या डरना," मैने भी उसका साथ दिया.
राजीव अल्पी को छोड़ने जा रहे थे. मैने उसे समझाया कि कुछ डॅन्स की सीडी ले आए
और और लौटते हुए घर जाकर मे जो वीसीडी काँटा लगा का ले आई थी वो ज़रूर ले आए."
" पर घर मे तो ताला बंद होगा, सब लोग तो यही है." राजीव ने कहा.
" हाँ और इससे चेक करवा लेना, अल्पी वहाँ ढेर सारी वीसीडी है जो सबसे मस्त होंगी खुद चेक कर के ले आना."

जाने के पहले मैने अल्पी के कान मे कुछ समझाया. वह मुस्कराने लगी. तब
तक उपर से मेरे नंदोई और गुड्डी उतर रही थी. गुड्डी के जीजू के हाथ उसके
कंधे पे थे. मुझे लगा शायद राजीव को सामने देख के, शर्मा के गुड्डी
उनका हाथ अपने कंधे से हटा देगी. पर वह कुछ कर पाती, उसके पहले ही
जीत ने अपना हाथ खुल के उसके उभार पर रख दिया, बल्कि राजीव को दिखाते हुए,
हल्के से दबा दिया. गुड्डी का चेहरा गुलाबी हो गया, पर जीत ने अपना हाथ और
कस के उसके जोबन पे दबा दिया और गुड्डी से अल्पी के बारे मे पूछा , " ये सेक्सी " 
उनकी बात काटते हुए, मुस्करा कर गुड्डी ने कहा, " आपके साले की साली है."
उधर राजीव ने भी तंग टॉप से उसके छलकते उभारों को हलके से टीप कर
कहा, जल्दी करो साली जी. अल्पना ने चलते हुए जीत से कहा ,
" लौट के मिलते है डबल जीजा जी अभी आपके साले उतावले हो रहे है" और मुस्करा कर चल दिए.
नंदोई जी ने इशारों इशारों मे बताया कि, अपना जादू का डंडा तो उन्होने खोल
कर गुड्डी को अच्छी तरह पकड़ा दिया पर बात कुछ और आगे बढ़ती कि किसी
काम से उन्हे खोजते दुलारी वहाँ पहुँच गयी.


शाम को अल्पी और राजीव बहोत देर से आए. राजीव तो तुरंत ही चले गये जनवासे.
अभी सब लोग थक कर लेटे थे. तो उपर हॉल मे मैं अल्पी और गुड्डी को ले के चली
गयी डॅन्स की सीडी देखने. गुड्डी उसे छेड़ रही थी.
" हे इत्ति देर कैसे लग गई क्या भैया के साथ और तेरे गाल आज कुछ ज़्यादा ही
चमक रहे है चख के देखती हू." और उसने उसे चूम लिया. हम लोग सीडी लगा
के डॅन्स करने लगे. एक लोक गीत की धुन लगा के हम लोग डॅन्स कर रहे थे कि गुड्डी ने कहा,
" भाभी, आप कह रही थी ना, कल रास्ते मे कि फिल्म मे कैसे अपने वो धक धक"
" अरे रानी सॉफ सॉफ क्यो नही कहती कि अपने मम्मे कैसे उछलाते है, लो बताती
हू" तब तक अल्पना ने "धक धक करने लगा का सीडी लगा दिया था और मैने डॅन्स
करते हुए उन्हे दिखाया और फिर बताया कि कैसे अदा से जोबन को उभारते है,
कैसे उसे उपर पुश करते है कैसे नीचे झुक कर के क्लीवेज की झलक
दिखाते है और कैसे उसे हिलाते है. यही नही गुड्डी और अल्पी को मैने वैसे बार
बार करवा के हर स्टेप की अच्छी प्रॅक्टीस करा दी. इसके बाद रीमिक्स गानो की
वीसीडी जो अल्पी घर से लाई थी, उस को चला कर हम एकदम सेक्स करने की मुद्रा
मे प्रॅक्टीस कर रहे थे, तभी मुझे लगा कि अल्पना को टांगे फैलाने मे थोड़ी
तकलीफ़ हो रही है. मैने गुड्डी को बताया तो वह पीछे ही पड़ गयी . आख़िर कार
उसने कबूला कि, चिड़िया ने चारा खा लिया है. बहुत मुश्किल से वह सब बताने
पे राज़ी हुई वो भी इस शर्त पे कि जब गुड्डी की फटेगी तो वो भी सब बात खुल कर
हम दोनों को बताएगी.


अल्पना ने कहना शुरू किया, " दीदी जो आप ने सलाह दी थी ना वो बहोत सही थी."
उसकी बात काटकर गुड्डी बोली, " अरे शुरू से बताओ ना और सब चीज़ खुल कर"
" हां लेकिन शर्त मे. सीधे मुद्दे पे, असली बात पे. कपड़े उतारने के बाद" मैं भी उत्सुक थी.

" जीजू ने मुझे जब छूना शुरू किया. उनकी उंगलिया मेरे सीने पे हल्के हल्के
फिसल रही थी, थोड़ी देर ऐसे ही छेड़ने के बाद, उनके हाथ मेरा छाती के बेस
पे जाते और धीरे धीरे, उपर आते, लेकिन निपल के पास आने के पहले ही वो रुक
जाते, कुछ देर तक तो उसके बेस पे वो उंगली फिराते रहे और जब मेरा मन
मचल रहा था कि वो उसे पकड़ ले वो हाथ हटा देते बहोत देर तक ऐसे तंग
करने के बाद अचानक उन्होने मेरे सीने को कस के पकड़ लिया और लगे
रगड़ने, मसलने, उनका दूसरा हाथ मेरी जांघों पर था. मारे शरम के
तो मैं शुरू मे कस के अपनी जांघों को भीच के बैठी थी, पर जब उनका हाथ
मेरी जाँघ पर हल्के से सहलाते हुए उपर बढ़ने लगा, लग रहा था मेरी
जांघों के बीच गरम लावा दौड़ रहा है, वह अपने आप खुलने लगी. उनका
एक हाथ मेरे उरोजो पे और दूसरा, जाँघ के एकदम उपरी हिस्से मे लगभग वहीं,
दीदी जीजू की उगलिया तो लग रहा था कि वह किसी वाद्य यंत्र के तार छेड़ रहे हो
और वो वाद्य यंत्र मैं हूँ मेरा पूरा शरीर काँप रहा था"
मैने गुड्डी की ओर देखा तो उत्तेजना के मारे उसका पूरा शरीर तना था. उसके उरोज
भी जोश मे आकर पत्थर हो रहे थे. बड़ी मुश्किल से उसने थूक गटका और बोली,
"..फिर."
 
" उनके एक हाथ की उंगलियों ने मेरे निपल को पकड़ के फ्लिक करना शुरू कर
दिया. और दूसरा हाथ, मेरी जांघे अब पूरी तरह खुल चुकी थी, वह 'उसके' अगल
बगल सहला रहे थे, मैं जोश के मारे पागल हो रही थी, मेरा मन कह रहा
था वह मुझे 'वहाँ' छुए, पर जैसे उन्हे मुझे तड़पाने मे मज़ा आ रहा था.
उनकी उंगली ने जब बहोत देर तड़पाने के बाद मेरे नीचे वाले बाहरी लिप्स
छुए ना, मुझे लगा जैसे मुझे 440 वॉल्ट का झटका लगा हो पर उन्होने हाथ
हटा लिया. मैं अब खुद कमर हिला रही थी उन्होने दूसरा लिप्स छुआ और अबकी बार
वह अपनी उंगलियों मे ले दोनो भगोश्ठ सहलाने लगे. कुछ देर बाद
उन्होने अपनी उंगली का टिप थोड़ा सा अंदर डाला, मैने अपनी दोनो जंघे पूरी
तरह फैला रखी थी इत्ता अच्छा लग रहा था कि बस बता नही सकती, मेरी आँखे
मज़े मे बंद हो गयी फिर अचानक उन्होने, अपनी अंगुली और अंदर कर दी और उसे
गोल घुमाने लगे. थोड़ी देर इस तरह तंग करने के बाद, निकाल कर मूह मे डाल
लिया और उसे मुझे दिखा कर चाटने लगे"
" चाटने लगे" गुड्डी बोली. जोश के मारे उसकी हालत खराब थी.
" अच्छा ये बता, वहाँ बाल तूने सॉफ किए था या" मैने मुस्करा कर अल्पी से पूछा.
" हां दीदी आपने मुझे जीजू की पसंद बता दी थी कि उन्हे चिकनी, सॉफ सुथरी
अच्छी लगती है तो घर जाके मैने फ्रेंच की पूरी बतल वहाँ एक रोम भी
नही बचा था, और पीछे भी, अच्छा गुड्डी तू बता तेरी कैसी है.
" मेरी तो ट्रिम ही है, मेरे जीजू को तो ट्रिम झान्टे ही पसंद है." झटके मे वो बोल
उठी.
" अच्छा तो अब बन्नो को ये भी पता चल गया कि उनके जीजू को कैसी झान्टे
पसंद है" मैने उसे चिढ़ाया, पर वो शरमा कर अल्पी से बोली ,
" हे बताओ ना, क्या हुआ आगे" अल्पना ने बात आगे बढ़ाई.
" जीजू ने थोड़ी देर वहाँ उंगली करने के बाद, तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी
निकाली और अपनी उंगली मे लेके अच्छी तरह लथेड के अंदर डाल दी , और धीरे
धीरे कर के उन्होने आधी शीशी वैसलीन मेरे वहाँ अंदर लगा दी. और अब उनका
अंगूठा मेरे क्लिट को टच कर रहा था, कभी वह हल्के से दबाते कभी कस के
मसल देते, उधर उन का दूसरा हाथ अब मेरे सीने को कस कस के मसल रहा था.
उनकी वैसलीन मे सनी उंगली रगड़ती हुई तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी, लग
रहा था कि मैं अब गयी अब गयी तीन चार बार ऐसे होने के बाद"
" तो क्या तुम्हारा हुआ" मस्ती से गुड्डी की हालत खराब थी. अल्पी ने बात जारी रखी,
" कहा, जीजू मुझे कगार तक ले जाते फिर रुक जाते और थोड़ी देर मे उनके होंठ
चालू हो गये, कभी मेरे बूब्स चुसते कभी निपल, और फिर जब नीचे जाके
मेरे लव लिप्स,"
 
" अरे साफ साफ बोलो ना चुसवाने मे शरम नही यहाँ कभी 'वह' बोल रही हो कभी लव लिप्स"

" हाँ ठीक ही तो कह रही है गुड्डी जब चुदवाने चुसवाने मे शर्म नही तो चूत बुर बोलने मे क्या शरम और आज रात मे गाने मे तो यही सब बोलना होगा," मैं भी गुड्डी का साथ देती बोली.

" थोड़ी देर तक तो वो मेरी चूत किस करते रहे फिर जम कर चूसने लगे, और जब उन्होने अपनी जीब मेरे क्लिट पे चलाई, मैं तो मस्ती मे पागल हो गयी और चूतड़ उछालने लगी, हल्के हल्के उसे वो चूसने लगे और जब मैं झड़ने के कगार
पे पहुँची तो वो रुक गये, ऐसा उन्होने फिर तीन चार बार किया फिर उन्होने एक जेल्ली की एक ट्यूब निकाली और उसकी नोज्ज्ल मेरी चूत मे लगा कर, दबा कर, ऑलमोस्ट खाली कर दी और बाकी अपने उत्तेजित शिश्न पे लगा ली.

" फिर" उत्तेजित गुड्डी की जांघे अपने आप फैल गयी थी, उसके खड़े निपल सॉफ दिख रहे थे.

" फिर उन्होने मेरे चूतड़ के नीचे दो तीन मोटे मोटे कुशन लगा दिए, और मेरी टाँगे अपने कंधे पे रख ली. दीदी जैसा अपने कहा था ना, मैने टांगे खूब अच्छी तरह फैला रखी थी और एकदम उपर कर रखी थी. उनके लंड का सुपाडा इत्ता मोटा लग रहा था जैसे पहाड़ी आलू, उन्होने मेरी कलाई पकड़ के, कस के मेरा चुंबन लिया और थोड़ी देर मे अपनी जीब मेरे मूह मे घुसेड दी. उनका खुला सुपाडा मेरी चूत क्लिट रगड़ रहा था और मैं फिर नशे मे पागल हो रही थी, मेरी चूत मे जैसे हज़ार चीन्टिया दौड़ रही थी और अचानक उन्होने पूरी ताक़त से लंड अंदर धकेल दिया. मेरी तो चीख निकल गयी पर उनकी जीब मेरे मूह में थी और मैं खाली गों गों की आवाज़ निकाल पा रही थी. दो तीन धक्कों मे उनका पूरा सुपाडा अंदर था. अब वो थोड़ा रुक गये. मैं कस के अपना चूतड़ पटक रही थी, गान्ड उछाल रही थी पर सुपाडा अंदर तक धंसा था और लंड बाहर नही निकल सकता था. धीरे धीरे दर्द थोड़ा कम हो गया पर मुझे क्या मालूम था कि असली दर्द अभी बाकी है. मेरे गाल, माथा, बाल प्यार से सहलाने के बाद एक बार फिर उन्होने कस के मेरी कलाई पकड़ी. उनकी जीब और होंठों ने तो मेरे मूह को बंद कर ही रखा था. सुपाडा थोड़ा सा बाहर निकाल के मेरी कलाई को कस के पकड़ के उन्होने अबकी बार इतनी ज़ोर का धक्का मारा कि मेरी आँखों के आगे सितारे नाचने लगे मुझे लगा कि मैं दर्द से बेहोश हो जाउन्गि मेरा मूह बंद होने के बाद भी ज़ोर से गों गों की आवाज़ निकली तभी उन्होने दूसरा धक्का मारा और मेरी फॅट गयी. मेरी सारी चूड़िया टूट गयी मेरी सील टूट गयी थी. मेरी आँखे बंद थी बस ये अहसास था कि कोई मोटा सा पिस्टन मेरी चूत मे जबरन ठेल रहा है. लेकिन वो पाँच छः धक्के मारने के बाद ही रुके. थोड़ी देर मे मेरी साँस मे साँस आई. फिर उन्होने जब मेरे मूह से जीब निकाली तो मैने आँखे खोली. उनके चेहरे की खुशी देख कर ही मेरा आधा दर्द ख़तम हो गया. और जब उन्होने छोटी चुम्मि मेरे गालों, आँखों और निप्पल्स पर ली तो रहा सहा दर्द भी ख़तम हो गया. 45 मिनट मे मैं खुद ही अपने चूतड़ उचकाने लगी. मुस्कराते हुए अब उन्होने मेरी कलाई छोड़ दोनो किशोर जोबन पकड़ लिए और उसे मसल्ते, रगड़ते हल्के हल्के धक्का लगाने लगे. अब मुझे भी मज़ा मिल रहा था और थोड़ी देर मे मैं भी उनके धक्के का जवाब धक्के से देने लगी. जीजू अब पूरी तरह से चालू हो गये थे. उनके होंठ कभी मेरे गाल चुसते, कभी निपल. उनके हाथ कभी कस के, मेरी चूंचिया मसलते कभी मेरी क्लिट छेड़ते और जब उनका मोटा मूसल जैसा लंड बाहर निकाल कर मेरी कसी चूत मे रगड़ते हुए घुसता ना तो ऐसा मज़ा आ रहा था ना गुड्डी कि पूछो मत."

गुड्डी तो रस मे ऐसी डूबी थी क़ि वह बोलने के काबिल नही थी, ऐसी चुदासी लग रही थी कि उस समय तो अगर कोई भी उसे मिलता तो चुदवाये बिना छोड़ती नही.

अल्पी ने बात जारी रखी" ".थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद, उन्होने मुझे ऑलमोस्ट दुहरा कर दिया मेरी टाँगों को मोड़ कर और फिर लंड एकदम बाहर निकाल के एक झटके मे पूरा पेल दिया. दर्द तो हुआ पर मज़ा भी खूब आ रहा था,कच्चकच्चसतसट लंड अंदर जा रहा था, गपगाप मेरी चूत मोटे केले की तरह अंदर घोन्ट रही थी.


तभी जीजू ने मुझसे कहा, अरे अल्पी ज़रा उधर तो देख. और मैने देखा कि ड्रेसिंग टेबल मे सॉफ दिख रहा था कि उनका इत्ता मोटा लंड कैसे मेरी चूत मूह फैलाकर गपगाप लील रही थी. कुछ बाहर भी था पर आधे से ज़्यादा अंदर था. मुझे पता नही मैं कितनी बार झड़ी पर जीजू 40-45 मिनट चोदने के बाद झड़े और उनके झड़ते ही मैने एक बार फिर झड़ना शुरूकर दिया और मेरे चूतड़ अपने आप उछल रहे थे. मैं रुकती और फिर चालू हो जाती. 

उन्होने मेरे चूतड़ उपर उठा रखे थे कि जिससे वीर्य की एक भी बूँद मेरी बुर के बाहर ना आए तब भी कुछ छलक कर मेरी गोरी जांघों पे आ गयी बहुत देर तक उन्होने लंड अंदर रखा. और बाहर निकालने के बाद उन्होने मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया और एक इंपोर्टेड लंबी सी चॉकलेट मेरे गुलाबी होंठों के बीच गप्प से डाल दी."
 
" तो क्या उसके बाद उन्होने तुझे छोड़ दिया" गुड्डी की तो हालत खराब थी.

" अरे, इतने सस्ते मे छोड़ने वाले थे वो?, पर गुड्डी मज़ा बहुत आया, दर्द तो थोड़ा हुआ, एक मिनट के लिए तो जान ही निकल गयी पर उसके बाद जब चूत के अंदर लंड रगड़ कर जाता था ना, इत्ता मज़ा आता है बस तू भी फडवा ले अपनी."

"हाँ, आगे बताओ," मेरा मन ही मन कर रहा कि राजीव ने फिर क्या किया.

" जीजू ने मूह से कहा कि मैं अपनी चूत कस के भीचे रहू जिससे उनका वीर्य मेरी बुर मे ही रहे. वो मेरी चुम्मि लेने लगे और चुम्मि लेते लेते उन्होने अपनी जीब मेरे मुँह में डाल दी. अब मुझे भी मज़ा आ रहा था और मैं कस कस के उनकी जीब चूस रही थी. जीजू खूब मज़े से मेरे जोबन का रस भी ले रहे थे.. जीब चुसते चुसते, मैने भी अपनी जीब और मेरा खाया बचा हुआ चॉकलेट भी उनके मूह मे डाल दिया और उसे वो खूब स्वाद ले के चूसने लगे. मेरा निप्पल चुसते हुए बोले, अल्पी इसे क्या कहते है, और जब मैने कहा सीना तो उन्होने कस के काट लिया और कहा जब तक तुम खुलकेनहीबोलोगि मैं कस के तुम्हे काटुंगा.

मैने बोला बूब्स तो फिर कचक से काट कर वो बोले नही अपनी ज़ुबान मे और जब मैने कहा मम्मे तो वो खुश हो के बोले हाँ और मुझसे उन्होने चूंची कहलवा के ही दम लिया. और उसके बाद उन्होने कस के नीचे पकड़ के मुझ से ज़ोर से फिर, बुर चूत, चूतड़ गान्ड सब कहलवाया. और जब उन्होने मुझसे अपना मोटा हथियार पकड़वाया, तो बिना किसी शर्म के मैं खुद खुलकर बोली, जीजू आपका लंड बड़ा मस्त है.

गुड्डी इत्ता बड़ा था, कम से कम मेरे बित्ते के बराबर तो होगा ही और मोटा इतना कि मेरी मुट्ठी मे नही समा पा रहा था. वो बोले साली जी मेरी साली को बस ऐसे ही भाषा बोलनी चाहिए, जिसने की शरम उसके फूटे करम. जीजा ने मुझसे
कस के पकड़ के आगे पीछे करने को कहा, और तुरंत जैसे बटन दबाते ही कोई चाकू निकल जाए, वैसे ही वो कड़ा हो गया. मैं भी मज़े मे आगे पीछे कर रही थी, छूने मे इत्ता अच्छा लग रहा था इत्ता कड़ा, एकदम लोहे की तरह. जीजू ने
मुझसे कहा कि मैं उनका चमड़ा खोलू और खोलते ही मोटा, लाल पहाड़ी आलू जैसा बड़ा सुपाडा बाहर निकल आया. अभी भी उसमे उनका वीर्य लिथड़ा था. जीजू का भी एक हाथ, मेरी नारंगियों को खूब कस कस के मसल रहा था और दूसरा मेरी चूत को उपर से प्यार से सहला रहा था. जीजू ने मेरे गुलाबी गाल को काटते हुए कहा, जानती हो साली बुर के लिए सबसे अच्छा लूब्रिकॅंट कौन सा होता है. मैने भोलेपन से पूछा कौन सा?, तो मेरी क्लिट को पिंच करते बोले, जो तुम्हारी बुर मे है, जीजा का वीर्य और इसलिए मैने तुम्हे अपनी चूत भीच कर रखने को कहा था. मैं बेवकूफ़ मैने उनसे पूछ लिया और जीजू नंबर दो, तो वो हंस कर बोले साली के मूह का थूक, तुम्हारा सलाइवा, मेरे लंड के लिए. इतना सुनना था कि मैने झुक कर उनका लंड अपने मूह मे ले लिया. बड़ी मुश्किल से मैने पूरा मूह फैलाया तो खाली सुपाडा बड़ी मुश्किल से अंदर घुस सका. उनके वीर्य का स्वाद मैं महसूस कर रही थी. लेकिन मैं कस कस के चाटती रही चुसती रही. नीचे से मेरी ज़ुबान रगड़ रही थी और चारों ओर से मेरे कोमल लिप्स.

" फिर तो तुमने उनका अपने मूह मे" गुड्डी ने बड़ी मुश्किल से थूक घोंटा और पूछा.

" और क्या अरे एक बार चूस के तो देखो क्या मज़ा आता है, मैं तो अपने जीजू के लिए कुछ भी कर सकती हू. जीजू ने थोड़ी देर बाद लंड निकाल कर मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और पूछा," " चाहिए"

" हाँ लेकिन पूरा." मैने देखा था कि पिछली बार जीजा ने आधे से थोड़ा ज़्यादा लंड डाला था.

" लेकिन तुम्हे बहोत दर्द होगा, अल्पी" प्यार से वो बोले. मुझे मालूम था कि मन तो उनका कर रहा था, पर मेरे दर्द के डर से.

" होने दीजिए ना लेकिन पूरा" मैने उनको अपनी बाहों मे भरकर खूब नखरे से कहा, " जीजू मेरी एक शर्त है"

" क्या?, बोलो साली जी, साली की तो हज़ार शर्ते मंजूर है एक क्या"
 
" चाहे मेरी चिथड़े, चिथड़े हो जाय, चाहे खून खच्चर हो जाय, चाहे मैं दर्द से बेहोश क्यों ना हो जाऊ. पर आज मेरी चूत मे पूरा लंड डाल कर चोदेन्गे अगर आप अपनी साली को ज़रा भी प्यार करते है तो."

" अभी लो साली जी" और मेरी दोनो टांगे कंधे पर रखकर उन्होने ऐसी जबरदस्त चुदाई की कि पूछो मत. आसन बदल बदल कर. और अबकी बार मैं शीशे मे हर बार जब लंड को घुसते देखती तो उसी तरह चूतड़ उठा कर उनके धक्के का जवाब देती. मेरी चूंचिया तो उन्होने मसल कर रखा दी. अगर मैं ये कहूँ कि दर्द नही हो रहा था तो झूठ होगा पर, गुड्डी मज़ा इत्ता आ रहा था कि उस समय दर्द का कुछ पता नही था बस मन कर रहा था, जीजू चोदते रहे चोदते रहे. जब
उन्होने मुझे दुहरा कर मेरे कंधे पकड़ अपना पूरा मूसल घुसेड़ा, मेरी तो जान निकल गयी, दर्द के मारे मैने अपने होंठ काट लिए पर जब उनके लंड के बेस ने मेरी क्लिट पर घिस्सा देना शुरू किया तो मेरी फिर एक बार जान निकल गयी अबकी बार मज़े से और फिर मैं ऐसा झड़ी, ऐसा झड़ी कि बस झड़ती ही रही जीजू थोड़ी देर रुक कर फिर चालू हो गये और अबकी बार तो कम से कम घंटे भर चोदा होगा उन्होने मुझे. और उनके वीर्य की धार चूत मे पड़ते ही मैं फिर झड़ने
लगी. मैं एक दम लथ फत थी. उन्होने सहारा देकर उठाया. उनका गाढ़ा गाढ़ा सफेद वीर्य मेरी चूत मे भरा था और निकल कर मेरी जांघों पर बह रहा था. उन्होने थोड़ा सा वीर्य अपनी उंगली मे लेकर मेरी चूंचियों पर मसल दिया और हँसकर बोले, उठती चूंचियों के लिए ये सबसे अच्छा टॉनिक है. और मुस्करा कर मेरी बुर मे उंगली डाल फिर ढेर सारा अपना वीर्य निकाल कर मेरे गालों पर खूब मसल दिया और बोले हे, देखो कैसे ग्लो कर रही है, सबसे अच्छी फेशियल क्रीम है ये. और जब मैने साफ करने की कोशिश की तो अपनी कसम दे के मना कर दिया. इसीलिए मेरे गाल ग्लो कर रहे है.


गुड्डी झेंप गयी लेकिन वह अपने को रोक नही पाई और बोली, " सच बताओ, दर्द बहोत हुआ?." 

अल्पना ने मुस्करा कर उसके भरे भरे गालों पर चिकोटी काट ली और बोली, " हाँ, मैं ये तो नही कहूँगी कि दर्द नही हुआ, बहोत हुआ , लेकिन बस थोड़ी देर और उसके बाद तो इतना मज़ा आया, इतना मज़ा आया, मैं बता नही सकती. तू भी
जल्दी से ले ले ये असली मज़ा. मैं तो कहती हू लड़किया झूठे नखड़े दिखाती है. मैं तो कहती हू हमे लड़कों के पीछे घूमना चाहिए, इत्ता मज़ा लंड मे है, अगर तुम्हारे जीजा न कर रहे हो न तो मैं अपने जीजू से बात करू, क्यों "


गुड्डी शरमा गयी और बोली, "धत्त" लेकिन अल्पी कहाँ छोड़ने वाली थी वो बोली. " अरे इसमे धत्त की क्या बात है, अरे तुम मेरी सबसे पक्की सहेली हो ना "

" हाँ वो तो हू" गुड्डी बोली

" तो फिर मेरे जीजू तेरे जीजू हुए कि नही, तो फिर चुदा ले मेरे जीजू से." वो बेचारी बुरी तरह झेंप गयी.

मैं उसकी बचत मे आते हुए बोली, " अरे अल्पी इसका मतलब है कि ये पहले अपने जीजा से चुदवायेगि उसके बाद तुम्हारे जीजा से, तो गुड्डी कब प्रोग्राम है तुम्हारा चुदवाने का अपने जीजा से,"

" वो जब चाहें" गुड्डी ने बोल तो दिया पर अपना जवाब सुनकर खुद शरमा गयी. 

तब तक दुलारी उन दोनों को ढूंढते हुए वहाँ आई, " अरे तुम यहाँ बैठी हो तुम्हारे जीजा नीचे तुम्हे तलाश कर रहे है.

मैं बोली, " लगता है, तेरा नंबर आ गया और हाँ ज़रा जैसे सिखाया है, चूतड़ मटका के तो जाना."
 
गुड्डी हँसते हुए उठी और रीमिक्स गर्ल्स की तरह कस के मटकते हुए चली गयी.

दुलारी ने अल्पना से कहा, अरे तुम्हारी भी खोज हो रही है, भैया ढूँढ रहे है. जब वो जाने लगी तो दुलारी ने छेड़ा,
" अरे तुम भी तो ज़रा अपने ये मोटे मोटे चूतड़ मटका के दिखाओ." 

अल्पी पीछे रहने वाली नही थी. उसने अपनी पतली कमर और टाइट जीन्स से छलकते बड़े बड़े चूतड़ यों मटकाए की बस,

" हाई क्या मस्त चूतड़ है आज रात को ज़रूर गाने के समय, तुम्हारी गांद बिना मारे छोड़ूँगी नही"

" और क्या तुम्हारी बच जाएगी " मूड कर अपने जोबन उभार कर बड़ी अदा से अल्पी ने जवाब दिया और खिलखिलाते हुए राजीव से मिलने चली गयी.

शाम होते ही मेहमानों का आने का सिलसिला बढ़ गया. मेरे ननदोइ जीत की बहन हेमा भी अपने माता पिता के साथ आ गयी थी. खूब चहल पहल थी. आज गाने के लिए बरामदे मे परदा लगाने का इंतज़ाम था, जिससे मर्दों को कम से कम दिखाई तो ना पड़े कि अंदर औरतें क्या कर रही है. जितनी प्राउड औरते थी या काम करने वालिया थी वो और खुल कर सिर्फ़ गाली मे मज़ाक कर रही थी और दुलारी और गुलाबो सबसे आगे थी. काम भी बहोत था. मेरी सास ने मुझे बुलाकर कहा की उपर छत पे मर्दों के खाने का इंतज़ाम करवा दू और हाँ सबसे पहले ननदोइ और लाली के ससुराल वालों को खिला दू.

सब इंतज़ाम हो गया और मैने गुड्डी और अल्पी को भी बुला लिया, खाना परोसने के लिए. दोनों ने अपने दुपट्टे कमर मे बाँध लिए. जीत चिढ़ा कर बोल रहे थे, अरे ज़रा ठीक से झुक के दो. 

मैं उनके द्विअर्थि बात का मतलब तो समझ गयी और ये भी कि झुकने से उभार और क्लीवेज़ उनको सॉफ दिखते, और
चिढ़कर बोली," अरे ठीक से डालो, ना नंदोई जी की कटोरी मे पूरा भर के हाँ और बगल मे उनकी बहन को." मेरा इशारा काफ़ी था, 

गुड्डी ने कुल्हड़ मे पानी डालते हुए, सीधे, हेमा की जांघों के बीच गिरा दिया और दोनो हंस के बोली, " अरे आप को इत्ति ज़ोर से आ रही थी तो बाथ रूम मे चली जाती, यही अपने भैया के सामने खाना कही भागा तो जा नही रहा था." 

अल्पी ने हंस के बोला, अरे गुड्डी इनके यहाँ भाई बहन के बीच सब कुछ खोल के होता है, कोई परदा नही और हेमा को तौलिया देने के लिए उसके साथ नीचे चली गयी.

तभी मेरी सास उपर आई और बोली, "अरे बहू, तुम्हारे नंदोई खाना खा रहे है और वो भी सूखे सूखे ज़रा कुछ गाली वाली तो सूनाओ"

मैने चारो ओर देखा, मेरी जेठानी, गुलाबो, दुलारी मेरा साथ देने के लिए कोई नही था. सिर्फ़ मैं और मेरी ननद गुड्डी थे. 

मौका देख कर मेरे नंदोई जी भी चहके, " अरे, आपकी बहू को कुछ आता वाता तो है नही?. गाली क्या सुनाएँगी, नये
जमाने की बहुएँ"

मुझे भी जोश आ गया. मैने गुड्डी से कहा, " आजा, चल सुनाते है तुम्हारे जीजा को उनका और उनकी बहनों का हाल."

जीत ने फिर छेड़ा, " अरे फिल्मी गाने की बात नही हो रही...गाली की बात हो रही है"
 
" अरे नंदोई जी अपना कान या जो कुछ भी खोलना हो खोल के रखिए अब सलहज और साली की बारी है, गाली भी जबरदस्त दूँगी और गाली का नेग भी जबरदस्त लूँगी." और हम दोनो चालू हो गये,

" अरे हमारे नंदोई जी अरे जीत जी खाने को बैठे, अरे कोने मे बैठे, अरे कोने मे लगे ततैया"
" अरे जीत जी की नंदोई जी की अम्मा की बिल मे अरग समाए, सरगसमाए,घोड़ागाड़ी को पहिया"
" अरे नंदोई जी की बहाना की बिल मे अरग समाए, सरगसमाए,घोड़ागाड़ी को पहिया",
" अरे हेमा जी की बुर मे, बैल को सींग, भैंस को चूतर, लंबा बाँस मोटा कोल्हू घोड़ागाड़ी को पहिया",


तब तक खाने मे बेंडे की सब्जी और खाने के खाने के अंत मे खरिका परोसा गया, और हमने अगला गाना शुरू कर दिया,


" अरे नंदोई साले, अरे उनकी बहना छिनार खाने को बैठे, खाने मे मिल गया बेंडा",
" अरे जीत बन्धुए की बहानी को अरे हेमा छिनार को चोदे सारे, गुंडा",
" अरे नंदोई साले, अरे उनकी बहना छिनार खाने को बैठे, खाने मे मिल गया खरिका",
" अरे जीत गंडुए की बहनि को, अरे हेमा छिनार की बुर चोदे सब गुंडा".


तब तक गुलाबो हमारे साथ आ गयी. गुड्डी खुल कर अपने जीजा और उनकी बहनो को गाली दे रही थी. उसने हंस कर गुलाबो से कहा, अरे गुलाबो भौजी, ज़रा कस के जीजा को एक असली वाली सुना दो. वो हंस के बोली एकदम ननद रानी लेकिन तुमको भी उसी तरह खुल के साथ देना होगा. एकदम वो बोली और फिर हम तीनों शुरू हो गये,

" गंगा जी तुम्हारा भला करे गंगा जी
अरे नंदोई साले तुम्हारी बहनि की बुरिया मे, हेमा साली की बुरिया तालों ऐसी पोखरिया ऐसी,
उसमे 900 चैले नहाया करे, अरे 900 गुंडे नहाया करे, बुर चोदा करे मज़ा लूटा करे,
अरे नंदोई साले तुम्हारी अम्मा की बुरिया अरे उनका भोसडा, बटुलिया ऐसी पतीलिया ऐसी,
जिसमे 9 मन चावल पका करे, बंधुए खाया करे, मज़ा लूटा करे, गंगा जी तुम्हारा भला करे गंगा जी,"



तब तक सब लोग खाना खा कर उठ कर खड़े होगये. नीचे से किसी ने गुहार लगाई कि गाने के लिए सब लोग बुला रहे है, गुलाबो, हेमा और कुछ औरतें नीचे चली गयी. मैने गुड्डी से कहा अरे, अपने जीजा जी को पान तो खिला दो. जब उसने पान बढ़ाया तो मैने फिर टोका, अरे एक नही दो, जोड़ा पान खिलाओ. हँसते हुए उसने फिर एक जोड़ा पान अपने कोमल हाथों से, जीजा जी के होंठों मे पकड़ा दिया. 

मैनें चिढ़ाया, अरे जोड़ा बना रहे, जीजा साली का.

हंस कर, पान चूबाते हुए, उन्होने अपने हाथ से जोड़ा पान गुड्डी को खिलाने की कोशिश की तो वो पीछे हट गयी, और बोली,
" नही जीजू, मुझे पान अच्छा नही लगता, मैने कभी नही खाया"
 
मैं जीत का चेहरा देख रही थी. एक पल के लिए वहाँ नाराज़गी झलक गयी. मौके को संभालते हुए मैं बोली, अरे नंदोई जी आप हमेशा साली के चक्कर मे पड़े रहते है, सलहज को लिफ्ट ही नही देते. लाइए ये पान, और मैने सीधे अपने होंठों मे उनके हाथ से पान ले लिया और मज़ाक मे उनकी उंगली भी हल्के से काट ली. 

वो बोले, "सलहज जी आप बहोत कस के काटती है" 

तो गुड्डी ने हंस के जवाब दिया, " तो क्या आप समझते है आप ही काट सकते है?. " और माहॉल एक बार फिर हल्का होगया.

मैने नंदोई जी के कान मे एक बात कही और उनका चेहरा चमक गया. 

गुड्डी ने हंस कर कहा, " भाभी इनसे गाली का नेग तो माँग लीजिए." 

मैने हंस कर उनसे बोला, " साली कुछ माँग रही है और हाँ मेरे हिस्से का नेग भी उसे ही दे दीजिएगा."

" हाँ आज आप लोगों ने वास्तव मे जबरदस्त गाली गाइ और खास कर तुमने." पान चूबाते हुए उन्होने गुड्डी की तारीफ की.

" जीजा जी, खाली तारीफ से काम नही चलेगा नेग निकालिए." वो हंस कर बोली.

नीचे से गानों की आवाज़े और तेज हो रही थी.
"क्यों सलहज जी दे दिया जाय, नेग?" हँसकर उन्होने पूछा.

" एकदम" मैं बोली.

और उन्होने गुड्डी को पकड़ कर उसका सर झुकाकर अपने पाने से लिपटे होंठ उसके किशोर होंठों से कस के सटा दिए और एक जोरदार चुम्मि ले ली. इतना ही नही, उनकी जीब उसके मूह मे घुस गयी और देर तक पान के रस मे लसी लिपटी
ज़ुबान उसे चूसाने के बाद उन्होने अपना अधखाया, चुबाया पान उसके मूह मे दे दिया. वह पीछे की ओर मूडी थी, और उन्होने एक हाथ से उसका सर और दूसरे से कमर इतनी कस के पकड़ रखी थी कि बिचारी हिल ही नही सकती थी. वह सर हिलाते हुए गों गों करती रही पर उन्होने पूरा जोड़ा पान, उनके थूक से लिथड़ा, कुछ घुला, कूचा कुचाया, अधखाया, उसके मूह मे ठेल कर ही दम लिया. पान के रस की एक बूँद निकल कर गुड्डी की ठुड्डी के पास के जहाँ काला तिल था, टपक गयी. उसके बाद भी वह उसी तरह उसके गुलाबी होंठों का रस लेते रहे, जब तक गुड्डी ने उनका अधकाया पान, चुबलाना नही शुरू किया. 

मैने उसे मुस्कराते हुए, चिढ़ाया, " क्यों ननद रानी, अब आया, जीजा के रस के साथ पान का मज़ा." 
 
वहाँ कुछ काम करने वालिया भी बैठी थी. उन्होने उसकी ओर देखते हुए, हँसते हुए आँचल से अपना मुँह ढक लिया.
नंदोई जी ने, जीभ बाहर निकाल कर उसके दोनों होंठ अपने होंठों से कस के दबा लिए और चुसते हुए, कस के अपने दाँत गढ़ा कर, उसके होंठ पर अपने निशान बना दिए और पूछा, " क्यों साली जी मिल गया ना नेग गाली का."

" धत जीजू, आप बहोत वो है". पान का रस लेते हुए इठलाकर गुड्डी बोली.

" अरे, पान तो मूह की शान है, लेकिन आप ने अपना सारा पान तो साली को दे दिया, लीजिए अब थोड़ा सा सलहज का ले लीजिए, और ये कह के उनके होंठों को मैने चूमते हुए थोड़ा सा पान अपने मूह का दे दिया. और वह खुशी से उसे चुबालाने लगे.


नीचे गाने की आवाज़े अब काफ़ी तेज हो गयी थी. नीचे से दुलारी आई कि गाने के लिए सब बुला रहे है. गुड्डी बोली भाभी चलिए ना लेकिन उसके जीजू ने उसे फिर पकड़ लिया और बोले, " अरे जाना, पहले नेग तो पूरा लेती जाओ"
और उसे कस के पकड़ के उसके भरे भरे गाल अपने पान से भरे मूह मे रख लिए और चुबलाने लगे. एक हाथ खुल कर कस कस के उसकी चूंचिया टॉप के उपर से दबा रहा था, और दूसरा नितंबो की गोलाई नाप रहा था. और फिर उसका निपल कस के पिंच करते हुए उन्होने, कचा कचा कर उसके फूले फूले गुलाबी गाल काट लिए. जब उन्होने छोड़ा तो उसके गाल पे अच्छी तरह पान का दाग लगा था और दाँतों के निशान खूब साफ दिख रहे थे.

जब उसने गालों के निशान साफ करने की कोशिश की, तो मैने उसका हाथ रोक दिया और कहा कि चलो, गाने मे सब लोग इंतजार कर रहे है और शादी का घर है, जीजा साली मे तो ये सब चलता ही है.
 
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