Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 7 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

वो समझ गयी. दिन मैने उससे खुद कहा था कि जब राजीव का मेरे पिछवाड़े का मन होता है तो मुझे फोर्स कर के खूब खिलाते हैं, जिससे उसने आँख नचा के अर्थपूर्ण ढंग से कहा,

" अरे भाभी, पति की बात नही टालते " और मेरी प्लेट मे ढेर सारा नूडल्स और राइस उडेल दिया. उन दोनो ने मिल के मुझे फोर्स कर के यहाँ तक कि अपने हाथों से इसरार कर के, खूब खिलाया .

लेकिन मैं उसका बदला राजीव से ले रही थी. मेरे हाथ ने उनका लंड बरमूडा से बाहर निकल लिया था. और कस के रगड़ मसल रही थी. बाद मे राजीव के लिए वो चाँदी के ग्लास मे दूध ले आई और अपने हाथ से पिलाया. उसमे ढेर सारी हर्बल पड़ी थी. मैं समझ गई. मैने ही उसे सिखाया था की इसका असर वियाग्रा से भी दूना होता है. इसके बाद वो फिर मेरे बगल मे आके बैठ गयी.

" बहोत स्वादिष्ट चाइनीस था." राजीव बोले.

" अरे तो इसको इनाम भी तो दीजिए ना.' मैं बोली.

" अरे तो बोलो ना जो माँगो वो मिलेगा."


" उसे तो बस यही चाहिए."

मैने गुड्डी का हाथ पकड़ के राजीव के पूरी तरह खड़े मोटे लंड पे रख, उसे पकड़ाते हुए कहा.

" धत्त भाभी" हाथ छुड़ाते हुए वो बोली. पर मैं भी जब तक उसने एक बार कस के पकड़ नही लिया, लंड उसके किशोर हाथ से दबाए रही.

वो उपर खाने के बाद बेडरूम मे चले गये और मैं गुड्डी के साथ लग कर जल्दी जल्दी किचन समेटने चली गयी. मुझे जल्दी करते देख वो मुस्कारके बोली, " भाभी, आज बड़ी जल्दी है."

मैं क्या बोलती. मैने बात बदल के पलट वार किया, " क्यों देख लिया ना मेरे सैयाँ का, उनका बड़ा था या उस फिल्म मे, जो उसे देख के तुम घबडा रही थी.
"19-20 रहा होगा. भाभी,


" किसका 20 रहा होगा."

" मेरे भैया का भाभी, 20 क्या 22 होगा, पर भाभी मान गये आप को. इत्ता लंबा और मोटा घोंट लेती हैं हंस हंस के."

" अरी बन्नो तू भी घोन्ट लेगी जल्द ही. रस तो आज सतक ही गयी पूरा." उपर से कस के उसकी चूत दबोचते हुए मैं बोली.

अब बात बदलने की उसकी बारी थी. उंसने बड़े इसरार से कहा, " भाभी,एक बात कहूँ पर प्रॉमिस करिए, हां कहिएगा."

" हाँ अरे इत्ति प्यारी सेक्सी ननद को किसकी हिम्मत है मना करने की."

" भाभी आज स्कूल से आ रही थी तो वो मिला था, बहुत रिक्वेस्ट कर रहा था"

" किस बात की" समझ तो मैं रही थी पर मैं कहती थी कि वो खुल के बोले.

" वही उसी के लिए. मिलना कहता है कुछ देर के लिए."


" अरे साफ साफ क्यों नही कहती छोड़ना कहता है तुझे फिर से. नही, अभी दो दिन ही तो हुए है'

" प्लीज़ भाभी देखिए मैं आप की सब बात मानूँगी. मेरी अच्छी भाभी."

" अच्छा बोल, तेरा भी मन कर रहा है." उसके गाल पे चुटकी काट के मैने पूछा.

" हाँ भाभी बहोत .."

" तो ठीक है दो तीन दिन मे तुम्हारा कुछ जुगाड़ करवा दूँगी ."

तब तक किचन का काम ख़तम कर के हम लोग बाहर आ गये थे और मैं नाइटी पहन रही थी. मैने उसको भी वैसी ही गुलाबी ऑलमोस्ट ट्रांसपेरांत नाइटी पहनने को कहा तो पहले तो उसने थोड़ा नखड़ा बनाया फिर मान गयी.

मैने उसे फिर छेड़ा, " अरे इस नाइटी मे एक बार अपने भैया के सामने चली गयी ना तो बिना चोदे छोड़ेंगे नही."

" धत्त भाभी" अबकी वो फिर शरमा गयी.

" अरे ये शरमाना छोड़ मेरी बन्नो, देख तुझे देख के उनका खड़ा हो जाता है आज तूने खुद पकड़ के देख लिया. मन तेरा भी करता है. वैसा मस्त हथियार और कही मिलेगा नही और तू खुद मान चुकी हे कि तुम दोनो का पहले से कुछ चक्कर था, तो ये मिडल क्लास हिपोक्रेसी छोड़ और खुल के मज़ा ले ,ऐसा मौका फिर दुबारा मिलेगा नही. और वो तो शरमाते ही रहते हैं तुम्हे ही इंशयेटिव लेना होगा"

" जो हुकम मेरी भाभी" हंस के वो बोली और हम दोनों ने कस के एक दूसरे को पकड़ लिया.

तब तक मेरी निगाह, ड्रॉयर मे रखे डिल्डो और वैयब्रेटर पर पड़ी जो शाम को मैने उसे दिया था. मैने उसे समझाया कि, आज रात कम से कम 20 मिनट तक डिल्डो से चूसने की प्रैक्टिस करे और दो तीन बार और कैसे 'रेबिट' से चूत और क्लिट दोनो पे एक साथ मज़ा लेते हैं.
 
जब मैं चलने के लिए मूडी तो वो मेरे चूतड़ को दबा के हंस के बोली, " बहुत मटक रहे हैं ना, आज लगता है इधर हमला ज़रूर होगा." मैं मुस्करा दी. उसने मेरी गान्ड के क्रैक मे उंगली लगाते हुए मुझे चिढ़ाते हुए, हंस के, गुनगुनाया,
बच के रहना रे बाबा, बच के रहना रे.

जब मैं उपर बेडरूम मे पहुचि तो वो बेताब थे. चार के अंदर तंबू तना हुआ था. मैने नाइटी उतारी ही थी और गुलाबी लेसी ब्रा उतार रही थी कि उन्होने मुझे अपने उपर खींच लिया और ब्रा के उपर से ही मेरे जोबन का रस लेने लगे.

" हे इतते बेसबरे क्यों हो रहे हो. आ तो गयी हू ना तुम्हारे पास."

उनके उपर का चर हट चुका था और वो सारे कपड़े उतार के लेटे थे, लंड तो मारे जोश के बेताब था.एक झटके मे उन्होने मेरी ब्रा उतार फेंकी और कस कस के मोटी मोटी चूंचियों का रस लेने लगे. कभी चाटते, कभी मेरे कड़े कड़े चूचुक पकड़ के चुसते. फिर एक झटके मे जैसे कोई किसी खिलौने की गुड़िया को उठा ले, उन्होने मुझे उठा के अपने उपर बैठा लिया. मेरी पैंटी सीधे उनके मूह पे थी और वह लेसी पैंटी के उपर से ही रस पान करने लगे. फिर पैंटी थोड़ी सी सरका के, उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत के चारो ओर फिरानी शुरू कर दी.मेरी तो मस्ती के मारे आँखे मूंदी जा रही थी कि उन्होने पैंटी भी खींच फेंकी. अब मैं उनके उपर खड़ी सी थी और वे अपने होंठों से, जीभ से कस के मेरी चूत रगड़ रहे थे और मैं भी उसी तरह जवाब दे रही थी. उन्होने कस के मेरी चूत की दोनो फांकों को अपने होंठों के बीच जकड़ा और चूसने लगे. उनकी जीभ कभी मेरी बुर के भीतर घुसा के, उसे लंड की तरह चोदति , कभी क्लिट को सहलाती. मैं अपनी चूत मे तेज सरसराहट महसूस कर रही थी, मेरे मूह से सिसकियाँ निकल रहीं.मेरी चूत पानी पानी हो गयी थी, और तभी उन्होने मेरी क्लिट को हल्के से काट लिया. मेरी पूरी देह काँपने लगी मुझे लगा कि मैं झड़ने जा रही हू पर राजीव उन्होने मुझे उसी हालत मे उठा के बिस्तर पे पटक दिया और मेरी टांगे दुहरी कर अपना मोटा लंड एक झटके मे मेरी बुर मे पेल दिया. उन्होने इत्ता करारा धक्का मारा कि इत्ते दिन से उनसे चुदवाने के बाद भी मेरी चीख निकल गयी. चूत के अंदर सुपाडा, उसे फैलाता चीरता पूरी ताक़त से घुसा. और अगले धक्के मे वो सीधे मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और मैं कस के झड़ने लगी. मेरी आँखे बंद हो गयी थीं, देह पूरी तरह कांप रही थी, चूत सिकुड फैल रही थी और लग रहा था अंदर अंदर पानी निकल रहा है. वो वही रुक गये पर उनके शरारती हाथ, वो वैसे ही क्लिट को छेड़ते रहे. मैं जैसे ही थोड़ी सामान्य हुई उन्होने कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए, जैसे कोई मोटा पिस्टन फुल स्पीड से अंदर बाहर हो पूरा का पूरा लंड बाहर निकाल के वो पूरी ताक़त से अंदर पेल देते. जैसे कोई धुनिया रूई धुने, वैसे उन्होने मुझे धुन के रख दिया. लेकिन कुछ देर मे मैं भी जवाब देने लगी, जब वो धक्का मारते तो जवाब मे मैं भी नीचे से उत्ते ही जोश से चूतड़ उछालती, जब उनके नाख़ून मेरे स्तनों और कंधो पे निशान
बनाते तो मैं भी उसी जोश से उनकी पीठ खरोंच लेती. और मेरी चूत भी कस कस के अब उनके लंड को निचोड़ रही थी. धक्का मारने के बाद वो अपने लंड के बेस से मेरी क्लिट रगड़ देते तो मैं गनगना उठती लेकिन मैं भी अपनी चूत उठा कस के जवाब देती.
 
चोदते चोदते ही उन्होने उठा के मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और अब वो मुझे पकड़ के उपर नीचे कर के चोद रहे थे. मैने भी उन्हे कस के अपनी बाहों मे बाँध लिया और अपनी रसीली चुचियाँ उनके चौड़े सीने पे रगड़ने लगी. उनके न जाने कितने हाथ हो गये थे और कितने होंठ. वो कभी मेरे निपल मसलते रगड़ते कभी क्लिट, कभी कचकच कर चुची काट लेते,कभी गाल और कभी निपल चूसने लगते. चोदते चोदते ही उन्होने मुझे घोड़ी बना के कस कस के चोदना शुरू कर दिया. और अब हम लोग खूब मस्ती मे बोल रहे थे,

" हे बोल मज़ा आ रहा है चुदवाने मे."


" ओहाँ लग रहा है हाँ ऐसे ही और कस के पेलो, पूरी ताक़त से ओह्ह"

" ले लेमेरा पूरा लंड ले ले"

दो ..दो हाँ राजा हाँ ऐसे ही ओह चोद चोद दो मेरी चूत."

" लो रानी ओह कैसी मस्त चूत है तुम्हारी ओह्ह"

" ऐसी ही चोदना मेरी ननद की भी बड़ी रसीली चूत उसकी भी है कस के चोद देना साली की बड़ी चुदासि है."

" अरे पहले तू तो चुद, हाँ चोद दूँगा उसकी भी"


" चोद चोद कर भोसडा बना देना उसकी चूत का."

" हाँ रानी हाँ ओह ओह "

और फिर हम दोनो एक साथ झड़ने लगे. बहुत देर तक उनके वीर्य की धार मेरी चूत मे बरसाती रही और मैनें भी निचोड़ कर उनकी एक एक बूँद अपनी बुर मे सोख ली. लग रहा था कोई तूफान गुजर गया. काफ़ी देर तक हम लोग अगल बगल लेटे रहे. फिर उनके चौड़े सीने पे अपना सर रख के मैं बोली, " हे एक बात कहु लेकिन ,पहले बोलो मानोगे."

" अरे तेरी बात टालने की मेरी हिम्मत, बोल ना कभी टाली है तेरी कोई बात." 
प्यार से मेरे होंठों को चूमते बोले. " अरे तेरे माल के बारे मे. 

देखो, आज कैसे तुम्हे खुल के लाइन मार रही थी, अपने जोबन का नज़ारा दिखा रही थी अब तो बिना चोदे उसको तुम छोड़ना मत,लेकिन मैं आगे की बात कह रही थी. होली मे हम आएँगें ना तब उसके भी इम्तहान ख़तम हो चुके होंगे और छुट्टियाँ शुरू हो जाएँगी. तब हम लोग उसको साथ ले चलेंगे फिर मैं उसको तुम्हारी रखैल बनाना चाहती हू."

" मतलब"
 अब वो उठ के बैठ गये थे .और मैं उनके सीने पे अपने नाख़ून से उनके निपल फ्लिक कर रही थी.

" मतलब ये कि वो तुम्हारी रखैल बन के रहेगी, तुम जब कहोगे , जैसे कहोगे. जहाँ कहोगे , उसकी ले सकते हो, रात मे अपने साथ ही सुलाएँगे तुम्हारा सारा काम भी करेगी."

" वो तो ठीक है, पर तेरा क्या फ़ायदा होगा, जानम." मुझे बाहों मे भर के मेरी चुचियाँ हल्के से दबाते वो बोले. मैं देख रही थी कि अब उनका लंड एक बार फिर से तनतनाने लगा था.

" अरे तुम्हे मज़ा मिलेगा सुख मिलेगा तो मुझे भी तो अच्छा लगेगा. तुम अक्सर दौरे पे चले जाते हो तो मुझे भी क्म्पनि रहेगी..अरे मैं भी उसे भोगुंगी. अभी तो सेक्स ट्वायज़ से काम चलाती हू पर वो साथ रहेगी तो उससे बढ़िया खिलौना और कहाँ... उससे चटवाउंगी, अपना शहद चखाउन्गि उसे..और .."


" सिर्फ़ शहद या खारा शरबत भी..." हंस के वो बोले.

" सब कुछ ...."

" सब कुछ मतलब... शरबत के अलावा भी?"

"और क्या , शरबत के अलावा और भी, ....कुछ भी नही छोड़ूँगी सब कुछ पिलाउन्गि, खिलाउन्गि, पका पकाया, हर चीज़ का स्वाद चखाउन्गि और सीधे से नही मानेगी ना तो हाथ पैर बाँध कर ...जबदर्जस्ति.. सब कुछ ट्रेन कर दूँगी' सब ट्राई कर्वाउन्गि उससे, आख़िर मेरी प्यारी ननद जो है, पर पहले बोलो."

" हाँ हाँ ....एकदम बहोत सही आइडिया है तुम्हारा. "

तो ठीक है कल से ये तुम दोनो का भाई बहन का नाटक बंद अब कल से तुम उसे एक मस्त चुदासी माल की तरह ट्रीट करना."

" एकदम मेरी रानी." मस्त हो के उन्होने अब मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया था और कस के मेरी चूंची मसल रहे थे. उनका लंड भी अब खुन्टे की तरह मेरी गान्ड मे धँस रहा था.

" साली खुद ही इत्ति चुदासी हो रही है तो...मैं क्यों ना चोदु" मेरा गाल काटते वो बोले.

" और क्या, एक और बात तुमने देखा कि खाना तो वो अच्छा बनाती ही है, मैने सोचा कि अब वो तुम्हारा सारा काम धाम करे. होली के बाद गोली ( वो नौकरानी जो मेरे मायके से आई थी और जिसका मेरे मायके वाली होने के कारण ये साली की तरह भी इस्तेमाल कर लिया करते थे.) दो महीने की छुट्टी जाएगी. तो वो रहेगी काम मे भी हेल्प रहेगी.
 
" छुट्टी क्यों..."

" अरे बियाने..." हँसके मैं बोली.

" अरे पर तुम तो कह रही थी कि उसका मरद किसी काम का नही है तो वो..."

" अरे बनाते हो ...उसके गौने के पहले तो एक हफ्ते तक तुमने उसे रगड़ के चोदा था, दिन मे तीन तीन बार और वो उसका फर्टिलिटी पीरियड था, खुद ही गर्भिन किया और अब.गौने मे वो गयी तो उसने अपने मरद को बेवकूफ़ बनाया. किसी तरह उसका डलवा लिया....और वो बेचारा तो उपर ही झाड़ गया पर उसने उसको ये समझाया कि, उसीने उसको गर्भिन किया है."

उनका लंड उस समय मेरे चूतड़ के बीच, सीधे मेरी गान्ड मे घुसने की तैयारी कर रहा था और मैं भी उसे छेड़ते हुए, उनके लंड पे अपनी गान्ड कस के रगड़ रही थी और मेरी उंगलियाँ उनके सुपाडे को छेड़ रही थीं. वो कस के अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल के अंदर बाहर करते बोले, " अरे मेरी ससुराल वालियाँ बड़ी चालाक होती हैं."

" और क्या तभी तो अपनी सेक्सी ननद को पटा रही हू तुम्हारे लिए. हाँ एक बात. और जो तुम्हारे बॉस हैं ना मिस्टर मुखर्जी, तुम्हे मालूम ही है ना उन्हे क्या पसंद है, और 12 लोगों को बाइपास करके सक्सेना का प्रमोशन कैसे हुआ और सारे टेंडर वाले काम उसे कैसे, मिल गये और मिसेज़ मुखर्जी को तो मैं अच्छी तरह जानती हू वनिता एम्म्डल की हेड है,और उनकी किटी पार्टी मे भी मैं जाती हू, वहाँ सिर्फ़ लेस्बियन फ़िल्मे होती हैं और उन्हे सिर्फ़ यंग लड़कियाँ पसंद है इस मामलें मे उनका टेस्ट अपने हसबेंड से मिलता है. तो सक्सेना ने तो अपने किसी बाबू के ज़रिए...और वो भी ऐसी ही थी, ...उसके आगे तो ये तो...."

" सच कहती हो मुखर्जी तो देख के दीवाना हो जाएगा, पर ये मानेगी?."

" वो सब तुम मुझ पे छोड़ दो पर बस तुम कल से चालू हो जाओ. ज़रा उसको पकडो, प्यार से सहलाओ,दबाओ, ....वैसे जिस तरह तुम देख रहे थे, मुझे लग रहा था तुम मेरी ननद की कोरी गान्ड के भी आशिक हो गये हो.बिना मारे बेचारी की गान्ड छोड़ेगे नही.

" तुम्हारी ननद की गान्ड तो मैं बाद मे मारूँगा पर पहले उसकी भाभी की गान्ड अभी मार लू."

" इसका मतलब, मारोगे ज़रूर उस बेचारी की..." हँसते हुए मैने अपने को छुड़ाने की कोशिश की पर उनसे मैं कहाँ बच पाती, उन्होने उठाकर मुझे पेट के बल पटक दिया और मेरे पेट के नीचे ढेर सारे कुशण लगा के मेरी गान्ड हवा मे उठा दी और मेरे पीछे आ गये. वो अपना मोटा लंड मेरी गान्ड मे सटा रहे थे,लेकिन कुछ सोच के उन्होने लंड मेरी चूत मे पेल दिया. उनके वीर्य और मेरे चूत के रस से मेरी चूत अच्छी तरह सनी थी , इसलिए एक धक्के मे ही आधा लंड घुस गया. 5-6 धक्के मारने के बाद, उन्होने लंड निकाल के अपनी दो उंगली अंदर कर दी और उसे लगे चूत मे घुमाने. चूत तो वैसे ही पानी फेंक रही थी. 5-6 धक्के उंगली से मारने के बाद उसे बाहर निकाल के, उन्होने फिर लंड पेल दिया. और 7-8 धक्को के बाद उसे निकाल के फिर दो उंगलियाँ अंदर कर दीं. दो तीन बार ऐसे ही बारी बारी से उंगली और लंड से कर के, उन्होने उंगली मेरी गान्ड मे ठेल दी. चूत से गीली होने से उंगली सॅट से मेरी गान्ड मे घुस गयी और फिर उन्होने उसे घुमा घुमा के
मेरी गांद अच्छी तरह गीली कर ली. उस समय उनका लंड मेरी चूत का मंथन कर रहा था. फिर मेरी कमर पकड़ के उंगली निकाल एक झटके मे उन्होने लंड मेरी गान्ड मे घुसेड दिया.

पहले धक्के मे ही पूरा सुपाडा घुस गया, और बिना रुके उन्होने 4-5 धक्के और कस के मारे और आधा लंड मेरी गान्ड मे घुस गया. दर्द के मारे जैसे मेरी जान निकल गयी. लग रहा था जैसे किसी ने मुक्का मेरी गान्ड मे पेल दिया हो. मेरे मूह से चीख निकल गयी.पर वो कहाँ मानने वाले थे, वो कस कस के मेरी चुचियाँ मसलने लगे.

" हे अपनी बहना की गान्ड समझ रखा है क्या, जो इस बेदर्दी से मार रहे हो, बहोत दर्द हो रहा है प्लीज़ एक मिनट ठहरो,"

" अरे बहना की नही उसकी भौजाई की गान्ड समझ कर मार रहा हू,आज इत्ति चिचिया क्यों रही है." और जैसे जवाब मे, उन्होने लंड थोड़ा सा बाहर निकाल, कर चुची कस के दबाते हुए , पूरा पेल दिया. और फिर तो वो ढकपेल उन्होने मेरी गान्ड मारनी शुरू की...

" हे मेरा पेट आज अच्छी तरह भरा है , प्लीज़ ज़रा,..."

" अरे तभी तो आज और मज़ा आ रहा है, अब नेचुरल लुब्रीकेंट लग के पूरा अंदर तक जा रहा है." 
वो बोले.

और सच मे एकदम सट्सट जा रहा था .अब मुझे भी पूरा मज़ा आ रहा था. मैं भी हर धक्के का जवाब अपने चूतड़ के धक्के से दे रही थी. फिर उन्होने आधा लंड जब बाहर था, उसे पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू किया. मुझे तो लगा कि जैसे मेरी गान्ड मे कोई मथानी से मथ रहा हो. मेरे पेट मे अजीब उमड़ घूमड़ चालू हो गयी. एक बार उन्होने मुझे मज़ाक मे एनीमा लगा दिया था बस वैसे ही लग रहा था....बस लग रहा था कि कुछ रिस रहा है. उधर दूसरी ओर उन्होने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे कस के डाल के चोदना शुरू कर दिया और अंगूठे से क्लिट रगड़ने लगे. मेरी मस्ती से हालत खराब हो रही थी.
 
मैं गान्ड भींच रही थी उनके लंड पे. गान्ड मारते मारते उन्होने पॉज़ बदला और फिर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया. लंड अभी भी मेरी गान्ड मे था. वो मेरी कमर पकड़े मुझे लंड पे उठा बिठा रहे थे और मैं भी उनका साथ दे रही थी. एक बार वो झाड़ चुके थे इसलिए जल्दी झड़ने का सवाल ही नही था.

थोड़ी देर ऐसे गान्ड मारने के बाद फिर उन्होने मुझे पलटा और अब कुतिया की तरह करके फूल स्पीड से मेरी गान्ड मारनी चालू कर दी. मेरी गान्ड बुरी तरह फैली थी, चराचरा रही थी और उपर से उनके कस के धक्के. अब बुर मे तीन उंगलिया घुस चुकी थी और वो भी रगड़ के चोद रही थी. इस दुहरे हमले से मे जब झड़ी तो थोड़ी देर मे वो भी दो कार कस के धक्के मार मार के , लग रहा था उनका सुपाडा मेरी अंत मे घुस रहा है, झाड़ गये. झाड़ते समय उन्होने मेरे चूतड़ और उपर उठा दिए जिससे सारा रस गान्ड मे ही जाय और मैने भी कस कस के गान्ड निचोड़ के सारा वीर्य गान्ड मे ही सोख लिया. काफ़ी देर तक लंड गान्ड मे पड़े रहने के बाद जो उन्होने निकाला तो वीर्य और मेरी गान्ड के रस के साथ वो बाहर आया.


मेरी हालत खराब थी. लंड निकालने के बाद भी गान्ड फॅट रही थी दर्द के मारे. थोड़ी देर तो बस पड़ी रही. वो मुझे सहलाते रहे, कुमते रहे. मेरी नज़र ड्रॉयर पर पड़ी गुड्डी की लेसी ब्रा और पैंटी पे पड़ी. जब शाम को हम लोग ब्लू फिल्म देख रहे थे, उसी समय मैने उतार ली थी और पैंटी मे तो उसकी चूत का सारा रस लिथड़ा था.

मुझे एक शरारत सूझी. मैं उनके सीने पे चढ़ के बैठ गयी और उनका हाथ अपनी ब्रा और पैंटी से डबल बेड के बेड पोस्ट से बाँध दिया, और झुक के उनको चूम लिया. मैं झुक कर अपनी रसीली चूंचियाँ उनके होंठों के पास ले जाती और जब वो उसे चूसने के लिए मूह बढ़ाते तो मैं उसे दूर कर लेती, फिर अपनी मस्त चुचियाँ उनके गालों पे सहलाती, उनको दिखा के अपने हाथों से अपनी चुचिया मसलती रगड़ती. फिर अपने हाथों मे ले उन्हे ललका के पूछती, " कहिए...?"

वो बोले. हाँ. 

फिर मैने गुड्डी की लेसी ब्रा उठा के अपने जोबन पे लगा के पूछा, " हे, किसकी है...?"

" उसकी ..."

उनकी साँस रुक रही थी मस्ती के मारे. उनके मूह पे उसे सहलाते हुए आँख नचा के मैं बोली, " अरे नाम लेते शरम आ रही है, नाम बोलो..."

" गुड्डी की..." थूक निगलते हुए वो बोले.

" देखो, इसमे उसके छोटे छोटे किशोर गुदाज मस्त किशोर जोबन रहते हैं जिन्हे देख के तुम्हारा मन करता है....बोल क्या मन करता है"

" दबाने का, पकड़ने का, रगड़ने का."

" तो दबाते क्यों नही, लो देखो इसे इन मस्त चुचियों वाली ब्रा को...." और उसे मैने उनकी आँखो पे सहलाया, छाती पे सहलाया और होंठो से लगा के बोली, " चूम ले इसको, इसमे तुम्हारे उस मस्त माल की चुचियाँ बंद रहती है." और उन्होने उसे चूम लिया. उसे उनके सीने पे रख के मैने उसकी छोटी सी लेसी पैंटी उठा के उनसे पूछा, " और ...ये किसकी है."

" उसी की...गुड्डी की."


" अरे साफ साफ क्यों नही बोलते,... कि तेरी प्यारी प्यारी बहना की है, जिसमे उसकी गुलाबी कसी चूत छिपी रहती है. एकदम चिकनी है साली की एक झांट भी नही है." मैने कनखियों से देखा, उनका लंड एकदम तन गया था. "क्यों, उसी साली की चूत के बारे मे सोच के ये तनतना गया है ना, चोद क्यों नही देते साली को अगर इत्ता मन करता है ले. लो सूँघो, अपने माल की चूत की खुशबू."

और उसकी पैंटी को मैने उनकी नाक पे लगा दिया और कस कस के रगड़ने लगी. और थोड़ी देर नाक पे रगड़ने के बाद मैं उसे उनके मूह पे लगाते हुए बोली, " ले चूस, चख, अपने माल की कसी कसी चूत का स्वाद." और फिर मैने उसकी ब्रा उठा ली,
 
" हे घुरता रहता है ना उसकी चुचि, बड़ा मन करता है उसके जोबन के दर्शन का, कल मैने उसकी चुचि तेरे हाथ मे ना दी तो कहना, और फिर अगर बिना मसले छोड़ा तो,... ले देख अपनी बहना का..." और ये कहते कहते मैने ब्रा कस के उनकी आँखो पे ब्लॅमिड फोल्ड की तरह बाँध दी. और फिर दोनो हाथों से उनके गाल को दबकाए उनके मूह को चीर के खोल दिया और पैंटी ठूस के कस के बाँध दी.

" आज तेरी किस्मत अच्छी है उस कमसिन की चूत का रस खूब चाटने को मिल रहा है, मन भर के चाट, एकदम उसके चूत के रस मे सराबोर है" और फिर उन्हे इसी तरह छोड़ मैं, नीचे की तरफ गयी. हमारे बेड पे ढेर सारे कुशण पड़े रहते थे. जैसे कुछ देर पहले उन्होने मेरे चूतड़ के नीचे कुशण लगाए थे उसी तरह मैने भी उनके चूतड़ के नीचे लगा के उसे खूब अच्छी तरह उठा दिया. और फिर उनकी दोनो टाँगों को मोड़, उसके बीच मे बैठमैं उनके बाल्स पे धीमे धीमे किस करने लगी. मेरी जीभ उनके बाल्स और गान्ड के बीच की जगह को चाट रही थी और फिर धीरे से मैं सीधे उनकी गान्ड के छेद तक पहुँच गयी. एक झटके मे मैने वहाँ एक कस के चुम्मा ले लिया और उनकी ओर मूह कर के बोली.
" क्या तुम सोचते हो तुम्ही गान्ड मार सकते हो. तुम अपने माल के चूत का रस लो और मैं तुम्हारी गान्ड मारती हू."

मैने दोनो हाथों से कस के उनके चूतड़ छितरा दिए थे, मेरे लम्बे नाख़ून उनके गुदा के छेद को छेड़ रहे थे. फिर पूरी ताक़त से उस छेद को फैला के मैने ढेर सारा थूक वहाँ लगा दिया और ज़ुबान से उसे रगड़ने लगी. उनकी गान्ड सिहर रही थी कांप रही थी लेकिन मैने अपनी एक उंगली अंदर ठेल दी औरउसे हल्के से अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी ही देर मे आलमोस्ट पूरी उंगली अंदर थी. उंगली से कुछ देर मज़ा लेने के बाद, जब उसे निकाला तो अब उनकी गान्ड थोड़ी खुली. थोड़ी देर मैने जीभ को उस अधखुले छेद के चारो ओर उसे घुमाया, रगड़ा और फिर मैने खूब ढेर सारा थूक ले के वहाँ लगाया और अपनी जीभ कड़ी कर अंदर ठेल दी. धीरे धीरे कर काफ़ी जीभ अंदर पहुँच गयी. पहले जीभ अंदर करने मे मुझे झिझक होती थी कि अंदर क्या क्या... लेकिन अब तो मैं खुद. और मुझे लगा कि मेरी जीभ मे कुछ लगा. मैने जीभ को वहाँ और रगड़ा और....उत्तेजना से मेरे निपल भी खड़े हो गये थे. दोनो हाथों से मैने चूतड़ को और फैलाया और हल्के हल्के जीभ से अपने पिया की गान्ड मारने लगी , जीभ खूब गान्ड के अंदर घूम रही थी और उसके अंदर जो कुछ भी था... मैं खूब स्वाद ले ले के मज़े से गान्ड मार रही थी और फिर अंत मे मैने कस के गान्ड को चुसते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली जिससे जैसे उनके लंड को मेरी गान्ड का स्वाद मिला था उसी तरह मेरी ज़ुबान को भी...



जब मैने मूह उठा के कुछ गहरी साँस ली तो मेरी निगाह उन सेक्स टॉयज पर पड़ी जो मैने अपनी ननद को दिखाने के लिए निकाले थे. उन्ही मे एनल बिड्स भी थीं, नीली नीली सिलिकन की. उसे मैं उठा के ले आई और फिर उसे मूह मे डाल के गीला किया. उनकी गान्ड फैला के वहाँ थूक के मैने सबसे छोटी वाली बीड़ को अंदर ठेला.

वो आसानी से अंदर चली गयी. शुरू मे उसके दाने छोटे थे आधे इंच के करीब. मैं उनकी गान्ड फैला के कस कस के थूक लगाती और एक एक कर अंदर सरकाती. बाद के दाने बड़े होते चले गये और एक इंच तक के थे. बेचारे उनके हाथ बँधे थे और मूह भी बंद था वरना कभी भी दो चार दाने से ज़्यादा, शुरू के छोटे वाले, से उन्होने डालने नही दिया. वो गों गों करते रहे पर आज मैं भी मस्ती मे थी. सारी की सारी... यहाँ तक की आख़िरी वाली भी जो डेढ़ इंच की थी मैने अंदर डाल के ही दम लिया. वो जेली वाली बिड्स थी और उनकी गान्ड मे हिल डुल रही थीं.
 

मेरी इन सब हरकतों से उनके लंड का बुरा हाल था. वह बुरी तरह तन्नाया हुआ था. अगर वो बंधे न होते तो फिर तो मेरा बुरा हाल होता. मैने उधर देखा तो मुझे याद आया कि जब उन्होने पहली बार मेरे ए टू म ( एस टू ,माउथ यानी गान्ड मारने के बाद सीधे मूह मे ) किया था तो लगभग उन्हे ज़बरदस्ती ही करनी पड़ी थी. मेरे लम्बे बाल खींच के मेरी नाक पिंच कर उन्होने जबरन मेरा मूह खुलवा के लंड अंदर ठेला था. और फिर जब तक मैने साफ सूफ कर के अच्छी तरह चाट के, तब तक उसे उन्होने निकाला नही. शुरू मे एक दो बार तो ऐसा ही रहा फिर जब मुझे स्वाद लग गया तो...मैने उनको धन्यवाद दिया कि, उस के बिना मैं अपना रिएक्शण ओवर कम नही कर पाती. और अब तो मैं खुद वो जैसे ही गान्ड से बाहर निकालते मैं खुद...



लेकिन आज इसमे भी मैं इन्हे त्ंग करने के मूड मे थी. हर दम मैं सीधे सुपाडे से शुरू करती पर आज, मैने नीचे से चटाना शुरू किया और खूब धीरे धीरे उन्हे तड़पाते और कुछ देर ऐसा करने के बाद, सीधे मैने सुपाडा गप्प कर लिया जैसी कोई नदीदी लड़की लोली पाप चूसे उस तरह . आज उनके सुपाडे मे कुछ ज़्यादा ही मेरी गान्ड का माल...शायद जो वो गोल गोल घुमा रहे थे या मुझे जो एनीमा की जो फिलिंग हो रही थी या मेरी ननद रानी ने जो मुझे जबर्जस्ति इत्ता खिला दिया था...उससे तो मैं खैर अच्छी तरह निपाटूँगी. लेकिन मैने चूस चूस कर चाट चूम कर सब कुछ साफ कर दिया और फिर एक बार पूरा लंड हलक तक लेके चूसा. जब मैने होंठ हटाए तो लंड एकदम चमक रहा था. मैने खुद से कहा चढ़ जा बेटा कुतुब मीनार पे. लेकिन मैं अभी और मज़ा लेने देने के मूड मे थी. मैं फिर उनकी टाँगों के बीच जा बैठी और लंड पकड़ के मुठियाने लगी. एकदम पत्थर की तरह कड़ा था. फिर मैने अपने 36 डी स्तनों की ओर देखा. वे भी उत्तेजना से कठोर हो रहे थे और मेरे निपल भी एकदम कड़े थे. मैने अपनी चूंचियो से उनके लंड को पकड़ा पहले हल्के से और फिर कस के दबा के मैं उसे रगड़ने लगी, वो भी कमर हिला रहे थे , अपनी बहन की पैंटी से हल्की आवाज़ें निकाल रहे थे. वो दो बार झाड़ चुके थे इसलिए उनके जल्दी झड़ने का कोई सवाल नही था. थोड़ी देर चुचियों से चोदने के बाद, मैने अपने खड़े निपल को उनक पी हॉल मे लगा के कस के घुसेड़ने की कोशिश की और उसे उनके सुपाडे पे भी रगड़ा. उत्तेजना से उनकी बुरी हालत थी.


मैने सोचा, अब बहोत त्ंग कर लिया. मैं दोनो टाँगें फैला के उनके उपर आ गयी. मेरी चूत उनके सुपाडे से रगड़ खा रही थी. थोड़ी देर इसी तरह छेड़ने के बाद अपने भगोश्ठो को फैला के मैं नीचे आई और उनका थोड़ा सा सुपाडा मैने अपनी रस से गीली बुर मे ले लिया और हल्के हल्के रगड़ने लगी. बेचारे उनकी तो हालत खराब हो रही थी. धीरे धीरे सुपाडे को अपनी चूत मे रगड़ते हुए, मैने और ज़ोर लगाया और जैसे ही सुपाडा अंदर घुसा, मैं रुक गयी और कस कस के उसे अपनी चूत के अंदर भींचने लगी. वो...कभी अपने चूतड़ उपर करते, कभी पैंटी ठूँसे मूह मे गों गों करते पर मैं अपनी स्पीड से मज़ा ले रही थी. झुक के मैने उनके निपल पहले तो किस कर के चूसे फिर हल्के से काट लिया. उनकी बेताबी का मैं खूब मज़ा उठा रही थी. फिर मैने धीरे से सरकते हुए , उनका लगभग आधा लंड अपनी चूत मे घोंट लिया. अब मर्द की तरह उनके कंधे पकड़, मैने हल्के हल्के धक्के लगाने चालू किए. कुछ देर मे उनका पूरा लंड मेरी चूत मे था. थोड़ा झुक के कभी मैं उनके गालों को चूमती कभी कानों के लॉब्स को काट लेती कभी उनके निपल को. कभी और झुक के उनके सीने पे अपनी चुची कस के रगड़ती. मैने हल्के से धक्के भी देने शुरू किए और कभी कमर गोल गोल घूमाकर कभी अंदर बाहर कर के. जल्द ही मेरी चुदाई की रफतार बढ़ गयी और अब जब उनका पूरा लंड अंदर गया तो मैने चूत को कस के स्क्विज कर के निचोड़ना शुरू किया. वो बेचारे कसमसा रहे थे कभी अपना चूतड़ उठाने की कोशिश करते तो मैं कस के पूरी ताक़त से दबा देती. चूत से पूरी ताक़त से लंड को निचोड़ते हुए मैं उपर ले आई जैसे मूह से सक कर रही होऊ और फिर सुपाडे तक आने के बाद मैने पोज़ीशन बदली, मैने उनके पैर थोड़े फैलाए और अपने पैर अंदर कर लिए. अब मेरे पैर एकदम सटे थे और मेरी चूत भी कस गई थी. मैने पैर तो सिकोड ही लिए थे, चूत भी कस के भींच ली.
 
चूत इत्ति टाइट हो गयी कि और फिर उनका मूसल जैसा लंड, थोड़ी देर आगे पीछे हो के मैने हल्के हल्के अंदर बाहर किया और थोड़ी देर मे ही, मैने कस के चोदना शुरू कर दिया. लंड का बेस सीधे मेरे क्लिट को रगड़ रहा था और सुपाडा
बच्चेदानी को हिट कर रहा था. वो भी चूतड़ उठा रहे थे और मैं तो इत्ति मस्त हो रही थी कि बस, मैं क्या क्या बोल रही थी," हे मज़ा , आ रहा है चुदाई का देख मैं कैसे कस कस के चोद रही हू...ले ...और ले." वो बेचारे क्या बोलते उनके मूह मे गुड्डी की पैंटी जो ठुँसी थी. कमर पकड़ के धक्का पेल चुदाई करते मैं उन्हे चॅलेंज कर रही थी,

" हे मेरी ननद के यार चोद ना, हाँ ऐसी ही चोदना उस मस्त माल की , गुड्डी की चूत" 

उन्होने स्वीकृति मे सर हिलाया.

" बोल चोदेगा ना अपनी प्यारी बहना को, गुड्डी को"

अबकी वो कस के सर हिला रहे थे, गों गों की आवाज़ निकाल रहे थे.

" हे बहन चोद, जैसे गुड्डी को चोदेगा ना वैसे छोड़, इसी बिस्तर पे आज वो गान्ड रगड़ रही थी बहोत मस्त चूत है तेरे माल की हाँ हाँ और ज़ोर से."

अब वो पूरी ताक़त से अपने चूतड़ उछाल रहे थे. झुक के मैं उनके उपर लेट गयी और हल्के हल्के अपनी चुचि उनकी छाती पे रगड़ने लगी. मेरे शरारती हाथ उनके बाल्स को छेड़ रहे थे, मेरी चूत लंड को भींच रही थी. फिर मैने अपनी टाँगे उनकी टाँगो के बीच से निकाल ली और पहले की तरह बैठ गयी और अब उनके कंधे पकड़ के हचक हचक के चोदना शुरू किया. थोड़ी देर मे मैने उनके हाथ खोल दिए लेकिन आँखे और मूह उसी तरह बंद रहने दिए,

उन्होने तुरंत मुझे बाहों मे कस के भींच लिया. कुछ देर बाद मैं उनकी गोद मे थी, उनके भूखे हाथ मेरे स्तन कुचल मसल रहे थे. इत्ति तगड़ी चुदाई से हम दोनों झड़ने के करीब पहुँच गये थे. उन्होने मुझे साइड मे किया और अब हम दोनो साथ साथ पूरे जोश से धक्के लगा रहे थे और झड़ने के कगार पे थे. उन्होने एक हाथ से मुझे पकड़ा था और दूसरे से वो मेरी चूंचियाँ मसल रहे थे. अचानक उन्होने मेरी क्लिट पकड़ के कस के पिंच कर दी और मैं झदाने लगी, मैने उनकी गांद मे घुसी एनल बिड्स खींची और वो भी साथ साथ झड़ने लगे. मेरी चूत उनके गाढ़े सफेद वीर्य से भर गयी. जब उनका झड़ना बंद हो गया तो मैने दुबारा बाकी बची बिड्स भी खींची और अब वो फिर एक बार कस के झड़ने लगे. मैने उनका ब्लाइंड फोल्ड और मूह मे ठुँसी पैंटी निकाल दिया और उससे पकड़ के दोनों को, उनके रस से लिथड़े लंड पे खूब रगड़ रगड़ कर मसला. अब ब्रा और पैंटी दोनों ही मेरे सैंया के वीर्य से सराबोर हो रही थी.


रात थोड़ी ही बची थी. हम लोग वैसे ही सो गये. थी. जब सुबह मैं उठी तो भी उनका लिंग मेरी चूत मे था. आगे और पीछे दोनों ही ओर सफेद गाढ़ी मलाई भरी थी. मैने नाइटी पहनी और नीचे किचन मे आ गई. जब मैं बेड टी बना रही थी तभी गुड्डी आ गयी. वो भी मेरी मॅचिंग नाइटी मे थी. मेरी हालत देख के बोली, " भाभी लगता है रात मे भैया ने खूब मलाई खिलाई."

" अरे ननद रानी जलती क्यों हो, लो तुम भी खाओ." और मैने अपनी चूत से दो उंगली डाल के मलाई ऐसे निकाली जैसे कोई स्कूप से वनीला आइस क्रीम निकाले, और उसके मूह मे डाल दी. वो भी अब पक्की छिनार हो गयी थी, सतसट चट कर गयी.

" हे तुमने ब्रश किया था या नही" मैने पूछा.

" अरे लो भाभी अभी कर लेती हू" और उसने उसे अपने दांतो पे भी रगड़ लिया.
 
हम दोनो हँसने लगे. चाय पीते हुए मैं राजीव के लिए बेड टी रख रही थी कि मेरे पेट मे गडगड शुरू हो गयी. मैने उससे बोला, " हे मेरा पेट ज़रा ...मैं बाथ रूम जा रही हू."

" लगता है, कल पीछे भी कस के कुदाल चली है." आँखे नचा के वो शरारत से बोली.

" सब तुम्हारे कारण हुआ, मैने उन्हे ज़रा तुम्हारा नाम लेके छेड़ दिया कि तुम गुड्डी के मस्त चूतड़ देख रहे थे तो मेरी गान्ड..."

" अरे भाभी उनकी प्यारी बहना की गान्ड का नाम लेके छेड़िएगा तो क्या आप की गान्ड बचेगी."

" अच्छा, ज़्यादा बोल रही हो. तुम्हे पीछे वाली क्रीम भी खिलानी चाहिए थी."

" अरे तो खिलाया क्यों नही, मैं बड़े स्वाद से गप्प कर लेती. लेकिन अभी आप जल्दी जाइए."

"अच्छा, मेरे सैंया की प्यारी बहना ज़रा उपर जाके अपने भैया को ये बेड टी की ट्रे पहुँचा दीजिए , और हाँ, चाय के साथ और कुछ मत देने लगना."
 अब मेरी छेड़ने की बारी थी.

वो चाय ले के चूतड़ बड़े सेक्सी ढंग से मटकाते हुए उपर गयी, और मूड के बोली. " भाभी, अपने तो रात भर दिया तो कुछ नही. अब तो ये तो हम दोनो पे है..." 

जब मैं बाथरूम से लौटी तो वो तब तक लौटी नही थी. मैं ब्रेकफ़ास्ट की तैयारी करने लगी. वो थोड़ी देर मे आई.

" हे चुदवाने लगी थी अपने भैया से क्या , जो इत्ति देर लगी." उसके गाल को पिंच कर के मैने पूछा.

" नही भाभी , लेकिन उसके अलावा बाकी सब कुछ..." वो मुस्करा के बोली.

" मतलब, खुल के बताओ वरना मैं....खोल के चेक करूँगी."
 उसके उभारों पे पिंच करते मैं बोली.

" भाभी मुझे लगता है, भैया कनफ़्यूज़ हो गये , हमारी नाइटी एक जैसी है ना इसलिए, फिर वो थोड़े सोए थे..."

" बताती है भैया की दुलारी या उन्हे डिफेंड करती रहेगी..."


" बताती हू ना, जैसे मैने उन्हे उठाया, उन्होने मुझे अपनी बाहों मे भींच लिया और एक झटके मे नाइटी खींच हाथ मेरी ब्रा पे डाल दिए और उपर से मेरा सीना कस के दबाने लगे. निघट्य तो अलग हो गई और झटका झटकी मे ब्रा भी थोड़ी सी...इसलिए उनके हाथ अंदर जाके मेरे उभारों को कस के दबाने लगे, और आप ने ये नही बताया था कि वो ऐसे सोते ..मेरा मतलब बिना कपड़े "

" तूने उन्हे बताया नही कि...तू, या तुझे भी मज़ा आ रहा था"

" सच पूछो तो भाभी मज़ा तो आ ही रहा था, इस गफलत मे, शुरू मे मैने सोचा कि भैया को खुद पता चल जाएगा कि आप नही है लेकिन उस के बाद मैं बोलने की हालत मे नही थी. मेरे दोनो होंठ उनके होंठों के बीच दबे थे और वो कस कस के चूस रहे थे और फिर जब उन्होने ज़ोर ज़ोर से मेरा सीना दबाना शुरू कर दिया तो....वो तो थोड़ी देर बाद जब वो नीचे हाथ ले गये तब तक मेरे होंठ छूट गये और मैं उनसे बोली कि...फिर हम दोनो अलग हो गये."

" चल तेरे दिन की शुरुआत तो अच्छी हो गयी." उस का गाल सहलाते हुए मैं बोली."

" ब्रेकफ़स्ट मे क्या बनी रही हैं भाभी."

"अभी तो उनके लिए अमलेट बना रही हू उनके लिए, उन्हे नाश्ते मे यही अच्छा लगता है." अंडे फेन्टते हुए मैं बोली."

" भाभी मुझे सीखा दीजिए ना, मैं बना दूँगी."

" तू पर तू तो वेजेटीरीयन है, अंडा..."


" अरे, भाभी बनाना ही तो है कोई खाना तो नही."

मैने उसे समझा दिया और वो बनाने लगी. मैं भी तब तक ब्रेड सेंकने और चाय बनाने लगी. अमलेट बनाते बनाते वो बोली,
" देखो भाभी मिल के काम कितना जल्दी और अच्छा होता है."

" अरे तो सब काम मिल के करना पड़ेगा ननद रानी." मैने छेड़ा.

" अरे आपकी ये ननद पीछे हटने वाली नही है, भाभी. " हंस के वो बोली और तैयार होने के लिए चल दी. जब तक मैने ब्रेकफास्ट लगाया ,

वो स्कूल के लिए तैयार होके आ गयी और राजीव के ठीक सामने बैठ गयी.मैने छेड़ा, " हे सुना है, आज कुछ लोगों की गुड मार्निंग हो गयी."

दोनो मुस्करा दिए. उनकी ओर अमलेट बढ़ाते हुए मैने उन्हे बताया, " हे आज अमलेट गुड्डी ने बनाया है, ऐसे दूँ या ब्रेड मे..."

" ब्रेड के साथ." अख़बार रखते हुए वो बोले. " अरे गुड्डी ने बनाया है. तो जिसने बनाया है वो दे" उसकी ओर देखते हुए वो बोले.

" गुड्डी, आज तुम्ही दो ना अपने भैया को." द्विअर्थि ढंग से मैं मुस्करा के बोली.

" अरे भाभी दे दूँगी .और आज क्या, हर रोज..." उसी अंदाज मे मुस्करा के उसने भी ब्रेड मे ओमलेट लगाते हुए जवाब दिया. उसने जब उनकी ओर बढ़ाया तो सीधे उन्होने मूह मे ले लिया और बचा हुआ वो भी घोंट गयी. आज मैं देख रही दोनो एक दूसरे को खुल के देख रहे थे. उनकी निगाहें एक दूसरे की देह को सहला रही थी और वो तो, खुल के स्कूल ड्रेस मे उसके टॉप से छलकते हुए उसके जोबन को खा जाने वाली निगाहों से देख रहे थे. 
 
जब वह स्कूल जाने के लिए उठी तो मैने उसे अपने पास प्यार से खींच के पूछा, " हे ब्रा, पैंटी वही पहनी है ना, जो मेरे बेडरूम से सुबह लाई थी"

" हाँ भाभी"


" और ,वो वाला तेल लगाया कि नही."


" हाँ" हल्के से मुस्करा के वो बोली,

" अरे वही जो तुम लाए थे ना इसके लिए, 'सुडौल' स्तनों के उभार मे वृद्धि के लिए." राजीव को समझाते मैं बोली. " और वो लगाया है कि नही," उसके उभारों मे हाथ लगा के मैने ब्रेस्ट मसाज़र चेक किया.

" फरक पड़ रहा है ना, देखो कैसे बढ़ गये हैं इसके उभार." मैने उनसे कहा और उनके हाथ पकड़ के उसके उभारों पे लगा दिए.

अबकी बार मैने देखा वो हिचकिचाए नही, बल्कि, उन्होने खुद हल्के से उसके जोबन दबा दिए और वो भी, उसने भी अपने रसीले उभार उचका के उनके हाथ मे थमा दिए.

" हे तुझे देर हो रही होगी,चल, आज मैं तुझे स्कूल छोड़ के आता हू." वो उसे छोड़ने चल दिए. उनके हाथ, उसके कंधे पे थे.
कंटिन्यूड…


भाग ६ समाप्त
 
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