XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 21 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा



बापूजी :- अए जेठिया...चल जा जाना नही है तुझे...

जेठालाल होश में आता हुआ..बापूजी के पैर छूता है...और बैठ जाता है गाड़ी
में....

सभी गाड़ी से सबको बाइ बोलते हैं....और चल पड़ते हैं..स्टेशन की तरफ....

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सभी लोग एक गाड़ियों में बैठ के कॉंपाउंड से निकल चुके थे...अब आगे.....!!!

एक कार में.... जेठालाल , तारक , अंजलि , दया , बबीता , अईयर बैठे थे.....

और दूसरी कार में... सोढी , रोशन , भिड़े , माधवी , अब्दुल और रीता थे...

कार के अंदर......!!

जेठालाल :- मेहता साहब .. ये 13 आदमी कौन है.....ये बाघा ने मुझे सच में
परेशान कर दिया है...

तारक :- जेठालाल भाई...तुम क्यूँ चिंता कर रहे हो...जो भी होगा देखा जाएगा...

जेठालाल :- लेकिन मुझे टेन्षन हो रही है....

अईयर :- जेठालाल..तुम क्यूँ टेंशन ले रहे हो....जो भी होगा..वहाँ पे जाके पता चल
जाएगा...

दया :- मुझे पता है...कौन है...

जेठालाल :- क्याआआ.....कौन है??

दया :- सुंदर वीराआआअ......

जेठालाल :- मेहता सहाब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब.....
और चक्कर खा के मेहता के कंधे पे गिर जाता है....

दया :- टप्पू के पापा क्या हुआ आपको...

बबीता :- जेठा जी...आर यू ऑल राइट...

तारक :- जेठालाल....क्या हुआ ..उठो....

जेठालाल :- कुछ नही हुआ है मेहता साहब....अब तो होगा...
तारक के कंधे से उठता हुआ बोलता है....

तारक :- तुमने तो डरा ही दिया....

जेठालाल :- लेकिन दया तुझे कैसे पता वो..सस्सुंन्दर्ररर है...

दया :- मुझे क्या पता कि वो वीरा है..

जेठालाल :- हैं....लेकिन अभी तो तूने बोला....

दया :- वो तो में शायद सुंदर वीरा है ...ऐसा बोली थी..

जेठालाल :- लेकिन तूने शायद कब बोला...

दया :- नही बोला....सॉरी...

जेठालाल :- सॉरी...क्या सॉरी....एक पल के लिए जान निकाल दी थी तूने मेरी..

दया :- हैं..जान..लेकिन क्यूँ??

जेठालाल :- वो वो..ह्म..वो..

तारक :- अरे आप लोग बहस करना छोड़ेंगे....
जेठालाल तुम सुंदर को फोन लगा के खुद पूछ लो..पता चल जाएगा...

जेठालाल :- हाँ ये आइडिया सही है मेहता साहब...

और जेठालाल सुंदर को फोन लगाता है....

दिस नंबर. ईज़ आउट ऑफ रीच...प्लीज़ ट्राइ आफ्टर सम टाइम...

जेठालाल :- उसका फोन ही नही लग रहा है...

दया :- में माँ..को फोन कर के पुछु..

जेठालाल :- हाँ पूछ...

दया फोन मिलाती है..

 
जेठालाल :- हाआँ माआ....
कैसी है....
बॅस हम अभी स्टेशन जा रहे हैं....
क्या...हाहहहहहहहहहहः.....

जेठालाल :- सस्शह..हंस क्यूँ रही है..

दया :- माँ ने आपका नया नाम रखा है...

जेठालाल :- क्या??

दया :- डबा....हाहहहः....
और फिर से माँ से बात करने लगती है..

जेठालाल :- डबा....
मेहता साहब...ये डबा कैसे..

तारक :- हँसते हुए....जेठालाल वो ट्रेन के अलग अलग डब्बे होते हैं....वो उसकी
बात कर रही हैं...

ये बात सुन के अईयर और बबीता भी हँसने लगते हैं...

जेठालाल :- बात को चेंज करते हुए...अए दया...जो पूछना है वो पूछ फालतू की
पंचाट क्यूँ कर रही है...

दया :- हाँ...
माँ...सुंदर वीरा है घर पे..
क्या नही है...
कहाँ गया...
अच्छा.....
मुंबई में......

जेठालाल :- मेहता साहब....और फिर से उसके कंधे पे गिर जाता है...

दया :- अच्छा...कल आया था..
आज बॅंगलॉर गया ...

जेठालाल फिर से उठ जाता है..

जेठालाल :- हाशह....चलो बला टली......:-)
कॅट्ट फोन...दया..कॉट..

दया :- अच्छा माँ में तुमसे बाद में बात करती हूँ...
हाँ...बयईए...

जेठालाल :- इतनी पंचाट क्यूँ है तुझे और तेरी माँ को..

दया :- क्या.क्या..

जेठालाल :- कुछ नही रहने दे ना भाई..

तारक :- आप लोग की नोक झोंक में आ गया..

जेठालाल :- घबराता हुआ..कौन कौन..

तरल :- अरे भाई स्टेशन...

अईयर :- हाहहाहा....जेठालाल तुम तो बहुत डरपोक हो..

जेठालाल :- बबीता जी...ये क्या बोल रहे हैं..अईयर भाई.

बबीता :- अईयरर..

अईयर :- ओके सॉरी बबीता...

और स्टेशन आ जाता है....सभी कार से उतर के अपना समान उतार लेते हैं...

सोढी :- हाँ भाई...आ गया स्टेशन..जेठा प्रा..कौन से डब्बे पे हमारी सीट है.

भिड़े :- हाँ जल्दी बताओ जेठालाल...अब तो बस रहा नही जा रहा....

जेठालाल :- हाँ भाई बताता हूँ..
पहले ये तो पता चले..कि वो 13 वाँ इंसान कौन है...

भिड़े :- आररीए हाँ...तो कहाँ है वो..

जेठालाल :- मुझे क्या पता भाई..में भी तो तुम्हारे साथ ही आया हूँ ना..

तारक :- बाघा को फोन कर के पूछो...उसको पता होगा..

जेठालाल बाघा को फोन लगाता है..

जेठालाल :- हाँ बाघा..वो 13 वाँ इंसान कहाँ मिलेगा..
अच्छा..उसके आगे...चल ठीक है...

और फोन कट हो जाता है.....
 

जेठालाल :- चलो हम सब अपने डब्बे के पास चलते हैं...वहीं मिलेगा वो 13 वाँ इंसान..

सोढी :- चलो भाई चलो..समान उठाते हैं..

अब्दुल :- लेकिन कौन से पलटफ़ॉर्म पे जाना है..

जेठालाल :- यही..अपना 2 नंबर..

अब्दुल :- ठीक है.....

और सभी अपना समान उठा के चलने लगते हैं...

चलते चलते..

माधवी :- दया भाभी..कहीं सुंदर भाई तो नही..

दया :- नही वो नही है..माँ से बात हुई..तो वो बोल रही थी..कि वीरा तो बॅंगलॉर
में है...

माधवी :- तो फिर कौन हो सकता है...

रोशन :- वही तो देखने वाली बात है बावा...

बबीता :- या....लेट सी अब तो पता ही चल जाएगा...

और सभी अपने प्लॅटफॉर्म पे पहुँच जाते हैं...अपने डब्बे के आगे.....

तारक :- जेठालाल टेंशन ना लो...में अभी लिस्ट में देखता हूँ..पता चल जाएगा..
कि कौन है....

भिड़े :- हाँ मेहता साहब....इससे पता चल जाएगा..कि कौन है जो हमे सरप्राइज देना
चाहता है...

तारक लिस्ट में नाम देखने लगता है...

1. जेठालाल
2. दया
3. तारक
4. अंजलि
5. बबीता
6. अईयर
7. सोढी
8. रोशन
9. भिड़े
10. माधवी
11. अब्दुल
12. रीता

और 13 नाम....था..

तारक :- भाई....ये कैसा नाम है..

जेठालाल :- भाई...ये क्या अजीब नाम है.

भिड़े :- लेकिन हम इस नाम के किसी आदमी को नही जानते...

सोढी :- हाँ...ये कौन आ गया..नया..हमारी सोसाइटी में...

अईयर :- भिड़े कोई नया आदमी आया है..और तुमने बताया भी नही..

सोढी :- ऊ भिड़ू...तुझे बताना चाहिए था ना..कि कोई नया आदमी आया है..

जेठालाल :- ये किसी काम का नही ... इसको सेक्रेटरी पद से हटाओ...

भिड़े :- अरे क्या हटाओ..जेठालाल मुझे खुद नही पता कि ये कौन है...

जेठालाल :- ले तुझे भी नही पता..तो फिर ये कौन है..

में बताता हूँ कि ये नाम किसका है......
एक आवाज़ प्लॅटफॉर्म से आती है....

सब की नज़र उस आवाज़ की तरफ घूमती है....
एक आदमी प्लॅटफॉर्म पे पड़े बेंच पे बैठा था..और न्यूसपेपर पढ़ रहा था...

सोढी :- कौन हो भाई तुम..

भिड़े :- हाँ भाई कौन हो....अपनी शक्ल तो दिखाओ..

जेठालाल :- हाँ...हम तो आपको जानते भी नही है....

आप सब मुझको अच्छी तरह से जानते हो.....

टू बी कंटिन्यूड............!!!!!!!!!!

 
सभी स्टेशन पे पहुँच जाते हैं.....और लिस्ट में नाम चेक करते हैं...लेकिन
उनको वो नाम समझ नही आता.....दूसरी तरफ एक आदमी बैठा होता है....अब आगे...!!

में अब सब को जानता है...
वो बेंच पे बैठा आदमी बोलता है..

तारक :- लेकिन कैसे हम....आपको नही जानते....

नही .... आप सब मुझको जानते हैं..

जेठालाल :- सोढी ये आवाज़ जानी पहचानी सी नही लग रही है..

भिड़े :- हाँ जेठालाल मुझे भी ऐसा ही लग रहा है....

तारक :- लेकिन किसकी हो सकती है..

जेठालाल :- चलो इसी से पूछ लेते हैं...
भाई कौन हो तुम..

जेठा भाई ये आप मुझसे पूछ रहे हैं.....

जेठालाल :- आपको मेरा नाम कैसे पता...

में आपका क्या...सबका नाम जानता हूँ...मेहता साहब..कैसे हो...
भिड़े भाई..ट्यूशन कैसी चल रही है....
अईयर भाई लॅब तो बराबर है ना....
सोढी गॅरेज कैसा चल रहा है....
अब्दुल..सोडा नही पिलाएगा क्या....
दया भाभी..नमस्ते..

दया :- नमस्ते भाई..

अंजलि भाभी...आज भी आप मेहता साहब को डाइयेट फुड देते हो...
माधवी भाभी...आचार पापड..का बिज़्नेस कैसा चल रहा है..
रोशन भाभी..आप भी ठीक हो ना...
बबीता जी..हाउ आर यू??

बबीता :- आइ आम फाइन....

और रीता...कैसी चल रही है रेपॉर्टिंज्ग....

अंजलि :- अरे ये तो हमारे बारे में सब जानता है..

माधवी :- अगो बाई....हाँ इसे तो सब पता है...

रीता :- लेकिन ये कौन है..

भिड़े :- भाई तुम अपना चेहरा आब दिखाओगे कि नही...

तो दिखा दूं...

सभी एक साथ हन्न्न....

और वो आदमी न्यूज़पेपर को नीचे कर देता है...और अपना चेहरा सबके सामने दिखा
देता है....

आआआआप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प..............

सभी के मुँह से यही निकलता है..............
 

तारक :- लेकिन आप यहाँ कैसे??

जेठालाल :- हाँ कैसे??

माधवी :- आगो बाई......

भिड़े :- आप यहाँ कैसे???

जेठालाल :- भाई मेने भी तो वही पूछा है...तुम क्या भिड़े...

हां में........मोहन लाल......आप सबके के सामने हाजिर हूँ........

भिड़े :- मोहन लाल भाई आप और यहाँ....व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़...

जेठालाल :- हाँ....आपने तो मुझे डरा ही दिया था...

मोहन लाल :- हाहहहः....यही तो सर्प्राइज़ है....

सोढी :- ऊओ वेलकम मोहन लाल प्रा...

अईयर :- लेकिन आप यहाँ कैसे..

अब्दुल :- हाँ आपको कैसे पता चला.....

जेठालाल :- हाँ वही तो कैसे पता चला....

मोहन लाल :- हाँ बताता हूँ.....

चलते है एक बार फलशबॅक में...इस बार मोहन लाल की.....

मोहन लाल प्लेन से उतर के आज ही मुंबई आया था....

और आते ही उसका फोन गिर के टूट गया...तो उसने सोचा जेठालाल की दुकान से जाके
नया ले लेता हूँ...

और वो पहुँच जाता है जेठालाल की दुकान पर....
और वो दुकान पर जब पहुँचता है...जब जेठालाल नट्टू काका को छोड़ के गया था...
दुकान पर...

नट्टू काका :- अरे मोहन लाल भाई..आप आई..आइए....यहाँ कैसे आना हुआ...

मोहल लाल :- बस आज ही में मुंबई आया था...और आते ही मेरा फोन टूट गया
तो सोचा नया ले लूँ...

नट्टू काका :- अरे आइए...एक से एक बढ़िया मोबाइल हैं..

मोहन लाल :- नट्टू काका जेठा भाई कहाँ गये..

नट्टू काका फोन दिखाते हुए..

नट्टू काका :- वो ज़रा....मार्केट गये हैं..कल गोआ जो जाना है उन्हे..

मोहन लाल :- अरे वो कल गोआ जा रहे हैं..बढ़िया है..

नट्टू काका :- केवल वो हे नही...सोसाइटी में से 12 जने जा रहे हैं..

मोहन लाल :- अच्छा.....
अपने मन में...क्यूँ ना में भी चला जाउ..वैसे भी सबके साथ घूम के आउन्गा
मज़ा आएगा...सुंदर सुंदर भाभियाँ भी होंगी वहाँ पर..

मोहन लाल :- नट्टू काका..टिकेट आ गई क्या..

नट्टू काका :- नही वो बाघा टिकेट लेने गया है..

मोहन लाल :- ये बाघा कौन है??

नट्टू काका :- मेरा भतीजा.....यहीं दुकान पे काम करता है..
 

मोहन लाल :- अच्छा तो नट्टू काका..उससे बोल के मेरी भी एक टिकेट करवा दो...और
उससे बोलना कि सोसाइटी में किसी को ना बताए....सूप्राइज़ देना है..

नट्टू काका :- अरे वाह...ये तो बहुत बढ़िया है...

में अभी फोन लगाता हूँ..

नट्टू काका :- हाँ बघा.....
और मोहन लाल की सारी बात बता देता है..

नट्टू काका :- हो गई टिकेट मोहन भाई...

मोहन लाल :- थॅंक यू नट्टू काका..

नट्टू काका :- तो फोन कौन सा पसंद आया...

मोहन लाल :- ये वाला दे दीजिए.....

बॅक टू स्टेशन..........(अब क्या फ्लॅशबॅक में ही रहोगे...:)

ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ....सबके मुँह से ये ही बात थी..

तारक :- मोहन भाई..आपका सर्प्राइज़ बहुत अच्छा था...एक पल के लिए जेठालाल की तो
जान ही निकल गई थी..

दया :- टप्पू के पापा...ऐसा क्यूँ..

जेठालाल :- अरे कुछ नही डोबी...
चलो भाई चलो..ट्रेन में समान भी तो रखना है....

हाँ हाँ......और सभी ट्रेन में समान रखना चालू कर देते हैं.....

कुछ 20 मिनट बाद ट्रेन में समान अड्जस्ट हो जाता है....

टिकेट सेकेंड क्लास ए/सी की थी....जिसमे एक साइड 4 सीट्स होती हैं.....
और 2 सीट सामने होती है....तो ऐसे करके...सभी सीट्स बुक थी...

जेठालाल :- ये बाघा ने टिकेट अच्छी बुक की है...सब एक साथ..

तारक :- हाँ ये बात तो है...

अंदर डब्बे में हल्ला गुला मचा हुआ था...सभी लॅडीस और जेंट्स की बातों का...

और कुछ ही देर में ट्रेन चल पड़ी...

और सभी ने ईईईईईई...कर के चिल्लाया.....
 

टाइम हो रहा था इस वक़्त रात के 8 बजे.....

और ट्रेन अपनी पूरी रफ़्तार से चल रही थी...ये ट्रेन कोई लंबे रुट से जाती है.
इसलिए सुबह 6 बजे पहुँचने का टाइम था.....

सभी लोगों ने खाना खाना शुरू कर दिया था....
सभी ने हर्षो उल्लास से खाना खाया....
और कुछ ही देर में सभी ने खाना खा लिया.....

टाइम हो चुका था 9.....

जेठालाल बबीता....अईयर....दया माधवी और भिड़े....एक ही जगह बैठ के बात कर
रहे थे.....

जेठालाल तो बस बबीता पे नज़र चिपकाए रखा था....
चेहरे पे नही..उसके चुचों पे...
ट्रेन चलने की वजह से हिल रहे थे काफ़ी...वैसे भी उसने टाइट सा टॉप पहना
हुआ था....

बबीता की नज़र जब जेठालाल पर पड़ी..और उसने जब देखा जेठालाल कहाँ देख रहा
है...पहले तो वो थोड़ा सा शॉक हुई..कि सब यहाँ बैठे हैं...फिर कुछ देर
सोचने के बाद उसने एक हल्की सी स्माइल दे दी....

दया :- टप्पू के पापा चलिए ना सोते हैं...

जेठालाल घबरा जाता है...और वो फिर...अपनी नज़र हटा लेता है....

भिड़े :- हाँ अब सब सो जाते हैं....देखो दूसरी साइड..
सब सो गये...मेहता साहब..अंजलि..अब्दुल...रीता...मोहन भाई..सोढी..रोशन भाभी
सब सो गये....

जेठालाल :- भिड़े...तू यहाँ सबके नाम क्यूँ गिना रहा है..हमे पता है...वो सब
हैं हमारे साथ...
तुझे रात में भी कितनी पंचाट है...

भिड़े :- जेठालाल...डिसिप्लेन मीन्स डिसिप्लेन...

जेठालाल :- आई माधवी भाभी..इसको बोलो कि ये यहाँ ट्यूशन नही पढ़ा रहा...
भाई थोड़ा शांति रख...
मुझे भी पता है टाइम हो गया है सोने का...

अईयर :- हाँ तो चलो सो जाते हैं..

जेठालाल :- बबीता जी आप कहाँ पे सोएंगी...

अईयर :- क्या मतलब है जेठालाल तुम्हारा..

जेठालाल :- मेरा मतलब् है नीचे सोएंगी...या फिर उपर...
वो बबीता की तरफ़ देखते हुए कहता है..

अईयर :- ये क्या बोल रहे हो जेठालाल...

जेठालाल :- मेरा मतलब् है अईयर भाई..कौन सी सीट पे सोएंगी..

बबीता :- जेठा जी में..सोच..

अईयर :- में और बबीता...वो सामने वाली सीट्स पे सोएंगे...बबीता तुम उपर
वाली बर्त पे सोना..और मैं नीचे वाली बर्त पे...
जेठालाल की तरफ देखते हुए बोलता है..

जेठालाल अपने मन में...ये अईयर..को में छोड़ूँगा नही..एक बार गोआ तो पहुँचने
दो...फिर बताता हूँ इसे...
 

दया :- टप्पू के पापा...आप क्या सोच रहे हैं...चलिए सोना नही है..

जेठालाल :- हाँ भाई..हाँ..
तू कहाँ सोएगी..

दया :- में तो ये नीचे वाली सीट पे सो जाउन्गी...

दया लेफ्ट वाली सीट पे सोने के लिए बोलती है...

भिड़े :- में ये उपर सो जाउन्गा..माधवी तुम इधर नीचे सो जाना...

माधवी :- हूँ...

ये दोनो राइट साइड वाली सीट्स पे सोने का प्रोग्राम चलाते हैं..

जेठालाल :- तो ठीक है फिर..में उपर सो जाउन्गा..और क्या...

सब अपना बिस्तर बिछा लेते हैं...और सीट पे लेट जाते हैं....

जेठालाल उपर से नीचे उतरता है.....

उधर भिड़े और माधवी बात कर रहे थी...लेकिन एक दूसरे को देख नही पा रहे थे...

दया :- टप्पू के पापा..कहाँ जा रहे हो..इतनी रात को.

जेठालाल :- ट्रेन में क्रिकेट खेलने..

दया :- क्याअ...

जेठालाल :- अरे बाथरूम जा रहा हूँ भाई..तो सो जा..

दया :- ओह्ह...सोरररयी......

टू बी कंटिन्यूड.....!!!!!!!

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सभी ट्रेन में सोने की तैयारी कर रहे थे...भिड़े और माधवी बात कर रहे थे..
और जेठालाल बाथरूम जाने के लिए अपनी सीट्स से उठा था....अब आगे.....!!!!!

जेठालाल बाथरूम की तरफ़ बढ़ता है...

और गेट खोलने की कॉसिश करता है...लेकिन वो खुलता नही है..

जेठालाल :- क्या मुसीबत है....उःम्म्म...

वो ताक़त लगाने लगता है..

जेठालाल :- हाशह...खुल गया....

और घुस जाता है अंदर.....

अंदर हाथ धोते हुए...आईने के सामने खड़े होकर..

जेठालाल :- ये अईयर भाई का तो कुछ करना पड़ेगा....बड़े चालाक हो रहे हैं ना..
गोआ में पता चलेगा अईयरदी को...तब समझ आएगा....
चलो भाई अब चलते हैं सोने.....बहुत नींद आ रही है....

और वो दरवाजा खोलने लगता है...
दरवाजे को खिचता है...नही खुलता.....
दुबारा खिचता है...फिर भी नही खुलता....

जेठालाल :- अरे ये क्या मुसीबत हो गई भाई....खुल जा...
वो काफ़ी कॉसिश करता है...

कभी पैर लगा के....कभी दोनो हाथ लगा के....
पूरे चेहरे पे पसीना पसीना हो जाता है...

थक हार के वहीं जम्मीन पे बैठ जाता है...

जेठालाल :- हे भगवांन...ये क्या हो गया.....ये खुल क्यूँ नही रहा है.....
क्या सुबह तक यहीं बैठना पड़ेगा...नही.....

फिर कुछ सोचता है....

जेठालाल :- हाँ फोन...फोन मिलाता हूँ...

वो अपनी पॉकेट चेक करता है.....

जेठालाल :- ले...फोन....ओह्ह...फोन तो वहीं सीट पे रखा है....
ये कैसी परीक्षा ले रहा है तू मुझसे....
चलो आवाज़ लगा के देखता हूँ...

जेठालाल :- अरे कोई है..खोलो इसे....और वो दरवाजे पे मारता है....
कोई है.....प्लीज़ खोल दो......कोई है....

ऐसा करते करते करीब 45 मिनट गुज़र जाते हैं..लेकिन कोई नही खोलता दरवाजा...

जेठालाल अपने आप से.... मेने आप क्या बिगाड़ा है प्रभु.....हर बार मेरे साथ ही
ऐसा क्यूँ.....

जेठालाल :- अरे कोई है...इसे खोल दो प्लीज़......चिल्लाते हुए....

तभी उसे बाहर कुछ हल चल सुनाई देती है....

जेठालाल :- कोई है...भाई..खोल दो इसे.....

तभी बाहर खड़ा शख्स दरवाजे के काउंड को खोलने की कॉसिश करता है....

जेठालाल अनादर बैठा सोचता है हस्शह चलो कोई है...

और कुछ देर बाहर से मेहनत करने के बाद गेट खुल जाता है......और जेठालाल
ऐसे कूदते हुए बाहर आता है..जैसे कोई बंदर एक छत से दूसरी पे कुद्ता हो....

जेठालाल :- थॅंक यू भाई...थॅंक यू .... थॅंक यू...
आपको पता है..पिछले 1 घंटे से में इसके अंदर फसा हुआ हूँ....

स्टाफ :- भाई लेकिन ये गेट खराब है.....आप घुसे क्यूँ अंदर...यहाँ नोटीस तो
लगा हुआ है...देखा नही आपने...

जेठालाल :- लेकिन कहाँ पे लगा हुआ है...

स्टाफ :- अरे ये देखिए....हाँ लगा हुआ तो है...

और वो जेठालाल को वो नोटीस दिखाता है....

जेठालाल :- कमाल है तब तो नही था यहाँ...
थॅंक यू भाई...आप आ गये...नही तो पता नही क्या होता...इस गेट ने तो जान निकाल
दी थी मेरी....

वो आदमी चला जाता है...
 
जेठालाल अपने मन में....लेकिन ये नोटीस तब क्यूँ नही दिखा....

कुछ मिनट बाद वो अपनी बर्त के सामने पहुँच जाता है..उसका मूड बहुत खराब था...
वो देखता है सभी सो चुके थे....सबने मुँह तक रज़ाई ओढ़ रखी थी....
ए/सी से काफ़ी ठंड हो गई थी वहाँ.....

लेकिन जब उसकी नज़र दूसरी तरफ बढ़ती है....तो उसका सारा गर्म दिमाग़ ठंडा हो
जाता है....मगर उसकी एक चीज़ गर्म होने लगती है......

क्यूँ कि जब उसकी नज़र दूसरी साइड पे पड़ती है...तो बबीता अपनी सीट पे सोई पड़ी
होती है.....

और उसकी बॅक साइड जेठालाल के आँखों के सामने थी.......

उसकी पोज़ीशन कुछ इस तरह थी.....कि जेठालाल तो क्या..किसी का भी गरम होने
लगता....

बबीता की गान्ड सीट के बाहर की तरफ निकली हुई थी....उसकी गान्ड उसकी शॉर्ट्स में
इतनी बड़ी और गोल गोल लग रही थी..की कोई भी उससे दबाने के लिए टूट पड़े....
और उसकी शॉर्ट्स थोड़ा नीचे खिसक गई थी..जिसकी वजह से उसकी ब्लॅक पैंटी की
स्ट्रिप्स नज़र आने लगी थी....और एक दम गोर्रे रंग की गान्ड भी थोड़ी सी नज़र
आ रही थी...

और उपर से उसका टॉप पीछे से थोड़ा उपर हो गया था..जिसकी वजह से उसकी पीठ
आधी नंगी हो गई थी...
और उसकी गोरी गोरी...भरी हुई पीठ...जेठालाल की आँखों के सामने थी...

जिससे देख के जेठालाल का लंड लोहे की तरह...सीधा खड़ा हो गया था....

ऐसा लगा रहा था...जैसे खुद बबीता जी ने इन्वाइट किया हो....

जेठालाल सोचता है....कि आगे बढ़ के उसकी गान्ड को टच कर ली...लेकिन उससे वो
होता नही है..क्यूँ कि..उसे डर था..अगर बबीता जी चिल्ला पड़ी..और सब जाग गये
तो उसकी तो खैर नही.....

जेठालाल अपने मन में......अब क्या करूँ..ये बबीता जी ने इसमे जो आग लगा दी..इसे
कैसे भुजाऊ....
एक काम करता हूँ...

ये दया के पास चला जाता हूँ उसकी सीट पे जाके ही सो जाता हूँ...उसके साथ ही
थोड़े मज़े कर लूँगा....कोई कुछ बोलेगा भी नही...
लेकिन अगर वो चिल्लाई तो...
एक काम करूँगा....जाते ही उसके मुँह पे हाथ रख लूँगा....हाँ ये ठीक रहेगा....
 
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