XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 23 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

तारक :- वो ठीक है...लेकिन जेठालाल अईयर ने ये सब किया कब..

जेठालाल :- वो तो आपको अईयर भाई ही बताएँगे....

भिड़े :- अईयर फिर तुम बताओ....

अईयर :- वो हुआ यूँ.....

सुनते है कहानी.....लेकिन इस बार अईयर की ज़ुबानी..

जब में बाथरूम से निकल रहा था....तो मेने गेट से देखा कि जेठालाल आ रहा है..
तो मेने देखा सामने......
वाले बाथरूम के दरवाजे पर..एक नोटीस चिपका हुआ है..

कि प्लीज़ इस बाथरूम को यूज़ ना करे..क्यूँ कि इसका गेट ठीक नही है..

तो मेने सोचा कुछ मस्ती हो जाए...जेठालाल के साथ..

मेने वो नोटीस हटा दिया....और छुप गया...वापिस अपने बाथरूम में...

और जैसा कि में चाहता था ... जेठालाल सीधे उसबाथरूम में घुस गया...

मेने सोचा थोड़ी देर अंदर रहेगा तो मज़ा आएगा....

में फ़ौरन बाहर आया...और फिर से वो नोटीस वही दुबारा से लगा दिया....

लगा के थोड़ी देर में वहीं खड़ा रहना चाहता था..लेकिन अचनाक से टीटी आ गया..
और टिकेट चेक करने को बोलने लगा...

मेने उससे कहा..कि मेरी टिकेट चेक हो चुकी है....लेकिन वो माना ही नही...

वो तो कल जब टिकेट चेक हो रही थी...तो बाइ चांस टिकेट मेरे पास ही थी..
में उस टीटी को अपने साथ ले गया टिकेट दिखाने के लिए.....

और इन सब चक्कर में भूल ही गया कि जेठालाल को में अंदर बाथरूम में ही बंद
कर दिया है.....

तारक :- वेरी रॉंग अईयर...तुमने जो किया वो ठीक नही किया..तुम एक साइंटिस्ट होके
ऐसे गड़बड़ी करोगे मुझे उम्मीद नही थी...

बबीता :- मेहता जी..ईज़ राइट अईयर...यू डू दिस लाइक आ चिल डू...
मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी..

अईयर :- सॉरी बबिता...

बबीता :- सॉरी मुझे नही..जेठा जी को कहो..
 
अईयर :- सॉरी जेठालाल..आइ आम एक्सट्रीम्ली सॉरी..

जेठालाल :- कोई बात नही अईयर भाई..

तभी अनाउन्स्मेंट होती है...

ट्रेन ईज़ अबाउट टू रीच गोआ इन 2 मिनट...

सभी लोग ह्युयीई...करने लगते हैं...सिवाय दो जनो की...

दया और जेठालाल..

दया :- टप्पू के पापा...ये सब चिल्ला क्यूँ रहे हैं..और वो अभी ट्रेन वाली मेडम ने
क्या बोला..

जेठालाल :- क्या मालूम...ट्रेन में भी इंग्लीश...

तारक :- चली जेठालाल..समान निकालना शुरू करो..

जेठालाल :- लेकिन मेहता साब..अभी हम पहुचे कहाँ है..

तारक :- अरे अभी तो अनाउसमेंट हुई..कि 2 मिनट में गोआ आने वाला है..

जेठालाल :- अच्छा तो ये बोली..
दया वो ये बोली थी...

दया :-अरे वाहह...

और इस बार ये दोनो चिल्लाने लगते हैं....सब इनको देख के हैरान होते हैं...

और फाइनली गोआ आ जाता है....

सभी लेडीज़ बाहर निकल जाती है पहले...

और जेंट्स समान निकालने लगते हैं....

सारा समान उतारने के बाद...जेठालाल सबसे लास्ट में ट्रेन से निकलता है..

और अपने मन में बोलता है...

जेठालाल :- एक कची मानुष से पंगा लेना तुझे बहुत महँगा पड़ेगा तुझे अईयर...

और हाँ ये भी बोलता है...

लेकिन अईयर को रास्ते पे लाने के बाद....वो कल कौन सी लेडी थी.जिसकी कल मेने
ट्रेन में जबरदस्त चुदाई कर दी..मेहता साब से ये बात भी करनी पड़ेगी..
 
तारक :- ऊओ जेठालाल क्या वापिस मुंबई जाने का इरादा है क्या....
जल्दी आओ...ट्रेन में क्यूँ खड़े हो..

जेठालाल :- नही भाई..नही..मुंबई अभी नही जाना....अभी तो बहुत कुछ करना है..
आता हूँ.....

और ट्रेन से उतर के वो भी सबके पीछे चल देता है...स्टेशन से बाहर निकल के
गोआ में मज़े करने ....

में एक बात कहना कहूँगा....यूँ समझ लीजेए एक बार फिर से एक फिलोसफी
देना चाहता हूँ...

हमे मज़ाक सिर्फ़ एक हद तक करना कहिए किसी के साथ....कई बार ये मज़ाक सामने
वाले के लिए बहुत दुखदाई बन जाता है...कई बार बहुत मुसीबत भी आ जाती है..
हमे सिर्फ़ उतना मज़ाक करना चाहिए किसी के साथ...की सामने वाले को उससे तकलीफ़ ना
हो..उसे उस मज़ाक से कोई परेशानी ना हो... किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है..
या फिर ऐसा मज़ाक हुआ हो अब सब के साथ कभी...

जैसे कि अईयर ने किया...अगर कोई गेट नही खोलता तो क्या पता क्या हो जाता जेठालाल
के साथ....

अब सब सोच रहे होंगे..कि ये इन भाई साहब को क्या हो गया है..स्टोरी में कोई
हॉटनेस्स तो ला नही रहे हैं....और यहाँ फिलोशपी झाड़ रहे हैं...

लेकिन में ये बताना चाहता था ...

होप मेरी फिलोसफी से आप परेशान नही हुए होंगे....

टू बी कंटिन्यूड.......!!!!!!!!!!!
 
आख़िर कार सभी लोग गोआ पहुच चुके थी....कुछ बाथरूम में बंद होके...तो
कुछ रात में ट्रेन में चुदाई का खेल खेलके....लेकिन ठीक ठीक सही सलामत..
पहुँच गये थे.....

सभी स्टेशन से बाहर आते हैं......

और गोआ की मस्त ठंडी हवा को महसूस करते हैं...

सोढी :- वाहह भाई..वाहह...जेठा प्रा क्या मस्त जगह का आइडिया दिया था तुमने....
यहाँ आके ऐसा लग रहा है...जैसे जन्नत में आ गये हों..

मोहन लाल :- सोढी भाई...अभी तो आप सिर्फ़ गोआ के स्टेशन तक पहुँचे हैं...जब
आप सब मेरे गोआ रिज़ॉर्ट में चलोगे तो फिर देखना कितना मज़ा आता है...

जेठालाल :- क्याअ...रिज़ॉर्ट..मोहन लाल भाई..आपका रिज़ॉर्ट है यहाँ..

मोहन लाल :- हाँ....और वो भी कोई ऐसा वैसा नही....एक दम आलीशान है...देख के
पता चलेगा आप सब को...

तारक :- फिर तो बड़ा मज़ा आने वाला है...

अब्दुल :- मोहन भाई...मैने सुना है गोआ के बीच बहुत अच्छे होते हैं...क्या हम वहाँ
पे चलेंगे..

भिड़े :- अरे तुम टेन्षन मत लो अब्दुल...गोआ में ज़्यादातर बीच ही हैं...

अंजलि :- सारी बातें आप सब लोग यहीं करोगे..कि चलना भी है.

रीता :- हाँ चलो अब...खड़े खड़े मेरे पैरों में दर्द हो रहा है...
 
जेठालाल :- हाँ तो ठीक है...चलो..
ऊओ टॅक्सी....हाँ भाई तू...

मोहन लाल टॅक्सी वाले से बात करता है.....और ये फ़ैसला होता है कि 3 टॅक्सी करेंगे
जिससे आराम से सभी जा सकें...

पहली टॅक्सी में आगे की तरफ भिड़े...पीछे माधवी..सोढी.....और रोशन...

दूसरी टॅक्सी में...बैठने के लिए.....

हुआ यूँ .. कि सबसे आगे बेत गये... तारक...

पीछे पहले बैठी दया...उसके बाद अंजलि और फिर बैठी बबिता....

अईयर और जेठालाल टॅक्सी के आगे की तरफ खड़े थे...

जब अईयर को लगा अब जेठालाल बैठने के लिए आगे बढ़ रहा है...तो फ़ौरन आगे
भागने लगा जिससे वो बैठ जाए....

लेकिन उससे ये कहाँ पता था...कि . सामना जेठालाल से है..जो पहले से ही उससे..
खुन्नस में था....उसने अपना पैर आगे कर के उसे टॅग्डी दे दी जिससे अईयर
पीछे वाले गेट से कुछ ज़्यादा आगे निकल गया..और तीसरी टॅक्सी के पास पहुच गया..
एक बार तो गिरते गिरते बचा....

(बॅक . म्यूज़िक ... आयूऊ...)
और इसका फ़ायदा उठाया जेठालाल ने ..और वो जाके बैठ गया..बबीता जी की बगल
में........

अंदर बैठे मेहता साब ने बोला....

तारक :- अरे अईयर भाई संभाल के...इतनी जल्दी में क्यूँ हो..कहीं गिर जाते तो
मुसीबत हो जाती..

अईयर :- मेहता साब...ये जेठालाल ने मुझे अपने पैर से टंगड़ी दी...जिसकी वजह
से..में यहाँ आ गया...

जेठालाल :- अईयर भाई मेने..कब...(अपना मासूम चेहरा बनाते हुए..)

अईयर :- जेठालाल झूठ मत बोलो..तुम..
 


बबीता :- बीच में बोलते हुए...एनफ इस एनफ अईयर...तुम जेठा जी के पीछे क्यूँ
पड़े हो...

अईयर :- लेकिन बबिता..

बबीता :- आइ डोंट वॉंट तो लिसन एनितिंग..तुम जाओ और पीछे वाली टॅक्सी में जाके
बैठ जाओ....

जेठालाल की तो ट्यूनिंग स्टार्ट हो जाती है.....

( बॅक जी. में....आई छोरिरी......)

जेठालाल :- बबीता जी कोई बात नही..आप गुस्सा मत कीजिए....
अईयर भाई आप जाके शांति से बैठ जाओ...

अईयर गुस्से में आगे बढ़ता है...उसकी नज़र जेठालाल पर ही थी...
और इसकी सज़ा उससे मिल जाती है....वो सीधा जाकर तीसरी टॅक्सी के गेट से टकरा
जाता है....

अंदर बैठे .... रीता और अब्दुल ने गेट खोल रखा था..जिसकी वजह से वो टकरा
जाता है...

अईयर अपने आप को संभालते हुए....अंदर बैठ जाता है....आगे की तरफ मोहन लाल
बैठा होता है....जो टॅक्सी वाले को चलने के लिए बोलता है..

बाकी आगे की दोनो टॅक्सी आगे जा चुकी थी.....

जिस टॅक्सी में जेठालाल बैठा था....उसमे में पीछे अंजलि दया और बबीता भी
बैठी थी....तो सोचिए...कि ये 4 कैसे बैठ के गये होंगे....
चलीए वो भी जान लेते हैं....

दया के बाद अंजलि बैठी थी..उसके बाद बबिता...और बबीता से चिपका जेठालाल...
पीछे 4 जनों की जगह ना होते हुए भी...वो लोग बैठे थे..
दया और अंजलि तो दोनो लेडीज़ थी...उन दोनो ने तो अड्जस्ट कर लिया...लेकिन
रही बात बबीता की...तो उसे तो अब बहुत कुछ सहना था...क्यूँ कि बगल में मिस्टर
जेठालाल जो बैठे थे...

वो तो ठहरे गोल मटोल..जगह भी ज़्यादा लेंगे..लेंगे क्या..ले रहे थे...
बेचारी बबिता...वो तो बुरी तरह पिस रही थी बीच में...

बबीता पीछे होके बैठी थी..और जेठालाल आगे होके बैठा था...जिसकी वजह से
उसकी हाथ की कोहनी..बबीता के बड़े बड़े चुचों के उपर थी....
और बबीता पूरी तरह उसके हाथ को अपने चुचों पे एहसास कर रही थी...

और जेठालाल को भी अपने हाथ के नीचे बड़ी नरम चीज़ का आभास हो रहा था...
और वो जानता था कि ये क्या है...
इसकी वजह से उसके नीचे रेंगता साँप अब फनफनाने लगा था..

अपने मन में जेठालाल..

जेठालाल :- अरे ओ .. ज़रा थोड़ी देर शांत रह....
मुझे पता है बहुत मुश्किल है..क्यूँ कि बबीता जी के ये चुचे जो मेरे हाथ को छू
रहे हैं...अगर थोड़ी देर ऐसे ही हाल रहा...तो ये फनफना के खड़ा हो जाएगा..
और अगर बबीता जी ने देख लिया तो मेरी तो इज़्ज़त का फालूदा हो जाएगा...

 

वो ये सोच ही रहा था...कि टॅक्सी ने स्पीड में टर्न लिया...जिसके कारण उसकी कोहनी..
बबीता के चुचों में बुरी तरह धँस गई...
पूरी की पूरी चुचि अंदर घुस गई थी.....
टर्न की वजह से जेठालाल बबीता के उपर भी गिरा...और अपने आप को सम्हालने के लिए
जेठालाल का एक हाथ...बबीता की चूत के बिल्कुल साइड पे पड़ा..और काफ़ी गहरा दबाव
पड़ गया...

बबीता के मुँह से एक..ज़ोर से...अहह....निकल गई....

ये सुन के जेठालाल की तो गान्ड फट गई...उससे लगा अब बबीता जी बता देंगी...

अंजलि :- व्हाट हॅपन बबिता??

दया :- क्या हुआ बबीता जी..

तारक भी पीछे मुड़ा..

तारक :- क्या हुआ बबीता जी..

जेठालाल ने अपना हाथ तो हटा लिया था..चूत के उपर से..लेकिन उसकी कोहनी वैसी ही
थी....वो बबीता के फेस को एक टक देखे जा रहा था..कि अब क्या बोलेंगी बबीता जी..

लेकिन जब बबीता ने जवाब दिया....तो जेठालाल के तो होश ही उड़ गये...

वो बबीता ने बोला कुछ ऐसा था कि...

बबीता :- वो अंजलि भाभी...वो एक दम से टर्न आया ना...तो में आपको उपर गिरी...
और जेठा जी का पैर मेरे पैर के उपर गिर गया..जिसकी वजह से में चीख पड़ी...

अंजलि :- ओह्ह..मेने सोचा पता नही क्या हो गया..

दया :- टप्पू के पापा..देखा आपकी वजह से बबीता जी को लग गया..

जेठालाल :- हाँ दया...सही बोल रही है..
सॉरी बबीता जी...आइ आम वेरी सॉरी..वो पता ही नही चला कब मेरा पैर आपके पैर के
उपर गिर गया....

बबीता :- इट्स ओके जेठा जी...मुझे कुछ नही हुआ है..

जेठा की घंटी बजती हुई...

(बॅक ग्राउंड.म्यूज़िक... अहन्ंनननननननननणणन्...)
 
जेठालाल अपने मन में...बबीता जी ने सच नही बोला...इसका मतलब ये कि वो भी मज़े कर
रही थी....नही नही...ऐसी बातें वो सबके सामने नही बता सकती थी..इसलिए नही
बोला होगा...
लेकिन में क्या करूँ..बबीता जी के ये इतने सुंदर और बड़े बड़े चुचे..तो अभी भी
मेरे हाथ के नीचे दबे पड़े हैं....
अगर मेहता साब..ने देख लिया तो बहुत खिचाई करेंगे मेरी...

फिर वो तारक को देखने लगता है....लेकिन उसका ध्यान तो सिर्फ़ बाहर की चीज़ों पे होता
है....वो खिड़की से बाहर देख रहा होता है..

जेठालाल को ये देख के राहत मिलती है...

जेठालाल अपने मन में..

जेठालाल :- हॅश....चलो मेहता सहब तो नही देख रहे.....लेकिन अंजलि भाभी..और दया भी
तो हैं...एक बार उसको भी देख लेता हूँ....

और वो फिर उन दोनो की तरफ देखता है.....

दया तो काफ़ी ज़्यादा खुश थी...और अंजलि को बाहर दिखा दिखा के पूछ रही थी......

जेठालाल :- हस्स्सश......हर तरफ से रास्ता क्लियर है...कोई टेशन नही है...बबीता जी की तरफ भी
देखूं क्या एक बार...नही नही....
चलो एक बार देख ही लेता हूँ....

और वो अपनी गर्दन धीरे धीरे...स्लोली स्लोली...बबीता की तरफ मोड़ता है....और देखने
लगता है.....

बबीता के गाल एक स्टॉबिरी की तरह बिल्कुल लाल थे...आँखों में एक अजीब चीज़ नज़र आ रही
थी...पहचानना मुश्किल था..कि क्या हो रहा है....और वो सिर्फ़ सामने देख रही थी...

जेठालाल बबीता को देख के वापिस अपनी गर्दन सीधी कर लेता है...उसे कुछ समझ नही आ रहा
था..बबीता का चेहरा देख के....वो फिर से अपनी सोच में डूब गया..

ये बबीता जी...को देख के समझ नही आया..कि वो क्या चाहती है...उनको अच्छा लग रहा है..या फिर..
वो इसका बदला बाद में लेगा...
 
इतना सोच ही रहा होता है...कि इस बार भी एक शार्प टर्न आता है.....

लेकिन इस बार उल्टा होता है.....

इस बार बबीता जेठालाल की साइड गिरती है.......

और इस बार चीख जेठालाल के मुँह से निकलती है.............अहह
और साथ हे साथ बबीता के मुँह से भी निकली..लेकिन उसकी आवाज़ थोड़ी लो थी....आह.ओह्ह..
और ये चीख बबीता की चीख से ज़्यादा बड़ी होती है.......(पहली वाली चीख की बात कर रहा हूँ)

पता है क्यूँ.....तो अभी बता देता हूँ...वो हुआ यूँ था..शार्प टर्न की वजह से जब
बबीता उसके उपर गिरती है....जिसके कारण उसके चुचे जेठालाल की कोहनी की वजह से और ज़ोर
से दब जाते हैं....इस बार दोनो चुचों पे हमला होता है...और वो किसी नरम गद्दे
की तरह अंदर धँस जाते हैं...जिसकी वजह से बबीता के मुँह से निकलती है आह.ओह्ह...

और जेठालाल के मुँह से वो बड़ी सी अहह..इसलिए निकलती है...कि जब बबीता उसके उपर गिरती है..
तो अंजाने में उसका एक हाथ..जेठालाल के बिल्कुल खड़े तने लंड पे जाके गिरता हैं..
और वो उसे इतनी ज़ोर से पकड़ लेती है...कि जेठालाल की तो चीख ही निकल जाती है....
ऐसा लगता है..जैसे जेठालाल के लंड को अपने हाथों से कुचल दिया हो बबीता ने...

हाँ अब पता चल गया..तो वापिस चीख वाले किस्से पे आते हैं...

जैसे ही बबीता को एहसास होता है...कि उसका हाथ कहाँ है..वो फ़ौरन हटा लेती है....

तारक पीछे मूड के देखता है...

दया :- टप्पू के पापा क्या हो गया...आप क्यूँ चिल्लाए...

तारक :- क्या हुआ जेठालाल...

जेठालाल मुँह बनाते हुए....

( बॅक ग्राउंड . म्यूज़िक में......बच्चे के रोने की आवाज़....)

(सॉरी में उसे वर्ड्स में डिस्क्राइब नही कर सकता...आप सब खुद इमॅजिन कर लेना..)
 
बबीता अपने मन में..

बबीता :- ओह्ह गॉड....अगर जेठा जी ने बता दिया..तो ये सब क्या सोचेंगे....

तारक :- बोलो जेठालाल...

बबीता की नज़र जेठालाल पे थी....
उसकी आखों में डर था..

जेठालाल अपने दिमाग़ को चलाते हुए...जो उस वक़्त काम बड़ी मुश्किल से कर रहा था..

जेठालाल :- वो मेहता साब...ये हॅंडल चुभ गया..

तारक :- ओह....
ये टॅक्सी वाले भाई...ज़रा आराम से चल ना भाई...बार बार..पीछे से आवाज़ें आ रही है...

टॅक्सी ड्राइवर :- जी सर..सॉरी..अब ध्यान से चलूँगा..

पीछे बैठी बबीता को एक लंबा सुकून मिला...और उसने जेठालाल की तरफ देखा..

उसी टाइम जेठालाल ने भी..बबीता की तरफ देखा..

बबीता के गोरे गोरे चिक्स..इस वक़्त ऐसे लग रहे थे...जैसे किसी ने रेड पैंट लगा दिया
हो...जेठालाल की आँखों में अभी भी लस्त था...मगर बबीता उसे नही देख सकती थी...

फिर बबीता अपनी गर्दन घुमा लेती है...और जेठालाल भी...

बबीता अपने मन में..

बबीता :- जेठा जी का वो..पूरा का पूरा खड़ा था.....
लेकिन क्यूँ?
श में भी कितनी पागल हूँ...उनके हाथ मेरे इतने सेक्सी बूब्स पर हैं...तो खड़ा तो
होगा हे...जब उस दिन माल में अंजलि भाभी...का वो हाल हो गया था..तो जेठा जी
तो एक आदमी है..उनका ये हाल तो होना ही था..

वैसे कितना बड़ा और मोटा है जेठा जी.का...
और फिर दया की तरफ अपनी गर्दन घूमाते हुए..
अपने मन में ही..वाह दया भाभी..क्या किस्मत पाई है..आपने...आपको तो मज़े आ जाते
होंगे..जब जेठा जी का ये लंड आपके अंदर जाता होगा...

ये सब सोचते सोचते...बबीता के चेहरे के एक सेडक्टिव स्माइल आ जाती है....
इश्स वक़्त हो बहुत गरम हो चुकी थी...
और वो क्या इस वक़्त कोई भी औरत इतनी गरम हो जाती...पहले चुचियों पे हाथों का
वार..उसके बाद चूत पे हाथों का दबाव...और खुद के हाथों से एक मजबूत लंड का
एहसास.....
इस वक़्त वो ये नही सोच रही थी...कि वो किसी की पत्नी है...वो बस इतना ही सोच रही थी...कि
वो एक औरत है..और जो शारीरिक तौर से भूखी है...बॅस...यही चल रहा था उसके दिमागमें......

 
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