XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 31 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

दूसरी तरफ.....

तारक अंजलि को देख रहा था....और उसके पास जा रहा था...

अईयर और सोढी आपस में बात कर रहे थे....और अब्दुल और मोहन लाल को देख
रहे थे....
अब्दुल और मोहन लाल की शक्ल देख कुछ अजीब लग रहा था दोनो को..

अईयर :- सोढी...ये अब्दुल और मोहन भाई..तुमको कुछ अजीब नही लग रहे..

सोढी :- हाँ ये बात तो सही है....लेकिन ऐसा क्यूँ..कुछ समझ नही आ रहा है यार..

अब इन्हे क्या पता क्या हो रहा है...
लेकिन मुझे तो पता है ना...

तो चलीए बता देता हूँ....

अब्दुल के बगल में जो दो लड़कियाँ खड़ी थी...वो उपर सो तो नॉर्मल ही थी...

लेकिन पानी के नीचे ..ह्म....उनके मिज़ाज़ कुछ अलग ही थे..

जी हाँ...नीचे उन दोनो लड़कियों के हाथ अब्दुल के लंड को ज़ोर ज़ोर से
हिला रहे थे....

अब्दुल बेशक हाइट में छोटा हो..लेकिन आप सब जानते ही हैं.कि कैसे...
उसने माधवी की गान्ड और चूत फाडी थी..जिसका पता आज तक नही पता....किसी को...

दोनो फिरंगी..अब्दुल के लंड को तेज़ तेज़ हिला रही थी...उसका मूठ मार रही थी....

उपर अब्दुल का बुरा हाल..था..उसके शक्ल पे इस वक़्त ये भाव थे...कि वो जन्नत
की सैर कर रहा हू.... और वो कर भी रहा था...
और करे भी क्यूँ ना.....जब दो गरम हाथ...गरम लंड पे..ठंडे पानी..के
अंदर उसे छुए..तो कोई भी जन्नत ही देखेगा....

उन दोनो फिरंगियो की स्पीड अब्दुल के तने लंड पे तेज़ी से चल रहे थे...
और वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी....

और कुछ हे पल बाद..

अब्दुल :- हाई..... आ******...अहह..मज़ा आ गया...

अब्दुल ने अपना सफेद पानी..इस डार्क कलर के पूल के पानी में मिक्स कर दिया..
और चैन की सांस ली...
 
दूसरी तरफ मोहन लाल के इर्द गिर्द 4 लड़कियाँ थी..
ये भाई साब तो बहुत हे ज़्यादा शौकीन लगते हैं...

4 फिरंगियाँ....
इधर भी हालात कुछ ऐसे ही थे..

बस फ़र्क इतना था..कि इस वक़्त 4 हाथ चल रहे थे मोहन लाल के लंड पे...
जिसके कारण मोहन लाल का बुरा हाल था...
उसकी शक्ल ऐसी हो रखी थी.....जैसी किसी कुत्ते के आगे...दर्जनो हड़ियाँ एक साथ
रख दी हो...और वो उन्हे खाने में टूटा पड़ा है....

एक फ़र्क और था..मोहन लाल के साथ....2 फिरगियन जो उसकी बगल में ही खड़ी थी..
उनके फेस पर भी मदहोशी थी...
अब समझदार समझ गये होंगे...
मोहन लाल ने अपने दोनो हाथों से...3 उंगलिया दोनो चुतो में घुसा
रही थी..और उन्हे बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था....

स्वीमिंग के इस तरफ महॉल काफ़ी गरम था.....

उंगलियाँ फिरंगियो...की सफेद बिना बाल की चूत के अंदर बाहर इतनी तेज़..
हो रही थी...कि कुछ ही मिनट में वो दोनो फिरंगिनिया..
अहह..उूुुुुुुउउ...करते हुए झड गई....

अब मोहन लाल से बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था....
इसलिए..वो भी..

मोहन लाल :- आईए.......अहह..ओह.....आइईए...
करते हुए अपना सारा रस पानी में भर दिया...

पानी छोड़ने के बाद..उसे ऐसा लगा जैसे कोई भारी बोझ उसके शरीर से उठा
लिया हो.....
 
उधर तारक अंजलि के पास पहुच चुका था....

तारक :- अंजलि तुम तो आज बहुत ज़्यादा सेक्सी लग रही हो..
कमाल कर दिया तुमने..

अंजलि :- हुह...अब क्यूँ आए हैं मेरे पास...
जाइए जाइए..इन गोरी गोरी फिरंगियों के पास जाइए..
उन्हे देखिए...

तारक :- अरे अंजलि...में कोई जान बुझ के थोड़ी देख रहा था..
अब जब वो सब आँखों के सामने आएँगी तो में क्या करूँगा...

अंजलि :- रहने दीजिए आप...में सब समझती हूँ..

तारक :- अच्छा बाबा सॉरी..
लेकिन अब तो सिर्फ़ में तुम्हे ही देख रहा हूँ..
सच बोल रहा हूँ..तुम इस वक़्त कमाल की लग रही हो..

और ये बोलते बोलते...तारक अपना हाथ अंजलि की चूत पे रख के उसे..
कस के दबा देता है..

अंजलि :- सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......आह..तारक ये क्या कर रहे हैं आप...

तारक :- क्यूँ अंजलि तुम्हे अच्छा नही लगा..

अंजलि :- लेकिन तारक..आह..किसी ने देख लिया तो..

तारक :- कोई नही देखेगा......

और फिर तारक अंजलि की पैंटी के अंदर अपना हाथ घुसा के..
(जो कि बहुत मुश्किल से घुसा..)

अंजलि की नंगी चूत पे हाथ फिराने लगा...

अंजलि :- ओह्ह्ह आह..तारक...आइ लव यू....बहुत अच्छा लग रहा है...
में बहुत देर से परेशान थी..

ये दोनो अलग कोने में थे..और इतनी धीरे बात कर रहे थे..कि किसी को
कुछ सुनाई नही दे रहा था....
या फिर सब बहरे हो गये थे...हहेहेहेहेः....

तारक :- अंजलि देखती जाओ में तुम्हे अब कितना मज़ा देता हूँ....

और फिर तारक एक उंगली...चूत के अंदर घुसा देता है..

अंजलि :- ओह...तारक आराम से.....

और ये बोलते बोलते..तारक के डंडे पर हाथ रख देती है..कॉस्ट्यूम के उपर..
और उसे कस के दबा देती है...

तारक :- आहह अंजलि आराम से..

अंजलि :- सॉरी तारक वो जोश जोश में पता ही नही चला.

तारक :- अच्छा..कोई नही...अब कॉस्ट्यूम नीचे कर के पकडो ना...

अंजलि उसकी तरफ देखती हुई...

अंजलि :- अच्छा जी...तो आप..हाँ....

और फिर अंजलि...तारक के कॉस्ट्यूम को नीचे कर देती है...
और अपना हाथ उसके नंगे लंड पे रख के उसको आगे पीछे
करने लगती है......
 
अंजलि :- तारक....अब मुझसे बर्दास्त नही हो रहा है...आप अच्छी तरह से..
और तेज़ कीजिए..

तारक :- अभी लो मेरी जान..

और फिर तारक अंजलि की चूत में 2 उंगलियाँ डाल के अंदर बाहर करने लगता
है.....

और अंजलि मस्त हो जाती है...उसकी मुँह से आहह उहह..निकल रहा था...
और नीचे उसका हाथ भी..तारक के लंड पे तेज़ी से चल रहा था...

तारक ने 3 उंगलियाँ डाल दी..
अंजलि से खड़ा होना मुश्किल था...
लेकिन उसके पास कोई चारा नही था..

अंजलि :- उफफफफफफफफफफफफफ्फ़....तारक....अहह..ओह...बहुत मज़ा आ रहा
है......आहह......

उंगली अंदर बाहर बहुत तेज़ी से हो रही थी....
पानी के साथ अंजलि का पानी भी मिक्स हो रहा था......

अंजलि :- में गई....ई.....त..आ.र..आ...क......अहह...

और अंजलि ने अपना सारा रस....छोड़ दिया...

तारक भी आहह उहह..कर रहा था...
क्यूँ कि अंजलि के हाथ की पकड़ वैसे ही थी..और वो भी तेज़ी से..हिला रही थी...
लंड को....

तारक :- अंजलि....मेरी आत्मा....में गया...आह..ओह्ह..

तारक ने भी एक के बाद एक..3 झटके मार के...अपना सारा रस स्वीमिंग पूल
के पानी के अंदर छोड़ दिया.......

अब दोनो की साँसें उपर नीचे बहुत तेज़ी से हो रही थी..
लेकिन एक सॅटिस्फॅक्षन था दोनो के फेस पार...
दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा..और एक स्माइल दी....

ये क्या हो रहा है..स्वीमिंग पूल में...हर कोई अपना सफेद पानी..बहा रहा है..
इसके अंदर...अगर ये लोग थोड़ी देर और रहे...तो ये डार्क ब्लू पानी...को
जल्दी सफेद होने में टाइम नही लगेगा....हाहहहहः......

दूसरी तरफ जेठालाल दया से बात करने जा रहा था...जो इस वक़्त बबीता और
माधवी के साथ खड़ी थी....सर्कल सा बना के.....

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जेठालाल दया के पास जा रहा था....

दया बबीता और माधवी तीनो....एक साथ खड़ी थी सर्कल बना के...

दया के पीछे थोड़ी सी जगह थी...और स्वीमिंग पूल की दीवार..

यानी कि वो जहाँ खड़ी थी...वो पूल का एंड था...

तीनो आपस में बातें कर रही थी...

जेठालाल चलता हुआ जाता है....और दया के पीछे जाके खड़ा हो जाता है..

और उल्टा खड़ा हो जाता है..जिससे दया और उसकी पीठ आमने सामने हो जाती है..

दया :- टप्पू के पापा...आप ऐसे क्यूँ खड़े हो..
दया वैसे ही खड़े खड़े बोलती है...

माधवी :- हाँ जेठा भाई क्या हुआ आपको..

बबीता :- जेठा जी..ईज़ एवेरीथिंग ओके...सब ठीक है ना..

जेठालाल वैसे ही खड़े हुए..

जेठालाल :- बिल्कुल बबीता जी...सब ठीक है...कुछ नही..में तो बस ऐसे खड़ा हूँ..
आप बात कीजेए.....

माधवी बबीता के कान में..

माधवी :- बबीता जी मुझे लगता है....कि जेठा भाई..यहाँ दया भाभी के साथ..

बबीता :- दया भाभी के साथ क्या..

माधवी :- अरे वही...पानी में कुछ मस्ती करने की सोच रहे होंगे...

बबीता को ये सुन के थोड़ा अजीब लगता है..और थोड़ा गुस्सा आता है..
वो अपने मन में..

बबीता :- में ये सब अपनी आँखों के सामने नही देख सकती...

माधवी :- कहाँ खो गयी आप..

बबीता बनावटी मुँह से..

बबीता :- कुछ नही..माधवी भाभी..में अभी आती हूँ..

इसी दौरान दया वैसे ही खड़े...खड़े...जेठालाल का दिमाग़ खा रही थी....

जब उसकी नज़र पड़ी कि बबीता जा रही है तो वो बोल पड़ी...

दया :- बबीता जी...कहाँ जा रहे हैं आप...

बबीता :- अभी आई दया भाभी...

दया :- माधवी भाभी..कहाँ गयी...बबीता जी..

माधवी :- पता नही...कहाँ गई...

और दोनो बात करने लगी...

जेठालाल अपने मन में..

चलो बबीता जी तो गयी..अब माधवी भाभी भी चली जाएँ..तो में दया
से आराम से बात करूँ....

तभी ..................................
 
तभी जेठालाल..को माधवी की आवाज़ आती है...दया भाभी...आइए....

जेठालाल को लगा ... कि माधवी जा चुकी है...वो बोलता है...

जेठालाल :- दया...मुझे तुझसे कुछ बात करनी है...

दया :- हाँ कीजेए ना...बोलिए क्या बात है...

जेठालाल अभी भी वैसे ही...पीठ घुमाए खड़ा था..पता नही क्यूँ..

जेठालाल :- दया .... छोड़.... पहले मेरे इस को शांत कर..सुबह से परेशान कर
रखा है इसने...पहले इसको संभाल..फिर पूछता हूँ...जब तक..ये
नही शांत होगा..मेरे दिमाग़ नही काम करेगा..

थोड़ी देर तक कोई हाथ नही आता...

जेठालाल :- अरे पकड़ ना...क्यूँ शर्मा रही है..कोई नही देखेगा....

और जेठालाल खुद हाथ पकड़ के...अपने लंड पे रख देता है....

और जब ठंडे हाथ गरम लंड पे पड़ते हैं..तो जेठालाल के तो मज़े आ जाते
हैं...
(उसने पहले ही अपनी कॉस्ट्यूम नीचे कर ली थी..)

जेठालाल :- आहह दया.....मज़ा आ गया....तेरा हाथ तो बहुत ठंडा है..
अब चल हिला इसे....

और अब जेठालाल स्वर्ग की सैर करने लगता है...
क्यूँ कि उसका लंड हिलना शुरू हो जाता है.....

जेठालाल :- आह ओह्ह...दया....आज तो तेरे हाथ में अलग ही नशा है....
मज़ा आ रहा है...आहहह ओह...ह....त.उ.उ..इट..न.....ई....ते....ज़्...

अचानक नीचे हाथ की स्पीड बहुत बढ़ जाती है...लंड पे...जिसके कारण
जेठालाल का बुरा हाल हो जाता है.....

जेठालाल :- ओह..उूुउउ....मेरा...बॅस निकलने वाला है....
दायेयी....तुन्न्ने.ए.....तो...कम..अल्ल्ल कर्र दिया...आ.हह.ह.हह.ह

करते हुए झड जाता है...और एक और शक्स अपना रस इस पूल में बहा देता है....

जेठालाल साँस को दुरुस्त करता हुआ....

जेठालाल :- वाहह दया...आज तो सच मुच मज़ा आ गया...क्या मस्त हाथ
का प्रयोग किया है ..तूने...वाहह...अच्छा अब चल एक बात पूछनी है....

और बोलते बोलते मुड़कर सीधा होता है......

और जैसे ही सीधा होता है...उसकी आँखें...और उसकी गान्ड फट के एक हो जाती है....

(बॅक ग्राउंड म्यूज़िक.........बच्चे के रोने की आवाज़...)
 
जेठालाल :- तुम...

हाँ में...दूसरी तरफ से आवाज़...

जेठालाल ने थूक अपने गले के नीचे निगला....

(बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक...... फ्लश चलने की आवाज़..)

जेठालाल :- लेकिन..यह..न....तो..ह....दा...या..त.ई.ईयी...

लेकिन अब मैं हूँ......और उस दिन भी में ही थी.....

जेठालाल को पहले तो नही समझ आया....
लेकिन याद आते ही...उसके तो होश ही उड़ गये.....

जेठालाल :- क्याआआ लेकिन कैसे...तुम..उस..स..स...दिन..भी....

हाँ उस दिन भी आपने ने मेरे साथ ही किया था.....

जेठालाल को तो चक्कर आने लगे.....

जेठालाल :- लेकिन रीता तुम उस दिन वहाँ कैसे कब...कहाँ से आई.....

जी हाँ......उस दिन ट्रेन में..और यहाँ पर भी....रीता ही थी....
जो दोनो बार दया के धोके में जेठालाल का शिकार हो गई थी....

रीता :- जेठा भाई....बस आ गई थी..लेकिन अपने जो भी किया...व.ओ.

जेठालाल :- देखो रीता ..... मेने जो भी किया था जान बुझ के नही किया था....
और अभी भी मेने जान बुझ के कुछ नही किया...
लेकिन आज और उस दिन तुमने कुछ बोला क्यूँ नही....

रीता :- उस दिन कैसे बोलती...अपने मेरे मुँह पर हाथ तो रख दिया था..
और आज भी इतनी जल्दी में हुआ सब..कि कुछ बोलने का टाइम नही मिला...
और अगर ज़ोर से चिल्लाती तो दोनो की खैर नही होती...

जेठालाल :- ओफ़्फूओ....ये क्या हो रहा है...कुछ समझ नही आ रहा है....

रीता :- में आपको सब समझाती हूँ.....
वो हुआ यूँ था.....

ह्म काफ़ी दिन हो गये....फ्लॅशबॅक गये....

लेकिन इस वक़्त हालात फ्लॅशबॅक में जाने के लिए है....
तो चलीए चलते हैं..ट्रेन वाली उस रात को......

रीता......

उस दिन जब आप टाय्लेट के लिए गये..तब...

अंजलि और रीता आपस में बैठ के बातें कर रही थी....

ट्रेन की स्पीड अपने पूरे जोश में थी....

दोनो ने टेबल पे अपने लिए कॉफी रखी हुई थी....

अंजलि ने अपनी कॉफी उठाई....और उठाते वक़्त उसका हाथ दूसरी कोफ़ी के ग्लास पे
लग गया..और वो ग्लास रीता के शॉर्ट्स पे जाके गिर गया...

रीता :- औच...

अंजलि :- ओह्ह्ह सॉरी रीता..आइ आम सॉरी....

रीता :- इट्स ओके अंजलि भाभी..कोई बात नही.....

अंजलि :-जाओ रीता फटाफट चेंज कर लो..

रीता :- हाँ...बट..मेरा सूटकेस...वो अंदर की तरफ रखा है..कपड़े कैसे निकालु..

अंजलि :- ओह ये तो प्राब्लम है...रूको में पूछ के आती हूँ..क्या टा दया भाभी के
पास हूँ...

और अंजलि दया के पास चल देती है...जो सोने की तैयारी कर रही थी....
 
अंजलि :- दया भाभी..आपके पास नीचे पहनने के लिए कोई कपड़ा है...वो
आक्च्युयली में रीता के उपर कोफ़ी गिर गई..

दया :- क्या....रीता जी के उपर कॉफी गिर गई....

अंजलि :- हाँ...

तभी वहाँ रीता आ जाती है....

रीता :- दया भाभी.आपके पास कुछ है.....प्लीज़...

दया :- हाँ रीता...मेरे पास है...उपर ही उपर मेने एक ग्रीन कलर का
पाजामा रखा है...चलेगा..

रीता :- चलेगा नही दया भाभी...दौड़ेगा....

दया :- हाहहहहः...अभी देती हुन्न....

और दया...वो पाजामा निकाल के रीता को दे देती है..

रीता :- थॅंक्स दया भाभी.....में अभी चेंज कर के आती हूँ..

अंजलि :- जब तक में सीट सॉफ कर देती हूँ..और बिस्तर बिछा देती हूँ...

दया :- में आपकी मदद कर देती हूँ...

करीब 10 मिनट बाद....

रीता चेंज कर के आती है..तो देखती है...दया उसकी सीट पे लेटी पड़ी थी..
और अंजलि से गप्पे लड़ा रही थी...

अंजलि :- रीता आ गई चेंज कर के..

दया :- आजा रीता ...में उधर जाती हूँ..

रीता :- अरे नही नही दया भाभी..आप यहाँ गप्पे लड़ाओ..में वहाँ जाके
सो जाउन्गी..कोई प्राब्लम नही है..

दया :- पक्का...

रीता :- हाँ हाँ पक्का..

दया :- थॅंक यू...

और फिर रीता जेठालाल की सीट पे चली जाती है......

कुछ देर बाद...जेठालाल आ जाता है....
और उसके बाद तो पता ही है..सबको क्या हुआ था....
 
वापिस आते हैं...स्वीमिंग पूल पे..

जेठालाल अपने सर पे हाथ मारता हुआ..

जेठालाल :- हाँ याद आया .... तुम्हारी ग्रीन कलर की पाजामी दिख रही थी...
तुम्हारे कंबल के बाहर...ये दया को भी वही कलर मिला था देने को...

अब दोनो में से कोई कुछ नही बोलता कुछ मिनट के लिए...

फिर जेठालाल बोल पड़ता है..

जेठालाल :- लेकिन तुमने अभी ऐसा क्यूँ किया...

रीता :- मेने बताया ना...कि एक दम से हो गया अचानक..
में तो आपको यहाँ बुलाने आई थी..वो मेहता साब..आप को
ढूँढ रहे थे...

जेठालाल :- ओफू... रीता...तुम ये बात किसी को नही बताओगी ना...

रीता :- नही बताउन्गी....

जेठालाल :- हाशह थॅंक यू..

रीता :- लेकिन एक शर्त है....

जेठालाल :- शर्त ...शर्त कैसी..

रीता :- आप................... मुझे...................... अभी............खुश .............. करिए.........

जेठालाल :- क्याआअ.....समझ नही आया...

रीता :- जैसे मेने आपका रस निकाला है.....आप मेरा निकालिए...

जेठालाल की तो हालत पतली हो जाती है...उससे कुछ समझ नही आ रहा था
कि रीता क्या बोल रही है..

जेठालाल :- रीता तुझे पता है...तू क्या बोल रही है.....

रीता :- हाँ जेठा भाई..मुझे पता है...
उस दिन ट्रेन में अपने जब मेरे साथ सेक्स किया...तो में पागल हो गई..
मेने बहुत बार सेक्स किया है..लेकिन आप में कुछ है जिसे में नही भूल पा रही..

जेठालाल :- तुम पागल हो...उस दिन तो ग़लती से हुआ.....
तुम्हे पता है ना..में शादी शुदा हूँ...चलो जाओ..

और जेठालाल आगे की तरफ जाने लगता है..
 
रीता :- जेठा भाई..एक बार बस...
अगर आपने नही किया तो में सबको बता दूँगी..कि आपने अपना लंड मुझे
ज़बरदस्ती पकड़ा के वो सब किया...और ट्रेन वाली बात भी...

जेठालाल का तो मूत निकल जाए ऐसी हालत हो गई...

जेठालाल :- ये तो सरा सर ब्लॅकमेलिंग है...

(बॅक ग्राउंड म्यूज़िक.... बच्चे के रोने की आवाज़...)

रीता :- अरे जेठा भाई..बस उंगली से कर दो ना..ज़्यादा टाइम नही लगेगा..

जेठालाल मन में सोचता हुआ....कर दे जेठा...क्या फरक पड़ता है..
जान तो छूटेगी..

जेठालाल :- ठीक है..मगर एक बार..

रीता :- हाँ हाँ...वैसे तो लड़के मरते हैं..मेरी मारने में..
और आप हैं कि...चलो फ्टाफ़ट करो...

फिर जेठालाल नीचे नीचे अपना हाथ ले जाकर रीता की चूत के उपर रख देता है..

जेठालाल :- रीता तेरी पैंटी कहाँ है..

रीता :- वो मेने पहले ही उतार दी...अब जल्दी करिए ना..

जेठालाल अपने मन में...बहुत चालू है...

और जेठालाल अपने हाथ का जादू दिखाना शुरू कर देता है....
और फिर....अपनी उंगली से चूत को सहलाने लगता है..

रीता गरम होनी शुरू हो गई थी...

रीता :- जेठा भाई..अहह...अब उंगली अंदर डालो ना...

जेठालाल को भी अब मज़ा आने लगा था....
उसने रीता की चूत के अंदर अपनी 1 उंगली घुसा दी...
और उसे तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा...

रीता :- आहह...ओह्ह्ह्ह....बहुत मज़ा आ रहा है...
आपका लंड और उंगली दोनो बहुत अच्छी है...मज़ा आगया....

जेठालाल भी जोश में आ चुका था...
उसने अपनी दो उंगली अंदर डाल दी...

रीता की तो सिसकियाँ निकल गई.....अहह उूुुुुुउउ स....ओह...
जेठाएयाया भाई......आईसीया हीईए....आ..

जेठालाल भी पागल हो गया रीता की मदहोशी हो देख के....और पागलों की
तरह चूत के अंदर अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगा...
स्पीड इतनी तेज़ थी...कि रीता की टाँगें काँपने लगी..

रीता :- बसस्स्स्सस्स...उफूऊऊऊऊऊऊ..जेठाआ भाई..आ.राम....से...
ओह....में तो गईई.........

और ये बोलते हुए..उसका शरीर झटके खाने लगा..
झटके खाते खते...उसने जेठालाल की उंगलियों पे..और पूल के पानी में..
अपना सारा रस बहा दिया.....

लो जी ये और इंक्लूड हो गई....पूल के पानी में अपना पानी मिला के....
हहेहेहहेहेहहे...

रीता :- ओह्ह्ह जेठा भाई..व्हाट आ रिलीफ थॅंक यू सो मच..

जेठालाल :- अब में जाउ..

रीता :- ओह स्योर...

और जेठालाल जाता हुआ बडबडाते हुए....
ये रीता तो बहुत ही ज़्यादा चालू निकली.....
ओफू..इसने तो परेशान कर दिया..
मगर शूकर है..ये बात अब किसी को पता नही चलेगी....

और मेहता साब..के पास चल देता है.....

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