desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
अपडेट 94
“दीदी अच्छी हे, क्यों क्या हो गया, माँ.?
“बस ऐसे हि, एक बार उसका कॉल आया था तो तुम्हारे बारे में काफी बातें कर रही थी, उसके मुँह से बड़ी तारीफ़े निकल रही थी, एक पल के लिए तो लगा की ये क्या हो गया, दोनों भाई बहन कभी एक साथ नहीं रहते थे, तो ये चेंज कैसे हो गया, मैंने उससे पुछा पर उसने बताया”..
“अरे वो कुछ नहीं मोम, बस वो शादी में एकट्ठा हो गये थे तब हम दोनों को कोई ज्यादा पहचानता नहीं था तो ज्यादा टाइम हम एक दूसरे से ही बात कर रहे थे, तब से बातों बातों में अच्छा टाइम बीत गया और थोड़ा सा क्लोज हो गए हम, लेकिन माँ कोमल दीदी भी बड़ी अच्छी हे”.. उफ्फ्फ कोमल दीदी ने फसा दिया था कैसे भी जवाब दे के में बचा. बॉस माँ के साथ नार्मल रहने में ही भलाई लग रही थी मुझे, क्यूँकि अभी तक कुछ सिडक्टिव सिचुएशन नहीं हो रही थी. इतने में पापा आ गए और में माँ के सवालों से बच गया. फिर माँ डैड के साथ में बाहर डिनर करने गया, और माँ ने मानो मेरे मन की बात पढ़ ली, हो ऐसे सच में बैक लेस्स ब्लाउज पहना था डार्क ब्लू साड़ी और मैचिंग ब्लौस, क्या मस्त माँ लग रही थी, में होटल में जाते ही माँ के पास में ही बैठा और पापा सामने बैठ गयी. माँ मेरी राईट साइड थी, और साइड से माँ की कमर और थोड़ा सा पीछे होते ही माँ की बैक दीखती थी. बॉस अब तो मेरा मन माँ माँ कर के रो रहा था मैंने पूरे डिनर के दौरन माँ की और ही ध्यान रक्खा और माँ को ही झाँकता रहा, माँ ने भी कई बार ऑब्सेर्वे किया, क्यूँकि और भी कुछ लोग माँ को देख रहे थे.
लोगों का भी क़सूर नहीं हे, माँ हे ही ऐसी कसी हुई, तो उनका भी क़सूर नही. पर मेरे बार बार देखने से माँ सच में मन में हलकी सी नराज़ हुई होगी, पर कुछ कहा नही, क्यूँकि इतने दिनों के बाद वापस आया था हम डिनर कर के वापस लौटे, साला ये दिन भी वेस्ट हो गया. मैं अपने रूम में बैठ के अपनी काबिलियत पे सवाल उठने लगा की यार, माँ पटेगी की नहीं...?
कल को वापस बड़ी चाची के पास लौटना था सोचा की बड़ी चाची से इस बारे में बात करूंग, और फिर आगे कुछ सोचूंगा.और में अपने लैपटॉप में खो गया, फिर दोपहर के मेल का ख्याल आया तो मैंने मेल चेक किया, और कमाल हो गया, माँ ने रिप्लाई किया था
“हु आर यु ?
बस इतना सा ही पूछा था मैंने सोचा था की माँ थोड़े ग़ुस्से में होगी, तो पुछेगी की हु द हेल यु आर? पर सवाल माँ की तरह कुछ कॉम्प्लीकेटेड था साला अब इसका क्या जवाब दूँ.पहले सोचा की लिख दून की तुम्हारा आशिक़ हू, पर ये काम का जवाब नहीं था. फिर मैंने बहुत सोचने के बाद रिप्लाई किया
ओर रिप्लाई में कुछ नहीं लिख, बस एक मस्त इरोटिक सी स्टोरी स्पेशली माँ सन एनकाउंटर वाली स्टोरी माँ को मेल कर दी. एक्स्ट्रा कुछ भी नहीं लिक्खि, पता था की माँ ये जवाब तो मेरे से एक्सपेक्ट नहीं करेगि, और ये सब से अलग था फिर मैंने फिर इन्बॉक्स में देखा तो माँ का रिप्लाई अभी अभी आया था..मतलब की वो अभी अपने रूम में ऑनलाइन थी..लकिन आधे घंटे तक माँ ने रिप्लाई नहीं किया.और में माँ के बारे में ही सोच रहा था साला माँ ख़यालों के बाहर जा ही नहीं रही थी.माँ के ही सपने आ रहे थे, की माँ की बैकलेस ब्लाउज को फाड़ रहा हूं..मोम को इतने जोर से चोद रहा हूँ की पूरा बेड हिल रहा हे..और माँ चीख़ के दर्द केमारे तड़प रही है..लकिन उनको भी मज़ा आ रहा हे..में भी लगा ही रहा हूँ धड़..धड़ चोदने में....लकिन ये सब ख्याल की बातें थी और ऐसे सोचते सोचते ही नींद आ गयी, और दूसरे दिन की सुबह भी हो गयी.
“दीदी अच्छी हे, क्यों क्या हो गया, माँ.?
“बस ऐसे हि, एक बार उसका कॉल आया था तो तुम्हारे बारे में काफी बातें कर रही थी, उसके मुँह से बड़ी तारीफ़े निकल रही थी, एक पल के लिए तो लगा की ये क्या हो गया, दोनों भाई बहन कभी एक साथ नहीं रहते थे, तो ये चेंज कैसे हो गया, मैंने उससे पुछा पर उसने बताया”..
“अरे वो कुछ नहीं मोम, बस वो शादी में एकट्ठा हो गये थे तब हम दोनों को कोई ज्यादा पहचानता नहीं था तो ज्यादा टाइम हम एक दूसरे से ही बात कर रहे थे, तब से बातों बातों में अच्छा टाइम बीत गया और थोड़ा सा क्लोज हो गए हम, लेकिन माँ कोमल दीदी भी बड़ी अच्छी हे”.. उफ्फ्फ कोमल दीदी ने फसा दिया था कैसे भी जवाब दे के में बचा. बॉस माँ के साथ नार्मल रहने में ही भलाई लग रही थी मुझे, क्यूँकि अभी तक कुछ सिडक्टिव सिचुएशन नहीं हो रही थी. इतने में पापा आ गए और में माँ के सवालों से बच गया. फिर माँ डैड के साथ में बाहर डिनर करने गया, और माँ ने मानो मेरे मन की बात पढ़ ली, हो ऐसे सच में बैक लेस्स ब्लाउज पहना था डार्क ब्लू साड़ी और मैचिंग ब्लौस, क्या मस्त माँ लग रही थी, में होटल में जाते ही माँ के पास में ही बैठा और पापा सामने बैठ गयी. माँ मेरी राईट साइड थी, और साइड से माँ की कमर और थोड़ा सा पीछे होते ही माँ की बैक दीखती थी. बॉस अब तो मेरा मन माँ माँ कर के रो रहा था मैंने पूरे डिनर के दौरन माँ की और ही ध्यान रक्खा और माँ को ही झाँकता रहा, माँ ने भी कई बार ऑब्सेर्वे किया, क्यूँकि और भी कुछ लोग माँ को देख रहे थे.
लोगों का भी क़सूर नहीं हे, माँ हे ही ऐसी कसी हुई, तो उनका भी क़सूर नही. पर मेरे बार बार देखने से माँ सच में मन में हलकी सी नराज़ हुई होगी, पर कुछ कहा नही, क्यूँकि इतने दिनों के बाद वापस आया था हम डिनर कर के वापस लौटे, साला ये दिन भी वेस्ट हो गया. मैं अपने रूम में बैठ के अपनी काबिलियत पे सवाल उठने लगा की यार, माँ पटेगी की नहीं...?
कल को वापस बड़ी चाची के पास लौटना था सोचा की बड़ी चाची से इस बारे में बात करूंग, और फिर आगे कुछ सोचूंगा.और में अपने लैपटॉप में खो गया, फिर दोपहर के मेल का ख्याल आया तो मैंने मेल चेक किया, और कमाल हो गया, माँ ने रिप्लाई किया था
“हु आर यु ?
बस इतना सा ही पूछा था मैंने सोचा था की माँ थोड़े ग़ुस्से में होगी, तो पुछेगी की हु द हेल यु आर? पर सवाल माँ की तरह कुछ कॉम्प्लीकेटेड था साला अब इसका क्या जवाब दूँ.पहले सोचा की लिख दून की तुम्हारा आशिक़ हू, पर ये काम का जवाब नहीं था. फिर मैंने बहुत सोचने के बाद रिप्लाई किया
ओर रिप्लाई में कुछ नहीं लिख, बस एक मस्त इरोटिक सी स्टोरी स्पेशली माँ सन एनकाउंटर वाली स्टोरी माँ को मेल कर दी. एक्स्ट्रा कुछ भी नहीं लिक्खि, पता था की माँ ये जवाब तो मेरे से एक्सपेक्ट नहीं करेगि, और ये सब से अलग था फिर मैंने फिर इन्बॉक्स में देखा तो माँ का रिप्लाई अभी अभी आया था..मतलब की वो अभी अपने रूम में ऑनलाइन थी..लकिन आधे घंटे तक माँ ने रिप्लाई नहीं किया.और में माँ के बारे में ही सोच रहा था साला माँ ख़यालों के बाहर जा ही नहीं रही थी.माँ के ही सपने आ रहे थे, की माँ की बैकलेस ब्लाउज को फाड़ रहा हूं..मोम को इतने जोर से चोद रहा हूँ की पूरा बेड हिल रहा हे..और माँ चीख़ के दर्द केमारे तड़प रही है..लकिन उनको भी मज़ा आ रहा हे..में भी लगा ही रहा हूँ धड़..धड़ चोदने में....लकिन ये सब ख्याल की बातें थी और ऐसे सोचते सोचते ही नींद आ गयी, और दूसरे दिन की सुबह भी हो गयी.