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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
अगले दिन सरला सुबह नाश्ता बनाई और बच्चों को स्कूल भेजा और श्याम भी चला गया। अब राकेश ने सरला को देखा तो वो अभी पसीना पोंछ रही थी। उसे माँ पर बहुत प्यार आया। वो बोला: मम्मी लगता है आप थक गयी हो। आओ मैं हाथ पैर दबा देता हूँ। आपको अच्छा लगेगा।
सरला अपना पसीना पोंछते हुए बोली: मुझे पता है तू क्या दबाएगा? बस मुझे कुछ देर आराम से बैठने दे , मैं ठीक हो जाऊँगी।
राकेश: मम्मी आप भी कुछ भी बोलते हो। मैं हाथ और पैर दबाने का बोल रहा हूँ और आप पता नहीं और क्या दबाने की बात कर रहे हो।
अब वो आकर सरला के पास सोफ़े पर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया। फिर वो दूसरा हाथ दबाया और सरला को लगा कि वो उसकी मालिश कर रहा है। वो मस्त होकर अपने हाथ दबवाने लगी। अब वो नीचे आकर फ़र्श पर बैठ गया। अब उसने सलवार के ऊपर से उसके पैर दबाने शुरू किए। उसने सरला की क़ुर्ती ऊपर कर दी और अब वो उसकी पूरी टाँग जाँघ तक दबाने लगा। उसका हाथ सरला को बड़ा आराम दे रहा था। वो बोली: इतनी अच्छी मालिश करना कहाँ से सीखा?
राकेश:ताई जी से ही सीखा है। जब छोटा था तो वो और ताऊ जी मालिश करवाए थे मेरे से।
सरला हँसकर: अच्छा मुझे तो याद नहीं। पर बड़ा अच्छा लग रहा है।
राकेश ने उसकी जाँघों के जोड़ पर गीलापन देखा तो पूछा: मम्मी यहाँ बुर के सामने गीला क्यों है?
सरला: अरे जाँघों के जोड़ में पसीना आता है ना। और मैं पैंटी तो पहनती नहीं, इसलिए पसीने से गीला हो जाता है।
राकेश को पता नहीं क्या सूझा और वो उस जगह अपनी नाक घुसेड़कर सूँघने लगा और बोला: मम्मी उफफफ क्या मस्त गंध है। इसमे आपके पसीने, पेशाब और बुर के सेक्स की मिली जुली गन्ध है। उफ़्फ़्फ़क मैं तो मस्त हो गया। फिर वह उठा और उसकी बाँह उठाकर उसकी गीली बग़ल सूँघा और बोला: मम्मी आप बहुत ही मस्त और मादक गंध वाली औरत हो। मेरा तो खड़ा हो गया।
सरला: मुझे पता था कि इस मालिश का अंत चुदाई में ही होगा । पर अभी मुझे नहाना है। और तुम भी अब कोलेज जाओ। समय हो रहा है।
राकेश: मम्मी मुझे आपके साथ नहाना है।
सरला: फिर कभी । चलो अभी जाओ।
राजेश खड़ा होकर अपने लौड़े को दिखाकर बोला: मम्मी ऐसे जाऊँ कोलेज?
सरला: आह अच्छा चल बैठ और निकाल इसे बाहर। अभी चूस देती हूँ।
वो जल्दी से अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सोफ़े पर अपना लौड़ा निकाल कर बैठ गया। अब सरला नीचे फ़र्श पर बैठ कर उसका लौड़ा सहलाई और उसे चूसने लगी । वो उसके बॉल्ज़ को भी मस्ती से दबा रही थी । जल्दी ही राकेश बोलने लगा: आऽऽहहह मम्मी क्या चूसती हो। हाऽऽयय्य बहुत मज़ा आ रहा है। अब वो नीचे से अपनी कमर उठाकर उसके मुँह में लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब सरला ने अपना हाथ जो उसके बॉल्ज़ पर था थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकाया और अब उसकी उँगलियाँ उसके गाँड़ के छेद से खिलवाड़ करने लगीं और उसकी जीभ सुपाडे पर चल रही थी। अब राकेश के लिए अपना स्खलन रोकना असम्भव था।जल्दी ही वह आऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा और अपने लौड़े से वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। सरला मज़े से उसका वीर्य पीते चली गयी। अब वो झड़ कर सोफ़े में पड़ा था। सरला ने उठकर उसे प्यार किया और फिर से कोलेज जाने को कहा। थोड़ी देर बाद वो चला गया। अब सरला नहाने गयी और नहाते हुए थोड़ी देर पहले मिले बेटे के लौड़े और उसके रस के मज़े को याद की। वो सोची कि वो सच में कितनी भाग्यशाली है जो उसका बेटा ही उसे इतना सुख दे रहा है।
उधर सुबह मालिनी चाय बनाके राजीव को आवाज़ दी। वो मोर्निंग वॉक से आया था और बहुत ही स्मार्ट दिख रहा था। उसने आकर मालिनी को अपने आलिंगन में भरकर चूमा और बोला: सिर्फ़ चाय पिलाओगी क्या? फिर उसके दूध दबाकर बोला: मुझे तो दूध भी पीना है।
मालिनी हँसकर: वो तो आपको हमेशा ही पीना रहता है। चलो अभी चाय से काम चला लो और शिवा के जाने के बाद वो भी पी लेना। राजीव उसको और ज़ोर से चिपका कर उसके मस्त चूतरों को दबाया और बोला: चलो ठीक है अभी चाय से ही काम चलाता हूँ। पर इतना तो कर सकती हो कि एक चुम्मी दे दो। ये कहकर वो नीचे ज़मीन में बैठ गया। मालिनी: उफ़्फ़ पापा आप भी ना, बहुत तंग करते हो। ये कहकर उसने अपनी नायटी उठा दी और राजीव की आँखों के सामने मस्त गदराई हुई जाँघों के बीच फुली हुई चिकनी बुर
थी। वो आगे को होकर उसकी बुर को सहलाया और फिर वहीं मुँह डालकर उसकी फाँकों को चूमने लगा। फिर वो उसे घूमने को बोला। पर मालिनी ने कहा: नहीं वहाँ नहीं। आप बीमार पड़ जाओगे। वहाँ सिर्फ़ नहाने के बाद ही चूमिये। अभी वो गंदी रहती है।
राजीव: ठीक है मेरी जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
अब दोनों चाय पी रहे थे तब राजीव बोला: जान रात को शिवा ने ली क्या?
मालिनी: पापा वो क्या है ना कल आपसे करवाने के बाद मेरा भी मन नहीं था और पता नहीं शिवा का भी मन नहीं था। सो हम दोनों ही सो गए।
राजीव: लगता है शिवा को भी कोई मिल गयी है ठुकाई के लिए। वरना तुम कहती थी ना शाम को वो बहुत गरम हो जाता है दुकान से आने के बाद।
मालनी: पापा आप भी बस कुछ भी बोल देते हो। उसको कोई कहाँ से मिलेगी? फिर वो उठी और चाय लेकर शिवा को उठाने गयी।
शिवा करवट से सो रहा था। वो उसे उठाई और बोली: लो चाय ले लो । वो उठकर बैठा और मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर उसके गाल चूमा। फिर बोला: रात को तुम चुपचाप कैसे सो गयी?
मालिनी: आप भी तो सो गए थे।
शिवा: चलो अभी रात की कमी पूरी कर लेते है । मैं अभी फ़्रेश होकर आता हूँ।
मालिनी: अभी? दुकान नहीं जाना क्या?
शिवा: अरे जान दुकान भी जाएँगे। पर तुम्हारी लेने के बाद।
मालिनी समझ गयी कि ये अब बिना चोदे मानेगा नहीं तो वो भी मुस्कुराकर बोली: अच्छा आप फ़्रेश होकर आओ तब तक मैं भी नंगी होकर आपका इंतज़ार करती हूँ । कम से कम कपड़े उतारने का समय तो बचेगा।
शिवा हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। वो बाहर आया तो मालिनी पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी जाँघें जुड़ी हुई थीं जिसके कारण बुर नज़र नहीं आ रही थी। अब वो उसके ऊपर आया और दोनों के होंठ और बदन चिपक गए। क़रीब १० मिनट चूमने के बाद वो उसकी चूचियों पर भी करींब १० मिनट लगाया। अब मालिनी पूरी तरह गरम हो गयी थी।
वह अब उसके लौड़े को दबाकर बोली: आऽऽऽँहह डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दोओओओओओ ना।
शिवा नीचे को होकर उसकी बुर में दो ऊँगली डाला और उसे पूरी गीला पाकर उसके अपना सुपाड़ा उसके बुर के छेद में रखा और एक झटके में लण्ड पेल दिया। फिर जो उसने पलंगतोड़ चुदाई की तो मालिनी को भी मानना पड़ा की जवान मर्द की चुदाई में कुछ और ही बात है। हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से नीचे से गाँड़ उछालकर चुदवा रही थी। उसके हाथ शिवा के चूतरों पर थे और वो उनको नीचे की ओर दबाकर चुदवा रही थी। क़रीब २० मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे। शिवा अब उसके बग़ल में लेट कर बोला: उफफफ क्या मज़ा देती हो जान। मस्त बुर है तुम्हारी। वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला।
मालिनी भी उसको चूमकर बोली: आप भी अब पक्के चुदक्कड हो गए हो। उफफफफ कितना मस्त चोदते हो।
शिवा बड़े भोलेपन से : कभी कभी पापा पर तरस आता है कि वो अभी भी कितने हट्टे कट्टे हैं और दूसरी शादी का सोच रहे हैं । बेचारे बहुत प्यासे हो जाते होंगे बुर के लिए?
मालिनी चौकी : ओह पता नहीं । मुझे तो ऐसा नहीं लगता।
शिवा: अरे क्या नहीं लगता। वो तुमको भी तो घूरते रहते हैं । मैंने देखा है कि वो तुम्हारी चूचियों को घूरते रहते है। बचकर रहना उनसे।
मालिनी: छि आप कुछ भी बोल रहे हो। वो आपके पापा हैं और मेरे ससुर। आप उनके बारे में ऐसा कैसा बोल सकते हो।
शिवा: अरे वो पहले एक मर्द हैं और बाद में पापा या ससुर। तुम्हारे जैसी जवानी को देखकर तो भगवान भी डोल जाए वो तो आदमी हैं।
मालिनी ने सोचा कि ये बात तो लम्बी ही खिंची जा रही है । वो बोली: चलिए अब नहा लीजिए वरना देर हो जाएगी।
शिवा ने भी सोचा कि आज के लिए काफ़ी हो गया है। वो नहाने चला गया । मालिनी नाश्ता बनाते हुए सोच रही थी कि क्या शिवा को शक हो गया है, वो ऐसी बातें क्यों कर रहा था।फिर वो अपने काम में लग गयी।
नाश्ता करते हुए शिवा बोला: मालिनी कल असलम का फ़ोन आया था। वो बोल रहा था कि आयशा तुमसे मिलना चाहती है।
मालिनी ने बुरा सा मुँह बनाया: मुझसे क्यों मिलना चाहती है वो?
शिवा: वो कोई घर से बिज़नेस करती है। anway वगेरह का। उसी सिलसिले में वो तुमसे मिलेगी।
राजीव: ये आयशा कौन है?
शिवा: पापा वो मेरे दोस्त असलम की बीवी है। अच्छा अब चलता हूँ।
शिवा के जाने के बाद राजीव बोला: तुमने आयशा का नाम सुनकर बुरा सा मुँह क्यों बनाया?
मालिनी: पापा वो अच्छे लोग नहीं हैं। शिवा बता रहे थे कि असलम इनको बताया है कि वो वाइफ़ स्वेपिंग़ यानी बिवीयों की अदला बदली में मज़ा लेता है।
राजीव: ओह कमाल है। यानी एक दूसरे की बीवी को चोदेंगे।
मालिनी: जी यही बताया था शिवा ने। अब वो पता नहीं उसको अपने घर क्यों बुलाया है?
राजीव: बेटा उसने नहीं बुलाया है। वो ख़ुद ही आ रही है। मिल लो ना। कौन तुमको उसके पति से चुदवाना है भला?
मालिनी: मैंने तो कभी उनको देखा ही नहीं है पापा।
राजीव: चलो जब आएगी तो देखा जाएगा। पर ये तो बताओ बेटा, आज बड़ी देर बाद शिवा को चाय देकर बाहर आयी। क्या कुछ बात हुई क्या?
मालिनी: वो पापा उनका मूड बन गया था तो ज़बरदस्त चुदाई किए।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
सुबह मालिनी उठी और हमेशा की तरह चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी। चाय पीते हुए आज फिर राजीव पूछा: रात को चुदाई हुई क्या?
मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।
राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?
मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?
राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।
मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।
राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?
मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?
राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।
मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।
शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।
मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।
राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।
मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।
मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।
राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।
अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।
राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।
क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।
राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।
अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?
मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।
राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।
उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?
आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?
शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?
आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।
शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?
आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।
शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?
आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।
शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।
आयशा: ठीक है। बाई।
राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।
मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।
राजीव ने भी ज़िद नहीं की।
मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?
शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।
आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।
मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?
आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।
मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।
आयशा: शिवा से भी नहीं?
मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।
आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------
मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।
(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।
उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )
आयशा ने बोलना जारी रखा-------
रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?
मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।
अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।
मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।
उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?
अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।
मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।
वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?
मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।
तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।
मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।
अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।
वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।
मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।
वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?
मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?
मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?
वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?
मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।
वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।
मैं: नहीं अब्बा ।
फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?
मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।
फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।
मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।
अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
मैं ख़ुशी से उनसे चिपक गयी और उनका गाल चूमकर बोली: ओह अब्बा आप कितने अच्छे हो। थैंक यू ।
अब अब्बा अपने पर आए और मुझे अपने कड़े गठिले बदन से सटा लिए और मेरी बाँह सहलाकर बोले: बेटा लेकिन तुमको मेरा भी तो एक काम करना होगा।
मैं: हाँ हाँ बोलिए ना क्या करना होगा?
वो: बेटा मेरा पूरा बदन दुःख रहा है। अगर तुम्हारी अम्मी होती तो मेरी मालिश कर देती। अब तुम कर दोगी क्या।
मैं: हाँ हाँ अब्बा क्यों नहीं। हालाँकि मुझे आता नहीं है पर कोशिश पूरी करूँगी।
अब्बा खड़े हुए तो उनकी लूँगी में सामने से उभार साफ़ दिख रहा था । मैं भी जवान हो चुकी थी और मामू और फूफा ने मुझे ट्रेन भी किया हुआ था । मैं समझ गयी कि आज कुछ होने वाला है । मेरी बुर में भी थोड़ी सी खुजली होने लगी थी।
( इधर मालिनी की भी बुर खुजाने लगी थी, क्या मस्त तरीक़े से कहानी बता रही है- वो सोची। वो अब अपनी जाँघों को आपस में रगड़ने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे। आयशा ने ये सब देखा और अपने प्लान की सफलता पर ख़ुश हुई ।उधर शिवा की भी हालत ख़राब हो रही थी और वो अपने कैबिन का दरवाज़ा बंद करके अपना लंड पैंट से निकाल कर हिला रहा था। )
आयशा बोले जा रही थी-------
अब्बा जाकर अपनी बनियान उतारे और लूँगी को समेट के बिस्तर पर सीधे लेट गए। अब उनका पूरा बदन सिर्फ़ जाँघों के जोड़ को छोड़कर पूरा नंगा था वहाँ भी एक तंबू तना हुआ साफ़ दिख रहा था।
अब्बा ने तेल की शीशी दिखाई और बोले: चलो पैर से शुरू करके मालिश करो। मैंने पैरों से मालिश शुरू की और ऊपर उनकी बालवाली जाँघों तक पहुँची और जैसे ही ऊपर को हुई मेरे सलवार में तेल लग गया।
अब्बा: बेटी, देखो तेल से तुम्हारे कपड़े ख़राब हो जाएँगे। इनको उतार दो।
मैं: छी अब्बा ऐसे कैसे उतार दूँ? मुझे शर्म आएगी।
वो: अरे मैं भी तो ऐसा ही पड़ा हूँ। चल उतार कुर्ता वरना अम्मी ग़ुस्सा होगी कि तेल लग गया और कपड़े ख़राब हो गए । वो मेरा हाथ पकड़े और मेरा कुर्ता उतारने लगे । अब मैंने भी चुप चाप उतार दिया । मेरी ब्रा को देखकर वो बोले: बेटी, ये इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनी हो? उफफफ ये तो तुम्हारे साइज़ के हिसाब से बहुत छोटी है। देखो कैसे निशान पड़ गए हैं तुम्हारे दूध पर।
मैं: वो मैंने अम्मी से कहा था कि नई ले दें। पर वो डाँटकर बोली कि तेरे तो हर महीने बड़े हो जाते हैं। कितने पैसे ख़र्च करूँ इन पर?
अब्बा ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास खिंचा और कहा: बेटा मैं तेरे लिए नयी ब्रा ला दूँगा । ज़रा साइज़ तो बता। ये कहकर वो मेरी ब्रा का हुक खोल दिए। मेरी ब्रा को हाथ में लेकर उनकी साइज़ चेक किया । मैंने शर्म से अपने हाथ से अपने दूध छिपा लिए थे । वो मुस्कुराकर बोले: बेटा ला दिखा क्या साइज़ होगा तुम्हारा? ये कहकर मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपने हाथ में मेरा दूध पकड़कर जैसे साइज़ नापे और बोले: अभी तो तेरी अम्मी से काफ़ी छोटी है । तेरा साइज़ अब ३० तो हो गया है और कप साइज़ भी B तो है ही। ये ब्रा तो सच में बहुत छोटी है । देखी कैसे निशान बन ग़एँ हैं तुम्हारे दूध पर। वो मेरे दूध के निशान को सहलाकर बोले।
मैं अब बहुत गरम हो गयी थी। मेरे निपल्ज़ तन गए थे। मेरी बुर भी गीली होने लगी थी। अब अब्बा मेरी निपल्ज़ को मसलने लगे थे । मैं तो पगला सी गयी थी। तभी वो बोले: बेटा सलवार भी उतार दो वरना तेल लग जाएगा। मैं शर्म से कुछ नहीं की तो वो ख़ुद मेरे सलवार का नाड़ा खोलकर उसे निकाल दिए। अब मैं सिर्फ़ एक पुरानी सी पैंटी में थी।
वो: बेटी तुम्हारी पैंटी तो बड़ी पुरानी है और छोटी भी है। वो मेरी पैंटी को छू कर बोले। फिर वो पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को दबाए और बोले: बेटा कल नयी पैंटी भी ला दूँगा।
अब वो मुझे अपने बग़ल में लिटाकर मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबाने लगे। अब वो मालिश का सब नाटक मानो भूल गए थे। वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगे। अब मैं भी वासना से पागल हो गयी थी और उनको अपने से चिपका लिया और उनकी पीठ सहलाने लगी ।अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारकर मेरी जाँघें फैलाए। वो बोले: बेटा बाल कैंची से काटती हो क्या?
मैं: जी अब्बा । मैंने अम्मी से वीट क्रीम दिलाने को कहा तो कहने लगीं कि अभी छोटी हो कैंची से साफ़ करो ।
वो: बेटा तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो , मैं लाऊँगा क्रीम और कल ही तुम्हारे बाल ख़ुद साफ़ करूँगा। ये कहकर वो मेरी बुर को सहलाए और फिर उसमें एक ऊँगली डाले और मैं चिल्ला उठी। वो ख़ुश होकर बोले: बेटा बिलकुल कोरी कुँवारी रखी हो। आऽऽहहह मज़ा आ जाएगा। कितने दिनों के बाद किसी की सील तोड़ूँगा। अब उनकी ऊँगली मेरी बुर को सहलाने लगी और मेरी खुजली भी बढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ दबाके अपना मुँह मेरे मुँह पर रखकर चूसने लगे । पता नहीं कब उनका लंड मेरी बुर पर आ गया और उन्होंने लंड दबाना शुरू किया । अचानक मेरी चीख़ निकल गयी और वो अपना मूसल मेरे अंदर धँसाते चले गए। जब पूरा लण्ड अंदर गया तो ही रुके। मेरी आँखों से आँसू निकले जा रहे थे मारे दर्द के।
अब वो क़रीब १० मिनट तक ऐसे ही मेरे ऊपर थे और मेरी चूचियाँ दबाकर चूस रहे थे। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैं भी अब थोड़ा सामान्य हुई और अब उन्होंने पूछा: बेटी दर्द कम हुआ क्या?
मैं: आऽऽंह जी अब ठीक है।
वो: तो अब चोदूँ?
मैं: मतलब?
वो: अरे अब धक्का मारूँ क्या? नहीं समझी? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड पेला है अब चुदाई होगी , ठीक है?
मैं: जी। अब वो ऊपर होकर आधा लंड निकाले और फिर ज़ोर से वापस डाले। फिर तो वो ऐसे ही चोदने लगे। अब मैं भी मस्त हो चुकी थी। मैंने भी अब जवानी का मज़ा लेना चालू किया । क़रीब दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद अब्बा और मैं एक साथ झड़ गए। उनका लंड स्खलन के समय बहुत मोटा महसूस हो रहा था। मैं भी उइइइइइइइ आऽऽऽऽऽह कहकर झड़ गयी।
अब वो मेरे पास लेटकर बोले: बेटी ये गोली खा लो। ये तुम्हारी अम्मी भी खाती है गर्भ ना हो इसलिए। मैंने चुपचाप गोली खा ली। फिर वो मेरी बुर का मुआयना किए और एक कपड़े से उसको पोंछकर बोले: थोड़ा सा ख़ून निकला है। बाक़ी सब ठीक है। मैंने भी अपना हाथ अपनी बुर पर फेरा और बोली: अभी भी जलन हो रही है।
अब वो बोले: बस जल्दी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में चलो।
मैंने उठने की कोशिश की और लँगड़ा कर चलने लगी दर्द के मारे। वो बोले: कोई बात नहीं बेटा कल तक सब ठीक हो जाएगा।
बाथरूम में उन्होंने मेरी बुर को पानी से धोया और सफ़ाई करके उसको चूम लिया । मैं भी मस्ती से भर गयी। वापस बिस्तर पर आकर वो मुझे लंड चूसना सिखाए। मैं जल्दी ही सीख गई और वो मेरे मुँह में झड़ गए और मुझे पूरा रस पीने को बोले जो मैंने पी लिया।
अगले दिन वो मेरे लिए कपड़े और मेरी स्कुटी भी ले आए।
अब तो मैं घर में अब्बा से जब मौक़ा मिलता चुदवा लेती। ऐसे ही चलता रहा और फिर एक दिन अम्मी ने हमको किचन में देख लिया। मैं आगे की कर झुकी हुई अब्बा से चुदवा रही थी। मेरी सलवार पैरों में गिरी हुई थी। वो पीछे से मुझे चोद रहे थे ।तभी मेरी नज़र अम्मी पर पड़ी जो कि अचानक बाज़ार से जल्दी वापस आ गई थीं। मेरे तो प्राण ही सुख गए। मैं जल्दी से अब्बा से अलग हुई और भाग गई।
पता नहीं क्यों मगर अम्मी ने कुछ भी ऐसा नहीं जताया जैसे वो मेरे से नाराज़ हैं । पर दो दिन बाद वो मुझे बस से पास के शहर में ले के गयीं। वहाँ मैंने पहली बार असलम को देखा और तब मुझे पता चला कि मेरी अम्मी के चचेरा भाई का लड़का था ।और वहीं तब मैंने अपने होने वाले ससुर को देखा। मैं उनको देखते ही समझ गयी कि वो बड़ा ठरकी है । वो बड़े हो वासना भरी नज़रों से मुझे घूर रहा था और मेरी चूचियाँ तो जैसे वो खाने के ही मूड में था।
अम्मी ने मेरे रिश्ते की बात की असलम के बारे में ,और उसके अब्बा एकदम से राज़ी हो गए। उसी दिन मेरी और असलम की बात पक्की हो गयी।
अब आयशा ने देखा कि मालिनी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अब अपनी बुर को खुजा रही थी। वो अपना हाथ उसके हाथ पर रखी और बोली: क्या बहुत खुजा रही है?
मालिनी: आह तुम्हारी कहानी है ही इतनी सेक्सी। कोई भी पागल हो जाए।
आयशा: थोड़ा आराम दे दूँ क्या इसको? वो उसकी बुर की तरफ़ इशारा करके बोली।
मालिनी हँसी और बोली: तुम्हारे पास कहाँ हथियार है?
आयशा: अरे ये तो है । ये कहकर उसने अपनी जीभ और एक ऊँगली दिखाई।
मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सोचकर ये सब।
आयशा: अरे मैं बहुत अच्छा चाटती हूँ । एकबार करवा के देखो। मुझे मेरी सास ने ट्रेनिंग दी है। सच में मैं बहुत अच्छा चूसूँगी तुम्हारी बुर, शिवा से भी अच्छा।
( शिवा बुरी तरह से चौंका ,ये सब फ़ोन पर सुनकर । वो हैरान था कि क्या मालिनी लेज़्बीयन सेक्स के लिए मान जाएगी ? और आयशा इस सबसे क्या हासिल करना चाहती है। वो अपना लंड और ज़ोर से हिलाने लगा ? )
मालिनी चौंकी: सास ने ?
आयशा: हाँ अगली बार ये सब बताऊँगी। अभी तो अपनी प्यास बुझा लो। ये कहकर वह मालिनी के कुर्ते को ऊपर की और सलवार के नाड़े को खोलने लगी। मालिनी चाह कर भी उसे मना नहीं कर पाई। और उसकी सलवार आयशा ने नीचे खिंची और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर सलवार निकालने में उसकी मदद की।
आयशा ने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और बोली: उफफफ ये तो बिलकुल गीली हो गयी है।
मालिनी शर्म से लाल होकर बोली: आपको कहानी थी ही इतनी सेक्सी।
अब आयशा सोफ़े से उठी और नीचे बैठ कर उसकी पैंटी भी निकाल दी। मालिनी ने शर्मा कर अपनी जाँघें भींच ली।
आयशा उसकी जाँघों को सहलाकर बोली: दिखाओ ना अपनी मस्तानी बुर। और वो उनको फैलाई। अब उसकी पनियायी हुई बुर उसकी आँखों के सामने थी। वो वहाँ हाथ फेरी और फिर उसने उसको हल्के से मसला। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी ।
अब आयशा ने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाला और उसकी बुर को चूमने और फिर चूसने लगी।
मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽऽहहह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ ।
आयशा ने अब अपनी जीभ उसकी बुर में डाली और उसकी क्लिट को भी छेड़ने लगी। अब मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर और उसका सिर अपनी बुर में दबाकर मस्ती से चिल्लाने लगी: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं मरीइइइइइइइइइइ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।
आयशा : बोलो शिवा के लंड से ज़्यादा मज़ा आता है या मेरी जीभ से ?
मालिनी: आऽऽहहह तुम्हारी जीभ तो पागल कर देगी हाय्य्य्य्य्य।
अब आयशा ने फिर से पूछा: अच्छा बताओ ससुर के लंड से ज़्यादा मज़ा आ रहा है ना मेरी जीभ से चुदाई में?
अब आयशा का मुँह उसकी पानी से पूरा गीला हो चला था । वह अब तीन ऊँगली उसकी बुर में अंदर बाहर करने लगी और जीभ से उसके क्लिट को सहलाने लगी।
अब मालिनी: आऽऽऽह क्या कह रही हो। उफफफफ।
आयशा : मैं बोली मुझसे ज़्यादा मज़ा देता है क्या ससुर का लंड ? अब वो जल्दी जल्दी ऊँगलियों से चोद रही थी और उसकी क्लिट के साथ जीभ भी उसकी बुर में चला रही थी।
मालिनी: आऽऽऽह सच में मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽऽ है।
आयशा: पापा के लंड से भी ज़्यादा ?
मालिनी: आऽऽऽह उइइइइइइ है पापा के लंड से भी ज्याआऽऽऽऽऽऽऽऽदा ।
( शिवा को झटका लगा किमालिनी ने मान लिया कि वो पापा का लंड ले रही है, उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अपने लंड को हिलाकर झड़ने लगा। )
आयशा मुस्कुराई और अपनी स्पीड बढ़ा दी और मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह हाऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइइ कहकर अपना पानी आयशा के मुँह में छोड़ दी और वो पूरा पानी पी गयी।
अब आयशा उठकर बाथरूम गयी और मुँह धोयी। तभी मालिनी भी आकर सीट पर बैठी और मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके वो सलवार पहनी। आयशा उसके लिए पानी लायी और बोली: मज़ा आया मेरी जान? ये कहकर उसने उसकी चूचियाँ दबा दी।
मालिनी हँसकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में मुझे पता नहीं था कि इसमें इतना मज़ा है।
आयशा: हाँ और तुमने माना भी तो की शिवा और उसके पापा के लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा आया। है ना?
मालिनी हँसकर : तुम बहुत बदमाश हो । मेरे मुँह से सब सच निकलवा लिया। पर ये बात किसी को बताओगी तो नहीं।
आयशा : असलम को तो बता सकती हूँ ना ?
मालिनी: नहीं प्लीज़ किसी को नहीं बताना। मेरे मुँह से उत्तेजना में निकल गया । वरना मैं तुमको भी नहीं बताती।
आयशा: कब से चुदवा रही हो ससुर से ?
मालिनी: चक्कर तो हमारा पुराना है पर चुदाई अभी कुछ दिन पहले ही हुई है हमारे बीच।
( शिवा बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसका लण्ड ये सुनकर फिर से तन गया था। )
आयशा: चलो ये बढ़िया है कि तुम दिन में ससुर से चुदवाती हो और रात में अपने पति से । शिवा को पता है कि तुम उसके पापा से चुदवाती हो ?
मालिनी: कैसी बात कर रही हो? ये मैं उसे कैसे बता सकती हूँ।
आयशा : अरे इसमें क्या बुराई है। मुझे तो असलम और उसके अब्बा साथ में चोदते हैं।
मालिनी: ओह सच? तुम्हें अजीब नहीं लगता?
आयशा: नहीं बल्कि बहुत मज़ा आता है।
मालिनी: मुझे आगे की कहानी भी सुनना है। पर आज नहीं। फिर आऊँगी सुनने।
आयशा: सिर्फ़ कहानी सुनोगी या इसका भी मज़ा लोगी? वो अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी बुर को सलवार के ऊपर से मसल दी।
मालिनी: उइइइइइइ । आऽऽऽह अब छोड़ो भी ।
आयशा: तुमने मुझे भी गरम कर दिया है। अब मुझे किसी से चुदाई करनी होगी। बुलाती हूँ किसी यार को। वो अपनी बुर खुजा कर बोली ।
मालिनी: सॉरी मैंने कभी चूसी नहीं इसलिए आज मैं तुमको प्यासी छोकर जा रही हूँ। शायद अगली बार मैं तुम्हारे साथ भी वही करूँ जो तुमने मेरे साथ किया है।
आयशा: कोई बात नहीं । फिर मिलेंगे। वह उसकी चूचियाँ दबाकर बोली।
मालिनी उससे लिपट गयी और आयशा ने इस बार फिर से उसे चकित कर दिया । उसने मालिनी के होंठ चूसने शुरू किए । मालिनी सिहर कर बोली: अच्छा अब देरी हो रही है। चलती हूँ। बाई ।
आयशा: बाई मेरी जान।
अब वो अपने घर के लिए ऑटो में निकल गयी।
आयशा ने फ़ोन उठाकर कहा: शिवा आ जाओ मेरी बहुत खुजा रही है।
शिवा: बस अभी आया।
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06-10-2017, 10:23 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा जब आयशा के घर पहुँचा तो शाम के ६ बज चुके थे। आयशा ने दरवाज़ा खोला और दोनों एक दूसरे से लिपट गए और एक लम्बे चुम्बन में लीन हो गये। आयशा के हाथ उसकी पीठ को दबा रहे थे और शिवा के हाथ उसकी कमर से होकर उसकी मस्त चूतरों पर घूम रहे थे। दोनों बहुत उत्तेजित थे । शिवा ने खड़े खड़े ही अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो मस्ती से चूसने लगी।
आयशा हाँफते हुए बोली: आऽऽऽह चलो बेडरूम में और मेरी फाड़ दो। उफफफफ क्या खुजा रही है।
शिवा ने उसकी सलवार के ऊपर से बुर को दबोच लिया और मसलते हुए कहा: हाऽऽऽऽऽंन चलो मैं भी बहुत गरम हूँ।
दोनों बेडरूम में आकर अपने कपड़े उतारने लगे और दो मिनट में ही नंगे होकर एक दूसरे से लिपट कर बिस्तर में एक दूसरे को चूमने लगे।
शिवा ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उनको चूसा और फिर नीचे जाकर उसकी फुद्दी चेक किया। उफफफ क्या मस्त गरम और गीली हो रही थी। वो उसको जीभ और होंठों से चूसा और चाटा और फिर अपना लौड़ा उसकी बुर में रखा और अंदर पेलने लगा। जल्दी ही उसकी फुद्दी पूरा लौड़ा निगल गयी और वो उसकी ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। आयशा भी गाँड़ उछालकर उसका साथ देने लगी। उसके मुँह से निकलने लगा: आऽऽहहहह और चोओओओओओओओदो फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर ।
तभी आयशा का मोबाइल बजा और वो चुदवाती हुई उसको चेक की। असलम का फ़ोन था। वो बोली: आऽऽऽऽह हाँआऽऽ बोलो।
असलम: क्या हुआ जान सब ठीक है? चुदवा रही हो क्या?
आयशा: आऽऽऽह उइइइइइइइ हाँआऽऽऽऽ और क्याआऽऽऽऽ। चुदवा रहीं हूँ। हाऽऽऽऽऽऽय्य ।
असलम: वाह जान । कौन है लकी बंदा ।
आयशा: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ फ़ाआऽऽऽड़ दोओओओओओओ ना। आपका दोस्त ही है।
असलम: कौन है बताओ ना जान?
आयशा: आऽऽऽहहहह मैं गयीइइइइइइइइइइ । आऽऽऽऽऽहहहह उन्न्न्न्न्न्न्म्म । फिर हाँफते हुए बोली: शिवा है। आऽऽऽह मस्त चुदाई की है । आऽऽऽह मैं तो झड़ गयी हूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अभी भी आऽऽहहहह चोदे जा रहा है। हाऽऽयय्य बस करोओपोओओओओ ना। तभी वो भी झड़ गया। और हाँफते हुए बग़ल में लेट गया।
असलम: आयशा, ज़रा शिवा को फ़ोन दो ना।
शिवा ने फ़ोन लेकर कहा: आऽऽह हाँ असलम बोलो?
असलम: क्या बात है आज मेरे घर में आकर मेरी बीवी को चोद रहे हो। मुझे बताया तक नहीं।
शिवा: सॉरी यार। मैं इतना उत्तेजित था कि होश ही नहीं रहा।
असलम: ऐसा क्या हो गया?
अब शिवा ने उसे मालिनी के आने से लेकर आयशा को उसको कहानी सुनाने की और फिर यह पता लगने की भी कि मालिनी अपने ससुर से चुदवा रही है। ये सब बातें बता दिया। और ये भी कि वह फ़ोन पर सब कुछ ख़ुद भी सुना था।
असलम: wow तो मालिनी ससुर से चुदवा ही ली। बहुत बढ़िया ख़बर है। अब तुम क्या करोगे?
शिवा: अभी आयशा मालिनी को और बहुत कुछ बताएगी। फिर देखो आगे क्या क्या होता है?
असलम: तुम तो अपने पापा के साथ मालिनी को चोदना चाहते हो ना ?
शिवा : हाँ बिलकुल। मगर इसके लिए मालिनी की मानसिकता बदलनी होगी। वो काम आयशा ही कर सकेगी।
असलम: बिलकुल। फिर मुझे मालिनी कब मिलेगी?
शिवा: देखो समय आने दो। तब तक इंतज़ार करो।
असलम: तुम दोनों की चुदाई हो गयी या एक राउंड और करोगे?
शिवा: नहीं मुझे अब जाना होगा। फिर बात करते हैं।
असलम ने फ़ोन काट दिया। आयशा अब पलट कर पेट के बल लेती और मुस्कुराई: एक राउंड और कर लो ना। चाहो तो रिकोर्ड पलट कर बजा लो।
शिवा उसके मोटे चूतरों को दबाकर मस्ती से बोला: आऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी। फिर उनको फैलाकर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को सहला कर बोला: उफफफ क्या मस्त माल हो तुम। देखो मेरा फिर से खड़ा हो गया। आयशा हँसकर अपना मुँह उसके लौड़े पर लायी और उसको चूसने लगी। फिर वह बग़ल के टेबल से जेल निकाली और उसके लौड़े में लगायी। शिवा ने भी जेल लिया और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली से अच्छी तरह से लगाया। फिर वो अपना लौड़ा उसके सुराख़ में लगाकर उसकी कमर को उठाया और वो चौपाया बन गयी। अब वो उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा धीरे से दबाने लगा। आयशा की आऽऽऽहहह निकल गयी। वो बोली: उफफफफ क्या मस्त मोटा है आपका। बिलकुल ससुर जी की याद दिला देता है।
शिवा: ह्म्म्म्म्म मस्त टाइट गाँड़ है तुम्हारी। बहुत मज़ा आता है। अब वो उसकी चुदाई में लग गया। अब पलंग बुरी तरह से हिलने लगा। और कमरा ठप्प ठप्प की आवाज़ से गूँजने लगा। आयशा की सिसकारियाँ भी गूँज रहीं थीं। वो: उन्न्न्न्न्न्न हाऽऽऽऽऽय मरीइइइइइइइ कहकर चिल्ला रही थी और अपनी गाँड़ पीछे करके पूरा लौड़ा निगल रही थी। क़रीब २० मिनट की ज़बरदस्त रगड़ाई के बाद शिवा झड़ने लगा। और अपना पूरा माल उसकी गाँड़ में भर दिया।
आयशा की बुर पूरी तरह से गरम हो गयी थी और वो सीधे होकर उसके अंदर अपनी ऊँगली चलाने लगी। ये देखकर शिवा उठा और उसकी ऊँगली बुर से हटाया और अपनी तीन उँगलियाँ वहाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा। और जीभ से उसकी क्लिट के दाने को रगड़ने लगा। अब आयशा अपनी गाँड़ उछालकर चिल्लाई: आऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ । मैं गयीइइइइइइइइइ। और वो अपना रस उसके मुँह में डालने लगी। शिवा ने अपना पूरा गीला मुँह उठाया और उसको आयशा की सलवार से पोंछा। अब आयशा पूरी तरह संतुष्ट होकर अलसाईं सी पड़ी हुई थी। शिवा उसके होंठ चूमा और उसकी चूचि दबाया और बोला: जान मज़ा आया?
आयशा: आऽऽऽह आज कई दिनों के बाद ऐसी मस्त चुदाई हुई है। थैंक्स वेरी मच।
शिवा हँसकर बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुआ और कपड़े पहन कर बाहर आया। आयशा अभी भी सुस्त सी पड़ी हुई थी, पूरी नंगी। और कमर के नीचे सब जगह काम रस लगा हुआ था।
शिवा: अच्छा चलता हूँ। फिर फ़ोन पर बात करेंगे।
आयशा: ओके बाई। यह कहकर वो पलट कर ऐसे ही सो गयी।
जैसे ही शिवा बाहर जाने के लिए दरवाज़ा खोला सामने असलम खड़ा था।
असलम: अरे तुम अभी तक गए नहीं?
शिवा झेंप कर: वो यार आयशा ने फिर से चुदाई का मूड बना दिया था सो दूसरे राउंड में भी लग गया था।
असलम: वाह भाई वाह । वैसे वो है कहाँ?
शिवा: बेडरूम में अभी भी लेटी हुई है।
असलम: चलो थोड़ी देर रुको ना साथ में चाय पीते हैं।
शिवा : ठीक है जैसा तुम कहो।
असलम शिवा को लेकर बेडरूम में पहुँचा। वहाँ आयशा अब भी करवट लेकर लेटी हुई थी और उसकी गाँड़ का छेद शिवा के मोटे लौड़े की चुदाई से पूरा खुला हुआ साफ़ दिख रहा था। वहाँ सफ़ेद सा रस अभी सुखकर साफ़ दिखाई पड़ रहा था। अब असलम सामने की ओर गया और बोला: आयशा अब उठना नहीं है क्या?
आयशा ने आँख खोली और सीधी होकर लेटी और बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आप कब आए?
असलम: क्या जानु लगता है अब तक चुदाई की ख़ुमारी नहीं उतरी? वो उसकी बुर को देखकर बोला जहाँ अब भी सूखा हुआ काम रस दिखाई दे रहा था।
आयशा उठाकर बैठी और उसकी मोटे मोटे चूचे हिलकर अपनी अदा दिखाए। तभी वो शिवा को देखी और बोली: अरे आप अब तक गए नहीं?
शिवा: मैं जा ही रहा था कि असलम आ गया और मुझे वापस ले आया चाय पीने का कहकर ।
आयशा: मैं तो अभी चाय नहीं बना सकती। मुझे बाथरूम जाकर फ़्रेश होना हैं।
असलम: कोई बात नहीं जानु, चाय मैं बनाता हूँ । तुम फ़्रेश होकर आओ और चाय पीओ। वो उसकी चूची दबाया और उसकी जाँघों को सहलाया फिर बोला: यार लगता है आज तुमने मेरी बीवी को बहुत मसला है। क्या गाँड़ भी मार दी? पूरी खुली हुई दिख रही थी।
शिवा: हाँ यार वो भी मार ली। आयशा का भी मन था और में भी इसकी गाँड़ का दीवाना हूँ।
अब आयशा खड़ी हुई और थोड़ा सा लड़खड़ाई । असलम उसे सहारा देकर बाथरूम ले गया और टोयलेट की सीट पर बिठाकर बोला: बहुत ज़्यादा ही चुदाई हो गयी है लगता है?
आयशा: हम्म पर मज़ा बहुत आया। मस्त लौड़ा है इसका और बहुत मज़े से चोदता है।
असलम: चलो तुम फ़्रेश हो मैं चाय बनाता हूँ। फिर वो बाहर आकर किचन में गया तो शिवा भी उसके साथ वहीं आ गया और उसकी मदद करने लगा।
असलम: आज तुमने आयशा को बहुत ख़ुश कर दिया।
शिवा: उसने मुझे भी बहुत मज़ा दिया । यार बड़ी मस्त लड़की है पूरे मज़े से चुदवाती है।
असलम: अब मालिनी का क्या करोगे?
शिवा: बताया था ना कि वो परसों शायद आयशा से फिर से मिलेगी। और आयशा उसे और बहुत सी बातें बताएगी। आज वैसे भी आयशा ने उसे लेज़्बीयन सेक्स का मज़ा भी चखाया।
असलम: वाह । वैसे ये हुनर उसने मेरी अम्मी से सीखा है। सास बहु काफ़ी मज़े लेती हैं जब भी मिलती हैं।
शिवा: यार एक बात पूँछूँ , बुरा तो नहीं मानोगे?
असलम: हाँ पूछो ना।
शिवा: क्या तुमने भी अपनी अम्मी को चो- मतलब उनके साथ सेक्स किया है?
असलम: यार इसमें बुरा मानने की क्या बात है। अरे अब भी जब अम्मी और अब्बा यहाँ आते हैं तो अब्बा के साथ आयशा और अम्मी के साथ मैं ही सोता हूँ। और कई बार तो हम एक ही बिस्तर पर सो कर चुदाई करते हैं।
शिवा का लण्ड ये सुनकर अकड़ने लगा था । तो इसका मतलब है कि वो और उसकी सास सरला भी पापा और मालिनी के साथ सेक्स कर सकते हैं।
वो अपना लंड पैंट में एडजस्ट किया ।
चाय बन चुकी थी और वो दोनों चाय पीने बैठे और तभी आयशा आयी और वो एक टॉप और लॉंग स्कर्ट में थी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके निपल्ज़ साफ़ दिखाई पड़ रहे थे । जब वो उनके पास आयी तो असलम ने उसकी चूची दबाई और उसके होंठ चूमे। तभी उसका पिछवाड़ा शिवा के सामने आ गया। वो भी उसकी गाँड़ को दबाया और नोटिस किया कि वो पैंटी भी नहीं पहनी है। वो मस्ती से उसकी गाँड़ मसलकर रहा। आयशा अब मुड़कर शिवा के भी होंठ चूमी और उनके बग़ल में बैठकर चाय पीने लगी।
असलम: यार तुम कब तक मालिनी को भी शीशे में उतार लोगी?
आयशा हँसकर: क्यों लंड बहुत तंग कर रहा है क्या उसे चोदने के लिए?
असलम: वो तो शिवा पर निर्भर है कि वो उसकी कब दिलाएगा?
शिवा: यार मैं तो ख़ुद बहुत कुछ चाहता हूँ उससे । देखो कब तक बात बनती है?
फिर शिवा वहाँ से वापस दुकान आया और बाद में काम निपटा कर घर के लिए निकला । आज उसे देर हो गयी थी।
उधर मालिनी आयशा के घर से निकली और क़रीब ६ बजे घर पहुँची। राजीव अपने कमरे में था और कुर्सी पर बैठ कर कुछ हिसाब देख रहा था । मालिनी को देखकर वो बोला: बेटा बड़ी देर लगा दी? उसने देखा कि मालिनी की आँखें थोड़ी लाल सी हो रही थी और वो थोड़ा सा अशांत सी दिख रही थी। वो फिर से बोला: बेटा सब ठीक है ना?
मालिनी ने जाकर बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कुर्ते को उतारने लगी। अब वो सिर्फ़ ब्रा में और सलवार में थी। राजीव उसे हैरानी से देख रहा था। अब उसने अपनी सलवार भी निकाल दी। राजीव की आँखें उसकी ब्रा और पैंटी में क़ैद मस्त जवानी पर थी।
वो बोली: पापा आप चलो बिस्तर पर ।
अब वो अपनी ब्रा का हुक अपने हाथ को पीछे ले जाकर खोली और उसे भी निकाल दिया ।
राजीव उसे हैरानी से देखते हुए खड़ा हुआ और तभी मालिनी ने उसकी लूँगी खींचकर उसको कमर के नीचे से नंगा कर दिया और बोली: पापा बनियान भी उतार दीजिए। वो उसके लटकते हुए लम्बे लौड़े और उसके नीचे लटके हुए भारी बॉल्ज़ को देखकर मस्ती से भर गयी। अब वो अपनी पैंटी उतारी और राजीव को बिस्तर पर लिटा दी। अब वो उसके ऊपर आकर चढ़ गयी। राजीव का हाथ उसकी नंगी चिकनी पीठ पर था और वो उसको सहलाकर मस्त हो रहा था। वो कुछ बोलने ही वाला था कि मालिनी ने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगी। उत्तेजना से भर कर वो अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। राजीव उसको मज़े से चूसने लगा। अब राजीव के हाथ उसके मोटे चूतरों को दबाने लगे थे। मालिनी ने अपने आगे का हिस्सा ऊपर उठाया और बोली: पापा मेरी चूचियाँ दबाओ और चूसो।
राजीव अब उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। वो उसके निपल्ज़ भी ऐंठने लगा। अब मालिनी उइइइइइइ कहकर मस्ती से अपनी बुर को उसके कड़े हो रहे लंड पर दबाने लगी। अब मालिनी नीचे जाकर उसके लौड़े को चूसकर पूरा खड़ा कर दी। अब वो अपने दोनों पैर फैलाकर उसके ऊपर आकर उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर नीचे होने लगी। उसका लौड़ा उसकी बुर में समाता चला गया । अब वो उसके ऊपर उछल उछल कर चुदवाने लगी। राजीव भी उसकी चूचियाँ दबाकर नीचे से धक्के लगाने लगा। मालिनी पर पता नहीं क्या भूत सवार था कि वो बहुत तेज़ी से उछलकर चुदाई में लगी हुई थी। वो चिल्लाए भी जा रही थी: आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा फ़ाआऽऽऽऽऽड़ो मेरीइइइइइइइ फुद्दीइइइइइइइइ । आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह खा जाओ मेरी चूउउउउउउउचियाँ । आऽऽऽहहहह मरीइइइइइइइइइ उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ। पाआऽऽऽप्पा बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहा है। और चोओओओओओओओदो। और चोओओओओओओदो । कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से गूँज रहा था। अब वो चिल्लाई: पाआऽऽऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइ। और वो ज़बरदस्त क्लाइमैक्स के साथ पानी छोड़ने लगी। उधर राजीव भी अपनी गाँड़ नीचे से उछालकर अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ने लगा। अब मालिनी लस्त होकर लुढ़ककर उसकी बग़ल में लेट गयी।
राजीव उसकी तरफ़ मुँह करके उसको चूमकर बोला: बेटा क्या हो गया था? बड़ी उत्तेजित थी आज? वहाँ आयशा के घर में ऐसा क्या हो गया?
मालिनी: ओह पापा क्या बताऊँ? वो लड़की तो जैसे सेक्स से भरी हुई डायनामाइट है। उसने जिस अन्दाज़ में मुझे अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाई मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी।
राजीव उसकी चूचियाँ सहलाकर : तो इसिसे इतना उत्तेजित हो गयी थी?
मालिनी उसकी छाती के बालों से खेलती हुई बोली: पता है पापा उसकी पहली चुदाई किसने की थी?
राजीव: किसने की थी?
मालिनी: उसके अपने अब्बा ने । वो अभी नयी नयी जवान हुई थी।यह कहकर उसने आयशा की पूरी कहानी उसे सुना दी। और ये भी बता दिया कि वो भी अपने ससुर से चुदवाती है।
राजीव क्या बोलता । वो तो ख़ुद ही बेटीचोद था। उसने महक को कई बार चोदा था और वही उसके बच्चे का बाप भी था। वो सामने से बोला: ओह । तो तुम इसे ग़लत मानती हो?
मालिनी हैरानी से: हाँ बिलकुल। और आप?
राजीव: देखो बेटा मैं तो इसे ग़लत नहीं मानता । मैं सोचता हूँ अगर बाप और बेटी दोनों की इच्छा हो तो इसमें ग़लत कुछ भी नहीं है ।वैसे भी बाप ने उसे पैदा किया है पाला पोसा है। तो वो अगर ख़ुद मज़ा ले भी ले तो इसमें ग़लत क्या है। हाँ इसमें ज़ोर ज़बर्द्स्स्ती नहीं होनी चाहिए।
मालिनी: ओह आप ऐसा सोचते है?
राजीव: अब आयशा की ही बात कर लो। वो अपने अब्बा से चुदी और अब चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है ना? इसमें उसका क्या नुक़सान हुआ बोलो? बल्कि मुझे तो लगता है उसके अब्बा ने जो उसे मज़ा दिया है,उसके कारण ही वो इतना खुल कर चुदाई का मज़ा ले रही है।
मालिनी: इसका मतलब है कि आप महक से ये सब करने का सोच सकते हैं?
राजीव थोड़ा सा रुक और बोला: अगर महक अपनी ख़ुशी से चाहेगी तो मैं मना नहीं करूँगा।
मालिनी: पापा मैं तो बहुत कन्फ़्यूज़्ड हूँ । हम जो बचपन में पढ़ते हैं या सीखते हैं जवानी में सब उलटा पुलटा कैसे हो जाता है ? अगर बाप बेटी का हो सकता है तो क्या माँ बेटे का भी सम्भव है?
राजीव : हाँ मैं कई बार ऐसी बात सुनता हूँ जिसमें माँ और बेटे का सम्बंध होता है। असल में बेटा ये बात मान लो कि कोई भी इंसान पहले आदमी है और उसके बाद ही पति ,भाई ,बाप, दोस्त या ससुर है? यही बात औरत पर भी लागू होती है।
मालिनी: ठीक है पापा मैं अब बाथरूम से आती हूँ। आपने चाय भी नहीं पी होगी? बनाकर लाती हूँ।
राजीव ने उसको अपनी बाँहों में भींचकर प्यार किया और उसके चूतरों को सहलाकर बोला: मेरी बेटी चुदाई को लेकर काफ़ी रीसर्च कर रही है? है ना?
मालिनी हँसकर उसके लंड को दबाई और बोली: ऐसा कुछ नहीं है पापा।
फिर वो बाथरूम में घुस गयी।
क़रीब ८ बजे शिवा आया और नहाने चला गया। खाना खाने के बाद वो मालिनी को एक राउंड चोदा। और दोनों सो गए। शिवा अब सोच रहा था कि मालिनी उससे बातें छिपाना सीख गयी है। उधर मालिनी को दुःख हो रहा था कि वो आयशा वाली बात वह शिवा को नहीं बता रही है। दोनों अपने विचारों में उलझे नींद की आग़ोश में समा गए ।
उधर असलम ने रात को आयशा को एक राउंड चोदा और पूछा: अब मालिनी कब आएगी?
आयशा: वो परसों का कह कर गयी है। पर मुझे लगता है कि वो कल ही आएगी। देखते हैं। फिर वो दोनों भी सो गए।
उधर सरला और राकेश अब साथ में ही सोते थे। श्याम को जब आना होता था तो वो पहले ही सरला को बता देता था। उस दिन राकेश श्याम के जाने के बाद आता और अपनी माँ के साथ रात भर रहता था । ज़िंदगी मस्त चल रही थी। पर उस दिन अनहोनी हो गयी। हुआ ये कि श्याम को बहुत देर हो गयी। वो सरला को फ़ोन किया: जान आज मैं बाहर खाना खाकर आऊँगा। मेरा इंतज़ार मत करना। मेरे पास चाबी है कोई दिक़्क़त नहीं होगी। तुम लोग सो जाना।
रात को हमेशा की तरह सब काम निपटाकर सरला सोने के लिए अपने कमरे में आयी । थोड़ी देर बाद राकेश भी आकर उसके साथ सो गया। जल्दी ही वो मस्ती में आकर चुदाई में लग गए। आज सरला राकेश के ऊपर आकर उसे चोद रही थी।राकेश मस्ती से मम्मी की चूचियाँ चूसकर नीचे से अपना लंड उछाल रहा था। मस्त चुदाई चल रही थी।
तभी श्याम घर के अंदर आया। आज पार्टी में उसने चढ़ा ली थी। नशे के सरूर में उसे सरला की बुर का ख़याल आया और वो अपने कमरे की जगह सरला के कमरे की ओर चल पड़ा। अभी वो दरवाज़े के पास पहुँचा ही था कि उसे आऽऽऽऽहहह की आवाज़ सुनाई दी। वो ठिठक गया । अब वो दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया। उसे पक्का हो गया कि सरला अंदर किसी से चुदवा रही है। ये आवाज़ उसी की थी। अब वो हाऽऽयययय आऽऽऽऽह और जोओओओओओर से चोओओओओओदो बोले जा रही थी । श्याम का सिर घूम गया था किआख़िर कौन उसे चोद रहा है? वो बहुत उत्तेजित होंकर अभी कुछ करता इसके पहले ही उसको जवाब मिल गया।
चुदाई करते हुए सरला चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽऽह बेएएएएएएएएटा फ़ाआऽऽऽड़ दो मेरी।
अब राकेश की साफ़ साफ़ आवाज़ आयी: हाऽऽऽऽऽऽऽऽननन माम्मीइइइइइइइ लोओओओओओओओ अपने बेटे का लंड लोओओओओओओओ ।
श्याम सन्न रह गया कि ये अपने बेटे राकेश से चुदवा रही है? उफफफफ क्या ज़माना आ गया है? उसका खड़ा लंड बैठ गया। वो चुपचाप अपने कमरे ने जाकर अपनी बीमार बीवी के साथ लेट गया। बड़ी मुश्किल से उसे नींद आयी ।
उधर मस्त चुदाई के बाद माँ बेटा लिपट कर सो रहे थे।
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06-10-2017, 10:23 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा ने आज अलार्म लगाया हुआ था वो मालिनी से भी पहले उठ गया था। उसने अलार्म बंद किया और चुप चाप पड़ा रहा। अपने समय पर मालिनी उठी और बाथरूम से आकर बाहर आयी।
किचन में जाकर वह चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी। शिवा ने खिड़की का पर्दा बहुत थोड़ा सा हटाया और बाहर ड्रॉइंग रूम में झाँकने लगा।
राजीव बाहर आया और आकर मालिनी को अपने से चिपका लिया और उसके होंठ चूमकर बोला: गुड मॉर्निंग माई लव।
मालिनी भी उसके चुम्बन का जवाब दी और बोली: मॉर्निंग पापा। अब राजीव उसे अपने से चिपटाए हुए उसकी कमर सहलाया और फिर उसकी गाँड़ पर हाथ फेरने लग। वो झुक कर उसकी नायटी से बाहर झाँकती चूचियों को चूमने लगा।
शिवा का लण्ड खड़ा हो चुका था। पापा ऐसे बर्ताव कर रहे थे मानो मालिनी उनकी बहू नहीं बीवी हो।
अब वो बैठे और चाय पीते हुए राजीव ने वही पुराना घिसा पिटा प्रश्न किया : रात को शिवा ने चोदा?
(शिवा इस प्रश्न से हैरान रह गया। भला कोई ससुर अपनी बहू से ऐसा पूछ सकता है क्या? उसका लण्ड अब पूरा तन गया था। )
मालिनी: क्या पापा सुबह सुबह मुझे आपको रात की चुदाई की रिपोर्ट देनी होती है ना? हाँ हुई। बस अब ख़ुश।
राजीव: अरे बेटा चिढ़ क्यों रही हो। मैं तो बस इसलिए पूछा ना कि कहीं मेरे सम्बन्धों के कारण तुम उसका ध्यान रख रही हो कि नहीं। बस इतनी सी बात है बेटा।
मालिनी आकर राजीव की गोद में बैठी और उसको चूमकर बोली: पापा मैं आपसे और शिवा से दोनों से प्यार करने लगी हूँ। ठीक है?
राजीव भी उसको चूमा और बोला: ठीक है बेटा। सच तुम बड़े दिल वाली हो।
मालिनी हँसकर : सिर्फ़ बड़े दिल वाली और कुछ बड़ा नहीं है?
राजीव हँसकर : हा हा नहीं ये भी अब काफ़ी बड़े हैं । वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला। फिर पीछे हिप्स को सहलाया और बोला: वैसे ये भी अब फैल रहे हैं बेटा और मस्त बड़े हो रहे हैं।
मालिनी मुस्कुराकर: इन सबको बड़ा करने में आपका बहुत योगदान है पापा। वैसे पापा एक बात बोलूँ आप बहुत मज़ा देते हो।
राजीव: बेटा कल जब तुम आयशा के घर से आयी तो बहुत चुदासि थी। ऐसी ही चुदासि एक बार तुम्हारी सास भी हुई थी । उसने भी मुझे ऐसे ही चोदा था,जैसे कल तुम मुझ पर चढ़ कर चोदी थी।
वो उसकी चूची दबा रहा था। मालिनी उसके गाल को चूमकर बोली: मुझे तो आयशा की कहानी ने गरम कर दिया था। मम्मी जी को किसने गरम कर दिया था?
राजीव उसकी भरी जाँघों को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा: उसकी सहेली ने, उसको अपने देवर से चुदाई की कहानी सुनाई थी। इसीसे वो बहुत गरम हो कर आयी थी और आकर मुझ पर चढ़ी थी। तुम भी अपनी सास पर गयी हो ।
इस पर वो दोनों हँसने लगे।
(शिवा स्तब्ध होकर सुनता रहा कि पापा उससे मम्मी की सेक्स की बातें भी कर रहे हैं, जो अब इस दुनिया में रही ही नहीं। उफफफ क्या बाप है मेरा। बहुत ही कमीना है। वो अपना लंड सहलाते हुए सोचने लगा कि इनकी कमीनगी पर मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है। मैं बल्कि उत्तेजित हुए जा रहा हूँ। )
मालिनी उठी और बोली: पापा अब शिवा को चाय देती हूँ। राजीव ने उसकी गाँड़ सहलायी और बोला: ठीक है बेटा, आज साथ में नहाएँगे। तुमने कहा था कि जल्दी ही नहाओगी। चलो ना आज साथ में नहाते हैं।
मालिनी: अच्छा जी अच्छा। नहा लेंगे। शिवा को जाने तो दीजिए। वैसे भी नहाने के बहाने आप मेरी फाड़ेंगे ही ना और क्या?
राजीव: अरे वो तो फाड़ेंगे ही मेरी जान। ये कहकर वो नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर मसलने लगा
मालिनी: उफफफफ पापा क्या कर रहे हो? छोड़ो । देखो पूरा कपड़ा यहाँ का कैसा हो गया है। शिवा समझ जाएगा कि आपने मसला है।
अब मालिनी किचन में जाकर चाय लेकर शिवा को उठाने आयी।
शिवा वापस बेड पर आकर लेट गया और पीठ के बल लेटा जिससे मालिनी उसका खड़ा लौड़ा लोअर से देख ले।
मालिनी आकर उसके लौड़े को देखी और मुस्कुराकर उसको पकड़ ली और उसको दबाके शिवा को आवाज़ दी: उठो अब, और ये क्या है जब देखो खड़ा रहता है?
शिवा उठा और मुस्कुराया: जिसकी इतनी हसीन बीवी हो उसका खड़ा ही रहेगा ना।
अब वो उसकी बुर की ओर इशारा करके बोला: क्या बात है नायटी बुर के ऊपर बहुत मुड़ी तुड़ि दिख रही है।
मालिनी हड़बड़ाई और बोली: ओह वो कुछ नहीं । लगता है नींद में ज़्यादा खुजा दी हूँगी।
शिवा ने देखा कि कैसे पापा उसकी बुर मसले थे अभी। वो सोचा कि क्या सफ़ाई से झूठ बोलने लगी है।
वो बोला: ओह इतना खुजा रही है। अच्छा चलो आज साथ में नहाते हैं। बहुत दिन हो गए है ना, साथ में नहाए हुए।
मालिनी चौंक कर: ठीक है नहा लेते हैं। वो सोची कि अभी अभी पापा ने भी यही बोला था।
अब शिवा ग़ौर से उसे देखा कि वो सोच में पड़ गयी थी।
वो: मैं फ़्रेश होकर तुमको आवाज़ दूँगा फिर साथ में नहाएँगे।
अब शिवा मालिनी को नहाने का बोलकर बाथरूम में घुसा और जाकर ब्रश करने लगा। खुले दरवाज़े से मालिनी ने देखा कि वो ब्रश कर रहा है।
वो बोली:मैं अभी आयी । वो ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। वहाँ राजीव फ्रिज से पानी की बोतल निकाल रहा था। मालिनी उसको देखकर मुस्कुरायी।
दोनों बाहर ड्रॉइंग रूम में आए।
( शिवा अब झट से उसी खिड़की से आकर झाँका और उनकी बातें सुनने लगा)
वो बोला: क्या बात है मुस्कुरा रही हो?
मालिनी: मैं ये सोचकर हैरान हूँ कि बाप बेटा एकदम एक जैसा कैसे सोचते हैं।
राजीव: मतलब?
मालिनी: पापा वो भी अभी अभी बोले हैं कि उनको अभी मेरे साथ नहाना है। और वो नहाते हुए ठुकाई तो करेंगे ही। इधर अभी अभी आप भी बोले थे कि आपको भी मेरे साथ नहाना है। बताइए बाप बेटा एक जैसे सोचते है ना?
राजीव: मैंने तो नहीं कहा कि मैं तुमको ठोकूँगा।
मालिनी हँसकर : बोले तो शिवा भी नहीं हैं पर वो पक्का ठोकेंगे। और आपको भी जानती हूँ आप भी ठोकोगे ही। अब मुझे दो बार नहाना पड़ेगा और दो बार ही लगवाना भी पड़ेगा।
राजीव हँसकर उसको पकड़ लिया और उसकी क़मर सहलाकर उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी भी उसके चुम्बन का जवाब देते हुए उसकी लूँगी के अंदर हाथ डालकर उसका लण्ड दबाने लगी।
( शिवा हैरान होकर सोचा कि मालिनी को क्या हो गया है? उफफफ कैसी बातें कर रही है मानो कोई रँडी हो)
अब मालिनी बोली: पापा अब छोड़ो । उनका ब्रश हो गया होगा। वो मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे नहाने के लिए।
अब राजीव उसको छोड़ दिया और उसकी गाँड़ दबाकर बोला: जाओ बेटा , शिवा से चुदवाओ और मज़ा लो। मैं भी अपनी बारी का इंतज़ार करूँगा।
मालिनी हँसकर वापस अपने कमरे की ओर चलने लगी। तभी राजीव बोला: बेटा एक मिनट।
मालिनी खड़ी होकर: अब क्या हुआ पापा?
राजीव: बेटा ज़रा गाँड़ मटका कर चलो ना। बहुत दिन से तुम्हारी वो वाली चाल नहीं देखी।
मालिनी: पापा आप भी ना। अच्छा लो देखो।
अब वो अपनी गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से मटका कर चलती हुई अपने कमरे की तरफ़ बढ़ी। उधर राजीव उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या माल है मेरी बहू -ये कहकर अपना लंड दबाने लगा। फिर बोला: बेटा रुको ना।
मालिनी फिर से रुक गयी और बोली: अब क्या हुआ पापा?
राजीव धीरे से बोला: बेटा एक बार नायटी उठाकर गाँड़ दिखा दो ना? प्लीज़। बहुत मन कर रहा है, देखने का।
मालिनी : पापा उफफफ आप बिगड़ते ही जा रहे हो। फिर वो अपनी नायटी उठाई और ऊपर तक उठाकर अपनी गाँड़ दिखाई।
राजीव अपना लंड लूँगी से बाहर निकाला और उसको दबाकर बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त गोरी गाँड़ है। छेद भी दिखा दो ना। प्लीज़
मालिनी मुस्कुराई: लो पापा देखो अपनी बहु की गाँड़। ये कहकर वो अपने चूतरों को दोनों हाथ से फैलायी और उसको अपनी गाँड़ का छेद दिखाई।
राजीव पागल सा होकर अपना लंड दबाने लगा और बोला: उफफफफ क्या माल हो तुम।
मालिनी हँसी और अपनी नायटी नीचे करके अपने कमरे के दरवाज़े को दबाकर अंदर आयी।
( शिवा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ कि मालिनी इतनी बेशर्म हो सकती है। शिवा को लगा कि वो झड़ ना जाए। उफफफ क्या हो रहा है ये हमारे घर में? वो तेज़ी से वहाँ से हटा और जाकर अपने कपड़े निकालने लगा। )
मालिनी अंदर आयी और बोली: अभी भी मूड है क्या मेरे साथ ही नहाने का? या मूड बदल गया।
शिवा: अरे ऐसे कैसे बदल जाएगा। चलो अब नहाते हैं।
मालिनी ने देखा की उसके लोअर में ज़बरदस्त उभार था। वो बोली: आपका इतना ज़ोर से खड़ा क्यों है?
शिवा उसको लिपटा कर: जान तुम हॉट चीज़ हो ना। वो अपना लण्ड पकड़कर बोला: सच में अभी ज़बरदस्त मूड है चुदाई का।
अब मालिनी ने अपनी नायटी उतारी और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी । उधर शिवा ने भी अपना लोअर और टी शर्ट उतारा और नंगा ही अपना मोटा लम्बा लंड झुलाते हुए बाथरूम में मालिनी के साथ घुस गया। अब मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर शॉवर चालू किया। दोनों के होंठ चिपके हुए थे और वो भीग रहे थे। शिवा सोचा कि ये अभी पापा से भी ऐसे चिपक के किस्स कर रही थी।अब उसने उसकी ब्रा का हुक निकाला और उसकी मोटी छातियों को क़ैद से आज़ाद कर दिया। वो उसकी गोलाइयों को पानी से भीगा देख रहा था और दिर उनको दबाकर मस्ती से बोला: उफफफ क्या मस्त हैं तुम्हारी चूचियाँ । काफ़ी बड़ी हो गयी हैं । गदरा रही है तुम्हारी जवानी। फिर वो उसके चूतरों को दबाके बोला: आऽऽहहह ये भी तो मस्त बड़े हुए जा रहे हैं। तुम्हारी जवानी का निखार बढ़ता ही जा रहा है मेरी जान।
मालिनी चौंकी कि आज क्या हो रहा है ? ये शिवा भी ना आज सब कुछ वही बोल रहा है जो पापा अभी बोले हैं। ये क्या हो रहा है?
शिवा मन ही मन सोचा कि मालिनी काफ़ी सोच में पड़ रही है। वो जानबुझकर वही बात बोल रहा था जो पापा बोले थे।
अब वो मालिनी के कंधे पर साबुन लगाने लगा। फिर वो उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाया और मालिनी की आऽऽह निकलने लगी। फिर वो उसके पेट और नाभि के छेद से होकर उसकी जाँघों तक पहुँचा और फिर एक स्टूल पर बैठा और उसकी पिंडलियां और पैर पर साबुन लगाया। अब वो उसकी बुर को साबुन लगाया मालिनी सीइइइइइइइ कर उठी। शिवा अब फिर खड़ा होकर उसकी पीठ और पिछले हिस्से को साबुन लगाकर उसके चूतरों को भी साबुन लगाया। अब वो उसकी गाँड़ की दरार में साबुन लगाया। मालिनी की आह निकल जाती थी। उफ़ क्या मर्दाना हाथ है वो सोची।
अब शिवा बोला: अब तुम लगाओ ना जान साबुन मेरे बदन में। मालिनी मुस्कुराई और साबुन लेकर उसके छाती से शुरू किया । फिर वहाँ से होते हुए वो नीचे आकर उसके पेट से होकर उसकी जाँघों से होकर फिर नीचे पैरों तक होकर वापस उसके लण्ड और बॉल्ज़ को साबुन लगायी। लंड तो उसके हाथ की छुअन से और भी कड़ा हो चुका था। फिर वो भी पीठ और गाँड़ में साबुन लगायी। आख़िर में दोनों ने एक दूसरे के मुँह पर भी साबुन लगाया। शिवा ने उसको अपने से चिपकाया और शॉवर चालू किया। अब दोनों एक दूसरे का साबुन साफ़ किया । थोड़ी देर बाद शिवा मालिनी को बोला: आऽऽह अब चुदवा लो जानू। वो उसकी चूचियाँ दबाके चूसता हुआ बोला। अब तक मालिनी भी गरम हो चुकी थी। वो बोली: आऽऽऽह यहाँ चोदोगे या बेडरूम में?
शिवा उसे आगे झुकाया और वो दीवाल के सहारे आगे को झुकी और शिवा पीछे आंके उसकी गाँड़ और बुर को सहलाया। उसने २ ऊँगली डालकर बुर को गीला किया और फिर अपना लंड उसकी बुर में डाला और उसे पीछे से चोदने लगा। वह उसकी चूचियाँ दबाकर उसकी बुर में ज़बरदस्त धक्के लगा रहा था। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ पीछे दबाकर अपनी बुर को उसके लण्ड पर दबाने लगी। अब चुदाई पूरे ज़ोरों पर थी और मालिनी की बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। शिवा उसकी चूचियों और निपल्ज़ को मसल कर उसे मस्त कर रहा था। वो अब चिल्लाकर चुदवा रही थी और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ मैं गयीइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।
शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽह कहकर झड़ने लगा और अपना रस उसकी बुर में डाल दिया। अब दोनों हाँफते हुए शॉवर के नीचे खड़े हुए। मालिनी ने साबुन से उसका लंड साफ़ किया और शिवा ने भी उसकी बुर जाँघ और गाँड़ में साबुन लगा कर सफ़ाई की। फिर एक दूसरे के होंठ चूसकर दोनों अलग हुए और तौलिए से अपना अपना बदन पोंछे। फिर मालिनी तय्यार होकर बाहर आइ और किचन में काम करने लगी। अब तक बाई भी आ गयी थी।
शिवा भी तय्यार होकर बाहर आया और नाश्ता किया और कनख़ियों से देखता रहा कि ससुर और बहु में क्या चल रहा है? राजीव बीच बीच में मालिनी को घूरता था और कुछ नहीं हुआ।
शिवा सोच रहा था कि मेरे जाने के बाद आज ये दोनों साथ ही नहाएँगे और चुदाई भी करेंगे। तभी मालिनी ने बाई को कहा: ज़रा बाज़ार से आलू और सब्ज़ियाँ ले आओ। ख़त्म हो गए हैं। वो चली गयी। शिवा सोचा कि ये अब अकेले होंगे थोड़ी देर के लिए तो क्या बातें करेंगे? वो एक प्लान बनाया। वो अपने कमरे का वो दरवाज़ा जो की बरामदे को ओर खुलता था उसे खोला।
फिर दुकान के लिए निकलने का नाटक किया। अब वह छत पर गया और वहाँ रखी एक सीढ़ी से चुपचाप नीचे वारंडे में आया और खुले दरवाज़े से धीरे से झाँका । उसका कमरा ख़ाली था। वो चुपचाप उसी खिड़क़ी से पर्दा हटाकर झाँका। अंदर का दृश्य बहुत ज़्यादा ही कामुक था।
राजीव सोफ़े पर बैठा था और मालिनी उसकी गोद में बैठ कर चुम्बन दे रही थी।
मालिनी: पापा कल रात से पीछे खुजा सी रही है।
राजीव: अच्छा दिखाओ कहीं कोई इन्फ़ेक्शन तो नहीं हो गया?
मालिनी उठी और बेशर्मी से साड़ी उठाकर अपनी गाँड़ उसको दिखाई और बोली: पापा देख लो। सच बहुत खुजा रही है।
राजीव ने उसके चूतरों को फैलाया और गाँड़ की अच्छे से जाँच की और बोला: बेटा यहाँ सब ठीक दिख रहा है।
मालिनी: पापा फिर भी खुजा रही है। आप थोड़ा सा खुजा दो ना।
राजीव मुस्कुराया और उसकी गाँड़ के छेद को खुजाया और फिर अपनी ऊँगली में थूक लगाकर उसकी गाँड़ में डाल दिया।
मालिनी: आऽऽऽऽह पापाआऽऽऽ अच्छा लगाआऽऽऽऽ।
राजीव : ओह अब समझा। बेटा तुमको गाँड़ में नक़ली लंड डलवाने की इच्छा हो रही है। एक काम करो वहाँ दीवान पर लेटो और मैं अभी लंड लाकर तुम्हारी गाँड़ में डालता हूँ। तुमको अच्छा लगेगा। वैसे बाई को वापस आने में १५ मिनट तो लगेंगे ना?
मालिनी: हाँ पापा इतना टाइम तो लगेगा ही। आप ले आओ।
राजीव अपने कमरे में गया और मालिनी दीवान पर पेट के बल लेटी और साड़ी और पेटिकोट कमर से ऊपर तक उठा लिया।
शिवा सोचने लगा कि ये लड़की तो रँडी को भी मात दे रही है। पर ये हो क्या रहा है? उसे समझ में नहीं आ रहा था।
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06-10-2017, 10:24 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
तभी राजीव एक बॉक्स लेकर आया और दीवान पर बैठा और उसके चूतरों को जी भर कर दबाया और चूमा।फिर वो उसके गाँड़ के भूरे छेद को सहलाया। फिर उसने एक पतला सा नक़ली लंड निकाला और उसमें जेल मला और फिर मालिनी की गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगा।
राजीव: बेटा अब तो ये नहीं दुखता ना?
मालिनी: आऽऽह नहीं पापा। अब ठीक लगता है। हाऽऽयययय।
राजीव ने अपनी लूँगी निकाली और मालिनी को बोला: बेटा मेरे लौड़ा सहला दे ना प्लीज़। बहुत गरम हो गया हूँ तेरी मस्तानी गाँड़ देखकर। वो उसके लौंडे को पकड़कर सहलाने लगी।
राजीव ने अब नम्बर २ का लण्ड डाला और उसे हिलाने लगा और पूछा: बेटा ये कैसा लग रहा है?
मालिनी: पापा आऽऽऽऽह ये थोड़ा सा दुखा था पर अब अच्छा लग रहा है। उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ।
क़रीब ५ मिनट के बाद अब राजीव नम्बर ३ वाला लम्बा और थोड़ा मोटा लंड डाला और मालिनी : आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽपा दर्द कर रहाआऽऽऽऽ है।
राजीव: बस बेटा थोड़ी देर बस, फिर मज़ा आएगा। वो हिलाते जा रहा था।
मालिनी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा अब अच्छा लगाआऽऽऽऽऽऽ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है । हाऽऽऽऽय्य उम्म्म्म्म्म्म कहकर वो अपनी गाँड़ उछालने लगी। अब वो बोली: पापा प्लीज़ बुर में ऊँगली डालो नाआऽऽऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽहहह बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है पाआऽऽऽऽऽपा।
शिवा आँखें फाड़े देख रहा था कि पापा उसकी गाँड़ में मोटा नक़ली लंड भी डालकर हिला रहे थे और एक हाथ उसकी बुर में भी घुसा कर उसकी बुर में उँगलियाँ कर रहे थे। मालिनी भी उनके लंड को दबाकर आऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽपा। उम्म्म्म्म्म मैं गयीइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।
शिवा भी अपना लंड दबाकर पागल हुए जा रहा था ।
अब राजीव बोला : बेटा मज़ा आया? मेरे ख़याल से तुम्हारी गाँड़ इसके लिए ही खुजा रही थी। फिर उसने नक़ली लंड निकाला और कहा: देखो क्या मस्त फैल गयी है तुम्हारी गाँड़? अब बस एक इससे मोटा वाला ले लोगी कल तो तय्यार हो जाओगी गाँड़ मरवाने के लिए।
इसके बाद जो मालिनी ने कहा उसको सुनकर शिवा अपने लंड का माल अपने रुमाल में गिरा बैठा। वो अपना हाथ अपनी गाँड़ में ले जाकर छेद में ऊँगली फेरकर बोली: हाँ पापा ये तो बहुत बड़ा हो गया। अब आप मेरी गाँड़ की सील तोड़ दो। बुर की सील शिवा ने तोड़ी और गाँड़ की आप तोड़ दो।
शिवा सोचा कि उफफफफ ये लड़की क्या से क्या बन गयी है। पापा ने तो इसको पक्की रँडी बना दिया है।
तभी घंटी बजी, राजीव: लगता है बाई आ गयी। मैं जाता हूँ। तुम दरवाज़ा खोल दो।
मालिनी ने अपनी साड़ी नीचे की और दरवाज़ा खोलने गयी। राजीव समान लेकर अपने कमरे में चला गया। शिवा भी बाहर आया और ऊपर चढ़ कर सीढ़ी को ऊपर खिंचा और चुपचाप बाहर चला गया। वो दुकान जाते समय मोबाइल से आयशा को फ़ोन किया और उसको सब आज की बातें बताया।
आयशा: हम्म मतलब ससुर और बहु पूरा मज़ा ले रहे है।
शिवा: उफफक मैं क्या बताऊँ? मेरे पास शब्द नहीं हैं ।
आयशा: आपको ग़ुस्सा आया। या उत्तेजना हुई?
शिवा: सच कहूँ तो मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मैंने मूठ्ठ भी मार ली ।
आयशा हँसकर बोली: आह और मेरा नुक़सान करा दिया ।
दोनों हँसने लगे।
आयशा: मैं आज उसको २ बजे फ़ोन करूँगी। अगर वो उत्तेजित होगी तो आज भी मिलने आएगी। उसे आगे की कहानी सुननी है।
शिवा: वो तो मुझे भी सुननी है।
आयशा: ठीक है आपको भी सुना दूँगी। अच्छा कुछ काम बना तो बताऊँगी। बाई ।
शिवा भी फ़ोन काटकर सोचते हुए दुकान पहुँचा। उसे पता था कि शायद आज पापा और मालिनी साथ ही नहाएँगे और चुदाई भी होगी। वो सोचा कि काश वो ये देख पाता ।
उधर आज भी राकेश १० बजे सबके जाने के बाद सरला के पास आके बैठा और उसकी जाँघ सहलाकर बोला: मम्मी आप बहुत थक जाती हो ना? मेरी नौकरी लगने दो आपको महारानी बना कर रखूँगा । नौकर ही घर का काम करेंगे ।
सरला: तू बहु ले आना, तो मुझे आराम मिल जाएगा।
राकेश: मम्मी फिर वही बात? मुझे शादी करनी ही नहीं। मेरी तो आप ही दुल्हन हो । वो उसकी गोद में लेट कर उसकी चूची साड़ी के पल्लू को गिराकर ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगा।
सरला उसके गाल चुमी और बोली: आह्ह्ह्ह्ह तेरी यही बातें तो मेरी सारी थकान उतार देतीं हैं बेटा। फिर दोनों एक मादक चुम्बन में लीन हो गए। सरला जानती थी कि वो अब उसे बिना चोदे छोड़ेगा नहीं। उसकी बुर भी पनियाने लगी और उसने पैंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और दबाकर मस्त होने लगी।
उधर श्याम को चैन नहीं था। वो बार बार ये सोचता कि सरला और राकेश ग़लत कर रहे है। आख़िर वो सोचा कि कम से कम राजीव को तो वो ये बता ही सकता है। वो राजीव को फ़ोन किया ।
राजीव: हेलो श्याम कैसे हो भाई बड़े दिन बाद फ़ोन किया ।
मालिनी इस समय बाई के साथ किचन में थी।
श्याम: भाई बात ही कुछ ऐसी है। आपसे सलाह करनी थी।
राजीव: हाँ हाँ बोलो।
श्याम: वो क्या है ना कि अब कैसे बोलूँ ? बड़ा अजीब लग रहा है।
राजीव: अरे बोलो यार । सरला के बारे में है क्या?
श्याम: हाँ मगर आपको कैसे पता?
राजीव: यार वो माल है ही ऐसी कि उसके पीछे कोई ना कोई पड़ा ही रहेगा। बोलो क्या हुआ?
श्याम: यार इस बार तो इसने हद कर दी। जानते हो आजकल अपने बेटे से चुदवा रही है। उसे और राकेश को मैंने चुदाई करते देखा है।
राजीव थोड़ा सा चौंका फिर बोला: ओह तो ये बात है। देखो भाई मैं इसे ग़लत नहीं मानता। वो एक मस्त सेक्सी औरत है जिसे भरपूर चुदाई चाहिए। वो उसे राकेश या शायद शिवा ही दे सकते हैं। अब तुम उसका उतना ख़याल तो रख नहीं पाते। इसलिए वो अगर राकेश से चुदवा रही है तो तुमको बुरा नहीं लगना चाहिए।
श्याम: ओह आप ऐसा सोचते हो? मतलब वो अगर शिवा से भी चुदवा ले तो आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?
राजीव मन में सोचा कि वो तो शिवा से चुदवा ही चुकी है। फिर बोला: नहीं मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। अच्छा ये बताओ कि उसने तुमसे चुदवाने से कभी मना किया क्या?
श्याम: नहीं कभी नहीं। वो तो बीचारी महवारी में भी गाँड़ मरवा लेती है । इस मामले में कभी कोई शिकायत का मौक़ा नहीं दी।
राजीव: फिर क्या समस्या है? तुम भी चोदो और राकेश को भी चोदने दो। दोनों मज़ा लो उससे । एक बात बोलूँ चुदाई में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं होती। चुदाई औरत और आदमी के बीच होती है बस ।
श्याम: इसका मतलब है कि आप भी अपनी बहु से ये सब कर सकते हो?
राजीव मन ही मन हँसा और बोला: हाँ अगर बहु को ऐतराज़ नहीं हो तो? वैसे मैं बेटी महक से भी कर सकता हूँ अगर उसे ऐतराज़ ना हो तो।
श्याम: ओह बड़ी विचित्र सोच है आपकी? अच्छा रखता हूँ।
श्याम सोचने लगा कि मेरी भी तो दो बेटियाँ हैं तो क्या मैं उनके साथ सम्बंध बना लूँ? ये तो बड़ी ही फ़ालतू सी बात लगती है।
उधर मालिनी बाई को घर भेजकर राजीव के कमरे में गयी । अभी दिन के १२:३० बजे थे। राजीव कुर्सी पर बैठ कर उसका ही इंतज़ार कर रहा था। वो अब तक नहाया नहीं था।
राजीव अपने कमरे ने बिना नहाए मालिनी के आने का इंतज़ार कर रहा था। मालिनी आयी और बोली: पापा आप अभी तक नहाए नहीं?
राजीव: बेटा आज तो तुम्हारे साथ ही नहाने का तय था ना।
मालिनी: पापा मैं तो एक बार शिवा के साथ नहा ली हूँ ना।
राजीव: मेरे साथ भी नहा लो। क्या फ़र्क़ पड़ता है।
मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप बोलो। वैसे हम कल भी साथ नहा सकते हैं।
राजीव: कोई बात नहीं बेटा कल ही साथ नहा लेंगे। तो फिर मैं नहा लेता हूँ।
मालिनी: ठीक है पापा आप नहाओ , मैं थोड़ी देर में आती हूँ।
राजीव नहाने चला गया और मालिनी किचन में काम निपटाने लगी।
राजीव नहा कर तय्यार होकर आया और मालिनी को बोला: बेटा मैं ज़रा बैंक का कुछ काम निपटा कर आता हूँ।
मालिनी : ठीक है पापा।
राजीव के जाने के बाद मालिनी घर के काम निपटा रही थी तभी आयशा का फ़ोन आया: हाय कैसी हो?
मालिनी: ठीक हूँ। आप कैसी हो? मैं आपको फ़ोन करने ही वाली थी।
आयशा: किस लिए।
मालिनी: बस ऐसे ही। वैसे भी कल बात आधी रह गयी थी ना।
आयशा शरारत से हँसी: कैसी बात?
मालिनी भी हँसी: अरे वही आपकी शादी की बात जो आप बता रही थीं ।
आयशा: ओह वो बात? तो उसके लिए तो तुम कल आने वाली थी ना।
मालिनी: अरे मैं आज भी फ़्री हूँ। आप बोलो तो चार बजे आ जाऊँ?
आयशा: तुम्हारा ससुर तुमको आने देगा?
मालिनी: वो क्यों रोकेंगे? उनका काम करके ही आऊँगी ना।
इस पर दोनों हँसने लगे। आयशा बोली कि वह उसका इंतज़ार करेगी। फिर आयशा ने शिवा को फ़ोन किया और बताया कि मालिनी आएगी । तो वो फिर से बात सुनने की विनती किया और आयशा ने मान लिया।
मालिनी आयशा से मिलने का सोचकर थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी। ख़ैर थोड़ी देर बाद राजीव वापस आया और अपने हाथ में एक मिठाई का डिब्बा लाया था। वो राजीव के पीछे पीछे उसके कमरे में गयी और पूछी: पापा क्या लाए हैं?
राजीव: तुम्हारे लिए मलाई रबड़ी लाया हूँ।
मालिनी ख़ुशी से बोली: पापा ये तो मेरी मनपसंद मिठाई है।
राजीव उसको अपनी बाँह में खींचकर बोला: बेटा तभी तो लाया हूँ अपनी मीठी गुड़िया के लिए। वैसे बाई गयी क्या? मालिनी ने हाँ में सिर हिलाया। अब वह मालिनी के होंठ चूमने लगा। मालिनी भी उससे चिपट गयी। राजीव के हाथ उसके पीठ को दबा रहे थे। वो ब्लाउस के नीचे से उसकी चिकनी कमर को सहला रहा था। अब वो उसके मोटे चूतरों को पकड़कर अपने से चिपका लिया और मालिनी अपने बुर का हिस्सा उसके पैंट के सामने भाग से चिपका कर मस्त होकर उसके होंठ चूसने लगी। अब वो मालिनी की साड़ी खोलकर उसका ब्लाउस भी निकाला और अब ब्रा में क़ैद मालिनी के चूचों को वो दबाने लगा। अब उसने ब्रा भी निकाली और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और उसको पूरी नंगी करके मज़े से उसने नंगे बदन पर हाथ फेरने लगा।
मालिनी बिस्तर पर लेटी और वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। अब वो उसके बग़ल में लेटकर उसकी चूचियाँ सहलाया और निपल को ऐंठ कर उसे मस्त कर दिया । फिर बहुत देर तक चूमा चाटी होती रही। वो: ६९ का मूड है?
मालिनी: ठीक है पापा। वो ये कहकर उसके ऊपर आने लगी।
राजीव: रुको एक मिनट। फिर वो मिठाई लाया और उसकी चूचियों में मलने लगा और फिर उसकी जाँघों ,पेट,चूतरों , गाँड़ और बुर के ऊपर भी मलाई को मला। फिर वो मालिनी से भी यही करने को कहा। मालिनी हँसी और मलाई को उसकी छाती उसकी जाँघों और चूतरों पर मलने के बाद वह उसके लौड़े और बॉल्ज़ पर भी मली । अब राजीव उसकी चूचियों के ऊपर से मलाई चाटने लगा। मालिनी सी सी कर उठी। अब वो उसके पेट और जाँघों से भी मलाई चाटा। इस तरह वो उसके चूतरों की भी मलाई चाटा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। वो गाँड़ और बुर को छोड़कर सब जगह की मलाई चाट चुका था।
अब वो मालिनी से बोला: बेटा अब तुम चाटो पर लौड़े के आसपास को छोड़ देना। अब वो। भी उसकी छाती पेट जाँघें चाटी और बोली: पापा मलाई बड़ी स्वाद है। इसको ऐसे भी खाते हैं मुझे तो पता ही नहीं था। अब सिर्फ़ लंड के ऊपर और बॉल्ज़ के आसपास की मलाई बची हुई थी। अब राजीव बोला: बेटा चलो ऊपर आ जाओ,६९ की पोजीसन में । वो उलटी होकर अपनी गाँड़ को उसके मुँह के ऊपर रखी और ख़ुद अपना मुँह उसके लंड पर रखी और उसके लंड पर लगी मलाई चाटने लगी। फिर वो उसके बॉल्ज़ और नीचे होकर उसकी बालों से भरी गाँड़ भी बड़े प्यार से चाटी। उधर राजीव भी अपना मुँह उसकी बुर में डालकर उसकी मलाई चाटा और फिर उसकी गाँड़ भी चाटा। अब वो दोनों पूरी तरह से ओरल सेक्स में लग गए। मालिनी की बुर में जिस तरह से जीभ डालकर वो उसे मस्त कर रहा था मालिनी को लगा वो झड़ जाएगी। वो उठकर बैठी और सीधी होकर उसके लंड को पकड़कर अपनी बुर ने घुसा ली और उसके ऊपर चिल्ला कर: उम्म्म्म्म आऽऽऽऽऽऽह हाऽऽऽय्य मरीइइइइइइ कहकर उसको चोदने लगी। अब राजीव भी उसकी चूचियाँ मसल कर नीचे से अपनी कमर उछालकर उसकी मस्ती को दुगुना करने लगा। अब मालिनी: आऽऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी। राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह कहकर झड़ने लगा। अब दोनों लस्त होकर पड़े हुए थे तो मालिनी बोली: पापा मलाई रबड़ी इतनी स्वाद कभी नहीं लगी जितनी आपके लंड के ऊपर से चाट कर लगी थी। राजीव हँसकर: हाँ मुझे भी तुम्हारी गाँड़ और बुर में इतना मीठा स्वाद कभी नहीं आया। अब वो दोनों हँसने लगे।
अब मालिनी ने उसको चूमते हुए कहा: पापा आज मैं फिर आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव : अरे क्यों अब क्या हो गया?
मालिनी ने सफ़ाई से झूठ बोला: पापा वो आज और अपने कुछ प्रॉडक्ट्स दिखाएगी। बस मैं चार बजे जाऊँगी और एक घंटे में ही आ जाऊँगी।
राजीव: ठीक है बेटा जाओ। वैसे इस आयशा के मम्मे काफ़ी बड़े हैं जैसे तुम्हारी माँ के हैं। एक बार चुदवा दो ना उसको?
मालिनी: पापा आप भी ना, बस अब फ़ालतू बातें मत करिए।
शाम को मालिनी आयशा के घर पहुँची। आज आयशा ने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था। मालिनी साड़ी ब्लाउस में थी। दोनों गले मिलीं। आयशा चाय बनाकर लायी और तबतक मालिनी आयशा के द्वारा दी हुई एक एल्बम की तस्वीरें देख रही थी। कोई उन तस्वीरों को देख कर सोच भी नहीं सकता था कि इतनी अजीब फ़ैमिली है। तस्वीरों में असलम और आयशा थे और उसके ससुर सास और देवर भी था। सब बड़े ख़ुश दिख रहे थे। कुछ तस्वीरें तो पहाड़ों की थीं जहाँ पूरा परिवार मस्ती से घूम रहा था। कौन कह सकता है कि ये परिवार रिश्तों में चुदाई में विश्वास करते हैं।
आयशा चाय लायी और दोनों चाय पीने लगे। आयशा ने पहले ही फ़ोन कनेक्ट कर दिया था शिवा के फ़ोन से । थोड़ी देर इधर उधर की बातें की और फिर आयशा बोली: अभी ससुर से चुदवा के आयी हो क्या?
मालिनी: हाँ और क्या? जवान बहु को छोड़ेंगे थोड़ी ना? आज तो उन्होंने स्पेशल चुदाई की। मलाई रबड़ी वाली चुदाई। फिर वो विस्तार से उसको आज की चुदाई का क़िस्सा सुनाई। आयशा मस्त होकर बोली: तेरे ससुर भी मेरे ससुर की तरह नयी नयी आसान और तरीक़े खोजते हैं।
( उधर शिवा उसके मुँह से ये सब सुन कर वो मस्ती से भर गया। उफफफ पापा भी क्या क्या आयडिया लगाते हैं।मलाई रबड़ी लगाकर ।उफफफफ )
मालिनी: अच्छा ये सब छोड़ो और उस दिन जब आपको आपकी अम्मी असलम के घर लेकर गयी तो क्या हुआ वहाँ विस्तार से बताओ।
आयशा हँसकर उसका हाथ पकड़ कर सहलाती हुई बोलने लगी: ठीक है सुनो-------////////----
अम्मी मुझे लेकर अपने चचेरे भाई के यहाँ पहुँची। वो असलम के अब्बा थे। दोनों भाई बहन गले मिले। मुझे लगा कि दोनों ज़रा ज़्यादा देर ही आपस में चिपके थे। फिर अलग हुए और उन्होंने मेरे सामने ही कहा: भाई जान ये मेरी बेटी आयशा है और में इसके लिए असलम का हाथ माँगने आयी हूँ।
असलम के अब्बा जिनका नाम वाहिद है मुझे घूरते हुए बोले: हाँ हाँ क्यों नहीं ? ये तो बहुत प्यारी बच्ची है । इसकी और असलम की जोड़ी ख़ूब सही रहेगी।
वो मेरी छातियों को घूरे जा रहे थे। फिर उन्होंने असलम को आवाज़ दी और मैंने उसे पहली बार देखा। वो बहुत सुन्दर थे और थोड़े दुबले पतले थे। असलम के अब्बा बोले: बेटा ये आयशा है। इनकी अम्माँ इसका रिश्ता तुम्हारे लिए लाई है। बोलो पसंद है? ये शर्मा कर बोले: जी अब्बा पसंद है। ये भी मेरे बदन और ख़ासकर चूचियाँ देख कर बोले थे।
असलम की अम्मी उसकी सौतेलि माँ थी। वो बोली: हाँ इनकी जोड़ी मस्त जमेगी। उनका नाम सलमा था। तभी एक लड़का समोसे लेकर आया । वो अजमल था। सलमा का बेटा और असलम का सौतेला भाई। वो मेरी उम्र का ही था।
अम्मी तो पूरी तैयारी से आयी थी। वो बोली: आज सगाई कर देते हैं। क्या कहते हो भाई जान?
वाहिद: हाँ हाँ क्यों नहीं? सलमा चलो सगाई की तैयारी करो । शाम को कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुला लो और फिर सगाई कर देते हैं । पर इसके अब्बा तो आ ही नहीं पाएँगे?
अम्मी: कोई बात नहीं है। उनको बहुत काम था। शादी का पूरा इंतज़ाम तो वही करेंगे। अब हम सब बैठकर समोसा खाते हुए बातें करने लगे। फिर दोपहर का खाना खाकर सलमा मुझे लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आइ और वहाँ असलम और अजमल आए। अब हम तीनों बातें करने लगे। अजमल तो मुझे भाभी भी बोलने लगा। असलम की आँखें बार बार मेरी बड़ी चूचियों पर चली जाती थीं । मेरी आँख भी असलम के पैंट के उभार को देखी क्योंकि वहाँ एक ज़बरदस्त उभार बन गया था। असलम और उसका भाई वहीं एक बिस्तर पर लेट गए और मैं कुर्सी पर बैठी थी।
तभी मुझे पिशाब लगी और मैं पूछी: बाथरूम कहाँ है? अजमल मुझे लेकर दो कमरे पार किया और एक कॉमन बाथरूम में ले गया। मैं उसे थैंक्स कहकर अंदर गयी।
जब मैं बाहर आयी तो देखी कि अजमल वहाँ नहीं था। मैं धीरे धीरे उस कमरे की ओर जाने लगी जहाँ से आयी थी। तभी एक कमरे के सामने मुझे कुछ सिसकियों की आवाज़ें आयीं। मैं रुकी और खिड़की के पास जाकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँकी तो मेरा सिर ही घूम गया। अंदर मेरी अम्मी और असलम के अब्बा बिस्तर पर चिपके हुए लेटे थे। अम्मी की ब्लाउस के हुक खुले हुए थे और मेरे होने वाले ससुर उसमें मुँह डालकर मेरी अम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे। उन्होंने चूचियाँ ब्रा से बाहर निकाल रखी थी।
अम्मी सीइइइइइइइ उइइइइइइ कहे जा रही थी। अब ससुर ने अपना पजामा निकाला और वो चड्डी नहीं पहने थे। उफफफ क्या काला सा बहुत मोटा लंड था। मेरे अब्बा से भी ज़्यादा ही मोटा और लम्बा था। अम्मी बड़े प्यार से उनका लंड पकड़ी और सहलाने लगी और बोली: उफफफ कितना मिस करती हूँ इसको। आऽऽऽहहह कितना गरम है । इसको अंदर डालिए भाई जान बहुत दिन हो गए इसको लिए हुए।
ससुर: सच में मैं भी तुम्हारी बुर को बहुत याद करता हूँ। वो अम्मी की साड़ी उठाकर उनकी जाँघें सहलाते हुए अम्मी की बुर सहलाने लगे। अम्मी पैंटी नहीं पहनती थीं। अब वो उठे और अम्मी को बोले: लौड़ा चूसोगी नहीं क्या?
अम्मी किसी भूक़े की तरह उनके लौड़े पर टूट पड़ी और उसे चूसने लगी। ससुर: आऽऽऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह को अपने लंड पर दबाने लगे। फिर वो बोले: चलो अब चोदता हूँ। अम्मी ने लौड़े से मुँह हटाया और सीधे लेट गयीं और अपने घुटने मोड़ कर अपनी जाँघें फैला दीं। ससुर उसमें अपना मुँह डाले और थोड़ी देर बुर चूसे और अम्मी की सिसकियाँ मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। अब वो अपना लंड अम्मी की बुर में डाले और उनको बेतहाशा चोदने लगे। अब अम्मी भी उइइइइइइ आऽऽऽहहह करने चुदवाने लगी। क़रीब आधे घंटे की रगड़ाई के बाद वो दोनों शांत हुए। मेरी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। अब अम्मी को चूमकर वो बोले: आह बहुत दिन बाद मिली तुम। पिछली बार हमारी चुदाई तुम्हारे घर में हुई थी एक साल हो गए उस बात को।
अम्मी: हाँ आपने मुझे और आयशा के अब्बा ने सलमा भाभी को चोदा था। ये तो अब भी सलमा को याद करते हैं।
मैं सन्न रह गयी कि मेरी सास भी मेरे अब्बा से चुदवा चुकी है।
ससुर: वैसे आयशा भी मस्त जवान हो गयी है। क्या छातियाँ है उसकी , बिलकुल तुम पर ही गयी हैं। वो अम्मी की छातियाँ दबाकर बोले।
अम्मी: इसलिए तो मैं उसकी शादी कर रही हूँ। कहीं बाहर वालों के चक्कर में ना पड़े और शादी के बाद उसका शौहर उसका ख़याल रखे।
ससुर आँख मारकर: हाँ हाँ क्यों नहीं असलम भी रखेगा और हम भी रखेंगे।
अम्मी: पहले असलम को अच्छे से सुहागरत और हनीमून मना लेने देना। फिर आप उसको जो करना है , बाद में ही करना। यह नहीं कि दोनों बेटा और बाप पहले दिन से ही उस पर टूट पड़ो।
ससुर अम्मी की जाँघ सहलाकर: अरे ऐसा ही होगा। पहले असलम से तो ठीक से काम बना ले वो। हम बाद में अपना काम बना लेंगे। अब बच्ची को कोई डराना थोड़े ही है।
मैं हैरानी से सुन रही थी किमेरा इस घर में क्या होने वाला है और वो भी अम्मी की मर्ज़ी से ।
तभी सलमा अंदर आयी और बोली: अगर आप लोगों का हो गया हो तो चलो शाम की सगाई की तय्यारियाँ कर लें?
वो दोनों हँसे और बाथरूम से फ़्रेश होकर सलमा के सामने ही कपड़े पहने और फिर बाहर निकल गए। मैं भी वापस असलम और अजमल के वापस आयी। वहाँ वो दोनों सो गए थे। खाना खाकर लेटे थे सो शायद नींद आ गयी। मैं बाहर आके बड़े हाल में गयी तो वहाँ ससुर और सास और अम्मी थे। वो सगाई की थाल सज़ा रहे थे। मुझे देखकर ससुर बोले: आओ बेटा मेरे पास आओ और यहाँ बैठो। मैं उनके पास बैठ गयी और वो मुझसे स्कूल की और मेरे शौक़ वगेरा की बातें करने लगे। मैंने देखा कि बात करते करते वो मेरी चूचियों को घूरने लगते और मेरी सलवार में से मेरी जाँघों की शायद गोलाइयों का अन्दाज़ लगा रहे थे। मेरी आँखें भी उनकी पजामा में से उनके उभार की ओर चली जाती थी।
शाम हुई और हमारी सगाई भी हो गयी। अब जब हम घर जाने के लिए निकले तो पूरा परिवार हम माँ बेटी तो छोड़ने बाहर तक आया। दरवाज़ा छोटा सा था। सबके साथ होने के कारण भीड़ सी हो गयी थी। तभी मैं जब बाहर निकल रही थी तो मैंने महसूस किया कि एक हथेली मेरे एक चूतर को दबोच कर दबा रही है। मैं उफफफ करके पीछे मुड़ी और मेरे ससुर की नज़र मुझसे मिली। वो मुस्कुरा रहे थे और चूतर दबाए जा रहे थे। मैं जल्दी से बाहर आयी और वो मेरी चूतर से हाथ हटा दिए ।
मैं ऑटो में बैठ कर सोची कि क्या ससुराल है जहाँ ससुर ज़्यादा बेताब है दूल्हे से ,दुल्हन की लेने के लिए।
शिवा अबतक बहुत उत्तेजित हो चुका था , फ़ोन पर ये सब सुनकर। उधर मालिनी का हाथ साड़ी के ऊपर से अपनी बुर पर जा चुका था।
आयशा ने मालिनी की हालत देखी और मुस्कुराकर उसकी बुर को दबाकर बोली: कुछ करूँ क्या इसको?
मालिनी: आह अभी नहीं अभी कहानी आगे बताओ।
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06-10-2017, 10:24 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
आयशा बोले जा रही थी------
हम घर पहुँचे तो अब्बा मेरी सगाई का सुनकर थोड़ा सा दुखी दिखे। उनका माल जो हाथ से निकला जा रहा था। वो अम्मी के सामने मेरे को प्यार से गले लगाकर बोले: बेटी बहुत बहुत बधाई। और अम्मी के जाते ही बोले: बेटा मेरा क्या होगा?
मैं: अब्बा मैं आती रहूँगी ना । वैसे भी असलम तो दुबला पतला है। पता नहीं उसमें आपकी वाली बात होगी भी नहीं?
अब्बा ख़ुश होकर: ये ठीक है बेटी, इस तरह से ठीक रहेगा। कौन सा दूर है तुम्हारी ससुराल। अच्छा आज रात जो आऊँगा मैं तुम्हारे पास ठीक है?
मैं शर्माकर: ठीक है अब्बा।
वैसे भी मैं ख़ुद बहुत गरम थी अम्मी और ससुर की चुदाई देख चुकी थी ।
रात को अब्बा आए तो मैं धुत्त सो रही थी। वो मेरे पास आकर लेट गए। मैंने ख़ुद ही सिर्फ़ एक नायटी पहनी थी। ब्रा पैंटी उतारकर सोयी थी ताकि मेरे अब्बा को सब काम का सामान आराम से हासिल हो जाए। अब्बा भी मज़े से मेरी चूचियों को दबाए और मेरे होंठ चूमने लगे। मैं हड़बड़ाकर उठी: ओह अब्बा आप? मैं तो डर गयी थी।
अब्बा: हम्म वाऽऽऽऽह ब्रा निकाल के सोई हो। मस्त लगते हैं बेटी तेरी चूचियाँ । उफफफफ कितने सख़्त और मासूम सी हैं । फिर मेरी नायटी ऊपर करके वो मेरे चूतर सहलाते हुए बोले: आऽऽऽऽह पैंटी भी निकाल रखी है। लगता है अब्बा के लंड के लिए तय्यार बैठी हो।
मैं: आप तो बोले थे ना कि रात को आओगे। इसीलिए सब निकाल कर इंतज़ार करी और नींद आ गयी।
अब्बा: आह बेटा मस्त जवानी है तेरी, चल अब नायटी भी निकाल और मुझे अपनी जवानी दिखा। मैं हँसकर अपनी नायटी उतारी और अब्बा की आँखें चमक उठीं। वो मुझे लिटाकर मेरे दूध चूसने लगे और मेरे निपल्ज़ को जीभ से मस्त करने लगे। मेरी सिसकियाँ निकलने लगीं। बाद में मुझे चोदते हुए वो बड़बड़ा रहे थे : आऽऽह क्या टाइट बुर है बेटी। हाऽऽऽय तू अपनी बुर अब अपने शौहर को देगी। आऽऽऽऽह । मेरा क्या होगा? ह्म्म्म्म्म । वो तेरा ससुर भी बड़ा चोदू है। वो तुझे बहुत मज़ा देगा । ह्म्म्म्म्म ।
मैं: आऽऽह अब्बाआऽऽऽऽ और ज़ोर से चोओओओओओओओओदो । आऽऽह क्या ससुर से भी चुदवाना होगा? उइइइइइइइ ।
अब्बा: हाँ बेटी वोहि तो असली मज़ा देगा। वो लड़का तो अभी नादान ही होगा। पर उसका बाप महा चुदक्कड है।
मैंने तो उनको अम्मी को चोदते देखा ही था, पर अनजान बन के बोली: अब्बा आपको कैसे पता?
अब्बा थोड़े से हड़बड़ाए और फिर बोले: बेटा वो पता चल जाता है । ऐसी बातें छुपती नहीं।
मैं समझ गयी की वो बात को घुमा गए हैं। वो अम्मी और मेरे ससुर की चुदाई की बात मुझसे छिपाना चाहते हैं पर मुझे तो सब पता ही था।
अब वो बोले: अब बातें बंद करो और चुदाई का मज़ा लो।
अब वो धक्के मार मार कर मुझे लस्त कर दिए और मैं पूरी तरह से शांत होकर पड़ी रही। अब्बा मेरी बुर की सफ़ाई किए और मुझे प्यार करके सोने अम्मी के कमरे में चले गए।
कुछ दिनों में मेरी शादी हो गयी। और मैं असलम की दुल्हन बन गयी। सुहाग रात को असलम ने मुझे तीन बार चोदा और मैं एक बार झड़ी। अभी वो सच में नादान था। पर मैं भी नादान होने का नाटक कर रही थी। अब समय ठीक ही चलने लगा। धीरे धीरे वो सीखने लगे और अब सच में मुझे मज़ा आने लगा था उनके साथ। ससुर जिनको अब मैं पापा कहूँगी वो भी मुझे घूरते रहते थे और मौक़ा मिलता तो मेरी बाँह सहला देते और कभी पीछे हाथ फेर देते और ऐसा जताते जैसे कुछ हुआ ही नहीं। अम्मी भी मेरा पूरा ध्यान रखती थी। शादी को अभी दो महीने ही हुए थे कि असलम को दुबई में एक जॉब मिल गया। वो बहुत ख़ुश था और मैं परेशान। मैं बोली कि मैं आपके बिना कैसे रहूँगी? तो वो बोले कि मैं हर दो महीने में आता रहूँगा । अच्छा काम है और पैसे भी ज़्यादा हैं। मैं मन मसोस कर रह गयी और वो दुबई चला गया। अब पापा की आँखों में वासना साफ़ दिखाई देती थी। तीन चार दिन बाद ही मैं चुदासि हो गयी तो मुझे अब्बा की याद आयी। मैं मायके जाने का कह कर अपने घर गयी। मेरा मक़सद तो अब्बा से चुदवाना ही था। और अब्बा भी मुझे देखकर बहुत ख़ुश हुए और अम्मी के सामने ही लिपटा कर बोले: तो हमारी बेटी उदास है, दामाद दुबई चला गया है इसलिए ना?
अम्मी: और क्या कोई ऐसे बीवी को २ महीने छोड़ कर भला जाता है। आप तो मुझे दो दिन के लिए भी मायके नहीं जाने देते थे।
अब्बा मुझे अब भी लिपटा हुए थे और मेरे गालों को चूमकर बोले: बेटी मैं हूँ ना कोई समस्या नहीं होगी।
तब अम्मी जो बोलीं वो मुझे हैरत में भर गया। वो बोलीं: हाँ बेटा अभी जितने दिन यहाँ है तेरे अब्बा तेरे साथ सो जाएँगे। ठीक है ना?
मैं शर्म से लाल होकर बोली: अम्मी क्या बोल रही हो?
वो हँसकर बोलीं: हा हा मुझे सब पता है । हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते। और हाँ तुम जब ससुराल वापस जाओगी ना तो मैं असलम के अब्बा से कह दूँगी कि वो भी तुम्हारा ख़याल रखेंगे।
अब्बा: हा हा उसका कल फ़ोन आया था , वो बोला कि बहु बहुत परेशान है असलम के जाने के बाद । वो कल रात तुम्हारे कमरे में झाँका था जब तुम अपनी बुर में ऊँगली कर रही थी।
मैं शर्मा कर बोली: छी बहुत गंदे आदमी है । कोई बहु के कमरे भी झाँकता है क्या?
अब्बा: बेटा असलम के बिना तू बहुत प्यासी हो जाएगी। तेरा ससुर तुझे बहुत मज़ा देगा। उससे चुदवाने में कोई हर्ज नहीं है। तेरी अम्मी उसकी चचेरी बहन है , वो भी उससे चुदवा लेती है। अब तुमसे क्या छिपाना मैंने भी तेरी सास को चोदा हुआ है। इस हमाम में हम सब नंगे हैं बेटी।
अब सब हँसने लगे। अब अब्बा मेरी चूचि दबाकर अम्मी से बोले: देखो असलम ने इसकी चूचियों को काफ़ी बड़ा कर दिया है।
अम्मी: आपने भी तो मेरे संतरों को आम बना दिया था एक साल में ही चूस चूस कर। वो भी चूसता होगा हैं ना बेटी?
मैं: उगफफ अम्मी उनका ध्यान तो पूरे टाइम मेरी चूचियों पर ही रहता है। या तो चूसेंगे या दबाएँगे। बहुत प्यार करते हैं मुझे।
अब्बा भी मेरी चूचि दबाकर बोले: मैं भी तो तुमको बहुत प्यार करता हूँ।
मैं तीन दिन मायके में रही और रोज़ रात को अब्बा मेरी दो बार लेते थे । फिर अम्मी ने बताया कि मायके से बुलावा आया है। मैं वापस जाने लगी तो अम्मी और अब्बा दोनों ने बहुत प्यार किया और अम्मी बोली: बेटी तेरे ससुर आज रात को तेरे साथ सोएँगे। उनका ख़याल रखना। अब जब तक असलम वापस नहीं आता वो तेरा पूरा ख़याल रखेंगे। हमारी बात हो गयी है। और हाँ तेरी सास और देवर शादी में जाएँगे तो ससुर का अच्छी तरह से ख़याल रखना।
मैं शर्मा कर और मन ही मन ख़ुश होकर हाँ बोलकर ससुराल चली गयी। वहाँ सिर्फ़ पापा ही घर पर थे। वो मुझे देखकर बहुत ख़ुश हुए और बोले: बहु अच्छा किया वापस आ गयी वरना मुझे खाना भी ख़ुद ही बनाना पड़ता।
शाम हो गयी थी सो मैंने खाना बनाया और मीठा भी बनाया। पता नहीं मुझे क्यों लग रहा था कि आज मेरी दूसरी सुहागरात है। मेरी बुर में खुजली मची हुई थी और मेरे निपल उत्तेजना से तने हुए थे।
मैं पसीना पोंछते हुए किचन से बाहर आयी और बोली: पापा खाना लगा दूँ क्या?
पापा मुझे बड़े प्यार से देख कर बोले: बेटा इतनी जल्दी क्या है? थोड़ा दो गिलास पानी और बर्फ़ लाओ।
मैं समझ गयी की आज शायद पीने का प्रोग्राम बना रहे हैं। पर दो गिलास क्यों?
मैं सब ले आइ और वो एक बोतल खोले जो कि मुझे बाद में पता चला की व्हिस्की थी। फिर उन्होंने दो पेग बनाए और मुझे अपने पास बैठने का इशारा किया। सोफ़े में हम अग़ल बग़ल बैठ गए। वो मुझे एक पेग दिए। मैंने मना किया: पापा मैं ये कभी नहीं ली हूँ।
पापा: अरे आज तुम कई चीज़ पहली बार लोगी। चलो ये ले लो। बहुत मज़ा आएगा।
मेरे मना करने पर वो नहीं माने और मुझे एक घूँट लेना ही पड़ा। मैं: उफफफ पापा ये तो बहुत कड़वा है।
पापा: बेटा एक दो घूँट के बाद स्वाद लगने लगेगी। पियो और पियो।
मैं मना करते करते पूरा पेग पी गयी और अब मुझे नशा आने लगा। मैं: पापा अब बड़ा अच्छा लग रहा है।
पापा: मैंने कहा था ना ? अब मज़ा लो और वो एक पेग और बना दिए। अब वो बोले: बेटा असलम की याद तो आती होगी ना?
मैं: जी पापा आती है।
पापा: तभी उस दिन रात को नीचे ऊँगली कर रही थी?
मैं: छी पापा क्या आप मेरे कमरे ने झाँकते रहते हो?
पापा: वो क्या था बेटा उस रात मैं बाथरूम जा रहा था तो तुम्हारे कमरे से आऽऽह की आवाज़ आयी तो मैं सोचा कि तुम किसी तकलीफ़ में तो नहीं हो। बस यही देखने खिड़की से झाँका और तुमको अपनी बुर में ऊँगली करते देखकर बहुत दुख हुआ। बेटा आख़िर हम मर गए हैं क्या? एक बार बोलती तो असलम से ज़्यादा प्यार कर देते।
मैं भी नशे में बेशर्म हो गयी थी: पापा आपको ख़ुद सोचना चाहिए था अब कोई बहु अपने मुँह से ख़ुद थोड़ी ना बोलेगी।
वो ख़ुश होकर: आह बेटी दिल ख़ुश कर दिया। आओ मेरी गोद में बैठो और देखो आज पापा कैसे तुम्हें प्यार करता है। मैं उनके गोद में बैठी। मैंने सलवार कुर्ता पहना था और वो बनियान और लूँगी में थे। जैसे ही उनकी गोद में बैठी उनका खूँटा मेरी गाँड़ में चुभा और मैं उइइइइ कर उठी।
आयशा बोले जा रही थी और मालिनी सुनते हुए बीच बीच में अपनी बुर खुजा लेती थी। आयशा हँसकर: क्या हुआ मालिनी बुर खुजा रही है? चूस दूँ क्या उस दिन जैसे?
( शिवा का भी लंड तना हुआ था और वो अपने कैबिन में मूठ्ठ मार रहा था फ़ोन पर सब सुनकर)
मालिनी: अभी नहीं , जब तुम्हारी कहानी ख़त्म होगी उसके बाद हम ६९ करेंगे। जैसे तुम अपने सास के साथ करती थीं।
आयशा हँसी और उसकी चूचि मसल कर बोली: ठीक है आगे का सुनो-----
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