06-24-2023, 05:34 PM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 35
गलतफहमी का स्पष्टीकरण
देवरानी को राजपाल के साथ जाते देख बलदेव से रहा नहीं जाता है और वह गुस्से में आकर अपने कक्ष में आ कर शराब पीने लगता है।
कक्ष की साफ सफाई के लिए जब कमला आती है, तो बलदेव को ऐसे हाल में देख उसे बहुत दुख होता है। "आज बताती हूँ इस महारानी की बच्ची को मेरे बच्चे का ऐसा हाल कर दिया।"
आज दो दिन से लगतार मदिरा पीने से बलदेव बहुत कमज़ोर दिख रहा था उसकी आँखों के नीचे निशान आ गये थे जो साफ़ बता रहे थे कि ये नींद पूरी नहीं होने और नशे का असर है, पर बलदेव को कोई पूछता तो वह कहता है कि उसके दिन रात सीमा को सुरक्षा देने की उसकी जिम्मेदारी से उसकी हालत ऐसी हुई है।
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देवरानी शाम को पूजा करती है माथे पर सिंदूर लगती हैऔर भगवान से प्रार्थना करती है। "भगवान मेरे ही जीवन में क्यों इतनी उथल पुथल मची हुई है। क्या मुझे खुश रहने का हक नहीं, हर कोई मुझे धोखा देता है। पहले पिता जी ने कहा" बेटी तुम्हें इस से सुंदर वर और ससुराल नहीं मिलेगा राज करोगी तुम घाटराष्ट्र मैं" और आज बेटा भी मुझ से झूठ बोल रहा है और मेरे साथ षड्यंत्र रच रहा है।
वो अपनी माँ को भोगने की बात और प्रेम की बात वह किसी और से कैसे कर सकता हैं। उसे मेरी प्रतिष्ठा का जरा भी ख्याल नहीं आया या वह शेर सिंह बन कर मुझे पाने के फिराक में था।
उधर कमला भी ताक में बैठी थी की महल में कब शांति हो और सही समय मिलते ही वह देवरानी से बात करे!
देवरानी के मुख से भजन सुन कर वह उसके कक्ष में जाती है और उसकी पूजा खत्म होने का इंतजार करती है। थोडे देर में पूजा खत्म कर के देवरानी मुड़ती है। तो वह अपने सामने कमला को पाती है।
देवरानी: अब तुम क्यों आयी हो यहाँ?
कमला: आप से कुछ बात करनी है।
देवरानी: मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी है ।
कमला: पर मुझे करनी है।
देवरानी: चिल्लाते हुए " तुम्हें तो जो करना था वह तो तुमने कर लिया है ।
कमला: चिल्लाओ मत! लोग सुनेंगे तो तुम्हारी ही बदनामी होगी।
देवरानी: अब क्या बाकी रह गया है। बदनाम तो कर ही दिया तुम ने और बलदेव ने।
कमला: कैसे हुई हो बदनाम? भला हमने कौन-सा इस बात का ढिंढोरा पीट दिया है तुम्हारे बारे में, घटकराष्ट्र में, की बलदेव तुमको प्यार करता है।
देवरानी: चुप कर कामिनी! तेरे मुख से ये बात शोभा नहीं देती ।
कमला: बताओ कैसे हमने तुम्हें धोखा दिया और किस बात का तुम्हें दुख है?
देवरानी: बलदेव ने मेरे साथ छलावा किया और उसने तो हद कर दी अपने माँ को पाने के लिए । मुझे पाने के लिए भेस बदला और अपनी माँ की दासी को भी सब बता दिया।
कमला ये बात सुन कर रो देती है।
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कमला: बना दिया न एक पल में बेंगाना । मेरी 18 सालो का सेवा और ईमानदारी को तुमने एक पल में बेंगाना बना दिया। मेरी गलती थी जो में तुम्हें अपनी छोटी बहन समझती थी।
सुनो देवरानी ये बात सच है की हमने झूट कहा, बलदेव ने अपना भेस भी बदला । जो उसे नहीं करना चाहिए था पर ये सोचो हमने ऐसा किस लिए किया । हमने ये सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए किया ।
और तुम्हें ये बात काटे खाए जा रही है ना की ये बात बलदेव ने मुझे कैसे बता दी! तो सुनो उस बेचारे ने तो मुझे कुछ नहीं बताया । मैंने ही उसके दिल को भाप कर जबरदस्ती उसके मुह से बात निकलवाई थी, की वह तुमको चाहता है। वह बेचारा तो तुम्हारी इज्जत के डर से बोल ही नहीं रहा था।
और मुझे पता भी चल गया तो क्या हुआ जिसका तुम्हें इतना दुख है। क्या में तुम्हारी बड़ी बहन जैसी नहीं हूँ और सिर्फ एक दासी हूँ जो तुम्हारे लिए सिर्फ बुरा सोचती है ।
देवरानी ये सुन कर स्थिर हो जाती है।
"कमला मैंने ऐसा तो नहीं कहा! "
कमला: चुप हो कर सुनो तुम! वह तो बलदेव पागल है जो तुम्हारे चक्कर में पड़ गया, वह तो ऐसा बांका जवान है कि अब तक ना जाने कितनी स्त्रियों या कन्याओं या राजकुमारियों या रानियो को भोग चूका होता । पर वह किसी और की तरफ देखता तक नहीं है
देवरानी ये मत कहना के इसके लिए सिर्फ बलदेव ही जिमेदार है। भले ही शुरूवात उसकी तरफ से थी पर तुम्हारा दिल भी उस पर डोल गया था ।मैं भी तुम दोनों का चिपकना और छेडखानी देख रही थी।
देवरानी इस बात को सुन सर नीचे कर लेती है।
कमला: रोते हुए महारानी झूठ मत कहना। डरो मत! मुझ से मत डरो । जब तक आप बलदेव के साथ हो इस समाज से आपका कोई कुछ नहीं बिगा सकता । सच बताओ देवरानी "क्या तुमने कभी एक स्त्री की तरह बलदेव को चाहा नहीं है?"
देवरानी चुप रहती है। उसके पास इन प्रश्नो का कोई उत्तर नहीं था।
कमला: तुम्हारी खामोशी इस बात का सबूत है। की तुम भी पसंद करती हो। उसे चाहती हो ।
कमला अचानक से देवरानी के पैरो को पकड़ बैठ जाति है।
"महारानी! बलदेव पर दया करो वह दो दिन से ना तो कुछ खा रहा है और बस मदीरा पी कर अपनी जान गवाने पर तुला हुआ है।" ये सुन देवरानी का आखो में आंसू आ जाते है। "उठो कमला मेरी बहन!"
अब कमला देवरानी को पूरी कहानी बताती है। कैसे उसने और बलदेव ने सिर्फ देवरानी के खुशी के लिए ऐसा किया । और साथ ही ये भी बताया की और तो और महारानी, बलदेव ने ये भी शपथ ले ली थी के अगर तुम्हे शेर सिंह ही चाहिए तो वह किसी और से आपका विवाह करवा देगा । "
ये बात सुन देवरानी अचंभित थी। हाँ महारानी उस दिन अगर आप घोड़े पर बैठ जाती तो वह आपको एक राजा के पास छोड़ देता जो आपकी मर्जी से आपसे विवाह करता। "
अब बलदेव आपके बिना नहीं जी सकता। वह कहता है कि वह अपनी जान दे देगा अगर तुम उसे ना मिली तो अगर तुम उस दिन चली जाती तो पक्का वह या तो घाटराष्ट्र छोड़ चला जाता है या मर जाता ।
"कल रात भी वह कह रहा था कि वह मर जाएगा अगर तुम नहीं मिली तो।"
देवरानी: पर में कैसे क्या करूं, ये समाज और धर्म हमें जीने नहीं देंगे।
कमला: देवरानी अपनी खुशी मार के ऐसे भी कौन-सा तुम जिंदा हो। तुम तो मरी हुई ही हो, इस से अच्छा तुम खुशी प्राप्त करने के बाद अपने प्राण छोड़ो ।
देवरानी: वह कहा है अभी ।
कमला: वह सुरक्षा के लिए अधिकतर समय राष्ट्र के सीमा पर ही होता है।
देवरानी को समझा कर कमला विदा लेती है, पर देवरानी के दिमाग पर विचारो का पहाड़ छोड़ देती है।
देवरानी: ये लड़का भी ना दीवाना है। मेरा किसी और के साथ विवाह करवा देता और अपनी जान भी दे देता, अपने प्रेम की बली देने वाला था बलदेव और मैं उसे गलत समझी थी ।
जो व्यक्ति अपने प्रेम की बली दे सकता है। मेरे लिए जान दे सकता है। वह मेरी इज्ज़त कभी नहीं खत्म होने देगा और न ही वह कभी मेरा साथ छोड़ेगा।
वो अपने दिल की बात मुझे कहता भी तो कैसे कहता?
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ये सोचते हुए देवरानी के लबो से निकलता है।
"पागल प्रेमी" और उसके मुख पर हल्की मुस्कान आ जाती है और शरमा जाती है।
रात देर तक देवरानी बलदेव का इंतजार करती है। आधी रात मदिरा के नशे में डूबा बलदेव आता है और उसको देख देवरानी "बलदेव" पुकारती है और बलदेव उसे अनसुना कर के चला जाता है।
अगले दिन भी देवरानी कोशिश करती है। पर वह अपने होश खो बैठे बलदेव से बात नहीं कर पाती और घर में राजपाल के रहते हुए वह खुल्लमखुल्ला इस मुद्दे पर बात भी नहीं कर सकती । क्योंकि, पता नहीं नशे में बलदेव क्या कह दे सबके सामने।
कहानी जारी रहेगी
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06-24-2023, 05:38 PM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 36
देवरानी द्वारा बलदेव को लुभा का मनाना
युवराज बलदेव से बात करने के लिए पिछले दो दिन के लगातर प्रयास करने के बाद भी असफल रहने के बाद रानी देवरानी अब समझ गई थी कि बलदेव से बात करने के लिए उसे कुछ और रास्ता निकलना पड़ेगा।
आज पूरे 4 दिन हो गए माँ बेटा बलदेव और देवरानी के बीच दूरिया आए हुए और चार दिनों में वह दोनों ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे सालों से बिछड़े हुए हो।
देवरानी की आँखे सुबह सवेरा बिल्कुल खुलती है।
देवरानी: (मन मैं) आज तो इस लड़के से बात कर के रहूंगी, मेरी ही गलती थी । मैं ही उसे गलत समझ बैठी थी मैं एक सच्चे आशिक को हवास का पुजारी समझ बैठी थी पर उसने तो मेरे लिए खुद को बलिदान करने का निर्णय कर लिया था।
बलदेव के बारे में सोचते हुए वह स्नान घर में जा कर अच्छे से अपने को रगड़ कर साफ करती है। फिर एक गहरे गले का छोटी-सी चोली पहनती है। जिसमें देवरानी के वक्ष बड़ी मुश्किल से समा गए थे, माथे पर बिंदी और सिन्दूर लगा लेती है और बालो में चमेली के फूलो का गजरा लगा खूब सजती सवरती है और तैयार होती है।
आयने के सामने खड़े हो कर अपना रूप सवारती है और सोचती हैं। "बेटा आज तो तेरे पर ऐसे बिजली गिराउंगी के....।" और अपने गदराये बदन को देख के मुस्कुराती है।
अपनी कक्षसे बाहर निकाल कर जैसे वह रसोई की ओर घूमती है। उसे सामने से आता हुआ बलदेव देख लेता है और देवरानी एक मतवाली चाल चलती हुई रसोई में घुसती है।
देवरानी के भारी कुल्हे उसके हल्का झटका देने से एक लय से थिरक रहे थे और उसके बड़े दूध तो ऐसा लग रहा था मानो अभी उसकी चोली फाड़ कर बाहर आ जाएंगे इतने हिल रहे थे।
बलदेव ये दृश्य देख सब नशा और गम भूल जाता है और अपनी माँ की ऐसी चाल देख उसका लंड खड़ा हो जाता है।
तभी सब एक-एक करके खाना खाने आ जाते हैं। राजपाल बहुत दिनो बाद घाटराष्ट्र लौटा था और अधिकतर सब के साथ में ही भोजन करता था।
हमारी महारानी देवरानी रसोई में भोजन की तैयारी करने में लगी थी और राधा तथा कमला भोजन त्यार करने में उनका साथ दे रही थी।
राजपाल और बलदेव साथ बैठे थे और सामने बैठी थी महारानी सृष्टि ।
अब कमला खाना ले कर आती है और खाना परोसने लगती है।
देवरानी: अरी कमला आज खाना मैं परोसती हूँ।
सब अपने आसन पर नीचे बैठे हुए थे और देवरानी सबको भोजन परोसने लगी । सबको परोसने के बाद बलदेव की बारी थी।
kill me smileys
देवरानी हल्का-सा अपना पल्लू खींचती है और बलदेव की तरफ घूम के झुक जाती है और उसको खाना परोसती है। बलदेव अपना सर झुकाए रहता है। अब देवरानी सब्जी का बर्तन उठा के...
देवरानी: ये लोगे?
बलदेव चुप रहता है।
देवरानी: बोलो ये लोगे क्या?
बलदेव मजबूरन अपना सारा ऊपर उठाता है और देखता है।
देवरानी झुकी हुई थी और अपने दूध की गहरी घाटी बलदेव के तरफ कर देती है।
देवरानी: तुम लोगे ये?
बलदेव की आखे उसके बड़े मम्मो पर बस थम जाती हैं।
बलदेव: क्या?
देवरानी: अब भी नहीं दिख रहा क्या? लोगे या नहीं?
बलदेव: हाँ...वो नहीं...!
बलदेव उसके भारी मम्मे और उसके ऊपर इतने बड़े निपल जो उबर कर दिख रहे थे, देख उसका लंड उठने लगता है।
देवरानी: हाँ या नहीं?
तुम्हें तो पसंद है ना ये?
बलदेव: क्या?
देवरानी: अपने दूध में हल्का-सा ढील देती है और "ये गोभी और उसके साथ मटर।"
बलदेव: पर अब मेरा दिल नहीं है इस गोभी और इस मटर के दाने में। " बलदेव उसके दूध और उसके दूध के दाने को देख बोलता है।
देवरानी: महाराज इस लड़के का रोज़-रोज़ दिल बदलता है। कुछ समझाइये इसे!
राजपाल: बेटा माँ दे रही है। गोभी खाने को तो खाओ ना, खाने में मत शर्माओ।
ये सुन कर के उसका बाप उसने उसकी माँ की गोभी जो के देवरानी अपने वक्ष को निशाना बना कर बता रही थी, खाने को कह रहा है, चकित था।
बलदेव: ठीक है दे दो!
देवरानी एक कातिल मुस्कान से उसे गोभी परोस देती है।
फिर वह दरवाजे परखड़ी हो कर उसे खाते हुए देखने लगती है। और सोचती है।
"बलदेव अब तुमही मेरे सब कुछ हो। अब मेरे अंदर की औरत जाग गई है। जिसे सिर्फ अपनी खुशी की परवाह है और साथ में तुम्हारे प्यार और खुशी की परवाह है। कोई नियम किसी समाज की कोई परवाह नहीं है, अब जिंदगी के जो भी दिन बचे दिन है वोमेन। तुम्हारे साथ ही मस्ती में बिताउंगी और इसके लिए मैं समाज से क्या, भगवान से भी लड़ लुंगी।"
इतने में बलदेव अपना सर खाने से हटा कर अपनी माँ को देखता है जो मुस्कुरा रही थी।
देवरानी: ये गोभी और दू। फिकर मत करो ये मेरी पसंद की, बड़ी-बड़ी घोभी मैंने चुन चुन" के बनायी हैं।
बलदेव इस बात का मतलब समझ जाता है और खाना सटक जाता है और वह एक हिचकी लेता है।
देवरानी: आराम से धीरे से खाओ ये गोभी कहीं भागी नहीं जा रही है बेटा।
और उसकी आखो में देख ।
"तुम्हारा ही है, जिसने जितना खाना था वह उसने खा लिया अब बस तुम्हारा हिस्सा है और अब तुम्हे वह खाना है।"
ये बात सुन कर बलदेव का गुस्सा छू जैसे गायब हो जाता है कि देवरानी बलदेव को खुला निमंत्रण दे रही थी और वह हल्का-सा मुस्कुरा देता है।
पास में खड़ी कमला ये सब बात सुन रही थी और शर्म के मारे नीचे देख रही थी"Mये देवरानी ने तो आज मुझे भी पीछे छोड़ दीया । अब तो पति के सामने बेटे को रिझाने के लिए खुल के रंडीपना कर रही है।"
देवरानी काम बनते देख अपने कक्ष की और चलने लगती है और अपने चूतड़ों को खूब झटके देती हुई चल रही थी।
बलदेव उसके बड़े-बड़े नितम्बो और बड़ी-बड़ी गांड के थिरकन को महसूस और गांड के दोनों पटो की रगड़न देख रहा था, तभी देवरानी पीछे मुड़ती है।
देवरानी: बलदेव कैसे लगे खरबूजे?
बलदेव सकपका जाता है। उसकी माँ अपनी गांड के बारे में मैं पूछ रही थी।
बलदेव: वह मैंने अभी तक चखा नहीं। अभी मैं आम खा रहा हूँ।
देवरानी: खरबूजे भी है। उसपे भी ध्यान दो।
अब देवरानी की बात सुन बलदेव भी शर्मा जाता है और सर नीचे कर लेता है।
कमला: महरानी आप भी खा लो ना।
देवरानी बलदेव की तरफ देख कर "वैसे भी मुझे ये सब पसंद नहीं, तुम केला ले आओ मेरे कमरे में खा लुंगी।" और बलदेव को एक आख मारती है।
कमला: ठीक है। मैं ले आउंगी महारानी।
बलदेव खाना खाता है और अपने पिता जी से बात करते हुए राज दरबार आता है। जहाँ उसे सेनापति के साथ घटराष्ट्र की सीमा पर जाना था।
देवरानी अपनी कक्षा में जाती है और एक कलम उठा कर एक कोरे कागज़ पर कुछ लिखने लगती है।
देवरानी: कमला इधर आना।
कमला: जी महारानी।
देवरानी उसे पत्र देती है।
कमला: ये क्या है।
देवरानी: (शर्मा कर) प्रेम पत्र।
कमला: ऐ हाय ! देखो कितना शर्मा रही है। अभी थोड़ी देर पहले तो बलदेव की हालत खराब कर दी थी आपने। अब तड़प रहा होगा उसका बदन प्यार के लिए!
ये बात सुन कर देवरानी और शर्मा जाती है।
देवरानी: अब क्या बतायू मैं तुम्हें कमला मेरे पासऔर कोई चारा नहीं था।
कमला: सही जा रही हो, महारानी! जी लो अपनी जिंदगी।
और मैं ये पत्र तुम्हारे प्रेमी तक पहुँचा दूंगी।
ये सुन कर देवरानी दौड कर अपने पलंग पर उल्टी हो कर लेट जाती है। ताकि को अपने मुहं को तकिये में दबा शरमा सके और फिर कुछ सोच कर मुस्कुरा देती है।
कमला: अरे रे बन्नो अभी से इतना शरमाना क्या अभी कौन-सी सुहागरात है आज आपकी?
देवरानी: अब बस करो! जाओ मुझे इस बारे में कुछ बात नहीं करनी।
कमला: अरे भाई. अब तो हम जाएंगे ही, प्रेमीका को प्रेमी मिल गया तो हमारा क्या काम।
देवरानी: अरे मत करो ना!
कमला: अरे लो लाड़ो शर्माओ नहीं। मैं जाती हूँ यहाँ पर लेटे-लेटे खूब सपने सजा लो अपने आशिक के।
ये सुन कर लज्जाते हुए।
देवरानी: कमला...!
कमला चली जाती है और पत्र को बलदेव को देने के लिए छुपा लेती है।
जारी रहेगी
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07-08-2023, 06:17 AM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
MAHARANI DEVRANI
UPDATE 37
Devrani ne mann se baldev ko swikar liya tha aur usne patra likh kar baldev ko apni swikrti bhi de di thi bas wo intezar kar rahi thi kab baldev uske patra ka uttar deta hai.
aaj subah ki ghatna k baad baldev ka man nahi lagta hai. seema par use reh reh k aakho k samne devrani k subah ka drishya aajata hai.
Baldev:man me)aaj madeera kya peena devrani ne apne bade vaksha aur chutar dikha kar mujhe nasha chadha dya hai.,Jis din haath aagayi na to usko. itna maslunga k sab angadai lena nikal dunga" ye soch kar baldev apni is soch par muskura deta hai. k wo kaise apne he maa ko ragadne ki soch raha hai.
Devrani aaj jaldi se raat ka khana kha kar apne kaksha me aa kar so jati hai. use dar tha kahi na kahi baldev ka samna karne se
Baldev aaj jaldi pahuch kar apne kaksha me jata hai. to uska kaksha ek saaf suthra aur uske liye 56 bhog rakha hua tha khane k lye
Kamla: kya hua yuvraj aap haath muh dho kar aayiye
Baldev apne ashtra shashtra nikal kar apne. kapde badal kar haath muh dho kar ata hai.
Kamla:kya baat hai. yuvraj aaj hosh me ho madeera nahi chadhai.
Baldev:han wo..
kamla:Han kya subah me mahrani ko dekh tumne aakho se pee liya
Baldev ye sun kar muskurata hai.
Baldev:tumhe bada dukh ho raha hai. apne mahrani k liye
kamla usko sari baat bata deti hai. k kaise devrani ko kamla ne puri haqeeqat batai aur wo hume galat nahi smjhti
Baldev:aaj kaksha zyada saaf suthra lag raha hai. aur ye pakwan itne sare vyanjan
kamla:Bechari devrani tumhe manane k lye subah se tumhare kaksha ki saaf safai ki ,bistar jhadi aur uske chadar badale ,taqiye ka khol badla,tumhare sab gande kapde dhoye aur ye sara tumhare pasand ka pakwan banaya
Baldev ye sun kar stabdh ho jata hai.
Baldev:Itna sab kuch akele
kamla:han maine kaha me karti hu to wo mana kar di ye kah kar " ye. mera kam hai. mera dharm hai."
Baldev:pagal hai. wo
kamla:wo abhi premika nahi bani aur abhi se tumhre har kam karna shuru kar di jaise tumhari patni hai. wo aur wo patni dharm nibha rahi ho
ye sun kar baldev sharma kar laal ho jata hai.
kamla:aah ha dekho to pati ji k chehre ki laali
Baldev: ab mujhe mahraj kahna shuru kar do
kamla:wo q
Baldev:q k tumhari mahrani ab meri ho jayegi,tumhare mahrani ka mahraja mai banunga
Kamla:itni jaldbazi mat karo wo garma garm mahrani hai. muh jal jayega itna garam khaoge to yuvraj
Baldev:tumne fir yuvraj kaha ,or who jitni bhi garam ho tumhari mahrani mere paas aate he thandi kar dunga,muh to jalne ki door ki baat hai.
Kamlaharma jati hai...theek hai. baba tum smjhe devrani smjhe ye lo tumhara prem patra"
kamla prem patra apne blouse se nikal kar de deti hai.
baldev bhojan karta hai.n fir kamla bartan sab utha kar rasoi me le jati hai.
Baldev apne bistar per lete hue Patra kholta hai. aur padhna shuru karta hai.
Priy sher singh urf baldev ji
Aasha karti hu aap abhi mera patra dekh muskura rahe honge,me aapko sadaiv aise he muskurate rehte dekhna chahti hu aur uske liye me apni praan bhi tyag du to mujhe parwah nahi hoga
Baldev maine har ek baat kamla dwara jaan li hu aur tumhare har nirnay ki wajah sirf me hu aur mera dukh hai.,mai he pagal thi jo tumhe ek hawasi aur mere maan samman ki parwah na karne wala samajh lya q k
tum mujhe pane k lye sher singh ka bhes apnaya jiske wajah se mujhe laga tum mere jism ko pane k lye kisi hadd tak gir sakte par me galat thi
Tumne mujhe pane k lye kamla se madad. li jis se mujhe laga tum meri man maryada dunya k samne uzagar kar k mujhe badnam kar doge par me galat thi
Kamla ne bataya kaise tumne mere liye kisi sher singh namak vyakti k chayan kar lya tha yadi me us din ghode pe baith jati tum mujhe uske pas chhor dete
tum meri khushi k lye itna bada balidan dene ja rahe the
Mai ne jeevan me kisi se pehle prem nahi kya vivah to mere pita ji ne jabardasti karwa di
mera pehla prem sher singh hai. ya shayad baldev mujhe nahi pata par tum dono k lye mere dili me prem k jazbat aye aur jab ab ye baat he khatm ho jati hai. k me kiska chunav karu
Mere dill ne pehli bar kisi k sapne sajaye wo tha sher singh aur kisine apne pyari bate aur mera khayal rakh kar mere dill ko bhaya wo tha baldev
Baldev urf sher singh ji mera jeevan ab aapke naam bass ye dill kabhi mat todna q k ek aurat har maryada niyam aur dharm k virudha ja kar faisla leti hai. to uske sath kuch galat ho to wo dubara apne jeevan me wapas nahi ja sakti hai..
Aapki devrani
devrani ka patra padh kar
"ye auroto ko samjhna bhut mushkil hai. "
"devrani tumhe kisi se bhi pyar hua ho par banogi to meri he "
patra ko rakh kar baldev gehri neend me doob jata hai..
Continued
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07-08-2023, 06:18 AM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 37
प्रेम पत्र
देवरानी ने मन से बलदेव को स्वीकार कर लिया था और उसने इशारे से बलदेव को अपनी स्वकृति भी दे दी थी बस वह अब यही इंतजार कर रही थी-थी जब बलदेव उसके पत्र का उत्तर देता है।
आज सुबह की घटना के बाद सीमा पर बलदेव का मन भी नहीं लगता। सीमा पर रह-रह कर उसकी आखो के सामने सुबह के समय देवरानी की दृश्य आ जाता है।
बलदेव: (मन में) आज मदिरा को क्या पीना, देवरानी ने अपने बड़े वक्ष और चूतड दिखा कर मुझे जबरदस्त नशा चढ़ा दिया है। , जिस दिन हाथ आ गयी ना, तो उसको इतना मसलूंगा कि उसकी सब अंगड़ाई लेना, मटकना निकाल दूंगा" ये सोच कर बलदेव अपनी इस सोच पर मुस्कुरा देता है कि वह कैसे अपनी ही माँ को रगड़ने के बारे में सोच रहा है ।
देवरानी आज रात जल्दी से रात का खाना खा कर अपनी कक्षा में आ जाती है। उसे कहीं ना कहीं बलदेव का सामना करने से डर लग रहा था।
बलदेव भी सीमा से आज जल्दी वापिस पहुच कर अपने कक्ष में जाता है, तो उसे उसका कमरा साफ सुथरा मिलता है और उसके लिए 56 भोग बना कर रखा हुआ था खाने के लिए।
कमला: क्या हुआ युवराज आज जल्दी आगये? आप हाथ मुँह धो कर आइये!
बलदेव अपने अस्त्र शस्त्र निकाल कर, अपने कपड़े बदल कर हाथ मुँह धो कर आता है।
कमला: क्या बात है। युवराज आज होश में हो मदीरा नहीं चढ़ाई।
बलदेव: हा ! वो... !
कमला: हाँ क्या? सुबह में महारानी को देख तुमने आंखो से मदिरा पी ली थी?
बलदेव ये सुन कर मुस्कुराता है।
बलदेव: तुम्हें बड़ा दुख हो रहा है। अपनी महारानी के लिए !
कमला उसको सारी बात बता देती है कि कैसे कमला ने देवरानी को पूरी हकीकत बताई और वह हमें गलत नहीं समझती!
बलदेव: आज मेरा कमरा बहुत ज्यादा साफ सुथरा लग रहा है और ये पकवान इतने सारे व्यंजन क्यों?
कमला: बेचारी देवरानी ने तुम्हें मनाने के लिए खुद सुबह से तुम्हारे कमरे की सफाई की, बिस्तर को झाड़ा और उसकी चादर बदली, ताकिये का खोल बदला, तुम्हारे सब गंदे कपड़े धोए और ये सारे तुम्हारी पसंद के पकवान बनाये ।
बलदेव ये सुन कर स्तब्ध हो जाता है।
बलदेव: इतना सब कुछ उन्होंने अकेले किया!
कमला: हाँ! पर जब मैंने कहा मैं करती हूँ तो उन्होंने मना कर दीया, ये कह कर "ये मेरा काम है। मेरा धर्म है।"
बलदेव: पागल है। वह!
कमला: वह अभी प्रेमिका भी नहीं बनी हैं और अभी से तुम्हारा हर काम ऐसे करना शुरू कर दीया है जैसे तुम्हारी पत्नी है वह और वह अपना पत्नी धर्म निभा रही हो।
ये सुन कर बलदेव का चेहरा शरमा कर लाल हो जाता है।
कमला: ओह्ह्ह हो! हा देखो तो पति जी के चेहरे की लाली!
बलदेव: अब तुम मुझे महाराज कहना शुरू कर दो !
कमला: वह क्यू?
बलदेव: क्यों की तुम्हारी महारानी अब मेरी हो जाएगी, और तुम्हारे महारानी का महाराजा मैं बनूंगा!
कमला: इतनी जल्दी मत करो वह गरमा गरम महरानी है। इतना गरम खाओगे तो मुंह जल जाएगा! युवराज!
बलदेव: तुमने फिर युवराज कहा और वह जितनी भी गरम हो तुम्हारी महारानी को मेरे पास आते ही ठंडी कर दूंगा, मुंह जलना तो दूर की-की बात है।
कमला शरमा जाती है...ठीक है। बाबा तुम समझो देवरानी समझे! ये लो तुम्हारा प्रेम पत्र! "
कमला प्रेम पत्र अपने ब्लाउज से निकल कर बलदेव को दे देती है।
बलदेव भोजन करता है। फिर कमला भोजन के सब बर्तन उठा कर रसोई में ले जाती है।
बलदेव अपने बिस्तर पर लेट कर पत्र खोलता है और पढ़ना शुरू करता है।
" प्रिय शेर सिंह उर्फ बलदेव जी!
आशा करती हूँ आप अभी मेरा पत्र देख मुस्कुरा रहे होगे, मैं आपको हमेशा ऐसे ही मुस्कुराता हुआ ही देखना चाहता हूँ और उसके लिए मुझे अपने प्राण भी त्यागने पड़े, तो मुझे परवाह नहीं होगी ।
बलदेव मैंने हर एक बात कमला द्वारा जान ली है और जान गयी हूँ की तुम्हारे हर फैसले की वजह सिर्फ मैं हूँ और मेरा दुख है। , मैं ही पागल थी जो तुम्हें एक हवसी और मेरे मान सम्मान की परवाह ना करने वाला समझ लिया था क्यों की तुमने मुझे पाने के लिए शेर सिंह का भेस अपनाया था, जिसकी वजह से मुझे लगा था कि तुम मेरे जिस्म को पाने के लिए किसी नहीं हद तक गिर सकते हो पर अब मैं समझ गयी हूँ की मैं ही गलत थी।
तुमने मुझे पाने के लिए कमला से मदद ली जिससे मुझे लगा तुम मेरी मान मर्यादा दुनिया के सामने उजागर कर के मुझे बदनाम कर दोगे पर यहाँ भी मैं ही गलत थी।
कमला ने मुझे बताया कैसे तुमने मेरे लिए कोई शेर सिंह नामक किसी व्यक्ति के चयन कर लिया था और अगर मैं उस दिन घोड़े पर बैठ जाती थी तुम मुझे उसके पास छोड़ देने वाले थे। अब मैं समझ गयी हूँ की तुम मेरी ख़ुशी के लिए इतना बड़ा बलिदान देने जा रहे थे ।
मैंने अपने जीवन में किसी से पहले प्रेम नहीं किया है, मेरा विवाह तो मेरे पिता जी ने जबरदस्त करवा दीया था । मेरा पहला प्रेम शेर सिंह था पर मैं उस से नहीं मिली हूँ । हाँ शायद! बलदेव मुझे नहीं पता पकी तुम दोनों के लिए मेरे दिल में प्रेम के जज्बात हैं या नहीं और जब ये बात चल रही थी, मैं इस संशय में थी की में किसका चुनाव करू?
मेरे दिल ने पहली बार किसी के सपने सजाये थे और वह था शेर सिंह और कोई अपनी प्यारी बातो से और मेरा ख्याल रख कर मेरे दिल को भाया वह था बलदेव।
बलदेव उर्फ शेर सिंह जी मेरा जीवन अब आपके नाम हैं । बसमेरा ये अनुरोध है कि मेरा ये दिल कभी मत तोड़ना, क्योंकि जब एक औरत हर मर्यादा नियम और धर्म के विरुद्ध जा कर फैसला लेती है, तो अगर उसके साथ कुछ गलत होता है तो वह दोबारा अपने जीवन में वापस नहीं जा सकती।
आपकी देवरानी"
देवरानी का पत्र पढ़ कर बलदेब कहता है ।
"सच में औरत को समझना बहुत मुश्किल है।"
"देवरानी तुम्हें किसी से भी प्यार हुआ हो पर बनोगी तो मेरी ही रानी ।"
फिर पत्र को एक तरफ रख कर बलदेव गहरी नींद में डूब जाता है।
जारी रहेगी
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07-08-2023, 06:19 AM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
Maharani devrani
UPDATE 38
Aaj ka sawera baldev aur devrani k lye ek nayi aas le kar aaya tha aur khas kar k ye sawera devrani k jeevan ko jo hamesha se andhere me rahi pyar ko tarasti rahi use uska haq dilane k lye aaya tha
Baldev itna khush tha k wo raat me ache se so nahi pata hai. aur har ghante uth kar baith jata hai. aur uska dill karta hai. ke wo devrani se mile ja kar k aur wo kabhi uth tha to kabhi baith ta kabhi tehalne lagta hai. raat bhar kaise bhi nikalta hai. aur subah hote he khushi k maare jaldi jaldi snan kar k k tayyar hojata hai.
udhar devrani jiska bhi haal kuch baldev sa he tha wo apne apko raat bhar bistar par idhar se udhar palat ti rahi aur jab bhi aakhe band karti use baldev he dikhai. padta hai. aur wo is baat ko apne dill se maan leti hai. k baldev he uska pehla aur aakhiri pyar hai.
Devrani:man me) bhagwan me mujhe pehle baar mere dill me pyar dala hai. aur mujhe aise ahsas hua aaj 35 varsh ki aayu me mujhe pyar hua wo bhi apne putra se
waise mere dill ko sher singh ne chhu lya tha jise me pehla pyar samajh rahi thi par Baldev me dill ko marod dya hai. apne wafadari aur mere prati samman aur sneha dikha kar"
devrani ye soch kar uth ti hai. aur nahane chali jati hai.
"ab is 35 varshiya k adher umar k ek bache ki maa ko 18 saal ka jawan ladka pyar karta hai. mai aur kya mang sakti hu bhagwan se"
Naha dho kar aa kar apne mathe pe sindur aur fir gale me mangalsutra pehan leti hai. aur khub ache se tayyar ho kar pehle apne he kaksha k mandir me pooja karne lagti hai.
"bhagwan mujhe yaad hai. maine apse 10 din ka vrat ki mannat mangi thi aur gareebo ko zindagi bhar khilane ka"
"bhagwan maine baldev ko apne dill se apna liya hai. ,kuch aisa kar k wo gussa chhor kar mere patra padh kar mere paas bhaga chala aaye aur mere aur baldev k prem k wajah se kuch galat na ho bhagwan ,agar prem karna galat hai. aur meri khushi ki parwah nahi apko to galat hoga mere sath agar aapko lagta hai. k mujhe khush rehne ka adhikar hai. to mere sath ya baldev k sath kuch galat nahi hoga ,agar galat hua kuch to me tere banaye is niyam ko bhul jaungi aur dharm par se viswas uth jayega mera"
"agar sab kuch sahi raha mere aur baldev k jeevan achi kati to me bhi apna wada nahi todungi 10 din ka vrat to rakhungi aur upar jeevan bhar gareebo k lye acha karti rahungi"
devrani fir ghanti baja k prasad le kar ghar me bantne lagti hai. fir kamla ko dekar kehti hai. k baki k prasad raj darbar aur gao me batwa de
Baldev tayyar ho kar sabse pehle apni kalam utha ta hai. aur ek kagaz k tukde par gulaab ka paani chirak deta hai. aur wo kagaz gulabi rang ka ho jata hai. aur wo kuch der sukhne k paschat Dhara dhar Baldev likhna shuru karta hai. aur apne patra ko chhupa kar kamla ko dene k liye rakh deta hai.
Jaise he bahar nikalta hai. devrani apne kaksh k duwar par khadi apne baal sukha rahi thi ,baldev dekhta hai.
Uske sadi asth vyasth thi aur uske doodh ka upari hissa aur nabhi ki gehri ghati saf dikh rahi thi
Tabhi samne se baldev aa jata hai. aur baldev ko
rajpal:ary tum uth gaye beta,baitho yaha
Wahi par kursi par baitha deta hai. beech aangan me aur devrani is baat ko bhap li thi k baldev use kha jane wali nazro se dekh raha aur usko kareeb aane se pehle uska baap us se Ghatrashtra ki suraksha ki bat karne lagta hai. aur rajpal k peeth ki ore khadi devrani baldev ko saaf dikh rahi thi
Baldev sirf apne pita k har baat me han han mila raha tha aur uski nazre apni maa par thi
Devrani:man me)besharam baap k samne taad raha hai. maa ko
Balderv uske doodh aur nabhi par nazre tika deta hai.
devrani ab apne hatho se baal ko jharte hue thoda zyada hilti hai. jis se uske doodh bhi hilte hai. aur uska pura pallu niche gir jata hai.
devrani k bade vaksha aur nabhi sundar pet saaf dikh rha tha
devrani:man me)kaise dekh raha hai. jaise kha jayega"
"dekhe bhi q na bechara itni saji sawri bhi to uske liye he hu aur aaj aise kapde bhi to iske liye he pehni hu k wo dekh sake" aur muskura deti hai.
Baldev k is trah dekhne se devrani bhi garam ho rahi thi aur wo baldev ko bhadkane k lye diwal se chipak kar khadi ho jati hai. aur apne doodh ko upar utha ti hai. aur baldev ko ek qatil andaz se dekhti hai.
Ek hath uthane se uske laal blouse aur kass jate hai. aur uske blouse k niche kuch jagah ban jati hai.,uske pet per ek dhari ban jati hai. aur pet kisi rasgulla ki trah chikna tha
baldev:ji pita ji aap sahi keh rahe hai.
Baldev apni dhunki me apne premika maa ko taad raha tha aur uska baap use sena aur yudha ki baate samjha raha tha
Ye sab dekh k devrani aur baldev dono garam the aur tabhi devrani apna sar k lambe baal ko apne dono hath utha kar bandhne lagti hai. aur apne bade vaksha ko baldev k traf nikal leti hai. aur uske aakho me dekhti hai.
devrani:man me) aa kr peele door se kya milega
baldev:man me) haay kya maal ho tum maa kasam se din raat pelunga ek bar han kar de to
devrani :man me) zarur mujhe chodne k sapne dekh raha hai. ,haaye ram kaise mujhe ye baldev mera beta ui wo sidha khadi hoti hai.
Baldev:man me) kaise sidhi ho gai jaise kuch kiya he na ho
devrani:man me) agar iska baap na hota to ab tk mujhe nangi kar dya hota
or uske andar ka kahi na kahi sharm ab bhi tha wo waha se palat kar jane lagti hai. kuch char kadam chalne par piche mud kr dekhti hai.
devrani ko pura yaqeen ki baldee ki hawas bhari aakhe uske gaand k pato ko zarur ghur rahe honge
wo mudti hai. to baldev apna zaban apne hoth se chat raha tha aur uska dusra hath ab uske dhoti k upar se uske laude pe tha ,devrani kankhiyo se he sab dekh li thi wo bass muskura k apne kaksha ki ore jane lagti hai.
kuch der yu he kursi pr baith k baat karne k baad baldev k pita raja rajpal chale jate hai. par apne khade land ko chhupane k lye thodi der wahi baitha tha tabhi waha aa rahi kamla ko aata dekh
baldev aao kamla
kamla:ji yuvraj
Baldev chupke se uske haath me wo prem patra de deta hai. aur muskurata hai.
Kamla:mai to sab kuch kar rahi hu par iska inam mujhe kya milega yuvraj
Baldev:tumhe iska inaam hum zarur denge o kamla k kaano k paas ja kar "jis din tumhare mahrani k maharaja ban gaye to"
Baldev:paani pilana kamla
kamla rasoi k traf jate hue khidki se devrani k kaksha me awaz deti hai."maharani darwaza kholo aur bahar aao ab aapke bhagne se kam nahi chalega"
wo devrani ko chhedte hue kehti hai. ,devrani sochti hai. k k kamla use darpok samajh rahi hai.
devrani:man me)use batana padega me paras ki rani hu
devrani ghar se bahar nikalti hai. to samne baldev ko wahi apne land par hath rakhe baitha pati hai.
devrani:man me) ise to shanti he nahi 24 ghante khada rakhta hai.
tabhi achanak se bahar se wapas Rajpal aa jata hai.
rajpal:ary beta maine tumhe ek baat to batana bhul he gaya ki agar sainik kam ho aur shatru zyada ho to kya karna chahiye
Devrani bhi chal kar apne bete k paas aa rahi halka ruk jati hai.
par ye sab se beparwah kamla glass aur jug me paani liye rasoi k bahar aati hai. aur raja rajpal aur baldev k paas jhuk kar jug me paani bharne lagti hai.
Kamla ne baldev k diye patra ko apne blouse me chupaya tha par jaise he wo paani bharna shuru karti hai. uska blouse dheela hota hai. aur baldev ka prema patra bahar gir padta hai.
rajpal aur baldev k samne wo patra gir jata hai.
Rajpal:ye kya hai. kamla
kamla:uh wo ye wo..
kamla ghabra jati hai.
uska ghabraya hua chehra dekh k rajpal k shatir dimag me kuch gadbad lagti hai.
paani pe rhaa baldev paani peete hue Sarakk jata hai. aur wo aakh fade dekh raha rha
Baldev man me " hey bhagwan bacha le"
door khadi devrani man me"hey krishna kanahai.ya bacha le aur ghabra kar apne aakh band kr k prathna karne lagti hai. aur mantar padhne lagti hai."
Kamla:han wo vaidh ji ne dya tha ye mujhe
rajpal:Kya hai. isme
gulabi rang k patra ko dekh ye to gulabi hai.
rajpal man me :ye to patra jaisa hai.
kamla:wo mahraj isme jadi booti k nam hai. jo vaidh ji ne kaha tha mujhe de dene k lye k me yuvaj ko de du
kamla jhat se utha k use baldev k traf karti hai.
baldev apna hath aage badhata us se pehle he
rajpal:zara mujhe bhi batao aakhir kaun se
ausadhi aur jadi booti mangwate hai. ye
rajpal ek dam chatur bante hue kamla k kanpte hath se wo patra apne hath me leta hai.
devrani ab aakh khol kar dekhti hai. "hey bhaggwaan,ye mera patra to nahi par baldev budhu ne to zarur sab khullam khulla likha hoga"
baldev dar se apne dono hatho se kursi ko pakad leta hai.
or kamla kanpte hue khadi thi
To be continue...
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07-08-2023, 06:21 AM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 38-A
प्यार की सुबह
आज का सवेरा बलदेव और देवरानी के लिए एक नई आस ले कर आया था और खास कर के ये सवेरा देवरानी के जीवन को जो हमेशा से अँधेरे में रही और प्यार को तरसती रही, उसका हक दिलाने के लिए आया था।
रात भर बलदेव इतना खुश था कि उस रात इसे ठीक से नींद नहीं आयी। वह हर घंटे उठ कर बैठ जाता था। उसका दिल करता है कि वह देवरानी से अभी जा कर मिले। वह कभी उठ जाता था, तो कभी बैठता, कभी लेटता, कभी टहलने लगता है। रात करवाते बदलते कैसे भी निकलती है और सुबह होते ही वह खुशी के मारे जल्दी-जल्दी स्नान कर लेता है।
उधर देवरानी जिसका भी हाल कुछ बलदेव-सा वह था वह अपने बिस्तर पर रात भर इधर से उधर पलटती रही और जब भी आखे बंद करती उसे बलदेव हे दिखाई पड़ता है। (मन र वह इस बात को अपने दिल से मान लेती है कि बलदेव ही उसका पहला और आखिरी प्यार है।
देवरानी: (मन मे) मुझे ऐसा एहसास हुआ है कि भगवान में पहली बार मेरे दिल में प्यार डाला है और आज 35 साल की उम्र में मुझे प्यार हुआ भी तो अपने पुत्र से हुआ है ।
वैसे मेरे दिल को शेर सिंह ने भी छू लिया था जिसे मैं पहला प्यार समझ रही थी पर बलदेव ने अपनी वफ़ादारी और मेरे प्रति सम्मान और स्नेह दिखा कर मेरे दिल को मरोड़ दिया है। "
देवरानी यही सब सोच कर उठती है और नहाने चली जाती है।
देवरानी: (मन मे)"अब इस 35 साल के अधेड़ उमर की के एक बच्चे की माँ से 18 साल का जवान लड़का प्यार करता है। मैं और क्या मांग सकती हूँ भगवान से!"
नहा धो कर आ कर अपने माथे पर सिन्दूर और फिर गले में मंगलसूत्र पहन लेती है और खूब अच्छे से तैयार हो कर पहले अपने कक्ष के मंदिर में पूजा करने लगती है।
"भगवान मुझे याद है। मैंने अपने 10 दिन के व्रत की मन्नत मांगी थी और गरीबों को जिंदगी भर खिलाने का संकल्प किया था ।"
"भगवान मैंने बलदेव को अपने दिल से अपना लिया है। , कुछ ऐसा करो की वह गुस्सा छोड़ कर मेरे पत्र पढ़ कर मेरे पास भागा चला आए और मेरे और बलदेव के प्रेम के कारण से कुछ गलत ना हो। भगवान, अगर प्रेम करना गलत है और आपको मेरी ख़ुशी की परवाह नहीं ।तो ये तो गलत होगा मेरे साथ । अगर आपको लगता है कि मुझे खुश रहने का अधिकार है, तो मेरे साथ या बलदेव के साथ कुछ भी गलत नहीं होगा, अगर गलत हुआ कुछ तो मैं तेरे बनाये सब नियम भूल जाउंगी और धर्म पर से, मेरा विश्वास उठ जाएगा।"
"अगर सब कुछ सही रहा मेरा और बलदेव का जीवन अच्छा कटा तो भगवान् मैं भी अपना वादा नहीं तोड़ूंगी । पूरे 10 दिन का व्रत रखूंगी और जीवन भर गरीबों के लिए अच्छा करती रहूंगी ।"
देवरानी फिर घंटी बजा के प्रसाद ले कर घर में बांटने लगती है। फ़िर कमला को प्रसाद दे कर कहती है कि बाकी का प्रसाद राज दरबार और गाओ में बटवा दे।
बलदेव भी स्नान कर तैयाए हो कर सबसे पहले अपनी कलम उठाता है और एक कागज़ के टुकड़े पर गुलाब का पानी छिड़क देता है और उससे वह कागज़ गुलाबी रंग का हो जाता है और वह कुछ देर उस कागज़ को सुखाने के पश्चात उस पर बलदेव धड़ा धड़ लिखना शुरू करता है और अपने पत्र को छुपा कर कमला को देने के लिए रख देता है।
जैसा वह बाहर निकलता है और देखता है कि देवरानी अपने कक्ष के द्वार पर खड़ी अपने बाल सुखा रही थी, बलदेव उसे देखता रह जाता है।
उसकी साडी अस्त व्यस्त थी और उसके दूध का ऊपर हिसा और नाभि की गहरी घाटी साफ दिख रही थी । तभी सामने से राजपाल आ जाता है। और वह बलदेव को देख बोलता है ।
राजपाल: अरे तुम उठ गये बेटा, आओ बैठो यहाँ।
वही बीच आंगन में कुर्सी पर राजपाल उसे बैठा देता है। और देवरानी ने इस बात को भाप लीया था कि बलदेव उसे खा जाने वाली नजरों से देख रहा था और उसके देवरानी के करीब आने से पहले ही उसका बाप उससे राष्ट्र की सुरक्षा की बात करने लगता है। पर राजपाल की पीठ की ओर खड़ी देवरानी बलदेव को साफ दिख रही थी।
बलदेव सिर्फ अपने पिता की हर बात में हाँ मिल रहा था और उसकी नजर अपनी माँ पर थी।
देवरानी: (मन मैं) बेशरम लड़का बाप के सामने माँ से मिलने के लिए तड़प रहा है। बलदेरव की नजरे उसके दूध और नाभि पर टिकी हुई थी।
देवरानी अब अपने हाथों से बालो को झाड़ते हुए थोड़ा ज़्यादा हिलती है। जिस से उसके स्तन भी हिलते है और उसका पूरा पल्लू नीचे गिर जाता है।
अब बलदेव को देवरानी के बड़े वक्ष और सुंदर पेट और नाभि साफ दिख रहे थे ।
देवरानी: (मन मे) ये कैसे मुझे देख रहा हूँ। जैसा खा ही जायेगा। " "देखे भी क्यू ना बेचारा! इतनी सजी सवरी भी तो हूँ उसके लिए. और आज ऐसे कपडे भी तो उसके लिए ही पहने हैं की वह देख सके" और मुस्कुरा देती है।
बलदेव के इस तरह देखने से देवरानी भी गरम हो रही थी और वह बलदेव को भड़काने के लिए दिवाल से चिपक कर खड़ी हो जाती है और अपने दूध को ऊपर उठा लेती है और बलदेव को एक कातिल अंदाज़ से देखती है।
एक हाथ उठाने से उसके लाल ब्लाउज और कस जाता हैं और उसके ब्लाउज के नीचे कुछ जगह बन जाती है। , उसके पेट पर एक धारी बन जाती है और उसका पेट किसी रसगुल्ले की तरह चिकना था।
बलदेव: जी पिता जी आप सही कह रहे हैं।
बलदेव अपनी धुन में अपनी प्रेमिका माँ को ताड़ रहा था और उसका बाप उसे सेना और युद्ध की बात समझा रहा था
जारी रहेगी ...
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07-08-2023, 07:30 AM,
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aamirhydkhan
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 39
बाल बाल बचे
राजपाल उसका पत्र को हाथ में लेते हैं और अपनी तरफ करता है।
राजपाल अभी पत्र खोलने वाले ही थे कि कोई जोर से चिल्लाता है।
"राआआजजपाल !"
"हे राम !"
ये आवाज सुन कर राजपाल समझ जाता है। ये कोई नहीं उसकी माँ जीविका ही है जो उसे इस तरह से पुकार रही है।
सामने से भागती हुई राधा आती है। "महाराज! वह राजमाता महारानी जीविका चौखट पर गिर गई हैं"
राधा ने जीविका के कक्ष के सामने राजमाता जीविका अपनी बैसाखी से आती हुई दिखाई दी और अचानक अपने दरवाजे से बाहर निकलते हुए उसका एक पैर अटक गया और दूर पैर जो बिल्कुल नाकाम था, वह वैशाखी से संभल नहीं सकी और उलझ कर गिर गई. ऐसे आपातकाल में उसके मुंह से उसके बेटे का नाम फूटा पड़ा।
राधा के मुँह से जीविका के गिरने की खबर सुन राजपाल वह "प्रेम पत्र!" वही कुर्सी पर फेंक देता है।
जीविका की आवाज आने के बाद भी, बलदेव कमला और विशेषतौर पर देवरानी डरे हुए चेहरे से राजा राजपाल की ओर देख रहे थे और जैसे ही वहाँ राजपाल अपने हाथ से वह "प्रेम पत्र" फेकता है। , तीनों राहत की सांस लेते हैं।
राजपाल: बलदेव, आप जरा देखो तुम्हारी दादी को क्या हुआ!
बलदेव: जी-जी पिता जी!
घबराई हुई कमला वह पत्र झट से उठा लेती है, अपने सामने से, और देवरानी वहाँ से ये मंज़र देख कर दौड़ते हुए अपने साडी के पल्लू को लहराते हुए अपने कमरे में पहुँचती है।
देवरानी अपने कक्ष के मंदिर की घंटी बजा कर वही घुटने के बल और अपने आखे बंद किये हुए हाथ जोड़ कर बैठ जाती है।
"भगवान ! तूने मेरी लाज रख ली! धन्यवाद भगवान !"
देवरानीकुछ श्लोक बुदबुदाती है और उठती है, तो देखती है। उसके सामने कमला खड़ी है ।
देवरानी: गुस्से में "कमला तुम्हारा दिमाग खराब तो नहीं!"
कमला: माफ़ कर दो महरानी !
देवरानी: ऐसे कैसे इतनी लापरवाही कर सकती हो !
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कमला: बस आज बाद नहीं होगा...!
कमला वह "प्रेम पत्र, जो बलदेव ने अपनी माँ देवरानी के लिए लिखा था" निकाल कर देवरानी को दे देती है। देवरानी झट से उसके हाथ से पत्र लेते हुए अपने तकिये के नीचे रख देती है।
कमला ऐसे अपने हाथ से जल्दीबाजी में पत्र छीने जाने पर।
कमला: बड़ा बेसबरी हो रही हो महारानी! इस पत्र के लिए!
देवरानी मुस्कुरा रही थी ।
"होउंगी ही वह पहले प्यार की पहला पत्र जो है।"
और शर्म से अपने सर नीचे झुका लेती है।
कमला: लाड़ो अब नई नवेली दुल्हन की तरह शर्माओ मत, चलो जीविका के पास नहीं तो दोनों को गायब देख महाराज जी समझ जाएंगे की गायब होने का मतलब है कि पत्र उनकी प्यारी पत्नी का ही था।
और कमला एक कातिल मुस्कान देती है।
फिर दोनों चल पड़ती है, जीविका के कक्ष की तरफ ।
जीविका को चारो ओर से घेरे सब खड़े हुए थे और जीविका उस घेरे के अंदर-अंदर लंबी सांस ले रही है।
अब तक वैध भी पहुँच चुका था और उपचार शुरू कर देता है।
इतने में कमला और देवरानी दोनों भी पहुँच जाती है और सबके साथ ये भी जीविका को देखने लगती है।
वैध: महारानी जी आपको पता है। आपको चलने में परेशानी होती है। वैशाखी भी आप बड़ी मुश्किल से उठती हैं। तो आपको संभलना चाहिए था।
राजपाल: हाँ माँ आपको कुछ भी लेना हो आप हमें बताएँ!
वैध: महाराज! इनके एड़ी के ऊपर की-की हड्डी जो नाज़ुक होती है। हमसे दरार आ गयी है। कुछ दिन इस पर जड़ी बूटी बाँध के रखना होगा ।
वैध अपना उपचार समाप्त करता है, तो जीविका का दर्द में अब कुछ आराम होता है।
वैध: अब आज्ञा दीजिए महाराज!
राजपाल को अब वह पत्र याद आता है और उसका शातिर दिमाग़ जानना चाहता था कि उसमे क्या है।
राजपाल: बेटा बलदेव तुमने वह पत्र देखा! वैध जी को क्या आयुर्वेदिक जड़ी बूटी चाहिए?
बलदेव: जी पिता जी.
महाराज राजपाल: वैधजी वैसे बलदेव आज ही जाए वह जड़ी बूटी लाने या कल।
महाराज राजपाल एक शातिर दिमाग से अपनी आंखो को घुमा के वैध जी का तरफ देखता है।
वैध जी को समझ नहीं आता कि क्या बात चल रही है।
वैध राजपाल का तरफ देखता है। राजपाल के ठीक पीछे खड़ी कमला उसको देख कर आँख मारती है और अपने होठ दांत से काटती है।
राजपाल: क्या हुआ वैध जी आपने तो वह पात्र कमला को लिख दिया था।
वैध चलाक था वह कमला का इशारा समझ जाता है।
वैध: महाराज! आज कोई आवश्यकता नहीं, कल भी अगर वह जड़ी बूटीया मिले तो चलेगा।
और कमला की तरफ देखता है।
ये सब बलदेव देख रहा था और उसे भी सब समझ आ गया था ।
देवरानी ने तो बस मन में श्लोको की झड़ी लगा दी थी और लगातार प्रार्थना कर रही थी के वैध जी कही मना न कर दे के उनको कोई जड़ी बूटी नहीं मंगवाना था बलदेव से।
महाराजा राजपाल वैध का स्पष्ट उत्तर सुन कर मुस्कुराते हुए ।
राजपाल: ठीक है। तुम लोग माँ की देख भाल करो।
और फिर महाराज बाहर चला जाते है।
पर राधा को कहीं ना कहीं सबके मुख देख शक होना शुरू हो जाता है।
फिर देवरानी और बलदेव कक्ष से बाहर चले जाते हैं।
राधा: कमला में महारानी श्रुष्टि से बता कर आती हूँ, वह यहाँ नहीं आई अब तक।
कमला: ठीक है। राधा!
फिर कमला राजमाता जीविका का मालिश करने लगी जिस से राजमाता जीविका अब राहत महसस कर रही थी।
जीविका: ये बलदेव और देवरानी भी चले गये।
कमला: जी राजमाता!
जीविका: "हाँ वह तो जाएंगे ही!"
(मन मैं: दोनों को प्यार का भूत जो चढ़ा है।)
कमला को इस तरह से जीविका का बोलना अटपटा-सा लगता है और सोच में पड़ जाती है। आखिर क्या सोच कर जीविका ने ऐसा कहा?
बलदेव बाहर अपने सैनिक अभ्यास में लगा हुआ था और अंदर देवरानी सब से पहले अपनी कक्ष का दरवाजा बंद करती है। फिर खिड़की परदे लगाती है और पलंग पर लेट कर अपने तकिए के नीचे से
"प्रेम पत्र" निकालती है। जिसमें से गुलाब की भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।
देवरानी पत्र को खोल कर पेट के बल लेट कर पढ़ना शुरू करती है।
" प्रिय माँ !
मैं आपका बलदेव हूँ और हमेशा आपका रहूंगा, अपनी माँ का बलदेव जितना सम्मान कल करता था आज भी उतना ही करता है और वह सम्मान कल भी उतना रहेगा चाहे प्रतिष्ठा कैसी भी हो।
मेरी माँ की मान मर्यादा इज्जत का रखवाला जितना बचपन से था उतना ही रहूँगा । मैं आज और कल भी नहीं बदलूंगा और हमेशा आपकी मान मर्यादा की रक्षा करूंगा।
मां अगर मेरे पास कोई भी गलत तरीके से आपके दिल को ठेस पहुँची तो उसके लिए आपसे क्षमा मांगता हूँ। आप! माफ़ कर दो मुझे!
जब तक मैं अपनी शिक्षा पूरी करके नहीं आया था और अपने जीवन में मैंने कल तक बहुत अकेला महसूस किया था और जैसे ही मेरी नज़र तुम पर गई तब से मैं तुम्हारे लिए पागल हो गया था कहीं ना कहीं मेरा दिल तुमने उस दिन चुरा लिया पर इस बात को मानने में मुझे समय लगा।
सिर्फ इसलिए नहीं कि तुम्हारा दुख देख कर मेरा दिल पसीज गया था, पर सही कहूँ तो तुम्हारी खूबसूरती भी बहुत बड़ी वजह थी, जिसने मेरे दिल को बेबस कर दिया मुझे अपनी माँ के प्यार में पड़ने के लिए ।
मां! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुम्हारे साथ अपनी सारी जिंदगी बिताना चाहता हूँ और मैं तुम्हारे हर वह दुख जो तुमने जीवन में देखा है, उन सब पर मरहम की रुई की तरह लग जाना चाहता हूँ जिस से तुम्हारे दिल का दर्द मिट जाए और तुम जीवन का सही आनंद ले सको।
मैंने बहुत सोचा समाज के बारे में पर आख़िर कर मेरा दिल नहीं माना और मेरा दिल अपनी हसरते पूरी कर के रहेंगा और मेरी सबसे बड़ी हसरत है तुम्हें जीवन भर की ख़ुशी देना, उसके लिए ज़माने से लड़ने का और मरने का मुझे कोई गम नहीं होगा, अब बस आपके लिए जीने की ख़ुशी है।
बोलो जियोगी मेरे साथ? तो आज रात भोजन के बाद नदी किनारे आजाना!
तुम्हारा प्रेमी,
बलदेव उर्फ़ शेर सिंह।"
देवरानी लेटी हुई ये प्रेम पत्र पढ़ रही थी और उसकी चूत में खलबली मच रही थी। वह बिस्तर पर अपनी चूत रगड़ के कराहती है!
"आह बलदेव!"
जारी रहेगी ...
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07-08-2023, 07:32 AM,
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RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी
अपडेट 40
बड़े अच्छे हैं
देवरानी लेटी हुई ये प्रेम पत्र पढ़ रही थी और उसकी चूत में खलबली मच रही थी। वह बिस्तर पर अपनी चूत रगड़ के कराहती है!
"आह बलदेव!"
देवरानी के कान में कमला की कही हुई बात गूंजती है। "महारानी बलदेव का हाथ इतना बड़ा है। तो वह कितना बड़ा होगा और बलदेव का वह तो आपके आगे की खाई और पीछे के समुंदर को पार कर देगा"
देवरानी ये सोच कर अपना सर तकिये मैं दबा लेती है।
कमला की कही हुई मजाक की बात अब देवरानी को सच होती दिख रही थी जो खाई और समुंदर को पार राजपाल कभी नहीं कर पाया था शायद उसके अंत तक उसका बेटा चला जाए । अब यही उम्मीद देवरानी को अपने बलिष्ठ पुत्र से थी उसके वर्षों से तरसती अनछुई खाई और समुंदर को कोई पार कर दे। कोई वीर हो जो तैर कर खाई और समुद्र को चीर कर वह पार कर सके।
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ये सब सोचते हुए देवरानी शाम में उठ कर अपने आप को खूब अच्छे से रगड़-रगड़ कर स्नान कराती है। सजति सवारती है और छोटे से ब्लाउज और साडी में आग उगलती अपनी जवानी को ढक लेती है।
फिर वह अपने कक्षा में पूजा कर भगवान से प्रार्थना करती है के सब कुछ कुशल मंगल हो!
"भगवान मेरा मन रख लेना। हम पहली बार हम मिल रहे हैं कुछ उल्टा सीधा ना हो।"
देवरानी अब मंदिर से थोड़ा सिन्दूर उठाती है और उसको अपने मंगल सूत्र से रगड़ती है और मंगल सूत्र। पहन के फ़िर सिन्दूर अपने माथे पर लगा लेती है।
अब देवरानी अपने आप को देखने आईने के सामने जाती है और बड़े शिद्दत से संवारती है।
देवरानी: (मन में) अच्छी। तो लग रही हूँ ना मैं, बलदेव को पसंद आऊंगी ना!
देवरानी अभी अपने आप को निहार रही थी कि कमला आ जाती है और उसे ऐसे अपने आप को बेहतर तरीके से सजते संवरते देख-
कमला: (मन में) ये तो चुदने के लिए बेहद बेचैन है।
देवरानी: अरे आओ कमला!
कमला: क्या बात है। महारानी आज तो ऐसी सजी हो जैसी कवारी दुल्हन सजती है।
देवरानी ये सुन कर शर्मा जाती है।
हट कमला! तुम तो कुछ भी कहती हो। "
कमला: सही कह रही हूँ आप आज तो कयामत लग रही हो!
देवरानी: सच बताओ ठीक लग रही हूँ ना!
कमला: आप अप्सरा से काम नहीं लग रही हो महारानी देवरानी, अगर बलदेव अकेला पा ले तो आप के दरिया और समुंदर दोनों में, अपनी नाव से गोते लगा ले।
देवरानी इस बात का मतलब समझ कर शर्मिंदा हो जाती है।
देवरानी: मेरा बलदेव इतना गंदा नहीं है ।
कमला: आपकी गलत फहमी है। वह क्या हैआपको जल्द ही पता चल जायेगा।
देवरानी: हे भगवान, इस कमला को सद्बुद्धि दो।
कमला: बस " हे भगवान! हे भगवान! ही चिल्लाती रह जाओगी! अगर बलदेव को एक मौका दिया तो!
देवरानी: बस करो कमला, दीवालों को भी कान होते है।
कमला: वैसे बन ठन के कहाँ जा रही हो?
देवरानी: बलदेव से मिलने!
कमला: वह तो मुझे पता है। अपने यार से ही मिलोगी! पर कहा मिलोगी?
देवरानी अपने बाल संवारते हुए "उसने पत्र में लिखा था कि आज रात नदी किनारे मिलो!"
देवरानी की बात सुन कर कमला हस देती है।
कमला (मन में) : जो संस्कारी कल तक संकारो का पल्लू ओढ़े बिना घर से बाहर नहीं निकलती थी आज रात अपने आशिक से मिलने आज नदी के किनारे पर जाएगी।
कमला: आप ऐसे ही खुश रहें महारानी और याद रखें आप दोनों की प्रेम लीला कोई देखे नहीं!
देवरानी कमला के पास आकर उसका दोनों हाथ पकड़ लेती है।
"कमला तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद बहन आज तुम्हारे कारण ही मैं अपना प्यार पाने जा रही हूँ और इतनी खुश हूँ जैसे मुझे कोई गम नहीं था, तुमने मेरा हर मौके पर साथ दिया है ।"
"कमला बोलो इसके बदले में क्या चाहिए?"
कमला: मुझे जब चाहिए होगा तो बता दूंगी अभी तो आप लोग खुल के जियो।
देवरानी: हाँ अब किसी को पता भी चल जाएगा तो मैं उसकी परवाह नहीं करूंगी और ना कभी डरूंगी।
"घुट-घुट के 100 दिन जीने से अच्छा है। एक दिन ख़ुशी की जी लो"
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कमला: वाह अब तो बड़े बहादुर हो गए हैं आप!
रात में देवरानी खूब जम के पकवान बनाती है और साथ में वह अपने हाथों से बलदेव के लिए खास कर खीर बनाती है।
रात का भोजन करने सब बैठे । एक तरफ बलदेव और उसके पिता राजपाल और दूसरी तरफ देवरानी और सृष्टि बैठी हुई थी ।
कमला और राधा खाने की तैयारी कर रही थी।
राजपाल: कमला, ज़रा माँ का भोजन उनको कक्ष में पहुँचा देना।
कमला: आप लोग खा ले मैं उनके लिए हूँ ना!
धीरे-धीरे कमला और राधा भोजन लगा देती है और सब खाना शुरू करते हैं।
राजपाल: वाह! आज का खाना ज्यादा स्वादिष्ट लग रहा है।
सृष्टि: हाँ! वह तो है।
कमला: आज महारानी देवरानी ने खुद भोजन बनाया है।
सृष्टि कमला के मुंह से देवरानी के लिए महारानी सुन आगबबूला हो जाती है।
राजपाल: क्या बात है। रानी देवरानी आज आप बहुत सजी सवरी और खुश नजर आ रही हैं और ऊपर से इतना अच्छा खाना भी आपने बनाया है ।
कमला: (मन मैं) अब तुम्हें कैसे ये बताये महाराज राजपाल, की ये देवरानी की चूत ने अपने बराबर लौड़े का इंतज़ाम होने जाने के बाद, खुशी से देवरानी को मजबूर कर दिया ऐसा खाना बनाने के लिए ।
देवरानी: (मन में) महाराज आपको क्या बताऊ आप के निकम्मे होने की वजह से, आज मैं अपने बेटे से एक प्रेमी के रूप में, तुम सब से छुप के मिलने जा रही हूँ।
सृष्टि: महाराज इतना भी अच्छा खाना नहीं है। वह तो देवरानी ठीक ठाक बना लेती है।
कमला: (मन मैं) अब इसकी क्यू जली पड़ी है। इसको तो बूढ़े लंड से वह काम चलाते रहना पड़ेगा देवरानी की बराबरी करती है। करम जली!
राजपाल: नहीं महारानी खाना सच में बहुत स्वादिष्ट है ।
और सृष्टि देवरानी का तारीफ सुन कर तुनक कर उठ जाती है।
राजपाल: बेटा तुम्हें कैसा लगा?
बलदेव जो चुपचप चोर नज़रो से देवरानी पर नज़र गड़ाये हुए था वह देवरानी की आँखों में आँखे डाल देख रहा था ।
बलदेव: "बहुत अच्छी है।"
राजपाल: कौन अच्छी है। तुम्हारी माँ?
राजपाल: मैं खाने की बात कर रहा हूँ ये तो मुझे पता है। तुम्हारी माँ अच्छी है। तुम्हारा बहुत ध्यान रखती है।
बलदेव देवरानी का तरफ दिखता है और उसके पल्लू के जालीदार कपड़ो से उसके बड़े ऊंचे दूध को देख बोलता है ।
बलदेव: इनके ये भी अच्छे हैं।
राजपाल: क्या बक-बक कर रहे हो?
जारी रहेगी
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