08-01-2016, 10:29 PM,
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desiaks
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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
जूली जाते हुए अनु को बहुत प्यार से समझा रही थी ..उसके चेहरे पर रहस्मई मुस्कान भी थी ....
वो अनु को बोल गई थी कि......
सुन अनु सही से सब कुछ करके आ जाना ...
मैं बस यही .सोच रहा था ...कि क्या यार कितने प्यार से सब समझाकर जा रही है ....
जब वो दोनों चले गए .....
तब मैं और अनु दोनों ही घर पर अकेले थे ...
मैंने मुस्कुराकर अनु की ओर देखा ....
वो भी मुस्कुरा रही थी ....
मैंने अनु से दरवाजा सही से बंद करने को कहा ...और फ्रेश होने के लिए बेडरूम में आ गया ....
अपनी आदत के अनुसार मैंने अपने सभी कपडे उतार दिए ...
सूज,कोट, पेंट, शर्ट, टाई आदि ...
मैं अपना अंडरवियर उतार रहा था ..तभी अनु ने कमरे में प्रवेश किया ....
अनु की छोटी सी बुर के बारे में सोचकर मेरा लण्ड पहले से ही जोश में आ गया था ...
वैसे भी आज पूरे दिन वेचारा खड़ा रहा था ...उसको डिश तो बहुत मिली थीं पर खा नहीं पाया था ....
मैंने सोच लिया था कि आज इस अनु को तस्सल्ली के साथ खूब चोदूंगा ...
मुझे अब जूली की भी कोई परवाह यही थी ...मुझे पता था कि उसको सब पता तो है ही ...
और वो खुद उसको मस्ती के लिए ही छोड़ कर गई है ...
मुझे नंगा देखकर अनु हसने लगी ...
अनु : हा हा....... ये क्या भैया ..... अंदर जाकर नहीं उतार सकते थे ...
मैंने अंडरवियर उतारकर एक ओर फेंका और अनु को अपनी बाँहों में कसकर जकड लिया ...
मैं : अच्छा इतना ज्यादा इतरा मत ...तू आज इतनी सुन्दर लग रही है ...कि ....अब तो बस चोदने का ही मन कर रहा है .....
अनु : हाय भैया ...कितना गंदा बोल रहे हैं आप ...
मैं : जब गन्दा कर सकते हैं ..तो बोल क्यों नहीं सकते ...
.............
अनु : आप और दीदी बिलकुल एक सा ही बोलते हो ..वो भी यही सब कहती है ....
आअह्ह्ह्हाआआआ धीरे से ना .....
मैंने उसकी छोटे अमरुद जैसी चूची को कस कर उमेठ दिया था ...
मैं : हाँ जब अंदर डालूँगा एब बोलेगी तेज और अभी धीरे बोल रही है ...हा हा
मैंने उसकी दोनों चूची को एक साथ मसलते हुए ही कहा ...
अनु : ओह दर्द हो रहा है ना भैया ...
मैं : अरे चिंता मत कर मेरी जान ....तेरा सारा दर्द पी जाऊंगा ....
कुर्ती के ऊपर से साफ़ पता चल रहा था ..कि उसने नीचे कुछ नहीं पहना ....
लेकिन उसके चूची के निप्पल अभी इतने बड़े नहीं हुए थे कि कुर्ती के ऊपर से दिखते ...
थोड़े से उभार ही दिखाई देते थे ....
उसकी चूचियों को सहलाते हुए ही ....अनु कि कोमल सी गुलाबी बुर मेरे दिमाग में छा गई ....
बहुत प्यारी थी उसकी छोटी सी बुर ...जिसमे उसने अभी ऊँगली तक नहीं डाली थी ...
उस दिन मैं कितना खेला था इस बुर के साथ ...पर चोद नहीं पाया था ....
खूब चाटा था ....और मेरा लण्ड तो उसके अंदर तक झांक आया था ...
ये सोचकर ही लण्ड का बुरा हाल था ...और वो मस्ताने की तरह तनकर ...अनु के लांचे को खोदने में लगा था ...
वो तो निशाना सही नहीं था .,..वरना अब तक तो लांचे के साथ ही उसकी बुर में चला जाता ....
अनु की बुर थी ही ऐसी ....अभी तक तो सही से उस पर हल्का हल्का रोआँ भी सही से आना सुरु नहीं हुआ था ....
जूली के बाद मुझे अगर किसी की चूत पसंद आई थी तो वो अनु की ही थी ....
बिलकुल मख्खन की टिक्की की तरह ...
उसकी चूत की याद आते ही मैंने अनु को बिस्तर के किनारे पर ही पीछे को लिटा दिया ....
मैं सीयोर था कि अनु ने लांचे के अंदर कच्छी भी नहीं पहनी होगी ...
आखिर वो जूली से ही सब सीख रही है ...जब जूली नहीं पहनती तो इसने भी नहीं पहनी होगी ...
मैंने अनु के लांचे को उठाते हुए उसके कोमल पैरों को सहलाया और चूमा ...
अनु लरज रही थी ...बल खा रही थी ...कसमसा रही थी ....
उसको पूरा मजा आ रहा था .....
....................
लेकिन अनु बहुत बेसब्र थी ...इस उम्र में ऐसा होता भी है ....वो चाहती थी कि एक दम से ही उसकी चूत में लण्ड डाल दूँ .....
उसको धीरे धीरे वाला प्यार पसंद नहीं आ रहा था ....
ये उसकी बेसब्री ही थी ..जो मेरे द्वारा धीरे धीरे लांचा उठाने से बो तुरंत बोली ...
अनु : ओह भैया ....लांचा ख़राब हो जायेगा ...इसको उतार देती हूँ ...
मुझे हंसी आ गई ....
मैं : अरे होने दे ख़राब ...और आ जायेगा ...
अनु : अह्ह्हाआआआ पर ...दीदी ...को पता चल जायेगा ....
मैं : हा हा ....क्या पता चल जायेगा ....??
अनु : अह्ह्ह हाह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआ यही ना ओह भैया .....आप भी नाआआआ ...आह्ह्हा
और मैंने उसके लांचे को पूरा उठाकर उसके पेट पर रख दिया ....
अनु कि चिकनी जांघो के अंदर वाले हिस्से को चूमते हुए ही मेरे होंठ सीधे उसकी बुर के ऊपर थे ....
अर्र्र्र्र्र्र रे ये क्या .....???
मेरा अनुमान यहाँ बिलकुल गलत निकला ....
अनु ने को कच्छी पहनी थी ....
हलके आसमानी रंग की ,,, जिस पर पीले इस्माइली बने थे ....
एक इस्माइली ठीक उसके बुर के ऊपर था ....
जो बहुत सुन्दर लग रहा था ....
मैंने कच्छी के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाते हुए पूछा ....
मैं : अरे ये क्या ??????? तूने आज कच्छी पहनी है ...तेरी दीदी ने तो नहीं पहनाई होगी ....
वो लाल आँखे लिए मुझे मुस्कुराकर देख रही थी ...
अनु : हाँ ..दीदी तो मना कर रही थी ...पर मुझे शरम आ रही थी ...इसलिए पहन ली ...
मैं : और तेरी दीदी ने पहनी या वो ऐसे ही गई है ...
अनु : वो कहाँ पहनती हैं ...वो तो ऐसे ही गई हैं ...
मैंने तो उन अंकल की वजह से पहन ली ....मुझे उनसे शरम आ रही थी ...
...................मैं तुरंत समझ गया ....तिवारी अंकल ही होंगे ...इसका मतलब उन्होंने ही जूली को तैयार किया होगा ...
मैं : इसका मतलब तुम दोनों अंकल के सामने ऐसे ही घूम रहे थे ...
अनु ने कोई जवाब नहीं दिया ....
मैं : तो अंकल ने तुझे कच्छी में देख लिया ....
अनु : अरे उन्होंने तो मुझे पूरा भी देख लिया ...ये दीदी भी ना ....
मैं उसकी बात सुन रहा था पर
फिलहाल तो मुझे अनु का रस पीना था ....मैंने उसकी कच्छी की इलास्टिक में ऊँगली फंसाई और उसको नीचे सरकाना शुरू कर दिया ...
अनु ने भी अपने गोल मटोल चूतड़ों को उठाकर ...आराम से कच्छी को निकालने में पूरा सहयोग किया ...
मैंने उसकी कच्छी को उसके पैरों से निकालकर बेड के नीचे डाल दिया ...
अब उसका बेशकीमती खजाना ठीक मेरे आँखों के सामने था ....
उसकी बुर अनु के रंग के मुकाबले काफी गोरी थी ...इस समय बुर काफी लाल हो रही थी ....
मैं : क्याआआ तुम दोनों अंकल के सामने ही तैयार हुई ....और तेरी ये बुर भी क्या अंकल ने लाल की ....
अनु : अरे भैया ...मैं तो नह रही थी ....दीदी ने ही अंकल को अंदर भेज दिया ....फिर उन्होंने ही बहुत तेज रगड़ा था ....
मैं : ओह ..तो ये बात है ....फिर अंकल ने जूली के साथ क्या किया ....और क्या तेरे साथ कुछ ऐसा वैसा भी ????
अनु : नहीईईईईईईई न मेरे साथ नहीं ...मुझे तो बस नहलाया ही था ....पर दीदी को उन्होंने बहुत देर तक परेसान किया ...
मैं : परेसान मतलब ....क्या कुछ जबरदस्ती ....???
अनु : नहीं ...वो सब कुछ ही ना ....
मैं एक दम से उठकर बैठ गया ....
अनु : क्या हुआ ....?????
मैं : तू मुझसे इतना आधा आधा क्यों बोलती है ....पहले सब बात खुलकर मुझे बता ...
नहीं तो मैं तेरे से बिलकुल नहीं बोलूंगा ....
अनु बहुत ज्यादा हॉर्नी हो गई थी ....वो मेरी हर बात मानने को तैयार थी ....
उसने कसकर मुझे अपने पर झुका लिया ...
मैं भी अब उसको छोड तो सकता ही नहीं था ....
..............................
मैंने उसकी नाजुक बुर को सहलाते हुए ही पूछा ..????
मैं : देख अनु मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूँ ...चल बता ..क्या-क्या किया उन्होंने तेरी जूली दीदी के साथ ....
सब कुछ अच्छी तरह से खुलकर बता ...
अनु : अह्हा बाद में ....भैया ...पहले तो ...यहाँ बहुत खुजली हो रही है ...
अनु बिलकुल बच्चे जैसा ही व्यबहार कर रही थी ...
उसने बड़ी मासूमियत से अपनी बुर को खुजाया ...
मैं उसकी मासूमियत देख उसका कायल हो गया ...
और उसकी बुर को सहलाते हुए चूम लिया ...
फिर मैंने कुछ देर तक उसकी चूत को चाटा ...
मैं अच्छी तरह जानता था कि ..कैसे उससे सब कुछ उगलवाना है ...
मैंने उसके लांचे की कोई परवाह नहीं की ...
मैं अनु को लांचे से साथ ही चोदना चाहता था ...
मैंने अनु को सही से बिस्तर के किनारे पर सेट किया ...
और उसके दोनों पैर घुटने से मोड़कर उसके पेट से लगा दिए ...
जैसे एक फूल की सारी कलियें ..बाहर को खिलती हैं ..ऐसे ही उसकी बुर की पुत्ती बाहर को हो गई ...
अनु की चूत के अंदर का लाल हिस्सा भी चमकने लगा ...
अनु की चूत और गांड दोनों के सुरमई द्वार बिलकुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे .,..
पर मैं तो इस समय केवल चूत के छेद को ही देख रहा था ...मेरा ध्यान बिलकुल गांड की ओर नहीं था ...
अभी तो अनु की चूत भी गांड से भी ज्यादा टाइट थी ...फिर गांड के बारे में कौन सोचता ....???
मैंने बेड के किनारे रखा क्रीम का ट्यूब उठाया ..और अनु के बुर पर रख दबा दिया ...
ढेर सारी क्रीम वहां इकठ्ठी हो गई ...
मैंने ऊँगली की सहायता से उसकी बुर के अंदर तक क्रीम भर दी ...
उसकी बुर बहुत चिकनी हो गई थी ...
मेरे से भी रुकना अब बहुत मुस्किल था ...
मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा ...
और हल्का सा ही दबाब दिया ....
मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी अनु को थी ...
उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए ....और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए ...
भाआककक्क्क्क्क्क्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया ...
अनु : अहाआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइइइइइइ
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