Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-04-2021, 12:17 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
उसके लंड के बाहर निकलते ही रीमा की आंखे चौड़ी हो गयी | लंड नहीं था बड़ा सा मुसल था | रीमा तेजी से उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर सहलाने लगी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूल चूका था | उसका सुपाडा उसकी खाल छोड़ चूका था |
कांपते हाथों से जितेश के उस मुसल लंड को अपने हाथ में थामा और सहलाने लगी | रीमा और जितेश ने एक दुसरे को देखा | रीमा ने जितेश के मुसल लंड पर सख्ती बढ़ा दी और जितेश के लंड को बुरी तरह मसलने लगी | जितेश हैरान रह गया आखिर ये रीमा क्या कर रही है | रीमा ने जितेश की तरफ देखना बंद कर दिया था उसका पूरा जितेश के लंड पर आ गया | जितेश का लंड रीमा के चेहरे के ठीक सामने था | रीमा के हाथो की तेज फिसलन से उठती गर्मी जितेश के लंड की गर्माहट बढ़ाने लगी | जितेश के लंड में तेजी से खून भरने लगा | उसका लंड का कड़ापन बढ़ने लगा | जितेश के शरीर में भी वासना की गर्मी बढ़ने लगी | रीमा के हाथ तेजी से जितेश के लंड की मजबूती चेक कर रहे थे | जितेश का लंड ने बिलकुल 90 डिग्री का कोण बना दिया | जितेश की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ने लगी | रीमा ने एक बार तेजी से हाथ पीछे जितेश के लंड की जड़ तक खीच दिए |

जितेश के लंड की खाल पीछे तक खीचती चली गयी उसका लंड का मोटा फूला लाल सुपाडा रीमा की आँखों के सामने चमकने लगा | उसके जिस्म की धधकती आग के कारन उसके ओंठ वासना की प्यास में सुख चले थे | रीमा ने अपनी जीभ के गीलेपन से अपने गुलाबी ओंठो को सींचा, जिससे उसके ओंठो की नमी वापस आई | रीमा ने अपनी उंगली से जितेश के जलते लंड के धधकते सुपाडे के तापमान का जायजा लिया | बहुत तेजी से मुठीयाने के कारन जितेश की सांसे तेज हो गयी थी | रीमा ने अपने रस भरे ओंठो को जितेश के लंड के सुपाडे को छुआ और उसके छेद से निकली नमी की बूंद से अपने ओंठ सींच लिए | रीमा ने जितेश का लंड इतनी तेज मसला था कि जितेश का प्रिकम की बूंद छलक आई | गार्ड की अधबुझायी वासना की आग रीमा अन्दर लगातार जल रही थी | जितेश के मोटे लंड और हट्नेटे कट्टे जिस्म ने उसको और भड़का दिया | रीमा गीली जीभ से गरम सुपाडे को चाटने लगी | उसकी जीभ तेजी से जितेश के सुपाडे के इर्द गिर्द फिसलने लगी | जितेश समझ गया था मैडम अच्छे से खेली खाई लगती हैं | उसके रीमा के मुहँ की तरफ लंड ठेलने की कोशिश की लेकिन रीमा ने चालाकी से लंड को तिरछा कर दिया | रीमा के हाथ जितेश के लंड पर फिसलते रहे |
रीमा - अब कुछ धर्य रखो, अपनी दीदी को भूल जावोगे ये रीमा का वादा है |
जितेश - ओह्ह्ह्ह मैडम |
रीमा - बस आज रात आहे कराहे ही निकलेगी |

रीमा ने फिर से सुपाडे के इर्द गिर्द जीभ नाचनी शुरू कर दी | अपने सुपाडे पर रीमा की गीली रसीली जीभ का ठंडा ठंडा अहसास जितेश को रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा लग रहा था | कुछ ही देर में जितेश बेचैन होने लगा |
जितेश - मैडम अब चुसो भी कितना तड़पाओगी |
रीमा मादकता में मुस्कुराते हुए - बड़े बेसब्र हो रहे हो , मुझे तो लगा था बड़े धीरज वाले मर्द हो |
जितेश - बस मुझे पता है आपको देख कैसे रोका है खुद को | अब नहीं रोक पाऊंगा |
रीमा - हाहा हाहा थोड़ा हवस में डुबो तो सही, जब तक अन्दर तक गोता नहीं लगाओगे तब तक इस जवानी का असली सुख नहीं भोग पाओगे | जितना सब्र रखोगे उतना ही मजा मिलेगा |

रीमा ने अपने ओठ फैलाये और जितेश के सुपाडे को निगलने लगी | उसके गुलाबी ओंठो ने जितेश के खुल से भरे लाल धधकते सुपाडे को निगल लिया और टॉफी की तरह चूसने लगी | जितेश को पता था मैडम को कुछ भी करने में कोई शर्म हया नहीं है, वरना लंड चूसने में ये अदा ये क़ाबलियत शायद बहुत कम औरतो में होती है | रीमा ने उसकी कामुकता बहुत बढ़ा दी थी फिर भी उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी वह सांसे भर करके अपने आप को काबू में रख कर के सुखद एहसास का अनुभव लेने लगा था | रीमा ने धीरे से जितेश के लंड को चुसना शुरु कर दिया था | और अपने कांपते रसीले गुलाबी होठों को उसके लंड पर गोल गोल घुमाने लगी थी | अब कोई शर्म नहीं थी कोई हया नहीं थी कोई पर्दा नहीं जब कोई झिझक नहीं थी | रीमा भी समझ गई थी जब यही नियति है तो क्या शर्म क्या चीज है सब कुछ खुलेआम करो ना | जितेश को भी लग रहा था कि रीमा के साथ खुल करके ही खेलने में समझदारी है इस तरह से शर्माने झिझकने का कोई फायदा नहीं है | जितेश ने फटाफट अपनी चड्डी पैरों से नीचे की तरफ उतार दी और उसके बाद रीमा उसके पैरो के बीच में पूरी तरह से आराम से बैठकर उसके लंड को चूसने, चटाने और चूमने लगी|

इतने अच्छे से रीमा को लंड चूसते देखकर जितेश के मुहँ से सिसकारियां ही फुट रही थी | उससे रहा नहीं गया सिसकारियां भरते हुए बोला - मैडम लग रहा है आपका यह फेवरेट है |
रीमा बोली - नहीं मेरा सब कुछ फेवरेट है वह अलग बात है लोग अक्सर कहते हैं यह काम में बहुत अच्छे से करती हूँ | बाकि काम भी अच्छे से ही करती हूँ ...............................................................बस सबका अपना-अपना टेस्ट है |
जितेश - कुछ भी कमाल का लंड चूसती है मैडम |
रीमा - फिर तुमने मैडम कहना शुरू कर दिया |
जितेश - मै आपको मैडम ही कहूँगा |
रीमा - तुमारा औजार भी कमाल का है |
जितेश - अब मैडम ये तो जुल्म है, ऐसे माहौल में ये शब्द माहौल नहीं गन्दा कर रहे है |
रीमा - तुम मुझे रीमा कहो तो मेरे अन्दर से भी अपनापन निकले | तुमने ही पराया कर रखा है तो मै क्या करू |
रीमा ने लंड को कसकर ओंठो से जकड़कर चूस लिया और लगी हाथ हिलाने |
जितेश के मुहँ से कराह निकल गयी - ठीक है रीमा |
रीमा - ये हुई न बात ..................तुम्हारा मुसल तो बहुत ही बड़ा मोटा है इसीलिए मुझे लग रहा है तुम्हारी दीदी कोई पसंद आ गया था |
जितेश - हां सच कह रही हो रीमा दीदी मेरे लंड की वजह से ही मुझसे प्यार करने लगी थी और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी कुंवारी चूत में से चुदवाई थी |
रीमा लंड चूसते हुए बोलती- तुम्हारा लंड है भी कमाल का ..........किस्मत वालों को ही ऐसा लंड मिलता है |

रीमा ने अभी तक सिर्फ जितेश के सुपाडे को ही मुंह में ले पाई थी और चाट रही थी लेकिन अब उसने और गहराई तक रितेश के लंड को मुहँ में निगलने लगी | थोड़ा थोड़ा करके ;लंड को अन्दर ले जाती और चुस्ती | इधर वासना में नहाये जितेश का मन था पूरा का पूरा लंड रीमा के मुहँ में पेल दे और धक्के पर धक्के मार के कसकर रीमा का मुहँ में चोद दे | रीमा जितेश के लंड को और अन्दर तक मुंह में निगलने की कोशिश करने लगी थी हालांकि बार-बार उसके बड़े लंड की वजह से उसे दिक्कत हो रही थी | अब आगे बढ़कर के रीमा उसके लंड को और गहराई तक चूसने चाटने की कोशिश कर रही थी | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया |

जितेश भी रीमा के इस अदाकारी पर फिदा हो गया था उसने आंखें बंद करके पूरी तरह से इस इस मोमेंट को अपने अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहा था वह बस इस चीज को इंजॉय करना चाह रहा था उसने सब कुछ रीमा पर छोड़ दिया था | रीमा ने पूरा का पूरा सुपड़ा मुंह में ले रखा था और खास करके अब वह लंड के निचले हिस्से को निगलने की तरफ बढ़ने लगी थी |

रीमा जितेश के लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी | बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता | लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | रीमा की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर जितेश पागल हुआ जा रहा था | जितेश कामुक लम्बी कराहे भर रहा था | कुछ देर बाद अचानक जितेश का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है | उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है | रीमा इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी | रीमा ने जितेश का प्रतिरोध किया, लेकिन जितेश की ताकत और मजबूती के आगे उसे जितेश का पूरा लंड गटकना पड़ा | जितेश का का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ रीमा के गले में जाकर अटक गया | जितेश ने नीचे से कमर का झटका मारा और रीमा का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया | लंड उसके गले में फंस गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी | रीमा ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी | उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली | उसकी आँखों से पानी बहने लगा | यही तो रीमा चाहती थी | सामन्य से कुछ हटकर कुछ अलग सा, जो उसके अन्दर की वासनाओं को तृप्ति पंहुचाये भले ही उसके जिस्म को कितनी तकलीफ हो | अभी रीमा को खासी आ गयी, आखो के लालिमा बढ़ने लगी, वो अपनी सांसे काबू कर रही थी लेकिन उसकी चाहत थी जितेश एक बार वैसे ही फिर से उसके मुहँ में लंड ठेले |
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09-04-2021, 12:17 PM,
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उसके अपने ओंठ चौड़े किये और उसके लंड को निगलती चली गयी | फिर तेजी से उसके लंड पर अपना सर हिलाने लगी | उसके ओंठ लंड के चारो ओर सरसराने लगे | वो तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगी | उसके खासने के डर से इस बार जितेश ने उसे हाथ नहीं लगाया लेकिन कुछ देर बाद उसने खुद ही जितेश का हाथ अपने सर पर ले जाकर रख दिया | जितेश ने नीचे से कमर हिलानी शुरू करी और ऊपर से उसका मुहँ स्थिर कर दिया | रीमा के मुहँ की गीली सुरंग में जितेश का लंड सरपट फिसलने लगा | रीमा के मुहँ से बाद गों गों गों गों गों गों गों की आवाजे ही आ रही थी | उसके मुहँ का रस तेजी से बाहर की तरफ बह रहा था और उसकी आंखे लाल होती जा रही थी | जितेश कुछ देर बाद कमर हिलाने के बाद रुक गया |

रीमा के बदन की बढ़ती हुई गर्मी और तेज सांसें भी साफ साफ नजर आ रही थी | इधर जितेश भी पूरी तरह से पस्त हो गया था | इस तरह से लंड को चूसना तो छोड़ो , इधर कई सालों से तो वह बस कभी कभार ही किसी औरत के छूने को पाता था | रंडियों को चोदना अलग बात होती है लेकिन एक औरत जब दिलो जान से किसी को मर्द के साथ में लंड चुस्ती है तो कुछ बात ही अलग होती है |
रीमा के साथ यही मामला था जितेश और रीमा जो है एक दूसरे को सुख देने के लिए एक दूसरे की तरफ आकर्षित हुए थे | अब जितेश का लंड रीमा के मुंह के आखिरी छोर तक पहुंच गया था और अब उसके गले में उसका सुपारा अटकने लगा था रीमा समझ गई थी अगर उसे जितेश का पूरा लंड निकलना है तो उसे इसे गले के नीचे उतारना होगा | रीमा कसकर जितेश के लंड को अपनी गुलाबी होठों की सख्कत कसावट से चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे जितेश वर्ग में पहुंच गया हो | रीमा के मुहँ की गरम गुनगुनी गुलाबी खुरधुरी जीभ का उसके गरम मीनार की तरह तपते लंड पर अहसास, रीमा की गीली लार के चिकनाहट के साथ उसके लंड पर फिसलते रसीले गुलाबी ओंठ यह ऐसा एहसास था जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता था बस महसूस किया जा सकता था | रीमा उस एहसास को जितेश को महसूस करा रही थी |

रीमा ने थोड़ा सा और जोर लगाया और जितेश के लंड को पूरा निगलने के लिए अन्दर तक घोंट लिया | जितेश का लंड रीमा के गले तक चला गया, उसके बाद उसके गले में उतरने लगा | क्योंकि जितेश का लंड बहुत बड़ा था इसलिए बिना गले के नीचे रीमा के मुहँ में समाने वाला नहीं था | रीमा भी कहाँ हार मानने वाली थी रीमा ने पूरा का पूरा मुहँ खोल दिया और जितेश के लंड को अन्दर तक निगलने लगी | उसके मुंह के लार से जितेश की गोलियों और जांघे गीली होने लगी थी | उसकी आंखों पूरी तरह लाल हो गयी थी लेकिन वो रीमा ही क्या जो हार मान जाए | लंड चूसना उसका सबसे फेवरेट था और वह फटाफट किसी भी अनजान आदमी का लंड भी चूस सकती थी | उसे पता था एक बार यह पूरा का पूरा लंड उसके मुंह में घुस गया तो समझ लो उसकी वासना का एक पड़ाव उसने पार कर लिया जितेश को जो चरम सुख मिलेगा वो अलग | हालाँकि जितेश इस बात को लेकर निश्चित नहीं था की रीमा उसका पूरा का पूरा लंड मुहँ में ले पाएगी और इसीलिए बार-बार आंखें खोल कर देखता था |

रीमा की आंखों से पानी बह रहा था उसकी आंखें लाल हो गई थी लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी | जितेश समझ गया था रीमा वासना में पूरी तरह डूब चुकी है उसे अपने मुहँ और गले में होने वाली तकलीफ का अहसास तक नहीं है | उसने रीमा के सर पर हाथ रखा और उसके मुंह को नीचे हिला हिला के चोदने लगा था और नीचे से भी कमर के थोड़े थोड़े झटके देने लगा था हालांकि बहुत हल्के हलके झटके मार रहा था और इसी के साथ में वह रीमा के मुंह को चोदने लगा था ताकि कुछ देर के लिए रीमा का थोड़ी सी राहत मिल जाए | कुछ देर तकजितेश ने कमर हिलाई उसके बाद रीमा ने फिर से कमान अपने हाथ में ले ली और अब वह जितेश के लंड को अपने गले के नीचे उतार कर घोटने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थी | उसने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार लगायी और उसे चिकना बनाया और अपना मुंह खोला उसके लंड को निकलती चली गई और उसके बाद में उसने खुद को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और उसके लंड को अपने गले के नीचे उतारने लगी हालांकि यह संभव नहीं था | फिर भी उसने खुद के सर का सारा बोझ उस तने लंड पर डाल दिया | जितेश का लंड उसके गले को धीरे धीरे चीरते हुए उसके गले में धंस गया | रीमा ने धीरे-धीरे जितेश के लंड को जड़ तक निगल लिया | जब जितेश देखा तो रीमा तो उसकी जड़ तक उसका लंड मुहँ में घोंट के बैठी है तो हैरान रह गया | रीमा ने तेज से सर को पीछे खीचा और लम्बी साँस ली |
रीमा फिर अपनी उखड़ी सांसे काबू करते हुए बोली - इसे मेरे गले के नीचे उतार दो |
जितेश - रीमा अपने आप को क्यों तकलीफ देना चाहती हो, इस आग को बुझाने के और भी तरीके है |
रीमा - इसी तकलीफ में तो मजा है , तुम मुझे चुदाई पर मत पेलो बस मुहँ में लंड पेलो |
जितेश - लेकिन ये इतना बड़ा .........................|
जितेश की बात पूरी भी नहीं हुई - लंड मेरे मुहँ में जायेगा फट तुमारी क्यों रही है | चुपचाप पेलाई करो जैसे कह रही हूँ |
रीमा आराम से बेड पर सीधे लेट गयी और सर नीचे की तरफ लटका दिया | जितेश उसके सर की तरफ पीछे से आया |

उसने रीमा के खुले मुहँ में लंड घुसेड़ दिया और उसके बाद में ठेलता ही चला गया था | उसका दो तिहाई हिस्सा के मुंह में घुस गया था | उसने लंड को पीछे खीचा, रीमा ने लम्बी साँस ली और उसका लंड फिर से रीमा के मुहँ से सरकने लगा | उसने जोर लगाया और लंड रीमा के गले के नीचे उतरने लगा था जैसे जैसे जितेश का लंड रीमा के गले के नीचे उतर रहा था उसका उभार उसे साफ दिख रहा था रीमा गले में जलन होने लगी थी क्योंकि इतना मोटा लंबा लंड उसके गले में सिर्फ एक बार गया था | इससे पहले उसने बस रोहित का ही लिया था | जितेश धीरे-धीरे समझ गया था रीमा क्या चाहती हो और वह पूरी तरह से रीमा के मुंह में अपने लंड को घुसाने लगा था जितेश लंड को पूरी तरह से रीमा के मुंह में उतारने लगा था उसके गले में जो जलन हो रही थी धीरे-धीरे वह जलन लंड के रगड़ने से और बढ़ रही थी लेकिन रीमा को वासना की गर्मी में उसका एहसास शायद ही हो रहा हो | धीरे-धीरे जितेश का लंड रीमा की गर्दन के नीचे उतारने लगा था और एक बार पूरा जोर लगाकर रीमा ने लंबी सांस ली और जितेश के लंड को धक्का मारा और उसका लंड रीमा की जीभ से फिसलता हुआ उसके गले के नीचे तक उतार गया | जितेश के लंड की जड़ को रीमा के ओंठ छु रहे थे | रितेश का लंड पूरी तरह से भी रीमा के मुंह को चीरता हुआ उसके गले में नीचे तक फंसा हुआ था | कुछ देर तक रीमाँ जितेश के लंड को जड़ तक घोंटे रही | उसके बाद उसने फिर से पीछे की तरफ खींचते हुए जितेश के लंड को बाहर की तरफ निकाला और फिर से यही चीज दोहराई और फिर लंबी सांस ली | अब हट झटके के साथ उसके लंड को पूरी तरह से चूसने लगी थी कुछ देर बाद ही रीमा ने जितेश के लंड को ओंठो से जकड़ लिया और जितेश को चोदने के लिए कहा है | जितेश समझ गया उसने पीछे से कमर को हिलाना शुरू कर दिया था जिससे जितेश का लंड रीमा के मुंह में आसानी से आने जाने लगा था | जितेश ने रीमां के सर को पकड़कर के स्थिर किया और कसकर करके रीमा के मुहँ को चोदने लगा था यही तो रीमा चाहती थी | इसी तरह से पूरी तरह से टूट के वासना में डूब जाना ही तो उसकी दिली तम्मना थी | उसे अपनी वासना की उन ख्वाहिश के एहसास तक चुदना था जब तक उसका बदन जवाब ना दे जाए और यह तभी हो सकता था जब उसे एक तगड़ा लंड चोदने के लिए मिले | जितेश के रूप में उसे उसका मन पसंद का लंड मिल गया था | वह अपने सारे अरमान आज पूरे कर देना चाहती थी | उसने रात की शुरुआत मुहँ से करी थी लेकिन कल की सुबह कहाँ पर खतम करेगी इसका उसे भी अंदाजा नहीं था | जितेश भी हैरान था लेकिन खुश था उसे पता था कि रीमा दूसरी औरतों से थोड़ा अलग है इसीलिए उसे यह भी पता था कि रीमा के साथ उसका एक्सपीरियंस की दूसरी औरतों से कुछ ज्यादा ही अलग होगा | ये उसे बस अभी कुछ ही पलों में नजर आ गया था | रीमा पूरी तरह से जितेश का लंड अपने मुंह में ले रही थी और जितेश लम्बे लेकिन बेहद धीमे झटके लगा रहा था |

रीमा के मुहँ में चुदने की आवाजे ही आ रही थी - ख्ख्ख्खक्क्क्कक्क्क ख्ख्ख्खाक्काक्काक आआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्हक्क्क्कक |
अब किसी तरह के एक्सपेरिमेंट का वक्त नहीं था रीमा भी चाहती थी कि अब जितेश कसकर उसके मुंह में लंड को पेल दे |
रीमा - अब बिना मेरी परवाह किये पेल दो मेरे मुहँ में लंड | मिटा लो अपनी हसरत और बुझा दो इस हवस की ख्हवाइश को हमेशा के लिए |

जितेश से भी अब काबू नहीं हो रहा था जैसे ही जितेश ने रीमा के मुंह से लंड निकाला रीमा एक लंबी सांस खींची और उसके बाद जितेश ने रीमा के मुंह में लंड पेल दिया था | इसके बाद में जितेश धीरे-धीरे लेकिन लंबे-लंबे स्ट्रोक रीमा के मुंह में लगातार लगाता रहा | रीमा के मुहँ में रितेश अपना पूरा लंड गले तक उतार रहा था धीरे-धीरे उसने अपने झटके लगाने की स्पीड बढ़ा दी | अब वो एक बार में 10 से 15 झटके लगाता था और फिर लंड को रीमा के मुंह से बाहर निकाल लेता था इसके बाद में रीमा लंबी सांस लेती थी और जितेश फिर से रीमा के मुंह में लंड पेल देता था | रोहित जितेश बस आहें भर रहा था और हाफ रहा था और उसके मुंह से बस कामुक कराहे निकल रही थी | एक रीमा के मुंह से चप चप चक गों गों सप सप की आवाजें आ रही थी | जितेश धीरे-धीरे करके रीमा के मुंह में लंड पेलने की स्पीड बढ़ाता जा रहा था और रीमा भी अपने होठों को पूरी तरह से फैलाए हुए रितेश को लंड को पूरी पूरी तरह अपने मुंह में घोट रही थी | दोनों ही अब बुरी तरह से हांफने लगे थे | रीमा का सीना तेज सांसो के कारन तेजी से हांफ रहा था और जितेश भी उसी तरह से हांफ था | रीमा की जोरदार मुहँ चुदाई चल रही थी ऐसी चुदाई जो हमेशा से रीमा चाहती थी लेकिन उसे सोचने से और ख्वाहिश में लाने से डरती थी | वो जितेश का पूरा लंड घोंट चुकी थी हालांकि यह बहुत ही तकलीफ था | फिर भी उसने अपने दिल की ख्फिवाइस पूरी की | जितेश का पूरा का पूरा लंड रीमा के मुंह में जा रहा था और वह जिस स्पीड से रीमा के मुंह में पूरा का पूरा लंड पेल रहा था वह कल्पना से परे था यही तो चाहती थी यही तो उसका सपना था यही तो उसकी वासना की मानसिक तृप्ति थी अब इससे ज्यादा और रीमा को क्या चाहिए था |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जितेश को अपने शरीर में तनाव महसूस होने लगा था उसने रीमा के सर को कसकर जकड लिया ताकि वो हिलने न पाए और बेतहाशा उसके मुहँ में लंड पेलकर उसके मुहँ को चोदने लगा | रीम अभी समझ गयी जितेश झड़ने वाला है उसने भी होंठ फैला दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड उसके मुहँ में जा सके | अब सिर्फ मुहँ चुदाई हो रही थी वो भी अपनी फुल स्पीड में | जितेश अपने चरम पर पंहुच पता नहीं क्या क्या बडबडा रहा है – आह रीमा मै झड़ने वाला हूँ, मेरा सफ़ेद रस बस निकलने वाला ही है | तुम पियोगी ना मेरा गरम लंड रस |
रीमा भी उसी वासना की आग में तपती हुई – हाँ उड़ेल दो सारा मेरे मुहँ, भर दो मेरा मुहँ लंड रस से | बुझा दो मेरे ओठो की प्यास , तर कर दो मेरा गला अपनी पिचकारियो से |

जितेश– हाँ बस पिचकारी निकने वाली ही है तुमारी सारी प्यास आज मै बुझा दूगां, युमारी बरसो की प्यास मै आज मिटा दूगां | भर दूगां तुमारा पूरा मुहँ अपनी पिचकारी से |

रीमा – भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से | बहुत प्यासी हो इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो | पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को |

दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे |

जितेश ने झड़ने से पहला आखिर झाका दिया | जितेश ने पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को रीमा के गले तक ठेल दिया | उसकी जांघे कपने लगी, शरीर अकड़ गया, उसके चुतड अपने आप ही सिकुड़ने फैलने लगे | उसकी गोलियों से तेज बहाव लंड की तरफ आता महसूस हुआ |

जितेश – रीम्म्म्मम्म्मा मेरी पिचकारी छुटने वाली है आआआआआ आआआआआआआआआआ| जितेश के लंड से पिचकारियाँ छुटने लगी |

जितेश के हाहाकारी भारी भरकम मोटे मुसल लंड के आक्रमण से जलते गले में एक गरम पिचकारी लगी, और सीधे गले में उतर गयी | जितेश का सफ़ेद गरम लंड रस बह निकला |

जलते गले में गीले गरम पिचकारी लगने से रीमा के शरीर में एक झुनझुनी सी दौड़ गयी | गरम सफ़ेद लंड रस के स्पर्श से ही उसे हल्का सा ओर्गास्म हो गया | फिर लंड ने पिचकारी की झड़ी लगा दी, जितेश ने थोड़ा लंड बाहर खीचा और मुहँ में झाड़ने लगा ताकि रीमा उसका सफ़ेद गाढ़ा लंड रस का स्वाद ले सके |
काफी देर तक जितेश की कमर हिलती रही, रीमा के मुहँ में वो झड़ता रहे, रीमा उनके लंड रस की एक एक बूंद गटकती चली गयी | जितेश की गोलिया खाली हो गयी, आखिरी बची कुछ बुँदे उसके लाल फूले सुपाडे पर आकर अटक गयी जिन्हें रीमा के अपनी जीभ से चाट लिया | उसके बात रीमा जितेश के लंड को चाटती रही और तब तक चाटती रही जब तक उसमे से एक भी बूंद की गुंजाईश बनी रही |

रीमा ने जितेश के सीने पर अपना सर रख दिया और जितेश ने भी अपना हाथ रीमा की पीठ पर रख दिया | दोनों एक दूसरे के से चिपक कर अपनी अपनी सांसे काबू करने लगे | दोनों तेजी से हाफ रहे थे उनके शरीर पसीने से लथपथ थे | वह दोनों खुद को काबू करने की कोशिश करने लगे और अपनी लंबी लंबी तेज सांसों को नियंत्रित करने लगे | जितेश ने अपनी आंखें बंद कर ली थी उसे जो सुख प्राप्त हुआ था वह जिस आनंद के सागर में गोते लगाकर अभी अभी निकला था उसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी | वह आंखें बंद करके बस उसी पल को हमेशा के लिए अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहता था | रीमा भी खुद को काबू कर रही थी | रीमा जितेश जितेश के सीने पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी जितेश का हाथ रीमा के चूतड़ों पर चला गया और वह उसके चूतड़ों को सहलाने लगा था | दोनों छत की तरफ देख रहे थे इस लंड चूसाई से रीमा को प्रियम की याद आ गई जब उसने पहली बार प्रियंम का लंड चूसा था इसलिए रीमा अपने पुराने अतीत में चली गई | प्रियम का ख्याल आते ही उसे अपने घर का ख्याल आने लगा | उसे प्रियम रीमा अनिल रोहिणी सब याद आ गए | आखिर वह कैसे होंगे ? कहां होंगे ? मेरे बिना वह किस हालत में जी रहे होंगे पता नहीं उन्होंने खाना खाया होगा नहीं खाया होगा कितने परेशान हो रहे होंगे मेरे लिए ? यही सब सोच सोच कर रीमा की जान निकली जा रही थी कुछ पल पहले वह खुशी और आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और अब उसके मन में अवसाद और दुख भरा हुआ था वह समझ नहीं पा रही थी आखिर उन पर क्या बीत रही होगी, वह बस यही सोच सोच कर परेशान हो रही थी पता नहीं किस हालत में वो लोग होंगे और कहां-कहां हाथ-पांव मार रहे होंगे मुझे ढूंढने के लिए मैं यहां से कब निकलेगी मुझे लगता है जितेश से मुझे बात करनी चाहिए मुझे मेरे घर पहुंचा दे | न पंहुचा दे तो कम से कम एक फ़ोन कर दे | या मेरी फ़ोन पर बात करा दे | वो हैरान थी आखिर जितेश इस ज़माने में बिना फ़ोन के रहता कैसे है | यहाँ से निकलने में खतरा तो रहेगा लेकिन कम से कम में जितेश से बात तो कर ही सकती हूं जब भी जितेश को सही लगेगा मुझे यहां से निकाल कर बाहर घर पहुंचा देगा | सूर्य देव के आदमी चारो तरफ घूम रहे होगे | पर क्या करूं खतरा तो है ही है खतरे से डरकर कब तक इस कमरे में बंद रहूंगी |

उधर जब रीमा अनिल और रोहित को नहीं मिली | तो दोनों बेचारे पुरे पुलिस दल के साथ वापस अपने शहर आ गए हैं | हालांकि पोलिस ने अपना पूरा जाल बिछा दिया था | छोटे बड़े हर गुंडे के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी | इधर रोहित ने भी अपने निजी जासूस को रीमा का पता लगाने में लगा रखा था लेकिन समस्या ये थी ये क़स्बा पूरी तरह से सूर्यदेव के कब्जे में था इसलिए इतनी जल्दी यहाँ रोहित के जासूसों के लिए घुसपैठ करना आसान नहीं था | रोहित उनसे बार-बार लगातार संपर्क कर रहा था लेकिन रीमा का कोई अता-पता नहीं था | रोहित कुछ भी कमी बाकि नहीं रखना चाहता था उसने रिटायर हो चुके एक जान पहचान के इंटेलिजेंस के ऑफिसर को रीमा की खोज के लिए लगाया, जिसकी खुद की अपनी जासूसी की एजेंसी थी | उसने रीमा के इस तरह गायब होने की वजह जानने की कोशिश करी, लेकिन इसका जवाब न तो रोहित के पास था न पोलिस के पास | ऊपर से विलास के बेटे की मौत का मामला भी टॉप सीक्रेट हो गया था इसलिए कड़ियाँ जोड़ना तो छोड़ो पकड़ना मुश्किल हो रहा था | विलास अपनी मौत के शोक में आग बबूला बैठा था | अपने घर के क्रिया कर्म करते ही वो कहर बनकर सब पर टूटेगा ये, उसे जानने वाले सबको पता था | सूर्यदेव को भी ये बात पता थी इसलिए उसके पास ज्यादा दिन नहीं थे | उसे भी हर हाल में रीमा को ढूंढकर विलास के सामने करना था नहीं तो वो कुत्ते की मौत मारा जाता | पुलिस अपने स्तर हाथ-पांव मार रही थी लेकिन अब पुलिस कड़ियां जोड़ने पर और जिन लोगों पर शक था उनको उठा उठा कर पकड़ कर पूछताछ कर रही थी और यह काम लंबा था और इसलिए रातो रात रिजल्ट मिल पाना नामुमकिन था | यही सब समझते हुए अनिल और रोहित दोनों ही वापस अपने घर की तरफ लौट आए थे | रोहित के घर पर रोहिणी प्रियम अनिल और उनके दोनों बेटे और बेटी कमरे में बैठे हुए थे टीवी पर रीमा के गायब हो जाने की खबर चल रही थी और पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा गायब हो गई है | प्रियम को भी पता चल गया था रोहिणी को भी पता चल गया था और भी पूरे शहर को भी पता चल गया था | घर में सभी इस तरह से दुख में मायुस सा चेहरा बनाये थे जैसे घर में मातम मनाया जा रहा हो | सभी के मन में एक ही बात थी आखिरी रीमा ने किसी का क्या बिगाड़ा था वह तो इतनी सीधी और सरल थी | कभी किसी से तेज आवाज में बात तक नहीं करती थी | सभी शोक में डूबे हुए थे रोहित और अनिल ने दूसरे को देखा और रोहिणी की तरफ देख कर बोले - बच्चो इस तरह से परेशान होने की जरुरत नहीं है | पोलिस ने बोला है अगले 24 घन्टे में रीमा मिल जाएगी |
रोहित - मुझे लगता है दीदी बच्चों को खाना खिला कर सुला देना चाहिए |
रोहिणी ने भी हामी भरी |
वह प्रियम के साथ-साथ अपने दोनों बच्चों को ले करके खाना खिलाने के लिए ले जाने लगी |
इधर अनिल और रोहित दोनों आगे क्काया किया जाये इस बारे में सोचने लगे | काफी देर तक इसी बात की चर्चा करते रहे कि आखिर और कौन-कौन से तरीके हैं जिसे रीमा को जल्दी खोजा जा सके | तभी रोहित का फ़ोन बजा | वो शहर की ही एक बड़े पुलिस अधिकारी का फ़ोन था |
रोहित के साथ उसकी हाय हल्लो हुई फिर वो पोलिस क्या कर रही है ये अपडेट देने लगा | रोहित ने अपना फ़ोन स्पीकर पर कर दिया |
अधिकारी - रोहित तुम परेशान मत हो | हम रीमा को जल्दी ही खोज लेगें | अब तक मेरा जो अस्सेमेंट है रीमा वही उसी कस्बे में है | कस्बे के बाहर हमने नाकाबंदी कर रखी, वहां से निकलने वाले हर गाड़ी की जाँच की जा रही है | सूर्यदेव नाम के गुंडा वहां तस्करी और दुसरे काले धंधे करके खुद को उस कस्बे का माफिया घोषित कर रखा है | उसके हर आदमी और मूवमेंट पर हमारी नजर है | वहां की पोलिस भी बहुत सहयोग कर रही है | मैंने रीमा के कॉल डिटेल्स निकाल लिए है | उस पर ग्रोसरी स्टोर पर हुए हमले से भी इसका कोई न कोई लिंक हो सकता है | हम हर पहलू से जाँच कर रहे है | कल सुबह तक रीमा की पहचान बताने वाले को हम ढाई लाख का इनाम भी घोषित करवा देगें | इसके अलावा सारे ऑटो और रिक्शा वाले भी हमारे राडार पर है | सूर्यदेव पर हमारी नजर है जरुरत पड़ी तो सूर्यदेव को हिरासत में ले लेगे | असल में वो विलास और मंत्री जी खास आदमी है इसलिए अभी उस पर हाथ डालने का मतलब खुद के हाथ जलाना है | थोड़ा सा धैर्य रखो, अगर हमें एक भी सुराग मिला तो तुरत सूर्यदेव को धर दबोचे |
रोहित - यार मिलन्द ये सूर्यदेव है कौन, इतने सालो से यहाँ हम रह रहे है | आसपास के आठ दस जिलो की तो सारी कुंडली हमें पता है | इसका नाम कभी नहीं सुना |
मिलिंद - हाँ सरप्राइज तो हमारे लिए भी है, सुना है विलास से इसकी कुछ खटपट भी हुई है हालिया बिज़नस को लेकर | फिलहाल इसका नाम तीन साल पहले ही हमारे राडार पर आय है जब हमने १० किलो कोकीन जब्त की थी | चूँकि हमारा जिला नहीं लगता इसलिए फिर ज्यादा कोशिश नहीं की गयी | ऊपर से बॉस का भी आदेश था मामले की जाँच बंद कर दो | लेकिन मै उस जिले से इसके सारे काले कारनामो का किस्सा निकलवा रहा हूँ |
रोहित -अच्छा एक बात बता मिलिंद ये विलास वही न जिसका रिवर लाउन्ज में मंत्री जी के साथ पार्टनर शिप है |
मिलिंद - हाँ वही, तू जानता है उन्हें |
रोहित - हाँ पैराडाइज का सेटअप तो मैंने ही किया था | तभी मुलाकात हुई थी |
मिलिंद - कभी उसके दर्शन हमें भी करा दे |
रोहित - उसमे क्या है कभी भी चला जा |
मिलिंद - हम सरकारी नौकर है, पैसो का पेड़ नहीं लगा है | इतना महंगा है, एक विजिट में दो महीने की सैलरी निपट जाएगी |
रोहित - भाई मजे लेगा तो जेब तो ढीली ही होगी | अच्छा ये सब छोड़ ये बता विलास के साथ कुछ त्रासदी हुई है क्या | शहर की हाई सोसाइटी सर्किल में घूम रहा है कुछ भयानक हो गया है विलास के साथ | उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली है |
मिलिंद - टॉप सीक्रेट है बताना मत किसी को, उसके बेटे को किसी ने गोली मारी है वो भी जंगल के बीचो बीच में | उसकी लाश पूरी तरह से नंगी मिली है | किसी लड़की का चक्कर होगा पक्का बता रहा हूँ | आगे जाँच करने का आदेश नहीं वरना सब पता चल जाता | किसी उलटा खोपड़ी के आदमी की बेटी को चोदने की कोशिश की होगी या चुदाई के बीचो बीच पकड लिया होगा | तुरंत ही पेल दिया | ये मै इसलिए कह रहा हूँ वहाँ से एक साड़ी या दुप्पटे का कपड़े के धागे मिले है | मतलब वहां कोई लड़की आई या लायी गयी |
रोहित - ये कब की बात है |
मिलिंद - ये तो रीमा भाभी गायब हुई है | ओह शिट ........................बुत जग्गू और रीमा के बीच कोई कनेक्शन नहीं है |
रोहित - ओह शिट शिट शिट ये मेरे दिमाग में अब तक क्यों नहीं आया |
मिलिंद - क्या नहीं आया ?
रोहित - रिवर लाउन्ज में बवाल हो गया था | जग्गू ने किसी लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करी थी और तुम्हे तो पता है रीमा कितनी आदर्शवादी है | उसने वहां हंगामा खड़ा कर दिया था | हालाँकि वो लड़की थी तो साली रंडी ही लेकिन रीमा को सब अपने जैसे लगते है | सच्चे आदर्शवादी ...................विलास को माफ़ी मांगनी पड़ी थी | लेकिन मुझे डाउट है विलास उस बात को लेकर आगे गया होगा |
मिलिंद - लेकिन वो नशेड़ी उसकी औलाद |
रोहित - लेकिन रीमा के खिलाफ जग्गू .....................वो तो मेरे बेटे प्रियम का भी अच्छा दोस्त था, लेकिन सच ये भी है रीमा की वजह से उसका स्कूल छुट गया था |
मिलिंद - अब आगे क्या करना है, विलास पर सीधे सीधे हाथ डालने का मतलब है नौकरी गयी |
रोहित - मुझे लगता है कुछ न कुछ तो जग्गू और रीमा के बीच कनेक्शन है | मुझे कुछ पता चलता है तो तुझे बताता हूँ |
इतना कहकर फ़ोन काट गया |
थोड़ी देर बाद बच्चे जब खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए तो रोहिणी भी वहां आ गई और वह भी जानकारियां लेने लगी थी | उसके बाद रोहिणी ने सबके लिए खाना लगा दिया | उसके बाद में बेमन से थोड़ा-थोड़ा खाना रोहित अनिल और रोहिणी ने खाया | अपने अपने कमरे में चले गए थे सबके दिमाग में इसमें बस एक ही बात घूम रही थी आखिर रीमा इस तरह से कैसे गायब हो गई क्या हुआ कैसे हुआ अभी उनको सारी बात नहीं पता चली थी इसीलिए वह इन सब रहस्यों से अनजान थे | सब कुछ बस अनुमानों पर टिका था, रोहित आखिर कैसे पता लगाये की जग्गू और रीमा की बीच क्या कुछ हुआ था | प्रियम से पूछता हूँ शायद कुछ पता चले | लेकिन जब वो प्रियम के कमरे की तरफ गया | तो बाहर की आहट सुनते ही प्रियम सोने का नाटक करने लगा | रोहित उसको सोता देख वापस आ गया और सुबह उससे बात करने की सोचने लगा |

काफी देर तक सभी लोग अपने-अपने कमरे में बिस्तर पर इधर उधर लुढ़कते रहे न रोहिणी की आंखों में नींद थी ना ही रोहित की आंखों में नींद थी ना ही अनिल की आंखों में नींदे और ना ही प्रियम की आंखों में नींद थी | प्रियम को लग रहा कही न कही उसकी वजह से तो चाची मुसीबत में नहीं फंस गयी | आखिर थी तो उसकी चाची ही | चाची से जो भी लड़ाई झगड़ा मारपीट गुस्सा मान मनोबल चलता था वो सब तो रिश्ते का हिस्सा था | उसकी चाची ने ही उसे वह जिंदगी के राज बताएं थे जो शायद उसको अपनी जवानी की दहलीज के आगे निकल जाने के बाद पता चलते | उन्होंने उसे वह सारे राज कच्ची जवानी में बता दिए थे | रीमा चाची की वजह से उसने उतना सब कुछ इस कच्ची उम्र देख लिया था जो शायद उसे अभी देखने की उम्र नहीं थी | चाची ने उसका लंड चूसा था, अपने खूबसूरत से गुलाबी जिस्म का कोना कोना दिखाया था | इसीलिए वह अपनी चाची के जवान गोरे जिस्म का दीवाना था | उसके दिलो-दिमाग मेरी रीमां चाची ही छाई रहती थी | उसे सही गलत न केवल समझती थी बल्कि जवानी के रहस्य भी बताती थी, उन्हें कर कर दिखाती थी | उसका लंड जब जब रीमा चाची के लिए खड़ा हुआ हर बार उसकी प्यास को उन्होंने चूस कर बुझाया था | अफसोस चाची अचानक से गायब हो गयी उनका कोई पता नहीं लग रहा | अपना गोरा बदन दिखाया, अपने दूध दिखाए न केवल दिखाये बल्कि पीने को भी दिया | अपनी गोरी गुलाबी चूत दिखाई और चुदने को भी दिया | नाराज होती थी तो प्यार भी करती थी | आखिर कौन अपने जिस्म का कोना कोना दिखाकर जवानी के गुर अब उसे समझाएगा | जो गलत होता था उसकी सजा देती थी डांटती थी | लेकिन अपने सीने से भी चिपका लेती थी | कौन करेगा इतना प्यार उसे | उसे चाची को दुःख नहीं पंहुचना चाहिए था | माँ की तो कभी शक्ल तक देखने की नहीं मिली अब चाची भी चली गयी | अब क्या करेगा चाची के बिना यही सब सोच सोच का उसकी आंखों में आसूं आ गए | आखिर कहाँ चली गयी तुम रीमा चाची |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहित की भी आंखों में नींद नहीं आ रही थी वह बार-बार इधर-उधर बिस्तर पर करवट बदल रहा था और रीमा के बारे में सोचा था | आखिरी में इस तरह से कैसे गायब हो गई कि उसका कुछ भी सुराग नहीं मिल पा रहा है | पुलिस भी अपने हाथ-पांव मार रही है | उसके अपने खुद के आदमी भी रीमा को खोजने में लगे हुए हैं | कुछ तो क्लू मिले, कुछ तो सुराग मिले | रीमा की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी आखिर अचानक से क्या हो गया | अगर जग्गू से कुछ प्रॉब्लम होती तो रीमा जरुर बताती | पता नहीं वो जिन्दा भी ई या किसी ने ...............नहीं नहीं ये मै क्या उल्टा सीधा सोच रहा हूँ | लेकिन अगर किसी ने सच में उसे मार दिया हो तो | अगर ऐसा होता तो अब तक कहीं न कहीं लाश पुलिस को मिल गई होती | यही सोचकर ही रोहित के रोंगटे खड़े हो गए | उसके बाद में उसने खुद को समझाया और फिर से रीमा के बारे में सोचने लगा |

कितनी खूबसूरत थी कितनी प्यारी सी थी और कितनी सुशील थी जब तक कि उनके बीच की शर्म और लिहाज से पर्दा नहीं हटा | रीमा अपनी मर्यादा में ही रही और वो उसे देख कर बस अपने अरमानो की आहें भरता रहा था | जब एक बार उसके रीमा के बीच की रिश्तो की शर्म का पर्दा हटा , फिर तो गजब हो गया | उसके बाद जिस भी रूप में रीमा को रोहित ने देखा था वह हर बार पहले कि रीमा से बहुत ही अलग थी लेकिन जैसी भी थी कयामत थी कहर ढाती थी | रोहित को वह चरम सुख दिया जो शायद ही कोई औरत दे सकती थी | रोहित के लिए वह बहुत स्पेशल थी भले ही उसके स्वर्गीय भाई की पत्नी हो लेकिन क्या हुआ | रोहित भी रीमा के लिए बहुत खास था और रोहित के लिए रीमा बहुत खास थी | जो सुख उसे रीमा दे सकती थी या दिया था वो शायद ही उसकी आसपास मडराती औरतों के झुंड में से , जो उसके जिंदगी में आई शायद ही कोई कर सकता हो | रीमा से जो उसे सुख मिला जो अपनापन मिला, उसे बाहर की वन नाइट स्टैंड वाली लड़कियां कहां दे सकती थी | कभी-कभी सज धज के ऐसे तैयार होकर निकलती थी तो जब मन करता था बस उसे ही देखता रहा हूं सारा कामकाज भूल जाऊं | रोहित तो उसके चेहरे को काफी देर तक निहारता रहता था | इतनी खूबसूरत इतनी कोमल रीमा कहां होगी, कितनी मुसीबत में होगी, कैसे जी रही होगी पता नहीं | गुंडे बदमाश कौन उठाकर ले गया है पता नहीं | उसके साथ क्या-क्या करेगा ? रीमा को सुरक्षा की चिंता भी रोहित को खाए जा रही थी |

अनिल भी इसी सोच में डूबे हुए अपने बिस्तर पर इधर-उधर लुढ़क रहे थे और उसके दूसरी तरफ करवट करके लेती रोहिणी भी रीमा के बारे में सोच रही थी | आखिर रीमा के साथ क्या हुआ, कुछ किसी को नहीं पता था | दोनों ही अपने अपने खयालो में रीमा के बारे में ही सोच रहे थे | रोहिणी तो जैसे रीमा की दीवानी हो गई थी | इतनी प्यारी और खूबसूरत औरत का कौन दुश्मन हो सकता है | जो थोड़ी सी देर बात करने के बाद अपना पूरा दिल खोल के सामने रख देती थी इतनी भोली सुंदर सुशील दिल की साफ़ लड़की से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है | रोहिणी अपनी भावनाओं के सागर में डूबी हुई यही सब सोच रही थी | इधर अनिल भी रीमा के बारे में ही सोच रहे थे और उनके रात में आने वाले रीमा के सपनों को सोच समझकर लग रहा था कि अब शायद रीमा उनके लिए बस सपना बनकर ही रह जाएगी | आखिर इस तरह से कैसे गायब हो सकती है 3 दिन से ज्यादा होने को आए थे और रीमा का अभी कुछ पता नहीं चल पा रहा था | वो रीमा के हुस्धीन के जाल में अभी भी फंसे हुए थे | धीरे-धीरे अनिल का हाथ खिसकता हुआ उनकी पैंट के अंदर चला गया | वह रीमा की खूबसूरती, अदा और उसकी लटके-झटके आंख बंद करके इमेजिन करने लगे और अपने लंड को सहलाने लगे | रीमा उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी | उनके सपनों की अप्सरा थी | उनके ख्वाबों की मलिका थी |

आखिर रीमा आज किसी मुसीबत में है तो अनिल को कैसे चैन हो सकता है लेकिन अपनी उस ख्वाबों की मलिका सपनों की अप्सरा को बारे में सोच समझकर ही अनिल के पेंट में तनाव आने लगता था और अभी भी वही हो रहा था | पड़ोस में दूसरी तरफ मुहँ किए हुए करवट से रोहिणी लेटी हुई थी लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था उनका हाथ अपने लंड पर चलने लगा था और वह रीमा के उस खूबसूरती के स्वप्न में आंखें बंद करके डूबने लगे थे | रोहिणी को भी रीमा याद आ रही थी कैसे दोनों ने पूरी रात हंसी ठिठोली करें और एक दूसरे को ना केवल नंगा किया न केवल एक दुसरे के जिस्म को छुआ बल्कि मन की गहराइयों को भी छुआ था | जिस्म का स्पर्श जब मन की गहराइयो को छु लेता है तो वो दिलो दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो जाता है | उसने रीमा को एक नई चीज सिखाई | वह दोनों ने एक दूसरे के नाजुक से नाजुक प्राइवेट अंगों को छुआ, चुम्मा चाटी और एक दूसरे को वह सुख दिया जो शायद ही एक औरत ही दूसरे औरत को दे सकती है | रीमा कितनी भोली है जैसा रोहणी बताती गई थी रीमा वैसा करती गई | एक दूसरे के स्पर्श ने पनी जवानी के उस सुख को महसूस किया जो शायद ही किसी मर्द के साथ एक औरत को मिल सकता था| औरत का अनुभव ही अलग होता है औरतों का स्पर्श हल्का होता है औरतों का स्पर्श मादक होता है औरतों का स्पर्श सहज होता है औरत का स्पर्श कीमल होता है उस कोमलता के एहसास को याद करके रीमा के जिस्म की उस नरमी को और बदन की गर्मी को याद करके भी रोहिणी मदहोश हुई जा रही थी | आखिरी रीमा चीज ही ऐसी थी | उसके दिमाग पर भी रीमा का नशा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था | उसका गुलाबी चिकना दमकता बदन और चिकनी चूत घाटी अभी तक रोहिणी भूली नहीं है | जब पहली बार रीमा को नंगा किया था तो अपलक उसकी खूबसूरती देखती रह गयी थी | आज भी उसकी वो सूरत उसके दिलो दिमाग में बसी है |

रोहिणी का हाथ भी अपने उरोजो को मसलते मसलते अपनी पैंटी के अंदर घुस गया | वह अपने चूत दाने को उंगली से मसलने लगी थी | आखिर रीमा चीज ही ऐसी थी किसी को भी अपनी वासना के सागर में डूबा कर मदहोश कर दें और रोहिणी को रीमा के साथ बिताया हुआ हर वह पल जब वह दोनों एक-दूसरे के शरीर से चिपके हुए थे और उनके बीच में कपड़ों का कोई पर्दा नहीं था एक दूसरे को स्पर्श करते हुए एक दूसरे को टच करते हुए एक-दूसरे के शरीर से शरीर को जोड़ते हुए एक दूसरे की गहराइयों की नाप लेते हुए दूसरे के होंठों को चूमते हुए एक दूसरे में खोई जा रही थी उस पल को याद कर करके और अपने अंदर की दबी हुई लालसा को अपने चूत दाने को मसल मसल करके दिमाग में जी रही थी

अनिल का मूड पूरी तरह से बन चुका था अब क्या करें रोहिणी को चोदे या फिर क्या करें लेकिन हालात ऐसे नहीं थी जो वो रोहिणी से कहें कि उन्हें उसे चोदना है | उन्हें पता था रोहिणी भी दुख से भरी हुई थी | अनिल भी अंदर से उदास थे लेकिन क्या करें हैं | रीमा के मादक जिस्म ने उनके दिलो-दिमाग में जो आग लगा दी थी | उन्उहें कुछ तो करना ही था | अपना लंड को हिला हिला कर के ही अंदर की हवस को बुझाने अनिल जी वहां से उठे और स्टडी रूम में जाकर लेट गए | रोहिणी अपने में खोयी हुई थी इसलिए उसका ध्रूयान उस तरफ गया हि नहि | स्टडी रूम में आकर के लाइट और कमरे के सारे परदे बंद कर दिए | इसके बाद में सोफा लेटकर अपने हाथ से लंड हिलाने लगे | उनके दिलो-दिमाग पर रीमा ही छाई हुई थी | रीमा उनके सपने में अक्सर आती रहती थी और वह सपने ऐसे होते थे कि अनिल को अपनी पिचकारी छोड़नी ही पड़ जाती थी | आज तो हो खुली आंखों से सपना देख रहे थे अपनी रीमां का जो उनकी सपनों की मल्लिका थी लेकिन आज पता नहीं इस अनहोनी के कारण उनसे दूर थी | उन्हें पता भी नहीं था वह कहां है लेकिन उसके नाम की मुठ तेजी से मारने लगे थे और अपने लंड पर हाथ को फिसलने लगे थे | रीमा को चोदने की ख्वाहिश उनके अंदर हमेशा से थी और जब उन्होंने पहली बार रीमा की गुलाबी गरम कसी हुई चूत के दर्शन किए थे तब से तो जैसे उनके ऊपर नशा सा चढ़ गया था | उस कसी हुई गुलाबी चूत को पाने की लालसा में तिल तिल कर घुट रहे थे | ना किसी से कह सकते थे ना किसी को बता सकते थे | बस उसकी गुलाबी चूत की ललक में पागल हुए जा रहे थे | रीमा का वो गोरा दमकता बदन और उसके बड़े बड़े चुताड़ो के बीच में वो गुलाबी चीरा और उसकी दो फांके, उन्ही दो फांको के छेद ने तो उन्हें पागल कर रखा था |

बस एक ही चारा था अपने लंड पर वह सारे अरमानों का गुस्सा उतार देते थे और अभी भी वही हो रहा था उनका हाथ उनके अपने लंड पर बहुत तेजी से फिसल रहा था अब उन्होंने पेंट खोल दी लंड पूरी तरह से तन गया था | कमरे में घनघोर अँधेरा और उस पर भी उनका काला मोटा मुसल लंड लार की चमक से चमक रहा था |

इधर रोहिणी भी अपनी प्यारी सी हंसती खिलखिलाती गुदगुदाती अठखेलियाँ करती रीमा को सोच समझकर के मदहोश हुई जा रही थी आखिरी में कहां होगी..... किस हाल में होगी उसने कुछ खाया होगा नहीं खाया होगा पता नहीं किन जालिमों के हाथ में वह होगी | उसे हमारी याद आ रही होगी या नहीं आ रही होगी | हम उसके लिए कितने परेशान हैं या वह किन मुसीबतों में पड़ी होगी इसका कोई भी अंदाजा नहीं था | यही सब सोच सोच कर रोहिणी परेशान हो रही थी और उसकी पैंटी में उसकी चल रही उंगली थम गई | आखिर वह क्या करें इतनी असहाय कभी नहीं थी वह जान चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी | आखिर रीमा का पता कैसे लगाया जाए | रीमा की कल्पनाओं में खोई हुई रीमा को लेकर परेशान रोहिणी ने भी फिर से अपना हाथ अपनी पैंटी में घुसा दिया | उसने अपनी गर्दन घुमाकर देखी अनिल वहां नहीं थे | वह समझ गई अनिल भी रीमा के नशे में चूर हो गए हैं | अब रोहिणी के सामने खुला मैदान था वह कुछ भी कर सकती थी | उसने अपना नाईट गाउन उतार फेंका | फिर धीरे से पैंटी भी खिसका दी | अब बस उसके जिस्म पर ब्रा रह गयी थी | उन्होंने तेजी से अपनी चूत दाने को रगड़ना शुरु किया | अपनी आंखें बंद कर वह बस रीमा के बारे में सोचने लगी जैसे रीमा अभी उसके पास ही हो | वो बिस्तर पर लेती हो और रीमा उसके ऊपर छाई हो | उसे चूम रही हो सहला रही हो उसके बड़ी-बड़ी उठी हुई छतिया उसकी छातियों से टकराकर के एक दूसरे में चूर हो रही हो | उसके बदन की नरम गर्माहट से रोहिणी की वासना का ज्वार भी बढ़ने लगा हो | दोनों के आपस में रगड़ते बदन एक ऐसी गर्मी पैदा कर रहे हो जो शायद उन दोनों को जलाकर के रख कर देगी | रोहिणी की चूत दाने पर तेज फिसलती उंगली की रगड़न से उसके पूरे शरीर में वासना की तरंगों बहने लगी | रोहिणी ने एक हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत घुसा दी दुसरे से वो चूत दाने को मसल रही थी | उसकी कल्पना में ऐसा उसने सोच रखा था जैसे रीमा उसके ऊपर छाई हुई हो उसे चूम रही हो चाट रही हो और उसकी चूत में उंगली कर रही हो, उसके चूत दाने को मसल रही हो | जबकि एक हाथ से वह अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत को चोद रही थी |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी कल्पना कर रही थी कि यह सब कुछ रीमा कर रही है आखिर रोहिणी की वासना का पारा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था वह भी पूरी तरह से रीमा के हुस्न के जाल में मदहोश हुई पड़ी हुई थी आखिर क्यों हो रीमा ऐसी चीज ही थी | रोहिणी को मदहोश होना बनता था | रीमा की वासना के जाल में जाकर रोहिणी खुद को चोद कर रगड़ कर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके परेशान मन को थोड़ी सी शांति मिले |

उधर अनिल का भी यही हाल था उनका लंड पूरी तरह से अब कपड़ों के जाल से मुक्त था और पूरी तरह से सीधा ऊपर की तरफ तो ना हुआ था अंधेरे में भी अगर कोई नजदीक जाकर देखें तो ऐसा लग रहा था जैसे फुट भर का कोई डंडा उनके शरीर से निकलकर के छत की तरफ को सीधा तना हुआ है और उस पर तेजी से उनका हाथ फिसल रहा था | वह रीमा की कल्पना करके खुद का मुट्ठ मार रहे थे और सोच रहे थे जैसे वह रीमा की गुलाबी चूत को चोद रहे हो | रीमा के गुलाबी जिस्म को अपने सख्केत हाथो से थामे उसकी उन्नत नुकीली पहाड़ियों को मसलते हुए अपना मुसल लंड उसकी गुलाबी कसी चूत में पेल रहे हो | उसके गुलाबी जिस्म के उठे हुए उन्नत नुकीली पहाड़ियों का रस पी रहे हो | उसके मीठे रसीले गुलाबी नर्म होठों का रस चख रहे हो और उसके जिस्म को भोग रहे हो लेकिन असल में वह सिर्फ मुट्ठ मार रहे थे | रीमा को पाने की लालसा ने जो अनिल को पूरी तरह से अपनी काबू में ले रखा था उन्हें रीमा के अलावा कुछ नहीं सूझ नहीं रहा था | रीमा के किडनैप होने के बाद से जो जैसे वह बस दिन-रात रीमा के बारे में ही सोचते रहते थे और चिंता से घुले हुए गले जा रहे थे और वहीं उनकी चिंता कब उनकी वासना में बदल गई उन्हें खुद नहीं पता चला | रीमा की चिंता अब रीमा की वासना में बदलकर के उनके उनके दिलो-दिमाग में भर गई थी और उसी को बुझाने के लिए वह स्टडी रूम में तेजी से अपने लंड को मुठिया रहे थे

रोहिणी और अनिल दोनों एक ही गति को प्राप्त हो रहे थे एक अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी, चूत में उंगली कर रही थी | वही दूसरा अपने लंड को मसल रहा था और काफी देर तक दोनों अपने अपने अपने जिस्म को मसलते हुए आखिर अपने अपने चरम पर पहुंच गए थे | रोहिली अपनी चूत से बरस कर ठंडी हो गई और अनिल अपनी पिचकारिया निकालकर के ठंडे हो गए | इसके बाद उनके मन को थोड़ी शांति मिली और वह अपनी-अपनी जगहों पर जहां लेटे हुए थे वहीं सोने की कोशिश करने लगे |

इधर रोहित की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और प्रियंम का भी वही हाल था | आखिर रोहित और प्रियम रीमा के ज्यादा करीब थे | रोहित को न केवल रीमा की चिंता थी बल्कि उसकी सुरक्षा की भी उन्हें चिंता थी आखिर उनका रिश्ता अनिल और रोहिणी से ज्यादा गहरा था | जाहिर सी बात है उनका रिश्ता रीमा के साथ बहुआयामी था और उसमें वासना का एक डोर थी जो सबसे ज्यादा मजबूत थी लेकिन सिर्फ वासना की डोर का रिश्ता ही नहीं था रीमा के साथ | आत्मीयता का, लगाव का, प्यार का, दुलार का, वात्सल्य का, जो रिश्ता रोहित और प्रियम का था वह शायद और कोई नहीं समझ सकता था | आखिरकार प्रियम इधर-उधर लुढकता धीरे-धीरे सो गया और इधर रोहित भी खुद सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसको नींद नहीं आ रही थी | आखिर वो क्या करें | वह जाकर की एक एल्बम उठा लाया और उसमें अपने भाई और रीमा की शादी की फोटो देखने लगा था और उन्हीं को सोच सोच कर के अपनी यादों के भवर में खोने लगा था | कुछ देर तक वह एल्बम देखता रहा | उसके बाद जाकर बिस्तर पर लेट गया और उसके दिलो-दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा था | रीमा तुम कहां होगी... कहां चली गई.... इस तरह से जैसे-जैसे वह रीमा के बारे में सोचता रीमा को ढूंढने के लिए उसका दृढ़ संकल्प और बढ़ता चला जाता आखिर उसने तुरंत ही अपने एक खास आदमी को फोन लगाया पत्नी और उससे रिपोर्ट लेने की कोशिश करने लगा वह आदमी पहले पुलिस ने था और अब रिटायर हो चुका था जाहिर सी बात है रोहित ने उससे पहले भी काम पर लगा रखा था लेकिन रोहित ने उसे कहा भाई मुझे किसी भी हाल में कोई न कोई क्लू तो दो आखिर वह कहां है कैसी है ताकि हम कुछ आगे बढ़ सके | 3 दिन से हम हाथ-पांव मार रहे हैं लेकिन हमें ये तक नहीं पता हमें किस जगह उसे ढूढना चाहिए | अब तक हम ऐसा लग रहा है जैसे जहां खड़े थे वहीं के वहीं खड़े हैं |
उस आदमी ने आश्वासन दिया कल सुबह तक कोई न कोई निकाल कर मुझे जरूर बताता हूं तो चिंता मत कर मैं पर्सनली खुद फील्ड पर निकला हुआ हूँ | उस आदमी ने रोहित को काफी देर तक दिलासा दी इसके बाद रोहित के अशांत मन को थोड़ी सी राहत मिली और वह आंख बंद कर सोने की कोशिश करने लगा जैसे ही उसने आंखें बंद करें सामने रीमा का खिलखिलाता हुआ मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आ गया | उसका वह खूबसूरत चेहरा, हँसते हुए तो और भी अप्सरा लगने लगती थी | रोहित जी रीमा को वो तस्वीर संजोये सोने की कोशिश करने लगा |

मनोविज्ञान का एक पहलू यह भी है कि जब आप किसी चीज के बारे में दिन-रात सोचते हो तो वह चीज आपके सपनों में भी आती है | तरह-तरह आपको उसी चीज का एहसास दिलाती रहती है | जब से उसने रीमा को नंगा देखा था उसकी गुलाबी चूत देखि थी | तब से उसे कुछ और सपने में आता ही नहीं | वही रीमा प्रियम को अपना गोरा बदन और गुलाबी चूत दिखाकर ललचाती हुई | प्रियम का रोज का यही हाल था | जिस तरह से वह अपनी रीमा चाची के बारे में दिन रात सोचता रहता अब उसकी नींद में भी रीमा चाची आने लगी थी | उसके सोते ही उसने जो सपना देखना शुरू किया | लेकिन आज का सपना रोज के सपनो से अलग था | आअज रीमा उसे नंगी होकर सिर्फ चूत दिखाने नहीं आई थी |

प्रियम बहुत गहरी नींद में सो रहा था और वह एक सपना देख रहा था और सपना यह था कि रोहित विदेश में है तो वह उदास है और इसलिए उसकी उदासी मिटाने के लिए उसकी चाची उसके गूमने का प्वलान बनाती है | वह और उसकी रीमा चाची एक खुली जीप में बैठकर के एक जंगल की तरफ पिकनिक मनाने जा रहे हैं | रीमा चाची गाड़ी चलाती हुई एक पतली जंगल के रास्ते से होते हुए एक झील के किनारे जाकर गाड़ी रोक देती हैं और वहां पर एक चादर बिछा कर के अपना सारा सामान रख देती हैं प्रियम भी वही हल्की-हल्की गुनगुनी धूप में लेट जाता है और उसके बाद उसकी प्यारी चाची अपने सारे कपड़े उतारते हुए हुए धीरे-धीरे पानी में घुस जाती हैं और नहाने लगती हैं | प्रियम यह सब देखकर हैरान रह जाता है | चाची का नंगा गुलाबी बदन देखते ही उसकी पेंट में भी तंबू तने लगता है अपनी चाची को पानी में अठखेलियां खेलते हुए देखता रहता है उनके सौंदर्य को अपलक निहारता रहता है और उनकी खूबसूरती को देखकर खुश होता रहता है |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
| रीमा चाची गाड़ी चलाती हुई एक पतली जंगल के रास्ते से होते हुए एक झील के किनारे जाकर गाड़ी रोक देती हैं और वहां पर एक चादर बिछा कर के अपना सारा सामान रख देती हैं प्रियम भी वही हल्की-हल्की गुनगुनी धूप में लेट जाता है और उसके बाद उसकी प्यारी चाची अपने सारे कपड़े उतारते हुए हुए धीरे-धीरे पानी में घुस जाती हैं और नहाने लगती हैं | प्रियम यह सब देखकर हैरान रह जाता है | चाची का नंगा गुलाबी बदन देखते ही उसकी पेंट में भी तंबू तने लगता है अपनी चाची को पानी में अठखेलियां खेलते हुए देखता रहता है उनके सौंदर्य को अपलक निहारता रहता है और उनकी खूबसूरती को देखकर खुश होता रहता है |

पानी में भीगी हुई पानी से अठखेलियां करती हुई उसकी चाची किसी सपना सुंदरी से कम नहीं लगती है सपने का असर हकीकत पर भी पड़ता है और उसी सपने की उसी हकीकत के कारण प्रियम हाथ उसकी पेंट में घुस कर के उसके लंड को मसलने लगता है | प्रियम अपने लंड में आए तनाव को महसूस करते हुए सपने में जब अपनी पैंट की तरफ देखता है तो उसे महसूस होता है कि उसके बिना कुछ किए ही उसकी बिना पैंट की ज़िप और पेंट खोले उसका लंड उसकी पेंट से बाहर आ गया है और पूरी तरह से बना हुआ है |

यह देखकर कि वह हैरान है जाता है कि जब उसने पेंट खोली नहीं तो उसका लंड उसकी पेंट से बाहर कैसे आ गया और उसके बाद में वह अपने आप ही अपने लड को हिलाने लगता है | उधर पानी में अठखेलियां करती है रीमा जब यह देखती है तो पानी से बाहर निकल कर उसकी तरफ आने लगाती है | उसका पूरा बदन पानी से भीगा हुआ है | उसके गोरे जिस्म से टपकती हुई बूंदों के साथ हो प्रियम की तरफ आ जाती है |
उसके लंड पर हिलते हुए हाथ को थाम लेती है और उससे कहती है - यह क्या कर रहे हो |
प्रियम कहता है - यह मैं नहीं कर रहा हूं यह अपने आप हो रहा है |
रीमा पूछती है - लेकिन यह क्यों हो रहा है |
प्रियम - मेरे पास इसका जवाब नहीं है |
रीमा - सब चीज का जवाब नहीं होता है |
प्रियम - फिर क्या करू |
रीमा - जो होता है उसे होने देना चाहिए |
इतना कहकर रीमा प्रियम के कपड़े उतारने लगती है | प्रियम भी कोई विरोध नहीं करता है थोड़ी देर में ही रीमा प्रियम के सारे कपड़े उतार देती है और उसके बाद में उसका हाथ पकड़ कर के उसे झील की तरफ ले जाती है और पानी में जा करके उसे साथ नहाने लगती है अठखेलिया करने लगती है कभी वह पानी में उसको धक्का देती है कभी उसे पलट देती है कभी उसे पानी डूबा देती है | प्रियम भी शुरूआती झिझक से बाद अपनी चाची के साथ खेलने जाता है | दोनों पूरी तरह से नंगी होकर के पानी में एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं एक दूसरे से चिपक रहे थे, एक दुसरे को चूम रहे थे | रीमा बीच बीच में प्भीरियम का लंड भी मसल देती | फिर से दोनों पानी में अठखेलियां करने लगते | इस खेल में प्रियम को बहुत मजा आ रहा था | झील के ठंडे पानी के तपते हुए लंड की गर्माहट कुछ कम कर दी थी लेकिन वो अभी भी तना हुआ था | रीमा भी उसे मुरझाने नहीं दे रही थी | अब वह चाची के साथ पूरी तरह से डूब जाता है काफी देर तक दोनों एक दूसरे से खेलते रहे | रीमा उसे चुमते हुए गोदी में उठा लेती और फिर पानी में छोड़ देती | फिर वो बदले में रीमा को उठाने की कोशिश करता है और और खुद ही साथ में रीमा के साथ में पानी में डूब जाता है | काफी देर खेलने के बाद दोनों झील से बाहर आते हैं | उसके बाद में अपने साथ लाए हुए खाने को खाने लगते हैं दोनों एक दूसरे के सामने पालथी मार के बैठे होते हैं | खाना खा रहे होते हैं | प्रियम अपने सामने अपनी चाची को इस तरह पूरी तरह नंगा देख देख कर खुश हो रहा होता है | उसे ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ बहुत सहज हो रहा था | रीमा के सामने वो पूरी तरह से नंगा बैठा है और रीमा चाची उसके सामने | दोनों के बीच का रिश्ता कितना सहज हो चुका है यह देखकर वह खुद हैरान हो रहा था | खाना खाने के बाद वहीं पर दोनों लेट जाते हैं और गुनगुनी धूप का मजा लेने लगते हैं | काफी देर तक वह धूप सेकते रहते हैं लेकिन पता नहीं कब धूप सेकंते सेकते प्रियम की कब आंख लग जाती है और जब उसकी आंख खुलती है तो वह देखता है उसका लंड रीमा चाची के हाथ में है | रीमा चाची उसे मसल रही है और चूस रही है प्रियम अपनी आंखें बंद कर लेता है |

ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ उसके लिए नॉर्मल हो और रीमा चाची जिस तरह से उसका लंड चूस रही थी वह कोई नई बात ना हो इधर रीमा उसके लंड को अच्छे से मालिश करती है और उसके बाद उसको चुस्ती है और चूसते चूसते फिर कुछ देर बाद उसके ऊपर आ कर के अपने दोनों घुटने दोनों तरफ टिका देती है और अपनी गुनगुने गर्म कसी हुई गुलाबी चूत के मुहाने पर उसके लंड को सटाती है और उस पर बैठती चली जाती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की गरम गुलाबी कसी हुई चूत में धंसता चला जाता है | प्रियम जैसे स्वर्ग के चक्कर काट आया हो | उसकी रीमा चाची की गरम गुलाबी चूत में लंड के जाते ही प्रियम के मुंह से एक लंबी आह निकलती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की कसी हुई गुलाबी मखमली चूत दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक धंस जाता है | रीमा फिर से कमर उठाती है और फिर से जोर दे करके उस पर बैठ कर चली जाती है | लंड दुबारा से से रीमा की चूत में घुस जाता है | इसके बाद रीमा प्रियम के लंड पर बैठकर घुड़सवारी करने लगती है | प्रियम का लंड रीमा की चूत में आने जाने लगता है जमीन पर लेटा हुआ प्रियम रीमा की तरफ देखता हुआ अपने ही वासना में मदहोश हो जाता है |
रीमा उसके उसके हाथों पकड़ के अपने स्तनों पर रख देती है और उन्हें दबाने को दबाने का इशारा करती है | अपनी चाची का इशारा समझते ही प्रियम रीमा की उठी हुई उनकी छातियों को मसल मसल के उनसे खेलने लगता है | इधर रीमा अपनी तेजी से अपनी कमर हिलाने लगती है प्रियम लंड पूरी तरह से रीमा की चूत में गायब हो जाता है और रीमा तेजी से अपने कुल्हे हिला हिला के अपनी चूत को चोदने लगती है | कुछ देर बाद आगे की तरफ झुककर प्रियम को चूमने लगती है और प्रियम को नीचे से कमर हिलाने को कहती है | प्रियम नीचे से ठोकर मार कर रीमा की चूत में लंड पेलने लगता है |

काफी देर तक चोदने काऊ बॉय पोसिजन में चोदने के बाद रीमा थकने लगती है | तो वह आकर के नीचे बिस्तर पर लेट जाती है प्रियम उसके ऊपर आ जाता है रीमा उसे अपनी बाहों में भर लेती है और पीछे जांघो से उसके चुताड़ो को जकड लेती है |

उसके बाद में उसका लंड अपने हाथों से अपनी चूत पर सटाती है और जैसे ही वह अपनी चूत से प्रियम का लंड लगाती है प्रियम तेजी से अपनी कमर हिला देता है और उसका लंड की रीमा की चूत में घुस जाता है| प्रियम की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | वो चाची को चोद रहा है यही तो उसका सपना था उसका सपना सच ही हो गया | अपनी चाची की चूत को चोद रहा है जिसके ख्वाब वो इतने दिनों से देख रहा था उसकी चाची उसको गुलाबी चूत को चोदने दे रही हैं और वह अपनी चाची की चूत को चोद रहा है आखिर इतने दिनों बाद उसकी चाची ने अपनी चूत उसको चोदने को दे ही दी थी | वह रीमा की बांहों में पूरी तरह से जकड़ा हुआ था | रीमा ने अब वो बंधन भी हटा दिया | वो चाहती थी अब प्औरियम उसे खुलकर चोदे | रीमा ने अपने पैर भी हवा में फैला दिए | उसकी जांघें फैली हुई थी और प्रेम का पूरा लंड रीमा की चूत में आराम से अंदर तक जा रहा था | प्रियम तेजी से कमर हिला रहा था | उसके लंड के झटको से अब रीमा की कराहे निकलने लगी थी |

बीच बीच में रीमा उसे अपने पास उसके ओंठो को अपने होंठों से सटा कर कसके चूम लेती | दोनों पसीने से तरबतर थे और दोनों के बदन की गर्मी उसके नथुनों से निकल कर एक दुसरे के ऊपर आ रही थी और भाप बन कर उड़ रही थी | प्रियम रीमा को चोदते चोदते जैसे अपने सपनों की रानी को पा गया हो | अपनी चाची की चूत को चोदते चोदते जैसे सपनों में पहुंच गया हो |
प्रियम हांफते हुआ - चाची चाची मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि मैं आपकी चूत को चोद रहा हूं |
रीमा हांफते हुए - तुझे यकीन नहीं आ रहा |
प्रियम हांफते हुए - मुझे नहीं पता था कब आप मुझे अपनी चूत चोदने को देगी आज आपने मेरी यह मुराद पूरी कर दी आप बहुत अच्छी हो चाची और चाची मुझे तो लग रहा था आपको भी मानोगी ही नहीं लेकिन आज आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी | मैं कितना खुश हूं मैं आपको बता नहीं सकता |
रीमा बोली - तुम्हें अच्छा लग रहा है ना | यही तो तुम चाहते थे ना | मेरी चूत चोदना चाहते थे ना तुम लो आज मैंने तुम्हें चूत चोदने को दे दी अब खुश हो ना |
प्रियम जोश से भरा हुआ - हा हा हा चाची मैं बहुत खुश हूं |
रीमा - तुम्हें मजा आ रहा है मेरी चूत चोदने में |
प्रियम - हां चाची बहुत मजा आ रहा है | आपकी चूत बहुत टाइट है और मुझे तो लग रहा है मेरी जल्दी ही मेरी पिचकारी छूट जाएगी | रीमा - कोई बात नहीं प्रियम बेबी जब कोई लंड पहली बार चूत चोदता है तो उसको ऐसा ही महसूस होता है |जब तुम बार बार चूत को चोदोगे तो धीरे-धीरे तुम्हें फिर आदत हो जाएगी और फिर तुम देर तक मेरी चूत को चोद पाओगे |
प्रियम - आप मुझे आगे भी अपनी चूत चोदने को देंगी |
रीमा - हाँ मेरे बच्चे | अभी जैसे मर्जी हो मेरी चूत को चोदो और झड़ने की चिंता मत करो | जब किसी को कसी चूत को चोदोगे तो यही होगा | ज्यादा से ज्यादा जल्दी झड जावोगे तो कोई बात नहीं यह तो नेचुरल है |
प्रियम - चाची मै बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा है इसीलिए तो तुझसे चुदवा रही हूँ | इसीलिए तो तुझे अपनी गुलाबी चूत चोदने को दिया है ताकि तू अपने मन की मुराद पूरी कर ले | तू मुझसे अक्सर नाराज रहता था की मै तुझे अपनी चूत चोदने को नहीं देती हूं इसीलिए जल्दी आज तू मेरी चूत को ही चोद ले | जितना मर्जी हो उतना जमकर चोद ले आज तुझे नहीं न रोकूंगी न टोकुंगी | आज तू मेरी चूत की गहराइयो में जमकर गोता लगा ले |

प्रियम - आज आपने मुझे अपना दीवाना बना दिया है इसके बाद कुछ बचता नहीं है बस मन करता है आपको ऐसे ही चोदता रंहू |
रीमा - हां बेबी मेरा भी मन कर रहा है कि तू मुझे बस ऐसे चोदता रहे | ऐसे ही सुनसान जंगल में हम दोनों हो और कोई न हो | तू मेरी चूत की गहराइयों में अपना लंड उतरता रहे और मै ऐसे ही तुझसे चुदती रहू |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा की चूत पर जोरदार धक्के मारता हुआ प्रियम - चाची आप बेस्ट हो, आप दुनिया की सबसे अच्छी चाची हो | चाची वह मैं बता नहीं सकता आप कितनी अच्छी हो |
रीमा - हाँ बेबी बोलो न कितनी अच्छी हूँ | लेकिन चोदन धक्के मारते रहो |
प्रियम - मैं जैसे जन्नत का सफ़र कर रहा हूं | चाची आपकी गरम गीली कसी हुई चूत इतना मजा दे रही है मैं बता नहीं सकता हूं |
रीमा - हां बेबी बस चोदो और चोदो और कुछ मत करो | बस धक्के पर धक्के मारते रहो और मेरी चूत को अपने लंड से मसलते रहो कुचलते रहो | जितना मेरी चूत को मसलोगे कुचलोगे उतना ही मुझे भी मजा आएगा |
प्रियम गहराई का पूरा लंड पेलने लगा और लम्बे धक्के लगाने लगा | रीमा - बस मुझे चोदते रहो प्रियम बेबी |
प्रियम के धक्के तेज हो गए थे और ऐसा लग रहा था जैसे अब बस झड जाने की कगार पर है |
रीमा - हाँ बेबी यस बेबी यश यस यस यस यस और चोदो और चोदो पूरी ताकत लगा कर चोदो | बस बेबी बस बेबी यही चाहती हूं |
प्रियम कराहता हुआ - आआआह्ह्ह्ह चाची मैं आप को चोद रहा हूं जीतनी तेज लंड पेल सकता हूँ पेल रहा हूँ |
रीमा - यस यस यस बेबी चोदो और चोदो रुकना नहीं, अपना लंड पेलते रहना |
रीमा के शब्द प्रियम में नया जोश भर रहे थे |
रीमा - बस इसी तरह चोदकर मेरी चूत के अंदर की सारी खुजली मिटा दो | पूरी गहराई तक लंड पेलकर चोदो मुझे मेरे प्रियम डार्लिंग | तुम मेरे सबसे करीब हो, इतना करीब कोई नहीं | अपनी रीमा चाची की प्यास चूत की सारी प्यास बुझा दो | अपनी जवानी का सारा दम लगा दो | यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे फ़क लाइक दैट |
रीमा के शब्दों ने जैसे प्रियम पर जादू सा असर किया | उसके थकने की बजाय प्रियम की कमर के झटके अपनी फुल स्पीड में पहुंच गए | उसका लंड रीमा की आग की भट्ठी बनी चूत में सटासट जा रहा था | ऐसे लग रहा था जैसे कोई इंजन का पिस्टन अपनी फुल स्पीड में अन्दर बाहर हो रहा हो | इतनी तेजी प्रियम अपनी कमर हिलाकर रीमा को चोद रहा था | इतनी स्पीड में लगने वाले झटको से रीमा का पूरा बदन बहुत तेजी से हिल रहा था | वह भी अपने चरम पर पहुंच गई थी | प्रियम के धक्कों से लगने वाली ठोकरों ने उसके पुरे शरीर को हिलाकर रख दिया था | तनी तेज झटको के बावजूद वो प्रियम का लंड अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी | उसे जो चाहिए था शायद मिल गया था | जवान होते खून की चुदाई का अहसास उसने कर लिया था | प्रियम भी लगातार तेज धक्कों के कारण बहुत बुरी तरह हंसने लगा था और एक लंबी ठोकर के बाद उसकी उसकी वासना का बांध टूट गया और वह रीमा की चूत की गुलाबी गहराइयों में झड़ने लगा था | जैसे ही उसके लंड से पहली पिचकारी निकली प्रियम जैसे थम सा गया था, उसकी कमर का हिलना बंद हो गया | रीमा ने उसके चूतड़ों पर अपनी जांघों को कसाव बढ़ा दिया था और रीमा ने उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया |
रीमा - अपना सारा रस मेरी चूत की गहराइयो में उतार दो | अपने जिस्म की गर्मी से पिघल कर बह निकले सफ़ेद लावे को मेरी गुलाबी गहराइयों में भर दो |
प्रियम - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह चाआआआआअची - मैं झड रहा हूं |
रीमा - हाँ हां बेबी बिल्कुल अपने जिस्म से मेरे प्यार के नाम पर निकली एक एक बूंद मेरी चूत में निचोड़ दो | आखिर तुम मेरी चूत चोदना चाहते थे ना | अब अपने सारे अरमानों का रस सारे ख्वाहिश का जूस मेरी चूत में लंड रस के रूप में बूंद-बूंद कर निचोड़ दो |
प्रियम रीमा के ऊपर ही ढेर हो गया और रीमा की नरम सुडौल ऊंची छातियों पर सर रख कर के अपनी सांसे काबू करने लगा था | रीमा भी उसके बाल सहलाने लगी थी और उसकी चूतड़ों पर उसकी जांघों की कसावट ढीली हो गई थी और वो एक हाथ से प्रियम के बाल को सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहला रही थी | प्रियम लंड अभी भी रीमा की चूत में पड़ा हुआ था और प्रियम रीमा के ऊपर लेटा हुआ अपनी उखड़ी सांसे कर काबू कर रहा था | तभी प्रियम को अपने हाथ पर कुछ गिला गिला चिपचिपा सा महसूस हुआ था | उसका सपना टुटा और वो हकीकत में लौटा | उसने अपनी आंखें खोल दीं |

उसने देखा कि उसके हाथ उसके लंड रस से सना हुआ है और उसके लंड से निकली पिचकारी से उसका पूरा हाथ और पेट गीला हो गया है | क्या मैं सपना देख रहा था | क्चाया मैंने सपने में चाची को चोदा है | शिट ..........प्रियम के चेहरे पर निराशा के भाव थे | उसने उठ करके अपने हाथ और हाथों को उंगलियों को और पेट को साफ किया अपने से लंड को अच्छे से पोछा और फिर से अपने बिस्तर पर ढेर हो गया | उसके लिए इस बात की खुशी थी सपने में ही सही उसने रीमा चाची को चोदने का अपना सपना पूरा कर लिया लेकिन सपना तो सपना ही था हकीकत नहीं यही बात उसके मन में निराशा का बन गयी | थके और निराश मन फिर से सोने की कोशिश करने लगा थोड़ी देर में फिर से गहरी नीद में चला गया |

जितेश और रीमा दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे | जितेश के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था | बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं | अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, रीमा के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान | उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान | उसके गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान | रीमा को चोदने के अरमान | अब जब उसने रीमा के साथ यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे रीमा को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी | रीमा के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में रीमा को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था | जितेश अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा | इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी | उसका बदन रीमा के जिस्म से सटा हुआ था | धीरे धीरे रीमा के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और रीमा को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और रीमा की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही जितेश का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था |

रीमा अपनी ही दुनिया में खोयी हुई थी | प्रियम रोहित की याद में गहरे तक डूब गयी थी लेकिन उसकी भावनाओं के ज्वार में भी उसकी वासना ख़त्म नहीं हुई थी | उसे तो अहसास ही नहीं था की उसका जिस्म क्या चाहता है कितना चाहता है | उसे बस एक अपने अन्दर एक तड़प एक प्यास महसूस हो रही थी | ऐसा लग रहा था कुछ अधूरा है, कुछ है जो उसको खालीपन का अहसास करा रहा है | उसकी अपनी कामनाये थी वासनाये थी लेकिन उसकी वासनाये किसी मर्द की वासना या हवस से बिलकुल अलग थी | जितेश को पता था उसे क्या चाहिए लेकिन रीमा को बस एक अहसास था, असल में उसे क्या चाहिए ये तो उसे तभी पता चलता था जब वो वासना में डूब कर गोते लगाने लगती थी | उसकी वासना स्थिर नहीं थी निश्चित नहीं थी, पल पल के साथ उसकी चाहते और ख्वाइश बदल जाती थी | बढ़ जाती थी | उसे भी अहसास था जितेश इतने से मानने वाला नहीं है, उसे बिना चोदे वो छोड़ेगा नहीं | लेकिन उसे जितेश से ज्यादा खुद की चिंता थी आखिर उसे किस हद तक जाना है | किस हद तक उसे जितेश को अपने अंतर में जाने देना है | उसकी हद क्या है उसकी हसरत क्या है | रीमा की यही उलझन थी, हमेशा वो अपनी वासनाओं की हदों को लेकर सशंकित रहती थी | मन में हजारो सवाल थे | जवाब सिर्फ भविष्य में था | जितेश का फूलता तनता लंड रीमा की जांघ पर अपनी दस्तक देने लगा | रीमा को उसके कड़ेपन और गर्माहट का जब अहसास हुआ, तो उसने नीचे की तरफ नजर घुमाई |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा ने जब उसका तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी | उसके अरमानो की सेज तो अभी सजनी बाकि थी | आखिर उसे अपनी हसरतों की दौड़ तो अभी लगानी थी | इस दौड़ में उसके साथ बराबर दौड़ने वाला भी उसके जिस्म से चिपका हुआ था और उसे उम्मीद थी वो उसे किसी भी हाल में बीच मझधार में नहीं छोड़ेगा | इसीलिए वो अपनी वासना का अंनत समुद्र उसके साथ तैर कर पार करना चाहती थी | वो ख्वाइशये वो हसरते वो अरमान वो ललक वो प्यास वो तड़प वो हवस सब कुछ मिटाने का वक्त आ गया था | जितना दिल दिमाग लगाकर वासना के समन्दर में उतरकर खुद को तृप्त करेगी | उतना ही उसके अनसुलझे सवालो के जवाब मिलते जायेगे | अभी सही गलत ऊपर नीचे कुछ भी सोचने का वक्त नहीं था | अभी बस जिदगी और उसकी जवानी की हसरतो में डूब जाने का वक्त था | वासना के सागर में कूद जाने का वक्त था, इस हवस के सागर में डूब जाएगी या तैर करके पार लग जाएगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन उसे इसमें कूदने से अब डर नहीं लग रहा था | | जितेश के लंड पर फिसलता उसका नरम हाथ और रीमा के दिमाग में चल रहा उसका अंतर्द्वंद | रीमा दिल से कही और थी शरीर से कही और थी लेकिन दोनों की मंजिल एक थी | अपने अरमानों को जी भरकर जीने की | ताकि अपने अन्दर इतना आत्मविश्वास पैदा कर सके की दुनिया के सीना तान कर जी सके | आखिरकार मेरी अपनी हसरते है चूत की अपनी प्यास है, जिस्म की अपनी जरूरते है और अपने अरमानो की तृप्ति ही उसकी मंजिल है यही उसके अन्दर का खोया आत्मविश्वास लौटाएगी | उसे बेचारी, मजबूर नहीं, मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई औरत बनकर रहना है | ये तभी होगा जब वो अपने मन की करेगी, अपने मन के अरमानो को पूरा करेगी, अपने फैसले खुद लेगी और दकियानुकुसी बातो को अपने दिमाग से कूड़े की तरह निकाल कर बाहर फेंक देगी |

रीमा के जादुई स्पर्श से जितेश के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा |
रीमा ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था रीमा ने अपने ओंठो को जितेश के ओंठो पर रख दिया | जितेश भी रीमा को कस कर चूमने लगा था | दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए | एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा | जितेश ने रीमा को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब रीमा की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | जितेश और रीमा एक दूसरे को कस के चूम रहे थे रीमा की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि जितेश के हाथ रीमा के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह रीमा के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा |

रीमा के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज जितेश की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे | दो जिस्मो की इस कशमकश में रीमा के अरमान और जितेश की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी | दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे | रीमा पूरी तरह से जितेश के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे | जितेश के हाथ उनकी अच्छे से मालिश कर रहे थे | रीमा और जितेश एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे जितेश और रीमा के बदन की गर्मी बढने लगी थी | दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था | उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था | उसका लंड बिल्कुल रीमा की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था |
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी |

उसके बाद में रीमा जितेश से अलग हो गई और वह जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को रीमा ने चाट लिया और गटक गयी | लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया | जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था | उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा | फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था | रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश की उंगलियों का स्पर्श पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई | चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी | उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी | वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई |

रीमा के मुहँ से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था | जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी | रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह कर कराह रही थी |

जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया | जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया | और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया | उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |

रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ |

उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी |

रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये |
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छा लग रहा है ........................................ ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो |
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस लाइक दैट लाइक दैट |

जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या ..................................|
जितेश ने फिर से वही दुहराया |
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी बहुत मजा आ आया आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |

उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे | उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी | रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा और कांपते जिस्म के साथ वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया | रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी | उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा | रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा | जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती रही |

कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया | जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी कुछ देर तक रीमा की चूत को कसकर चूसा | एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था | रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही | रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में महसूस कर रही थी |
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09-04-2021, 12:18 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था | इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा
वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा | फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा |

उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज , आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |

रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |

उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह जितेश प्लीज् .................................|

यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |

इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा | रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है |

इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया | जितेश भी इस बार थम गया | रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे कान नाक आंख गला सबको चूम डाला, बारी बारी से चूमता रहा | रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है इसीलिए जितेश के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी |

औरत के जिस्म की यही खास बात है, वो बार बार झड़कर भी अनगिनत बार तक वासना में नहा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रह सकती है | वो लगातार झड़ते हुए भी जवानी का मजा लूट सकती है | मर्द को ये सहूलियत नहीं मिली प्रक्रति से | वो एक बार झड गया तो उसे कुछ देर थमना ही होगा | जितेश को भी काफी देर हो गई थी रीमा के जिस्म से खेलते हुए उसकी चूत को चाटते हुए | अब जितेश से रहा नहीं जा रहा था तो जितेश ने अपने हाथ में ढेर सारी लार उड़ेली और अपने तने हुए गरम लंड पर मसल दी | वह अब रीमा को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था | रीमा भी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी या नहीं ये जानना भी जरुरी था |

कमरे में उठ रही गरम सांसो और तेज धडकनों की ख़ामोशी को तोड़ते हुए जितेश बोला - अब आगे क्या ?
रीमा उसकी तरफ देखने लगी, वो दो बार झड़ने से पूरी तरह मस्त थी ऊपर से जितेश ने फिर से उसके जिस्म में हवस का सूरूर भर दिया था | उसी मादकता और मस्ती में जितेश से अठखेलियाँ करती हुई बोली - अब क्या, मतलब क्या ?
जितेश अपने लार से सने लंड को मसलता हुआ बोला - मतलब आगे का क्या प्लान है |
रीमा भी अपने स्तनों को मसलते हुए - अब तो बस सोना है |
जितेश अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए - हम तो सो जायेगे और ये महाशय तो रात भर जागते रहेंगे |
रीमा - अब एक बार सुला तो दिया था |
जितेश - इन्होने कुछ ऐसा देख लिया है कि लेकिन इनको नीद नहीं आ रही |
रीमा - ऐसा क्या देख लिया |
जितेश - मखमली गुलाबी पनाहगाह |
रीमा - तो मै क्या करू, सुला दो जाकर उस पनाहगाह में |
जितेश - उसकी चाभी तो आपके पास है मल्लिकाए हुस्न |
रीमा - ये तो ज्यातती है, नीद इन महाशय को नहीं आ रही और सुलाऊ मै |
जितेश - जगाया भी तो आपने ही है |
रीमा - झूठ मत बोलो, मैंने किसी को नहीं जगाया | अपने आप ही जग रहे है मुझे देखकर |
जितेश - कितनी उम्मीद से तुमारी तरफ देख रहा है, मना मत करना बेचारे का दिल टूट जायेगा |
इतना कहकर जितेश ने अपना लंड रीमा के हाथ में थमा दिया | रीमा का हाथ अपने आप ही उस पर फिसलने लगा | रीमा को भी अहसास था की बिना मुसल लंड घोटे उसके अन्दर की भी प्यास पूरी तरह नहीं बुझेगी | लाख जतन अपना लो लेकिन असली प्यास तभी बुझती है जब लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाता है | रीमा ने उसके लंड को मसलते हुए नीचे पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और अपनी दोनों जांघे सिकोड़कर फैला दी |

रीमा ने दोनों हाथो की एक एक उंगली लगाकर अपनी चूत के ओंठो को हल्का सा फैला दिया और जितेश
के सामने एक अप्सरा की चूत थी | रीमा ने अपनी चूत को थोडा और फैलाया और उस गुलाबी सुरंग के मुहाने के सीधे दर्शन करा दिए जितेश का लंड कुछ देर में जिस पनाहगाह में आराम फरमाएगा |

रीमा की गुलाबी चूत देखकर जितेश का लंड जोर जोर से झटके मराने लगा | उसके लंड को भी शायद ये अहसास हो गया था की वो इस मखमली गुलाबी सुरंग की सैर करने वाला है | क्या चूत थी, गोरी चिकनी गीली बिल्कुल किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसी गुलाबी चूत ...............उसके पतले पतले खुले हुए ओंठ और कसकर पूरी तरह से बंद उसकी चूत की गुलाबी सूरंग का मुहाना |

जितेश भी तो वासना से भरा हुआ था सिर्फ चूत देखकर ही उसका भला कहाँ होने वाला था | अब तक तो बस चूत देखि ही थी उसका अहसास करने का वक्त आ गया था | रीमा की गुलाबी चूत में अन्दर तक घुसने और उस स्वर्ग जैसी अनुभूति को दिलो दिमाग में उतारने का अहसास ही कुछ अलग होगा | उसकी कोमल मखमली चूत का सपर्श ही कितना सुखद होगा ............आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् | जितेश का तो रीमा की चूत चोदने से पहले ही बुरा हाल हो गया था | इस समय उसके दिल और दिमाग में बस रीमा रीमा और रीमा की गुलाबी घुसी हुई थी | लेकिन इस स्वप्न लोक में घुमने से कहाँ काम चलने वाला था | उसे हकीकत में लौटकर उसे जीना भी तो था |

जितेश झुकता हुआ पूरी तरह से रीमा के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर आकर छा गया था | रीमा जांघे फैलाये नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी जांघें उठी हुई थी | जितेश पूरी तरह से रीमा के ऊपर था | उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को रीमा की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया | रीमा ने भी खुद को पूरी तरह से उसके मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था | फिर रीमा जितेश को बांहों में भरते हुए अपने हाथों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए | रीमा भी जानती थी जितेश का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था | उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे जितेश की कमर पर चिपका दिया | रीमा जानती थी जितेश का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी | आज तक रीमा सिर्फ रोहित और अपने पति के लंड से चुदी थी | उसकी चूत में कोई तीसरा लंड आज तक गया नहीं था | पता नहीं कौन सा नशा था जितेश के व्यक्तित्व में रीमा उसके जाल में फंस कर रह गयी | उसने जितेश के लिए अपने सारे मानसिक बन्धनों को, खुद से लिए गए वादों को किनारे रख दिया | जिस चूत को वो दुनिया भर से सहेज कर रखना चाहती थी और रोहित के अलावा शायद किसी को सौपने को राजी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ आज रीमा एक अनजान अजनबी के आगे अपनी जांघे फैलाये लेती है | उसके लंड से चुदने को बेताब है | उसके लंड को अपनी चूत में लेने को बेताब है | शायद जितेश के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर रीमा बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका उसे खुद पता नहीं था | रीमा की फैली जांघो में जितेश समां चूका था, अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी | एक अनजाना लंड रीमा की चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा | उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा | लगातार ठोकरे मरेगा, दे दनादन ठोकरे मरेगा | सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये | फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे |
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