Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 05:21 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा और नूतन बाथरूम से मेकअप करके हाल में लौटी, लेकिन यहाँ पहले की तरह ही घनघोर सन्नाटा था | रीमा को कुछ समझ नहीं आया आखिर लोग गए कहाँ, वो इस तरह की शहर से दूर, नदी के किनारे जंगल के बीचो बीच में होने वाली पार्टियों में नहीं आती थी | रोहित ने एक दो बार उससे पुछा भी लेकिन उसने मना कर दिया था | ये पहला मौका था जब वो इस अनजान जगह आई थी | उसने वेटर से कपिल का नाम लेकर पुछा, वेटर ने इनकार कर दिया लेकिन जाते जाते वो एक सीनियर स्टाफ की तरफ इशारा कर गया- आप उनसे जाकर पूछ लीजिये | रीमा नूतन का हाथ थामे थामे उस तरफ बढ़ गयी |

रीमा सीनियर स्टाफ के बन्दे पास पंहुच कर कपिल के बारे में पूछताछ करने लगी | उसने गौर से रीमा को देखा और फिर नूतन को, वो पहले थोड़ा सकुचाया बताने में की कपिल कहाँ है लेकिन रीमा के जोर डालने उसने एक लोकल एक्सटेंशन नंबर मिलाया, बात होने के बाद रीमा को बोला - साहब अभी बिजी है आप मेसेज छोड़ दीजिये | रीमा का पारा चढ़ गया | वो सीनियर स्टाफ के बन्दे पर बरसने लगी, रीमा के तेवर देखकर उस बन्दे ने फिर फ़ोन मिलाया - इससे पहले वो दूसरी तरफ से बन्दे से अपनी बात पूरी कर पाता, रीमा ने उसके हाथ से फ़ोन रिसीवर छीन लिया और लगी धमकाने - व्हाट एवर यू मिस्टर, आई वांट टू टॉक टू मिस्टर कपिल राईट नाउ, राईट नाउ मीन्स राईट नाउ, इट्स लाइक इमरजेंसी, एनी वे टेल मी वेयर ही इस, आई ऍम कमिंग देयर |
सामने वाला बंदा गिडगिडाने लगा - मैडम गिव मी अ मिनट, मिस्टर कपिल टोल्ड अस डोंट डिस्टर्ब हिम एंड हिज फ्रेंड .............. लेट मी टॉक टू हिम एंड इ विल कन्फर्म यू, मैडम प्लीज जस्ट वेट फॉर अ सेकंड |
रीमा - बेटर ........................|
फ़ोन वाले बन्दे ने किसी से फ़ोन पर बात करी और कुछ देर बात रीमा को बोला - मैडम कपिल सर आपके पास 5 मिनट में आ जायेगें |
रीमा को ये सब बड़ा अजीब लगा | एकदम से कपिल और बाकि सारे मेहमानों का गायब होना, फिर पांच मिनट में कपिल का उसके पास आना | रीमा इस पर ज्यादा सोचने के बजाय जग्गू को सबक सिखाने के बारे में ज्यादा सोच रही थी | उसने इस घटनाक्रम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन उसके दिमाग के कोने में कीड़ा कुलबुला रहा था |
उधर कपिल को अंदाजा हो गया था कुछ सीरियस मैटर है इसलिए जल्दी से वहां से भागा, उसके साथ साथ लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप भी साथ हो लिया | असल में सब के सब रीमा के बेमिशाल हुस्न पर अपनी आंखे सेकना चाहते थे | इस पार्टी में रीमा ही नई थी जो पहले कभी उनकी पार्टी में नहीं आई, बाकि सारी हुस्न परियों को वो पहले ही देख चुके थे, लगभग सभी के साथ वो फैमिलेअर थे और मौका मिलने पर उनके साथ फ्लर्ट करने से बाज नहीं आते थे | जो सेट हो गयी उनके साथ सोना तो इनका पंसदीदा शगल था | इन्हें पता था रीमा एक बहुत ही कठिन औरत है खासकर फ्लर्टिंग को लेकर, फिर भी उसके हुस्न का दीदार करने में क्या जाता है और शराब के नशे में थोड़ी आजादी लेकर रीमा के साथ गपशप करने में क्या बुराई है | यही सोचकर अपना जरुरी काम छोड़कर रीमा के एक फ़ोन पर मैंन हाल में तीनो हाजिर हो गए तीनो का साथ में आने का और कोई मकसद नहीं था | जग्गू का बाप इस रिवर लाउन्ज के मुख्य मालिक के साथ बिज़नस में हिस्सेदार था |
रीमा ने तीनो को आते देखा तो थोड़ा अजीब लगा | उनके पास आते ही समझ गयी तीनो नशे में फुल है, चूँकि पुराने पियक्कड़ है इसलिए इतनी शराब गले के नीचे उतारने के बाद भी फुल कण्ट्रोल में है | तीनो के ओंठ सुख रहे है और नशे में आंखे सुर्ख लाल है, आते ही तीनो रीमा को घूरने लगे | इससे पहले रीमा असहज हो कपिल बोल पड़ा - एक्स्चुज अस, बताइए रीमा जी, आपने मुझे क्यों याद किया है, कपिल आपकी सेवा में हाजिर है | ये गुलाम आपकी क्या खिदमद कर सकता है |
बाकि दोनों कभी रीमा को देखते कभी नूतन को | दोनों को बारी बारी से देखकर कुछ समझने की कोशिश में लगे थे, लेकिन डिकोड कर पाने में अक्षम थे |
आखिर सच रीमा के मुहँ से निकलने के बाद ही पता चला | रीमा ने तेज आवाज में में चिल्ला चिल्लाकर बताया, ताकि पुरे हाल में आवाज सुनाई पड़े - जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे हट की तरफ गयी थी तो वहां शराब जग्गू नूतन का रेप करने की कोशिश कर रहा था |
नशे में होने के बावजूद सभी ने वही सुना जो रीमा ने कहा | किसी को भी यकीन नहीं हुआ | जग्गू का बाप अपने बेटे को जानता था, ड्रग्स का मामला होता या मारपीट का तो समझ में आता उसके लेकिन रेप, वो भी उस लड़की का जिसे वो रोज कॉलेज में मिलता है | जग्गू का बाप भी नूतन को जानता था | तीनो का नशा काफूर सा हो गया | तीनो में से किसी को भी रीमा की बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल था | सभी हैरान थे, ऐसा हो कैसे गया | तीनो क्या सोचकर आये थे, की मौका मिलते ही थोडा बहुत रीमा के साथ मटरगस्ती करेगें लेकिन यहाँ तो सावन में रेगिस्तान वाला हाल हो गया |
रीमा की बात सुनकर, नूतन के हाव भाव देखकर कपिल समझ गया कुछ तो गलत हुआ है, वो एकदम से गंभीर हो गया - दिस इस शॉकिंग, अनएक्सेप्टबल | क्या मैंने जो सुना वही तुमने कहा |
रीमा ने अपनी बात फिर से दोहरा दी | कपिल और लाउन्ज के मालिक की नज़ारे नूतन की तरफ चली गयी | नूतन अब अपने आंसू नहीं रोक पायी, सिबुकने लगी | रीमा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर ढाढस बंधाया |
कुछ देर तक तीनो नशे में धुत होने के बावजूद घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते रहे और बार बार रीमा और नूतन की बातो को चुपचाप अपने अनुभव कि कसौती पर कसते रहे |
लाउन्ज का मालिक ज्यादा अनुभवी था, जग्गू का बाप उसका बिज़नस पार्टनर, ऐसे आंख बंद करके रीमा के कहे को सच मान लेने की बजाय उसने सच को परखना जरुरी समझा, नूतन के पास जाकर, उसके सर पर हाथ फेरा - बोलो बेटा, कुछ गलत किया जग्गू ने तुमारे साथ, डरो मत, हम सब तुमारे साथ है, ये जग्गू का बाप है, वो इसका बेटा हुआ तो क्या हुआ तुम बस सच बतावो उसकी ये हड्डी पसली एक कर देगा |
अब तक बमुश्किल सिबुकती नूतन अपने आंसू लेकर नूतन फफकने लगी, जोर जोर से रोने लगी | ये देखकर तीनो की हवा टाइट हो गयी, उन्हें मामले की गंभीरता समझ गई |
जग्गू का बाप - रो मत बेटी, मै एक बेटे का बाप हूँ तो दो बेटियों का बाप भी, टांगे चीर दूंगा उस जग्गू की, सच सच बोल, तेरे साथ क्या हुआ |
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09-01-2021, 05:22 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
नूतन ने रोते रोते, सिबुकते हुए पूरी कहानी बताई, लेकिन कहानी का पहला भाग (राजी और प्रियम की लंड चुसाई) नहीं बताया | इसकी जगह वो बोली, उसे कुछ देर एकांत में रहना था तो वो पीछे की तरफ चली गयी | वहां कुछ कीचड़ था जो वो देख नहीं पाई, और उसके कपड़े में कीचड़ लग गयी, पास में कॉटेज था इसलिए उसके अन्दर बदलने चली गयी और इतने में पता नहीं कहाँ से जग्गू आ गया | उसके साथ जबरदस्ती करने लगा | नूतन की कहानी पर लाउन्ज का मालिक सवाल जवाब करना चाहता था लेकिन उसके बोलने से पहले ही जग्गू का बाप नशे में ही दहाड़ा - उसे कुत्ते के बच्चे को मै छोड़ूगा नहीं, जहाँ देखो वहां मेरी नाक कटवाता रहता है, समाज में कही जाने लायक नहीं छोड़ा है | इसलिए लिए इस सुवर को कही ले नहीं जाता हूँ | कहाँ है साला, ढूंढ के लावो, आज इसकी हड्डी पसली एक करता हो |
लाउन्ज का मालिक बीच में बोला - बेटा जहाँ तक मुझे पता है, पीछे कही कीचड़ है ही नहीं |
जग्गू का बाप - यार लड़की की हालत देख तुझे लगा रहा है कि ये झूठ बोल सकती है, तूने ज्यादा पी रखी है, तू चुप रह, मै इससे बात कर रहा हूँ न | नूतन बेटी तू बोल .............|
नूतन - अंकल उसने मेरे बाल खीचे, दो बार मुझे जमीन पर पटका, किसी तरह से मै जान बचाकर भागी हूँ, अगर आपको यकींन हो तो उसके हाथ पर मेरे दांतों के निशान देख सकते है | मैंने बहुत जोर से काटा था और फिर अपनी इज्जत बचाकर भागी हूँ वहां से | बाहर आते ही मुझे रीमा औंटी मिल गयी | रीमा नूतन के शरीर पर के चोट के निशान दिखाते हुए - ये देखो सबुत |
लाउन्ज का मालिक फिर से कुछ पूछने जा रहा था, उसे जग्गू के बाप ने फटकारा - क्या यार तू भी व्योमकेश बक्शी हो रहा है, जग्गू को ढूंढ के ला, दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा | लड़की की हालत से नहीं लगा रहा तुझे कि इसके साथ कुछ गलत करने की कोशिश हुई है | जग्गू को ढूढ़ के ला यहाँ | जब लाउन्ज स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने चला तो रीमा ने प्रियम को भी ढूंढ कर लाने को कहा |

जग्गू अपने बाप का इकलौता लड़का था फिर भी जग्गू का बाप उसको लेकर बहुत सख्त रहता था | जग्गू का बाप एक झोपड़ पट्टी में पैदा हुआ वही पला बढ़ा | आगे चलकर उसने ड्रग्स, फिरौती वसूलना, गुंडा गर्दी सब कुछ कुछ किया, फिर उसे एक लड़की से प्यार हो गया और वो लड़की शादी के लिए इसी शर्त पर राजी हुई की वो ये सब मारपीट गुंडागर्दी छोड़कर एक शरीफों वाली जिंदगी जियेगा | तब से जग्गू का बाप एक सफेदपोश बिज़नस मैंन बन गया | अन्दर खाने उसके कुछ पुराने धंधे चलते रहे कुछ बंद हो गए, लेकिन उसने पहले के कमाए पैसो से रियल स्टेट के बिज़नस में काफी पैसा लगाया और शहर के पह्चानदार लोगो में अपनी जगह बना ली | वो नहीं चाहता था की जग्गू उसकी तरह कम पढ़ा लिखा रहे, गुंडा गर्दी करे मावली गिरी करे, इसीलिए उसकी माँ से ज्यादा वो सख्त रहता था | यहिकरण था बाप बेटे का रिश्ता बहुत ज्यादा मधुर नहीं था | ऐसा नहीं था जग्गू का बाप उसे प्यार नहीं करता था, आखिर अकेला लड़का किसको प्यारा नहीं होता, फिर भी उसे अपराध की दुनिया से बचाकर एक अच्छा सिविल इंसान बनाना उसकी पहली प्राथमिकता थी और इसीलिए जग्गू को किसी भी गलत काम की सजा देने में उसे कोई हिचक महसूस नहीं होती, इसके उलट उसकी बेटियां न केवल पढने में तेज थी बल्कि आज्ञाकारी भी थी यही बात जग्गू के बाप को और परेशान कर देती इसीलिए कभी कभी वो जग्गू पर और ज्यादा कठोर हो जाता |

लाउन्ज के आदमी जग्गू को ढूढ़ने में लग गए | लाउन्ज में ठहरने का भी इंतजाम था | मैंन हाल के उत्तरी सिरे पर दो मजिल के बेहतरीन सुविधाओं से लैस कम से कम ३० कमरे थे | प्रियम, राजू और उसकी मंडली उसी बिल्डिंग की छत पर अपने में मस्ती कर रही थी | उन दोनों को होश की नहीं था की इतनी देर बाद बाद नूतन यहाँ नहीं आई और न ही उनका दोस्त जग्गू यहाँ मौजूद है | स्टाफ का आदमी पता लगाते लगाते बिल्डिंग की छत पर पंहुच गया | जब प्रियम को पता चला की उसे मैंन हाल में बुलाया गया है, तब उसे होश आया, की कॉटेज से निकलने के बाद नूतन कहाँ रह गयी | उसे रीमा चाची का ध्यान आया, उसने स्टाफ से मामला जानने की कोशिश की लेकिन स्टाफ ने अनभिज्ञता दर्शायी | प्रियम नशे में अब पहले से ज्यादा धुत था | जब स्टाफ के साथ प्रियम हाल में पंहुचा तो वहां रीमा चाची और नूतन को देखते ही सकपका गया | नूतन और रीमा चाची एक साथ ............. क्या रीमा चाची को उनका भी सच पता चल गया, लगता है नूतन ने सब बता दिया | अब तो गजब हो जायेगा , रीमा चाची सबको बता देगी और फिर हमारे बाप हम दोनों को कच्चा चबा जायेगें | अब क्या होगा, उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी |
रीमा ने प्रियम की हालत देखी, उसे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था, जग्गू का भी पता लगाया जा रहा था | रीमा ने स्टाफ के वहां से जाने के बाद तीनो लोगो से कहा - क्या वो एक मिनट के लिए पीठ करके खड़े हो जायेगे | सभी ने एक दुसरे को अचम्भे से देखा, चूँकि रीमा का तीनो को ये पहला अनुरोध था, इसलिए आँखों हो आँखों में इशारा हुआ और बिना किसी सवाल जवाब के तीनो घूम गए | उनका घूमना था कि तड़ाक की आवाज से पूरा हाल गूँज उठा - आज के बाद जब मेरे साथ आना तो ये दोबारा कभी मत करना |
तीनो जन चौंक गए, अचानक मुड़कर देखा तो रीमा गुस्से से लाल पीली प्रियम को घूर रही है और प्रियम अपने गाल पर हाथ रखे अपने असहनीय दर्द को छिपाने की नाकाम कोशिश करता हुआ, रीमा को देख रहा है |
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09-01-2021, 05:22 PM,
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प्रियम को लगा रीमा चाची को सब पता चल गया है, अब तो उसका मरण तय है, उसकी आँखों में तेज पड़े झापड़ के दर्द के कारन आंसू छलक आये |
रीमा दांत पीसती हुई - मैंने मना किया था न शराब पीने से |
यहाँ सबके सामने वो कॉटेज की हरकत के लिए नहीं मार सकती थी, रीमा को गुस्सा इस बात का नहीं था की कॉटेज में वो नूतन से अपना लंड चुसवा रहा था, उसे गुस्सा इस बात का था कि नूतन ने दोनों के लंडो को जमकर चूसा, उन्होंने भी उसके मुहँ को जमकर चोदा, नूतन दोनों को जितना सुख दे सकती थी दिया, फिर अपने अपने लंड से पिचकारी निकलते ही दोनों ने अपने कपड़े सही किये और नूतन को वही छोड़कर बेपरवाह निकल गए | वासना का बुखार उतरते ही उनकी दिलचस्पी नूतन में ख़त्म हो गयी | वो बस नूतन के जिस्म के सहारे अपनी किशोरवय वासना बुझाना चाहते थे या उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था, और ये उन्हें नूतन ने ऑफर किया था, फिर भी दोनों को फर्ज बनता था कि अपने लंड मुरझाने के बाद भी थोड़ी देर नूतन के साथ बिताते, उसके साथ बाते करते और कायदे से जब तीनो साथ साथ आये थे तो उन्हें नूतन को साथ लेकर ही वहां से निकलना चाहिए था | अगर वो दोनों अपने साथ नूतन को लेकर निकलते तो ये नौबत नहीं आती या जग्गू के आने पर वो दोनों वहां मौजूद होते तो भी ये नहीं होता जो हुआ | प्रियम ने एक लम्बी साँस ली, ये राहत की साँस थी - थैंक गॉड रीमा चाची ने शराब के लिए थप्पड़ मारा |
प्रियम - आई ऍम सॉरी |
रीमा - अभी तुमारी इतनी भी उम्र नहीं है जो शराब पियो, एन्जॉय वो करो जो शरीर बर्दाश्त कर सके |
जग्गू का बाप - आप बिलकुल सही बोली है रीमा जी, आजकल के लड़के इसी नशे में तो बर्बाद है |
रीमा बेरुखी से - नशे की बात आप तो न ही करिए .......................|
कपिल ने उसे कुछ इशारा किया, जग्गु का बाप कुछ बोलना चाहता था लेकिन चुप हो गया, फिर दहाड़ा - अरे भाई कहाँ है जग्गू, इतनी देर हो गयी है और तुम लोग उसे ढूंढ नहीं पा रहे हो, साला सबकी पगार आधी करवा दूंगा |
कपिल भी स्टाफ से कहने लगा - जल्दी करो, हम लेट हो रहे है, मीटिंग ख़तम हो जाएगी |
रीमा - रात को १० बजे कौन सी मीटिंग होती है |
कपिल - सॉरी मीटिंग नहीं डीलिंग | मीटिंग तो ऑफिस में ही कर लेते है, लेकिन ऑफिस में तो सिर्फ मीटिंग मीटिंग करनी है ये बिज़नस डीलिंग ऐसी पार्टियों में ही होती है | तुम नहीं समझोगी |
रीमा - हूंम्मम्मम्म |
जग्गू के बाप को भी मीटिंग की देर हो रही थी - उसने किसी को फ़ोन मिलाया, बात की | उसके बाद रीमा और नूतन को मुखातिब होकर बोला - हमारे लड़के ने बड़ी गलती कर दी है, हमें माफ़ कर दो | नूतन बेटा मेरा वादा है जग्गू सुबह सब मेहमानों के सामने तुमारे पैरो में नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांगेगा | उस नालायक की हरकत के लिए एक दो बेटियों का बाप तुमसे मांफी मांगता है | इतना कहकर नूतन के सामने कमर तक झुक गया | नूतन असहज हो गयी, जब उसकी बाप की उम्र का आदमी उसके सामने हाथ जोड़कर कमर तक झुककर खड़ा हो जाये |
रीमा और नूतन को ये समझने में कुछ वक्त लगा, आखिर फ़ोन पर बात करने के बाद जग्गू का बाप एकदम से सरेंडर मोड में क्यों आ गया | असल में जब लाउन्ज का स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने में नाकाम रहा तो उसने अपने ड्राईवर को फ़ोन मिलाया और ड्राईवर ने न केवल जग्गू के गाड़ी में सोने की बात बताई, बल्कि जाकर उसके हाथ पर दांतों का निशान भी चेक किया | इसलिए जग्गू का बाप रीमा और नूतन के सामने झुककर मांफी मांगने लगा | अभी वो नशे में धुत सो रहा था इसलिए जग्गू के बाप ने सुबह तक रुकने की रिक्वेस्ट करी | लाउन्ज के मालिक भी रीमा और नूतन से मिन्नतें करने लगा, कुछ भी हो जाये ये बात बाहर पब्लिक को पता नहीं चलनी चाहिए | उसने FIR न करने के लिए स्पेशल रिक्वेस्ट करी | उसने पैसे से लेकर सबके सामने जग्गू से माफ़ी मांगने का वादा भी कर दिया | जग्गू के बाप ने भी वादा किया वो सुबह सबके सामने जग्गू से माफ़ी मंगवायेगा |
पैसो का नाम सुनते ही नूतन थोड़ा नरम पड़ गयी, एक गरीब परिवार से थी इसलिए पैसो की अहमियत उससे ज्यादा कौन जान सकता था, ऊपर से अगर जग्गू उससे जबदस्ती न करता तो शायद चुदाई को छोड़कर वो अन्य तरह के सारे सुख जग्गू को भी दे सकती थी | फिलहाल उसकी इज्जत पर कोई आंच नहीं आई थी, लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप दोनों उसके सामने नतमस्तक थे ऊपर से अच्छा खासा पैसा भी मिल रहा था | नूतन जैसी महत्वकांक्षी लड़की को और क्या चाहिए था |
कपिल रीमा के थोड़ा करीब जाकर कान के पास - रीमा जी, इस लड़की से बोलिए थोड़ा कोआपरेट करे | ये लोग माफ़ी मांगने के साथ साथ पैसा भी अच्छा खासा देने को तैयार है |
रीमा हैरानी से कपिल को देखती हुई, कुछ सोचकर - इसका फैसला मै कैसे ले सकती हूँ, नूतन ........ बोलो | रीमा को लगा था नूतन नहीं झुकेगी, क्योंकि उसकी जगह वो होती तो शर्तिया जग्गू को जेल भिजवाती , लेकिन नूतन की तरफ से हामी भरते ही रीमा सकते में आ गयी | नूतन की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही तीनो ऐसे भागे, जैसे कोई ट्रेन छुट रही हो |

रीमा को उनका इस तरह जाना जरा अजीब लगा, लेकिन वो नूतन के इस फैसले से खिन्न हो गयी | उसके नैतिकता के सारे सिधान्तो को एक पल में नूतन ने ठेंगा दिखा दिया था | आज ही रीमा को पैसे की ताकत पता चली और क्यों लडकियां पैसो के लिए किसी भी नैतिकता और आदर्शो को ठोकर मारने को तैयार है | वही है जो ये सब ढोने की असफल कोशिश कर रही है | कोई नहीं मानता इन खोखली बातो को आजकल | सब बिकाऊ है बस बोली लगाने वाला होना चाहिए | हेय द्रष्टि से नूतन को देखती हुई अगर इसका रेप हो जाता तो उसकी भी ये कीमत वसूल लेती | कैसी है आजकल के ज़माने की लड़कियां | कहाँ एक पल पहले वो नूतन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक उसका साथ देने को तैयार थी और अब उसे नूतन के पास खड़े होने में भी घुटन होने लगी|
खुद को समझती हुई बोली, चल यहाँ से वरना तेरे दिमाग की नशे ये सब सोच सोच कर फट जाएगी | अपने विचारो की उधेड़बुन में खोयी पड़ोस में खड़े प्रियम पर उसकी निगाह गयी | और उसके विचार एक पल में बदल गए | मै कौन होती हूँ किसी को चरित्र प्रमाण पत्र देने वाली, मै भी इसका लंड चूस चुकी हूँ, ये मेरे जिस्म का कोना कोना देख चूका है, मेरी चिकनी गुलाबी चूत न केवल देख चूका बल्कि उसका तो रसपान भी किया | अपने लड़के की उम्र के बच्चे के साथ नंगी होकर मैंने भी तो अपनी प्यास बुझाई थी, कीमत सिर्फ पैसो की ही तो नहीं होती | तुमारी वासना भी तो बेलागाम थी और प्रियम का लोलीपोप लंड चूसकर तुमने उसे बुझाया | आखिर तुमने भी तो रिश्तो की बलि चढ़ा दी, इसके आगे पैसो की कीमत तो बहुत कम है | पराये मर्द का लंड अपनी चूत में लेने वाली मै कौन होती हूँ किसी की चूत को कुलटा का सर्टिफिकेट देने वाली | उसे पैसे की जरुरत है और कमाने का मौका है तो पैसा वसूल रही है | तुम्हे भी तो लंड की जरुरत थी और जब रोहित तुमारे पास आया था तो तुम मना कर सकती थी लेकिन तुमने मना नहीं किया फिर तुम नूतन से अलग कैसे हो | सबकी अपनी अपनी जरूरते है | रीमा के मन के अंतर्द्वंद का कोई अंत नहीं था लेकिन उसकी चेतना मन की गहराई से बाहर निकल वास्तविकता में लौटी, एक पल पहले जो मन नूतन के फैसले पर व्याकुल था वहां अब शांति थी और रीमा का मन स्थिर हो चूका था |
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09-01-2021, 05:22 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा प्रियम से मुखातिब हुई - कहानी समझ आई या फिर से समझाऊ | चलो इतनी रात को मै वापस शहर नहीं जाउंगी | सुबह जब जग्गू नूतन से मांफी मांग लेगा तभी यहाँ से निकलूंगी | तब तक चलकर सोते है आराम से | एक काम करो तुम दोनों लोग चलो, मै जरा रूम की चाभी लेकर आती हूँ |
नूतन बोली - मै अकेले कंही नहीं जाउंगी |
रीमा - ठीक है एक मिनट रुको, मै (हाल के कोने में बने काउंटर पर बैठे आदमी की तरफ इशारा करके ) चाभी लेकर आती हूँ |
काउंटर पर बैठ आदमी फ़ोन में गौर से एकटक कुछ देखने में बिजी था | रीमा काउंटर पर गयी - गेस्ट कोड 17R के रूम की चाभी देना | उस आदमी में एक बड़ा सी चाभियो से भरी ड्रोर से दो चाभी निकाली और रीमा को दे दी | रीमा उसको थैंक्यू बोलकर बस आगे ही बढ़ी थी, पीछे से काउंटर पर बैठे आदमी ने उसे रोका - सॉरी मैडम, वो मैंने आपको एक गलत चाभी दे दी | एक आपके रूम की चाभी है, दूसरी मैंने आपको गलती से दे दी है |
असल में फ़ोन पर वो कुछ अश्लील फिल्म देख रहा था, इसलिए उसका पूरा ध्यान वही लगा हुआ था | रीमा की तेज निगाहे से उसका फ़ोन बच नहीं पाया | उसने सकपकाते हुए फ़ोन ऑफ किया | वो समझ गयी की ये फ़ोन पर क्या देख रहा था रीमा ने एक बार उस आदमी को घूर कर देखा और एक बार चाभी को, काउंटर पर बैठे आदमी ने चाभी लेने के लिए हाथ आगे किया | रीमा ने उसकी तरफ ध्यान देने की बजाय चाभी को ध्यान से देखा,चाभी पर 17R नंबर पड़ा था, उसने पहले वाली चाभी को देखा उस पर भी 17R पड़ा था |
रीमा ने दोनों चाभी को गौर से देखा, एक चाभी के दूसरी तरफ पैराडाइज लिखा था | रीमा ने पूछ लिया - दोनों चाभियो पर नंबर तो एक जैसा ही पड़ा है |
वो आदमी सकपकाया - मैडम वो मीटिंग रूम की चाभी है |
रीमा - मीटिंग रूम, जहाँ ये कपिल मीटिंग करने गया है |
स्टाफ - जी वो हमें नहीं मालूम |
रीमा - तुम्हें मालूम नहीं है तो यहाँ क्यों बैठो हो, जिसको पता है उसको बैठाओ यहाँ पर |
स्टाफ - मैडम, हमें जितना बताया जाता है उतना ही कर सकते है | आपकी चाभी ये है, वो पैराडाइज वाली चाभी आप वापस कर दीजिये |
रीमा चाभी को देखती हुई - ये पैराडाइज क्या है ?
स्टाफ - मैडम मुझे नहीं पता है, मुझे बस इस कंप्यूटर स्क्रीन पर आता है किस गेस्ट को कौन सी चाभी देनी है, मै उसे निकालकर दे देता हूँ |
रीमा - तुम्हे नहीं पता है तो किसको पता होगा ? उसका नाम बतावो नहीं तो मै तो दोनों चाभियाँ रखूंगी |
स्टाफ गिडगिडाने लगा - आप मेरे सुपरवाइजर से बात कर लो मैडम, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता |
रीमा - सुपरवाइजर कौन है उसे यहाँ बुलाओ |
स्टाफ सरेंडर की मुद्रा में आ गया - मैडम मै आपकी फ़ोन पर बात करा सकता हूँ, मैडम आप समझ नहीं रही है मेरी नौकरी चली जाएगी | मालिक का सख्त आदेश है, किसी से जरा सी भी गड़बड़ हो तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दो |

रीमा ने स्टाफ की रोनी सी शक्ल देखि फिर चाभी को गौर से देखा, एक बार को उसने पैराडाइज वाली चाभी वापस करने को हाथ आगे भी बढ़ा दिया, फिर तेजी से वापस पीछे खीच लिया | रीमा ने प्रियम को इशारे से बुलाया, उसे अपने रूम की चाभी दी और बिल्डिंग में जाकर सोने को बोला | उसने प्रियम से थोड़ी देर में आने को बोला, वो बस दूसरी चाभी वाला मसला दूर करके आ जाएगी | साथ ही हिदायत दी नूतन को कही भी अकेला न छोड़े | साथ में लेकर सीधे रूम में जाये |
प्रियम नूतन चले गए | रीमा अब इस चाभी का सच जानना चाहती थी |
रीमा - दोनों चाभी एक जैसी, फिर मै इस चाभी को अपने साथ क्यों नहीं ले जा सकती | ये बताओ कपिल ले गया है ऐसी चाभी |
स्टाफ वाला बंदा कुछ सकुचाया, रीमा ने घुड़का - कंप्यूटर में देखकर बताते हो या फ़ोन वाली बात बताऊ तुमारे मालिक को और हाँ मै ये चाभी लेकर जा रही हूँ |
स्टाफ बस रीमा के पैरो में गिरने को रह गया था - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी |
रीमा - नहीं बताएगा, नौकरी तो तेरी वैसे भी जानी है |
स्टाफ बहुत ही धीमी आवाज में - हाँ मैडम, जिसको मीटिंग करनी होती है उसको ये चाबी दी जाती है और मीटिंग करने सब बड़े लोग आते है, हमें तो बस अपना काम करना होता है | मैडम प्लीज किसी को बताना मत की मैंने ये बात आपको बताई है |
इससे पहले वो कुछ समझ पाता, रीमा ने मॉनिटर की स्क्रीन अपनी तरफ मोड़ ली | पार्टी में आये गेस्ट में से जिनको भी वो जानती थी सबको पैराडाइज वाली चाभी भी असाइन थी | मजे की बात सॉफ्टवेर में मास्टर की भी दिख रही थी | रीमा ने मास्टर की का नंबर देखा, मॉनिटर स्क्रीन वापस उस बन्दे की तरफ घुमाते हुए - मै ये चाभी तुम्हें वापस कर दूँगी लेकिन एक शर्त पर, ये बतावो मै तुम्हें कैसी लगती हूँ |
वो भौचंका सा रीमा को देख रहा, वो कुछ समझ ही नहीं पाया, क्या बोले, क्या रियेक्ट करे |
रीमा - देखो मुझे M01R पैराडाइज चाहिए, मुझे पता है तुम पोर्न देख रहे थे और तुमने मुझे गलत चाभी भी दी है अब अगर मै अभी तुमारे बॉस को बुला लू या इस लाउन्ज के मालिक को तो तुमारी छुट्टी पक्की है | मै तुम्हे ये चाभी वापस कर दूँगी लेकिन M01R पैराडाइज चाभी चाहिए |
स्टाफ वाला बंदा हलकान हो गया, किर्तव्य विमूढ़ सा बैठा, क्या करे क्या न करे |
रीमा - देखो मेरे पास टाइम नहीं है, मुझे बस जाना है और वापस आना है २ मिनट लगेगे | मै थक गयी हूँ फिर मुझे सोने जाना है | ये चाभी मेरे हाथ में है, जल्दी से सोच लो |
स्टाफ - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी, मै सड़क पर आ जाऊंगा |
रीमा - नौटंकी मत कर ये ड्यूटी पर बैठकर पोर्न देखने से पहले सोचना चाहिए था | चल निकाल कर चाभी दे, नहीं तो अपने ऊपर वाले को फ़ोन लगा |
स्टाफ - मैडम आप दो मिनट में आ जाएँगी न |
रीमा - पक्का लेकिन जब चाभी देगा तब तो वापस आउंगी |
स्टाफ के बन्दे ने कांपते हाथो से ड्रोर से चाभी का गुच्छा निकाला, रीमा ने उसके हाथ से गुच्छा झपट लिटा और पलक झपकते ही चाभियाँ पलट पलट कर M01R दूंढ निकाली |
चाभी हाथ में आते ही - किधर जाना है, जल्दी बोल |
स्टाफ - मैडम वो मुझे नहीं पता, वो सिर्फ मेरे सुपरवाइजर को पता है |
रीमा - तू न बहुत बड़ा नौटंकी है, फ़ोन कर और पूँछ कर बता |
स्टाफ - मैडम मै नहीं पूँछ सकता, मालिक का सख्त आदेश है पैराडाइज के बारे स्टाफ में कोई भी किसी तरह की बात नहीं करेगा, न ही कोई जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा | मैडम हमें कुछ नहीं पता, हम बस चाभी मैनेज करते है |
रीमा को लगा इस पर टाइम खराब करने से अच्छा है खुद ही ढूंढ ले | वो चाभी ले तेजी से बाहर निकली | स्टाफ - मैडम जल्दी आना, वरना मेरी नौकरी चली जाएगी | बाहर निकलते ही रीमा पहले गेस्ट के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग की ओर चली लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ कौंधा | जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे की तरफ जा रही थी | तभी एक कॉटेज में तीन चार लड़कियां जाती दिखाई दी थी, जब तक रीमा उनके करीब पंहुचती कॉटेज बंद हो चूका था | जहाँ तक रीमा को याद है वो उस पार्टी में कही नहीं दिखी थी | कॉटेज के गेट पर एक हैंडल लॉक था और गेट पर लाइट्स जल रही थी, लेकिन कॉटेज का गेट खुलने और बंद होने के बीच कॉटेज में से कोई लाइट निकलती नहीं दिखाई दी | रीमा अच्छे से याद करके उस तरफ बढ़ी | लान की लाइट्स या तो बंद हो चुकी थी या डिम कर दी गयी थी | जब रीमा उस कॉटेज के पास पंहुची तो वहां घनघोर अँधेरा था | उसके आस पास की लाइट्स अब बंद हो गयी थी | रीमा कॉटेज के दरवाजे में लगे हैंडल को मोबाईल की रौशनी में देखने से पहचान गयी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था, इसका अहसास मंजिल के इतने करीब आकर हुआ | पता नहीं क्या हो रहा होगा अन्दर | मुझे क्यों अन्दर जाना चाहिए | जिसको जो करना है करे, मुझसे क्या मतलब | मै क्यों फालतू में किसी के लफड़े में पडू | अगर यहाँ किसी ने देख लिया, हाय मै तो शर्म से पानी पानी हो जाउंगी, क्या मुहँ दिखाउंगी इन सबको | अभी सबके सामने शान से छाती उठकर चलती हूँ, पता नहीं अन्दर क्या होगा, कौन होगा, क्यों फ्री फंड में मुसीबत को खुद ही दावत दे रही हूँ | इतने समझाने के बाद भी रीमा के मन के सवाल जस के तस थे | आखिर सबको पैराडाइज की चाभी क्यों दी गयी है सिवाय मुझे छोड़कर | क्या ये सब पहले भी आते रहे है या मै रोहित के बदले चली आई इसलिए | आखिर ये सब के सब औरते भी कौन सी मीटिंग कर रहे है | सिर्फ मै ही क्यों अकेले छोड़ दी गयी | मुझे अन्दर जाकर एक बार पता तो लगाना ही चाहिए | लेकिन अन्दर जाते हुए किसी ने मुझे देख लिया तो कितनी शर्मिंदगी होगी |
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09-02-2021, 03:45 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
खुद को आस्वस्त करने और अपने अन्दर हिम्मत जुटाने में उसे कुछ समय लगा | आशंकित मन और कांपते हाथो से उसने हैंडल लॉक में टटोल कर मास्टर की लगायी और लॉक खुल गया | रीमा घटाटोप अँधेरे में अन्दर घुसी, जैसे ही उसने दरवाजा बंद किया, दरवाजा लॉक हो गया | दरवाजा लॉक होते ही एक कीपैड चमका और कीपैड से आवाज आई, इंटर योर कोड | रीमा को कुछ समझ न आया तो कुछ देर उलझन में उसी अँधेरे में शंकित नजरो से कीपैड को देखती रही, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, रीमा को समझ नहीं आया क्या टाइप करे, करे या न करे, वापस भाग चले | लेकिन सवाल था अब वापस भी कैसे जाएगी | दरवाजा तो लॉक हो चूका है | कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, आर प्रेस यच फॉर हिंट | रीमा ने यच प्रेस किया, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, योर कोड इज योर की नंबर | रीमा ने फटाफट M01R टाइप किया, कॉटेज के अन्दर बने 4 दरवाजो में से एक अनलॉक हो गया और हल्की सी रौशनी जल गयी, जहाँ से उसको नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां दिखाई दी | रीमा धड़कते दिल और आइस्ता कदमो से सीढियों से नीचे उतरने लगी | नीचे जाते ही उसे हलकी रौशनी में चार दरवाजे फिर दिखाई पड़े, सब पर उनका कोड पड़ा था | रीमा ने M01R वाले दरवाजे में चाभी लगायी और दरवाजा खोलते ही फिर सीढियां दिखाई दी जो पांच कदम चलते ही खतम हो गयी | उसके बाद था एक आलिशान सा कमरा, जिसमे सोफा, बेड, टीवी और कुर्सी सब मौजूद था | कमरे में आगे बढ़ने पर उसके दोनों छोरो पर एक एक बड़ा सा शीशा लगा था जिसमे से बाहर की तरफ तो देखा जा सकता था लेकिन बाहर वाला अन्दर नहीं देख सकता था | शीशे के किनारे पंहुचते ही रीमा को समझ आ गया आखिर क्यों इसको मास्टर रूम कहा जाता है | शीशे से रीमा ने जो नजारा देखा, उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी, उसने सपने में भी नहीं सोचा था यहाँ आकर ऐसा कुछ भी देखने को मिल सकता है, वो तो यहाँ कुछ और ही सोचकर आई थी लेकिन उसने ये सब तो कभी नहीं सोचा था |
रीमा की आँखों के सामने जो भी था वो रीमा के लिए एक 440 वोल्ट के झटके से कम नहीं था |

रीमा जिस कमरे में अभी थी, वहां मध्यम लाइट जल रही थी लेकिन बाहर से अन्दर दिखने का कोई चांस नहीं थी | कमरा काफी बड़ा था और साथ में अटैच्ड एक आलिशान बड़ा बाथरूम था | कमरे में एक तरफ छोटा सा केबिन भी बना हुआ था, जिसमे कम से कम एक दर्जन स्क्रीन लगी हुई थी | मास्टर रूम के चारो तरफ 8 फीट नीचे चारो तरफ एक दर्जब खुला केबिन बने हुए थे, जो लगभग लगभग उसके रूम की डिजाईन के ही थे लेकिन उनका साइज़ इससे छोटा था | हर केबिन में वही सारा सामान था जो मास्टर केबिन में था बस फर्क ये था उन सब की छत सीमेंट की नहीं थी | हर केबिन की छत पर एक वही शीशा लगा हुआ था जो मास्टर रूम में था, बस फर्क ये था उसमे केबिन की अन्दर वाला कुछ भी बाहर का नहीं देख सकता था, उसे छत की तरफ देखने पर ये अहसास भी नहीं होता की छत पारदर्शी है, लेकिन मास्टर रूम के दोनों छोरो पर शीशे से झांकते इंसान को उन केबिन की सुई तक दिख सकती थी | मास्टर केबिन की लाइट डिम थी लेकिन केबिन में लाइट बहुत थी और ऊपर से सब कुछ दिखाई दे रहा था | इसके अलावा मास्टर केबिन में बना साइड केबिन जिसमे हर केबिन की हरकत देखने को मॉनिटर लगे थे, वहां से भी केबिन में क्या हो रहा है इस पर नजर रखी जा सकती थी |

रीमा ने जो कुछ उन केबिन में होता देखा, उसके होश उड़ गए | उसे लगा कोई केबिन से उसे यहाँ खड़ा इस तरह देख न ले इसलिए पीछे हटकर बेड पर बैठ गयी | हर केबिन की एक अपनी कहानी थ, यहाँ कोई मीटिंग नहीं हो रही थी | ये एक अय्याशी का खुफिया अड्डा था इसलिए यहाँ सिर्फ उन्ही को आने की इजाजत थी जिन्होंने इसके लिए पैसे भरे थे | मास्टर केबिन और उसके आस पास के केबिन ऐसे डिजाईन किये गए थे, की किसी को भी भनक न लगे की पड़ोस में क्या हो रहा है और मास्टर केबिन में बैठा इंसान सब कुछ देख ले | जबकि केबिन का आदमी सिर्फ केबिन में ही मस्त रहे | मास्टर केबिन में एक बड़ा सा पर्दा था रीमा को समझ नहीं आया ये क्या है | वो बेड पर बैठी बस चारो तरफ केबिन का जायजा ले ही रही थी | मन में डर और आशंका के साथ एक अनचाही सी लालसा भी थी, वो क्या थी पता नहीं | रीमा शंकाओं से घिरी हुई थी, उसने केबिन में जो भी होता देखा वो उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं था | वो ये सब देखकर कुछ भी सोच पाने में असफल थी | कैसी है ये दुनिया, कैसे है ये लोग | उसके अन्दर दुविधा, हीनता, अविश्वास और सबसे ज्यादा शर्म घर करती जा रही थी | उसने यहाँ का जो नजारा देखा उसके बाद यहाँ से जाने का फैसला कर लिया | वो इस गन्दगी से जीतनी जल्दी हो सके दूर जाना चाहती थी | उसने चाभी हाथ में थामी और तेजी से बेड से उठी और अपने केबिन के दरवाजे को उन लॉक किया और बाहर निकल गयी | जीतनी शांति से वो यहाँ आई थी उतनी ही शांति से वो यहाँ से चली गयी | वो कॉटेज से बाहर निकली ही थी, रोहित का फ़ोन आ गया | एक बरगी को रोहित का नाम देखकर चौंक गयी लेकिन उसे लगा शायद रोहित उसके और प्रियम के लिए चिंतित होगा, इसलिए फ़ोन किया होगा |
रीमा - हेल्लो रोहित |
रोहित - कैसी हो रीमा |
रीमा - बढ़िया |
रोहित - पार्टी एन्जॉय करी |
रीमा - अरे कहाँ ??
रोहित - झूठ क्यों बोल रही हो, मैंने सुना है तुमने वहां भी झंडे गाड़ दिए है | हर कोई तुमारा दीवाना हो गया है |
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09-02-2021, 03:45 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहित - झूठ क्यों बोल रही हो, मैंने सुना है तुमने वहां भी झंडे गाड़ दिए है | हर कोई तुमारा दीवाना हो गया है |
रीमा - जस्ट शट उप, .............................वैसे कौन बोल रहा है, किसी ने फ़ोन किया तुम्हे |
रोहित - अरे मुझे कौन नहीं जानता उस पार्टी में, कोई होगा मेरा शुभ चिन्तक |
रीमा - बाते न बनावो, कौन है वो ?
रोहित - अपने ख़ुफ़िया सूत्रों का खुलासा नहीं किया जाता |
रीमा - ठीक है फिर बाय, मुझे बात नहीं करनी तुमसे |
रोहित - अरे रुको रुको ......तुम तो नाराज हो गयी, वैसे क्या प्लान है |
रीमा - मै इतनी रात को नहीं आउंगी, सोने जा रही हूँ, थक गयी |
रोहित - और थकावट किस बात की है ????
रीमा भांप गयी रोहित मस्ती के मूड में - क्या बात है आज साहब जी का मूड बदला हुआ लग रहा है |
रोहित - तुमने प्रियम को थप्पड़ मारा, मुझे अच्छा लगा कि तुम्हे प्रियम को देखकर बुरा लग रहा था |
रीमा - उसने शराब पी रखी थी मेरे मना करने के बावजूद |
रोहित - इसलिए तुम्हे बुरा लगा न |
रीमा खामोश रही, रोहित आगे बोला - अच्छा वो सब सेंटीमेंटल बाते छोड़ो ये बताओ अभी हो कहाँ पर |
रीमा - कहाँ पर का क्या मतलब है |
रोहित - रिवर लाउन्ज में कहाँ पर हो |
रीमा - ये जानकर तुम क्या करोगे, वैसे में सोने के लिए गेस्ट रूम वाली बिल्डिंग में जा रही हूँ |
रोहित उसे रोकता हुआ बोला - अरे अरे रुको वहां मत जाना |
रीमा - क्यों ????
रोहित - पहले तुम अपनी लोकेशन बताओ. रिवर लाउन्ज के अन्दर एक्चुअली तुम कहाँ हो |
रीमा - नहीं रोहित, नहीं ये नहीं हो सकता, नो नो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | इतनी रात को इस सुनसान जंगल में आने का कोई मतलब नहीं है रोहित, नो वे, तुम्हे यहाँ आने की कोई जरुरत नहीं है |
रोहित - रीमा रीमा रीमा तुम मुझे इतने सालो से जानती हो फिर भी ........................... आने का सवाल छोड़ो, मै आलरेडी आ चूका हूँ |
रीमा के अन्दर आश्चर्य और ख़ुशी दोनों का मिश्रण था, लेकिन उसका मन ये मानने को तैयार ही नहीं था, उसे लगा रोहित मजाक कर रहा है - नहीं ये नहीं हो सकता |
रोहित - मै रोहित हूँ, मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा का मन ये मानने को तैयार नहीं था लेकिन उसका अंतर्मन की चाहत अन्दर से इतनी तेज वेग से बाहर निकली, की रीमा का मानसिक संयम धराशायी हो गया | रीमा के अन्दर अचानक से रोहित पास में होने की लालसा जगी और उसने रोहित जो अपनी लोकेशन बता - मै पैराडाइज कॉटेज की तरफ से मैंन हाल की तरफ जा रही हूँ ?
रोहित - ओह माय गॉड, क्या मैंने भी वही सुना जो तुमने कहाँ , पैराडाइज आर यू क्रेजी ..........................|
रीमा को रोहित का रिएक्शन अजीब लगा, उसे लगा शायद रोहित इसके बारे में जानता है - तुम जानते हो इसके बारे में |
रोहित को एक पल लगा रीमा के पैराडाइज वाली बात को हजम करने में - यकीं नहीं होता, तुम पैराडाइज इतनी जल्दी कैसे पता लगा सकती हो, तुम क्रेजी हो पूरी तरह से क्रेजी |
रीमा ने थोड़ा मासूम बनने की कोशिश की - तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो, जैसे मैंने अजूबा देख लिया हो | कुछ भी तो नहीं था, मैंने रिसेप्शन पर चाभी मांगी, उसने मुझे पैराडाइज की चाभी दे दी, तो पूछते पूछते पैराडाइज चली गयी लेकिन वहां तो घनघोर अँधेरा है, मुझे डर लग रहा था तो वही से वापस आकर मैंन हाल में वापस जा रही हूँ, उसको हड्काने |
रोहित - झूठ मत बोलो, तुमने सचमुच वहां कुछ नहीं देखा |
रीमा - वहां था क्या ऐसा देखने लायक, अँधेरे में कहाँ जाती, आगे का कुछ दीखता तो जाती न |
रोहित - चाभी नंबर क्या है तुमारा, बताओगी ?????
रीमा - पहले ये बताओ , ऐसा क्या खास है वहां, तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो ??
रोहित - पहले चाभी नंबर ?
रीमा - ओके बाबा, तुम हमेशा अपनी मनवा कर ही मानते हो, चाभी नंबर है M01R |
रोहित - नो नो नो नो शिट, ये तुमने क्या कर दिया रीमा, तुम्हे पता भी है इसका मतलब |
रीमा - क्या क्या कहना चाहते हो, क्या खास है इस चाभी में ऐसा, एक नंबर पड़ी चाभी ही तो है |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा अब जान बूझकर नाटक कर रही थी ताकि रोहित के मुहँ से उगलवा सके |
रोहित - वही रुक जाओ, वहां से हिलना मत, मै बस एक मिनट में आया | रोहित ने फ़ोन काट दिया |
बिना कुछ किये रीमा के चलते कदम ठहर गए | रीमा फ़ोन कान में लगाये - हेलो हेलो रोहित हेलो हेलो करती रही | वो समझ गयी रोहित ने फ़ोन काट दिया | रीमा सरप्राइज थी की रोहित यहाँ आ गया था | उसके मन में हजारो सवाल थे लेकिन रोहित के अपने पास होने की लालसा सब पर भारी थी | रोहित यहाँ क्यों आया है, किसने उसको फ़ोन किया था, रोहित पैराडाइज के बारे में क्या जानता है, कब से जानता है | क्या कभी रोहित भी पैराडाइज के अन्दर गया है | क्या रोहित पहले भी यहाँ ऐसी पार्टियों में आता रहा है | उसके दिमाग में सवालो की झड़ी लगी पड़ी थी | इस सबके बीच वो एक बात को लेकर निश्चिन्त थी रोहित से झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं, उसने जो कुछ भी अन्दर देखा, सब का सब रोहित को बता देगी | रोहित से उसका सिर्फ एक रिश्ता था विस्वास का और वो उसे नहीं तोडना चाहती थी | रोहित भी कई बार मर्दों वाली बात रीमा को बता देता था जो के आमतौर पर औरतो के बताने से नुकसान हो सकता है | इस मामले में रीमा थोड़ी अलग थी, उसके अन्दर नैतिकता की दुहाई पर जीने वाली रीमा भी थी तो उसका एक डार्क शेड में था, जहाँ सारे नियम कानूनों से परे वो कुछ भी करने को आजाद थी | रीमा इन्ही विचारो की उधेड़बुन में खोयी हुई थी और पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हल्का सा स्पर्श किया | रीमा के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी | रोहित का स्पर्श, उसके अन्दर की कामना पूरी हुई, रोहित उसके पास था, उसके पीछे था | अन्दर से उमड़ रहे भावनाओं के ज्वार को काबू करते हुए पीछे की तरफ घूमी | रोहित और रीमा गले मिले | रोहित ने रीमा को एक गुलदस्ता दिया | एक पल को दोनों की नजरे मिली, दोनों मुस्कुराये |
रोहित - खूबसूरत लग रही हो हमेशा की तरह |
रीमा ने भी हाजिरजवाबी पेश की - तुम भी हैण्डसम लग रहे हो हमेशा की तरह |

थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद रोहित - तुमने तो यहाँ सबको हिला डाला, कपिल ने मुझे फ़ोन किया था, फुल नशे में था लेकिन उसकी भी हावाईयाँ उड़ रही थी | मुझे बोला यार तुम्ही आकर संभालो इस खूबसूरत अपसरा को, वरना ये हम सबकी वाट लगा देगी | क्या कर दिया तुमने ऐसा ?

रीमा - जग्गू नूतन के साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहा था |
रोहित - वो बड़े बड़े स्तनों वाली ?
रीमा गंभीरता से - रोहित ये मजाक की बात नहीं, वो लड़की की मर्जी के बिना उसके साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहा था |
रोहित भी गंभीरता से - जग्गू के बाप से भी मेरी बात हुई है, रात का नशा उतरने दो, सुबह इस पर बात करेगें |
रीमा मायूसी से - अब बात करने को बचा ही क्या है ? आजकल कल की लड़कियां चार पैसे के लिए कही भी राजी हो जाती है | नूतन पैसे मिलने पर FIR न करने के लिए मान गयी है | पता नहीं कैसी लड़की है चंद पैसो के लिए कोई अपने साथ जबदस्ती करने वालो को कैसे माफ़ कर सकता है |
रोहित - हर कोई तुमारे जैसा नहीं होता, दुनिया भर का ठेका लेकर क्यों बैठी हो, तुमारा जो फर्ज बनता था तुमने किया अब हर कोई रीमा नहीं होता | छोड़ो न | तुमने तो प्रियम की भी लगा दी |
रीमा बस सर घुमाकर रह गयी | रोहित रीमा के डाउन हो गए मूड को बदलने के लिए - अच्छा ये सब छोड़ो, इससे तो सुबह निपतेगें, ये बताओ तुमने पैराडाइज कैसे क्रैक किया | ये पूरा मिशन तो बहुत ही खुफिया तरीके से चलता है |
रीमा शंका की नजरो से - तुम जानते थे इसके बारे में, तुम्हे पहले से सब पता है |
रोहित - अब देखो झूठ नहीं बोलूगा, मै यहाँ दो तीन बार आया हूँ लेकिन ये पिछले साल की बात है |
रीमा - क्या जानते हो पैराडाइज के बारे में, सब बताओ मुझे |
रोहित रीमा के इरादे भांपता हुआ - पहले ये बताओ तुमने पैराडाइज क्रैक कैसे किया, ये किसी आदमी के लिए तो संभव नहीं है फिर औरतो के लिए तो और भी मुश्किल है |
रीमा अपनी पैराडाइज की चाबी मिलने की कहानी बताने लगी, तभी उसे याद आया कि उसे दो मिनट में वो चाभी लौटानी थी वरना उस बेचारे नौकर की नौकरी चली जाएगी | रीमा की चाभी लौटने की बात सुनते ही रोहित बोला - तुम पैराडाइज का सच नहीं जानना चाहोगी |
रीमा ने इस बार झूठ बोलना सही नहीं समझा - देख आई हूँ पैराडाइज का काला सच |
रोहित - तुम समझी नहीं, मैं देखने की नहीं जानने की बात कर रहा हूँ, करीब से, डिटेल में, पैराडाइज के बारे में हर एक सच, तुमारी किस्मत अच्छी है कि तुमने सीधे मास्टर रूम की चाभी पर डाका डाला है | वैसे चाहो तो 17R में भी चल सकते है लेकिन M01R की बात ही कुछ अलग है |
रीमा - हमें वहां क्यों जाना है ?
रोहित अदा से मुस्कुराता हुआ - तुम वहां गयी क्यों थी ?
रीमा भी उसी अंदाज में - क्योंकि उसने गलत चाभी दे दी थी मुझे, तो मुझे लगा वहां जाकर देखना चाहिए, ये सब के सब मर्द औरते कौन सी मीटिंग करते है |
रोहित - लेकिन चाभी तो उसने तुम्हे 17R पैराडाइज की दी थी फिर तुमने उसे धमकाकर M01R चाभी क्यों ली |
रीमा - मै तो बस कंप्यूटर स्क्रीन पर लिस्ट देख रही थी, कौन कौन पैराडाइज की चाभी लेकर गया है तभी मेरी नजर मास्टर चाभी पर पड़ी, जो किसी को असाइन नहीं थी तो मैंने उससे उधार मांग ली दो मिनट के लिए |
रोहित - वैरी स्मार्ट, उधार मांग ली | किसे बेवखूफ़ बना रही हो |
रीमा - उधर ही मांगी थी, अब वापस करनी है, वही तो जा रही थी, तब तक तुमारा फ़ोन आ गया |
रोहित - अब मै आ ही गया हूँ तो तुम्हे पैराडाइज का सच बताता हूँ, रही बात चाभी की तो वो मै मैनेग कर लूँगा |
रीमा - नहीं मुझे नहीं जाना वहां अन्दर, मैंने देख लिया वहां क्या होता |
रोहित - तुमने सिर्फ वो देखा जो तुम्हे दिखा, लेकिन ये सब काम कैसे करता है ये नहीं जानना चाहोगी |
रीमा - नहीं मुझे नहीं जानना है, क्या करूँगी उस गन्दगी को जानकर, मुझे पता है वहां सब के सब क्या कर रहे होंगे | सब के सब वही हवस का खिनौना खेल ही तो खेल रहे होंगे |
रोहित - जानने और अनुमान लगाने और साक्षात् आँखों से देखने में जमीं आसमान का अंतर है | एक बार जब करीब से महसूस करोगी तब समझ आएगा इस दुनिया में लोगों कितनी परतो से लिपटकर जीते है | कौन किसके साथ क्या क्या गुल खिला रहा है | किसकी क्या फंतासी है, जो इन अँधेरी रातो में पूरी करने की भरकस कोशिश कर रहा है |
रीमा - हमें क्या मतलब दुसरे किस गन्दगी में लोट रहे है, लोटने दो न |
रोहित मूड बदलता हुआ - लेकिन तुमारी भी तो कोई फंताशी होगी | देखना नहीं चाहोगी, वासना और हवस के इस नंगे नाच के किरदारों को कौन कैसे अदा करता है | दुसरे की सेक्स कहानियां पढ़ना तो तुम्हें बहुत अच्छा लगता था, आज देख भी लो न |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा के बदन में एक तरंग दौड़ गयी, वो अनजाने ही उस जगह पंहुच गयी थी,जहाँ उसे नहीं होना चाहिए था लेकिन वो होना चाहती थी | छिपकर लोगो को सेक्स करते देखना उसके लिए कोई नई बात नहीं थी, ये उसने पहले भी किया था, और इसी चक्कर में मास्टर चाभी लेकर वो पैराडाइज में गयी थी | वो एक जवान औरत थी और एकदम से पार्टी के सारे मर्द औरते गायब हो जाये तो उसके लिए अनुमान लगाना मुश्किल नहीं था की किस उद्देश्य से सब के सब गायब हो गए है | ऊपर से पैराडाइज का सीक्रेट तरीके से काम करने का तरीका उसकी शंका को और बढ़ा गया | उसने अपनी लालसाओ को दबाया नहीं वो जाकर देखना चाहती थी आखिर वहां क्या हो रहा होगा | वो जबदस्ती मास्टर चाभी छीन कर वहां गयी और उसने वही देखा जो उसने अनुमान लगाया था | उसका मन भी तो यही देखने को व्याकुल था, लेकिन फिर नैतिकता के बंधन और कोई देख न ले का डर, कुछ अनहोनी की आशंकाए, सबने मिलकर उसकी लालसा को दबा दिया और वो लौट आई | रोहित का फ़ोन आते ही उसकी टूटी हिम्मत वापस लौटी | उसके अन्दर रोहित का साथ पाने की लालसा थी अब रोहित पास था तो उसकी दबी लालसाए भी हिम्मत दिखाने लगी | वो निश्चित नहीं थी कि वो अन्दर जाना चाहती है या नहीं | वो अन्दर जाना चाहती थी लेकिन वो खुद को उलझाये रखना चाहती थी ताकि वो अपने नैतिकता के बोध को ये दिखा सके, कि वो अभी भी सही गलत के लिए अपने अन्दर लड़ रही है, लेकिन असल में वो खुद को ही झूठ से बहला रही थी | उसकी चाहते अब पहले से कही ज्यादा प्रबल और मुखर होती थी | वो अब नैतिकता के उस पाषाण बंधन में नहीं बंधी थी, जहाँ ये सब कुछ ही वर्जित था | फिर भी वो मुखर होकर इतना भी स्वछंद नहीं होना चाहती थी कि पुरुष और समाज उसे कुलटा और चारित्रिक भ्रष्ट घोषित कर दे | वो अपनी लालसाए और कामनाये उसी सम्मान के साथ भोगना चाहती थी जैसे एक मर्द करता है | रोहित और उसके बीच कोई दुरी नहीं थी लेकिन उतना ही सम्मान भी था | रीमा किसी भी हाल में दुनिया के किसी स्त्री या पुरुष को ये सम्मान को नियंत्रण करने का अधिकार नहीं देना चाहती थी | ये पूर्ण रूप से उसका अधिकार था और इसे उससे कोई नहीं सिर्फ इसलिए नहीं छीन सकता था क्योंकि वो अपनी कामनाये पूरी करने में सामाजिक नियमो को नहीं मान रही थी |
रोहित रीमा को अच्छी तरह से समझने लगा था, जब रीमा खामोश हो मतलब उसके अन्दर सवालों जवाबो का तुफ्फान चल रहा है | वो दुविधा में है वो संशय में है | ऐसी हालत में वो निर्णय ले पाने में कई बार असमर्थ हो जाती थी और यही एक पल था जब कोई उसका हाथ पकड़कर आगे बढ़ने वाला चाहिए था | इतने सालो के अकेलेपन में इस जगह आकर रीमा हमेशा ठहर जाती थी, हाल फिलहाल में रोहित ने उसका हाथ पकड़कर उसे इस भंवर से बाहर निकाला था और रीमा भी मजबूती से उसका हाथ थामे उसके साथ चल दी थी | उसी तरह से रोहित ने एक बार फिर से उसे सहारा दिया |
रोहित - जब दिमाग में उलझन हो तो इस गुलाम को सेवा का मौका दिया करे मल्लिकाए हुस्न |
रीमा अपने विचारो के भंवर से बाहर आई और रोहित की बात पर मुस्कुरा दी | रोहित - गुलाम हाजिर है सेवा में, वादा करता है मलिक्काए हुस्न को किसी तरह की तकलीफ या परेशानी नहीं होगी |
रीमा ने पलक झपकाई और रोहित के तरफ आत्मियता से हाथ बढ़ा दिया | रोहित ने रीमा के हाथ से पैराडाइज की चाभी ली और उसका हाथ थामकर पैराडाइज वाली कॉटेज की तरफ चल दिया |

इधर प्रियम तो पहले ही नशे में था, जाते ही सो गया, लेकिन नूतन की आँखों में नीद नहीं थी, नूतन अपने बेड पर लेटी थी, वो सिर्फ एक लम्बी बनियान पहने थी जो अभी उसके कमर के ऊपर तक आ गयी थी और उसके गोल गोल बड़े बड़े पहाड़ी की तरह उठे हुए मांसल भारी चूतड़ बिलकुल नंगे थे | बनियान के उपरी हिस्से से दोनों सुडौल पुष्ट स्तन अपनी अपनी जगह से झांक रहे थे, उन छोटी पहाड़ी नुमा स्तनों के शीर्ष पर हलके गेंहुए इलाके में दो घुंडी नुमा चुंचियां विराजमान थी | नूतन के दोनों स्तन सामने की तरफ की तरफ तने हुए थे | नूतन अपने साथ हुए हादसे को लेकर सोच में डूबी हुई थी उसे अपने कपड़ो का होश ही नहीं था | वैसे भी सोते समय जिस्म को खुला रहना ही उसे पसंद था | एक हिसाब से नूतन अधनंगी बेड पर एक करवट लेती हुई थी और उसके दिमाग में अपने हादसे को लेकर बहुत उथलपुथल मची हुई थी |

बार बार जग्गू के बारे में सोचकर परेशान हो जाती | मन में संतोष था की आज समय रहते रीमा चाची आ गयी जिससे वो जग्गू का शिकार होने से बच गयी | वो हैरान थी कि आदमी वासना में इतना अँधा कैसे हो जाता है कि उसे बस औरत की चूत ही चाहिए | अगर चूत चोदने को न मिली तो जबदस्ती करके चोदेगा | पास में लेटे प्रियम की तरफ देखती हुई | ये भी मर्द है, इसे तो चूत में कोई दिलचस्पी नहीं है जब तक मै राजी न होऊं, इसका भी तो मैंने लंड चूसा, उसका भी चूस देती, क्या फर्क पड़ता था | आखिर झड़ता तो आदमी चूत चोदने के बाद भी है लेकिन पता नहीं क्यों सब के सब चूत को लेकर पगलाए रहते है | इसका वासना से कोई लेना नहीं, ये खालिश मर्दाना सोच है जो औरत पर अपनी धौंस ज़माने को परिलक्षित करती है | वो चाहते है औरत उसके हिसाब से चले, उनके हिसाब से उठे, उनके हिसाब से खाए और उनके हिसाब से ही चुदे | उनके लिए औरत का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है, वो बस मर्दों को जिस्मानी सुख देने को बनी है और जब मर्द की मर्जी होगी औरत को अपनी जांघे खोलनी ही पड़ेगी | सारे मर्द तो ऐसे नहीं होते, प्रियम और राजू तो मेरी मर्जी बिना मुझे छुते तक नहीं, कई बार तो मुझे इन्हें बहलाना फुसलाना पड़ता है | जग्गू एक जानवर है और वो हमेशा जानवरों वाली हरकते ही करेगा | उसे लोगो को काबू में रखने में मजा आता है, उसे शायद ये लगता है, हर लड़की जो कपड़े उतार कर बैठी है वो उससे ही चुदने के लिए बैठी है | मुझे क्या फर्क पड़ता है जग्गू क्या सोचता है क्या नहीं सोचता है | आगे से उससे दूर रहूंगी, भाड़ में जाये वो साला कुत्ता | पैसे भी अच्छे खासे मिल गए है, अब प्रियम और राजू पर भी डोरे डालने की ज्यादा जरुरत नहीं है फिर भी इन पैसो को आगे के लिए जमा करके रखूंगी, अभी तो पॉकेट खर्च यही दोनों चलायेगें | आगे का कॉलेज के खरचे का हिसाब हो गया है, वहां किसी किसी के न लंड चूसने पड़ेगें और न चूंची चुस्वानी पड़ेगी | यही सब सोचते सोचते नूतन की आंख लग गयी |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा और रोहित अन्दर पंहुचे | दोनों के अन्दर घुसते ही मास्टर रूम का दरवाजा बंद हो गया | रोहित ने बदन दबाई और पूरा का पूरा कमरा जगमगा गया | दो तरफ के शीशो पर प्रोजेक्टर नीचे बने केबिन का लाइव दिखाने लगे | बाकि दो दीवारों में लगे दरवाजे भी खुल गए और पूरा का पूरा कमरा किसी इलेक्ट्रॉनिक कण्ट्रोल रूम की तरह नजर आने लगा | रीमा अचम्भे से ये सब देख रही थी |
रोहित रीमा को मुखातिब होता हुआ - तो जानेमन ये सब केबिन के लोग सिर्फ तालाब की मछलियाँ है और मै हूँ इसका मगरमच्छ | देखो रीमा ये सब पूरा सिस्टम मैंने डिजाईन किया है और मेरी कंपनी ने ही ये सेटअप किया है | पैराडाइज एक बिज़नस है अगर मै नैतिकता के नाते मना कर देता तो कोई और करता | मेरी कंपनी को इस प्रोजेक्ट से हाथ धोना पड़ता | तो मेरे लिए ये खालिश बिज़नस है, हमने ये डिजाईन किया और हमें ढेर सारे पैसे मिले है इसके | यहाँ से तुम्हे बाहर का कोई नहीं देख सकता | लेकिन तुम इस पुरे हाल के चप्पे चप्पे को देख सकती हो | यहाँ लगी दो ग्लास दीवारों पर वाल साइज़ का प्रोजेक्शन होता है, तुम यहाँ किसी भी केबिन का लाइव देख सकती हो | इसके अलावा हर केबिन का मॉनिटर उस तरफ केबिन में लगाये गए है | सारे केबिन एक दुसरे से अलग है, एक केबिन का आदमी दुसरे केबिन में तब तक नहीं घुस सकता जब तक उसके पास उसकी चाभी न हो | आपको जिस गेट की चाभी दी जाती है उसी के अनुसार गैलरी में आपका रास्ता बन जाता है और बाकि रास्ते बंद हो जाते है जिससे किसी को भी ये अहसास न हो की यहाँ कोई और भी है | तुम्हे चार दरवाजे दिखे होंगे क्योंकि यहाँ चार लेवल के कण्ट्रोल रूम है | सबसे नीचे वाला कंट्रोल रूम हेल्प रूम है जो कस्टमर को लाउन्ज की तरफ से सर्विस प्रोवाइड करता है | अगर कोई अकेला या अकेली है तो यहाँ आकर पूरी निजता के साथ अपनी तन्हाई मिटा सकता है | उसके लिए लड़कियों या लड़को का इंतजाम लाउन्ज करता है | एस्कॉर्ट्स में से किसी को भी चोट पंहुचाने या बुरा बर्ताव करने पर लाउन्ज के बाउंसर बहुत सख्ती से पेश आते है | दूसरा कण्ट्रोल रूम एस्कॉर्ट को हेल्प देने के लिए है | तीसरा कण्ट्रोल रूम चाभियाँ और एक्सेस मैनेज करता है और मास्टर कण्ट्रोल रूम, जहाँ तुम बैठी हो ये बाकि तीन कण्ट्रोल रूम को कण्ट्रोल करता है | सब कुछ आटोमेटिक है | कोई भी दरवाजा बिना कोड और चाभी के नहीं खुलेगा इसीलिए कोई अगर इस सिस्टम को हैक भी कर ले तो वो कुछ भी नहीं कर पायेगा | जैसे ही कस्टमर का पेमेंट हो जाता है और पोस्ट सर्विस चेक ओके होता है मतलब कस्टमर संतुष्ट है और पैराडाइज में उन्होंने कोई उलटी सीधे हरकते नहीं करी है | कस्टमर का सारा अपने आप डिलीट हो जाता है |
रीमा हतप्रभ थी |
रोहित ने आगे बोलना जारी रखा - इस रूम में सिर्फ दो लोग आ सकते है, मै और इस लाउन्ज का मालिक | इस लाउन्ज का मालिक यहाँ तभी आ सकता है जब वो हमें पहले इन्फॉर्म करे, हम उसके लिए ये टाइम पीरियड में ये सिस्टम अनलॉक करते है तभी वो यहाँ आ सकता है | ये चूँकि मास्टर कण्ट्रोल रूम है इसलिए हम नहीं चाहते की यहाँ कुछ भी ऊपर नीचे हो और पूरा प्रोसेस फ़ैल हो जाये |
रीमा रोहित की बात सुनती रही - इस कमरे में भी कैमरे लगे है क्या |
रीमा - नहीं यहाँ कोई कैमरा नहीं है |
रोहित - नहीं यहाँ कोई कैमरा नहीं है | हल्का सा मुस्कुराकर ..................ये नहीं पूछोगी की आखिर तुम यहाँ कैसी चली आई |
रीमा ने रोहित को घूरा - पार्टी में तुम आने वाले थे, मतलब तुमने अपने लिए पहले ही सिस्टम अनलॉक कर लिया था, तो क्या तुम भी यहाँ गुल छर्रे उड़ाने वाले थे |
रोहित ने उलटा सवाल पूछ लिया - तुम्हे ऐसा लगता है ?
रीमा ने ताना मारा - तुम कुछ भी कर सकते हो, क्या भरोसा तुमारा, कौन जाने क्या क्या राज दिल में छुपाये बैठे हो |
रोहित हल्का सा भावुक होता हुआ - जब से तुमारी मदहोशी में डूबा हूँ, सारी औरते फीकी लगने लगी है, झूठ नहीं बोलूगा कोशिश करता हूँ दूसरी औरतो के साथ लेकिन एक लिमिट के बाद आगे नहीं बढ़ पाता हूँ |
रीमा - झूठे कही के |
रोहित - अपने तड़पते लंड बहादुर की कसम, हसना मत लेकिन मैंने इसी हफ्ते तुमारे नाम की मुठ मारी है | सोचने बैठता हूँ तो समझ नहीं आता कौन सा जादू कर दिया है तुमने | काली हो या गोरी हो मैंने कभी देखा ही नहीं, बस लड़की को जन्नत की सैर कराना और खुद करना ही मकसद रहता था मेरा | रोहित जिसने अपनी पहली चूत चुदाई के बाद से अब तक कभी मुठ नहीं मारी, वो आज मुठ मार रहा है |
रीमा रोहित की बातों से थोड़ा बनावटी चिढ़ दिखाते हुए - तुम्हें बड़ा मजा न ऐसी गन्दी गन्दी बाते करते हुए, सब लडकियों से ऐसे ही गन्दी गन्दी बाते करते हो |
रोहित - अपना नियम, जिसको चोदना है ऐसी बाते सिर्फ उसी के साथ |
रीमा - हाँ तो आजकल तो मै ही दिखती हूँ तुम्हे दिन रात | कितनी निपटा चुके हो अब तक |
रोहित - पता नहीं, 18-20 तो हो ही गयी होगी, लेकिन यहाँ आने का मकसद काम करना था, ऑफिस में आजकल टाइम नहीं मिलता तो सोचा था पार्टी के बहाने एक बार मास्टर कण्ट्रोल रूम विजिट कर लूँगा और लोगो की चुदाई देखकर, तुमारे नाम की मुठ मार लूँगा | तुमारा तो पता नहीं मूड हो न हो, मना कर दो इसलिए जाहिर करने से डरता हूँ | अपना भी दिल न टूटे इसलिए हाथ से काम चलाता हूँ |
रीमा - बकवास करवा लो तुमसे बस, मैंने कब मना किया है तुम्हे और मना भी करूंगी तो मानोगे क्या ?
रोहित - मना तो नही किया लेकिन कभी अपनी तरफ से मेरे पास आई भी तो नहीं, तुमारी भी तो उतनी ही ख्वाइश है जितना मेरा मन होता है |
रीमा - अच्छा अब यही बाकि रह गया, इतनी भी आग नहीं लगी है जिस्म में कि दौड़ दौड़ के किसी पराये मर्द के पास जाऊ और बोलू लो मेरी प्यास बुझा दो |
रोहित उसके करीब आता हुआ - मै पराया हूँ |
रीमा - मेरा मतलब वो नहीं था, बात बात में गलती से निकल गया |
रोहित - एक गलती तो हो गयी है एक और कर ले | रोहित रीमा को थामता हुआ अपने आलिगन में भरता हुआ |
रीमा रोहित के बाहुपाश में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे रोहित प्लीज, ये घर नहीं है |
रोहित - पहले ये बताओ क्या मतलब था तुमारा, प्यासी हो तुम, लेकिन कोई तुमारी प्यास नहीं बुझाता | मैंने तुमारी प्यास नहीं बुझाई थी | मै पराया हूँ इसलिए मेरे पास आने में तुम्हे झिझक लगती है |
रीमा - नहीं मै तो बस तुमारे सवाल का जवाब दे रही थी, तुम तो जबान पकड़ के ही बैठ जाते हो | मेरे कहने का वो मतलब नहीं था बाबा |
रोहित रीमा के सांसो में अपनी गरम सांसे घोलता हुआ उसके रस भरे गुलाबी ओंठो के सामने अपने ओंठ करता हुआ | रीमा ने नजरे झुका ली |
रोहित - बोलो न क्या मतलब था, नहीं तो आज के बाद सिर्फ ऊपर ऊपर से ही ...............................| इससे पहले रोहित की बात पूरी होती रीमा ने अपने नरम रसीले गुलाबी ओंठ रोहित के ओंठो से सटा दिए | उसे कसकर चूमने लगी और एक लम्बा किस कर लिया |
रीमा धीमी आवाज में - तुम्हें भी मेरी चाहते और ख्वाइश पता है फिर क्यों इतना सताते हो |
रोहित शिकायत करता हुआ अलग हो गया - ठीक है मै तुम्हे सता रहा हूँ, तो अब मै तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा | मुझे भी अपना काम करना है, मै तो पराया हूँ न |
रीमा समझ गयी उसकी बात से रोहित को ठेस पहुंची है, लेकिन उसे यकीन था वो उसे मना लेगी | आखिर रोहित उससे नाराज हो ही नहीं सकता, उसकी नाराजगी बनावटी है | इस विचार की गुदगुदी ने उसके चेहरे पर एक आत्मीयता भरी मुस्कान ला दी |

रोहित अपना काम करने में लग गया और रीमा दीवारों के ग्लास पर प्रोजेक्टर का डिस्प्ले देखने लगी | रोहित कंप्यूटर स्क्रीन वाले कंट्रोल केबिन में घुस आया, वहां किस केबिन में क्या हो रहा था, हर स्क्रीन पर दिख रहा था | रोहित ने एक कंप्यूटर स्क्रीन को प्रोजेक्टर पर फॉरवर्ड कर दिया | जो पहले केबिन का द्रश्य उसके सामने आया , उसमे एक महिला नजर आई | रीमा गौर से शीशे की दीवार पर चल रहे पहले केबिन के सीन देखने लगी | हर केबिन की एक जबरदस्त कहानी थी | पार्टी में जो भी मेहमान आये थे, कुछ अकेले आये थे कुछ अपने परिवार के साथ | घरेलु औरते सोने चली गयी थी और घरेलु आदमी भी उन्ही के साथ आराम करने चले गए थे | जो एक नंबर के चुद्दकड़ थे उन्हें कहाँ चैन था | सब के सब इस समय पैराडाइज में अपने जिस्म की आग शांत करने में बिजी थे | यही हाल चुद्दकड़ टाइप की औरतो का था | कुछ ने तो पार्टी में ही अपनी सेटिंग्स कर ली, नहीं तो यहाँ लाउन्ज की तरफ से बेहतरीन एस्कॉर्ट्स की सर्विस तो मिलती ही थी | सबकी अपनी अपनी प्राथमिकता थी, इसलिए सब अपने अपने सेक्स चॉइस के अनुसार ही यहाँ एन्जॉय कर रहे थे | कोई यहाँ किसी और की बीबी चोदने लाया था तो कोई एस्कॉर्ट्स लड़कियों के साथ एन्जॉय कर रहा था | कोई अपनी ही बीबी को चोद रहा था, कोई सेक्रेटरी के कपड़े उतार रहा था | कोई औरत एस्कॉर्ट आदमी से अपने शरीर की सेवा करवा रही थी | यहं कोई बंधन नहीं था, लेकिन किसी को किसी से जबदस्ती करने की इजाजत नहीं थी | सभी अपने अपने केबिन में पूरी तरह से प्राइवेसी के साथ अपने अपने सेक्स की फंताशी जी रहे थे | रीमा दुनिया के इस रूप से परिचित नहीं थी इसलिए उसको इसमें ज्यादा दिलचस्पी हो रही थी | नैतिकता से इतर उसकी इक्षा इन सबकी फंताशी को लाइव यहाँ शीशे की दीवार पर देखने की थी और वो बिना पलक झपकाए जो भी स्क्रीन पर आ रहा था वो देख रही थी |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जो डिस्प्ले उसे दिख रहा था वो महिलाओं के लिए बने स्पेशल केबिन का था और उसमे का लाइव सीन रीमा के सामने था | रोहित ने जानबूझकर उसका स्विच दबाया था जिससे रीमा के अन्दर से औरतो की सेक्स कामना की बची कुची झिझक भी निकल जाये | वो चाहता था कि रीमा देखे कैसे दुनिया शर्म हया नैतिकता ताक पर रखकर अपनी जवानी की प्यास बुझाती है | उसमे भी औरते जो अकेली है, तन्हा है वो अपनी सेक्स फंताशी कैसे जीती है | रीमा की तरह अपने अन्दर ही अपनी जवानी की ख्वाइश घोट नहीं देती | वो दुनिया क्या कहेगी इससे बेपरवाह वो अपनी जवानी को भोगती है, अपने जिस्मो की प्यास बुझाती है |

पहला केबिन का स्विच दबाते ही एक औरत दिखने लगी | अपने कमरे वो पूरी तरह अकेली थी | हमेशा की तरह उसने केबिन में घुसते ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए | अच्छी खासी कद काठी थी | खूबसूरत हट्टा कट्ठा शरीर | ये शहर की सबसे महँगी और बड़ी जिम की मालकिन थी, इनका नाम मालविका था | शादी हुई थी, जल्दी ही टूट गयी | लोग कहते है पति इनके फिटनेस नखरो से तंग आकर इन्हें तलाक दे दिया | उम्र ४० के ऊपर ही अच्छी खासी हो गयी थी लेकिन मजाल जो कोई ३० से ऊपर की बोल दे | खुद को काफी फिट रखा हुआ नहीं तो इस उम्र तक औरते का शरीर थुलथुल हो ही जाता है | जब से पति ने इन्हें तलाक दिया तब से इन्हें मर्दों से नफरत सी हो गयी | सामाजिक रूप से खूब सक्रीय रहती है, लोगो से मिलना जुलना बहुत पसन् है लेकिन सिर्फ बाहर | अपने बेडरूम में अकेली है नितांत अकेली और अब अकेली ही रहना चाहती है | शादी के बाद तलाक इतनी जल्दी हुआ कि बेटा बेटी का नंबर ही नहीं लगा | इसलिए अपनी कमाई का एक हिस्सा अनाथालय में दे देती है, जब भी मन करता है वहाँ के बच्चो के साथ समय बिताने चली जाती है | ये जीतनी सोशल है उतनी ही अपनी फिटनेस और फिगर को लेकर एक्टिव भी | मजाल है जो शरीर में कही भी जरा सी लटकन दिख जाये | जब बॉडी फिट रहती है तो बॉडी की डिमांड भी बढ़ती है | इसलिए एन्जॉय करने यहाँ चली आती है | सेक्स की भूख शांत करने के लिए मालविका को इससे बेहतर कोई जगह नहीं लगती | कमरे में घुसते ही सबसे पहले अपना पतलून उतार दिया | अन्दर पीली पैंटी पहने थी, इसमें से मालविका के बढ़े बढ़े, मांस से भरे चूतड़ आधे आधे झांक रहे थे |

मालविका से सिर्फ म्यूजिक के नाम पर सिर्फ इंस्ट्रुमेंटल बजाया, उसे गाने के बोल सुनना इस समय अच्छा नहीं लगता था | उसी म्यूजिक पर अपने कमर पर हाथ रखकर चूतड़ हिलाकर झुमने लगी | जैसे जैसे म्यूजिक आगे बढ़ता, मालविका के कदम भी थिरकने लगे और उसने शर्ट के बटन खोल दिए | उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके स्तन दिखने लगे | उसने खुद को शीशे में देखा, क्या हुस्न परी थी इस उम्र में भी | शरीर मे कही भी जरा सी एक्स्ट्रा चर्बी नहीं थी | छाती पर दो ठोस पुष्ट सुडौल उभरे हुए स्तन थे, स्तन बहुत हाहाकारी नहीं थे लेकिन छोटे भी नहीं थे | उम्र का हल्का सा असर था की स्तनों की कसावट थोड़ी नरम हो गयी थी लेकिन उनमे लटकने जैसी कोई बात नहीं थी | मालविका अपनी छाती से झाकते ठोस पुष्ट उरोजों को देखती हुई अपना एक हाथ अपनी पैंटी में घुसेड़ देती है और अपने वर्जित इलाके में घुसकर अपने चूत और चूत के दाने को रगड़ने लगाती है | चूत दाना तो औरत के जिस्म का रिमोट कण्ट्रोल होता है | जाहिर सी बात चूत दाने पर उंगलियाँ फिराते ही मालविका पर वासना का ज्वर चढ़ने लगता है |

पुरे केबिन में घूम घूमकर अपने मोटे मोटे भारी भारी चूतड़ हिला हिलाकर अपनी चूत रगड़ रही थी | नाचते घुमते हिलते डुलते अपने चूत को रगड़ते रगड़ते मालविका पतली सी झीनी सी पीली पैंटी उतार कर नीचे घुटनों तक खिसका देती है | उसकी पतली कमर पर ठीक उसके भारी भरकम चुताड़ो की उठान शुरू होने से पहले एक टैटू बना हुआ था जो उसके गोरे जिस्म पर बहुत अच्छा लगा रहा था | थोड़ा सा कमर पीछे की तरफ उठाने से उसके चुताड़ो की उठान और ऊँची हो गयी | पूरी तरह से ठोस, नरम मांस से भरे, चिकने भारी भरकम चूतड़ और बीच में हल्की सी दरार लिए बहुत ही उत्तेजक लग रहे थे | इस उम्र तक जांघो और चुताड़ो की कसावट ढीली होने लगाती है और वो देखते ही पता चलने लगाती है | इस मामले में मालविका ने अपने गोरे खूबसूरत बदन की कसावट में कोई ढील नहीं आने दी | ये दिन रात जिम् करने और शरीर की सेहतमंद रखने वाली डाइट के चलते हुआ था | उसके चूतड़ अभी भी पूरी तरह से कसे हुए , ठोस और नरम मांस से भरे हुए थे | चुताड़ो की कसावट से कोई भी मालविका की उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता था |

मालविका ने ऊपर पहनी शर्ट उतार दी | अब वो ऊपर से पूरी तरह नंगी थी | उसके भरी भरकम चूतड़ और मांसल जांघे, गोरा बदन सब कुछ नुमाया हो रहा था | पैरो में बस एक पीली पैंटी फंसी थी | बाकि आगे की तरफ झुकने से उसके चुताड़ो की चौडाई और बढ़ गयी थी | उसके चुताड़ो की दरार, जो उसके गांड के हलके भूरे छेद को छिपाए हुए थी नीचे जाकर और चौड़ी हो गयी थी और फिर ख़त्म हो गयी थी, उसके बाद उसकी नाजुक चूत का हसीन इलाका शुरू हो गया था | उसकी चूत के ओंठ कसकर सटे हुए थे | मालविका कमर तक झुकर शीशे में अपने चुताड़ो की कसावट का मुआयना कर रही थी, कभी दांयी तरफ से देखती, कभी बांयी तरफ से देखती | फिर अपने जवान जिस्म पर हल्का सा इतराती | उसने अपने ही हाथो से थपकी मार कर अपने चुताड़ो की कसावट का अंदाजा लिया, चुताड़ो के नरम मांस को अपनी नाजुक हतेली में भरकर बारी बारी से दबाने लगी | उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघे और चौड़े चौड़े चूतड़ एक अलग ही रंगत बिखेर रहे थे | अपने जिस्म के हुस्न में उसे नाज था और उसे बार बार देखकर वो खुश हो रही थी |

अपना अच्छे से मुआयना करने के बाद मालविका सोफे पर आ गयी , वो पीठ के बल सोफे पर पसर गयी और खुद की टाँगे हवा में उठा दी | उसका वर्जित चूत त्रिकोण का इलाका खुलकर दिखने लगा | उसकी चूत की चमत्कारिक दरार खुल गयी और उसमे से गुलाबी मखमली चूत के ओंठ अंदरूनी ओंठ दिखने लगे | चूत के ठीक नीचे सुघड़, कसकर एयर टाइट बंद गांड का हल्का भूरा छेद था, जो कितनी कसकर बंद था इसका पता आसपास बने भूरे छल्ले से चलता था | मालविका की मोटी मांसल गोरी चिकनी जांघे, भारी भरकम चौड़े चौड़े चुतड सब हवा में थे | पैंटी जांघो में फंसी थी जिसे मालविका खिसकाकर उतारने लगी | उसकी चूत त्रिकोण और चूत पर बालो का कोई नामो निशाँन नहीं था | मालविका की निगाह अपनी चूत की तरफ ही जमी हुई थी | उसकी जुल्फे उसके चेहरे के चारो ओर बिखरी थी, हाथ जांघो को थामे थे और वो एकटक निगाह लगाये शीशे में अपनी चिकनी मखमली चूत के दर्शन कर रही थी, उसकी चूत और गांड के आसपास का इलाका पूरी तरह से साफ़ और चिकना था |

जब अपनी चूत को शीशे में देख देख कर उसका जी भर गया, तो उसने अपने जांघो को अपने हाथ के बंधन से आजाद कर दिया | मालविका ने पैंटी उतार कर फेंक दी और अपनी चूत से खेलने लगी | कभी चूत के बंद ओंठो को खोलती कभी चूत दाने को रगड़ती, कभी अपने छाती के उभरे स्तनों को मसलने लगाती | उसे खुद के नंगे गोरे बदन से खेलने में बड़ा मजा आ रहा था | बार बार अपनी मुहँ की लार लगाकर अपनी नाजुक उंगलियों को गीला करती और अपनी गुलाबी चूत को मसलने लगाती, चूत दाने की धीरे धीरे सहलाने लगाती | जैसे ही वो अपने चूत के दाने पर उंगलियों का जोर बढ़ाती उसके रसीले मुहँ से मादक सिसकारी निकल जाती | बार बार नीचे की तरफ झुककर अपनी गुलाबी चूत को निहारती और फिर उसे मसलने लगती | चूत दाने को रगड़ने से उठने वाली मादक कामुक तरंग उसकी चूत से होती हुई उसके जिस्म के कोने कोने तक जा रही थी | जिससे उसके शरीर में वासना की उत्तेजना बढती जा रही थी |

कुछ देर तक अपने गुलाबी चूत दाने को रगड़ने के बाद वो उलटा हो कर अपने भारी भरकम चुताड़ो की कसावट का मुआयना लेने लगी | गजब का जिस्म था मालविका का | जो भी उसे नंगी देख लेता, हतप्रभ रह जाता | जिस उम्र में औरते ढोलक की तरह गोल हो जाती है, उनका शरीर मोटा होकर थुलथुल हो जाता है, उस उम्र में ऐसे कसावट लिए जवान जिस्म को देखना एक सुखद आश्चर्य था | मदहोशी बिखेरती उसकी चंचल आँखे , लालिमा टपकाते रस भरे ओंठ, ठोस मांसल सुडौल स्तनों से भरी उठी हुई छाती, सपाट पेट और चिकना चूत त्रिकोण | संगमरमर जैसी चिकनी सीधी गोरी पीठ, पतली सी कमर और ढेर सारे नरम मांस से भरे भारी से मांसल चूतड़ | चुताड़ो की दरार से झांकता गांड का कसा हुआ भूरा छल्ला और छल्ले से चारो ओर से घिरा गांड का गुलाबी छेद और उसके नीचे उसकी जन्नत की सुरंग का मखमली चिकना द्वार | जांघो के बीचो बीच में बाहरी ओठो से घिरी उसकी चूत अपने मुहाने के दोनों ओठो से घिरी साफ़ झलक रही थी | चूत के अंदरूनी ओंठ चूतड़ और जांघे फ़ैलाने से आपस से अलग हो गए और उनके बीच की अँधेरी सुरंग का अँधेरा एक छोटी सी दरार के रूप में दिखने लगा था |

मालविका ने अपनी उंगलिया चूत दाने पर फिर से फिरानी शुरू कर दी और धीरे से एक उंगली अपनी चूत में घुसेड दी | चूत में उंगली घुसते ही उसके मुहँ से एक सिसकारी निकली | उसने उंगली को और गहराई में ठेला और तब तक दबाव बनाये रखा जब तक की पूरी उंगली चूत की मखमली सुरंग में गायब नहीं हो गयी | मालविका अपनी उंगली से ही चूत चोदने लगी | एक हाथ से अपने स्तन मसलने लगी और एक हाथ की उंगली से अपनी चूत चोदने लगी | धीरे धीरे उसने तेजी से उंगली को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया फिर एक और उंगली भी घुसेड दी | अब वो दो उंगलियों से चूत चोदने लगी | दो उंगली घुसते ही उसकी मखमली चूत की गुलाबी दीवारों की लालिमा की एक झलक मिलने लगी | मालविका की मखमली सुरंग का दरवाजा खुल गया था और उसमे दो उंगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी | मालविका की उंगलियाँ तेजी से अन्दर बाहर होने लगी और इसी के साथ उसके मुहँ से निकलने वाली सिसकारियां भी बढ़ने लगी | उसकी मादक सिसकारियां कमरे में गूँज रही थी और वो अपनी गुलाबी मखमली चिकनी चूत चोद रही थी | मालविका अपनी वासना में डूबी हुई थी तभी किसी ने बाहर नॉक किया | मालविका समझ गयी उसकी साझेदार आ गयी है | मालविका ने एक फीमेल एस्कॉर्ट हायर करी थी और पैराडाइज वालो ने उसी को भेजा था | एस्कॉर्ट पूरी तरह से नंगी होकर ही आई थी, उसके बदन पर कपड़े का एक रेशा तक नहीं था | ऊपर से नीचे तक क्लीन सेव, प्रॉपर मेकअप, स्लिम बॉडी, जवान कमसिन जिस्म देखने में बीस साल के आस पास लग रही थी | मालविका ने चूत में उंगली करना रोक दिया | वो गौर से उस नंगी लड़की को देखने लगी | एक पल में उसके खूबसूरत जिस्म और उसके हुस्न को देखकर मंत्र मुग्ध हो गयी |

उसने आते ही मालविका को डीप किस किया और बांहों में भरकर बारी बारी से उसके जिस्म को चूमने लगी | उसके जिस्म का नरम नमी भरा स्पर्श मालविका को अपने गरम बदन पर बढ़ा सुखद लग रहा था | दोनों हसीन गोरे जिस्म एक में गुथम गुथा हो गए | कभी मालविका लड़की के जिस्म को चटाने लगती, कभी लड़की मालविका के जिस्म पर अपनी गीली जीभ फिराने लगती | लड़की के हाथ मालविका के रेशमी मांसल बदन पर फिसलते फिसलते उसके वर्जित चूत त्रिकोण में जा पंहुचे | मालविका ने के लम्बी आह भरी सिसकारी ली | लड़की उसकी चूत को रगड़ने लगी और फिर खिसकते खिसकते उसकी चूत के इलाके में अपने ओंठ पंहुचा दिए | इससे पहले मालविका वासना की मादक कराहे ले पाती लड़की ने अपनी रसीले ओंठ मालविका के चूत के मुहाने पर रख दिए | एक ही बार में स्ट्राबेरी के तरह उसके चूत दाने को मुहँ में ले लिया और चूसने लगी | मालविका के शरीर में एक मादकता की लहर दौड़ गयी उसने अपनी आंखे बंद कर ली और सेक्स के इस जादुई पल को अपने दिलो दिमाग सहित पुरे बदन में महसूस करने लगी | मालविका का बदन वासना की उत्तेजना से भर कर गरम हो गया था, उसकी गरम सांसे उसके तपते बदन की कहानी बयां कर रही थी |
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