Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
उसके सतनो को अपने ओंठो और जीभ के स्पर्श से आनंद्तिरेक करने के बाद रीमा रोहिणी के पेट और नाभि पर अपना जादू बिखरती हुई उसकी चूत घाटी में उतार गयी | रीमा ने रोहिणी का चूत दाना आपनी उंगलियों के कब्जे में ले लिया और उसे मसलने गयी | चूत दाने पर रीमा की उंगलियों का नरम स्पर्श पड़ते ही रोहिणी शरीर में उठने वाली वासना की कामुक तरंगो से कसमसाने लगी | रीमा ने रोहिणी के चूत दाने को कसकर 8 - १० बार रगडा और फिर अपने गुलाबी ओंठ उसके जिस्म में वासना की आग दावानल बनाने वाले हिस्से पर रख दिए | रोहिणी को तो जैसे ४४० वोल्ट का तेज झटका लगा हो, वो वासना की तरंग से नाह गयी - आआआआआअह्हह्हह्हह्ह्हह |

उसके चूत की दीवारों में तेजी से तरंगे दौड़ने लगी और वहां से निकलकर ऊपर की तरफ उसकी नाभि से होते हुए उसके दिलो दिमाग सबको को कम्पित करने लगी | रीमा ने रोहिणी के चूत दाने को अपने गुलाबी ओंठो को सख्त जकड़न में ले लिया था | उसके पता था एक औरत को अगर एक औरत सुख दे सकती है तो उसका सबसे महत्वपूर्ण केंद्र ये चूत दाना है | अपनी खुदुरी जीभ और सख्त ओंठो से रीमा बेतहाशा रोहिणी का चूत दाना चूमे जा रही थी | रोहिणी के मुहँ से बस कराहे ही निकल रही थी जीतनी बुरी तरह रीमा उसके चूत दाने को चूस रही थी उतनी तेज ही उसके मुहँ से कामुक सिसकारियां फुट रही थी |
रोहिणी के मुहँ से बस - आआअह्ह्ह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह | की आवाजे ही निकल रही थी |

रीमा किसी भूखी शेरनी की तरह रोहिणी के चूत दाने पर टूट पड़ी थी, वो बेतहाशा उसे चुसे जा रही थी और रोहिणी के मुंह से भी उसी तरह से सिसकारियां की बौछारे लगातार फुट रही थी

इस तरह से कसकर चूत दाने को चूसने से रोहिणी की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी और वह तेजी से कराहने लगी थी | उसकी चूत पानी का झरना बन गयी थी | चूत की दीवारे लगातार पानी छोड़ रही थी और उसकी चूत की बारिश की हल्की फुहारों के बीच रीमा अपने तपते बदन की गरमी दूर कर रही थी | रोहिणी की चूत से बहते पानी को देख रीमा और जोश में आ गयी | उसने चूत दाने को छोड़ रोहिणी चूत पर अपनी गीली जुबान फिरनी शुरू कर दी | रीमा ने रोहिणी की जांघे थोडा और फैलाई| उसकी चूत के ओंठो को उंगलियों से खोला और उसकी गुलाबी सुरग के कपाट खुलते ही उसकी गुलाबी मखमली सुंग का रास्ता साफ़ दिखने लगा | रीमा ने रोहिणी की गुलाबी चूत के बहारो ओंठो को खीचकर फैलाया और उसकी मखमली सुरंग में अपनी नुकीली खुरदुरी गुलाबी जीभ घुसेड़ दी | रोहिणी की मक्खन की तरफ नरम गीली चूत पर गीली जीभ का स्पर्श होते ही रोहिणी आनंद के सागर में गोते लगाने लगी |

रीमा अपनी जुबान से रोहिणी की गुलाबी चूत की मालिश करने लगी | रोहिणी की चूत का छेद खुलने लगा और रीमा की जुबान भी उसके चूत के गुलाबी घोसले में घुसने लगी | रीमा ने अपनी जुबान बाहर निकाली और अपनी जुबान से रोहिणी की चूत को जैसे कि लंड से चूत को चोदने के लिए अंदर बाहर होता है उसी तरह से उसकी चूत में अपनी जुबान को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था रीमा अपनी जीभ से रोहणी की चूत को चोद रही थी और रोहिणी रीमा की गुलाबी जीभ से चुदने के कारण स्वर्ग के सुख का आनंद ले रही थी औरतों औरतों के बीच का सेक्स कुछ अलग ही होता है यहां पर लंड रीमा भी वही कर रही थी इससे पहले ये सब रीमा ने कभी नहीं किया था | न ही कभी किसी चूत के साथ इस तरह से खेलने का कोई अनुभव था लेकिन जैसे ही उसकी नजर रोहिणी की गुलाबी चूत पर पड़ी रीमा से रहा ना गया और आकर रोहिणी की चूत चूसने लगी | न केवल चूसने लगी बल्कि अपनी खरखरी जीभ से रोहिणी की चूत को चोदने भी लगी थी | ये न तो कभी किसी को बताया था ना ही यह कभी किसी ने सिखाया था ना हीरीमा ने ये सब पहले किया था उसने कुछ वीडियो में पहले देखा था ........रीमा ने जो वीडियो में देखा था वही कर रही थी रोहिणी को भी अंदाजा नहीं था कि रीमा इस तरह से किसी औरत के साथ में एक्सपर्ट की तरह पेश आएगी | रोहिणी को लग रहा था कि उसे रीमा को बताना पड़ेगा लेकिन यहां तो रीमा रोहिणी को हैरान किये हुए थी अब तो रोहिणी को लग रहा था कि उसे तो रीमा से सीखना चाहिए था | कहां वो रीमा को सिखाने चली थी यहां तो अब खुद रीमाँ से सीखने की नौबत आ गई थी हालांकि जिस तेजी और बेतहाशा अंदाज में रीमा रोहिणी की गीली चूत को चूस रही थी चोद रही थी उससे रोहिणी की हालत खराब होने लगी थी वह नहीं चाहती थी कि इतनी जल्दी वो निपट जाये, उसका चरम आ जाये वो पनी चूत से अभी बहुत पानी बहाना चाहती थी उसके बाद कही जाकर अपने चरम को हाशिल करना चाहती थी |

ये अहसास होते ही उसने झट से अपने आप अपनी रीमा से अलग किया और खुद नीचे रहते हुए भी खुद ही बिस्तर पर उसने रीमा को १८० डिग्री पर घुमा दिया | रीमा रोहिणी के ऊपर तो थी लेकिन बिलकुल उल्टा | रीमा के मुहँ के सामने रोहिणी की चूत थी और रोहिणी के सामने रीमा की चूत थी | रीमा की गुलाबी चूत देखते ही रोहिणी तो जैसे सम्मोहित हो गयी | चिकना साफ़ सुथरा चूत घाटी का इलाका , दोनों गुलाबी ओंठ एक दुसरे से सटे हुए, उसके शुरूआती हिस्से में किसी मणि की तरह लगा उसका चूत दाना | पीछे मांसल चुताड़ो की की ऊँची उठान के बीच बनी तीखी गहरी घाटी में हलका गुलाबी रंगत वाला अपनी मजबूत फौलादी जकड़न लिए उसकी गाड़ का खूबसूरत छेद | रोहिणी ने रीमा की गुलाबी घाटी में अपनी उंगलियों का जादू बिखेरना शुरू कर दिया था | उसने रीमा की जांघे अपने दोनों कंधो की तरफ फैला दी | उसकी गुलाबी चूत के बाहरी ओंठ उसकी जांघो के फैलाते ही खुल गए | उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और उसके चूत के ओंठ चूत रस से पूरी तरह से भीगे हुए थे | उसकी चूत के अंदरूनी ओंठ जो एक दुसरे से चिपके हुए थे रोहिणी के उंगली लगाते ही खुल गए | दोनों ओंठ पूरी तरह से चूत रस से सने हुए थे और रीमा के जिस्म की भीनी भीनी खुसबू से सरोबार थे | रोहिणी ने अपनी दो उंगलियों को रीमा की चूत पर लगाया और उसकी चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का दरवाजा खुल गया |

रीमा की गुलाबी चूत की सुरंग का दरवाजा रोहिणी की आंखों के सामने नुमाया हो गया क्या चूत थी | रोहिणी तो एक बरगी को एक बार तो हैरान रह गई थी, उसने इतने करीब में रीमा की चूत कभी नहीं देखि थी | ऊपर से रीमा की चूत से निकलने वाले रस की गंध ने रोहिणी को पहले ही मदहोश कर रखा था | रीमा के खूबसूरत बदन की तरह रीमा की चूत भी बहुत खूबसूरत थी और रोहिणी जानती थी कि इतनी खूबसूरत चूत बहुत ही कम औरतों की होती है | जैसे रीमा के बदन के घुमाव, कटाव, उभार और जादुई बनावट थी वैसे ही उसकी चूत की बनावट थी | रोहिणी भी बिना तारीफ के रह नहीं पाई |
उसने भी रीमा से बोला - रीमा तू तो सच में बहुत ही खूबसूरत है भगवान ने तुझे फुर्सत में बनाया है और तेरे बदन से ज्यादा खूबसूरत तेरी चूत है | इतनी खूबसूरत है की मर्दों की तो छोड़ ही दो जो औरत देख ले वो औरत इसकी दीवानी हो जाए तेरी चूत बहुत ही प्यारी है और बहुत ही खूबसूरत है मन करता है इसे मुहँ से लेकर गप्प गप्प कर खा जाऊ | हाय क्या बला की खूबसूरत बनावट है |

इतना कह कर के रोहिणी ने जीभ रीमा की चिकनी दरार पर फिसला दी |
रीमा - ऊऊऊफ़्नेफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् |
रीमा के मुहँ की सीकरी सुनकर रोहिणी का उत्साह बढ़ गया | रोहिणी - मै जानती थी तेरे अन्दर बहुत आग भरी है | देख कैसे धधकने लगी | अबी तो बस अपनी जुबान touch करायी है और इसके मुहँ भाप छोड़ने लगा है | आज मेरी रानी आज मै रात भर तेरी प्यास बुझौंगी | तेरी बरसो की प्यास, बरसो से तेरे बदन में बर्फ बन चुकी हवस की आग आज बुझा कर ही दम लूंगी |
रीमा सिसकारी भरते हुए - दीदी आप बहुत अच्छी हो, सोने नहीं डॉगी क्या रात भर |

रोहिणी ने फिर से उसकी चूत को चाटा |
रोहिणी- जब जिस्म आग की भट्ठी बना हुआ हो तो भला किसी को नीद कैसे आ सकती है | अभी तो आधी रात भी नहीं हुई |
रीमा - फिर भी रात भर तो नहीं जग सकते |
रीमा के चूत दाने की अपने ओंठो की गिरफ्त में लेटे हुए रोहिणी - आज सोने का तू भूल जा, तू आज रात भर जागेगी क्योंकि तू खुद अपनी प्यास बुझाना चाहती है |
रीमा - नहीं दीदी मुझे तो नीद लगने ही लगी थी, आप नहीं होती तो कब का सो गयी होती |
रोहिणी - मुझे बुद्धू मत बना, मै उस रोहित की दीदी हूँ, जिसने तेरे जिस्म की आग बुझाई है | और तेरे अन्दर बने कोपभवन से तुझे बाहर निकाला है मुझसे चालाकी नहीं |
रीमा शिकायत करती हुई - दीदी मैंने कहाँ कुछ बोला है |
रोहिणी के ओंठ रीमा की गुलाबी चूत पर जमे थे - यही तो तेरा ऐब है तू बोलती नहीं लेकिन तेरे मन में बहुत कुछ चल रहा होता है | तू नहीं बोलती तेरा जिस्म बोलता है तेरे हाथ पाँव गर्दन ओंठ चूतड़ चूत जांघे पिंडलिया सब बोलती है, बस तू नहीं बोलती |
रीमा चुप हो गयी | रोहिणी को लगा कही ये फिर से अपने कोपभवन में न घुस जाये |
रोहिणी - ज्यादा सोच मत, मै तुझसे तेरे बारे में ज्यादा जानती हूँ |
रीमा - जी दीदी |
रोहिणी - जी की बच्ची, मै तेरी नौकरानी हूँ क्या, उल्टा लिटाया क्यों है तुझे | चल चाट मेरी चूत |
रीमा तो अपनी सिसकारियो में भूल ही गयी थी, उसने झट से अपना सर रोहिणी की जांघो के बीच की चूत घाटी में घुसेड दिया | रीमा रोहिणी की गीली चूत चाटने लगी और रोहिणी उत्तेजना की तरंगो में अपने कमरी हिलाने लगी | रोहिणी ने अपने ओंठो को
रीमा की चूत से सटा दिया उसकी चूत चूमने लगी चाटने लगी चूसने लगी, रीमा की सिसकारियां भरने लगी | रोहिणी का अंदाज ही कुछ अलग था और ऐसा अंदाज रीमा ने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया था हालांकि ऐसा नहीं था कि उसकी चूत पहली बार कोई चाट रहा था चूम रहा था लेकिन कोई औरत पहली बार उसकी उसकी चूत पर अपनी गीली जीभ फिर रही थी | औरत की बात अलग होती है जिस नजाकत से रोहिणी ने रीमा के स्तनों को चूसा चुम्मा था उसी नजाकत से रोहिणी रीमा की चूत और चाट रही थी | रीमा की जीभ भी रोहिणी की चूत पर तेजी से फिसल रही थी | दोनों एक दुसरे की बांहों में जकड़े अपने अपने जिस्एमो की आग बुझाने में लगी थी | दोनों के पसीने से नहाये बदन एक दुसरे में गुथमगुथा थे और दोनों ही एक दुसरे के वर्जित सवेदनशील कामुक अंगो से खेल रही थी | दो औरते, दो के पूरी तरह से नंगे गोरे गुलाबी पसीने से नहाये, एक दुसरे से चिपके बदन और वासना का नंगा नाच | बस एक ही अरमान था अपने जिस्मो में धधकते हवस के जुवालामुखी को शांत करना |

रोहिणी रीमा की गुलाबी चिकनी चिकनी गीली चूत से खेल रही थी वह अपनी उंगलियों को रीमा के पतले गुलाबी होठों पर सहला रही थी और उसके चूत दाने को भी बार-बार रगड़ रही थी रीमा बस रोहिणी के चूत दाने पर अपनी जीभ सरपट दौडाए जा रही थी | रीमा के मुहँ से कामुक कराहे और मादकता की सिसकारियां लगातार फुट रही थी और यही हाल रोहिणी का भी था | रोहिणी ने भी अपनी उंगलियों को रीमा की चूत से निकले रस में भिगोना शुर कर दिया | उसने हल्के से जोर डालकर अपनी उंगली को आइस्ते से रीमा की गुलाबी चूत की मखमली सुरंग में घुसआनी शुरू कर दी थी रीमा तो जैसे उत्तेजना से मदहोश होने लगी थी रीमा को मदहोश होते देख उसने तेजी से अपनी बीच वाली उंगली पूरी की पूरी रीमा की चूत में घुसा दी और अपनी जीभ उसके गुलाबी चूत दाने पर रख कर के उसको चाटने लगी रीमा के मुंह से सिसकारियां फूटने लगी और रोहिणी रीमा की गुलाबी चूत के दाने को अपनी जीभ से चूस कर गर्म करने लगी थी उसकी एक उंगली रीमा की चूत में धसी हुई थी औररोहिणी बहुत हल्के हल्के हाथों से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी रीमा की सांसे तेज हो गई थी और उसके बदन में गर्मी बढ़ गई थी | रोहिणी रीमा की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगी थी | अपनी चूत में अन्दर बाहर होती चूत रस से सनी उंगली से भी रीमा के शरीर में काम वासना की आग और भड़क गई थी और रीमा तेजी से हांफने लगी थी और इधर रोहिणी की जीभ उसके चूत के दाने पर लगातार फिसल रही थी | उसकी चूत का पूरा इलाका ही रोहिणी की गीली जीभ के लार से गीला हो गया था उसकी उंगली रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रही थी | फिर धीरे से रोहिणी ने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में घुसा दी |
रीमा के मुहँ से सिसकारी फुट गयी - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह |

रोहिणी तेजी से दोनी उंगलियों से रीमा की चूत चोदने लगी | रीमा भी इस चुदाई और चुसाई से मदहोश होने लगी | रोहिणी ने खुद को रीमा के नीचे से हटाया | रीमा पीठ के बल लेट गयी और उसके दाहिने हाथ पर रोहिणी उसके ऊपर से आकर उसे चूमने लगी और बिना किसी देरी के उसकी चूत में दो उंगलिया घुसा दी | चूत गीली थी और उंगलियाँ भी इसलिए बिना किसी परेशानई के आराम से रीमा की मखमली गीली चूत में समाती चली गयी | रीमा ने अपने ओठो को रोहिणी के ओंठो से सटा दिया और आंखे बंद कर ली | रोहिणी ने अपने अंगूठे को रीमा के चूत दाने पर सताया और फिर उसकी चूत में उंगलिया अंदर बाहर करने लगी | दो उंगलियों और अंगूठे की लय इतनी जबदस्अत थी की जब उंगलिया चूत में घुसती तभी अंगूठे का जोर चूत दाने पर पड़ता और रीमा के जिस्म में वासना की एक और तरंग दौड़ जाती | दो औरते, जवान कमसिन गोरे गुलाबी नंगे बदन और जवानी की भूख | हवस का खुला खेल बंद कमरे में चल रहा था | उधर अनिल गहरी नीद में थे इसलिए किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं थी कमरे के बाहर से कोई ताका झांकी करे | ऊपर से रोहिणी ने कमरे की सारी खिड़कियाँ बंद कर रखी थी | बस रीमा थी रोहिणी थी दोनों नंगे थे एक दुसरे से चिपके हुए थे और रोहिणी रीमा की न केवल चूत को अउंगलियो से चोद रही थी बल्कि अंगूठे से उसके चूत दाने को भी मसल रही थी |
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09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
दोनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे से टकरा रही थी रोहिणी तेजी से रीमा के चूत में अपनी दोनों उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही थी कि रीमा अपनी वासना के चरम की तरफ बढ़ रही थी और मुंह से उसके तेजी से कामुक कराहे निकल रही थी लेकिन रोहिणी ने उसके होठों पर अपने होठ कस के जमा रखे थे और उसके होंठों का रसपान कर रही थी | रीमा की मादक कराहे उसके मुंह में ही घुट के रह जा रही थी रीमा तेजी से अपने हाथ को रोहिणी की पीठ पर फिसलाते हुए उसके चूतड़ों पर ले गई और उसके चूतड़ों को कसकर के मसलने लगी थी | उसके चूतड़ों को मसलने के बाद रीमा का हाथ रोहिणी के चुताड़ो की दरार में घुसता हुआ नीचे सरकने लगा | उसकी उंगलिया जैसे ही रोहिणी के गाड़ के कसे छेद पर से गुजरी, रोहिणी के मुहँ से एक आह निकल गयी | रीमा समझ गयी दीदी का इससे कुछ न कुछ तो नाता है | वो पूरी तरह से वासना के नशे में डूबी हुई थी इसलिए उसे कुछ होश नहीं था की वो क्या कर रही है, उसने अपनी बीच वाली उंगली रोहिणी के गांड के छेद पर घुमानी शुरू कर दी | रोहिणी भी मदहोश होने लगी | उसने कुछ देर तक उंगली गांड के छेद पर घुमाने के बाद उसे अन्दर घुसेड दिया | जब रोहिणी को रीमा की इस हरकत का अहसास हुआ तो रोहिणी चिहुंक उठी | रीमा की शैतानी पर रोहिणी के कान खड़े हो गयी |
उसने रीमा के ओंठो पर अपने दांत गडा दिए | रीमा समझ गयी ये रोहिणी का उसको उसकी शैतानी का जवाब है | उसने झट से रोहिणी की गांड की कसे छल्ले में अटकी अपनी उंगली निकाली और नीचे बढ़ गयी और सीधे अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगी | रीमा कुछ देर तक उसकी चूत को ऐसे ही सहलाती रही उसकी चूत पर अपनी उंगलियां फिराती रही फिर उसने एक उंगली रोहिणी की चूत में घुसा दी और अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी थी | अब दोनों ही एक दूसरे की चूत को अपनी उंगलियों से चोद रही थी दोनों की ही हालत बुरी हो रही थी दोनों ही तेजी से हांफ रही थी और दोनों ही एक दूसरे से लिपटी हुई थी अब दोनों की उत्तेजना उनके बस में नहीं थी और दोनों के बदन बेकाबू हो रहे थे दोनों तेजी से बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघे हवा में फैला दी | दोनों के हाथ बिना किसी देरी के एक दूसरे की चूत पर पहुंच गए और एक दूसरे की चूत को ऊपर से ही मसलने लगे थे |

दोनों एक दुसरे का चूत और चूत दाना तेजी से मसल रही थी | एक दुसरे की जांघो के बीच चूत घाटी में वह तेजी से चारों तरफ अपने हाथ को दौड़ा रही थी दोनों के मुंह से तेज तेज कराहे निकल रही थी और उतनी ही तेजी से दोनों एक दूसरे के चूत दाने को रगड़ रही थी रीमा की हालत को ज्यादा ही खराब थी उसकी उत्तेजन उसके बस में नहीं थी | रोहिणी भी बस पाने चरम को पंहुचने वाली थी लेकिन वो अपने आप को काबू में किए हुए थी | और अपने अपने ही हाथों से अपनी एक स्तन को मसलने लगी और रीमा की तरफ देखने लगी जो की उत्तेजना में पूरी तरह से सारोबार थी और दोनों के हाथ उनकी जांघों के बीच में तेजी से फिसल रहे थे कुछ देर तक दोनों एक दूसरे की चूत को रगड़ की रहे उसके बाद रोहिणी तेजी से रीमा के ऊपर आ गई और अपनी चूत को उसके मुंह की तरफ कर दिया और खुद उसकी जांघों के बीच में अपने मुंह को रख दिया तेजी से उसने अपनी जीभ को रीमा के चूत रख कर उसको कस के चूसने लगी थी उसको चाटने लगी थी रीमा की गुलाबी चूत पर उसकी गीली जीभ का स्पर्श पढ़ते ही रीमा की वासना और बढ़ गयी | रीमा की चूत चोदे जाने के कारन वो पहले से ही उत्तेजना से भरी हुई थी | अपने तपते बदन पर रोहिणी की जीभ का गीला स्पर्श पाते ही रीमा आनंद के सागर में डूब गयी | रोहिणी ने उसकी चूत में फिर से अपनी उंगली घुसेड दी | इधर रिमा भी अपनी जीभ को रोहिणी के चूत दाने पर चिपकाए हुए थी और उसने रोहिणी के चूत साने को चूसने चाटने और रगड़ने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख थी | वो भी तेजी से रोहिणी के चूत में उंगली घुसा उसे चोदने लगी |

दोनों के जिस्म की उत्तेजना अब उनके काबू से बाहर हो रही थी | दोनों के जिस्म अब अपनी वासना के उफान पर थे और उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी | धड़कने बेकाबी थी और दोनों 69 के पोजीशन में एक दुसरे को कसकर जकड़े उंगलियों से चोद रही थी | तेजी से अपने बदन को एक दूसरे पर हिला हिला के रगड़ रही थी दोनों की जीभ एक दूसरे के चूत जाने पर तेजी से फिसल रही थी | उनकी उंगलियाँ तेजी से एक दुसरे की चूत में अन्दर बाहर हो रही थी |

जैसे-जैसे वो उत्तेजना के चरम की ओर बढ़ रही थी वैसे वैसे उनकी उंगलियाँ और उनकी जीभ की हरकते बढ़ रही थी उनका जिस्म तेजी से हिल रहा था वह तो उन्हें बुरी तरह हांफ रही थी | उनके शरीर में दौड़ रही तरंगे अब अपने पुरे उफान पर थी आखिरकार उन दोनों की उत्तेजना का बांध टूट ही गया | दोनों की चूतों से जैसे पानी का झरना सा फूट पड़ा, जो उनके जिस्मो की आग बुझा रहा हो | उस वासना के चरम पर टूटे इस सैलाब के तूफ़ान में वो दोनों खुद को उड़ते मामूली तिनके की तरह महसूस कर रही थी | जो उन दोनों को अपने साथ बहा ले जाने को आतुर था | दोनों कसकर एक दुसरे को थामे हुए थी, ताकि वासना के निकलते इस सैलाब के साथ कही वो भी न बह जाये | वासना के बांध के टूटते ही बदन की गरमी फुर्र हो गयी | दोनों जमकर के झड़ने लगी थी उनका शरीर कांपने लगा, उनके शरीर अपने आप उठने गिरने लगे | और कुछ देर तक दोनों के सरीर अपने आप ही कम्पन करते रहे | फिर दोनों शांत हो गयी | उत्तेजना के चरम पर टूटे इस वासना के सैलाब में
दोनों खुद को बहा देना चाहती थी खुद के अस्तित्व को बहा देना चाहती थी उन्हें नहीं पता कि इस वक्त कहां है क्या कर रही हैं उनके आसपास कौन है वह दोनों एक दूसरे से चिपकी हुई एक दूसरे की काम आनंद में सवार हो कर के खुद को एक दूसरे में ही समेट लेना चाहती थी कुछ देर तक दोनों के बदन हिलते रहे और दोनों की चूत झरने की तरह बहती रही उसके बाद में शांत हो गई | सब शांत हो गया | रोहिणी सीधी होकर रीमा की बांहों में आ गयी |

पसीने से तरबतर दोनों नंगे बदन एक दुसरे से चिपक गए और दोनों एक-दूसरे को बाहों में समां गयी | दोनों अपनी तेज धड़कने और सांसे काबू करने लगी | दोनों की रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | दोनों एक दूसरे को बांहों में थामे अपनी अपनी सांसे हल्की करती रही | रोहिणी रीमा के बाल सहलाने लगी | औरतो का अगर शरीर न थके तो वो कभी रुके ही न | रोहिणी ने आंख खोलकर देखा तो रीमा की अभी भी आंखे बंद थी, शायद उसे संतुष्टि का अहसास की ज्यादा चाहत थी और अब वो उस भंवर को पार कर जाने के सुकून में वो ज्यादा ही शांति महसूस कर रही थी |

रोहिणी - अब तो कोई डर नहीं है मन में
रीमा ने हलके से आंखे खोली और रोहिणी को देखा, हल्का सा मुसुकुराई और इनकार से सर हिला दिया | रोहिणी ने उसे अपने बाहुपाश में और कसके जकड लिया | रोहिणी रीमा की तरह अंतर्मुखी नहीं थी, उसे कुरेदती हुई पूछने लगी - बता न री चला गया न मन का डर या अभी कही कोने में बैठा हुआ है |
रीमा पूरी तरह से मस्तियाई हुई थी, उसके तेज दिमाग ने ये बात तुरंत पकड़ ली - उसे लगा कही रोहिणी की बात का दूसरा मतलब तो नहीं है | इसलिए उसने उल्टा ही सवाल पूछ लिया - दीदी कौन से डर की बात कर रही हो |
रोहिणी भी समझ गयी रीमा ने बात पकड़ ली लेकिन रोहिणी भी कोई सीढ़ी गाय तो थी नहीं - उसने भी वैसा ही जवाब दिया जैसा रीमा ने सवाल किया था - अरी कट्टो वही डर जो तेरे दिलो दिमाग में घर कर गया था |
रीमा को समझ नहीं आया अब इस पर क्या सवाल पूछे - कौन सा दीदी ? कैसा डर ?
रोहिणी भी कम नहीं थी उसने भी अपना पासा फेंका - ज्यादा लोमड़ी की चूत मत बन, तुझे भी पता है कौन से डर की बात कर रही हूँ |
रीमा रोहिणी के तेवर देख समझ गयी दीदी सीरियस है - हाँ वो तो कब का निकल गया, जब आप पास हो तो डर कैसा |
रोहिणी ने तपाक से बात पकड़ ली - तो दूसरा डर भी निकाल दू | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ अपने हाथो में भर लिए और उसे ओंठो को कसकर चूम लिया |
रीमा हल्का सा शर्मा गयी |
रोहिणी तो रीमा के नंगे बदन पर बिलकुल फ़िदा हो गयी थी | रीमा को बहुतो बार नंगे देखा था, उसके साथ एक ही कमरे में कपड़े बदले थे लेकिन कभी उसके बदन की खुसबू इतने करीब से उसके जेहन में नहीं समाई थी | रीमा उनके इतनी करीब थी की उसके अप्सरा जैसे खूबसूरत संगमरमरी बदन रस स्वाद गंध मादकता में वो पूरी तरह से डूब चुकी थी |
रोहिणी रीमा की शर्माहट से थोड़ी और उत्साही हो गयी - बोल न, दूसरा डर भी निकाल दू या नहीं |
रीमा हैरानी से - अब कौन सा डर बचा है | रोहणी से उसके नरम मांसल चुताड़ो पर से अपने हाथ फिसलाते हुए उसके चुताड़ो की दरार में घुसाने लगी | उसके होठ सख्ती से तेजी से रीमा के ओंठो से चिपक गए | दोनों के बदन के पसीने की महक दोनों के नथुनों को महकाए हुए थी | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रोहिणी ने उंगलियाँ आगे बढ़ा दी और रीमा के मांसल भारी भरकम चुताड़ो की दरार को चीरते हुए उसकी तलहटी में स्थित, रीमा के हलके भूरे गुलाबी कसे गांड की छल्ले की सख्त गिरफ्त की के चारों ओर घुमाने लगी | रीमा ने भी रोहिणी के चूतड़ थाम लिए और मसलने लगी | रोहिणी की उंगलिया रीमा के गुलाबी कसे गांड के ऊपर नाच रही थी, देखादूनी में रीमा भी रोहिणी के उसी इलाके में पंहुच गयी और रोहिणी के चूत और गांड के संधि छेत्र को सहलाने लगी | रोहिणी के अपनी कमर रीमा की कमर से चिपका दी | अपनी चूत त्रिकोण घाटी को रीमा की मखमली चूत घाटी से सटा दिया | दोनों के जांघे एक दुसरे पर क्रॉस बनाकर चिपक गयी | दोनों के बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे | रोहिणी ने अपने हाथ से रीमा का हाथ पकड़कर सीधे अपने चुताड़ो के बीच गांड पर फंसा दिया और उसकी उंगली पकड़कर अपनी गांड में घुसाने लगी | रीमा के लिए बस इशारा काफी था | रोहिणी का हाथ फिर से रीमा के गोरे बदन पर पंहुच गया | रीमा ने रोहिणी के कसे भूरे छल्ले की इस्पाती जकड़न पर दबाव डाला और पूरी तरह से एयर टाइट बंद उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली घुसाने लगी | रीमा को ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ा और दो तीन बार जोर लगाने से ही रीमा की एक उंगली रोहिणी के पिछवाड़े की कसावट को चीरती हुई अन्दर धसने लगी |
रोहिणी ने भी रीमा के चुताड़ो की दरार के बीच अपनी उंगली का जोर बढ़ा दिया था | उसने अपने मुहँ की लार से अपनी बीच की उंगली भिगोई और रीमा के चुताड़ो की दरार की तलहटी में स्थित उसके पिछवाड़े की सुरंग का छेद जो अपने इस्पाती कसावट और मजबूती वाले छल्ले से पूरी तरह से एयर टाइट बंद था, उस सुरंग के दरवाजे को खोलने का प्रयास करने लगी | रीमा और रोहिणी फिर से वासना के जज्बातों में बहने लगे | रोहिणी की उँगली बार बार जोर लगाती और पीछे हट जाती | रोहिणी सुरंग के मुहाने का गीलापन बढ़ाती और फिर से उंगली के पोर का जोर रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के इस्पाती मुहाने पर बढ़ा देती | रीमा का खुला मुहँ बंद आंखे और तेज होती सांसे ही ये बयां करने के लिए काफी थे कि उसके बदन में वासना की आग लगातार जल रही है |
रोहिणी ने काफी देर तक रीमा के पिछले मुहाने की इस्पात नरम के बाद उंगली पर कसकर जोर लगाया और उंगली रीमा की कसे हुए इस्पाती गांड के छल्ले को धता बताती हुई अन्दर घुस गयी और रीमा के मुहँ से एक मादक कराह निकल गयी - आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह |
रोहिणी ने मौका ताड़ लिया - मै इस दुसरे डर की बात कर रही थी | तू चलती फिरती वासना की देवी है, तेरे अन्दर की आग भला कभी बुझ सकती है | जिसका जिस्म इतना खूबसूरत हो भला वो औरत इतनी आसानी से कैसे ठंडी हो जाएगी | ये तेरा दूसरा डर, तेरी वासना की अनलिमिटेड प्यास, जिसे तू हमेशा दबाती है छिपाती है |
रीमा कुछ नहीं बोली लेकिन उसके हाथ पाँव धड़कने जैसे सब एक साथ रूक गए हो | ऐसा लग रहा था जैसे रोहिणी ने उसे खुलेआम चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो | वो क्या बोले क्या काहे कैसे रियेक्ट करे कुछ समझ नहीं आ रहा था | उसकी अनचाही वासना आज फिर से उसके सामने जीने मरने का सवाल बनकर खाड़ी हो गयी | अगर वो सच स्वीकारे तो अपनी ही नजरो में गिर जाये नकारे तो झूठी बन जाये |
रोहिणी रीमा की मनोदशा भांप गयी उसने एक और चोट करी - इतना क्या सोच रही है, जो कहा है सोलह आने सच है की नहीं | चुदाई के हजारो अनुभव लिए है मैंने, कुछ बाकि न रखा, इतनी गलत नहीं हो सकती हूँ मै |
रीमा हमेशा की तरह छुप रही |
रोहिणी - तेरी चुप्पी सब सच कहानी कह रही है, मुझे पता है तू नहीं बताएगी लेकिन फिर भी पूछती हूँ |
रोहिणी ने इमोशनल कार्ड खेला - देख दीदी बोलती है झूठ मत बोलना ................सच्ची सच्ची बता आज तक कितनी बार चुदाई करी है | मतलब ठीक से नहीं गिनती याद होगी लेकिन अंदाजा बता |
रीमा को समझ नहीं आया रोहिणी का सवाल , बड़ी मासूमियत से बोली - मतलब ?
रीमा को दुविधा में देखकर बोली - मतलब की बच्ची, उम्र में मुझसे चार पांच साल छोटी होगी लेकिन मासूम इतनी बन रही है जैसे अभी अभी पैड लगाना सीखा है लंडखोर |
रीमा को कुछ समझ नहीं आया की क्या जवाब दे | उसकी दुविधा का निवारण करते हुए - ठीक है साफ़ साफ़ सीधा सवाल पूछूंगी, सीधा सीधा जवाब चाहिए नहीं तो तेरी फुद्दी की आज खैर नहीं (उसका कान उमेठते हुए रोहिणी बोली) |
रोहिणी - बोल न कितनी बार चुदी है अब तक कितने लंड खा चुकी है |
रीमा - ये कौन गिनता है दीदी |
रोहिणी - कुछ तो अंदाजा होगा, वही बता दे |
रीमा शिकायती अंदाज में - दीदी दीदीदीदीदीदी ये कोई याद रखने की बात है क्या ?
रोहिणी - तू है एक नंबर की लंड खोर ये तो मुझे पता था, इतनी आसानी से कैसे पेट के कोने में छिपे राज उगल देगी | अच्छा बता शादी के पहले चुदाई करी थी या नहीं |
रीमा ने इनकार में सर हिला दिया - नहीं |
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09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी भी कम नहीं थी - लंड चुसे थे |
रीमा - हाँ |
रोहिणी - कितने ?
रीमा - दो या तीन रहे होंगे |
रोहिणी - दो तीन के चुसे थे या दो तीन बार चुदे थे |
रीमा - दो तो बॉयफ्रेंड थे और एक बार मेरी गली के लड़के ने ही देख लिया था बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए उसको भी |
रोहिणी - चुसना पड़ा ................पूरी बात बोला कर हरामन | (रोहिणी ने वाकया पूरा किया और उसके ओंठो को कस कर चूम लिया, पीछे रोहिणी की उंगली रीमा की पिछली सुरंग में आधी गहराई तक आने जाने लगी थी और रीमा इससे बिलकुल बेखबर थी | )
रोहिणी - और कितनी बार चूसा होगा लगभग |
रीमा - दीदी ठीक से याद नहीं लेकिन एक का 8 से १० बार और दुसरे का भी इतनी ही बार | तीसरे वाला का सिर्फ तीन बार | 20 से ज्यादा बार नहीं हुआ होगा |
रोहिणी - इसका मतलब शादी के पहले कोई लंड नहीं खाया, बस गप्प गप्प करी मुहँ में | और शादी के बाद |
रीमा - क्या बताऊ शादी के बाद की कहानी, आपको तो पता है मै रिसर्च कर रही थी सारा टाइम पढाई और आपके भाई पुलिस में थे, कभी हफ्ते में एक बार कभी महीने में एक बार घर आते थे | शादी के पांच सालो में 3 साल तो बाहर ही रहे | आखिर के दो साल ही साथ रहे | बस वही है जो यादो के साथ संजो कर रखा है | बाकि तो सब रेगिस्तान जैसी जिंदगी है |
रोहिणी - सेंटी न ही, सेती और सेक्स दोनों अलग चीजे है | सेंटी सिर्फ पति के साथ होना चाहिए लेकिन सेक्स किसी के साथ भी हो सकता है | तो बता शादी के बाद कितनी बार |
रीमा को लगा सब कुछ रोहिणी उसके बारे में ही पूछे जा रही है अपना भी तो कुछ बताये - पहले आप बतावो दीदी |
रोहिणी तो जैसे इसके लिए तैयार बैठी थी | उसके बीच वाली उंगली रीमा की गांड में घुसाए घुसाए उसके मांसल चुताड़ो पर जोर डालकर उसके चूत इलाके को अपने चूत इलाके से और सटा लिया | दोनों की गुलाबी मखमली चूत के नरम ओंठ और चूत दाना आपस में रगड़ खाने लगा |
रोहिणी ने एक लम्बी साँस भरी - देख मेरी कहानी तो खुली किताब है | शादी के पहले भी कई सारे बॉयफ्रेंड थे | उसनके साथ क्लब जाती थी, सुट्टा मरती थी गांजा पीती थी दारू पीती थी | उसके बाद जो हाथ में आ जाता था उसकी को मुठीयाने लगती थी | फिर एक बार मै प्रेग्नेंट हो गयी | घर में किसी को नहीं बताया | चुपचाप सफाई कराई और खसम खा ली आज के बाद चूत में लंड लेना बंद | कसम तो खा ली लेकिन आदत से मजबूर थी, लंड और लड़को दोनों की आदत पड़ गयी थी, इसलिए चुसना शुरू किया और फिर एक दिन एक लड़के ने पिछवाड़े का सुभारम्भ कर ही दिया | तकलीफ हुई | दो चार बार अच्छा भी नहीं लगा लेकिन एक बार जब समझ में आ गया कैसे करना है तब से लेकर शादी तक किसी लंड को चूत से नहीं खाया |
रीमा भी रोहिणी की बात को पकड के बैठी थी - दीदी साहित्य नहीं चलेगा , नंबर बताइए |
रोहिणी ने उसके ओंठो पर अपने दांतों को गडा कर कार लिया - तू एक नंबर ही हरामी चूत है, बस मौके की तलाश में रहती है कोई मौका नहीं छोडती सामने वाले को पटकने का, बिस्तर पर तू क्या कमाल ढाती है ये तो मै देख ही चुकी हूँ |
रीमा मिन्नतें करते हुए - बतावो न दीदी |
रोहिणी - मुझे पता है तुझे चूत चुदाई की बाते करने में बड़ा मजा आता है तो सुन ..............शादी से पहले तीन साल मान के चल हर हफ्ते में कम से कम तीन चुदाई या चुसाई होती ही थी | कई बार तो पांच भी हो जाते थे | जब ग्रुप पार्टी होती थी तो कोई गिनती नहीं, जिसका लंड मुहँ में आया उसका मुहँ में, जिसका हाथ में आया उसका हाथ में उसका चूत में घुस गया उसका चूत में | वहां लंड और चुदाई गिनने का कोई मतलब नहीं था | रात भर दारू चलती थी और रात भर हम लडको के लंड मसलते थे, सुबह होने तक तब तक लडको को नहीं छोड़ते थे जब तक उनके लंड पूरी तरह से मुरझाकर सुख न जाये | कर ले गिनती साल के ३६५ दिन और हफ्ते में कम से कम पांच चुदाई औसत |
रीमा चौंक गयी - बहुत स्टैमिना है आप में दीदी |
रोहिणी - अब कहाँ, अब तो बुढ़ापा शुरू हो गया है |
रीमा की उत्सुकता और बढ़ गयी - फिर शादी के बाद .........................|
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कने लगी थी जबकि रीमा के के हाथ रोहिणी के चुताड़ो पर कब के रुक गए थे | रीमा को कहानी मे ज्यादा दिलचस्पी थी जबकि रोहिणी कहानी भी सुना रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ रीमा के बदन पर बराबर अपना काम कर रहे थे |
रोहिणी - शादी के तीन महीने पहले ही मै अनिल से मिली थी | अनिल से मिलने के सातवे दिन मै अनिल के कमरे में गयी | मै डैड द्वारा कमरा दिया जाने से बहुत ज्यादा खफा थी और मैंने इनको सबक सिखाने की सोची थी | मै फुल नशे में थी और इनके कमरे में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और इनसे लिपटने की कोशिश करने लगी | ये बिलकुल शांत रहे | मैंने इन्हें चोदने को भी कहा, अपनी जांघे फैलाकर अपनी नंगी चूत भी खोलकर दिखा दी लेकिन मजाल जो बन्दे की चेहरे पर शिकन आ जाये | हालाँकि उनकी पेंट में तम्बू बन गया था लेकिन उनका रेस्पोंस न देना मेरा गुस्सा बढाता जा रहा था और मेरे ऊपर शराब का नशा भी बहुत हावी हो चूका था | मैंने अनिल को झपट्टा मारकर अपने ऊपर खीचने की कोशिश की और फिसल गयी | फिर क्या हुआ पता नहीं लेकिन सुबह बस यही कहानी पता चली की मै उसके कमरे में फिसल गयी थी और बेहोश हो गयी थी | अगले दिन माथे पर पट्टी बांधे पुरे होशो हवास में मै अनिल के कमरे में गयी और कल रात जो भी ड्रामा किया था उसके लिए माफ़ी मांग ली | उस समय ये सचमुच शरीफ थे | मैं वापस नीचे चली आई और फिर पाट नहीं क्या सुझा अचानक से फिर उनके कमरे में घुस गयी और फिर वहां जो मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए या यू कहो बांछे खिल गयी | अनिल अपने पजामे में हाथ घुसेड़े हिला रहे है | मैंने उन्हें रंगे हाथो मुट्ठ मारते हुए पकड़ लिया |
मेरा पहला सवाल था - किसको सोच कर मुठ मार रहे हो |
अनिल खडभड़ा गए, उन्होंने झट से अपना हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन उनके लंड का तनाव और साइज़ दोनों पजामे के ऊपर से साफ़ पता चल रहे थे | मेरे दिमाग में पहला विचार अनिल को सबक सिखाने का आया | कल मेरी वजह से अनिल ने मुझे पूरा का पूरा नंगा बदन सब कुछ देख लिया, छाती पेट नाभि चूतड़ जांघे चूत सब कुछ , आज मै इन्हें नंगा करके देखूँगी |
रोहिणी - जल्दी बोलो किसको सोचकर लंड मसल रहे थे अपना |
अनिल ने सर झुका लिया मै समझ गयी वो कोई और नहीं था बल्कि मै ही थी जिसने उनका लंड में अकडन पैदा कर दी थी |
रोहिणी - मुझे सोचकर लंड मुठिया रहे थे, कल नंगा देख लिया, जब चुदवाने आई थी, सारे कपड़े उतारकर नंगी पड़ी थी बिस्तर पर तब कुछ नहीं किया और अब आज उसी को सोच सोचकर लंड मसल रहे हो | चलो जल्दी से कपड़े उअतारो नहीं तो सब कुछ जाकर डैड को बता दूँगी और तुमारी छुट्टी |
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर रही थी, अब वो उसके चूत दाने को भी मसलने लगी थी | रीमा मदहोश होने लगी थी |
अनिल तो बेचारे रूआसे हो आये थे | शरीफ थे कभी किसी लड़की के सामने नंगे होना तो दूर बनियान तक नहीं उतारी थी | अनिल की हालत ख़राब हो गयी | चेहरे पर बदहवासी छा गयी | शर्म से सर नीचे झुका लिया | लेकिन मुझे अनिल पर कोई दया नहीं आई मै बदले की आग में जल रही थी | मैंने दुबारा धमकाया, तो चुपचाप कपड़े उतारने लगे | कपड़े उतारते ही जो मैंने देखा वो मेरे अनुमानों से कही ज्यादा था | उनके पैजामा नीचे खिसकाते ही काला लम्बा हाहाकारी भुजंग लंड एक दम से हवा लहरा गया | ऐसा काला लम्बा मोटा तगड़ा लंड मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था उसका हाहाकारी अंदाज मेरी आँखों और दिल में दहसत भर रहा था | जितना अनिल सीधे थे उतना ही उनका लंड खूंखार लग रहा था | कुल पल को तो मेरी आंखे ही उनके लंड पर से न हटी, पूरी तरह से अकड़ा हुआ तेज खून के दौरान से ऐसे काँप रहा था जैसे वर्षो से भूखा हो और सामने वाले को एक ही झटके में निगल जाना चाहता हो | मेरा ये पहला वास्ता था किसी काले आदमी और उसके हाहाकारी काले लंड से | इतने लंड खाने के बाद जब मैंने उसे इस अंदाज से अभिमान से भरे हुए चुनौती देते देखा तो मेरे अन्दर का ईगो भी जाग गया | पूरी तरह से सख्त लोहे की राड बना हुआ मानो मुझे चुनौती देकर कह रहा हो की बहुत अकड़ और घमंड है लंड खाने का, अन्दर लेने का जरा इसे लेकर देख एक बार, आंखे और चीखे दोनों एक साथ न बाहर आ गयी तो जिंदगी भर के लिए चूत के दर्शन करना भूल जाऊंगा | मै भी घमंड से भर गयी मैंने मन ही मन उसकी चुनती स्वीकार कर ली | अनिल बेचारे शर्म के मारे सर झुकाए ऐसे खड़े थे जैसे उनकी जिंदगी भर की इज्जत मेरे पैरो में पड़ी हो | उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी मुझसे आंख मिलाने की | उनके लंड को देखकर मुझे तो जैसे एक नशा सा हो गया, एक बुखार सा चढ़ गया | मैंने उनके सीने पर हाथ लगाकर उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया और तेजी से अपनी स्कर्ट और पेंट उतार दी | ऊपर के कपड़े उतारने का टाइम नहीं था | तेजी से बिस्तर पर चढ़ गयी और अनिल के कमर पर दोनों तरफ जांघे फैलाकर बैठ गयी | अनिल को कुछ समझ नहीं आया, इससे पहले वो कुछ रियेक्ट करता मैंने उसका गरम आग की भट्टी की तरह तपता लंड अपने हाथ में ले लिया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई काली मोटी सख्त गरम राड मेरी हथेली में आ गयी है जो मुझे झुलसा का रख देगी | मैंने उसे जल्दी से पोजीशन किया और अपने चूत मुहाने [पर लगाकर खुद को नीचे की तरफ ठेल दिया | इतना बड़ा मुसल लंड मैंने कभी नहीं लिया था अपनी मखमली चूत में | मुझे दो तीन बार जोर लगाना पड़ा तब जाकर मै उसे अपने अन्दर घुसा पायी इतना मोटा तगड़ा था | मै बस उसका थोडा हिस्सा ही घुसकर अपनी कमर हिलाने लगी | अनिल तो जैसे बेहोश होने लगे | पहली बार लंड को मिले इस मखमली चूत के आनंद में सरोबार हो गए | डर आश्चर्य और आनंद का मिश्रण उनके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था | मैंने एक भद्दी सी गली देते हुए बोला चूत चोदनी नहीं आती क्या मुर्दे की तरह पड़े हो | और कोई होता तो इस काले हहह्कारी नागनाथ से अब तक मेरी चूत के चीथड़े उड़ा चूका होता | इतना सुनते ही अनिल अपने सदमे से बाहर निकले और अपनी कमर को पहला झटका दिया और उनका लंड एक इंच अन्दर घुस गया, फिर दूसरा तीसरा चौथा पांचवा झटके लगने शुरू हो गए और इंच डर इंच मेरी चूत को उनका मोटा तगड़ा काला मुसल भरने लगा | इससे पहले इससे ज्यादा आज तक कभी मैंने खुद को भरा हुआ नहीं महसूस किया था | फिर तो जैसे धक्को की रेल निकल पड़ी | दे दे दनादन दे दनादन ठोकरों पर ठोकरे मेरी गुलाबी चूत पर पड़ने लगी | काला मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत को चीरने लगा, कुचलने लगा |
रीमा की सिसकारियां तेज हो गयी थी |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी ने आगे की अपनी चोद्कथा जारी रखी - कुछ देर तक तो मै बर्दाश्त करती रही फिर निढाल हो गयी | अनिल को बांहों में भरकर पलट गयी और अनिल के नीचे आ गयी | अब तक मन से अहंकार और बदला सब कुछ निकल चूका था अब बस एक ही चाहत थी चुदने की बुरी तरह चुदने की | अनिल तब जवान थे, भरपूर हट्टे कट्टे, क्या चोदा था उन्होंने मुझे, रात रात भर लोगो के लंड मसल कर उनका रस निचोड़कर उन्सुहें सूखाने वाली आज खुद पानी के झरने की तरह बह रही थी, लगातार बह रही थी | मेरी सोच शक्ति सब ख़त्म हो गया था मै बस अनिल के रहमोकरम पर थी जो जिंदगी में पहली बार अपनी वासना की आग बुझाने को चूत पाए थे | अनिल ने जमकर चोदा, हचक कर चोदा, तेज तेज चोदा, खूब चोदा और फिर चूत में ही झड गए |
रीमा का झरना बह निकला पता नहीं क्यों लेकिन रीमा खुद को संभाल नहीं पाई | रोहिणी भी हैरान रह गयी आखिरकार हुआ क्या | दोनों ही अपनी अपनी मदहोशी में थे इसलिए ज्यादा किसी ने गौर नहीं किया | रोहिणी ने अपनी चोद्कथा जारी रखी -मै पहली बार एक ही चुदाई से इतनी पस्त हो गयी थी कि दुसरे के बारे में सोचना भी गुनाह लगने लगा | मेरी चूत ने हाथ खड़े कर दिए और इसी के साथ शरीर और मन भी पस्त हो गया था | अनिल हांफते सांड की तरह बिस्तर पर लुढ़क गए और मै पस्त वैसे ही पड़ी रही | मेरी चूत से उनका गाढ़ा रस रिस रिस कर बाहर आता रहा और मै अपनी ही मदहोशी में खोयी रही | मुझे होश तब आया जब मेरा फ़ोन बजने लगा | मै बिना कुछ बोले उठी अपने कपड़े पहने, बिस्तर पर पसरे अनिल को और उन्हें सोते लंड को देखा | अनिल के चेहरे पर ग्लानी और शर्म छाई हुई थी | मै भी आगे के बारे में निश्चित नहीं थी | मै बिना कुछ काहे वहां से निकल गयी | दो दिन तक न हमने एक दुसरे को देखा और न ही कोई मुलाकात हुई | फिर अगले दिन अचानक से मै फिर अनिल के कमरे में जा धमकी | अनिल फिर से सहम गए और मैंने उन्हें चुदाई का सब सच डैड को बताने की धमकी देकर और डरा दिया | मैंने बोला मै डैड से बोल दूँगी तुम मेरे नाम से मुट्ठ मारते थे और जब मैंने मना किया तो मेरे साथ जबदस्ती करी | अनिल की पहले से ही फटी पड़ी थी अब और ज्यादा फट गयी | इसी तरह से मै रोज जाकर अनिल का लंड अपनी चूत में लेने लगी | मै तो हर तरह से चुदाई और नशे की चरसी थी लेकिन मैंने अब अनिल को अपनी चूत का चरसी बना दिया था | दो महीने में बस तीन चार बार ऐसा हुआ जब हमने चुदाई नहीं करी हो वर्ना रोज हवस का नंगा नाच खेलते थे | अनिल की पढाई चौपट हो गयी थी और दो महीने बाद पता चला मै प्रेग्नेंट हूँ | अब तो राज खुल ही जाना था आखिरकार मैंने डैड से बोल दिया मै अनिल से शादी करना चाहती | डैड को बस इतना सरप्राइज हुआ की अचानक कैसे इतनी जल्दी मैंने फैसला कर लिया, बाकि उनकी नजर में शायद अनिल से शरीफ कोई लड़का नहीं था | हमारी शादी हो गयी लेकिन मैंने अपनी जिदगी के स्याह सच सब पहले ही बता दिए थे और आगे भी वो सब करने की आजादी मुझे चाहिए थी | अनिल इस स्थिति में नहीं थे की मुझे कोई जवाब दे सके | गरीब आदमी को पैसा मिल रहा था , घर मिल रहा था और सबसे बड़ी बात एक बीबी मिल रही थी अब उसके कुछ नखरे तो उठाने ही होंगे | समय के साथ अनिल भी खुलते चले गए | वो भी मेरे अलावा इधर उधर मुहँ मारने लगे, मुझे कुछ वक्त लगा ये सच हजम करने में लेकिन फिर मै नार्मल हो गयी | घर परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी ने बहुच कुछ बदल दिया | अरमान अब भी है लेकिन या तो कोई जाबांज मर्द मिलता है या तेरी जैसी कट्टो तभी पुरानी रोहिणी अपने फॉर्म में आती है |
रीमा - आपने नंबर तो बताया ही नहीं |
रोहिणी - तूने इनफिनिटी वाली थ्योरी नहीं पढ़ी | कुछ चीजे अनंत होती है उनकी गिनती नहीं होती |
रीमा और रोहिणी दोनों खिलखिला पड़ी |
रीमा ने अनायास ही पूछ लिया - क्या सच में इतना हाहाकारी है जीजा का, आपको एक बार में ही पस्त कर दिया |
रोहिणी - तू बता तुझे देखना है |
रीमा - दीदी मै तो बस पूछ रही थी................आप भी |
रोहिणी उसे छेड़ते हुए - कोई यू ही नहीं किसी के बारे में ऐसे पूछता, अन्दर की दबी चाहत का तीसरा डर कही अनिल का काला नागनाथ तो नहीं है | रोहिणी ने अपनी दूसरी उंगली रीमा की गांड में घुसेड दी | रीमा चिहुंक उठी - दीदी दिदीईईईईई |
रोहिणी - यही यही इसी डर की बात मै कर रही थी, यही तेरा दूसरा तीसरा चौथा डर | ये जो कसी गांड छुते ही तेरा वासना का बुखार चढ़ने लगता है , काला लंड की चुदाई की चोद्कथा सुनते ही तेरा झरना बहना शुरू हो जाता है | आखिर ये सब क्या है | क्या है ये सब, क्या तेरे अंतर्मन की खवाइश नहीं है ये सब, तेरे अन्दर की दबी वासना नहीं है ये सब | ये तेरी दबी कुचली वासना की चिंगारियां नहीं है तो क्या है | जवानी तूने भोगी नहीं जीभरकर, इसलिए ये तेरे दिलो दिमाग में बसी हुई है | तू कितना भी दबाये लेकिन ये नहीं जाने वाली बल्कि और भड्केंगी | ये कुछ नया या अलग नहीं है बस तेरे जबान जिस्म की आग है इसे बुझा और जैसे हो सके जो तेरा मन करे उससे बुझा | अगर तेरा मन चुदवाने का है तो चुदवा ले, मर्द ढूंढ अपने लायक और चुदवा खुद को | अगर तेरा मन अपनी गांड की खुजली मिटाने का तो मिटा ले | दुनिया भर की औरते करती है तो तेरा जिस्म भी तो वही मांग रहा है |
रीमा परेशान हो गयी - दीदी बस, हर चीज की एक हद होती है, हर चाहने वाली चीज मिले ही ये तो मुनकिन नहीं |
रोहिणी - लेकिन जो तेरे हाथ में उसे तो तू हासिल कर सकती है |
रीमा - क्या है मेरे हाथ में |
रोहिणी - काले लंड से चुदना और गांड मरवाना |
रीमा - ये गलत है दीदी |
रोहिणी - कुछ गलत नहीं है |
रीमा - नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं है मुझे ऐसा कुछ नहीं चाहिए न मेरी ऐसी चाहत है, ये सब गलत है और पीछे ......... वो तो और भी गन्दा है |
रोहिणी चुप हो गयी | रीमा धीरे से बोली - मुझे बाथरूम जाना है |
रोहिणी - पगली तू ऐसे क्यों पूछ रही है जैसे मै तेरी क्लास टीचर हूँ | बिंदास होकर जा चूतड़ मटकाते हुए, उरोज हिलाते हुए | इतना कहकर उन्होंने उसके नरम मांसल चुताड़ो पर एक थाप जमा दी |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
बाथरूम कमरे से सटा हुआ था इसलिए रीमा को बाहर नहीं जाना पड़ा | वो नंगी ही उठी और बाथरूम में घुस गयी | रीमा बाथरूम जाकर फ्रेश होने लगी | पीछे से रोहिणी भी बाथरूम के गेट पर आकर खड़ी हो गयी | वो रीमा के गोरे गुलाबी जिस्म के सौंदर्य को निहारने लगी | रीमा खुद को साफ़ कर रही थी, हाथ में शावर लेकर खुद के गोरे बदन को धो रही थी जो पसीने से भीग कर नमकीन हो चूका था | रोहिणी से भी रहा नहीं गया | वो भी बाथरूम में घुस गयी, पहले फ्रेश हुई फिर वो भी शावर के नीचे आ गयी | और रीमा के साथ खुद भी नहाने लगी | दोनों बाथरूम में थी | दोनों नंगे बदन थी और बाथरूम में नहा रही थी |

रोहिणी को शावर के नीचे आते देख रीमा बाथ टब में जाकर बैठ गयी और रोहिणी रीमा की जगह आ गयी और खुद को धोने लगी | रीमा ने बाथटब के नल खोल दिए ताकि उसमे पानी भर सके और उसी में बैठ गयी, रोहिणी के मसलते बदन को पानी से भीगते बदन को देखने लगी | इधर नीद का एक स्लॉट पूरा कर चुके अनिल की आंखे अचानक खुल गयी | उनकी बीबी रीमा के कमरे में रीमा के बिस्तर पर थी, उन्हें पक्का पता था रोहिणी कुछ न कुछ खुराफात ही उसे सिखा रही होगी, यही देखने की लालसा में उठकर रीमा के बेडरूम तक आये लेकिन निराशा हाथ लगी | खिड़की दरवाजे सब पूरी तरह से बंद थे लेकिन कमरे के अन्दर की लाइट जल रही थी | अनिल समझ गए रोहिणी ने कुछ तो जरुर किया है इसी लिए सारे दरवाजे खिड़की सील पैक किये है | वो बाहर बने गेस्ट बाथरूम में चले गए | वहां से निपट कर बिस्तर पर आ गए लेकिन आँखों में नीद नहीं थी | कमरे के अन्दर क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता था |

इधर रीमा अपनी गोरी चिकनी गुलाबी मखमली चूत को सहलाने लगी थी तभी अचानक खुद के बदन की मसलते धोते रोहिणी के हाथ का शावर जो अभी तक उसके बदन को धो रहा था वो रीमा की तरफ हो गया | रीमा एक दम से चौंक गयी | पानी की ठंडी फुहारों से उसके बदन के रोये खड़े हो गए | रोहिणी शोअवर को उसके सीने पर गिराते गिराते नीचे की तरफ ले आई और उसकी जांघो के बीच स्थित उसके चिकने चूत घाटी के त्रिकोण सफाचट मैदान पर बरसाने लगी जिस पर बालो का कही नामोनिशान नहीं था | उसकी चूत का गुलाबी इलाका और उसकी चूत के मोटे मोटे गुलाबी रंगत की छटा बिखेरते बाहरी ओंठ, अंदरूनी मखमली रेशमी गुलाबी पतली पंखुडियो से दोनों तरफ से घिरा उसकी गुलाबी चूत सुरंग का मखमली मुहाना और उसके शीर्ष पर विराजमान उसकी वासना का केंद्र बिंदु उसका चूत दाना ...... कुछ अलग ही छटा बिखेर रहा था और ऊपर से गिरते पानी के झरने और बदन की गीली गोरी रंगत ने तो जैसे अप्सरा को ही जमीं पर उतार दिया हो | उसके पेडू पर गिरता [पानी उसकी चूत घाटी के त्रिकोण मैदान पर से बहता हुआ दोनों जांघो के किनारे से बहकर नीचे जा रहा था और उसके गरम गांड के छेद को अपनी ठंडक से सरोबार किये हुए था | रीमा की गरम चूत घाटी पर पड़ती पानी की शीतल फुहारे रीमा को स्कीवर्ग पंहुचाने के लिए काफी थी | उसने आनंद में आंखे बंद कर ली | रीमा की आंखे बंद देख रोहिणी ने शावर हटा लिया, रीमा की आंखे खुल गयी |
रीमा - दीदी हटा क्यों लिया कितना अच्छा लग रहा था | करो न फिर से |

रोहिणी अपनी चूत के सामने शावर लगाकर अपनी चूत को धोती हुई बोली- आय हाय मेरी कट्टो रानी को मजा आ रहा था, करूंगी फिर से करूंगी, तब तक करती रहूंगी जब तक तेरी प्यास बुझ नहीं जाती | मै कही नहीं जा रही बिना तेरी प्यास बुझाये |
रीमा - दीदी आप तो एक ही बात को पकड़ कर बैठ जाती हो, मै फाउंटेन शावर की बात कर रही हूँ | बड़ा अच्छा लग रहा था |
रोहिणी - मै भी वही बोल रही थी, तेरे दिमाग में बस वही भरा है तो तू वही समझेगी न | सीधी बात का सीधा मतलब भी होता है | महफ़िल के सारे मजे तेरी गुलाबी मखमली चूत ही क्यों लुटे, कुछ पर इस बेचारी का भी हक़ है (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) |
रीमा - दीदी आप मुझे हमेशा अपनी बातो में फंसा लेती हो |
रोहिणी - कोई नहीं जब 15-20 लंड खा लेगी तो तू भी ऐसे ही चंट हो जाएगी बल्कि मै तो कहूँगी मेरी भी नानी बन जाएगी देख लेना |
रीमा बनावटी रूप भिनकने लगी | रोहिणी ने कुछ पल को शावर उसकी तरफ कर लिया फिर अपनी तरफ घुमा लिया | रीमा बाथटब में खड़ी होकर अपने शरीर पर बॉडी क्लीनर लोशन मलने लगी | रोहिणी भी यही करने लगी | दोनों अलग अलग अपने शरीर को साफ़ कर रही थी | पानी से भीगे गीले बदन और बॉडी क्लीनर का झाग | रीमा टब से निकलकर बाहर आ गयी और उसने दीवार में लगे शावर को ऑन कर दिया |

उसके नीचे नहाने लगी | उसने बॉडी स्क्रबर उठाया और खुद को साफ़ करने लगी | गर्दन से लेकर पांव तक उसने अपने शरीर को मल डाला तभी उसका ध्यान रोहिणी की तरफ गया | उसने घूमकर पीछे से रोहिणी के बदन पर ढेर सारा बॉडी क्लीनर लोशन लगा दिया और उसके बदन को मलने लगी | रोहिणी खुद को थाम के खडी हो गया और रीमा के हाथ रोहिणी के बदन पर फिसलने लगे | उसने रोहिणी के बड़े बड़े उरोजो को मलना शुरू किया फिर पेट पीठ जांघे सब मथ डाला | रोहिणी का शरीर पर झाग ही झाग छा गया | फिर रीमा रोहिणी के पीछे गयी और उसके चूतड़ मलने लगी | उसकी चुताड़ो की दरार को स्क्रबर से खूब मल मल कर धोया | उसका एक हाथ रोहिणी की जांघो के बीच में घुस गया | उसकी जांघो के जोड़ की घाटी से लेकर उसकी चूत घाटी तक सब कुछ रीमा मलने लगी | कसकर रगड़कर खूब जोर जोर से मल रही थी | रोहिणी बस खुद को स्थिर किये कड़ी रही | उसे रीमा के नरम हाथो का गीला सुखद स्पर्श बहुत आच्छा लग रहा था | एक औरत ही एक औरत के बदन की नजाकत समझ सकती है | रीमा के हाथ भी उसी नजाकत से रोहिणी की चूत की सफाई कर रहे थे | ना बहुत कठोर न बहुत हलके, उसके हाथो का स्पर्श बहुत संतुलित था औत=र जादुई भी क्योंकि रोहिणी मदहोश होने लगी थी | रीमा रोहिणी की चूत रगड़ते रगड़ते उसके चुताड़ो की दरारों में घुस गयी और उसके पिछले छेद को साफ़ करने लगी | रोहिणी का छेद रीमा के इतना इस्पाती कसावट तो नहीं लिए था फिर भी उसमे गजब की कसावट थी | रीमा ने उसकी कसावट और प्रतिरोध को धराशायी करते हुए अपनी उंगली उसमे घुसेड दी | अब चिहुंकने की बारी रोहिणी की थी क्योंकि रीमा ने बिना देर किये दूसरी उंगली भी घुसा दी | उसके बाद अन्दर बाहर करने लगी | जब उसे सुरंग का मुहाना खुलता दिखने लगा तो उसने हैण्झड शावर के झरने का सर छेद से सटा दिया और उसकी पिछली सुरंग को पानी से भरने लगी | उसके बाद शावर हटाकर उसके छेद के सख्त छल्ले के गुलाबी मुहाने पर अपना स्क्रबर और उंगली दोनों बारी बारी से रगड़ने लगी | रोहिणी इस जादुई कलात्मक स्पर्श से कामुकता की सीढियाँ चढ़ने लगी |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी ने दीवार वाला शावर चला दिया | उसके बदन का झाग बहकर नीचे गिरने लगा | रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ रोहिणी के पिछवाड़े की सुरंग में और स्क्रबर छोड़ अगले हाथ को रोहिणी के चूत दाने और चूत पर सटा दिया | आगे से चूत दाने पर दबाव डालती और पीछे से उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने के सख्त छल्ले को नरम करने में लगी थी | कुछ देर बाद उसकी उनगलियन रोहिणी की चूत में घुस गयी अब रीमा के एक हाथ की उंगलियाँ चूत चोद रही थी और दूसरा हाथ उसकी पिचली सुरंग के सख्त गेट को नरम कर्केमे लगा था | रोहिणी कुछ देर तक तो कामुकता की बयार में बहती रही लेकिन उसके लिए ये नाकाफी था | उसे तो और ज्यादा की लालसा थी |
रोहिणी - सुन कट्टो मजा नहीं आ रहा, कुछ जोरदार कर न................|
रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी |
रीमा - कितना जोरदार चाहिए दीदी |
रोहिणी - एक मोटे तगड़े लंड जितना, काश तेरे पास लंड होता तो जमकर मजा आता |
रीमा को शरारत सूझी - जीजा जी को जगाऊ | है न उनके पास मोटा तगड़ा |
रोहिणी - चुपकर लंद्खोर, अगर उस कलुये को बुला लिया तो पहले वो तेरी चीखे निकलेगा, समझी, मुझे चोदना तो छोड़ शायद मेरी तरफ देखे भी न | तेरे जिस्म के हुस्न में पगलाया रहता है | मैंने काबू करके रखा है एक बार छोड़ दिया तो सोच ले, कचूमर निकाल देगा तेरा और तेरी चूत का | चलना दूभर हो जायेगा तेरा |
रीमा - दीदी बात बात पर आप जीजा जी के नाम से डराने क्यों लगाती हो मुझे | एक तरफ तो कहती हो तेरा डर दूर करने आई हूँ और दूसरी तरफ ........... |
रोहिणी - अच्छा सॉरी मेरी कट्टो रानी अब कुछ कर, तूने तो आज पिछवाड़े में भी खुजली मचा दी |
रीमा को जग्गू के साथ हुई घटना याद आ गयी |

रीमा हिचकते हुए - दीदी अगर आप काहे तो मेरे पास स्ट्रैप और डिल्डो पड़े है ..............................|
रोहिणी एक दम खुसी से उछाल पड़ी - अरे मेरी गुलाबो चूत रानी, नेकी और पूछ पूछ | लेकर आ तूने तो जैसे प्यास से मरते इंसान को पानी के लिए पूछ लिया हो |
रीमा ने अपना गीला बदन पोछा और कुछ ही देर में एक बड़ा सा रबर का लंड, एक लोशन बोतल और वाइब्रेटर ले आई | रबर के लंड को जल्दी से रोहिणी ने रीमा की कमर में स्ट्रैप बांधकर फिट किया और फिर बाथटब के ऊपर झुक गयी और अपने चूत दाने पर वाइब्रेटर चिपका दिया | रोहिणी पीछे से खेली खाई हुई थी लेकिन पीछे का छेद पीछे का ही होता है, कितने भी लंड उसमे गए हो कोई फर्क नहीं पड़ता | पहली बार खोलने में सबकी हालत ख़राब हो जाती है, कितनी भी खेली खाई गांड हो उस गांड के छेद के कसे हुए बाहरी छल्ले को खोलते समय ऐसा लगता है जैसे किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो | भीषण दर्द की मार जांघो पिंडलियों चुताड़ो में घर कर जाती है | रोहिणी शुरूआती दर्द के लिए तैयार हो रही थी | उसे फुल वाइब्रेशन में वाइब्रेटर को अपने चूत दाने से सटा लिया | रीमा ने एक पैर बात बाथ टब की कोर पर रखा और एक नीचे | उसने रोहिणी के पिछले छेद में दो उंगलियाँ घुसयिया उर चारो ओर घुमाकर उसे खोलने लगी फिर उसके खुले हुए मामूली से दरवाजे में लोशन की बोतल का मुहाना घुसेड़ दिया और उसकी पिछली गुलाबी सुरंग को लोशन से भर दिया | उसने ढेर सारा लोशन अपने रबर के लंड पर भी लगाया और बिलकुल रोहिणी के पीछे आ गयी और उसकी गांड के कसे हुए गुलाबी छल्ले पर अपना मोटा तगड़ा रबर का लंड सटा दिया | रोहिणी अपनी गांड मरवाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, रीमा ने भी देरी नहीं करी और मोरे रबर लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया | पहली बार में लंड फिसल गया | रोहिणी बोली - हाथ से कसकर पकड़कर ठेल नहीं टी ऐसे ही रपटता रहेगा |
रीमा ने लंड को कसकर थामा और पूरा जोर लगाकर रोहिणी की गांड के सख्त छेद पर ठेल दिया | रोहिणी की गाड़ भीषण दर्द और जलन से जल उठी | रोहिणी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गयी आआआआआआआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |

उसकी गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती मांसपेशियों बढ़ते दबाव के कारन फैलने लगी, उनसे उठने वाला दर्द से उसके चूतड़ कमर जांघे पिंडलियाँ सब नहा गए | रीमा ने पूरा जोर लगाकर रबर के लंड को छेद से सटाए रखा | गांड के छेद के छल्ले में दरद था लेकिन वो फैलने लगा और रीमा का लंड रोहिणी की गांड में | रोहिणी के जबड़े भिंच गए | रोहिणी दर्द बर्दाश्त करने लगी लेकिन रीमा ने इसका इन्तजार नहीं किया और हल्का सा लंड खीचकर फिर से ठेल दिया | रोहिणी की गांड के मुहाने में बहुत जलन हो रही थी और दर्रीद भी भीषण था लेकिन रीमा नहीं रुकी उसने लंड को अन्मादर बाहर करना जारी रखा उसने चार पांच बार ऐसा किया फिर अपनी कमर हिलाने लगी और इसी के साथ उसका रबर का वो तगड़ा लंड रोहिणी के गांड के छल्ले के हर प्रतिरोध को धराशाही करता हुआ उसकी सुरंग का मर्दन करने लगा |

रोहिणी वाइब्रेटर को कसकर अपने चूत दाने से सटाए हुए थी और अब उसकी गांड में लंड आसनी से आने जाने लगा था | उसके चेहरे की दर्द भरी लकीरे अब गायब हो गयी थी और उसके सख्त भींचे जबड़े अब अपनी पुराणी जगह लौट आये थे | वो सुरुआती दर्द का अहसास अब कम होने लगा था और रोहिणी इस अद्भुद अनोखे वासना के खेल में डूबकर अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करने को तैयार थी | उसने रीमा से स्पीड बढ़ाने को कहा | रीमा ने अपनी कमर के झटके तेज कर दिए और रोहिणी के गांड के छेद ने अपना सारा प्रतिरोध छोड़ते हुए उसकी पिचली सुरंग का पूरा मुहाना खोल दिया था | चिकने लोशन से भरी उसकी गांड के छेद में अब रीमा का लंड सटासट जाने लगा | रीमा को भी हर झटके के साथ उसके चूत दाने पर ठोकर लग रही थी और वो भी सिसकारियां ले रही थी | रोहिणी दोनों जांघो को चिपकाये घुटनों के बल खुद को टिकाये रीमा से अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करवा रही थी | वो और औरत से अपनी गांड मरवा रही थी | अपनी अप्राकृतिक वासनाए जिनकी वो गुलाम बन चुकी थी उनको पूरा करने को अपने ही छोटे भाई की विधवा से अपनी गांड मरवा रही थी | दोनों ही कराह रही थी एक गांड में होने वाले कामुक तीखे दर्द से दूसरी अपने चूत दाने के मसलने से उठने वाली मीठी कामुक तरंगो से | रोहिणी की गांड में रीमा लंड सटासट जा रहा था | दोनों इस अप्राकृतिक वासना में डूबकर खुद की दबी हुई वासना की कामना के सपने को हकीकत बना रही थी |

रीमा ने बाथरूम की दोहरी कराहों की ख़ामोशी तोड़ी - दीदी कैसा लग रहा है |

रोहिणी बस उस तीखे दर्द और अपनी गांड की दीवारों में रीमा के लंड की लगती ठोकरों से उठने वाली तरंगो के भंवर में डूबी हुई थी | इस वक्त उसे रीमा की ये आवाज किसी कर्कश कोयल की तरह लगी | अभी वो बस गांड मरवाना चाहती थी बस उसका सारा ध्यान वही था, उसमे से निकलने वाले दर्द में था, उसमे से निकलने वाली जलन में था उसमे से निकलने वाली कामुक तरंगो में था जो उसकी चूत की दीवारों में भी पिछली सुरंग में लगने वाली भीषण ठोकरों से निकलने वाली कामुकता की दहसत की तरंगो का कंपन भर रही थी |
रोहिणी दर्द की सिसकारियां भरते हुए - मै तो मखमली सेज पर लेती हूँ और मोर के पंखो से मुझे कोई सहला रहा है और मेरे बदन पर मक्खन की हल्की मालिश कर रहा है | ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा की खिलखिलाहट निकल गयी |
रोहिणी चिढ़ती हुई - हां हाँ हंस ले , ले ले मजे, अभी जब मै तेरी चीरूंगी तब देखूँगी | हाथ पाँव पटक पटक कर पूरा मोहल्ला न जगा दे तो कहना | कैसा लग रहा का क्या मतलब है, गांड मार रही है तू मेरी | कभी मरवाई है पहले इससे |
रीमा चुप, उसने कोई जवाब नहीं दिया |
रोहिणी दर्द की सिसकारियो के बीच - अरी हरामन मै तुझसे पूछ रही है करमजली, ऐसे गांड मरवाने के बीच में मुहँ खुलवा रही है कीड़े पड़ेगे तेरी चूत में | बोल न तुझी से पुछा है कभी मरवाई है इससे पहले गांड |
रीमा इतराकर बोली - नहीं, कभी नहीं, ये सब गंदे काम मै नहीं करती |
रोहिणी - गन्दी की बच्ची जब एक मरवाएगी तब तो पता चलेगा इस दर्द में कितना मजा है | आज तक कभी गांड ने जब लंड के दर्शन किये ही नहीं तभी तो बड़ी खिलखिलाहट छूट रही है |
रीमा गंभीर होते हुए - बहुत दर्द हो रहा दीदी, आराम से करू |
रोहिणी उसे डपटते हुए बोली - चुपकर कर करमजली, जो कर रही है वैसे ही करती रह | बहुत बोलती है तू | पक्का है चुदाई के बीच में भी तेरा मुहँ बंद नहीं रहता होगा, जब तक कोई चीखे न निकाल दे |
रीमा सफाई देती हुई बोली - दीदी मै तो बस आपके..........................|
रीमा के धक्के बदस्तूर जारी थे |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी - चुपचाप गांड मार मेरी बस | तुझे क्या लगता है मै यहाँ फूलो की सेज पर सो रही हूँ | गांड में 9 इंची मोटा लंड जा रहा है | तू बस इसी तरह पेलती रह | चुदना ही औरत की नियति है | और जब औरत चुदेगी तो दर्द तो होगा ही ये दर्द तो सबको सहना पड़ता है, जब गांड में जाता है तो और ज्यादा दर्द होता है | जब झटके लगेगे तो दर्द तो होगा ही मीठा तो या कड़वा | यही दर्द में ही तो मजा है री करमजली | रीमा ने झटको की स्पीड बढ़ा दी | रीमा और गहराई तक रोहिणी की गांड ,में लंड पेलने लगी | रोहिणी का दर्द और सिसकारियां भी तेज हो गयी | उसके चूत दाने में हो रहे वाइब्रेशन से उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी | अब रोहिणी पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी | उसकी आवाज में कंपकपाहट थी और उसके शरीर भी स्थिर नहीं था | रीमा ने अपनी हाथो से कसकर उसे थामा और दनादन उसकी गांड में रबर का लंड पेलने लगी | रोहिणी के मुहँ से दर्द भरी सिसकारियां फूटने लगी | रीमा समझ गयी अब बस दीदी जल्दी ही अकड़ने वाली है | उसके अपने एक हाथ को उनके चूत पर रख दिया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ घुसेड दी | बेतहाशा तेजी के साथ उनकी चूत चोदने लगी | रोहिणी के दोनों छेदों में बाहर से हमला जारी था | उसकी चूत की दीवारों में भी कम्पन तेज हो गए थे | रीमा के लंड की ठोकरों से चूत की दीवारे पानी पानी हो रही थी

रोहिणी फिर घूमकर रीमा से चिपक गयी | दोनों एक दुसरे को चूमने लगे

दोनों की सांसे ढलान पर थी | रीमा ने स्ट्रैप भी नहीं उतारा था और उसने शावर फिर से ऑन कर दिया | दोनों एक दुसरे से चिपककर भीगने लगी | उसके बाद दोनों कमरे में आ गयी
खुद को तौलिये से पोछा | और बेड पर लुढ़क गयी | आधी रात बीत चुकी थी | रीमा ने अपना स्ट्रैप उतारा ही था की उसे रोहिणी ने पहन लिया | उसमे उसने एक दुसरे साइज़ का रबर का लंड फिट किया |
फिर रीमा को आकर बांहों में भर लिया | उसको चूमने लगी, उसके चूत दाने को रगड़ने लगी | उसकी चूत में उंगलियाँ घुसाकर उस्क्प चोदने लगी | रीमा का मुहँ खुल गया और वहां से बस मादक सिसकारियां फूटने लगी |

रोहिणी आदेश देती हुई - चल तैयार हो जा, निकालती हूँ तेरा डर अब ठीक से |
रीमा मासूमियत से - दीदी मैंने क्या किया है |
रोहिणी - अपनी बारी आई तो देखो बड़ी मासूम बन रही है, अभी कुछ देर पहले कैसे हचक हचक के धक्के लगा रही थी, पूरी गांड चीर के रख दी मेरी |
रीमा - वो तो आपने कहा था करने के लिए |
रोहिणी - बड़ी आज्ञाकारी है न तो अब भी मेरी बात मान ले | चल घोड़ी बन जा |
रीमा न नुकुर करती रही लेकिन रोहिणी के आगे उसकी एक नहीं चली | रोहिणी उसकी चूत दाने को मसलते मसलते उसको उल्टा कर दिया | उसके बाद खुद पीछे से आ गयी | रीमा के चुताड़ो को हवा में ऊपर उठा दिया और अपने लंड को चिकने लोशन से सरोबार करने लगी |
रीमा कुछ कहना चाहती थी लेकिन रोहिणी सुनने को तैयार ही नहीं थी | उसके चूत दाने को मसलते मसलते उसकी गांड पर उंगली फिराने लगी और फिर एक उंगली उसकी गाड़ में घुसाने लगी | रीमा ने गांड के छेद को सिकोड़कर और कस लिया |
रीमा - दीदी मेरी बात तो सुनो, प्लीज दीदी वहां नहीं, वहां कभी नहीं गया है | प्लीज दीदी मान जावो |
रोहिणी चुपचाप अपने काम में लगी थी | जब उसने देखा रीमा ने गांड का छेद पर अपनी कसावट और बढ़ा दी है जिससे की उसकी उंगली का भी घुसना मुश्किल हो गया है तो उसने रीमा के चूत में अपना रबर का लंड घुसेड दिया और उसे चोदने लगी | रीमा को इसकी आशंका बिलकुल नहीं थी उसकी चूत भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी | रीमा के मुहँ से हल्की चीख निकल गयी - आआआआआआआआआआ आअऊऊऊऊऊउ ईईईईईईईईईइ च्च्च्चच्च्च्छच्च्च्क, आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हहओह माय गॉड, दीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदी प्लाज जजजजजजजजजज | आअहाआअहाआह्ह |
रोहिणी के धक्के उसके लंड घुसाते ही चालू हो गए | रीमा कराहने लगी | उसकी चूत को खुलने में टाइम लगा और इसलिए उसकी चूत की दीवारे दर्द और जलन से तड़प उठी | उसने मुट्ठियाँ भींच ली और दर्द के सामन्य होने का इन्तजार करने लगी |

रोहिणी - मुझसे बदमाशी करेगी तो ऐसे ही दर्द से तड़पती रहेगी | चल अब गांड का छेद ढीला कर वरना अभी ठोकर मार मार कर तेरी बच्चेदानी सुजा दूँगी |
रीमा समझ गयी दीदी से चालाकी करने का कोई फायदा नहीं जो उन्होंने ठान लिया है वो करके मानेगी | मैंने उनकी गांड मारी है अब आज मुझे नहीं लगता मेरी गांड कुंवारी बच पायेगी | फिर भी रीमा इत्ती आसानी से हार मानने वालो में नहीं थी |
रीमा - दीदी यही करती रहो न |
रोहिणी - चुप कर करमजली |
रीमा - दीदी आप मुझे क्यों दर्द से तड़पता देखना चाहते हो, इसका मतलब आप मुझे प्यार नहीं करते हो |
रोहिणी - पगली ये ड्रामा किसी और पर ट्राई करना, मुझ पर काम नहीं करेगा |
रीमा - आप मेरे पिछवाड़े के पीछे क्यों पड़ गयी हो, आप भी मर्दों की तरह मुझे रुलाना चाहते हो बस |
रोहिणी इस बार गंभीर हो गयी - नहीं पगली, मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, इसीलिए तेरी गांड को छुते ही तेरे मुहँ से निकलने वाली सिसकारियां मैंने देखि है | मै बस तेरी वो प्यास बुझाना चाहती हूँ | पहली बार है इसलिए दर्द तो होगा ही, लेकिन जब चूत चुदवाई थी तब भी तो पहली बार किया था | तब नहीं दरी तो अब क्यों डर रही है | मै एक औरत हूँ तेरा दर्द समझ सकती हूँ क्योकि मैंने भी उसे जिया है | बस तू हिम्मत न हार, बाकि सब मुझ पर छोड़ दे |
रीमा छुप रही, अब वो निरुत्तर थी |
रोहिणी - तुझे अपनी दीदी पर भरोसा नहीं, बोल न |
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद - पूरा भरोसा है आप दीदी लेकिन मै ये नहीं कर सकती |
रीमा - तुझे करने के लिए बोल कौन रहा है, बस मेरी लाडली बनकर मेरी बात अच्छे से मानती जा, सब अपने आप हो जायेगा |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी ने रीमा की चूत में तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए और अपनी उंगली रीमा की गांड में घुसाने लगी | रीमा के चुताड़ो के निचले हिस्से की दरार घाटी में एक अजीब सी सनसनाहट हुई और उंगली उसकी पिछली सुराग के इस्पाती दरवाजे को चीरने लगी | धीरे धीरे रोहिणी की उंगली रीमा की वर्जित सुरंग के इलाके को खोलने लगी | रीमा के मुहँ से उन्न्न्नन्न आननं की आवजे निकल रही थी
रीमा के बदन को वासना की तपती भट्टी बनाने के लिए उसकी चूत में दनादन रोहिणी अपना लंड पेल रही थी |
कुछ देर बाद रोहिणी ने रीमा की गांड में जब दूसरी उंगली घुसाई तो रीमा कराह उठी | उसके मुहँ से आआआआह्ह्ह्ह की एक लम्बी कराह निकली | रोहिणी को बहुत जोर लगाना पड़ा तब जाकर उसकी दोनों उंगली का पोर उसकी गांड की सुरंग के गुलाबी इस्पाती सख्त पहरेदार की जकड़न में फंस गयी | न उंगलियाँ आगे जा रही थी न पीछे | उंगलियों के पोर वही जाम हो गए थे | गांड के छल्ले की सख्त जकड़न ने उन्हें वही दबोच लिया था | रोहिणी बस हाथ हिलाने लगी, जिससे गांड का छल्ला थोडा बहुत आगे पीछे हिलाने लगा और उसके साथ रीमा के चुताड़ो की घाटी का मांस भी हिलाने लगा |

रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई | उसका मोटा लंड रीमा की चूत में धंसा था | उसके हाथ रीमा के चुताड़ो को थामे थे | रोहिणी ने रीमा के रसभरे गुलाबी ओठ अपने मुहँ में भर लिए और उसके ओंठो को कसकर चूमने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी और नीचे से त्तेजी से कमर हिलाकर उसको चोदने लगी | वो पहले जल्द से जल्द रीमा के बदन को गरम करना चाहती थी लेकिन अपनी ही चिंता में दुबली हुई पड़ी थी इसलिए उसके बदन में वासना की गरमी नहीं चढ़ रही थी | वो निश्चित नहीं थी की रोहिणी क्या करने वाली है, क्या सचमुच उसकी गांड मारने वाली है या बस सुभारम्भ करेगी और फीता काटकर उसकी गांड को बक्श देगी | अब उनसे पूछना भी व्यर्थ था |
इसलिए रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई और उसको जोर जोर से कमर हिलाकर चोदने लगी |
रोहिणी रीमा के कान में फुसफुसाई - अपने मन से डर निकाल दे बस चुदाई के मजे ले, सोच रही तेरी गांड का नथ उतारने का प्रोग्राम किसी और दिन का रखु | अब चिंता में दुबली होना बंद कर और अपनी चूत में लंड की ठोकरों का मजा ले |
रीमा की तो जैसे जान में जान आई | उसके गुलाबी ओंठ खुदबखुद ही रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | रोहिणी उसके स्तनों को मसलने लगी | रीमा अपने ही चूत दाने को रगड़ने लगी | इतने में रोहिणी ने रीमा को पलट कर अपने नीचे कर दिया और उसे हचक हचक कर चोदने लगी |

रीमा ने भी अपनी जांघे फैला दी | रोहिणी की ट्रिक काम कर गयी थी | रीमा अब चुदाई से मदहोश होने लगी | य्सके हाथ रोहिणी की पीठ पर आकर जैम गए | उसके ओंठ अभी भी रोहिणी के अधरों का रस पान कर रहे थे | दोनों जिस्म फिर से गरम होकर वासना की भंवर में गोते लगाने लगे और रीमा की चूत में रोहिणी का लंड सटासट जा रहा था | रीमा के मुहँ से हर झटके के साथ लयबद्ध सिसकारियां फुट रही थी | रीमा उत्तेजना की सीढियां पार करते करते अब वासना की भंवर में गहराई तक गोते लगाने लगी थी |
रोहिणी उसकी छाती पर अपनी छाती रगड़ रही थी, दोनों के उन्नत ठोस सुडौल उरोज एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे | उनकी चुंचियां आपस में रगड़ खाकर तनकर सख्त हो गयी थी | रोहिणी ने अपना एक हाथ रीमा की पीठ के नीचे से निकाला और रीमा की जांघ से नीचे खिसकाते हुए उसकी गांड के छेद के पास ले गयी | रोहिणी ने रीमा की चूत में लगाने वाले धक्के हलके कर दिए | उसने दो उंगलियों के उपरी सिरे को आपस में चिपकाया और उसकी चूत से बह रहे रस से उनको गीला किया और फिर रीमा के हलके भूरे गुलाबी गांड के छेद पर उसे गोल गोल घुमाने लगी | बीचे में जोर से दोनों को घुसेड़ने की कोशिश की लेकिन एक ही पल बाद फिर से घुमाने लगी | रोहिणी के उंगलियों के पोर का सुखद स्पर्श रीमा की गांड के जब सवेदनशील इस्पाती जकड़न वाले गांड के छेद से हुआ तो अपने आप ही उससे उठने वाली तरंगो का अहसास रीमा के पुरे बदन को होने लगा | रोहिणी ने रीमा की गांड पर उंगलियाँ फिराना तेज कर दी |
उनसे उठने वाली सनसनाहट रीमा के शरीर की बेचैनी बढ़ाने लगी | रोहिणी ने अचानक से उंगलियाँ घुमाना बंद कर दिया और दोनी उंगलियाँ उसकी गांड के सख्त पहरेदार की जकड़न को खोलने के लिए उसकी गांड के छेद में घुसा दी | पहरेदार ने सख्ती बढ़ाई लेकिन इस बार रोहिणी तेज निकली और उसकी उंगलियाँ एक एक पोर भर रीमा के गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती जकड़न को चीरती हुई रीमा के गांड में घुस गयी | रीमा हलके दर्द से सीत्कार उठी - आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह | रोहिणी ने उंगलियों पर और जोर डाला और पोर भर और उंगलियाँ रीमा की गांड में घुसा दी | उसके गांड के सख्त छल्ले की मांसपेशियां खिचने लगी और तीखा सा दर्द पैदा करने लगी | रोहिणी का लंड रीमा की चूत में बराबर लयदार झटको के साथ अंदर बाहर हो रहा था | रोहिणी की उंगलियाँ रीमा की गांड में फंस गयी थी, बाहर तो निकल सकती थी लेकिन अन्दर जाना अब मुश्किल लग रहा था | ऊपर से गांड के छल्ले की सख्ती बढ़ती जा रही थी | रीमा का शरीर भी स्वाभाविक रूप से गाड़ को चुताड़ो को सिकोड़कर और सख्त बनाए दे रहा था | रोहिणी ने रीमा के चूत दाने की मसलना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ की दो उंगलियाँ वही रीमा की गाड़ में फंसाए रखी | कुछ देर बाद जब उसने उंगलियों को हिलाना चालू किया तो रीमा के मुहँ से भी दर्द की कराह निकलने लगी | उसकी गाड़ के मुहाने में हल्की जलन और हल्का दर्द था, उससे उठने वाली सनसनाहट अब रीमा के दिलो दिम्माग तक सीधे जाने लगी थी | रीमा दर्द से कसमसा रही थी रोहिणी ने उंगलियों का दबाव और ज्यादा बढाया तो रीमा कराह उठी | रोहिणी को लगा अभी नहीं तो कभी नहीं, उसने रीमा की चूत में ठोकरे लगानी और तेज कर दी | उसने अपनी उंगलियों की बाहर निकाला और मुहँ की ढेर सारी लार उसपर टपका कर उन्हें आचे से गीला किया और फिर से रीमा की गांड में घुसेड दिया | इस बार रीमा के मुहँ से निकली सिसकारी ने रोहिणी की हिम्मत बढ़ा दी | रोहिणी ने रीमा की गांड के पहरेदार की सख्त जकड़न के बावजूद अपनी उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू किया ताकि उसका छल्ला कुछ नरम हो सके और उसमे लंड घुसने की गुंजाईश बन सके |जिसकी गांड के बार खुल चुकी हो उसे इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन रीमा की पिछली सुरंग आजतक कोरी थी और उसका पहरेदार बहुत सख्त | रोहिणी भी जिद्दी थी उसने भी आज पहरेदार को हराने का फैसला कर लिया था | पहरेदार को रीमा की गांड का छेद खोलना ही होगा, उसे अपनी जकड़न नरम करनी ही पड़ेगी | रोहिणी की उंगलियाँ तेजी से रीमा की गांड में अन्दर बाहर होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी मोटी इलास्टिक छल्ले का सख्त कसावट उसकी उंगलियों को कसे ले रहा था | उसकी उंगलियाँ बहुत ही कसे हुए सकरे छेद में अन्दर बाहर हो रही थी |

इधर रोहिणी की कमर तेजी से रीमा की चूत की चुदाई कर रही थी | रीमा चूत और गांड दोनो की कामुक सवेदनाओ में फंसकर किर्तव्य विमूढ़ सी हो गयी | उसने सब कुछ रोहिणी पर छोड़ दिया था | उसे लग रहा था वो जो भी करेगी वो सही ही करेगी |

रोहिणी को लगने लगा था अब उंगलियाँ रीमा की गांड के छेद के लिए नाकाफी है | उंगलियों ने रीमा के गुलाबी गांड के सख्त इस्पाती कसावट वाले मुहाने की बस दरार भर खोली थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ उंगलियाँ कर पाने में असमर्थ थी | रोहिणी रीमा के ऊपर से एक करवट आ गयी और उसने रीमा को पीछे से जकड लिया | उसकी एक जांघ ऊपर को उठाकर उसकी चूत और चूतड़ घाटी का इलाका पूरा खोल दिया | रीमा की चूतसे लंड निकलते ही रीमा का खुद बखुद उसके चूत दाने और चूत पर चला गया | रोहिणी ने रीमा के पीछे से आकर पोसिजन ली और फिर अपने रबर के लंड को गाढे चिकने लोशन से सरोबार किया | फिर उसने रीमा की उठी जांघ को कसकर थम लिया | उसका एक हाथ रीमा की गर्दन के नीचे था और उसे ऊपर खिसकने की हालत में उसे कसकर जकड़कर स्थिर रखने की स्थिति में था |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी और रीमा दोनों तेजी से हांफ रही थी | रीमा इसलिए हांफ रही थी क्योंकि उसे ठोकर मार कर लंड रोहिणी की सख्त गाड़ में पेलना पड़ रहा था और रीमा का लंड इतनी तेजी से रोहिणी की गांड में आ जा रहा था की उसकी सांसे खुदबखुद तेज हो गयी थी | रीमा के लंड के करारे झटको से आखिर रोहिणी बिखर ही गयी | उसकी चूत की दीवारे झरना बनकर बहने लगी | उसका शरीर तेजी से कांपने लगा, उसकी गांड में एक अग्ग तरह की सनसनाहट दौड़ रही थी जो उसकी जांघ और कमर दोनों ही हिलाए पड़ी थी | उसके मुहँ से इस चरम सुख की तेज आवजे निकल रही थी | उसका पूरा शरीर अकड़ गया और फिर ढीला पड़ता चला गया | उसके हाथ पाँव सब की ताकत जैसे ख़तम हो गयी | रोहिणी निढाल हो गयी | रीमा ने उसे कसकर जकड लिया नहीं तो बाथटब में गिर जाती | रीमा का लंड अभी भी उसकी गाड़ में धंसा था | उसने गर्दन घुमाकर रीमा के ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए | ये रीमा को एक थैंक्यू मेसेज था |

रोहिणी ने अपना गीला लंड रीमा के गांड के छेद से सटाया | रीमा के मुहँ से एक लम्बी साँस निकल गयी | रोहिणी उसके कान में बोली - खुद को ढीला छोड़ दे और दिमाग में कोई टेंसन मत ला, पूरी तरह से रिलैक्स हो जा | हाथ पाँव सब ढीला छोड़ दे, बाकि मै संभाल लूंगी |
रीमा की हालत ऐसी नहीं थी की वो अभी रोहिणी से सवाल जवाब कर सके, उसका गांड न मारने का वादा उसे याद दिला सके | रीमा ने खुद को ढीला छोड़ दिया | रोहिणी ने पूरी तरह से कसकर लंड को जकड़ लिया और पूरा जोर लगाकर रीमा की गांड में ठेल दिया | जीतनी तेजी से रोहिणी ने लंड ठेला था उतनी तेजी से वो रीमा की गांड के सख्त पहरेदार को ठोकर मारकर चूत की तरफ फिसल गया | रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा ने दोनों पाँव सिकोड़ लिए, उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
रोहिणी समझ गयी, रीमा के छल्ले को और ज्यादा फैलाना होगा नहीं तो लंड ऐसे ही रपटता रहेगा | उसने लंड के सुपाडे की चिकनाई पोच दी और फिर से उसे रीमा की गांड से सटा दिया | इस बार रोहिणी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने पूरा जोर लगाया , रोहिणी के लंड को रोकने के लिए लेकिन रोहिणी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | उसकी मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | रीमा की गांड का पहरेदार ने हथियार डाल दिए और रोहिणी के लंड का सुपाडा रीमा की बेहद कसी गांड के छल्ले को चीरता हुआ अन्दर घुस गया |

जैसे ही लंड रीमा की गांड में घुसा उसके पुरे शरीर में सिहरन और कंपकपी दौड़ गयी | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | ऐसा लगा किसी ने उसके पिछवाड़े में नस्तर घुसेड़ कर उसे चीर दिया हो | उसके गांड के छल्ले में सिर्फ ही नहीं जलन भी बहुत तेज होने लगी | रीमा अपनी पिछवाड़े में हुए इस आक्रमण से बहुत तेज चीख पड़ी | रोहिणी ने खुद को स्थिर कर लिया और इससे पहले रीमा हाथ पांव पटकना शुरू कर दे उसे कसकर जकड लिया |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |

दर्उद इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ फ़ाआआआआआआआआआआआआआआआअट गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई
मीईईरीईइ गाआआआआआआआआआन्न्न | आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह माआआआअरररररररररररररमाँ दीदी | बहुत जलन हो रही है | ऐसा लग रहा हिया किसी ने चाकू भोक दिया हो |
रीमा दर्द से अपने पैर पटकने लगी | रोहिणी ने कसकर उसे थामे रखा | रीमा - दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज दीदी | रीमा रोने लगी | रोहिणी उसके पुचकारने लगी सहलाने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी |
रोहिणी - बस बस हो गया मेरी परी, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख पूरा सुपाडा तेरी गांड में धंसा हुआ है |
रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार रोहिणी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी |

रीमा - दीदी बहुत दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज |
रोहिणी उसे थामे वैसे ही लेती रही लेकिन रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | रोहिणी ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | रोहिणी ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे पुचकारती रही, सहलाती रही और थामे रही | धीरे धीरे रीमा का दर्द कम होने लगा, उसका सिबुकना बंद हो गया और चूत दाने को मसले जाने से उसके ठन्डे पड़ गए शरीर में कुछ गर्मी लौटी | रोहिणी ने अपनी कमर हल्की सी हिलाई और दो बार उसकी गांड पर ठोकरे मारी और रीमा की गांड का तीखा दर्काद और भीषण जलन फिर से लौट आई | रोहिणी की कमर फिर थम गयी | रोहिणी उसे फिर से पुचकारती रही, सहलाती रही और बहुत धीमे उसकी गांड में लंड को अन्दर और बाहर खिसकाती रही | उसकी गांड में अभी बस सुपाडा ही घुसा था और रोहिणी पूरी कोशिश में थी कम से कम आधा लंड तो उसकी गांड में घुसा ही दू भले ही चोद न पाऊ | ताकि अगली बार लंड लेने के लिए गांड कुछ हद तक तो तैयार हो | रोहिणी आइस्ते आइस्ते अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा रही थी जिससे वो उसके सुरंग की गहराई नाप सके लेकिन उसकी सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के नासूर बन गया था और हल्की सी हरकत होने से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा कर देता था | दर्द से रीमा के चूतड़ जांघे और पिंडलियाँ सब बराबर पस्त थे | रोहिणी पूरी कोशिश में थी की उसका दर्द कम हो जाये तो उसकी गांड को थोड़ा रवा किया जाये लेकिन रीमा का जख्मी पहरेदार भी बहुत मुस्तैद था | रोहिणी की जरा सी हरकत से रीमा की जान हलक तक खीच लाता था | रोहिणी ने लंड का सुपाडा रीमा की गांड के गुलाबी छेद से निकाला और उसमे ढेर सारा गाढ़ा चिकना लोशन भर दिया | ये चिकनाई के साथ साथ दर्द भी कम करता था | रीमा को जल्दी सी राहत की साँस मिलने लगी |
रोहिणी ने फिर से लंड उसकी गांड में सटा दिया और अन्दर घुसेड़ने लगी | रीमा उसकी सख्त जकड़न में थी इसलिए हिलाने डुलने का सवाल ही नहीं था | आइस्ते से रोहिणी फिर से उतना ही लंड घुसेड़ दिया और जोर देकर और ज्यादा अन्दर को ठेलने लगी | लोशन से रीमा को बहुत राहत पंहुची थी लेकिन उसकी गांड के मुहाने पर दर्द और जलन बराबर बना हुआ था | हालाँकि अब उसका छेद इतना खुल गया था की वहां से उसकी गुलाबी सुरंग और उसकी सटी दीवारे नजर आने लगी थी | रोहिणी कमर हिलाने लगी | रीमा की गांड के छल्ले की में फंसा उसका लंड बस हलका सा आगे पीछे होने लगा | बीच बीच में रोहिणी तेज झटका मार देती तो रीमा चीख उठती | रोहिणी का सब्र अब टूटने लगा था |
रोहिणी - सुन कट्टो लगता है तेरा छेद बहुत जिद्दी है, लगता है खुलेगा नही इतनी आसनी से | रहने दे इसके किस्मत में लंड नहीं है लगता है |
रीमा - दीदी अब इतना कुछ बर्दाश्त कर लिया है तो थोडा और कर लूंगी | कम से कम एक बार पूरा लंड तो घुसेड़ दो |
रीमा की बातो से रोहिणी की हिम्मत बंधी - ठीक है तू कहती है तो एक बार तरी करती हूँ |
रोहिणी ने जोर देकर लंड को पूरा अन्दर तक ठेलने की कोशिश की और रीमा की गांड में फिर से वही चीरने वाला पुराना दर्द लौट आया | रीमा दर्द से दोहरी हो गयी | उसकी मुठियाँ भिंची हुई थी, जबड़ो को भींचकर वो दर्द को बर्दास्त तो कने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था उर उसकी चीखे निकलने लगी |
रोहिणी थम गयी - रहन दे छुटकी, फिर कभी देखेगें | मै तो आती ही रहूंगी |
रीमा - दीदी मै क्या करू बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे कोई चुताड़ो को चीर कर दो किये दे रहा हो |
रोहिणी - कोई नहीं पहली बार ऐसा की लगता है जैसे किसी ने चाकू लेकर बीच से चूताड़ काट दिए है और उसमे चाकू रख दिया हो | तूने कोशिश तो पूरी करी |
रीमा - दीदी हमने कोशिश करी | एक बार हचक के पेल दो जो होगा देखा जायेगा | मै बर्दास्त कर लूंगी |
रोहिणी - पागल हो गयी है क्या, कही कुछ आगे पीछे हो गया तो |
र्रीमा - अब क्या होगा, जो होना था वो हो गया, एक बार आप जोर लगाकर देखो तो सही |
रीमा पेट के बल बिस्तर पर उल्टा लेट गयी | रोहिणी उसके पीछे आ गयी | रोहिणी ने उसकी गांड पर अपना लंड सटा दिया | रीमा ने कसकर बिस्तर को भींच लिया और पुरे शरीर को कड़ा कर लिया |
रोहिणी - शरीर को ढीला छोड़ पगली वरना और ज्यादा दर्द होगा |
रीमा - दीदी आप बस लंड पेलो |
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09-02-2021, 04:04 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी के अपनी कमर पर जोर डाल कर लंड को रीमा की गाड़ में घुसेड दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने उसी पहले की तरह ही जकड लिया |
रीमा - दीदी पूरा जोर लगाकर १० -20 बार ठेल दो, फिर आगे का आगे देखूँगी |
रोहिणी ने भी पूरा जोर लगाकर झटका मारा और रबर का चिकनाई से सना लंड रीमा के गांड के दर्द से भरे जलते मुहाने को चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया | ऐसा लग रहा था जैसे पहले किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो और अब उस पर तेज़ाब डाल दिया हो | उसकी गांड में भीषण जलन होने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी ने आग लगा दी हो | रीमा दर्द और जलन से लगभग बेहोश होने की कगार पर पहुच गयी |
रीमा - रुको मत दीदी |

रोहिणी ने रीमा की कमर पर कसकर हाथ जमाये और दे दनादन दे दनादन उसकी गांड को चीरने लगी | जलन बढ़ती गयी और दर्द बर्दाश्त से बाहर होता चला गया लेकिन एक ही साथ में लगाये गए १5 -20 झटको से लंड पूरा का पूरा रीमा की गांड में समां गया | रीमा की दर्द से हालात ख़राब होने लगी | रोहिणी ने झट से लंड बाहर निकाल लिया और रीमा को अपनी बांहों में समेत लिया |
रोहिणी - बस हो गया मेरी कट्टो चूत रानी | तू बहुत हिम्मत वाली है तूने एक ही रात में ये कर दिखाया |
रीमा के चुताड़ो के बीच बेतहाशा जलन और दर्द हो रहा था | रोहिणी ने रमा की गांड में एक ठंडा वाला चिकनाई भरा जेल भर दिया | जिससे उसकी जलती गांड को कुछ राहत मिली | रोहिणी ने उसे कसकर बांहों में भर लिया और उसकी आँखों से बह रहे आंसू पोछने लगी अपनी गुलाबी अधरों से उन्हें पीने लगी | ऐसा लग रहा जैसे आंसू बनकर निकलने वाले रीमा के दर्द को रोहिणी पी रही हूँ | रीमा भी अपनी दीदी रोहिणी की बांहों में समाती चली गयी | आज रोहिणी ने उसके पिछले दरवाजे को खो दिया | पता नहीं कितनी कामनाये कितनी वासनाए जो आज तक बस मन के किसी कोने में दबी हुई थी, उनके अब पूरी होने का रास्ता साफ़ हो गया था | रोहिणी ने स्ट्रैप निकाला और फिर से रीमा को बांहों में भर लिया |

अगली सुबह दोनों देर तक सोती रही | अनिल कई बार रीमा के बेडरूम तक आये और वापस लौट गए | दरवाजे पर नॉक करने की हिम्मत नहीं हुई | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा था अनिल के मन में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी | फिर हारकर वो रोहित के घर चले गए ताकि कम से कम उनका मन इधर उधर भटक सके | दोनों रात में बहुत लेट सोयी थी इसलिए सुबह १० बजे तक सोती रही | रोहिणी की नीद पहले खुली | उसने कपड़े पहने और फ्रेश होने चली गयी | जब वापस आई तो देखा रीमा की आंख भी खुल गयी है |
रोहिणी - क्या हाल मेरी छुटकी का |
रीमा अलसाते हुए - आपने तो रात में जान ही निकाल दी, दर्द और जलन अभी तक हो रही है |
रोहिणी - कोई नहीं, मै तुझे अभी जादुई क्रीम देती हूँ सब ठीक हो जायेगा |
रोहिणी ने उसे उसी की ड्रोर से एक क्रीम निकाल कर दी, फिर रीमा गाउन डालकर फ्रेश होने चली गयी |
रोहिणी ने दरवाजा खोला और बाहर देखा चारो तरफ देखा अनिल कही दिखाई नहीं दिए |
उन्होंने अनिल को फ़ोन मिला दिया | अनिल तो जैसे फ़ोन की राह ही देख रहे थे झट से फ़ोन उठाया |
रोहिणी - कहाँ चले गए, मै जरा सा उठने में लेट क्या हो गयी तुम तो फुर्र ही हो गए |
रीमा को देखने की लालसा में अनिल कुछ नहीं बोले - बस आ गया | इतना कहकर फ़ोन काट दिया |
कुछ ही देर में अनिल रीमा के घर पहुँच गए |
रोहिणी - यहाँ कोई नौकर तो है नहीं जो नाश्ता बनाएगा, तुम हो की मेरी ओट पाते ही फुर्र हो लिए |
अनिल - अरे तुम सोकर नहीं उठी थी इसलिए बच्चो के पास तक चला गया था | बस अभी बनाकर लाता हूँ |
तभी अनिल को अपने बाथरूम से रीमा निकलती दिखाई दी |
अनिल के न चाहते हुए भी उनके मुहँ से निकल गया - कैसी हो रीमा |
रीमा हल्का सा मुस्कुरायी - बढियां हूँ जीजा जी |
अनिल - क्या बात है तुमारी हालत देखकर लगता है तुमारी हालत ठीक नहीं है |
अनिल के सवाल से रीमा सकपका गयी, रीमा - अरे ऐसी कोई बात नहीं है जीजा जी मै ठीक हूँ |
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