10-23-2020, 02:32 PM,
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desiaks
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RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
डगमोरे ने दरवाज़ा खुलने और बंद होने की आवाज़ सुन कर आँखें खोल दी
और उठ बैठा….दरवाज़ा बंद कर के फोन की तरफ आया….डेविड के नंबर डाइयल किए और माउत-पीस में बोला….मैं डगमोरे बोल रहा हूँ….डेविड को इत्तेला दो….वो रिसीवर कान से लगाए खड़ा रहा….
और थोड़ी देर बाद डेविड की आवाज़ सुन कर बोला….तुम ने अच्छा नही किया….!
क्या अच्छा नही किया….?
लिफ़ाफ़ा मेरी जेब से निकाल कर अच्छा नही किया डेविड….
अगर तुम दूसरी औरत की निशान देहि कर दो तो वो तुम्हे वापस मिल सकता है….मेरे किसी काम का नही….तुम्हारी हैसियत ही क्या है….मैं तुम्हे ब्लॅकमेल करूँगा….!
मैं दूसरी औरत की निशान देहि नही करूँगा….
दूसरी तरफ से डेविड का ज़हीरिला सा कहकहा सुनाई दिया….
और फिर….आवाज़ आई….अगर वो कोई औरत होती तो तुम ज़रूर निशान देहि कर देते….!
क….क….क्या मतलब….? डगमोरे हकलाया
बनने की कोशिश ना करो….डेविड की दहाड़ सुनाई दी
तुम पता नही क्या कह रहे हो….?
वही जो तुम समझ रहे हो….
डगमोरे का सीना धोकनी की तरह फूलने-पिचकने लगा
हेलो….तुम क्या सोचने लगे….
क….क….कू….कुछ नही….डगमोरे बोला
फिर मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि लिफ़ाफ़ा किस ने भेजा था….
और क्यूँ भेजा था….!
डगमोरे की आवाज़ फिर हलक में अटक गयी….
वो तुम्हे ब्लॅकमेल कर के मेरे बारे में मालूमात हासिल करना चाहता था….जिस में वो किसी हद तक कामयाब भी रहा है….!
पता नही….तुम….
शट-अप….खुद बता नही सकते….मुझसे सुन लो….फिलहाल उसने तुम से मेरा पता पूछा है….
और तुम ने सही इत्तेला दी है…!
इल्ज़ाम….डगमोरे फँसी हुई आवाज़ में बोला
बकवास मत करो….तुम ने उसे मेरे ठिकाने का पता बताया है….
किसे बताया है….?
ढांप को….
डगमोरे के हाथ से रिसीवर छूट गया….जिस्म का रेशा-रेशा काँपने लगा…!
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फोन की घंटी बज रही थी….रहमान साहब ने रिसीवर उठाया
दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….आप को कोई ऐतराज़ तो नही होगा….?
किस बात पर….रहमान साहब की पैशानी पर शिकन पड़ गयी
हंस की बेटी रस्म रिवाज देखना चाहती है….
क्या फ़िज़ूल बात कर रहे हो….यहाँ रुसूमात नही होंगे….
वो तो हो भी जाएँगे…. और आप को कानो कान खबर भी नही होगी….!
मगर….हंस की बेटी….यानी….वही लड़की जो मलइक़ा को ले गयी थी….?
जी हाँ वही….
वो मिलती है तुमसे….?
वो देखिए मैने उसकी जान बचाई थी….
और तुम उसे घर लाओगे….?
स्वार्थ….मैं बाद में बताउन्गा आप को….!
लेकिन….मैने सख्ती से मना कर दिया है….रुसूमात नही होंगे….!
तो फिर….शायद….आप दहेज भी ना दें….
क्यूँ कि यह भी रस्म ही है….!
कतई नही….इसकी बजाए कॅश देने का इरादा है….!
तब फिर तो बारात को खिलाने की ज़रूरत नही….
क्यूँ कि यह भी तो रस्म ही है….दस-दस रूपीए के नोट बारातियों को थमा दूँगा….जहाँ जी चाहे जा कर खा ले….!
बको मत….मैं एक ज़रूरी काम कर रहा हूँ….
सायरा को फोन पर बुला दी जिए….
अच्छा….रहमान साहब ने रिसेवर मेज़ पर डाल दिया….
और मुलाज़िम को आवाज़ दे कर कहा कि सायरा को सूचित कर दे….सायरा उनकी भतीजियों में एक थी….आदमी उसूल पसंद थे….
लेकिन इस ख्वाहिश को किसी तरह ना दबा सके कि दूसरी तरफ से इन्स्ट्रुमेंट पर होने वाली गुफ्तगू ना सुनते….
और फिर….जब मामला इमरान का रहा हो….रिसीवर उठा कर कान से लगाया
दूसरे इन्स्ट्रुमेंट पर सायरा कह रही थी….कहाँ भाई जान ना गाना ना बजाना….ऐसे सूना-सूना है जैसे शादी नही चोरी हो रही हो…. और ढोलक की बात कर रहे हो….!
ढोलक तो है ना….? इमरान की आवाज़ आई
है….छिपा कर रख दी गयी है….कहीं अंकल की नज़र ना पड़ जाए
तुम फ़िक्र ना करो मैं आ रहा हूँ….जश्न भरपा करने….ओह….यह भी कोई बात हुई….मैं खुद ही ढोलक बजाउन्गा….क्या समझती हो….!
अच्छा भाई जान फ़ौरन आइए….दम घुटा जा रहा है….!
रहमान साहब दाँत पीसते रहे….
दूसरी तरफ से फिर इमरान की आवाज़ आई….तुम लोग डॅडी को ग़लत समझते हो….दरअसल….वो चाहते है कि उनकी मौजूदगी में कुछ नही होना चाहिए….वैसे भी यह है क़ायदे की बात बुज़ुर्गों के सामने हल्ला-गुल्ला अच्छा नही लगता….!
तो फिर हम क्या करे….आज-कल तो क्लब भी नही जा रहे….!
मेरे ढोलक बजाने पर उन्हे कोई ऐतराज़ ना होगा….
और जब तक वो घर में मौजूद रहेंगे खुद ही गाता भी रहूँगा….
फिर जब वो मेरा गाना सुन कर क्लब चले जाएँगे तो तुम लोग महफ़िल संभाल लेना….!
तो फिर आ चुकिए ना जल्दी से….
पहले मेरी बात सुन लो….
सुनाए….
मेरे साथ एक विदेशी लड़की भी होगी….एशिया के रस्मो रिवाज पर किताब लिख रही है….!
अच्छा….अच्छा….वो….
जी नही….उसका नाम कॉर्निला है….!
ज़रूर लाइए….उसे उर्दू तो नही आती….?
जी नही….इतमीनान में रहो….आप लोग उर्दू में ब-आसानी उस पर रिमार्क्स पास कर सकेंगी….
अरे….यह मतलब नही था….
बस मैं यह चाहता हूँ कि उसकी मौजूदगी में रसम रिवाज होने चाहिए….लड़के वालों की तरफ से भी आप ही लोग रस्म अदा करेंगी….
क्यूँ कि लड़के वाले तो हम लोगों से भी ज़्यादा अँग्रेज़ है….!
उन्हे तो पता भी नही कि यहाँ रस्म वग़ैरा हो रहे है….!
क्या फ़र्क़ पड़ता है….अच्छा बस….!
दोबारा सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….
और रहमान साहब ने भी रिसीवर रख दिया….
फिर उन्होने जल्दी-जल्दी लिबास चेंज किया….
और घर से निकल गये….!
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