bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 04:36 PM,
#21
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बिहारी ने लंड का सुपाडा बीना की गान्ड के सुराख मे लगा कर हल्के हल्के दबाव डालना शुरू किया. हल्का हल्का दबाव डालने से और तेल की चिकनाहट से उसका सुपाडा बीना की टाइट गान्ड मे उतारने लगा. बीना दर्द से छटपटाने लगी पर यह दर्द अब तक सहन करने लायक था. जैसे ही लंड का सुपाडा एक दम से उसके गान्ड मे घुसा बीना का सर उछल कर उपर को हुआ और गान्ड पीछे दब गई जिससे बिहारी का लोड्‍ा और अंदर घुस गया. 

बीना: बिहारी बस ऐसे ही आहिस्ता-आहिस्ता उफुफूफफफफफफफफ्फ़. थोड़ा रूको, सांस लेने दो अहााहह.

इस बार बिहारी ने कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई और वहीं रुक गया. वो बीना की गान्ड से हाथ नहीं धोना चाहता था. उसे बीना की गान्ड से बेहद प्यार था. ऐसी फैली हुई गान्ड देख कर एक बार अपने होश खो चुका था लेकिन इस बार वो काफ़ी सावधान था, बीना को थोड़ा रिलॅक्स होते देख कर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और आधा लंड उसकी गान्ड की गहराई मे उतार दिया. बीना का सिर से लेकर कमर तक का हिस्सा कुछ देर हवा मे झूल गया मगर उसने कोई शिकायत नहीं की, शायद उसे भी मज़ा आना शुरू हो गया था. 

बिहारी ने ज़्यादा देर ना करते हुए एक और ज़ोरदार शॉट मारा और जड तक अपने पूरा लंड बीना की तंग गान्ड मे घुसा दिया. बिहारी के बड़े बड़े टटटे बीना की चूत को चूम रहे थे. इस आख़िरी धक्के से बीना की गान्ड मे एक तेज़ दर्द की लहर दौड़ गई मगर इस मीठे दर्द ने उसे स्वर्ग मे पहुँचा दिया और वो एक बार फिर से झड़ने लगी. बीना तो पहले ही बिहारी के चोदने की कला की कायल थी लेकिन आज जिस तरह से बिहारी ने ताक़त और सूझबूझ से बीना की गान्ड मे अपना लंड उतारा था बीना तो जैसे स्वर्ग मे ही पहुँच गई. कुछ देर बाद बीना की गान्ड से सुपाडे तक लंड निकाल कर बिहारी ने एक और ज़ोरदार शॉट के साथ पूरा लंड पेल दिया. बीना तो हर धक्के के साथ आगे को खिसक जाती. बिहारी ने उसकी नाज़ुक गोल गान्ड को अपने हाथो से थाम कर उसकी सवारी करनी शुरू कर दी. बीना के टाइट छेद ने उसका लंड फँसा कर रखा था और उस पर बीना ने अपने सुराख को खोलना सिकोड़ना शुरू कर दिया जिससे बिहारी भी पागल हो उठा और उसने बीना की ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी. बीना मस्ती में कराह रही थी. अगर बिहारी पहली बार ही इतना सयम बरतते हुए उसकी गान्ड चोदता तो अब तक बीना कई बार उसे अपनी गान्ड दे चुकी होती. 

बिहारी जैसा दमदार मर्द पाकर बीना धन्य हो गई थी. वहीं बिहारी भी बीना जैसी हसीन और हाइ सोसाइटी की औरत को पा कर सातवें आसमान पर था. उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे कभी कोई हाइ सोसाइटी की औरत भी मिलेगी, वो तो बस नौकरानियो को चोद कर ही खुश था, बीना जैसी औरत के बारे मे तो उसने सोचा भी नही था.

बीना: अब हमे जल्द ही कुछ करना पड़ेगा ताकि हम सारा माल हथिया सकें, मैं अब तंग आ गई हूँ इस रोज़ की ज़िंदगी से. उमर ढलती जा रही है, अब बस ऐश करनी है. 

बिहारी: काम हो जाने के बाद आशना का क्या करना है? 

बीना: तुम क्या कहते हो?

बिहारी: मैं तो चाहता हूँ कि वीरेंदर की मौत के बाद मैं उसे अपनी रखैल बना कर रखूं, साली बहुत गरम चीज़ है. क्या मम्मे और गान्ड पाई है साली ने. 

बीना: कुत्ता कहीं का, जहाँ हड्डी देखी वहीं लार टपकना शुरू. 

बिहारी: डार्लिंग तुम्हे जलने की ज़रूरत नहीं है, तुम्हारे हिस्से का प्यार तुम्हे मिलता रहेगा. 

बीना: अपने हिस्से का प्यार तो मैं छीन ही लूँगी मगर मुझे इस बात का डर है कि कहीं वीरेंदर का लोड्‍ा लेने के बाद वो वीरेंदर से पहले ही ना मर जाए. उसका साइज़ कोई मामूली नहीं है.

बिहारी: अरे यार तुम बार बार उसके साइज़ को लेकर डर क्यूँ रही हो, कहीं तुम्हे उसे लेने का मन तो नहीं कर रहा. वैसे भी आज तक कोई औरत चुदने से मरी है क्या?

बीना: मैं तो मर ही जाउ उसके साइज़ से. ढीलेपन में भी कोई 6 इंच लंबा और 3.5" मोटा था. मैं यकीन के साथ कह सकती हूँ कि खड़ा होने के बाद कम से कम 8-9" लंबा और 4-4.5" मोटा ज़रूर होगा. आशना की उम्र के हिसाब से यह उसके लिए बहुत बड़ा होगा. हां अगर वो पहले से खेली खाई होती तो फिर डरने की कोई बात नही होती, मगर मुझे यकीन है कि भाई की तरह बेहन भी पूरी कुँवारी है.

बिहारी: फिर तो आशना मेरे किसी काम की नहीं रहेगी.

बीना: क्या तुम सचमुच में आशना को रखैल बना कर रखना चाहते हो.

बिहारी: मैं तो यह सोच कर ही रोमांचित हो जाता हूँ कि एक 20 साल की लड़की जो कि एयिर्हसटेस्स है मेरे नीचे होगी और मैं उसे चोदुन्गा. 


बीना की गान्ड चोदते चोदते बिहारी को करीब आधा घंटा हो चुका था. आशना का ख़याल आते ही वो उसे मन ही मन नंगा करने लगता है और बीना की ज़ोरदार चुदाई शुरू कर देता है. पिछले एक, सवा एक घंटे की चुदाई से बीना बहाल सी हो गई थी. उसमे अब बोलने की हिम्मत भी नहीं बची थी. वो बस गान्ड हवा मे उठाए बिहारी के झड़ने का इंतज़ार कर रही थी. बिहारी की स्पीड से वो समझ गई कि बिहारी करीब है.

बीना: यॅ, कम ऑन, कम ऑन रज्जा, भर दो अपना सारा रस आशना की गान्ड मे( बीना जैसी खेली खाई औरत ने ताड़ लिया था कि बिहारी के मन मे इस वक्त आशना का जिस्म घूम रहा है). मार लो उसकी कुँवारी नरम गान्ड और बना लो उसे अपनी रंडी. 

इतना सुनते ही बिहारी के वीर्य का बाँध टूट गया और वो झर झर करता बीना की गान्ड में अपना लावा उगलने लगा. करीब डेढ़ मिनिट तक उसके लंड से वीर्य निकल कर बीना की गान्ड भरता रहा और फिर उसके बाद पहले बीना बेड पर और फिर उसके उपर बिहारी धडाम से गिर गया. इतनी ठंड में भी दोनो के शरीर पसीने से नहा गये थे. 10 मिनिट तक दोनो अपनी अपनी साँसे ठीक करने में लगे रहे. थोड़ी देर बाद बीना उठी और अटॅच्ड बाथरूम मे घुस गई. उसने अच्छे से अपने आपको को सॉफ किया. गान्ड और चूत को धोया और बाहर आ गई.

बिहारी उसे देखते हुए सोच रहा था कि कैसी किस्मत पाई है उसने पहले तो एक डॉक्टर. मिली चोदने को और अब कुछ ही दिनों मे उसकी झोली मे एक 20 साल की लड़की होगी जिसे वो दिन रात चोदता ही रहेगा. 

बीना बाथरूम से बाहर आने के बाद अपने कपड़े पहनने लगी. बिहारी उसे देखे जा रहा था. एकदम साफ रंग और दाग रहित शरीर की मल्लिका अभी कुछ देर पहले उसके बेड पर नंगी लेटी हुई थी और वो उसे चोद रहा था. उसे अपनी किस्मत पर गुरूर हो रहा था. कपड़े पहनने के बाद बीना ने अपने बॅग से एक पॅकेट निकाल कर बिहारी को दे दिया.

बीना: यह लो और कल से काम शुरू कर दो. वीरेंदर की तरह आशना को भी इस पाउडर की पहले थोड़ी थोड़ी सी डोज ही देना ताकि कुछ ही दिनों में वो इसकी आदि हो जाए और फिर जैसे ही इसकी डोज बढ़ाई जाए तो उसके पास नंगी होकर वीरेंदर के पास जाने के सिवा और कोई रास्ता ही ना रहे. कुछ ही दिनों मे वीरेंदर के दमदार लोड्‍े से तुम्हे एक सील पॅक चूत चुदते हुए देखने को मिलेगी, और हां मुझे सारी रेकॉर्डिंग चाहिए आशना की चूत उधघाटन की.

बिहारी: जो हुकुम मेरी सरकार और उसने वो पॅकेट उससे ले लिया. 

बीना: अभय 15 दिन के टूर पर है, तब तक मैं रोज़ कुछ रातो के लिए तुम्हारे पास आउन्गी तुम्हे अपनी गान्ड देने और अगर इस बीच ही हमारा प्लान काम कर गया तो हम दोनो ही मिलकर उनके मिलन को अपनी आँखों से देखेंगे और रेकॉर्ड करेंगे. 

बिहारी केवल मुस्कुरा कर रह गया आने वाले दिनों को सोच कर. 

बीना 3:30 बजे तक हॉस्पिटल मे अपने रूम मे लेटी हुई आगे के प्लान के बारे मे सोच रही थी.
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02-01-2019, 05:51 PM,
#22
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अगली सुबह सबसे पहले जागने वालो मे बिहारी था बाकी दोनो तो नींद की गोलियो के असर से अभी भी सपनो की दुनिया में खोए हुए थे. जहाँ वीरेंदर पिल्लो को अपने साथ ऐसे चिपकाए सोया था जैसे कि वो किसी लड़की को अपने बदन के अंदर समा लेना चाहता हो वहीं आशना ने भी एक पिल्लो अपनी टाँगों के दरमियाँ ऐसे जाकड़ रखा था जैसे वो उसे अपना सारा रस पिला देना चाहती हो. सुबह के करीब 7:00 बजे बिहारी की नींद खुली. घड़ी की तरफ देखते ही वो हड़बड़ा कर उठा और नंगा ही बाथरूम में जाकर अपने सुबह के कृत्य करने मे मसरूफ़ हो गया. करीब 20 मिनिट मे वो नहा धो कर बाथरूम से बाहर निकला और कपड़े पहन कर कमरे को अस्त-व्यस्त छोड़ कर किचन की तरफ चल दिया चाइ बनाने.

बिहारी के कमरे मे कोई जाता नहीं था सो इसलिए उसने कमरे की हालत सुधारने का नहीं सोचा. चाइ को गॅस पर रखने के बाद वो उपर की तरफ पहुँचा वीरेंदर को जगाने. 

जैसे ही वो वीरेंदर के दरवाज़े को नॉक करने को हुआ, उसे एक झटका लगा. उसने देखा कि आशना का दरवाज़ा हल्का सा खुला है (आपने पढ़ा ही होगा कि रात को जब आशना अपने कमरे मे आई तो वो सीधा आकर बेड पर लेट गई थी. वो दरवाज़ा लॉक करना भूल गई थी). बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई और वो दबे पावं वहाँ पहुँचा. उसने धीरे से दरवाज़े को धकेला तो दरवाज़ा खुलता चला गया. बिहारी ने झाँक कर देखा तो पाया कि आशना बेसूध होकर सोई है.

उसका पूरा शरीर रज़ाई से ढका है और वो काफ़ी सिकुड कर सो रही है. शायद ठंड के कारण वो ऐसी हालत मे सोई थी. बिहारी के दिमाग़ मे रात को बीना के द्वारा बताया हुआ प्लान दौड़ गया और वो फॉरन कमरे मे प्रवेश कर गया. तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उसके पैर किसी चीज़ मे फँसे और वो मूह के बल गिरते गिरते बचा. लेकिन फिर भी वो हाथो के बल नीचे गिर ही गया .गिरते ही उसके हाथो मे किसी चीज़ का एहसाह हुआ.रूम मे हल्की हल्की रोशनी थी, उसने अपने हाथ से उस चीज़ को पकड़ा तो उसके हाथो मे एक ऐसी चीज़ लगी जिस से उसकी आँखें चमक उठी और उसने उस चीज़ को पास ले जा कर उसे चूम लिया. जी हां, वो आशना की ब्रा थी जो रात को उसने उतार कर फैंक दी थी. काफ़ी देर उसे चूसने के बाद उसे ध्यान आया कि वो गिरा कैसे.

तेज़ी से उठ कर देखा तो उसके लंड मे करेंट दौड़ गया. उसके पैरों मे पड़ी आशना की पैंटी चीख चीख पर गवाही दे रही थी कि आशना रज़ाई के अंदर बिल्कुल नंगी सोई है. बिहारी के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया. उसका मन हुआ कि अभी रज़ाई मे घुस कर आशना से लिपट जाए और उस कमसिन कली को फूल बनाकर उसके जिस्म पर अपनी पहली मोहर लगा दे पर किसी तरह उसने अपने आप पर काबू पाया. पहले वो काम तो कर ले जो वो करने आया है. 

उसने इधर उधर नज़र घुमाई और जल्द ही उसे अपनी मंज़िल मिल गई. एक मेज़ पर पड़े आशना के बॅग की तरफ वो लपका और उसके पास पड़े हॅंडबॅग को उठा कर उसने उसकी ज़िप खोली और उसके अंदर से एक छोटा सा हॅंड बॅग निकाल कर अपने कुर्ते की जेब मे रख लिया. बॅग की ज़िप बंद करके उसने वो बॅग दोबारा वही उसी जगह रख दिया. काम हो जाने के बाद बिहारी आशना के बेड की ओर मुड़ा तो उसे झटका सा लगा. आशना ने रज़ाई से अपनी गोरी बाजुए बाहर निकाल ली थी, कंधे से थोड़ा से नीचे तक उसका मखमली शरीर बिहारी की आँखों के सामने था. ऐसा पहली बार हो रहा था कि बिहारी के सामने एक खूबसूरत लड़की रज़ाई के अंदर बिल्कुल नंगी पड़ी थी पर वो हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था आगे बढ़ने की. बिहारी का पूरा शरीर काँपने लगा और इस से पहले कि वो अपने होश खो देता उसने तेज़ी से आशना की ब्रा और पैंटी उठाई और झट से कमरे के बाहर आकर धीरे से कमरे का दरवाज़ा वैसे ही बंद कर दिया जैसे वो पहले था. वो जानता था कि सुबह की ठंडी हवा मे आशना अब ज़्यादा देर तक सो नहीं सकेगी. दरवाज़ा बंद करके वो नीचे किचन मे आया तो चाइ तैयार थी. उसने गॅस बंद की और अपने कमरे मे जाकर अपनी अलमारी की सेफ मे वो हॅंड बॅग रख दिया और साथ ही अपने साथ लाई हुई आशना की पिंक जालीदार पैंटी और ब्रा भी रख दी.

अलमारी को बंद करके उसने सेफ की चाबी छुपा दी और दो कप मे चाइ डाल कर, कप को ट्रे मे रखकर वो उपर की तरफ चल पड़ा. वीरेंदर के दरवाज़े की ओर जाकर उसने वीरेंदर को आवाज़ लगाई. 

बिहारी: छोटे मलिक उठिए चाइ तैयार है. कुछ देर वहाँ खड़े रहने के बाद उसने फिर आवाज़ लगाई और फिर धीरे से दरवाज़े पर नॉक की पर उसे कोई हलचल महसूस नहीं हुई. उसने इस बार ज़ोर से दरवाज़ा पीटा तो वीरेंदर की अलसाई भरी आवाज़ आई, काका "एक मिनिट अभी खोलता हूँ". इतना कहकर जब वीरेंदर उठा तो एक बार तो सर्द लहर से वो वहीं तिठुर कर रह गया. फिर उसे ख़याल आया कि रात को बाथरूम से आके तो वो बिल्कुल नंगा ही सो गया था. उसने झट से अलमारी से एक पॅंट और टी-शर्ट निकाली और उसे पहन कर दरवाज़ा खोल दिया. 

वीरेंदर: आइए काका, वो आज नींद बहुत गहरी आई थी इस लिए आपकी आवाज़ सुन नही पाया. 

बिहारी: कोई बात नहीं मालिक, यह लीजिए चाइ पीजिए मैं आशना बिटिया को भी जगा कर आता हूँ. 

वीरेंदर: काका तुम ट्रे मुझे दे दो आशना को चाइ मैं दे देता हूँ.

इतना सुनते हे बिहारी को जैसे साँप सूंघ गया. उसने तो सोचा था कि वीरेंदर चाइ पीने के बाद बाथरूम चला जाएगा और वो आशना के कमरे मे जाके पहले तो उसके रूप को निहारेगा और फिर उसे जगा कर उसके नंगे शरीर का मुयायना करेगा पर यहाँ तो सारा खेल ही उलट गया. 

वीरेंदर: क्या हुआ काका? 

बिहारी (वर्तमान मे आते हुए): कुछ नहीं मालिक, जैसा आपको ठीक लगे और यह कह कर उसने चाइ की ट्रे वीरेंदर को थम दी. 

वीरेंदर ने ट्रे साइड मे रखी और जल्दी से बाथरूम मे घुस गया. जैसे ही वीरेंदर बाथरूम मे घुसा, बिहारी मन मार कर नीचे जाने को हुआ तो एक बार फिर वो लड़खड़ाते हुए नीचे गिरने ही वाला था के उसने अपने आप को संभाल लिया. उसने सीधे खड़ा होकर देखा तो वीरेंदर के अंडरवेर मे उसका पैर फँसा हुआ था. बिहारी ने झल्ला कर अपने पैर को हवा मे उछाल दिया जिससे वीरेंदर का अंडरवेर सीधा एक मेज़ के उपर जाकर गिरा, आधा मेज़ पर आधा हवा मे झूलने लगा. बिहारी (मन में): साले दोनो रात को अंडरवेर उतार कर सोते हैं, क्या भाई -बेहन की जोड़ी है? बाथरूम मे पानी की आवाज़ बंद हुई ही थी कि बिहारी लपक कर कमरे से बाहर आ गया और चुपके से सीडीयो के पास बने एक छोटे से स्टोर मे जाकर वीरेंदर का आशना के कमरे मे घुसने का इंतज़ार करने लगा. वो देखना चाहता था कि वीरेंदर कैसा रिएक्ट करता है जब वो आशना को नंगी सोते हुए देखेगा

उधर जिस वक्त बिहारी वीरेंदर के रूम का डोर नॉक कर रहा था, उसी वक्त आशना की नींद खुल गई थी. उसका सिर काफ़ी दर्द कर रहा था. नींद खुलते ही उसे कल रात वाले सारे वाक्यात याद आ गये. उसका दिल बिहारी के लिए नफ़रत से भर गया और फिर रात को अपने शरीर के साथ खेली प्रेम क्रीड़ा का ख़याल आते ही उसे एक झटका लगा. वो तो बिल्कुल नंगी ही सो गई थी. वो फॉरन बेड से उठी और अपने कपड़े ढूँडने लगी. जैसे ही उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी. आशना के दिल ने धड़कना बंद कर दिया था, उसे याद आया कि कैसे वो रात को कमरे मे आते ही बिस्तर पर गिर पड़ी और फुट-फुट कर रोने लगी थी. वो इतनी लापरवाह कैसे हो गई कि उसे दरवाज़ा लॉक करने का ख़याल ही नहीं रहा. कहीं कोई आ जाता तो?. 

आशना ने झट से दरवाज़ा लॉक किया और अपने कपड़े ढूँडने लगी. सर्दी और शरम की वजह से वो कांप रही थी. आशना ने रात को उतारे कपड़ो पर ध्यान ना देते हुए जल्दी से बॅग से दो एक जोड़ी नये कपड़े और अंडरगार्मेंट्स का सेट निकाला और बाथरूम की तरफ भागी. बाथरूम मैं आकर उसने जल्दी से टवल लपेटा और चैन की सांस ली. आशना का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. वो सोच रही थी कि आज ना जाने क्या हो जाता अगर वो टाइम पर ना जागती तो. अभी वो ब्रश करके टाय्लेट यूज़ करने ही वाली थी कि उसके दरवाज़े पर नॉक हुआ. 

आशना ने गुस्से से चिल्लाकर कहा: क्या है काका? 

एक पल के लिए तो वीरेंदर भी सहम गया, लेकिन फिर उसने कहा. आशना दरवाज़ा खोलो मैं हूँ "वीरेंदर", आओ दोनो चाइ पीते हैं. वीरेंदर की आवाज़ सुनते ही आशना का मन खिल उठा. आज वीरेंदर खुद उसके लिए चाइ लाया था. उसका चेहरा शरम से लाल हो उठा. उसने बड़े शर्मीले अंदाज़ मे कहा, " वीरेंदर मैं नहा रही हूँ थोड़ी देर मे तुम्हारे रूम मे ही आती हूँ. वीरेंदर उसे बाइ बोल कर अपने रूम मे चला गया. 

वहाँ बिहारी की हालत ना खुश होने लायक थी और ना दुखी होने लायक. खुश वो इसलिए नहीं था क्यूंकी आशना ने दरवाज़े पर वीरेंदर को बिहारी समझ कर काफ़ी गुस्से से बात की थी और दुखी वो इस लिए नहीं था क्यूंकी जो वो देखना चाहता था वो वीरेंदर भी नहीं देख पाया था क्यूंकी आशना नींद से जाग चुकी थी और उसने दरवाज़ा भी लॉक कर दिया था. 

बिहारी ने मन मे सोचा: फुदक ले साली अगर अपने लंड पर तुझे ना नचाया तो मेरा भी नाम बिहारी नहीं और वैसे भी कुछ दिन की बात ही रह गई है तब तक तो तेरी पैंटी मे ही मूठ मारूँगा और तेरे मम्मों से लगी तेरी अंगिया को चूस चूस कर खा जाउन्गा. बिहारी नीचे चला गया और थोड़ी देर बाद आशना भी तैयार होकर वीरेंदर के रूम मे चली आई.

आशना ने दरवाज़ा नॉक किया तो वीरेंदर ने उसे कहा कि " अंदर आ जाओ आशना, दरवाज़ा खुला है". आशना ने दरवाज़ा खोला और अंदर आ गई. आज वीरेंदर ने फुल स्लेव वाइट टी-शर्ट और ब्लॅक जीन्स पहनी थी और आशना भी एक टाइट वाइट टी-शर्ट और स्किन टाइट ब्लॅक जीन्स मे थी. दोनो एक दूसरे को देख कर चौंके और दोनो ही मुस्कुरा दिए. 

आशना: लगता है आज सनडे के दिन यह हमारा ड्रेस कोड है. 
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02-01-2019, 05:51 PM,
#23
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर, जो कि टाइट कपड़ों मे आशना के हुश्न को निहार रहा था, आशना को सुनकर भी इग्नोर कर दिया और एकटक उसे देखता ही रहा. वीरेंदर के ज़हन मे रात वाली बात आ गई कि कैसे ज़िंदगी मे पहली बार इस लड़की ने उसे मास्टरबेट करने पर मजबूर कर दिया. आशना ने जब वीरेंदर की नज़रों का पीछा किया तो उसका दिल ज़ोरो से धड़कने लगा और उसका गुलाबी रंग और निखर गया. उसकी नज़रें नीचे को झुक गई और होंठों पर हल्की सी शर्मीली मुस्कान तैर गई. आशना ने जैसे ही फिर से नज़रें उठानी चाही तो उसे एक और झटका लगा, उसकी नज़र वीरेंदर के पीछे पड़े मेज़ पर गई जहाँ पर उसका अंडरवेर झूल रहा था (याद है ना बिहारी ने झल्ला के जब पैर हवा मे उछाला था).. आशना की साँसें तेज़ चलने लगी और वो मूह फेर कर वीरेंदर की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई. वीरेंदर की तो जैसे सांस ही अटक गई. कहाँ पहले उसकी नज़रें आशना के गोल सुढ़ॉल उभारों का जायज़ा ले रही थी और कहाँ अब उसकी नज़रें आशना के गोल भारी नितंबो पर आकर अटक गई थी. वीरेंदर के लिंग मे हलचल होनी शुरू हुई तो उसे ख़याल आया कि वो तो जल्दी मे अंडरवेर पहनना ही भूल गया है. वीरेंदर को इसका आभास होते ही वो शरम से आँखें झुका कर वहीं बैठा रहा, लेकिन आशना के नितंब बार बार उसे न्योता दे रहे थे. जब काफ़ी देर तक कोई कुछ ना बोला तो आशना को अपनी ग़लती का एहसास हुआ, उसे एकदम वीरेंदर की नज़रें अपने नितंबों में गढ़ती हुई महसूस हुई और पहली बार उसकी पुसी ने अपने भाई के कारण एक छोटी सी लहर बहा दी.


वहीं वीरेंदर का लिंग भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी प्रेकुं की बूँदें टपकाने लगा. कुछ ऐसे ही थोड़ी देर सब शांत रहा. वो दोनो होश मे आए जब वीरेंदर के मोबाइल की घंटी बजी "कहता है पल-पल तुमसे होके दिल यह दीवाना, एक पल भी जान-ए-जाना मुझसे मुझसे दूर नहीं जाना. प्यार किया तो निभाना". वीरेंदर ने हड़बड़ाहट मे फोन उठाया (तब तक आशना भी सम्भल चुकी थी और वीरेंदर के सामने वाले सोफे पर बैठ चुकी थी).

वीरेंदर: हेलो डॉक्टर. आंटी, .................,जी हां मैं बिल्कुल ठीक महसूस कर रहा हूँ. ................हां-हां आइए ना, आज लंच साथ ही करते हैं. जी वो अपने रूम मे होगी, मैं बात कर्वाऊ आपसे.......ओके आंटी सी यू लेटर, और फोन काट दिया. 

वीरेंदर आशना की तरफ देखते हुए: वो डॉक्टर. आंटी का फोन आया था, वो कह रही थी कि आज दोपहर को वो आएँगी, चेकप भी हो जाएगा और साथ मे लंच भी कर लेंगी. 

आशना: आप उन्हें डॉक्टर. आंटी क्यूँ कहते है, वो इतनी एज्ड थोड़े ही हैं( आशना ने बात पलटते हुए कहा). इस बार वीरेंदर मुस्कुरा पड़ा जिस से कमरे मे फैला तनाव थोड़ा हल्का होने लगा. 

वीरेंदर: यह तो मैं उन्हें चिडाने के लिए कहता था, लेकिन अब तो आदत हो गई है. ऐकचुली जब वो अभय अंकल से शादी करके नयी नयी आई थी तो मैं उन्हें आंटी कहता था और वो काफ़ी चिड़ती थी. बस उनको चिडाने के चक्कर मे मेरे मुँह पर यह शब्द बैठ सा गया है. 

आशना(स्माइल करते हुए): आप ऐसे ही हँसते रहा करो, आप पर स्माइल बहुत सूट करती है. 

वीरेंदर उसके चेहरे की तरफ देखता रह जाता है. वो सोचने लगता है कि जब से आशना से उसकी मुलाकात हुई है वो काफ़ी खुश रहने लगा है और रात को तो उसने आशना के बारे मे सोच कर वो कर दिया जो उसने कभी सोचा भी ना था. वीरेंदर के दिल मे आया कि कहीं रात को आशना ने उसकी दर्द भरी चीख और आहें सुन तो नहीं ली तभी आज वो इतना शरमा रही है जबकि आशना यह सोच कर शर्मिंदा थी कि शायद रात को वीरेंदर ने उसे देख लिया था वो सब करते हुए, क्यूंकी दरवाज़ा तो खुला ही रह गया था, इसीलिए वीरेंदर इतनी बेशर्मी से उसे घूर रहा था. 

काफ़ी देर तक फिर कोई कुछ ना बोला. उनकी चुप्पी को आशना ने तोड़ते हुए कहा कि आपने डॉक्टर. बीना को झूठ क्यूँ बोला कि मैं अपने रूम मे हूँ.वीरेंदर आशना का सवाल सुन कर हड़बड़ा गया और इस से पहले कुछ जवाब देता , आशना का फोन बज उठा " ज़रा-ज़रा टच मी टच मी टच मी ओ ज़रा- ज़रा किस मी किस मी किस मी". आशना ने फॉरन अपनी पॅंट की जेब से मोबाइल निकाला और उसे ऑन कर दिया. हेलो डॉक्टर. आंट..........मेरा मतलब डॉक्टर. बीना (वीरेंदर ने उसकी तरफ देखा और दोनो के चेहरे खिल उठे)...........जी हां मैं ठीक हूँ, आप बताइए. ......................ओह यह तो काफ़ी अच्छा है, नहीं अभी मैं अपने रूम मे ही हूँ, आप आ जाइए फिर मिलकर बात करेंगे. ...................... ओके यू टू, बाइ और यह कह कर फोन काट दिया. 

इस बार वीरेंदर ने गला सॉफ करते हुए कहा "आहें...आहेंम.... तो आप अपने कमरे मे हो". 

आशना को कोई जवाब देते नहीं बना. आशना थोड़ी देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए बोलती है: आपने झूठ बोला तो आपको बचाने के लिए मुझे भी झूठ बोलना पड़ा और शिकायत भरी नज़रो से वीरेंदर को देखने लगी. 

वीरेंदर आशना की इस मासूमियत से निहाल हो उठा. पता नहीं क्यूँ पर पिछले कुछ ही घंटो मे वो उसकी तरफ तेज़ी से आकर्षित हो रहा था. आशना ने जब उसे यूँ घूरते पाया तो जल्दी से सोफे से उठ खड़ी हुई और बोली" चाइ तो ठंडी हो गई, चलिए आप नहा लीजिए मैं आपके लिए दूसरी चाइ बना देती हूँ. 

वीरेंदर: तुम क्यूँ बनाओगी, काका को बोल दो वो बना देंगे. आशना ने राहत के सांस ली वो भी अकेले नीचे नहीं जाना चाहती थी. 

आशना वीरेंदर के रूम से बाहर निकली और तेज़ आवाज़ मे कहा "काका 15- 20 मिनिट मे दो कप चाइ लेकर उपर साहब के रूम मे आ जाना". 

तभी उसे अपने पीछे से कुछ आवाज़ आई. वीरेंदर बिल्कुल उसके करीब आ खड़ा हुआ था, वो एक दम सहम गई तभी वीरेंदर बोला: काका चाइ बाहर लॉन मे ले आना आज हम लॉन मे बैठ कर सनडे एंजाय करेंगे और फिर धीरे से बोला "इन नज़ारो का जी भर कर लुफ्त लेंगे". 

इतना सुनते ही आशना के जिस्म मे एक और लहर दौड़ी और उसकी पैंटी थोड़ी सी और गीली हो गई. वो तेज़ी से अपने रूम के दरवाज़े के पास पहुँची और फिर मूड कर देखते हुआ बड़ी अदा से कहा "बड़े आए लुफ्त लेने वाले". इतना कह कर आशना ने अपने रूम का दरवाज़ा खोला और वीरेंदर की तरफ देखता हुए कहा " अंदर से कुछ पहन लेना, सुबह सुबह काफ़ी ठंड होगी बाहर". आशना ने तो वीरेंदर की केर करते हुए यह कहा था पर उसे नहीं पता था कि जब वीरेंदर अपने रूम मे जाएगा तो उसे एक झटका लगने वाला है.
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02-01-2019, 05:51 PM,
#24
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर अभी उसकी बात का कुछ मतलब निकालता हुआ अपने रूम मे घुसा ही था कि उसका ध्यान अपने झूलते हुए अंडरवेर पर गया और वो एकदम चकरा सा गया. अच्छा तो आशना ने इसलिए यह कहा था. लड़की काफ़ी स्मार्ट है वीरेंदर ने सोचा. 

वो नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गया. नहाने के बाद उसने जान बूझ कर अंडरवेर नहीं पहना और फिर वोही कपड़े पहन कर तैयार होने लगा. आज वो बहुत खुश था, काफ़ी हल्का महसूस कर रह था अपने आप को. शीशे के सामने बाल बनाते हुए वो गुनगुनाने लगा "कितना प्यारा वादा है इन मतवाली आँखों का".

वहीं दूसरी तरफ आशना ने रूम मे आते ही रात के बिखरे हुए अपने कपड़े उठाना शुरू किया. अपनी पॅंट और शर्ट उठा कर उसने उन्हे अलमारी मे हॅंगर मे टांगा और फिर उसे ख़याल आया कि उसकी पैंटी काफ़ी भीग चुकी है वीरेंदर की शरारतों से तो वो शरम से लाल हो गई. वो काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी गीली पैंटी मे. उसने दो सेट पैंटीज ही ली थी. एक उसने पहन रखी थी और एक उसने रात को ही उतारी थी जो कि इस पहनी हुई पैंटी के मुक़ाबले पहनने लायक तो थी ही पर वो मिल नहीं रही थी. सारा कमरा छानने के बाद भी आशना को अपनी रात को उतारी हुई ब्रा और पैंटी नहीं दिखी. फिर उसने बाथरूम मे जाकर चेक किया पर वहाँ भी उसे वोही पैंटी मिली जो उसने 10 दिन से पहन रखी थी. उसे पहनना भी बेकार था. आशना ने सबसे पहले तो अपनी जीन्स खोल कर अपनी पैंटी उतारी और फिर पुरानी पैंटी के साथ उसे भी धो दिया. फिर आशना ने टवल लपेटा और रूम मे आकर फिर से पैंटी खोजने लगी पर पैंटी वहाँ होती तो उसे मिलती ना. 


आशना को तभी याद आया कि रात को वो दरवाज़ा बंद करना ही भूल गई थी. तो क्या उसकी पैंटी किसी ने? यह ख़याल आते ही उसे एक झटका सा लगा. कही बिहारी उसके रूम मे तो नही आया था? आशना ने खुद को ही इसका जवाब दिया" नहीं, नहीं अगर वो कमीना इस कमरे मे आया होता तो वो ज़रूर कोई ऐसी वैसी हरकत करता क्यूंकी मैं तो बिल्कुल नंगी सो रही थी" तो क्या फिर वीरेंदर ने? यह ख़याल आते ही उसके चेहरे पर शरम और हया के मिले झूले भाव आने लगे. हां ज़रूर रात को वीरेंदर मेरे कमरे मे आया होगा और हो सकता है उसने मुझे मास्टरबेट करते देख भी लिया हो और एग्ज़ाइट्मेंट मे वो मेरी ब्रा और पैंटी अपने साथ ले गया हो, मुझे होश ही कहाँ रहता है मास्टरबेट करते हुए. आशना का शक़ यकीन मे तब बदला जब उसे ख़याल आया कि इसीलिए वीरेंदर उसे सुबह सुबह चाइ देने के लिए आया होगा क्यूंकी वो जानता था कि मैं बिल्कुल नंगी सो रही हूँ तो मुझे काका की नज़रो मे शर्मिंदा होने से बचाने के लिए वो खुद चाइ देने आया होगा. आशना (मन मे सोचते हुए): मिस्टर. वीरेंदर अब मैं क्या पहनुँगी?.अभी आशना इस सब का निचोड़ निकाल ही रही थी कि उसके रूम का डोर नॉक हुआ. 

वीरेंदर: डॉक्टर. साहिबा का मूड हो तो अब चाइ पीने चलें. 

आशना ने अपनी कमर पर बँधे टवल की ओर देखते हुए कहा "आप चलिए मैं अभी आती हूँ" 

वीरेंदर: जल्दी आना कहीं चाइ फिर से ठंडी ना हो जाए. 

आशना: इन जस्ट 5 मिनिट्स. 

आशना जल्दी से बाथरूम मे घुसी और अपनी टी-शर्ट उतार कर अपनी ब्रा भी उतार दी. फिर से टी-शर्ट पहनी और टवल उतार कर पॅंट पहन ली. बिना पैंटी के पॅंट पहनना उसे काफ़ी अनकंफर्टबल लग रहा था पर अब और कोई चारा ही नहीं था. दोनो पॅंटीस धोने से गीली थी और एक पर तो जनाब ने क़ब्ज़ा कर रखा था. आशना मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीरेंदर की इस हरकत पर फिर भी उसे यकीन नहीं हो रहा था. बिना ब्रा के उसके ब्रेस्ट पर कुछ ज़्यादा असर नहीं पड़ा था वो अभी भी एग्ज़ाइट्मेंट के कारण सिर उठा कर खड़े थे बस अब उनके निपल्स आसानी से देखे जा सकते थे. आशना ने सोचा कि अगर जॅकेट ना पहनूं तो जनाब को इस बार मेजर हार्ट अटॅक ना आ जाए इस लिए जॅकेट पहन ही लेती हूँ. वैसे भी बिहारी भी नीचे ही होगा इसलिए उसने जॅकेट पहनना ही बेहतर समझा..आशना ने लाइट पिंक लीप ग्लॉस लगाई और अपने बालों और मेकप को फाइनल टच दिया और अपने रूम से बाहर आकर वो वीरेंदर के रूम की तरफ गई और वहाँ से वीरेंदर की दवाइयाँ अपनी जॅकेट मे डाल कर नीचे को आ गई. आशना ने किचन की तरफ झाँक कर देखा तो बिहारी को वहाँ ना पा कर उसने राहत की सांस ली. वो तेज़ी से मैन डोर से बाहर को निकली और बाहर खिली धूप को देखकर उसमे एक नयी खुशी का संचार हुआ. 


सर्दी के इस मौसम मे खिली धूप का अपना ही मज़ा होता है. आज मौसम भी काफ़ी खुश दिख रहा था. शर्मा निवास के हर एक शख्स की तरह. सबके अपने अपने खुश होने के अलग अलग कारण थे. आशना लॉन मे पहुँची तो वहाँ वीरेंदर उसे झूले के पास रखी चेर्स पर बैठा मिला. दोनो की नज़रें मिली और दोनो ने एक दूसरे को जी भर कर स्माइल दी और एक दूसरे की गेटअप को नज़रों से सराहा. वहीं पास मे खड़े बिहारी ने भी आशना का खिला हुआ चेहरा देखा तो उसके जिस्म का X-रे कर डाला. उसकी पैनी नज़रों ने एकदम पहचान लिया कि आशना ने पैंटी नहीं पहनी क्यूंकी टाइट जीन्स मे पैंटी लाइन मिस्सिंग थी और फिर उसके चलने से हुए झूलते उभारों से यह भी पुख़्ता हो गया कि उसने ब्रा भी नही पहनी है.


बिहारी(मन मे सोचते हुए): लगता है साली के पास एक ही सेट है. कोई बात नहीं कुछ ही दिनों मे तो उसे दिन भर नंगी ही रखना है. आशना वीरेंदर के सामने वाली चेयर पर बैठ गई और एक टाँग पर दूसरी टाँग चढ़ा कर बैठ गई. वीरेंदर भी उसके नितंबों की गोलाईयों को देखकर प्रभावित हुए बिना ना रह सका. उस जगह आशना के सामने दो मर्द थे दोनो की आँखों मे हवस थी लेकिन एक को वो खुद सब कुछ सौंप सकती थी ज़रूरत पड़ने पर और एक को तो वो देखना भी पसंद नहीं करती थी. 


वीरेंदर: काका चाइ डाल दें और मेरे रूम की सफाई कर दें. 

आशना: काका गॅरेज की सफाई कर दें काफ़ी गंदा हो गया है. चाइ मैं डाल देती हूँ और रही बात रूम की तो मैने उसे सही कर दिया है आप बस उसे बाद मे झाड़ दें. 

बिहारी ने मन पर पत्थर रखते हुए हां बोला और वहाँ से चल दिया. बिहारी(मन मे सोचते हुए, फुदक ले चिड़िया. तेरे तो ऐसे पर काटुंगा कि तू दिन भर मेरे ही नीचे लेट कर चुदती रहेगी).आशना ने चाइ डाली और एक कप वीरेंदर की ओर बढ़ा दिया. वीरेंदर ने मुस्कुराते हुए आशना से कप लिया और दोनो चाइ पीने लगे. थोड़ी देर दोनो चुप चाप चाइ पीते रहे. दोनो अपने अपने ख्यालों मे गुम थे. आशना, वीरेंदर द्वारा अपनी ब्रा-पैंटी को चुराने के बारे मे सोच रही थी और वीरेंदर, आशना द्वारा अपने अंडरवेर की बात को लेकर सोच रहा था. सच तो यह था कि दोनो ही अपने उपर लगे इल्ज़ामो से अंजान थे और एक दूसरे को मन ही मन कसूरवार बना बैठे थे. उनकी इस चुप्पी को वीरेंदर ने तोड़ा. 

वीरेंदर: आपने मेरा कमरा कब ठीक किया. 

आशना: वो आते हुए मैं आपके रूम मे दवाइयाँ लेने गई तो आते हुए ठीक कर दिया. 

वीरेंदर:ओह, अच्छा. लेकिन रहने देती ना, आपने क्यूँ तकलीफ़ की. 

आशना (मन मैं सोचते हुए) शायद जनाब इसलिए डर रहे हैं कि मैने उनके पास अपनी ब्रा-पैंटी तो नही देख ली. काश मैं जनाब का बाथरूम भी चेक कर लेती तो जनाब की चोरी पकड़ी जाती.

वीरेंदर: क्या हुआ? कहाँ खो गई आप? 

आशना ने एकदम से अपने आप को संभाला और पूछा "अब कैसा फील कर रहे हैं आप"? 
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02-01-2019, 05:51 PM,
#25
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर उसका मतलब तो समझ गया लेकिन फिर भी उसको चिडाने के लिए बोला "काफ़ी कंफर्टबल फील कर रहा हूँ मैं तो और लगता है कि तुम भी काफ़ी कंफर्टबल हो गई हो अब". वीरेंदर ने यह बात इस लिए कही कि उसे लगा कि काका की मौजूदगी मैं शायद आशना कंफर्टबल फील नही कर रही थी और अब उनके जाने के बाद तो वो ज़रूर अच्छा महसूस कर रही होगी लेकिन 

आशना ने सोचा कि शायद वीरेंदर ने भाँप लिया है कि उसने ब्रा-पैंटी नही पहनी है क्यूंकी उसकी ब्रा-पैंटी तो उसने चुरा ली है. आशना को वीरेंदर का यह बिहेवियर काफ़ी अजीब लग रहा था. उसे मज़ा भी आ रहा था और शरम भी. आशना ने नज़रें नीचे झुका कर एक बार वीरेंदर की टाँगों के बीच देखा कि क्या उसने भी अंडरवेर नहीं पहना है लेकिन उसे कोई पुख़्ता यकीन नहीं हुआ. आशना के मन मे एक शरारत आई. उसने यह कहकर अपनी जॅकेट उतार दी कि धूप बहुत तेज़ है. 

आशना की जॅकेट उतरने की देर थी कि वीरेंदर की नज़र उसके उन्नत आज़ाद उभारों की तरफ पड़ी. बिना ब्रा के उसके उरोज ऐसे झूल रहे थे जैसे पके हुए आम टहनियो पर झूलते हैं. वीरेंदर आशना के निपल्स साफ महसूस कर सकता था. आशना चोर नज़रों से वीरेंदर के चेहरे पर आए इस बदलाव को देख कर मन ही मन खिलखिला कर हंस दी. उसने वीरेंदर की पॅंट मे सॉफ हलचल महसूस की. कुछ देर तक वीरेंदर को अपने उन्नत वक्ष दिखाने के बाद आशना ने बड़ी अदा से कहा" मुझे नहीं दिखाओगे". 

वीरेंदर आशना के इस सवाल से चौंका और हैरानी से पूछा "क्या"? 

आशना मुस्कुराते हुए अपना पूरा बंगला. 

वीरेंदर भी आशना की चालाकी समझ गया और कुछ सोच कर बोला " बहुत बड़ा है". 

इस बार चौंकने की बारी आशना की थी. वो हैरानी से उसे देखती हुई बोली"क्या"?

वीरेंदर: बंगला. 

इतना सुनते ही आशना का चेहरा सफेद पड़ गया और वीरेंदर खिलखिलाकर हंस दिया. आशना अपनी हार को देखते हुए बोली"वो तो देखने से ही पता लग रहा है कि कितना बड़ा होगा, लेकिन मुझे पूरा देखना है". 

वीरेंदर: दिखा दूँगा, इतनी जल्दी भी क्या है. अब दोनो मे खुल कर डबल मीनिंग बातें हो रही थी पर पीछे हटने वाला कोई नहीं था. तभी बिहारी काका वहाँ आ गये और वीरेंदर से बोले मालिक आप गाड़ियाँ अगर गॅरेज से हटा दें तो गॅरेज सॉफ करने मे आसानी होगी. 

वीरेंदर: जाओ और अंदर से सारी चाबियाँ ले आओ. बिहारी ने एक नज़र भर कर आशना को देखा जो कि जॅकेट उतार कर बैठी थी. उसके खड़े निपल्स देख कर उसके पाजामे मे भी हलचल होने लगी. वो मन मार कर वहाँ से चल दिया. 

वीरेंदर: आओ आशना पहले गाड़ियाँ निकाल लेता हूँ फिर तुम्हे सारे शर्मा निवास की सैर करवाता हूँ. आशना भी वीरेंदर के पीछे चल दी. वीरेंदर की मर्दाना चाल पर आशना फिदा हो गई. 5.11" हाइट और सेहतमंद शरीर का मालिक उसका भाई उससे डबल मीनिंग बातें कर रहा है और वो भी उसका साथ बखूबी निभा रही है. यह सोच कर ही आशना के जिस्म मे एक तरंग सी उठने लगी. 

बिहारी ने वीरेंदर को गाडियो की चाबियाँ लाकर दी और वीरेंदर ने एक एक करके सारी गाड़ियाँ गॅरेज से निकाल कर एक लाइन मे लगा दी. 

वीरेंदर: आइए राजकुमारी जी अब आपको दिखाते हैं अपना............बंगलो. 

आशना ने वीरेंदर की तरफ एक स्माइल दी और चल पड़ी उसके साथ. करीब दो घंटे तक वो दोनो बंगलो के चारो ओर चक्कर लगाते रहे. बंगलो जितना शानदार आगे से देखने मे था उतना ही खूबसूरत पीछे से भी था. चारो तरफ फैले अशोका ट्रीस उसे एक मॉडर्न फार्महाउस का एहसास करा रहे थे और हर तरफ फैले रंग-बिरंगे फुलो के पौधे और नरम घास उसके मन को आनंदित कर रहे थे. चलते चलते आशना कभी अपनी जॅकेट लेफ्ट हाथ मे पकड़ती तो कभी राइट हाथ मे. 

वीरेंदर: इसे पहनना ही नहीं चाहिए था तुमको, देखो कितनी तेज़ धूप है. 

आशना शिकायत भारी नज़रो से उसे देखते हुए सोचने लगी "एक तो आप ने मेरी ब्रा-पैंटी का सेट चुरा लिया और उपर से मुझे जॅकेट पहनने के लिए भी मना कर रहे हैं, इरादे नेक नहीं लगते इनके" 

वीरेंदर: क्या सोचने लगती हो यार तुम. 

आशना ने चौंक कर वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: सॉरी आक्च्युयली यार नहीं डॉक्टर. आशना. 

आशना वहीं रुक गई और वीरेंदर की तरफ देखते हुए बोली "यार शब्द गंदा सा लगता है, तुम मुझे "फ्रेंड का दर्जा दे सकते हो".

वीरेंदर चलते चलते रुक गया और बोला. वीरेंदर: फ्रेंड क्यूँ, गर्लफ्रेंड क्यूँ नही? यह कह कर वीरेंदर उसकी तरफ देखता रहा और आशना वहाँ से शरमा कर चली गई. वीरेंदर उसे जाते हुए देखता रहा, उसका दिमाग़ काम करना बंद कर गया था.उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह उसके मूह से क्या निकल गया. इसी उधेड़बुन मे वो काफ़ी देर तक वहीं खड़ा रहा और जब उसे होश आया तो आशना काफ़ी दूर निकल गई थी. वो दौड़ कर उसका पीछा करने लगा पर आशना ने अपने कदम और तेज़ कर लिए. चलते चलते जब वो थक गई तो एक जगह नरम घास पर बैठ गई. थोड़ी देर के बाद वीरेंदर भी हांफता हुआ वहाँ पहुँचा और वही बैठ गया. उसकी साँस काफ़ी फूली हुई थी. दोनो ने एक दूसरे को देखा तो आशना की आँखे शरम से झुक गई.

वीरेंदर: आशना तुम बहुत खूबसूरत हो. 

आशना ने नज़रें उठाकर वीरेंदर की तरफ देखा. अगर वीरेंदर उसका भाई ना होता तो अब तक वो उसके सीने से लिपट गई होती ऐसा असर था वीरेंदर की शक्शियत का आशना पर. मगर वो अपने आप को काबू मे रखने की कोशिश कर रही थी. 


वीरेंदर उसकी चुप्पी को देखते हुए सोचने लगा शायद वो जल्दबाज़ी कर रहा है. उसने बात पलटते हुए कहा देखो कितना थका दिया तुमने मुझे. मैं तुम्हारी तरह जवान नही हूँ अब बुढ़ापा आ गया है मुझमे. 

आशना ने फॉरन उसके होंठों को अपने हाथ से बंद कर दिया और उसकी आँखों मे देखते हुए उसे "ना" का इशारा किया. उस एक पल मे दोनो की आँखों ने एक दूसरे मे क्या देखा कोई नहीं समझ सकता था. आशना ने उसे खींच कर अपनी गोद मे उसका सिर रख दिया और उसके बालों मे उंगलियाँ फिराने लगी. काफ़ी देर तक कोई कुछ ना बोला. जहाँ वीरेंदर को आशना की गोद मे सिर रखकर काफ़ी आराम मिल रहा था वही आशना यह सोच कर परेशान थी कि क्या वो सही कर रही है. क्या उसे आगे बढ़ने से पहले वीरेंदर को सच बता देना चाहिए. 


उनके ख्यालो की दुनिया टूटी वीरेंदर का मोबाइल बजने से "कहता है पल-पल............." वीरेंदर ने स्क्रीन पर नंबर. देखा तो एक दम हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ. वीरेंदर: हेलो, डॉक्टर. आंटीयीईयियैआइयैआइयैयाइयैआइ. ................हां, हां बिल्कुल मैं आपका ही वेट कर रह हूँ. ........ओके, बाइ टेक केयर. 

वीरेंदर: आशना, डॉक्टर. आंटी आने वाली थी मेरे तो दिमाग़ से ही निकल गया था. 

आशना को भी एकदम अचानक याद आया. आशना: क्या टाइम हुआ है? 

वीरेंदर: 12:00 बजने वाले हैं. वो 2-2:30 बजे तक आ जाएँगी. काका तो आज सारा दिन गॅरेज ही सॉफ करते रहेंगे. चलो हम खाना होटेल से ऑर्डर कर देते हैं.

आशना: होटेल से क्यूँ? मैं बनाती हूँ ना. 

वीरेंदर: तुम? 

आशना: हां जी, मैं? 
आशना: बोलो क्या खाना पसंद करोगे. 

वीरेंदर: जो आप प्यार से खिलाएँगी हम खा लेंगे. 
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02-01-2019, 05:52 PM,
#26
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना का दिल खुश हो गया वीरेंदर के इस जवाब से और चेहरा शरम से लाल हो गया. 
आशना : तो चलें. 

वीरेंदर: चलो, फिर तो हमे भी आपकी हेल्प करनी चाहिए. कुछ ही मिनिट्स मैं दोनो किचन मे पहुँच चुके थे. आशना ने देखा कि मटर छिले हुए हैं तो उसने आलू-मटर, चिकन और चावल बनाने की सोच ली. आशना को पता था कि वीरेंदर को नोन-वेग बहुत पसंद है. जहाँ वीरेंदर आशना को काम करते हुए देखे जा रहा था वहीं आशना पूरा मन लगा कर खाना बना रही थी, आख़िर वो पहल बार वीरेंदर को अपने हाथों से बना कर खाना खिलाने वाली थी.
मीठे मे उसने ड्राइ फ्रूट्स और दूध का एक लज़ीज़ मिक्स्चर तैयार किया.

एक- डेढ़ घंटे मे खाना तैयार करके दोनो अपने अपने रूम मे चले गये फ्रेश होने के लिए. इस दौरान दोनो के बीच नॉर्मल बातें ही होती रहीं.



जब वो दोनो खाना बना रहे थे तभी बाहर बीना आ चुकी थी और अपनी गाड़ी पार्क करके जैसे ही गाड़ी से उतरी तो उसे बिहारी गॅरेज मे दिखा जो कि उसकी गाड़ी की आवाज़ सुनकर गॅरेज से बाहर आ गया था. 

बीना: आज बूढ़ा बड़ा काम कर रहा है, क्या बात है, नयी मालकिन ने हुकुम दिया है क्या? 

बिहारी: चुप कर रांड़, मालकिन होगी वो तेरी मेरी तो लंड की गुड़िया है जिसे मैं जल्द से जल्द चोद कर बच्चे पैदा करने की मशीन बना दूँगा. 

बीना: ओहो, मेरे रात के सैयाँ, गुस्सा थुको और मेरी बात ध्यान से सुनो, काम का क्या हुआ. 

बिहायर: बिहारी ने कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा आजकल जानेमन. 

बीना: शाबाश तो लाओ वो हॅंडबॅग मुझे देदो. 

बिहारी: तो चलो मेरे कमरे मैं. 

बीना: रात को आती हूँ ना राजा उतावला पन ठीक नहीं, तब तक छोटी मालकिन के नाम की मूठ मार लो. 

बिहारी: तुझे तो रात को ही बजाउन्गा और रही बात मेरे मूठ मारने की उसकी तू चिंता मत कर मैने उसका इंतज़ाम भी कर लिया है. बिहारी ने उसे बता दिया कि कैसे उसने उसकी ब्रा-पैंटी चुराई है.

बीना: साले तू कमीना पन नही छोड़ेगा. ऐसा करने से पहले अपने लंड से ही सोचा होगा ना तूने , ज़रा दिमाग़ से सोच अगर आशना को शक हो गया तो हमारा बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा. इस घर में दो ही तो मर्द हैं, यह काम करने के लिए. एक तो वीरेंदर जो ऐसा घिरा हुआ काम करेगा नहीं तो सोच आशना का शक़ तेरे उपर ही जाएगा ना और वो तुझसे चौकान्नी हो जाएगी. 

बिहारी: साला उस वक्त मैं होश मे ही नही रहा, साली मेरे बिल्कुल करीब बिल्कुल नंगी पड़ी थी. मुझे और कुछ सूझा नहीं तो मैं उसकी ब्रा-पैंटी ही उठा लाया. अब क्या करें? 

बीना: रुक मैं कुछ सोचती हूँ. थोड़ी देर बाद बीना बोली: अभी कहाँ है दोनो भाई -बेहन. 

बिहारी: दोनो कुछ देर पहले ही अंदर गये है. आज खाना शायद आशना बना रही है.

बीना: अच्छा एक काम कर. अपने कमरे मे जा और वो बॅग और वो ब्रा-पैंटी का सेट उठा ला. 

बिहारी: उस सेट का तू क्या करेगी. 

बीना: रत को पहन कर आउन्गी, मुझे आशना समझ कर मेरी चूत और गान्ड दोनो चोद लेना मेरे राजा, जा अब. 

बिहारी ने उसे घूर कर देखा और वहाँ से चल दिया. अपने हाथ पावं धोकर वो हाल मे घुसा और सीधा अपने कमरे मे चला गया. आशना- वीरेंदर मे से किसी ने भी उसे अंदर जाते नहीं देखा. बिहारी ने जल्दी से सारा समान लिया और बाहर की तरफ आया. चुपके से वो घर से बाहर आया और हॅंडबॅग बीना को थमा दिया. 

बीना ने हॅंडबॅग उससे लेकर गाड़ी मे रखा और फिर हाथ आगे बढ़ा दिया. बिहारी ने आशना की पिंक ब्रा उसके हाथों मे थमा दी. बीना ने उसे पलट कर देखा और बोली "ह्म्म्म्म 36" और फिर उसके हुक लगा कर चेक करने लगी.पहली जगह हुक मुश्किल से फँसी पर दूसरी जगह हुक आसानी से लग गई. बीना: 36"बी, नाइस साइज़. बिहारी हैरानी से उसे देख रहा था. बीना ने फिर से हाथ आगे बढ़ाया. 

बिहारी: अब क्या है? 

बीना: उस कच्ची कली की कच्छी भी दे दे मेरे साईयाँ. 

बिहारी: वो तो मैने टाँग रखी है. 

बीना ने बिहारी की तरफ सवालिया नज़रों से देखा तो बिहारी ने उसे अपनी टाँगों की तरफ इशारा किया. बीना ने बिहारी की टाँगों की तरफ देखा तो बिहारी ने अपने खड़े लंड पर आशना की पिंक पैंटी टाँग रखी है. 

बीना: यह तो बिल्कुल सॉफ है. 

बिहारी: मतलब? 

बीना: साले इसपर मूठ तेरा बाप मारेगा?.

बिहारी की आँखों मे चमक आ गई. 
बिहारी: मेरा बाप क्यूँ मारेगा, मैं मर गया हूँ क्या?. चल गॅरेज मे और मेरी मदद कर. उसने बीना का हाथ पकड़ा और उसे गॅरेज मे लेगया. 

बीना: मेरे कपड़े गंदे हो जाएँगे. तू एक काम कर इसपर ढेर सारी मूठ मार कर इसे धूप मे सूखा कर अंदर ले आना. तब तक मैं अंदर का हाल जानती हूँ. बिहारी उसकी बात नहीं समझा पर वो तो आशना की मुलायम पैंटी का एहसास अपने सख़्त लंड पर पा कर पागल हो गया था. उसने बीना के हाथ से ब्रा छीनी और बोला. साली उसके मम्मे तो देती जा. बीना मुस्कुराते हुए वहाँ से गान्ड मटकाती हुई चली गई और बिहारी अपने काम मे मसरूफ़ हो गया. 

अभी बीना अंदर भी नही पहुँची थी कि बिहारी के लंड ने वीर्य की झड़ी लगा दी और उस नन्ही सी पैंटी को पूरा अपने रस से भिगो दिया. बिहारी के लंड ने इतना माल छोड़ा कि बिहारी की आँखों के आगे अंधेरा छा गया.

अंदर आते ही बीना को खाने की खुश्बू किचन तक खींच लाई, लेकिन किचन खाली था. वो दबे पावं उपर की तरफ गई ताकि वो देख सके कि दोनो क्या कर रहे हैं. वीरेंदर के कमरे के बाहर कुछ देर खड़े रहने के बाद जब उसे कुछ सुनाई नही दिया तो उसने डोर का नॉब मरोड़ा और दरवाज़ा खुल गया. अंदर कोई नही था. बीना के चेहरे पर शरारती स्माइल आ गई.

बीना(मन मे सोचते हुए): यहाँ तो बिना कुछ किए ही प्लान सफल होता नज़र आ रहा है. बीना जाने के लिए जैसे ही मूडी कि उसके कदम वहीं रुक गये. शायद बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी. बीना ने दबे कदमों से वहाँ तक का रास्ता तय किया और वहाँ तक पहुँची. वहाँ पहुँचते ही उसे ज़ोर का झटका लगा जब उसने देखा कि अंदर से दरवाज़ा बंद है. बीना मन मसोस कर रह गई और वो निराश मन से वहीं रूम मे सोफे पर बैठ गई. सोफे पर बैठते ही उसकी नज़र बेड पर रखे कपड़ों पर पड़ी जो कि शायद वीरेंदर ने अभी पहननने के लिए निकाले होंगे. बीना को यह तो यकीन हो गया कि अंदर वीरेंदर अकेला ही है नहीं तो अंदर से कुछ ना कुछ आवाज़ तो आती ही. कोई 10 मिनट. बाद पानी की आवाज़ बंद हुई तो बीना उठकर सोफे के पीछे छुप गई. वो देखना चाहती थी कि कपड़े बदलने के बाद वीरेंदर आशना के रूम की तरफ जाता है या नहीं. थोड़ी देर बाद वीरेंदर बाथरूम से निकला और शीशे का सामने खड़े होकर अपने बाल संवार रहा था. वो बाथरूम से हाथ मूह धोकर निकला था और उसने कमर पर टवल लपेट रखा था. 

आगे से टवल उपर उठा हुआ था जो कि सॉफ बता रहा था कि वीरेंदर कुछ सोच कर एग्ज़ाइटेड था. वीरेंदर ने झटके से अपना टवल खोल दिया और अपने लिंग को हाथ मे पकड़ते हुए बोला" यार तू फिर खड़ा हो गया, अभी रात को ही तो सुलाया था" बीना उसकी बातें सुन कर हैरान थी, अभी भी वो सोफे के पीछे छुपी हुई थी. उसे पता ना लगा कि वीरेंदर किस से बातें कर रहा है. \\

उसने धीरे से अपनी गर्दन उपर उठा कर देखा तो उसके होश ही उड़ गये. सामने वीरेंदर बिल्कुल नंगा उसके सामने खड़ा था. उसके हाथ मे उसका विकराल लिंग था और वो अपने लिंग से बातें कर रह था. वीरेंदर की नज़र अपने लिंग पर थी इस लिए उसे बीना का अपने रूम मे होने का आभास नहीं हुआ. वीरेंदर (अपने लिंग से बात करते हुए): थोड़े दिन की बात है साले, धीरज रख और मुझे इंप्रेशन बनाने दे उसके उपर. अगर वो मान गई तो तुझे रात-दिन उसकी गहराईयो की सैर कर्वाउन्गा. बीना उसकी बातें सुनकर एकदम हैरान थी. वीरेंदर जैसा दिखता था वैसा नहीं था. उसे तो वो हमेशा एक सभ्य और सुशील लड़का ही लगता था मगर वीरेंदर के मूह से ऐसी बातें सुनकर बीना एकदम हैरान थी. 
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02-01-2019, 05:52 PM,
#27
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर( अपने आप से बात करते हुए): चल बेटा अब जल्दी से कपड़े पहन ले और चल नीचे, तेरी रानी भी तैयार होके नीचे ही आने वाली होगी. नीचे चलते हैं और फिर उछल लेना उसे देख कर जितना उछलना है. यह कह कर वीरेंदर कपड़े पहनने लगा. वीरेंदर ने अंडरवेर पहना, फिर शर्ट पहनी और फिर पॅंट पहन कर अपने आप को आईने मे देख कर बोला "आज तो बहुत चमक रहा है यार तू, बस यार वो एक बार हां कर दे तो फिर अपने तो वारे-न्यारे और हमारा लंड उसकी चूत के सहारे". 

बीना ने वीरेंदर के मूह से ऐसे शब्दो की कभी कल्पना भी नहीं की थी. वो तो उसे एक बेहद ही डिसिप्लिंड और बेरूख़ा इंसान समझती थी. उसे यह तो कुछ दिन पहले पता लग ही चुका था कि वीरेंदर के पास लौडा बहुत ही तगड़ा है पर आज पहली बार एहसास हुआ कि वो जल्द से जल्द इसका इस्तेमाल भी करना चाहता है.
बीना(मन मे खुश होते हुए): आशना तो हिल भी नहीं पाएगी इस सांड के नीचे. 

वीरेनेदर भी अपने आप से बातें करते हुए: लेकिन यार एक प्राब्लम है, मेरा लंड इतना क्यूँ दुख़्ता है जब फूल जाता है, अब यह किसी से पूछ भी नही सकता. यार अपना साला कोई दोस्त भी डॉक्टर. नहीं है जो उसकी राय लेता. फिर वीरेंदर कुछ ऐसा बोल देता है जिस से बीना की चूत एकदम रस छोड़ देती है. 

वीरेंदर: किसी तरह आज बीना को बातों ही बातों मे पूछ ही लूँगा इसका इलाज और अगर ज़रूरत पड़ी तो सबसे पहले अपने लंड का उद्घाटन उसकी चूत से ही करूँगा. साली मुझे देखती भी ललचाई नज़रों से है, ज़्यादा नखरे किए तो पटक कर चोद दूँगा सबके सामने. 

बीना वीरेंदर की यह बात सुनकर एक दम हैरान रह जाती है, बीना ने शुरू शुरू मे वीरेंदर पर भी डोरे डालने चाहे थे पर वो उसे हर बार बीना आंटी कह कर चिड़ाता रहता था. अगर बीना को पता होता कि वीरेंदर की फीलिंग्स उसके लिए इतनी हॉट है तो वो तो कब की टाँगे खोल कर उसके सामने नंगी लेट गई होती. इतना सोच कर ही उसका स्खलन हो गया). 


वीरेंदर तैयार होकर नीचे चला गया. बीना कुछ देर वहीं बैठी रही और जो कुछ उसने सुना उसके के बारे मे सोचने लगी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वीरेंदर जैसा इंसान भी ऐसी गंदी बातें बोल सकता है. उसे तो लगता था कि गंदी गालियाँ बकने मे उसका और बिहारी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता मगर वीरेंदर के इस रूप से वो बिल्कुल अंजान थी.वो हर हाल मे वीरेंदर-आशना को एक करना चाहती थी ताकि वो पूरी जायदाद को हथिया सके लेकिन साथ ही उसे वीरेंदर के लौडे का सुख भी चाहिए था. एक बार तो उसके मन मे आया कि क्यूँ ना वीरेंदर को फँसा कर उससे शादी कर लूँ लेकिन फिर उसे ख़याल आया अपनी रेप्युटेशन का, अपने पति अभय का. अगर वो वीरेंदर के साथ कहीं भाग भी जाती है तो बिहारी या अभय कहीं ना कहीं उन्हे ढूँढ ही लेते और वैसे भी उसकी प्यास भुजाने को बिहारी तो था ही. वो यह रिस्क लेने का सोच भी नहीं सकती थी. वीरेंदर के साथ भागने मे उसे एक रिस्क और था. हो सकता वीरेंदर उसे अपना दिल बहला कर अपनाता या नहीं और फिर उस वक्त वो कहाँ जाती. उसने अपने दिमाग़ से बातों को झाड़ा और सोफे के पीछे से खड़ी होकर वीरेंदर के कमरे से निकल आई. 

अभी वो कमरे से निकली ही थी कि उसे बिहारी सीडीयाँ चढ़ता हुआ दिखा. बीना ने उसे अंदर आने का इशारा किया. 
बिहारी (अंदर आकर): यहाँ क्या कर रही है साली, कहीं वीरेंदर का लंड तो नहीं चूस रही थी, अभी अभी उसे बाहर जाते हुए देखा वो अपना लंड अड्जस्ट कर करता हुआ बाहर निकला है. बीना ने मुस्कुराते हुए बिहारी की तरफ देखा और बोली: मेरे सैयाँ उसका लंड तो मैं झट से चूस लूँ वो कहे तो सही, अभी अभी उसका लंड देखा है. कम से कम 8-9"लंबा और4.5'-5' मोटा तो होगा ही. 

बिहारी: तो तू यहाँ उसका लंड नापने आई थी. 

बीना: नहीं मेरे रज्जा, आई तो उस से मिलने थी पर .......और फिर उसे सब कुछ बता दिया. 

बिहारी: साला, दिखने मे तो ऐसा नहीं लगता पर वो भी क्या करे, लंड तो भगवान ने उसे भी दिया है और वो भी तगड़ा. माल तो तू भी कुछ कम नहीं है और आशना जैसा टाइट माल घर मे हो तो कौन साला साधु बना रह सकता है.बिहारी, बीना को देखते हुए: अब तेरी चूत मे तो लार टपक रही होगी कि वो भी तुझे चोदना चाहता है. 

बीना: अभी इसके बारे मे मैने कुछ सोचा नहीं है, पर इतना यकीन रखो जो भी करूँगी तुम्हारा कोई नुकसान नहीं होगा. जायदाद तो हमारे बीच ही बँटेगी. अच्छा सुन, मैने तुझे आशना की पैंटी दी थी, क्या हुआ उसका. 

बिहारी ने जेब से ब्रा और पैंटी निकाल कर बीना को देते हुए: यह ले, मगर तू इसका करेगी क्या. 

बीना ने आशना की पैंटी देखी जो कि अब सूखने लगी थी और मुस्कुरा कर बिहारी की ओर देख कर बोली: क्या हाल किया है बेचारी की कच्छी का.लगता है तू उस बच्ची की जान लेकर ही रहेगा अपने मूसल से. 

बिहारी: मैं तुझे नहीं रोकुंगा वीरेंदर से चुदने से तो तू मुझे मत रोकना आशना को चोदने से, हिसाब बराबर. 

बीना: चल देखते हैं क्या होता है. कुछ सोच कर तुझे बताती हूँ कि क्या करना है. 

बिहारी: तूने बताया नहीं कि इस पैंटी का क्या करेगी?. 

बीना: बता दूँगी रज्जा, तेरी रानी की कच्छी उसे ही देने जा रही हूँ, बाकी सब बाद मे समझा दूँगी. अच्छा एक कम कर, तू मुझे आशना का कमरा बता और नीचे जा , मुझे अपना काम करने दे. बिहारी ने गंदी स्माइल उसे दी और उसके मम्मों को कस कर दबाते हुए कहा "तू साली बहुत बड़ी छीनाल है, पता नहीं डॉक्टर. कैसे बन गई" और यह कह कर वहाँ से चला गया.जाते-जाते उसने इशारे से बीना को आशना का कमरा दिखा दिया. 

बीना उसे जाते हुए मुस्कुराते हुए देखती रही. उसे फकर हो रह था अपनी किस्मत पर. उसका प्लान अपने आप ही सफल हो रहा था. 
बिहारी के सीडीयाँ उतरते ही बीना आशना के रूम की तरफ चल दी. नॉक करने से पहले उसने आशना की ब्रा-पैंटी अपने बॅग मे रखी और डोर नॉक किया.

आशना: आती हूँ मेरे बाय्फ्रेंड जी. 

इतना सुनते ही बीना का सिर चकराने लगा, उसे लगा जैसे आशना उसकी सौत बनने की राह मे काफ़ी आगे निकल गई है. 
उसने अपने आप को संभालते हुए कहा "आशना दरवाज़ा खोलो, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है". 

अब बारी आशना के चौंकने की थी, उसने सोचा था कि वीरेंदर उसे नीचे जाने के लिए लेने आया होगा मगर उसने तो डॉक्टर. बीना को वीरेंदर समझ कर मज़ाक मे यह क्या कह दिया, आशना को अपने आप पर गुस्सा आने लगा. उसे काफ़ी शरम आ रही थी कि डॉक्टर. बीना उसके बारे मे क्या सोचेगी क्यूंकी वो तो यह जानती थी कि वीरेंदर उसका भाई है. उसने शरमाते हुए दरवाज़ा खोला और एक तरफ सहम कर खड़ी हो गई. 

बीना (अंदर आते हुए): अब तुम्हें क्या हुआ?

आशना ने कोई जवाब नहीं दिया, वो चुप चाप नज़रें नीचे झुका कर खड़ी रही. 

बीना: मैं तुमसे बात कर रही हूँ आशना. 

आशना: जी कुछ नहीं, वो मुझे लगा के वीरेंदर होगा तो मैने ग़लती से...... 

बीना: ग़लती से क्या? तुमने क्या कहा था ज़रा फिर से बोलना. 

आशना को लगा शायद डॉक्टर. बीना ने उसकी बात नहीं सुनी थी. उसने तेज़ी से दिमाग़ लगाया और बोली: मुझे लगा के वीरेंदर नॉक कर रहे हैं तो मैने कहा "अभी खोलती हूँ, दरवाज़ा पीटो मत". 

बीना आशना के झूठ पर मुस्कुरा दी. 
बीना: घर के मालिक से इस तरह की बात, ओह मैं तो भूल ही गई थी कि तुम भी तो घर की मालकिन हो. 

आशना कुछ नॉर्मल हुई और बोली: कहिए डॉक्टर. कब आईं आप?. 

बीना: अभी कुछ देर पहले ही आई हूँ, नीचे हॉल के बाथरूम मे हाथ मूह धो रही थी तो बाहर आकर बिहारी काका ने बताया कि वीरेंदर अभी अभी तैयार हो कर बाहर खड़ी गाड़ियाँ गॅरेज मे पार्क करने के लिए गया है तो मैं उपर चली आई. वीरेंदर के रूम का दरवाज़ा खुला देखा तो अंदर चली गई. वहाँ से सीधा तुम्हारे कमरे मे आई हूँ. 


आशना: वीरेंदर तैयार हो भी गये? हे भगवान मैने तो अभी कपड़े ही पहने हैं बस. आशना ने एक लाइट ऑरेंज कलर ली लोंग स्कर्ट और स्काइ कलर की स्लीवेलेस्स टी-शर्ट पहनी थी.उसने अंदर से वाइट ब्रा पहन रखी थी जिसके स्टारप्स उसके शोल्डर पर दिख रहे थे. आशना ने जल्दी से ब्लॅक कलर की शॉर्ट जॅकेट पहनी और अपने आप को शीशे में देखने लगी. इस ड्रेस मे आशना काफ़ी हॉट लग रही थी. उसके लंबे बाल खुले हुए थे, उसने झट से रब्बर बॅंड से उन्हे संभाला और डॉक्टर. बीना की तरफ देख कर बोली चलें. बीना उसे घूर कर देख रही थी और हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. आशना ने बीना की तरफ देखा तो शरमा कर वहीं खड़ी हो गई. \


बीना: सोच रही हूँ कि तुम वीरेंदर की कितनी केयर करती हो, उसके लिए फटाफट तैयार हो गई. उसके लिए इस घर मे आई और अब उसकी बीमारी का इलाज करने मे भी मेरी मदद कर रही हो. काश तुम सच मुच उसकी बेहन ना होती तो मैं वीरेंदर की शादी तुमसे ही करवा देती. बीना की इस तरह की बात से आशना एक दम शरमा गई और उसके गाल एक दम लाल हो गये. थोड़े देर कोई कुछ ना बोला. फिर बीना बोली: मगर लगता है कि वीरेंदर की ज़िंदगी मे कोई और लड़की आ गई है. इतना सुनते ही आशना के दिल को ज़ोर का झटका लगा. उसकी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा. उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप को गिरने से बचाया. उसके मूह से कुछ ना निकला. उसकी हालत देख कर बीना मन ही मन मुस्कुरा उठी. 

बीना: श्योर नहीं हूँ पर लगता है ऐसा. आशना के चेहरे के भाव को देखता हुए वो बोली: अभी जब मैं उसके रूम मे गई तो मुझे वहाँ उसके बाथरूम से पानी चलने की आवाज़ आ रही थी. मैने अंदर जा कर देखा तो वॉश-बेसिन का नल पूरी तरह से बंद नहीं था. मैं उसे बंद करके जैसे ही मूडी तो हॅंगर पर कुछ देख कर एक दम हैरान रह गई. आशना सवालिया नज़रों से बीना को देखने लगी. बीना ने अपने बॅग की ज़िप खोली और उसमें से आशना की ब्रा- पैंटी निकाल कर आशना को दिखाई और पूछा. 

बीना: इन्हे पहचानती हो? 
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02-01-2019, 05:52 PM,
#28
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना का दिल एक दम धड़कना रुक गया और खुशी के मारे उसकी आँखों मे पानी आ गया मगर उसने ना में सिर हिलाया. आशना का जवाब सुनकर बीना भी मन ही मन मुस्कुरा उठी. 

बीना: यह उसके बाथरूम से मिले हैं. वो तो इसे पहनता नही होगा तो ज़रूर रात को कोई लड़की यहाँ आई होगी और फिर जाते हुए वीरेंदर को गिफ्ट कर गई होगी. बीना बेशर्मी से उसे आशना की आँखों के आगे लहरा रही थी. 

आशना शरम से गढ़ी जा रही थी. आशना ने हाथ आगे बढ़ाकर उसे पकड़ लिया. जैसे ही उसने अपनी पैंटी हा हाल देखा, उसे अपनी पुसी मे गीलेपन का एहसास हुआ. (आशना सोचने लगी, की वीरेंदर कितने लापरवाह हैं, इन्हे यूज़ कर के उन्हे वहीं बाथरूम मे टाँग दिया. कहीं छुपा देना चाहिए था.) 

बीना: इसका मतलब जनाब कहीं अपना दिल खो बैठे हैं और रात को उन्होने अपनी हसरतें भी पूरी कर ले होंगी क्यूंकी इस से पहले की तो मैं गॅरेंटी लेती हूँ कि "ही वाज़ प्योर वर्जिन". 

आशना ने ब्रा-पैंटी को फोल्ड करके अपने पास रख लिया, यह सोच कर के इसमे उसके भाई उसके प्रेमी का पहला वीर्य गिरा है. 

बीना: इसे वहीं रख देते हैं, हो सकता है आज रात को फिर वो लड़की आए और अपने कपड़े वहाँ ना पाकर वीरेंदर से पूछेगी तो उसे कहीं शक ना हो जाए. 

आशना: आप फिकर ना करें, मैं बाद मे रख दूँगी. 

बीना मन में सोचते हुए: रख ले साली, यह तेरे होने वाले बच्चो के पिता के लंड से निकला वीर्य है, संभाल के रख ले. वीरेंदर की एक बात जो आशना ग़लती से जान चुकी थी , बीना अभी भी नहीं जानती थी कि वीरेंदर ने सच मूच रात मे आशना का नाम लेकर मास्टरबेट किया था.

बीना: चलो अब नीचे चलें, बहुत भूक लगी है. 

आशना: आप चलिए मैं अभी आती हूँ. बीना के जाते ही आशना ने ब्रा-पैंटी का सेट आलामरी मे रखा और अलमारी लॉक कर के रूम बंद करके नीचे आ गई. सबने डाइनिंग हॉल मे बैठ कर खाना खाया और बीना-वीरेंदर ने आशना के खाने की काफ़ी तारीफ भी की. आशना काफ़ी खुश हुई जब वीरेंदर ने खाने की इतनी तारीफ की.खाने के बाद वीरेंदर ने डॉक्टर. बीना को अपने रूम मे आने को कहा. 

वीरेंदर: डॉक्टर. आंटी, मुझे आप से कुछ बात करनी है, आप मेरे रूम में आ सकती हैं.

बीना की चूत यह सुनकर रिसने लगी और बोली: हां, हां क्यूँ नहीं. हम अभी आते हैं. 

वीरेंदर: मुझे सिर्फ़ आपसे बात करनी है. आशना को यह सुनकर अजीब सा लगा मगर उसने ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया अपने दिमाग़ पर. उसे लगा कि शायद वीरेंदर उसके सामने कंफर्टबल फील नहीं कर रहा होगा, आख़िर जनाब ने रात को उसके कमरे मे आकर चोरी जो की है. 

आशना: डॉक्टर. बीना आप ही जाइए, मुझे वैसे भी बड़ी नींद आ रही है, मैं अब थोड़ी देर सोउंगी. 

बीना:ओके, तो वीरेंदर तुम चलो, मैं अभी आती हूँ कुछ ज़रूरी कॉल्स करनी हैं. हॉस्पिटल से पेशेंट्स की जानकारी ले लेती हूँ.

आशना उपर जाने लगी तो वीरेंदर भी उसके पीछे पीछे सीडीयाँ चढ़ने लगा. आगे जाती हुई आशना की बलखाती कमर पर नज़र रखकर वीरेंदर सीडीया चढ़ने लगा और चक्की की तरह घूमती हुई उसकी मांसल गान्ड देख मन मे सोचने लगा "तेरे लिए ही साली डॉक्टर. से सलाह लेने वाला हूँ, कुछ ही दिनो मैं इसकी थिरकन और बढ़ा दूँगा मेरी रानी". 

उपर पहुँचते ही आशना ने पीछे मूड कर देखा और अपनी आस पर वीरेंदर की नज़र महसूस करते ही उसके होंठों पर मुस्कान तैर गई और उसके दिल से आवाज़ निकली "कमीना, अपनी ही बेहन के जिस्म को घूर रहा है".

नीचे खड़े बिहारी और बीना यह देख कर मुस्कुरा रहे थे. वीरेंदर और आशना अपने अपने रूम मे घुस गये. 

बीना: कितनी डोज डाली थी?

बिहारी: 10-15 मिनिट रुक जा साली तब तक वो शायद तेरे आने से पहले ही अपने कपड़े उतार कर तेरा इंतज़ार कर रहा होगा.

इतना सुनते ही बीना की चूत मे चीटियाँ रेंगना शुरू हो गई. 

बीना: मैं वॉशरूम होकर आती हूँ, क्या पता साला सीधा मेरी गान्ड पर ही अटॅक ना करे, आशना की गान्ड को तो बड़े चाव से देख रहा था.

जब तक बीना वॉश रूम यूज़ करती, बिहारी ने बर्तन सॉफ कर दिए और उस अफ़रोडियासिक की थोड़ी डोज खुद खा ली. जैसे ही वो बाहर हॉल मे आया, बीना भी वॉशरूम से बाहर निकली. 

बीना: मैं उपर जा रही हूँ, तुम ध्यान रखना, कहीं आशना बीच मे ना टपक पड़े.

बिहारी: तू बेफिकर होकर चुदवा उसके मूसल से, वो अब शाम तक नहीं उठेगी. मैने उसे नींद की गोलियाँ दे दी हैं पानी में. 
बीना:ओह, बिहारी तुम मेरे लिए कितना कुछ रहे हो और यह कहकर बिहारी के गले मे बाहें डाल दी. 

बिहारी ने उसकी बाहें झटक कर कहा: साली तेरे लिए नहीं अपने लिए खिलाई है गोली उसे. जब तू अपने यार से चुदेगि, मैं उसके कमरे में जाकर उसकी सील तोड़ूँगा, मैने तो डोज भी ले ली है. \

बीना(घबराते हुए): ऐसा मत करना मेरे सैयाँ,उस नाज़ुक कली के साथ, उसकी सील तो वीरेंदर को ही तोड़ने देना और मैं वादा करती हूँ कि मैं भी वीरेंदर से चुदवाउन्गी नहीं बस उसे तडपा कर इतना बेबस और ख़ूँख़ार बना दूँगी कि वो आशना पर झपट पड़े. अगर तूने उसकी सील पहले ही तोड़ दी और आशना ने हंगामा कर दिया तो सारा प्लान फैल हो जाएगा. 

बिहारी: अब आई ना लाइन पर साली, मुझे पता था तू ऐसे नहीं मानेगी. जा तू बेफिकर होके उसका लौडा चूस , मैं भी अपना माल आशना को पिला कर आता हूँ. 
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02-01-2019, 05:52 PM,
#29
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
दोनो सीडीयाँ चढ़ने लगे और उपर जाकर बीना बोली: हो सके तो एक ही बार झड़ना तू, वीरेंदर को गरम करके अगर मैं भी गरम हो गई तो तेरे कमरे मे आ जाउन्गी. 

बिहारी ने कुटिल मुस्कान के साथ उसे देखा और बोला "कुतिया कहीं की". 

बीना ने वीरेंदर का डोर नॉक किया. 
वीरेंदर: एक मिनिट डॉक्टर., अभी खोलता हूँ, वीरेंदर की आवाज़ से लग रहा था कि वो काफ़ी पीड़ा मे है. दो मिनिट के बाद वीरेंदर ने दरवाज़ा खोला और बीना अंदर आई और कमरे मे वीरेंदर के बिखरे कपड़े देख कर हैरान हो गई. वीरेंदर के सारे कपड़े बेड पर बिखरे पड़े थे. उसने फॉरन वीरेंदर की तरफ देखा जो कि एक वाइट पाजामे कुर्ते मे खड़ा हुआ था और उसकी आँखें काफ़ी लाल हो रखी थी. 

बीना ने अंजान बनते ह्यू पूछा "अरे योउ ओक वीरेंदर"? बीना ने अपने चेहरे पर चिंता की लाकारीन लाकर उसकी तरफ देखा. 
वीरेंदर: नहीं डॉक्टर. कुछ ठीक नहीं है. (वीरेंदर ने डॉक्टर. आंटी की बजाए सिर्फ़ डॉक्टर. बोला जिसे बीना जैसी चालाक औरत ने एक दम उसकी मनोदशा भाँप ली). उसने झट से दरवाज़ा बंद करके लॉक किया और वीरेंदर का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर बिठाया. बीना फॉरन उसके कपड़े बेड से उठा कर सोफे पर रखती है और उसके पास जाकर बैठ जाती है. 


बीना उसकी आँखों मे देखते हुए: बोलो वीरेंदर क्या बात है. 

वीरेंदर ने अपनी निगाहें झुका ली और चुप रहा.

बीना ने देखा के पाजामे मे वीरेंदर का लौडा विकराल रूप ले चुका था, वो जानती थी कि अब वीरेंदर दिमाग़ से ज़्यादा लंड की बात सुनेगा. 

बीना: बोलो वीरेंदर आख़िर बात क्या है, कुछ बताओ तो सही. आख़िर मैं तुम्हारी डॉक्टर. हूँ, मुझसे छिपाओ नहीं. 

वीरेंदर ने निगाहें उठाकर बीना की तरफ देखा और कहते कहते खामोश हो गया. 

बीना ने देखा के वीरेंदर की आँखों मे खून आ गया है. वो जानती थी कि लोहा गरम हो चुका है, किसी भी वक्त पिघल सकता है. आशना की तरफ से वो निसचिंत थी. उसे पता था कि अब तक वो सपनो की दुनिया मे काफ़ी आगे निकल गई होगी. बीना ने फिर से वीरेंदर को कुरेदना शुरू किया. 
बीना: वीरेंदर मूज़े बताओ क्या हो गया है तुम्हें, क्यूँ इतना परेशान हो. तुम्हारी आँखे इतनी लाल क्यूँ हैं, क्या तुम रो रहे थे.बताओ मुझे, आज मैं जान कर ही रहूंगी. 


इतना सुनते ही वीरेंदर एक दम पागलो सा खड़ा हुआ और अपने पाजामे को एक ही झटके मे नीचे करके अपनी कमीज़ उठा ली. और........

वीरेंदर(चिल्लाते हुए): यह प्राब्लम है मुझे. 

बीना उसके लंड को देखती ही रह गई, 9" लंबा और करीब 5" मोटा लौडा उसकी आँखों के आगे कुतुबमीनार की तरह खड़ा था. उस पर नसें ऐसे उभर आई थी कि थोड़ा सा दबाने से ही फट पड़ता.उसने अपनी पूरी ज़िंदगी मे कभी इतने बड़े लंड की कल्पना भी नहीं की थी. उसका हाथ अनायास ही उसके मूह पर चला गया. 

बीना( बनावटी गुस्सा दिखाते हुए): यह क्या बदतमीज़ी है वीरेंदर. 

बीना के रियेक्शन से वीरेंदर को अपनी ग़लती का एहसास हुआ. वीरेंदर धम्म से फिर से बेड पर बैठ गया. 

वीरेंदर: डॉक्टर. मैं क्या करूँ, यह मुझे हमेशा परेशन करता है. देखो इसे कैसे अकड़ गया है. मुझे दर्द हो रहा है, मैं क्या करूँ इसका. 

बीना( चोर नज़रो से उसके लौडे को निहारते हुए): तुम जवान हो वीरेंदर और काफ़ी सेहतमंद शरीर के मालिक हो और सबसे बड़ी बात अभी तक कुंवारे हो, इसलिए ऐसा है. मेरी बात मानो जल्द से जल्द शादी कर लो, इसका इलाज करने वाली ढूँढ लो. 

बीना के इस जवाब से वीरेंदर थोड़ा नॉर्मल हुआ, उसे लगा कि बीना ने शायद उसकी ग़लती माफ़ कर दी है. 

वीरेंदर: प्राब्लम इसका खड़ा होना नहीं है डॉक्टर., प्राब्लम है इस मे उठ रहा दर्द जब यह हार्ड हो जाता है. पता नहीं क्यूँ यह ऐसे ही दर्द करता रहता है. घंटो तक यह खड़ा ही रहता है और दर्द होता रहता है. मुझे तो लगता है मुझे कोई बीमारी है, तभी तो मैं शादी करने से डरता हूँ. 

बीना: इसका खड़ा होना तो तुम्हें हेल्ती प्रूव करता है और रही दर्द की बात तो तुम इसकी सफाई तो करते ही हो ना. 

वीरेंदर ने सवालिया नज़रो से बीना को देखा. 

बीना: मेरा मतलब, इसकी चमड़ी के अंदर गंदगी जमा हो जाती है जिसे अगर टाइम टाइम पर सॉफ ना किया जाए तो इन्फेक्षन हो सकती है. जिस कारण खारिश या दर्द होता है. 

वीरेंदर: इसकी चमड़ी ही तो पीछे नहीं होती, बहुत दर्द होता है यहाँ. 

बीना अंजान बनते हुए उसे देखती रहती है. 

वीरेंदर: डॉक्टर. प्लीज़ इसका कुछ इलाज करो, देखो इसकी चमड़ी पूरी पीछे नहीं होती. यह कह कर उसने अपने सुपाडे की चमड़ी को पीछे करने की कोशिश की . थोड़ा सा ही लाल सुपाडा बाहर आया था कि वीरेंदर के मूह से एक दर्द भरी आह निकली. 

बीना ने मोके का फ़ायदा उठाते हुए फॉरन अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया जैसे जताना चाहती हो कि वो उसके दर्द को दूर करने की कोशिश मे इसे पकड़ बैठी. बीना ने जितनी तेज़ी से उस लौडे को पकड़ा उतनी ही तेज़ी से अपना हाथ पीछे भी खैंच लिया. बीना की चूत रस बहा बहा कर बहाल हो गई थी पर वो इस लौडे से चुद नही सकती थी अभी. उसने बहुत कोशिश की अपने आप को रोकने की. 

बीना ने अपना हाथ पीछे खैंचते ही वीरेंदर की तरफ देखा और धीरे से बोली "आइ आम सॉरी". 

वीरेंदर: इट्स ओके, आप ही बताइए के अब इसका मैं क्या करूँ. 

बीना ने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली: तुम तो एक दम वर्जिन हो. 

इतना सुनते ही वीरेंदर की आँखें शरम के मारे झुक गईं. 
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02-01-2019, 05:52 PM,
#30
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बीना: शरमाओ मत, इसका इलाज है पागल लड़के. पहले बता देते तो अब तक यह कई घोड़ियो की सवारी कर चुका होता.

वीरेंदर शरम के मारे अपना चेहरे भी नहीं उठा पा रहा था. 

बीना: शरमाने से काम नहीं चलेगा मिस्टर. वीरेंदर. 

वीरेंदर ने अपना चेहरा उठाकर बीना की तरफ देखा जो कि उसके लंड को ललचाई नज़रो से देख रही थी. 
वीरेंदर: तो क्या मैं ठीक हो सकता हूँ. मेरा मतलब है कि इसका दर्द ठीक हो सकता है. 

बीना: बिल्कुल ठीक हो सकता है. आक्च्युयली मैं तुम्हें समझाती हूँ. शरमाना मत कोई भी सवाल मन मे उठे तो बेहिचक पूछ लेना, मुझे अपना दोस्त समझना. 

वीरेंदर ने हां मे गर्दन हिलाई

बीना--.ऐसा है कि जब तक लड़की कुँवारी (वर्जिन)होती है तो उसकी वेजाइना मे एक परदा जैसा होता है, जिसे "हाइमेन" कहते हैं. जब उनकी शादी होती है या शादी से पहले अगर वो किसी के साथ सेक्स करती हैं तो वो परदा फट जाता है जिस से उन्हें थोड़ी देर तेज़ दर्द होता है और खून भी निकलता है. ठीक उसी तरस मर्दों के पेनिस मे भी एक फ्लेशी सील होती है जो कि पेनिस के अगले हिस्से पर होती है जैसे कि तुम्हारी है. यह सील ना टूटने के कारण तुम्हारी पेनिस की चमड़ी पीछे तक नहीं जा पाती और अगर तुम कोशिश भी करते हो तो तुम्हें तेज़ दर्द होता है. 

वीरेंदर: तो इसका इलाज? मेरा मतलब यह कैसे टूटेगी. 

बीना(मुस्कुराते हुए): बड़ी जल्दी है तुम्हें अपनी सील तुड़वाने की. 

वीरेंदर बीना के इस जवाब से झेंप गया. 
वीरेंदर: नहीं मेरा मतलब वो..... 

बीना(हंसते हुए): कोई बात नहीं, मैं तुम्हें इसका इलाज बताती हूँ.
बीना: शादी के बाद जब तुम सुहागरात मे अपनी अपनी वाइफ की सील तोड़ोगे तो तुम्हारी भी सील टूट जाएगी, सिंपल. 

वीरेंदर(शरमाते हुए): इतना सिंपल नहीं है. मैं तो दर्द के मारे कुछ कर भी नही पाउन्गा. 

बीना: रहने दो यह सब. जब तुम्हारी बीवी तुम्हारे सामने बेड पर नंगी लेटी होगी ना तो तुम सब दर्द भूल जाओगे और उसे चोद........ 
बीना: आइ आम सॉरी. 

वीरेंदर: बोलो ना बीना. 
बीना हैरानी से उसकी आँखों मे देखती है. आज पहली बार वीरेंदर ने उसे सिर्फ़ बीना कह कर पुकारा था. बीना एक दम ताड़ गई कि बकरा घास खाने को तैयार है. बीना ने शरमाने का नाटक करते हुए अपने हाथ अपने चेहरे पर रख दिए और धीरे से बोली: मुझे शरम आती है. 

वीरेंदर को बीना की यह अदा घायल कर गई. 
वीरेंदर: बोलो ना बीना, जब मेरी बीवी नंगी होगी तो क्या? 

बीना ने हाथो से चेहरा छुपाकर ना मे गर्दन हिलाई. बीना जानती थी कि वीरेंदर को जितना तडपाया जाएगा वो उतना ही ख़ूँख़ार होगा. 

वीरेंदर: बताओ ना, प्रॉमिस मैं यह बातें किसी से नहीं कहूँगा. 

बीना ने अपनी आँखों से अपने हाथो की उंगलियाँ खोल कर देखा और बड़ी अदा से पूछा कि" अभय को भी नहीं बताओगे ना"? 

वीरेंदर: नहीं, गॉड प्रॉमिस. 

बीना: पर मुझे शरम आती है.वीरेंदर 

एकदम भड़क उठा और बोला: तो मुझसे सुन मैं बताता हूँ. जब सुहागरात पर मेरी दुल्हन नंगी लेटी होगी तो मैं उसे चोदे बिना रह नहीं पाउन्गा, यही कहना चाहती थी ना तू. 

बीना ने एकदम से अपने हाथ चेहरे से हटा कर अपना बायाँ हाथ अपने मूह पर रख दिया. 

वीरेंदर: क्यूँ अब क्या हुआ, तू बोले तो सब सही, मैं बोलूं तो इतना बड़ा मूह खुल गया. 

बीना: यह बातें कहने की होती हैं क्या (बीना हर बात बड़ी अदा से बोल रही थी और वीरेंदर उसके जाल मे फँसता जा रहा था). 
बीना: वीरेंदर को उकसाना चाहती थी, वो चाहती थी कि वीरेंदर एक बार उसे पकड़े तो सही, उसके बाद तो उसके लंड को छोड़ेगी ही नहीं. 

वीरेंदर: बाकी सब रहने दो मगर जब तक मेरी शादी नहीं हो जाती, तब तक इसका क्या करूँ. यह बात वीरेंदर ने अपने लंड की तरफ इशारा कर के कही. 

बीना: वोही जो अभी तक करते आए हो. 

वीरेंदर: खाक किया है अभी तक कुछ, कल पहली बार तो मूठ मारी रात को मैने, वो भी दर्द के मारे जान निकल गई. 

बीना ने देखा वीरेंदर अब खुलने लगा है तो उसने भी शरम का नाटक चोएड दिया. बीना ने उसकी आग को हवा देते हुए कहा: क्या कल पहली बार मूठ मारी तुमने?. 

बीना के मूह से ऐसी बातें सुनकर वीरेंदर के लंड मे और जोश आ गया. 

वीरेंदर: हां, प्लीज़ कुछ कर दे ना. 

बीना: मैं क्या करूँ, मैं कोई तेरी गर्लफ्रेंड या बीवी थोड़ी हूँ जो इसे ठंडा करूँ (यह बात बीना ने उसके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा), मैं तो तेरी बीना आंटी हूँ ना. 

वीरेंदर: बीवी तो तू अभय की है तो मेरी गर्लफ्रेंड बन जा ना. 

बीना: अच्छा जी अब मतलब निकालने के लिए बीना आंटी को गर्लफ्रेंड बना रहे हो. 

वीरेंदर: बन जा ना क्या फरक पड़ता है. तेरी कॉन सी सील है जो अभय को पता चल जाएगा. 

बीना: ना बाबा ना, इतने बड़े ल.......वाले की गर्लफ्रेंड नहीं बनना मुझे. मैं तो मर ही जाउन्गी. 


वीरेंदर: क्यूँ, क्या अभय का लंड ऐसा नहीं है क्या?. अब वीरेंदर बिल्कुल गंदे वर्ड्स पर उतार आया था तो बीना भी कहाँ पीछे हटने वाली थी.

बीना: अभय का क्या मुझे तो लगता है तेरे से बड़ा लंड शायद ही किसी का हो. तेरी दुल्हन तो शायद ही झेल पाए तुझे अगर वो वर्जिन हुई तो. 

वीरेंदर: क्या सच मुच मेरा बहुत बड़ा है. 

बीना: इतना बड़ा कि मुझ जैसी औरत भी मुश्किल से ले पाए बिना तेल लगाए. 

वीरेंदर की आँखों मे चमक आ गई. वीरेंदर(शरारती लहजे मे): तैल तो है मेरे पास बाथरूम, तू तैल की चिंता ना कर. 

बीना: अच्छा बच्चू, मुझ से सीख रहे हो और मुझ पर ही प्रॅक्टिकल भी करना चाहते हो. 
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