bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:53 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
करीब 1:45 पर आशना और वीरेंदर अपने अपने रूम से बाहर निकले. वीरेंदर डार्क ब्राउन पॅंट कोट में था और क्रीम शर्ट के साथ उसने डार्क ब्राउन कलर की टाइ पहनी थी. आशना ने ब्लॅक कलर की स्किन टाइट कॅप्री और स्काइ ब्लू टॉप पहना था जो कि उसकी कुवर्व्स को और भी ज़्यादा नुमाया कर रहा था. 

वीरेंदर: मुझे तो लगता है आज तुम्हारी फ्रेंड त्रिवेणी का ब्रेकप हो जाएगा. 

आशना( सवालिया नज़रो से वीरेंदर की तरफ देखते हुए): क्या मतलब?????

वीरेंदर: मतलब यह कि तुम्हे देख कर कहीं उसके बॉय फ्रेंड ने अपना इरादा बदल लिया तो????

आशना: फिर तो पक्का ब्रेकप हो जाएगा आज उसका. 

वीरेंदर एक दम शॉक्ड होकर: क्या मतलब???

आशना: उसका बाय्फ्रेंड चाहे अपना इरादा बदले ना बदले मगर मेरी फ्रेंड आपको देख कर एक बार तो ज़रूर सोचेगी. 

आशना की बात सुनकर दोनो हँसने लगे. 

वीरेंदर: मुझे तो मेरी "पगली गुड़िया" ही चलेगी. 

आशना: और मुझे मेरे "वीर". 

दोनो बातें करते हुए घर से बाहर निकल गये. वीरेंदर ने जाते हुए बिहारी को बता दिया कि रात को वो देर से आएँगे तो डिन्नर के लिए वो लोग उनका वेट ना करें. 

बाहर आकर वीरेंदर ने गाड़ी स्टार्ट की और आशना के पास जाकर ब्रेक लगा दी. वीरेंदर ने झट से गियर को न्यूट्रल करके हॅंड ब्रेक लगाई तो आशना बोली: इट्स ओके मिस्टर. वीर, मैं जानती हूँ कि आपको मॅनर्स हैं बट इस तरह से तो मैं सिर पर चढ़ जाउन्गी. 

आशना डोर खोलकर गाड़ी में वीरेंदर के साथ वाली अगली सीट पर बैठ गयी.

वीरेंदर: सर पर क्यूँ चढ़ोगी, तुम्हारी जगह तो कहीं और है. 

आशना: जब देखो तब एक ही बात सूझती है आपको, बिल्कुल त्रिवेणी की तरह ही बातें करते हो आप. सच में मुझे लगता है कि आज बेचारे डॉक्टर. विजय और मेरा दिल टूटने वाला है. 

वीरेंदर: तो तुम्हारी फ्रेंड के बाय्फ्रेंड डॉक्टर. हैं???

आशना: जी हां और त्रिवेणी भी उसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है, वहीं पर दोनो की मुलाकात हुई और फिर बात यहाँ तक पहुँच गयी है कि नेक्स्ट ईयर वो दोनो भी शादी करने वाले हैं. 

वीरेंदर: वाउ, ग्रेट, यह तो बहुत अच्छी बात है.

आशना: कितना टाइम लगेगा हमे वहाँ पहुँचने में. 

वीरेंदर: बड़ी जल्दी है त्रिवेणी से मिलने की. 

आशना: आज करीब 3 साल बाद मिल रहे हैं हम दोनो. 

वीरेंदर: ओह शिट, तो फिर मैं और विजय तो बस आपको देखते ही रहेंगे, आपकी बातें ही ख़तम नहीं होंगी तो हम पर ध्यान कब दोगि आप लोग. 

आशना: चिंता मत करो, आपका ख़याल भी रखूँगी. 

वीरेंदर: सच!!! 

आशना(रूठने का नाटक करते हुए): देखो आपने फिर बात कहाँ घुमा दी, आप बड़े गंदे हैं. 

वीरेंदर: बंदे की तारीफ के लिए शुक्रिया, रात को इसका इनाम भी दूँगा. 

आशना: जी नहीं, मुझे कोई इनाम नहीं चाहिए. 

वीरेंदर: हम किसी का उधार नहीं रखते. गंदा कहा है तो अब गंदा काम करना ही पड़ेगा. 

इसी नोक झोंक में वो दोनो होटेल पहुँच गये. पार्किंग करके, जैसे ही वो आयेज बढ़े, सामने से आती कार में बैठी एक लड़की को देख कर वीरेंदर के मुँह से निकला "वाउ, क्या हॉट लड़की है यार". आशना ने ज़ोर से अपनी कोहनी वीरेंदर की बगल में मारी और फिर कार में बैठी लड़की की तरफ देखा तो उसके चेहरे के भाव एक दम बदल गया. 

आशना ने तेज़ी से अपना हाथ हिलाते हुए कहा " हाई त्रिवेणी". कार रुकी और त्रिवेणी तेज़ी से कार से बाहर निकली और दोनो सहेलियाँ एक दूसरे की तरफ भागी. दोनो इतनी ज़ोर से गले मिली कि वीरेंदर और विजय कभी उन दोनो को तो कभी एक दूसरे को देखते. विजय ने गाड़ी पार्क की और गाड़ी से उतर कर वीरेंदर से हाथ मिलाते हुए कहा: यार हम खुद ही एक दूसरे को इंट्रो दे देते हैं, इन्हे तो इसकी फ़ुर्सत ही नहीं. 

दोनो ने एक दूसरे को अपनी अपनी इंट्रो दी और फिर वीरेंदर बोला:चलो अब एक दूसरे को छोड़ो और हमें भी एक एक मोका दो. वीरेंदर की बात सुनकर दोनो एक दूसरे से दूर हुई और त्रिवेणी झट से बाहें फैलाई वीरेंदर की तरफ बढ़ी.
वीरेंदर एक दम सकपका गया. 

त्रिवेणी: हग मी ना जीजू, यू आर सो हॉट यार. 

वीरेंदर, त्रिवेणी की बात सुनकर झैन्प गया. आशना और विजय वीरेंदर की हालत देख कर ज़ोर से हंस दिए. 

त्रिवेणी: जीजू आपकी साली बाहें फैलाई खड़ी है और लोग हम पर हंस रहे हैं. आइए हम भी इन्हे जीजू साली का प्यार दिखा दें. 

आशना: बस कर अब, यहीं पर सारा फ्लर्ट कर लेगी तो शाम तक कुछ नहीं बचेगा. 

वीरेंदर खिसियाया हुआ आशना के पीछे पीछे चल दिया. एक कॉर्नर पर टेबल पर चारो बैठ गये. 

विजय: वीरेंदर, डॉन'ट टेक इट अदरवाइज़, यह है ही ऐसी. 

त्रिवेणी: क्यूँ???? इसका क्या मतलब??? मुझे तो लगा कि जीजू को मैं हॉट लगी हूँ तो गले मिलकर इनकी इतनी सी इच्छा तो पूरी कर हे सकती हूँ, क्यूँ आशना, इतना हक तो बनता है ना यार???

आशना: मेरी माँ, तुम्हारा हक कोई छीन सकता है क्या, तुम उसे जीने लायक ही नहीं छोड़ोगी. 

बातों बातों में सभी एक दूसरे के बारे में पूछने लगे. 
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02-02-2019, 12:54 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
विजय ने जब वीरेंदर के बारे में पूछा तो आशना झट से बोली: इनका रेडीमेड गारमेंट्स का बिज़्नेस है. (आशना नहीं चाहती थी कि त्रिवेणी को वीरेंदर पर शक हो क्यूंकी त्रिवेणी वीरेंदर के बारे मैं बहुत कुछ जानती थी). 

वीरेंदर ने भी चुप रहने में ही भलाई समझी. 

त्रिवेणी: यह यहाँ देल्ही मे और तुम बंगलोर में, तो फिर आप दोनो मिले कहाँ. 

वीरेंदर: वो एक बार एक फ्लाइट के दौरान आपकी सहेली मुझे अपना दिल दे बैठी. मैने भी इसका हाथ थाम लिया तो यह सब कुछ छोड़ छाड़ कर मेरे साथ देल्ही आ गयी. 

त्रिवेणी: वाउ, लव इन दा एयर. 

वीरेंदर: यॅ, आप पहले नहीं मिली ना. 

इस बार झैन्पने की बारी त्रिवेणी की थी. वीरेंदर की बात सुनकर विजय खिलखिलाकर हंस दिया. 

विजय: भाई वाह, साली साहिबा को आख़िर जीजू ने चुप करवा ही दिया. 

त्रिवेणी ने विजय की कमर में चुटकी काट ली. 

त्रिवेणी: आपको तो बाद में देख लूँगी मैं. 

ऐसे ही बातों बातों में वेटर ने खाने का ऑर्डर लिया. खाना खाते हुए भी त्रिवेणी और आशना की बातें चलती रही. त्रिवेणी वीरेंदर से और वीरेंदर त्रिवेणी और विजय से काफ़ी इंप्रेस्ड हो गये थे. आशना ही एक ऐसी थी जो कि सब को पहले से ही जानती थी. खाना खाने के बाद वीरेंदर ने आइस्क्रीम का ऑर्डर दिया. 

त्रिवेणी: आशना यार एक बात तो बताओ, थोड़ी देर पहले जब हम ने आप दोनो को बाहर देखा तो उस वक्त तुमने जीजू को ज़ोर से कोहनी क्यूँ मारी थी??? 

त्रिवेणी का सवाल सुनते ही वीरेंदर का गला सूख गया. आशना मुस्कुरकर वीरेंदर की तरफ देखती है और बोलती है: तुम्हारे जीजू ने बात ही ऐसी की थी. 

त्रिवेणी(वीरेंदर की तरफ देखते हुए): अरे ऐसा क्या बोल दिया जीजू आपने जो आशना आपको बीच बाज़ार मारने के लिए कूद पड़ी. 

वीरेंदर: एम्म्म मुझे याद नहीं है अब. 

आशना ने मुस्कुराते हुए वीरेंदर की तरफ देखा और बोली " घर जाकर याद दिला दूँगी". 

त्रिवेणी: वाउ, कितने लकी हो तुम लोग, शादी से पहले ही साथ रह रहे हो. एक हम हैं, 3 साल से अफेयर चल रहा है लेकिन अभी तक एक रात भी साथ नहीं गुज़ारी. 

वीरेंदर और विजय दोनो ही एक दूसरे का मुँह देखने लगे. 

त्रिवेणी: डॉन'ट टेक इट अदरवाइज़ जीजू, मेरा मतलब हम ने कभी भी एक साथ 3-4 घंटे से ज़्यादा वक्त नहीं गुज़ारा और अकेले तो बिल्कुल नहीं. 

वीरेंदर को शरमाता हुआ देख कर विजय ठहाका लगा कर हंस पड़ा. 

विजय: यार वीरेंदर, यह तो ऐसे ही बातें करती है. सामने वाला बेचारा बातें सुनकर ही पानी पानी हो जाए लेकिन मेडम के चेहरे पर मज़ाल है कि शिकन तक भी आए. 

त्रिवेणी: मेरी तारीफ हो रही है या खिंचाई???

आशना: अच्छा छोड़ो यह सब. (वीरेंदर की तरफ देखते हुए): वीरेंदर आगे का क्या प्रोग्राम है अब???

त्रिवेणी: ठंड रख मेरी जान, घर जाकर आगे का प्रोग्राम बना लिओ, अभी तो थोड़ा टाइम हमारे साथ भी बिताओ यार. 

आशना, त्रिवेणी की बात सुनकर शरमा दी. 

त्रिवेणी: हाए मैं मर जावां, तेरी यही अदा तो मैं आज तक नहीं भूली हूँ जाना. 

तभी वेटर, आइस क्रीम लेकर आगया. 

त्रिवेणी: एक्सक्यूस मी, आइ हॅव टू यूज़ वॉश रूम. 

आशना: मी टू. 

वीरेंदर: जल्दी आ जाना, तुम दोनो का पता नहीं वहाँ भी बातें करना शुरू हो जाओ. 

त्रिवेणी: डॉन'ट वरी जीजू, आपकी आशना से सिर्फ़ बातें ही कर सकती हूँ, बाकी सारा हक तो आपका ही है.

आशना: त्रिवेणी, जस्ट कम वित मी यार, इट्स एनफ. 

दोनो हंसते हुए वहाँ से चली गयी. 

विजय: बुरा मत मानना भाई, त्रिवेणी की नेचर ही ऐसी है. 

वीरेंदर: डॉन'ट बी फॉर्मल यार. मैं तो खुश हूँ आप जैसे दोस्त पाकर. 

विजय: वैसे वी बोथ आर लकी टू गेट दीज़ गर्ल्स ऐज और लाइफ पारेटनर्स. 

वीरेंदर: टोटली अग्री वित यू ब्रो. 

वहीं वॉशरूम में:

त्रिवेणी: वाउ आशना यार, जीजू ईज़ सो हॉट. आइ आम जेलस. 

आशना: तुम्हारे जीजू का भी तुम्हारे बारे में यही ख़याल है. 

त्रिवेणी: व्हाट डू यू मीन???

आशना: उनको कोहनी इसीलिए मारी थी क्यूंकी उन्होने तुम्हे देख कर कहा था " वाउ क्या हॉट लड़की है यार". 

त्रिवेणी: सच!!! या अल्लाह, अब इस से बड़ी खुशी मुझे और कोई नहीं चाहिए. 

आशना: तो बात आगे चलाऊ क्या???

त्रिवेणी: ना बाबा ना, विजय का क्या होगा फिर और मुझे तेरा भी तो सोचना है यार. चल तेरे लिए इतनी कुर्बानी तो दे ही देती हूँ. तू भी क्या याद रखेगी कि त्रिवेणी ने किस तरह तुझसे दोस्ती निभाई थी. 

आशना: तू बिल्कुल नहीं बदली यार. 

त्रिवेणी: लेकिन तू तो बदल गयी है यार. कहाँ, वो 3 साल पहले वाली बोरिंग सी अकड़ू लड़की और कहाँ यह आशना जिसने लाइफ को एंजाय करना और जीना सीख लिया. आइ आम सो हॅपी फॉर यू. 

दोनो ने एक दूसरे को गले लगा लिया और दोनो की आँखें नम हो गयी. 

त्रिवेणी: चल यार जल्दी से वरना हमारे उनको कहीं हम पर शक ना हो जाए. 

आशना(अपनी आँखें पोछते हुए): वीरेंदर, जानते हैं कि मैं लेसबो नहीं हूँ. 

त्रिवेणी: वो तो विजय भी जानते हैं कि मुझे जो चीज़ पसंद है वो तुम्हारे पास नहीं है. 

दोनो खिलखिलाकर हंस दी.
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02-02-2019, 12:54 AM,
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आशना(त्रिवेणी को आँख मारते हुए): वैसे, इतने सालों में कोई चान्स लगा कि नहीं????

त्रिवेणी: काश ऐसा हो पता मगर लगता है भगवान को इस कन्या पर अभी तक दया नहीं आई. 

त्रिवेणी: तू अपनी सुना तुम दोनो तो एक ही घर में रहते हो. 

आशना: अपनी भी स्टोरी तेरे जैसी है मगर हां उन्हे "प्लीज़" कर देती हूँ. 

त्रिवेणी: अरे वाह, आख़िर फ्रेंड किसकी है. 

आशना: तो इसका मतलब तुम भी???

त्रिवेणी: तो तुम्हे क्या लगा मुँह चलाना बस तुम्हे ही आता है???? 

आशना: यार तुम कैसे सारी बातें डाइरेक्ट बोल देती हो, मुझे तो शरम आती है. 

त्रिवेणी: गन्ना चूस्ते शरम नहीं आती लेकिन नाम लेने में शरम आती है. 

आशना: चल अब यहाँ से वरना तू थोड़े ही टाइम में मुझे भी बेशरम बना देगी और वैसे भी अगला प्रोग्राम मूवी का है तो कहीं लेट ना हो जाएँ. 

यह कहकर आशना आगे चल दी. 

त्रिवेणी: आए ज़ालिम प्यार में बेशर्मी ना दिखाई तो क्या प्यार किया. 

आशना और त्रिवेणी जब टेबल पर पहुँचे तो देखा आइस क्रीम पिघलना शुरू हो गयी है. 

आशना(त्रिवेणी की तरफ देखते हुए): ओह आइस क्रीम तो पिघल रही है, चलो जल्दी से खा लो. 

त्रिवेणी: दट'स व्हाई आइ हेट आइस-क्रीम. मुझे तो कोन ही पसंद है. 

टेबल पर बैठे सभी लोग त्रिवेणी की बात का मतलब समझ गये मगर सभी ने ऐसे बिहेव किया जैसे उन्होने वो बात सुनी ही नहीं. 

त्रिवेणी: हे गाइस, अगर आपने मेरी बात इग्नोर कर दी है तो इट्स ओके बट अगर आपको सच में समझ नहीं आया तो मेरे ख़याल से मूवी कॅन्सल कर देते हैं. 

सब त्रिवेणी की तरफ हैरानी से देखने लगे. 

त्रिवेणी: मूवी देखने का कोई फ़ायदा नहीं होगा, घर जाकर पोगो देखो बच्चो. 

त्रिवेणी की बात सुनकर सभी ठहाका लगा कर हंस दिए.

4:30 बजे के करीब सबने थियेटर चलने का प्रोग्राम बनाया. वीरेंदर ने पहले से ही बुकिंग करवा ली थी. 

त्रिवेणी(वीरेंदर से): जीजू आप और विजय साथ में आइए, मैं अपनी बहना के साथ आ जाती हूँ. 

वीरेंदर: मैने तो सोचा था तुम मेरे साथ चलोगि. 

त्रिवेणी: ज़रूर चलती जीजू मगर विजय पर भरोसा नहीं है मुझे, सो नो रिस्क. 

विजय: अच्छा अब मेरी खिंचाई शुरू. 

त्रिवेणी(कान पकड़ते हुए): सॉरी वीजू. 

विजय: यह बात तो माफ़ कर दी मगर मैं इस बात के लिए तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूँगा कि तुमने आशना को मेरे साथ नहीं जाने दिया. 

त्रिवेणी(कमर पर हाथ रख कर): व्हाट डू यू मीन, मिस्टर. विजय?????

आशना ने बीच में आकर उन दोनो की नोक झोंक ख़तम करवाई और सब लोग थियेटर की तरफ चल दिए. रास्ते में त्रिवेणी और आशना की चपड चपड चलती रही और वही दूसरी गाड़ी में वीरेंदर और विजय अपने अपने अफेर्स की बातें करते रहे. थियेटर कोई 15-20 मिनट की दूरी पर ही था. वीरेंदर ने टिकेट्स कलेक्ट की और सब अंदर की तरफ चल दिए. 

आशना: वीरेंदर, हमारा सीट नंबर. क्या है???? 

वीरेंदर: लास्ट रो कॉर्नर सीट. 

त्रिवेणी: वाउ जीजू यू आर सो रोमॅंटिक. 

वीरेंदर: आपकी बहना के लिए तो कुछ भी कर सकता हूँ.

यह सुनकर आशना का दिल ज़ोर से धड़कने लगा. 

त्रिवेणी: जीजू आप मेरे साथ बैठोगे या मेरी बहना के साथ. 

आशना: यह मेरे साथ ही बैःटेंगे, तुम चाहो तो मेरे जीजू के साथ बैठ सकती हो. 

त्रिवेणी: आइ थिंक आइ डॉन'ट हॅव ऑप्षन. 

सब अपनी अपनी सीट पर बैठ गये. सबसे पहले वीरेंदर, उसके लेफ्ट में आशना फिर त्रिवेणी और सबसे आख़िर में विजय. पिछली सीट पर उन चारो के अलावा और कोई नहीं था. उनके अगली वाली रो भी खाली थी जबकि बाकी सारी सीट्स फुल थी. 

आशना(धीमे से त्रिवेणी से): यार बड़ी अजीब बात है, सारा हाल फुल है मगर लास्ट को दोनो रोस खाली हैं. हमारे सिवा यहाँ कोई दिख नहीं रहा. 

त्रिवेणी: काश यह ऐसे ही खाली रहें तो मज़ा आ जाए. 

आशना: क्या मतलब????? 

त्रिवेणी: थियेटर में गन्ना चूसने का मज़ा ही कुछ और होता है. पब्लिक प्लेस पर ऐसी हरकत रोमांच को चार गुना बढ़ा देती है. 

आशना: शट अप यार, जब देखो मज़ाक, कभी तो सीरीयस हुआ करो. 

त्रिवेणी: सीरियस????? अरे यार बाय्फ्रेंड के साथ मूवी देखने आई हो, पेरेंट्स के साथ मंदिर में नहीं. वैसे तुम्हे क्या लगता है वीरेंदर तुम्हे यहाँ मूवी दिखाने लाया होगा???

आशना: सब तुम्हारे जैसे नहीं होते मिस त्रिवेणी. 

त्रिवेणी: सब मेरे जैसे नहीं होते, आइ नो आइ आम यूनीक बट सोच सबकी एक जैसी होती है. फरक सिर्फ़ इतना है कि मैं हिम्मत करती हूँ और लाइफ एंजाय करती हूँ. 

आशना: इसे तुम एंजाय्मेंट कहती हो????

त्रिवेणी: चलो छोड़ यार, तुम नहीं समझोगी. बेचारा वीरेंदर कहाँ आकर फस गया. 

आशना: बच्चू बाहर चल दिखाती हूँ तुझे. 

त्रिवेणी: अरे यहीं पर दिखा दे उसे थोड़ा बहुत, देखना पागल हो जाएगा तेरे पीछे और तू भी इतनी मदहोश हो जाएगी कि रोज़ रोज़ थियेटर जाने का मन करेगा. 

विजय: अरे यार तुम दोनो ने आपस में ही बातें करनी हैं तो कम से कम हम दोनो को साथ बैठने दो ताकि हम बोर ना हो जाएँ. 

वीरेंदर ने भी विजय की बात का समर्थन किया. 

त्रिवेणी(विजय से): सोच लो, फिर ना कहना कि मूवी अच्छी नहीं लगी. 

विजय, त्रिवेणी की बात सुनकर झैन्प गया. क्यूंकी वो त्रिवेणी की बात का मतलब अच्छे से जानता था. आशना भी त्रिवेणी की बात का कुछ कुछ मतलब समझ गयी मगर वीरेंदर हैरान सा कभी आशना को, कभी त्रिवेणी को तो कभी विजय को देखता. 

वीरेंदर: साथ बैठने से मूवी का अच्छा होने से क्या मतलब????

त्रिवेणी: जीजू मेरी बहना आप को सब बता देगी. डॉन'ट वरी, मैं आपके साथ अन्याय नहीं होने दूँगी. 

वीरेंदर, कन्फ्यूज़्ड सा त्रिवेणी की बात का मतलब निकालने लगा. 

आशना: इसकी बातों को मत सोचिए यह तो है ही ऐसी. 

त्रिवेणी: आशना यू नो फर्स्ट इंप्रेशन ईज़ दा लास्ट इंप्रेशन आंड फर्स्ट इंप्रेशन में जीजू ने मेरे बारे में क्या कहा था मुझे बस उसी से मतलब है. तुम चाहे मेरी जितनी भी बुराई कर लो मगर जीजू के दिमाग़ में जो मेरी पहली छवि बनी है उसे मिटाने में बहुत टाइम लगेगा. वीरेंदर यह सुनकर एकदम झैन्प गया के आशना ने त्रिवेणी को होटेल के बाहर वाली बात बता दी है. 
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02-02-2019, 12:54 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
तभी पर्दे पर ऐंटी ड्रग मूव्मेंट को सपोर्ट करने वाली एक अड्वर्टाइज़्मेंट स्टार्ट हुई और उसके बाद मूवी शुरू हो गयी. सब लोग आराम से मूवी का मज़ा लेने लगे. बीच बीच मे आशना चोर नज़रों से त्रिवेणी-विजय की तरफ देख लेती कि कहीं त्रिवेणी ने कोई हरकत करना तो शुरू नहीं कर दी. वीरेंदर ने आशना के हाथ पर अपना हाथ रखा तो आशना सिहर उठी. उसने झट से त्रिवेणी की तरफ देखा और फिर चारो और नज़र घुमाई. सभी मूवी में खोए हुए थे. 

आशना(वीरेंदर की तरफ सरककर): वीर, यह क्या कर रहे हैं आप, मुझे शरम आती है. 

वीरेंदर ने कुछ नहीं कहा बस आशना के हाथ को दबा दिया. आशना की साँस फूलने लगी. वीरेंदर ने आशना के हाथ को खींच कर अपनी टाँग पर रखा तो आशना के दिल की धड़कन बढ़ गयी. आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा. हालाँकि हाल में काफ़ी अंधेरा था मगर उन दोनो की नज़रें एक दूसरे को देख सकती थी. आशना ने नज़रें मिलाकर धीरे से गर्दन ना में हिलाई. वीरेंदर बस मुस्कुरा दिया. 

वीरेंदर(आशना के कान में): आइ आम सो एग्ज़ाइटेड आशना. 

आशना: मी टू वीर बट हम अकेले नहीं हैं. 

वीरेंदर: डॉन'ट वरी अब यहाँ हम चारों के अलावा कोई नहीं आएगा. 

आशना ने हैरानी से वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: मैने यह दोनो रोस की बुकिंग करवा दी थी. मैं नहीं चाहता था कि कोई हमे डिस्टर्ब करे. 

आशना ने हैरानी और प्यार भरी नज़रों से वीरेंदर की तरफ देखा. 

आशना: लव यू वीर.

वीरेंदर: मी टू. 

वीरेंदर ने विजय को भी यह बात बता दी थी कि पिछली दोनो रोस उसने बुक करवा दी है. 

विजय ने अपना हाथ उठाकेर त्रिवेणी की जाँघ पर रख दिया. त्रिवेणी के दम सिहर उठी. 

त्रिवेणी(धीमे से): क्या हुआ डॉक्टर. साहब. 

विजय: पास आओ ना. 

त्रिवेणी(शॉक्ड सी): क्या हो गया आपको मिस्टर. सबर करिए, शाम को आपके फ्लॅट पर चल रही हूँ ना. 

विजय: वहाँ जाकर भी ऐसा क्या करने दोगि जो हम यहाँ नहीं कर सकते. 

त्रिवेणी: यह आज क्या हो गया आपको, कैस बातें कर रहे हैं आप. 

हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड लड़की थी मगर यह उसकी नेचर में था. उसका और विजय का रीलेशन 3 साल से ज़्यादा समय से चल रहा था मगर उन दोनो ने आज तक बहक कर हद पार नहीं की थी. जब कभी विजय बहका उसे त्रिवेणी ने संभाला और जब कभी त्रिवेणी बहकी उसे विजय ने संभाला. शायद यही वजह थी कि दोनो का प्यार वक्त के साथ साथ और भी गहरा होता चला गया. 

विजय: अब क्या हुआ, आज तो दोपहर से ही बोल्ड बन रही हो. 

त्रिवेणी ने अपना सर विजय के कंधे पर रख दिया और बोली: आप तो जानते हैं ना मुझे, मैं ऐसे ही हूँ मगर आप यह भी जानते हैं कि हम दोनो के लिए क्या बेहतर है. 

विजय: डॉन'ट वरी वेणी, मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब तुम दुल्हन के लिबास में मेरे बिस्तर पर होगी और हम दोनो उस रात जी भर कर प्यार करेंगे. 

त्रिवेणी: आमीन. 

विजय: लेकिन तुम ही तो कहती थी कि तुम्हे एक बार पब्लिक प्लेस पर प्यार करने का रोमांच फील करना है. 

त्रिवेणी: मेरे जानू, अगर यहाँ कोई आ गया तो???

विजय ने उसे वीरेंदर द्वारा सीट्स की बुकिंग के बारे में बता दिया. 

त्रिवेणी: लेकिन यार आशना और जीजू भी तो हैं, मुझे बहुत शरम आएगी.

वहीं वीरेंदर की भी यही डिमॅंड थी और आशना भी इसी पशोपेश में थी. दोनो मर्दो ने अपनी अपनी डिमॅंड्स रख दी थी और फ़ैसला उन दोनो पर छोड़ दिया था. दोनो लड़कियाँ काफ़ी डर भी महसूस कर रही थी और काफ़ी एग्ज़ाइट्मेंट भी. दोनो ही अपने अपने प्रेमी के लिए यह सब करना चाहती थी आख़िर जवानी इसी को तो कहते हैं. जवानी में इंसान वो सब कर गुज़र जाता है जो उसने कभी सोचा भी ना हो मगर उन दोनो सहेलियों के बीच इस बात की काफ़ी झिजक थी. हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड थी बट किसी के सामने यह सब करना उसके लिए भी बड़े शरम वाली बात थी.

इसी उधेड़ बुन में इंटर्वल हो गया और हॉल की लाइट्स ऑन हो गयी.

आशना और त्रिवेणी की नज़रें मिली तो दोनो ही एक दूसरे की हालत से अंजान ना रह सकीं. त्रिवेणी ने बात पलटने के लिए वीरेंदर की तरफ देख कर कहा : जीजू मान गयी आपको, क्या चाल चली आपने. सारी सीट्स ही बुक करवा ली. वीरेंदर त्रिवेणी की बात से एकदम चौंक गया और बात बदलने के लिए झट से अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ.

वीरेंदर: आओ यार विजय बाहर घूम कर आते हैं और कुछ खाने पीने को भी ले आते हैं. 

वीरेंदर और विजय दोनो बाहर की तरफ चल दिए. आशना और त्रिवेणी दोनो खामोशी से वहीं बैठे रहे. दोनो में से किसी को भी कोई भी बात नहीं सूझ रही थी. वो दोनो बार बार एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देती लेकिन बात करने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी. यह पहली बार ऐसा हुआ था कि त्रिवेणी बोलने से झिजक रही थी. 

हिम्मत करके त्रिवेणी बोली: क्या हुआ तुम मूज़े देख कर बार बार मुस्कुरा क्यूँ रही हो????

आशना: यही सवाल मैं तुमसे पूछूँ तो???

त्रिवेणी: मैं तो ऐसे ही हूँ. हमेशा खुश रहती हूँ. 

आशना: मैं भी तो ऐसी ही हूँ. मुझे भी खुश रहना अच्छा लगता है. 

इस बात के बाद दोनो फिर से खामोश हो गयी. करीब 5 मिनिट के बाद वीरेंदर और विजय हाल में दाखिल हुए. आशना और त्रिवेणी ने उन दोनो की तरफ देखा और फिर एक दूसरे की तरफ. वीरेंदर और विजय चलते चलते उन दोनो से बस 8-9 सीट्स ही दूर रह गये थे. त्रिवेणी और आशना के दिल कोई धड़कन बढ़ चुकी थी. 

तभी अचानक से त्रिवेणी बोली: मुझे लगता है खुद खुश होने के साथ साथ हमे इन्हे भी खुश कर देना चाहिए और उसी वक्त त्रिवेणी की बात काटते हुए आशना बोली: हमारी तरफ मत देखना. 

दोनो ने यह बात एक ही समय में बोली और जैसे ही दोनो की नज़रें मिली दोनो के होंठो पर एक मुस्कान आ गयी और दोनो खिल खिला कर हंस दी. तब तक वीरेंदर और विजय भी उनके करीब पहुँच गये थे. 

विजय और वीरेंदर(साथ साथ बोलते हुए): क्या हुआ हमे भी तो बताओ. 

उन दोनो का एकसाथ एक समय पर एक ही सवाल सुनकर वो दोनो फिर से खिलखिलाकर हंस पड़ी. सब ने अपनी अपनी सीट्स ली और सॉफ्ट ड्रिंक के साथ साथ पॉपकॉर्न शेयर करने लगे. 

आशना ने वीरेंदर की तरफ और त्रिवेणी ने विजय की तरफ अपना रुख़ किया. दोनो दोस्तो ने हैरानी से अपनी अपनी गर्लफ्रेंड की तरफ देखा और फिर दोनो दोस्तों की नज़रें मिली. आशना और त्रिवेणी एक दूसरे की तरफ पीठ करके बैठी थी. 

वीरेंदर(आँखूं के इशारे से): व्हाट???? 

आशना: कुछ नहीं बस ऐसे ही देख रही हूँ. 

वीरेंदर: क्यूँ????

आशना: मेरी मर्ज़ी, हक है मेरा आप पर. 

वीरेंदर ने अपनी राइट बाज़ू आशना के शोल्डर पर रखी तो आशना की सिसकी निकल गयी. 

वीरेंदर: हक तो मेरा भी पूरा है. 

आशना: मेरे सरताज, मैं तो पूरी आपकी हूँ. जैसे चाहे दिल बेहलाइए. 

वीरेंदर(आशना की आँखों में देखते हुए): सच!!!!. 

आशना: मुच.

वीरेंदर ने अपनी बाज़ू का दवाब बढ़ाकर आशना को अपने पास खींचा और दोनो के होंठ जुड़ गये. उनके क़ानून में पुच पुच की आवाज़ आने लगी. आशना ने महसूस किया कि सेम आवाज़ उसके पीछे से भी आ रही थी. स्मूच करते हुए वीरेंदर ने अपना दूसरा हाथ आशना के गले पर रखकर आशना को मदहोश करना शुरू कर दिया. आशना के गले से एक घुटि हुई चीख निकली और आशना ने झट से वीरेंदर के हाथ पर अपना हाथ रख दिया. वीरेंदर ने मज़बूती से अपने हाथ को आशना के गले से नीचे करना शुरू कर दिया. आशना ने ज़्यादा विरोध नहीं दिखाया मगर उसकी गर्दन ना में घूमती रही. वीरेंदर का हाथ जैसे ही आशना के गले से नीचे उसकी क्लीवेज के पास पहुँचा, आशना एक दम सिहर उठी और वो ज़ोर से वीरेंदर के लब चूसने लगी. 

वीरेंदर ने धीरे से टी-शर्ट के उपेर से ही आशना के एक वक्ष को पकड़ लिया. आशना ने अपने हाथ वीरेंदर के सर के पीछे लेजा कर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोरदार तरीके से वीरेंदर की स्मूच का जवाब देने लगी. वीरेंदर ने अपनी जीभ खोलकर आशना की जीभ को आमंत्रण दिया जिसे आशना ने झट से स्वीकार किया और दोनो की जीभ एक दूसरे की जीभ से टकराती हुई एक दूसरे के मूह का रास्ता तय करने लगी. 
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02-02-2019, 12:54 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
लास्ट रो में गरम सांसो का शोर बढ़ चुका था. आशना वीरेंदर के साथ और त्रिवेणी विजय के साथ संसारिक मोह से दूर निकल आए थे. वो यहाँ तक भूल गयी थी कि वो एक पब्लिक प्लेस पर हैं और वो अकेले नहीं हैं. वीरेंदर और विजय की हालत भी इनसे अलग नहीं थी. दोनो के लिंग अपने अपने आकार में आ चुके थे और कपड़ों से बाहर निकलने को बेताब थे. 

विजय ने त्रिवेणी का हाथ अपने गले से उठाकर अपनी पॅंट पर रखा तो त्रिवेणी किसी मदमस्त समुन्द्रि लहर की तरह हिलकोरे खा कर मचलने लगी. त्रिवेणी ने अपना हाथ आराम से विजय के लिंग की लंबाई पर चलाया तो विजय की मस्ती भरी आह के साथ साथ उसके कान में वीरेंदर के दिल से निकली आह भी सुनाई दी.

आशना ने काँपते हाथों से वीरेंदर की पॅंट की ज़िप खोली. 

वीरेंदर: लुक अट मी आशना. 



आशना ने सर झुकाए हुए ना में गर्दन हिलाई. वीरेंदर ने उसकी चिन के नीचे हाथ रखकर उसके चेहरे को उठाया तो वीरेंदर की आँखों के सामने आशना का चमकता गुलाबी चहरा आ गया. आशना की आँखें बंद थी मगर शरम और लज़्ज़त से उसके होंठ फड्फाडा रहे थे. वीरेंदर, काफ़ी देर तक आशना के आंजेलिक चेहरे को निहारता रहा. वीरेंदर की तरफ से कोई हरकत ना पाकर आशना ने जैसे ही थोड़ी सी आँखें खोली. 

वीरेंदर: गॉर्जियस. यू आर सो ब्यूटिफुल, मुझे यकीन नहीं हो रहा आशना कि तुम मेरी हो. 

आशना की आँखें फिर से बंद हो गयी और होंठ मुस्कराते हुए खिल गये. वीरेंदर ने आशना के होंठो पर अपनी उंगली फिराई तो आशना सिहर उठी. आशना ने मूह खोलकर वीरेंदर की उंगली को अपने होंठों मे ले लिया. आशना ने वीरेंदर की आँखों में देखा तो वीरेंदर की आँखो की चमक और संतुष्टि देख कर आशना के दिल को एक अजब सा सुकून मिला. वीरेंदर की खुशी उसकी आँखों से बयान हो रही थी. आशना ने वीरेंदर की आँखो में देखते हुए वीरेंदर की उंगली को मूह में चूस लिया. लज़्ज़त से वीरेंदर की आँखें बंद हो गयी.

वीरेंदर, अपनी गर्दन सीट की तो पर रखकर आशना के मूह के नरम और गरम एहसास को अपनी उंगली पर एंजाय करने लगा. आशना ने अपना हाथ वीरेंदर की छाती पर रखते हुए उसकी शर्ट के दो बटन खोल दिए. आशना का नरम हाथ वीरेंदर की मर्दाना छाती पर पड़ते ही वीरेंदर ने सुकून की आह भारी. वीरेंदर की सख़्त छाती पर हाथ फेरते हुए आशना ने वीरेंदर के निपल्स को जैसे ही कुरेदना शुरू किया वीरेंदर का हाथ आशना के शोल्डर से होता हुआ उसके राइट बूब पर आ गया और उसे ज़ोर से दबा दिया. 

आशना के गले से एक घुटि हुई चीख निकली. आशना के राइट बूब को अच्छे से मसल्ने के बाद वीरेंदर ने अपना हाथ टी-शर्ट के गले से अंदर डालने की कोशिश की तो आशना ने वीरेंदर के हाथ को अंदर जाने से रोक लिया और उसकी तरफ देखकर इशारे से उसे यह ना करने की इल्टीजा की. वीरेंदर ने आशना की गर्दन पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ झुकाना शुरू किया. आशना के लिए इतना इशारा काफ़ी था. 

आशना ने आगे झुक कर वीरेंदर की पॅंट पर हाथ फिरा कर ज़िप की हुक को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया. वीरेंदर ने अंडरवेर नहीं पहने था जिस कारण वीरेंदर के लिंग का कुछ भाग ज़िप खुलते ही आशना की नज़रो के सामने आ गया. आशना ने वीरेंदर ले लिंग पर प्यार से हाथ फेरा और फिर उसे पूरी तरह पॅंट से बाहर निकाल दिया. वीरेंदर का लिंग अपने पूरे आकार मैं पॅंट से बाहर खड़ा था और आशना के दिल की धड़कन उसे देखते ही बढ़ गयी थी. 

इस वक्त आशना की पैंटी बिल्कुल भीग चुकी थी. आशना अपनी जाँघो को आपस में रगड़ कर मसल रही थी. 

वीरेंदर ने अपने हाथ को आशना की जाँघ पर रखा तो आशना काँपति आवाज़ में बोली: प्लीज़ वीरेंदर, में पागल हो जाउन्गी. 

वीरेंदर: तो हो जाओ, किसने रोका है? 

आशना: नो वीर प्लीज़, यहाँ नहीं. प्रॉमिस, आज घर पर आपको नहीं रोकूंगी. जो आपका दिल करेगा कर लीजिएगा, प्रॉमिस. 

वीरेंदर ने आशना के माथे को चूम कर अपना हाथ आशना की कमर पर रख दिया और उसे आगे की तरफ झुकने लगा . आशना ने झुक कर वीरेंदर के सुपाडे पर अपने मूह से गरम साँस छोड़ी तो वीरेंदर एक बार फिर से सिहर उठा. आशना ने वीरेंदर के सुपाडे के अगले भाग पर एक किस की तो वीरेंदर हवा में उड़ने लगा. 

वीरेंदर: यॅ , कम ऑन............... 

आशना ने मूह खोल कर वीरेंदर का सुपाडा अपने मूह में ले लिया था. वीरेंदर का शरीर अकड़ गया. उसे लगा जैसे उसे एक दम बहुत ज़्यादा नशा चढ़ने लगा है. आशना ने सुपाडे को मूह में रखकर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी. वीरेंदर तो अपने होश ही खो बैठा था. वीरेंदर होश में आया जब उसके कान में विजय की ग्रोनिंग की आवाज़ पड़ी. 

वीरेंदर ने आँखें खोल कर विजय की तरफ देखा तो पाया कि विजय बंद आँखें किए लंबी लंबी साँसें ले रहा है और त्रिवेणी उसे जन्नत की सैर करवा रही है. त्रिवेणी के मूह में सारा रस छोड़ने के बाद विजय बेसूध सा होकेर त्रिवेणी से चिपक गया. 

तभी आशना ने अपने मूह को नीचे करते हुए वीरेंदर के लिंग को करीब 4-5" तक निगल लिया. वीरेंदर के लिंग में दर्द की एक छोटी सी लहर उठी लेकिन उतनी ही जल्दी वो दर्द भरी लहर आनंद में बदल गयी. आशना ने जीभ से वीरेंदर के सुपाडे को कुरेदते हुए उसे भी जल्द ही सुख के सागर में गोता करवा दिए और वीरेंदर ने भी अपना अमृत आशना के मूह में भर दिया. इस बार आशना ने एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दी. 

करीब दो -तीन मिनिट तक दोनो अपनी साँसें संभालते रहे. थोड़ी देर बाद जब वीरेंदर ने आँख खोल कर विजय की तरफ देखा तो विजय को अपनी तरफ देखते मुस्कुराते हुआ पाया. वीरेंदर ने भी मुस्कुराते हुए उसे "थंब्स अप" का इशारा किया. 

आशना और वीरेंदर ने अपनी हालत को ठीक किया और आराम से बैठ गये. चारो मैं किसी को भी बात करने की हिम्मत नही हो रही थी. चारो ही एक दूसरे से शरमा रहे थे. 10- 15 मिनिट तक कोई कुछ नहीं बोला. करीब 15 मिनिट के बाद त्रिवेणी ने आशना को कोहनी मार कर अपनी तरफ सरकने के लिए बोला. 

त्रिवेणी: आइ हॅव टू गो टू वॉशरूम. 

आशना: मी टू. 

दोनो खड़ी हुई तो वीरेंदर बोला: अब क्या सीट्स चेंज करोगी तुम दोनो????

यह सुनते ही विजय ज़ोर से हंस पड़ा और साथ ही वीरेंदर भी हंस दिया. दोनो लड़कियाँ झेन्प गयी. दोनो चुप चाप बाहर निकल गयी. करीब 5 मिनिट के बाद दोनो आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गयी. त्रिवेणी, विजय के कंधे पर सिर रख कर बैठ गयी और वीरेंदर ने अपनी बाज़ू आशना ने शोल्डर पर रखकेर उसे अपने से सटा लिया.

मूवी ख़तम होने के बाद चारों वीरेंदर की घड़ी से लोंग ड्राइव पर निकल गये. रास्ते भर खूब बातें होती रही और कुछ देर पहले एक दूसरे के लिए जो झिजक की दीवार बनी थी वो जल्द ही टूट गयी. काफ़ी दूर निकल आने के बाद वो वापिस सिटी की तरफ आए और थियेटर के पास ही होटेल में डिन्नर करके एक दूसरे से विदा ली. 
आशना: थॅंक यू सो मच त्रिवेणी आंड जीजू. 

त्रिवेणी: थॅंक्स तो हमे जीजू का बोलना चाहिए जो इन्होने यह सब प्लान किया. 
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02-02-2019, 12:54 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
फिर से एक ऐसी ही मुलाकात का वादा करके सब लोग अपनी अपनी मंज़िलों की तरफ चल दिए. रात के 10: 30 बज चुके थे. वीरेंदर ने गाड़ी को गॅरेज में पार्क करके आशना का हाथ पकड़ा और उसे घर के पीछे बने लॉन में ले गया. 

आशना: यहाँ क्यूँ लाए हो??? 

वीरेंदर: याद हैं, इसी जगह मैने तुम्हे सबसे पहले प्रपोज़ किया था.

आशना ने सर झुककर हां में जवाब दिया.

वीरेंदर घुटनो के बल बैठ गया और आशना का हाथ पकड़ कर उसे चूमते हुए कहा: विल यू मॅरी मी आशना?????

आशना ने हैरानी से वीरेंदर की आँखों में देखा और उसकी आँखें नम हो गयी. घुटनों पर बैठते हुए आशना ने वीरेंदर की आँखों से कॉंटॅक्ट तोड़े बिना, जवाब दिया: आइ लव यू वीर आंड रियली वांट्स टू मॅरी यू. आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू. ऑल्दो, इट ईज़ इल्लीगल इन और रिलिजन टू मॅरी युवर ओन ब्रदर बट स्टिल आइ नीड युवर लव. मैं आपके बिना ज़िंदगी नहीं गुज़ार पाउन्गी वीर. मैने तो कब से आपको अपना मान लिया है. 

वीरेंदर ने आशना को अपनी तरफ खींच कर अपने गले से लगा लिया और बोला: मैं हर हाल में तुमसे शादी करूँगा. इसके लिए चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यूँ ना देनी पड़े. मेरा वादा है कि तुम्हारी माँग में सिंदूर मेरे ही नाम का होगा. ज़माने की परवाह नहीं है मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. 

आशना: मैं हर दम हर कदम आपके साथ कदम से कदम मिलकर हर मुश्किल और हर परेशानी का मुकाबला करूँगी. 

उस चाँदनी रात में दोनो प्रेमियों ने साथ जीने मरने की ना जाने कितनी कसमे खाई और अपने प्यार को परवान चढ़ाने के कितने ही वादे किए.

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Dolly sharmaGold MemberPosts: 926Joined: 03 Apr 2016 16:34
Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma » 29 Aug 2016 20:57

जहाँ आशना, वीरेंदर के आगोश में सुकून पा रही थी वहीं वीरेंदर भी आशना को अपने जीवन साथी के रूप में पाकर बहुत खुश था. खुले आसमान के नीचे वीरेंदर आशना को अपने आगोश में लेकर आकाश की तरफ देख रहा था. उसे ऐसा लग रहा था कि उसके परिवार के लोग उन्हे देख रहे हैं. वीरेंदर, आशना के संपर्क में आकर एक अजीब सा सुकून महसूस कर रहा था. दोनो प्रेमी एक दूसरे को अपनी अपनी मुहब्बत का यकीन दिलाते हुए एक आलोकिक दुनिया में उतरते चले गये.
आइए अब शरमा निवास मे रागिनी और बिहारी का हाल भी जान लेते हैं.

सुबह आशना और वीरेंदर के घर से निकलते ही बिहारी ने रागिनी को हाल में आने को कहा . 

रागिनी: क्या बात है विराट???? 

बिहारी: जब तक कॅमरा चार्ज हो जाता है तब तक मैं तुम्हे कुछ दिखाना चाहता हूँ. 

रागिनी: क्या????

बिहारी: तुम बैठो मैं अभी आता हूँ. 

यह कह कर बिहारी अपने कमरे में चला गया. बिहारी ने रात को ही प्लान कर लिया था कि वो रागिनी को आशना की सच्चाई बता देगा. अभी तक उसने रागिनी को यही बताया था कि आशना उसकी मौसेरी बेहन है लेकिन उसने फ़ैसला कर लिया था कि अब वक्त आ गया है कि रागिनी को आशना और वीरेंदर के रिश्ते के बारे में बता दिया जाए. वो जानता था कि रागिनी को थोड़ा दुख ज़रूर होगा कि पहले उसे झूठ बताया गया था मगर अब सच छुपा कर वो इस ख्याल को लंबा नहीं खींचना चाहता था. बिहारी जानता था कि आशना और वीरेंदर के अंतरंग पलों का सारा रेकॉर्ड कैमरे में क़ैद है. अब वक्त आ गया है कि वीरेंदर को आशना की सच्चाई बता कर और फिर रेकॉर्डिंग दिखा कर ब्लॅक मैल किया जा सकता है. 

यह सब वो रागिनी को बिना बताए भी कर सकता था मगर वो यह सब रागिनी से करवाना चाहता था ताकि खेल के उल्टा पड़ जाने पर भी वो सॉफ बच के निकल सके. हालाँकि उसे अपने प्लान पर पूरा विश्वास था मगर वो वीरेंदर के तेज़ दिमाग़ और उससे भी तेज़ निर्णय लेने की क्षमता के बारे में भी जानता था. अगर वीरेंदर ने कोई भी गडबड करने की कोशिश की तो जब तक वीरेंदर रागिनी से निबटेगा तब तक उसके पास यहाँ से निकल भागने का काफ़ी समय होगा. बिहारी ने ठान लिया था कि वीरेंदर को सच्चाई बताने का दिन कल का ठीक रहेगा. जब रागिनी और वीरेंदर ऑफीस पहुँचेंगे तभी रागिनी उसे वहाँ पर सारी सच्चाई बताए और फिर रेकॉर्डिंग के सहारे उसे ब्लॅकमेल कर सके.अगले दिन के लिए बिहारी ने सोच रखा था कि वो आज रात ही घर में रखे सारे गहने और कॅश सॉफ कर लेगा और कल सुबह रागिनी- वीरेंदर का पीछा करता हुआ ऑफीस के पास ही कहीं छुप कर वहाँ नज़र रखेगा. अगर सब ठीक हुआ तो आराम से घर लौट कर करोड़ों का मालिक बन जाएगा और अगर कहीं कुछ गडबड हुई तो लाखों के जवाहरात और कॅश ले उड़ेगा.

इस सब के लिए रागिनी को साँचे में ढालना बहुत ज़रूरी था, इसी लिए उसने रागिनी को आशना और वीरेंदर की सच्चाई बताने का फ़ैसला किया था. उसे मालूम था कि रागिनी उस पर अंधविश्वास करती है और वो जल्द ही उसकी बात मान जाएगी.

बिहारी जब हाल में वापिस आया तो रागिनी हाल में नहीं थी. बिहारी ने रागिनी को आवाज़ लगाई तो रागिनी बोली: विराट मैं यहाँ किचन मे हूँ, आपके लिए खाना लेकर हाल में ही आ रही हूँ. 

बिहारी(किचन की तरफ जाते हुए): ओह रागी, तुम मेरा कितना ख़याल रखती हो. 

रागिनी: आपके लिए तो मैं जान भी दे सकती हूँ विराट. 

बिहारी: मरे हमारे दुश्मन, भला तुम्हारी जान लेकर मैं क्या करूँगा, तुम तो खुद ही मेरी जान हो. 

रागिनी, बिहारी की चिकनी चुपड़ी बातों से खुश हो जाती है. रागिनी ने हाल में आकर खाना लगा दिया. खाना खाते हुए, रागिनी: विराट आप मुझे कुछ दिखाने वाले थे. 

बिहारी: खाने के बाद आराम से बैठ कर दिखाउंगा. 

रागिनी मन ही मन में खुश हुई कि शायद विराट उसके लिए कोई तोहफा लाए हैं. खाने के बाद रागिनी ने बर्तन समेटे और बिहारी आराम से हाल में लगे दीवान पर लेट गया. कुछ देर बाद जब रागिनी बिहारी के पास आई तो बिहारी ने उसे बैठने का इशारा किया. रागिनी बिहारी की बगल में बैठ गयी. उसकी साँसें तेज़ चलने लगी थी. उसे लगा कि शायद विराट घर में अकेले होने का फ़ायदा उठाएँगे और उसे खूब मसलेंगे. 

रागिनी: दिखाइए ना आप मेरे लिए क्या लाए हैं??

बिहारी हैरानी भरी निगाहों से रागिनी को देखने लगा. 

रागिनी: आप इतना हैरान क्यूँ हो गये???? 

बिहारी: तुम्हे किसने कहा कि मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ. 

रागिनी: क्यूँ नहीं लाए क्या?????

बिहारी का दिल किया कि रागिनी के गाल पर ज़ोर से एक झापड़ मारे. कहाँ वो सारी रात अगले कदम की प्लॅनिंग करता रहा और कहाँ रागिनी बिहारी से तोहफे की माँग कर बैठी. 

बिहारी(गुस्से को दबाते हुए): मैने तुम्हारे लिए गिफ्ट अभी खरीदा नहीं है, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ खुद मार्केट चलकर अपनी मर्ज़ी से कोई गिफ्ट ले लो. 

रागिनी, बिहारी की बात सुनकर एक दम खुश हो गयी. 

रागिनी( बिहारी के सीने पर सर रखते हुए): सच विराट, आप बहुत अच्छे हैं और मेरे दिल की हर बात समझते हैं. आप नहीं जानते कि मेरा कितना दिल करता है कि आप के साथ कहीं घूमने जाउ मगर ऐसा कुछ हो ही नहीं पाता. 

बिहारी: तू चिंता ना कर, बहुत जल्द तेरा यह ख्वाब पूरा होने वाला है. मैने सोच लिया है कि मुझे क्या करना है. 

रागिनी ने बिहारी की छाती से सर उठा कर उसकी आँखों मे देखा और पूछा: क्या करना है??? 

बिहारी उठ कर बैठ गया और तकिये के पीछे से एक हॅंड बॅग निकाला. यह वही हॅंड बॅग था जो उसने आशना के कमरे से चुराया था. बिहारी ने हॅंड बॅग रागिनी के हाथ में दिया. 

रागिनी( बॅग की तरफ देखते हुए): यह क्या है विराट????

बिहारी: खोलो तो सही. 

रागिनी(खुश होते हुए): आप मेरे लिए हॅंडबॅग लाए हैं. 

बिहारी( मन में): हाई रे नारी, क्या होगा तेरा. 

रागिनी ने झट से बॅग खोला और उसमे हाथ डाला. बिहारी एकदम तैयार था रागिनी को साँचे में ढालने के लिए.

रागिनी ने मुस्कुराते हुए बिहारी की तरफ देखा और बॅग में हाथ डालकर उस्मन रखे समान को बाहर निकाला. जैसे ही बिहारी की नज़र रागिनी के हाथ मे आए समान की तरफ पड़ी, बिहारी के चेहरे का रंग उड़ गया...................................

रागिनी के हाथ में आशना की वोही पॅंटीस थी जिन्हे थोड़े दिन पहले बिहारी ने अपने वीर्य से लथपथ किया हुआ था. बिहारी की नज़र जैसे ही पॅंटीस पर पड़ी, वो एक दम सकपका गया. 

ठीक उसी वक्त रागिनी की नज़र पॅंटीस पर पड़ी तो एकाएक उसके मूह से निकला "यक्क", यह किसकी पॅंटीस हैं विराट?????? और रागिनी ने गुस्से में उन्हे बिहारी के मूह पर फैंक दिया. 

बिहारी की आँखों के आगे एकदम अंधेरा छा गया. उसे बोलने को कुछ सूझ ही नहीं रहा था. रागिनी उस पर चीख चिल्ला रही थी मगर बिहारी तो कहीं शून्य में खोया हुआ था. 

बिहारी( मन में): तो इसका मतलब बीना ने आशना के काग़ज़ात निकाल कर यह पॅंटीस इस बॅग में रख दी थी. साली कुतिया कहीं की, मर गयी लेकिन फिर भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा. साला मैं ही पागल हूँ, उस दिन हॉस्पिटल से बिना देखे ही बॅग उठा कर ले आया, एक बार भी चेक नहीं किया. साली बीना आज तूने साबित कर दिया कि मैं कितना बड़ा चूतिया हूँ. सच में मैं अपने लोड्‍े से ही सोचता हूँ. तू जीत गयी मेरी कुतिया लेकिन मैं भी हारने वालों में से नहीं हूँ. मैं जानता हूँ कि तूने वो काग़ज़ात अपने ऑफीस में ही कहीं छिपा रखे होंगे, मैं उन्हे किसी भी कीमत पर हासिल करके ही रहूँगा. साली बड़ी कुत्ति चीज़ निकली तू तो, आशना की कच्छी भी चुरा ली और मुझे खबर तक ना होने दी. दाद देता हूँ तेरी मैं. अब लगता है कि तुझे इतनी जल्दी मार कर मैने ग़लती की, तुझे तो काम पूरा होने तक ज़िंदा रखना चाहिए था. बहुत शातिर दिमाग़ पाया था तूने मेरी कुतिया. 
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02-02-2019, 12:55 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
रागिनी कब से बिहारी पर चिल्ला रही थी मगर बिहारी के कानो तक उसकी कोई आवाज़ नहीं पहुँच रही थी. तभी रागिनी ने उसे झिंजोड़ा और तेज़ आवाज़ में पूछा: मैं आप से बात कर रही हूँ विराट, बताइए मुझे यह किसकी पॅंटीस हैं???


बिहारी के दिमाग़ में एकदम एक आइडिया कोंधा. बिहारी ज़ोरदार दहाड़ लगाते हुए बिस्तर से उठ खड़ा हुआ. 


बिहारी: हां रागिनी हां यह बॅग में तुम्हारे लिए लाया था और यह पॅंटीस भी मैं तुम्हारे लिए ही लाया था. शादी से पहले जब तुम बीना के साथ इस घर मे आई थी उसी रात मैने तुम्हारे लिए तोहफे के रूप मे यह बॅग और पॅंटीस खरीदी थी. उसी रात तुम्हे याद करके मैने इन्हे गंदा किया था. मैं तुम्हे पहली ही नज़र में देख कर पागल हो गया था और अपने आप को रोक नहीं पाया. तुम शायद ही समझ सको मेरी हालत को. आधी से ज़्यादा ज़िंदगी मैने औरत के बदन के स्पर्श के लिए तड़प तड़प कर काटी है और उस रात तुम्हे देख कर मैं अपने होश खो बैठा. उसके बाद मैं हमेशा से तुम्हे यह सब बताने की कोशिश करता रहा मगर यही सोच कर चुप रहा कि शायद तुम मेरे बारे में क्या सोचो. आज हिम्मत करके जब मैने तुम्हे यह तोहफा दिया तो तुम मुझे ही ग़लत समझ रही हो. बताओ क्या मेरी इतनी ही ग़लती है कि पहली ही नज़र मे मैं तुमसे बेपनाह प्यार कर बैठा हूँ??????


बिहारी की बातों को सुनकर रागिनी की जिन आँखों से गुस्सा फुट रहा था वहाँ से आँसू निकल गये. 

रागिनी(रोते हुए): मुझे माफ़ कर दीजिए विराट, मैने आपको ग़लत समझा. मुझे माफ़ कर दो. 

रागिनी ने दौड़ कर फर्श पर पड़ी पेंटीज उठा ली और उन्हे चूम कर अपनी छाती से लगा लिया. 

रागिनी: मुझे तो भगवान भी माफ़ नहीं करेगा, मैने इतना प्यार करने वाले पति पर शक किया और उसका दिल दुखाया. 

बिहारी ने बदलते हालत तो देखते हुए रागिन से अपना ध्यान हटाया और हॉस्पिटल से आशना के काग़ज़ात निकालने की तरकीब सोचने लगा. बिहारी को खामोश देख कर रागिनी उस से लिपट गयी. 

रागिनी: प्लीज़ विराट प्लीज़ बस एक बार मुझे माफ़ कर दें, आज के बाद मैं कभी भी आप पर शक नहीं करूँगी. 

बिहारी अपने ही ख़यालों मे डूबे हुए रागिनी से इतना ही कहता है: "मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो". 

यह कह कर बिहारी अपने कमरे की तरफ चल पड़ता है और रागिनी फुट फुट कर रोने लगती है. अपने कमरे मे आकर बिहारी दरवाज़ा बंद कर लेता है और अपना सर पकड़ कर सोफे पर बैठ जाता है. 

बिहारी(मन मे): साली कुतिया कहीं की, आज तो मुझे मरवा ही दिया था बीना ने. साली मरने के बाद भी मुझे चैन से जीने नहीं देगी यह चुड़ैल

बिहारी ने अपनी अलमारी से अपना मोबाइल निकाला और बीना के हॉस्पिटल का नंबर. डाइल किया. काफ़ी देर तक कोशिश करने के बाद भी कॉल कनेक्ट ना हो सकी. बिहारी परेशान हो उठा. उसने मोबाइल अलमारी मे रख कर अलमारी लॉक की और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकला. बाहर, रागिनी उसी जगह खड़ी अभी भी सूबक रही थी. बिहारी, रागिनी के पास जाकर उसे गले से लगा लेता है. 

बिहारी: मुझे माफ़ कर दो मेरी रागी, मैं तुमपर बेवजह चिल्ला दिया. 

रागिनी ने बिहारी को कस कर पकड़ लिया और बोली: नहीं विराट इसमे आपकी कोई ग़लती नहीं है, सारी ग़लती मेरी है. मैने आपके प्यार पर शक किया. 

बिहारी: बस चुप हो जाओ रागी, अब हम एक दूसरे को और दुखी नहीं करेंगे.

रागिनी, बिहारी के गले से लगे हुए सिसक सिसक कर धीरे धीरे शांत हो गयी. बिहारी ने उसे पानी पिलाया और उसे कुछ देर बाद आने के लिए कह कर चला गया. जाते जाते बिहारी ने अलमारी से चाबियो का एक गुच्छा उठाया (इन मे कुछ चाबियाँ बीना के कॅबिन और अलमारिओ की थी) और उसे जेब में डाल लिया.

रागिनी: जल्दी आ जाइएएगा, मैं आपका इंतज़ार करूँगी. 

बिहारी: बस कुछ ही देर मैं आ जाउन्गा, तुम तैयार रहना, तुम्हारी ग़लती की सज़ा तुम्हे आकर दूँगा. 

रागिनी के चेहरे पर स्माइल आ गयी और बोली: आपकी यह दासी हर सज़ा भुगतने को तैयार है विराट.

हॉस्पिटल पहुँच कर मेन गेट पर लगे ताले को देखकर उसने आस पास के दुकान दारों से पता किया तो उसे उसे पता लगा कि डॉक्टर. अभय ने हॉस्पिटल की बिल्डिंग बैच दी है और हॉस्पिटल के सारे पुराने रेकॉर्ड्स अपने साथ मुंबई मे लेजा कर वहीं एक प्राइवेट नर्सिंग होम खोल लिया है. यह खबर सुनकर बिहारी के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी. जहाँ पहले बीना का हॉस्पिटल हुआ करता था वहाँ बहुत जल्द एक बॅंक खुलने वाला था. काफ़ी देर तक बिहारी यहाँ वहाँ घूमता रहा और फिर उसे सामने एक देसी शराब की दुकान दिखाई दी. बिहारी ने अपनी जेब मे रखे पैसो को गिना और दुकान की तरफ बढ़ गया. 

वहीं रागिनी ने बॅग और पॅंटीस अपने कमरे मे संभाल कर रख दी. रागिनी जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकलने लगी, उसकी नज़र टेबल पर रखी कॅमरा बॅटरी की तरफ पड़ी. रागिनी ने देखा कि बॅटरी पूरी तरह से चार्ज हो चुकी है. रागिनी ने उसे चारजर से निकाल कर कॅमरा मे डाली और कॅमरा को बेड पोस्ट पर रख दिया और बाहर आकर एलसीडी ऑन करके चॅनेल्स बदलकर वक्त काटने लगी. बिहारी को गये हुए एक घंटे से उपर हो चुका था. रागिनी अकेले बोर हो गयी. तभी उसके दिमाग़ में आया कि क्यूँ ना रात को हुई आशना -वीरेंदर की रेकॉर्डिंग देखी जाए. 

इतना तो वो जानती थी कि उनके बीच कुछ खास नहीं हुआ मगर वो फिर भी देखना चाहती थी कि आख़िर सारी रात यह दोनो उस कमरे में करते क्या रहे. रागिनी, कैमरे को उठाकर हाल में आकर बैठ गयी. उसने कैमरे को ऑन किया और मूवी प्ले करने ही वाली थी कि लॅंडलाइन की घंटी बजी. रागिनी ने घड़ी की तरफ देखा 3:45 का टाइम हो रहा था. रागिनी ने रिसेवर उठाकर कान से लगाया. 

इस से पहले कि वो हेलो बोलती, सामने से वीरेंदर की आवाज़ आई: काका मैं वीरेंदर बोल रहा हूँ. यह बताने के लिए फोन किया था कि रात को आप लोग खाना खा कर सो जाइएगा हम लेट हो जाएँगे. मेरे पास में दरवाज़े की चाबी है, आप चिंता मत करना.(वीरेंदर ने यह फोन उस वक्त किया था जब आशना और त्रिवेणी होटेल के वॉशरूम में गयी हुई थी. वीरेंदर ने होटेल में बैठे बैठे ही सोच लिया था कि आज की रात वो आशना के साथ घर के पीछे वाले लॉन मे बिताएगा जहाँ उसने पहली बार आशना को प्रपोज़ किया था) 

रागिनी: सर, चाचू बाहर तक गये हैं, वो आएँगे तो मैं उन्हे बता दूँगी. रागिनी की आवाज़ सुनकर वीरेंदर खामोश हो गया. 

रागिनी: सर आप मुझसे नाराज़ हैं?? मैं तड़प रही हूँ आपसे बात करने के लिए, आज रात को मैं अपने कमरे में आपका इंतज़ार करूँगी. रागिनी की बात सुनकर वीरेंदर ने एकदम फोन काट दिया.

रागिनी: वीरेंदर बाबू, कब तक मुझसे दूर भगॉगे आख़िर एक दिन मेरे कदमो में गिरना ही है. जितना दूर भगॉगे उतना ही तड़पोगे. यह सोचते हुए रागिनी ने रिसेवर रखा और फिर से सोफे पर बैठ कर कैमरे को उठा लिया. 

रागिनी(मन में): पता नहीं विराट कहाँ चले गये, काफ़ी वक्त हो गया उन्हे गये हुए.

अपनी सोच में खोए रागिनी ने कैमरे का प्ले बटन दबाया और ध्यान से कॅमरा स्क्रीन पर देखने लगी. मूवी शुरू होते ही रागिनी की आँखो के आगे जो नज़ारा था उसे देख कर रागिनी की रूह तक काँप गयी. रागिनी का बदन गुस्से से जलने लगा और गला एक दम सूख गया. कॅमरा स्क्रीन पर बिहारी और बीना ना नंगा नाच चल रहा था. बीना बिहारी का लंड चूस्ते हुए बिहारी से वीरेंदर की दौलत को हड़पने के लिए प्लान बना रही थी और बिहारी गंदी गंदी गालियाँ देकर बीना को उकसा रहा था. 
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02-02-2019, 12:55 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
रागिनी पथराई सी सोफे पर बैठी बैठी जड बन चुकी थी. बीना और बिहारी के सेक्स को देख कर उसे सब कुछ समझने में देर ना लगी. जिस औरत को उसने मा का दर्ज़ा दिया उसने बस अपने फ़ायदे के लिए उसे एक मर्द के आगे परोस दिया और जिस आदमी से शादी करके वो नयी ज़िंदगी बसा चुकी थी वो उसे बहुत बड़ा धोखा दे रहा था. सामने चल रहे सीन को देख कर रागिनी एक दम बेसूध सी हो गयी थी. रागिनी ने बिहारी के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया था मगर बिहारी ने उसके साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया. रागिनी ने मूवी पॉज़ की और ज़ोर से चीखती हुई बिस्तर पर गिर पड़ी और दहाड़ मार मार कर रोने लगी. रागिनी एक दम पागल हो उठी थी, उसे किसी चीज़ का कोई होश ही नहीं रहा. ना जाने वो कितनी देर तक वहीं बेड पर पड़ी रोती बिलखती रही और उस दिन को याद करती रही जब उसने अपना घर, अपने माँ बाप को धोखा देकर छोड़ा था. उसे अपने कारनामो की सज़ा ही तो मिल रही थी.


दोपहर को गया हुआ बिहारी शाम करीब 7:00 बजे घर पहुँचा. नशे में धुत्त बिहारी आज बहुत कुछ गँवा चुका था और उस से भी ज़्यादा उसने रागिनी का विश्वास गँवाया था जिसका उसे इल्म तक ना था. आज के दिन सबसे ज़्यादा दुखी रागिनी थी जिसने अपने जीने का वजूद ही खो दिया था. 

लड़खड़ाते कदमो से बिहारी हाल मे प्रवेश करता है और इधर उधर नज़र दौड़ा कर रागिनी को ढूँडने की कोशिश करता है मगर रागिनी उसे कहीं नहीं दिखती. एक पल के लिए उसके पैर रागिनी के रूम की तरफ बढ़ते हैं लेकिन तभी वो रुक जाता है. बिहारी (मन में): रहने ही देता हूँ साली को, वरना फिर से चुदाई के लिए भीख माँगेगी. साला आज तो बहुत नशा हो गया, अब चुदाई क्या खाक करूँगा उस रंडी की. वैसे भी आज सब कुछ लूट गया है तो बहरहाल चुदाई मे मन भी कहाँ लगेगा. अब तो फिर से एक नया खेल रचना पड़ेगा वीरेंदर की दौलत हड़पने के लिए. यह सब सोच कर बिहारी जैसे ही अपने कमरे की तरफ मुड़ा, किसी चीज़ से पैर फँसते ही बिहारी मूह के बल फर्श पर गिर पड़ा. गिरते ही बिहारी की चीख निकल गयी. बहुत मुश्किल से बिहारी उठ कर बैठा और पैरो के पास पड़े कॅमरा को देखकर बोला: साले जान निकाल दी तूने. कॅमरा को उठाकर जैसे ही बिहारी ने स्क्रीन की तरफ देखना चाहा, उसके नाक से बहता हुआ खून कॅमरा स्क्रीन पर पड़ा और जैसे ही बिहारी को आभास हुआ कि यह खून उसी का है, वो चक्कर खाते हुए धडाम से फर्श पर गिर पड़ा.


आशना की गोद में सर रखकर वीरेंदर खुले आसमान में लेटा हुआ था और आशना के मासूम चेहरे को देखकर गुनगुना रहा था "जिस घड़ी तुझ को तेरे रब ने बनाया होगा, तेरा शृंगार तारूण से सजाया होगा...................". आशना प्यार भरी नज़रो से वीरेंदर को देख रही थी. 

आशना: आज घर नहीं चलना है क्या???रात के बारह बज गये हैं और जनाब की आँखो में नींद ही नहीं. 

वीरेंदर: आज के बाद साली नींद किसे आएगी. 

आशना(भोली बनते हुए): क्यूँ ??? ऐसा क्या हो गया है जो आपको नींद नहीं आएगी. 

वीरेंदर: मेरा मतलब कि अब अकेले नींद किसे आएगी. 

आशना: अकेले क्यूँ??? मिस्टर. वीरेंदर शायद आप भूल रहे हैं कि बीती रात से मैं भी आपके साथ आपके रूम मे रह रही हूँ. 

वीरेंदर एक दम उठ कर बैठ गया और चमकती आँखो से आशना को देखते हुए बोला: क्या तुम सच में मेरे साथ मेरे रूम में रहोगी?? 

आशना: मैने तो यही सोचा था मगर लगता है आप अकेले ही रहना चाहते हो. 

वीरेंदर: साला उल्लू का पट्ठा. 

आशना(हैरानी से): कॉन??? 

वीरेंदर: हम दोनो मैं उल्लू तो मैं ही हूँ. 

आशना खिलखिलाकर हंस दी. 

आशना( हंसते हुए): अपने आप को इतनी बड़ी पदवी देने का कारण जान सकती हूँ??

वीरेंदर: यार उल्लू का पट्ठा ही तो हूँ मैं. जब तुमने कल प्रॉमिस किया था कि आज के बाद तुम मेरे साथ मेरे रूम में ही रहोगी तो फिर मैं पता नहीं क्या क्या सोचने लग जाता हूँ. सोच सोच कर दिमाग़ खराब करता हूँ और फिर पता लगता है कि जिस चीज़ के लिए दुआ माँग रहा हूँ वो तो मेरी ही है. 

आशना: अच्छा जी. 

वीरेंदर: हां जी और यह कहकर आशना को अपनी गोद में उठा कर खड़ा हो गया. 

आशना: वीरेंदर छोड़ो मुझे. नीचे उतारो, कोई देख लेगा तो बड़ी बदनामी होगी. 

वीरेंदर: बदनामी??? अरे यार अपनी बीवी को गोद में उठाने से क्यूँ बदनामी होगी. 

आशना: बीवी??? लेकिन अभी तो हमारी शादी नहीं हुई. 

वीरेंदर: तो फिर अभी तुम मेरी कॉन हो??? 

आशना का चेहरा एकदम सुर्ख हो गया और नज़रें झुका कर बोली: वियर अभी तक मैं आपकी " पगली गुड़िया" हे हूँ. 

वीरेंदर के बदन मैं एक सिहरन दौड़ गयी. 

वीरेंदर: तो फिर आज इस "पगली गुड़िया" का वीर इसे आज ही अपनी दुल्हन बना लेगा. 

आशना को गोद में उठाकर वीरेंदर घर की तरफ चल दिया. 

आशना अपने पैर हवा मे मारते हुए: प्लीज़ वीरेंदर छोड़िए ना मुझे बहुत शरम आ रही है. 

वीरेंदर: अच्छा और जो रात मैं और फिर थियेटर मे तुमने मेरे साथ किया, उसमे शरम नहीं आई. 

आशना की आँखें बंद हो गयी लेकिन उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि वो मुस्कुरा रही है बस शरम के मारे आँखें नहीं खोल पा रही. 

वीरेंदर: बोलो, क्या था वो सब????

आशना खामोश रही. वीरेंदर ने आशना के सर को उठाकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब किया. 

वीरेंदर: बोलती हो या सच मे तुम्हारी बोलती बंद करूँ?

आशना के होंठ काँपने लगे लेकिन वो कुछ बोल ना पाई. आशना जानती थी कि वीरेंदर क्या करने वाला है. 

आशना( व्हीसपारिंग आवाज़ मे): नो वीर, प्लीज़ नो. मैं..... 

इस से पहले के आशना इस से आगे कुछ बोल पाती, वीरेंदर ने उसके होंठ अपने होंठो से सील कर दिए. वीरेंदर के होंठ आशना के होंठो से मिलते ही आशना के हाथ वीरेंदर के सर के पीछे चले गये और आशना ने भी वीरेंदर के होंठ चूसना शुरू कर दिया. आशना को गोद मे उठा कर वीरेंदर घर के दरवाज़े के पास पहुँच गया. वीरेंदर ने देखा कि दरवाज़ा हल्का सा खुला है तो अपने पैर से धक्का देकर उसने दरवाज़ा खोल दिया. 

आशना को जब इस बात का आभास हुआ कि वो घर के अंदर पहुँच गये हैं तो उसने छूटने की बहुत कोशिश की मगर वीरेंदर लगातार उसके होंठ चूसता रहा. आशना ने काफ़ी देर तक हाथ पैर मारे लेकिन उसकी एक ना चली. अंत मे आशना ने भी समर्पण कर दिया और वीरेंदर उसे गोद में उठाए अपने रूम की तरफ चल दिया. रूम के पास पहुँच कर वीरेंदर ने किस तोड़ी और आशना को नीचे उतारा. आशना की तरफ बिना देखे ही उसने जेब से चाबी निकाली और अपने रूम के डोर को अनलॉक करने लगा. जैसे ही वीरेंदर डोर खोल कर अंदर जाने लगा. आशना ने वीरेंदर का हाथ पकड़ लिया. 
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02-02-2019, 12:55 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर ने पीछे मुड़कर आशना की तरफ देखा. आशना की आँखें नशे से लाल हो चुकी थी. आशना इस वक्त काफ़ी हॉट और अपीलिंग लग रही थी. वीरेंदर ने अपना दूसरा हाथ आशना के हाथ पर रखा और उसे कमरे मे खींचने लगा. आशना ने ज़ोर लगा कर अपने आप को अंदर जाने से रोका. वीरेंदर ने आशना की आँखो मे सवालिया नज़र से देखा तो आशना ने "ना" मे गर्दन घुमाई. 

वीरेंदर(धीमे से): प्लीज़ कम. 

आशना: नहीं वीर, कुछ हो जाएगा. 

वीरेंदर: कुछ नहीं होगा, ट्रस्ट मी.

आशना: आइ ट्रस्ट यू वीर मगर मैं पागल हो जाउन्गी. 

वीरेंदर: आज मैं तुम्हारा पागल पन देखना चाहता हूँ आशना. मत रोको आज अपने आप को. दिल जो कहता है हो जाने दो, मेरी हो जाओ और मुझे अपना बना लो. 

आशना: अया वीर, प्लीज़ ऐसी बातें मत करो.

वीरेंदर: डू यू लव मी? 

आशना: बहुत ज़्यादा, अपने से भी ज़्यादा वीर. 

वीरेंदर: देन, यू कॅन गो. 

आशना ने एकदम से वीरेंदर की आँखो में देखा. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): जब तुम मेंटली प्रीपर हो जाओ, मेरे कमरे मे चली आना. आइ विल वेट फॉर यू. 

यह कहकर वीरेंदर ने आशना के हाथ को छोड़ा और मुड़कर अपने रूम में घुसने लगा. आशना ने धक्का देकर वीरेंदर को रूम में धकेला और खुद भी रूम में घुस कर डोर बंद कर लिया. 

जब तक आशना ने डोर को लॉक किया, वीरेंदर सम्भल चुका था. आशना की तरफ देखते हुए वीरेंदर मुस्कुराया और बोला: वेलकम टू माइ बेड रूम माइ "पगली गुड़िया". होप कि कल सुबह जब तुम इस रूम से निकलो तो मेरी बीवी बन कर निकलो. आशना दौड़ कर वीरेंदर से लिपट गयी और बोली: आप जो कहेंगे मैं बनने के लिए तैयार हूँ वीरेंदर बट आपको वीर मानकर सोचने में एक अलग सी फीलिंग आती है. बहुत मीठा मीठा सा दर्द होता है.

वीरेंदर: कहाँ???

आशना ने और ज़ोर से वीरेंदर को भींच लिया. वीरेंदर ने अपना हाथ आशना की कमर की साइड पर ले जाते हुए उसकी योनि के पास रखा और पूछा: यहाँ??? 

आशना ने अपनी योनि को वीरेंदर के हाथ पर दबाते हुए वीरेंदर के कान में कहा "एस वीर". 

वीरेंदर: यार एक बात कहूँ, हमारे रिश्ते के बारे में सोच कर मुझे भी एक अलग तरह की फीलिंग होती है. 

आशना ने अपना चेहरा वीरेंदर के चेहरे के सामने लाते हुए पूछा: किस तरह की फीलिंग होती है आपको???

वीरेंदर ने आशना की कमर में हाथ डाल कर आशना को अपने साथ सटाया तो वीरेंदर का लिंग आशना की नाभि से टकराया और वीरेंदर बोला: इस तरह की.

आशना की नज़रें अनायास ही झुक गयी और काँपते होंठो से बोली: मुझे भी.

वीरेंदर: तो चलो आज हम अपनी इन फीलिंग्स को एक दूसरे के सामने खोलते हैं और एंजाय करते हैं. 

आशना का बदन सिहर उठा. 

आशना: यह फीलिंग्स फील करने में जितनी रोमांचित करती है वास्तविकता में इनका सामना करना भी कितना कठिन होगा वीर. मैं शायद बहक भी जाउ लेकिन आप मुझे संभाल लेना. 

वीरेंदर: बस एक यही काम मुझसे नहीं होगा आशना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ मगर तुम्हे बाहों में लेकर अपने आप को संभाल नहीं पाउन्गा. 

आशना: जानती हूँ वीर. मैं तो बस अपने दिल को तसल्ली दे रही थी. जानती हूँ कि अब हम रुक नहीं पाएँगे. आपका तो पता नहीं लेकिन मैं आपके बिना नहीं रह पाउन्गी. 

वीरेंदर: लव यू आशना. 

आशना ने एक बार फिर से अपना चेहरा वीरेंदर के सीने में छुपा लिया और तेज़ तेज़ साँसें लेने लगी. 

वीरेंदर: एक बज रहा है आशना, सोना नहीं है क्या?

आशना: सोना? आपको सोना है? 

वीरेंदर: यार आज की रात तो वैसे भी निकल चुकी है. अब इतने से वक्त मे मैं तुम्हारे साथ कुछ करके तुम्हे दागदार नहीं करना चाहता. कल इतमीनान से अपने और तुम्हारे सारे अरमान निकालूँगा. 

आशना ने प्यार से वीरेंदर की छाती पर मुक्का मारा और बोली: आप बहुत गंदे हैं वीर, बहुत तड़पाते हो मुझे.

वीरेंदर: तुम्हारा ही तो भाई हूँ. 

आशना एक दम शरमा गयी और बोली: धत्त और यह कहकर वो वीरेंदर से दूर हो गयी. 

वीरेंदर ने अपना कोट उतारा और बेड पर लेट गया. वीरेंदर(आशना के लिए जगह बनाते हुए): आ जाओ तुम भी. 

आशना: जाइए पहले चेंज कर लीजिए तब तक मैं आपका बिस्तर सोफे पर लगा देती हूँ. 

वीरेंदर: सोफे पर???? 

आशना: जी हां, आज आप सोफे पर सोएंगे ताकि बाकी के बचे हुए घंटे हम दोनो चैन से सो सके. 

वीरेंदर: दिस ईज़ नोट फेर डार्लिंग. आज फास्ट है तो क्या हुआ, फ्रूट तो खा ही सकते हैं. 

आशना, वीरेंदर को मारने के लिए दौड़ी और बोली: खिलाऊ आपको फ्रूट. 
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02-02-2019, 12:55 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर फुर्ती से बेड से उठा और वॉशरूम की तरफ भागा. 

वीरेंदर: शेर की गुफा में आकर शेर से पंगा नहीं करने का, वरना..........

आशना(वीरेंदर की तरफ उंगली उठाकर): वरना?? 

वीरेंदर (वॉशरूम का दरवाज़ा खोलते हुए): आईला यहाँ तो शेर की गुफा में आकर शेर का ही शिकार होने वाला है और यह कहकर वीरेंदर वॉशरूम में घुस गया. 

आशना(मन में): देखती हूँ बच्चू बाहर कैसे आते हो, कपड़े तो बाहर ही रह गये हैं आपके. 

थोड़ी देर बाद वॉशरूम से वीरेंदर की आवाज़ आई: गुड़िया, मेरे कपड़े तो देना ज़रा. 

आशना ने कोई जवाब नहीं दिया. वीरेंदर ने एक बार फिर से आशना को पुकारा मगर आशना की तरफ से कोई जवाब ना पाकर, वीरेंदर ने धीरे से दरवाज़ा खोला और अपना सर वॉशरूम से बाहर निकालकर रूम में देखा लेकिन आशना उसे दिखाई नहीं दी. वीरेंदर ने देखा के उसका बिस्तर बेड पर ही पड़ा है. 

वीरेंदर(मन में): कहीं यह लड़की चुना लगा कर अपने कमरे में तो नहीं चली गयी सोने. यह ख़याल दिमाग़ में आते ही वीरेंदर एकदम दरवाज़े से बाहर निकला. वीरेंदर इस वक्त सिर्फ़ अंडरवेर में था. वीरेंदर जैसे ही बाहर निकल कर आगे बढ़ा, उसे पीछे से वॉशरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई. 

आशना: बुद्धू कहीं के, पीछे भी देख लिया करो जनाब. 

वीरेंदर: तुम्हे आगे पीछे से देखने के लिए ही तो वॉशरूम में बुला रहा था मगर तुम तो दरवाज़े के पीछे छुपि हुई थी. 

आशना: चलिए चलिए, ज़्यादा बातें मत कीजिए और जल्दी से कपड़े पहन कर जहाँ लेटना है लेट जाइए, आइ विल मॅनेज. 

वीरेंदर: बड़ी आई "आइ विल मॅनेज". मैं तो आज तुम्हे बाहों माए भरकर ही सोउंगा. 

आशना: शरम नहीं आती अपनी छोटी बेहन के बारे में ऐसी बात करते हुए. 

वीरेंदर: बेहन????? और जो तुमने मेरे साथ किया कल रात को और आज शाम को थियेटर में. मैं तो किसी को मुँह दिखाने के काबिल ही नहीं रहा. 

आशना खिलखिलाकर हंस पड़ी. 

थोड़ी देर बाद आशना एक झीनी सी नाइटी पहन कर वॉशरूम से बाहर निकली. लाइट पिंक कलर की टू पीस नाइटी में आशना बिल्कुल एक छोटी बच्ची की तरह लग रही थी. वीरेंदर एकटक उसे देखे जा रहा था. 

आशना: क्या हुआ, पहले कभी लड़की नहीं देखी क्या????

वीरेंदर: इतनी हसीन और मासूम नहीं. अपनी किस्मत पर कभी कभी यकीन नहीं होता की दुनिया की सबसे हसीन और सेक्सी लड़की मेरी बाहों में होगी. 

आशना की नाइटी का गला काफ़ी डीप था जैसी कारण उसने अपने गले के आगे अपने हाथ रखे हुए थे. आशना ने देखा कि वीरेंदर की नज़र उसके वक्षों की तरफ है. 

आशना: बशरम कहीं के, बिल्कुल भी तमीज़ नहीं है लड़की को देखने की. 

वीरेंदर: एक बार मेंटली प्रिपेर हो जाओ फिर देखना कितनी तमीज़ से एक एक अंग देखूँगा तुम्हारा. 

आशना का चेहरा शरम से लाल हो उठा. आशना ने लाइट भुजा दी. 

वीरेंदर: दिस ईज़ नोट फेर, कम से कम एक बल्ब तो ऑन रहने दो. 

आशना: नो वे, मुझे लाइट में नींद नहीं आती. 

वीरेंदर: चलो अच्छा है, जब सारी सारी रात तुम्हे जगाउन्गा तब तो लाइट ऑन ही रखनी पड़ेगी वरना लाइट ऑफ होने पर तुम्हे तो नींद आ जाएगी. 

अंधेरे में भी आशना के चेहरे की बदलती रंगत वीरेंदर महसूस कर सकता था. वीरेंदर ने ब्लंकेट लिया और बेड पर लेट गया. 

वीरेंदर: गुड नाइट स्वीट हार्ट. 

आशना ने धक्का देकर वीरेंदर को आगे किया और बेड पर उसके साथ लेट गयी. 

वीरेंदर: प्लीज़ मुझे छोड़ दो, मेरे साथ ऐसा मत करो. 

आशना ने अपनी बाहें वीरेंदर के गले में डाल दी और एक टाँग वीरेंदर की टाँग पर चढ़ कर उस से सट कर लेट गयी. 

आशना: आज तो बिल्कुल नहीं छोड़ूँगी आपको. 

वीरेंदर ने भी अपनी बाहों में आशना को लपेट लिया और एक हाथ आशना के मांसल नितंब पर रखकर उसे हल्के से दबा लिया. आशना आह कर उठी और अपना चेहरा वीरेंदर के सीने मे छिपा लिया. 

वीरेंदर: सच मे मज़ा आ जाएगा तुम्हारे साथ तो. 

आशना ने वीरेंदर को ओर ज़ोर से भींच लिया जिस कारण आशना की योनि वीरेंदर के लिंग से रगड खाने लगी. मस्ती में आशना अपनी योनि वीरेंदर के लिंग से रगड़ने लगी. वीरेंदर के लिंग में पहले से ही तनाव था. आशना भी जवानी की आग को ज़्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकी और जल्द के स्खलित हो गयी. आशना ने एक सुकून की आह भरी और वीरेंदर की बाज़ू पर सर रखकर आने वाले हसीन दिनो के ख्वाब बुनते हुए सो गयी. वीरेंदर भी आशना के साथ सुकून महसूस कर रहा था मगर उसके दिल में जो उथल पुथल मची हुई थी उस के कारण वो चैन नहीं पा रहा था.
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