Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वर्षा ने दर्द के कारण अपनी आँखें बंद करके होठों को कस लिया..!

थोड़ा रुक कर मेने उसकी चुचियाँ सहलाकर पुछा – दर्द हो रहा है भौजी..?

उसने बिना कुछ कहे अपनी हां में गर्दन हिला दी.., फिर मुँह से साँस छोड़ते हुए बोली – ये इतना मोटा और बड़ा कैसे हो गया है…!

मेने उसे पीठ से उठाकर अपने सीने से लगाते हुए उसकी पीठ सहलाकर कहा – समय के साथ साथ इसने भी अपना आकार बढ़ा लिया है, आप चिंता मत करो, मे आपको दर्द नही होने दूँगा…!

ये कहकर मेने उसे फिरसे बिस्तर पर लिटाया, और थोड़ा लंड बाहर लेकर फाइनल धक्का लगा दिया..!

लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया, वर्षा की आँखों से दो बूँद पानी की निकल पड़ी, लेकिन मेरे लंड की चाह में उसने कोई शिकायत नही की…!

थोडा रुक कर मे उसके होत चूस्ते हुए उसके कांचे जैसे निप्प्लो से खेलता रहा, अब वो थोड़ा रिलॅक्स फील कर रही थी..,

उसकी आँखों में देखते हुए मेने पुछा – अब शुरू करूँ मेरी जान,

उसने पलकें झपका कर अपनी सहमति दे दी, और मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए..,

कुछेक धक्कों में ही चूत की कसावट कम हो गयी, अब वो रसीली होती जा रही थी.., फूच..फूच.. जैसी आवाज़ें शुरू हो गयी थी..,

वर्षा अपनी आँखें बंद किए मेरे लंड को चूत में फील करके मज़े से सिसक रही थी…

सस्सिईइ…देवर्जी…आअहह…बहुत मज़ा आरहा है.., आज फाड़ डालो मेरी चूत को, बना दो इसका भोसड़ा.., बहुत तर्सि है ये आपके मूसल को, कूटो राजा और ज़ोर्से कूटो मेरी ओखली को…,

उसकी बड़बड़ाहट सुनकर मेरा लॉडा और ज़्यादा फूल गया.., अब वर्षा भी नीचे से अपनी गान्ड उचका-उचका कर मस्त होकर चुदने लगी…!

वो एक बार झड चुकी थी, लेकिन अपनी चूत की प्यास बुझाने के चक्कर में उसने फील नही होने दिया, मे भी ढका-धक उसे पेलता रहा जब तक कि मेरे नाग ने उसकी सुरंग में अपना जहर नही उगल दिया…!

मेरे झड़ते ही वो मेरी छाती से जोंक की तरह चिपक गयी, अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाकर वो एक बार फिर भल-भला कर झड़ने लगी…!

बाथरूम से लौटकर वर्षा नितन्ग नंगी ही अपनी गान्ड मटकाती हुई आकर मेरी गोद में बैठ गयी, कुछ देर मेरे छाती के बाल सहलाते हुए अपने पति के बारे में गीले शिकवे करती रही..,

अब मेरे पास उसकी समस्या का कोई स्थाई समाधान तो था नही, बस कुछ पल खुशी के दे सकता था सो देने का प्रयास कर रहा था..,

उसकी मखमली गान्ड की गर्मी से मेरा बाबूलाल एक बार फिर फॅड-फडाने लगा, जिसका अहसास अपनी गान्ड पर पाकर वर्षा ने फिरसे उसे अपने मुँह में ले लिया..,

एक बार फिर पंडितजी के घर में चुदाई का खेल शुरू हो गया…, एक बार और मेने जमकर उसकी चुदाई की.., अब वो कुछ हद तक तृप्त लग रही थी,

लेकिन रात में भाभी और निशा के साथ, अब दो बार वर्षा रानी के उपर बारिस होने से मुझे काफ़ी थकान सी महसूस होने लगी थी..,

फिर वर्षा ने अपने हाथों से ताज़ा और पौष्टिक बढ़िया सा चाइ के साथ नाश्ता करवाया जिससे मे पुनः ताज़ा दम हो गया…,

मुझे विदा करते वक़्त उसकी आँखों में आँसू थे, मेने उसकी पलकों को चूमकर उसे फिरसे जल्दी ही मिलने का वादा करके मे वहाँ से अपने घर वापस लौट आया………………………………………..,


हम सभी फॅमिली मेंबर दूसरे दिन ही शहर को निकल लिए, जिससे सभी को पार्टी के हिसाब से ज़रूरत की परचेसिंग कराई जा सके…!

उस रात हम सभी परिवारिजन अपने फ्लॅट में ही उपस्थित थे, कृष्णा भैया और प्राची भी वहाँ आगये,

मधु आंटी ने पूरे परिवार का दिल से स्वागत किया…

मेने सभी को सर्प्राइज़ के तौर पर फ्लॅट के बारे में बताया, और अपने बन रहे बंगले पर भी ले गया…!

बाबूजी, भैया, भाभी और यहाँ तक कि निशा को भी ये पता नही था, सो वो ये सब जानकार चकित रह गये, फिर उन्होने मुझे ढेर सारे आशीर्वाद से नवाजा,

बाबूजी ने मेरे सिर पर हाथ फेर कर कहा – ईश्वर करे तू ऐसे ही दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे, फिर जब मेने उन्हें ये बताया कि ये सब गुप्ता जी की ही मेहरवानी है…

वो मुझे अपने घर का ही सदस्य मानते हैं, मेरी बिना सलाह के वो कोई भी नया काम नही करते, इसलिए मे आप लोगों को उनकी पार्टी में शामिल होने के लिए लाया हूँ…!

और एक बात बाबूजी, मेने सोचा है, कि जैसे ही हमारा ये बंगला रेडी हो जाएगा, हम सभी गाओं से यहाँ आकर शिफ्ट हो जाएँगे…!

बड़े भैया को छोड़कर सभी मेरी राई से सहमत थे, मे उनकी दुविधा भाँपते हुए बोला – आप अपने कॉलेज की वजह से राज़ी नही हो ना, तो उसका भी मेरे पास इलाज़ है…

सब मेरी ओर देखने लगे, मेने आगे कहा – मेने गुप्ता जी से बात कर ली है, वो अपने डिग्री कॉलेज में आपको बतौर प्रोफ़ेसर रखने वाले हैं…!

भैया – क्या..? तूने ये सब तय भी कर लिया… और मुझे अब बता रहा है…?

बाबूजी – लेकिन बेटा गाओं का घर, खेती वाडी.., उसका क्या होगा..?

मेने छोटे चाचा की तरफ देखा और कहा.., उसे हमारे तीनों चाचा मिल बाँट कर संभाल लेंगे, कम से कम कभी-कभार गाओं जाना होगा तो चाची खातिर तो किया करेंगी…!

क्यों चाची खातिर किया करोगी या भूल जाओगी, सबकी नज़र उनकी तरफ गयी, पर वो तो शायद वहाँ थी ही नही, बस गुम-सूम सी बैठी रही,

भाभी ने उनके कंधे को पकड़ कर हिलाया, वो जैसे नींद से जागी हों, भाभी ने पुछा – क्या हुआ चाची, आप की तबीयत तो ठीक है ना…!

चाची ने देर तक कुछ नही कहा, बस उनकी आँखों से दो बूँद पानी की नीचे को टपक पड़ी, बाबूजी ने उनके सिर पर हाथ रख कर कहा – क्या हुआ रश्मि बहू ?

चाची भर्राये गले से बोली – लल्ला की बातों से लगता है, आप सब लोग हमें अकेला गाओं में छोड़ आओगे, मे वहाँ अकेली कैसे रह पाउन्गि आप सब के बिना…!

मे – गाओं की सरपंच बनकर…!

सभी एक साथ बोल पड़े – क्या….???
Reply
06-02-2019, 01:56 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मे – हां, तो भाभी की जगह और कॉन लेगा..? फिर मेने चाची के हाथ अपने हाथों में लेकर उन्हें सहलाते हुए कहा – आप अपने आपको अकेला क्यों समझने लगी चाची..

शहर कोई इतना दूर तो है नही की आने जाने में कई-कई दिन लग जायें, जब भी आपको हमारी ज़रूरत पड़े हम सब हाज़िर हो जाएँगे…

अब आप तो खुद समझदार हैं, हमारी आने वाली पीढ़ी का भविश्य गाओं में नही है, उनके लिए हमें अभी से शुरुआत करनी पड़ेगी…

अंश को हम अपने पास यहाँ शहर में रख कर उसकी सिक्षा दीक्षा का पूरा ख़याल रखेंगे, आप निशिंत रहिए, हम पहले भी आपके अपने थे, आज भी है और आने वाले कल में भी रहेंगे…!

मेरी बात से संतुष्ट होकर चाची मेरे कंधे से लगकर सूबकते हुए बोली – भगवान तुम्हारे जैसा बेटा सबको दे… जीते रहो बेटा, ये कहकर उन्होने मेरा माथा चूम लिया…!

वहाँ बैठे लगभग सभी की आँखें नम थी, फिर कृष्णा भैया शिकायत वाले लहजे में बोले – वो सब तो ठीक है, लेकिन मे तेरे से बहुत नाराज़ हूँ भाई…!

मे जानता हूँ भैया, आप क्यों नाराज़ हो, लेकिन मे सबको एक साथ सर्प्राइज़ देना चाहता था, सो सॉरी भैया, मुझे माफ़ कर देना, ये कहकर मेने अपना सिर उनके चौड़े सीने में रख दिया…!

उन्होने प्यार से मेरे बाल पकड़ कर खींचे और बोले – अब तू है ही सबसे छोटा, तुझे तो मार भी नही सकता, वरना यहाँ बैठे सब लोग मुझ पर टूट पड़ेंगे…

इस बात पर सब लोग ठहाका लगा कर हँसने लगे, जो माहौल कुछ क्षण पूर्व गमगीन हो रहा था, वो अब फिर से हसी खुशी में बदल गया…!

ऐसे ही पलों के लिए परिवार का होना ज़रूरी होता है, जॉइंट फॅमिली क्या होती है, ये आज देखने को मिल रहा था, सभी एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं, ये जाना…!

काश आज दोनो चाचाओं के परिवार भी यहाँ होते, तो खुशी और भी दुगनी हो जाती….!

दूसरे दिन शाम को पार्टी थी, हम सब लोग 10 बजे से ही शॉपिंग को निकल गये, साथ में मधु आंटी भी थी,

एक बड़े से माल में जाकर सबके लिए शहरी पार्टी के हिसाब से कपड़े सेलेक्ट करवाए, भाभी और चाची थोड़ा हिचक रही थी, लेकिन प्राची ने उन्हें लेने पर मजबूर कर दिया…!

बाबूजी और भैया को भी थ्री पीस सूट दिलवाए, जिससे कोई ये ना समझे कि ये लोग निरे ग्रामीण ही हैं…!

होटेल लक्ष्मी गुप्ता जी का अपना खुद का ही होटेल था, सो आज उसे उन्होने इसे सिर्फ़ पार्टी में आने वाले मेहमानों के लिए ही रखा,

पार्टी शाम 8 बजे से शुरू होनी थी, सब लोगों को घर छोड़कर में 4 बजे से होटेल पहुँच गया, सारे इंतेज़मत का जायज़ा लिया.

गुप्ता जी ने मुझे खुलकर एंजाय कने की खुली छूट दे रखी थी…, एक तरह से इस सबका करता धर्ता ही बना दिया…!

होटेल के बड़े से लॉन को अच्छे से सजाया गया था, और उसी में चारों तरफ खाने और पीने के सारे इंतेज़मत रखे,

होटेल के अंदर पार्टी एंजाय करने के बाद जहाँ जिसको रूम अलॉट किए उनमें जाकर सो सकते थे, जिन्हें अपने घर जाना वो घर चला जाए…!

8 बजे से लोगों के आने का ताँता शुरू हो गया, गुप्ता जी के परिवार के साथ साथ मुझे भी वेलकम करने के लिए एंट्री पर खड़ा होना पड़ा…!

आज सेठानी कुछ ज़्यादा ही चहक रही थी, थोड़ा भारी बदन के बबजूद भी आज वो एक वन पीस ड्रेस में बहुत सुंदर दिख रही थी…

खुशी के तो कहने ही क्या, वो एक अत्याधुनिक टाइनी सी ड्रेस में अपने कर्वी बदन से सबकी निगाहों का केंद्र बनी हुई थी…!

क्या जवान, क्या अधेड़ जिसको मौका लगा उसी ने उसके उफ्फान मारते युवा यौवन का रस्पान करने की भरकस कोशिश की..,

लोगों का आना शुरू हो गया, करीब शाम 8:30 पर कृष्णा भैया के नेतृत्व में मेरी फॅमिली भी पार्टी में शामिल होने के लिए आ पहुँची…..!

ये अंतर होता है गाओं की जिंदगी और शहरी जीवन में…, गाओं की गोरी अगर थोड़ा भी बन-संवर ले तो शहर की औरत उसका मुक़ाबला कभी नही कर सकती…!

कारण है, शुद्ध ख़ान-पान, और कमरतोड़ मेहनत जो शरीर को मेनटेन करके रखता है…!

मेरे घर की तीनों औरतों ने थोड़ा बनाव-शृंगार क्या कर लिया, थोड़े शहरी लिबास क्या पहने, पार्टी में मौजूद हर मर्द की नज़र उनपर फिसल रही थी…!

प्राची उन्हें दो घंटे पहले किसी ब्यूटी पार्लर में ले गयी, जहाँ उनका काया कल्प ही हो गया था…,

एनीवेस, मेने अपने परिवार के सभी लोगों को गुप्ता जी और उनके रिलेटिव्स के साथ इंट्रो दिया, सेठानी और खुशी निशा और भाभी से प्रभावित हुए बिना नही रह पाई…!

खुशी मेरे कान में फुसफुसाई.., थॅंक्स भैया.. इतनी सुंदर हॉट भाभी के होते हुए आपने मेरी बात मान ली…!

बाबूजी और बड़े भैया भी सूट बूट में जॅंच रहे थे, गुप्ता जी उन्हें अपने साथ लेकर एक तरफ के बढ़ गये, जिधर उनके अपने लेवल के लोग थे, छोटे चाचा भी साथ हो लिए…

कृष्णा भैया और प्राची को छूट मिल गयी, और वो दोनो, एक दूसरे की कमर में हाथ डाले पार्टी एंजाय करने लगे…!

निशा ज़्यादा चल फिर नही सकती थी, सो उन तीनो को एक सेफ जगह बिठाकर, एक वेटर को उनका ख्याल रखने के लिए छोड़ दिया…!

कुछ देर बाद पीने पिलाने का दौर शुरू हुआ, हममें से कोई इस चीज़ का शौकीन नही था, लेकिन कृष्णा भैया के कुछ कुलीग ज़्यादा पीछे पड़ गये सो उन्होने एक लाइट ड्रिंक ले लिया…!

मे अपने घर की तीनों औरतों को लेकर पार्टी में एंजाय कर रहा था,

रूचि भी हमारे ही साथ थी, चाची ने अंश को चाचा के सुपुर्द कर दिया था, और सुवंश भाभी की गोद में मज़े कर रहा था…!

मे नज़र बचा कर तीनों के मज़े ले लेता, इस तरह हमने खूब पार्टी एंजाय की, फिर खाना पीना खाकर बाबूजी और भैया ने लौटने की पर्मिशन ली…

गुप्ता जी ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन निशा की वजह से ज़्यादा देर रुकना सही नही था इसलिए मुझे छोड़कर वाकी सभी लोग अपने फ्लॅट पर लौट गये…!

मुझे यहीं रुकना था, सारे इंतेज़मत की ज़िम्मेदारी जो थी मेरे सिर पर..,

उन सबके जाते ही कृष्णा भैया और प्राची मेरे पीछे पड़ गये और उन्होने मुझे भी थोड़ी स्कॉच पिला ही दी,
Reply
06-02-2019, 01:56 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अब तक मेने सिर्फ़ बीयर का ही स्वाद लिया था, स्कॉच ने अपना असर दिखाना शुरू किया, तो मज़े मज़े में मे कुछ ज़्यादा ही पी गया…!

पार्टी शुरू होने के कुछ समय बाद से ही गुप्ता जी का सुपुत्र संकेत कहीं नज़र नही आया था, फिर जब कुछ लोग कम हुए,

मुझपर नशा तारी हो रहा था सो थोड़ा गार्डन के साइड में खड़े पेड़ों की तरफ हवा खाने निकल गया…

वहाँ मेने एक कपल को बैठे हुए देखा…! नज़दीक जाकर देखा तो संकेत किसी लड़की के साथ घास पर बैठा था, दोनो ने एक दूसरे के हाथों को पकड़ रखा था और आपस में बातें कर रहे थे…

मुझे देखते ही संकेत ने हड़बड़ा कर उसका हाथ छोड़ दिया, और खड़ा होकर बोला – अरे अंकुश भैया आप..?

मेने उन दोनो को नशे में अपनी लाल-लाल आँखों से घूरा और थोड़ा झूमते हुए बोला – ओह्ह्ह.. वही मे सोच रहा था, कि अपने संकेत बाबू कहीं दिखाई नही दे रहे…!

भाई अपनी दोस्त से परिचय नही कराओगे..?

वो झेन्प्ते हुए बोला – भैया ये राशि है, मेरे साथ ही कॉलेज में है, और राशि ये अंकुश शर्मा हमारे लीगल आड्वाइज़र.., बहुत काबिल आदमी हैं…!

मेने पहली बार राशि को ध्यान से देखा, उसने अपना हाथ आगे किया, मेने उसे प्यार से अपने हाथ में लेकर दूसरे हाथ से सहलाते हुए कहा – नाइस टू मीट यू राशि..,

फिर संकेत को बोला – नाइस चाय्स डियर, कीप इट ओन…

वो झेन्प्ते हुए बोला – ऐसा कुछ नही है भैया, जस्ट वी आर फ्रेंड्स…

मे – ओह्ह.. जस्ट फ्रेंड्स, इसलिए पूरे समय यहाँ अकेले में बैठे हो..? अरे भाई मिलकर पार्टी एंजाय करो, और ये जस्ट फ्रेंड्स कब तक रहोगे..?

कुछ कदम बढ़ाओ तभी तो बात बनेगी..

कहो तो मे बात आगे बढ़ाऊ…!

संकेत – नही..नही, आप रहने दो मे पापा से बात कर लूँगा…

तभी राशि बीच में बोल पड़ी, हिम्मत कहाँ से लाओगे जनाब..?


अंकुश भैया, आप ही कुछ करो, इसके बस का कुछ नही है…

मेने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – इसका मतलब अभी तक तुम लोग बस हाथों में हाथ लेना ही सीखे हो क्या..?

राशि बोल्ड लड़की थी सो तपाक से बोली – इतना भी ये मेरे पहल करने पर करता है.. पता नही हमारी जोड़ी कैसे निभेगी…?

मे उसकी बात सुनकर मुस्करा उठा, और बोला – अब तुम्हारा ये मामला मेरे हाथ में आ गया है, देखती जाओ मे क्या करता हूँ…!

फिर मेने संकेत को कहा – तुम चलो, तुम्हारे पापा तुम्हें पार्टी में ढूंड रहे हैं, मे राशि को लेकर आता हूँ…

उसके जाने के बाद उसे अपना प्लान बताया, वो खुश होकर मेरे गाल पर किस करते हुए बोली – थॅंक यू भैया…, आपकी वजह से आज शायद हमारी लव स्टोरी कुछ आगे बढ़ जाए…

मेने उसकी पतली कमर में हाथ डाल दिया, वो भी मेरे साथ सट गयी, फिर उसे लेकर मे पार्टी में आया,

वो अपनी तरह से पार्टी एंजाय करने लगी अपने दूसरे दोस्तों के साथ, मेने संकेत को लपका, और उसे बातों में देकर कुछ स्कॉच के पेग उसे भी लगवा दिए…

कुछ देर बाद वो थोड़ा मस्ती में आने लगा, मेने राशि को इशारा कर दिया, वो अंदर को चल दी, उसके कुछ देर बाद मे भी संकेत के गले में बाजू डाले जिधर को वो गयी थी उधर चल दिया…!

एक कमरे में जहाँ राशि अपनी तैयारी कर रही थी, उस कमरे में उसको ठेल कर बाहर से गेट बंद कर दिया.., और गेल्लरी में आगे बढ़ गया…!

बाहर आकर मेने थोड़ा बहुत खाना खाया, साथ में एक पेग और चढ़ाकर अंदर के सारे इंतजामात को देखने चल दिया…!

सेकेंड फ्लोर की गॅलरी में चेक करते हुए मे लास्ट तक पहुँच गया, वहाँ से जैसे ही मुड़ने को हुआ, तभी झटके से लास्ट वाले रूम का गेट खुला, और एक हाथ ने मेरी बाजू पकड़ कर मुझे अंदर खींच लिया…!

मे कुछ समझ भी नही पाया कि तब तक गेट बंद होने की आवाज़ सुनाई दी, कमरे में धुप्प अंधेरा था, बस इतना पता था कि मुझे अंदर खींचने वाले हाथ किसी औरत या लड़की के थे…!

अभी में अंधेरे में हाथ पैर मार ही रहा था, कि किसी ने पीछे से मुझे अपनी कोमल बाहों के घेरे में ले लिया और वो पीछे से मेरे बदन से चिपक गयी…!

उसके मुलायम मोटे-मोटे उभार मेरी पीठ से दब रहे थे, बाजुओं की मांसलता बता रही थी, कि ये कोई अधेड़ औरत है..

लेकिन कॉन, ये अनुमान लगाना नीम अंधेरे में कठिन था, सो मेने अपने आप को हालात के हवाले कर दिया, और उसके आगे के स्टेप का इंतेज़ार करने लगा…!

वो मुझे पीछे से धकेल्ति हुई आगे को बढ़ने लगी, कुछ ही फ़ासले के बाद मेरे पैर किसी चीज़ से टकरा गये, पीछे के दबाब के कारण मे अपने आप को आगे गिरने से रोक नही पाया और धम्म से किसी मुलायम बिस्तर पर गिर पड़ा…

वो भी मेरी पीठ पर सवार थी.., कुछ भारी सा शरीर लगा मुझे, मेने नीचे से हाथ उपर करके उसकी बाजू को पकड़ा और अपने साइड में लुढ़का दिया, खुद उसके उपर सवार होकर अंदाज़े से ही उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके होठों पर अपने होत रख दिए…

उसने नीचे से अपने पैरों की केँची मेरी कमर में लपेट रखी थी…, जांघों की मोटाई ने ये कन्फर्म कर दिया कि ये कोई भारी-भरकम औरत है…
Reply
06-02-2019, 01:56 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उसने नीचे से अपने पैरों की केँची मेरी कमर में लपेट रखी थी…, जांघों की मोटाई ने ये कन्फर्म कर दिया कि ये कोई भारी-भरकम औरत है…

तभी पूरा कमरा एकदम से रोशनी में नहा उठा, मेरे नीचे दबी शांति देवी (खुशी की मम्मी) एकदम खिल-खिलाकर हँसने लगी..,

मे एकदम से चोंक कर उनके उपर से उठने लगा, लेकिन टाँगों की केँची ने मुझे निकलने नही दिया…

मेरा सारा नशा हिरण हो चुका था, मेने उनकी आँखों में झाँका, जो थोड़े नशे में दिख रही थी, शायद उन्होने कोई ड्रिंक ले रखा था…!

मेने उठने की कोशिश करते हुए कहा – आंटी जी आप..? आप यहाँ होंगी ये मुझे कटाई अंदाज़ा नही था..,

उन्होने कसकर मुझे जकड लिया और मेरे गाल से अपना गाल रगड़ते हुए बोली – तुमने सोचा शायद खुशी होगी, इसलिए मस्ती से किस कर रहे थे.. है ना..?

मेने सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा – नही..नही.. मे भला खुशी के साथ ऐसा कैसे….

वो मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोली – बनो मत, मुझे सब पता है, तुम उसे कई बार चोद चुके हो…

अब एकाध बार उसकी माँ को भी चोद दो, तुम्हें विश्वास दिलाती हूँ, मेरी चूत मारकर तुम्हें निराशा नही होगी..,

मेने कसमसाते हुए कहा – ये आप क्या कह रही हैं, प्लीज़ छोड़िए मुझे, आप मेरी माँ समान हैं.., मे भला आपके साथ ये काम कैसे कर सकता हूँ…?

वो – तो खुशी को क्या मानते हो..? बेहन ना, जब बेहन को चोद सकते हो लेकिन उसकी माँ को नही, प्लीज़ मे बहुत प्यासी हूँ, एक बार अपने मोटे लंड से चोद दो मुझे प्लीज़…

तभी पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी – अब इतने नखरे भी ठीक नही हैं भैया, मम्मी कितनी मिन्नतें कर रही है, चलो अब शुरू हो जाओ….!

मेने पलट कर जब खुशी की तरफ देखा, तो वो पलंग के पास खड़ी मंद-मंद मुस्करा रही थी….!

मेने आंटी के होठों को चूमकर मुस्कराते हुए कहा – अच्छा ठीक है, लेकिन अब उठने तो दीजिए, आपने तो किसी पहलवान की तरह मुझे दबोच रखा है, हाथ पैर भी नही हिला सकता…!

वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, और अपनी पकड़ ढीली कर दी.., मेने हाथ बढ़ाकर खुशी को भी अपने पास खींच लिया, और उसका एक मम्मा दबाकर कहा –

एक शर्त पर, तुम भी हमारे साथ रहो तो…, वो अपनी मम्मी की तरफ देखने लगी,

आंटी ने मुकराते हुए कहा, आजा मेरी रानी बिटिया, तेरी माँ की प्यास बुझाने के लिए इनकी ये शर्त है तो वो भी मंजूर है, अब ये रहा सहा परदा भी किस काम का

ये कहकर आंटी ने अपनी बेटी का टॉप निकाल बाहर किया और उसके होठ चूमने लगी.., तब तक मेने सेठानी के ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए.., 42 के बड़े बड़े खरबूजे उच्छल कर बाहर आ गये..,

माँ- बेटी उपर से दोनो नंगी हो चुकी थी, जहाँ खुशी की चुचियाँ गोल-गोल अपनी शेप लिए हुए थी वहीं सेठानी की उम्र के साथ-साथ थोड़ी लटक गयी थी, और उनके बड़े-बड़े काले निप्प्लो के आस-पास काफ़ी बड़ा सा गोलाई लिए हुए ऑरा था…!

मे एक-एक हाथ से दोनो की एक-एक चुचि को मसल रहा था, और वो दोनो माँ- बेटी आपस में चुसम-चुसाई में लिप्त थी..!

फिर वो दोनो एक दम से मेरे कपड़ों पर झपट पड़ी, और देखते ही देखते मेरे सारे कपड़े पलंग के नीचे पड़े थे..,

नितन्ग नंगा पलंग के बीचो-बीच चित्त, मेरा 9” का खूब मोटा सोट जैसा लंड एकदम तना हुआ छत की तरफ सिर उठाए खड़ा जिसे देख कर जहाँ सेठानी की आश्चर्य से आँखें फटी रह गयीं..,

वहीं खुशी उसे मसलते हुए बोली – हाईए…वकील भैया, ये पहले तो इतना तगड़ा नही था.., अब तो ये कुछ ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है…!

मेने हाथ बढ़ाकर खुशी की गान्ड दबाते हुए कहा – हां बहना, आज तुम दोनो माँ-बेटी को एक साथ देख कर खुशी से फूल गया है, अब इसे जल्दी से अपने मुँह में लेकर ठंडा करो मेरी जान…!

खुशी अपना मुँह लंड के करीब ला ही रही थी कि तभी सेठानी ने उसे उसके हाथ से छीन लिया और अपनी जीभ लगाकर मेरे सुपाडे को चाटने लगी…!

मेने उनकी तरफ हाथ बढ़ाकर उनकी साड़ी के नीचे हाथ डालकर उनकी मोटी मटकों जैसी गान्ड की दरार में अपनी उंगली डाल दी, जिसे उन्होने अपनी गान्ड भींचकर वही दबा लिया..!

इधर खुशी ने अपनी माँ को पूरी तरह नंगा कर दिया, और खुद अपना लोवर उतारने लगी., मेने आंटी की गान्ड अपनी तरफ घुमाई और उनकी मोटी भारीभरकम गान्ड में अपना मुँह डाल दिया…!

अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मे उनकी मालपुए जैसी चूत को चपर चपर चाट रहा था, इतना गरमा-गरम सीन देख कर खुशी से नही रहा गया और वो अपनी उंगली चूत में डाल कर हिलाने लगी..,

कमरे में आहहें गूंजने लगी, माहौल बहुत गरमा गया था, तक कर आंटी ने अपनी चूत का ढक्कन खोल दिया, और अपना चूत रस मेरे मुँह के हवाले कर दिया..!

वो कुछ देर अपनी गान्ड का वजन मेरे मुँह पर डाले रही जब तक एक-एक बूँद रस उनकी चूत से बाहर नही आ गया फिर अपनी गान्ड के छेद को सिकोडकर वो मेरे उपर से उठ गयी..,

खुशी अपनी चूत पर चान्टे मारते हुए बोली – आअहह…भैया आओ ना प्लीज़ चोदो मुझे, बहुत चुन-चुनी हो रही है इसमें…!

मेने मुस्कराते हुए खुशी की टाँगों को उपर उठाया, उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया लगाकर मेने अपना दहक्ता सुपाडा उसकी गरम चूत के मुँह पर सताया और एक करारा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
Reply
06-02-2019, 01:57 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
काफ़ी दिनो बाद लंड ले रही उसकी चूत मेरे खूँटे जैसे मोटे लंड के आधे तक जाते ही चर-चरा उठी.., खुशी के मुँह से दर्द भारी कराह निकल पड़ी…ऊहह… म्म्माआ… मार्र..डाल्लाअ…उउउफफफ्फ़…आहह…!

सेठानी उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसकी चुचियों को सहलाते हुए बोली- मेरी फूल सी बच्ची की चूत फाड़ दी तुमने.., कैसे निर्दयी हो तुम…फिर उन्होने मेरे बचे हुए लंड को अपनी उंगलियों से टटोलते हुए कहा…

बस बेटी, आधा तो गया, थोड़ा और सहन कर, फिर मज़ा ही मज़ा.., उउउन्न्ं… ऐसे मोटे-ताज़े सोटे जैसे लंड से चुदने का मज़ा ही कुछ और है..!

अपनी माँ की इतनी कामुक बातें सुनकर खुशी ने भी अपनी खुशी से कमर उपर करदी, इधर मेने भी धक्का जड़ दिया और पूरा का पूरा लंड खुशी की संकरी सी गली में समा गया…!

खुशी का मुँह फटा का फटा रह गया, दर्द से वो एक बार फिर बिल-बिला उठी.., लेकिन मेने रुकना उचित नही समझा और हल्के हल्के धक्के देना जारी रखा..,

कुछ धक्कों के बाद खुशी की मुनिया भी खुशी से लार छोड़ने लगी, अब वो भी मज़े ले-लेकर अपनी कमर उचकाने लगी..,

मेरे -तोड़ धक्कों को खुशी की चूत ज्याद देर नही झेल पाई, और उसने अपनी कमर हवा में उठाकर अपना पानी छोड़ दिया..!

फिर जैसे ही उसकी कमर बिस्तर से लगी, मेने सेठानी को उसके उपर ही घोड़ी बना दिया, और पीछे से उनकी मोटी गान्ड के पाटों के बीच अपना लंड फँसा कर नीचे को रगड़ता ले गया..,

मंज़िल पर पहुँचते ही उनकी रस से सराबोर चूत में वो सर्र्र्र्र्र्र्ररर…से सरक गया..,

ना जाने सेठानी की चूत ने कब्से लंड के दर्शन नही किए थे, एक साथ मेरे मोटे ताजे डंडे जैसे सख़्त लंड की मार वो नही झेल पाई और बुरी तरह से रंभाने लगी..!
आअहह….बेटा मर् गयीइ.., फट गयी मेरी चूत.., थोड़ा रूको मेरे राजा...,

मेने अपना आधा लंड उनकी चूत में चेंपे रखा और पीछे से उनकी बड़ी-बड़ी लटकती हुई चुचियों को अपने हाथों से मसल्ने लगा…!

उधर नीचे से खुशी ने अपनी माँ के होठ चूसने शुरू कर दिए, अपना एक हाथ नीचे ले जाकर वो अपनी माँ की चूत की क्लिट को सहलाने लगी…,

चौतरफ़ा हमले से सेठानी जल्दी ही अपनी चूत के दर्द से उभर आई.., अब उनकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी..,

मज़ा आते ही उन्होने अपनी गान्ड को मटकाया, इशारा जानकार मेने एक भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया..,

एक ही झटके में मेरा पूरा मूसल सेठानी की चूत में समा गया.., सेठानी के मुँह से दर्द भरी कराह निकल पड़ी..,

लेकिन मेने धीरे-धीरे अपने धक्के जारी रखे, अब वो जल्दी ही लय में आ गयी, और अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी..!

खुशी ने नीचे की तरफ सरक कर अपनी जीभ की नोक अपनी मम्मी की चूत पर रख दी, अब वो उनकी चूत के साथ साथ अंदर बाहर हो रहे मेरे लंड को साथ के साथ चाटने लगी…!

सेठानी की चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी, जो खुशी की जीभ से होता हुआ उसके मुँह में जा रहा था..,

सेठानी के साथ साथ मुझे भी बहुत मज़ा आरहा था..,

विस्की का असर उपर से मेरे लंड की जग जाहिर ताक़त के आगे सेठानी भी जल्दी पानी छोड़ बैठी..,

मेने अपना लंड उनकी चूत से निकालकर खुशी के मुँह में डाल दिया.., और एक दो झटकों में ही अपने लंड का रस उसे पिला दिया..,

आधे से ही सेठानी ने भी मुँह खोल दिया और रहा सहा वीर्य वो भी गटक गयी…!

कुछ देर के इंटर्वल के बाद दूसरा राउंड शुरू हो गया.., एक के बाद दूसरी, फिर कुछ देर रुक कर दूसरा राउंड, इस तरह से मेने उन दोनो को जमकर चोदा..,

सेठानी तो दो राउंड में ही हार मान बैठी और एक किनारे पर लंबी हो गयी, कुछ ही देर में उनके खर्राटे गूंजने लगे..,

उसके बाद कुछ देर खुशी और मे नंगे मस्ती करते रहे, एक दूसरे के अंगों से छेड़ छाड़ करते रहे, नतीजा, एक बार फिर से मेरा मूसल अकड़ने लगा,

इस बार खुशी को अपनी गोद में लेकर मेने अपना लंड उसकी चूत में चेंप दिया, एक राउंड मेने और खुशी ने लगाया, वो भी तीसरे राउंड तक हाथ जोड़ने लगी..,

आख़िर थक कर चूर हम भी एक दूसरे में बिन्धे नितन्ग नंगे ना जाने कब नींद में डूब गये,

जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो दोनो अभी भी खर्राटे ले रही थी, उन्हें सोता छोड़ मे वहाँ से चुप-चाप खिसक लिया…!

वहाँ से सीधा में अपने घर आया जहाँ मेरा बेसब्री से इंतेजार हो रहा था.., मे फ्रेश होकर आया तब तक नाश्ता तैयार हो चुका था..,

ब्रेकफास्ट लेकर हम सब ने मधु आंटी से विदा ली…!

वक़्त हाशी खुशी में अच्छे से बीत रहा था, निशा की डेलिवरी का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था, ऐसे में अब उसका ज़्यादातर समय बिस्तर पर ही गुज़रता था..!

भाभी ने फोन करके अपनी भाभी को बुलवा लिया, जिसे राजेश भाई अपनी तरफ से ही छोड़ गये निशा की डेलिवरी में भाभी की मदद करने के लिए…!

वैसे तो अपना भरा पूरा परिवार था, सभी चाचियाँ भी मिल-जुल कर हर काम में मदद करती ही थी, लेकिन हर समय तो कोई साथ नही रह सकती थी, उनके भी अपनी घर गृहस्ती के काम रहते थे….!

मे शाम को जब घर पहुँच तो सभी ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, अंदर जाने पर पता चला कि मेरे कमरे से ही बातों की आवाज़ आ रही थी..,

मे सीधा अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, दरवाजे से ही जब मेने देखा तो निशा लेटी हुई थी, भाभी उसके बगल में बैठी थी, और उसके सिर की तरफ पलग के नीचे एक चौकी पर उनकी भाभी बैठी आपस में बात चीत कर रही थी…!

मेने उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर नमस्ते की, वो फ़ौरन अपनी जगह से उठी और आगे बढ़कर मेरे पैर पड़ने लगी..,

मेने उनके दोनो मांसल बाजुओं को पकड़ कर रोकने की कोशिश करते हुए बोला – अरे..अरे..भाभी जी ये आप क्या कर रही हैं, मे तो आपसे छोटा हूँ…!

उनके जबाब देने से पहले भाभी बोल पड़ी, लल्ला ये अपने समाज का रिवाज है, दामाद के पैर हर कोई छुता है, अब वो चाहे उमर में बड़ा हो या छोटा..!

जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तब मेने उनपर एक भरपूर नज़र डाली.., क्या फिगर मेनटेन किया था, या यौं कहो, घर के काम काज की वजह से हो…!

हाइट तो उनकी वैसे भी भाभी और निशा से भी 21 ही थी.., हर समय घर के अंदर रहने से रंग भी निखरा हुआ था…!

लेकिन सबसे बड़ी जो चीज़ थी वो थी उनकी चुचियाँ और कूल्हे.., एक दम परफेक्ट…34-30-36 का फिगर 5’7” की हाइट, पेट पर लेशमात्र को भी चर्बी नही..,

सिल्क साड़ी में वो इस समय कामदेवी लग रही थी.., मुझे यौं घूरते देख कर मोहिनी भाभी शरारत करने से भला कैसे चूकती..,

क्यों लल्ला.., सलहज को रसगुल्ला समझकर चट करने का विचार है.., माना कि नीलू भाभी खूबसूरत हैं, फिर भी इतना तो मत ताडो कि बेचारी खड़े-खड़े ही…????

अपनी बात अधूरी छोड़कर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, उनका साथ दिया निशा ने.., वहीं सलहज साहिबा शर्म से पानी-पानी..,

मे तो अपनी कहूँ क्या, भाभी ने एक मिनट में ही अपनी इज़्ज़त का भाजी पड़ा बना दिया, झेंप कर सीधा कपड़े बदलने बाथरूम की तरफ..!

पीछे से नीलू भाभी की आवाज़ कानों में पड़ी – क्या दीदी आप भी ना, कैसा-कैसा मज़ाक करती हैं, बेचारे जीजा जी क्या सोच रहे होंगे मन में..? कितना बुरा लगा होगा उन्हें..?

भाभी – उनकी तुम चिंता मत करो नीलू भाभी, हम देवर भाभी के बीच ऐसी नोक-झोंक तो होती ही रहती है, वैसे भाभी मेरा देवर भी किसी हीरो से कम नही है.. क्या कहती हो..?

नीलू – सही कहा आपने दीदी, छोटी ननद रानी बड़े भाग वाली हैं, जो अंकुश जी जैसा पति मिला है..,

भाभी – अरे ये भी मेरा ही काम है, मेने इन दोनो को एक करने के लिए क्या-क्या पापड बेले हैं पता है..?

निशा – रहने दो दीदी, मत मूह खुलवाओ मेरा, बड़ी डींगे हांक रही हैं, अपने और अपने देवर के बारे में.., याद है छोटे जीजा जी की शादी में मुझे देखते ही लट्टू हो गये थे मेरे उपर…!

भाभी – अच्छा मेरी बन्नो, तू क्या कम लट्टू थी उनपर, और पता है भाभी.., मेने ही बाबूजी और पिताजी को साफ-साफ बोल दिया था.., कि देवर्जी के लिए निशा ही दुल्हन बनके इस घर में आएगी हां..!

नीलू – हां मुझे पता है दीदी, सच में आपने इस घर को स्वर्ग बना रखा है.., आपके बहुत एहसान हैं इस घर पर..,

आप दोनो बहनें इतने प्यार से एक साथ रहती हैं, वरना मेने देखा है जहाँ दो सग़ी बहनें एक ही घर में व्याही हों, वो कभी चैन से नही रह पाती..,

ये सब आपके प्रेम और त्याग का ही नतीजा है, वरना आजकल घर टूटने में देर नही लगती..!
Reply
06-02-2019, 01:57 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
काफ़ी दिनो बाद लंड ले रही उसकी चूत मेरे खूँटे जैसे मोटे लंड के आधे तक जाते ही चर-चरा उठी.., खुशी के मुँह से दर्द भारी कराह निकल पड़ी…ऊहह… म्म्माआ… मार्र..डाल्लाअ…उउउफफफ्फ़…आहह…!

सेठानी उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसकी चुचियों को सहलाते हुए बोली- मेरी फूल सी बच्ची की चूत फाड़ दी तुमने.., कैसे निर्दयी हो तुम…फिर उन्होने मेरे बचे हुए लंड को अपनी उंगलियों से टटोलते हुए कहा…

बस बेटी, आधा तो गया, थोड़ा और सहन कर, फिर मज़ा ही मज़ा.., उउउन्न्ं… ऐसे मोटे-ताज़े सोटे जैसे लंड से चुदने का मज़ा ही कुछ और है..!

अपनी माँ की इतनी कामुक बातें सुनकर खुशी ने भी अपनी खुशी से कमर उपर करदी, इधर मेने भी धक्का जड़ दिया और पूरा का पूरा लंड खुशी की संकरी सी गली में समा गया…!

खुशी का मुँह फटा का फटा रह गया, दर्द से वो एक बार फिर बिल-बिला उठी.., लेकिन मेने रुकना उचित नही समझा और हल्के हल्के धक्के देना जारी रखा..,

कुछ धक्कों के बाद खुशी की मुनिया भी खुशी से लार छोड़ने लगी, अब वो भी मज़े ले-लेकर अपनी कमर उचकाने लगी..,

मेरे -तोड़ धक्कों को खुशी की चूत ज्याद देर नही झेल पाई, और उसने अपनी कमर हवा में उठाकर अपना पानी छोड़ दिया..!

फिर जैसे ही उसकी कमर बिस्तर से लगी, मेने सेठानी को उसके उपर ही घोड़ी बना दिया, और पीछे से उनकी मोटी गान्ड के पाटों के बीच अपना लंड फँसा कर नीचे को रगड़ता ले गया..,

मंज़िल पर पहुँचते ही उनकी रस से सराबोर चूत में वो सर्र्र्र्र्र्र्ररर…से सरक गया..,

ना जाने सेठानी की चूत ने कब्से लंड के दर्शन नही किए थे, एक साथ मेरे मोटे ताजे डंडे जैसे सख़्त लंड की मार वो नही झेल पाई और बुरी तरह से रंभाने लगी..!
आअहह….बेटा मर् गयीइ.., फट गयी मेरी चूत.., थोड़ा रूको मेरे राजा...,

मेने अपना आधा लंड उनकी चूत में चेंपे रखा और पीछे से उनकी बड़ी-बड़ी लटकती हुई चुचियों को अपने हाथों से मसल्ने लगा…!

उधर नीचे से खुशी ने अपनी माँ के होठ चूसने शुरू कर दिए, अपना एक हाथ नीचे ले जाकर वो अपनी माँ की चूत की क्लिट को सहलाने लगी…,

चौतरफ़ा हमले से सेठानी जल्दी ही अपनी चूत के दर्द से उभर आई.., अब उनकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी..,

मज़ा आते ही उन्होने अपनी गान्ड को मटकाया, इशारा जानकार मेने एक भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया..,

एक ही झटके में मेरा पूरा मूसल सेठानी की चूत में समा गया.., सेठानी के मुँह से दर्द भरी कराह निकल पड़ी..,

लेकिन मेने धीरे-धीरे अपने धक्के जारी रखे, अब वो जल्दी ही लय में आ गयी, और अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी..!

खुशी ने नीचे की तरफ सरक कर अपनी जीभ की नोक अपनी मम्मी की चूत पर रख दी, अब वो उनकी चूत के साथ साथ अंदर बाहर हो रहे मेरे लंड को साथ के साथ चाटने लगी…!

सेठानी की चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी, जो खुशी की जीभ से होता हुआ उसके मुँह में जा रहा था..,

सेठानी के साथ साथ मुझे भी बहुत मज़ा आरहा था..,

विस्की का असर उपर से मेरे लंड की जग जाहिर ताक़त के आगे सेठानी भी जल्दी पानी छोड़ बैठी..,

मेने अपना लंड उनकी चूत से निकालकर खुशी के मुँह में डाल दिया.., और एक दो झटकों में ही अपने लंड का रस उसे पिला दिया..,

आधे से ही सेठानी ने भी मुँह खोल दिया और रहा सहा वीर्य वो भी गटक गयी…!

कुछ देर के इंटर्वल के बाद दूसरा राउंड शुरू हो गया.., एक के बाद दूसरी, फिर कुछ देर रुक कर दूसरा राउंड, इस तरह से मेने उन दोनो को जमकर चोदा..,

सेठानी तो दो राउंड में ही हार मान बैठी और एक किनारे पर लंबी हो गयी, कुछ ही देर में उनके खर्राटे गूंजने लगे..,

उसके बाद कुछ देर खुशी और मे नंगे मस्ती करते रहे, एक दूसरे के अंगों से छेड़ छाड़ करते रहे, नतीजा, एक बार फिर से मेरा मूसल अकड़ने लगा,

इस बार खुशी को अपनी गोद में लेकर मेने अपना लंड उसकी चूत में चेंप दिया, एक राउंड मेने और खुशी ने लगाया, वो भी तीसरे राउंड तक हाथ जोड़ने लगी..,

आख़िर थक कर चूर हम भी एक दूसरे में बिन्धे नितन्ग नंगे ना जाने कब नींद में डूब गये,

जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो दोनो अभी भी खर्राटे ले रही थी, उन्हें सोता छोड़ मे वहाँ से चुप-चाप खिसक लिया…!

वहाँ से सीधा में अपने घर आया जहाँ मेरा बेसब्री से इंतेजार हो रहा था.., मे फ्रेश होकर आया तब तक नाश्ता तैयार हो चुका था..,

ब्रेकफास्ट लेकर हम सब ने मधु आंटी से विदा ली…!

वक़्त हाशी खुशी में अच्छे से बीत रहा था, निशा की डेलिवरी का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था, ऐसे में अब उसका ज़्यादातर समय बिस्तर पर ही गुज़रता था..!

भाभी ने फोन करके अपनी भाभी को बुलवा लिया, जिसे राजेश भाई अपनी तरफ से ही छोड़ गये निशा की डेलिवरी में भाभी की मदद करने के लिए…!

वैसे तो अपना भरा पूरा परिवार था, सभी चाचियाँ भी मिल-जुल कर हर काम में मदद करती ही थी, लेकिन हर समय तो कोई साथ नही रह सकती थी, उनके भी अपनी घर गृहस्ती के काम रहते थे….!

मे शाम को जब घर पहुँच तो सभी ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, अंदर जाने पर पता चला कि मेरे कमरे से ही बातों की आवाज़ आ रही थी..,

मे सीधा अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, दरवाजे से ही जब मेने देखा तो निशा लेटी हुई थी, भाभी उसके बगल में बैठी थी, और उसके सिर की तरफ पलग के नीचे एक चौकी पर उनकी भाभी बैठी आपस में बात चीत कर रही थी…!

मेने उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर नमस्ते की, वो फ़ौरन अपनी जगह से उठी और आगे बढ़कर मेरे पैर पड़ने लगी..,

मेने उनके दोनो मांसल बाजुओं को पकड़ कर रोकने की कोशिश करते हुए बोला – अरे..अरे..भाभी जी ये आप क्या कर रही हैं, मे तो आपसे छोटा हूँ…!

उनके जबाब देने से पहले भाभी बोल पड़ी, लल्ला ये अपने समाज का रिवाज है, दामाद के पैर हर कोई छुता है, अब वो चाहे उमर में बड़ा हो या छोटा..!

जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तब मेने उनपर एक भरपूर नज़र डाली.., क्या फिगर मेनटेन किया था, या यौं कहो, घर के काम काज की वजह से हो…!

हाइट तो उनकी वैसे भी भाभी और निशा से भी 21 ही थी.., हर समय घर के अंदर रहने से रंग भी निखरा हुआ था…!

लेकिन सबसे बड़ी जो चीज़ थी वो थी उनकी चुचियाँ और कूल्हे.., एक दम परफेक्ट…34-30-36 का फिगर 5’7” की हाइट, पेट पर लेशमात्र को भी चर्बी नही..,

सिल्क साड़ी में वो इस समय कामदेवी लग रही थी.., मुझे यौं घूरते देख कर मोहिनी भाभी शरारत करने से भला कैसे चूकती..,

क्यों लल्ला.., सलहज को रसगुल्ला समझकर चट करने का विचार है.., माना कि नीलू भाभी खूबसूरत हैं, फिर भी इतना तो मत ताडो कि बेचारी खड़े-खड़े ही…????

अपनी बात अधूरी छोड़कर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, उनका साथ दिया निशा ने.., वहीं सलहज साहिबा शर्म से पानी-पानी..,

मे तो अपनी कहूँ क्या, भाभी ने एक मिनट में ही अपनी इज़्ज़त का भाजी पड़ा बना दिया, झेंप कर सीधा कपड़े बदलने बाथरूम की तरफ..!

पीछे से नीलू भाभी की आवाज़ कानों में पड़ी – क्या दीदी आप भी ना, कैसा-कैसा मज़ाक करती हैं, बेचारे जीजा जी क्या सोच रहे होंगे मन में..? कितना बुरा लगा होगा उन्हें..?

भाभी – उनकी तुम चिंता मत करो नीलू भाभी, हम देवर भाभी के बीच ऐसी नोक-झोंक तो होती ही रहती है, वैसे भाभी मेरा देवर भी किसी हीरो से कम नही है.. क्या कहती हो..?

नीलू – सही कहा आपने दीदी, छोटी ननद रानी बड़े भाग वाली हैं, जो अंकुश जी जैसा पति मिला है..,

भाभी – अरे ये भी मेरा ही काम है, मेने इन दोनो को एक करने के लिए क्या-क्या पापड बेले हैं पता है..?

निशा – रहने दो दीदी, मत मूह खुलवाओ मेरा, बड़ी डींगे हांक रही हैं, अपने और अपने देवर के बारे में.., याद है छोटे जीजा जी की शादी में मुझे देखते ही लट्टू हो गये थे मेरे उपर…!

भाभी – अच्छा मेरी बन्नो, तू क्या कम लट्टू थी उनपर, और पता है भाभी.., मेने ही बाबूजी और पिताजी को साफ-साफ बोल दिया था.., कि देवर्जी के लिए निशा ही दुल्हन बनके इस घर में आएगी हां..!

नीलू – हां मुझे पता है दीदी, सच में आपने इस घर को स्वर्ग बना रखा है.., आपके बहुत एहसान हैं इस घर पर..,

आप दोनो बहनें इतने प्यार से एक साथ रहती हैं, वरना मेने देखा है जहाँ दो सग़ी बहनें एक ही घर में व्याही हों, वो कभी चैन से नही रह पाती..,

ये सब आपके प्रेम और त्याग का ही नतीजा है, वरना आजकल घर टूटने में देर नही लगती..!
Reply
06-02-2019, 01:57 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,

ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,

नीलू भाभी एकदम से उच्छल पड़ी, मानो किसी बिच्छू ने उन्हें डॅंक मार दिया हो.., उन्होने पलट कर भाभी की तरफ देखा और फिर अपनी नज़र झुका कर बोली – आपने कुछ कहा दीदी.., ?

भाभी उनके चेहरे पर नज़र गढ़ाए हुए मुस्करा कर बोली – कहा तो था लेकिन लगता है तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की बजाय कही और ही है..,

नीलू भाभी हकलाते हुए बोली – नही…वो..हां.., मे वो नंदोई जी को कसरत करते हुए देख रही थी, कितनी कसरत करते हैं, देखो तो दीदी कितना पसीना निकाल रहे हैं..,

भाभी – हां ! और ये आदत भी इन्हें मेने ही डलवाई है.., शुरू से ही मेने इनका खाने पीने का ख़याल रखा, लेकिन शुरू शुरू में मेहनत बिल्कुल नही करते थे ये..,

जब ये 6-7वी क्लास में ही थे तो इनके स्कूल में आन्यूयल गेम में इनका डील-डौल देखकर इनके टीचर्स ने इन्हें कबड्डी की टीम में रख लिया..,

फाइनल में इनकी क्लास का मुकाबला 8वी क्लास के साथ था, इनके टीम के और बच्चे सामने वाली टीम के सामने छोटे बच्चे जैसे ही थे,


सो पूरी टीम पस्त हो गयी लेकिन अंत तक लल्ला ने हार नही मानी, और अकेले के दम पर मॅच जितवा दिया..,

घर आकर जब रामा ने बताया, तभी से मेने इनको कसरत करने की आदत डाल दी और देखो अभी तक वही पड़ी हुई है.., क्यों तुम्हारे हिसाब से ये सब ठीक नही है क्या..?

नीलू भाभी तपाक से बोली – नही..नही…बहुत अच्छी आदत है ये तो, मे तो बस ये कह रही थी कि इतना पसीना बहाना क्या ठीक है..? देखो तो कैसा बाल्टी भर निकल रहा है…,

भाभी – अभी तुमने इनकी खुराक नही देखी है.., इसके बाद 1 लिटेर बादाम वाला दूध भी तो पीना है.., वो भी घी और दो अंडे डालके..,


तो उसे पाचाने के लिए मेहनत तो करनी चाहिए वरना खंखा चर्बी बढ़ेगी..,

वैसे तुम्हें कैसा लगा मेरे देवर का शरीर, कहीं से कोई कमी तो नज़र नही आई..?

नीलू – बिल्कुल भी नही, एकदम परफेक्ट बॉडी है जीजा जी की.., फिर नज़र झुका कर बोली – इनफॅक्ट कोई भी औरत ऐसा मर्द पाने की कामना ज़रूर करती होगी..,

भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा – तो शायद इसलिए तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की तरफ नही था है..ना…!

नीलू – नही ऐसी बात नही है दीदी, आप तो मेरी टाँग खींचने लगी..,

भाभी – नही मेरी प्यारी भौजाई, मे तुम्हारी टाँग नही खींच रही, सच्चाई बयान कर रही हूँ, अभी अभी तो तुमने खुद ही कहा कि ऐसा मर्द पाने की हर औरत की कामना होती है…!

जानती हो इस मर्द को ऐसा बनाने में मेने खुद कितनी मेहनत की है…., और फिर भाभी ने नीलू को वो सच्चाई बताई, कि वो कैसे मेरे उपर सवार होकर मेरी मालिश किया करती थी.., और मेरे कॉलेज जाने तक करती रही थी..,

नीलू ये सच्चाई सुनकर सन्न रह गयी, फिर कुछ सोच कर हिचकते हुए बोली – दीदी इतनी उम्र तक जब आप इनकी मालिश करती रही थी तो आप अपनी भावनाओं पर काबू कैसे रख पाती होंगी..,

सच सच बताना दीदी, क्या आपका मन कभी नही भटका था इनकी चढ़ती जवानी देखकर..? आप भी तो उस वक़्त नयी नयी जवान थी..,

भाभी कुछ देर मौन रही, फिर एक प्यारी सी स्माइल अपने चेहरे पर लाकर बोली – क्या मे किसी आम औरत से अलग हूँ..?

नीलू थोड़ा उत्साहित होते हुए बोली – तो क्या आप…ने…? मेरा मतलब कैसे सब कंट्रोल किया अपने उपर..?

भाभी – तुम अभी उस तरह की ज़िम्मेदारियों से गुज़री नही हो नीलू, तुम्हारी शंका निराधार नही है, कभी कभी तो लल्ला का वो हथियार एकदम तन्कर खड़ा ठीक मेरी नज़रों के सामने होता था..,

ऐसा लगता था मानो अंडरवेर फाड़कर सामने वाली की फाड़कर रख देगा.., ये कहकर वो खिल-खिला पड़ी.., फिर कंट्रोल करते हुए बोली –

लेकिन इनकी उम्र और अपनी ज़िम्मेदारियों ने मुझे कभी अपनी सीमायें लाँघने नही दिया..,

ये बात सुनकर नीलू की साँसें तेज-तेज चलने लगी, उसकी चूत में सुरसूराहट सी होने लगी.., अपने मनोभावों पर कंट्रोल रखते हुए वो बोली – लेकिन कॉलेज तक तो ये पूरे जवान हो गये होंगे, तब भी…!

भाभी ने गहरी नज़र से नीलू को घूरते हुए मुस्करा कर कहा – तुम इतना क्यों इंटेरेस्ट ले रही हो उनकी जवानी में, कहीं तुम्हारा मन तो नही आगया मेरे शेर की जवानी पर..,, आनन्न…बोलो..!

नीलू भाभी की बात सुनकर बुरी तरह झेंप गयी, अपनी नज़रें नीची करके मंद-मंद मुस्कराने लगी..!

भाभी ने उसे उकसाते हुए कहा – वैसे कोशिश कर सकती हो, रिस्ता भी बनता है नंदोई के साथ हसी मज़ाक, मौज मस्ती का.., एक बात मे तुम्हें बता दूँ, लल्ला का दिल भी बहुत बड़ा है,

सबके लिए प्यार है उनके दिल में.., और फिर अभी तो तुम्हारी ननद भी इस काबिल नही है, सांड फ्री है इस समय, तो मार सको तो मार लो मौके पे चौका..,

इतना कहकर भाभी ने ज़ोर्से नीलू की मखमल जैसी थिरकती गान्ड मसल दी और खिल-खिलाकर हस्ती हुई अपने काम में लग गयी…!

भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में नीलू को हिंट दे दी थी, लेकिन नीलू अपनी ससुराल में सास-ससुर के रहते हुए ज़्यादा खुल नही पाई थी.., पर अब भाभी के खुले मज़ाक ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दे दी थी..,

मेने अपनी कसरत पूरी कर ली थी, और अब अपना टॉप निकाल कर उसी से पसीना पोंच्छ रहा था, मौका ताडकर नीलू एक टवल लेकर मेरे सामने पहुँची और उसे मेरे हाथ में पकड़ाते हुए बोली…!

जो चीज़ जिस काम के लिए होती है, वो काम उसी से करना चाहिए जीजा जी..,

मेने तैलिया उनके हाथ से लेते हुए कहा – थॅंक्स भाभी, वैसे ये टी-शर्ट भी धुलने वाली है, तो सोचा इसी से पोन्छ लूँ.., ये कहते हुए मे टवल से अपना पसीना पोंच्छने लगा,

पसीना पोंचछते हुए मेरी नज़र उनके सुडौल चुचियों पर जम गयी, जो इस समय एक खुले गले की मिडी में कसे अपनी गहरी खाई दर्साते हुए बयान कर रहे थे कि दोनो तरफ की चट्टानें कैसी हैं....,

मेने उनपर नज़र गढ़ाए हुए द्विअर्थि मज़ाक करते हुए कहा – वैसे चीज़ों का सही सही इस्तेमाल करना तो कोई आपसे सीखे..,

मेरी नज़र और बात का मतलब समझते हुए वो पहले तो शरमा गयी, लेकिन पलट कर मज़ाक में ही जबाब देते हुए बोली…!
Reply
06-02-2019, 01:57 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी नज़र और बात का मतलब समझते हुए वो पहले तो शरमा गयी, लेकिन पलट कर मज़ाक में ही जबाब देते हुए बोली…!

जब चीज़ें अच्छी हों तो इस्तेमाल भी हो ही जाती हैं.., चाहो तो आप भी इस्तेमाल कर सकते हो…!

मेने मुस्कराते हुए कहा – दूसरे की चीज़ों को बिना इजाज़त इस्तेमाल करने की आदत नही है मेरी.., हाँ मौका मिलने पर मे ज़रूर करता हूँ…!

अब तक आगे से मेने अपना बदन पोंच्छ लिया था, उन्होने मेरे हाथ से टवल लेते हुए बोली – लाइए, पीठ का पसीना मे पोंच्छ देती हूँ,


वैसे एक बात कहूँ जीजाजी, अगर चीज़ पसंद आजाए तो चोरी छुपे भी इस्तेमाल कर लेनी चाहिए…!

मे उनके इस मज़ाक का कोई माकूल सा जबाब देने ही वाला था कि भाभी को आते देख बात का रुख़ मोड़ते हुए बोला – अरे आप रहने डीलजिए, कुछ देर में वैसे ही सूख जाएगा..,

तभी भाभी ने आकर एक बड़ा सा ग्लास जूस का मुझे थमाते हुए बोली – पोन्छ लेने दो लल्ला, सलहज होने के नाते, इनका भी कुछ हक़ बनता है नंदोई की सेवा करने का.,

शायद सेवा के बदले इन्हें भी कुछ मेवा मिल जाए…, इतना कहकर मुस्कराते हुए भाभी ने मुझे ग्लास पकड़ाया और आँख मारकर वहाँ से चली गयी…!

ये भाभी की तरफ से साफ-साफ संकेत था कि वो नीलू को मुझसे चुद्वाना चाहती हैं, और कहीं ना कहीं नीलू भी ये चाहती है.., ये सोचकर मेरे चेहरे पर स्माइल आगयि…!

मे खड़े-खड़े ही जूस पीने लगा, और मेरे पीछे खड़ी नीलू भाभी बड़े प्यार से धीरे-धीरे मेरी पीठ का पसीना पोंच्छने लगी…!

नीलू भाभी बड़े प्यार से मेरी पीठ का पसीना सूखा रही थी, पीठ के बाद उन्होने तौलिया उपर मेरे सिर के बालों की तरफ बाध्या,

हाथ उपर की तरफ बढ़ते हुए वो मेरी पीठ से सॅट’ती जा रही थी, मेरे कसरती बदन से उठती पसीने की मर्दानी खुसबु से उनकी चुचियों के अनारदाने कड़क होने लगे, जो अब मेरी पीठ पर फिसल रहे थे..,

पीछे से बालों को पोंच्छने के बाद वो मेरे आगे आ गयी, मेरी छाती के बालों को पोंच्छने के बाद जब आगे से सिर की तरफ हाथ बढ़ाने लगी तो उनकी मेक्सी में छुपे उनके उरोज मेरी आँखों के सामने आगये..,

गोल-गोल दूधिया उनके पुष्ट उभार देख कर मेरा बाबूराव शॉर्ट के अंदर कुलबुलाने लगा..,

बाल पोंच्छने के बहाने नीलू मेरे बदन के काफ़ी नज़दीक आगयि, और एक समय ऐसा आया कि उनके कंचे जैसे अनार्दाने मेरी छाती से रगड़ खाने लगे..,
जिनकी चुभन से मेरा चंचल मन भटकने लगा.., अपने उभारों को हल्के से मेरी छाती से दबाकर वो सिरके बालों का पसीना पोन्छ्ने के बहाने उन्होने अपनी चुचियों को मेरी छाती से दबा दिया जिससे वो और ज़्यादा नुमाया होने लगी,

मेरे हाथ उन्हें दबाने के लिए उठने ही वाले थे कि वो थोड़ा दूर हट गयी, और तौलिया को मेरी बालों से भरी जांघों पर ले जाने लगी..,

अब मेरा बाबूराव शॉर्ट में सिर उठाए उनकी नज़रों के सामने था, आगे का मस्त तंबू देखकर नीलू भाभी अपनी सुध-बुध खोती जा रही थी..,

मेने उनका हाथ पकड़ते हुए कहा – अब रहने दो भाभी, कुछ देर में मे नहाने ही वाला हूँ..,

वो अपनी नशीली आँखों से मेरी तरफ देखते हुए बोली – नंदोई की सेवा करने का हक़ क्यों छीन रहे हैं जीजा जी.., करने दीजिए ना…!

उनके ये शब्द मूह से ऐसे अंदाज में निकले मानो वो अपने बस में ना होकर किसी और के बशिभूत बोल रही हों..,

मेने उनकी नशीली आँखों की भाषा पढ़ते हुए उनकी पतली कमर में अपनी एक बाजू लपेटकर उन्हें अपने से सटा लिया.., अब उनकी मुनिया ठीक मेरे बाबूराव के निशाने पर थी..,

आँखों में आँखें डालते हुए मेने कहा – मत करिए ना…, वरना मेरा भी हक़ हो जाएगा आपको मेवा खिलाने का…!

मेरे कड़क लंड के उभर की ठोकर अपनी चूत के होठों पर पड़ते ही वो वैसे ही कामातूर होने लगी थी, मेरी ये बात सुनकर नीलू ने अपनी गुदाज बाहें मेरे इर्द-गिर्द लपेट दी, और पूरी तरह चिपक कर बोली –


मेवा खाने के लिए ही तो सेवा की जाती है.., खिला दीजिए ना, मना किसने किया है..,

मेने मुस्करा कर उनके दोनो कुल्हों पर अपने हाथ जमाए, उन्हें कसकर भींचते हुए उनकी चूत को अपने खड़े लंड पर दबा दिया..,

सीईईई…आअहह…जीजा जी….छोड़िए ना…, नीलू के मूह से एक कामुक सिसकी निकल पड़ी..,

ये तमाशा किचन से भाभी देख रही थी.., उन्होने वहीं से खाँसकर हमें चेताया.., फिर आवाज़ देकर बोली – लल्ला अब तुम्हारा नहाने का टाइम हो गया है, यौं खड़े मत रहो धूप में….!

भाभी का इशारा था कि ये सब और खुले में नही, कोई भी आ सकता है.., सो मेने नीलू को अपने से अलग किया..,

वो शर्मा कर अपने कमरे में भाग गयी…!
Reply
06-02-2019, 01:58 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उनके जाते ही भाभी ने मुझे किचन में बुलाया और प्यार से धमकाते हुए बोली – मेने थोड़ी छूट क्या दे दी, तुम तो उसे खुले आँगन में ही चोदने को तैयार हो गये…!

कुछ तो शर्म करो, अभी कोई आ जाए तो क्या सोचेगा, कि देखो कितना लंपट है ये आदमी, अपनी बीवी को फूला के रखा है और सलहज पे हाथ सॉफ कर रहा है, ये कहकर भाभी ने मेरे खड़े लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया…,

उसे ज़ोर्से मरोडते हुए बोली – ये कम्बख़्त भी कहीं भी मूह उठाकर खड़ा हो जाता है, थोड़ा ठंडा करके खा, बहुत रसीली चूत होगी नीलू की.., खूब गंगा स्नान कर लेना..,

ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, और मेरे मूह से कराह निकल गयी..!

फिर उन्होने मुझे समझाते हुए कहा – नीलू बहुत मस्त औरत है, थोड़ा तड़पने दो उसको, इतना जल्दी मत दिखाओ, वरना वो समझेगी कि उसका नंदोई एकदम ठर्की आदमी है समझे..,

मुझे भी भाभी की बात सही लगी, मेने स्माइल देकर उन्हें अपनी बाहों में भर लिया, और उनके रसीले होठों का चुंबन लेकर बोला – जो हुकुम गुरुजी..,

भाभी – गुरुजी के चेले, और एक बात, नीलू को ये पता नही चलना चाहिए कि हम दोनो के संबंध किस हद तक हैं..! औरत के मूह में ताला नही होता..,

भाभी की बात गाँठ बाँधकर मे रज़ामंदी में सिर हिलाकर नहाने के लिए चला गया..!

उधर मेरे से अलग होकर नीलू भाभी लंबी-लंबी साँस भरते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर औंधे मूह गिर पड़ी..,

उनकी मुनिया पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, मेरे रोड जैसे सख़्त लंड की ठोकर पाकर वो झन-झना उठी थी, लेटे लेटे ही उन्होने अपना एक हाथ लेजाकर उसे ज़ोर्से रगड़ दिया..,

मे नहाने अपने कमरे में अटॅच्ड बाथरूम की तरफ बढ़ गया, उससे पहले वो कमरा था जो नीलू भाभी को रहने के लिए दिया था..,

दरवाजे के सामने से गुज़रते हुए मेरी नज़र उनके उपर पड़ी.., वो इस समय उल्टी लेटी हुई थी.., क्या मस्त उभरी हुई गान्ड थी उनकी, मानो दो कलश उल्टे करके रख दिए हों,

अपनी चूत को मसल्ते हुए उनके शरीर में थोड़ी हरकत भी हो रही थी, जिसके कारण उनके वो दोनो कलश हल्के हल्के हिल रहे थे…,

देखते ही मेरा बाबूराव फिरसे भड़क उठा.., वो मचलते हुए मानो कह रहा हो.., चल यार अंदर जाकर इस गान्ड में मुझे प्लॉट दिलादे.., जिंदगी भर तेरा एहसान मानूँगा..,

लेकिन भाभी की बात गाँठ बाँधते हुए मेने उसे ज़ोर्से दबाते हुए नीचे की तरफ किया, उसे समझाते हुए कि सबर कर मेरे शेर, ये गान्ड तेरी ही है.., मे आगे बढ़ गया…!

जैसे ही मे अपने कमरे में पहुँच, निशा नाश्ता लेकर अंदर ही अंदर इधर से उधर छोटे-छोटे कदमों से टहल रही थी..,

पहले उसकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी, जो उत्तेजना से लाल हो रहा था, फिर जैसे ही उसने मेरे विशालकाय तंबू को देखा, मेरे सामने आकर उसे पकड़ते हुए बोली –

क्या बात है राजे, ये इतना क्यों भड़का हुआ है, कुछ गरमा-गरम चल रहा था क्या बाहर…, या दीदी ने छेड़ दिया है मेरे इस शेर को…!

मेने निशा के पेट पर हाथ फेरते हुए बोला – तुम्हारी भाभी ने इसे जगा दिया है.., अब साला ज़िद लेकर बैठ गया है कि उनकी गान्ड में डाल, अब तुम्ही बताओ यूँ तुम्हारी अमानत किसी को भी कैसे दे दूं…!

ये सुनकर निशा के चेहरे पर एक शरारती स्माइल आ गयी, और उसे उमेठ्ते हुए बोली – अच्छा, जैसे मेरी इजाज़त के वगैर ये कहीं और मलाई नही ख़ाता हां..!

वैसे राजे, भाभी क्या चाहती हैं.., ? क्या उन्हें भी ये पसंद आगया है..?

मे – पसंद..! उनका बस चलता तो वहीं आँगन में ही इसे लेकर चूसने लगती.., वो तो शुक्र करो की भाभी ने हमें टोक दिया..,

निशा मेरे होठ चूस्ते हुए बोली – चलो वैसे भी आजकल इसके लिए एक चूत की कमी चल रही है.., आच्छा है स्वाद चेंज कर लेगा बेचारा मेरा पप्पू..,

इस बात पर हम दोनो ही ज़ोर-ज़ोर्से हँसने लगे, हमें ऐसे हँसते देखकर नीलू भाभी अपने कमरे से उठकर हमारे दरवाजे पर आ गयी, निशा को मेरा लंड हाथ में लिए और हँसते देखकर, शरमा कर वापिस भाग गयी…!

निशा ने अलग होते हुए कहा – बाप रे, भाभी ने हमें देख लिया.., लगता है कुछ ज़्यादा ही ज़ोर की खुजली हो रही है उनको..,

मे – लेकिन मे इतना जल्दी उनकी खुजली मिटाने वाला नही हूँ, थोड़ा और तड़पने दो उन्हें, अच्छी चीज़ इतनी आसानी से हासिल नही होनी चाहिए,

मेरी बात सुनकर निशा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी, वो मेरे एकदम नज़दीक आकर मेरे गाल को किस करते हुए बोली –

इतना भी मत तड़पाना राजे, कि वो खुलेआम सबके सामने अपनी चूत खोलकर बैठ जाए.., इतना कहकर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, मे भी मुस्कुराता हुआ अपने कपड़े लेकर बाथ रूम में घुस गया…!

नाश्ते के बाद मे गाओं में चक्कर लगाने निकल गया, लोगों से मिलकर कुछ समस्याओं पर विचार विमर्श किया, कुछ का समाधान किया..,

लौटते वक़्त मे दुलारी के टोले से गुजर रहा था, तभी पास के हॅंड पंप से एक मिट्टी के मटके में पानी अपनी पतली सी कमर पर रखे, चोली का घूँघट निकाले एक औरत दुलारी के घर की तरफ जा रही थी..,

कमर पर मटका होने की वजह से उसकी पतली सी कमर टेढ़ी हो रही थी, पीछे से उसकी गान्ड जो कुछ और पीछे को निकल आई थी, रिदम के साथ मटक रही थी..,

आज सुबह से ही नीलू भाभी की वजह से मेरे दिमाग़ में सेक्स के कीड़े शांत नही हो पा रहे थे, उसकी पतली कमर के नीचे मटकती गान्ड देखकर मेरा नाग कपड़ों के अंदर ही सर-सराने लगा..,

मेने थोड़ा तेज कदम बढ़कर पीछे से उसे आवाज़ दी – अरे सुनो..!

मेरी आवाज़ सुनकर वो पलटी, उसके पलट’ते ही मेने पुछा – ये दुलारी भौजी घर पर हैं क्या..?

मुझे देखकर उसने अपना घूँघट उठाया और बोली – पंडितजी जीजी से ही काम रखते हो, हमें भी कभी-कभार याद कर लिया करो…!

उसे देखते ही मेने कहा – अरे श्यामा तुम, कैसी हो..?

वो थोड़ा दुखी स्वर में बोली – कैसी हो सकती हूँ, आपसे कुछ छुपा तो है नही.., आइए घर चलिए.., दुलारी जीजी किसी काम से गयी हैं आती ही होंगी…!

मेने कहा- तुम चलो मे अभी आता हूँ, ये कहकर मे थोड़ा वहीं खड़ा रह गया, जब वो अपने घर के अंदर चली गयी, मेने इधर-उधर नज़र मारी, और मे भी उसके घर के अंदर घुस गया…!

तबतक वो पानी से भरा मटका रसोई में रख चुकी थी, मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया, और मेरे लिए छप्पर के नीचे एक चौकी डाल दी..,
Reply
06-02-2019, 01:58 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरे बैठते ही वो मेरे सामने आकर ज़मीन पर बैठ गयी, मेने पुछा – तुम्हारी जीजी कहाँ हैं..?

श्यामा – वो बच्चों के स्कूल में गयी हैं, मास्टर जी ने बुलवाया था..,आपके लिए क्या लाउ, चाय.., पानी .., क्या लेंगे..?

श्यामा की पतली सी चुनरी के नीचे उसकी छोटी सी चोली में कसे हुए उसके अनार, जो अभी भी टॅनिस की बॉल के आकार के ही थे साफ-साफ अपनी गोलाई दिखा रहे थे..,

मेने उनपर नज़र डालते हुए कहा – चाय पानी से ही टरकाना चाहती हो..?

श्यामा – हाए पंडितजी.., हुकुम करो, आपके लिए मेरा सब कुछ हाज़िर है.., ये कहकर उसने शर्म से अपनी नज़रें नीचे करली और मंद-मंद मुस्कराने लगी..

मेने अपना हाथ बढ़ाकर उसका बाजू थामा, उसे उठाते हुए बोला – तो फिर इतनी दूर-दूर क्यों बैठी हो, तनिक पास तो आओ..,

वो तो इसी लालसा में बैठी ही थी, सो हाथ का इशरा पाते ही मेरी गोद में आगिरी…!

उसकी गोल-गोल मुलायम गान्ड के बीच की चौड़ी दरार में फँसा मेरा बाबूराव, अपनी मन पसंद जगह पाकर अति-प्रशन्न हो उठा, और अपनी खुशी जाहिर करने का उसे एक ही तरीक़ा आता था..,

वो अंडरवेर को उठाता हुआ, पाजामे के होते हुए भी शयामा की दरार में फिट हो गया.., जिसे अपनी गान्ड के एन छेद पर महसूस करके शयामा की आँखें मूंद गयी..,

मेने उसकी चुनरी को एक तरफ उछाल दिया, चोली में क़ैद उसकी टेनिस की बॉल जैसी कड़क चुचियाँ तन्कर सीधी हो चुकी थी.., जिन्हें मेने अपने हाथों में लेकर मसल दिया…!

आअहह….सस्सिईईई…मालिकक्क…मसलूओ..इन्हें…, उउफ़फ्फ़ …मोरी…माइइ…

मेने उसके अनारों को मसल्ते हुए कहा – यहीं चुदोगि या कोठे में..,?

सस्सिईई…पंडितजीि…, आप जहाँ चाहो.., चोद डालो मुझे.., आप कहोगे तो बीच रास्ते में चुदने को तैयार हो जाउन्गि आपसे.., आअहह…,

मेने उसके पतले-पतले होठों को चूम लिया और किसी बच्ची की तरह उसे अपनी गोद में उठाकर कोठे में ले जाने लगा.., उसने भी अपनी पतली-पतली बाहें मेरे गले में डाल रखी थी..,

नीचे मेरे फुल टाइट लंड उसकी गान्ड से रगड़ खाते हुए उसकी मुनिया तक ठोकरें मारता जा रहा था, जिससे श्यामा की हालत और खराब हो रही थी..,

अंदर जाकर मेने उसे वहाँ बिछि एक चारपाई पर लिटा दिया, और उसकी चोली के बटन खोलते हुए बोला – अभी कोई आएगा तो नही..,

श्यामा पाजामा के उपर से ही मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोली – जीजी के अलावा तो और किसी के आने के चान्स नही हैं..,

मेने उसकी चुचियों को नंगा करके उन्हें सहलाते हुए कहा.., आअहह… शयामा रानी, क्या मस्त गोल-गोल कड़क चुचियाँ हैं तेरी.., पर इस बीच वो आगयि तो..?

ये कहकर मेने उसके निपल मरोड़ दिए..,

उयईी..मैयाअ…, ससिईई…आने दो.., आप जल्दी कुछ करो.., कहते हुए उसने मेरा पाजामा नीचे सरका दिया, और मेरे लंड को अंडरवेर से बाहर निकालकर वो किसी भूखी कुतिया की तरह उसपर टूट पड़ी..,

आवेश में आकर उसने मेरे लंड को मूह में लेने की कोशिश की लेकिन 1/3 अंदर जाते ही उसका मूह भर गया, वो उतने को ही चूसने लगी..,

मेने उसका लहंगा निकाल दिया, उसकी गोल-गोल गान्ड को सहलाते हुए उसकी चूत में अपने उंगली डाल दी.., गीली चूत में उंगली गॅप से सरक गयी, जिसे में अंदर बाहर करके चोदने लगा..,

मज़े के मारे शयामा के मूह से गुउन्नग्ग..गुउन्नग्ग.., जैसी आवाज़ें निकलने लगी

श्यामा का मूह जल्दी जबाब दे गया, थूक से लिथड़ा लंड बाहर निकाला, और कामातूर होकर बोली – अब डालो इसे पंडित जी..,

मेने भी देर करना ठीक नही समझा, अपने सुपाडे को उसकी चूत के मूह पर फिट किया और एक हल्का सा धक्का देकर उसे उसकी चूत में सरका दिया..!

मेरे मोटे लंड से शयामा की छोटी सी चूत जो काफ़ी दिनो से मेरे लंड से नही चुद पाई थी, उसकी पतली-पतली फाँकें बुरी तरह से चौड़ गयी, उसके मूह से आहह.. निकल पड़ी..,

हाईए…माल्लीक्कक…ये पहले से ज़्यादा मोटा हो गया है.., थोड़ा धीरे से डालो..,

मेने हाथों से उसके निप्प्लो को रगड़ कर एक धक्का और लगाया.., आधे लंड ने ही उसकी मुनिया का हुलिया बिगाड़ दिया था..,

शयमा ने अपने होठ कसकर भींच लिए.., मेने आधे लंड से ही उसे चोदना शुरू कर दिया.., उसकी कसी हुई चूत में तिल-तिल करके मेरा लंड अंदर सरक रहा था..,

सच में मुझे कुछ ज़्यादा ही मेहनत करनी पड़ रही थी.., शयामा की हालत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन मेरे लंड की चाहत में बेचारी मना भी नही कर पा रही थी..,

हालाँकि उसकी चूत कामरस छोड़ रही थी, फिर भी मेरा लंड अपने अंतिम मुकाम तक नही पहुँच पा रहा था, फिर मेने थोड़ा साँस रोक कर एक दमदार धक्का लगा ही दिया..,

लाख रोकने पर शयामा के मूह से चीख निकल ही गयी, कसी हुई चूत के दबाब में मेरे लंड की नसें फटने को होने लगी.., मेरा पूरा लंड किसी खूँटे की तरह उसकी छोटी सी चूत में फिट हो गया..,

एक मरमान्तक चीख के साथ श्यामा अप्रत्याशित रूप से शांत पड़ गयी.., मेरी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी, उसका मूह खुला हुआ था, आँखें फटी की फटी रह गयी थी..,

क्षणमात्र के लिए श्यामा अचेत हो होगयि, मेने उसके गाल थपथपाए..,

डर कर मेने अपने लंड को बाहर खींचा, लंड के खींचने के साथ ही उसके मूह से कराह निकली.., मेने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पुछा – क्या हुआ श्यामा..?

उसने अपने सूखे होठों पर जीभ फेरी, फिर फीकी सी मुस्कराहट लाकर बोली – आपके लंड के आगे मे हार गयी पंडितजी.., बहुत कोशिश की लेकिन नही झेल पाई..,

मेने धीरे-धीरे करके अपने लंड को आधे तक बाहर निकाला, उसे और बाहर करते हुए बोला – रहने दो फिर तुमसे नही लिया जा रहा तो..,

मेरी बात सुनकर शयामा ने फ़ौरन अपने पैरों की केँची मेरी गान्ड पर कस दी, और मेरे सीने से लिपटे हुए बोली – आपको मेरी सौगंध पंडितजी.., आप चोदो अब तो पूरा चला ही गया एक बार..,

मेने उसके होठों को अपने जीभ से तर किया और अपने लंड को फिरसे अंदर करते हुए मुस्कुरा कर कहा – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी..,

8-10 बार अंदर बाहर होने तक श्यामा के मूह से कराह निकलती रही, लेकिन फिर जल्दी ही वो ले में आगयि और अपनी गान्ड को उछालने लगी…!

एक बार लंड सेट क्या हुआ, शयामा की चूत रस छोड़ने लगी, और जब लंड अच्छे से ग्रीस्ड हो गया, फिर तो दुबली-पतली सी श्यामा ने हद ही करदी..,

नीचे से किसी लट्टू की तरह अपनी कमर को चलाते हुए चुदाई में लीन हो गयी.., कुछ देर बाद मेने उसे अपने उपर बिठा लिया..,
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,479,283 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,032 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,223,403 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 924,958 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,641,531 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,070,444 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,933,590 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,998,889 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,010,175 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,823 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)