Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 02:02 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अब तक युसुफ भी अपनी जगह से खड़ा हो चुका था.., वो बात संभालने के लिए बीच में कुछ बोलना चाहता था…,

लेकिन संजू को इतना कहाँ सहन होना था.., बिना अंजाम की परवाह किए उसने उल्टे हाथ का मुक्का अहेमद की नाक पर दे मारा…!

मानो कोई हथौड़ा पड़ा हो उसकी नाक पर.., उसके सिर के चारों ओर चिड़ियाँ सी चहकने लगी..,


वो अपने होश ठिकाने नही रख पाया बेचारा, नाक से खून की धार निकल पड़ी, उसकी कलाई छोड़कर वो पीछे को उलट गया…!

अपने एक साथी को गिरते देख अब्बास अपनी जगह से उठना ही चाहता था कि उसे युसुफ ने दबोच लिया.., वो दोनो सोफे पर ही गुत्थम-गुत्था हो गये…!

दूसरा बंदा जो अभी तक चेयर पर ही बैठा था.., फ़ौरन उठ खड़ा ही नही हुआ.., वो संजू की तरफ लपका…!

झपट कर उसने पीछे से संजू के गले में अपनी बाजू लपेट दी.., अपनी गर्दन पर दबाब डालते हुए बोला – बहुत उच्छल-कूद कर रहा है साले.., अब देख कैसे बच के जाएगा यहाँ से…!

संजू को अपने गले की नसें दबने लगी.., उसने उस बंदे को पीछे धकेलना शुरू किया.., गर्दन पर उसका दबाब पल-प्रतिपल बढ़ रहा था…!

पूरा दम-खम लगाकर संजू ने उसे टीवी शो केस पर ले जाकर अपनी पीठ का भार देकर दबा दिया…!

शो केस का एक कोना उसकी पीठ में लगा.., दर्द से वो बिल-बिला उठा और उसके बाजू की पकड़ संजू के गले पर ढीली पड़ गयी…!

मौके का फ़ायदा उठाकर उसने अपने आप को आज़ाद किया.., पलट कर अपने घुटने का भरपूर बार उसके पेट पर किया.., दर्द से वो आगे को दोहरा हो गया.., उपर से संजू का दुहत्थड उसकी गर्दन पर पड़ा…!

दुहात्ताड़ पड़ते ही वो ज़मीन पर मूह के बल गिर पड़ा.., अब उसमें जल्दी से उठ पाने की शक्ति नही थी…!

उधर यसुसफ अब्बास के मुक़ावले कमजोर पड़ रहा था.., नीचे से अब्बास ने अपने घुटने मोड़ कर उसे उपर उठने पर मजबूर कर दिया.., अभी भी वो दोनो एक दूसरे का गला दबा रहे थे…!

युसुफ के थोड़ा उपर होते ही, अब्बास ने उसे पैरों पर उठाकर एक ओर को उछाल दिया.., फुर्ती से अपनी गन निकाली और उसे संजू पर तान दिया…!

अब्बास उसके बेहद नज़दीक पहुँचकर गुर्राया…बहुत बड़ा काम कर गया तू लौन्डे.., मेरे ही अड्डे पर मेरे ही आदमियों पर हाथ छोड़ दिया.., अब तू तो गया हरम्जादे…!

संजू ठहरा ठेठ गँवार.., मरने का उसे डर था ही नही.., उसने फ़ौरन उसकी गन की नाल थाम ली, उसे अपने माथे से सटाते हुए बोला – चल मार साले चला गोली…!

उसकी ये अप्रत्याशित डेरिंग देखकर एक बारगी अब्बास जैसे गुंडे की हवा सरक गयी.. लेकिन अगले ही पल अपने को संभालते हुए उसने अपनी गन का लॉक खोला…!

इससे पहले कि वो उसका घोड़ा दबा पाता.., संजू ने झटके से उसके हाथ से गन छीन ली और उसे उसीकि कनपटी पर टिकाते हुए बोला – अब तुझे मुझसे कॉन बचाएगा साले हरामी…!

पासा पलटे देख अब्बास की हवा सरक गयी.., उसके चेहरे पर मौत की परच्छाइयाँ साफ-साफ दिखाई देने लगी.., तभी युसुफ अपने शिकार से फारिग होकर बोला…

अब्बास.. जल्दी से माल निकाल वरना ये लौंडा वाकई में एडा है..,

गोली चल गयी तो फिर तेरे को सोचने का वक़्त भी नही मिलेगा.., जल्दी कर…!

मरता क्या ना करता.., उसने अहेमद की तरफ इशारा किया.., उसने ड्रॉयर से और 5 गड्डी निकाल कर टेबल पर रख दी, पूरे 10 लाख अपनी कंमीज़ में ठूँसकर युसुफ ने संजू को निकलने का इशारा किया…!

संजू – ये दोनो पॅकेट भी उठा लो युसुफ भाई.., अब इस भोसड़ी वाले को ढंग से सबक सीखाना है..,

युसुफ - ये तू कैसी बात कर रहा है..?

संजू – मेने कहा एक पॅकेट उठाओ जल्दी…, इतना कहकर गन अब्बास की कनपटी से सटाये हुए ही उसने एक पॅकेट अपने कब्ज़े में ले लिया.., ना चाहते हुए भी दूसरा पॅकेट युसुफ को उठाना पड़ा…!

चल अब हमें गेट तक छोड़कर आ मदर्चोद.., और याद रखना आज के बाद हरेक को एक ही लाठी से हांकने की भूल कभी मत करना.., चल…

नाल का दबाब बढ़ाते हुए वो उसे दरवाजे तक ले गया…!

युसुफ को पहले बाहर करके उसने अपना पॅकेट भी उसे थमाया.., एक जोरदार किक अब्बास की टाँगों के बीच जमकर वो फुर्ती से बाहर निकल गया…!

टाँगों के जोड़ पर संजू की भरपूर ठोकर खाकर अब्बास पीछे को उलट गया.., उनके पीछे आरहे अहेमद के उपर जाकर वो गिरा…!

दोनो आपस में ही उलझ कर रह गये इतने में संजू ने बाहर से दरवाजे को लॉक कर दिया..,


बिना एक पल गँवाए वो दोनो आँधी तूफान की तरह उसके क्लब से बाहर निकल गये……!!!!!

बाहर आते ही मैं सड़क से हटकर उन्होने गलियों का रास्ता लिया.., वहाँ से तकरीबन 2किमी भागने के बाद दोनो ने एक टॅक्सी को हाथ दिया..!

टॅक्सी में बैठते ही युसुफ ने एक बार पीछे मुड़कर देखा.., फिर राहत की साँस लेकर बोला.., बच गये यार वरना आज तो मर ही जाते…!

संजू ने बिना देखे ही कहा – क्यों .. तुम्हें ऐसा क्यों लगा…?

युसुफ – तू भी यार कमाल करता है.., बिना सोचे समझे हाथ पैर चलाने लगता है.., ये तो सोच वो उनका अड्डा था. यार...,

संजू के चेहरे पर इस समय भी कोई भाव नही थे.., बस थोड़ी साँसें उखड़ी हुई थी.., भागने के कारण, लंबी साँस लेकर बोला – और इसके अलावा कोई चारा था तुम्हारे पास…?

या तो 5 लाख में माल देकर चुप-चाप लौट आते और उन्हें लेकर चंपत होना पड़ता.., क्योंकि लीना मेडम कभी भी ये नही समझती कि हमारे सामने क्या परिस्थिति थी..,

और वैसे भी उसने हमें कहा ही था कि अब्बास थोड़ा टेडा आदमी है.., इसलिए तो उसने हमारा इम्तिहान लिया है.., आसान होता तो वो अपने किसी भी आदमी से डेलिवरी करा ही देती…!

युसुफ बात की गहराई को समझते हुए बोला – शायद तू ठीक कह रहा है दोस्त.., लेकिन मे चाहता था कि बातों से ही काम बन जाए.., पर चलो.. अंत भला तो सब भला…!

अब इस माल का क्या करें..? क्योंकि मेडम के माल के पैसे तो हम लोग ले ही आए..

संजू – पहले ये डिसाइड करो.., कि हमें उसके साथ लंबे समय तक काम करना है या बस अभी तक के लिए ही है…?

अगर अभी तक का ही विचार है तो उसके पास जाने की हमें कोई ज़रूरत नही है.., 10 लाख कॅश हैं, और 5-10 लाख में इस माल को भी कोई भी ले लेगा…!

युसुफ – मेरे ख्याल से सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक साथ हलाल नही करना चाहिए, चलो.., चलकर उसे सारी बातें साफ-साफ बता देते हैं.., आगे उसकी मर्ज़ी !
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06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कुछ देर में ही वो उसकी बिल्डिंग के पास पहुँच गये.., अभी रात के 9 बजे थे, टॅक्सी का पेमेंट करके लिफ्ट से उपर पहुँचे…!

उनके हाथों में दोनो पॅकेट देख कर लीना बोली – क्या हुआ..? सौदा नही बना..? मुझे पता था वो टेडा आदमी है..,


चलो कोई ना.., कम से कम माल सही सलामत वापस ले आए यही बहुत है…!

उसकी बात पर वो दोनो मंद-मंद मुस्कराने लगे.., उन्हें देख कर वो बोली – क्या बात है, तुम लोग इस तरह मुस्करा क्यों रहे हो..?

तभी युसुफ ने अपनी ढीली ढाली कमीज़ से गड्डी निकालनी शुरू की.., पूरी 10 गड्डी उसके हाथ में रखते हुए बोला – उस टेढ़े को सीधा कर दिया इसने…!

लीना – क्या मतलब…?

फिर उसने सारी बातें उसे डीटेल में सुनाई.., वो विश्मय के साथ सब सुनती रही.., फिर कुछ देर मौन रहने के बाद अचानक से संजू के उपर झपट पड़ी.., वो वहीं सोफे पर लुढ़क गया..

खुद उसके उपर सवार होकर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में जकड़ा और दे दनादन उसके चेहरे पर चुंबनों की बौछार कर दी..

संजू बस भौचक्का देखता रह गया, वहीं युसुफ की नज़र उसकी गोल-मटोल थिरकति गान्ड की दरार में जा अटकी…!

लीना के गोल-गोल मोटे मोटे कड़क अनार संजू की छाती से दब गये, चूत की गर्मी पाकर उसका अब तक सोया पड़ा नाग उसके पॅंट में अंगड़ाई लेने लगा…!

संजू ने भी अपने दोनो हाथ उसकी मुलायम गान्ड पर कस दिए और उसकी चूत को अपने लंड के उपर दबा दिया…!

कुछ देर चूमने के बाद वो उसके उपर से उठ गयी.., संजू को मज़ा आना शुरू ही हुआ था सो उसका हाथ पकड़कर बोला – क्या हुआ मेडम..उठ क्यों गयी.., थोड़ा और करो ना, मज़ा आ रहा है…!

लीना मुस्करा कर उसके लंड को दबाते हुए बोली – डॉन’ट वरी.., आज तुम्हारी सारी तमन्नाए पूरी होंगी मेरे शेर.., आज से पहले मुझे तुम्हारे जैसा शेरदिल आदमी कभी नही मिला…!

मे तुम्हें मरते दम तक खोना नही चाहूँगी.., पहले जीत का जश्न पीने पिलाने से शुरू करते हैं.., फिर उसने लूसी को आवाज़ दी…लूसी.., पार्टी का इंतज़ाम करो..,

कुछ देर बाद लूसी ट्रे में एक स्कॉच की बोटेल, चार ग्लास और कुछ स्नॅक्स सुखी तली हुई मेवा के साथ लाती हुई दिखी…!

लूसी को देख कर युसुफ की आँखें चौड़ी हो गयी.., जापानी पॉलीयेसटर की फक्क सफेद टाइट शर्ट जिसके दो बटन खुले हुए..,


बिना ब्रा के उसकी एक दम कड़क दूध जैसी गोरी चुचियाँ की अन्द्रुनि साइड शर्ट के खुले बटन्स से नुमाया हो रही थी…!

नीचे उसने लाल चौखाने की इतनी छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी चलते में उसकी गान्ड की गोलाईयो की छटा भी कभी कभार दिखाई दे जाती थी…!

लूसी जैसे ही आकर टेबल पर समान सजाने के लिए झुकी.., पीछे से उसकी आधी गान्ड उजागर हो गयी.., युसुफ ने उसके पीछे आकर उसके मटके जैसे चुतड़ों पर हाथ फिराते हुए कहा…

हाए रानी.., क्या मस्त गान्ड है तेरी.., जी कर रहा है.., चूम लूँ इसे..,

मना किसने किया है युसुफ मियाँ, आज की रात हम दोनो ही तुम्हारे लिए हैं.., जैसे चाहो, जहाँ चाहो पटक पटक कर खूब रस निचोड़ो…हँसते हुए लीना बोली

सच…सच में मेडम.. थॅंक यू…कहकर युसुफ ने लूसी की गान्ड के पीछे बैठकर सच में ही उसकी गोरी गोरी, खूब उभरी हुई गान्ड की गोलाईयो को बारी-बारी से चूम लिया…!

लूसी आगे को और झुक गयी.., तो युसुफ ने उसकी माइक्रो पैंटी की डोरी को गान्ड के छेद से एक तरफ किया और उसकी गान्ड के कथयि छेद को अपनी जीभ की नोक से चाट लिया…!

सस्सिईईई….आअहह….लूसी अपनी गान्ड को उसके मूह पर दबाते हुए सिसकी…!

इतना कामुक नज़ारा देख कर संजू अपनी जगह से उठा.. और उसने लूसी की शर्ट के पल्लों को पकड़ कर एक दूसरे के विपरीत दिशा में खींच डाला..!

चत्टार्ररर…चत्टाररर.. की आवाज़ के साथ उसकी शर्ट के सारे बटन खुल गये…, लूसी की 34” की एकदम गोल-मटोल चुचियाँ हवा में लहरा उठी…!

दो बड़े बड़े लट्टू जैसे उसके स्तन, जिनके निपल अभी किस्मीस के दाने जैसे ही थे, कड़क होने लगे…,

लीना ग्लासों में स्कॉच डालते हुए बोली – तुम दोनो को तो बिना पीए ही लूसी की जवानी का नशा चढ़ने लगा.., पीने के बाद कैसे होश रख पाओगे…!

साजू लीना का टॉप उतारकर एक तरफ फेंकते हुए बोला – कॉन मदेर्चोद आज होश में रहना चाहता है मेडम जी.., बोलते हुए उसने लीना की ब्रा के स्ट्रीप भी उधेड़ दिए..

अब दोनो ही घोड़ियाँ उपर से एकदम नंगी थी.., दोनो मर्दों की नज़र दोनो की जवानियों पर फिसल रही थी.., ये फ़ैसला करना मुश्किल पड़ रहा था की दोनो में से किसकी चुचियाँ ज़्यादा सुंदर और सुडौल हैं…!

फिर दोनो मर्दों ने अपने अपने कपड़े भी निकाल दिए मात्र अंडर वेर में आकर जहाँ संजू ने लीना को अपनी गोद में बिठाया और युसुफ ने लूसी को…!

दोनो हसीनाओं ने टेबल से पेग उठाकर उन्हें थमाए, फिर एक-एक पेग खुद लेकर चारों ने आपस में जाम टकराकर चेअर्स बोला और शिप करते हुए एक दूसरे की जवानियों से खेलने लगे…!

जब शाम की शुरुआत ऐसी हो तो रात कैसी होगी ये कहने की ज़रूरत नही है, चारों ने मिलकर उस रात को इतना रंगीन बना दिया कि उनकी काम लीला देख कर इन्द्रलोक में बैठे देवराज इन्द्र को भी इनसे जलन होने लगी होगी…!

दो-दो पेग लेने तक वो चारों बुरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे.., सो पहला राउंड संजू और लीना का रहा वहीं युसुफ ने लूसी को अल्टा पलटा कर खूब चोदा..,

उसके बाद एक-एक पेग उन्होने खाने के साथ लिया.., फ्रेश हुए और फिरसे चुदाई का दौर चल पड़ा.., इस बार संजू ने अपना कड़क 8” का खूँटा लूसी की चूत में डाला.. और युसुफ ने लीना की जमकर चुदाई की....,

लीना की चूत में लंड पेलते हुए उसने कहा – मेडम आपको तो पता ही है, मेरा परिवार गाओं में कुरबत में जी रहा है.., आप कहो तो एक चक्कर मार आउऊ..

लीना अपनी गान्ड पीछे को धकेलते जुए बोली – चले जाना, पहले कुछ दिन यहाँ रहकर तुम लोग धंधे के उसूलों को अच्छे से समझ लो.., फिर तुम्हारे लिए मेने एक प्लान सोचा है…!

पूरा लंड लीना की चूत में चेन्प्कर युसुफ ने कहा – क्या प्लान है आपका..?

हाईए..पहले मेरी चूत की प्यास बुझाओ.., फिर बताती हूँ…, ये कहकर उसने युसुफ की गान्ड दबाकर उसे अपनी चूत पर कस कर दबाया,

अपनी छूट की फांकों को कसकर दबाते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी और युसुफ को भी पूरी तरह निचोड़ लिया…!

उधर लूसी भी पूरी चुदैल लड़की निकली, इतनी कम उम्र में भी उसे चुदाई की सारी ट्रिक पता थी, कैसे किसी मर्द को उकसाया जाता है..,

अपनी मादक आहों से वो संजू को और उत्तेजित करती रही जिससे उसने अपना पूरी दम लगाकर लूसी की चूत की कुटाई की…!

इस तरह वो चारों रात भर चुदाई अभियान में बढ़-चढ़कर अपना अपना झंडा गाढ़ने की कोशिश करते रहे…!

जहाँ दोनो मर्द अपनी तरफ से कोशिश कर रहे थे की वो इन दोनो रंडियों से पानी मंगवा देंगे..,


संजू तो फिर भी टक्कर लेता रहा.. लेकिन युसुफ मियाँ की हिम्मत जबाब दे गयी…!

उसे मानना ही पड़ा कि औरत की चूत की थाह लेना हर किसी के बस की बात नही….!
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06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दूसरी सुबह उन चारों में से किसी की आँख खुलने का नाम नही ले रही थी.., लेकिन कोई 11 बजे लीना के मोबाइल की बेल ने उसे उठने पर मजबूर कर ही दिया…!

फोन अब्बास का था, शुरू-शुरू में कुछ उसने अकड़ दिखाई लेकिन लीना के धमकाने पर वो लाइन पर आगया और अपने माल के लिए गुहार करने लगा…!

लीना – देखो अब्बास मियाँ, मे अपना धंधा पूरी ईमानदारी से कर रही हूँ, माल में कोई खोट हो तो फ्री.., लेकिन अगर कोई मेरे पैसे खाने की कोशिश करेगा तो वो ठीक नही…!

मेने तो अब तक तुम्हारी साख की वजह से ही कोई डील नही की, लेकिन जब मुझे तुमसे भी ज़्यादा एडा लड़का मिल गया तो तुम्हारा ऑफर मान लिया..,


अब उसने तुम्हारी गेम बजा डाली तो अब इतना फड़-फडाने की क्या ज़रूरत है…!

पूरी ईमानदारी से धंधा करो.., मे तैयार हूँ, अपना आदमी आज शाम जुहू बीच पर भेज देना, तुम्हारा माल तुम्हें मिल जाएगा…!

दो हफ्ते यौंही मौज मस्ती में निकल गये.., दिनो दिन युसुफ लेन-देन के मामले में माहिर होने लगा, वहीं संजू गन बगैरह चलाना सीख कर और ज़्यादा शातिर हो गया …!

एक दिन मस्ती करते हुए लीना बोली – युसुफ मियाँ कहाँ है तुम्हारा गाओं..?

युसुफ – मेडम आपने अली** शहर तो देखा होगा.., उससे कोई 25 किमी दूर है..,

लीना – तो गाओं जाकर अभी क्या करने वाले हो..?

युसुफ – मे चाहता हूँ, बुढ़ापे में अम्मी-अब्बू को कुछ आराम दे सकूँ, बहनो का निकाह हो जाए, अच्छा घर उन्हें बनवा के दे सकूँ…, और ग़रीब की क्या ज़रूरतें होती हैं…,

लीना – गाओं में तुम्हारी कोई खेती-बाड़ी भी है क्या..?

युसुफ – अरे कहाँ मेडम जी…खेती बाड़ी होती तो मे यहाँ मुंबई में खाक छानने क्यों आता…!

लीना – मेरे दिमाग़ में एक प्लान है.., क्यों ना तुम अपने परिवार को उसी शहर में शिफ्ट कर्लो.., एक घर लेके दे दो उनको.., और एक अच्छी सी गुप्त जगह तलाश करके अपना धंधा वहाँ फैलाने की कोशिश करो…!

युसुफ – ये तो बहुत उम्दा प्लान बनाया है आपने मेडम.., अगर संजू साथ दे तो वहाँ तो अपना धंधा और जल्दी ही फैलने फूलने लग जाएगा…!

लीना – क्यों संजू.. क्या कहते हो..? जाना चाहोगे युसुफ भाई के साथ..?

संजू – मेरा क्या है.., कहीं भी आ जा सकता हूँ, मेरे कॉन आगे पीछे है देखने वाला…?

लीना दोनो को नये मोबाइल सेट देते हुए बोली – ये लो तुम दोनो के लिए अलग अलग मोबाइल, दोनो में हम तीनों के नंबर फीड किए हुए..,

जब भी बात करनी हो कभी भी एक दूसरे से जब चाहे बात कर सकते हैं..,

तो फिर तय रहा, तुम लोग कल ही निकल जाओ.., शहर में अपने लिए अच्छा सा घर देख लो, धंधे के लिए जगह तलाश करो..,

कुछ माल लेते जाना, जिससे अपना काम शुरू करने की कोशिश कर देना, ख़तम होने पर बस कॉल कर देना दूसरे दिन जितना चाहिए उतना माल तुम्हें मिल जाएगा.………..!

जैसा कि पहले बताया जा चुका है, युसुफ के गाओं में बुड्ढे माँ-बाप तीन कुँवारी बहनें थी, सबसे बड़ी एक बेहन का निकाह हो चुका था जो उससे जस्ट छोटी थी..,

दूसरे नंबर की वहीदा भी अबतक 26-27 साल की हो चुकी थी, उससे छोटी रेहाना उससे दो साल छोटी माने 24-25 की और सबसे छोटी रुखसाना भी अब 22 साल की हो चुकी थी…!

युसुफ के अब्बू टेलरिंग का काम करते थे, लेकिन आज के जमाने में गाओं में भी अब कॉन सिलवाकर कपड़े पहनता है, कभी कभार कोई बड़ा-बुड्ढ़ा या फिर कोई ग़रीब आदमी कपड़े सिलवाने आ जाता था..!

हां औरतें ज़रूर ब्लाउस पेटीकोत सिल्वाति थी, जिसे वहीदा और कभी कभी उसकी अम्मी सील कर दे देती थी.., जिनकी सिलवाने की कीमत भी गाओं में लोग बड़ी मुश्किल से देते वो भी आज-कल करके काफ़ी लटकाने के बाद…!

बड़ी मुश्किल से दो वक़्त की रोटियों का गुज़ारा हो पाता था.., कभी कभी लड़कियों को जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाना पड़ता.., एक-दो बकरी पाल रखी थी उनसे कुछ आमदनी हो जाती…!

कुल-मिलाकर बस दिन किसी तरह निकल ही रहे थे.., उसके बूढ़े अब्बू शहज़ाद ख़ान की कमर झुक गयी थी.., वक़्त की मार ने वक़्त से पहले ही बूढ़ा बना दिया था.., वरना इस उमर में शहर में लोग अधेड़ उम्र में गिने जाते हैं…!

युसुफ और संजू सीधे घर ना जाकर शहर में पहले उन्होने अपने लिए एक 5 कमरों का एक अच्छा सा घर खरीदा..,

फिर काफ़ी तलाश करने के बाद उन्हें एक उजाड़ पड़ी हवेली का पता चला वो भी वहाँ के कुछ बेरोज़गार युवकों की मदद से.

जिसे उन्होने अपने धाधे के लिए किराए पर लिया जो काफ़ी दिनो से विवादित थी, जिसपर कुछ दबंगों का कब्जा था, तो उन्होने ही उसे लीज़ पर दे दिया…!

सबसे खास बात उस मकान की ये थी कि उसके नीचे एक गुप्त तहखाना भी था जो उन्हें अपने धंधे के लिए सबसे उपयुक्त लगा…!

कुछ बेरोज़गार युवकों को अपने साथ मिलाकर काम करने को तैयार भी कर लिया.., इतना काम निपटाकर उन दोनो ने युसुफ के गाओं का रुख़ किया…!

गाओं निकलने के लिए वो काफ़ी लेट हो गये थे.., गाओं की तरफ जाने वाले रोड पर आकर पता किया क़ि इस वक़्त क्या साधन मिल सकता था गाँव जाने के लिए…!

लेने को वो दोनो स्पेशल टॅक्सी भी ले जा सकते थे लेकिन ये सब जताकर वो खम्खा इतनी जल्दी इस इलाक़े में अपने आप को उजागर नही करना चाहते थे…!

पता चला कि युसुफ के गाओं तक के लिए प्राइवेट वहाँ जैसे तीन पहिए के टेंपो या फिर टाटा मॅजिक जैसे वहाँ ही मिल सकते हैं…!
काफ़ी देर के इंतेजार के बाद वहाँ एक मॅजिक आकर रुकी.., इलाक़े का नाम

पुकार कर उसका क्लीनर पॅसेंजर्स को बुलाने लगा..,

युसुफ ने संजू का हाथ पकड़ा और पीछे से यू आकर वाली सीट पर सामने जाकर दोनो बैठ गये…, युसुफ को अंदाज़ा था कि इसमें भीड़ होने वाली है, इसलिए वो उसे लेकर फ़ौरन जाकर सीट घेर कर बैठ गया…!
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06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
ये बात दो मिनट में ही सच साबित हो गयी.., उनके देखते ही देखते गाड़ी लोगों से फुल हो गयी.., सीटो की तो बात ही छोड़ो, लोग सीटो के बीच की खाली जगह में भी आकर खड़े होने लगे…!

मॅजिक लोगों से खचाखच भर गया, यहाँ तक कि एक पैर रखने की जगह नही बची, तभी उसमें एक लड़की घुसी.., लोगों ने उसे ज़बरदस्ती से अंदर ठूंस दिया..,

धीरे-धीरे एक-एक पैर जमाती हुई वो युसुफ और संजू जहाँ बैठे थे वहाँ तक पहुँच गयी.., इधर उधर मंडी घुमाने तक की गुंजाइश नही थी…!

चूँकि भीड़ के कारण अंदर अंधेरा सा हो गया था, कुछ भी साफ-साफ दिखाई नही दे रहा था.., वो लड़की झुकी हुई अपने लिए टिकने लायक जगह तलाश कर रही थी कि किसी तरह वो अपने चूतड़ टिका सके…!

तभी उसकी नज़र युसुफ पर पड़ी.., मानो उसे कोई कारुन का खजाना मिल गया हो.., चहकते हुए बोली – अरे भाई जान आप.., गाओं जा रहे हो..?

युसुफ उसकी तरफ गौर से देखने लगा.., वो फिर बोली – अरे पहचाना नही.., मे नन्ही.., आपकी बेहन रेहाना की दोस्त..,

युसुफ ने उसे पहचानते हुए कहा – ओह्ह्ह..तू नन्ही है.., मेरी तो पहचान में ही नही आई.., तू तो काफ़ी बड़ी हो गयी है.., गाओं जा रही है..?

नन्ही – हन भाई जान.., पर इस गाड़ी में लगता है पैर रखने की भी जगह नही बची.., फिर वो संजू की तरफ इशारा करके बोली – ये भाई भी आपके साथ हैं क्या..?

युसुफ ने जैसे ही हां में गर्दन हिलाई.., वो फ़ौरन बोल पड़ी – तो फिर दोनो मिलकर मेरे लिए थोड़ी जगह बनाओ ना.., झुके-झुके गाओं तक कमर ही दुखने लगेगी..मेरी…!

युसुफ ने संजू की तरफ देखा.., दोनो ने एक नाकाम कोशिश की दोनो के बीच जगह बनाने की लेकिन एक इंच जगह भी नही कर पाए…!

बहुत मुश्किल है नन्ही.., बोल अब कैसे करें..? युसुफ अपनी असमर्थता जताते हुए बोला…,

नन्ही – कोई बात नही.., कुछ देर की ही तो बात है.., जैसे बचपन में आप मुझे गोद में बिठा लेते थे, वैसे ही अब बैठ जाउन्गि..,

इतना कहकर उसने उसकी रज़ामंदी का भी इंतेजार नही किया और झट से अपनी गुद-गुदि 34-35” चौड़ी गान्ड रखकर उसकी गोद में बैठ गयी…!

उसके बैठते ही युसुफ की हवा सरक गयी.., उसे ये अंदाज़ा भी नही था कि ये लड़की इंटनी बिंदास निकलेगी कि भरी गाड़ी में उसकी गोद में ही आकर बैठ जाएगी..,

लेकिन नन्ही की भी अपनी मजबूरी थी.., एक घंटा से भी ज़्यादा का रास्ता वो यौं झुके-झुके नही काट सकती थी, उपर से सही से पैर जमाने की गुन्जायश भी नही थी…!

युसुफ की टाँगों को उसका वजन झेलना मुश्किल पड़ रहा था.., उसकी हालत का मज़ा लेते हुए संजू मन ही मन मुस्करा रहा था.., आख़िर में युसुफ को बोलना ही पड़ा…!

नन्ही तू तो बहुत भारी हो गयी है.., मेरी तो टाँगें अभी से दुखने लगी…!

नन्ही उसे उलाहना सा देते हुए बोली – भाई जान.. कैसे मर्द हो.., एक लड़की का वजन भी नही झेल सकते.., चलो फिर मे एक काम करती हूँ, अपना आधा वजन इस भाई पर रख लूँ..?

युसुफ – हां ये ठीक रहेगा.., चल तू अपने पैर संजू की तरफ करले.., और आधा वजन मेरी जांघों पर आजाएगा, आधा संजू की…!

संजू उनके बीच पाक रही खिचड़ी से कतई सहमत नज़र नही आया.., लेकिन कहता भी क्या.., उसके दोस्त के गाओं की लड़की के सामने वो मना भी नही कर पाया..,

जैसे तय हुआ अब नन्ही वैसे ही अपनी जांघों का आधा भार संजू की टाँगों पर रख कर एक तरह से उन दोनो की गोद में अढ़लेटी सी हो गयी…!

उसकी मुलायम रूई जैसी गद्दार गान्ड की गर्मी से युसुफ का लॉडा उसके पॅंट में अकड़ने लगा.., जिसका उभार नन्ही को अपने एक कूल्हे पर हो रहा था…!

उसने युसुफ की तरफ देखा.., दोनो की नज़र मिलते ही दोनो मुस्करा उठे.., नन्ही ने लाज्बस अपनी नज़र झुका ली..,

दूसरी तरफ उसकी एक जाँघ संजू के लौडे से सटी हुई थी.., नतीजा जाँघ के मांसल दबाब से उसका लॉडा भी करवट बदलने लगा..,

गान्ड और जाँघ पर अलग अलग दो लंड की चुभन के एहसास ने नन्ही की साँसों को गरमा दिया.., गाड़ी चलते ही हिचकॉलों ने और आग में घी डालने का काम कर दिया…!

अब युसुफ के हाथ भी हरकत करने लगे.., उसने अपना एक हाथ उसके चिकने पेट पर फिराना शुरू कर दिया.., नन्ही बिना नज़र मिलाए आनंद लूट रही थी..,

फिर जैसे ही युसुफ का हाथ उसकी मांसल हल्की सी गहरी नाभि पर पहुँचा, उसकी उंगलियाँ नाभि के आस-पास के क्षेत्र को सहलाने लगी..,


लेकिन जब उसने अपनी एक उंगली उसके नाभि कुंड में प्रवेश कराई…!

नन्ही की सहन शक्ति जबाब दे गयी.., गुद-गुदि के मारे उसका पेट थिरकने लगा.., हल्के से हँसते हुए उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकते हुए कहा –

क्या करते हो भाई जान, गुद गुदि हो रही है मुझे…!

युसुफ ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तो तू ही बता मे अपना हाथ कहाँ रखूं..?

नन्ही ने एक बार अपनी वासना में लिपटी नज़र उसपर डाली और कहा – और जहाँ भी रखना हो रखो.., लेकिन यहाँ नही…!

उसकी नाभि प्रदेश से अपना हाथ सरका कर युसुफ ने उसकी चोली पर रखते हुए कहा – यहाँ रख लूँ…?

नन्ही का चेहरा शर्म और कामुकता से लाल हो गया.., उसने बस इतना ही कहा – मुझे नही पता…!

ये युसुफ के लिए खुला निमंत्रण था.., सो वो कुछ देर तक अपने हाथ से उसकी मांसल चुचियों को सहलाता रहा…!

इधर संजू ने जब उनकी काम क्रीड़ा देखी.., तो उसने भी पीछे रहना मुनासिब नही समझा.., और आहिस्ता से अपना एक हाथ उसके घाघरे में डाल दिया और उसकी बालों रहित चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा..!

अब नन्ही पर दोहरी मार पड़ रही थी.., मज़े में उसने अपनी आँखें मूंद ली.., और गूंगे के गुड की तरह दोनो के स्पर्श का मज़ा लूटने लगी…!

धीरे धीरे दोनो मर्दों की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी.., उपर युसुफ ने उसकी चोली के बटन खोल डाले, उपर से नन्ही ने अपना आँचल डालकर ढक लिया.., और वो दोनो हाथों से उसके गोल-गोल चुचियों को मसल्ने लगा..!

उधर संजू का हाथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.., कुछ देर उसकी पिंडलियों को सहलाने के बाद वो उसकी जाँघ तक पहुँच गया..,

नन्ही ने पहले तो अपनी टाँगें खोलकर हाथ को अंदर तक जाने का रास्ता दे दिया.., फिर जैसे ही उसका हाथ उसकी योनि पर पहुँचा..,

नन्ही ने अपनी मांसल जांघों को कस लिया.., साथ ही उसके मूह से दबी दबी सी मादक सिसकी निकल गयी…!

संजू ने दूसरे हाथ का इशारा देकर उसे टाँगें चौड़ी करने को कहा – नन्ही भी अब पूरा मज़ा लेने के मूड में थी.., सो उसने अपनी जांघें फिरसे खोल दी..,

संजू ने मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी कच्छी को एक तरफ सरका दिया.., नन्ही की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.., उसी गीलेपन के कारण संजू की एक उंगली उसकी चूत में अंदर तक सरक गयी…!

नन्ही ने बुरी तरह तड़प कर संजू के लंड को हाथ से मसल दिया.., बेचारी दो मर्दों की हरकतों को झेलने में असमर्थ होती जा रही थी…!
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06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
युसुफ उसकी चुचियों को मक्खन की तरह बिलो रहा था.., कभी कभी उसके कड़क कंचे जैसे निप्प्लो से खेलने लगता..,

तो वहीं संजू की उंगली उसकी चूत में हा-हाकार मचाए हुए थी.., नन्ही अपनी टाँगें फैलाकर नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठाकर संजू की उंगली को और गहराई तक लेने का प्रयास करने लगी…!

लौंडिया की गर्मी देख कर संजू भी बहुत गरम हो उठा.., अपनी उंगलियों की मदद से उसने अपने पॅंट की जिप खोल दी..,

लंड को बाहर करके नन्ही के हाथ में पकड़ा दिया…,उसकी एक जाँघ लगातार उसके लंड की वाट लगाए हुए थी.., साथ ही वो अपने हाथ से भी उसकी मुट्ठी मारने लगी…!

उत्तेजना के चरम पर पहुँच कर संजू ने अपनी दो उंगली चूत की गहराइिओं में उतार दी..और तेज-तेज अंदर बाहर करके एक तरह से हाथ से ही उसे चोदने लगा….!

उधर उसूफ ने भी गाड़ी के अंदर के अंधेरे का लाभ लेकर अपना लंड भी बाहर कर लिया.., उसने नन्ही को अपनी तरफ पलटा कर अपना लंड उसके मूह में दे दिया…!

ऐसे खेलों से अंजान होते हुए भी नन्ही वासना में अंधी हो चुकी थी.., उसे ये भी होश नही था कि उसके मूह में कब लंड घुस गया..,

वो तो उसके कटे हुए टोपे पर लगे नमकीन पानी को चाटते ही और ज़्यादा मदहोश हो गयी.., लॉलीपोप की तरह युसुफ के लंड को चचोर्ने लगी…!

बिना आवाज़ किए ये तीनों बिना की की परवाह किए अपने अपने कामों लगे थे…,

युसुफ का लंड सबसे पहले जबाब दे गया, उसने नन्ही के गले तक अपनी पिचकारी छोड़ दी..,

इधर नन्ही भी अपने चरम पर थी.., उसके पेट में क्या जा रहा है इस बात नज़रअंदाज करके उसने बहुत ज़ोर्से संजू के लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया…

अपनी गान्ड हवा में लहराकार वो भी भल-भलकर झड़ने लगी.., उसके चूतरस से संजू का हाथ तर हो गया…..!

लंड को कसकर दबाने से उसके लंड ने भी अपना लावा उगल दिया.., लंड की सीधी पिचकारी नन्ही की जाँघ और चूत के मूह पर पड़ी…!

गरम गरम वीर्य की बौछार अपनी चूत की फांकों पर पड़ते ही.., झड़ी हुई नन्ही की आँखें मज़े से फिर मूंद गयी…..!

मूह में युसुफ के वीर्य का स्वाद, हाथ, जाँघ, चूत संजू और खुद के पानी से लथपथ..,

जब तीनों को सकुन मिला तब होश आया, संजू ने अपना हाथ चाट’ते हुए चटखारा सा लेकर बोला – बड़ी नमकीन लौंडिया है यार…!

उसकी बात सुनकर नन्ही बुरी तरह शरमा गयी.., अपना लहनगा नीचे सरकाते हुए फुसफुसाई.., मेरे घर आना आप दोनो…!

अभी युसुफ कोई जबाब देता, मॅजिक झटके से रुक गया.., धीरे-धीरे करके भीड़ खाली हुई, लास्ट में वो तीनो भी निकले..,

नन्ही ने अपना थैला उठाया, नज़र झुकाए बोली – मे इंतेजार करूँगी.., आना ज़रूर.., इतना कहकर वो किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचें भरती हुई अपने घर की तरफ भाग गयी…!

पीछे से वो दोनो उसके लहंगे में थिरकति गान्ड को देखते हुए अपने अपने लंड सेट करके युसुफ के घर की तरफ बढ़ गये….!

युसुफ का घर बहुत छोटा सा ही था.., कम हाइट के दो छोटे से कच्ची मिट्टी की एंटों के कोठे बने हुए थे,

मुख्य दरवाजे से घुसते ही एक आधी खुली और आधी छप्पर पड़ी थोड़ी सी जगह दोनो कोठो के सामने थी,


जहाँ एक कोने में नहाने धोने के लिए लकड़ी के पुराने पत्तों से आड़ बनाकर एक पत्थर रख कर बनाया हुआ था..

उसके ठीक बगल में ही खाना पीना बनाने के लिए छप्पर के नीचे चौका बना रखा था..,

इस समय परिवार के सभी लोग बड़ी बेटी वहीदा को छोड़कर चौके के आस-पास बैठे सुखी रोटियाँ लाल मिर्च की चटनी के साथ खा रहे थे…,

बीच वाली रेहाना रोटियाँ बना रही थी.., वहीदा कहीं बाहर गयी थी, शायद किसी के सिले हुए कपड़े देने…!

दरवाजे को धकेल कर जब वो दोनो घर में प्रवेश हुए तो बूढ़ी आँखें अपने बेटे को देख कर खुशी से चमक उठी,

छोटी बेहन रुखसार अपने भाई जान को देख कर चहकते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ी.., और जाकर उसके गले से लग गयी…,

अपनी छोटी बेहन के गुदाज उभारों का दबाब अपने सीने पर पाकर युसुफ का लंड जो कुछ देर पहले ही पिचकारी मारके चुका था.., पाजामा में फिर से कुलबुलाने लगा..,

युसुफ ने भी उसके गोल-मटोल बॉली बॉल जैसे कुल्हों पर हाथ फेर्कर सहलाते हुए कहा – कैसी है मेरी गुड़िया..?

रुखसार ने अपने भाई की आँखों में देखा, जानना चाहा..कि आपका ये हाथ किस मकसद से मेरी गान्ड सहला रहा है.., फिर मुस्कराते हुए और ज़ोर से उससे चिपकते हुए बोली –

मे तो ठीक हूँ, आप सूनाओ.., कितने दिनो के बाद याद आई हम लोगों की.., और ये भाई कॉन हैं..?

युसुफ ने हल्के से उसके एक चूतड़ को दबा दिया, फिर अपने से अलग करते हुए बोला – यहाँ लौटने लायक मे बन ही नही पाया अबतक.., जब इस लायक हुआ कि तुम सब लोगों को कुछ दे सकूँ तो दौड़ा चला आया…

ये मेरा सबसे अज़ीज़ दोस्त संजू है.., अब ये भी हमारे परिवार का हिस्सा ही है..,

फिर उसने पास जाकर अपने अब्बू-अम्मी को सलाम किया.., संजू ने भी अपने हाथ जोड़ दिए.., राज़ी खुशी आदान प्रदान हुई..,

बातों बातों में युसुफ ने उन्हें बता दिया कि दो दिन में ही हम लोग यहाँ से शहर में शिफ्ट हो रहे हैं.., ज़रूरत का समान ही ले लेना, फालतू का यहाँ किसी को दे देना…!

फिर दोनो बारी बारी से हाथ मूह धोकर फ्रेश हुए.., बेचारी रुखसार ने कहीं से साग भाजी का इंतेजाम किया.., तब तक वहीदा भी आ गयी..,

वो भी अपने भाई के गले मिली.., उसके आगे पीछे के साइज़ को देख कर तो युसुफ का लंड पूरा ही खड़ा हो गया..,


उसके गले मिलते ही उसके नागराज ने अपने लिए बिल तलाश कर लिया, वो उसकी चूत के मुहाने पर जाकर ठोकरें देने लगा…!

खा-पीकर गाओं में वैसे भी जल्दी सोने की आदत है, करें भी तो क्या…? और कोई काम भी तो नही.., बिजली होती नही.., मनोरंजन के साधन कुछ थे नही…!

अब दो छोटे-छोटे कोठे थे उनमें ही इन सभी को अड्जस्ट होना था..,
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06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वहीदा अपने अम्मी-अब्बू के साथ सोती थी.., उसी में युसुफ का भी बिस्तर ज़मीन पर लगा दिया…!

दूसरा कोठा जिसमें सिलाई की मशीन, पास में एक 6” उँची तख़्ती सी पड़ी थी.. जिसपर कपड़ों की काट छांट और इस्त्री वग़ैरह करते थे.., उसी को साफ करके दोनो छोटी बहनें सो जाती थी…,

वाकी का कोठा कपड़ों से भरा होता था.., जगह ही कितनी थी..,

अब संजू को भी उसी कोठे में अड्जस्ट करना था.., तख़्ती दो के ही लायक थी.., तीसरे की तो किसी भी सूरत में गुंजाइश हो ही नही सकती.., चलो तीनों लड़कियाँ हो तो अड्जस्ट कर भी लें…!

तो फिर कपड़े एक तरफ करके थोड़ी और जगह की, और ज़मीन पर ही उसके लिए भी एक दडी डालकर बिस्तर का इन्तेजाम किया गया..,

अभी लेटे हुए उन्हें कोई एक घंटा भी नही हुआ था.., कि संजू को बाहर कुछ ख़ुसर-पुसर सी सुनाई दी..,

कुछ देर तो वो ये अनुमान लगाता रहा कि ये आवाज़ घर के बाहर से आरहि हैं या अंदर से.., फिर जब उसे कन्फर्म हो गया तो वो चुपके से उठा और जाकर दरवाजे के बीच की झिरी से आँख सटा कर बाहर देखने की कोशिश करने लगा…!

कुछ देर तो उसे कुछ नही दिखा बस आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी, जो शर्तिया युसुफ और उसकी बेहन वहीदा की थी..,

कुछ देर में उसकी आँखें अंधेरे की अभ्यस्त हो गयी.., और जैसे ही उसे बाहर का दृश्य क्लियर सा हुआ.., जिसे देखते ही एक साथ उसके लंड ने थुन्कि सी लगाई…!

युसुफ रेहाना को पीछे से जकड़े हुए था.., और उसके दोनो हाथ उसकी बड़ी-बड़ी 36” की चुचियों पर जमे हुए थे जिन्हें वो बड़ी बेदर्दी से मसल रहा था..,

उसका लंड खड़ा होकर वहीदा की गान्ड में घुसा जा रहा था.., वो बुरी तरह सिसक कर बोली – आआहह…भाई जान धीरे से मस्लो ना.., और कितने बड़े करोगे इनको…?

अभी तो मेरा निकाह भी नही हुआ उससे पहले ही ये इतने बड़े हो गये है.., बाहर चलते हुए जब हिलते हैं तो मुझे बड़ी लज़्ज़ा आती है…!

अब जल्दी से मेरा निकाह कर्वाओ, वरना कोई करेगा भी नही..,

युसुफ – बस मेरी बहना.., शहर में शिफ्ट होते ही सबसे पहले तेरा निकाह पक्का.., कोई अच्छा सा लड़का मिलते ही सबसे पहला काम यही करूँगा…!

शहर का नाम सुनते ही वहीदा पलट गयी.., अपने भाई के गले से लिपट कर उसके होठों का रस चुस्कर बोली – क्या सच भाई जान.., हम लोग शहर में शिफ्ट होंगे..?

युसुफ ने उसका कुर्ता उतार दिया.., एक पुरानी सी ढीली ढली ब्रा से बाहर उबले पड़ रहे उसके सुडौल मोटे-मोटे चुचों को देख कर वो बावला सा होकर उनके उपर टूट पड़ा…!

वहीदा ने भी उसके पाजामा को नीचे खिसका दिया.., और उसके फन्फनाते नाग को अपनी चूत की मोटी-मोटी फांकों पर घिसते हुए बोली – शहर में आप लोग क्या करोगे..?

युसुफ का अपनी बेहन के मखमली गुदाज बदन की गर्मी से बुरा हाल होने लगा था.., उपर से वो उसके लंड को लगातार अपनी गीली चूत पर रगडे जा रही थी..

उसे पलटा कर उसने दीवार के सहारे निहुरा लिया.., पीछे से उसकी चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फिराते हुए बोला –

पहले तो मे अपनी सेक्सी बेहन को जी भरके चोदुन्गा.., उसके बाद बताता हूँ.., इतना कहकर उसने अपना गरम लॉडा उसकी चूत के छेद पर अड़ा दिया.., और सार्ररर…से एक झटके में ही पूरा अंदर तकपेल दिया…!

वहीदा के मूह से एक बेहद ही कामुक सिसकी निकल पड़ी.., साथ ही संजू का लंड भी उसके पाजामा के अंदर फुल फॉर्म में आगया…!

वो लगातार बाहर झाँक कर उस गरम सीन में खोया हुया था.., उसे पता भी नही चला कि कब वो दोनो घोड़ियाँ आकर उसके आजू-बाजू खड़ी हो गयी…!

खड़ी ही नही हुई.., बल्कि दोनो तरफ से वो उसके बदन से सॅट कर अपने बदन को उसके साथ रगड़ने लगी…..,

जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो उसने बारी-बारी से दोनो की तरफ देखा.., मानो उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो.., उस अंदाज में संजू ने अपनी गर्दाण झुका ली..,

रेहाना ने उसकी चौड़ी छाती को सहलाते हुए कहा – यहाँ क्यों खड़े हैं जनाब.., बाहर कोई तमाशा हो रहा है क्या..?

संजू पीछे हटना चाहता था, लेकिन उसने मजबूती से जाकड़ कर उसे हिलने भी नही दिया.., और रुखसार से बोली – देख तो रुखसार बाहर जनाब क्या नज़ारा देख रहे थे…!

वैसे तो उन दोनो को भी पता था.., फिर भी उसने झाँक कर देखा.., जहाँ युसुफ हुंकार भरते हुए अपनी बेहन की पीछे से चुदाई कर रहा था..,

उसकी जांघों की थप ठप जब उसके भारी चुतड़ों पर पड़ती.., तो उनमें मानो भूचाल सा आ जाता और वो दोनो सागर की लहरों की लहराकार उपर को हो जाते…!

हाए रेहाना बेहन क्या गरमा-गरम चुदाई हो रही है बाज़ी और भाई जान की.., देख तू भी देख…!

संजू समझ गया कि ये तीनों ही बहनें चुदक्कड हैं, और इन्हें अपने ही सगे भाई से चुद्वाने में कोई एतराज़ नही है..,

वो पीछे खिसकते हुए बोला.., तुम दोनो मज़े लो.. मे चला सोने..,

लेकिन जैसे ही वो पलटा.., पीछे से रुखसार ने उसकी कौली भर ली.., और उससे चिपकते हुए बोली – अब इतना अच्छा सीन तो आप ही की वजह से देखने को मिला है..,

तो इसका समापन भी तो तुम्हें ही करना पड़ेगा जनाब .,

संजू उसके हाथ हटाते हुए बोला – यहाँ खड़े खड़े ही चुदना चाहती हो अपनी बाज़ी की तरह..,

संजू के मूह से रज़ामंदी भरे शब्द सुनकर दोनो घोड़ियाँ कुलाँचे भरती हुई अपनी तख़्ती पर जा जमी.., बीच में उसके लिए जगह बनाकर वो दोनो बड़ी बेसब्री से संजू का इंतेजार करने लगी………………
…!
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06-02-2019, 02:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
बाहर का गरमा गरम स्टेज शो कुछ देर और चला.., फिर वहाँ एक दम से शांति छा गयी.., गरम गरम आहों का बाज़ार अब थम चुका था…इसका मतलब उन दोनो का कार्यक्रम अब समाप्त हो चुका था…!

लेकिन उसकी वजह से इस छोटे से कोठे का तापमान काफ़ी बढ़ चुका था…. !

दोनो बहनों को उनके अपने सगे भाई बेहन की चुदाई के सीन ने इतना ज़्यादा कामोत्तेजित कर दिया था कि अब उन्हें संजू के उस दो कदम के फ़ासले को भी सहन करना दूभर लग रहा था…,

दोनो की चूत में मानो भट्टियाँ जल रही थीं…, रहना एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली को अपने मूह में डालकर चूस्ते हुए बोली –

क्या नयी नवेली दुल्हन की तरह आ रहे हो.., जल्दी करो नाआ..,

संजू के उन दोनो के पास आने तक उन पठ्ठियो ने समय बरवाद ना करते हुए अपने-अपने कुर्ते निकाल फेंके…!

उन दोनो हवस में अंधी हो रही जवान घोड़ियों को इस अवस्था में देखकर संजू का लंड उसके पाजामे में कबड्डी खेलने लगा.., उसे लगा कि कहीं साला कपड़े फाड़कर बाहर ना निकल पड़े…!

जैसे ही वो उन दोनो के सामने जाकर खड़ा हुआ.., रेहाना के सब्र का बाँध टूट गया.., बड़ी बेदर्दी से उसका हाथ पकड़ कर एक ज़ोर का झटका दिया.., वो धप्प से उन दोनो के बीच में फँस गया…!

संजू ने अपने एक -एक हाथ को उनकी गर्दन के पीछे से निकाल कर दोनो की एक – एक चुचि पर कब्जा जमा लिया.., उन्हें ज़ोर्से उमेठते हुए बोला – साली तीनो की तीनो बहनें बड़ी गरम माल हो तुम लोग..,

रुखसार ने उसके पाजामे को नीचे सरका दिया.., अंडर वेअर के उपर से ही उसके फन्फनाते नाग का मूह दबोचते हुए बोली – यहाँ भी कुछ कम गर्मी नही है जनाब…!

संजू के मूह से एक कराह निकल गयी – सस्सिईई..आअहह…साली रांड़ उसके थोब्डे को क्यों मसल रही है, इतना कहकर उसने उसके होठों को अपने मूह में भर कर चब-चबा डाला…!

वो बस मूह ही मूह में गौउउन्न्न…ग्ौउउन्नमन्…करती रह गयी…!

दूसरी तरफ रेहाना ने उसके टीशर्ट और अपनी ब्रा को नोच डाला.., और अपनी 34+ की चुचियो को उसकी चौड़ी कठोर छाती से रगड़ने लगी.., उसके निपल कड़क होकर जंगली बेर जैसे हो गये…!

रुखसार ने होठ चुसाई करते हुए ही हल्के से अपनी गोल-मटोल गान्ड अधर की और अपनी पाजामी को भी टाँगों से बाहर निकाल दिया..,

अपनी चुचियों को संजू के सीने से रगड़ती हुई रेहाना ने कच्छी के उपर से ही अपनी छोटी बेहन की चूत को सहला दिया…! मज़े से रुखसार की कमर और आगे को सरक गयी…!

संजू होठों के साथ साथ रुखसार की चुचियों को भी मथ रहा था.., पुरानी अंगियाँ ना जाने कब धारसाई हो चुकी थी..,


इधर रेहाना ने भी उसकी कच्छि सरका दी.., और अब वो रुखसार की चूत में अपनी उंगलियाँ डालकर उसे चोद रही थी..

रुखसार से ये दोहरा हमला सहन नही हुआ.., उसकी चूत लगातार रस छोड़ने लगी थी.., चूत की गर्मी ने उसे इतना बहाल कर दिया कि संजू की छाती पर अपनी हथेली का भार डालकर उसे तख़्ती पर धकेल दिया…

अपनी गरम दह्कति चूत को उसने संजू के नाग पर सेट करके वो उसपर बैठती चली गयी…!

पूरा लंड अंदर पहुँचते पहुँचते उसके मूह से एक बेहद मादकता भरी आहह..निकल गयी…, आअहह….उउउम्म्मननगज्ग….अम्मि….

जिसे सुनकर संजू अपनी गान्ड उचकाते हुए बोला – क्यों मेरी रानी बिना कटे लंड को लेकर मज़ा आया कि नही..?

हाअए अल्लहह..कितना लंबा है…, उउउफफफ्फ़ बड़ा मज़ा दे रहा है ये तो.., कहते हुए वो उसके लंड पर कूदने लगी.., कुछ देर बाद संजू ने भी नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिया…!

उन दोनो की मदमस्त चुदाई देख कर रेहाना का हाल बहाल होने लगा.., अब उसकी चूत में भी बुरी तरह से चिंतिया सी काटने लगी थी.., उसकी चूत में लगी आग का जल्दी ही बुझना ज़रूरी था…!

उसे इन दोनो की चुदाई जल्दी ख़तम होने के आसार नज़र नही आ रहे थे.., सो उसने भी अपनी कच्छी निकाल फेंकी और रुखसार की तरफ मूह करके वो संजू के मूह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी…!

संजू ने भी उसकी मस्त चौड़ी चकली मदमाती मखमली गान्ड पर थपकी देकर उसकी गीली चूत के रस को अपनी जीभ डालकर चपर-चपर चाटने लगा…!

दोनो बहनें किसी बैलगाड़ी के हिचकॉलों की तरफ संजू के उपर और नीचे लहरा रही थी.., दोनो के हाथ एक दूसरी की चुचियों पर जम गये और वो दोनो आपस में एक दूसरी के होठ भी चुस्ती जा रही थी…!

तीनो की आहों कराहो से उस छोटे से कोठे का तापमान बहुत बढ़ चुका था.., वातावरण में चुदाई की खुसबु महकने लगी थी…!

कुकछ देर में ही रुखसार अपना पानी निकाल बैठी.., तूफ़ानी रफ़्तार से अपनी गान्ड को आगे-पीछे घिसते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी..,

थोड़ी देर तक वो यौंही शांत उसके उपर बैठी रही.., उधर रेहाना का कुलाबा भी फूटने वाला था..,


वो भी अपनी चूत को संजू के मूह पर दबाकर झड़ने लगी और अपना सारा अमृत कलश उसके मूह में खाली कर दिया…!

फिर दोनो रंडियों ने बारी-बारी से संजू के लंड को चूसा.., कुछ देर में ही उन दोनो ने बराबर-बराबर मात्रा में उसके लंड का प्रसाद अपने पेट में उतार लिया...!

चुसाई से रेहाना की चूत की खुजली कम होने की वजाए और तेज हो गयी थी.., जो आग एक मोटे लंड के चूत की दीवारों से रगड़ने से बुझनी चाहिए वो जीभ से कहाँ बुझने वाली थी.....

उसने संजू के होश लौटने का भी इंतेजार नही किया और उसके मरे चूहे जैसे मुरझाए लंड पर किसी भूकि कुतिया की तरह टूट पड़ी..!

वो भी आख़िर जवान मर्द था, दो मिनट में ही उसका नाग फिरसे फन फ़ना कर दूसरे बिल में जाने के लिए तैयार था…!

घोड़ी बनाकर इस बार रेहाना की चूत की उसने वो कुटाई की…, वो हाए तौबा मचाती हुई उसके लंड पर अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी…!

दोनो ही बहनें बहुत ही गरम माल निकली.., पूरी रात वो तीनों जागकर भरपूर चुदाई का मज़ा लूटते रहे.., संजू की सारी टंकी उन दोनो रंडियों ने खाली करदी.., और खुद भी खाली हो गयी…!

दूसरे दिन खाना खा पीकर युसुफ गाओं में अपने यार दोस्तो से मिलने चला गया.., संजू से पुछा तो उसने रात की थकान के कारण मना कर दिया..,

मौके का फ़ायदा उठाकर उन दोनो घोड़ियों ने वहीदा को भी संजू से चुदवा दिया.., ये घोड़ी तो बिल्कुल पोली निकली.., संजू को उसकी चूत मारने में बिल्कुल मज़ा नही आया..,

फिर उसने लौडे को चूत से निकालकर उसकी गान्ड में डाल दिया.., हिन-हिना कर वो घोड़ी उसके लंड को गान्ड में भी आसानी से ले गयी…!

गान्ड पर थप्पड़ लगाते हुए संजू ने कहा – तू तो सब तरफ से पोली है रानी.., बहुत लंड खोर लगती है.., कितने ले चुकी है अब तक…!

वहीदा ने अपनी गान्ड पीछे धकेलते हुए कहा – भडुये के चोदे.., तुझे जैसे मज़ा मिलता है वैसे ले ना.., लंड की गिनती जानकार क्या करेगा…?

मे चुदने के मामले में कभी परहेज नही करती.., जैसा मिले ले लेती हूँ…!

एक बार वहीदा की गान्ड में अपना पानी निकाल कर संजू गहरी नींद में डूब गया..,

तीसरे दिन उन सबने कुछ ज़रूरत का समान एक टेंपो में लादा और शहर की तरफ रबाना हो लिए…!

शहर में इतना बड़ा और अच्छा मकान देख कर युसुफ के परिवार वाले खुश हो गये.., जहाँ जिसको अच्छा लगा अपना डेरा जमा दिया…!

थोड़े ही दिनो में उनके धंधे का खोम्चा इस शहर में जम गया, उनके ही गॅंग के एक बफ़ादार मुस्लिम जो तलाक़ सुदा था, उससे वहीदा का निकाह करा दिया.., तीनो बहनें भी उसी धंधे में लग गयी..

हिजाब में छुपा कर माल सप्लाइ करने में वो माहिर हो गयी.., कोई एडा कस्टमर होता उसे वो अपने हुश्नो-शबाब के दर्शन कराकर काम निकाल लेती थी..!

उन्हें अपना काम निकालने के लिए किसी के सामने चूत खोलने पर भी कोई एतराज नही होता था…!

कुछ ही दिनो में युसुफ और संजू गॅंग ने अपने झंडे गाढ दिए, उनकी पर्फॉर्मेन्स देख कर लीना बहुत खुश थी..,

उसने भी अपना मुंबई का धंधा कुछ भरोसेमंद लोगों को सौंपा, खुद भी इसी शहर में एक अच्छा सा बंगला खरीद कर शिफ्ट हो गयी…!

दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की से वो कुछ ही दिनो में एक छोटी-मोटी ड्रग डीलर से एक बड़े माफिया ग्रूप में तब्दील हो गये…..!
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06-02-2019, 02:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
बहुत दिन हो गये कहानी के मुख्य किरदारों से दूर रहते हुए.., ख़ासकर मोहिनी भाभी की तो बहुत याद आती होगी आप सभी को.., जिसके बिना अपना हीरो भी कुछ नही है…

इस बीच कुछ मित्रों की कंप्लेंट भी बहुत आती रही कि हम अपने मुख्य पात्रों को भूल तो नही गये.., ये कहानी कहाँ से कहाँ चली जा रही है ब्ला..ब्ला…ब्ला…!

तो अब सभी मित्रों की शिकायत दूर करने का समय आ गया है.., क्यों ना अब साथ साथ में कुछ उनकी भी चर्चा कर ली जाए…………..!

समय काफ़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा था.., जैसा कि मेने तय किया था कि जब हमारा शहर वाला बंगला तैयार हो जाएगा.., हमारा सारा परिवार चाची के अंश को लेकर शहर शिफ्ट हो जाएगा…!

शहर में आकर कुछ दिन बाद ही नेक्स्ट सेशन से बड़े भैया ने भी गुप्ता जी के डिग्री कॉलेज में बतौर प्रोफेसर जाय्न कर लिया..!

मेरी बिटिया जिसका भाभी ने तृष्णा नाम रखा, वो भी अब बोलने, चलने फिरने लगी थी.., इसी बीच रूचि ने भी10थ पास कर लिया था..

प्राची ने अपना ग्रॅजुयेशन कर लिया था.., मन्झ्ले भैया उसे पोलीस में सेलेक्ट करवाना चाहते थे.., लेकिन प्राची का दिल नही था कि वो किसी बंधन में रह कर काम करे…!

शुरू से ही वो मेरे साथ रहने के कारण स्वतन्त्र रहने की आदि थी..,

एक दिन मे भी उनके बंगले पर ही था.., हम तीनों के बीच इसी बात को लेकर चर्चा थी.., भैया उसे पोलीस जाय्न करने को प्रोत्साहित कर रहे थे.., लेकिन उसका मन नही था.. सो वो मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली…

अंकुश भैया आप बताओ मुझे क्या करना चाहिए.., वैसे मे अपने देश और क़ानून की बहुत इज़्ज़त करती हूँ,

लेकिन किसी बंधन में रह कर क़ानून की हिफ़ाज़त करना मुझे गंवारा नही है.., ख़ासकर पोलीस में जहाँ अपने मन से कोई भी डिसिशन ले ही नही सकते…!

हम कुछ अच्छा करना भी चाहें तो उपर के प्रेशर की वजह से कभी कभी हाथ बँधे होते हैं…!

कृष्णा – तो फिर छोड़ो सब कुछ और आराम से तुम घर संभालो.., हमें भी ऐसी कोई ज़रूरत भी नही है कि तुम कुछ करो ही करो..!

प्राची – लेकिन मुझे खाली बैठना भी तो अच्छा नही लगता.., जो कुछ अब तक मेने अंकुश भैया के साथ रहकर सीखा और जाना है उसे वेस्ट भी करना नही चाहती…!

मेरे पास तुम्हारे लायक एक बहुत ही उम्दा प्लान है अगर पसंद हो तो.., मेने उन दोनो की बातों के बीच पड़ते हुए कहा…

वो दोनो मेरी तरफ देखने लगे.., मेने अपनी बात जारी रखते हुए कहा – क्यों ना तुम एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी खोल लो..!

तुम्हारा टॅलेंट भी काम आता रहेगा.., और इनडाइरेक्ट्ली क़ानून और पोलीस की मदद भी करती रहोगी.., क्यों क्या ख्याल है…?

मेरी बात पर भैया कुछ नाखुश नज़र आए., लेकिन प्राची उनकी नापसंदगी को नज़रअंदाज करते हुए बोली –

बात तो पते की है.., लेकिन इस काम को मे अकेली तो नही कर पाउन्गि.., आपको इसमें मेरा साथ देना होगा…!

मे – ज़रूर..! मेरे पास भी इतना ज़्यादा काम नही होता है, उसे जूनियर स्टाफ कुछ हद तक संभाल ही लेता है..,

एजेन्सी ज़रूर तुम्हारे नाम से होगी.., लेकिन ज़्यादातर फील्ड वर्क हम दोनो ही मिलकर संभालेंगे.., क्यों भैया..फिर तो आपको कोई प्राब्लम नही है इस काम से..!

कृष्णा भैया हथियार डालते हुए बोले – जैसा तुम दोनो ठीक समझो.., चलो अच्छा है कुछ मेरे केस भी आसानी से हल हो जाया करेंगे जिन्हें मे सिस्टम के बंधनों के कारण नही कर पाता…!

बात फाइनल करते ही मे इस काम में जुट गया.., प्राची के नाम से एक डीटेक्टिव एजेन्सी रेगिसेर कर दी, एड देकर कुछ इक्च्छुक युवकों का स्टाफ भी रख लिया जिससे शुरुआत करने में आसानी रहे…!

हमारे प्रयासों से धीरे धीरे कुछ छोटे-मोटे केस भी आने लगे.., जैसे किसी की पत्नी अपने पति की जासूसी करवाना चाहती थी.., कोई पति अपनी पत्नी की…

किसी का किडनप का केस तो किसी के यहाँ चोरी चाकारी का.., पोलीस में एसएसपी तक की पवर थी ही.., लॉ को ध्यान में रखते हुए प्राची की डीटेक्टिव एजेन्सी का काम जमने लगा…………!

मुझे ये तो पता ही था कि भानु उस किल्लिंग में बच निकला है.., और बहुत हद तक वो इस शहर में तो रहेगा नही.., तो मुमकिन है वो फिरसे अपनी बेहन शालिनी के पास ही गया होगा…!

हमने अपने कुछ लोग उसकी टोह में लगा दिए.., ऐसे साँप पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी भी था.., क्या पता मौका देख कर कब अपना जहर उगल दे…!

इसी दौरान प्राची ने ये पता लगा लिया कि भानु की बीवी मालती इस शहर को छोड़कर अपनी ननद वाले शहर में शिफ्ट हो चुकी है..,

मेरा अनुमान सही निकला… तो ज़रूर भानु भी वहीं होना चाहिए…!

क्योंकि उसकी नज़र में पोलीस या मुझे ये नही पता होगा कि वो बच निकला है.., तो बस लोकल पोलीस की नज़रों से बच कर वो कहीं भी रह सकता है…!

कस्बे की ज़मीन जयदाद बेचकर उसके पिता सुर्य प्रताप भी वहीं बस गये थे.., लड़के की करतूतों से उनकी कमाई हुई इज़्ज़त मिट्टी में जो मिल गयी थी.., तो फिर वहाँ रह कर करते भी क्या..?

उधर पड़ौस के ही शहर में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगी थी.., जिसका थोड़ा बहुत असर आस-पास के शहरों तक पड़ना स्वाभाविक ही था..,
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06-02-2019, 02:06 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
ये भी सर्व विदित है की पोलीस कहीं की भी हो उसका हाथ इन माफियाओं के साथ हो ही जाता है.., 100 में से कोई एक अधिकारी ईमानदार भी हो तो उसे अपनी जान की परवाह बनी रहती है..,

यही हाल उस शहर का भी था नतीजा लीना का तस्करी का कारोबार खूब फल फूल रहा था.., उपर से संजू की ख़ूँख़ार प्रवृति ने इलाक़े में दहशत फैला रखी थी..!

उसके हाथों कुछ मर्डर भी हो चुके थे.., लेकिन लीना की पहुँच पोलीस प्रशासन में बहुत उपर तक थी.., उपर से वो बेहद सुन्दर भी थी..

आज के युग में जहाँ किसी चीज़ से काम ना बने वहाँ औरत के काम बान काम आ ही जाते हैं.., युसुफ की तीनों बहनें भी इस काम में दक्ष हो चुकी थी..,

शबाब और पैसे से आज कुछ भी हासिल हो सकता है.., तो बस लीना दिनो-दिन अपना कारोबार बढ़ाती जा रही थी.., जिसकी गूँज 70-80 किमी दूर हमारे इस शहर तक भी पहुँच गयी..!

लेकिन यहाँ की पोलीस के कुछ ईमानदार प्रयासों से उनके पैर इस शहर में जम नही पा रहे थे..,

हमारे आदमी भानु पर नज़र रखने की वजह से इस शहर की खबरें भी रखते थे.., भानु पर नज़र रखने के साथ साथ हमने उन्हें इस गॅंग की अधिक से अधिक जानकारी जुटाने में लगा दिया…!

लीना के बेहद करीबी युसुफ और संजू का हमें पता चल चुका था.., इसलिए अब हमने खुद मैदान में कूदने का फ़ैसला कर लिया..,

सबसे पहले हमने उन दोनो की जन्म कुंडली निकालने का प्रयास किया.., युसुफ तो लोकल ही था.., तो उसकी सारी डीटेल्स आसानी से मिल गयी, लेकिन संजू महाराष्ट्रा से था.. तो उसका बॅकग्राउंड पता करने में थोड़ी मसक्कत करनी पड़ी…!

लेकिन एक बात जो उसकी खास थी.., वो थी उसके हाइ एमोशन्स, आगे पीछे कोई था नही उसके.., जिसके लिए वो कमाने खाने का लालच रखता हो..,

बस कुछ था तो युसुफ के साथ लगाव वो भी उसने उसकी जान बचाई थी इसलिए, और यहाँ आकर उसकी बहनों की चूतें जिन्हें वो जब चाहता चोद लेता था…!

हां लेकिन आज भी उसकी पहली पसंद थी लीना.., भले ही वो युसुफ की दोनो बहनों की तुलना में उम्र दराज थी..,

लेकिन नियमित एक्सर्साइज़ और अच्छे रहन सहन के कारण वो आज भी उनसे ज़्यादा जवान और मर्द मार औरत दिखती थी…!

मेने प्राची को संजू के पीछे लगा दिया.., लेकिन वो ज़्यादातर अपने साथ दो-चार गुर्गे रखता ही था.., फिर भी मौका तो निकालना ही था.. जो कभी ना कभी किसी मोड़ पर मिल ही जाना था..!

प्राची अपनी तरफ से पूरी कोशिश में जुटी थी.., तभी एक अजीब घटना प्रकाश में आई.., जो हमारे आदमी को कुछ देर से पता चली…!

हुआ यों कि एक दिन लीना एक बड़े से शॉपिंग माल से बाहर निकली.., माल से बाहर आते ही.. उसके इंतेजार में खड़े उसके आदमी जिनमें युसुफ तो माल के अंदर से ही उसके साथ था बाहर से तीन और साथ हो लिए…!

हर समय वो एक दम सजी-धजी.., कंधे तक के सुनहरी बाल, सिर पर गोल कॅप जिससे कुछ हद तक उसका चेहरा दूर से नज़र नही आता था.., आँखों पर स्याह काले गॉग्ल्स..!

अभी वो पार्किंग में खड़ी अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ ही रही थी कि अपने पास से ही आती हुई एक जानी पहचानी सी आवाज़ ने उसे ठिठकने पर

मजबूर कर दिया....!

बगल से गुज़रते हुए एक सरदार ने उसे धीरे से पुकारा… अरे कामिनी मेडम आप…?

ये शब्द सुनते ही उसके कदम वहीं थम गये और किसी स्वचालित खिलौने की तरह वो आवाज़ की दिशा में घूम गयी…………….!

इन शब्दों में ना जाने कैसा जादू सा था, सुनते ही लीना बुरी तरह से चोंक पड़ी.., उसे उस सरदार की आवाज़ कुछ जानी-पहचानी सी भी लगी..,

वो पलटकर उस सरदार की तरफ देखने लगी जो उसे ठिठकता देख लपक कर उसकी ओर आने लगा…!

युसुफ के लिए ये नाम नितांत नया था, उसने अपने आस-पास नज़र घुमा कर देखा लेकिन उसे दूर दूर तक कोई और महिला दिखाई नही दी…!

उसने उस सरदार को अपने पास आने से रोकना चाहा तो लीना ने हाथ का इशारा करके उसे रोक दिया और सरदार को अपने पास आने दिया..,

उसके अत्यधिक नज़दीक जाकर वो सरदार लगभग फुसफुसा कर बोला – पहचाना मेडम मे भानु.., आपके लिए काम किया करता था..?

लीना ने अपने होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का संकेत किया और चुपचाप अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ते हुए बोली – आओ मेरे साथ…!

लीना ने युसुफ को दूसरी गाड़ी में आने का इशारा किया और भानु को लेकर वो अपनी गाड़ी में आकर बैठ गयी.., रास्ते में भानु अपने मन की उत्सुकता को नही दबा पाया और बोला…

मेने तो सुना था मेडम कि आप भी उस हादसे में वाकी लोगों के साथ ही…

लीना जो वास्तव में कामिनी ही थी बोली – पहली बात, अभी मे इस नाम को भूल चुकी हूँ, मेरे सभी आदमी मुझे लीना के नाम से जानते हैं.., सो आगे से इस बात का ख्याल रखना…,

रही बात मेरे मरने या जीवित होने की तो सभी को यही अनुमान था कि मे भी वहीं ख़तम हो गई हूँ.., लेकिन मेरा भाग्य अच्छा था…!

अंकुश मुझे गोली मारने के बाद ज़्यादा देर तक वहाँ नही रुका.., भाग्यबस गोली भी मेरे सीने में दिल से ज़रा हटकर लगी थी.., मे उस समय तो अपने होश खो ही चुकी थी…!

लेकिन तभी मेरा ड्राइवर रामसिंघ गुप्त गॅलरी में हुई उस फाइरिंग की आवाज़ सुनकर दौड़ता हुआ वहाँ जा पहुँचा, तबतक अंकुश मुझे मरा समझकर वहाँ से जा चुका था..!

ड्राइवर ने मुझे आनन-फानन में उठाकर गाड़ी में डाला और समय रहते वो मुझे मेरे पर्सनल डॉक्टर के पास ले गया.., जहाँ उसने समय पर मेरी गोली निकाल दी..!


दूसरे दिन जब मुझे होश आया तो मे पूरी तरह ख़तरे से बाहर थी.., एक हफ्ते वहीं रहकर मेने डॉक्टर को ढेर सारा इनाम दिया, और फिर हम तीनों ने ही चुपके से वो शहर छोड़ दिया…!

रामसिंघ तो आज भी मेरे साथ ही है जो अभी भी तुम्हारे सामने, मेरी गाड़ी चला रहा है.., सही मायने में मुझे दूसरी जिंदगी देने वाला यही है…!

कुछ साल मेने मुंबई में गुज़ारे, फिर मुझे एक दिन दो हीरे हाथ लगे, जिनमें एक जो अभी तुम्हें मेरे पास आने से रोक रहा था दूसरा कहीं मार-पीट में उलझा होगा…!

युसुफ यहीं कहीं पास के गाओं का है.., इसको पैसों की ज़रूरत थी.., दोनो मिलकर मुंबई में छोटी-मोटी वारदातें किया करते थे, सो मेने उन्हें अपने साथ ले लिया..,

कुछ समय पहले ही मेने यहाँ अपना कारोबार शुरू किया है.., दोनो की लगन और टीम वर्क से कुछ ही समय में मे पहले से भी बड़ी ड्रग्स और हथियारों की डीलर बन चुकी हूँ..!

अब तुम अपने बारे में बताओ.., तुम इस तरह भेष बदलकर क्यों छुप्ते फिर रहे हो..?

भानु एक लंबी सी साँस छोड़कर बोला – मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था मेडम.., फिर उसने श्वेता के कहने पर अंकुश के किडनप और उसके साथ श्वेता ने क्या क्या किया.., वो सब उसे बताता चला गया…!
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06-02-2019, 02:06 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कामिनी ये सब मूह बाए सुनती रही.., फिर जब उसने बताया कि कैसे मोहिनी ने आकर उसे उनके चंगुल से निकाला जिसे सुनकर कामिनी के मूह से किसी ज़हरीली नागिन की तरह फुफ्कार निकली…!

वो हरम्जादि कुतिया हर बार मेरे रास्ते का काँटा बनती रही है.., अब मे सबसे पहले उसको ही अपने रास्ते से हटाउंगी.., उसके बाद उस हरम्जादे अंकुश से अपना बदला लूँगी…!

फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए बोली - खैर आगे बोलो.., फिर क्या हुआ…?

भानु – मे किसी तरह वहाँ से बच निकला और इसी शहर में अपनी बेहन के पास छुप्कर रहने लगा.., वहाँ की पोलीस कुत्ते की तरह मुझे तलाश कर रही थी…!

फिर ना जाने कहाँ से उस हरम्जादे वकील को मेरे यहाँ होने की भनक लग गयी.., शिकारी कुत्ते की तरह सूंघते हुए वो उसी जोसेफ के भेष में मेरी बेहन से मिला….,

पुराने धंधे को दुबारा खड़ा करने का लालच देकर उसने मेरी बेहन से मेरा पता निकलवा लिया.., सच कहूँ तो मे भी उसके झाँसे में फँस गया, और एक बार फिर उसके हत्थे चढ़ गया…!

मुझे ब्लॅकमेल करके उसने वो कांड करा दिया जिसकी कल्पना करते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.., भानु ने उसे वो सब बताया जो उसने श्वेता और उसकी फ्रेंड के साथ किया था…!

फिर उसने ना जाने कैसे श्वेता के पति को वहाँ भेज दिया.., जिसने हमारा सारा गॅंग बॅंग अपनी आँखों से देख लिया…!

गुस्से में अंधे पुष्पराज ने वहाँ मौजूद सबको गोली से उड़ा दिया और खुद को भी गोली मार ली..,

उस सामूहिक हत्याकांड में मे भाग्यबस बच गया.., गोली.. मेरे सिर की एक साइड को चीरते हुए निकल गयी थी..,

हालाँकि घाव काफ़ी गहरा था.., लेकिन किसी तरह बचते बचाते में शहर के विपरीत दिशा में जंगलों की ओर निकल गया.., जहाँ एक नदी तक पहुँचते पहुँचते मेरे होश जबाब दे गये…!

नदी के पानी में हाथ देते ही में वहीं पानी में गिर गया..,

मुझे नही पता मे कितने दिन बेहोश रहा, लेकिन जब होश में आया तो किसी छोटे से गाओं में किसी मल्लाह (केवट) की छोटी सी झोंपड़ी में था…

जो नदी से मुझे अपने घर ले आया और उसने देशी जड़ी बूटियों के सहारे नयी जिंदगी दी.., उसी के मुताविक में पूरे एक हफ्ते तक बेहोश रहा था…!

वहाँ से किसी तरह भेष बदलकर मे फिरसे इसी शहर में आ बसा हूँ.., पोलीस रेकॉर्ड में मे मर चुका हूँ.., जिसका फ़ायदा उठा रहा हूँ..,

कामिनी – तो अब क्या प्लान है.., ?

भानु – घर गृहस्थी तो जैसे चलनी थी वैसे चल रही है.., पिताजी ने अपने नाम से कुछ कारोबार शुरू किया है.., लेकिन अब जब आप दोबारा मिल ही गयी हैं तो एक बार फिर उस हरामी वकील को सबक सिखाने का दिल करने लगा है…!

कामिनी – तुम चिंता मत करो.., इस बार उसे उसके परिवार के साथ पूरी तरह ख़तम करके ही रहूंगी.., मे उसे मरते दम तक नही भूल सकती…!

जिसके कारण मेरा कारोबार, घर परिवार सब कुछ तबाह हो गया हो उसे मे यूँही आसानी से कैसे भुला सकती हूँ..,

सच पूछो तो मेरा मुंबई से यहाँ आने का मक़सद भी यही है..,

आज मेरे पास पैसा हैं, ताक़त है.., और सबसे बढ़कर एक ऐसा आदमी है जिसे बस एक बार इशारा करना है.., वो उसके घर में घुसकर सब कुछ तबाह कर देगा ..!

भानु उत्साहित स्वर में बोला – तो फिर देर किस बात की मेडम..?

कामिनी – मे उसे इतनी आसानी से नही मारूँगी.., उसे पहले अपनों के लिए तड़पना होगा…ख़ासकर उसकी उस प्यारी मोहिनी भाभी के लिए.., जिसने उसे इस काबिल बनाया है…!

बस तुम कुछ दिन मेरे साथ रहकर मेरे आदमियों के साथ काम में हाथ बँटाओ.., उन्हें समझो..अपने को उनके साथ ढालो.., हम जल्दी ही इस काम को अंजाम देंगे…!

फिर उसने अपने ड्राइवर को रास्ते में ही गाड़ी रोकने का इशारा किया, भानु को वहीं उतारकर अपने अड्डे का पता देकर खुद आगे बढ़ गयी……!

उसी शाम संजू एक छोटे से गॅंग से अपने माल की बसूली करके लौट रहा था, अपने गुर्गों को उसने उनके घर भेज दिया.., और अकेला ही अड्डे की तरफ जा रहा था..,

अंधेरा घिर चुका था.., शहर की ख़स्ताहाल व्यवस्था ये थी.., कि मैं सड़क पर भी स्ट्रीट लाइट ना के बराबर थी..,

इस समय उसकी बाइक एक संकरी अंधेरी गॅली से गुजर रही थी.., कि तभी उसने अपनी बाइक की हेड लाइट में कुछ इंसानी जिस्मों को हरकत करते देखा..!

थोड़ा नज़दीक आने पर पता चला कि 4 लफंगे एक अकेली लड़की के साथ छेड़-छाड़ कर रहे हैं..,

सलीके के सलवार सूट पहनी वो लड़की यथा संभव अपने आप को उन गुण्डों से बचाने के लिए जद्दो जहद कर रही थी…!

जगह जगह से उसके कपड़े फट चुके थे जहाँ से उसका दूधिया अंग दिखाई देने लगा था.., वो मदद के लिए गुहार भी लगा रही थी.., लेकिन वहाँ कोई सुनने वाला हो तब तो आए..!

और अगर कोई सुन भी रहा होगा तो अपनी जान बचाने की गरज से देख कर भी अनदेखा करके खिसक लिया होगा…!

संजू ने उनसे कुछ दूरी पर अपनी बाइक रोकी, उसे साइड स्टॅंड पर टीकाया और वहीं से उसने उन लोगों को चेतावनी देते हुए कहा…!

ये छोड़ो उसे.., क्यों परेशान कर रहे हो एक बेचारी लड़की को…?

लेकिन उन गुण्डों पर उसकी बात का कोई असर होता दिखाई नही दिया, और वो उसे लगातार उसके बदन से खिलवाड़ करने में लगे रहे…!

संजू को ये बात असहनीय लगी और वो लपक कर उन गुण्डों के पास जा पहुँचा.., जाते ही उसने आनन-फानन में दो को पकड़ कर एक तरफ को उछाल दिया…

देखते ही देखते वहाँ घमासान छिड़ गया, संजू उनपर भारी पड़ रहा था.., अकेले ने उन चारों गुण्डों को दुम दबाकर भागने पर मजबूर कर दिया…!

जब वी चारों वहाँ से जान बचाकर भाग खड़े हुए तब संजू ने उस लड़की की तरफ ध्यान दिया.., जो सड़क के एक अंधेरे से कोने में बैठी डर के मारे घुटनों में मूह देकर सूबक रही थी……!
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