RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
जब वो बाहर जा रही थी, मैं उनकी मस्त गान्ड को देखने लगा, और जब वो सॉफ करने का कपड़ा और टवल लेकर लौट कर आई, तो उनके मस्त मम्मों को हिलते हुए देखने लगा. वो मेरे पास बैठ कर मेरे लंड को पोंछने लगी, मेरी गोलियों को, मेरे पैरों को, और फिर अपनी बाहों और हाथों को पोंछ कर सॉफ किया.
"तुम्हारा ये तो अब भी खड़ा है," वो बोली.
"हां, इस सब देख कर मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहा हूँ."
"मैं, भी बेटा,"वो बोली. "चलो, अब नहा लो."
मैने खड़े होकर, उनकी एक झप्पी दी. इस बार मैने अपने दोनो हाथों को उनकी गान्ड की गोलाईयों पर रख कर, उनको अपनी तरफ दबा लिया. वो कराह उठी, जब उनकी चूत के उपर मेरे खड़े लंड ने दबाव डाला, तो मम्मी ने अपनी बाहों को मेरे कंधों पर रखते हुए, एक छोटी से पप्पी दी, और फिर मुझे दूर कर दिया. “चलो, जाओ अब,” वो बोली.
मैं ठंडी हो चुकी छाई के कप को लेकर बातरूम की तरफ चल पड़ा.
अगले दो तीन दिनों तक वैसे है चलता रहा, मेरी खूबसूरत मम्मी नंगी होकर सुबह 7 बजे मेरे रूम में दाखिल होती, वो अपने साथ एक सॉफ करने के लिए कपड़ा और बेबी आयिल की शीशी साथ में लाती. वो मेरे कंबल को हटा कर मेरे को नंगा कर देती, और फिर अपने हाथों से मेरे लंड और टट्टों पर बेबी आयिल लगाती. वो मेरे लंड को जब तक सहलाती रहती, जब तक कि तन कर लक्कड़ ना बन जाए, और फिर प्यार से अपने अनुभव का भरपूर उपयोग करते हुए, जब तक मूठ मारती, जब तक कि मैं पानी ना छोड़ दूं. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.
मैं मम्मी के मम्मों को दबाना चाहता था, मैं उनकी चूत के साथ खेलना चाहता था, लेकिन कहीं एक डर था, कि कहीं मम्मी नाराज़ ना हो जायें, और जो कुछ वो कर रही हैं, उसको भी करना कहीं बंद ना कर दें.
चौथे या पाँचवे दिन, वो अपने नियत समय पर नंगी होकर मेरे कमरे में आ गयी, लेकिन आज उनके हाथों में वो कपड़ा और बेबी आयिल की शीशी नही थी. बहनचोद! कहीं मम्मी मेरा मूठ मारना बंद तो नही करने वाली? मेरे तन कर खड़ा हुआ लंड तो उनके स्पर्श के लिए पागल हो रहा था.
"मम्मी?" मैं बोला.
वो मुस्कुराइ, और बोली, “चिंता मत करो राज, मैं अब भी तुम्हारी देखभाल जारी रखूँगी, लेकिन मैने सोचा, चलो आज थोड़ा अलग तरीके से करते हैं, क्यों ठीक है?”
कंबल दूर हटाते हुए, वो मेरे पैरों के बीच आ गयी, और मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया.
"आज क्या सूखा सूखा ही करोगी क्या?"मैने पूछा.
"अर्रे ऐसा कुछ नही है." और ऐसा कहते हुए, उन्होने झुक कर मेरे लंड के सुपाडे को अपने प्यारे से मूँह में भर लिया.
“ओह मम्मी,” मैने गहरी साँस लेते हुए कहा. मैं देख रहा था, कैसे उन्होने अपना सिर झुका कर नीचे कर रखा था, और फिर उपर कर लिया, और फिर नीचे, और बार बार ऐसे ही करने लगी. उन्होने अपनी जीभ से पूरे लंड को सारी लंबाई तक चाट लिया, फिर सुको मूँह में भर लिया, और उसको अपने सिर को तब तक नीचे झुकाती रही, जब तक पुर 7 इंच की लंबाई उनके मूँह में नही चली गयी, और उनके होंठ लंड की जड़ को ना छूने लगे. मेरी सग़ी मम्मी मेरे लंड को चूस रही थी. मुझे कितना अच्छा लग रहा था, उसको शब्दों में बयान करना मुश्किल है.
"मम्मी, आप जब मेरे लंड को अपने मूँह में लेती हो तो बहुत मज़ा आता है!"
उन्होने जवाब में बस एक आअहह की आवाज़ निकाली. वो पूरी मेहनत से मेरे लंड को चूस रही थी, उनका सिर उपर नीचे हो रहा था, और वो अपने होंठों से सारी हवा चूस के लंड के उपर ऐसा शून्य का स्थान बना रही थी, जिस से बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उन्होने अपना एक हाथ मेरे लंड की जड़ के चारों तरफ लपेट कर, होंठों के साथ उपर नीचे करने लगी. वो मेरे लंड के हर हिस्से पर मेहनत कर रही थी.
और इस से वो ही हुआ, मेरी गोलियों में उबाल आना शुरू हो गया.
"मम्मीयीई, मैं बस होने ही वाला हूँ!" मैं सोच रहा था की वो मेरे लंड को अपने मूँह में से बाहर निकाल देगी, लेकिन उन्होने एक बार फिर से कराहते हुए, लंड को और ज़ोर से जल्दी जल्दी चूसना शुरू कर दिया. मेरे लंड का लावा उनके मूँह में ही निकल गया.
"आआआआः! मम्मी!" हर बार की तरह मेरे मूँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलने लगी. मम्मी ने अपना एक हाथ मेरे पैर पर रख दिया. मेरा लंड अभी भी उनके मूँह में ही था, और मुझे मालूम था कि वो मेरे वीर्य के पानी को पी रही हैं. बस ये सोच के ही बहुत मज़ा आ रहा था, कि मेरी सग़ी मम्मी, मेरे वीर्य के पानी को पी रही हैं. मैं अब शांत हो चुका था, और मेरे मूँह से निकल रही अजीब आवाज़ें भी बंद हो गयी थी.
"ओह्ह्ह," मैं बोला.
मम्मी ने मेरा लंड अपने मूँह में से निकालते हुए मुझे देखा, मैने देखा की उनके निचले होंठ से वीर्या की एक हल्की सी लाइन तपाक रही है. जब हम एक दूसरे को देख रहे थे, तभी उन्होने अपनी जीभ से वीर्य की उस बूँद को चाट लिया. उन्होने उसको अपने मूँह में एक पल को रखा, और फिर उसको पुर मूँह में जीभ से फिराया, और फिर सतक लिया. मेरे अंदर एक सिरहन सी दौड़ गयी, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा उठी.
"मज़ा आया?" उन्होने पूछा.
"आप बस पूछे ही मत, मम्मी? क्या हम रोजाना ऐसा नही कर सकते?"
उन्होने हंसते हुए कहा, “कर तो सकते हैं.”
फिर वो थोड़ा झुकी, और मेरे लंड के सुपाडे पर आ चुकी वीर्य की बची हुई कुछ बूँदों को चाट लिया और उनको भी सटक लिया. उन्होने मुझे बनावटी गुस्से में देखा, और बोली, “ये तो अभी भी खड़ा हुआ है.”
मैने थोड़ा नीचे होकर उनको बाहों से पकड़ लिया, और अपने उपर लिटा लिया, हम दोनो के चेहरे बिल्कुल एक दूसरे के सामने थे. “ये इस लिए खड़ा हुआ है, क्यों कि आप हो ही इतनी खूबसूरत,” मैं बोला. मेरा बाँया हाथ उनकी गान्ड की गोलाईयों को सहलाने लगा, और मेरे सीधे हाथ ने उनके सिर को पकड़ के नीचे कर लिया, जिस से हम किस कर सकें. जैसे ही हमारे होंठ मिले, उनकी आँखें बंद हो गयी, और मेरी जीभ ने उनकी जीभ से मिलन करने के लिए, उनके दोनो होंठों को अलग अलग कर दिया. वो ज़ोर ज़ोर से कराहने लगी, गले से घुटि घुटि कराहने की आवाज़ें आने लगी. और जब हम फ्रेंच किस कर ही रहे थे, तभी उनकी गीली चूत मेरे लंड से जा टकराई.
तभी उन्होने अपनी दोनो आँखें खोल दी, और मुझसे दूर हो गयी, मानो अभी अभी जागी हो.
"तो फिर, उम्म...मज़ा आया! मुझे लगता है...लगता है अब जल्दी से तयार होकर कॉलेज चले जाओ, हे हे." और वो उठ कर खड़ी हो गयी. "मैं आज चाइ बनाना तो भूल ही गयी; मैं अभी बना कर लाती हूँ, जब तक तुम नहा लो."
मैं भी खड़ा हो गया. "मम्मी,मैने कोई ग़लती कर दी क्या?"
"नही, बेटा, मैं तो... लेकिन हम को केर्फुल रहना चाहिए. तुम समझ रहे हो ना?"
"हां मम्मी, शायद," मैं बोला. जो मैं समझ रहा था, वो शायद ये था, कि मम्मी मेरा पानी निकाल के मेरी मदद तो कर रही हैं, लेकिन वो मर्यादा की उस सीमा को नही तोड़ना चाहती. लेकिन ऐसा करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था.
मैने आगे बढ़कर उनकी एक झप्पी ले ली, इस बात का ख्याल रखते हुए, कि मेरा लंड उनकी चूत वाली जगह छू रहा हो. मैने उनकी गान्ड की गोलाईयों को अपने हाथों में भरते हुए, उनको अपनी तरफ खींच लिया, और अपनी गान्ड को थोड़ा हिलाने लगा, जिस से मेरा लंड उनकी चूत के मूँह को सहला सके. “आइ लव यू, मम्मी,” मैं बोला, और उनको किस करने के लिए थोड़ा झुक गया. एक बार फिर से, मम्मी की आँखें बंद हो गयी, और उनके होंठ खुल गये, और हम एक दूसरे से चिपक के फ्रेंच किस करने लगे.
उन्होने कराहते हुए, अपने दोनो हाथ मेरी गान्ड पर रख के मुझे अपने और अंदर खींच लिया, और वो भी अपनी गान्ड हिलाने लगी, जिस से मेरा तना हुआ लंड अब उनकी चूत के मुंहाने पर और बेहतर रगड़ मारने लगा. उस समय मुझे लगा, कि अगर मैं उनको बेड के सहारे घोड़ी बना डून, तो शायद वो मुझे छोड़ लेने देंगी, और मुझे ये भी पता था की ऐसा करने में कितना मज़ा आएगा. लेकिन मैं मर्यादा की उस रेखा को अपनी तरफ से पहल कर के नही तोड़ना चाहता था. मैं उनसे दूर हो गया, उन्होने अपनी आँखें खोल दी.
"राज?" वो बोली.
"मम्मी, मैं अब नहाने जाता हूँ,"मैं बोला. "आइ लव यू."
"ओह, आइ लव यू टू, बेटा." मेरी तरफ देखते हुए वो मुस्कुराते हुए बोली.
मैं धीरे धीरे दरवाजे से बाहर निकल कर, बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा, मैं आशा कर रहा था, कि वो मुझे आवाज़ देकर बुला लेंगी....... लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ....
सनडे को दोपहर में, जब मैं अपने रूम में बेड पर लेट कर कुछ पढ़ रहा था, मम्मी मेरे रूम में आई, और मेरे पास बेड पर बैठ गयी, और मेरे शॉर्ट्स को खोलने लगी. मैं बोला, “मम्मी.”
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ, और मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींच दिया, और मेरा लंड बाहर निकाल दिया. “बेटा, मैं पिछले कयि दिनों से देख रही हूँ, तुम्हारा एक बार होने के बाद भी खड़ा रहता है, मुझे लगता है तुमको रोजाना एक बार से ज़्यादा “ट्रीटमेंट” की ज़रूरत है. तभी उन्होने नीचे झुक कर मेरे मुरझाए हुए लंड को अपने मूँह में भर लिया.
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