Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:15 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
थोड़ा शरमाते हुए, मैने कंबल हटाकर बेड से नीचे उतर आया. जैसे ही मैं खड़ा हुआ , मैने देखा कि मम्मी अभी भी मेरे लंड को एक टक देख रही हैं. जब तक मैं चल कर बाथरूम तक जाता, मम्मी ने अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी, और मुझे एक बहुत प्यारी झप्पी दे दी. जैसे ही मैं मम्मी को झप्पी देने लगा, मुझे महसूस हुआ, मेरा लंड मम्मी के नाइट्गाउन के उपर से उनकी जांघों के बीच दबाव बना रहा है. “आइ लव यू, राज,” मम्मी बोली.

"मी टू, मम्मी."

मम्मी ने फिर मुझे छोड़ दिया, मैं भी चाइ का कप उठा कर बाथरूम की तरफ चल दिया, मैं अब भी महसूस कर रहा था, मम्मी की नज़रें मेरी गान्ड पर थी. हमेशा की तरह, मैने नहाते हुए शवर के नीचे मूठ मारने लगा, लेकिन आज मूठ मारते समय मेरे दिमाग़ में वो सब ही घूम रहा था, कैसे मम्मी मेरे तने हुए लंड को देख रही थी. जब मैं झडा तो आज पिछले कुछ दिनों से ज़्यादा वीर्य निकला. मुझे मूठ मारने में भी ज़्यादा मज़ा आया, मैने सोचा ये तरकीब अच्छी है, फिर से ट्राइ करेंगे.
***


अगली सुबह जब मम्मी मारे कमरे में आई, मैं आज फिर से नंगा ही सो रहा था. मैने उठ कर चाइ का कप पकड़ लिया. “लगता है नंगे सोने में तुम को ज़्यादा अच्छी नींद आती है,” मम्मी बोली.

“हां, मुझे तो कपड़े उतार कर ही अच्छी नींद आती है,” मैं बोला.

“मुझे भी,” मम्मी बोली. मैने मम्मी की तरफ देखा. वो फिर से मेरे खड़े हुए लंड को देख रही थी. तभी उन्होने अपनी नज़रें उठा के मेरी तरफ देखा, और उनका चेहरा लाल हो गया. “मेरा मतलब... मेरा कहने का मतलब था, कि मैं भी सारे कपड़े उतार कर नंगी ही सोती हूँ.”

मैने उनके नाइट्गाउन की तरफ देखा. 

“हां, लेकिन उठने के बाद, मैं चाइ बनाकर तुमको उठाने से पहले कुछ पहन लेती हूँ.”

“क्यों, मम्मी? जब आप पापा के साथ कपड़े उतार कर सोती हैं, तो क्या मेरे सामने ऐसे आने में क्या परेशानी है, और वैसे भी आज कल पापा तो घर पर हैं भी नही. आप ही ने तो कहा था इसमे शरमाने वाली कौन सी बात है.” मैने चाइ की चुस्की लेते हुए बोला.

“उम्म... नही बेटा, हरगिज़ नही, क्योंकि.... क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ.” जब मम्मी ये बोल रही थी, तब भी वो मेरे खड़े हुए लंड को निहारने से अपने आप को नही रोक पा रही थी. मेरे को अपने गुप्तांगों का प्रदर्शन करना हरगिज़ अच्छा नही लगता, लेकिन मम्मी के सामने नंगा रहने में मुझे अब मज़ा आने लगा था. जब मम्मी मेरे खड़े हुए लंड को देखती , तो मेरे को एक अजीब से रोमांच का अनुभव होता.

"ठीक है, मम्मी,"मैं बोला. मैने मम्मी की एक झप्पी ली, और अपने लंड के दबाव को उनके उपर महसूस किया. मम्मी ने मुझे झप्पी देते हुए, मेरे नंगे हिप्स पर एक हल्की सी चपत लगा दी, और फिर हाथों से सहला दिया. फिर मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया, एक बार फिर से सोचने लगा, कैसे मम्मी मेरे खड़े हुए लंड को और मेरे नंगे बदन को देखती हैं... 
***

अगली सुबह जब मम्मी मुझे उठाने को मेरे रूम में आई, तो वो भी नंगी थी. मैं एक दम बेड से उतर कर खड़ा हो गया, हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा. मेरा मूँह खुला का खुला ही रह गया. क्या मस्त शरीर था मम्मी का, पतली लंबी टाँगें, पतली कमर, मस्त उभार लिए हुए मम्मे, उनके निपल्स खड़े हुए थे. सबसे पहले मेरे दिमाग़ में ये ही आया, कि वो इतनी हॉट नही हैं, लेकिन तभी मुझे मेरे रूम में मम्मी की सेक्सी मादक सुगंध का एहसास हुआ. मेरी मम्मी गरम हो रही थी.

जब हम एक दूसरे को निहार रहे थे, मेरा लंड जो सोया हुआ था, तुरंत हरकत में आकर खड़ा होने लगा. मम्मी उसको देख रही थी, कैसे वो धीरे धीरे खड़ा हो रहा है, और फिर तन कर पूरे 7 इंच का हो गया, और फिर मम्मी की तरफ पॉइंट कर के देखने लगा.

"अब तो ठीक है, राज?" मम्मी बोली. मम्मी थोड़ा शरमा रही थी, शायद इस डर से की कहीं मैं चौंक ना जाऊं, या कहीं ऐसा ना हो कि मुझे उनका नग्न शरीर पसंद ना आए. “मुझे नंगा रहना पसंद है राज, और फिर कल की हमारी बातों को याद करके मैने सोचा, कि अपने ही बेटे से अपने शरीर को छुपाना तो बेवकूफी है.

"हां, मम्मी,ऑफ कोर्स इट'स ओके. वाउ..., आप तो बहुत सुंदर हैं, मुझे तो मालूम ही नही था, आप तो मॉडेल बन सकती थी.”

वो थोड़ा शरमा गयी, और उनके गाल गुलाबी हो गये, फिर वो थोड़ा साइड से हुई, तो मुझे उनकी गोल गोल टाइट गान्ड के दर्शन हो गये. जब वो फिर से घूम कर मेरे सामने सीधी खड़ी हो गयी, तब मुझे पहली बार एहसास हुआ कि, उनकी चूत एक दम चिकनी थी, उस पा एक भी बाल नही था- या तो उन्होने शेव किया था, या फिर वॅक्सिंग. उनके मम्मे और गान्ड एक दम टाइट कसे हुए थे. 

"थॅंक्स, बेटा. आइ ट्राइ टू स्टे इन शेप."

"बहुत सही, मम्मी. यू'आर हॉट! मैं आप से एक बात पूछूँ? उन के मम्मे की तरफ इशारा करते हुए मैने पूछा, ये इतने टाइट कैसे हैं? मैं बातों को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाना चाहता था, ना जाने फिर कब मुझे अपनी मम्मी का खूबसूरत नग्न शरीर देखने का मौका मिले.

"नही बेटा ये तो नॅचुरली ऐसे ही हैं," वो बोली.

हालाँकि, वो मुझ से बातें कर रही थी, लेकिन उनकी नज़र अब भी मेरे लंड पर ही थी. मैने नीचे की तरफ देखा, मैं इतना ज़्यादा उत्तेजित हो चुका था, कि मेरा लंड 45 डिग्री का आंगल बना कर फन्फना रहा था. मेरी हर धड़कन के साथ, लंड उपर नीचे होकर सलामी दे रहा था. इतना ज़्यादा कड़क आज ये पहली बार हुआ था. जब हम दोनो उसको देख रहे थे, तभी सुपाडे के छेद में से एक प्रेकुं की बूँद बाहर निकल आई, और अपने पीछे एक लंबा धागा बनाते हुए ज़मीन पर गिर गयी. जब मैने मम्मी की तरफ देखा, तो वो अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी.

"मैं आप से एक बात और पूछूँ, मम्मी? आपके वहाँ पर एक भी बाल नही है.... वहाँ नीचे, आप शेव करती हो क्या?"

मेरे लंड पर से अपनी नज़र हटाते हुए मम्मी बोली, नही बेटा, हर महीने वो मेरी कज़िन सिस्टर उमा, जो मेरे गाँव के पास किसी नर्सिंग होम में नर्स है, वो घर पर आकर मेरी वॅक्सिंग कर जाती है. बेचारी ग़रीब है, मैं भी उसको पैसे कपड़ों से मदद करती रहती हूँ. 

"लेकिन आप वॅक्सिंग करती क्यों हैं?" मैने पूछा.

"ओह, वॅक्सिंग करने से मुझे सॉफ सुथरा और सेक्सी फील होता है. और तुम्हारे पापा को भी चिकनी ही पसंद है, और वैसे भी चिकने होकर कुछ चीज़ें करने में ज़्यादा मज़ा आता है.” जैसे ही मम्मी ने ये बोला, उनका हाथ अपने आप अपनी चिकनी चूत की तरफ चला गया. मुझे लगा मेरा पानी तभी निकल जाएगा, मेरे मूँह से हालाँकि सी एक आहह निकल गयी. तभी मम्मी को एहसास हुआ, कि वो क्या कर रही हैं, उन्होने तुरंत अपना हाथ वहाँ से हटाया, और फिर थोड़ा शरमा गयी. हवा में अब और ज़्यादा मादक खुश्बू फैल चुकी थी.
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03-31-2019, 03:16 PM,
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"मैं समझ गया, मम्मी." मैने नीचे अपने लंड और टट्टो की तरफ देखा. “मुहे भी अपनी वॅक्सिंग करवा लेनी चाहिए. उमा मौसी क्या मेरी भी वॅक्सिंग कर देंगी. ऐसा नही था, कि मैं वॅक्सिंग करवाना चाहता था, मुझे वो बाल उखाड़ने का दर्द बर्दाश्त करना बिल्कुल अच्छा नही लगता, मैं तो ये चाहता था कि मम्मी मुझे वहाँ छू कर देखें.

"इस बारे में बाद में सोचेंगे...चलो अभी जाकर नहा लो, बेटा."

"ओके, मम्मी," मैं बोला. मैने आगे बढ़कर उनकी एक झप्पी ली. मैं मम्मी से बस थोड़ा ही लंबा था, और जब झप्पी देते हुए हमारे नग्न शरीर एक दूसरे से चिपक रहे थे, तब मेरा लंड मम्मी की चिकनी चूत को छू रहा था. मुझे उनकी त्वचा पर अपने प्रेकुं की चिकनाई का एहसास हुआ. वो थोड़ा सा काँपी और फिर मुझे ज़ोर की झप्पी दे दी. जब उनका हाथ मेरे हिप्स पर प्यार भारी चपत लगा रहा था, तब मैने भी अपना हाथ उनकी नंगी गान्ड पर फिरा दिया. वो फिर से थोड़ा सा काँपी, और फिर मुझे हल्का सा धक्का देकर दूर कर दिया.

मैं चाइ का कप उठाकर बाथरूम की तरफ चल दिया, मेरा खड़ा हुआ लंड मुझे रास्ता दिखा रहा था.......

अगले कुछ दिनों तक, मम्मी नंगी ही मेरे लिए सुबह की चाइ लेकर मेरे रूम में आती, और मैं भी अपने बेड से नंगा ही उतरता. मुझको इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी नींद पहले ही खुल जाती, और मैं मम्मी के आने का इंतेजार करने लगता. जब मैं उठता तो मेरा लंड तन कर खड़ा होता, मम्मी उसको देख देख कर गरम हो जाती. हम दोनो एक दूसरे को नंगे होकर जो झप्पी देते, वो सारे दिन की सबसे अच्छी चीज़ होती, मेरे को अपना लंड दिखाने में अब मज़ा आने लगा था.

अगले दिन मैने कुछ नया करने की सोची. मंडे को, मैं जल्दी उठ गया, मेरा लंड तन कर खड़ा हुआ था, मैने आज बाथरूम की जगह बेड में ही मूठ मारने का प्लान बनाया. मैने अपने कानों पर एंपी3 प्लेयर के हेडफोन्स लगा लिए, लेकिन एंपी3 प्लेयर को ऑन नही किया. मैने कंबल को अपने उपर से हटा कर, अपने नंगे शरीर को सारा उघाड़ते हुए, अपनी आँखें बंद कर ली, और धीरे धीरे अपने खड़े हुए लंड की पूरी लंबाई को सहलाने लगा. 

जब मम्मी मेरे रूम में दाखिल हुई, मैने हेडफोन लगाए हुए ही, उनके कराहने की आवाज़ सुनी. उनको तो ऐसा ही लगा होगा, जैसे कि मैं म्यूज़िक सुनते हुए, आँखें बंद कर के मूठ मार रहा हूँ. मम्मी की आँखें मेरे लंड पर टिक गयी, और उन्होने बेड के पास रखे स्टूल पर चाइ का कप रख दिया. मैने सोचा अब वो चली जाएँगी, लेकिन वो वहीं पर खड़ी रही, और बस कुछ फीट की दूरी से मुझे मूठ मारते देखने लगी.

मैने अपनी आँखें बंद करे हुए ही, अपना दूसरा हाथ लंड की निचले हिस्से पर ले जाकर, अपनी गोलियों को सहलाने लगा. मैने एक आहह की आवाज़ सुनी, और फिर मम्मी का हाथ अपनी बिना झान्टो वाली चिकनी चूत पर पहुँच गया, और दूसरे हाथ से वो अपने निपल्स को सहलाने लगी. सारे रूम में सेक्स की मादक गंध भर चुकी थी, पहले से कहीं ज़्यादा. मैं अपनी मम्मी को ही गरम कर रहा था.

मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हो चुका था. मम्मी के सामने मूठ मारने के कारण उत्तेजना और ज़्यादा बढ़ चुकी थी. मैं सोच रहा था, कि वो मेरे झड़ने तक मुझे देखती रहेंगी, लेकिन यकायक उनको कमरे से बाहर जाता देख, मैं निराश हो गया. मुझे लगा कि मेरे ऐसा करने से वो शरमा गयी हैं, या फिर अपने ही सगे बेटे को मूठ मारते देखना शायद कुछ ज़्यादा ही हो गया था. लेकिन बस एक मिनिट बाद, वो एक छोटी से शीशी हाथ में लेकर लौटी. वो मेरे पास बेड पर ही बैठ गयी, और अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.

मैने थोड़ा चौंकने का नाटक करते हुए कहा, “ओओओह्ह्ह, आइ’म सॉरी मम्मी,” मैने एक हाथ से लंड को पकड़े हुए ही, दूसरे हाथ से अपने हेडफोन्स हटाए.

"दट'स ओके, बेटा." उन्होने मेरे तने हुए लंड की तरफ देखा, और अपने होंठों पर जीभ फिराई. “जो तुम कर रहे हो, वो तुम्हारी उमर के लड़कों के लिए नॅचुरल और हेल्ती चीज़ है. मैं इसको और ज़्यादा एंजायबल बनाने के लिए तुम्हारे लिए एक चीज़ लाई हूँ.

उन्होने अपने हाथ में पकड़ी हुई शीशी उपर उठा के दिखाई, मैने पढ़ा, उस पर लिखा था, “जॉनसन्स बेबी आयिल.”

"हां," उन्होने शीशी का ढक्कन खोलते हुए कहा. "मैं भी इसे उसे करती हूँ जब मैं...ये सब कुछ अच्छे से चिकना कर देता है." उन्होने शीशी में से एक बूँद अपनी हथेली पर निकाल के अपने दोनो हथेलियों पर रब किया, और फिर वो हथेली मेरी बाँह पर घिसी. “देखा, एक बार उसे करना चाहोगे?” उन्होने वो शीशी मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.

"हां, क्यों नही," मैं बोला."लगा दो आप."

उन्होने मेरी तरफ देखा, और बोली, "तुम्हारा मतलब, मैं ये लगाऊं?" 

"हां, तो क्या हुआ," मैं बोला. मुझे लगा शायद वो उसकी एक दो बूँद मेरे लंड पर डाल देंगी, या फिर मेरी हथेली पर टपका देंगी. लेकिन उन्होने, उसकी कुछ बूँदें अपनी एक हथेली पर ली, और फिर दोनो हथेलियों को आपस में मल लिया. मैं मम्मी के हाथों को मेरे फन्फनाते हुए लंड की तरफ बढ़ता हुआ देखने लगा.

जब उनके हाथों ने मेर लंड को छुआ तो मेरे मूँह से आहह निकल गयी. मुझे बहुत अच्छा लगा! पहले उन्होने दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाया, और थोड़ा सा घुमाते हुए उपर नीचे करने लगी, और बेबी आयिल से पूरे लंड को चिकना करने लगी. फिर वो अपना एक हाथ, मेरी गोलियों पर ले गयी, और बेबी आयिल से मेरे टट्टों को भी चिकना कर दिया, उनका दूसरा हाथ मेरे लंड पर अपना काम जारी रखे हुए था.

मैने उनके चेहरे की तरफ देखा, वो घूर कर देख रही थी, कैसे उनके हाथ को मेरे तने हुए लंड पर उपर नीचे, बेबी आयिल की चिकनाहट में फिसल रहे हैं. उनकी साँसें भी तेज तेज चलने लगी थी, और उनके निपल्स भी खड़े हो गये थे. फिर वो मेरे लंड से हाथ हटा कर, खड़ी हो गयी.

“अब ठीक है, अब तुम को और ज़्यादा आसानी रहेगी,” मम्मी बोली.

“प्लीज़ मम्मी, बहुत मज़ा आ रहा है, आप ही कर दो ना प्लीज़!”

उन्होने बिना कुछ बोले, मुझे घूर के देखा, मुझे लगा की कहीं मैने कुछ ज़्यादा ही डिमॅंड तो नही कर लिया. लेकिन तभी, वो फिर से बेड पर बैठ गयी, और मेरे तने हुए लंड को फिर से अपने हाथ में ले लिया. जैसे ही वो मेरे लंड को अपने हाथ से उपर नीचे करने लगी, मेरे मूँह आहह ऊहह की आवाज़ें निकलने लगी.

मैं कराहते हुए बोला, “ओह मम्मी, हां ऐसे ही” और वो जल्दी जल्दी अपना हाथ मेरे लंड पर चलाने लगी. बेबी आयिल की वजह से और ज़्यादा मज़ा आ रहा था, सूखा सूखा मूठ मारने से कहीं ज़्यादा. और उसकी वजह से आवाज़ भी आ रही थी, मम्मी का हाथ जैसे उपर नीचे होता, फॅक फॅक, स्लिप स्लॅप की आवाज़ आती. कुछ देर बाद, मुझ से बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया, और मैं बोला, “मम्मी, मैं बस होने ही वाला हूँ.”

जवाब में उनके मूँह से बस एक आहह निकली, और वो अब तेज़ी से मूठ मारने लगी. मेरी गोलियों की बेचैनी अब उपर की तरफ बढ़ती जा रही थी, मेरे पेट और पैरो की तरफ. शुपाडे के छेद में से निकलते वीर्य के पानी की पहली पिचकारी को मैं देख रहा था, पहली पिचकारी बड़ी ज़ोर से निकली, पानी करीब डेढ़ फीट उपर तक हवा में गया, और फिर मेरे पैरों और मम्मी की बाहों पर गिर गया.

"ओह्ह! आआआः! आआआः! गॉड! आआआः!" मेरे मूँह से अपने आप तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थी, और मेरा लंड पानी की पिचकारी पर पिचकारी छोड़ के मुझे और मम्मी की बाहों को गीला कर रहा था. मैं झड़ते हुए परम सुख में खोते हुए, मम्मी की पीठ पर हाथ रख के ज़ोर से दबाने लगा. 

"हां बेटा,हो जाओ" वो फुसफुसाई. 

मैं इतना ज़ोर से झडा था, कि मानो मुझे तारे नज़र आ गये हो, और मैं करीब करीब बेहोश सा हो गया था. कुछ देर बाद, धीरे धीरे, मुझे कुछ सॉफ दिखाई देने लगा, और मेरे लंड ने वीर्य के पानी की पिचकारियाँ मारना बंद किया. मम्मी के हाथ ने भी अब मूठ मारना बंद कर दिया था, और वो अपने अंगूठे से, मेरे लंड के सुपाडे के उपर वीर्य को मल रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था.

"ठीक है, अब अच्छा फील कर रहे हो?" मम्मी ने पूछा.

मैं किसी तरह साँस लेते हुए बोला, “मम्मी, मज़ा आ गया. ये बेबी आयिल तो कमाल की चीज़ है, और जब कोई दूसरा कर रहा हो, तो और भी ज़्यादा मज़ा आता है.”

उन्होने मेरी तरफ देखा, वो अब भी मेरे लंड के सुपाडे को अपने अंगूठे से गोल्गोल घुमा कर घिस रही थी. “क्या तुम ये रोज करते हो, बेटा?”

“हां, ज़्यादातर नहाते समय बाथरूम में.”

वो दूसरी तरफ देखने लगी, और कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली, “अगर तुम चाहो तो... मैं हर रोज तुम्हारे लिए ये कर सकती हूँ, राज.”

"आप मज़ाक तो नही कर रही ना,"मैं बोला. "क्या आप रोज मेरे लिए ये करोगी? लेकिन?"

उन्होने फिर से मेरी तरफ देखा. “हां , बेटा. क्योंकि तुम्हे इसकी ज़रूरत है, और मैं तुमको बहुत प्यार करती हूँ.. और वैसे भी मुझे भी तो.... ऐसा कर के मज़ा आया."

"कभी कभी मैं एक दिन में दो या तीन बार कर लेता हूँ,” मैने आशा भरी आवाज़ में कहा.

वो हँसी और उठ कर खड़ी हो गयी. “हम को शुरुआत में बस सुबह उठने तक ही सीमित रखना होगा.” जब वो ये बोल रही थी, तभी उनकी बाहों से मेरे वीर्य का पानी नीचे टपकने लगा. “मैं सॉफ करने के लिए कुछ लेकर आती हूँ,” वो बोली.
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03-31-2019, 03:16 PM,
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जब वो बाहर जा रही थी, मैं उनकी मस्त गान्ड को देखने लगा, और जब वो सॉफ करने का कपड़ा और टवल लेकर लौट कर आई, तो उनके मस्त मम्मों को हिलते हुए देखने लगा. वो मेरे पास बैठ कर मेरे लंड को पोंछने लगी, मेरी गोलियों को, मेरे पैरों को, और फिर अपनी बाहों और हाथों को पोंछ कर सॉफ किया.

"तुम्हारा ये तो अब भी खड़ा है," वो बोली.

"हां, इस सब देख कर मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहा हूँ."

"मैं, भी बेटा,"वो बोली. "चलो, अब नहा लो."

मैने खड़े होकर, उनकी एक झप्पी दी. इस बार मैने अपने दोनो हाथों को उनकी गान्ड की गोलाईयों पर रख कर, उनको अपनी तरफ दबा लिया. वो कराह उठी, जब उनकी चूत के उपर मेरे खड़े लंड ने दबाव डाला, तो मम्मी ने अपनी बाहों को मेरे कंधों पर रखते हुए, एक छोटी से पप्पी दी, और फिर मुझे दूर कर दिया. “चलो, जाओ अब,” वो बोली.

मैं ठंडी हो चुकी छाई के कप को लेकर बातरूम की तरफ चल पड़ा.

अगले दो तीन दिनों तक वैसे है चलता रहा, मेरी खूबसूरत मम्मी नंगी होकर सुबह 7 बजे मेरे रूम में दाखिल होती, वो अपने साथ एक सॉफ करने के लिए कपड़ा और बेबी आयिल की शीशी साथ में लाती. वो मेरे कंबल को हटा कर मेरे को नंगा कर देती, और फिर अपने हाथों से मेरे लंड और टट्टों पर बेबी आयिल लगाती. वो मेरे लंड को जब तक सहलाती रहती, जब तक कि तन कर लक्कड़ ना बन जाए, और फिर प्यार से अपने अनुभव का भरपूर उपयोग करते हुए, जब तक मूठ मारती, जब तक कि मैं पानी ना छोड़ दूं. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.

मैं मम्मी के मम्मों को दबाना चाहता था, मैं उनकी चूत के साथ खेलना चाहता था, लेकिन कहीं एक डर था, कि कहीं मम्मी नाराज़ ना हो जायें, और जो कुछ वो कर रही हैं, उसको भी करना कहीं बंद ना कर दें.

चौथे या पाँचवे दिन, वो अपने नियत समय पर नंगी होकर मेरे कमरे में आ गयी, लेकिन आज उनके हाथों में वो कपड़ा और बेबी आयिल की शीशी नही थी. बहनचोद! कहीं मम्मी मेरा मूठ मारना बंद तो नही करने वाली? मेरे तन कर खड़ा हुआ लंड तो उनके स्पर्श के लिए पागल हो रहा था.

"मम्मी?" मैं बोला.

वो मुस्कुराइ, और बोली, “चिंता मत करो राज, मैं अब भी तुम्हारी देखभाल जारी रखूँगी, लेकिन मैने सोचा, चलो आज थोड़ा अलग तरीके से करते हैं, क्यों ठीक है?”

कंबल दूर हटाते हुए, वो मेरे पैरों के बीच आ गयी, और मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया.

"आज क्या सूखा सूखा ही करोगी क्या?"मैने पूछा.

"अर्रे ऐसा कुछ नही है." और ऐसा कहते हुए, उन्होने झुक कर मेरे लंड के सुपाडे को अपने प्यारे से मूँह में भर लिया.

“ओह मम्मी,” मैने गहरी साँस लेते हुए कहा. मैं देख रहा था, कैसे उन्होने अपना सिर झुका कर नीचे कर रखा था, और फिर उपर कर लिया, और फिर नीचे, और बार बार ऐसे ही करने लगी. उन्होने अपनी जीभ से पूरे लंड को सारी लंबाई तक चाट लिया, फिर सुको मूँह में भर लिया, और उसको अपने सिर को तब तक नीचे झुकाती रही, जब तक पुर 7 इंच की लंबाई उनके मूँह में नही चली गयी, और उनके होंठ लंड की जड़ को ना छूने लगे. मेरी सग़ी मम्मी मेरे लंड को चूस रही थी. मुझे कितना अच्छा लग रहा था, उसको शब्दों में बयान करना मुश्किल है.

"मम्मी, आप जब मेरे लंड को अपने मूँह में लेती हो तो बहुत मज़ा आता है!"

उन्होने जवाब में बस एक आअहह की आवाज़ निकाली. वो पूरी मेहनत से मेरे लंड को चूस रही थी, उनका सिर उपर नीचे हो रहा था, और वो अपने होंठों से सारी हवा चूस के लंड के उपर ऐसा शून्य का स्थान बना रही थी, जिस से बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उन्होने अपना एक हाथ मेरे लंड की जड़ के चारों तरफ लपेट कर, होंठों के साथ उपर नीचे करने लगी. वो मेरे लंड के हर हिस्से पर मेहनत कर रही थी.

और इस से वो ही हुआ, मेरी गोलियों में उबाल आना शुरू हो गया.

"मम्मीयीई, मैं बस होने ही वाला हूँ!" मैं सोच रहा था की वो मेरे लंड को अपने मूँह में से बाहर निकाल देगी, लेकिन उन्होने एक बार फिर से कराहते हुए, लंड को और ज़ोर से जल्दी जल्दी चूसना शुरू कर दिया. मेरे लंड का लावा उनके मूँह में ही निकल गया.

"आआआआः! मम्मी!" हर बार की तरह मेरे मूँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलने लगी. मम्मी ने अपना एक हाथ मेरे पैर पर रख दिया. मेरा लंड अभी भी उनके मूँह में ही था, और मुझे मालूम था कि वो मेरे वीर्य के पानी को पी रही हैं. बस ये सोच के ही बहुत मज़ा आ रहा था, कि मेरी सग़ी मम्मी, मेरे वीर्य के पानी को पी रही हैं. मैं अब शांत हो चुका था, और मेरे मूँह से निकल रही अजीब आवाज़ें भी बंद हो गयी थी.

"ओह्ह्ह," मैं बोला.

मम्मी ने मेरा लंड अपने मूँह में से निकालते हुए मुझे देखा, मैने देखा की उनके निचले होंठ से वीर्या की एक हल्की सी लाइन तपाक रही है. जब हम एक दूसरे को देख रहे थे, तभी उन्होने अपनी जीभ से वीर्य की उस बूँद को चाट लिया. उन्होने उसको अपने मूँह में एक पल को रखा, और फिर उसको पुर मूँह में जीभ से फिराया, और फिर सतक लिया. मेरे अंदर एक सिरहन सी दौड़ गयी, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा उठी.

"मज़ा आया?" उन्होने पूछा.

"आप बस पूछे ही मत, मम्मी? क्या हम रोजाना ऐसा नही कर सकते?"

उन्होने हंसते हुए कहा, “कर तो सकते हैं.” 

फिर वो थोड़ा झुकी, और मेरे लंड के सुपाडे पर आ चुकी वीर्य की बची हुई कुछ बूँदों को चाट लिया और उनको भी सटक लिया. उन्होने मुझे बनावटी गुस्से में देखा, और बोली, “ये तो अभी भी खड़ा हुआ है.”

मैने थोड़ा नीचे होकर उनको बाहों से पकड़ लिया, और अपने उपर लिटा लिया, हम दोनो के चेहरे बिल्कुल एक दूसरे के सामने थे. “ये इस लिए खड़ा हुआ है, क्यों कि आप हो ही इतनी खूबसूरत,” मैं बोला. मेरा बाँया हाथ उनकी गान्ड की गोलाईयों को सहलाने लगा, और मेरे सीधे हाथ ने उनके सिर को पकड़ के नीचे कर लिया, जिस से हम किस कर सकें. जैसे ही हमारे होंठ मिले, उनकी आँखें बंद हो गयी, और मेरी जीभ ने उनकी जीभ से मिलन करने के लिए, उनके दोनो होंठों को अलग अलग कर दिया. वो ज़ोर ज़ोर से कराहने लगी, गले से घुटि घुटि कराहने की आवाज़ें आने लगी. और जब हम फ्रेंच किस कर ही रहे थे, तभी उनकी गीली चूत मेरे लंड से जा टकराई. 

तभी उन्होने अपनी दोनो आँखें खोल दी, और मुझसे दूर हो गयी, मानो अभी अभी जागी हो.

"तो फिर, उम्म...मज़ा आया! मुझे लगता है...लगता है अब जल्दी से तयार होकर कॉलेज चले जाओ, हे हे." और वो उठ कर खड़ी हो गयी. "मैं आज चाइ बनाना तो भूल ही गयी; मैं अभी बना कर लाती हूँ, जब तक तुम नहा लो."

मैं भी खड़ा हो गया. "मम्मी,मैने कोई ग़लती कर दी क्या?"

"नही, बेटा, मैं तो... लेकिन हम को केर्फुल रहना चाहिए. तुम समझ रहे हो ना?"

"हां मम्मी, शायद," मैं बोला. जो मैं समझ रहा था, वो शायद ये था, कि मम्मी मेरा पानी निकाल के मेरी मदद तो कर रही हैं, लेकिन वो मर्यादा की उस सीमा को नही तोड़ना चाहती. लेकिन ऐसा करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था.

मैने आगे बढ़कर उनकी एक झप्पी ले ली, इस बात का ख्याल रखते हुए, कि मेरा लंड उनकी चूत वाली जगह छू रहा हो. मैने उनकी गान्ड की गोलाईयों को अपने हाथों में भरते हुए, उनको अपनी तरफ खींच लिया, और अपनी गान्ड को थोड़ा हिलाने लगा, जिस से मेरा लंड उनकी चूत के मूँह को सहला सके. “आइ लव यू, मम्मी,” मैं बोला, और उनको किस करने के लिए थोड़ा झुक गया. एक बार फिर से, मम्मी की आँखें बंद हो गयी, और उनके होंठ खुल गये, और हम एक दूसरे से चिपक के फ्रेंच किस करने लगे.

उन्होने कराहते हुए, अपने दोनो हाथ मेरी गान्ड पर रख के मुझे अपने और अंदर खींच लिया, और वो भी अपनी गान्ड हिलाने लगी, जिस से मेरा तना हुआ लंड अब उनकी चूत के मुंहाने पर और बेहतर रगड़ मारने लगा. उस समय मुझे लगा, कि अगर मैं उनको बेड के सहारे घोड़ी बना डून, तो शायद वो मुझे छोड़ लेने देंगी, और मुझे ये भी पता था की ऐसा करने में कितना मज़ा आएगा. लेकिन मैं मर्यादा की उस रेखा को अपनी तरफ से पहल कर के नही तोड़ना चाहता था. मैं उनसे दूर हो गया, उन्होने अपनी आँखें खोल दी.

"राज?" वो बोली.

"मम्मी, मैं अब नहाने जाता हूँ,"मैं बोला. "आइ लव यू."

"ओह, आइ लव यू टू, बेटा." मेरी तरफ देखते हुए वो मुस्कुराते हुए बोली.

मैं धीरे धीरे दरवाजे से बाहर निकल कर, बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा, मैं आशा कर रहा था, कि वो मुझे आवाज़ देकर बुला लेंगी....... लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ....

सनडे को दोपहर में, जब मैं अपने रूम में बेड पर लेट कर कुछ पढ़ रहा था, मम्मी मेरे रूम में आई, और मेरे पास बेड पर बैठ गयी, और मेरे शॉर्ट्स को खोलने लगी. मैं बोला, “मम्मी.”

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ, और मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींच दिया, और मेरा लंड बाहर निकाल दिया. “बेटा, मैं पिछले कयि दिनों से देख रही हूँ, तुम्हारा एक बार होने के बाद भी खड़ा रहता है, मुझे लगता है तुमको रोजाना एक बार से ज़्यादा “ट्रीटमेंट” की ज़रूरत है. तभी उन्होने नीचे झुक कर मेरे मुरझाए हुए लंड को अपने मूँह में भर लिया.
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03-31-2019, 03:16 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
उनका इतना सब करने से मेरा लंड खड़ा हो गया, और बस कुछ ही पलों में मैं कराहते हुए अपने मूँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकालने लगा, और अपना माल मम्मी के सॉफ्ट, गरम मूँह में निकाल दिया. उन्होने थोड़ा सा अपना मूँह खोले हुए ही मेरी तरफ देखा, और मैने देखा कि वो मेरे वीर्या को अपने सारे मूँह में अपनी जीभ से फिरा रही हैं. उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और फिर सारा माल सटक गयी, और फिर अपने होंठों पर जीभ फिराई और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

"वाउ, मम्मी, थॅंक्स!" मैं बोला. "लेकिन..."

"लेकिन क्या, बेटा?"

"जब आप कपड़े पहने रहती हो तो उतना मज़ा नही आता. आपके नंगे शरीर को देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है."

"ओह. तो इसमें कौन सा टाइम लगने वाला है." वो उठ कर खड़ी हुई, और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए, और फिर मेरे पास नंगी होकर लेट गयी. मैने उनकी टाँगों को अपनी दोनो टाँगों के बीच फँसाने का प्रयास किया, लेकिन वो पलट कर साइड से लेट गयी, और अपनी गान्ड मेरी तरफ कर दी.

”राज, मैं तुमको बताना चाहती हूँ, कि जब भी तुम्हारा मन करे, मैं हमेशा तुम्हारी हेल्प करने को तय्यार हूँ. हाथ से, मूँह से.... जैसा भी तुम चाहो. और दिन में जितनी बार भी चाहो.”

मैने भी पलट कर, पहली बार अपने हाथ उनके सेक्सी मम्मों पर रख दिए. मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, "एम्म्म, बहुत अच्छा लग रहा है!" वो बोली. वो मेरे और करीब आकर मुझसे चिपक गयी, और मेरा लंड उनकी गान्ड की दरार में घुसने लगा. मैं उनके दोनो मम्मों से खेलने लगा, और उनके हार्ड हो चुके निपल्स पर ज़्यादा ध्यान देने लगा. फिर मेरा हाथ नीचे जाके चूत के होंठों से खेलने लगा. वो थोड़ा कराही और अपनी गान्ड मेरे खड़े हुए लंड के उपर दबा दी.

"मम्मी, क्या मैं जिस तरह से आप को छू रहा हूँ वो सही है?"

उन्होने एक गहरी साँस ली, और फिर मेरी तरफ करवट ले ली, उनका चेहरा अब मेरे सामने था. “नही बेटा. हम जो कुछ भी पिछले कुछ दिनों से कर रहे हैं वो कुछ भी सही नही हैं.”

“लेकिन, मेरा मतलब था...”

“मुझे मालूम है, लेकिन मुझे बोलने दो. हम जो कुछ भी कर रहे हैं वो सगे संबंधियों में यौन संपर्क है, इसको अँग्रेज़ी में ‘इन्सेस्ट’ कहते हैं. तुमने सुना है इस शब्द के बारे में?

“हां,” मैं बोला.

हमारा समाज इन्सेस्ट को ग़लत मानता है, क्योंकि जब सगे संबंधियों के बच्चे होते हैं, तो उनके बीमार होने की संभावना ज़्यादा होती है.

“मुझे मालूम है, मैने पढ़ा है.”

“और वैसे भी, लोगों को डर रहता है, कि अगर माँ बाप अपने बच्चों के साथ सेक्स करेंगे, तो बच्चे बिगड़ जाएँगे, उनका दिमाग़ खराब हो जाएगा.”

“ऐसा मेरे साथ कुछ नही होगा, मम्मी.”

“मुझे मालूम है, राज. तुम बहुत कुछ मेरे जैसे ही हो.” 

मैं मम्मी की आगे बोलने का इंतेजार करने लगा.

"बेटा, मैं हमेशा से ऐसे दकियानूसी पुराने ख़यालात वाली नही रही हूँ."

"मम्मी, आप तो हमेशा मॉडर्न ही रही हो!"

“मेरी एक बात सुनो. मैने पहली बार सेक्स, शादी के बाद तुम्हारे पापा के साथ ही किया, मैं शादी पर बिल्कुल कुँवारी थी. मुझे सेक्स बहुत पसंद था, मैं शादी से पहले अपनी उंगली से हस्तमैथुन करती थी. लेकिन शादी के बाद मुझे सेक्स का ऐसा चस्का लगा, कि मैं और तुम्हारे पापा रोजाना सेक्स करते थे. मुझे लगता है मेरी सेक्स की भूख और लॅडीस से कहीं ज़्यादा है. मुझे रोजाना सेक्स की ज़रूरत होती है.” मम्मी थोड़ा देर रुकी और फिर बोली, “जैसा कि मुन्नी बुआ ने तुमको बताया ही होगा, कि तुम्हारे पापा का पिछले एक साल से किसी औरत के साथ चक्कर चल रहा है, वो मुझे अब इग्नोर करने लगे हैं. पिछले एक साल से मैं अपनी सेक्स की ज़रूरत किसी तरह दबा कर उस पर कंट्रोल कर रही हूँ. लेकिन उस दिन मैने जब तुम्हारा खूबसूरत नंगा शरीर देखा, और तुम्हारा लंबा लंड, तो मुझे अपने आप पर कंट्रोल नही हुआ, राज.”

मैं इस सब को सुन कर थोड़ा भौंचक्का रह गया था. मैने मम्मी के मूँह से लंड या इस इस तरह का कोई शब्द कहते हुए नही सुना था. ज़्यादा से ज़्यादा वो “ओह, शिट” ही कहती थी, जब कुछ घोर अनपेक्षित हो जाए.

“सब कुछ इतना धीरे धीरे हुआ कि संभलने का मौका ही नही मिला. पहले, तुमने हर सुबह अपने नंगे शरीर को दिखाना शुरू किया, मैने अपने मन को समझाया, कि इसमे ऐसी कोई ख़ास बुराई नही है, फिर तुम मुझे नंगा देखने की ज़िद करने लगे, फिर भी मैने सोचा कि चलो ये भी ठीक है. लेकिन फिर जब मैने तुम्हे मूठ मारते हुए देखा, तो मेरा मन किया, कि क्यों ना ये काम मैं ही तुम्हारे लिए कर दूँ, और तुमने भी मेरे लिए सब कुछ आसान कर दिया. और वैसे भी, अगर एक माँ, जो अपने बेटे से बेहद प्यार करती हो, वो अपने बेटे की खुशी और उसको थोड़ा आराम पहुँचाने के लिए, अगर ऐसा कुछ करती है, तो इसमे क्या बुराई है?”

“आप सही कह रही हो, मम्मी!”

“और वैसे भी मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है, तो तुम्हारा लंड अपने मूँह में लेना तो स्वाभाविक था. हाथ से हिलाने से अच्छा तो चूसना ही है, एंड रिज़ल्ट तो वो ही निकलना है, लेकिन अगर हम दोनो को ऐसा कर के और ज़्यादा अच्छा लग रहा हो, तो ठीक है ना?”

"हां मम्मी, आप सही कह रही हो." उनकी ये गंदी गंदी बातें मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.

“और वैसे भी मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है, तो तुम्हारा लंड अपने मूँह में लेना तो स्वाभाविक था. हाथ से हिलाने से अच्छा तो चूसना ही है, एंड रिज़ल्ट तो वो ही निकलना है, लेकिन अगर हम दोनो को ऐसा कर के और ज़्यादा अच्छा लग रहा हो, तो ठीक है ना?”

"हां मम्मी, आप सही कह रही हो." उनकी ये गंदी बातें मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.

वो बेड पर पीठ के बल सीधी हो कर लेट गयी, और छत की तरफ देखने लगी. “ आज कुछ देर पहले जब तुम मेरी चूत से खेल रहे थे, तो मेरे दिमाग़ में एक बात सॉफ हो गयी थी, कि मैं तुम से चुदवाना चाहती हूँ. मैं तुम्हारे मस्त मोटे लंबे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हूँ, और वो भी अभी इसी वक़्त. क्या तुम ऐसा करोगे, बेटा? क्या तुम बिना ज़्यादा सोचे, और बिना अपना ज़्यादा दिमाग़ खराब किए हुए अपनी मम्मी को चोदोगे?”

"ओह मम्मी..." मैने उनके उपर करवट लेते हुए, उनको एक जोरदार जी भर के किस कर लिया और बोला, “मैं तो जाने आपको कब से चोदना चाहता था, लेकिन मैं तो आपको छूने से डरता था!”
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03-31-2019, 03:16 PM,
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उन्होने भी मुझे किस किया और अपने से चिपका लिया. “इसमें डरने की क्या बात है, राज. तुम मुझे कहीं भी छू सकते हो, और जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो. लेकिन अभी, इसी वक़्त, मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में चाहिए.” उन्होने मेरे खड़े और तने हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया, और उसके सुपाडे को अपनी गीली चूत के होंठों पर रख दिया. “क्या तुमने आज से पहले कभी किसी को चोदा है, बेटा?”

मैं अब काँपने लगा था, जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि उनकी गीली चूत का रस मेरे लंड को भिगो कर चिकना कर रहा है. “हां, मम्मी एक दो बार किया है... लेकिन मुझे ऐसा लगता है, कि मैं ज़्यादा अच्छे से नही कर पाता.”

वो थोड़ा खिलखिलाई. “ तुम विश्वास करो, सब कुछ ठीक होगा. और हम दोनो प्रॅक्टीस करके और ज़्यादा एक्सपर्ट हो जाएँगे, हम खूब प्रॅक्टीस करेंगे. लेकिन मैं तुम को पहले की बता दूँ, मैं बहुत ज़्यादा आवाज़ें निकालती हूँ, और मैं नोचती, खंसोटती और काटती भी ज़्यादा हूँ. मैं चुदाई करवाते समय मानो पागल हो जाती हूँ. तो फिर तय्यार हो?” ऐसा कहते हुए, वो थोड़ा खिसक कर उपर हो गयी, और मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के गीले, मुलायम होंठों के बीच घुसने लगा. हम दोनो के मूँह से एक साथ, आआआह्ह्ह्ह की आवाज़ निकल गयी.

"ओह, येआः!" मैं बोला. शायद बोलने की जगह मैं चीखा. "वाह, मम्मी, आप तो बहुत ज़्यादा टाइट हो... तान्या से भी ज़्यादा!"

“ये तो कुछ भी नही है,” वो बोली, “बस थोड़ी देर रूको...” उन्होने मेरी गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर, अपनी तरफ दबा लिया, अब मेरा पूरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में घुस चुका था.

जैसा मैं फील कर रहा था उसको शब्दों में बयान नही किया जा सकता. वो इतनी ज़्यादा टाइट थी, कि मानो मेरा लंड किसी मुलायम, टाइट शिकंजे में जकड चुका हो. उनकी धीरे धीरे कराहने की आवाज़ अब ज़ोर की आवाज़ों में बदलने लगी थी. उनकी चूत की मसल्स को मैं अपने लंड को जकड़ते हुए महसूस कर रहा था. वो अजीब अजीद आवाज़ें निकालते हुए अपने सिर को इधर उधर करने लगी. 

मुझे लगा कि मम्मी बस झड्ने ही वाली हैं, जबकि मैने तो अभी झटके लगाने शुरू भी नही किए थे.

"मम्मी, आप ठीक हो ना?" मैने पूछा.

उन्होने मेरी तरफ देखा. उनकी आँखों में थोड़े से आँसू से आ गये थे, और उनकी साँसें भी सामान्य नही थी. वो हान्फते हुए बोली, “हां, मैं ठीक हूँ.” उन्होने मेरी गान्ड पर ज़ोर लगाते हुए मेरे लंड को और ज़्यादा अपने अंदर घुसा लिया. “चोदो, बेटा, अब चोद दो मुझे!” मैं अब अपनी गान्ड हिलाने लगा, और धीरे धीरे रफ़्तार पकड़ने लगा. “ज़ोर से बेटा !! चोद दो मुझे!!” वो अपनी गान्ड को उछाल उछाल के मेरे लंड को और ज़्यादा अंदर लेने का प्रयास करने लगी, वो मेरी स्पीड से दोगुनी स्पीड से अपनी गान्ड उछाल रही थी.

मेरे को अंदाज़ा हो गया, और मेरी भी समझ में आ गया, मैं भी उनकी चूत के द्वार पर ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा, और एक पिस्टन की तरह मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. मैं इस बीच उनकी चूत को अपने लंड के गिर्द खुलता और फिर से सिकुड़ता महसूस कर रहा था, और उनकी चूत से निकलते हुए लिसलिसे गीलेपन से अपने लंड को गीला होते हुए महसूस कर रहा था. मेरे लंड को ऐसा महसूस हो रहा था मानो वो किसी शिकंजे में जकड चुका है, मुझे नही मालूम था कि मैं कितनी देर अपने आप को रोक पाउन्गा, लेकिन फिर भी मैं झटके पर झटके मारे जा रहा था. मेरे माथे पर आई पसीने की बूँदें, अब मेरे चेहरे पर गिरने लगी थी.

"हां, हां!!" वो चीख रही थी. "भगवान, हे भगवान, राज, चोद दो मुझको !! राज चोद दो मुझे, अंदर तक डाल दो अपने लंड मेरी चूत में, मुझे अपनी रंडी बना ले !! भगवान, हे भगवान, आाआघ!!!" उनकी आवाज़ें अब थोड़ा स्थाई रूप ले चुकी थी, सब कुछ मिश्रित था, कराहना, चीखना, और गंदी बातें, और उनके हाथों की उंगलियों के नाख़ून मेरी पीठ में चुभ रहे थे. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि ये औरत और कोई नही बल्कि मेरी प्यारी सग़ी माँ है ! “मेरे इन मम्मों को चूसो बेटा, आअहह, काट लो इन मम्मों को !!’

मैं अपने लंड को उनकी चूत में पेलते हुए, उनके दोनो निपल्स को चूसने और काटने लगा, कुछ देर बाद लगा, कि मैं भी अब झडने वाला हूँ.

"मम्मी ,मैं होने ही वाला हूँ." मैं जैसे ही अपना लंड उनकी चूत से बाहर खींचने ही वाला था, उन्होने मेरी गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों से पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया.

"ना! इसको बाहर निकालने की तो सोचना भी मत, हिम्मत भी मत करना ! मैं चाहती हूँ कि तुम मेर अंदर ही हो जाओ, मैं तुम्हारे वीर्य के पानी को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ, मुझे इस की सख़्त ज़रूरत है !!” 

उन्होने अपने दोनो पैर मेरे गिर्द जकड लिए, और मेरे लंड पर नीचे लेटे हुए ही उछल उछल कर उसको और जल्दी जल्दी अपने अंदर बाहर करने लगी, मानो मेरे लंड में से दूध निकाल रहीं हो, और मुझे अपना वीर्य छोड़ने पर मजबूर कर रही हो.

"ओके, मम्मी, ये लो... अभी इसी वक़्त... उन्नघ. आह! आह!! हे भगवान, मम्मी ! ओह!! मैं झड रहा हूँ!!" मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और उस चरम आनंद का मज़ा लेने लगा. मुझे मालूम था कि मेरा ज़्यादा पानी नही निकलेगा, लेकिन महसूस ऐसा हो रहा था, मानो मैं उनकी चूत में वीर्य के पानी की नदियाँ बहा रहा हूँ. वो अनुभूति अविश्वसनीय थी, मैं उस परम आनंद में, मानो कुछ पलों के लिए इस दुनिया में ही नही था.

"हां, बेटा, हां!!" वो चिल्लाई. “भर दो अपने लंड के पानी से अपनी मम्मी की चूत को !! तुम भी मेरे साथ ही हो जाओ, बेटा !! हे भगवान, हां, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, मैं तुम को अपने अंदर झाड़ते हुए महसूस कर रही हूँ!!!"

आख़िर में हम दोनो ही झड चुके थे. उन्होने अपनी गान्ड को मेरी तरफ उँचकाना बंद कर दिया था, और में बेसूध उनके उपर लेटा हुआ था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और मेरी छाती उनके पसीने से गीले हो चुके मम्मों को दबा रही थी, मैं, हम दोनो की तेज़ी से चल रही दिल की धड़कनों को सुन रहा था. मम्मी अब थोड़ा होश में आ गयी थी, और वो मुझे देख रही थी.

“ओह, राज बेटा, आइ’म सो सॉरी. मैं अपना इतना ज़्यादा होश खोने देना नही चाहती थी. तुम ठीक तो हो ना?”

“हां मम्मी, मैं ठीक हूँ.”

मुझे मालूम है, मैं कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से चीखते हुए ना जाने क्या क्या बकने लगती हूँ, मुझे होश ही नही रहता. मैने कुछ ग़लत तो नही बोला ना?”

“हां, वो सब थोड़ा अलग तरह का था... लेकिन मुझे अच्छा लगा. मुझे आप जो कुछ कर रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था. मम्मी...... आप अच्छी वाली हो गयी ना?”

वो ठहाका मार कर हँसने लगी. मैने सोचा, शायद वो इसलिए हंस रही हैं कि शायद मैं उनकी चुदाई उतनी अच्छी नही कर पाया. मेरा चेहरा लाल हो गया, और मैं अपना लंड, उनकी चूत से बाहर निकालने लगा, लेकिन उन्होने मेरी गान्ड पर हाथों से दबाव डाल कर, मुझे अंदर ही डाले रखने का इशारा किया.

“सॉरी बेटा, मैं तुम्हारे उपर नही हंस रही हूँ. तुम ने तो मेरी कमाल की चुदाई की! तुम तो कमाल का प्यार करते हो. मैं तो इसलिए हंस रही थी, कि मैं तो पहली बार उसी टाइम झड गयी थी, जब तुमने अपने लंड मेरे अंदर घुसाया था, और जब तक तुम नही झडे, और तुमने हिलना बंद नही किया, ना जाने मैं तो कितनी बार हो गयी. मैं तो इसी तरह होती हूँ. मैं जब चुदवाती हूँ, तो मैं तब अक ना जाने कितनी ही बार हो जाती हूँ, जब तक मेरी चूत वीर्य की धार से भर ना जाए. थोड़ा अजीब है, हैं ना?”

मैने उनको किस कर लिया. “कुछ अजीब नही है मम्मी, ये तो बहुत अच्छा है. अच्छी बात ये है कि आप इतनी ज़्यादा बार हो जाती हो. मुझे ऐसा करके, और सुन कर बहुत अच्छा लग रहा है, और ये सोच कर कि मैं आप के साथ ऐसा कर रहा था.”

"मेरे इस तरह ज़ोर ज़ोर से चीखने से तुमको परेशानी तो नही हुई बेटा?”

"नही, मम्मी, मैं तो और ज़्यादा मज़ा आ रहा था. बस वो सोच के ही मेरा तो दोबारा करने का मन कर रहा है."

"तो फिर ठीक है!" उन्होने अपने हाथ को हम दोनो के बीच लाकर मेरे लंड को नीचे से अपनी मुट्ठी में भर लिया, और अपनी गान्ड हिलाने लगी. "अभी एक बार फिर से करोगे?"

"वाउ, मम्मी. और हमेशा आप मुझसे कहती रहती हो, कि मेरा कभी मन नही भरता!"

"ओह, मुझे लगता है, तुम्हारी मुन्नी बुआ सही ही कह रही थी...” ऐसा कहते हुए वो मेरी तरफ कुटिलता से मुस्कुराइ, लेकिन जैसे ही मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा, उनकी मुस्कान, आहों और कराहों में बदलने लगी.

"लगता है मुन्नी बुआ ने आप को सब कुछ बता दिया है," मैं एक ज़ोर का झटका मारते हुए बोला.



मम्मी फिर से अपनी गान्ड उछालने लगी, और पानी छोड़ने लगी. "हां, ओह, हां राज, चोद दो मुझे, डाल दो अपना मोटा लंड मेरी चूत में !! निकाल दो अपना पानी अपनी मम्मी की चूत में, जैसे उस दिन तुमने मेरे चेहरे पर निकाला था, हे भगवान, बेटा, ज़ोर से चोदो !!” 

जिंदगी बिंदास है.... बस सब किस्मत की बात है......
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03-31-2019, 03:16 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
पापा के बिज़्नेस ट्रिप पर से लौटने के बाद, सब कुछ नॉर्मल चल रहा था, मेरे को और मम्मी को जब भी मौका मिलता, हम दोनो अपनी प्यास बुझा लेते. इस चीज़ का हम दोनो विशेष ख्याल रखे हुए थे कि पापा को किसी तरह से कोई भी शक ना हो जाए. पापा के सामने मम्मी मेरे साथ वैसे ही पेश आती, जैसे पहले आती थी. सुबह जब चाइ देने आती, तब भी नाइट्गाउन को ठीक तरह से पहन कर आती. 

एक दिन फॅक्टरी में मेरे हाथों पर खौलता हुआ, एक केमिकल गिर गया, जिस से मेरे दोनों हाथ जल गये. मुझे मेरा स्टाफ तुरंत ही पास के नर्सिंग होम ले गया, मम्मी पापा भी जल्दी है वहाँ पर पहुँच गये. वहाँ डॉक्टर्स ने दोनो हाथों पर मेडिसिन लगा कर पट्टी बाँध दी, और बताया कि चिंता की कोई ख़ास बात नही है, बस एक या डेढ़ हफ्ते में ठीक हो जाएगा. लेकिन हर तीसरे दिन, बॅंडेज चेंज कराने के लिए, और प्रोग्रेस मॉनिटर करने के लिए नर्सिंग होम आना होगा.

“आप समझ रहे हैं ना, कि ये अब अगले कुछ दिनों बहुत सारे काम अपने आप नही कर पाएगा,” डॉक्टर ने मम्मी पापा को बताया.

“ओह… मुझे भी तब एहसास हुआ कि डॉक्टर सच बोल रहे हैं,, मैने अपने दिमाग़ में सोचा.

“कुछ ऐसे प्राइवेट काम, जैसे बाथरूम जाना, या कुछ और, उन सब कामों में इसको किसी की मदद की ज़रूरत होगी,” डॉक्टर बोले.

“ह्म्म्म. तो फिर हमको क्या करना चाहिए, डॉक्टर?”मैने पूछा.

“सीधी सी बात है, तुम को अपनी शरम अब ताक पर रखनी होगी. और वो सब काम जो तुम अपने हाथों से आसानी से कर लेते थे, अब इन बॅंडेज की वजह से नही कर पाओगे.” 

मम्मी पापा की तरफ देखते हुए डॉक्टर बोला, “कुछ ऐसे काम, जैसे कि पॅंट या जीन्स का बटन लगाना, या नहाना, या सॉफ करना. मेरी तो सलाह ये ही होगी कि आप किसी नर्स को 10-15 दिनों के लिए 24 घंटों के लिए अपने घर पर रख लें.” 

“हालाँकि ये आसान नही होगा, लेकिन कुछ दिनों की लिए तुम्हे शरम जैसी चीज़ को भूलना होगा,” डॉक्टर ने सलाह दी.

जब हम घर आ रहे थे, तो कार में बैठ कर हम तीनो इस बारे में बातें करने लगे. मम्मी ने बताया कि कल, यानी नेक्स्ट डे तो मम्मी और पापा दोनो, एक हफ्ते के लिए किसी बिज़्नेस मीटिंग में शिमला जा रहे थे. ऐसे में किसी अंजान नर्स को घर पर अकेले छोड़ना ठीक नही होगा. पापा भी इस बात से सहमत थे. 

तभी मम्मी को याद आया, कि उनकी कज़िन सिस्टर उमा, जो कि विडो है और गाँव में रहती है, वो नर्सिंग का कोर्स कर के, गाँव के पास ही के किसी कस्बे के नर्सिंग होम में नौकरी कर रही है, क्यों ना उसे ही बुला लिया जाए. वो जान पहचान की भी है, और मम्मी पापा के जाने के बाद कोई चिंता भी नही रहेगी. 

“लेकिन मम्मी मैं मौसी के सामने, नही बिल्कुल नही!!” मैं ज़ोर से बोला.

“देखो बेटा, बस कुछ दिनों की ही तो बात है, जब तक ये बॅंडेजस उतर नही जाती. मैं और तुम्हारे पापा, तुम्हारी सब हेल्प करेंगे, और मौसी भी तो अपनी ही हैं. ये तो अच्छा है तुम्हारे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही हैं” मम्मी बोली.

“ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे” मैने गुस्से में बोला. “ना जाने कैसे निकलेंगे ये मेरे 10-15 दिन!”

शाम को मौसी को टॅक्सी भेजकर मम्मी ने गाँव से बुलवा लिया, और उनको सारी सिचुयेशन समझा दी.

जब मम्मी उमा मौसी को समझा रही थी तभी मैं वहाँ पर आ गया, मैने उनको बातें करते हुए सुना, “देखो उमा, राज को इन सब चीज़ों की आदत डालनी होगी,” मम्मी ने उमा मौसी को समझाते हुए कहा. “ मुझसे तो ये सब काम होते नही, नर्सों वाले, जैसे कि उसकी पॅंट नीचे करके उस से पेशाब कर्वाओ, या फिर सॉफ करो...”

“ऊह..मम्मी..मुझे टाय्लेट जाना है... “ मैं शरम से अपना चेहरा लाल करते हुए बोला.

“ओ.के.” उमा मौसी बोली, और मुझे अपने साथ टाय्लेट में ले गयी.

कुछ देर बाद, हम बाहर आकर ड्रॉयिंग हॉल में बैठ गये. 

“सब ठीक रहा? मम्मी ने पूछा.

मैं कुछ बोलता उस से पहले ही उमा मौसी बोली, “शरमाता बहुत है राज, और वो भी मुझसे, मैं तुम्हारी मौसी हूँ बेटा, और मेरा तो काम भी नर्स का ही है.”

उमा मौसी के रुकने का इन्तेजाम, डॉली दीदी के रूम में कर दिया था. रात को डिन्नर करने के बाद, उमा मौसी अपने रूम में चली गयी, और मुझे बता गयी कि जब भी मुझे उनकी ज़रूरत हो, मैं उनको बुला लूँ. जब मैं अपने रूम में पहुँचा, तो मेरे पीछे पीछे मम्मी भी आ गयी. और मुझे समझाने लगी, कि मुझे उमा मौसी से शरमाने की कोई ज़रूरत नही है, किसी तरह से ये 10-15 दिन निकाल लो, फिर सब ठीक हो जाएगा. मुझे मम्मी ने 3-4 दिन तक अपने आप पर काबू रखने को कहा, जब तक की वो शिमला से लौट नही आती.

“बेटा, किसी तरह से ये एक हफ़्ता निकाल लो, फिर जब मैं लौट आउन्गि, तुम्हारी सारी ज़रूरतें पूरी कर दूँगी. उमा मौसी के साथ ठीक से पेश आना, वो मेरी रिश्तेदार भी हैं, और अगर कुछ उपर नीचे हो गया,तो रिश्तेदारों में मूँह दिखाने लायक नही रहेंगे. लेकिन तुम्हारी उमर ही ऐसी है, कि भूल होते हुए देर नही लगती. थोड़ा ध्यान रखना, बेटा. वैसे मैं उमा को भी समझा दूँगी.”

मम्मी पापा सुबह मेरे उठने से पहले ही शिमला के लिए निकल गये थे. जब मैं उठ कर नीचे आया, तो मौसी किचन में कुछ बना रही थी.

“मौसी..मुझे बाथरूम जाना है” मैं बोला.

“ओह..हां आओ बेटा.” मौसी ने स्वाभाविक सा जवाब दिया.

जब हम बाथरूम में पहुँचे तो मैं वहाँ पर खड़ा हो गया. उमा मौसी एक पल को थोड़ा सहमी, और फिर हिम्मत कर के आगे बढ़ी. उमा मौसी ने मेरे पीछे आकर मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींच दिया, और ऐसा लगा मानो वो मेरी तरफ देख ही ना रही हो. वो मेरे सूसू करने का इंतेजार करने लगी और जब मैने सूसू कर लिया, तो उन्होने मेरे शॉर्ट्स को फिर से उपर खींच दिया.
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03-31-2019, 03:16 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“देखा, सब कुछ सही तरीके से हुआ ना, मैने कुछ देखा भी नही !!” मौसी ने थोड़ा झूठ बोलते हुए कहा. हालाँकि मुझे मालूम चल गया था कि उनकी नज़र मेरी गान्ड को प्रशन्शा भरी नज़रों से देख रही थी, लेकिन वो इस बारे में अंजान बन रही थी. 

“हां, मौसी ये ठीक रहा!” मैने बाहर निकलते हुए जवाब दिया.

जब हम दोनो ने ब्रेकफास्ट कर लिया, तो मैने नहाने के बारे में पूछा.

“ओह…मौसी अब आप मुझे नहलाओगी कैसे?” 

“इसमे सोचने वाली क्या बात है, तुम बस अपने अंडरवेर में बाथरूम में आ जाओ, और मैं भी गाउन पहन कर आ जाती हूँ” मौसी ने समझाते हुए कहा.

हम दोनो अपने अपने कमरे में जाकर और डोर बंद कर के कपड़े चेंज करने लगे. मैने तो सारे कपड़े उतार कर बस अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट ली, और अपनी बॅंडेजस पर बाँधने को दो पोलिथीन की थैलियाँ ले ली.

जब मैं बाथरूम में पहुँचा, तो मैने देखा मौसी वहाँ पर एक पुरानी सी ब्रा और वाइट कलर की पैंटी पहने हुए, पहले ही वहाँ पर खड़ी हैं. उनकी पैंटी बहुत पुराने स्टाइल की थी. लेकिन वो इस सब में भी बेहद आकर्षक लग रही थी. उनकी इस उमर में भी फिगर लाजवाब था, वो दुबली पतली थी, पेट हल्का सा निकला हुआ था, उनके मम्मे भरपूर रसभरे गुदाज थे, वो लटके हुए नही थे, जैसा कि इस उमर में काई लॅडीस के साथ हो जाता है. उनकी गान्ड उनके शरीर के अनुपात में काफ़ी भारी थी लेकिन उन पर बहुत फॅब रही थी. उनके भूरे भूरे बाल उनके कानों तक आ रहे थे, बीच में एक या दो बाल सफेद भी दिखाई दे रहे थे. वो अपनी उमर के हिसाब से अब भी बेहद कमाल और चिकनी माल लग रही थी. मेरा तो एक बार को उन को इस रूप में देख कर दिमाग़ ही खराब हो गया. 

“आप के गाउन का क्या हुआ?” मैने पूछा.

“ओह, मुझे लगा अब तुम्हारे सामने क्या फॉरमॅलिटी करना, तुम तो अपने ही हो,वैसे भी वो बेकार में गीला हो जाता,”वो बोली.

“चलो आप ने कुछ तो पहन रखा है” मैं उनको छेड़ता हुआ बोला.

“तुम भी अंडरवेर पहन के ठीक से नहा तो नही पाओगे, क्यों?” उन्होने पूछा.

“हां इसीलिए मैने तो बस ये तौलिया ही लपेट रखी है” मैं बोला.

“ऐसा नही है कि मैं किसी मर्द को पहली बार नंगा देख रही हूँ” मौसी मज़ाक में बोली.

“हां आप के प्रोफेशन में तो ये लगा ही रहता होगा, लेकिन जवान लड़कों के साथ ऐसा कम हो होता होगा, क्यों मौसी?” मैने पूछा.

“तुमको मालूम नही है राज, मेरे इस प्रोफेशन में मैं किन सब हालातों से गुजर चुकी हूँ, लेकिन ये दुनिया वैसी की वैसी ही है” मौसी ने थोड़ा सीरीयस और थोड़ा मज़ाक करते हुए कहा.

“मौसी” मैं नाराज़ होने की आक्टिंग करते हुए बोला.

“चलो, सीरीयस बातें छोड़ो, और अपने काम शुरू करो” मौसी बोली.

उन्होने वो दोनो पोलिथीन की थैलियाँ ली, और मेरे हाथ पर लगे बॅंडेजस पर लपेट दी, और उनको किनारे से टेप से चिपका दिया. ये बहुत अजीब लग रहा था.

“मौसी आप एक बार घूम जाओ और दूसरी तरफ देखो, जब मैं तौलिया उतार दूँगा, उसके बाद आप की तरफ पीठ कर लूँगा.”

“हां, ठीक है, ” मौसी ने कहते हुए मेरी तरफ पीठ कर ली.

जब मैने तौलिया उतार कर मौसी की तरफ अपनी पीठ कर ली , तो मैने कहा, ओके मौसी अब आप नहला दो. मौसी ने जैसे ही मेरी तरफ देखा, वो मुझे नंगा खड़ा देख खिलखिला कर हँसने लगी. फिर वो अपने हाथों में साबुन मलने लगी, उनकी नज़र अब भी मेरी मस्त चिकनी गान्ड की गोलाईयों पर थी.

मौसी जल्दी ही मेरी बाहों और कंधों पर साबुन मलने लगी. बीच बीच में वो थोड़ा रुक जाती. फिर उन्होने मेरे बालों और पैरों पर साबुन लगाया, और फिर मेरी छाती पर. आख़िर में उन्होने मेरी गान्ड पर साबुन लगाने के लिए हल्के से गान्ड की दरार में हाथ घुसाया. ऐसा लगा जैसे वो भी इस काम को करने से थोड़ा घबरा रही हो. वो मेरी गान्ड को सॉफ तो करना चाहती थी, लेकिन समझ नही पाआ रही थी, की कहाँ से शुरू करूँ.

“उः..बेटा…अब सब जगह साबुन लगा दिया है... बस उन प्राइवेट पार्ट्स को छोड़ कर” वो बोली

“ओह, मौसी! ठीक है, आप उनको रहने ही दो?” मैं भी थोड़ा घवराते हुए बोला.

“हां, लेकिन उन पार्ट्स की सफाई भी तो ज़रूरी है!” वो बोली

“उनको हम बस पानी से ही क्यों ना सॉफ कर लें?” मैने आशा भरे लहजे में कहा.

“लेकिन सिर्फ़ पानी से तो सॉफ नही हो पाएँगे, तुम ये तो नही चाहते कि तुम को इन्फेक्षन हो, क्या ऐसा चाहते हो?” उन्होने पूछा.

“नही, मौसी हरगिज़ नही” मैं थोड़ा झिझकते हुए जवाब दिया.

“मैं जितना जल्दी हो उतना जल्दी ये सब कर दूँगी.” मौसी भरोसा दिलाते हुए बोली.
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03-31-2019, 03:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मौसी ने फिर से साबुन अपने हाथ में लिया, और घूम कर मेरे टट्टों पर साबुन लगाते हुए उपर की तरफ बढ़ने लगी. दोनो टाँगों के बीच के हिस्से पर वो जल्दी जल्दी साबुन लगाने लगी, बिना ज़्यादा देर किसी भी एक हिस्से पर रुके हुए.

और फिर वो ही हुआ, जो नही होना चाहिए था, जैसे ही मौसी ने मेरे लंड पर हाथ लगाया, वो फूँकार मार का खड़ा होना शुरू हो गया, और पूरी तरह खड़ा होकर, मौसी के हाथों में आ गया. उन्होने जल्दी से मेरे खड़े हो चुके लंड पर उपर से नीचे तक साबुन लगाया, और फिर अपने हाथ को दूर हटा लिया.

“उः…चलो अब पानी से धो लो” मौसी ने किसी तरह बोला.

“मौसी..” मैने बोलना शुरू किया “आइ’म सॉरी! मुझे इसी बात का ही डर था!”

“ठीक है बेटा” मौसी बोली, उनकी आवाज़ में कंपन्न था. “ये सब तो बिल्कुल नॉर्मल है”

“हां, लेकिन आप के साथ नही!” मैने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

“लेकिन, ये उन बातों को नही समझता!” मौसी ने मज़ाक करते हुए कहा.

“मुझे बहुत शरम आ रही है!” मैं बोला “मैं तो चाहता था क़ी ये उसी समय बैठ जाए!”

“बेटा, ठीक है.” मौसी बोली और फिर पूछा, “तुमको दर्द तो नही हो रहा?”

“नही, ऐसा कुछ नही है. मैं चाह कर भी इस के बारे में कुछ नही कर सकता” मैं अपने दोनो हाथों पर बँधी बॅंडेज को दिखाते हुए बोला.

“ओह!” वो मेरी बातों का मतलब समझते हुए बोली. “मैने तो इस बारे में सोचा ही नही था. क्या तुम वो अकसर वो करते हो?”

“मौसी!!” मैने थोड़ा तेज आवाज़ में कहा. “आप भी मौसी हद करती हो... लेकिन जब भी मुझे ज़रूरत होगी... मैं अपने आप कर लूँगा..”

“ठीक है, बेटा…उह्म…लेकिन क्या तुमने सोचा है... कि तुम वो कैसे करोगे?” मौसी ने चिंता करते हुए पूछा.

“नही, सच बताऊं तो सोचा तो नही है,” मैं थोड़ा झिझकते हुए बोला. “मैं कोशिश करूँगा कि मैं एग्ज़ाइटेड ना होऊ.”

“चलो... अब तौलिया से पोंछ देती हूँ” मौसी ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा.

मौसी जब मुझे तौलिया से पोछ रही थी, तो मैने देखा कि उनकी ब्रा और पैंटी भी भीग चुकी है, और भीगने के बाद उनका कपड़ा सेमी ट्रॅन्स्परेंट हो गया है, मौसी ने जब मुझे इस तरह देखते हुए पाया, तो झट से उन्होने मुझे एक तौलिया अपने उपर लपेटने को दी, और वो गीली तौलिया जिस से मुझको वो पोछ रही थी, उसको अपनी छाती के उपर लपेट लिया.

मैने तुरंत अपने उपर उस तौलिया को लपेट लिया, और बॅंडेज बँधे हाथों से ही उसको किसी तरह खोंस कर स्थिर कर लिया. मौसी ने फिर से अपनी गीली तौलिया से मेरे उन हिस्सों को पोछना जारी रखा, जो अभी तक गीले थे, लेकिन मौसी मेरे लंड से दूरी बनाए रखे हुए थी. जैसे ही वो मेरी जांघों को पोंछने के लिए आगे बढ़ी, उनकी समझ में आ गया, कि मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ है. 

मैं अपने रूम में पहुँच गया, मौसी मेरे पहनने वाले कपड़े लेकर मेरे पीछे पीछे आ गयी, मेरे रूम में आते ही उनके सामने में आ गया, कि मैं उन कपड़ों को अपने आप पहनने की स्थिति में नही हूँ, और मुझे उनकी हेल्प की ज़रूरत होगी. मैने मौसी की तरफ पीठ फेरते हुए, उस तौलिया को गिरा दिया, और मौसी ने आगे बढ़ते हुए, मेरे शॉर्ट्स में मेरे दोनो पैरों को घुसाने में मदद करते हुए, उसको पहना कर उपर खीच दिया. हालाँकि, उपर खींचते समय, शॉर्ट्स मेरेखड़े हुए लंड से थोड़ा टकराया.

“एहमम!” मेरे मूँह से आवाज़ निकल गयी, जब शॉर्ट्स मेरे तने हुए लंड को छूते हुए अपनी सही जगह पर फिट हुआ.

मुझे लगा मौसी भी थोड़ा सॉरी फील कर रही थी, लेकिन वो भी ज़्यादा कुछ नही कर सकती थी.

मौसी मेरे रूम से तुरंत बाहर निकल गयी.... और मैं उनको जाते हुए देखता रहा....

उस रात हम दोनो डिन्नर कर के अपने अपने रूम में सोने चले गये. जब मैं टाय्लेट जाने के लिए बाहर निकाला, तो मैने मौसी को मोबाइल पर किसी से बात करते हुए सुना, शायद वो मेरी मम्मी से बात कर रही थी. मौसी मम्मी को नहाते हुए जो कुछ हुआ था, वो सब बता रही थी. मैं दरवाजे से कान लगाकर, उनकी बातें सुनने लगा, मम्मी की आवाज़ उतना सॉफ तो नही सुनाई दे रही थी, लेकिन फिर भी मैं अंदाज़ा लगा रहा था, वो क्या कह रही हैं.

मम्मी: अर्रे उमा, ये सब तो जवान लड़कों के साथ होता ही है, लड़कों के हॉर्मोन्स इसी उमर में तो पूरे जोश में होते हैं, उनका तो बस किसी भी बहाने से खड़ा हो जाता है.

उमा मौसी: हां दीदी, वो तो मैं समझती हूँ, लेकिन राज के हाथों पर बॅंडेज बँधे होने के कारण, वो अपने आप कैसे हल्का हो, मैं तो ये ही सोच रही थी.

मम्मी: बस थोड़े दिनों की ही तो बात है, कर लेगा किसी तरह अपने आप पर काबू 

उमा मौसी: दीदी, क्या मैं उसकी किसी तरह से मदद नही कर सकती?

मम्मी: लेकिन किस तरह से?

उमा मौसी: जैसे कि मैं उसकी उस जगह पर सफाई ही ना करूँ

मम्मी: नहीं, ऐसा करना तो सही नही होगा, उसका हाथ से हिलाकर पानी निकालने के अलावा और कोई सल्यूशन नही है, लेकिन ऐसा करना भी तुम्हारे लिए सही नही होगा

मम्मी: चलो अब सो जाओ, गुड नाइट, बाकी कल सुबह बातें करेंगे
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03-31-2019, 03:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
अगली सुबह, सब कुछ ठीक से हुआ, मौसी ने मुझे टाय्लेट यूज़ करने में हेल्प किया, फिर हम दोनो ने ब्रेकफास्ट किया. 10 बजे के करीब, जब मैने मौसी से मुझे नहलाने के लिए कहा, तो मौसी के चेहरे पर एक अलग तरह के भाव आ गये.

मौसी ने बीते हुए कल की तरह ही बाथरूम में जाके मुझे नहलाना शुरू किया, सब जगह साबुन लगाने के बाद, बस अब वो लंड और टट्टों वाली जगह ही साबुन से सॉफ करने के लिए बची थी. जैसे ही मौसी ने हाथों में साबुन मलकर, उस जगह हाथ लगाया, मेरे शरीर में एक अलग तरह की हरकत होने लगी. मौसी इसको जल्द से जल्द ख़तम करना चाहती थी, लेकिन जैसे ही मौसी ने मेरी जाँघ के अन्द्रुनि हिस्से पर हाथ लगाया, मेरा लंड खड़ा होने लगा ! मौसी ने फिर जल्दी से सारे हिस्से पर साबुन मल दिया, और जल्दी से लंड की लंबाई पर अपना साबुन से सना हुआ हाथ फिरा दिया.

“उहह!” मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी.

“तुम ठीक हो राज?” मौसी ने पूछा.

“हां” मैं किसी तरह बोला. “लेकिन... इसको हिलाकर हल्का नही हो पा रहा हूँ, बस ये ही प्राब्लम है.” पता नही ये मेरे हाथ कब ठीक होंगे.

“लगता है मेरे बेटे को किसी की नज़र लग गयी, इतनी छोटी सी उमर में इतना अच्छा बिज़्नेस कर रहा है. आजकल लोग दूसरों से बहुत जलते हैं, उनसे देखा नही जाता, कोई दूसरा उनसे ज़्यादा तरक्की कैसे कर रहा है. खुद से तो मेहनत होती नही, और खुद तो कभी कुछ कर नही पाए अपनी जिंदगी में, पर दूसरों को देख कर जलते रहते हैं, ऐसे ही किसी नामुराद की नज़र लगी होगी. तू चिंता मत कर जल्दी ही ठीक हो जाएगा, उपर वाला ऐसे कलमूहों को अपने आप सबक सिखा देता है, ऐसे हरामियों के कभी औलाद नही होती,” मौसी मुझे समझाते हुए बोली.

“हां, अब तुम तय्यार होकर, अपने बेड पर लेट कर आराम करो, सब ठीक हो जाएगा.” मौसी ने फिर से मुझे समझाते हुए कहा.

“ऐसा करने से कुछ नही होगा मौसी, जब तक इन गोलियों में से पानी नही निकलेगा, ये ऐसे ही मुझे परेशान करेंगी, आप को तो इस सब के बारे में मालूम ही होगा?” मैं बोला.

“हां मुझे मालूम है, मैने इस के बारे में पढ़ा भी है, और देखा भी है...” मौसी ने थोड़ा रुकते हुए बोला, वो शायद मेरी सिचुयेशन समझ रही थी.

“बस, आप सही समझ रही हो मौसी” मैं बोला.

“ओह. बेटा ! आइ’म सो सॉरी. बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” मौसी ने पूछा.

“मुझे तो कुछ समझ में नही आता” मैं बोला. “आप ऐसा कुछ भी मत करो, जो आपको लगता हो कि आपको नही करना चाहिए.”

मेरे शब्द मौसी के दिल को छू गये, और वो थोड़ा सोच में पड़ गयी.

“ठीक है, बेटा..अम…लेकिन ये बड़ी विचित्र परिस्थिति है.” मौसी ने आगे बोलते हुए कहा “क्या मैं तुम्हारे वहाँ पर उपर नीचे कर के साबुन लगा दूं, जब तक तुम्हारा पानी नाही निकल जाता, और तुमको आराम नही मिल जाता?”

मौसी कुछ पलों के लिए खामोश हो गयी, शायद उनको अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था, कि वो क्या कुछ बोल गयी थी, लेकिन वो मुझे परेशान होते हुए नही देखना चाहती थी. 

“आप वो ही कह रही हो ना मौसी, जो कुछ मैं सुन रहा हूँ?” मैने पूछा, मेरी पीठ अभी भी मौसी की तरफ थी.

“हां” मौसी ने बात को वहीं पर ख़तम करने के अंदाज में बोला.

“मैं…मैं चाहकर भी नही कह पा रहा हूँ, कि इस की कोई ज़रूरत नही है... लेकिन...” मैने कुछ बोलना चाहा

“ष्ह्ह्ह्ह्ह!” करते हुए मौसी ने मुझे चुप करा दिया, और अपने हाथों में साबुन मलने लगी.

मौसी ने मेरे लंड को फिर से अपने साबुन से सने हाथों से पकड़ लिया, और उसे पूरी लंबाई तक उपर नीचे कर के सहलाने लगी, इस तरह करने से इतना घर्षण ज़रूर पैदा हो रहा था, जो मेरे लिए काफ़ी था.

मौसी के इस तरह हल्के से छूने की वजह से मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी “ओह”.

जल्दी ही मेरी कमर भी हिलने लगी, और मेरा लंड मौसी के हाथों में आगे पीछे होने लग्गा, तभी मेरी गान्ड भी सिंकूड गयी, और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकल के बाथरूम की दीवार पर लगी टाइल्स पर गिर गयी. मौसी अब भी अपना हाथ आगे पीछे कर रही थी, वो ऐसा जब तक करती रही, जब तक मैं शांत नही हो गया, और मेरी कमर ने हिलना बंद नही कर दिया.

“अब ठीक है?” मौसी ने मेरे लंड पर से अपना हाथ हटाते हुए पूछा.

“हां…पहले से बेहतर है” मैने साँस लेते हुए बोला.

फिर हम दोनो ने बिना कुछ ज़्यादा बात किए, और तौलिया से पोछने के बाद, कपड़े पहन कर हम दोनो बाहर आ गये. इस बार शॉर्ट्स पहनाते समय, किसी तरह की कोई परेशानी नही हुई.

उस सारे दिन मेरा मूड बहुत अच्छा रहा, और मैने और मौसी ने ढेर सारी बातें की, मैने उनकी किचन में बहुत हेल्प भी की. मौसी को भी मेरी हेल्प करके अच्छा फील हो रहा था.

बातों बातों में मौसी बोली, “राज इसके बारे में किसी को कुछ मत बताना, ख़ास तौर पर अपनी मम्मी को, नही तो ना जाने वो क्या सोचेंगी.”

“आप बेफिकर रहें मौसी, ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहेगी, किसी को कुछ पता नही चलेगा,” मैं मौसी को भरोसा दिलाते हुए बोला.

“और वैसे भी, मैने तो बस तुम्हारी हेल्प करने के लिए ये सब किया है, कौन सा हम ये सब रोजाना करने वाले हैं,” मौसी बोली.

मेरे मन में बहुत कुछ आया, लेकिन मैं कुछ भी नही बोला, बस मुस्कुरा कर रह गया.

अगले दिन, सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद मैने मौसी से मुझे नहलाने के लिए बोला क्यूंकी दोपहर में मेरे कुछ फ्रेंड्स आने वाले थे. मौसी ने कहा, “तुम चलो, मैं अभी आती हूँ.” 
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03-31-2019, 03:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं जब बाथरूम में अपने कपड़े उतार रहा था, तो मुझे लगा कि मेरी गले की नस चढ़ गयी है. मुझे अपनी गर्दन घुमाने में दर्द महसूस होने लगा.

तब तक मौसी भी बाथरूम में आ चुकी थी, उन्होने मुझे उस अवस्था में देखा तो पूछा, “क्या हुआ, कोई परेशानी है क्या, मैं कुछ हेल्प करूँ?”

“लगता है, कपड़े उतारते समय, मेरी गर्दन की नस चढ़ गयी है, आल नहलाते हुए वहाँ थोड़ी मालिश कर देना, ठीक हो जाएगी,” मैं बोला.

“हां हां क्यों नही,” मौसी ने बाथरूम में अंदर घुसते हुए बोला.

जैसे ही मौसी ने मेरी पीठ और गर्दन की मालिश करनी शुरू की, उनके मूँह से आहह की आवाज़ आई. मैने पूछा, “क्या हुआ मौसी?”

“कुछ नही, बस ये ब्रा गीला होने के बाद थोड़ा चुभ रही है,” मौसी समझाते हुए बोली.

“आप इसको उतार क्यों नही देती?” मैने पूछा.

“क्या कहा??” मौसी ने पूछा, मानो वो मुझे ठीक से सुन नही पाई हो.

“उसको उतार दो ना. मैं नही देखूँगा, वैसे भी मेरी पीठ आपकी तरफ है,” मैं बोला.

“उः, समझ नही आता, क्या करूँ” मौसी ने जवाब दिया, लेकिन उनकी बात से लगा कि वो मेरे सुझाव से सहमत हैं.

“ओह अब उतार भी दो, मैं सही में पीछे मुड़कर नही देखूँगा,” मैने कहा.

मौसी ने एक पल सोचा, और फिर अपने आप को थोड़ा राहत महसूस करवाने के लिए, अपनी ब्रा का हुक अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर खोल दिया, और अपने कंधों से झटक दी, झटकने के कारण वो नीचे आकर उनके हाथों में आ गयी, मौसी ने उसे अपने हाथों से उसे बाथरूम के डोर से बाहर फेंक दिया, और एक राहत की साँस ली.

मौसी ने मुझे नहलाना और मालिश करना जारी रखा, और इस बीच उनके मम्मों के निपल्स मेरी पीठ पर बीच बीच में छूने लगे. मुझे इस बात का आभास हुआ कि मौसी के निपल्स धीरे धीर सख़्त होते जा रहे हैं. शायद मैं और मौसी दोनो इस मौके का पूरा फ़ायदा उठा रहे थे. लेकिन मैं इस बारे में कुछ भी प्रतिक्रिया नही दे रहा था.

मौसी अब बस मेरे को जल्दी से जल्दी नहलाने पर ध्यान दे रही थी. 

जैसे ही मौसी ने मेरे पैरों के उपर साबुन लगाना शुरू किया, उनका ध्यान मेरे खड़े होकर फूँकार मारते हुए लंड पर गया. एक जवान लड़के की ज़रूरतों को शायद वो भी समझ रही थी. मौसी ने मेरी गान्ड को सॉफ करने के बाद, एक बार फिर से मेरे पैरों की तरफ हाथ बढ़ाया.और अपने दोनो हाथों में साबुन मलने लगी. फिर एक बार अपनी साँस रोक कर उन्होने जल्दी जल्दी मेरे लंड और टट्टों पर साबुन लगाने के लिए अपने हाथों को आपस में मलने लगी.

“व्हुूहह” मौसी के हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी.

मौसी ने तुरंत वहाँ से हाथ हटाकर मुझे अपने आपको पानी से धोने के लिए कहा.

“उः, मौसी?” मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी

“हां बेटा?” मौसी ने जवाब दिया, शायद वो भी नर्वस थी, ये सोचकर कि मुझे किस चीज़ की ज़रूरत है.

“उः, मौसी... प्लीज़ एक बार और कर दो ना?” मैने पूछा.

मौसी मेरी सिचुयेशन समझ रही थी, और ये भी समझ रही थी, कि मैं फिर से वो ही चाहता हूँ, जो उन्होने कल किया था.

“क्या सचमुच तुमको ज़रूरत है?” मौसी ने पूछा. “मैने तो सोचा कुछ दिन अब तुम शांत रहोगे.”

“ऐसा नही है मौसी” मैने जवाब देते हुए कहा, “मुझे तो हर रोज इस की ज़रूरत पड़ती है.”

“ओह” मौसी बोली, और बिना किसी बनावट के बोली, “तो फिर मुझे लगता है...ठीक है.”

मौसी ने फिर से अपने हाथों में साबुन मला, और मेरे खड़े हुए लंड को पकड़ लिया. जैसे जैसे वो अपना हाथ मेरे लंड की लंबाई पर चला रही थी, और शायद कोशिश कर रही थी, कि मेरा पानी जल्दी से जल्दी निकल जाए. मौसी अपने दिमाग़ में कुछ और सोचते हुए, और शायद बिना कुछ सोचे, मेरे लंड को हिलाए जा रही थी.

“ओह!” मेरे मूँह से आवाज़ निकली और मेरा लंड झटका मारकर मौसी के हाथों में फैल कर मोटा होने लगा.

और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकलकर बाथरूम की दीवार की टाइल्स पर जा गिरी, मौसी ने अब लंड को हिलाना बंद कर दिया, और मेरे लंड को हाथ में थोड़ा और ज़ोर से पकड़कर, मेरे शांत होने का इंतेजार करने लगी. 

फिर मौसी ने अपना हाथ हटाकर अपने हाथों को धोया, और बोली, “तुम यहीं पर रूको, मैं कपड़े पहन कर आती हूँ.” जैसे ही मैने अपने उपर टवल लपेटी, मैं बोला, “ठीक है मौसी.” मैं कल से थोड़ा ज़्यादा बेशरम होकर बाथरूम से बाहर निकला. मैने मौसी से अपने आप को बिना किसी शरम के तौलिया से पुछवाया. जैसे ही कपड़े पहनाने की बारी आई, मौसी की नज़र फिर से मेरे आधे खड़े लंड पर जा टिकी. मौसी ने तुरंत मेरा शॉर्ट उपर किया, और मैं वहाँ से चला गया. जैसे ही मैने थोड़ा पीछे घूमकर देखा, मौसी अपनी तौलिया हटाकर अपने हार्ड हो चुके निपल्स को देख कर ज़ोर ज़ोर से साँसें भर रही थी.....
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