02-23-2021, 12:07 PM,
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desiaks
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मैं भी जोश में आ गया और तौलिया भी खोल दिया। मेरा लंड पूरी मस्ती से खड़ा था.. लंड देखकर दीदी मेरे लंड को अपनी हथेली से सहलाने लगीं। कुछ देर बाद दीदी को लंड से मजा आने लगा तो उन्होंने किस करते हुए मेरे लंड को ज़ोर से दबा दिया।
फिर मैंने कहा- चलिए हम आज सुहाग दिन ही मनाएँगे।
मैंने उनको अपने बांहों में उठा लिया और ले जाके बेड पर लिटा दिया।
उनको किस किया तो वो बोलीं- किस में ही टाइम खराब करोगे या कुछ आगे भी करोगे?
मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा.. और वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थीं- अह.. राजा और ज़ोर से चूसो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊहह..
वो चुदास से छटपटा रही थीं।
मैं दोनों हाथों से उनकी चुची को दबा रहा था और मुँह से एक-एक करके चूस रहा था। फिर मैं एक हाथ से उनकी बुर के बालों पर हाथ फेरने लगा।
दीदी पैर को उछाल-उछाल कर चिल्ला रही थीं- अह.. राजा और ज़ोर से कर, और ज़ोर से दबा भैनचोद और ज़ोर से चूस साले।
मैं उनके पूरे बदन को चूमने लगा। वो मानो नई दुल्हन की तरह कामुक सिसकारियां भर रही थीं और मैं उनके पूरे बदन को किस पर किस करता चला जा रहा था।
फिर मैंने उन्हें उल्टा लिटा दिया और उनके पिछले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगा। उन्हें तो मानो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था।
मैंने उनकी दोनों जाँघों के बीच भी अपनी जीभ को घुमाकर उन्हें मस्त कर डाला और फिर ऊपर से नीचे तक उन्हें किस किया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- दीदी लंड चूसो और मैं तुम्हारी बुर चूसता हूँ।
फिर मैं दीदी के ऊपर ओर वो मेरे नीचे हो गईं।
मैं उनकी बालों वाली बुर को जीभ डालकर सक करने लगा.. तो वो मानो आसमान में उड़ने लगी और मस्ती में मेरा लंड अपने मुँह में जितना अन्दर ले सकती थीं, उतना लेकर चूसने लगीं।
दीदी को अब खूब मजा आ रहा था। करीब 15 मिनट बाद दीदी बोलीं- राजा मैं झड़ने वाली हूँ और ज़ोर-ज़ोर से मेरी बुर को चूसो.. खा जाओ मेरी बुर को.. आआअहह.. आज तक कभी किसी ने इस तरह मेरी बुर नहीं चाटी आआमम..
यह बोलते हुए उन्होंने मेरी गर्दन को अपनी टांगों में कस ली और अपनी बुर ऊपर उठा दी। मैं समझ गया कि वो झड़ गई हैं।
इतनी देर में दीदी की बुर का रस मेरे मुँह के रास्ते मेरे गले में उतर गया। वो शांत हो चुकी थीं लेकिन मेरा लंड अब भी चूस रही थीं।
कुछ देर बाद मैं उठ कर उनकी टांगों के बीच में बैठ गया और उनकी पुसी के मुँह पर लंड रख कर थोड़ी देर के लिए उन्हें सताने के लिए उस पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा।
दीदी को सुपारे की रगड़ से इतना मजा आ रहा था कि वो बोल नहीं पा रही थी, पर उनके चेहरे से साफ़ जाहिर हो रहा था कि वो लंड को लीलने के लिए बेकरार हो रही थीं।
फिर मैंने उनकी बुर के मुँह पर लंड का एक हल्का सा धक्का मारा। इससे वो सिहर उठीं.. अब उन्हें दर्द होने लगा। मैं उनके मुँह पर झुककर उन्हें किस करने लगा। उन्हें वो अच्छा लगा और मैंने इसी किसिंग के दौरान एक और धक्का दे दिया। मेरा लंड कुछ अन्दर घुस गया.. तो उनकी सीत्कार निकल गई, पर मेरे किस करने की वजह से उनकी आह मेरे मुँह में ही रह गई। मैंने किस करना चालू रखा.. उन्हें इससे बहुत अच्छा लग रहा था। साथ ही मेरे दोनों हाथ उनकी चुची को मसल रहे थे। उन्हें बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अगला धक्का दे मारा और मेरा लंड दीदी की बुर में और अन्दर चला गया।
इस बार दीदी ज़ोर से चिल्ला पड़ीं, पर मैंने उनके मुँह को किस से बंद कर दिया और उनके चूचों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। उनको थोड़ा दर्द ज़रूर हुआ.. पर वो मेरे लंड से चुदाई के मज़े लूट रही थीं। फिर थोड़ी देर उनकी चुची सहलाने के बाद मैंने एक और आखरी तगड़ा धक्का दे दिया और मेरा पूरा 7 इंच लंबा लंड दीदी की बुर की जड़ तक अन्दर हो गया था।
वो तड़फ कर ज़ोर से सिसकारी भर रही थीं- अहह उईईईईईई मर गई.. मजा आ गया.. अह.. चोद दे यार.. साले भैनचोद.. अहह.. चोद… चोद अपनी दीदी को…
मैं फिर से धक्का मारने लगा। धीरे-धीरे अब वो मुझे अपने चुचों को उछालटे हुए साथ देने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और अपना पूरा लंड उनकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा। उनके पैर मेरे कंधे पर होने से पोज़िशन बड़ी टाइट हो गई थी और मेरा लंड भी दीदी की बुर के अन्दर तक चला गया था।
अब मेरा लम्बा लंड डॉली दीदी की बुर में उछल-कूद करने लगा। वो मस्ती में चिल्ला रही थीं ‘अह.. चोद दिया रे… बहुत बड़ा है.. उईई.. अब बस कर साले.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़.. मान जा बेदर्दी.. अह..’
पर मैं इतनी जल्दी बस थोड़ी करने वाला था।
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और उनकी कमर तक आ गया। फिर दीदी ने अपनी चुची को दोनों हाथों से दबाकर दोनों को भींच दिया। मैंने उनके बीच में से अपने लंड के लिए जगह बनाई और चुचों के बीच में लंड डाल कर अन्दर-बाहर किया।
पहले तो दीदी को मजा नहीं आया, पर बाद में जब उनके निप्पल धीरे-धीरे कड़क हो गए और मैं भी ज़ोर-ज़ोर से चुचों को चोदने लगा तो उन्हें मजा आने लगा।
मैं भी उनकी चुची को और जोर से दबाने लगा.. तो बहुत मजा आने लगा। बीच-बीच में मेरा लंड उनके होंठों को भी छू लेता था, जिससे उनको सुपारे को चखने का अवसर भी मिल रहा था।
उन्हें चुची की चुदाई का मजा आ गया और वे मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं। मैं लंड से उनके निप्पलों मसल रहा था.. एक हाथ से उनकी बुर को मसल रहा था। वो भी बुरी तरह गर्म हो गई थीं। अब मैंने लंड को उनके मुँह से बाहर निकाला क्योंकि मैं झड़ने वाला था। मैंने अपने लंड का फव्वारा उनकी चुची पर छोड़ दिया। मुझे इस चुदाई से इतना मजा अधिक आया कि क्या बताऊँ।
फिर मैंने उन्हें लिपटाकर अपनी गोदी में बिठा लिया और लंड उनके दोनों बुरड़ों के बीच में से उनकी गांड में डालकर पीछे से उनकी किस करने लगा।
मैं उन्हें आगे से सहलाता, उनके चूचे मसलता, उनकी बुर रगड़ता, सबको चूमता-चाटता.. दबाता, उंगली करता हुआ उनसे बात करता रहा।
मैंने उन्हें इसी पोज़िशन में सोफे पर लिटा दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे से चिपट कर लेट गए और चुम्मा-चाटी करने लगे। मुझे मानो आज जन्नत और उसमें हूर की परी मिल गई थी, जन्नत का नज़ारा देखने को मिल गया था।
हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में आ गिरे और कमरे के बिस्तर पर जाकर लेट गए। मैं नीचे और वो मेरे ऊपर थीं। मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और मैंने एक ज़ोर का चुम्मा लेकर उनकी जीभ भी चूस ली। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े बदल लिए।
मेरी प्यारी डार्लिंग दीदी के चेहरे पर चुदाई से मिली ख़ुशी साफ़ नज़र आ रही थी। वो चुदाई से पूर्णत: संतुष्ट थीं। दीदी मेरे लिए नाश्ता बनाने चली गईं। जब वे नाश्ता बना कर लाई तो मेरी गोद में बैठ गईं.. मुझे अपने हाथों से खिलाया और खुद भी खाया।
दीदी- तुम दिव्या को पसंद करते हो क्या?
मैंने हंसते हुए कहा- नहीं यार, बस टेस्ट चेंज करना चाहता हूँ।
दीदी- मतलब?
मैं- नई बुर लिए हुए बहुत दिन हो गए हैं.. तो उसी के चक्कर में हूँ।
दीदी- ऊऊओह.. क्या मैं पुरानी हो गई हूँ?
मैंने डॉली दीदी की बुर पर हाथ रखते हुए कहा- ये बुर कभी भी पुरानी नहीं होगी।
डॉली दीदी हँसने लगीं..
तो मैं बोला- अब हंसना बंद करो और दिव्या की बुर लेने में मेरी हेल्प करो।
वो बोलीं- ठीक है.. कल आती है तो बात करती हूँ।
अगले दिन दिव्या नहीं आई, फिर वो दूसरे दिन जब मेरे घर आई, तो मैंने कहा- यार तुम कल क्यों नहीं आईं?
तो उसने थोड़ा गुस्से में कहा- मेरी मर्ज़ी.. मैं कभी भी आऊँ!
मैंने ‘ओके..’ कहकर उसकी बात को इग्नोर कर दिया और उससे कहा- चलो दिव्या मेरे रूम में चलते हैं.. वहीं बात करेंगे।
उसने कहा- राजा बहुत ज्यादा हो गया.. मैं यहाँ तुमसे मिलने नहीं आई हूँ। मैं यहाँ डॉली दीदी से मिलने आई हूँ और जो कल हुआ उसे भूल जाना।
यह बोलते ही वो दीदी से बात करके अपने घर चली गई।
उसके जाने के बाद दीदी ने पूछा- क्या हुआ हीरो.. लौंडिया हाथ में नहीं आ रही है क्या?
मैं बोला- कुछ नहीं.. थोड़ा भाव खा रही है।
दीदी ने बोला- वो भाव नहीं खा रही है.. डर रही है। कभी अकेले में मिलो.. तो बात करेगी।
‘अकेले में कब मिलेगी?’
तो दीदी बोलीं- परसों।
मैं बोला- कैसे?
तो दीदी बोलीं- परसों हम लोग एक शादी में जा रहे हैं.. तुम किसी बहाने से रुक जाना, बाकी तुम तो हो ही माहिर खिलाड़ी।
मैं बोला- थैंकयू दीदी.. बहन तो सिर्फ़ आप जैसी होनी चाहिए, जो भाई के हर दुःख को समझती हो।
ये बोलते हुए मैंने दीदी को अपनी बांहों में ले लिया और उन्हें किस करने लगा। तो वो अलग हो गईं और बोलीं- अभी सब घर में हैं।
फिर जिस दिन सब को जाना था, उस दिन दीदी मेरे पास आईं और बोलीं तेरा काम बना दिया है.. माँ-पापा को बोल दिया है कि तुम्हारा शादी में जाने का मन नहीं है, सो तुम यहीं घर पर ही रुक रहे हो.. और दिव्या को भी बोल दिया है कि तुम्हारे लिए खाना पहुँचा दे।
मैं बोला- थैंक्स डार्लिंग..
मैंने दीदी को अपनी बांहों में लेकर एक किस कर दिया, तो वो मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- ये बड़ा उतावला है।
मैं बोला- होगा क्यों नहीं.. इसको नई बुर मिलने की जो उम्मीद हो गई है।
तो दीदी हँसने लगीं और जाने के लिए तैयार होने चली गईं।
कुछ ही देर में माँ-पापा के साथ वो शादी में चली गईं।
मैं सोच रहा था कि पता नहीं दिव्या आएगी भी या नहीं।
लेकिन शाम को जब दिव्या मेरे घर आई तो उसने मुझे आवाज़ दी- राजा?
तो मैंने कहा- अभी आ रहा हूँ।
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02-23-2021, 12:08 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मैं उस वक़्त नहा रहा था और नहाकर वापस आया तो देखा दिव्या खाना लेकर खड़ी थी। उसने ट्राउजर और टी-शर्ट पहना हुआ था बड़ी मस्त लग रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने मेरे लंड की तरफ देखा तो तौलिया में से उसे बंबू बना दिखाई दिया।
उसने कहा- मैं तुम्हारे लिए खाना लाई हूँ.. खाना खा लो।
मैंने कहा- बस अभी कपड़े पहन कर आता हूँ।
मैं कमरे में जाकर लोवर और बनियान पहन कर आ गया। हम टीवी वाले कमरे में चले आए और टीवी देखने लगे। मैं खाना खाने लगा.. दिव्या अभी भी मुझसे बात नहीं कर रही थी।
मैंने सोच लिया था कि आज तो इसे ऐसे ही जाने नहीं दूँगा।
मैंने दिव्या से कहा- तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो?
तो उसने कहा- मेरा मन नहीं है। मैं फालतू लोगों से बात नहीं करती।
तभी मैंने खाने को छोड़ दिया और कहा- ले जाओ खाना.. मैं भी फालतू लोगों का खाना नहीं ख़ाता।
मैं बिस्तर पर लेट गया।
उसने कहा- मेरा गुस्सा खाने पर क्यों दिखा रहे हो, खाना खा लो चुपचाप!
मैंने कहा- मैं बाहर होटल पर जाकर खा लूँगा।
उसने कहा- खाना तो आपको खाना ही पड़ेगा।
वो रोटी का टुकड़ा तोड़कर मेरे मुँह में डालने लगी। मैंने तभी उसे अपनी बांहों में भर लिया और कहा- प्लीज़ दिव्या, बताओ तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो?
उसने कहा- राजा जो हमारे बीच हुआ.. वो नहीं होना चाहिए था, मैं तुम्हें अपना भाई मानती हूँ और तुमसे बड़ी भी हूँ।
मैंने मन ही मन सोचा कि भाई..! मैंने तो अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ा, ये तो मुँह बोली बहन बन रही है।
लेकिन मैंने कहा- यार तुम पहले एक लड़की हो और बाद में कुछ और हो।
यह कहकर मैंने उसे दबोच लिया।
वो बोलने लगी- नहीं राजा प्लीज़ मुझे छोड़ दो.. मुझे घर जाना है।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर रुक जाओ, फिर चली जाना।
मैं उसे किस करने लगा, वो झटपटाने लगी और अपने आपको मुझे छुड़ाने लगी। लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और किस करता गया।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और गेट बंद कर दिया। वो डर गई और बोलने लगी- राजा प्लीज़ कुछ ग़लत मत करना..!
उसकी शक्ल रोने जैसे हो गई।
मैंने कहा- कुछ भी ग़लत नहीं होगा, बस थोड़ा बहुत ही करूँगा।
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचे मसलने लगा.. किस करता गया। फिर मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करके उसके चूचे ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, तो वो रोने लगी।
मुझे पता चल गया कि इसका भी मन है, पर ये नखरे दिखा रही है।
फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके एक चुचे को मुँह में लिया तो वो एकदम से चीख पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह.. लगती है।
मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। अब उसका ऊपर का हिस्सा मेरे सामने बिल्कुल नंगा था। अब मैं अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैंने अपनी अंडरवियर उतारने के लिए हाथ लगाया, उसने मेरा हाथ पकड़ा और रोने लगी।
वो बोलने लगी- प्लीज़ ये सब मत करो।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. तुम टेंशन मत लो और अपना अंडरवियर उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगा हो चुका था। फिर मैंने उसका पजामा उतारा। उसने काफ़ी रोकने की कोशिश की, पर मैं नहीं माना और उसका पजामा उतार ही दिया। फिर उसकी पेंटी भी उतार दी।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी। वो बिल्कुल अप्सरा की तरह लग रही थी, बिल्कुल गोरी।
उसने अपना एक हाथ अपनी बुर पर रख लिया और एक हाथ अपनी चुची पर रख लिया.. वो अपने आपको छुपाने लगी।
मैंने उसका हाथ उसकी बुर पर से हटाया और उसकी बुर पर अपना मुँह लगा दिया। उसकी बुर में जैसे ही जीभ डाली.. वो एकदम से लम्बी सी सांस लेकर उठी और ‘अहह..’ की आवाज़ करने लगी।
फिर मैंने करीब 2-3 मिनट तक उसकी बुर चाटी।
अब वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी, उसने अपनी बुर पूरी खोल दी थी।
फिर मैंने अपना लंड उसकी बुर पर रखा और रगड़ने लगा। वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था। वो बस ये चाहती थी कि जल्दी से मैं उसकी बुर में लंड डाल दूँ।
लेकिन मैंने कुछ देर सुपारा रगड़ने के बाद लंड हटा लिया और उससे कहा- इसे मुँह में लो।
पहले तो वो मना कर रही थी.. मगर मेरे ज्यादा ज़ोर देने पर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद मैंने उसे लेटा कर उसके ऊपर लेट गया। उसके होंठों पर किस करने लगा और चुची भी दबाने लगा।
अब मैंने एक हाथ से अपना लंड उसकी बुर के छेद पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा। मेरा लंड बुर में घुस गया और फिर मैं लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और थोड़ी देर बाद मैं झड़ कर शांत हो गया.. लेकिन वो अभी भी गर्म थी।
मैं ढीला होकर लेट गया.. तो उसने मेरे ऊपर बैठकर मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर में लगाकर ऊपर-नीचे होने लगी। कुछ देर बाद वो भी झड़ गई।
फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे रहे। थोड़ी देर बाद हमने दुबारा सेक्स किया।
उसके बाद वो अपने घर जाने लगी, तो मैंने पूछा- अब खाना कब मिलेगा?
वो बोली- कल ले कर आती हूँ।
फिर कुछ देर बाद दीदी का फोन आया कि वो लोग पहुँच गए हैं।
मैंने कहा- ओके..
फिर दीदी ने मुझसे पूछा- क्या हुआ?
मैं बोला- वही.. जो होना था, काम पास हो गया।
तो वो बोली- यार तू चीज़ ही ऐसी है.. कोई भी फ्लैट हो जाएगी।
उसके बाद भी हमने कई बार सेक्स किया।
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