06-08-2017, 11:02 AM,
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sexstories
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RE: चूतो का समुंदर
करीब 2-3 मिनट मे कुसुम जोश मे आ गई और अपनी गान्ड हिलाने लगी...और मैने चुदाई शुरू कर दी...
मैं- अब ठीक है ना...हा..
कुसुम- हाँ...आहह...दर्द हो रहा..
मैं- अभी मिट जायगा....
कुसुम- आहह...सच मे बढ़ा...आअहह...हाीइ...
मैं- तभी तो तुम्हे ज़्यादा मज़ा आएगा....
कुसुम- हमम्म...थोड़ा ज़ोर से....
मैं- ये ले मेरी जान...
और मैने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी...
कुसुम- आहह.. आहह...आअहह...एयाया ..
मैं- अब मज़ा आया ना....ये लो...
कुसुम- आहह....हम्म....ऐसे ही. .आहह...
मैं- यस...ईएहह ... यीहह...ईएहह...
कुसुम- एयेए..आ..आहह...आहह....आओउउंम्म...
मैने पूरी स्पीड से कुछ देर ही चोदा था कि कुसुम फिर से झड़ने लगी...
कुसुम- आअहह...आअहह...ऊओह...येस्स....ईीस्स...एसस्स...गाऐयइ.....उउम्म्म्म...
कुसुम झड कर शांत हो गई...पर मैने चुदाई जारी रखी...
थोड़ी देर बाद मैने कुसुम को एक तरफ किया और उसके पीछे लेट कर लंड को चूत मे डाल दिया और चुदाई जारी रखी...
कुछ धक्को के बाद कुसुम ने अपनी गान्ड हिलानी शुरू कर दी...और मैने उसकी कमर पकड़ कर छोड़ना जारी रखा...
कुसुम- तुम थकते नही...हाँ...
मैं- तुम जैसी माल साथ हो तो रात भर चोदता रहूं...कौन थकेगा...
कुसुम(मुस्कुरा कर)- इतनी..आअहह..पसंद आई...
मैं- हाँ...पर अभी बहुत कुछ सीखना है तुम्हे....
कुसुम- आहह....क्या...
मैं- बाद मे...अभी मज़े करो...
और मैने कुसुम को कुतिया बनाया और फुल स्पीड मे चोदने लगा....
कुसुम- आहह…ज़ोर से….ज़ोर से…आअहह....
मैं- येस्स्स..ये ले...ये ले...ऐसे ही ना...
कुसुम- अहहह..हाअ,,...आईससीए,,,हहीी,,,,,,आहहह.....फ्फ़ादद..द्दूव
मैं पीछे से गंद पकड़ कर तेज़ी से कुसुम को चोद रहा था और कुसुम भी अपनी गंद को हिला कर चुद रही थी.....
कुसुम -आहह…आअहह….आहहह..….
मैं- येस्स…ये ले…ओर तेजज..यहह
कुसुम- आअहह…म्म्माुअस्सटत्…ल्ल्लुउन्न्ड्ड़ हहाईयैयाीइ….जब भी अंदर …आहह..जाता है….मज़ा देता…आहह..है…
चुदाई पूरे सवाब पर थी और मेरी जाघे कुसुम की गान्ड पर थाप मार कर उसे लाल कर रही थी ....
और करीब 20 मिनिट की चुदाई मे कुसुम एक बार फिर से झड़ने लगी.....
कुसुम- आअहह…आह.आ.आह…अमम्मायन्न…आऐईइ…..अहह..आह...आऐईयईईईईई
मैं-आअहह….ये ले …
कुसुम झड़ने लगी ओर चुदाई की आवाज़ बदलने लगी......
आअहह…..स्शहहह..आहह…त्ततहुूप्प्प…कचहुप्प्प…..ईएहहाअ…आहह…त्ततहुूप्प्प…त्ततहुूप्प्प….फ़फफूूककचह…फ़फफूूककच…
.ऊओ…ईीस्स…यईीसस…आअहह….ऊओ……फफफफकक्चाआप्प्प….टतततुउउप्प…आहह....
कुसुम झड कर पस्त पड़ गई थी और कुछ धक्के मारने के बाद मैं भी झड़ने के करीब आ गया....
मैं- आअहह..मैं आया.....कहाँ डालु...चूत मे...
कुसुम- नही..नही...अंदर नही...
तो मैने लंड बाहर निकाला और कुसुम की पीठ और गान्ड पर लंड रस की पिचकारी मार दी...
जब मैं झड गया तो लेट गया...और कुसुम भी उल्टी पड़ी रही....और हम दोनो रेस्ट करने लगे......
हमने थोड़ी देर ही रेस्ट किया था कि गेट पर नॉक हुआ...जिसे सुनकर कुसुम घबरा गई....
मैं- डोंट वरी....मैं देखता हूँ...तुम रेस्ट करो....
फिर मैं उठा और कपड़े पहन कर गेट के पास गया और गेट के बाहर सिर निकाला....बाहर रजनी खड़ी थी .....
रजनी(मुस्कुरा कर)- आवाज़ बहुत करती है वो ...
मैं- क्या...आपको सुनाई दी...
रजनी- ह्म्म..पर और किसी ने नही सुनी...डोंट वरी...
मैं- ह्म..
रजनी- तो...क्या हाल है उसका...
मैं- खुद ही देख लो...
और मैं रजनी के साथ अंदर आ गया...जहा कुसुम उल्टी पड़ी थी...पूरी नंगी...और उसकी पीठ से लेकर गान्ड तक मेरा लंड रस पड़ा हुआ था...
रजनी(मुस्कुरा कर)- ओह हो...नहला ही दिया....क्यो कुसुम ..मज़ा आया ना...
कुसुम ने अपना सिर बेड मे छिपा लिया...
मैं- अच्छा आंटी...अब कॉफी पिलाओ...मुझे जाना है फिर...
रजनी- ओके...और कुसुम...तू भी फ्रेश हो जा...
फिर मैं आंटी के साथ बाहर आया...और कॉफी पीते हुए आंटी को समझा दिया कि कुसुम को सेक्स एंजाय करना सिखाए...ताकि नेक्स्ट टाइम ज़्यादा मज़ा आए...
कॉफी ख़त्म कर के मैं वहाँ से निकल आया और सीधा पहुँचा वर्मा के ऑफीस....
वही मिस्टर.वर्मा...जो डॅड के पार्ट्नर थे और अब पार्ट्नरशिप तोड़ना चाहते थे.....
मैं वर्मा के ऑफीस पहुँचा तो उसकी सीक्रेटरी ने मुझे वेट करने बोला और थोड़े इंतज़ार के बाद मुझे वर्मा के कॅबिन मे भेज दिया...
जब मैं ऑफीस मे एंटर हुआ तो देखा कि ऑफीस मे एक बड़ी सी टेबल...कुछ चेयर्स और कुछ फाइल्स थी...
रूम के एक तरफ बार काउंटर बना हुआ था एक शानदार सोफा पड़ा था और मेरे सामने वर्मा उस सोफे पर बैठा हुआ था...और उसके सामने टेबल पर टीचर्स स्पेशल स्कॉच की बॉटल रखी हुई थी...और कुछ स्नकस...
ऐसा लग रहा था कि ये ऑफीस नही बल्कि एंजाय करने को रूम बनाया गया है...
वर्मा वैसे तो मेरे डॅड का पार्ट्नर था...बट आगे मे उनसे थोड़ा कम ही था...बट दिखने मे आगे थुल्तुला ही था...साथ मे चश्मे भी चढ़े हुए थे साले को...
मुझे सामने देखते ही वर्मा ने मुस्कुरा कर मेरा वेलकम किया...
वर्मा- हेलो अंकित...आओ बेटा...आओ....
मैं- हाई अंकल..कैसे है आप...
वर्मा- मैं ठीक हूँ..आओ बैठो...
मैं वर्मा के सामने ही बैठ गया और मेरे बैठे ही वर्मा पेग बनाने लगा....
वर्मा- बेटा..तुम भी लोगे...
मैं- नो अंकल...
वर्मा- लेते नही हो कि मेरे साथ नही ले रहे...
मैं- लेता हूँ...बट आपके साथ ..नही..
वर्मा- कम ऑन यंग मॅन...इसमे क्या...एक पेग तो लेना ही होगा...
वर्मा ने मना करते हुए भी एक पेग बना दिया और हमने ग्लास टकरा कर पीना शुरू किया...
मैं(सीप मार कर)- अंकल...मुझे आपसे कुछ बात...
वर्मा(पेग ख़त्म कर के)-हम्म..हम्म..आहह..मैं पूछने ही वाला था...कैसे आना हुआ तुम्हारा....???
मैं- आक्च्युयली...मुझे पता चला कि आपकी और मेरे डॅड की बहस हुई...
वर्मा(दूसरा पेग बनाते हुए)- ह्म...तो तुम कल हुई बहस की बात कर रहे हो....
मैं- हाँ...उसी की बात कर रहा हूँ...
वर्मा(सीप मार कर)- हाँ...तो उसमे क्या बात करनी है...क्या तुम बहस की वजह जानने आए हो...
मैं- नही...मैं वजह जानता हूँ...
वर्मा- तो तुम जानते हो...फिर क्या बात करनी है...
मैं- सिर्फ़ ये जानने आया हूँ कि आपने ऐसा क्यो किया.. क्यो आप अभी ये पार्ट्नरशिप तोड़ रहे है...वो भी तब..जब ऑफीस खाक मे मिल गया...
वर्मा ने मुझे रुकने का इशारा किया और एक सिगरेट जला कर कस मारा और बचा हुआ पेग ख़त्म कर के बोला...
वर्मा- देखो बच्चे....मुझे उस ऑफीस के जलने से कोई लेना-देना नही...मुझे बस अपना पैसा वापिस चाहिए...ओके..
मैं- पर सब कुछ जल कर खाक हो चुका है...
वर्मा- तो मुझे क्या ...मेरा अग्रीनेंट सिर्फ़ माल का था ऑफीस आस्सेस्ट से नही...इसलिए उस ऑफीस मे क्या बचा..क्या नही...उससे मुझे कोई मतलब नही....
मैं- ओके...माना ...पर अचानक...इस वक़्त डॅड के उपेर उस ऑफीस के एंप्लायी का प्रेशर है...उन्हे पैसे भी देना है...वरना वो पोलीस मे जा सकते है..
वर्मा (तीसरा पेग बनाते हुए)- तो मैं क्या करूँ...वो तुम्हारे डॅड की प्राब्लम है..मेरी नही...मुझे बस मेरा पैसा वापिस चाहिए...बस...
इस बार वर्मा की टोन सुन कर मुझे गुस्सा आ गया बट मैं कंट्रोल किया...
मैं- वो तो है...बट अगर आप थोड़ा रुक जाते तो...
वर्मा(आधा पेग गटक कर)- हम्म..नही मैं नही रुक सकता...मुझे अभी अपना पैसा चाहिए 1 हफ्ते मे...बस...
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